kaise katu ratiya sabir lyrics
Kaise Kaat’u Ratiyaañ Saabir
Taare Ginat Huñ Sayyañ Saabir
Muray Karajiwa Hok Uth’at He
Moo Ko Laga Le Chatyaañ Saabir
Toori Suratyaañ Pyaari Pyaari
Ach’chi Ach’chi Batiyaañ Saabir
Chayri Ko Apne Charnoñ Laga Le
Me Parooñ Turay Pay’yaañ Saabir
Dowle Nay’ya Muri Bhanwar Me
Balma Pak’re Bay’yaañ Saabir
Chathyaañ Laagan Kaise Kahuñ Me
Tum Ho Oonche At’aryaañ Saabir
Turay Dwaare Sees Nawa-oñ
Teri Le Luñ Balay’yaañ Saabir
Sapne Hee Me Darshan Dikhla Do
Mow Ko Muray Gasay’yaañ Saabir
Tan, Man, Dhan Sub To Pe Waare
Noori Mooray Say’yaañ Saabir
pukaaro naam baba ka pukaaro Lyrics
naazim hun dil se khauf e qayaamat nikaal do lyrics
jab andhere chhaa gaye jalwagari kaam aa gayi Lyrics
nigahon se khenchi hai tasveer maine Lyrics
ya farid ya farid ya farid ya farid Lyrics
ajj sik mitran di wadheri e Lyrics
હરમ શરીફ સદાએ દે રહા હે 😭😭😭
વો અલ્લાહ કે અહદ (વાદે) સે ફીર જાનેવાલે આલે સઉદ કે હાથોમે મેહફુઝ નહી ઉસે અબ ઉમ્મત કે હવાલે હોના ચાહીયે.
” ખાના બદૌશ ”
હરમ શરીફ ખાલી. હજ તકરીબન બંધ. મુકામાતે મુકદ્દસા જાને પર ૧૦ હજાર જુરમાના (દંડ) ઔર ઉમરાહ ભી બંધ. લેકીન સીનેમા હાલ ફુલ. ફિલ્મ ફેસ્ટીવલ શુરૂ. ૭ જુલાઈ તક જારી રહેગા. કોરોના કાલ મે ૨૦ નયે (ન્યુ) સીનેમા ખુલ ઞએ
મેટા (META) સીનેમા કે મુતાબીક ૪૦ હફતોમે ૭૩ મીલીયન ડૉલર કે સીનેમા કી ટીકીટ બેચને કા રૅકોર્ડ કાયમ હુવા
૨૦૨૦ મે પુરી દુન્યા કી ફિલ્મો કા બુરા હાલ રહા – લેકીન સર જમીને વહી (જહા વહી કા નુઝુલ હોતા થા) મે (યાની સાઉદી અરબ મે) ઉસે ઉરૂજ હાસીલ રહા-
ઞુઝિશ્તા મહીને જિદ્દાહ મે પંદરહ દિન કે અંદર દો (૨) બડે મ્યુઝિકલ કંસરટ (Musical Concert) જીસમે સાઉદી મર્દ ઔર ઓરતે બઞૈર કિસી કિસ્મ કી રૂકાવટ કે નાચ ગાને કે પ્રોગ્રામ મે હિસ્સા લીયા…..
એક લાખ સે ઝયાદા લોગ ઈકઠ્ઠા હો કર ફુટ બોલ કા મેચ દેખ સકતે હે. લેકીન હરમ શરીફ મે નહી આ સકતે. યે બહોત બડી સાઝીશ હે. સાઉદી અરબ બતાએ કૌનસી વેકશીન લગાની હે તમામ મુસલમાન લગાને કો તૈયાર હે તમામ મુસ્લિમ મુલ્ક મિલ કર હજ વ ઉમરાહ ખુલવાએ – ખાન એ કાબા ઔર મદીના મુનવ્વરા આલે સઉદ કી જાગીર નહી…..
લોગ હજ કો ભુલતે જા રહે હે 😭😭😭😭
મૂઝી કોરોના સે પેહલે લોગ સાલ ભર હજ ઔર ઉમરાહ કી બાતો ઔર કોશિશ મે મશરૂફ રહેતે થે. હજ કે દિનો મે લોગો કા શોક વ ઝૌક બહોત બળ્હ જાતા થા.
