Har Nazar Kamp Uthegi Mehshar Ke Din Naat Lyrics

 

Har Nazar Kamp Uthegi Mehshar Ke Din Naat Lyrics

 

Har Nazar Kamp Uthegi Mehshar Ke Din

Khauf Se Har Kaleja Dahal Jayega

Par Ye Naaz Unke Bande Ka Dekhenge Sab

Tham Kar Unka Daman Machal Jayega

Har Nazar Kamp Uthegi

Moj Katra Ke Hamse Chali Jayegi

Rukh Mukhalif Hava Ka Badal Jayega

Jab Ishara Karange Vo Name Khuda

Apna Bera Bhavar Se Nikal Jayega

Har Nazar Kamp Uthegi

Yu To Jita Ho Hukme Khuda Se Magar

Mere Dil Ki Hai Unko Yakinan Khabar

Fasale Zindagi Hubahu Din Mera

Unke Kadmo Pe Jab Dam Nikal Jayega

Har Nazar Kamp Uthegi

Rabbe Sallim Wo Farmane Wale Mile

Kyu Satate Hain Ai Dil Tuje Was Wasre

Pul Se Gujrenge Hum Wajad Karte Huve

Kaun Kehata Hai Panw Fisal Jayega

Har Nazar Kamp Uthegi

‘Akhtre Khasta’ Kyu Itna Bechen Hai

Tera Aaka Shahanshah E Kaunain Hai

Lo Laga To Sahi Shahe Lolak Se

Gam Musarrat Ke Sanche Main Dhal Jayega

Har Nazar Kamp Uthegi

 

Har Nazar Kamp Uthegi Mehshar Ke Din Naat Lyrics In Urdu

 

ہر نظر کانپ اٹھے گی محشر کے دن، خوف سے ہر کلیجہ دہل جائے گا

ہر نظر کانپ اٹھے گی محشر کے دن، خوف سے ہر کلیجہ دہل جائے گا

پر یہ نازاں کے بندے کا دیکھیں گے سب، تھام کر ان کا دامن مچل جائے گا

موج کترا کے ہم سے چلی جائے گی، رخ مخالف ہوا کا بدل جائے گا

جب اشارہ کریں گے وہ نامِ خدا اپنا بیڑا بھنور سے نکل جائے گا

یوں تو جیتا ہوں حکمِ خدا سے مگر، میرے دل کی ہے ان کو یقیناً خبر

حاصل زندگی ہوگا وہ دن مرا، ان کے قدموں پہ جب دم نکل جائے گا

رب سلم وہ فرمانے والے ملے، کیوں ستاتے ہیں اے دل تجھے وسوسے

پل سے گذریں گے ہم وجد کرتے ہوئے، کون کہتا ہے پاؤں پھسل جائے گا

اخترؔ خستہ کیوں اتنا بے چین ہے، تیرا آقا شہنشاہِ کونین ہے

لو لگا تو سہی شاہِ لولاک سے، غم مسرت کے سانچے میں ڈھل جائے گا

 

*_🔖पोस्ट न.0⃣1⃣_*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜*

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*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*💖👉विलादत-ए-हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

अन्हु)हजरत इमाम हुसैन (रजीअल्लाहु अन्हु)की विलादत-ए-मुबारक 5 शबान 4 हिज्री को मदीना मुनव्वरा मे हुआ,*

हुजुर-ए-अकदस (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम)

ने आपके कान मुबारक मे अजान दी..!!

मुंह-मुबारक मे लुआब-ए-दहन डाला और आपके लिए दुआ फरमाई

फिर सातवें दिन आपका नाम हुसैन रखा और अकीका

किया,

*🌷👉हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु)की कुन्नीयत अबु अब्दुल्लाह और लकब*

“सिब्त-ए-रसुल” व “रैहानातुर रसुल” है,

हदीस शरिफ मे है।,

रसुलल्लाह (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने

फरमाया के हजरत हारून अलैहीस्सलाम ने अपने बेटो

का नाम शब्बर व शब्बीर रखा और मैनें अपने बेटो का

नाम उन्ही के नाम पर हसन और हुसैन रखा,*

*_📚(खुत्बात-ए-मुहर्रम सफा-370,_*

*_🌱इसलिए हसनैन करिमैन को सब्बर व सब्बीर के नाम से भी याद किया जाता है,_*

“`🌺सुरयानी जुबान मे शब्बर व शब्बीर और

अरबी जुबान मे हसन व हुसैन दोनो के माएने एक है

और हदीस शरिफ मे है की,

हसन और हुसैन जन्नती नामो मे से दो नाम है,

अरब के जमाना-ए-जाहीलियत मे ये दोनो नाम

नही थें।“`

*_📚(सवाइके मुहर्रीक सफा-118, खुत्बात-ए-मुहर्रम, सफा-370 —)_*

*_🔖पोस्ट न.0⃣2⃣_*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜*

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*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु)🌹_*

*💎👉हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु)…!!! हजरत अब्बास (रजी अल्लाहु अन्हु) की बिवी हजरत उम्मे फज्ल

(रजी अल्लाहु अन्हा) ने एक रात ख्वाब मे हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के जिस्म अकदस

का एक टुकड़ा उनकी गोद मे रखा है।, यह ख्वाब

देखकर वह बड़ी हैरान हुई। हुजुर (सलल्लल्लाहु

अलैही वसल्लम) की खिदमत मे हाजीर होकर बोली।*

*या रसुलल्लाह! (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) मैनें एक अजीब ख्वाब देखा है । वह यह की आपके जिस्मे अकदस का एक टुकड़ा मैने अपनी गोद मे पड़ा देखा है।*

हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने फरमाया–

“तुने बड़ा अच्छा ख्वाब देखा है इन्श अल्लाह मेरी

फातिमा के यहां एक बच्चा पैदा होगा जो तेरी गोद मे

खेलेगा। चुनांचे हजरत फातिमा (रजी अल्लाहु अन्हा)

के यहां हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु)

पैदा हुए और उम्मे फज्ल की गोद मे खेले।

*_📚(मिश्कात शरिफ, सफा-564,_*

*“`🌺सबक : हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

अन्हु) हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के

लख्ते जिगर है। आपकी मुहब्बत हुजुर कि मुहब्बत

और आपको इजा (तकलीफ) देना हुजुर

(सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को

तकलीफ देना है।….*“`

*_🔖पोस्ट न.0⃣3⃣_*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜*

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*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*_🌺बु–ए–करबला🌺_*

“`🌺👉एक रोज हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

अन्हु) हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की गोद मे तशरिफ फरमा थे। हजरत उम्मे फज्ल

भी पास बैठीं। उम्मे फज्ल ने हुजुर

(सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की

तरफ देखा की आपकी दोनो चश्माने मुबारक

से आंसु बह रहे थे। उम्मे फज्ल ने अर्ज किया :“`

*”या रसुलल्लाह! यह आंसु कैसे हैं??..”*

*तो हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने

फरमाया–

“की जिब्रईल ने मुझे खबर दी है

की मेरे इस बच्चे को मेरी उम्मत कत्ल

कर देगी। जिब्रईल ने मुझे उस सरजमीन

की जहां यह बच्चा शहीद होगा सुर्ख

मिट्टी लाकर दी है।,

*हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इस

मिट्टी को सुंघा और फरमाया : “इस मिट्टी

से मुझे

*बु___ए___करबाला* आती है फिर वह

मिट्टी हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही

वसल्लम) ने उम्मुल मोमीनी हजरत उम्मे

सलमा (रजी अल्लाहु अन्हा) को दे दी

और फरमाया : ‘उम्मे सलमा इस मिट्टी को अपने पास

रखो जब मिट्टी खुन बन जाए तो समझ लेना मेरा बेटा

शहीद हो गया है।..

🦋हजरत उम्मे सलमा ने उस मिट्टी को एक

शीशी मे बंद कर लिया। फिर जिस दिन

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) करबला मे

शहीद हुए उसी रोज वह

मिट्टी बंद शीशी मे खुन बन

गयी।….!!

*_📚(मिश्कात शरिफ, सफा-564, हुज्जतुल्लाहु अलल-आलमीन-477,_*

*🥀सबक :* हमारे हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही

वसल्लम) को अपने लख्ते जिगर इमाम हुसैन (रजी

अल्लाहु अन्हु) की शहादत का इल्म था।* उस

सरजमीन का भी जहां यह

वाकीया होना था। उस सरजमीन का नाम

भी मालुम था। आपसे कोई बात छुपी

नही थी। हुजुर (सलल्लल्लाहु

अलैही वसल्लम) को यह भी मालुम था

की हजरत उम्मे सलमा (रजी अल्लाहु

अन्हा) हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु)

की शहादत के बाद तक जिन्दा रहेंगी

तभी तो आपने हजरत उम्मे सलमा से फरमाया : इस

मिट्टी को अपने पास रखो। जब यह खुन बन जाए तो

समझ लेना मेरा बेटा शहीद हो गया।

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*_🔖पोस्ट न.0⃣4⃣_*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜*

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*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*🌺दिलेराना जवाब🌺*

🥀हजरत अमीर मुआविया (रजी

अल्लाहु अन्हु) के विसाल के बाद जब यजीद तख्त

पर बैठा तो उसने अपनी बैअत लेने के लिए

अपनी सलतनत मे खत रवाना किये। मदीना

मुनव्वरा के आमील (हाकीम) को भी लिखा की वह इमाम हुसैन

(रजी अल्लाहु अन्हु) से भी

यजीद की बैअत लें।

*☪चुनांचे : जब वह आमील हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) की खिदमत मे यजीद की बैअत लेने के लिये हाजीर हुआ तो हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) ने यजीद के फिस्क व फुजुर (बदकारी और हरामकारी वगैरह) की बिना पर उसको नाअहल करार दिया, शुजाअत व दिलेरी के साथ जवाब दिया की मै उस जालीम का हरगीज बैअत Na करूंगा,*

💖👉आमील यह जवाब पाकर पलट गया और

यजीद को इस जवाब का इत्तिला दी

यजीद जवाब पाकर जल उठा…!!

*_📚(सिर्रूस शहादतैन सफा-13, सवानहे करबला सदरूल — अफाजील, सफा-50,_*

*🎉सबक :* यजीद बड़ा फासीक व

फाजीर था उसके फिस्क व फुजुर ही के

पेशे नजर हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु)

ने उसकी बैअत से इंकार फरमा दिया। यह

भी मालुम हुआ की हजरत इमाम हुसैन

शुजा इब्ने शुजा थे आपने यह जानते हुए भी

की यजीद की बैअत से इंकार

यजीद को भड़काने और गजबनाक करने

की वजह बनेगा और वह खुन का प्यासा हो जाएगा।

कलिम–ए–हक फरमाने से गुरेज न फरमाया और जान बचा लेने के

लिए हकीकत को नही छुपाया। फिर यह

कैसे हो सकता है की आपके वालिद और

माजीद हजरत शेरे खुदा (रजी अल्लाहु

अन्हु) ने कभी हकीकत को छुपाया हो या

किसी से दबकर आपने कलिम-ए-हक का एलान न

फरमाया हो??

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*_🔖पोस्ट न.0⃣5⃣_*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜*

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*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*🌺मजारे अनवर पर.🌺*

“`💎यजीद को जब इस बात का पता चला

की इमाम हुसैन ने मेरी बैअत

नही की तो वह भड़क उठा और उसने

आमीले मदीना को हुक्म भेजा

की इमाम हुसैन को मेरी बैअत पर मजबुर

करो वरना उसका सर काटकर मेरे पास भेज दो।“`

*🥀हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) को जब इस यजीदी हुक्म का पता चला तो आपने मदीना मुनाव्वरा की सुकुनत तर्क फरमाकर मक्का मुअज्जमा चले जाने का इरादा कर लिया, मदीना मुनव्वरा से रवानगी से पहले रात को नाना जान! हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के मजारे अनवर पर हाजीर हुए और रो रोकर अर्ज हाल करने लगे फिर रौजा-ए-अनवर से लिपटकर वही सो गये, ख्वाब मे देखा की नाना जान तशरिफ लायें है।, आपने हुसैन को चुमा और सिने अकदस से लगा लिया और फरमाया –*

“🦋बेटा हुसैन अनकरिब जालिम तुझे करबला मे भुखा प्यासा

शहीद कर देगें तेरे मां-बाप और भाई तेरे इंतेजार मे है

और बहीश्त तेरे लिए सजाई जा रही है

उसमे ऐसे दर्जात आलिया है जो शहीद हुए बेगैर तुझे

नही मिल सकते जाओ बेटा सब्र व शुक्र से जामे

शहादत पीकर मेरे पास आ जाओ,

*☪हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) यह ख्वाब देखकर घर आये अहले बैत को जमा करके यह ख्वाब सुनाया और मदीने से मक्का जाने का पक्का इरादा कर लिया और फिर अपने बिरादरे बुजुर्ग हजरत इमाम हसन (रजी अल्लाहु अन्हु) के मजार पर हाजीर हुए और कलिमाते रूखसत जबान पर लाये और फिर मां की कब्रे अनवर पर हाजीर हुए और अर्ज किया :*

🌼”ऐ अम्मा जान! यह नाजो का पाला तुम्हारा हुसैन आज तुमसे जुदा होने आया है और आखरी सलाम अर्ज करता है।,

कब्रे अनवर से अवाज आयी: वअलैकुम अस्सलाम ऐ

मजलुम (जिस पर जुल्म हो) आप वहां कुछ देर रोते रहे और फिर

वापस तशरिफ लाये और मक्का मुअज्जमा को रवाना हो गये…..!!

*📚(तजकिरा——-ए——-हुसैन, सफा-27,*

*🌺सबक :* हजरत इमाम की शहादत का खुद हजरत

इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) को इल्म था। यह

आप ही की शान है की इल्म

के बावजुद जर्रा बराबर भी आपके कदम

नही डगमगाते और शौके शहादत मे कमी

नही आती जज्बाए जां निसारी

और भी ज्यादा ही होता है हजरत इमाम

हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) ने अपनी

सिरत पाक से बता दिया की तालीबे रजाए

हक मौला की मर्जी पर फिदा

होती है इसी मे उसका दिल का चैन और

उसकी हकीकी

तसल्ली है। कभी वहशत व

परेशानी उसके पास नही

फटकती बल्कि वह इंतेजार कि घड़ीयां शौक

के साथ गुजरता और वक्त मुकर्ररा का बेचैनी से

इंतेजार करता है…

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*_🔖पोस्ट न.0⃣6⃣_*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜*

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*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*🌺!!..कुफीयों के खुतुत..!!🌺*

“`हजरत अमीर मुआविया (रजी

अल्लाहु अन्हु) की वफात के बाद यजीद

तख्त पर बैठा तो अहले इराक को जब मालुम हुआ की

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) ने

यजीद की बैअत नही। आप

मक्का मुअज्जमा तशरिफ ले गये है तो उन्होंने मुत्तफिक (एक

राय) होकर इमाम (रजी अल्लाहु अन्हु)

की खिदमत मे खत भेजना शुरू किये जिसमे इस अम्र

का इजहार था की हम अपने जान व माल आप पर

कुरबान कर देंगे, आप यहां कुफे मे तशरिफ लाये, हम

आपकी बैअत करके आपके हुक्म से जालिमो से

मुकाबला करेगें, और आपका बहरहाल साथ देंगे, इस तरह के

इल्तिजानामो का सिलसिला बंध गया और तमाम जमाअतो और फिर्को

की तरफ से डेढ़ सौ (150) के करिब खुतुत हजरत

इमाम की खिदमत पहुंचे।“`

*🦋आप कहां तक खामुश रहते कुफीयों के बार बार इसरार पर आपने उन्हें जवाब दिया की तुम्हारा डेढ़ सौ (150) के करिब पहुंचे मै फिलहाल अपने चचाजाद भाई मुस्लिम बिन अकील को तुम्हारी तरफ भेजता हुं ताकी तुम्हारी सच्चाई का पता चल सके तुम अगर वकाई मेरा साथ देना चाहते हो मेरे नुमांइदे मुस्लिम बिन अकील की बैअत करो जब वह तुम्हारे साल और सच्चाई की मुझे इत्तिला करेगे तो मै भी आ जाऊंगा….!!*

*📚(सवानहे करबला, सफा-52, तजकिरा____ए____हसैन, सफा-300*

*🌺सबक :* कुफीयों के बेवफाई मशहुर होने के

बावजुद हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) ने

उनकी दरख्वाशत पर तवज्जह इसलिए फरमाई

*🥀ताकी कल क्यामत के दिन वह लोग यह न कह सके की हम जालिमो से मुकाबला और उन से रिहाई के तलबगार थे लेकीन इब्ने अली हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) ने हमारी किसी तरख्वास्त पर तवाज्जह नही फरमाई,*

🌱हजरत इमाम अली मकाम ने इतमामे हुज्जत

(बात पुरी हो जाना) के लिये अपने भाई को कुफे भेज

दिये, आप अपना फर्ज अदा करने को तैयार हो गये….

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*_🔖पोस्ट न.0⃣7⃣_*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜*

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*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*🌺!!..बारह____हजार..!!🌺*

“`कुफीयो के बार बार इसरार पर हजरत इमाम हुसैन

(रजी अल्लाहु अन्हु) कुफा तशरीफ ले

जाने पर आमादा हो गये लेकीन हालात का पता लगाने के

लिए आपने पहले अपने चचाजाद भाई हजरत मुस्लिम बिन

अकील (रजी अल्लाहु अन्हु) को वहां

भेजा,“`

*☪हजरत मुस्लिम से फरमाया की तुम वहां जाकर मेरे लिए कुफीयों से बैअत लो, अगर उन्होंने बैअत कर ली तो मुझे इत्तिला कर देना मै भी आ जाऊंगा,*

_चुनांचे : हजरत मुस्लिम अपने दो कमसीन बच्चो के

साथ लेकर रवाना हो गये, इन दो शहजादो का नाम मुहम्मद और

इब्राहीम थे, यह दोनो अपने बाप के बहुत प्यारे थे

इसलिये यह दोनो भी सफर मे अपने वालिद बुजुर्गवार

के साथ हो गये, हजरत मुस्लिम कुफा पहुंचे तो आपने मुख्तार बिन

उबैद के मकाम पर क्याम फरमाया, आपकी तशरिफ

आवरी की खबर सुनकर जुक दर जुक

(भीड़—-की—-भीड़)

मखलुक आपकी ज्यारत को आयी, बारह

हजार से ज्यादा तादाद मे आपके हाथ पर हजरत इमाम हुसैन

(रजी अल्लाहु अन्हु) की बैअत

की, हजरत मुस्लिम ने अहले इराक की

मुहब्बत व अकीदत देखकर हजरत इमाम हुसैन

(रजी अल्लाहु अन्हु) की

जानीब अरीजा लिखा जिसमे यहां के हालात

की इत्तिला दी और गुजारिश की

कि आप यहां जल्दी तशरीफ ले आयें ताकि

बंदगाने खुदा यजीद के नापाक शर्र से महफुज रहे

और दिने हक की ताईद हो….!!

*📓(सिर्रूश्शहादतैन सफा-14, सवाहने करबला, सफा-53,*

🎯सबक : अहले बैअते इजाम रिजवानुल्लहि तआला अलैहिम

अजमईन की मंशा सिर्फ यही

थी बंदगाने खुदा गैर शरई निजाम से निजात पाये, हक

की कलिमा बुलंद हो, दिने हक की ताईद हो,

और अहले हक हमेशा इसी मसलक पर कायम

रहे….

