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अजु बिल्लाह मिन शैतान रजी बिस्मिलाहिर रहमान रहीम
अल्लाहुम्मा सल्ले अला सैयदना व मौलाना मोहम्मद वाला आले सैयदना व मौलाना मोहम्मद व बारिक व सल्लिम
बाब नंबर एक हजरत अबू मोहम्मद इमाम जाफर सादिक के हालातो मुनक तारुफ
आपका नाम नामी जाफर साद और कुनियत अबू मोहम्मद है
आपके मुना किब और कराम तों के मुतालिक जो कुछ भी तहरीर
किया जाए बहुत कम है .आप उम्मते मोहम्मदी के लिए सिर्फ बादशाह और हुज्जत नबवी के
लिए रोशन दलील ही नहीं बल्कि सदको तहकीक पर अमल पैरा औलिया कराम के बाग का फल आले
अली ,नबियों के सरदार के जिगर गशा और सही मानों में वारिस नबी भी हैं और आपकी अजमत
और शान के ऐतबार से इन खिता बात को किसी तरह भी
नामनासुकी हैं कि अंबिया सहाबा और अहले बैत के हालात अगर तफसील के साथ लिखे जाएं
तो इसके लिए अलग एक जखीम किताब की जरूरत है इसीलिए हम अपनी तस्नीफ में हसूल बरकत
के लिए सिर्फ इन औलिया कराम के हालातो मुना किब बयान कर रहे हैं जो अहले बैत के
बाद हुए .
और इनमें सबसे पहले हजरत इमाम जाफर सादिक के हालात से शुरू कर रहे हैं
हालात आपका दर्जा सहाबा कराम के बाद ही आता है लेकिन अहले बैत में शामिल होने की
वजह से ना सिर्फ बाबे तरीकत ही में आपसे इरशाद मनकुल है बल्कि बहुत सी रिवायत भी
मरब हैं और इन्हीं कसीर इरशाद में से बाज चीजें बतौर सहादत हम यहां बयान कर रहे हैं
और जो लोग आपके तरीका पर अमल पैरा हैं वह 12 इमामो के मस्लक पर
इमों के तरीकत का कायम मुकाम है और अगर तन्हा आप ही के हालातो मुना किब बयान कर
दिए जाएं दोबारा इमामो के मुना किब का जिक्र तसव्वुर किया जाएगा आप ना सिर्फ
मजमुआ कमाला तो पेशवा ए तरीकत के मशक हैं बल्कि अरबाब जौक और आशिका तरीकत और जह दने
आली मुकाम के मुक्तता भी हैं नीज आपने अपनी बहुत सी तसनी मेराज हाय तरीकत को
बड़े अच्छे पैराय में वाज फरमाया है और हजरत इमाम बाकर के भी कसीर मुना किब
रिवायत किए हैं गलत फहमी का अजला मुसन्निफ फरमाते हैं कि मुझे इन कम
फहम लोगों पर हैरत होती है जिनका अकीदा यह है कि अहले सुन्नत ना उज बिल्लाह अहले बैत
से दुश्मनी रखते हैं जबकि सही मानों में अहले सुन्नत ही अहले बैत से मोहब्बत रखने
वालों में शुमार होते हैं इसलिए इनके अकाय में यह शय दाखिल है कि रसूल खुदा पर ईमान
लाने के बाद इनकी औलाद से मोहब्बत करना लाजिम है है इमाम शाफी पर राफ जियत का
इल्जाम किस कदर अफसोस का मुकाम है कि अहले बैत ही की मोहब्बत की वजह से हजरत इमाम
शाफी को राफी का खिताब देकर कैद कर दिया गया जिसके मुतालिक इमाम साहब खुद अपने ही
एक शेर में इरशाद फरमाते हैं कि अगर अहले बैत से मोहब्बत का नाम रफस है तो फिर पूरे
आलम को मेरे राफी होने पर गवाह रहना चाहिए और अगर बिल फर्ज अहले बैत और और सहाबा
कराम से मोहब्बत करना अरकाने ईमान में दाखिल ना भी हो तब भी इनसे मोहब्बत करने
और इनके हालात से बाख रहने में क्या खर्च वाक होता है इसलिए हर अहले ईमान के लिए
जरूरी है कि जिस तरह वह हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम के मुरा
से आगाही हासिल करता है इसी तरह खुलफा राशिद और दीगर सहाबा कराम और अहले बैत के
मुरा दिब को भी मुरा दिब अफजल ख्याल करें सुन की तारीफ सही मानों में इसी को सुन्नी
कहा जाता है जो हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिश्ता रखने वालों में से
किसी की फजीलत का भी मुनकर ना हो एक रिवायत है कि किसी ने हजरत इमाम अबू हनीफा
रहमतुल्लाह अल से दरयाफ्त किया कि नबीए करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के मुताल कीन में सबसे ज्यादा अफजल कौन है फरमाया
कि बेटियों में हजरत फातिमा जहरा रजि अल्लाह अन्हा बूढ़ों में सिद्दीक अकबर और
हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अन्हो और जवानों में हजरत उस्मान अली रजि अल्लाह ताला
अन्हो और अजवा ज मुतह में हजरत आयशा सिद्दीका रजि अल्लाह ताला अन्हा अजमत
औलिया का इजहार खलीफा मंसूर ने एक शब अपने बेटों को हुकम दिया कि इमाम जाफर सादिक को
मेरे रूबरू पेश करो ताकि मैं इनको कत्ल कर दूं वजीर ने अर्ज किया कि दुनिया को खैर
बात कहकर जो शख्स इलत नशीन हो गया इसको कत्ल करना करीन मस्लत नहीं लेकिन
खलीफा ने गजब नाक होकर कहा कि मेरे हुक्म की तामील तुम पर जरूरी है चुनांचे मजबूरन
जब वजीर इमाम जाफर सादिक रहमतुल्ला अल को लेने चला गया तो मंसूर ने गुलामों को
हिदायत कर दी कि जिस वक्त में अपने सर से ताज उतारूं तो तुम फिल फौर इमाम जाफर
सादिक को कत्ल कर देना लेकिन जब आप तशरीफ लाए तो आपके अजमत जलाल ने खलीफा को इस
दर्जा मुतासिर किया कि वह बेकरार होकर आपके इस्तकबाल के लिए खड़ा हो गया और ना
सिर्फ आपको सदर मुकाम पर बिठाया बल्कि खुद भी मदद बाना आपके सामने बैठकर आपकी हाजत
और जरूरियत के मुतालिक दरयाफ्त करने लगा आपने फरमाया कि मेरी सबसे अहम हाजत और
जरूरत यह है कि आइंदा फिर कभी मुझे दरबार में तलब ना किया जाए ताकि मेरी इबादत और
रियाजत में खलल वाके ना हो चुनांचे मंसूर ने वादा करके इज्जत और एहतराम के साथ आपको
रुखसत किया लेकिन आपके दबदबे का उस पर ऐसा असर हुआ कि लरज बर अंदामम होकर मुकम्मल
तीन शब रोज बेहोश रहा लेकिन बाज रिवायत में है कि तीन नमाज के कजा होने की हद तक
गशी तारी रही बहरहाल खलीफा की यह हालत देखकर वजीर और गुलाम हैरान हो गए और जब
खलीफा से इश्का हाल दरयाफ्त किया तो उसने बताया कि जिस वक्त इमाम जाफर सादिक मेरे
पास तशरीफ लाए तो उनके साथ इतना बड़ा अजदहा था जो अपने जबड़ो के दरमियान पूरे
चबूतरे को घेरे में ले सकता था और वह अपनी जुबान से मुझसे कह रहा था अगर तूने जरा सी
गुस्ताखी भी की तो तुझको चबूतरे समेत निगल जाऊंगा चुनांचे इसकी दहशत मुझ पर तारी हो
गई और मैंने आपसे मुफी तलब कर ली निजात अमल पर मौक है
नसबी रहमतुल्ला अल ने हाजिर खिदमत होकर इमाम जाफर सादिक रहमतुल्ला अल से अर्ज
किया कि आप चूंकि अहले बैत में से हैं इसलिए मुझको कोई नसीहत फरमाए लेकिन आप
खामोश रहे और जब दोबारा दाऊद ताई ने कहा कि अहले बैत होने के तबार से अल्लाह ताला
ने आपको जो फजीलत बख्शी है इस लिहाज से नसीहत करना आपके लिए जरूरी है यह सुनकर
आपने फरमाया कि मुझे यही तो खौफ लगा हुआ है कि कयामत के दिन मेरे जद्दे आला हाथ
पकड़कर यह सवाल ना कर बैठे कि तूने खुद मेरा इतबा क्यों नहीं किया क्योंकि निजात
का ताल्लुक नस से नहीं बल्कि आमाल सालहा पर मौक है यह सुनकर दाऊद ताई को बहुत इबरत
हुई और अल्लाह ताला से अर्ज किया कि जब अहले बैत पर खौफ के गलबा का यह आलम है तो
मैं किस गिनती में आता हूं और किस चीज पर फखर कर सकता हूं निफा से नफरत जब आप
तारीके दुनिया हो गए तो हजरत अबू सुफियान सूरी रहमतुल्लाह अल ने हाजिर खिदमत होकर फरमाया कि मखलूक आपके तारिक दुनिया होने
से आपके फय आलिया से महरूम हो गई है आपने इसके जवाब में मंदर जा जैल शेर पढ़े जिनका
तर्जुमा कुछ यूं है किसी जाने वाले इंसान की तरह वफा भी चली गई और लोग अपने ख्यालात
में गर्क रह गए गो बजहर एक दूसरे के साथ इजहार मोहब्बत वफा करते हैं लेकिन इनके
कुलूब बिछु से लबरेज है जाहिर मखलूक के लिए और बातिन खालिक के
लिए एक दफा आपको बेश लिबास में देखकर किसी ने तराज किया कि इतना कीमती लिबास अहले
बैत के लिए मुनासिब नहीं तो आपने इसका हाथ पकड़कर जब अपनी आस्तीन पर फेरा तो इसको आपका लिबास स्टार्ट से भी ज्यादा खुरदरा
महसूस हुआ इस वक्त आपने फरमाया हाल खलक वहाल हक यानी मखलूक की निगाहों में तो यह
उम्दा लिबास है लेकिन हक के लिए यही खुरदरा है दानिशमंद कौन है एक मर्तबा आपने इमाम
अबू हनीफा से सवाल किया कि दानिशमंद की क्या तारीफ है इमाम साहब ने जवाब दिया कि
जो भलाई और बुराई में इमतियाज कर सके आपने कहा कि यह इमतियाज तो जानवर भी कर लेते
हैं क्योंकि जो इनकी खिदमत करता है उनको इजा नहीं पहुंचाते और जो तकलीफ देता है
इसको काट खाते हैं इमाम अबू हनीफा ने पूछा कि फिर आपके नजदीक दानिश मंदी की क्या
अलामत है जवाब दिया जो दो भलाइयाना को इख्तियार करें और दो बुराइयों में से
मस्लत कम बुराई पर अमल करें किब्र आई रब पर फखर करना तकब्बल
नहीं किसी ने आपसे अर्ज किया कि जाहिरी और बातन फजल कमाल के बावजूद आप में तकब्बल
कब्ब तो नहीं हूं अलबत्ता जब मैंने कब्र को तर्क कर दिया तो मेरे रब की किब्र आई
ने मुझे घेर लिया इसलिए मैं अपने कब्र पर नाजा नहीं हूं बल्कि मैं तो रब की किब्र
आई पर फखर करता हू सबक आमोस वाकया किसी शख्स की दीनार की थैली गुम हो गई तो उसने
आप पर इल्जाम लगाते हुए कहा कि मेरी थैली आप ही ने चुराई है हजरत जाफर रहमतुल्ला अल
ने इससे सवाल किया कि इसमें कितनी रकम थी उसने कहा 2000 दिनार चुनांचे घर ले जाकर
आपने उसको 2000 दीनार दे दिए और बाद में जब उसकी खोई हुई थैली किसी दूसरी जगह से
मिल गई तो इसने पूरा वाकया बयान करके माफी चाहते हुए आपसे र वापस लेने की दरख्वास्त
की लेकिन आपने फरमाया हम किसी को देकर वापस नहीं लेते फिर जब लोगों से इसको आपका
इसम गरामीण बेहद नदा मत का इजहार किया हक
रफाकत एक मर्तबा आप तन्हा अल्लाह जल्ला शन का विरद करते हुए कहीं जा रहे थे कि
रास्ते में एक और शख्स भी अल्लाह जल्ला शाहु का विरद करते हुए आपके साथ हो गया इस
वक्त आपकी जुबान से निकला कि अल्लाह इस वक्त मेरे पास कोई बेहतर लिबास नहीं है
चुनांचे यह कहते ही गैब से एक बहुत कीमती लिबास नमूद हुआ और आपने जेबे तन कर लिया
लेकिन इस शख्स ने जो आपके साथ लगा हुआ था अर्ज किया कि मैं भी तो अल्लाह जल्ला शन
का विरद करने में आपका शरीक हूं लिहाजा आप अपना पुराना लिबास मुझे इनायत फरमा दें
आपने लिबास उतार करर उसके हवाले कर दिया तरीका ए हिदायत किसी ने आपसे अर्ज किया कि
मुझको अल्लाह ताला का दीदार करवा दीजिए आपने फरमाया कि क्या तुझको मालूम नहीं कि
हजरत मूसा से फरमाया गया था कल तारानी तो मुझे हरगिज नहीं देख सकता उसने अर्ज किया
कि यह तो मुझे भी इल्म है लेकिन यह तो उम्मते मोहम्मदी है जिसमें एक तो यह कहता
है कि रानी कल्बी मेरे कल्ब ने अपने परवरदिगार को देखा और दूसरा यह कहता है कि
लम अबर बलम इरादा यानी मैं ऐसे रब की इबादत नहीं करता जो मुझको नजर नहीं आता यह
सुनकर आपने हुकम दिया कि इस शख्स के हाथ पांव बांधकर दरिया ए दजला में डाल दो
चुनांचे जब इसको पानी में डाल दिया गया और पानी ने इसको ऊपर फेंका तो इसने हजरत से
बहुत फरियाद की लेकिन आपने पानी को हुक्म दिया कि इसको खूब अच्छी तरह ऊपर नीचे गोते
दे और जब कई मर्तबा पानी ने गोते दिए और वह लबे मर्ग हो गया तो अल्लाह ताला से आनत
का तालिब हुआ इस वक्त हजरत ने इसको पानी से बाहर निकलवा दिया और हवा दुरुस्त होने
के बाद दरयाफ्त फरमाया कि अब तूने अल्लाह ताला को देख लिया उसने अर्ज किया कि जब तक
मैं दूसरों से आनत का तालिब गार रहा इस वक्त तक तो मेरे सामने एक हिजाब सा था
लेकिन जब अल्लाह ताला से आनत का तालिब हुआ तो मेरे कल्ब में एक सुराख नमूद हुआ और
पहली सी बेकरारी खत्म हो गई जैसा कि बारी ताला का कॉल है कौन है जो हाजत मंद के
पुकारने पर इसका जवाब दे आपने फरमाया कि जब तक तूने सादिक को आवाज दी उस वक्त तक
तू झूठा था और अब कल्बी सुराख की हिफाजत करना इरशाद फरमाया जो शख्स यह कहता है कि
अल्लाह ताला किसी खास शय पर मौजूद है या किसी शय से कायम है वह काफिर है फरमाया कि
जिस मासि से कबल इंसान में खौफ पैदा हो अगर तौबा कर ले तो इसको अल्लाह ताला का
कर्ब हासिल होता है और जब इबादत की इब्तिदा में मामून रहना और आखिर में खुद
बीनी पैदा होना शुरू हो तो इसका नतीजा बाद इलाही की शक्ल में नमूद होता है और जो
शख्स इबादत पर करे वह गुनाहगार है और जो मासि पर इजहार नदा मत करें वह
फरमाबरदार है किसी ने आपसे सवाल किया कि सब्र करने वाले दरवेश और शुक्र करने वाले
मालदार में से आपके नजदीक कौन अफजल है आपने फरमाया सब्र करने वाले दरवेश को
इसलिए फजीलत हासिल है कि मालदार को हम औकात अपने माल का तसव्वर रहता है और दरवेश
को सिर्फ अल्लाह ताला का जैसा कि अल्लाह ताला का कौल है कि तौबा करने वाले ही इबादत गुजार हैं आप फरमाते
हैं कि जिक्र इलाही की तारीफ यह है कि जिसमें मशगूल होने के बाद दुनिया की हर शय
को भूल जाए क्योंकि अल्लाह ताला की जात हर शय का नेम उल बदल है यस बरहम मयशा की
तफसीर के सिलसिला में आपका कौल है कि अल्लाह ताला जिसको चाहता है अपनी रहमत से खास कर लेता है यानी तमाम असबाब व वसाय
खत्म कर दिए जाते हैं ताकि यह बात वाज हो जाए कि अता ए इलाही बिला वास्ता है के बिल
वास्ता फरमाया मोमिन की तारीफ यह है कि जो अपने मौला की तात में हमतन मशगूल रहे
फरमाया कि साहिबे करामत वह है जो अपनी जात के लिए नफ्स को सरकश से आमादा बजंग रहे
क्योंकि नफ्स से जंग करना अल्लाह ताला तक रसाई का सबब है फरमाया कि औसाफ मकबूल में
से एक वस्फ इल्हाम भी है जो लोग दलाल से इल्हाम को बेबुनियाद करार देते हैं वह बद
दीन है फरमाया अल्लाह ताला अपने बंदे में इससे भी ज्यादा पोशीदा है जितना के रात की
तारीख में सयाह पत्थरों पर चोंटी रंगती है फरमाया कि इश्क इलाही ना तो अच्छा है ना
बुरा फरमाया कि मुझ पर रमज हकीकत इस वक्त मुनक शिफ हुए जब मैं खुद दीवाना हो गया
फरमाया नेक बख्ती की अलामत यह भी है कि अकलमंद दुश्मन से वास्ता पड़ जाए फरमाया
कि पांच लोगों की सोहबत से इजत करना चाहिए अव्वल झूठे से क्योंकि उसकी सोहबत फरेब
में मुब्तला कर देती है दोम बेवकूफ से क्योंकि जिस कदर वह तुम्हारी मनफात चाहेगा
उसी कदर नुकसान पहुंचाएगा सोम कंजूस से क्योंकि उसकी सोहबत से बेहतरीन वक्त राय
गा होता है चहारूम बुस दिल से क्योंकि यह वक्त पड़ने पर साथ छोड़ देता है पंजमपट्टी
[संगीत] फरमाया कि अल्लाह ताला ने दुनिया ही में
फिरदौस और जहन्नुम का नमूना पेश कर दिया है क्योंकि आइश जन्नत है और तकलीफ जहन्नुम
और जन्नत का सिर्फ वही हकदार है जो अपने तमाम अमूर अल्लाह ताला के सपुत कर दे और
दोजख इसका मकसद है जो अपने अमूर नफ्स सरकश के हवाले कर दे फरमाया कि अगर दुश्मनों की