કોરોના કી આડ મે પ્રિન્સ “એમ બી એસ” કા ગલત ઔર ગલીઝ (નાપાક) ફેસલા….. આલમે ઈસ્લામ આહિસ્તા આહિસ્તા કુબુલ કરતે જા રહે હે. સાઉદી કે ઈસ કાફીરાના ઔર ઝાલીમાના ” ફૈસલે કે ખિલાફ દુન્યા કે કિસીભી હિસ્સે સે કોઈ એહતેજાઝ (વિરોધ પ્રદર્શન) બુલંદ નહી હો રહા હે. સાઉદી કે સીનેમા હાલ ખુલ ગએ હે જહા કોઈ ” એસ ઓ પીઝ લાગુ નહી. કસિનો (Casinos) મે ચહલ પહલ હે. હોટલ ઔર શાપીગ મોલ મે વોહી રોનકે હોતી હે મગર હરમૈન શરીફૈન બંધ પડે હે –
તાજ્જુબ કી બાત હે યુરોપ ભર મે યુરો કપ” ફુટ બોલ” ટુર્નામેન્ટ ” કે દૌરાન વોહી પુરાની જૌશ વ ખરૌશ દેખને મે આતી હે. લેકીન હરમૈન શરીફૈન પર અભી તક કોવીડ 19 કી નહુસત કા સાયા હે.
હમ યે નહી કેહતે કે કોરોના નહી હે યા વેકશીન જરૂરી નહી હે. લેકીન જબ યુરોપ વ અમેરિકા મે ખેલ કે મેદાનો મે અવામ કા હુઝુમ (ભીડ) દેખતે હે. દૂસરી તરફ સાઉદી ઔર ઈમારાત મે કારોબારી, તફરીહી , ઔર (Entertainment) વાલી મુકામો પર વહી રોનક. વહી નઝારે. ઔર વહી ચહલ પહલ નજર આતી હે…. તો હરમૈન શરીફૈન કી બે બસી ઔર બેકસી પર રોના આતા હે. 😭😭😭
નોટ :: રિવાયત કા મફહુમ હે કે ” ખાન એ કાબા ” કે બાદ જબ હઝરતે ઈબ્રાહિમ અલય્હિસ્સલામ કો વહી આઈ કે એલાન કરો તો આપને તાજ્જુબ સે ફરમાયા કે ઈસ સેહરા સે મેરી અવાજ દુન્યા તક કૈસે પહોચેગી તો હઝરતે જીબ્રઈલ અલય્હિસ્સલામ ને ફરમાયા. યે આપકા કામ નહી હે આપ સિર્ફ એલાન કરે. અવાજ પોહચાના હમારા કામ હે.
સાઉદી હુકુમત તક (બઝાહીર) હમારી અવાજ નહી પહોંચ સકતી. મગર આપ સિર્ફ ઈસ મેસેજ કો વાયરલ કિજીયે બાકી કામ ઉનકા હે. હો સકતા હે વો અપને મેહબૂબ સલ્લલ્લાહો અલયહિ વસલ્લમ કે રોઝે કી રોનકે બહાલ કરને કે લીયે આપકે “વાયરલ” કરને કો બહાના બનાલે.
હરકત મે બરકત હે
═❥❥• 💚 D̝I̝L̝ K̝I̝ B̝A̝A̝T 💚̝═❥❥
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AAP KE WO ALFAAZ BHI EK TOHFA HAIN SAHAB
JO DUSRO KO AAGE BADNE KA HOSLA DETE HAIN
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☞❦ Aaj Ki Baat ❦☜
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🍃_ Sab mar Kar Qabro me Jate hai’n Lekin Achchha insaan Mar Kar Logo’n Ke Dilo’n me Chala Jata hai aur Log yaad Ke Zariye Use Zinda rakhte hai’n_”
🍃_ सब लोग मर कर क़ब्रों में जाते हैं लेकिन अच्छा इंसान मर कर लोगों के दिलों में चला जाता है और लोग याद के ज़रिए उसे जिंदा रखते हैं, _
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🌹AAJ KI SCHCHI BAAT 🌹
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🌹👉🏻 Un Par Dhiyañ Mat Dena Jo Aap Ki Pith Pichhe Baate Karte Hain…!
💎 👉🏻 Iska Sidha Matlab Hain Ke Aap Unse Do Qadam Aage Hain…!!
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✭ﺑِﺴْــــــــــــــــﻢِﷲِﺍﻟﺮَّﺣْﻤَﻦِﺍلرَّﺣِﻴﻢ✭
✭الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ✭
👑सवाल:-233👑
निकाह के बावुजूद किन सूरतों में अपनी बीवी से हमबिस्तरी हराम है?