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*_🔖पोस्ट न.0⃣8⃣_*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜*

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*🌹 الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ*

*🌺!!___जल्लाद इब्ने ज्याद___!!🌺*

“`🌸👉हजरत इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) जब कुफा पहुंचे तो बारह हजार से ज्यादा इराकियों ने

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)

की बैअत इमाम मुस्लिम के हाथ पर कर

ली, ये सुरते हाल देखकर इमाम मुस्लिम ने हजरत

इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को लिखा

की आप जल्द तशरिफ ले आयें, उधर जब

यजीद को इस सुरते हाल का पता चला तो उसने

हाकीमे बसरा उबैदुल्लाह बिन ज्याद को हुक्म भेजा

की वह फौरन कुफा पहुंचकर लोगो को इमाम हुसैन

की बैअत से रोके और जिन्होंने बैअत कर

ली है उन्हे तंबीह करे,

इब्ने ज्याद बड़ा मक्कार और जल्लाद था यह जालीम

झट कुफा पहुंचा और अहले कुफा को जमा करके

यजीद की मुखाल्फत से डराया धमकाया

और बड़े—बड़े लालच देकर उन्हें हिमायते हुसैन से रोका सब पर

अपना रोब और दबदबा बैठाया,

हजरत इमाम मुस्लिम की यह सुरते हाल देखकर रात

को हानी बिन उरवाह के मकान मे तशरिफ ले गये और

फरमाया ऐ हानी! मै यहां गरिब मुसाफीर हुं

तु अहले कुफा से खुब वाकीफ है मै तेरी

पनाह मे आया हुं मुझे अपने मकान मे पनाह दे।,

हानी ने कुबुल किया और एक हुजरा अपने घर का

उनके लिए खाली कर दिया,,“`

*🥀इब्ने ज्याद को पता चला की मुस्लिम को हानी ने पनाह दे रखी है।,*

*☪चुनांचे उसने अपनी फौज भेजकर हजरत हानी को गिरफ्तार कर लिया और इस तरह कुफा के दुसरे रुऊसा और लिडरान को भी किले मे बंद कर लिया..*

🌱हजरत इमाम मुस्लिम को इस सुरते हाल का पता चला तो

आपकी रागे मे हाशमी जोश मे आई अपने

दोनो बच्चो को *काजी————-ए———–शहर* के

घर रवाना करके मुहिब्ब अहले बैअत को बुलाया तो लोगो ने मिलकर

शाही महल को घेर लिया करिब था की इब्ने

ज्याद और उसके साथी गिरफ्तार हो जाते

की इब्ने ज्याद ने एक चाल चली, वह

यह की उसने कुफे के जिन जिन बड़े आदमियों को

नजरबंद कर रखा था उन्हें मजबुर किया की मुस्लिम से

अलग हो जाये, यह लोग इब्ने ज्याद के कैद मे थे और जानते थे

की अगर इब्ने ज्याद को शिकस्त भी हुई

तो वह किला फतह करने तक उनका खात्मा कर देगा, इस खौफ से

वह घबरा उठे और किले के दिवार पर चढ़कर चिल्लाये

की *भाईयों मुस्लिम की हिमायत तुम्हारे लिए खतरनाक है, हुकुमत तुम्हारी दुश्मन हो जाएगी, यजीद तुम्हारे बच्चे बच्चे को मरवा डालेगा, तुम्हारे माल लुटवा देगा, तुम्हारी जागीरे और मकान जब्त हो जायेंगे, और अगर तुम इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के साथ रहे तो देखो हम जो इब्ने ज्याद की कैद मे है किले के अंदर ही मारे जाएगें अपनी अंजाम पर नजर डालो, हमारी हाल पर रहम करो और अपने घर चले जाओ,*

🌼इब्ने ज्याद की यह चाल कामयाब रही

और इमाम मुस्लिम के लश्कर बिखरने लगा सब बेवफाई पर उतर

आये हजरत इमाम मुस्लिम के साथ छोड़ने लगे हत्ता

की शाम तक हजरत मुस्लिम (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) के साथ सिर्फ पांच सौ (500)

की तदाद रह गयी, गुरूबे आफताब के बाद

जब अंधेरा हुआ तो वह भी साथ छोड़ गये और इमाम

मुस्लिम तंहा रह गये….!!

*📓(सिर्रूश्शहादतैन, सफा-16, सवानेह करबला सफा-5, तजकिरा—ए—-हुसैन सफा-36,

🌐सबक : हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) और अहले बैअत इजाम की मुहब्बत

व वफा के इन दावेदारो के सारे वादे झुठे थे यह लोग वक्त पर बेवफा

साबीत हुए।,

मालुम हुआ की यह जरूरी

नही की अहले बैअत की

मुहब्बत करने वाला हर दावेदार सच्चा हो….

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*​​🔖पोस्ट न.0⃣9⃣*

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*🌹जिक्र___ए___हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)📑*

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*🌺हजरत मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) की शहादत🌺*

♥👉🏻हजरत इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) जब कुफा पहुंचे तो वेवफा कुफीयो ने आपके

हाथ पर बैअत करके फिर आपसे मुंह मोड़ लिया और आपका साथ

छोड़ दिया, इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)

तंहा रह गये, रात का वक्त था इब्ने ज्याद ने आपकी

गिरफ्तारी के लिये शहर के चारो तरफ कड़ी

निगरानी रख दी, हजरत इमाम मुस्लिम

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) भुखे प्यासे एक

मस्जिद मे बैठे रहे रात को बाहर निकले रास्ते का इल्म न था दिल

मे कहते थे *अफसोस हुसैन से छुटे और दुश्मन मे घिरे न कोई हमदम है की राजे दिल सुने न कोई कासीद है की हुसैन को खबर करे,*

🦋इसी तरह हैरान और परिशान एक मुहल्ले मे फिर

रहे थे वहां एक बुढ़ीया तौआ नामी को

देखकर इससे पानी तलब फरमाया तो उसने

पानी दिया यह मालुम करके की यह

*गरीबुल___वतन मुस्लिम* है।, अपने घर मे जगह

दी, उस औरत का बेटा इब्ने ज्याद का

आदमी था उसने इब्ने ज्याद को खबर दे

दी की मुस्लिम हमारे घर मे है, इब्ने

ज्याद ने अपनी फौज भेज दी, जिससे

बुढ़ीया के मकान को घेर लिया और चाहा की

हजरत मुस्लिम को गिरफ्तार कर ले,

हजरत मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को

इसक पता चला तो आप तंहा तलवार लेकर इब्ने ज्याद के लश्कर

पर टुट पड़े, जैसे शेर बकरियों के झुंड पर हमला आवर होता है

आपके हमले उनका दिल दहल गये और बहुत

आदमी जख्मी हुए और बहुत से मारे

भी गये, इन जालीमो ने फिर दर व दिवार पर

चढ़कर पत्थर बरसाने शुरू कर दिये जिसे हजरत मुस्लिम का बदन

मुबारक खस्ता हो गया और एक पत्थर आपकी

पेशानी पर लगा खुन बहने लगा उस वक्त आपने

मक्के की तरफ रूख करके कहा :-

*🥀”ऐ हुसैन! कुछ अपने भाई खस्ता जिगर की भी खबर है की उस पर क्या गुजरी और कुफीयों ने उसके साथ क्या किया?? अफसोस की मेरे हाल की आपको खबर कौन पहुंचाये और कौन आपको यहां आने से रोके??”*

🍂इसी दौरान एक पत्थर और आकर आपके होंठे पर

लगा जिससे खुन जारी हो गया दाढ़ी मुबारक

रंगीन हो गयी, तो अब मजबुर होकर एक

दिवार से तकीया लगाकर बैठ गये की एक

नामर्द ने घर मे आकर तलवार आपके सर पर मारी

जिससे उपर का होठ कट गया, आपने इसी हाल मे उस

बुजदिल को जहन्नम पहुंचा दिया और फिर दिवार से

तकीया लगाकर बैठ गये,

*🌼फरमाने लगे : ऐलाही! मै इस वक्त प्यासा हुं आपकी फरियाद सुनकर वही बुढ़ीया घर से पानी लाई और आपको दिया आपने मुंह से लगाया मगर उसमे खुन मिल गया इसलिए आपने फेक दिया, बुढ़ीया ने दोबारा दिया वह भी खुन अलुदा हो गया, तीसरी बार उसमे आपका दांत निकलकर गिर पड़े, आपने प्याला हाथ से रखकर फरमाया -*

“🕋खुदा को मंजुर ही नही”

पिछे से किसी ने नेजा मारा जो पिठ के पार हो गया

जालीमो ने दौड़कर आपको पकड़ लिया और आपको इब्ने

ज्याद के पास ले गये, इब्ने ज्याद बद निहाद (बहुत बुरा) ने हुक्म

दिया की इन्हें छत पर ले जाकर कत्ल कर दो,

*🌐चुनांचे : एक जालीम इब्ने बुकैर आपका हाथ पकड़ आपको छत पे ले गया, हजरत मुस्लिम दुरूद पढ़ते जाती थे और कहते जाते थे…!!*

*अल्ला__हुम्म__हकुम_बैनना__व_बैन__कौमीना__बिल_हक,*

🌱जब छत पर पहुंचे तो नीचे देखा की

अहले कुफा जमा होकर देख रहे है।,

आपने फरमाया : *ऐ कुफीयों! जब मेरा सर तन से जुदा किया जाये तो बदन दफन करना और कपड़े उतारकर जो काफीला मक्के जाता हो हुसैन के पास भेज देना और मेरे बच्चो पर रहम करना, फिर मक्के की तरफ रूक कर के कहा :-*

——

*🎯भाई यहां की आपको कैसे खबर करे..!!*

*हरगीज इधर को आप न अज्मे सफर करे..!!*

🌷इतने मे जालीम कातिल ने आपका सरे मुबारक तने

अतहर से जुदा कर दिया…!!

(अल्लाहु अकबर…!!)

*इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजीऊन😢*

*🦋शहीद मुस्लिम बेकस हुए हजार अफसोस..!!*

*फरिश्ते करते है इस गम पे बार बार अफसोस..!!*

*शकी ने कुछ भी न गुरबत का उनकी पास किया..!!*

*चलाई हलक पे शमशीरे आबदार अफसोस..!!*

🌻सबक : दुनियादार *नश—-ए—-दुनिया* मे बदमस्त होकर

अल्लाह वालो पर इंतेहाई जुल्म व सितम पर उतर जाते है।,

लेकीन अल्लाह वालो के पाए इस्तिकलाल मे लग्जिश

नही आती, मालुम हुआ की

यह सारे जुल्म व सितम ढाने वाले बड़ा ही झुठे और

बुजदिल होते है बजाहीर मुहब्बत वाले और बातिन मे

दुश्मन थे…!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*​​🔖पोस्ट न.1⃣0⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺!!___मजलुम__बच्चे___!!🌺*

♥👉🏻हजरत इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) जब कुफा को तशरिफ ले गये तो अपने दो नन्हे बच्चे

हजरत मुहम्मद और हजरत इब्राहीम

(रजी अल्लाहु तआला अन्हुम) को भी

अपने साथ ले गये थे,*

इब्ने ज्याद हजरत इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) के कत्ल से फारिग हुआ तो उसे पता चला

की इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) के दो लड़के भी इसी शहर मे है

इब्ने ज्याद ने फौरन ऐलान करा दिया की *जो कोई भी मुस्लिम के लड़को को अपने घर मे जगह देगा कत्ल व गारत किया जायेगा,* इस वक्त दोनो बच्चे काजी

शुरैह के घर मे थे काजी शुरैह साहब ने दोनो बच्चो को

सामने बुलाया और बे-इख्तियार रोने लगे,

*बच्चो ने पुछा : आज इस तरह रोने का सबब क्या है…?? क्या

हम दोनो यतीम तो नही हो गये..??

काजी साहब ने फरमाया : *बच्चो! अल्लाह तआला तुम्हे सब्र अता फरमाये, वाकई तुम दोनो यतीम हो गये हो।,*

🌐बच्चो ने यह खबर सुनी तो रोने लगे,

काजी साहब ने कहा : बच्चो! चुप रहो इब्ने ज्याद का

आदमी तुम्हारी तलाश मे है मुझे

तुम्हारी और अपनी जान का खौफ है मै

चाहता हुं क तुम्हे किसी के साथ मदीना

रवाना कर दुं।,

*🌷काजी साहब ने अपने लड़के असद से कह की आज एक काफीला दरवाजा इराकैन से मदीना को जा रही है तुम इन दोनो बच्चो को किसी नेक आदमी के सुपुर्द कर कर आ ताकी वह उन्हे मदीना पहुंचा दे।,*

💎असद जब उन्हे लेकर दरवाजा इराकैन आया तो काफीला

रवाना हो चुका था दुर धुल उड़ती हुई नजर आ

रही थी, असद ने बच्चो से कहा

की वह काफीला जा रहा है दौड़कर उससे

मिल जाओ, बेकस बच्चे काफीले की तरफ

दौड़ पड़े मगर काफीला दुर जा चुका था इसलिए

काफीला को न पा सके,

असद घर को वापस आ चूका था अंधेरी रात

थी बच्चे रास्ते भुल गये, रात भर इधर उधर फिरते

रहे, सुबह होने लगी तो एक चश्मा देखा थके हुए थे

इसलिए चश्मे के पास बैठ गये, इत्तेफाकन एक लौड़ी

उस चश्मे पर पानी भरने आई, उन्हे देखा और जब

उसे मालुम हुआ की यह इमाम मुस्लिम

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के यतीम

बच्चे है तो वह रोने लगी और कहा :

*🔮साहबजादो! मेरे साथ चलो मेरी मालिका अहले बैअत से मुहब्बत करने वालों मे है वह तुम्हे पाकर बहुत खुश होगी बिलकुल न घबराओ और मेरे साथ चलो,* बच्चे

हैरान व परिशान उसके साथ हो लिए जब घर पहुंचे तो घर

की मालिक यह मालुम करके की यह

हजरत मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के

यतीम बच्चे है दौड़ी और दोनो को सिने से

लगाया और उनके हाल जार पर रोने लगी और फिर

खिला-पिलाकर एक कमरे मे सुला दिया..!!

🍂इधर यह औरत तो इतनी खुदा तरस और मुहिब्बे

अहले बैअत थी, उधर उसका खाविन्द

हारीस नामी बेहद नाखुदा तरस और

दुश्मानाने अहले बैअत था, दिन भर इन्हीं बच्चो

की तलाश मे घुमता रहा था की बच्चे मिल

जायें तो उनका कत्ल करके उनका सर इब्ने—ज्याद के पास ले

जाकर इनाम पाऊं….!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*📩पोस्ट➖1⃣1⃣*

*📿जिक्र–ए–हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)📋*

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*🌺!!___मजलुम बच्चे___!!🌺*

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*👉🏻इस पोस्ट को समझने के लिए (पोस्ट-10) पढ़ ले….*

♥ये अजीब मंजर था के हारिस दिन भर

जीन बच्चो की तलाश मे था ओ बच्चे

उसी के घर मे अराम फरमा रहे थे, रात को जब ये

जालीम घर आया तो उसकी

बिवी डरी के कही इसे इन

बच्चो का इल्म न हो जाए,

*🦋चुनांचे : उसकी बिवी ने उसे जल्दी-जल्दी खाना खिलाकर सो जाने को कहा ओ जालीम दिन भर धकामंद सो गया,*

🌹कुछ रात गये बड़े बच्चे ने छोटे को जगाया और कहा : *भाई मैनें अभी अभी ख्वाब देखा है की हमारे वालीद माजीद बहिश्त (जन्नत) मे हुजुर नबी-ए-करिम (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के साथ है और उनसे फरमा रहे है की ऐ मुस्लिम! तुम खूद चले आये और बच्चो को क्यों जालीमों मे छोड़ आये?? वालीद माजीद ने उनसे अर्ज किया की : या रसुलल्लाह! वह भी मेरे पिछे पिछे आ रहे है सुबह तक आ जाएगें,*

🌻छोटे बच्चे ने कहा भाई जान! मैनें भी यही

ख्वाब देखा है फिर दोनो चिमटकर रोने लगे,

उनके रोने से हारिस की आंख खुल गई …….

बिवी से पुछा ये शोर कैसा …??

ओ औरत सहम गई और दौड़ी की खुदा

जाने अब क्या हो..??

*🥀हारीस उठा और चिराग जलाकर अंदर आया तो उन दोनो यातीमो को रोते देखकर बोला तुम कौन हो…??*

उन सहाबजादो ने साफ साफ कह दिया के हम फरजन्द-ए-मुस्लिम

है, जालीम हारीस खुश हो गया और :-

*✿आया हारीस तो कहा तुम ही हो मुस्लिम के पिसर..!!*

*कल तुम ही ने मुझे हैरान किया चार पहर..!!*

*✦खैर अब कल का एवज आज मै लुंगा जी भर..!!*

*फेंक दी हाथ से फिर शमा इधर, तेग उधर..!!*

*✦दस्ते बेदाद से एक भाई का बाजु खींचा..!!*

*दुसरे भाई का इक हाथ से गेसु खोंचा..!!*

*✦कत्ल के खौफ से उठे न अली के प्यारे..!!*

*इस तवक्कुफ पे सितमगर ने तमांचे मारे..!!*

*✦खीचा इस तरह की पुर्जे हुए कुर्ते सारे..!!*

*मुंह के बल गिर पड़े वह बुर्जे शर्फ के तारे..!!*

*✦या हुसैन इब्ने अली इक ने बसद यास कहा..!!*

*दुसरे भाई ने हजरते अब्बास कहा..!!*

🌱फिर ये जालीम उन सहबजादो को

घसीटते हुए बाहर आया औरत बेचारी

बहुत हाथ पैर मारती रही, अपना सिर

उसके पैरो पर रखती रही और उसे जुल्म

से रोकती रही मगर उस

जालीम ने एक न सुनी, बेरहम तलवार

लेकर उठा और दोनो को फुरात की तरफ ले चला और

उनको कत्ल करने के लिए तैयार हो गया जब उन दोनो ने देखा

की ये जालीम हमे कत्ल करने वाला है

तो:-

*✦की बड़े भाई ने कातील की यह मिल्लत उस आन..!!*

*तुझसे अर्ज इक में करता हुं अगर तु ले मान..!!*

*✦छोटे भाई पे मै कुरबान, मेरा सर कुरबान..!!*

*सर मेरा पहले कलम कर तो बड़ा हो एहसान..!!*

*✦शौक से और हर एक सदमा व ईजा दिखला..!!*

*पर न भाई का मुझे नन्हा-सा लाश दिखला..!!*

🍂आखीरकार जालीम बेरहम

हरीस ने तलवार पकड़ ली उस वक्त

बच्चो ने कहा : “हम यतीम है बे वतन है हम पर

रहमकर, मगर उस दुनियां के कुत्ते ने एक न सुनी

और जालीम ने बड़े साहबजादे-को पहले

शहीद किया फिर देखते देखते छोटे को भी

शहीद कर दिया..!!😢

*📓(तजकिरा,, सफा-48, ✒Mohammed Arman Gaus )*

🌺सबक : अल्लाह वालो की जान व माल और छोटे

बड़ो पर बड़ी बड़ी अजमाइशे

नाजील हुई है, उन पाक लोगो ने बड़े सब्र व शुक्र के

साथ उनको बरदास्त फरमाया और हमेशा रजा-ए-ईलाही!

के लिये सर झुका दिया कभी कोई शिकवा

नही किया…!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*📩पोस्ट➖1⃣2⃣*

*📿जिक्र–ए–हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)📋*

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*🌺!!___जालीम का अंजाम___!!🌺*

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♥👉🏻हजरत मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के

दोनो साहबजादो को जब हारीस ने शहीद

कर लिया तो सोचा की उनके सर इब्ने ज्याद के पास ले

चलुं और इनाम पाऊं,

*🌹चुनांचे : वह उन मुकद्दस सरो को लेकर इब्ने ज्याद के पास आया इब्ने ज्याद इन नन्हे और नूरानी सरो को देखकर पुछा की यह किसके सर है??*

हारिस ने बताया की मुस्लिम के बच्चो के, इब्ने ज्याद

बजाए खुश होने के कहने लगा ऐ मलऊन! मैनें तो

यजीद को यह लिखा है की बच्चे मेरे पास

कैद है अगर उसने जिन्दा मंगवाए तो मै कहां से लाऊंगा?? तु मेरे

पास जिन्दा क्यों नही लाया….??

