शबे बारात कब है in 2023 | Shab-e-barat 2023

शबे बारात कब है in 2023 | Shab-e-barat 2023

 

 

 

 

Shab-e-Barat 2023 : माह-ए-शाबान का चांद नजर आया, शब-ए-बरात

2023 7 मार्च को

 

 

यह त्यौहार इस्लामी माह शाबान की 14वीं रात मगरिब की नमाज़ के साथ ही शुरू हो जाएगा। शब-ए-बरात की रात को बुलंदी रात कहा जाता है। ईशा की नमाज़ से सुबह के फज़र की नमाज़ तक इबादत करने का समय होता है। शब ए बारात किस दिन है, अब यह आप जान चुके होंगे।

शब ए बारात किस दिन है

 

शब ए बारात की रात में क्या पढ़े? क्या आप इस प्रश्न का सही उत्तर जानना चाह रहे हैं? शब ए बारात को गुनाहों की माफी की रात कहा जाता है। एक रात की इबादत को एक हजार रात की इबादत के बराबर माना जाता है। आपको इस बार निम्नलिखित बातों पर जरूर ध्यान देना चाहिए।

जियारत कुरान पाक की तिलावत नफल व तहजुद की नमाज रोजा रखना कब्रिस्तान में फातिहा पढ़ना मगफिरत की दुआ सलातुल तस्बीह की नमाज कजा़ ए उमरी की नमाज़।

 

नफिल नमाज फर्ज नहीं है। यह एक सुन्नत है। अगर आप पढ़ लेंगे तो आपको इसका सवाब मिलेगा। अल्लाह ताला ने जो हमारे लिए पांच वक्त का नमाज़ मुकर्रर किये हैं, वह फर्ज है। अगर फर्ज नमाज़ को समय पर ना पढ़ें तो, वह कजा़ हो जाती है। कजा़ नमाज हमें जरूर पढ़ लेनी चाहिए। पांच वक्त के सभी फर्ज एवं वितर नमाज़ की कजा़ जरूर पढ़ना चाहिए।

शब ए बारात की रात में नफिल या कजा़ ए उमरी की नमाज़ पढ़ें

 

शब-ए-बारात या शबे-बारात (Shab-e-Barat) इस्लामिक धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो चांद की 14वीं शब को मनाया जाता है। इस रात के बारे में कुछ फ़ायदे हैं जो इस रात के महत्व को बढ़ाते हैं, जैसे:

  1. गुनाहों से मुक्ति: शब-ए-बारात के दिन अल्लाह ताला अपनी रहमत का दस्तूर बनाते हुए अपने बंदों को बख्श देता है। इस रात को लोग अपने गुनाहों को छोड़कर अल्लाह से माफ़ी मांगते हैं और उन्हें मुक्ति मिलती है।
  2. दुआओं की शक्ति: शब-ए-बारात के दिन अल्लाह ताला अपने बंदों की दुआओं को सुनता है। और उन्हें मनज़ूर करता है। इस रात को लोग अपनी दुआओं को सुनिश्चित करते हैं जो उन्हें भविष्य में सुख और सफलता के लिए मदद करती हैं।
  3. कर्मों का फल: शब-ए-बारात के दिन अल्लाह ताला अपने बंदों के कर्मों का फल देता है। इस रात को लोग अपने अच्छे कर्मों को बढ़ावा देते हैं और उन्हें अपने बुरे कर्म से बचाने के लिए उन्हें छोड़कर अपने जीवन को सुधारने के लिए प्रेरित करते हैं।
  1. रोज़े की बख्शीश: शब-ए-बारात के दिन लोग रोज़े रखते हैं। अल्लाह ताला उन्हें उनकी नियत और संयम के लिए बख्शीश देता है।

इसलिए, शब-ए-बारात एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो मुसलमानों को अपने गुनाहों से बचाने और अल्लाह की रहमत के लिए मांगने के लिए प्रेरित करता है।

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