सोहबत से औलिया कराम को जरर पहुंच सकता तो फिरौन से आसिया को पहुंचता और अगर औलिया
की सोहबत दुश्मन के लिए फायदा मंद होती तो सबसे पहले हजरत नूह और हजरत की अवाज को
फायदा पहुंचता लेकिन कब्ज और बस्त के सिवा और कुछ भी नहीं है तजार अगरचे आपके फजल और
इरशाद बहुत ज्यादा हैं लेकिन तवाल के खौफ से हसूल सहादत के पेशे नजर इतस के साथ
बयान कर दिए हैं बाब नंबर दो हजरत अवैस करनी रहमतुल्ला
अल के मुना किब हालात आप लील कदर ताबीन और 40 पेशवा में
से हुए हैं हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाया करते थे कि अवैस एहसान और
मेहरबान के तबार से बेहतरीन ताबीन में से है और जिसकी तारीफ रसूल अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम फरमा दें इसकी तारीफ दूसरा कोई क्या कर सकता है बाज औकात जानिबे यमन
रुए मुबारक करके हजूर फरमाया करते थे कि मैं यमन के जानिब से रहमत की हवा आती हुई
पाता हूं तौसीफ हजूर अकरम फरमाते हैं कि कयामत के दिन 70000 मलाइका के आगे जो अवैस
करनी के मानिंद होंगे अवैस को जन्नत में दाखिल किया जाएगा ताकि मखलूक इनको शना करत
ना कर सके सवाय उस शख्स के जिसको अल्लाह इनके दीदार से मुशरफ करना चाहे इसलिए कि
आपने खिलवट नशीन होकर और मखलूक से रूपोशी इख्तियार करके महज इसलिए इबादत और रियाजत
इख्तियार की कि दुनिया आपको बरगुजार तसव्वुर ना करें और इसी मस्लत के पेशे नजर
कयामत के दिन आपकी पर्दा दारी कायम रखी जाएगी हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मेरी उम्मत में एक ऐसा शख्स
है जिसकी शफात से कबीला रबिया मुजर की भेड़ों के बाल के बराबर गुनाहों को बख्श
दिया जाएगा रबिया और मुजर दो कबीले हैं जिनमें बकसर भेड़ें पाई जाती हैं और जब
सहाबा एकराम ने हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पूछा कि वह कौन शख्स है और कहां
मुकीम है तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अल्लाह का एक बंदा है फिर सहाबा के इसरार के बाद फरमाया कि वह वस
करनी रहमतुल्लाह अल है चश्मे बातिन से जियारत हुई जब सहाबा ने पूछा कि क्या वह
कभी आपकी खिदमत में हाजिर हुए हैं आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कभी
नहीं लेकिन चश्मे जहरी के बजाय चश्म बातन से इसको मेरे दीदार की सहादत हासिल है और
मुझ तक ना पहुंचने की दो वजू हैं अव्वल गलबा हाल दोम ताजी में शरीयत क्योंकि इसकी
वालिदा मोमिना भी है और जैफो नाबी ना भी और अवैस शत्र बानी के जरिया इनके लिए मुश
हासिल करता है फिर जब सहाबा ने पूछा कि क्या हम इनसे शरफे नयाज हासिल कर सकते हैं
तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया नहीं अलबत्ता उम्र अली से इनकी
मुलाकात होगी और इनकी शनातन पर बाल हैं और हथेली के बाएं पहलू पर एक दिरहम के बराबर
सुफैद रंग का दाग है लेकिन वह बर्स का दाग नहीं लिहाजा जब इनसे मुलाकात हो तो मेरा
सलाम पहुंचाने के बाद मेरी उम्मत के लिए दुआ करने का पैगाम भी देना फिर जब सहाबा ने अर्ज किया कि आपके पैरान का हकदार कौन
है तो फरमाया अवैस करनी रजि अल्लाह ताला अन्हो मुकाम ताबेई और इश्तियाक सहाबा दौरे
खिलाफत राशिद में जब हजरत उमर और हजरत अली कूफा पहुंचे और अहले यमन से इनका पता
मालूम किया तो किसी ने कहा मैं इनसे पूरी तरह तो वाकिफ नहीं अलबत्ता एक दीवाना
आबादी से दूर अरफात वादी में ऊंट चराया करता है और खुश्क रो इसकी गिजा है लोगों
को हंसता हुआ देखकर खुद रोता है और रोते हुए लोगों को देखकर खुद हंसता है चुनांचे
जब हजरत उमर और हजरत अली जब वहां पहुंचे तो देखा कि हजरत अवैस नमाज में मशगूल हैं
और मलायका इनके ऊंट चरा रहे हैं फरात नमाज के बाद जब इनका नाम दरयाफ्त किया तो जवाब
दिया कि अब्दुल्लाह यानी अल्लाह का बंदा हजरत उमर ने फरमाया कि अपना असली नाम
बताइए आपने जवाब दिया कि अवैस है फिर जब हजरत उमर ने फरमाया कि अपना हाथ दिखाइए
उन्होंने जब हाथ दिखाया तो हुजूर अकरम की बयान करदा निशानी को देखकर हजरत उमर ने
दस्त बोसी की और हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का लिबास मुबारक पेश करते हुए सलाम
पहुंचाकर उम्मते मोहम्मदी के हक में दुआ करने का पैगाम भी दिया यह सुनकर अवैस करनी
ने अर्ज किया कि आप खूब अच्छी तरह देखभाल फरमा लें शायद वह कोई दूसरा फर्द हो जिसके
मुतालिक हजूर ने निशानदेही फरमाई है हजरत उमर ने फरमाया कि जिसकी निशानदेही फरमाई
है वह आप में मौजूद है यह सुनकर अवैस करनी ने अर्ज किया कि ऐ उम्र तुम्हारी दुआ
मुझसे ज्यादा कारगर साबित हो सकती है आपने फरमाया मैं तो दुआ करता ही रहता हूं
अलबत्ता आपको हुजूर की वसीयत पूरी करनी चाहिए चुनांचे हजरत अवैस ने हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का लिबास मुबारक
कुछ फासले पर ले जाकर अल्लाह ताला से दुआ की कि या रब जब तक तु मेरी सिफारिश पर
उम्मते मोहम्मदी की मगफिरत नाना कर देगा मैं सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का लिबास हर नहीं पहनू क्योंकि
तेरे नबी ने अपनी उम्मत को मेरे हवाले किया है चुनांचे गैब की आवाज आई कि तेरी
सिफारिश पर कुछ अफराद की मगफिरत कर दी इसी तरह आप मशगूल दुआ थे कि हजरत उमर और हजरत
अली आपके सामने पहुंच गए और जब आपने सवाल किया कि आप दोनों हजरात क्यों आ गए मैं तो
जब तक पूरी उम्मत की मगफिरत ना करवा लेता इस वक्त तक ये लिबास कभी ना पहनता मुकाम
विलायत खिलाफत से बेहतर है हजरत उमर ने आपको ऐसे कंबल के लिबास में देखा जिसके
नीचे तोंगरी के हजारों आलिम पोशीदा थे यह देखकर आपके कल्ब में खिलाफत से दस्त
बरदारी की ख्वाहिश पैदा हुई और फरमाया कि क्या कोई ऐसा शख्स है जो रोटी के टुकड़े
के बदले में मुझसे खिलाफत खरीद ले यह सुनकर हजरत अवैस ने कहा कि कोई बेवकूफ
शख्स ही खरीद सकता है आपको तो फरोख्त करने की बजाय उठाकर फेंक देना चाहिए फिर जिसका
जी चाहे उठा लेगा यह कहकर हजूर अकरम का भेजा हुआ लिबास पहन लिया और फरमाया कि
मेरी सिफारिश पर बनू रबिया और बनू मजर की भेड़ों के बालों के बराबर अल्लाह ताला ने
लोगों की मगफिरत फरमा दी और जब हजरत उमर ने आपसे हजूर अकरम की जियारत ना करने के
मुतालिक सवाल किया तो आपने इनसे पूछा कि अगर आप दीदार नबी से मुशर्रफ हुए हैं तो
बताइए कि हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अब्र कुशा द थे या घने लेकिन दोनों सहाबा
जवाब से माजू रहे इत्त बाए नबवी में दं दने मुबारक का
तोड़ना हजरत अवैस ने कहा कि अगर आप रसूल करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दोस्तों
में से हैं तो यह बताइए कि जंगे अहद में हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का कौन सा
दात मुबारिक शहीद हुआ था और आपने इतबा ए नबवी में अपने तमाम दांत क्यों ना तोड़
डाले यह कहकर अपने तमाम टूटे हुए दांत दिखाकर कहा कि जब दांते मुबारक शहीद हुआ
तो मैंने अपना एक दांत तोड़ डाला फिर ख्याल आया शायद कोई दूसरा दांत शहीद हुआ
हो इसी तरह एक-एक करके जब तमाम दांत तोड़ डाले उस वक्त मुझे सुकून नसीब हुआ यह
देखकर दोनों सहाबा पर रक्त तारी हो गई और यह अंदाजा हो गया कि पासे अदब का हक यही
होता है गो हजरत अवैस दीदार नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुशर्रफ ना हो सके लेकिन इतबा ए रिसालत का मुकम्मल हक
अदा करके दुनिया को दर् से अदब देते हुए रुखसत हो गए मोमिन के लिए ईमान की सलामती
जरूरी है जब हजरत उमर ने अपने लिए दुआ की दरखास्त की तो आपने कहा कि नमाज में अता
हयात के बाद मैं यह दुआ किया करता हूं ए अल्लाह तमाम मोमिन मर्दों औरतों को बख्श
दे और अगर तुम ईमान के साथ दुनिया से रुखसत हुए तो तुम्हें सुर्खरू हासिल होगी
वरना मेरी दुआ बे फायदा होकर रह जाएगी
वसीयत हजरत उमर ने जब वसीयत करने के लिए फरमाया तो आपने कहा ऐ उमर अगर तुम खुदा
शनास हो तो इससे ज्यादा अफजल और कोई वसीयत नहीं कि तुम खुदा के सिवा किसी दूसरे को
ना पहचानो फिर पूछा कि ऐ उमर क्या अल्लाह ताला तुमको पहचानता है आपने फरमाया हां
हजरत अवैस करनी ने कहा बस खुदा के इलावा तुम्हें कोई ना पहचाने यही तुम्हारे लिए
अफजल है इस्तग हजरत उमर ने ख्वाहिश की कि आप कुछ
देर इसी जगह कयाम फरमाएं मैं आपके लिए कुछ लेकर आता हूं तो आपने जेब से दो दिरहम
निकाल कर दिखाते हुए कहा कि यह ऊंट चराने का मुआवजा है और अगर आप यह जमानत देंगे कि
यह दिरहम खर्च होने से पहले मेरी मौत नहीं आएगी तो यकीनन आपका जो जी चाहे इनायत फरमा
दें वरना यह दो दिरहम मेरे लिए बहुत काफी है फिर फरमाया यहां तक पहुंचने में आप
हजरात को जो तकलीफ हुई उसके लिए मैं मुफी चाहता हूं और अब आप दोनों वापस हो जाएं
क्योंकि कयामत का दिन करीब है और मैं जाद आखिरत की फिक्र में लगा हुआ हूं फिर इन
दोनों सहाबा की वापसी के बाद जब लोगों के कुलूब में हजरत अवैस की अजमत जाग जीन हुई
और मजमा लगने लगा तो आप घबराकर कूफा में सकून पजीर हो गए और वहां पहुंचने के बाद
भी सिर्फ हरम बिन हब्बा के अलावा किसी दूसरे शख्स ने नहीं देखा क्योंकि जब से
हरम बिन हब्बा ने आपकी शफात का वाकया सुना था इश्तियाक जियारत में लाश करते हुए कूफा
पहुंचे बाब नंबर तीन ख्वाजा हसन बसरी रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब तारुफ
आप बा अमल आलिम भी थे और जाहिद मुत्त की भी सुन्नते नबवी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
पर सख्ती से अमल करते और हमेशा खुदा वंदे ताला से डरते रहते थे आपकी वालिदा उम्मल
मोमिनीन हजरत उम्मे सलमा रजि अल्लाह ताला अन्हा की कनीज थी और जब बचपन में आपकी
वालिदा किसी काम में मसरूफ होती तो आप रोने लगते तो उम्मल मोमिनीन आपको गोद में
उठाकर अपनी छातियां आपके मुंह में दे देती और व फूरे शौक में आपके पछता से दूध भी
निकलने लगता अंदाजा फरमाइए कि जिसने उम्मल मोमिनीन का दूध पिया हो उसके मुरा का कौन
इंकार कर सकता है बचपन में सहादत बचपन में आपने एक दिन हजूर अकरम के प्याले का पानी
पी लिया और जब हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दरयाफ्त फरमाया कि मेरे प्याले का पानी किसने पिया है तो हजरत उम्मे सलमा
रजि अल्लाह ताला अन्हा ने कहा हसन ने यह सुनकर हुजूर ने फरमाया कि इसने जिस कदर
पानी मेरे प्याले से पिया है इसी कदर मेरा इल्म इसमें असर कर गया हजूर सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम की दुआ एक दिन हुजूर अकरम हजरत उम्मे सलमा रजि अल्लाह ताला अन्हा के मकान पर तशरीफ लाए तो उन्होंने हसन बसरी
को आपके आगोश मुबारक में डाल दिया इस वक्त हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आपके लिए
दुआ फरमाई और इस दुआ की बरकत से आपको बेपनाह मराब हासिल हुए वजह तस्मिया विलादत
के बाद जब आपको हजरत उमर रजि अल्लाह ताला अन्हो की खिदमत में पेश किया गया तो आपने फरमाया कि इसका नाम हसन रखो क्योंकि यह
बहुत ही खूब है हजरत उम्मे सलमा रजि अल्लाह ताला अन्हा ने जवाब की तरबियत
फरमाई और हमेशा यही दुआ किया करती थी कि ऐ अल्लाह हसन को मखलूक का रहनुमा बना दे
चुनांचे आप यकता ए रोजगार बुजुर्गों में से हुए हैं और 120 सहाबा से शरफे नयाज
हासिल हुआ इनमें से 70 खुए बदर भी शामिल हैं आपको हजरत हसन बिन अली से शरफे बैत
हासिल था और इनसे तालीम भी पाई लेकिन तोहफा के मुसन्निफ लिखते हैं कि आप हजरत
अली रजि अल्लाह ताला अन्हो से बैत थे और इन्हीं के खुलफा में से हुए इब्तिदा दौर
में आप जवाहरात की तिजारत करते थे जिसकी वजह से आपका नाम हसन मोती बेचने वाला पड़
गया एक मर्तबा तिजारत की नियत से रोम गए और जब वहां के वजीर के पास बगर से मुलाकात
पहुंचे तो वह कहीं जाने की तैयार कर रहा था इसने पूछा कि क्या आप भी मेरे साथ चलेंगे फरमाया कि हां चुनांचे दोनों
घोड़ों पर सवार होकर जंगल में जा पहुंचे वहां आपने देखा कि रूमी रेशम का एक बहुत
ही शानदार खैमाह है और इसके चारों तरफ मुसल्ला फौजी तवाफ करके वापस जा रहे हैं
फिर उलमा और बा हशमत लोग वहां पहुंचे और खेमा के करीब कुछ कहकर रुखसत हो गए फिर
हुकमार मुंशी वगैरह पहुंचे और कुछ कहकर चल दिए फिर खूब रू कनीज
जरो जवाहर के थाल सर पर रखे हुए आई और वह भी इसी तरह कुछ कहकर चली गई फिर बादशाह और
वजीर भी कुछ कहकर वापस हो गए आपने हैरत जदा होकर जब वजीर से वाकया मालूम किया तो
उसने बताया कि बादशाह का एक खूबसूरत बहादुर जवान बेटा मर गया था और वही इस
खैमाह है चुनांचे आज की तरह हर साल यहां तमाम लोग आते हैं सबसे पहले फौज आकर कहती
है अगर जंग के जरिया तेरी मौत टल सकती तो हम जंग करके तुझे बचा लेते मगर अल्लाह
ताला से जंग करना मुमकिन नहीं फि उसके बाद हुकमार कहते हैं अगर अकल और हिकमत से मौत
को रोका जा सकता तो हम यकीनन रोक देते फिर उलमा मशक आकर कहते हैं कि अगर दुआओं से
मौत को दफा किया जा सकता तो हम कर देते फिर हसीन कनीज आकर कहती हैं कि अगर हुस्नो
जमाल से मौत को टाला जा सकता तो हम टाल देती फिर बादशाह वजीर के साथ आकर कहता है
कि ऐ मेरे बेटे हमने हुकम तबा के जरिया बहुत कोशिश की लेकिन तकदीर इलाही को कौन
मिटा सकता है और अब आइंदा साल तक तुझ पर हमारा सलाम हो यह कहकर वापस हो जाता है
हजरत हसन ने यह वाकया सुनकर कसम खाई कि जिंदगी भर कभी नहीं हसूंगा और दुनिया से बेजार होकर फिक्र आखिरत में गोशाई
इख्तियार कर ली मशहूर है कि 70 साल तक आप हमा वक्त बावजूद बुजुर्गों में मुमताज हुए किसी
शख्स ने एक बुजुर्ग से दरयाफ्त किया कि हसन बसरी हमसे ज्यादा अफजल क्यों है उन्होंने जवाब दिया कि हसन के इल्म की हर
फर्द को जरूरत है और इसको सवाए खुदा के किसी की हाजत नहीं हजरत राबिया बसरिया का
मुकाम हफ्ता में एक मर्तबा आप वाज कहा करते थे मगर जब तक हजरत राबिया बसरी शरीक
ना होती तो वाज नहीं कहते लोगों ने अर्ज किया कि आपके वाज में तो बड़े-बड़े बुजुर्ग हाजिर होते हैं फिर आप सिर्फ एक
बूढ़ी औरत के ना होने से वाज क्यों तर्क कर देते हैं फरमाया कि हाथी के बर्तन का
शरबत चूंट हों के बर्तन में कैसे समा सकता है है और जब आपको दौरान वाज जोश आ जाता तो