हारीस ने कहा : *अगर जिन्दा लाता तो शहर वाले मुझसे छीन लेते और मै इनाम से मरहुम रह जाता,*

इब्ने ज्याद ने कहा : तुने मुझे खबर की

होती मै खुफीया तौर पर मंगा लेता,

हारीस चुप हो गया,

इब्ने ज्याद ने मकातिल नामी एक शख्स (जो

मुहीब्बे अहले बैअत था) को हुक्म दिया

की इस खबीस को नहरे फुरात के पास ले

जाकर कत्ल कर दो जहां इन दोनो बच्चो के सर डाले गये है

वही इनके धड़ भी डाल दो।,

मकातील यह हुक्म सुनकर बहुत खुश हुआ,

हारीस के हाथ पकड़कर बाहर आकर अपने राजदारों से

कहने लगा की *अगर इब्ने ज्याद मुझे तमाम मुल्क दे देता तब भी मुझे इतनी खुशी नही होती जितनी इस हुक्म से हुइ है,* फिर मकातील ने हारीस के हाथ

बांधे, सिर नंगा किया सरे बजार लेकर चला बच्चे का सर लोगो को

देखाते जाता, लोग उन्हे देखकर रोते और हारीस पर

लानत करते हलांकी मकातील ने पहले दोनो

मुकद्दस सिरों को नहर मे डाल दिया कुदरते इलाही! से

दोनो के तन पानी के उपर आकर सरो से मिल गये और

फिर पानी मे डुब गये,

फिर मकातीन ने जालीम हारीस

को भी कत्ल कर दिया और उसकी लाश को

फुरात मे फेंक दिया तो ने उसे कबुल नही किया और

बाहर फेंक दिया फिर उसे जमीन मे दबाया तो

जमीन ने भी कबुल न किया और बाहर

फेंक दिया, आखिर कार लकड़ीयां जमा करके जला दिया

गया…!!

*📓(तजकिरा, सफा-50, Mohammed Arman Gaus🖊 )*

🌻सबक : दिन से मुंह मोड़कर इस बेवफा दुनिया को अपनाने का

फल यही मिलता है, ऐसा जालीम

धोबी के कुत्ते की तरह न घर का न घाट

का…!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*📩पोस्ट➖1⃣2⃣*

*📿जिक्र–ए–हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)📋*

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*🌺!!___जालीम का अंजाम___!!🌺*

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♥👉🏻हजरत मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के

दोनो साहबजादो को जब हारीस ने शहीद

कर लिया तो सोचा की उनके सर इब्ने ज्याद के पास ले

चलुं और इनाम पाऊं,

*🌹चुनांचे : वह उन मुकद्दस सरो को लेकर इब्ने ज्याद के पास आया इब्ने ज्याद इन नन्हे और नूरानी सरो को देखकर पुछा की यह किसके सर है??*

हारिस ने बताया की मुस्लिम के बच्चो के, इब्ने ज्याद

बजाए खुश होने के कहने लगा ऐ मलऊन! मैनें तो

यजीद को यह लिखा है की बच्चे मेरे पास

कैद है अगर उसने जिन्दा मंगवाए तो मै कहां से लाऊंगा?? तु मेरे

पास जिन्दा क्यों नही लाया….??

हारीस ने कहा : *अगर जिन्दा लाता तो शहर वाले मुझसे छीन लेते और मै इनाम से मरहुम रह जाता,*

इब्ने ज्याद ने कहा : तुने मुझे खबर की

होती मै खुफीया तौर पर मंगा लेता,

हारीस चुप हो गया,

इब्ने ज्याद ने मकातिल नामी एक शख्स (जो

मुहीब्बे अहले बैअत था) को हुक्म दिया

की इस खबीस को नहरे फुरात के पास ले

जाकर कत्ल कर दो जहां इन दोनो बच्चो के सर डाले गये है

वही इनके धड़ भी डाल दो।,

मकातील यह हुक्म सुनकर बहुत खुश हुआ,

हारीस के हाथ पकड़कर बाहर आकर अपने राजदारों से

कहने लगा की *अगर इब्ने ज्याद मुझे तमाम मुल्क दे देता तब भी मुझे इतनी खुशी नही होती जितनी इस हुक्म से हुइ है,* फिर मकातील ने हारीस के हाथ

बांधे, सिर नंगा किया सरे बजार लेकर चला बच्चे का सर लोगो को

देखाते जाता, लोग उन्हे देखकर रोते और हारीस पर

लानत करते हलांकी मकातील ने पहले दोनो

मुकद्दस सिरों को नहर मे डाल दिया कुदरते इलाही! से

दोनो के तन पानी के उपर आकर सरो से मिल गये और

फिर पानी मे डुब गये,

फिर मकातीन ने जालीम हारीस

को भी कत्ल कर दिया और उसकी लाश को

फुरात मे फेंक दिया तो ने उसे कबुल नही किया और

बाहर फेंक दिया फिर उसे जमीन मे दबाया तो

जमीन ने भी कबुल न किया और बाहर

फेंक दिया, आखिर कार लकड़ीयां जमा करके जला दिया

गया…!!

*📓(तजकिरा, सफा-50, Mohammed Arman Gaus🖊 )*

🌻सबक : दिन से मुंह मोड़कर इस बेवफा दुनिया को अपनाने का

फल यही मिलता है, ऐसा जालीम

धोबी के कुत्ते की तरह न घर का न घाट

का…!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*\

*📩पोस्ट 1⃣3⃣*

*📿जिक्र–ए–हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)“📑*

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*🌺!!___कुफा का सफर___!!🌺*

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♥👉🏻हजरत इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को कुफा मे जिस रोज शहीद किया गया उसी रोज

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) मक्का मोअज्जमा से कुफा को रवाना हो पड़े, आपके अहले बैअत

मवाली और खुद्दाम कुल 82 लोग आपके साथ थे यह मुख्तसर सा अहले बैअत का काफीला मक्का मोअज्जमा से

रूखसत हुआ तो मक्का मुकर्रमा का बच्चा बच्चा अहले बैअत के इस काफीले को रूखसत होता देखकर आबदीद और

गमगीन हो रहा था,

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) का यह काफीला जब मकामे शकुक मे पहुंचा तो कुफा से आने

वाले एक आदमी ने हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को बताया की कुफीयों ने बेवफाई की और

हजरत मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) शहीद कर दिये गये, हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने

यह खबर सुनकर *इन्ना__लिल्लाहि__व__इन्ना__इलैहि___रजिऊन*, पढ़ी,

फिर खेमे मे आये हजरत मुस्लिम की साहबजादी सामने आई तो उसके सर पर शफकत के साथ हाथ फेरा और उसे

तसल्ली व शफकत आमेज बातें फरमाई, साहबजादी ने खिलाफे आदत बात देखकर अर्ज की : *आज तो आप मुझपर यतीमाना नवाजीश फरमा रहे है शायद मेरे वालीद नही रहे, यह सुनकर हजरत इमाम बे-इख्तियार रो पड़े*

और फरमाया — *”बेटी! गम न कर मै तेरा बाप हुं मेरी बहन तेरी मां है और मेरी लड़कीयां लड़के तेरे भाई बहन है* साहबजादी रोने लगी, फरजन्दाने मुस्लिम दौड़े और वालीद की शहादत की खबर सुनकर वह भी

रोये और फिर इन्तेहाई दिलेरी से फरमाने लगे : *चचाजान! हम कुफीयों से बाप के खुन का बदला लेंगे या खुद भी उन्हीं की तरह शहीद हो जायेंगे,*

🌻हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने अपने हमराहीयों मे

एक तकरीर फरमाई और फरमाया : *”की कुफीयों ने बद अहदी की और मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को शहीद कर दिया तुममे से जिसका जी चाहे वापस चला जायें,*

🥀चुनांचे : बाज लोग जो इधर उधर से आ मिले थे वह वापस चले गये जो शहीद होने वाले थे वह रह गये,

आगे बढ़े तो एक मकाम सालबा पर आकर उतरे हजरत अपनी बहन हजरत जैनब (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) के

जानु पर सिर रखकर सो गये थोड़ी देर बाद रोते हुवे उठे और फरमाया : *ऐ बहन! मैनें नानाजान! को ख्वाब मे देखा है आप रो रो कर फरमा रहे थे ऐ हुसैन! तुम जल्द हमसे आकर मिलोगे, एक सवार कह रहा है की लोग चल रहे है और उनकी कजाए उनकी तरफ चल रही है।,*

🦋हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया : “अब्बाजान! क्या हम हक पर नही

है..??

इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया : “बेशक हम हक पर है और हक हमारे साथ है,

*हजरत अली अकबर ने अर्ज की : ‘तो फिर मौत का क्या खौफ की एक न एक दिन तो मरना ही है।,

अब्बाजान! हम शहादत के बाग को फला फुला देख रहे है, दुनियां से बेहतर घर और नेमतें हमारे सामने

है…!!

*📓(तजकरा, सफा-57, Mohammed Arman Gaus )*

🌼सबक : हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) और आपके अहले बैअत सभी हक के खातीर कमर

कसे हुवे थे और उन्हे मौत का कोई डर न था, याजीद के फिस्क व फुजुर के खिलाफ आवाज बुलंद करने मे उन्हें

किसी दुनियावी नुकसान का डर नही था…!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*📩पोस्ट 1⃣3⃣*

*📿जिक्र–ए–हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)“📑*

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*🌺!!___कुफा का सफर___!!🌺*

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♥👉🏻हजरत इमाम मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को कुफा मे जिस रोज शहीद किया गया उसी रोज

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) मक्का मोअज्जमा से कुफा को रवाना हो पड़े, आपके अहले बैअत

मवाली और खुद्दाम कुल 82 लोग आपके साथ थे यह मुख्तसर सा अहले बैअत का काफीला मक्का मोअज्जमा से

रूखसत हुआ तो मक्का मुकर्रमा का बच्चा बच्चा अहले बैअत के इस काफीले को रूखसत होता देखकर आबदीद और

गमगीन हो रहा था,

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) का यह काफीला जब मकामे शकुक मे पहुंचा तो कुफा से आने

वाले एक आदमी ने हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को बताया की कुफीयों ने बेवफाई की और

हजरत मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) शहीद कर दिये गये, हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने

यह खबर सुनकर *इन्ना__लिल्लाहि__व__इन्ना__इलैहि___रजिऊन*, पढ़ी,

फिर खेमे मे आये हजरत मुस्लिम की साहबजादी सामने आई तो उसके सर पर शफकत के साथ हाथ फेरा और उसे

तसल्ली व शफकत आमेज बातें फरमाई, साहबजादी ने खिलाफे आदत बात देखकर अर्ज की : *आज तो आप मुझपर यतीमाना नवाजीश फरमा रहे है शायद मेरे वालीद नही रहे, यह सुनकर हजरत इमाम बे-इख्तियार रो पड़े*

और फरमाया — *”बेटी! गम न कर मै तेरा बाप हुं मेरी बहन तेरी मां है और मेरी लड़कीयां लड़के तेरे भाई बहन है* साहबजादी रोने लगी, फरजन्दाने मुस्लिम दौड़े और वालीद की शहादत की खबर सुनकर वह भी

रोये और फिर इन्तेहाई दिलेरी से फरमाने लगे : *चचाजान! हम कुफीयों से बाप के खुन का बदला लेंगे या खुद भी उन्हीं की तरह शहीद हो जायेंगे,*

🌻हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने अपने हमराहीयों मे

एक तकरीर फरमाई और फरमाया : *”की कुफीयों ने बद अहदी की और मुस्लिम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को शहीद कर दिया तुममे से जिसका जी चाहे वापस चला जायें,*

🥀चुनांचे : बाज लोग जो इधर उधर से आ मिले थे वह वापस चले गये जो शहीद होने वाले थे वह रह गये,

आगे बढ़े तो एक मकाम सालबा पर आकर उतरे हजरत अपनी बहन हजरत जैनब (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) के

जानु पर सिर रखकर सो गये थोड़ी देर बाद रोते हुवे उठे और फरमाया : *ऐ बहन! मैनें नानाजान! को ख्वाब मे देखा है आप रो रो कर फरमा रहे थे ऐ हुसैन! तुम जल्द हमसे आकर मिलोगे, एक सवार कह रहा है की लोग चल रहे है और उनकी कजाए उनकी तरफ चल रही है।,*

🦋हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया : “अब्बाजान! क्या हम हक पर नही

है..??

इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया : “बेशक हम हक पर है और हक हमारे साथ है,

*हजरत अली अकबर ने अर्ज की : ‘तो फिर मौत का क्या खौफ की एक न एक दिन तो मरना ही है।,

अब्बाजान! हम शहादत के बाग को फला फुला देख रहे है, दुनियां से बेहतर घर और नेमतें हमारे सामने

है…!!

*📓(तजकरा, सफा-57, Mohammed Arman Gaus )*

🌼सबक : हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) और आपके अहले बैअत सभी हक के खातीर कमर

कसे हुवे थे और उन्हे मौत का कोई डर न था, याजीद के फिस्क व फुजुर के खिलाफ आवाज बुलंद करने मे उन्हें

किसी दुनियावी नुकसान का डर नही था…!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*📩पोस्ट 1⃣4⃣*

*📿जिक्र–ए–हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)📋*

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*🌺!!____हुर्र इब्ने रूबाही____!!🌺*

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♥👉🏻हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) की रवानगी की खबर पाकर इब्ने ज्याद ने हुर्र बिन

रूबाही को एक हजार का लश्कर देकर हजरत इमाम को घेरकर कुफा लाने के वास्ते आगे भेज दिया, हजरत

इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने जब लश्कर को देखा तो एक शख्स को मालुम करने के लिये भेजे की यह

कैसा लश्कर है, इतने मे हुर्र इब्ने रूबाही खुद हजरत इमाम के सामने आया और कहने लगा की मुझे इब्ने–

ज्याद ने आपको घेर कर कुफा मे ले जाने के लिये भेजा है।, हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने

इस लश्कर मे खुत्बा पढ़कर सुनाया की, *ऐ लोगो! मेरा इरादा इधर आने का न था मगर पै दर पै तुम्हारा खत पहुंचा, कासीद आए की जल्द जाओ मै तो आया,* हुर्र बोले की खुदा की कसम! मै उन खुतुत से खबरदार

नही हुं।,

*🥀हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया : ‘मगर तुम्हारे इसी लश्कर मे बहुत से ऐसे आदमी मौजुद है जिन्होंने मुझे खत लिखे फिर आपने खुतुत पढ़कर सुनाये, अकसर ने सिर निचा किया और कोई जवाब न दिया,* हुर्र ने हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) से कहा की : *🌹हजरत! इब्जे ज्याद ने मुझे हुक्म आपको घेरकर कुफा मे चलने का हुक्म दिया है मगर मेरे हाथ कट जाये जो आप पर तलवार उठाऊं, चुकीं मुखालीफ मेरे साथ है इसलिए मसलेहत यही है की मै आपके हमराह (साथ) रहु रात का आप मसतुरात (औरतों) का बहाना करके अलाहदा उतरे और जब लश्कर वाले सो जाये तो आप जिस तरफ चाहे चले जायें मै सूबह को कुछ देर जंगल मे तलाश करके वापस चला जाऊंगा और इब्ने ज्याद से कुछ बहाना कर दुगा…!!*

*📓(सिर्रूश्शहादतैन, सफा-19, तजकीरा, सफा-19, Mohammed Arman Gaus..🖊)*

🌺हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) महज हुज्जत के लिये उन लोगो की दावत पर वहां आये

थे और सिर्फ दीन की हिमायत के जज्बा आपको आगे ले गया, जो गुस्ताख आपका मुद्दा हुकुमत हासील करना

बताते है वह गौर करे बकौल उनको आपका यही मुद्दा होता है तो आप उस बेसर व सामानी के साथ हरगीज

सफर न फरमाते जबकी आपको इल्म था की दुश्मन बेहद कवी है और हजारो की तदाद मे लश्कर रखता है,

इधर लश्कर अजीम उधर चंद थोड़े पाक लोग क्या कोई अक्ल का दुश्मन कह सकता है की इसे बेसर व सामानी

के साथ आप सलतनत हासील करने निकले थे?? हरगीज नही बल्कि आपको मैदान मै सिर्फ हिमायत दीन का

जज्बा ले गया था…!!

*न अपनी आन की खतीर, न अपनी शान की खातीर…!!*

*वह मैदां मे निकल आयें फक्त इमान की खातीर..!!*

*📩पोस्ट 1⃣5⃣*

*📿जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)📋*

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*🌺!!_दश्ते करबाला_!!🌺*

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♥👉🏻हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को

कुफा की रवानगी की खबर

पाकर इब्ने ज्याद ने हुर्र इब्ने रुबाही की

क्यादत मे एक लश्कर आगे भेज दिया था, हुर्र इब्ने

रूबाही मर्द सईद ने हजरत इमाम हुसैन

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को मशवरा दिया

की वह मसतुरात का बहाना फरमाकर रात को अलाहदा

उतरे और रात ही को कही तशरिफ ले

जायें।,

*🌼चुनांचे : हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने यही किया, रात को जब यजीदी लश्कर सो गया तो आपने वहां से कुच किया, अंधेरी रात मे मालुम न हुआ की किधर जा रहे है, सुबह को एक मैदान हौलनाक मे पहुंचे।, यहां उतरे तो इस मैदान मे जिस जगह मेख गड़ते जमीन से खुन निकलता जिस दरख्त से लकड़ीया तोड़ते खुन टपकता यह हाल देखकर इमाम ने पुछा की तुममे से किसी को इस दश्त (जंगल) का नाम मालुम है।, एक ने कहा इसे मारया कहते है, फरमाया की : शायद कोई दुसरा नाम भी हो लोगो ने कहा इसे करबला भी कहते है।, यह सुनकर आपने फरमाया :- जमीने करबला यही है हमारे खुन की बहने की जगह यह है अब हम यहां से कही नही जा सकते।,”*

*🌷दुश्मन यहां पे खुन हमारा बहायेंगे..!!*

*जिन्दा यहां से हम न कभी फिर के जायेंगे..!!*

*आले नबी का होगा इसी जा पे खात्मा..!!*

*सब तिश्ना लब यहां पे सर कटायेंगे..!!*

*कर्ब व बला नाम है इसी सरजमी का..!!*

*बच्चे यहां पे पानी का कतरा न पायेंगे..!!*

*होगा हर इक शहीद यहां मुस्तफा का लाल..!!*

*और लाश कत्लगाह से हम सब की लायेंगे..!!*

🍂अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) ने अर्ज की अब्बाजान! आप क्या फरमा रहे

है..??

फरमाया : बेटा! तेरा दादाजान! अली मुर्तजा

सिफ्फीन जाते हुए यहां ठहरे थे और बड़े भाई हसन

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के जानु पर सिर रखकर

सो गये मै सरहाने खड़ा था की रोते हुए उठे, बड़े भाई

रोने का सबब पुछा तो फरमाया : मैनें अभी

अभी ख्वाब मे इस जगह हुसैन को दरियाए खुन मे

डुबता हुवा पांव मारता हुआ और फरियाद करता हुआ देखा है मगर

कोई उसकी फरियाद नही सुनता, फिर मुझसे

फरमाया : बेटा! जब तुझे इस जगह वाकिया अजीम

दरपेश होगा तो तु उस वक्त क्या करेगा..??

*मैने अर्ज किया की : सब्र करूंगा,*

इस पर फरमाया बेटा ऐसा ही करना की

सब्र करने वालो का सवाब बेशुमार है।,

यह फरमाकर आपने अस्बाब उतरवाया और नहरे फुरात के पास

खेमा नस्ब फरमाया उस दिन मुहर्रम की 2

तारीख थी और हिज्री का

61वां साल…!!