👑जवाब:-233👑
निकाह के बावुजूद अपनी बीवी से मनदर्जा ज़ेल सूरतों (यानी नीचे बताई गई सूरतों) में हमबिस्तरी हराम है👇
1, हालते हैज़ (M.C) में,
2, हालते निफ़ास में (यानी बच्चा पैदा होने के बाद जो ख़ून आता है उस हालत में)
3, फ़र्ज़ और वाजिब रोज़ा की हालत में,
4, नमाज़ का वक़्त तंग होने की सूरत में, (यानी इतना कम वक़्त है के सोहबत और ग़ुसल करने के बाद जमाअत छूट जायेगी या नमाज़ का वक़्त खत्म हो जाएगा)
5, हालते एतेकाफ़ में,
6, हालते अहराम में,
7, ईला में,
8, ज़िहार में कफ़्फ़ारा अदा करने से पहले,
9, वती बिस्शुबह की इद्दत में,
10, औरत के आगे और पीछे का मक़ाम एक हो जाने की सूरत में जब तक कि आगे के मक़ाम में हमबिस्तरी होने का यक़ीन न हो,
11, जबके औरत अपनी कमसिनी, मर्ज़, या मोटापे की वजह से हमबिस्तरी को बर्दाश्त ना कर सके,
12, जबके औरत मेहरे मुअज्जल लेने के लिए अपने को शौहर से रोके तो इस सूरत में भी हमबिस्तरी हराम है,
📘 अल अश्बाह वन्नज़ाइर सफ़ह 335)
والله أعلمُ بالـصـواب
✍
शैतान वहाबी देओबंदी नज़दी खबीसों के लिए स्पेशल
💢बिदअतकाबयान💢
📖सवाल:>बिदअत किसे कहते हैं । और उसकी कितनी किस्में हैं।
✍🏻जवाब:>इसतिलाहे शरअ में (इस्लामी बोली) में बिदअत ऐसी चीज़ के ईजाद करने को कहते हैं जो हुजूर अलैहिस्सलाम के ज़ाहिरी ज़माना में न हो ख़्वाह वह चीज़ दीनी हो या दुनियावी,,
📚अशिअतुल्लमआत जिल्द अव्वल सफ़ा 125,
और बिदअत की तीन (3) किस्में हैं :
1). बिदअते हसना,
2). बिदअते सैय्यह, और
3). बिदअते मुबाह.
बिदअते हसना वह बिदअत है जो कुरान व हदीस के उसूल व क़वाइद के मुताबिक हो और उन्हीं पर क़ियास किया गया हो।
इसकी दो (2) किस्में हैं :
1*अव्वल बिदअते वाजिबा जैसे कुरान व हदीस समझने के लिए इल्मे नहव का सीखना और गुमराह फ़िरके मसलन खारज़ी, राफ़ज़ी, कादियानी और वहाबी वगैरा पर रद्द के लिए दलाइल कायम करना।
2*दोम बिदअते मुसतहब्बा जैसे मदरसों की तामीर और वह नेक काम जिसका रिवाज इबतिदाइ (शुरू) ज़माना में नहीं था जैसे अज़ान के बाद सलात पुकारना,
दुर्गे मुख्तार बाबुल आज़ान में हैं कि अज़ान के बाद अस्सलातु वस्सल्लमु अलैक या रसूलल्लाह पुकारना, माहे रबीउल आखिर सन 781 हिजरी में जारी हुआ और यह बिदजते हसना (अच्छा) है।
📖सवाल:>बिदअते सैय्यह किसे कहते हैं। और उसकी कितनी किस्में हैं.