राबिया बसरी रहमतुल्लाह अलह से फरमाते कि तुम्हारे ही जोशो गिरामी का असर है सबक
अमोज जवाबाइकिरण
और मुसलमान जब आपसे दीन की असास के मुतालिक सवाल किया गया तो फरमाया कि तकवा
दीन की असास है और लालच तकवा को जाया कर देता है पूछा गया कि जन्नत अदन का क्या
मफू है इनमें कौन दाखिल होगा फरमाया कि इसमें सोने के मोहल्ला हैं और सवाए नबी
करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सिदकी शोहदा आदिल बादशाह और दीगर अंबिया कराम के कोई
दाखिल नहीं हो सकता सवाल किया गया कि क्या रूहानी तबीब किसी दूसरे का इलाज कर सकता
है फरमाया इस वक्त तक नहीं जब तक खुद अपना इलाज ना कर ले क्योंकि जो खुद ही रास्ता
भूले हुए हो वह दूसरे की रहबरी कैसे कर सकता है फरमाया कि मेरा वाज सुनते रहो
तुम्हें फायदा पहुंचेगा लेकिन मेरी बे अमली तुम्हारे लिए जरर रसा नहीं लोगों ने
अर्ज किया कि हमारे कुलूब तो सोए हुए हैं इन पर आप कवाज क्या असर अंदाज होगा फरमाया
कि ख्वाब द कुलूब को तो बेदार किया जा सकता है अलबत्ता हम मुर्दा दिलों की बेदारी मुमकिन नहीं लोगों ने अर्ज किया कि
बाज जमां के अकवाले हमारे कुलूब में खौफ और
[संगीत]
खुशियली तुमसे करीब तर हो लोगों ने अर्ज किया कि बाज हजरात आपका वाज महज इसलिए याद
करते हैं ताकि तराज कर सके फरमाया कि मैं सिर्फ कुर्बे इलाही और जन्नत का ख्वाहिश
मंद रहता हूं क्योंकि चुटियों से तो अल्लाह ताला की जात भी मुब्रा नहीं इसलिए
मैं लोगों से हरगिज यह तवको नहीं रखता कि वह मुझे बुरा भला कहेंगे अर्ज किया गया कि
बाज अफराद का यह ख्याल है कि दूसरों को नसीहत इसी वक्त करनी चाहिए जब खुद भी तमाम
बुराइयों से पाक हो जाए फरमाया कि इब्लीस तो यही चाहता है कि वह अवाम रो नवाही का
सदे बाब हो जाए लोगों ने पूछा कि क्या मुसलमान को बाजो हसद करना चाहिए फरमाया कि
बरादर यूसुफ का वाकया क्या तुम्हारे इल्म में नहीं है कि बाजो हसद की से ही इन्हें
क्या-क्या नुकसान पहुंचा अलबत्ता अगर हसद में रंजो गम का पहलू हो तो कोई हर्ज
नहीं रियाकारी बायस हलाक है आपके एक इरादत
मंद की यह कैफियत थी कि आयात कुरानी सुनकर बेहोश हो जाता आपने फरमाया कि अपने फेल
में इस अमर को मलूज रखा करो ताकि आवाज ना निकलने पाए क्योंकि आवाज निकलने से
रियाकारी महसूस होने लगती है जो इंसान के लिए बायस हलाक है और अगर किसी पर हाल तारी
ना हो बल्कि वह कसदार कर ले और कोई नसीहत भी इसी पर कारगर ना हो तो वह गुनाहगार है
और जो शख्स कसदार रोता है इसका रोना शैतान का रोना है बेबाक मर्दे खुदा एक मर्तबा
दराने वाज हज्जाज बिन यूसुफ बहना शमशीर अपनी फौज के हमराह वहां पहुंचा इसी महफिल
में एक बुजुर्ग ने अपने दिल में यह ख्याल किया कि आज हसन बसरी का इम्तिहान है कि वह
खड़े होते हैं यह वाज में मशगूल रहते हैं चुनांचे आपने हज्जाज की आमद पर कोई तवज्जो
नहीं की और अपने वाज में मशगूल रहे चुनांचे इस बुजुर्ग ने यह तस्लीम कर लिया कि वाकई आप अपनी खस तों के तबार से इम बाम
सम्मा है क्योंकि अह काम खुदा वंदी बयान करते वक्त आप किसी की परवाह नहीं करते थे
तता में वाज के बाद हज्जाज ने दस्त बोसी करते हुए लोगों से कहा कि अगर तुम मर्दे
खुदा से मिलना चाहते हो तो हसन को देख लो फिर बाज लोगों ने इंतकाल के बाद हज्जाज को
ख्वाब में देखा कि मैदान हश्र में किसी की तलाश में है और जब इससे पूछा गया कि किसकी
जुस्तजू में हो तो कहने लगा मैं उस जलवाए खुदा वंदी का मुतला श हूं जिसको महदीन
तलाश किया करते हैं लोग कहते हैं कि वक्त मर्ग हज्जाज की जुबान पर यह कलमा थे
अल्लाह तू गफार है तुझ से बतर कोई दूसरा नहीं लिहाजा अपनी गफारी एक कम हौसला मुश्त
खाक पर भी जाहिर करके अपने फजल से मेरे मगफिरत फरमा दे क्योंकि पूरा आलम यही कहता
है कि इसकी बख्श हरगिज नहीं हो सकती और यह अजाब में गिरफ्तार है लेकिन अगर तूने मुझे
बख्श दिया तो सबको मालूम हो जाएगा कि यकीनन तेरी शान अल्लाह ताला जिसका इरादा
करते हैं वह करते हैं जब हसन बसरी ने यह वाकया सुना तो फरमाया कि यह बद हसल हसूल
आखरत भी अपनी मर्जी से करना चाहता है मुबल की अजमत हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो
जब वारिद बसरा हुए तो यजन को वाज गोई से मना करते हुए फरमाया तमाम मेंबरों को
तोड़कर फेंक दो लेकिन जब हसन बसरी रजि अल्लाह ताला अन्हो की मजलिस वाज में
पहुंचे तो इनसे पूछा कि तुम आलिम हो या तालिब इल्म आपने जवाब दिया कि मैं तो कुछ
भी नहीं हूं अलबत्ता जो कुछ अहा दीस नबवी से सुना है वो लोगों तक पहुंचा देता हूं
यह सुनकर हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो ने फरमाया कि आपको वाज गोई की इजाजत है और
जब हसन बसरी रहमतुल्लाह अलह को ये इल्म हुआ कि वह हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो थे तो उनके जुस्तजू में निकल खड़े हुए और
एक जगह जब इनसे मुलाकात हो गई तो अर्ज किया कि मुझे वजू का तरीका सिखा दीजिए
चुनांचे एक तस्त में पानी मंगवा करर हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो ने आपको वजू का
तरीका सिखाया और इसी वजह से इस मुकाम का नाम बल तस्त पड़ गया मनकुल है कि किसी
शख्स ने जब आपसे गरिया उ जारी का सबब दरयाफ्त किया तो इसने अर्ज किया कि मैंने
मोहम्मद बिन से सुना है कि रोज एक साहिबे ईमान अपनी गुनाहगार की वजह से बरसों
जहन्नुम में पड़ा रहेगा आपने फरमाया कि काश इसके बदले में मुझे फेंक दिया जाए और
वह महफूज रह जाए क्योंकि मुझे अपने मुतालिक यह तवको नहीं है कि 1000 साल तक
भी छुटकारा हासिल कर सकूं एक रिवायत एक साल बसरा में ऐसा शदीद कहत पड़ा कि दो लाख
अफराद नमाज इतका के लिए बैरून शहर पहुंच गए और एक मेंबर पर हसन बसरी को बिठाकर
ऊपर उठाए हुए दुआ में मशगूल हो गए लेकिन आपने फरमाया कि अगर तुम बारिश के ख्वाहिश
मंद हो तो मुझको शहर बदर कर दो और इस वक्त आपके रोए मुबारक से खुशि के आसार हवे द थे
क्योंकि आप हमेशा मसरूफ गरिया रहते और किसी ने कभी होठों पर मुस्कुराहट नहीं
देखी खौफ आखिरत एक मर्तबा पूरी रात मसरूफ गरिया रहे और जब लोगों ने पूछा कि आपका
शुमार तो साहिबे तकवा लोगों में होता है फिर आप इस कदर दया उ जारी क्यों करते हैं
फरमाया कि मैं इस दिन के लिए रोता हूं जिस दिन मुझसे कोई ऐसी खता होगी कि अल्लाह
ताला बाज पुस करके यह फरमा दे कि ऐ हसन हमारी बारगाह में तुम्हारी कोई वकत नहीं
और हम तुम्हारी पूरी इबादत को रद्द करते हैं एक मर्तबा इबादत खाना के छत पर इस तरह
गरिया कना है कि सैलाब अश्क से परनाला बह पड़ा और नीचे गुजरते एक शख्स पर कुछ कतरे
टपक गए चुनांचे इसने आवाज देकर पूछा क्या यह पानी पाक है या नापाक आपने जवाब दिया
कि बरादर कपड़े को पाक कर लेना क्योंकि यह एक मासि अत का के आंसू हैं दुनिया का
अंजाम आप किसी मुर्दे की तद फीन के लिए कब्रस्तान तशरीफ ले गए और फरात तद फीन के
बाद कब्र के सिरहाने खड़े होकर इस कदर रोए कि कब्र की खाक तक नम हो गई फिर फरमाया कि
जब आखिरी मंजिल ही आखिरत है तो फिर ऐसी दुनिया के ख्वाहिश मंद क्यों हो जिसका अंजाम कब्र है और इस आलम से खौफ जदा क्यों
नहीं जिसकी इब्तिदा मंजिल भी कब्र है गोया तुम्हारी पहली और आखिरी मंजिल कब्र ही है
आपकी नसीहत से लोग इस दर्जा मुतासिर हुए कि शिद्दत गरिया से बेहाल हो गए जियारत
कबू में इबरत है एक मर्तबा लोगों के हमराह कब्रिस्तान में पहुंचकर फरमाया इसमें
ऐसे-ऐसे अफराद मद फून हैं जिनका सर आठ जन्नत के मुसाब नेमतें पाने पर भी ना झुक
सका और इनके कुलूब में इनकी नेमतों का कभी तसव्वुर तक भी ना आया लेकिन मट्टी में
इतनी आरजू एं लेकर चले गए कि अगर इनमें से एक को भी आसमानों तक मुकाबले में रखा जाए
तो वह खौफ जदा होकर पाश पाश हो जाएं तंब बचपन में आपसे एक गुनाह सर्जर हो गया था
आप कभी कोई नया पैरान तैयार करवाते तो इसके गिरेबान पर गुनाह दर्ज कर लेते और
इसी को देखकर इस दर्जा गिरे और जारी करते कि गशी तारी हो जाती नसीहत एक मर्तबा हजरत
उमर बिन अब्दुल अजज ने आपको मकतूब अर साल करते हुए तहरीर फरमाया कि मुझे कोई ऐसी
नसीहत कीजिए जो मेरे तमाम अमूर में मावन हो सके जवाब में आपने लिखा कि अगर अल्लाह
ताला तुम्हारा मावन नहीं तो फिर किसी से भी आमदा की तवको हरगिज ना रखो फिर दूसरे
मकतूब के जवाब में तहरीर फरमाया कि इस दिन को बहुत ही नजदीक समझते रहो जिस दिन
दुनिया फना हो जाएगी और सिर्फ आखिरत बाकी रहेगी
फलसफा ए तन्हाई जब बशर हाफी रहमतुल्लाह अल को ये इल्म हुआ कि हजरत हसन रहमतुल्लाह अल
सफरे हज का कसदार किया कि मेरी ख्वाहिश है कि आपके
हमराह हज करूं आपने जवाब दिया कि मैं मुफी चाहता हूं क्योंकि मेरी ख्वाहिश यह है कि
सिर्फ अल्लाह ताला की सितारी के पर्दे में जिंदगी गुजार दूं और अगर हम दोनों हमराह
होंगे तो एक दूसरे के अयूब यकीनन सामने आएंगे और हम में से हर एक दूसरे को मायू
तसव्वुर करने लगेगा आपने साद बिन जबीर को तीन नसीहत की अव्वल सोहबत सुल्तान से इतना
करो दोम किसी औरत के साथ तन्हा ना रहो ख्वा वो राबिया बसरी ही क्यों ना हो सोम
राग रंग में कभी शिरकत ना करो क्योंकि यह चीजें बुराई की तरफ ले जाने का पेश खेमा
है तबाही मुर्दा दिली में है मालिक बिन दीनार कहते हैं कि जब मैंने आपसे पूछा कि
लोग ग की तबाही किस चीज में पोशीदा है फरमाया कि मुर्दा दिली में मैंने पूछा कि मुर्दा दिली का क्या मफू है फरमाया कि
दुनिया के जानिब रागब हो जाना जिन्नात को तबलीग एक मर्तबा हजरत अब्दुल्लाह नमाज फजर
के लिए हजरत हसन बसरी रजि अल्लाह ताला अन्हो की मस्जिद में तशरीफ ले गए तो अंदर
से दरवाजा बंद था और आप मशगूल दुआ थे और कुछ लोगों के आमीन कहने की सदाएं आ रही थी
चुनांचे मैं यह ख्याल करके शायद आप इरादत मंद होंगे बाहर ही ठहर गया और जब सुबह को
दरवाजा खोला और मैंने अंदर जाकर देखा तो आप तन्हा थे चुनांचे फरात नमाज के बाद जब
सूरते हाल दरयाफ्त की तो फरमाया कि पहले तो किसी से ना बताने का वादा करो फिर
फरमाया कि यहां जिन्नात वगैरा आते हैं और मैं इनके सामने वाज कहकर दुआ मांगता हूं
जिस पर वह सब आमीन आमीन कहते हैं करामत कुछ बुजुर्ग आपके हम बगर से हज रवाना हुए
और इनमें से बाज लोगों को शिद्दत से प्यास लगी चुनांचे रास्ता में एक कुआं नजर पड़ा
लेकिन इस पर रस्सी और डोल कुछ ना था और जब हजरत हसन से सूरते हाल बयान की गई तो
फरमाया कि जब मैं नमाज में मशगूल हो जाऊं तो तुम पानी पी लेना चुनांचे आप नमाज के
लिए खड़े हुए तो अचानक कुएं में से पानी खुद ब खुद उबल पड़ा और सब लोगों ने अच्छी
तरह पयास बुझाई लेकिन एक शख्स ने एहतियातन कुछ पानी कूज में रख लिया इस हरकत से कुएं
का जोश एकदम खत्म हो गया और आपने फरमाया कि तुमने खुदा पर एतमाद नहीं किया यह इसी
का नतीजा है फिर आगे रवाना हुए तो रास्ता में से कुछ खजूर उठाकर लोगों को दी जिनकी
गुठलियों सोने की थी और जिनको फरोख्त करके लोगों ने सामान खुर्दन और सदका भी किया
नियत का असर मशहूर है कि अबू उम्र कुरान की तालीम दिया करते थे कि एक नौ उमर हसीन
लड़का तालीम के लिए पहुंचा और आपने इसको बुरी नियत से देखा जिसके नतीजा में इसी
वक्त पूरा कुरान भूल गए और घबराए हुए हजरत हसन बसरी की खिदमत में हाजिर होकर पूरा
वाकया मनो अन बयान कर दिया आपने जवाब दिया कि आयामे हज में पहले हज अदा करो और हज
अदा करके मस्जिदए खैफ में पहुंच जाओ वहां तुम्हें मेहराब मस्जिद में एक साहिब मसरूफ
इबादत मिलेंगे जब वो इबादत से फराग पा ले तो उनसे दुआ की दरख्वास्त करो अबू उमरू
कहते हैं कि जब मैं मस्जिद में पहुंचा तो वहां एक कसीर मजमा था और कुछ देर के बाद
एक बुजुर्ग तशरीफ लाए तो सब ताजमहल तन्हा रह गए तो मैंने अपना पूरा
वाकया बयान किया चुनांचे इन बुजुर्ग के
तसरफती मुसर्रत से मैं कदम बोस हुआ तो उन्होंने दरयाफ्त किया कि मेरा पता
तुम्हें किस किने बताया मैंने हजरत हसन बसरी का नाम ले दिया यह सुनकर उन्होंने फरमाया कि हसन बसरी ने मुझको रुसवा कर
दिया मैं भी उनका राज फाश करके रहूंगा फरमाया कि जो साहिब जोहर की नमाज के वक्त
यहां थे वो हसन बसरी ही थे जो इसी तरह रोजाना यहां आते हैं और हमसे बातें करके
असर के वक्त तक बसरा पहुंच जाते हैं और हसन बसरी जिसके रहनुमा हो उसको किसी गैर
की हाजत नहीं मनकुल है कि किसी शख्स के घोड़े में कुछ नुक्स हो हो गया और इसने जब
हसन से कैफियत बयान की तो आपने 400 दिरहम में इससे घोड़ा खरीद लिया लेकिन उसी शब
घोड़े के मालिक ने ख्वाब में देखा कि जन्नत में एक घोड़ा 400 मुश्की घोड़ों के
हमराह चलता फिर रहा है उसने सवाल किया कि यह घोड़े किसके हैं तो मलायका ने बताया कि
पहले तो यह सब तुम्हारे थे लेकिन अब हसन बसरी रहमतुल्लाह अलह की मलकीत है व शख्स
बेदार होकर हजरत हसन की खिदमत में पहुंचा और अर्ज की कि आप अपनी रकम लेकर मेरा
घोड़ा वापस फरमा दें आपने फरमाया जो ख्वाब रात तूने देखा है वह मैं पहले ही देख चुका
हूं यह सुनकर वह मायूस वापस हो गया फि दूसरी शब हसन बसरी ने ख्वाब में आलीशान
महल्ला देखकर दरयाफ्त किया कि यह किसके हैं जवाब मिला जो भी बै को तोड़ दे
चुनांचे आपने सुबह को घोड़े के मालिक को बुलाकर बै को तोड़ दिया तरीका दावत ममू
नामी एक आतिश परस्त आपका पड़ोसी था और जब वह मर्जल मौत में मुब्तला हुआ तो आपने
इसके यहां जाकर देखा कि इसका जिस्म आग के धुए से सयाह पड़ गया है आपने तल कीन फरमाई
कि आतिश परस्ती तर्क करके इस्लाम में दाखिल हो जा अल्लाह ताला तुझ पर रहम फरमाए
का इसने अर्ज किया कि मैं तीन चीजों की वजह से इस्लाम से बर्गस्ता हूं अव्वल यह
कि जब तुम लोगों के अकाद में हब्बे दुनियावी बुरी शय है तो फिर तुम इसके की
जुस्तजू क्यों करते हो दोम यह कि मौत को यकीनी तसव्वुर करते हुए भी इसका सामान
क्यों नहीं करते सोम यह कि जब तुम अपने कौल के मुताबिक जलवाए खुदा वंदी के दीदार
को बहुत उम्दा शय तसव्वुर करते हो तो फिर दुनिया में रजाए इलाही के खिलाफ काम क्यों
करते हो आपने फरमाया कि यह तो मुसलमान के अफल किरदार हैं लेकिन आतिश परस्ती में
वक्त जाया करके तुम्हें क्या हासिल हुआ मोमिन ख्वा कुछ भी हो कम अ कम वा यत को तो