*📓(तजकीरा, सफा-61, Mohammed Arman Gaus )*

🌱सबक : दश्ते करबला अज्ल ही से हजरत इमाम

हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के लिये

इम्तिहानगाह मुकर्रर हो चुका था, हजरत को खुद भी

अपने इम्तेहान देने का इल्म था, और यह आप ही

के शान और आप ही का हिस्सा है की

इस जबरदस्त इम्तिहान के लिए आप हर तरह से तैयार थे आपने

पाए इस्तिकबाल और अज्म व सिबात से जर्रा बराबर

भी लग्जिश न आने दी, यानी

आप अपने पक्के इरादे से नही डगमागये…!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*_📨पोस्ट 1⃣6⃣*

*📿जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)📖*

〰〰〰〰〰〰〰〰〰 *🌺तलकीन__ए__सब्र🌺*

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♥👉🏻हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जब

दश्ते करबला मे उतरे तो आपने अहले बैत से यह वाज फरमाया की,

*🌿मेरी मुसीबत व जुदाई पर सब्र करना, जब मै मारा जाऊं तो हरगीज मुंह न पिटना और बाल न नोचना और गिरेबां चाक न करना,*

🥀ऐ मेरी बहन जैनब! तुम फातिमा जोहरा की बेटी हो,

जैसे उन्होंने हुजुर (सलल्लाल्लाहु अलैही वसल्लम) की पर सब्र किया था उसी तरह तुम

मुसीबत पर सब्र करना।”

*📚(अनारतुल-बसाइर, सफा-297, वहवाला नासिखुत तवारिख मंकुल अज फैसला शरईआ, सफा-41, )*

*Mohammed Arman Gaus🖌*

🌻️सबक : सबका इस बात पर इत्तिफाक है की हजरत

इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने खुद भी

सब्र फरमाया और अपने मुतअल्लिकीन को भी सब्र व

शुक्र से रहने की तलकीन फरमाई, इसी तरह हमे भी

सब्र व शुक्र से काम लेना चाहिये, जज्अ व फजा

(रोना पिटना) से बचना चाहिये ताकी इमाम

आली मकाम की खुशनुदी हासील हो….

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*📨पोस्ट 1⃣7⃣*

*📿जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)📖*

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*🥀इब्ने ज्याद का खत🥀*

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♥👉🏻हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) ने मकामे करबला मे क्याम फरमाये तो इब्ने ज्याद ने एक

खत हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) की तरफ इस मजमुन का भेजा की

या तो यजीद की बैअत

कीजीये या लड़ने को तैयार हो जाइये,

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने

उस खत को पढ़कर फेंक दिया और कासीद से फरमाया

:- मेरे पास इसका कोई जवाब नही, इब्ने–ज्याद यह

सुनकर गुस्से मे आ गया, इब्ने सअद को बुलाकर कहा

की तुम एक मुद्दत से मुल्क रय के

हाकीम बनने की तमन्ना रखते हो, लो

आज मौका है, तुम हुसैन के मुकाबले के लिये जाओ और हुसैन को

मजबुर करो की वह यजीद

की बैअत करे वरना उसका सर काटकर ले आओ, दनियां

के कुत्ता इब्ने सअद मुल्क रय की हुकुमत

की लालच मे आकर हजरत इमाम (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) के मुकाबले को तैयार हो गया, करबला मे

पहुंचकर उसने हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) से दर्फयात किया, की आप यह किस

वास्ते से आये है…??

आपने फरमाया : *कुफीयों ने खुतुत लिखकर मुझे बुलाया मै खुद यहां नही आया मगर अब जबकी तुम सब को बेवफाई मुझे मालुम हो गयी है तो मुझे अब भी तुम लोग वापस जाने दो और मुझसे मुकाबले मे न आओ,*

इब्ने सअद ने हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) की गुफ्तगु की इत्तिला

इब्ने ज्याद को दी तो इब्ने ज्याद ने गुस्से से हुक्म

भेजा की *तुम्हे हुसैन से लड़ने को भेजा है सुलाह करने नही भेजा, हम सिवा बैअत के हुसैन से कुछ भी कबुल नही करेंगे*

🌿फिर इब्ने ज्याद ने

शिमर शैत वगैरह जालीमो को सरदार बनाकर हजारो

की तदाद मे और भी फौज भेज

दी, और हुक्म दिया की हुसैन का

पानी भी बंद कर दिया जाये और उसे हर

तरह से तंग किया जाये…!!

*📚(तकीहुश-शहादतैन, सफा-56,)*

*( Mohammed Arman Gaus….🖌)*

🌺️सबक : हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) दीन के लिये मैदान मे तशरिफ लाये और

इब्ने सअद वगैरह यजीदी लोग

दुनियावी हुकुमत के लालच मे हजरत इमाम के मुकाबले

आये,

यह भी मालुम हुआ की हजरत इमाम

हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) आखिर तक उन

पर इत्तामे हुज्जत फरमाते रहे की तुम अगर अब

भी मुकाबले मे न आओ तो मै वापस चला जाऊं मगर

वह लोग खुद ही इस फित्ने के पैदा करने वाले थे…!!

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*​​🔖पोस्ट न.1⃣8⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺नहर-ए-फुरात🌺*

♥👉🏻हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) ने *मैदान—-ए—-करबला* मे नहरे फुरात के किनारे अपने

खेमे गाड़े थे, मगर मुहर्रम के सातवीं तारिख को इब्ने

सअद की फौज ने जो 82 हजार की तदाद

मे थी, नहरे फुरात को घेर लिया और हजरत इमाम को

पानी लेने से रोक दिया, इस फौज मे अकसर

वही लोग थे जो अली और हुसैन

की मुहब्बत का दावा करते थे, जिन्होंने हजरत इमाम

को खत लिखकर खुद ही बुलाया था और अब खुद

ही उनका पानी भी बंद कर

दिया, इब्ने सअद ने हजरत इमाम से कहा की वह

अपने खेमे नहर के किनारे से उखाड़ ले,

*🥀हजरत अब्बास ने इस मौके पे फरमाया की ऐसा नही हो सकता,*

मगर हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया :-

की भाई अब्बास! जाने दो तुम बहरे करम (करम के समुन्दर) हो यह *कतरा—-ए—-नाचीज* है।, इनसे

झगड़ना फिजुल है अपना खेमा यही नही

तो नहर से दुर ही सही,

*🌿चुनांचे : हजरत इमाम ने अपना खेमा वहां से उखाड़ने के हुक्म दिये…!!*

*📚(तनकीहुश—शहादतैन, सफा-96,)*

🌹️सबक : *साकी-ए-कौसर* (कौसर के पिलाने वाले)

सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के नवासे और उनके

अहले बैअत पर पानी बंद कर देना

यजीदीयों की इंतेहाई शकावत

(संगदिली) और हजरत इमाम का बकमाले सब्र व

शुक्र वहां से खेमा उखाड़ लेना आपकी इंतिहाई बुलंद

हौसला व बहादुरी का सबुत था, यह भी

मालुम हुआ की यह सब शकी जिन्होंने

हजरत पर पानी बंद किया था और जो पहले

अपनी झुठी मुहब्बत का एलान करते थे

दरअसल यह सब के सब अपनी अदावत व शकावत

को छुपाये हुए थे…!!

*​​🔖पोस्ट न.1⃣9⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺कुंआ🌺*

♥👉🏻️मैदाने करबला मे जलिमों न हजरत इमाम पर 7वीं

मुहर्रम से पानी बंद कर दिया, 8वी

तारीख को जब अहले बैअत के छोटे बड़े प्यास से

निढ़ाल हुए और अलअतश! (प्यास प्यास) की अवाजें

आने लगी तो हजरत इमाम ने वहां एक कुंआ खुदवाया

जिससे कुछ लोगों ने पानी पिया लेकीन वह

कुंआ आपने आप ही गायब हो गया..!!

*📚(तनकीहुश-शहादतैन, सफा-57)*

🌐सबक : मालुम हुआ की खुद खुदाए

करीम को यही मंजुर था की

हुसैनी लशकर सब्र व शुक्र का मुजाहीरा

करके *आब-ए-हौज-ए-कौसर* ही के पानी

से अपनी प्यास बुझाये..!!

*​​🔖पोस्ट न.2⃣🅾*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺बरीर हमदानी और इब्ने सअद🌺*

♥👉🏻️मुहर्रम की 9वीं तारीख,

लश्कर मे से हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) ने एक रफीक हजरत

बरीर हमदानी, हजरत इमाम से इजाजत

लेकर इब्ने सअद के पास गये और उसके पास जाकर बैठ गये,

इब्ने सअद ने कहा : की *हमदानी क्या तुम मुझे मुस्लमान नही समझते जो मुझे सलाम नही किये,*

हमदानी बोले : की लानत है तेरे ऐसे

मुस्लमान होने की दावा तो इस्लाम का करता है और

अहले बैते रसुल को दरिया से पानी नही

लेने देता, नहरे फुरात से जानवर भी पानी

पी रहे है मगर *साकि-ए-कौसर* के लख्ते जिगर प्यास

से टड़प रहे है,

इस पर सअद ने कहा : की सच है

लेकीन मै क्या करूं मुझसे मुल्क रय की

हुकुमत नही छुटती..!!

*📖(तनकीहुश शहादतैन, सफा-58,)*

🌻सबक : दुनियां परस्त अपनी आकीबत

से अंधा होता है..!!

*​​🔖पोस्ट न.2⃣1⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺मजलुम सय्यद🌺*

♥👉🏻️मुहर्रम की 9वीं तारीख

सुबह से दोपहर तक इब्ने सअद से गुफ्तगु मे गुजरी,

बाद नमाज जुहर हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) खेमे से बाहर बैठे हुए कलामुल्लाह

की तिलावत फरमा रहे थे, और आंखो हे आंसु बहते

जाते थे, इस दश्त हौलनाक मे उस वक्त किसी

मुसाफीर खुदा परस्त का गुजर हुआ, हजरत इमाम

हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को इस आलम

मे देखकर उसने आपका हाल पुछा तो आपने फरमाया :-

*🥀मुसाफीर सय्यदे आवारा वतन हुं।..!!*

*गरीके कुलजमे रंज व मिहन हुं।..!!*

*सितम मुझ पे किया इन शकियों ने..!!*

*नबी की आल हुं तिश्ना दहन हुं।..!!*

🌿कुफीयों ने बड़ी-बड़ी खुशामंदो

से खत और कासीद भेज भेजकर मुझे बुलाया और

अब मेरे साथ बेवफाई और दगा कर रहे है और मेरे खुन के प्यासे

है..!!

*📚(तनकीहुश-शहादतैन, सफा-57, )*

🌹सबक : हजरत इमाम आली मकाम

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) का यस

वाकीया क्यामत तक यही पुकारता रहेगा

की कुफीयों ने झुठी मुहब्बत

का मुजाहीरा करेके हजरत इमाम आली

मकाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) पर इंतिहाई

जुल्म व सितम किया इस किस्म के झुठे दावा करने वालों से परहेज

ही लाजीम है..!!

*​​🔖पोस्ट न.2⃣2⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺सरवरे अंबिया ﷺ की आमद🌺*

♥👉🏻मुहर्रम की 10वीं रात शाम मे सुबह

तक हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) ने इबादते इलाही मे गुजार दी, रात

के पिछले पहर आप पर एक इस्तिगराक (डुब जाना,

मुहीब हो जाना) की कैफीयत

तारी हुई, हक तआला की याद मे इस कद्र

मह्’व हुए की दुनिया व माफीहा

की तरफ तवज्जह न रही इस आलम मे

हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फरिश्तों

की जमाअत के साथ मैदाने करबला मे तशरिफ लाये और

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को

बच्चो की तरह गोद मे लेकर खुब प्यार फरमाया और

फरमाया :- *ऐ जान व दिन के चैन नुरूलऐन (आंखो का तारा)! मेरे हुसैन मै खुब जानता हुं की दुश्मन तेरे पिछे पड़े है और तुझे कत्ल करना चाहते है, बेटा तुम सब्र व शुक्र से इस वक्र को गुजारना तेरे जितने कातील है क्यामत के दिन मेरी शफाअत से महरूम रहेंगे और तुझे शहादत का बहुत बड़ा दर्जा मिलने वाला है थोड़ी देर मे तुम इस कर्ब व बला से छुट जाओगे, बेटा! जन्नत तेरे लिये संवारी गयी है तेरे मां बाप बहीश्त के दरवाजे पर तेरी राह देख रहे है,*

🥀यह बाते इरशाद फरमाकर हुजुर (सलल्लल्लाहु

अलैही वसल्लम) ने फिर हजरत इमाम हुसैन

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के सर व

सीने पर हाथ मुबारक फेरकर दुआ की,

*🕋ऐ अल्लाह! मेरे हुसैन को सब्र व अज्र इनायत फरमा!”*

🌿जब हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) इस मुकाशफे (उलुमे गैबी का

जाहीर हो जाना) से चौंके और अहले बैत से यह सारा

माजरा ब्यान किया तो सब हैरत से एक दुसरे के मुंह ताकने लगे…!!

*📚(तनकीहुश-शहादतैन, )*

🌹सबक : करबला का सारा किस्सा हुजुर (सलल्लल्लाहु

अलैही वसल्लम) की नजरे

आली मे था, हुजुर जालीमो का जुल्म और

साबीरों का सब्र मुलाहजा फरमा रहे थे….

*​​🔖पोस्ट न.2⃣3⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺करामात🌺*

♥👉🏻️मुहर्रम की 10वीं को हजरत इमाम

आली मकाम ने जो खेमे के गिर्द खंदक खुदवा

रखी थी, वह लकड़ीयों से

भरवाकर उसमे आग रौशन कर दी ताकी

हरम शबखुं (छापा मारना) वजैरह से महफुज रहे और दुशमन

खेमे तक न पहुंच सके, एक यजीदी बे

दीन ने आग रौशन देखकर कहा : *ऐ हुसैन! दौजख से पहले तुने अपने आप को आग मे डाल दिया है!*

~(मआज अल्लाह!)~

🦋हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने

फरमाया : ऐ दुश्मने खुदा! तुने झुठ कहा फिर आपने काबे

की तरफ मुंह करके फरमाया :- *ऐ अल्लाह! इसे आग की तरफ खिंच!,* यह दुआ करते ही

उस बे दीन के घोड़े का पांव एक सुराख मे फंस गया घोड़ा

गिरा लगाम हांथ से छुटी पांव लगाम मे उलझा, घोड़ा उसे

लेकर भागा, हत्ताकी उसे खंदक की आग

मे लाकर गिरा दिया और खुद चला गया, हजरत इमाम ने *सज्दा-ए-शुक्र* अदा किया और सिर उठाकर बा-आवाजे बुलंद फरमाया :-

*इलाही हम तेरे रसुल की आल है हमारा इंसाफ जालीमों से लेना* इतने मे एक और

बेदीन ने हजरत इमाम हुसैन (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) को मुखातीब करके कहा : *ऐ हुसैन! नहरे फुरात कैसे मौजे मार रही है मगर उससे तुझे एक कतरा भी नसीब न होगा, युं ही प्यासा कत्ल किया जायेगा,* इमाम यह सुनकर

आजुर्दा (सताया हुआ) हुए और आबदीदा होकर दुआ

फरमायी: *इलाही! इसे प्यासा मार!,* यकाकत

उसके घोड़े ने शोखी करके उसे गिराया वह उठकर घोड़ा

पकड़ने दौड़ता फिरा, प्यास गालीब हुआ प्यास-प्यास

पुकारता रहा मगर हलक से पानी न उतरा आखिर

इसी प्यास की हालत मे मर गया…!!

*📚(तजकीरा, सफा-68,)*

🌐️सबक : हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) खुदा के महबुब थे, खुदा आपकी सुनता

था मगर शहादत चुंकी आपके नाम मे लिखी

जा चुकी थी और अल्लह व रसुल

की यही मर्जी

थी, आप राजी बरजाए हक थे आपने बड़े

सब्र के साथ जामे शहादत पिया….

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*_👥दीनी मालूमात हासिल करने के लिए हमारे ग्रुप से जुड़ हम माशाल्लाह लेडीज़ और बॉयज़ ग्रुप दोनो ग्रुप चला रहे है।_* *_+91-9762254686_*

*~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~*

*​💎इल्म-की- रौशनी💎​*

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*“`🌸अहले सुन्नत वल-जमाअत की जानिब से…🌸*“`

*📩सिलसिला-ए- वारसी📩*

*~~~~~~~✮~~~~~~~✮~~~~~~~*

“`🌍हमारे इस्लामिक मैसज आप अपने वव्हाट्सएप्प पर शेयर करे…🌍“`

*📙इस्लाह सबकी करनी है….*

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*​​🔖पोस्ट न.2⃣4⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺इत्तेमाम-ए-हुज्जत🌺*

♥👉🏻️यजीदीयों जब हर तरह से हजरत

इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) लड़ना

ही चाहा तो हजरत इमाम हुसैन (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) भी *अमामा–ए–रसुल* बांधकर

जुलफिकारे हैदरी कर्रार (हजरत अली

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) की तलवार)

हाथ मे लेकर और घोड़े पर सवार होकर मैदान मे

तशरीफ ले आये, इब्ने सअद के लशकर के करिब

होकर फरमाया :

*🌻ऐ इराक वालो! तुम खूब जानते हो की मै नवासा___ए___रसुल (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) फरजंदे बतुल और दिलबंदे (फरजंद) अली मुर्तजा और बिरादरे हसन मुतबजा हुं।, देखो यह अमामा किसका है?? गौर करो की ईसाई अब तक निशान पाये ईसा को बोसा देते है, गर्ज हर दीन व मिल्लत के लोग अपने पेशवाओं की यादगार को दोस्त रखते है मै तुम्हारे रसुल का नवासा हुं, अली शेरे खुदा का फर्जन्द हुं, अगर तुम मेरे साथ कोई सुलुक नही कर सकते तो कम से कम मुझे कत्ल ही न करो, बताओ तुमने किस वजह से मेरा और मेरे अहले व अयाल का पानी बंद कर रखा है?? क्या मैने तुममे से किसी का खुन किया है या किसी की जागीर जब्त की है?? जिसका बदला तुम मुझसे ले रहे हो तुमने खुद मुझको यहां बुलाया और अब यह अच्छी मेरी मेहमान नवाजी कर रहे हो?? जरा सोचो की तुम क्या कर रहे हो??*

🌿आप यह तकरीर फरमा ही रहे थे

की खेमे से रोने की अवाज आई, आपने

लहौल पढ़ी और हजरत अब्बास और

अली अकबर से फरमाया : तुम जाकर सबको रोने से

मना करो और कहो जरा सब्र करो की

अभी तुम्हे बहुत रोना है, दोनो हजरात ने अहले हरम

को रोने से बाज रखा हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) ने फिर इब्ने सअद से खिताब फरमाया :-

*🌹ऐ कुफीयों तुम्हे मेरा हस्ब व नस्ब (खानदान) मालुम है जिसका मिस्ल आज रूए जमीन पर नही फिर सोच लो की तुमने खुद ही मुझे खुतुत लिखर बुलया है फिर अब मेरे खुन के प्यासे हो।, देखो यह तुम्हारा खुतुत है।,*

🦋हजरत इमाम खुतुत दिखाये तो उन बेवाफाओ ने इंकार कर दिया और

कहा : *ये हमारे खुतुत नही है,*

*🥀हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)

ने उनके झुठ से हैरान होकर फरमाया :-

*बहम्दुलिल्लाह हुज्जत* तमाम हुई, मुझ पर कोई हुज्जत न

रही…!!

