सूरह इख्लास (क़ुल हुवल्लाह शरीफ़ )के फ़जाइल

 

 

بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
(1) हुजूरे पाक ,साहिबे लौलाक ,सय्याहे अफ़्लाक ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :- “तुम में से कोई शख्स रात में तिहाई कुरआन क्यूं नहीं पढ़ता ?”
सहाबए किराम ने अर्ज़ किया :- कोई शख्स तिहाई कुरआन कैसे पढ़ सकता है ? इर्शाद फ़रमाया :- *”قُلْ هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌۚ” तिहाई कुरआन के बराबर है।”
✍🏻सहीह मुस्लिम
(2 ) खातिमुन नबिय्यीन ,जनाबे रहमतुल्लिल आलमीन ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :- “इकट्ठे हो जाओ क्यूं कि अभी मैं तुम्हारे सामने तिहाई कुरआन पढूंगा।”
चुनान्चे सहाबए किराम में से जिन्हें जम्अ होना था वोह जम्अ हो गए फिर नबिय्ये करीम ﷺ तशरीफ़ लाए और *”قُلْ هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌۚ” पढ़ी और वापस तशरीफ़ ले गए।
हम एक दूसरे से कहने लगे :- “शायद आस्मान से कोई खबर आई है जिस की वजह से हुजूर ﷺ वापस तशरीफ़ ले गए हैं।” जब आप ﷺ दोबारा तशरीफ़ लाए तो फ़रमाया :- “मैं ने तुम्हारे सामने तिहाई कुरआन पढ़ने का कहा था तो सुन लो ? येही सूरत तिहाई कुरआन के बराबर है।”
✍🏻सहीह मुस्लिम

(3) एक शख्स ने किसी को बार बार *قُلْ هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌۚ पढ़ते हुए सुना तो सुब्ह के वक़्त रसूले अकरम ﷺ की बारगाह में हाज़िर हो कर इस का तज़्किरा किया वोह साहिब गोया उसे कम समझ रहे थे तो रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया :- “उस ज़ात की क़सम जिस के दस्ते कुदरत में मेरी जान है येह सूरत तिहाई कुरआन के बराबर है।”
✍🏻सहीह बुखारी

(4) अल्लाह के महबूब ,दानाए गुयूब ,मुनज़्ज़हुन अनिल उयूब ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :- “जो शख़्स दस मर्तबा *قُلْ هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌۚ पढ़ेगा अल्लाह उस के लिये जन्नत में एक महल बनाएगा।”
हज़रते सय्यिदुना उमर बिन खत्ताब ने अर्ज किया :- “या रसूलल्लाह! ﷺ फिर तो हम इसे कसरत से पढ़ा करेंगे।”
आप ﷺ ने फ़रमाया :- “अल्लाह तआला बहुत ज़ियादा अता फरमाने वाला और पाक है।”

(5)नूर के पैकर ,नबियों के सरवर ,दो जहां के ताजवर ,सुल्ताने बहरो बर ﷺ ने एक साहिब को एक सरिय्या का अमीर बना कर भेजा येह अपने अस्हाब को नमाज़ पढ़ाते तो उस में और सूरत के साथ अख़ीर में قُلْ هُوَ اللّٰهُ اَحَدٌۚ पढ़ते। सरिय्या से लौटने के बाद लोगों ने रसूलुल्लाह ﷺ से इस का तज़्किरा किया तो नबिय्ये करीम ﷺ ने फ़रमाया :- “उस से पूछो वोह ऐसा क्यूं करता है ?”
लोगों ने उस से पूछा तो उस ने बताया कि:- “मैं इस को हर नमाज़ में इस लिये पढ़ता हूं कि येह रहमान عزوجل की सिफ़त है और मैं इस के पढ़ने को पसन्द करता हूं।” येह सुन कर नबी ﷺ ने फ़रमाया :- “उस को ख़बर दो कि अल्लाह भी उस से महब्बत फ़रमाता है।”
✍🏻सहीह बुखारी

 

सूरह इख्लास के फ़जाइल पार्ट 2
بِسْــــــمِ اللّٰهِ الرَّحْمٰنِ الرَّحِىْمِ
اَلصَّــلٰوةُ وَالسَّلَامُ عَلَيْكَ يَا رَسُوْلَ اللّٰه ﷺ
(6) हज़रते सय्यदुना अबू हुरैरा फ़रमाते हैं कि मैं ख़ातिमुल मुर-सलीन,रहमतुल्लिल आ-लमीन जनाबे सादिको अमीन ﷺ के साथ कहीं जा रहा था कि आपने किसी शख्स को सूरए इख़्लास पढ़ते हुए सुना तो आपने इर्शाद फ़रमाया :- “वाजिब हो गई।”
मैं ने अर्ज़ किया :- “या रसूलल्लाह ﷺ क्या चीज़ वाजिब हो गई ?”
फ़रमाया :- “जन्नत।”

(7) हज़रते सय्यदुना अनस से रिवायत है कि ताजदारे रिसालत,
शहन्शाहे नुबुव्वत ﷺ ने इर्शाद फ़रमाया :- “जो शख़्स रोजाना दो सो मर्तबा पढ़ेगा उसके पचास बरस के गुनाह मिटा दिये जाएंगे मगर येह कि उस पर क़र्ज़ हो।”
مدنی پنجسورہ

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