तस्लीम करता है मगर तूने 70 साल आग को पूजा है और अगर हम दोनों आग में पड़ेंगे
तो वह हम दोनों को बराबर चलाएगी या तेरी परस्तिश को मलहुर देखेगी लेकिन मेरे मौला
में यह ताकत है कि अगर वह चाहे तो मुझको आग जर्रा बराबर नुकसान नहीं पहुंचा सकती
और यह फरमा करर हाथ में आग उठा ले और कोई असर दस्ते मुबारक पर ना हुआ शमून ने इस
कैफियत से मुतासिर होकर अर्ज किया कि मैं 70 से आतिश परस्ती में मुब्तला हूं अब
आखिरी वक्त क्या मुसलमान होंगा लेकिन जब आपने इस्लाम लाने के बाद दोबारा असरार
फरमाया तो इसने अर्ज किया कि मैं इस शर्त पर ईमान ला सकता हूं कि आप मुझे यह
अहदनामा तहरीर कर दें कि मेरे मुसलमान हो जाने के बाद अल्लाह ताला मुझे तमाम
गुनाहों से निजात देकर मगफिरत फरमा देगा चुनांचे आपने इसी मजमून का इसको एक
अहदनामा तहरीर कर दिया लेकिन इसने कहा कि इस पर बसरा के साहिबे अदल लोगों की शहादत
भी तहरीर करवाइए आपने शहादत भी दर्ज करवा दी इसके बाद शमून सदक दिली के साथ मुशर्रफ
बे इस्लाम हो गया और ख्वाहिश की कि मेरे मरने के बाद आप अपने ही हाथ से गुस्ल देकर
कब्र में उतारें और यह अहदनामा मेरे हाथ में रख दें ताकि रोज महशर मेरे मोमिन होने
का सबूत मेरे पास हो यह वसीयत करके कलमा शहादत पढ़ता हुआ दुनिया से रुखसत हो गया
और आपने इसकी पूरी वसीयत पर अमल किया और इसी शब ख्वाब में दे देख कि शमून बहुत
कीमती लिबास और जरी ताज पहने हुए जन्नत की सैर में मसरूफ है और जब आपने सवाल किया कि
क्या गुजरी तो उसने अर्ज किया कि खुदा ने अपने फजल से मेरी मगफिरत फरमा दी और जो
नामात मुझ पर किए वो ना काबले बयान है लिहाजा अब आपके ऊपर कोई बार नहीं अब अपना
अहदनामा वापस ले ले क्योंकि मुझे अब इसकी कोई हाजत नहीं और जब सुबह को आप बेदार हुए
तो वह अहदनामा आपके हाथ में था आपने अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए फरमाया
ऐ अल्लाह तेरा फजल किसी सबब का मोहताज नहीं जब एक आतिश परस्त के 70 साल आकी
परस्तिश के बाद सिर्फ एक मर्तबा कलमा पढ़ने के बाद मगफिरत फरमा दी तो जिसने 70
साल तेरी इबादत और रियाजत में गुजारे हो वह कैसे तेरे फजल से महरूम रह सकता है
इनकस आप इस कदर मुनक सरल मिजाज थे कि हर फर्द को अपने से बेहतर तसव्वुर करते एक
दिन दरिया दजला पर आपने किसी हब्शी को औरत के साथ मैनो श में मुब्तला देखा कि शराब
की बोतल इसके सामने थी इस वक्त आपको यह तसव्वर हुआ कि क्या यह भी मुझसे बेहतर हो
सकता है क्योंकि यह तो शराबी है इसी दौरान एक कश्ती सामने आई जिसमें सात अफराद थे और
वह गर्क हो गई यह देखकर हब्शी पानी में कूद गया और छह अफराद को एक-एक करके बाहर
निकाला फिर आपसे अर्ज किया कि आप सिर्फ एक ही जान बचा लें मैं तो इम्तिहान दे रहा था
आपकी चश्मे बातिन खुली हुई है या नहीं और यह औरत जो मेरे पास है यह मेरी वालिदा है
और इस बोतल में सादा पानी है यह सुनते ही आप इस यकीन के साथ कि यह कोई गैबी शख्स है
इसके कदमों में गिर पड़े और हब्शी से कहा कि जिस तरह तूने इन छह अफराद की जान बचाई
इसी तरह तकब्बल भी बचा दे उसने दुआ की कि अल्लाह ताला आपको नूर बसीरत अता फरमाए
यानी तकब्बल को दूर कर दे चुनांचे ऐसा ही हुआ उसके बाद आपने अपने आप को कभी किसी से
बेहतर तसव्वुर नहीं किया और यह कैफियत हो गई कि एक कुत्ते को भी देखकर फरमाते कि
अल्लाह ताला मुझे कुत्ते ही के सदका में कबूलियत अता फरमा दे एक शख्स ने सवाल किया
कि कुत्ते से आप बेहतर हैं या कुत्ता फरमाया कि अगर अजाब से छुटकारा हासिल हो
गया तो मैं बेहतर हूं वरना कुत्ता मुझ जैसे सद गुनाहगारों से अफजल है कुछ लोगों
ने आपसे अर्ज किया कि फलां शख्स आपकी गीबत कर रहा है तो आपने बतौर तोहफा इसको ताजा
खजूर भेजते हुए पैगाम दिया कि सुना है तुमने अपनी नेकियां मेरे आमाल नामा में
दर्ज करवा दी हैं मैं इसका कोई मुआवजा अदा नहीं कर सकता सबक अमोज वाक्यात आपने
फरमाया कि जब मैं चार अफराद के मुतालिक सोचता हूं तो हैरत जदा रह जाता हूं अव्वल
मुखन यानी दोम मस्त शख्स सोम लड़का चरम औरत लोगों ने जब वजह दरयाफ्त की तो
फरमाया कि मैंने एक हिजड़े से जब गुरेज करना चाहा तो उसने कहा मेरी हालत का अब तक
किसी को इल्म नहीं आप मुझसे गुरेजा ना हो वैसे आकिब की खबर खुदा को है फिर फरमाया
एक शख्स मस्ती के आलम में कीचड़ के अंदर लड़खड़ा हुआ जा रहा था तो मैंने कहा संभाल
कर कदम रखो कहीं गिरना पड़ना उसने जवाब दिया कि आप अपने कदम मजबूत रखें अगर मैं
गिर गया तो तन्हा गिरंगा लेकिन आपके रा पूरी कौम गिर पड़ेगी चुनांचे मैं इस कॉल
से आज तक मुतासिर हूं फिर फरमाया कि एक मर्तबा एक लड़का चिराग लिए हुए चल रहा था
तो मैंने पूछा कि रोशनी कहां से लेकर आया है इसने चिराग गुल करते हुए कहा कि पहले
आप यह बताएं कि रोशनी कहां मादूपू
कि रोशनी कहां से आई फिर फरमाया एक मर्तबा एक खूबसूरत औरत मुंह खोले हुए नंगे सर
गुस्सा की हालत में मेरे पास आई और अपने शौहर का शिकवा करने लगी मैंने कहा कि पहले
तुम अपना हाथों से मुंह ढापली लेकिन इसने जवाब दिया कि शौहर के इश्क में मेरी अकल
खो गई और अगर आप आगाह ना करते तो मैं इसी तरह बाजार चली जाती और मुझे बिल्कुल महसूस
ही ना होता लेकिन यह अजीब बात है कि अगर आपको इश्क इलाही का दावा भी है और इसकी
रोशनी में आप सबको देखते हैं इसके बावजूद भी आप अपने होशो हवास पर कायम हैं मन कूल
है कि एक मर्तबा आप वाज करके मिंबर से उतरे तो बाज अफराद को रोक कर फरमाया मैं
तो तुम पर तवज्जो डालना चाहता हूं लेकिन इनमें से लेकिन इनमें एक शख्स था जो आपकी
जमात से मुतालिक नहीं था इसको हुकम दिया कि तुम चले जाओ अजहार हकीकत एक मर्तबा
अपने साथियों से फरमाया कि तुम हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सहाबा की तरह हो यह सुनकर सब लोग बहुत मसरूर हुए तो
आपने फरमाया मेरा मकसद यह हरगिज नहीं कि तुम अपने किरदार और आदा में इन जैसे हो
बल्कि तुम्हारे अंदर इनकी कुछ शबाहत पाई जाती है क्योंकि सहाबा की तो यह कैफियत थी
कि तुम इनको देखकर दीवाना तसव्वुर करने लगते और अगर वह तुम्हारी हालत देखते तो
तुम्हें हरगिज मुसलमान तसव्वुर ना करते वह तो बर्क रफ्तार घोड़ों पर आगे चले गए और
हम ऐसे जख्म खुर्दा खतरों पर पीछे रह गए जो जख्मी कमर की वजह से चलने पर कादर नहीं
सब्र का मफू किसी दहका ने जब आपसे सब्र का मफू पूछा तो फरमाया सब्र की दो किस्में
हैं अव्वल आजमाइश और मुसीबत पर सब्र करना दोम इन चीजों से इतना करना जिनसे एतराज
करने का अल्लाह ने हुकुम दिया है बद्दू ने अर्ज किया कि आप तो बहुत बड़े जहद हैं
फरमाया मेरा जहद तो आखिरत की रगत की वजह से है और सब्र बेसब्री की वजह से बदवी ने
कहा कि मैं आपका मफू नहीं समझा फरमाया मुसीबत या अतात खुदा वंदी पर मेरा सब्र
करना सिर्फ नार जहन्नुम के खौफ की वजह से है और इसी का नाम जजा है और मेरा तकवा महज
रगत आखिरत में अपना हिस्सा तलब करने की वजह से है ना कि सलामती जिस्मो जान के लिए
और साबिर वह है जो अपने हिस्सा पर राजी रहते हुए आखिरत की तलब ना करे बल्कि इसका
सब्र सिर्फ जात इलाही के लिए हो क्योंकि इखलास की अलामत यही है
इरशाद फरमाया कि इंसान के लिए जरूरी कि वो नाफ इल्म अकमल इल्म इखलास कनात और सब्र
जमील हासिल करता रहे और जब यह चीजें हासिल हो जाएं तो इसके खर्वी मराब का अंदाजा
नहीं किया जा सकता फरमाया कि भेड़ बकरियां इंसानों से ज्यादा बाख होती हैं क्योंकि
चरवाहे की एक आवाज पर चरना छोड़ देती हैं और इंसान अपनी ख्वाहिश के खातिर अकाम
इलाही की भी परवाह नहीं करता और सोहबत बद इंसानों को नेक लोगों से दूर कर देती है
फरमाया कि अगर मुझको कोई शराब नोशी के लिए तलब करें तो मैं तलब दुनिया से वहां जाने
को बेहतर समझता हूं फरमाया कि मार्फत ममज को तर्क कर देने का नाम है क्योंकि जन्नत
महज अमल से नहीं बल्कि खुलूस नियत से हासिल होती है और जब अहले जन्नत जन्नत का
मुशाहिद करेंगे तो 700 साल तक महब का आलम तारी रहेगा क्योंकि जमाल इलाही का मुशाहिद
करके वहदत में गर्क हो जाएंगे और जलाल इलाही से हैबत तारी हो जाएगी फरमाया कि
फिक्र एक ऐसा आईना है जिसमें नेक को बद का मुशाहिद किया जा सकता है फरमाया कि जो कौल
मस्लत अमेज ना हो इसमें शर पिनहा होता है और जो खामोशी खाली अ फिक्र हो उसको लह और
लब और गफलत से ताबीर किया जाता है फरमाया तौरा में है कि फाने शख्स मखलूक से ज्यादा
नयाज हो जाता है और जिसने ननी इख्तियार कर ली वह सलामत रहा और जिसने
नफ सानी ख्वाहिश को तर्क कर दिया वह आजाद हो गया जिसने हसद से इतना किया उसने
मोहब्बत हासिल कर ली और जिसने सब्र सकून के साथ जिंदगी गुजारी वह सर बुलंद हो गया
फरमाया कि तकवा के तीन मदारिस हैं और अव्वल गैज गजब के आलम में सच्ची बात कहना
दोम इशिया से एतराज करना जिन से अल्लाह ताला ने इतना का हुक्म दिया है सोम अकाम
इलाही पर राजी बरजा होना और कलील तकवा भी 1000 बर्ष के सौमो सलात से अफजल है
क्योंकि आमाल में सबसे बेहतर अमल फिक्र और तकवा है फरमाया कि अगर मेरे अंदर निफा ना
होता तो मैं दुनिया की हर शय से इतना करता और नफाक नाम है जाहिर बातिन में खुलूस
नियत के ना होने का क्योंकि जिस कदर मोमिन गुजर चुके हैं इनमें हर फर्द को अपने अंदर
नफा का खतरा रहता है और मोमिन की तारीफ यह है कि हलीम हो और तन्हाई में इबादत करता
हो फरमाया तीन अफराद की गीबत दुरुस्त है अव्वल लालची दोम फास की सोम बादशाह जालिम
की और गीबत का कफारा अगरचे सिर्फ अस्तगफार ही है लेकिन जिसकी गीबत की है इससे मुफी
भी तलब कर ले फरमाया कि इंसान को ऐसे मकान में भेजा गया है जहां के तमाम हलाल और
हराम का मुहास किया जाएगा फरमाया कि हर फर्द दुनिया से तीन तमन्ना य लिए हुए चला जाता है अव्वल जमा करने के हिर्स दोम जो
कुछ करना चाहता है वह हासिल ना हो सका सोम तोशा आखिरत जमा ना कर सका किसी ने अर्ज
किया फलां शख्स पर नजा तारी है तो फरमाया कि जिस वक्त दुनिया में आया इस वक्त से आज
तक आलिम नजा ही में है फरमाया सबक साज छूट गए और भारी भरकम हलाक हुए क्योंकि जो
दुनिया को महबूब तसव्वुर नहीं करते निजात इन्हीं का हिस्सा है और और असीर दुनिया
खुद को हलाक में डाल देता है और जो नेमत दुनिया पर नाज नहीं होते मगफिरत उनका
हिस्सा है क्योंकि दानिश मंदी वही है जो दुनिया को खैर आबाद कहकर फिक्र आखिरत में
लगा रहे और खुदा शनास लोग दुनिया को अपना दुश्मन तसव्वुर करते हैं जबकि दुनिया शनास
खुदा को अपना दुश्मन समझते हैं फरमाया कि नफ्स से ज्यादा दुनिया में कोई शय सरकश
नहीं और अगर तुम यह देखना चाहते हो कि तुम्हारे बाद दुनिया की क्या कैफियत होगी
तो यह देख लो कि दूसरे लोगों के जाने के बाद क्या नोयता रही फरमाया किस कदर ताज्जुब की बात है कि महज दुनिया की
मोहब्बत में बुतों तक को पूजा जाता है फरमाया तुमसे कबल आसमानी किताबों की ऐसी
वकत थी कि लोग अपनी रातें इनके मानी पर गौर और फिक्र करने में गुजार देते थे और
दिन में इस पर अमल पैरा हो जाते थे लेकिन तुमने अपनी किताब पर जेरो जबर तो लगाए मगर
अमल तरक करके आइश दुनिया में गिरफ्तार हो गए फरमाया कि जो शख्स सेमो जर से मोहब्बत
करता है खुदा ताला इसको रुसवाई अता करता है और जिसके पैरो बेवकूफ लोग हो उसकी
कल्बी हालत दुरुस्त नहीं और जिस चीज की तुम दूसरों को नसीहत करते हो पहले खुद इस
पर अमल पैरा हो जाओ फरमाया कि जो शख्स तुमसे दूसरों के अयूब बयान करता है वह
यकीनन दूसरों से तुम्हारी बुराई भी करता होगा फरमाया कि दीनी भाई हमें अपने अहलो
अयाल से भी ज्यादा अजीज हैं क्योंकि वह दीनी मामलात में हमारे मावन होते हैं हैं
फरमाया कि दोस्तों और मेहमानों पर खराज जात का हिसाब अल्लाह ताला नहीं लेता लेकिन
जो अपने मां-बाप पर खर्च किया जाएगा इसका हिसाब होगा और जिस निमाज में दिल जमी ना
हो वह अजाब बन जाती है किसी शख्स ने जब आपसे खुशु का मफ हूम पूछा तो फरमाया कि
इंसान के कल्बी खौफ का नाम खुशु है किसी ने आपसे अर्ज किया कि फलां शख्स 20 साल से
ना तो औरत के करीब गया और ना किसी से मुलाकात करता है और नमाज बा जमात पढ़ता है
चुनांचे जब आप इससे मुलाकात की गर्ज से पहुंचे तो आपने माफी चाहते हुए अपनी मशगूल का जिक्र किया आपने पूछा आखिर किस चीज में
मशगूल रहते हो उसने कहा मेरा कोई सांस ऐसा नहीं जिसमें मुझको कोई नेमत हासिल ना हुई
हो और मुझसे कोई गुनाह सरज द ना होता हो आपने फरमाया कि तेरी मशगूल मुझसे बेहतर है
किसी ने दरयाफ्त किया कि क्या कभी आपको कोई खुशी हासिल हुई है फरमाया कि एक
मर्तबा मैं अपने इबादत खाना के छत पर खड़ा था और हमसाया की बीवी अपने शौहर से कह रही
थी कि शादी के बाद से 50 साल मैंने सब्र सुकून से तेरे साथ नबाह किया और तुझ से
कभी कोई ऐसी शय तलब नहीं की जिसका तू मुतह ना हो सकता हो ना कभी गुरबत का शिकवा किया
और ना कभी तेरी शिकायत की मगर यह सब कुछ महज इसलिए बर्दाश्त किया कि तू दूसरी शादी
ना कर ले लेकिन अगर तू दूसरी शादी का इरादा रखता है तो फिर मैं इमाम वक्त से
तेरी शिकायत करूंगी मुझे यह बात सुनकर बहुत मुसरत हुई हुई क्योंकि यह कौल कुरान के कतन मुताबिक था जैसा कि फरमाया यानी
बिला शुबह अल्लाह ताला इनको नहीं बख्शे जिन्होंने इसके साथ किसी को शरीक किया और
इनके इलावा जिसको चाहेगा बख्श देगा किसी ने जब आपका हाल दरयाफ्त फरमाया तो फरमाया
कि इनका क्या हाल पूछते हो जो दरिया में हो और शिकस्ता कश्ती के तख्ता पर पानी में
तैर रहे हो आपने कहा यह तो बहुत संगीन सूरत है मेरा तो यही हाल है एक मर्तबा आप
ईद के दिन किसी ऐसी जगह से गुजरे जहां लोग हंसी मजाक और लह और लब में मशगूल थे आपने
फरमाया मैं हैरत करता हूं इन लोगों पर जो हंसी मजाक में मसरूफ होकर अपने हाल को
फरामोश कर देते हैं कोई शख्स कब्रिस्तान में बैठा खाना खा रहा था इसको देखकर आपने
फरमाया यह मुनाफिक है क्योंकि जिसकी नफ सानी ख्वाहिश मुर्दों के सामने भी हरकत
करती है इसको मौत और आखिरत पर यकीन नहीं होता और जो इन दोनों पर यकीन ना करें इसको
मुनाफिक कहते हैं एक मर्तबा आप अल्लाह ताला से मुनाजात कर रहे थे कि ऐ अल्लाह
तेरी नेमतों का शुक्र ना बजा ला सका और इबत की हालत में सबर का दामन छोड़ दिया