*📚(तजकिरा सफा-70, )*

🌐सबक : हजरत इमाम आली मकाम

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) आखिर तक

यही चाहते थे की यह लोग

अपनी बेवफाई से बाज आ जाये और मेरे खुन नाहक

से हाथ न रंगे मगर उन बदबख्तों के नसीब बुरे थे,

यह भी मालुम हुआ की हजरत इमाम

हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) अपने इन नाम

के और झुठे महबुबों से बेजार (खफा) होकर दुनिया से तशरिफ ले

गये….!!

*​​🔖पोस्ट न.2⃣5⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺हजरत हुर्र (रजी अल्लाहु अन्हु)🌺*

♥👉🏻हजरत हुर्र का जिक्र पहले गुजरा,

आपने पढ़ा की हजरत हुर्र (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) मर्द सईद और खुशनसीब

थे, लश्कर इब्ने सअद मे हजरत इमाम हुसैन (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) के साथ लड़ने आये थे मगर

उनकी तकदीर मे कुछ और

ही लिखा था,

*हजरत इमाम आली मकाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के अस्हाब व अंसार जब यजीदीयों के साथ लड़ते हुए शहीद हो चुके थे, हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के पास भाई, भतीजों, भान्जों, लड़कों, और तीन खादीमो के और कोई बाकी न रहा तो यह सुरते हाल देखकर हजरत इमाम बे___इख्तियार रो पड़े और पुकार उठे: है कोई हमारी फरयाद सुनने और मदद करने वाला…??*

🌿यह दर्दनाक अवाज सुनकर हजरत हुर्र (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) के कानों मे पड़ी तो कलेजा

दहल गया और फौरन अपने घोड़े की लगाम दोजख

की तरफ से फेरकर जन्नत की तरफ कर

ली, (यानी लशकर इब्ने सअद से घोड़ा

दौड़ाकर हजरत इमाम की खिदमत मे

हाजीर हो गये) और रकाब को बोसा देकर अर्ज किया :

हुजुर मेरा कुसुर माफ करे, मेरी तौबा कुबुल

होगी या नही??

इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने उनके सर पर

दस्ते मुबारक फेरकर फरमाया : अल्लाह तआल अपने बंदो

की तौबा कुबूल फरमाता है, मै तुमसे खुश हुं, हजरत

यह बशारत सुनकर लशकरे इमाम मे शामील हो

गये…!!

*📚(तजकीरा, सफा-73,)*

🥀️सबक : जिनका नसीब अच्छा हो वह

किसी न किसी वक्त गुमराही

से निकलकर हिदायत की तरफ आ जाते है…!!

*​​🔖पोस्ट न.2⃣6⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*_🌸💫हजरत हुर्र (रजी अल्लाहु अन्हु) की शहादत🌸💫_*

*_🍁✨👉हजरत हुर्र (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) यजीदी लश्कर से निकलकर हुसैनी लश्कर मे आ मिले, इस तरह उन्होंने अपने आप को आग से बचा कर जन्नत खरीद ली थी, आप बहुत बड़े बहादुर और दिलेर थे इब्ने सअद के लश्कर के आप सिपहसलार थे इब्ने सअद ने जब उन्हें हुसैनी लश्कर मे मिलते हुए देखा तो वह बहुत घबराया और सफवान से कहने लगा तु जा और हुर्र को समझाकर वापस फेर वरना सर तन से जुदा कर ला,_*

*🌼चुनांचे : सफवान ने हुर्र से आकर कहा की तुम मर्दाना आकील होकर यजीद जैसे अजीम हाकीम की रिफाकत छोड़कर हुसैन के तरफ क्यों चले आये?? चलो वापस चलो,*

*हजरत हुर्र (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने फरमाया अब मै वापस नही जा सकता,

सफवान ने पुछा कयो??

तो फरमाया :-

“क्यों छोड़ के दीन फौज मे गुमराह को आऊं..!!

हाकीम को हसाऊं, मुहम्मद को रूलाऊं..!!

क्या हाकीमे दुनिया का तो एहसास करूं मै..!!

और जोहरा के रोने का न कुछ पास करूं मै..!!

🌺💫👉ऐ सफवान! यजीद नपाक है और हुसैन पाक है और रैहाने मुस्तफा है, सफवान ने गुस्से मे आकर हुर्र के नेजा मारा, हजरत हुर्र ने नेजा तोड़ डाला और फिर उसे एक नेजा मारा जो उसके सीने के पार हो गया और वह जहन्नम सिधार गया,यह सुरते हाल देखकर सफवान के भाई दौड़ा हजरत हुर्र ने उसे भी मार डाला और फिर खुद वहां से फिरकर हजरत इमाम के पास आकर अर्ज की : “हुजुर अब तो आप मुझसे राजी है”फरमाया : मै तुझसे राजी हुं, तु अजाद है, जैसा की तेरी मां ने तेरा नाम रखा है।,हजरत हुर्र यह खुशखबरी सुनकर फिर मैदान मे आये, जिस तरफ किया कुश्तो ने पुश्त लगा दिये एक यजीदी ने आकर आपके घोड़े को जख्मी कर दिया, आप पैदल ही लड़ने लगे, इमाम ने दुसरा घोड़ा भेज दिया, हजरत हुर्र उसपर सवार हो गये लेकीन उन जालीमों ने एक दम हल्ला बोल दिया, हजरत हुर्र एक बार और खिदमत इमाम मे हाजीर होने का इरादा किया की गैब से आवाज आयी अब न जाओ हुर्र तुम्हारी मुन्तजिर है, हजरत हुर्र (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने वही से अर्ज की,

या इब्ने रसूलल्लाह! यह गुलाम आपके नानाजान! के पास जा रहा है कुछ फरमाये तो कह दुं, इमाम ने रो रोकर फरमाया हम भी तुम्हारे पीछे आ रहे है, उसके बाद हजरत हुर्र (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जलीमो के मुतावतीर हमलो से निढ़ाल होकर गीर पड़े और इमाम को अवाज दी, हजरत इमाम अवाज सुनकर और हुर्र को उठाकर लशकर मे से ले आये, जानु मुबारक पर उनका सिर रखकर चेहरे का गर्द व गुबार साफ करने लगे हजरत हुर्र ने अपनी आंखे खोली और अपना सिर इमाम के जानु पर देखकर मुस्कुराए और जन्नत को सिधारे..!!

*●इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन●*

*(📔तजकीरा, सफा-75, सिर्रूश शहादतैन, सफा-22 )*

_🌹☘👉हजरत हुर्र (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) अपने नाम के मुताबीक वाकई जहन्नम से आजादी हासील करके जन्नत के मलिक बन गये और यह दर्स दे गये की दुनिया चंद रोजा है, एक दिन आखिर मरना है फिर क्यों न ऐसी मौत मरा जाये जिससे अल्लाह व रसुल खुश हो, और आकीबत दुरूस्त हो जाये,फिर आज अगर कोई कहलाये हुसैनी और न नमाज पढ़े न दाढ़ी रखे, भांग पिये, चरस पिये, और बुजुर्गो की तौहीन करे, गोया कहलाये हुसैनी और काम याजीदीयों के करे तो उसके मुतअल्लिक क्यों न कहा जाये की यह हुसैनी लश्कर से हटकर यजीदी लश्कर मे जा मिला….!!_

*​​🔖पोस्ट न.2⃣7⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺दो शेर🌺*

♥👉🏻हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)

के जब सब यार व वफादार रफीक व जां

निसार शहीद हो गये तो हजरत की सगी

और बेवा बहन हजरत जैनब (रजी अल्लाहु

तआला अन्हा) के दो यतीम साहबजादे

हजरत औन हजरत मुहम्मद मां और मामु की

इजाजत लेकर घोड़ो को दौड़ाते हुए

*नार____ ए____तकबीर* बुलंद करते हुए दुश्मनों

की तरफ बढ़े,

*जंगे गाह मे घोड़ो को उड़ाते हुए आये..!!*

*शान अपनी सवारी की दिखाते हुए आये..!!*

*नेजों को अपने दिलेराना हिलाते हुए आये..!!*

*इनां सुए अशरार बनाते हुए आये..!!*

*लरजा था शुजाओं को दिलेरों की नजर से..!!*

*तकते थे सब फौज को शेरो की नजर से..!!*

*लशकर मे यह गुल था की वह जांबाज पुकारे..!!*

*लड़ना हो जिसे सामने आ जाये हमारे..!!*

*हम वह हैं की जब होते हैं मैदां मे उतारे..!!*

*रूस्तम को भगा देते है तलवार के मारे..!!*

*है कहरे खुदाए दो जहां हर्ब हमारी..!!*

*रूकती नही दुश्मन से कभी जर्ब हमारी..!!*

*ये रिज्ज पढ़ी दोनों से जु लां किये घोड़े..!!*

*चिल्ले मे उधर तीन को कमांदारो ने जोड़े..!!*

*गुल था की खबरदार कोई मुंह न मोड़े..!!*

*ये दोनो बहादुर है तो हम भी नही थोड़े..!!*

*यह मार के तलवार गिरा देते है उनको..!!*

*या नेजों की नोंको पे उठा लेते है उनको..!!*

🥀यह दोनो शेर दुश्मन की फौज मे घुस गये और

कई यजीदीयों को जहन्नम मे पहुंचा दिया

जब अश्किया ने देखा यह बच्चे तो शेरो की

तरह लड़ रहे है तो उसने दोनो को इस तरह

नरगे मे ले लिया की दोनो भाई एक दुसरे फे

जुदा हो गये, फिर भी किसी की हिम्मत

न पड़ती थी, आखीर एक शख्स ने पीछे से

आकर इस जोर से नेजा मारा की हजरत जैनब

का यह लाल घोड़े से लहु लुहान नीचे गिर

पड़ा दुसरे भाई को यजीदीयों ने नेजो से

छलनी कर दिया और दोनो शेर फर्शे खाक

पर तड़पने लगे उस वक्त हजरत इमाम (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) दौड़े, आपको देखकर

दोनो ने आखें खोली और मुस्कुरा दिये और

दम तोड़ दिये,

हजरत जैनब (रजी अल्लाहु तआला अन्हा)

आखिर मां थी बच्चो की शहादत की खबर

पाकर उनका जिगर पाश पाश हो गया,

आसमान व जमीन की आंख मे आंसु आ गये थे

लेकीन उन संग दिल कुफीयों के दिल रहम से

खाली थे,

*इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलौहि राजीऊन😥*

*📚(सच्ची हिकायत, पेज-379-380, हिकायत नम्बर-330,)*

🌿सबक : अहले बैत इजाम के हर छोटे बड़े फर्द

मे जुरअत व शुजाअत पायी जाती थी,

अल्लाह की राह मे कट मरने का जज्बा अहले

बैत इजाम मे मौजुद था वह पाक लोग दीन

की खातीर अपना सब कूछ कुरबान कर गये

हमे भी अपने अंदर दीन की खातीर अपने

आपको कुरबान कर देने का जज्बा रखना

चाहिये….!!.

*​​🔖पोस्ट न.2⃣8⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺अजरक पहलवान🌺*

♥👉🏻मैदाने करबला मे सब हजरत इमाम हुसैन

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के अहबाब

शहीद हो चुकु थे और आपके भतीजे और भांजे

भी जामे शहादत नोश फरमा चुके थे तो

फिर हजरत इमाम हसन (रजी अल्लाहु

तआला अन्हु) के साहबजादे हजरत कासीम

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) मैदान मे

तशरिफ लाये, आपको देखकर यजीदी लश्कर

मे खलबली मच गयी,

यजीदी लशकर मे एक शख्स अजरक पहलवान

भी था उसे मिस्र व शाम वाले एक हजार

जवानों की ताकत का मालीक समझते थे,

यह शख्स यजीद से दो हजार दीनार

सालाना पाता था करबला मे अपने चार

ताकतवर बेटों के साथ मौजुद था, जब हजरत

इमाम कासीम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)

मैदान मे आये तो मुकाबले मे आने के लिये कोई

तैयार न हुआ, इब्ने सअद ने अजकर से कहा की

कासीम के मुकाबले मे तुम जाओ, अजकर ने

इसमे तौहीन समझी और मजबुरन अपने बड़े बेटे

को यह कहकर भेज दिया की मेरे जाने की

जरूरत क्या है मेरा बेटा अभी कासीम का

सर लेकर आता है।,

🌻चुनांचे : उसका बेटा हजरत कासीम के

मुकाबले मे आया, हजरत कासीम के हाथों

बड़ी जिल्लत के साथ मारा गया, उसकी

तलवार हजरत कासीम ने कब्जा कर लिया,

और फिर ललकारे की कोई दुसरा है तो मेरे

सामने आये, अजरक ने अपने बेटे को युं मरते देखा

तो बड़ा रोया और गुस्से मे आकर अपना

दुसरा लड़का मुकाबले मे भेज दिया, हजरत

कासीम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने

दुसरो को भी मार डाला, अजरक ने

बौखला कर तीसरा लड़का भी भेजा तो

कासीम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के

हाथो वह भी मारा गया, अब तो अजरक

की आंखो मे अंधेरा छा गया, और गुस्से मे

दिवाने होकर खुद मैदान मे आ गया, हजरत

कासीम के मुकाबले मे अजरक को देखकर

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) ने हाथ उठाए और दुआ की, *ऐ मेरे मौला! मेरे कासीम की लाज तेरे हाथ मे है,*

लोग दोनो की लड़ाई देखने लगे अजकर ने पै

दर पै बारह नेजे मारे हजरत कासीम ने सब रद्द

कर दिये फिर उसने झल्लाकर हजरत कासीम

के घोड़े की पुश्त पर नेजा मारा, घोड़ा

मारा गया, हजरत कासीम पैदाल रह गये,

हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला

अन्हु) ने फौरन दुसरा घोड़ा भेज दिया,

हजरत कासीम ने उसपर सवार होकर

मुतवतीर नेजे मारे, अजरक ने रोक लिया और

तलवार निकाल ली, हजरत कासीम ने भी

तलवार निकाल ली, अजरक ने तलवार को

देखकर कह की यह तलवार मैनें तो हजार

दिनार मे खरीदी थी, और हजार दिनार मे

चमकवाई थी, तुम्हारे पास कहां से आ गयी,

*हजरत कासीम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)

ने फरमाया : तुम्हरे बड़े बेटे की निशानी है

यह तुम्हे इसका मजा चखाने के लिये मुझे दे

गया है, साथ ही यह फरमाया की तुम एक

मशहुर सिपाही होकर इस कद्र बे-

एहतियाती से काम लेते हो की मैदान मे

लड़ने के लिये आ गये और घोड़े का तंग ढ़िला

रखते सो इसे कसा भी नही वह देखो जीन

घोड़े की पिठ से फिसला हुआ है,

अजरक यह देखने को झुका ही था की हजरत

कासीम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने खुदा

का नाम लेकर तलवार मारी की अजकर के

वही दो टुकड़े हो गये..!!

*📚(तजकीरा, सफा-80, )*

🥀सबक : अहले बैत इजाम के मुकद्दस अफराद

तलवार के फन से खुब वाकीफ थे, हमे भी ऐसे

फन से वाकीफ होना चाहिये ताकी अगर

कोई ऐसा वक्त आ जाये तो हजरत कासीम

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के सदके मे हम भी

बातील के दांत खट्टे कर सके…!!

*​​🔖पोस्ट न.2⃣9⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*🌺अलमबर्दार की शहादत🌺*

♥👉🏻मैदाने करबला मे हजरत इमाम हुसैन (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) के दोस्त अहबाब भतीजे और

भांजे शहीद हो गये तो हजरत अब्बास

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) खिदमते इमाम मे

हाजीर हुए और कहा की अब मुझे मैदान

मे जाने की इजाजत दिजीये, अब तो हद हो

गयी इन जालीमो ने हमारे सब

अजीज शहीद कर दिये और

बाकी जो है प्यास के मारे निढ़ाल हो रहे है मुझसे छोटे

बच्चो की प्यास देखी नही

जाती मै पानी लेने फुरात जा रहा हुं।,

*🌿हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने अपने भाई को चंद बातें तालीम फरमाकर रूखस्त फरमाया,*

🦋आप मस्क लेकर फुरात के जानीब रवाना हुए, फुरात

पर चार हजार फौजीयों का घेरा था,

हजरत अब्बास ने जो फुरात पर कदम रखा तो सबने आपको घेर

लिया,

आपने उनसे मुखातीब होकर फरमाया : *तुमलोग मुस्लमान हो या काफीर??*

वह बोले हम मुस्लमान है।,

*आपने फरमाया : मुस्लमानो मे यह कब रखा है की चरिन्द परिन्द सब पानी पिये और फर्जन्दे मुस्तफा (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) प्यासे तड़पे तुम लोग क्यामत के प्यास से नही डरते??*

जालीमो! जिगर *गोशा__ए__रसुल* *हुसैन प्यास है उनके बच्चे प्यासे है कुछ ख्याल करो बच्चो के लिये तो पानी दो,*

यह सुनकर भी संगदिलो पर कुछ असर न हुआ सबने

आप पर हमला कर दिया, हजरत अब्बास (रजी

अल्लाहु तआला अन्हु) ने भी उनपर हमला करके

अस्सी को कत्ल कर डाला और बाकी को

मुन्तशिर करके आप फुरात तक पहुंचे पानी मे

उतरकर मश्क भर ली खुद चुल्लू मे पानी

भरकर पिना चाहा की बहन भाई और बच्चो

की प्यास याद आ गयी, फौरन चुल्लू का

पानी फेंक दिया और मश्क कांधे पर रखकर रवाना हुए,

राह मे यजीदीयों ने घेर लिया आप हर एक

से लड़ते भिड़ते मश्क लिये हुवे जा रहे थे की नौफल

नामी एक जालीम मे पिछे से आकर हाथ

पर तलवार मारा और मश्क पर तीर मारा, हाथ कट गया

और मश्क का पानी बह गया, उस वक्त आप

अपनी मेहनत और बच्चो की प्यास पर

अफसोस करने लगे, चुंकी जख्म गहरा था घोड़े से

गिरकर भाई को अवाज दी, हजरत इमाम हुसैन

(रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने उनकी

अवाज सुनकर एक ऐसी आह की जिसे

जमीने करबला लरज गयी, फिर आगे जो

बढ़े तो हजरत अब्बास को खाक व खुन मे तड़पता हुआ देखकर

फरमाया : *अब मेरी पिठ टुट गयी,* हजरत

अब्बास (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने भाई को देखा

और जन्नत को तशरिफ ले गये..