✍🏻जवाब->बिदते सैय्यह वह बिदअत है जो कुरान व हदीस के उसूल व क़वाइद के मुखालिफ़ हो,
📗 अशिअतुल्लमआत जिल्द अब्वल सफ़ा 125,
इसकी दो किस्में हैं
⬇⬇⬇⬇
1*अव्वल बिदअते मुहर्रमा जैसे हिन्दुस्तान की मुरव्वजा ताजियादारी
(फतावा अज़ीज़िया रिसाला ताज़ियादारी आला हज़रत) और जैसे अहलेसुन्नत व जमाअत के खिलाफ़ नए अकीदा वालों के मज़ाहिब,
📚 अशिअतुल्लमआत जिल्द अव्वल सफ़ा 125,
2*दोम बिदअते मकरुहा जैसे जुमा व ईदैन का खुतबा गैरे अरबी में पढ़ना।
📖सवाल>बिदअते मुबाह किसे कहते हैं।
✍🏻जवाब:> जो चीज़ हुजूर अलैहिस्सलाम के ज़ाहिरी ज़माना में न हो और जिसके करने न करने पर सवाब व अज़ाब न हो उसे बिदअते मुबाह कहते हैं,
📗अशिअतुल्लमआत जिल्द अव्वल सफ़ा 125)
जैसे खाने पीने में कुशादगी इखतियार करना और रेल गाड़ी वगैरा में सफर करना।
(ये बिदअते मुबाह है)
📖सवाल:>हदीस शरीफ़ में है कि हर बिदमत गुमराही है तो इससे कौन सी विदअत मुराद है।
✍🏻जवाब->इस हदीस शरीफ़ से सिर्फ बिदते सैय्यह मुराद है।
देखिए 📗मिरकात शरह मिशक़ात जिल्द अव्वल सफ़ा 179 और अशिअतुल्लमआत जिल्द अव्वल सफ़ा 125,
इसलिए कि अगर बिदअत की तमाम किस्में मुराद ली जाएं जैसा कि जाहिरी हदीस से मफ़हूम होता है तो फिक़्ह इल्मे कलाम और सर्फ़ व नहूव वगैरा की तदवीन और उनका पढ़ना पढ़ाना सब ज़लालत व गुमराही हो जाएगा।
📖सवाल:>क्या बिदअत का हसना और सैय्यह होना हदीस शरीफ़ से भी साबित है।
✍🏻जवाब:> हां बिदअत का हसना और सैय्यह होना हदीस शरीफ़ से भी साबित है तिरमिज़ी शरीफ़ में है कि हज़रते उमर फ़ारूके आज़म (रज़ीअल्लाहू तआ़ला अन्हु) ने तरावीह की बाक़ायदा जमाअत काइम करने के बाद फ़रमाया के यह बहुत अच्छी बिदअत है,
📗 मिशकात सफ़ा 115,
और मुस्लिम शरीफ़ में हज़रते जरीर (रदियल्लाहु तआ़ला अन्हु) से रिवायत है कि रसूले करीम अलैहिस्सलातु वतस्सलीम ने फरमाया के जो इस्लाम में किसी अच्छे तरीका को राइज करेगा तो उसको अपने राइज करने का भी सवाब मिलेगा और उन लोगों के अमल करने का भी सवाब मिलेगा जो उसके बाद उस तरीक़ा पर अमल करते रहेंगे और अमल करने वालों के सवाब में कोई कमी भी न होगी, और जो शख़्स मज़हबे इस्लाम में किसी बुरे तरीक़ा को राइज करेगा तो उस शख्स पर उसके राइज करने का भी गुनाह होगा,
और उन लोगों के अमल करने का भी गुनाह होगा जो उसके बाद उस तरीक़ा पर अमल करते रहेंगे और अमल करने वालों के गुनाह में कोई कमी भी न होगी,
📗 मिशक़ात, सफ़ा 33,
📖सवाल->क्या मीलाद शरीफ़ की महफ़िल मुनअक़िद करना बिदअते सैय्यह (बुरी बिदअत) है।
✍🏻जवाब :>मीलाद शरीफ़ की महफिल मुनअक़िद करना उस में हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम की पैदाइश के हालात और दीगर फज़ाइल व मनाकिब बयान करना बरकत का बाइस (ज़रिया) है। उसे बिदते सैय्यह (बुरी बिदअत) कहना गुमराही व बदमज़हबी है।
📖सवाल :>क्या हुजूर अलैहिस्सलाम के ज़माने में मय्यत का तीजा होता था।
✍🏻जवाब :>मय्यत का तीजा और इसी तरह दसवां, बीसवां और चालीसवां वगैरह हुजूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम के ज़ाहिरी जमाना में नहीं होता था बल्कि यह सब बाद की ईजाद हैं और बिदअते हसना (अच्छी) हैं इसलिए कि इनमें मय्यत के ईसाले सवाब के लिए कुरान ख्वानी होती है । सदका खैरात किया जाता है और गुरबा व मसाकीन को खाना खिलाया जाता है और यह सब सवाब के काम हैं।
हां इस मौका पर शादी बियाह की तरह दोस्त व अहबाब और अज़ीज़ व अकारिब की दावत करना ज़रूर बिदअते सैय्यह है
📚शामी जिल्द अव्वल सफ़ा 629,
📚फ़तहुल क़दीर जिल्द दोम सफ़ा 102,
📗अनवारे शरीअत सफ़ह 21,22,23,24)
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