लेकिन अदम शुक्र के बावजूद भी तूने अपनी नेमतों से महरूम ना रखा और सबर ना करने पर
भी मुसीबतों का अजला करता रहा वफात दम मर्ग में आप मुस्कुराते हुए फरमा रहे थे
कि कौन सा गुनाह कौन सा गुनाह और यही कहते-कहते रूह परवाज कर गई फिर किसी
बुजुर्ग ने ख्वाब में देखकर पूछा कि आलमी नजा में आप मुस्कुरा क्यों रहे थे और कौन
सा गुनाह बार-बार क्यों कह रहे थे फरमाया कि दमे नजा मुझे यह नदा सुनाई दी कि ऐ
मलकुल मौत सख्ती से काम ले क्योंकि एक गुनाह बाकी रह गया है चुनांचे इसी खुशी
में मसरूर होकर बार-बार कौन सा गुनाह कौन सा गुनाह कह रहा था वफात की शब में किसी
बुजुर्ग ने ख्वाब में देखा कि आसमान के दरी खुले हुए हैं निदा की जा रही है कि
हसन बसरी अपने मौला के पास हाजिर हो गए और अल्लाह इनसे राजी
है बाब नंबर चार हजरत मालिक बिन दिनार रहमतुल्लाह अलह
के हालातो मुना किब तारुफ आप हसन बसरी के
हम असर हैं आपका शुमार भी दीनी पेशवा और सालिका तरीकत में होता है आपकी पैदाइश
अपने वालिद के दौरे गुलामी में हुई आपका नाम दीनार था जाहिरी तबार से गो आप गुलाम
जादे हैं लेकिन बातमी तौर पर फय ो बरकात का सर चश्मा है और बा एतबार करामात रियाजत
आपका दर्जा बहुत बुलंद है दीनार की वजह तस्मिया एक मर्तबा आप कश्ती में सफर कर
रहे थे और मंज हार में पहुंचकर जब मलाह ने कराया तलब किया तो फरमाया मेरे पास देने
को कुछ भी नहीं है यह सुनकर उसने बद कला करते हुए आपको इतना जदो कोब किया कि आपको
गश आ गया और जब गशी दूर हुई तो मलाह ने दोबारा कराया तलब करते हुए कहा अगर तुमने
कराया अदा ना किया तो दरिया में फेंक दूंगा इसी वक्त अचानक कुछ मछलियां मुंह
में एक-एक दीनार दबाए हुए पानी के ऊपर कश्ती के पास आई और आपने एक मछली के मुंह
से दीनार लेकर कराया अदा किया मलाह यह हाल देखकर कदमों में गिर पड़ा और आप कश्ती से
दरिया पर उतर गए और पानी में चलते हुए नजरों से ओजल हो गए इसी वजह से लफ्ज दीनार
आपके नाम का हिस्सा बन गया खुद गर्जी और इखलास में फर्क आप
निहायत खूबसूरत और बहुत दौलतमंद थे और दमिश्क में सुकून पजीर थे और हजरत मुआविया
की तैयार करदा मस्जिद में तकाफ किया करते थे एक मर्तबा ख्याल आया कि कोई सूरत ऐसी
पैदा हो जाए कि मुझको इस मस्जिद का मुतली बना दिया जाए चुनांचे आपने तकाफ और इतनी
कसरत से निमाज पढ़ी कि हर शख्स आपको हमा वक्त नमाज में मशगूल देखता लेकिन किसी ने
भी आपकी तरफ तवज्जो ना की फिर एक साल बाद जब आप मस्जिद से बरामद हुए तो नदा ए ऐनी
आई कि ऐ मालिक तुझे अब तौबा करनी चाहिए चुनांचे आपको एक साल तक अपनी खुद गर्जना
इबादत पर शदीद रंजो शर्मिंदगी हुई और आपने अपने कल्ब को रया से खाली करके खुलूस नियत
के साथ एक शब इबादत की तो सुबह के वक्त देखा कि मस्जिद के दरवाजे पर एक मजमा है
जो आपस में कह रहे कि मस्जिद का इंतजाम ठीक नहीं है लिहाजा इसी शख्स को मुत वल्ली
मस्जिद बना दिया जाए और तमाम इंतजाम अमूर इसके सुपुर्द कर दिया जाए इसके बाद मुत्त
फिक होकर पूरा मजमा आपके पास पहुंचा और जब आप नमाज से फारिग हो चुके तो अर्ज किया कि
हम बाहम मुत्त फिका फैसले से आपको मस्जिद का मुतली बनाना चाहते हैं आप ने अल्लाह
ताला से अर्ज किया कि ऐ अल्लाह मैं एक साल तक रिया कराना इबादत में इसलिए मशगूल रहा
कि मुझे मस्जिद की तवली हासिल हो जाए मगर ऐसा ना हुआ अब जब कि मैं सिद के दिल से
तेरी इबादत में मशगूल हुआ तो तेरे हुकम से तमाम लोग मुझे मतवल बनाने आ पहुंचे और
मेरे ऊपर यह बार डालना चाहते हैं लेकिन मैं तेरी अजमत की कसम खाता हूं कि मैं ना
तो अब तवली अत कबूल करूंगा और ना मस्जिद से बाहर निकलूंगा यह कहकर फिर इबादत में
मशगूल हो गए दुनिया की हकीकत बसरा में कोई अमीर आदमी फौत हो गया और इसकी पूरी जायदाद
इसकी अलती को मिली जो बहुत खूबसूरत थी एक दिन इसने हजरत साबित बिनानी की खिदमत में
हाजिर होकर अर्ज किया कि मैं निकाह करना चाहती हूं लेकिन मेरी ख्वाहिश है कि निकाह मालिक बिन दीनार के साथ होता कि जिक्र
इलाही और दुनियावी कामों में वह मेरी मदद कर सकें चुनांचे साबित बिनानी ने इसका पैगाम मालिक बिन दीनार तक पहुंचा दिया
लेकिन आपने फरमाया या कि मैं तो दुनिया को तलाक दे चुका हूं और चूंकि औरत का शुमार भी दुनिया ही में होता है इसलिए तलाक शुदा
औरत से निकाह जायज नहीं एक मर्तबा आप किसी दरख्त के साया में आराम फरमा रहे थे और
चश्मदीद गवाहों ने बताया कि एक सांप नर्गस की शाख से आपको पंखा झल रहा था तकलीफ का
अंजाम राहत है आप अक्सर फरमाया करते कि मैं शिरकत जिहाद का ख्वाहिश मंद हूं लेकिन
जब एक मौका जिहाद का आया तो मुझको ऐ ऐसा बुखार आया कि जाने का नाम ही ना लेता था
चुनांचे इस गम में एक शब यह कहता हुआ सो गया कि अगर खुदा के नजदीक मेरा कोई मर्तबा
होता तो इस वक्त बुखार कभी ना आता फिर ख्वाब में देखा कि नदा ए गैबी से कोई कह
रहा है कि ऐ मालिक अगर आज तू जिहाद के लिए चला जाता तो कैदी बना लिया जाता और गफार
तुझे सूअर का गोश्त खिलाकर तेरा दीन ही बर्बाद कर देते लिहाजा यह बुखार तेरे लिए
नेमत है फिर मैंने बेदार होकर खुदा का शुक्र अदा किया कैफियत विलायत किसी
मुलदसबापू रहे इसको हक पर तसव्वुर किया जाए चुनांचे
ऐसे ही किया गया और दोनों में से किसी के हाथ खो भी जरर ना पहुंचा लोगों ने फैसला
कर दिया कि दोनों बरहक हैं लेकिन आपने तंग दिल होकर अल्लाह ताला से अर्ज किया कि 70
साल मैंने इबादत में गुजार दिए मगर तूने मुझे एक
मुलद्रव्य हाथ डालता तो यकीनन झुलस जाता एक मर्तबा जब आप शदीद बीमार होकर सेहत
याबु ए तो किसी जरूरत के तहत बहुत ही दुश्वरी से बाजार तशरीफ ले गए लेकिन
इत्तेफाक से इसी वक्त बादशाह की सवारी आ रही थी और लोगों को हटाने के लिए एक शोर
बुलंद हुआ आप इस वक्त इस कदर कमजोर थे कि हटने में देर हो गई और पहरादर ने आपको ऐसा
कोड़ा मारा कि दर्द के मारे आपके मुंह से यह कलमा निकल गया खुदा करे कि तेरे हाथ
कता करवा दिए जाएं चुनांचे दूसरे ही दिन किसी जुर्म की पादास में उसके हाथ काटकर
चौराहे पर डलवा दिए गए लेकिन आपको इसकी हालत देखकर बहुत रंज हुआ मनकुल है कि एक
नौजवान बदमाश आपका हमसाया था और लोग इससे बहुत परेशान रहते चुनांचे एक मर्तबा लोगों
ने आपसे इस मुजलिन की शिकायत की तो आपने इसके पास जाकर नसीहत फरमाई चुनांचे इसने
गुस्ताखी से पेश आते हुए कहा कि मैं हुकूमत का आदमी हूं और किसी को मेरे कामों में दखल होने की जरूरत नहीं आपने जब इससे
फरमाया कि मैं बादशाह से तेरी शिकायत करूंगा तो इसने जवाब दिया कि वह बहुत ही
करीम है और मेरे खिलाफ किसी की बात नहीं सुनेगा आपने ने फरमाया कि अगर वह नहीं सुनेगा तो मैं अल्लाह ताला से अर्ज करूंगा
उसने कहा कि वह बादशाह से भी ज्यादा करीम है यह सुनकर आप वापस आ गए लेकिन कुछ दिनों
के बाद जब इसके जालिमा अफल हद से ज्यादा हो गए तो लोगों ने फिर आपसे शिकायत की और
आप फिर नसीहत करने जा पहुंचे लेकिन गायब से आवाज आई कि मेरे दोस्त को मत परेशान
करो आपको यह आवाज सुनकर बहुत हैरानी हुई और इस नौजवान से कहा कि मैं इस गैबी आवाज
के मुतालिक तुझ से पूछने आया हूं जो मैंने रास्ता में सुनी है इसने कहा कि अगर यह
बात है तो मैं अपनी तमाम दौलत राहे खुदा में खैरात करता हूं और पूरा सामान खैरात
करके ना मालूम सिमत की तरफ चला गया जिसके बाद सवाय मालिक बिन दीनार के किसी ने इसको
नहीं देखा और आपने भी कभी मक्का मुअज्जम में इस हालत में देखा कि बहुत ही कमजोर
मरने के करीब था और कह रहा था कि खुदा ने मुझको अपना दोस्त फरमाया है इस पर और इसके
अह काम पर जानो दिल से निसार हूं और मुझे इल्म है कि इसकी रजा सिर्फ इबादत ही से
हासिल होती है और आज से मैं इसकी रजा के खिलाफ काम करने से तायब हूं यह कहकर
दुनिया से रुखसत हो गया एक मर्तबा किसी यहूदी के मकान के करीब आपने किराया पर
मकान ले लिया और आपने हुजरा यहूदी के दरवाजे से मुत सिल था चुनांचे यहूदी ने
दुश्मनी में एक ऐसा परनाला बनवाया जिसका जरिया पूरी गंदगी आपके मकान पर डालता रहता
और आपकी नमाज की जगह नापाक हो जाया करती और बहुत अरसा तक वह यह अमल करता रहा लेकिन
आपने कभी शिकायत नहीं की एक दिन इस यहूदी ने खुद ही आपसे अर्ज किया कि मेरे पर नाले
की वजह से आपको तो कोई तकलीफ नहीं आपने फरमाया परनाला से जो गलाज गिरती है इसको
झाड़ू लेकर रोजाना धो डालता हूं इसलिए मुझे कोई तकलीफ नहीं यहूदी ने अर्ज किया
कि आपको इतनी अजियत बर्दाश्त करने के बाद भी कभी गुस्सा नहीं आया फरमाया कि खुदा
ताला का यह हुकम है कि जो लोग गुस्सा पर काबू पा लेते हैं ना सिर्फ इनके गुनाह माफ
कर दिए जाते हैं बल्कि इन्हें सवाब भी हासिल होता है यह सुनकर यहूदी ने अर्ज
किया कि यकीनन आपका मजहब बहुत उम्दा है क्योंकि इसमें दुश्मनों की अजय तों पर सबर
करने को अच्छा कहा गया है और आज मैं सच्चे दिल से इस्लाम कबूल करता हूं जब्त नफ्स आप
बर्सों तक र्ष या मीठी चीजें नहीं खाते थे और रात को रूखी रोटी खरी कर इफ्तार कर
लिया करते एक मर्तबा बीमारी में गोश्त खाने की ख्वाहिश हुई तो बाजार से गोश्त के
तीन पर्चे खरीद कर चले लेकिन कसाई ने एक शख्स को आपके पीछे इस गरज से भेजा कि देखो
कि आप गोश्त क्या करेंगे आपने कुछ दूर चलकर गोश्त को सूंघ कर फरमाया कि ऐ नफ्स
सूंघने से ज्यादा तेरा हिस्सा नहीं और यह कहकर वह गोश्त एक फकीर को दे दिया फिर
फरमाया कि ऐ नफ्स मैं तुझे किसी दुश्मनी की वजह से अजियत नहीं देता बल्कि तुझको
सब्र का मर्तबा हासिल कराने के लिए ऐसा करता हूं ताकि इसके बदले तुझे लाजवा नेमत
हासिल हो जाए फिर फरमाया यह मिस्ल मेरे फहम से बाला तर है कि जो शख्स 40 दिन
गोश्त नहीं खाता इसकी अकल कमजोर हो जाती है जबकि मैंने 20 साल से गोश्त नहीं चखा
और मेरी अकल में कोई कोताही नहीं हुई बल्कि कुछ ज्यादती ही नजर आती है यह वाकया
इस शख्स ने पूरे का पूरा कसाई से आकर बयान कर दिया जिसने इसको आपके पीछे लगाया था
आपने बसरा में 40 साल कयाम के बावजूद कभी एक खजूर भी नहीं खाई और लोगों से फरमाया
कि मैंने कभी खजूर नहीं खाई और ना खाने से ना तो मेरा पेट कम हुआ और ना तुम्हारा पेट
बढ़ गया लेकिन 40 साल के बाद एक मर्तबा खजूर खाने की ख्वाहिश हुई तो फरमाया के
नफ्स मैं तेरी ख्वाहिश की कभी तक मल ना होने दूंगा और जब ख्वाब में आपको खजूर
खाने का इशारा मिला और यह फरमाया गया कि नफ्स पर से पाबंदी खत्म कर दे तो आपने
बेदारी के बाद नफ्स से खिताब करते हुए फरमाया कि मैं इस शर्त के साथ तेरी तमन्ना पूरी कर सकता हूं कि तू एक हफ्ता तक
मुसलसल रोजे रखे चुनांचे नफ्स खुशी के लिए हफ्ता भर के रोजे रखे इसके बाद खजूर खरीद
कर मस्जिद में ले गए मगर वहां खाने से कबल एक लड़के ने अपने बाप को आवाज देकर कहा कि
मस्जिद में कोई यहूदी आ गया है इसका बाप यहूदी का नाम सुनते ही डंडा लेकर दौड़ा
लेकिन आपको शना करत करके मुफी का खस्त गार होते हुए कहा कि हमारे मोहल्ला में दीन
में यहूदियों के सिवा कोई नहीं खाता और सब लोग रोजा रखते हैं इसलिए बच्चा को आपके
यहूदी होने का शुभ हुआ आप इसकी खता माफ फरमा दें यह सुनते ही आपने जोश में आकर
फरमाया बच्चों की जुबान गैबी जुबान होती है फिर अल्लाह ताला से अर्ज किया कि बगैर
खजूर खाए हुए तो आपने यहूदियों में शामिल कर दिया और अगर कहीं खा लेता तो ना मालूम
कुफर से भी ज्यादा मेरा बुरा अंजाम होता लिहाजा मैं कसम खाकर कहता हूं कि अब कभी
खजूर का नाम ना लूंगा गुनाहों का असर आप किसी मरीज की बीमार पुर्सी के लिए तशरीफ
ले गए और वह चूंकि मरने के करीब था इसलिए आपने इसको कलमा पढ़ने की तलन फरमाई लेकिन
व कलमा पढ़ने की बजाय बार-बार 10 और 11 कहता फिर जब आपने ज्यादा इसरार किया तो
उसने कहा कि मेरे सामने आग का एक पहाड़ है और जब मैं कलमा पढ़ने का कसदार तो व आग
मेरी जानिब झपट है आपने जब लोगों से इसके मुतालिक पूछा तो उन्होंने कहा कि यह
सूदखोर भी था और कम तोलने वाला भी एक मर्तबा बसरा में किसी जगह आग लग गई और आप
जब अपना अस्सा और जूते लेकर छत पर चढ़े तो लोगों को ऐसी मुसीबत में देखा कि कुछ तो
आग में जल रहे हैं और कुछ कूद कर निकलने की कोशिश में है और कुछ अपना सामान
निकालने के चक्कर में यह देखकर फरमाया कि हल्के फुलके लोग तो निजात पा गए और भारी
भर कम लोग हलाक हो गए और कयामत के दिन भी यही मंजर होगा खौफ खुदा एक मर्तबा जाफर
बिन सुलेमान आपके हमराह सफरे हज में थे जिस वक्त आपने लब्बैक अल्लाहुम्मा लब्बैक
पढ़ना शुरू किया तो आपके ऊपर गशी तारी हो गई और होश आने के बाद जाफर बिन सुलेमान ने
गशी का सबब दरयाफ्त किया तो फरमाया कि मैं इस खौफ से बेहोश हो गया था कि ला लब्बैक
की आवाज ना आ जाए जब आप इया क ना बुद व इया क नतान फरात करते तो मुस्तरबते लगते
और फरमाते कि अगर यह आयत कुरानी ना होती तो मैं कभी ना पढ़ता क्योंकि इसका मफू यह
है कि अल्लाह मैं तेरी इबादत करता हूं और तुझसे ही मदद मांगता हूं हालांकि हम नफ्स
के ऐसे पुजारी हैं कि खुदा को छोड़कर दूसरों से आनत के तालिब होते हैं आप रात
में कतन आराम नहीं करते थे और एक दिन आपकी साहबजादे ने कहा कि अगर आप थोड़ी देर आराम
फरमा लिया करें तो बेहतर है आपने फरमाया कि ऐ बेटी एक तरफ तो मैं कहरे इलाही से
डरता हूं और दूसरी जानिब यह अंदेशा रहता है कि दौलत सहादत कहीं मुझे सोता देखकर
वापस ना हो जाए लोगों ने जब इस जुमला का मफू पूछा तो फरमाया कि मैं नेमत तो अल्लाह
ताला की खाता हूं और अतात शैतान की करता हूं फिर फरमाया कि अगर मस्जिद के दरवाजे
पर कोई यह सदा लगाए कि सब लोगों में बदतर कौन है तो उसे मुझसे बदतर कोई नहीं मिलेगा
हजरत अब्दुल्लाह ने यह सुनकर फरमाया कि मालिक बिन दिनार की अजमत का अंदाजा इनके
सिर्फ इसी कॉल से लगाया जा सकता है खुद शनास किसी औरत ने आपको रकार के नाम से
आवाज दी तो आपने फरमाया कि 20 साल से किसी ने मेरा असली नाम लेकर नहीं पुकारा लेकिन
शाबाश तूने अच्छी तरह पहचान लिया कि मैं कौन हूं फिर फरमाया कि जब मैंने मखलूक को
अच्छी तरह पहचान लिया तो मुझको इसकी कतन ख्वाहिश नहीं रही कि मुझे कोई नेक या बद