*इन्ना__लिल्लाहि__वा__इन्ना__इलैहि__राजीऊन__😥*

*🌹हजरत इमाम उनकी लाश मुबारक को खेमे

की तरफ लाये और फरमाने लगे :-

*बाद अब्बास के अब कौन है गमख्वार अपना..!!*

*न तो मोनीस है कोई और न मददगार अपना..!!*

*सुए जन्नत गये सब छोड़ के तंहा मुझको..!!*

*लुट गया आन के इस दस्त मे गुलजार अपना..!!*

*तिश्ना लब राहे खुदा मे है मेरा सर हाजीर..!!*

*काम पुरा करे अब जल्द सितमगार अपना..!!*

*📚(सच्ची हिकायत, सफा-382-383, हिकायत नम्बर-332, )*

🌐सबक : यजीदी बड़े ही

जालीम और नाअकबत अंदेश थे, उन्हे क्यामत के

हौलनाक दिन का कुछ भी ख्याल न रहा,

हांलाकी मुस्लमान को क्यामत के हौलनाक दिन

कभी नही भुलना चाहिये, हजरत इमाम

हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) और उनके

मुतअल्लिकीन (रजी अल्लाहु तआला

अन्हुम) की शहादत का एक दर्स यह

भी है की इस चंद रोजा

जिन्दगी मे हमे क्यामत को नही भुलना

चाहिये…

*​​🔖पोस्ट न.3⃣🅾*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) 📜​*

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*_🌺✨अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु🌺✨_*

*🌸🍃👉मैदाने करबला मे जब हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के जुमला अहबाब व अकरबा जामे शहादत नोश फरमा चुके तो आपके साथ सिर्फ आपके तीन साहबजादों के कोई न बचा,*

यह तीन साहबजादें

•हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)

•हजरत अली असगर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) और

•इमाम जैनुल आबिदीन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) थे,

*🌼☘👉हजरत इमाम जैनुल आबीदीन तो बिमार थे और हजरत अली असगर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) अभी शीर ख्वार (दुध पीते) ही थे, हजरत अली अकबर की उम्र शरीफ 18 बरस की थी,हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने जब देखा की अब सिवाए मेरे तीन बच्चों के और कोई बाकी न रहा तो आपने खुद मैदान मे जाने का फैसला कर लिया और सवारी मंगवाई हथीयार बदन पे आरास्ता फरमायें और रूखस्त के वास्ते खेमे के अंदर तशरिफ लाये और सब को सब्र की तलकीन की,हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) यह मंजर देखकर इमाम के कदमो पर गिरे और अर्ज करने लगे : ‘अब्बाजान! खुदा वह दिन न दिखाये जबकी आप मेरे सामने शर्बते शहादत नोश फरमाये, आप मेरे होते हुए मैदान मे क्यों तशरिफ ले जाते है??’ मुझे इजाजत फरमाइये मै जाता हुं,*

_🌹🍃👉हजरत इमाम ने फरमाया : ‘ऐ अली अकबर! किस दिल से तुझे मरने की इजाजत दुं? किन आंखो से तुझको जख्मों से चुर चुर देखूं’हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने इमाम को कसमें देना और रोना शुरू किया, आखिर हजरत इमाम ने इजाजत दे दी, और अपने हाथ से उनके बदन पर हथियार लगाये जिरह पहनाई अमामा सर पर रखा पटका कमर पर बांधा और घोड़े पर बैठा दिया, अहले बैत रकाब से आकर लिपट गये, इमाम ने सबको हटा कर फरमाया : “जाने दो की सफरे आखिरत है”_

*(📔तनकीहुश शहादतैन, सफा-197,)*

*_❤सबक🍃 : हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) बड़े ही साबीर व शुक्र और इस्तिकलाल के मालीक थे की 18 साल के अपने लख्ते जिगर को अल्लाह की राह मे कुरबान होने के लिये खुद अपने हाथों तैयार फरमाते है और शिकवा शिकायत का कोई लफ्ज तक नही लाते…!!_*

*​​🔖पोस्ट न.3⃣1⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌺💫हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) की शहादत🌺💫_*

*_🌸🇨🇳👉हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के साहबजादें हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जब मैदान मे तशरिफ लाए तो दुश्मन के लशकर मे एक सन्नाटा छा गया,हजरत अली 18 साल की उम्र शरिफ रखते थे और शक्ल व सुरत मे हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के बहुत मुशाब: थे अपका हुश्न व जमाल व जलाल देखकर दुशमन मुतहय्यर हो गये, हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) मैदान मे पहुंचे और रिज्जख्वानी करने लगे आपके सामने कोई न आया तो आपने खुद ही दुशमन के लशकर पर हमला कर दिया और दुशमन को तितर बितर कर दिया, देर तक लड़ते रहे और फिर प्यास लगने की वजह से हजरत इमाम की खिदमत मे हाजीर हुए और प्यास का जिक्र किया,_*

*हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने उनके चेहरे का गर्द व गुबार साफ करके रसुलल्लाह (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की अंगुठी उनकी मुंह मे डाल दी जिसके चुसने से उन्हे तसकीन हुई, फिर मैदान मे आये अकसर को जहन्नम भेजा, फिर आप एक मर्तबा हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के हुजुर आये और प्यास का जिक्र तो हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने उस वक्त रोकर फरमाया की : ‘जाने पिदर! गम न खा अनकरीब तुम हौजे कौसर पर सैराब होगे,*

हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) यह बशारत सुनकर फिर मैदान की तरफ तशरिफ लाये और दुशमन के लशकर मे घुंसकर बहुतो को जहन्नम पहुंचाया…..

*​​🔖पोस्ट न.3⃣2⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌺🇨🇳हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) की शहादत-2,🌺🇨🇳_*

*📃☝इस पोस्ट को समझने के लिये (पोस्ट-31) पढ़ लिजीये…*

*_🍁✨👉फिर आप एक मर्तबा हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के हुजुर आये और प्यास का जिक्र किया तो हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने उस वक्त रोकर फरमाया की : ‘जाने पिदर! गम न खा अनकरीब तुम हौजे कौसर पर सैराब होगे, हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) यह बशारत सुनकर मैदान की तरफ तशरीफ लाये और दुशमनों के लशकर मे घुसकर बहुतों को जहन्नम पहुचाया……!!_*

*🌷☘👉जब दुशमन ने देखा की युं आप पर काबु नही पा सकते तो उन्होंने आपको चारो तरफ से घेर लिया, एक जालीम इब्ने नुमैर ने आपको एक ऐसा नेजा मारा की आपकी पुश्ते मुबारक से पार हो गया, आप घोड़े से गिर गये, उस वक्त आपने हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को पुकारा और फरमाया : ‘या अब्बाजान! अपने अली अकबर की खबर लिजीये,*

_🌹🍃👉हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने अपने लख्ते जिगर की यह अवाज सुनी तो आप दौड़े, मैदान मे जाकर देखा की अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जख्मो से चुर जमीन पर गीरे हुए है,हजरत इमाम ने वहां बैठकर बेटे का सर अपने जाने पर रखा और फिर…._

•होश आया चंद साअते कामील के बाद जब,

देखा की मिट रही है शहीबे रसुले रब..!!

आंसु बहा के रख दिये बेटे के लब पे लब,

फरमाया बेटा छोड़ के जाते हो मुझको अब..!!

दिल से गले लिपटने की हसरत निकाल लो,

बाहें उठा के बाप के गर्दन मे डाल लो..!!

अकबर ने आंखे खोल के देखा रूखे पिदर,

गालो पे अश्क, आंखो से टपके इधर उधर..!!

फरमाया शह ने जानु पे रखकर सरे पिसर,

रोते हो किस लिये भला ऐ गैरते कमर..!!

यां से उठा के आले मयम्बर मे ले चलुं,

गमे मां का है तो आओ तुम्हे घर मे ले चलुं..!!

*🌼🍃👉हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने आंखे खोलकर कहा : “अब्बाजान! वह देखीये दादाजान! दो प्याले शर्बत के लिये खड़े है और मुझे एक दे रहे है, मै कहता हुं की मुझे दोनो दिजीये की बहुत प्यासा हुं, वह फरमाते है कि एक तु पी दुसरा तेरे बाप हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के लिये है की वह भी बहुत प्यासा है यह प्याला वह आकर पियेगा, यह कहा और आप वही राही-ए-जन्नत हो गये…!!*

•इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजीऊन•

(सच्ची हिकायत, पेज-385-386, हिकायत-334, )

*_सबक :- हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने मैदाने करबला मे बहुत बड़ा इम्तिहान दिया और आपने उस इम्तिहान मे बहुत बड़ी कामयाबी हासील की…!!_*

*​​🔖पोस्ट न.3⃣3⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌸☝यतीम🌸☝_*

_🌷☘👉हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के साहबजादे हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने जब जामे शहादत नोश फरमा लिया तो हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) तंहा रह गये, सिर्फ हजरत इमाम जैनुल आबीदीन बाकी रह गये या अली असगर मगर जैनुल आबीदीन बीमार थे और हजरत अली असगर शीर ख्वार,इसलिये हजरत इमाम ने खुद मैदान मे जाने की तैयारी फरमायी, आप खेमे के अंदर तशरीफ ले लाये और अहले बैत मे तशरिफ फरमा होकर फरमाया की -_

*_🌹🇨🇳👉”मुसीबत और बला पे सब्र करना तुम्हारे वास्ते बेहतर है, खबरदार! मेरे बाद तुम चाहे कैसी मुसीबत व बला मे मुब्तला हो मगर मेरे गम मे सिर का बाल न नोचना, मुंह पर तमाचे मत मारना, और सीना मत कुटना, मातम मत करना, वाबेला व जारी न करना, यह सब बाते जायज नही, हां कसरते गम से आंसु बहाना मजलुमों और दर्दमंदों का काम है रोना मना नही,फिर आपने हजरत जैनब (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) से फरमाया : “बहन! यह मेरा सकीना मुझे बड़ी प्यारी है और मुझसे मानुस है मेरे बाद इसका ख्याल रखना”,फिर हजरत सकीना (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) से फरमाया : “बेटी! मेरी प्यारी बेटी! आज शाम तक तुम यतीम हो जाओगी”,_*

हजरत सकीना ने यतीम लफ्ज सुना तो

नन्हें से हाथ जोड़कर कहने लगी, ये तिश्ना काम,

फरमाइये कि आज ये आयेगी कैसी शाम..!!

बतलाईये मुझे कि यतीमी है किसका नाम,

आंखों से खुं-बहा के यह कहने लगे इमाम..!!

बेटी! न पुछ कुछ यह मुसीबत अजीम है,

मर जाये जिसका बाप वह बच्चा अजीम है..!!

(तनकीहुश शहादतैन, सफा-200, )

*🌺सबक🍃 :-* _हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) का आखरी वाज मुबारक यह था की मुसीबत और बला के वक्त सब्र व शुक्र का दामन हाथ से छोड़ देना अच्छी बात नही,इसलिये आज भी हर मुसलमान को हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) का यह आखरी वाज मुबारक हर वक्त पेश नजर रखना चाहिये और हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के इरशाद के खिलाफ कोई हरकत न करना चाहिये, यह भी मालुम हुआ की हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने अल्लाह की मुहब्बत पर अपने छोटे बड़े बच्चो की मुहब्बत भी कुरबान कर डाली..!!_

*​​🔖पोस्ट न.3⃣4⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌼☘नन्हा शहीद🌼☘_*

*_🇨🇳💫👉हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के साहबजादे हजरत अली अकबर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) भी जब शहीद हो गये तो हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने अहले बैत को तसल्ली व तशफ्फी देकर खुद मैदान मे आने का इरादा किया, एक बार खेमे से रोने की अवाज सुनी आप खेमे की तरफ फिरे और हाल दर्याफ्त फरमाया तो मालुम हुआ हुआ की हजरत अली असगर प्यास से बेचैन है, छः महीने की उम्र शरिफ मे यह मुसीबत की तीन दिन से भुखे प्यासे है जुबान मुंह के बाहर निकल पड़ी है मछली की तरह तड़प रहे है, हजरत इमाम ने फरमाया : अली असगर को मेरे पास लाओ, हजरत जैनब लेकर आयी, आपने अली असगर को गोद मे लिया और मैदान मे जालीमों के सामने लाकर फरमाया : “ऐ कौम तुम्हारे नजदीक मुजरीम हुं तो मै हुं मगर मेरा यह नन्हा बच्चा तो बेगुनाह है, खुदार तरस खाओ और इस मेरे नन्हे मुसाफीर सय्यद बेकस मजलुम को तो चुल्लु भर पानी पिला दो,_*

•बच्चा है शिर ख्वार तड़पता है प्यास से,

इस पर तो रहम खाओ तकता है यास से..!!

*🌷💫👉ऐ कौम! आज जो मेरे इस नन्हे मुसाफीर को पानी पिलायेगा मेरा वादा है की मै उसे हौजे कौसर पर सैराब करूंगा,हजरत इमाम की दर्दनाक तकरीर सुनकर भी उन जालीमों का दिल नही पसीजा एक जलीम हरमल बिन काहील ने ऐसा तीरा मारा की जो हजरत अली असगर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के हलक मे लगा,हजरत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) की बगल से निकल गया,आह! एक फव्वारा खुन का उस नन्हे शहीद के हलक से चलने लगा, नन्हे शहीद की आंखे अपने वालीद के चेहरे की तरफ तकते रह गयी, इमाम ने बेकरार होकर अपनी जबाने अनवर नन्हें के मुंह मे डाल दी और नन्हें सय्यद ने वहीं अपने अब्बा की गोद मे शहादत पा ली,*

_आप इस नन्हीं से लाश मुबारक लेकर खेमे मे आये और मां की गोद मे देकर फरमाया : “लो! अली असगर भी हौजे कौसर से सैराब हो गये इस नन्ही लाश को देखकर अहले बैत बेकरार हो गये और हजरत की मुबारक आंखो से भी आंसु जारी हो गये,_

●इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजिऊन●

(सच्ची हिकायत, पेज-388-389, हिकायत नम्बर-336, )

*_🌸सबक 🍃:-_* यजीदी जुल्म की इंतिहा तक पहुंच चुके थे और रहम व शफकत से उनके दिल बिलकुल खाली थे, फिर ऐसे लोग खुदा की रहमत के उम्मीदवार कैसे हो सकते है…!!

*​​🔖पोस्ट न.3⃣5⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_❤🇨🇳हजरत शहराबानो का ख्वाब❤🇨🇳_*

*_📃🌼👉मैदाने करबला मे शबे अशुरा हजरत शहराबानो ने एक ख्वाब देखा की एक नुरानी सुरत मुकद्दस खातुन हो जो बड़ी परिशन नजर आ रही है करबला के जमीन साफ कर रही है।, हजरत शहराबानो ने इन मुकद्दस खातुन से दर्याफ्त फरमाया की आप कौन है..?? और इस क्यों साफ कर रही है..??तो उन्होंने फरमाया :-_*

•बेटी सुन मै फातिमा हुं बिन्ते शाहे मशरिकैन,

सुबह इस मकतल मे लेटेगा मेरा हुसैन..!!

इसलिये मै झड़ती हुं करबला की यह जमीं,

उसके जख्मो मे न चुभ जाये कोई कंकर कही..!!

(तनकीहुश शहादतैन, सफा-100, )

*_🌷सबक ☘:-_* *हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) की शहादत का आपकी वालीदा हजरत खातुने जन्नत (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) को इल्म था, कब्रे अनवर मे तशरिफ फरमा होकर भी अपने बेटे के इस इम्तिहान मोलाहीजा फरमा रही थी,चुकीं मां थी इसलिये अपने लख्ते जिगर के मसाइब का मुतअस्सिर थी,फिर जिन जालीमों ने हजरत इमाम को इस कद्र सताया उन्होंने हजरत फातीमा (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) की किस कद्र नराजगी मोल ली…!!*

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*​​🔖पोस्ट न.3⃣6⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌹😟अलविदा🌹😟_*

*_🏔😕👉मैदाने कर्बला में दसवीं मुहर्रम को जब हज़रत इमाम के जुमले अहबाब व अक़ारिब शहीद हो गए तो हज़रत इमाम हुसैन रादियाल्लाहु अन्हु ने खुद पोशाक बदली क़बाए मिस्री पहनी। अमामा ऐ रसूल खुद बांधा सर पर हमजा और जुल्फिकार हैदर करार लेकर जुलजन्ह पर सवार होकर इरादा मैदान का किया इतने में हज़रत के साहब जादे हज़रत अली ओला यानि हजरत इमाम जैनुल आबेदीन रदी अल्लाहु अन्हु उस वक़्त बीमार थे और नतवानी से उठ नहीं सकते थे। बड़ी मुश्किल से असा थामे हुए जौफ़ के बाइस लडखडाते हज़रत इमाम के पास आके अर्ज़ करने लगे के अब्बा जान ! मेरे होते हुए आप क्यों तशरीफ़ ले जा रहे हो। मुझे भी हुक्म दीजिये के में भी लड़ कर दर्जा ए शहादत हासिल कर लू। और अपने भाइयो से जा मिलु हज़रत इमाम ये गुफ्तगू सुनकर आब्दीदा हो गए और इरशाद फ़रमाया ए राहत जान हुसैन तुम ख़ैमाँ अहले बैत में जाकर बेठो । और कसद शहादत न करो बेटा । रसूल मक़बूल सल्ललाहु तआला अलैहि वसल्लम की नस्ल तुम्हारे जीने ही से बाकि_*

*🇨🇨💫👉रहेगी और क़यामत तक मुंकत’अ ना होगी। हज़रत इमाम का ये इरशाद सुनकर साहबजादे खामोश हो रहे फिर हज़रत इमाम ने उनको नसीहत व वसीयत करके तमाम इलमू जाहरि व बातिनी और और राज इमामत से आगाह फ़रमाया जो तरीका तालीम सीना बा सीना रसूल मक़बूल रदी यल्लाहु अन्हु से जरी हुआ था। सब उसी वक़्त उन पर मुंकाशिफ् फरमा दिया और फिर आप खेमा के अंदर तशरीफ़ लाये और अहले बैत की तरफ मुखातिब होकर हर एक से अल्विदाइ कलाम फ़रमाया जिसका नक़्शा शायर ने यु खींचा है के…..*

अलविदा ऐ अहले बैत मुस्तफा

अलविदा आले पेयम्बर अलविदा

फिर गले लिपता के आबिद से कहा

ऐ मीरे बीमार दिलबर अलविदा

जैनब व कुलसूम से ये फिर कहा

अब है तुम से भी बिरादर अलविदा

बोले फिर बाली सकीना से हुस्सैन

ऐ मेरी मजलूम दुखतर अलविदा

शहर बानो से यही कहते थे शाह

ऐ मराई गमख्वार मुज़्तर अलविदा

बस खुद हाफिज तुम्हारा दोस्तों

साबिर व मजलूम मुज़्तर अलविदा

*(📔तनकीह उल शहादतेंन, सफा 78)*

_*🌷सबक☘:- हज़रत इमाम जैनुल आबेदीन बीमारी के आलम में भी जज्बा ऐ शहादत की तड़प का इजहार फरमाते है फिर जो उनका नाम लेवा होकर तंदुरुस्ती के आलम में भी नमाज तक के राह न जाये। तो वो किस क़दर ग़ाफ़िल है? और ये भी मालूम हुआ के हज़रत इमाम जैनुल आबेदीन की बीमारी में ये हिक़मत मुजमीर थी की आपके वजूद से नस्ल मुस्तफा की बका थी।*_

*​​🔖पोस्ट न.3⃣7⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🦁🍃शेर का हमला🦁🍃_*

_*🌺☘👉हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के जब अहबाब व अकारीब सब शहीद हो गये तो हजरत इमाम खुद मैदान मे तशरीफ लाये और पहले कुछ रिज्जिया अशआर पढ़े फिर लशकर इब्ने सअद से इत्मामे हुज्जत के लिये बहुत कुछ फरमाया, मगर वह जालीम न माने और बहरहाल लड़ने पर आमादा हुए सब अपनी तलवारें और नेजे चमका कर बढ़े, हजरत इमाम ने जुल्फिकार म्यान से निकाली और दुश्मनों पर हमला कर दिया, अल्लाह! अल्लाह! यह हमला क्या था अल्लाह के शेर का हमला था, जो आपके मुकाबले मे आया उसे सीधा जहन्नम मे पहुंचा दिये, सैकड़ों जफाकारों से लड़े और सैकड़ो को जहन्नम मे पहुंचा दिया,*_

*जिस तरफ निगाह पलटी # सफ___की___सफ उलट दी :-*

●चली शाहे दीं की गर्ज जुल्फिकार,

न पैदल रहा सामने न सवार..!!

यहां तक किया जालीमों को हलाक,

छुपाया लईनों ने मुंह जेरे खाक..!!

दिए रन को पलटे दम ब दम,

शुजाअत ने भी आ के चुमे कदम..!!

दिलेर ऐसा है और न कोई होग कोई,

सुना आज तक न देखा कोई..!!

हजारों की कूश्तों के पुश्त बंधे,

तो जिन्दों के जानो के लाले पड़े..!!

सुनो! उस दिलावर की यह है शान,

कि रूस्तम की भी रुह कुरबान..!

(📔तनकीह, सफा-80, )

*_🌷सबक☘ : हजरत इमाम आली मकाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) बड़े ही बहादुर व शुजा दिलेरी और शेर के बेटे शेर थे…!!_*

*​​🔖पोस्ट न.3⃣8⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🇨🇳💫आखरी दिदार🇨🇳💫_*

*_🌺🇨🇳��हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जब मैदान मे तशरीफ लाये तो जुरअत व शुजाअत के वह जौहर दिखाये की मलाइका भी अश अश हो उठे, इतने मे एक शख्स इब्ने कुतबा शामी सामने आया और कहने लगा की ऐ हुसैन! तमाम अहबाब व अकारीब को हलाक करा चूके मगर अभी लड़ाई की हवस बाकी है तुम अकेले हजारो का मुकाबला कैसे कर सकोगे..??_*

*🍁🍃👉हजरत इमाम ने फरमाया : “तुम लोग मुझसे लड़ने आये हो या मै तुमसे?? तुमने मेरा रास्ता बंद किया है और तुमने मेरे अहबाब व अकारीब को कत्ल किया अब मुझे सिवाए लड़ाई के क्या चारा है?? ज्यादा बाते न बना और सामने आ यह फरमाकर आपने एक नारा मारा की तमाम लश्कर थर्रा गया वह जालीम बदहवास हो गया और हाथ पैर न हिला सका, इमाम ने तलवार मारकर सिर उड़ा दिया फिर फौज पर हमला किया तो सब भागने, लगे इब्ने असतह नामी एक यजीदी पुकार उठा : ऐ नमर्दो! अब तक तन बाकी रह गया है उससे भाग रहे हो?? ठहरो मै इसके मुकाबले को जाता हुं, यह कहकर इमाम के सामने आया और तलवार मारने को उठाई, हजरत इमाम ने पहले ही तलवार उठाकर उसके दो टुकड़े कर दिये, फिर हजरत इमाम ने फरात पर जाने का इरादा फरमाया,*

_🌹🇨🇳👉शिमर ने पुकार कर कहा : “ऐ लश्करीयों! हुसैन को हरगीज पानी न पिने देना अगर उसने पानी पि लिया तो फिर किसी को जिन्दा न छोड़ेगा, बस सबने हजरत इमाम पर हमला कर दिया,हजरत इमाम तलवार खिचकर फरमाते हुए सिर उड़ाते हुए और सफों को तितर बितर फरमाते हुए फुरात के पास जा पहुंचे घोड़ा पानी मे डाला चुल्लु मे पानी पीना चाहा की मक्कारों ने पुकारकर कहा की हुसैन तुम यहां पानी पी रहे हो वहां खेमा लुट रहा है, इमाम ने फौरन पानी फेककर खेमे की तरफ चले राह मे कई को जहन्नम पहुंचाया, खेमे के पास आकर देखा तो किसी को न पाया, मक्कारो की यह चाल थी, फिर खेमे के अंदर तशरिफ ले गये और अहले बैत से फरमाया : “चादरें ओढ़ो, जजा व फजा न करो मुसीबत पर सब्र करो मेरे यतीमों को अराम से रखना, फिर इमाम जैनुल आबिदीन को सीने से लगाकर पेशानी को चुमा और फरमाया : बेटा! जब मदीने पहुंचों तो मेरे दोस्तो को मेरा सलाम कहना और मेरी जानीब से मेरा पैगाम देना की जब तुममें कोई रंज व बला मे मुब्तला हो तो मेरा रंज व बला याद करे, जब कोई पानी पिये तो मेरी प्यास याद करे, हजरत इमाम अपना यह आखरी दिदार देकर फिर मैदान मे तशरीफ ले आये…!!_

*(📔तजकिरा, सफा-90,)*

*_🌹सबक☘ : हजरत इमाम की जुरअत व हिम्मत और आपका अज्म इस्तिकलाल (साबीत कदम रहना) क्यामत तक के मुस्लमानों के लिये मिसाल बन गया, अजीज व अकारीब की जुदाई भुगमख और प्यास और जालीमों के मुतवातिर जुल्म व सितम के बावजुद आपके जज्बा–ए–सादका मे जर्रा बराबर भी फर्क न आया हर हाल मे आपने अल्लाह तआला का शुक्र ही अदा किया शरिअत के खिलाफ हर हरकत से अखिर दम मना फरमाया…!!_*

*​​🔖पोस्ट न.3⃣9⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌺☘क्यामत🌺☘_*

*_📔पार्ट :- 1_*

*🌸💫👉हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जब खेमे मे अपना आखरी दिदार देकर मैदान मे फिर तशरिफ लाये तो यजीदीयों ने यकबारगी पर हमला कर दिया, आपने भी डटकर उनका मुकाबला फरमाया, मगर जालीमों ने इस कद्र हमले किये की हजरत के तन अनवर जख्मो से चुर हो गया आपके घोड़े मे भी चलने की ताकत न रही, हजरत इमाम एक जगह खड़े हो गये, एक जदअद नामी खबीस शख्स ने बढ़कर आपको तलवार मारी आपने उसका हाथ पकड़कर ऐसा झटका दिया की उसका हाथ कांधे से जुदा हो गया, हजरत इमाम उस वक्त सबको उम्मीद भरी निगाहों से देख रहे थे, गोया यह ख्याल फरमा रहे थे की इतनो मे कोई गमगुसार (गम दुर करने वाला) नही है।, सब ही खुन के प्यासे है।,*

*_❤🍃👉आखिरकार उन जालीमो ने दुर ही से तीर मारना शुरू किये की एक जालीम का तीर आपकी नुरानी पेशानी पर आकर लगा खुन एक एक फुव्वार जारी हुआ आपने वह खुन चुल्लु मे लेकर मुंह पर मला और फरमाया कल क्यामत के दिन इसी हाल मे अपने नानाजान! के पास जाऊंगा और अपने मारने वालों का शिकायत करूंगा,इस वक्त हजरत इमाम के तने अनवर पर 72 जख्म नेजे और तलवार को आ चुके थे, जिनकी वजह से आप बहुत निढ़ाल सो चुके थे, और किब्ला रू होकर अपने मौला को याद कर रसे थे और अर्ज कर रहे थे :-_*

●या रब गनी बंदा है एक बंदा-ए-मोहताज,

तेरे ही इनायत से हुआ खल्क का सरताज,

सर नजर को लाया है दरबार मे गुलाम आज,

है हाथ तेरे मौला मेरे आज मेरी लाज..!!

●हंगामे तरद्दुद है, मदद किजीए मौला, वह तोहफा–ए–दुरवेश न रद्द किजीए मौला..!!

•कहता नही कुछ और यह काबे का मुसाफिर,

इक जां है सो कुरबान है, इक सर है सो हाजीर,

अब तक मै तेरी राह मे हुं साबीर व शाकीर,

बेकस पे करम किजीए मौला दमे आखिर..!!

•सीने पर मेरे जानु ए कातील न गिरां हो,

खंजर के तले नाम तेरा विर्दे जुबां हो..!!

•वाकीफ नही इस मरहला ए सअब से शब्बीर,

तकदीर पे राजी हुं मे ऐ मालिके तकदीर,

प्यास हुं कई रोज से बेकस व दिलगीर,

इन खुश्क रगों मे कही रूक जाये न शमशीर..!!

•मुजतर्र मेरा होना खलल अंदाजे अदब हो,

तड़पुं बशरियत से जो उस दम तो गजब हो..!!

•आई है यह निदां कान मे फिर शाहे हुदा के,

रहमत तुझे ऐ बंदा ए मकबुले खुदा के,

सह सब्र से और शुक्र से सब तीर जफा के,

ले ताजे शहादत मेरी सरकार मे आके..!!

•गमखीन न हो हम तुझको बहुत शाद करेंगे,

जेरे दमे खंजर तेरी इमदाद करेगें..!!

*🌼🇨🇳👉इतने मे एक जालीम का तीर आपके हलक मे आकर लगा, जरआ इब्ने शुरैक ने आपके दस्ते मुबारक पर और शिमर ने आपके गले मुबारक पर तलवार मारी, और सनन इब्ने अनस ने पुस्त मुबारक पर नेजा मारा,*

•तकदीर व कजा से नही जब भी कोई चारा,

नेजा किसी जालीम ने पसे पुश्त से मारा,

तब रूहे नबी बोली उठा चैन हमारा,

इस तेगे अलम से जिगर व दिल है दोपारा..!!

*हजरत इमाम इन मुतवातिर जर्बो से चकाराकर घोड़े से गिर पड़े….!!*

इन्शा अल्लाह बाकी अगले पोस्ट मे…..

*​​🔖पोस्ट न.3⃣9⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌺☘क्यामत🌺☘_*

*_📔पार्ट :- 2_*

*आया यह वक्त किब्ला–ए–हाजते दीन पर,*

*काबे को ढ़ाया संगदिलो ने जमीन पर..!!*

*_🌹💫👉उस वक्त दोपहर ढ़ल चुकी थी और नमाजे जुहर का वक्त था, हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) ने उस वक्त भी उस सुरत मे नमाज को अदा किया की गिरते हुए मुंह किब्ले की तरफ किया घोड़े पर क्याम थे और गश से झुके तो रुकु था और जब जमीन पर गिरे तो सिर के बल वह सज्दे का मकाम था, इतने शिमर आया और आपके सिने मुबारक पर बैठ गया, इमाम ने आंखे खोलकर पुछा तु कौन है?? उसने बताया की मै शिमर हुं।,फरमाया : जरा सिना खोलकर दिखा, उसने सिना खोला तो दाग सफेद नजर आया, आपने फरमाया : सच फरमाया नानाजान! ने रात को ख्वाब मे की तेरे कातिल के निशान यह है, वही निशान तुझमे मौजुद है फिर आपने फरमाया : ऐ शिमर! तु जानता है आज कौन सा दिन है, कहा जुम्मा का,फरमाया : वक्त कौन सा है??_*

कहा खुत्बा पढ़ने और नमाजे जुमा अदा करने का,

*🌸☘👉फरमाया इस वक्त खातिब मिम्बर पर खुत्बा पढ़ते होंगे और उनके नवासे के साथ यह सुलूक कर रहा है जहां रसुलल्लाह (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) बोसा दिया करते थे, तु वहां खंजर फेरना चाहता है।, देख इस वक्त मै अपनी दाहिनी तरफ जकरिया मासुम, और बायी तरफ यहया मासुम को दैख रहा हुं।, ऐ शिमर! जरा मेरे सिने से हट की वक्ते नमाज है मै किब्ला रूख होकर नमाज पढ़ुं नमाज पढ़ते मे जो चाहे करना की नमाज मे जख्मी होना मेरे बाप की मीरास है शिमर आपके सिने से उतरा और इमाम किब्ला रूख होकर नमाज मे खुदा से राज व न्याज मे मशगुल हुए, शिमर ने हजरत इमाम आली मकाम का सज्दे ही मे दस मुहर्रम हिजरी साठ को जुमे के दिन 56 साल पांच माह की उम्र शरिफ मे सर तन से जुदा कर दिया….!!*

●इन्ना लिल्लाहि व इन्ना इलैहि राजीऊन●

डुबा शफक मे जब माहताबाने मुस्तफा,

यानी हुसैन इब्ने अली जाने मुस्तफा,

बादे खजां थी और गुलिस्ताने मुस्तफा,

जब गिर पड़ा जमीन पे वह जाने मुस्तफा..!!

•खुद मुस्तफा ने फर्शे जमीन से उठा लिया,

और फातिमा ने गले से लगा लिया..!!

आया जो वक्ते जुहर तो सज्दा अदा किया,

तन पे खुद देखे जख्म तो शुक्रे खुदा किया,

तय आपने तमाम मकामे रजा किया,

दुशमन ने जबकी सर का बदन से जुदा किया..!!

•खुद मुस्तफा ने फर्शे जमीन से उठा लिया,

और फातिमा ने गले से लगा लिया..!!

खुं से भरा हुआ जो बदन का लिबास था,

हुर व मलक को देखकर उसे दिल उदास था,

पर शाहे करबला को न मुतलक हरास था,

जिस दम गिरे जमीन पे तो कोई न पास था..!!

•खुद मुस्तफा ने फर्शे जमीन से उठा लिया,

और फातिमा ने गले से लगा लिया..!!

*(📔तजकिरा सफा-89-94, तनकीह, सफा-12-112, )*

*_🇨🇳सबक☘ : हजरत इमाम मजलुम पर जिस कद्र जलिमों ने जुल्म व सितम किया आपने उसी कद्र सब्र व शुक्र का मुजाहिरा फरमाया, आपने हर हाल मे अल्लाह की याद की और खुदा को किसी वक्त भी फरामोश नही फरमाया, आखिरी वक्त जबकि आपका तने अनवर जख्मो से चुर था जिसकी वजह से आप निढ़ाल हो चुके थे उस वक्त भी आपको नमाज का ख्याल रहा, नमाज ही की हालत मे जामे शहादत नोश फरमाया, फिर जो लोग हट्टे कट्टे होकर भी कभी नमाज नही पढ़ते और जो भांग चरस, स्मैक, शराब पीने के शौकीन है और खिलाफे शरा हरकतों के फिदाई है ऐसे लोग किस मुंह से हजरत इमाम आली मकाम से किसी निस्बत का दम भर सकते है???_*

*हमे भी चाहिये की हजरत इमाम आली मकाम के प्यारे तरीके को सामने रखें, फिस्क व फुजुर के खिलाफ हो जाये, आलाए कलिमतुल हक की खातीर बातिल के मुकाबले मे डट जाये? अल्लाह की याद किसी हाल मे भी तर्क न करे, नमाज के इस कद्र आदी बन जायें की बड़ी से बड़ी तकलीफ मे भी न छुट सके..!!*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣🅾*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌷🍃उम्मुल मोमीनीन का ख्वाब🌷🍃_*

*_🌹💫👉एक बिबी फरमाती है मै उम्मुल मोमीनीन हजरत सलमा (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) के यहां गयी तो देखा की उम्मुल मोमीनीन रो रही है, मैने पुछा आप क्यों रो रही है तो फरमाया : मैने रसुलल्लाह (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को ख्वाब मे देखा है आपके सरे अनवर और रीशे मुबारक पर गर्द व गुबार है मैने अर्ज किया या रसुलल्लाह! यह क्या बात है??_*

*आपने फरमाया की : “मै अभी अभी करबला से आ रहा हुं आज मेरे हुसैन को कत्ल कर दिया गया है..!!*

*(📔तिर्मिजी शरिफ, जिल्द-2, सफा-218)*

*🍁सबक :☘* हजरत इमाम की शहादत के वक्त हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) शहादत गाह मे मौजुद थे, अपने साहबजादे के इस अजीम इम्तिहान को आपने खुद मुलाहीजा फरमाया, मालुम हुआ की हमारे हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) जिन्दा है और उम्मत के जुमला व आमाल व अफआल और हालात से बाखबर है…

*​​🔖पोस्ट न.4⃣1⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌺🍂फरेबी🌺🍂_*

*_🌸💫👉12वीं मुहर्रम को इब्ने सअद अहले बैत इजाम को ऊंटो पर बिठाकर और शहीदों के मुबारक सरो को लेकर कुफे को रवाना हुआ, जब यह लोग कुफा के करीब पहुंचे, इब्ने ज्याद को इसकी खबर हुई तो उसने तमाम शहर मे ऐलान करा दिया की कोई शख्स हथियार लेकर घर से बाहर न निकले, फौज का पहरा लगा दिया की कोई शख्स फितना व फसाद न कर सके, लोग सुनकर देखने को दौड़े और अहले बैत को कैद मे देखकर और शहीदों के सिरों को देखकर रोने लगे,_*

*हजरत इमाम जैनुल आबीदीन ने फरमाया : “ऐ रोने वालो! तुम लोग तो हम पर रोने वाले हो फिर वह कौन है जिन्होंने कत्ल किया है??*

*(📒तजकिरा, सफा-97, )*

*_🌼सबक☘ : हर रोने वाला सच्चा नही होता, बाज वक्त जालिम अपना जुल्म छुपाने को मजलुम का हामी बन जाता है यह उसका फरेब है…_*

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣2⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🇨🇳🌹जिन्दा हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु)🇨🇳🌹_*

*_🌼💫👉हजरत जैद इब्ने अकरम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जो एक सहाबी है फरमाते है की जब कुफी हजरत इमाम के सर को गली कुचे मे फिरा रहे थे तो मै अपने घर की खिड़की मे बैठा था, जब सरे अनवर मेरे करीब आता तो मैनें सरे अनवर को यह आयत पढ़ते हुए सुना :-_*

*_🌷तर्जमा : क्या तुम्हे मालुम हुआ की पहाड़ की खोह और जंगल के किनार वाले हमारी एक अजीब निशानी थे??_*

*🌺☘👉मेरे बदन कै रौंगटे खड़े हो गये और मैनें अर्ज किया : ऐ इब्ने रसुलल्लाह! बखुदा आपका किस्सा इससे ज्यादा तअज्जुब खेज है।, फिर जब इब्ने ज्याद के पास लाकर नेजों से सर उतारे गये तो हजरत इमाम के लबे मुबारक हिल रहे थे, लोगो ने कान लगाकर सुना तो यह आयत तिलावत फरमा रहे थे:-*

_🌸तर्जमा : तुम अल्लाह को उससे गाफील न समझो जो जुल्म करते है।,_

*(📔तजकीरा, सफा-98,)*

*_🍁सबक 🍃: अल्लाह पाक की राह मे जान देने वाले मरते नही बल्कि जिन्दा रहते है, शहीदों की जिन्दगी पर कुरआन गवाह है,चुनांचे अल्लाह तआला फरमाता है:-“यानी जो लोज अल्लाह की राह मे कत्ल हों उन्हे मुर्दा मत कहो, लिहाजा हजरत इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जिन्दा है और जिन्दा रहेंगे.._*

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣3⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🇨🇳💫अजीज इब्ने हारून🇨🇳💫_*

*_📃🌷👉करबला के कैदी और शहीदों के सरों को चंद दिन कुफा मे रखने के बाद इब्ने ज्याद ने फौज के साथ दमिश्क रवाना किया, दमिश्क जाते हुए यह काफीला हलब के पास आकर एक पहाड़ के निचे उतरा उस पहाड़ पर एक कस्बा था इस कसबे के सरदार का नाम अजीज इब्ने हारून था, यह यहुदी था,रात को हजरत शहरबानो (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) की लौड़ी शीरीं ने रोकर अर्ज किया की अगर इजाजत हो तो जो कुछ मेरे पास बचा है इसे बेचकर इस पहाड़ी कस्बे से आपके वास्ते कुछ कपड़ा खरीद लाऊं??बीबी साहीबा ने उसके इस इसरार पर इजाजत दे दी, शीरीं पहाड़ पर गयी और कस्बे का दरवाजा बंद पाकर खटखटाया, कस्बे का सरदार अजीज इब्ने हारून ने खुद आकर दरवाजा खोला और शीरी का नाम लेकर पुकारा, शीरी ने सलाम किया, वह बड़ी ताजीम के साथ शिरी को अपने साथ ले गया, शीरी ने पुछा आपने मेरा नाम कैसे जान लिया??_*

*🍁💫👉उसने जवाब दिया की मै अभी अभी ख्वाब मे हजरत मुसा और हजरत हारून अलैहिस्सलाम को परिशान हाल मे देखकर पुछा तो उन्होंने फरमाया :-*

*🌹☘👉तुझे मालुम नही की नबी आखीरूज्जा मुहम्मद (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के नवासे हजरत हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को शहीद कर दिया गया है उनका सर लोग शाम के लिये जा रहे है और आज रात इस पहाड़ के नीचे ठहरे है।,*

*मैनें अर्ज किया : क्या मुहम्मद (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को जानते है और मानते है??*

_फरमाया : “ऐ अजीज! वह सच्चे रसुल है उनके बारे मे अल्लाह ने हम सब पर अहद किया है हम उन पर इमान लाये है, जो उन पर इमान न लायेगा ओ दोजख मे जायेगा”,_

*मैनें अर्ज किया की : ज्यादा कुछ यकीन करने के लिये मुझसे कुछ बताइये,*

_तो उन्होंने फरमाया : किले के दरवाजे पे जाकर खड़े हो जाओ शीरी नाम के एक लौंडी दरवाजा बजायेगी उसकी बात मानना उसी की बअस तु मुस्लमान होगा, जब सरे हुसैन के पास पहुंचे तो हमारा सलाम कहना वह सलाम का जवाब देंगे,,,_

*चुनांचे : ख्वाब से चौककर फौरन दरवाजे पे आया की तुने दरवाजा बजाया,*

शीरी ने सारा किस्सा आकर बीबी साहिबा को बताया, यह किस्सा सुनकर सब अहले बैत परिशान हुए।,

सुबह अजीज इब्ने हारून यजीदीयों को कुछ रिशवत देकर अहले बैत के पास आया हर एक के लिये किमती जोड़ा लाया और हजार दिनार इमाम जैनुल आबिदीन को नज्र करके मुस्लमान हो गया, फिर इमाम के हुजुर हाजीर होकर हजरत मुसा व हारून अलैहिस्सलाम का सलाम अर्ज किया तो सरे अनवर ने सलाम का जवाब दिया…!!