कहे इसलिए कि मैंने हर अच्छा या बुरा कहने वाले को मुबा करने वाला पाया लिहाजा लोग
ख्वा मुझे नेक कहें या बद मैं रोज़ हश्र इनसे कोई बदला नहीं लूंगा अकवाले जरी
फरमाया कि जिससे कयामत के दिन कोई फायदा हासिल ना हो इसकी सोहबत से क्या फायदा
क्योंकि अहले दुनिया तो फालूदा की तरह है जो जाहिर में खुशरंग और बातिन में बदमला
होता है और इस दुनिया से इसीलिए इतना बेहतर है कि अहल ने उलमा को भी अपना ताबे
बना लिया है फरमाया कि जो लग बातें ज्यादा करता है और इबादत कम इसका इल्म कलील कल्ब
अंधा और उमर रायगन है क्योंकि मेरे नजदीक इखलास से बेहतर कोई अमल नहीं फरमाया कि
अल्लाह ताला ने हजरत मूसा को बजरिया वही हुक्म दिया कि फौलादी अस्सा लेकर जमीन पर
चलो और हर जदीद और इबरत अंगेज शय की जुस्तजू करो और इस वक्त तक हमारी हिकमत और
नेत का मुशाहिद करते रहो जब तक जूते घिस ना जाएं और टूट ना जाए इसका मफू यह है कि
जब्त फक्र से काम लेना चाहिए जैसे अरबी का एक मकला है दीन एक रोशन दलील है और इसमें
नर्मी और आहिस्ता कीी के साथ मशगूल रहो और तौरा में है के हमने तुम्हें अपना मुश्ताक
बना लिया लेकिन तुम ना बन सके फिर आपने फरमाया कि मैंने आसमानी किताबों में देखा
है कि अल्लाह ताला ने हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत को दो ऐसी नेमतें अता फरमाई हैं जो जिब्राईल और
मिकाइल को भी अता नहीं हुई अव्वल नेमत यह है फसक अक तुम मुझे याद करो मैं तुम्हें
याद करूंगा और दूसरी नेमत यह है अनी अजब लकम तुम मुझे पुकारो मैं तुम्हारी दुआ
कबूल करूंगा फरमाया कि तौरा में अल्लाह ताला का यह कौल मैंने पढ़ा है क सिदकी
मेरे जिक्र से दुनिया में आराम के साथ जिंदगी गुजारो क्योंकि दुनिया में मेरा
जिक्र बहुत बड़ी नेमत है और आखिरत में इससे अजरे अजीम हासिल होगा फरमाया कि बाज
आसमानी किताबों में है कि जो दुनिया को महबूब तसव्वुर करता है मेरा अदना बर्ताव
इसके साथ यह है कि मैं जिक्र मुनाजात की लज्जत से इसको खाली कर देता हूं और जो
शख्स ख्वाहिश दुनिया की तरफ दौड़ता है शैतान इसको फरेब देने की इसलिए फिक्र नहीं
करता कि वह तो खुद ही गुमराह है मनकुल है कि किसी ने मरते वक्त आपसे वसीयत करने की
ख्वाहिश का इजहार किया तो फर फरमाया कि तकदीर इलाही पर राजी रह ताकि तुझको अजाबे
हशर से निजात मिल सके फिर किसी शख्स ने इसके इंतकाल के बाद ख्वाब में जब इसका हाल
दरयाफ्त किया तो इसने कहा कि गो मैं बहुत ही गुनाहगार था लेकिन सिर्फ हुस्ने ख्याल
की वजह से मेरी निजात हो गई जो मुझे अल्लाह ताला की बंदा नवाजी पर था सब्र का
फल किसी बुजुर्ग ने ख्वाब में देखा कि आपको और हजरत मोहम्मद वासे को बहिश्त की
जानिब ले जाए जा रहा है उस बुजुर्ग के दिल में ख्याल आया कि देखो मालिक बिन दीनार
जन्नत में पहले पहुंचते हैं या मोहम्मद वासे चुनांचे यह देखकर मालिक बिन देनार को
पहले दाखिल बहिश्त किया बुजुर्ग ने पूछा कि मोहम्मद वासे तो मालिक बिन देनार से
ज्यादा आमिल और कामिल थे मलाइका ने जवाब दिया कि तुम सही कहते हो मोहम्मद वासे के
पहनने के लिए दो लिबास थे और मालिक के पास सिर्फ एक लिहाजा सब्रो जब्त की निस्बत माल
की तरफ ज्यादा है इसलिए इन्हें जन्नत में भेजा गया बाब नंबर पांच हजरत मोहम्मद वासी
रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब तारुफ आप आलिम भी थे और आरिफ कामिल भी और अपने
दौर के बेनजीर बुजुर्गों में से हुए हैं ना सिर्फ यह बल्कि आपको बहुत से ताबीन से
शरफे नयाज भी हासिल हुआ और बहुत से अहले तरीकत के मुर्शदी से भी आपकी मुलाकात हुई
और शरीयत और तरीकत पर यक अमल पैरा रहे और इस कदर कनात पजीर थे कि खुश्क रोटी पानी
में घोल कर खा लिया करते और फरमाते कि खुश्क रोटी पर काने कभी मखलूक का मोहताज
नहीं हो सकता और खुदा ताला से अर्ज किया करते थे कि तू अपने महबूब की मानिंद मुझको
भी मस्कीन रखता है लेकिन मुझे मालूम नहीं कि यह मर्तबा क्यों अता किया गया है और जब
आप बहुत ही भूखे होते तो हजरत हसन के यहां पहुंच जाते और जो मयस्सर आता खा लेते और
हजरत हसन को भी इस बेतकल्लुफ पर बहुत मुसरत होती आपका मकला है कि शब और रोज
भूखा रहने वाला भूख की हालत में भी कभी जिक्र इलाही से गाफिल ना
रहे नसीहत आपने फरमाया कि दुनिया में रहते हुए जहद इख्तियार करो और हिर्स को र्क कर
दो और पूरी मखलूक को मोहताज तसव्वुर करके कभी किसी से अपनी एतज का जिक्र ना करना और
अगर तुम इन चीजों के पाबंद रहोगे तो बे नियाज हो जाओगे और इस नसीहत पर अमल करने वाले को दोनों जहान की सल्तनत हासिल हो
जाएगी एक दिन आपने हजरत मालिक बिन दीनार से फरमाया कि दीनार और दिरहम पर नजर डालने
से ज्यादा दुश्वार है कि इंसान अपनी जुबान पर निगाह रखे और कभी किसी को बुरा ना कहे
एक दिन आप कती बा बिन मुस्लिम के यहां अदना लिबास में तशरीफ ले गए और जब
उन्होंने पूछा कि आपने अदना कपड़ा क्यों पहना है तो पहली मर्तबा आपने जवाब ना दिया
फिर दूसरी मर्तबा सवाल करने पर फरमाया कि मैं जहद का मफू बताना चाहता हूं लेकिन
इसलिए खामोश हूं कि कहीं इसमें अपनी तारीफ और हालत फक्र के बयान करने से कहीं अल्लाह
ताला से शिकवा का पहलू ना निकल आए एक मर्तबा अपने साहिबजादे को बहुत मसरूर
देखकर फरमाया कि तुम किस शय पर नाजा हो कि इस कदर खुश हो क्योंकि तुम्हारी मां तो वह
औरत है जिसको मैंने 200 दिरहम में खरीदा है और तुम्हारा बाप खुदा की मखलूक में
सबसे बदतर है फिर भला तुम किस चीज पर नाज कर रहे हो खुदा शनास आपसे बाज लोगों ने
पूछा कि क्या आप खुदा शनास हैं आपने कुछ देर के बाद फरमाया कि खुदा शनास तो हैरान
और गुमसुम होकर रह जाता है और अल्लाह ताला अगर चाहे तो इसको इज्जत अता कर देता है जो
कभी गैर अल्लाह की जानिब तवज्जो नहीं करता लेकिन खुदा पर किसी को इख्तियार नहीं है
और सच्चे को इस वक्त सच्चा नहीं कहा जा सकता जब तक ब मरजा का पल्ला मुसाब ना हो
जैसा कि हदीस शरीफ में है खैरुल अमूर औसतन हर शय का दरमियानी दर्जा अच्छा होता है
बाब नंबर छ हजरत हबीबे अजमी रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब हालातो तारुफ आप सदको
सफा पर अमल पैरा साहिबे यकीन और गोशाम बुजुर्गों में से हुए हैं और आपकी रियाजत
करामत बे अंदाजा है इब्तिदा दौर में आप बहुत अमीर थे और अहले बसरा को सूद पर कर्ज
दिया करते थे और जब मकरूज पर तकाजा करने जाते तो इस वक्त तक वापस ना होते जब तक
कर्ज वसूल ना होता और अगर किसी मजबूरी से कर्ज वसूल ना होता तो अपने वक्त जाया होने
का मकरूज से हरजाना वसूल करते और इस रकम से जिंदगी बसर करते एक दिन आप किसी के
यहां वसूल याबी के लिए पहुंचे तो वह घर पर मौजूद ना था उसकी बीवी ने कहा कि ना तो मेरा शौहर घर पर मौजूद है और ना मेरे पास
तुम्हारे देने के लिए कोई चीज है अलबत्ता आज मैंने एक भेड़ जबाह की थी जिसका तमाम
गोश्त तो खत्म हो चुका अलबत्ता सर बाकी रह गया है अगर तुम चाहो तो वह मैं तुमको दे
सकती हूं चुनांचे आप इससे सर लेकर घर पहुंचे और बीवी से कहा कि यह सर सूद में
मिला है इसको पका डालो बीवी ने कहा कि घर में ना लकड़ी है और ना आटा भला मैं खाना
किस तरह तैयार करूं आपने कहा कि मैं इन दोनों चीजों का भी इंतजाम मकरूज मफू लोगों
से सूद लेकर करता हूं और सूद ही से यह दोनों चीजें खरीद कर लाए लेकिन जब खाना
तैयार हो चुका तो एक सायल ने आकर सवाल किया आपने कहा कि तेरे देने के लिए हमारे
पास कुछ नहीं है और तुझे कुछ दे भी दें तो तू इससे तो दौलतमंद ना हो जाएगा लेकिन हम
मुफलिस हो जाएंगे सायल जब मायूस होकर वापस चला गया तो बीवी ने सालन निकालना चाहा
लेकिन वह हंडिया सालन की बजाय खून से लबरेज थी इसने शौहर को आवाज देकर कर कहा
कि देखो तुम्हारी कंजूसी और बदबख्त से क्या हो गया आपको यह देखकर इबरत हासिल हुई
और बीवी को शाहिद बनाकर कहा कि आज मैं हर बुरे काम से तायब होता हूं और यह कहकर
मकरूज लोगों से असल रकम लेने और सूद खत्म करने के लिए निकले रास्ता में कुछ लड़के
खेल रहे थे उन्हें देखकर बच्चों ने आवाजें कसना शुरू किए कि अलहदा हट जाओ हबीब
सूदखोर आ रहा है कहीं इसके कदमों की खाक हम पर ना पड़ जाए और हम इस जैसे बदबख्त ना
बन जाएं यह सुनकर आप बहुत रंजीदा हुए और हसन बसरी की खिदमत में हाजिर हो गए
उन्होंने आपको ऐसी नसीहत फरमाई कि बेचैन होकर दोबारा तौबा की और जब वापसी में एक
मकरूज शख्स आपको देखकर भागने लगा तो फरमाया कि तुम मुझसे मत भागो अब तो मुझको
तुमसे भागना चाहिए ताकि एक आसी का साया तुम्हारे ऊपर ना पड़ जाए फिर जब आप आगे
बढ़े तो उन्हीं लड़कों ने कहना शुरू कर दिया कि रास्ता दे दो अब हबीब तायब होकर आ
रहा है कहीं ऐसा ना हो कि हमारे पैरों की गर्द इस पर पड़ जाए और अल्लाह ताला हमारा नाम गुनाहगारों में दर्ज कर ले आपने
बच्चों का यह कॉल सुनकर अल्लाह ताला से अर्ज की कि तेरी कुदरत भी अजीब है कि आज ही मैंने तौबा की और आज ही तूने लोगों की
जुबान से मेरी नेक नामी का ऐलान करवा दिया इसके बाद आपने मुनादी करवा दी कि जो शख्स
मेरा मकरूज हो वह अपनी तहरीर और माल वापस ले जाए इसके अलावा आपने अपनी तमाम दौलत
राहे मौला में लुटा दी और जब कुछ बाकी ना रहा तो आखिर में एक साइल पर अपना कुर्ता
तक उतार कर दे दिया और दूसरे सायल के सवाल पर आपने अपनी बीवी की चादर भी दे दी इसके
बाद दोनों मियां बीवी तकरीबन नीम बहना से रह गए फिर साहिले फरात पर एक इबादत खाना
तामीर करके इबादत में मशगूल रहे और यह मामूल बना लिया था कि दिन में तहसील इल्म
के लिए हसन बसरी की खिदमत में पहुंच जाते और रात भर मशगूल इबादत रहते चूंकि कुरान
करीम का तलफ्फुज अपने सही मुहर के साथ अदा नहीं कर सकते थे इसलिए आपको अजमी का खिताब
दे दिया गया एक मर्तबा बीवी ने कहा कि खुर्द नोश के लिए कुछ ना कुछ काम करना
चाहिए तो आप मजदूरी करने के लिए घर से निकले लेकिन दिन भर इबादत में मशगूल रहकर
जब घर पहुंचे तो बीवी ने सवाल किया कि क्या लाए हो आपने जवाब दिया जिसकी मजदूरी
की है वह बहुत कर्म वाला है और इसके कर्म ही की वजह से मुझ में उजरत तलब करने की
जरत ना हो सकी उसने खुद ही यह कह दिया है कि 10 शम के बाद जब तुमको जरूरत होगी तो
पूरी उजरत दे दूंगा फिर जब 10 दिन के बाद आपको यह ख्याल आया कि आज घर जाकर क्या
जवाब दूंगा तो एक तरफ अपने तसव्वुर में गर्क चले जा रहे थे और दूसरी तरफ अल्लाह
ताला ने एक बोरिया एक जबाह शुदा बकरी घी शहद और 300 दिरहम एक गैबी शख्स के जरिया
आपके घर पहुंचा दिए और साथ ही यह पैगाम भी दिया कि हबीब से कह देना कि अपने काम को
तरक्की दें जिसके सिला में हम इससे भी ज्यादा मजलू दूरी देंगे चुनांचे जब आप घर
के दरवाजे पर पहुंचे तो घर में खाने की खुशबू आ रही थी अंदर जाकर बीवी से सूरते हाल दरयाफ्त की तो उसने पूरा वाकया और
बयान आप तक पहुंचा दिया यह सुनकर आपको ख्याल आया कि जब सिर्फ 10 यम की बे तवज्जो
की रियाजत का अल्लाह ताला ने नेम उल बदल अता फरमाया है तो अगर ज्यादा दिल जमी के साथ इबादत करूं तो ना जाने क्या इनामा
हासिल होंगे चुनांचे उसी दिन से दुनिया छोड़कर इस दर्जा इबादत में गर्क हो गए कि
मुस्तजाब उल दावा के दर्ज तक पहुंचे और इनकी दुआओं से मखलूक को बहुत फायदा हासिल हुआ करामात एक औरत गिर्या उ जारी करती हुई
आपकी खिदमत में हाजिर हुई और अर्ज किया कि मेरा बच्चा गुम हो गया है जिसकी वजह से
मैं बहुत ही मुस्तरबत पूछा कि तुम्हारे पास और क्या है इसने कहा कि दो दिरहम हैं
आपने इससे वो दिरहम लेकर खैरात कर दिए और दुआ करके फरमाया कि जाओ तुम्हारा बच्चा आ
जाएगा चुनांचे घर पहुंचकर जब उसने देखा तो वाकई उसका बच्चा घर पर मौजूद था इसको गले
लगाकर पूछा तू कहां चला गया था लड़के ने कहा मैं तो किमान में था और मेरे उस्ताद
ने गोश्त लेने के लिए बाजार भेजा रास्ता में अचानक ऐसी आंधी आई जो मुझे यहां तक
उड़ाकर ले आई और मैंने किसी कहने वाले को सुना कि ऐ हवा इसको घर पहुंचा दे इस एक
वाकया से आपकी दुआओं की बरकत का अंदाजा किया जा सकता है इसके बाद हजरत फरीदुद्दीन अत्तार साहिब फरमाते हैं कि अगर कोई सवाल
करें कि इतनी उजल के साथ हवा ने किस तरह पहुंचा दिया तो इसका यह जवाब है कि जब
हजरत सुलेमान का तख्त एक दिन में एक माह का फासला तय कर सकता है और बिल्कीस का तख्त आने वाहिद में हजरत सुलेमान तक पहुंच
सकता है तो यह वाकया इसके मुकाबला में कुछ नहीं है बसरा में एक मर्तबा शदीद कहत साली
हुई तो आपने कर्ज लेकर खाना गुरबा में तकसीम फरमाया और एक थैली तकिया के नीचे रख
ली जब कोई कर्ज लेने वाला आता तो इसमें से निकाल कर देते जाते थे
तवक आपका मकान बसरे के चौराहे पर था और एक दिन आपने कपड़े निकालकर चौराहे पर रख दिए
और खुद कहीं नहाने के लिए चले गए इत्तफाक से हसन बसरी का इस तरफ से गुजर हुआ तो
आपने इनका लिबास शनातन किया कि यह तो हबीब अजमी कहीं छोड़कर चले गए हैं अगर कोई
उठाकर चल दे तो क्या होगा इस ख्याल के तहत आप कपड़ों की हिफाजत के लिए वहां ठहरे रहे
और जब हबीबे अजमी वापस आए तो हजरत हसन बसरी से पूछा कि आप यहां क्यों खड़े हैं
उन्होंने फरमाया कि तुम अपना लिबास किसके भरोसे पर छोड़कर चल दिए अगर कोई उठाकर ले
जाता तो क्या होता उन्होंने कहा कि इसी भरोसे से छोड़ गया था जिसने हिफाजत के लिए
आपको यहां तक पहुंचा दिया मनकुल है कि हजरत हसन बसरी एक मर्तबा हबीबे अजमी के पास तशरीफ ले गए तो उनके यहां जो की रोटी
और थोड़ा सा नमक मौजूद था वही बतौर तवाजो आपके सामने रख दिया और जब उन्होंने खाना
खाना शुरू कर दिया तो एक सायल आ पहुंचा तो तो हजरत हबीब अजमी नेने वो रोटी आपके
सामने से उठाकर सायल को दे दी इस पर हजरत हसन बसरी ने फरमाया कि तुम में शास्त कीी
तो जरूर है लेकिन इल्म नहीं क्या तुम्हें यह मालूम नहीं कि मेहमान के सामने से इस
तरह पूरी रोटी उठाकर नहीं देनी चाहिए बल्कि एक टुकड़ा तोड़कर दे देते यह सुनकर
वह खामोश रहे लेकिन कुछ ही देर बाद एक गुलाम सर पर ख्वान नेमत रखे हुए हाजिर हुआ
जिसमें तमाम किस्म के नफीस खाने मौजूद थे और इसके हमराह 500 दिरहम भी थे आपने वोह
दिरहम तो गरीबों में तकसीम कर दिए और खाना हजरत हसन बसरी के सामने रखकर खुद भी खाने