*(📔तजकिरा, सफा-102, )*

*_🌷सबक📃 : अल्लाह वालो का फैज दुनियां से जाने के बाद भी जारी रहता है जैसे की यहुदी मुस्लमान हुआ हमारे हजरत हुसैन का भी फैज जारी है…_*

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣4⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌸🍃गिरजे का पादरी🌸🍃_*

*_🌹☘👉शहीदों के सर और असीराने करबला (करबला के कैदी) को लेकर जब यजीदी लशकर दमिश्क को जाते हुए रात के वक्त एक मंजील पर पहुंचा तो वहां एक बड़ा मजबुत गिरजा नजर आया, यजीदीयों ने सोचा की रात का वक्त है इसे गिरजे मे रहना अच्छा रहेगा, गिरजे मे एक बुढ़ा पादरी रहता था शिमर ने उस पादरी से कहा की हमलोग रात तुम्हारे गिरजे मे गुजारना चाहते है।,_*

*पादरी ने पुछा तुम कौन हो और कहां जाओगे??*

शिमर ने बताया की हम इब्ने ज्याद के सिपाही है, एक बागी और उसके साथियों के अहले व अयाल को दमिश्क ले जा रहे है।,

*पादरी ने पुछा : वह सर जिसे तुम बागी का सर बता रहे हो ओ कहां है??*

शिमर ने दिखाया तो सर को देखकर पादरी पर एक हैबत तारी हो गयी, और कहने लगा की तुम्हारे साथ बहुत से आदमी है और गिरजे मे इतनी जगह नही इसलिये तुम सरो और कैदीयों को तो गिरजे मे रखो और खुद बाहर रहो, शिमर ने इसे गनीमत समझा की सर और कैदी महफुज रहेंगे,

*🍁💫👉चुनांचे : इमाम के सर को एक संदुक मे बंद करके गिरजे की एक कोठरी मे और अहले बैत को गिरजे के एक मकान मे रख गया, आधी रात के वक्त पादरी को कोठरी के रौशनदानों मे से कुछ रौशनी देखी फिर थोड़ी देर बाद देखा की छत फटी और हजरत खदीजा (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) दुसरे अजवाजे मुत्तिहरात के साथ हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) तशरीफ लाये है, संदुक खोलकर सरे अनवर को देखने लगे फिर थोड़ी देर बाद अवाज सुनी की ऐ बुड्ढ़े पादरी झांकना बंद कर की खातुने जन्नत तशरिफ लाती है पादरी यह अवाज सुनकर बेहोश हो गया, और फिर जब होश आया तो आंखो पर पर्दा पड़ा देखा, मगर यह सुना की कोई रोते हुए युं कह रहा है:-*

•अस्सलामु अलैकुम ऐ मजलुम! गम न कर मै दुशमन से तेरा इंतेकाम लुंगी और खुदा सै तेरा इंसाफ चाहुगी.!

*पादरी फिर बेहोश हो गया और फिर होश मे आया तो कुछ न पाया,

बेहद मुश्ताक होकर कोठरी का ताला तोड़ कर अंदर गया संदुक का ताला तोड़ा और सरे अनवर को निकालकर मुश्क व गुलाब से धोकर मुसल्ले पर रखा सामने हाथ जोड़कर खड़े होकर अर्ज की ऐ सरदार! मुझे मालूम हो गया है की आप उनमे से है जिनका वस्फ (तारीफ, खुबी) तौरैत व इंजील मे मैने पढ़ा है, लिजीये गवाह हो जाइये मै मुस्लमान होता हुं।

चुनांचे : वही कलिमा पढ़कर मुस्लमान हो गया…!!

*(📔तजकिरा, सफा-105,)*

*_🌷सबक ☘: अल्लाह तआला की राह मे कुरबान होने वाला अवाम व ख्वास होता है, यह अल्लाह वाले बजाहिर दुनियां से तशरिफ ले जाते है लेकीन काम उनका बदस्तुर जारी रहता है।,यह भी मालुम हुआ की इमाम आली मकाम ने विसाल शरिफ के बाद भी ईसाइयों को मुस्लमान किया, फिर किस कद्र अफसोस का मकाम है की उनके नाम लेवा आज खुद ही ईसाइयों की सुरत व सिरत अपनाने लगे है…!!_*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣5⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_💌📯ढ़ोल बाजे💌📯_*

*_🌸🍃👉असीराने करबला और शोहदाए करबला के सरों को लेकर जब यजीदी लशकर दमिश्क पहुंचे और यजीद को इल्म हुआ तो उसने तमाम शहर सजवाने और अहले शहर को खुशियां मनाने और घर से बाहर आकर तमशा देखने का हुक्म दिया, यजीदी खुशीयां बनाने लगे,एक सहाबी–ए–रसुल हजरत सहल (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) तिजारत के लिये शाम आये हुए थे वह दमिश्क के करीब एक कस्बे से गुजरे तो आपने देखा की तमाम लोग खुशी करते ढोल और बाजे बजाते है, उन्होंने एक शख्स से खुशी मनाने की वजह पुछी तो लोगो ने बताया की अहले इराक ने सरे हुसैन यजीद को हदीया भेजा है।, तमाम अहले शाम इसकी खुशी मना रहे है।,हजरत सहल ने एक आह भरी और पुछा की सरे हुसैन कौन से दरवाजे लायेंगे??_*

*कहा : बाबुस्साअ: से, आप उसकी तरफ दौड़े और बड़ी दौड़ धुप के बाद अहले बैत तक पहुंच गये, आपने देखा की एक सर मुशाबा सरे रसुल (यानी रसुलल्लाह सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की तरह) नेजे पर चढ़ा है जिसे देखकर आप बे इख्तियार रो पड़े, अलहे बैत मे से एक ने पुछा की तुम हम पर क्यों रो रहे हो??*

*_उन्होंने पुछा आपका नाम क्या है??_*

फरमाया : मेरा नाम सकीना बिन्ते हुसैन है,

*_🌹💫👉उन्होंने फरमाया : मै आपके नाना का सहाबी हुं मेरे लायक जो खिदमत हो फरमाइये,फरमाया : मेरे वालीद के सरे अनवर को सबसे आगे करा दो ताकी लोग उधर मुतवज्जह हो जायें और हम से दुर रहे, उन्होंने चार सौ दिरहम देकर सरे अनवर मसतुरात से दुर कराया,_*

*_(📔तजकीरा, सफा-107,)_*

*_🌷सबक ☘:- मुहर्रम मे ढोल बजाना यजीदियों की सुन्नत है…!!_*

*📮जारी रहेगा इन्शा अल्लाह…✍🏼*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣6⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌼🍃गुस्ताख🌼☘_*

*_🌺🍃👉शोहदा के सर और करबला के कैदी जब दमिश्क मे दाखिल हुए तो यजीद ने दरबार आरास्ता किया और तमाम रूऊसा और सरदाराने ममलिकात को जमा किया, फिर सबको दरबार मे बुलाया जब लाये गये तब कैदीयों को एक तरफ ठहराया और सरों को अपने सामने मंगवाकर हर एक को देखा और हाल पुछना शुरू किया, हालात सुनकर देर तक चुपका सर नीचे किये रहा, फिर हुक्म दिया की सरे इमाम तश्त मे रखकर हमारे सामने लाओ, जब तश्त मे सरे मुबारक लाया तो अपने हाथ की लकड़ी से इमाम के लब व दंदान छुकर बोला की यह हुसैन के लब है??_*

*”🌹🍃👉यह देखकर एक सहाबीए रसुल इब्ने जुन्दब (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) जो उस वक्त वहां तशरिफ फरमा थे, बोले की तु उस जगह को लकड़ी से छु रहा है जिस जगह मैने बारहा हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) को बोसा देते देखा है, यजीद ने यह सुनकर उन्हें मजलीस से निकाल दिया..!!*

*_(📔तजकिरा, सफा-100, )_*

*_🇨🇳सबक🍃 : यजीद फासीक व फाजीर बेअदब गुस्ताख था, उसे हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की निस्बत का कुछ भी पास न था,_*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣7⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌷💫फरेब का रोना🌷💫_*

*_🌺🍃👉जिस वक्त अहले बैत इमाम का काफीला कुफा से दमिश्क मे आकर दरबारे यजीद मे पेश हुआ तो यजीद की औरत हिन्दा बेताब दरबारे यजीद मे चली आयी, यजीद ने दौड़कर उसके सर पर कपड़ा डाल दिया और कहा : ऐ हिन्दा! तु फरजंदे रसुल पर नौहादारी (रोना, पिटना, मातम करना) कर इब्ने ज्याद, लईन ने इनके मामले मे जल्दी की, हलाकी मै इनके कत्ल पर राजी न था..!!_*

*(📔जियाउल उयुन खुलासतुल-मसाइब फैसला-ए-शरइआ, सफा-50,)*

*🌼सबक ☘: यजीद और उसके घर वालों का यह सारा फरेब था की खुद ही कत्ल कराए और फिर इंकर कर दिया…*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣8⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🇨🇳🍃नक्कारा_ए_खुदा🇨🇳🍃_*

*🌹☘👉असीराने करबला जब दरबारे यजीद मे पेश किये गये तो हजरत इमाम जैनुल आबिदीन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) को देखकर यजीद ने पुछा : यह कौन है??*

बताया गया यह अली इब्ने हुसैन है।,

*🌺बोला मैने तो सुना था की वह मारे गये??*

बताया गया की हुसैन के तीन लड़के थे अली अकबर, अली असगर मारे गये है यह अली औसत (मझलें) है यह बिमारी की वजह से बच रहे और गिरफ्तार करके लाये गये,

*यजीद हजरत इमाम जैनुल आबिदीन को बुलाकर अपने लड़के के पास बिठाया और कहा : ऐ अली! मेरा लड़का तेरे बराबर है क्या तुम उससे मुकाबला कर सकते हो??*

*_🌷फरमाया एक एक तलवार दोनो को दे दे और मुकाबला देख ले, इतने नक्कारा__ए__यजीद बजा, यजीद के बेटे ने बड़े फख्र से कहा की यह नौबत मेरे बाप की नाम की बजी है या तेरे बाप के नाम की,??_*

इतने मे मोअज्जिन ने अजान दी, हजरत इमाम ने जवाब दिया, देख! वह देख मेरे बाप-दादा के नाम की नौबत बजी तो क्यामत तक युंही बजती रहेगी, तेरे बाप-दादा की नौबत चंद रोज बज कर बंद हो जायेगी,

यह जवाब सुनकर यजीद का लड़का ला जवाब हो गया और हाजीरिन भी हैरान हो गये..!!

*(📔तजकीरा, सफा-113, तनकीह-131,)*

*_🌼सबक 💫:- हुसैन और अहले बैत इमाम (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के नाम लेवा क्यामत तक बाकी रहेंगे और यजीद का कोई नाम तक लेने को तैयार नही,मालुम हुआ की जुल्म जालिम को मिटा देता है, शब्र व शुक्र साबिर को खुदाई भर मे और खुदा का मकबुल बना देता है…!_*

*​​🔖पोस्ट न.4⃣9⃣*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌺☘दमिश्क की जामे मस्जिद मे🌺☘_*

*_🌷☘दरबारे यजीद मे हजरत इमाम जैनुल आबिदीन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) पेश किये गये तो यजीद ने हजरत इमाम से कहा की ऐ इब्ने हुसैन! तुम्हे कोई हाजत हो तो तलब करो,_*

*🍁☘शहजादे ने फरमाया की एक हाजत रखता हुं की मेरे बाप के कातिल को मेरे हवाले कर ताकी अपने हाथ से कत्ल करूं,*

यजीद ने यह बात मानने से इंकार किया,

फिर हजरत ने फरमाया :-

•अच्छा तो सरे इमाम मेरे हवाले कर ताकी तने अकदस से मिलाकर दफन करूं,

*यजीद ने कहा : यह मंजुर है, यजीद ने कहा की और कुछ??

•फरमाया की मुझे इजाजत दे की अहले बैत को लेकर मदीना चला जाऊ,

*यजीद ने कहा : यह भी मंजुर है और कुछ,

•फरमाया : कल जुमा है मुझे इजाजत दे की मिम्बर पर जाकर खुत्बा पढ़ुं।,

*🌼यजीद ने कहा : यह ख्वाहीश भी तुम्हारी पुरी कर दी जायेगी कल खुत्बा तुम्ही ही पढ़ाऊंगा,*

*🌹चुनांचे दुसरी रोज यजीद ने न चाहते हुए भी हजरत इमाम को खुत्बा पढ़ने की इजाजत दे दी,उस रोज मस्जिद मे लोगों का इस कदर हुजुम था की किसी को जगह न मिलती थी, हजरत इमामजादा मिम्बर पर रौनक अफरोज हुए और अव्वल निहायत फसाहत व बलागत से हम्द व नअत ब्यान की,*

*फिर फरमाया : जो मुझे जानता हो, और जो न जानता हो, अब जाने की मै मुहम्मदुर्रसुलुल्लाह (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) की आंखो का नुर और हसन मुज्तबा हुं, जिन्हे मैदाने करबला मे तीन दिन भुखा प्यासा मजलुम शहीद किया गया, यह सुनकर मस्जिद मे कोहराम पड़ा अहले दमिश्क बेकरार हो गये, यजीद डरा और जल्दी से मोअज्जिन को अजान व इकामत के लिये इशारा किया,*

*मोअज्जिन ने : अल्लाहु अकबर कहा,*

_शहजादे ने फरमाया : हां अल्लाह से बड़ा कोई नही,_

*मोअज्जिन ने कहा : अशहदु अल ला इला ह इल्ललाह!,*

_•शहजादे ने कहा : हां उसकी गवाही दी मेरे गोश्त, बाल और खुन ने,_

*मोअज्जिन ने कहा : अशहदुअन्न न मुहम्मदुर्रसुलुल्लाह!,*

*_🌷💫👉शहजादे ने अपना अमामा उतारकर मोअज्जिन की तरफ फेंका और बोले सर परेशान करके मोअज्जिन से फरमाया,बहक्के मुहम्मद जरा ठहर जा, मोअज्जिन चुप हो गया तो शहजादे ने फरमाया :_*

*🇨🇳💫👉ऐ यजीद! यह मुहम्मद कौन है?? तेरे दादा या मेरे?? अगर तु उन्हें अपना दादा कहेगा तो आम लोग तुझे झुठा कहेंगे और अगर मेरे दादा कहेगा तो मेरे बाप को मजलुम शहीद क्यों किया??, मुझे यतीम किया, अहले बैत को शहर ब शहर फिराया, कैद करवाया, दरबार मे बुलाया, मेरे बाप दादा के दीन मे रखना डाला, बावजुद यह की उनका कलिमा पढ़ता है फिर भी शर्म नही करता है, फिर शहजादे ने लोगो से फरमाया : तुममे से सिवाए मेरे कोई ऐसा है जिसका दादा पैगम्बर हो?? उस वक्त मस्जिद मे शोर व क्यामत बरपा हुआ और लोग रोने लगे, कई लोग बेहोश हो गये, यजीद ने मोअज्जिन को डांटा इकामत पुरी की जाये, नमाज अदा की और फिर लोग बेचैनी दुर करने के लिये एक मजलिसे आम बुलाई और उसमे सबके सामने सरदाराने कुफा को बुलाकर सख्त बुरा भला कहा, गालियां दी उनकी उस हरकत पे खफगी का इजहार किया और कहा : मै तुम पर जब राजी होता की तुम हुसैन को जिन्दा मेरे पास लाते मै उनकी खिदमत मे खुशामद कर लेता, लानत है इब्ने ज्याद पर जिसने यह काम किया…!!*

*(📔तजकिरा, सफा-115, तनकीह, सफा-133, )*

_🌸सबक ☘: यजीद बड़ा चलाक और मक्कार था, की खुद सब करा कर फिर करने वालों पर लानत मलामत भी करने लगा और अपने आप को बेकसुर जाहिर करने लगा…!!_

*​​🔖पोस्ट न.5⃣🅾*

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*🌹जिक्र-ए-हुसैन (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) 📜​*

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*_🌺💫मदीना को वापसी🌺💫_*

# आखरी_पोस्ट ..

*_🇨🇳💫👉यजीद ने अहले बैत को मअ शोहदा के सरों के हजरत नौमन बशीर (रजी अल्लाहु तआला अन्हु) के हमराह मदीना मुनाव्वरा जाने को इजाजत दे दी, नौमन इब्ने बशीर निहायत ताजीम व अदब के साथ अहले बैत को मदीना ले चले, अहले बैत इजाम नौमन इब्ने बशीर की इस खिदमत व ताजीम पर बड़े खुश हुए, और उन्हें दुआए दी,_*

*अहले मदीना को जब अहले बैत को आने की खबर हुई तो हर छोटा बड़ा बेकरार होकर रोता उन्हें लेने के लिए दौड़ा अहले बैत इजाम सबसे पहले रौजा__ए__अकदस पर हाजिर हुए और दर्दनाक आवाजो मे हाय रे नाना का नारा मार कर अर्ज करने लगे या रसुलल्लाह! हम यतीम गरिब मगमुम दरे वाला पर हाजीर है:-*

•या रसुलल्लाह! जरा देखो हमारा हाले जार,

दुश्मन के हाथ से कैसे हुए हम दिलफिगार,

•जो मुसीबत हम पर गुजरी क्या करे उसका ब्यान,

कोई दुनियां मे न होगा इस तरह जार व निसार..!!

*_🇨🇨🍃👉अहले बैत निजाम रो रोकर अपने प्यारे नाना से यह अर्ज हाल कर रहे थे की उम्मुल मोमीनीन हजरत उम्मे सलमा (रजी अल्लाहु तआला अन्हा) एक हाथ मे वह शीशी (जिसमे वह मिट्टी भरी हुई थी जो हुजुर (सलल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने उन्हे देकर फरमाया था की जब मेरा बेटा हुसैन करबला मे शहीद होगा उस दिन यह मिट्टी खुन बन जाएगी, आज वह मिट्टी खुन बन चुकी थी, जिसमे खुन शुदा खाके करबला भरी हुई थी, दुसरे हाथ मे इमाम हुसैन (रजी अल्लाहु अन्हु) की छोटी बेटी का हाथ थामे हुए आयी, अहले बैत ने जो उन्हें देखा और शीशी की खाक को खुन पाया तो और ज्यादा बेकरार हुए,_*

_अलगर्ज! वह वक्त भी क्यामत का नमुना था, मदीना मुनव्वरा मे कोहराम पड़ा था, हर छोटा बड़ा बेकरार और आंखो मे आंसु लिए हुए था…_

*(📔तजकिरा, सफा-116, तनकीह, सफा-136, )*

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