बैठ गए और खाने से फराग के बाद हजरत हसन बसरी ने फरमाया कि आपका शुमार नेक लोगों
में तो जरूर होता है लेकिन काश यकीन का दर्जा भी हासिल होता तो बहुत बेहतर था
मुकाम रजाए इलाही एक मर्तबा हसन बसरी मगरिब की नमाज के वक्त आपके यहां पहुंचे
लेकिन आप नमाज के लिए खड़े हो चुके थे और हसन बसरी ने जब यह देखा कि आप अलहम्द की
बजाय अलहम्द छोटी हे से किरत कर रहे हैं तो यह ख्याल करके कि आप चूंकि कुरान का
तलफ्फुज सही अदा नहीं कर सकते इसलिए आपके पीछे नमाज ना पढ़नी चाहिए चुनांचे
उन्होंने अलहदा नमाज पढ़ी लेकिन इसी रात को ख्वाब में अल्लाह ताला का दीदार नसीब हुआ तो आपने अर्ज किया कि या अल्लाह तेरी
रज का जरिया क्या है इरशाद हुआ कि तूने हमारी रज पाई लेकिन इसका मुकाम नहीं समझा
आपने पूछा वह कौन सी रज थी इरशाद हुआ कि अगर तू निमाज में हबीबे अजमी की इक्त द कर
लेता तो तेरे लिए तमाम उम्र की नमाज से बेहतर था क्योंकि तू ने इसकी जाहिरी इबादत
का तसव्वुर तो किया लेकिन इसकी नियत नहीं देखी जबकि वली की नियत से तलफ्फुज की सेहत
कम दर्जा रखती है मनकुल है कि एक मर्तबा हसन बसरी हुज्जाज बिन यूसुफ के सिपाहियों
से छुपते हुए हजरत हबीबे अजमी की इबादत गाह में पहुंच गए और जब सिपाहियों ने हबीबे अजमी से मालूमात की तो उन्होंने
साफ-साफ बता दिया कि हसन इबादत गाह के अंदर हैं लेकिन पूरे इबादत खाने की तर ला
के बावजूद भी हजरत हसन का सुराख ना मिल सका और हजरत हसन फरमाते हैं कि सात मर्तबा
सिपाहियों ने मेरे ऊपर हाथ रखा लेकिन मुझे ना देख सके फिर सिपाहियों ने हजरत हबीब से
कहा कि हज्जाज तुमको झूठ बोलने की सजा देगा आपने फरमाया कि हसन मेरे सामने इबादत
गाह में दाखिल हुए थे लेकिन अगर वह तुम्हें नजर नहीं आए तो इसमें मेरा क्या कसूर है चुनांचे फिर दोबारा तलाशी ली
लेकिन इनको ना पाकर वापस आ गए हजरत हसन ने बाहर निक लकर हजरत हबीब से कहा कि आपने तो
उस्तादी के हक का कुछ भी पास नहीं किया और साफ-साफ इन्हें मेरा पता बता दिया
उन्होंने जवाब दिया कि चूंकि मैंने सच से काम लिया इसलिए आप महफूज रहे अगर मैं झूठ
से काम लेता तो फिर यकीनन हम दोनों गिरफ्तार कर लिए जाते यह सुनकर हजरत हसन ने पूछा कि आखिर तुमने क्या पढ़ दिया था
कि जिसकी वजह से मैं सिपाहियों को नजर ना आ सका आपने फरमाया कि दो मर्तबा आयतुल कुर्सी दो मर्तबा कुल हु अल्लाह अहद और दो
मर्तबा आमिन रसूल पढ़कर अल्लाह ताला से अर्ज की कि हसन को तेरे हवाले किया तू ही
इनकी हिफाजत करना सफाई कल्ब की फजीलत हजरत हसन बसरी
कहीं तशरीफ ले जा रहे थे तो दरिया ए दजला के किनारे हजरत हबीब से मुलाकात हो गई
उन्होंने पूछा कि कहां का कसदार हसन ने कहा कि दरिया पार जाना चाहता हूं और कश्ती
का मुंतजार हूं आपने फरमाया कि बगज और हब्बे दुनिया को कल्ब से निकालकर
तसव्वुर करो और अल्लाह पर तमा करके पानी के ऊपर रवाना हो जाओ यह कहकर खुद पानी के
ऊपर चलते हुए दूसरे किनारे पर जा पहुंचे यह कैफियत देखकर हजरत हसन पर गशी तारी हो
गई और होश आने के बाद जब लोगों ने गशी का सबब दरयाफ्त किया तो फरमाया कि हबीब को इल्म मैंने सिखाया लेकिन इस वक्त वह मुझको
नसीहत करके खुद पानी के ऊपर रवाना हो गए और इसी दहशत से मुझ पर गशी तारी हो गई और
जब रोज़ महशर पुले सिरात पर चलने का हुक्म दिया जाएगा और अगर मैं इस वक्त भी महरूम
रह गया तो क्या कैफियत होगी फिर आपने दूसरी मुलाकात में हजरत हबीब से पूछा कि
तुम्हें यह मर्तबा कैसे हासिल हुआ फरमाया कि मैं कल्ब की स्याही धोता हूं और आप
कागज सयाह करते रहते हैं यह सुनकर आपने फरमाया कि सत सही दूसरों ने मेरे इल्म का
फायदा उठाया लेकिन मुझको कुछ ना मिल सका हजरत अत्तार फरमाते हैं कि अगर किसी को यह
शक हो कि हबीबे अजमी का मुकाम हजरत हसन बसरी से बुलंद था तो यह इसकी गलती है
क्योंकि अल्लाह ताला ने इल्म को हर शय पर फजीलत अता फरमाई है इसी वजह से हजूर अकरम
से खिताब करते हुए फरमाया कि कुल रब्बे जिदनी लमन ए नबी कहे कि ऐ मेरे रब मेरे
इल्म में ज्यादती अता कर और जैसा कि मश का कौल है कि तरीकत में चवा दर्जा करामत का
है और 18वां असरार और रमज का क्योंकि करामात का हसूल इबादत से मुतालिक है और
इसरार और रमज का अकल फक्र से जैसा कि हजरत सुलेमान की हुकूमत हर शय पर थी लेकिन इतबा
हजरत मूसा की करते थे और खुद साहिबे किताब नबी ना होने की वजह से हमेशा इन्हीं की
किताब पर अमल पैरा रहे हजरत इमाम शाफी और हजरत इमाम हंबल किसी जगह तशरीफ फरमा थे कि
हजरत हबीबे अजमी भी इत्तेफाक से वहां पहुंच गए उन्हें देखकर इमाम हंबल रहमतुल्लाह अलह ने कहा कि मैं इनसे एक
सवाल करूंगा लेकिन इमाम शाफी ने मना करते हुए फरमाया कि वासले बल्लाह लोगों से क्या
सवाल करोगे इनका तो मसलक ही जुदा काना होता है लेकिन मना करने के बावजूद उन्होंने यह सवाल कर डाला जिस शख्स की
पांच निमाज में से एक कजा हो गई और यह भूल गया हो कि कौन सी नमाज कजा हुई तो इसको
क्या करना चाहिए हजरत हबीब अजमी ने फरमाया कि सब निमाज की कजा करें इसलिए कि वह खुदा
से गाफिल होकर इस कदर बेअदबी का मुरत किब क्यों हुआ यह सुनकर इमाम शाफी रहमतुल्लाह
अ ने कहा कि मैंने इसलिए मना किया था कि इन लोगों से कोई सवाल ना करो एक मर्तबा
तारीख में आपके हाथ से सुई गिर पड़ी इसी वक्त गैब से आपका मकान मुनव्वर हो गया
चुनांचे आपने आंखें बंद करके फरमाया कि मैं बगैर चराग के सुई तलाश करना नहीं
चाहता एक कनीज 20 साल तक आपके यहां रही लेकिन कभी आपने इसका चेहरा नहीं देखा और
एक दिन इसी कनीज से फरमाया जरा मेरी कनीज को आवाज दे दो इसने अर्ज किया कि हजूर मैं
ही आपकी कनीज हूं फरमाया कि 30 बर्ष में मेरा ख्याल सवाय अल्लाह ताला के किसी और
तरफ नहीं गया यही वजह है कि मैं तुमको शना एक्त ना कर सका जिस वक्त आपके सामने कुरान
की तिलावत होती तो मुस्तरबते लगते एक दिन किसी ने सवाल किया
कि आप कुरान का मफू किस तरह समझ लेते हैं जबकि यह अरबी जुबान में है और आप अजमी हैं
फरमाया कि मेरी जुबान गु अजमी है लेकिन कल्ब अरबी है एक मर्तबा आप किसी कोने में
बैठे हुए कह रहे थे कि जिसका कल्ब तुझ से मसरूर ना हुआ इसको कोई मुसर्रत हासिल ना
होगी और जिसको तुझ से अंश ना हो उसको किसी से अंश ना होगा लोगों ने पूछा कि जब आप
गोशाम होकर दुनिया के तमाम अमूर से दस्त बदार हो चले हैं तो यह बताइए कि रजा किस
शय में है फरमाया कि रजा तो सिर्फ इसी कल्ब को हासिल की है कि जिसमें कोई कदूर
ना हो एक खूनी तख्ता दार पर चढ़ाया गया तो इसी शब लोगों ने ख्वाब में उम्दा लिबास
सेबे तन किए जन्नत में टहलते हुए देखा और जब इससे पूछा कि तुमने कत्ल का इतका किया
था फिर इस मर्तबा तक कैसे पहुंच गए इसने कहा कि सूली देते वक्त हबीबे अजमी इधर आ
निकले और मेरी जानिब
मतवल अबू हाजिम मक्की रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब तारुफ आप मुखलिस अहले
तकवा में से थे मशक के मुक्तता और फक्र गना के हामिद थे मुजाहि दत मुशाहिद में
अपनी नजीर आप ही थे और आपका कलाम लोगों के कलू पर असर अंदाज होता था तवाल के उमर की
वजह से बहुत से मशक के इक्त फरमाई उन्हीं में उस्मान मकी भी आपके मदा हों में से थे
यूं तो आपका तजक बहुत से कुतब में है लेकिन हम हसूल सहादत के लिए मुख्तसर से
हालात बयान किए देते हैं आपको बहुत से सहाबा कराम के अलावा हजरत अंस बिन मालिक
को हजरत हत अबू हुरैरा से शरफे नियाज हासिल हुआ है इरशाद हिशाम बिन अब्दुल
मालिक ने आपसे यह सवाल किया कि वह कौन सा अमल है जिसके जरिया निजात हासिल हो सके
फरमाया कि हलाल जगह से जो दाम हासिल हो उसको हलाल जगह ही खर्च करो उसने कहा कि
इतना दुश्वार काम कौन कर सकता है फरमाया कि जिसको जन्नत की ख्वाहिश और जहन्नुम का खौफ रखते हुए रजाए खुदा वंदी की तलब हो आप
फरमाया करते थे कि दुनिया से इतना करो क्योंकि मैंने सुना है कि जो इबादत गुजार
दुनिया को महबूब तसव्वुर करता है उसको रोज महशर खड़ा करके मलायका यह मुनादी करेंगे
कि यह वह शख्स है जिसने अल्लाह ताला की नापसंद देदा शय को पसंद किया फरमाया कि दुनिया में कोई ऐसी शय नहीं जिसका अंजाम
गमो अंदूह ना हो क्योंकि दुनिया में ऐसी कोई चीज पैदा नहीं की गई जिसका अंजाम हजन
मलाल ना हो और दुनिया की हकीर से हकीर शय भी इंसान को अपनी जानिब इस दर्जा मायल कर
लेती है कि जन्नत की बड़ी चीज भी तवज्जो का बायस नहीं बनती फरमाया के तमाम चीजों का दारोमदार सिर्फ दो चीजों पर मुनसर है
एक तो वह जो मेरे लिए है और दूसरी वह जो मेरे लिए नहीं है ख्वा में इस शय से कितना
ही दूर ना भागू फिर भी वह मुझ तक पहुंचेगी और जो दूसरों के लिए है ख्वा मैं इसके
हसूल में कितनी ही सही क्यों ना कर लूं वह मुझे हरगिज हासिल नहीं हो सकती फरमाया अगर
मैं दुआ करने से महरूम हो जाऊं तो इसकी अदम कबूलियत से मुझ पर शदीद मुश्किलात आ
पड़े फरमाया कि ऐ लोगों तुम ऐसे दौर की पैदावार हो जो फेल को छोड़कर कौल पर राजी
हो जाते हैं और अमल को तर्क करके इल्म पर मसरूर होने का दौर है इसलिए तुम बदतर
लोगों में और बेहतरीन दौर में हो एक शख्स ने जब हाल दरयाफ्त किया तो फरमाया कि मेरा
हाल अल्लाह ताला की खुशनूर हासिल करना और मखलूक से बे नियाज रहना है और जो खुदा
ताला से राजी होता है वह मखलूक से बे नियाज रहता है आपकी बे नियाजी का यह आलिम
था कि एक दिन कसाब की दुकान की जानिब से जिसके पास बहुत उम्दा गोश्त था गुजर हुआ
और आपकी निगाह गोश्त की तरफ उठ गई तो कसाब ने अर्ज किया कि बहुत नफीस गोश्त है खरीद
लीजिए फरमाया कि मेरे पास रकम नहीं है इसने अर्ज किया कि कर्ज ले जाइए फरमाया कि
पहले मैं अपने नफ्स को कर्ज की मोहलत पर तो राजी कर लूं इसने कहा कि बस इस गम में
आप सूख गए और हड्डियां निकल आई फरमाया कि इसके बावजूद मैं कब्र के कीड़ों के लिए
बहुत काफी नहीं एक बुजुर्ग हज का कसत करके बगदाद में ब हाजिम से मुलाकात के लिए
पहुंचे तो आप आराम फरमा रहे थे चुनांचे कुछ देर इंतजार करने के बाद जब आप बेदार
हुए तो फरमाया कि मैं ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत से मुशर्रफ हुआ और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम ने आप तक एक पैगाम पहुंचाने का हुकम दिया है कि आप अपनी वालिदा के हुकूक
नजरअंदाज ना करें क्योंकि यह हज करने से कहीं ज्यादा बेहतर है लिहाजा वापस जाइए और
वालिदा की खुशी का ख्याल रखिए चुनांचे वह हज का कसदार करके वापस हो
गए बाब नंबर आठ हजरत उबा बिन गुलाम रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब तारुफ
आपका शुमार अहले बातिन और अहले कमाल में होता है और आप हजरत हसन बसरी के
लामजाओ आम था राजी बरजा इलाही एक मर्तबा हसन बसरी के
हमराह दरिया के किनारे चल रहे थे कि अचानक पा पानी के ऊपर चलना शुरू कर दिया यह
देखकर हजरत हसन हैरत जदा रह गए और इनसे सवाल किया क्या आपको यह मर्तबा कैसे हासिल
हुआ फरमाया कि आप तो सिर्फ वह करते हैं जिसका हुकम दिया जाता है लेकिन मैं वह अमूर अंजाम देता हूं जो अल्लाह ताला का
मंशा होता है इसका मतलब यह था कि आप बहरे तस्लीम और रजा में गर्क रहते थे एहसास जया
आप इस तरह तायब हुए कि किसी हसीन औरत पर फरी फ्ता हुए और इससे किसी ना किसी तरह
अपने इश्क का हार कर दिया चुनांचे इसने अपनी कनीज के जरिया दरयाफ्त करवाया कि आपने मेरे जिस्म का कौन सा हिस्सा देखा
आपने कहा तुम्हारी आंखें देखकर आशिक हुआ हूं इस जवाब के बाद उसने अपनी दोनों आंखें
निकालकर आपकी खिदमत में रवाना करते हुए कनीज से कहलवान चीज पर आप फरिश्ता हुए थे
वह हाजिर हैं यह देखकर आपके ऊपर एक अजीब हालत तारी हो गई और हसन बसरी की खिदमत में
पहुंचकर तायब हुए और फय ज बातन से बहरा व होकर मशगूल इबादत रहे खुद अपने हाथ से जो
की काश्त करते और खुद ही अपने हाथ से आटा पीसकर पानी में तर करके धूप में खुश्क कर
लिया करते और पूरे हफ्ता एक-एक टिकिया खाकर इबादत में मशगूल रहते और फरमाया करते
कि रोजाना रफा हाजत के लिए जाने से करामन कातिब के सामने शर्म आती है लोगों ने एक
मर्तबा मौसम सरमा में सिर्फ एक कुर्ते में देखा और इसके बावजूद आपका जिस्म पसीना से
शराब पूर था और जब इसकी वजह दरयाफ्त की तो फरमाया कि मुद्दत गुजरी कि मेरे यहां कुछ
मेहमान आए और उन्होंने बिला इजाजत मेरे हमसाया की दीवार में से थोड़ी सी मट्टी ले
ली चुनांचे इस वक्त से आज तक जब भी मेरी नजर इसकी दीवार पर पड़ती है तो मैं
शर्मिंदगी से पसीना पसीना हो जाता हूं हालांकि मेरा हमसाया मुफ कर चुका है लोगों
ने अब्दुल वाहिद बिन जैद से सवाल किया कि आप किसी ऐसे फर्द से वाकिफ हैं जो अपने
हाल में मस्त रहते हुए दूसरे के हाल से बेखबर रहे फरमाया कि हां थोड़ी देर इंतजार
करो वह अभी आता है चुनांचे सामने से हजरत अतब तशरीफ ले आए और लोगों ने जब इनसे सवाल
किया कि राह में किस-किस से मुलाकात हुई तो जवाब दिया मुझको तो कोई नहीं मिला
हालांकि आप बाजार की जानिब से आ रहे थे आप ना कभी उम्दा खाना खाते और ना कभी अच्छा
लिबास पहनते एक मर्तबा आपकी वालिदा ने फरमाया ऐ अतब अपनी हालत पर रहम करो आपने
अर्ज़ किया कि मेरी ख्वाहिश तो यह है कि रोज़ महशर मुझ पर रहम किया जाए जो हमेशा के लिए सूद मंद है दुनिया तो चंद रोज है
अगर यहां के तकाली से कयामत की तकलीफ का अजला हो जाए तो बड़ी खुश बख्ती है मतवा तर
कई रात बेदार रहकर यह जुमला दोहराते रहे कि ऐ अल्लाह ख्वा मुझको अजाब में मुब्तला कर या माफ फरमा दे हर हाल में तो मेरा
दोस्त है एक मर्तबा ख्वाब में एक हूर को यह कहते देखा कि ऐ अतब मैं तुम पर फरी फता
हो गई हूं और मेरी ख्वाहिश है कि तुम कभी ऐसा काम ना करना जो हमारी जुदाई की शक्ल
में नमूद हो फरमा फरमाया कि मैं तो दुनिया को तलाक दे चुका हूं और तुझसे विसाल के
वक्त कभी दुनिया की तरफ नजर उठाकर भी ना देखूंगा कयामत एक मर्तबा किसी ने अर्ज
किया कि मुझसे बहुत से लोग आपका हाल दरयाफ्त करते हैं अगर अपनी कोई करामत
दिखाएं तो बेहतर है आपने पूछा कि बता क्या तलब है उसने अर्ज किया कि ताजा खजूर की
ख्वाहिश है हालांकि वह खजूर की फसल नहीं थी आपने फरमाया यह ले और एक ताजा खजूर से
भरी हुई थैली उसको दे दी सफर आखिरत एक दिन हजरत समाकर हजरत जुल नून हजरत राब बसरी के
यहां तशरीफ फरमा थे हजरत अतब नेया लिबास ज बतन किए अकड़े हुए पहुंचे तो हजरत
समाकलन रहे हो फरमाया कि मेरा नाम गुलाम जब्बार है इसलिए अकड़ कर चल रहा हूं और यह
कहते ही गश खाकर जमीन पर गिर पड़े और जब लोगों ने पास जाकर देखा तो आप मुर्दा थे
इसके बाद किसी ने आपको ख्वाब में देखा कि निस्फ चेहरा सया पड़ गया है और आपसे जब
इसका सबब दरयाफ्त किया तो फरमाया कि एक मर्तबा दौरे तालिब इल्मी में बड़े दाढ़ी
मूछों वाले एक खूबसूरत लड़के को गौर से देखा था चुनांचे जब मरने के बाद मुझे
जन्नत की जानिब ले जाया जा रहा था तो जहन्नम से गुजरते हुए एक सांप ने मेरे रुखसार पर काटते हुए कहा बस एक नजर देखने
की ही सजा है और अगर कभी तू इस लड़के को ज्यादा तवज्जो से देखता तो मैं भी तुझे
ज्यादा अजियत पहुंचाता बाब नंबर नौ हजरत हजरत राबिया
बसरी रहमतुल्लाह अलैहि मा के हालातो मुना किब तारुफ आप खासन खुदा वंदी और पर्दा
नशीनो की मखदूम सोखता इश्क कुर्बे इलाही की शेफा और
पाकीजा नहीं थी अगर मो तरज यह कहे कि मर्दों के तजक में औरत का जिक्र क्यों
किया गया तो इसका जवाब यह है कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया अल्लाह ताला सूरत की बजाय कल्ब को
देखता है इसलिए रोज महशर तमाम मुहास सूरत की बजाय नियत पर होगा लिहाजा जो औरत
रियाजत इबादत में मर्दों के मुमा सिल हो इसको भी मर्दों ही की सफ में शुमार करना
चाहिए इसलिए कि जब यौमे हिसाब में मर्दों को पुकारा जाएगा तो सबसे कबल मरियम आगे
बढ़ेंगी दूसरा जवाब यह है कि अगर राबे बसरी हजरत हसन बसरी की मजाल में शिरकत ना
करते तो शायद आपके तजक की जरूरत पेश ना आती लेकिन इस किताब में जिन बुजुर्गों के
हालात बयान किए गए हैं वह बतौर तौहीद के बयान किए गए जिसमें मनोतो का कोई इमतियाज
बाकी नहीं रहता और बू अली फामद के इस कॉल के मुताबिक मर्दो जन में फर्क करना बेसू द
है कि नबूवत एन इज्जत और वफात है इसमें छोटे बड़े का कोई इमतियाज नहीं इसी तरह
विलायत के मराब भी हैं जिनमें मर्द जन का इमतियाज नहीं होता और चूंकि राबे बसरी ब
तबार रियाजत और मारफ में मुमताज जमाना थी इसलिए तमाम अहले अल्लाह की नजर में मौत ब
और जी इज्जत तसव्वुर की जाती हैं और आपके अहवाल अहले दिल हजरात के लिए जबरदस्त
हुज्जत का दर्जा रखते हैं पैदाइश वजह तस्मिया विलादत की शब में आपके वालिद के
यहां ना तो इतना तेल था जिससे नाफ की मालिश की जाती और ना इतना कपड़ा था जिसमें
आपको लपेटा जा सकता हत्ता कि बदहाली का यह आलिम था कि घर में चिराग तक ना था और
चूंकि आप अपनी तीन बहनों के बाद तलित हुई इसी मुनासिब से आपका नाम राबिया रखा क्या
जब आपकी वालिदा ने वालिद से कहा कि पड़ोस में से थोड़ा सा तेल मांग लाओ ताकि घर में कुछ रोशनी हो जाए तो आपने शदीद इसरार पर
हमसाय के दरवाजे पर सिर्फ हाथ रखकर घर में आकर कह दिया कि वह दरवाजा नहीं खोलता
क्योंकि आप यह अहद कर चुके थे कि खुदा के सिवा कभी किसी से कुछ तलब ना करूंगा इसी
परेशानी में नींद आ गई तो ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत हुई और आपने तसल्ली और तश्फीन माया कि
तेरी यह बच्ची बहुत ही मकबूल हासिल करेगी और इसकी शफात से मेरी उम्मत के 1000 अफराद
बख्श दिए जाएंगे इसके बाद हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया के वाले बसरा के
पास एक कागज पर तहरीर करके ले जाओ कि तू हर यम 100 मर्तबा मुझ पर दरूद भेजता है और
शबे जुमा में 400 मर्तबा लेकिन आज जुमा की जो रात गुजरी है इसमें तू दरूद भेजना भूल
गया लिहाजा बतौर कफारा हाले हाजा को 400 दीनार दे दे सुबह को बेदार होकर आप बहुत
रोए और खत तहरीर करके दरबान के जरिए वाली बसरा के पास भेज दिया इसने मकतूब पढ़ते ही
हुकम दिया कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की याद आवरी के शुकराने में 10000
दिरहम तो फुकरा में तकसीम कर दो और 400 दीनार इस शख्स को दे दो इसके बाद वाली
बसरा ताज मन खुद आप से मुलाकात करने पहुंचा और अर्ज किया कि जब भी आपको किसी
चीज की जरूरत हुआ करें मुझे मतला फरमा दिया करें चुनांचे उन्होंने 400 दीनार
देकर जरूरत का तमाम सामान खरीद लिया हालात
राबिया बसरी ने जब होश संभाला तो वालिद का सहारा सर से उठ गया और कहत साली की वजह से
आपकी तीनों बहनें भी आपसे जुदा होकर ना जाने कहां मुकीम हो गई आप भी एक तरफ कु चल
दी और एक जालिम ने पकड़कर जबरदस्ती आपको अपनी कनीज बना लिया और कुछ दिनों के बाद
बहुत ही कलील रकम में फरोख्त कर दिया और इस शख्स ने अपने घर लाकर बेहद मुशक्कल काम
आपसे लेना शुरू कर दिया एक मर्तबा आप कहीं जा रही थी कि किसी ना महरम को अपने सामने
देखकर इतने जोर से गिरी के हाथ टूट गया इस वक्त आपने सर ब सजूर अर्ज किया कि या
अल्लाह मैं बे यार मददगार पहले ही थी और अब हाथ भी टूट चुका है इसके बावजूद मैं
तेरी रजा चाहती हूं चुनांचे निदा ए गैबी आई के राबिया गमगीन ना हो कल तुझे वह
मर्तबा हासिल होगा कि मुकर्रर फरिश्ते भी तुझ पर रश करेंगे यह सुनकर आप खुशी-खुशी
अपने मालिक के यहां पहुंच गई और आपका यह मामूल रहा के दिन में रोजा रखती और रात भर
इबादत में सर्फ कर देती और एक शब जब आपके मालिक की आंख खुली तो इसने हैरत से चारों
तरफ देखा और उस वक्त एक गोशाम आपको सर बस जूद पाया और मोल्ला के नूर आपके सर पर
फरोजा देखा जबकि आप अल्लाह ताला से यह अर्ज कर रही थी कि अगर मेरे बस में होता
तो हमा वक्त तेरी इबादत में गुजार देती लेकिन चूंकि तूने मुझे गैर का महकूटा
यह सुनकर आपका आका बहुत परेशान हो गया और यह अहद कर लिया कि मुझे तो अपनी खिदमत लेने की बजाय उल्टी इनकी खिदमत करनी चाहिए
चुनांचे सुबह होते ही आपको आजाद करके इस्तता की कि आप यहीं कयाम फरमाए तो मेरे
लिए बायस सहादत है वैसे अगर आप कहीं और जगह जाना चाहे तो आपका इख्तियार है यह
सुनकर आप हुजरे से बाहर निकल आई और जिक्र और शुगल में मशगूल हो गई आप शब रोज में
1000 रकात पढ़ा करती थी और गाहे बगाहे हसन बसरी के वाज में भी श होती एक रिवायत यह
है कि इब्तिदा में आप गाती बजाती थी बाद में तायब होकर जंगल में गशा नशीन हो गई
फिर जिस वक्त सफरे हज पर रवाना हुई तो आपका जाती गधा बहुत कमजोर था जब आप सामान
लादकर रवाना हो चुकी तो वह रास्ता में ही मर गया यह देखकर अहले काफिला आपको तन्हा
वहीं छोड़कर आगे बढ़ गए इस वक्त आपने बारगाह इलाही में अर्ज किया कि नदार आजिज के साथ यही सलूक किया जाता है कि पहले तो
अपने घर के जानिब मधु किया फिर रास्ते में मेरे गधे को मार डाला और मुझको जंगल में
तन्हा छोड़ दिया गया अभी आपका शिकवा खत्म भी ना होने पाया था कि गधे में जान आ गई
और आप इस पर सामान लादकर आजम मक्का हो गई एक रावी का बयान है कि अरसा दराज के बाद
मैंने इस गधे को मक्का मुअज्जम के बाजार में फरोख्त होते ब चश् में खुद देखा इससे
मालूम होता है कि आपकी दुआ की बरकत से इसकी उम्र तवील हुई जब आप मक्का मुजमा
पहुंची तो कुछ आयाम बयाबान में मुकीम रहकर खुदा से इल्तजा की कि मैं इसलिए दिल गरि
फ्ता हुई कि मेरी तखक तो खक से हुई और काबा पत्थर से तामीर किया गया लिहाजा मैं
तुझसे बिला वास्ता मुलाकात की ख्वाहिश मंद हू चुनांचे बिला वास्ता अल्लाह ताला ने मुखातिब करके फरमाया कि ऐ राबिया क्या
निजाम आलिम दरहम बरहम करके तमाम अहले आलिम का खून अपनी गर्दन में लेना चाहती हो क्या
तुझे मालूम नहीं कि जब मूसा ने दीदार की ख्वाहिश की और हमने अपनी तजल्ली यात में से एक छोटी तजल्ली तूर सीना पर डाली तो वह
पाश हो गया इसके बाद आप दोबारा हज को गई तो देखा कि खाना काबा खुद आपके इस्तकबाल
के लिए चला आ रहा है और आपने फरमाया कि मुझे मकान की हाजत नहीं बल्कि मकीन की
जरूरत है क्योंकि मुझे हुस्ने काबा से ज्यादा जमाल खुदा वंदी के दीदार की तमन्ना
है हजरत इब्राहिम उधम जब सफरे हज पर रवाना हुए तो हर गांव पर दो रकात नमाज अदा करते
हुए चले और मुकम्मल 14 साल में मक्का मुजमा पहुंचे और दौरान सफर यह कहते जाते
कि दूसरे लोग तो कदमों से चलकर पहुंचते हैं लेकिन मैं सर और आंखों के बल पहुंच जब
मक्का में दाखिल हुए तो वहां खाना काबा गायब था चुनांचे आप इस तस्वीर से आप दीदा
हो गए कि शायद मेरी बसारी है लेकिन गैब से निदा आई के बशारत
जायल नहीं हुई बल्कि काबा एक जफा के इस्तकबाल के लिए गया हुआ है यह सुनकर आपको
एहसास नदा मत हुआ और गिरिया कना अर्ज किया कि या अल्लाह वह कौन सी हस्ती है है निदा
आई कि वह बहुत ही अजीम उल मरतबक हस्ती है चुनांचे आपकी नजर उठी तो देखा कि सामने से
हजरत राबे बसरी लाठी के सहारे चली आ रही हैं और काबा अपनी जगह पहुंच चुका है और
आपने राबे बसरी से सवाल किया कि तुमने निजाम को क्यों दरहम बरहम कर रखा है जवाब
मिला कि मैंने तो नहीं अलबत्ता तुमने हंगामा खड़ा कर रखा है कि 14 वर्ष में
काबा तक पहुंचे हो हजरत इब्राहिम उदम ने कहा कि मैं हर गांव पर दो रकत नफल पढ़ता
हुआ आया हूं जिसकी वजह से इतनी ताखी से पहुंचा राबिया ने फरमाया कि तुमने नमाज
पढ़कर फासला तय किया है और मैं इजो इन कसारी के साथ यहां तक पहुंची हूं फिर
अदायगी हज के बाद अल्लाह ताला से रोकर अर्ज किया तूने हज पर भी अजर का वादा
फरमाया है और मुसीबत पर सबर करने का भी लिहाजा अगर तू मेरा हज कबूल नहीं फरमाता
तो फिर मुसीबत पर सबर करने का ही अजर अता कर दे क्योंकि हज कबूल ना होने से बढ़कर
और कौन सी मुसीबत हो सकती सकती है वहां से बसरा वापस होकर इबादत में मशगूल हो गई और
जब दूसरे साल हज का जमाना आया तो फरमाया गुजर्ता साल तो काबा ने मेरा इस्तकबाल किया था और इस साल मैं इसका इस्तकबाल
करूंगी चुनांचे शेख फर्मद के कॉल के मुताबिक आयाम हज के मौका पर आपने जंगल में
जाकर करवट के बल लड़क शुरू कर दिया और मुकम्मल सा साल के अरसा में अरफात पहुंची
और वहां गैबी आवाज सुन कर के इस तलब में क्या रखा है अगर तू चाहे तो हम इस तजल्ली
से भी नवाज सकते हैं आपने अर्ज किया कि मुझ में इतनी कुवत और सकत कहां अलबत्ता
रुतबे फक्र की ख्वाहिश मंद हूं इरशाद हुआ कि फक्र हमारे कहर के मुत दफ है जिसको
हमने सिर्फ इन लोगों के लिए मख्सूसपुरी [संगीत]
का हजन मलाल नहीं होता बल्कि हसूल कर्ब के लिए असरे नौ सरगरम अमल हो जाते हैं मगर तू
अभी दुनिया के 70 पर्दों में है और जब इन पर्दों से बाहर आकर हमारी राह में
गामजीन भी ना लेना चाहिए फिर इरशाद हुआ कि
इधर देख और जब हजरत राबिया बसरी ने निगाह उठाकर देखा तो लहू एक बहरे बेकरा हवा में
लटका हुआ नजर आया और निदा आई कि हमारे इन अ शाक के चश्मे खून चका का दरिया है जो
हमारे तलब में चले और पहली ही मंजिल में इस तरह पाश कस्ता होकर रह गए कि इनका कहीं
सुराग नहीं मिलता राबिया बसरी ने अर्ज किया कि इन अक की एक सिफत मुझ पर जाहिर हो
मगर यह कहते ही इन्हें नसवा नहीं मजूरी हो गई और ये नि दई कि इनका मुकाम यही है जो 7
साल तक पहलू के बल लड़खड़ाते हैं ताकि खुदा तक रसाई में एक हकीर सी शय का
मुशाहिद कर सक और वो कुर्बे मंजिल तक रसाई हासिल कर ले तो एक हकीर सी इल्लत इनकी
राहों को मजबूत करके रख द फिर हजरत राबे बसरी ने अर्ज किया कि अगर तेरी मर्जी मुझे
अपने घर रखने की नहीं तो फिर मुझे बसरा में ही सकून की इजाजत अता कर दे क्योंकि
मैं तेरे घर में रहने के अहल नहीं हूं और यहां आमद से कबल सिर्फ तमन्ना ए दीदार में
जिंदगी बसर करती रही जिसकी मुझे इतनी बड़ी सजा दी गई य अर्ज कर के बसरा वापस पहुंच
गई त हयात गुशा नशीन होकर मसरूफ इबादत रही
यकीन की दौलत दो भूखे अफराद राब बसरी के यहां बगर से मुलाकात हाजिर हुए और बाहम
गुफ्तगू करने लगे कि अगर राबिया इस वक्त खाना पेश कर दें तो बहुत अच्छा होगा क्योंकि इनके यहां रिस्क हलाल मयस्सर आएगा
आपके यहां इस वक्त सिर्फ दो ही रोटियां थी वही इनके सामने रख दी दरी यसना किसी सायल
ने सवाल किया तो आपने वह दोनों रोटियां उठाकर उसको दे दी यह देखकर हैरत जदा से रह
ग गए लेकिन कुछ वकफा के बाद एक कनीज बहुत से गरम रोटियां लिए हुए हाजिर हुई और अर्ज
किया कि यह मेरी मालिका ने भिजवाई हैं जब आपने इन रोटियों का शुमार किया तो वह तादाद में 18 थी यह देखकर कनीज ने फरमाया
शायद तुझे गलत फहमी हो गई है कि यह रोटियां मेरे यहां नहीं बल्कि किसी और के
यहां भेजी गई हैं लेकिन कनीज ने वसू के साथ अर्ज किया ये आप ही के लिए भिजवाई हैं
मगर आपने कनीज के मुसलसल इसरार के बावजूद वापस कर दी और जब कनीज ने अपनी मालिका से
वाकया बयान किया तो इसने हुकम दिया कि इसमें मजीद रोटियों का इजाफा करके ले जाओ
चुनांचे जब आपने 20 रोटियां शुमार कर ली तब इन मेहमानों के सामने रखा और वह महब
हैरत होकर खाने में मसरूफ हो गए जब फराग के तम के बाद राबिया बसरी से वाकया की
नोयल करना चाही तो फरमाया कि जब तुम यहां हाजिर हुए तो मुझको मालूम हो गया कि तुम
भूखे हो और जो कुछ घर में हाजिर था वो मैंने तुम्हारे सामने रख दिया इसी दौरान एक सा आ पहुंचा और वह दोनों रोटियां मैंने
इसे देकर अल्लाह से अर्ज किया कि तेरा वादा एक की बजाय 10 देने का है और मुझे
तेरे कौल सादिक पर मुकम्मल यकीन है लेकिन कनीज की 18 रोटियां लाने में मैंने समझ
लिया कि इसमें जरूर कोई सहू है इसलिए मैंने वापस कर दी और जब वह पूरी 20 रोटियां लेकर आई तो मैंने वादा की त कमील
में ले ली दोस्ती का हक एक मर्तबा बावज थकावट निमाज अदा करते हुए नींद आ गई इसी
दौरान में एक चोर आपकी चादर उठाकर फरार होने लगा लेकिन इसे बाहर निकलने का रास्ता
ही नजर नहीं आया और चादर अपनी जगह रखते ही रास्ता नजर आ गया लेकिन इसने बेवजह हिर्स
फिर चादर उठाकर फरार होना चाहा और फिर रास्ता नजर आना बंद हो गया गर्ज के इसी
तरह इसने कई मर्तबा किया और हर मर्तबा रास्ता मजदूर नजर आया हत्ता कि इसने निदा
ए गैब सुनी कि तू खुद को आफत में क्यों मुब्तला करना चाहता है चादर वाली ने बरसों
से खुद को हमारे हवाले कर दिया है और इस वक्त शैतान तक इसके पास नहीं भटक सकता फिर
किसी दूसरे की क्या मचाल जो चादर चोरी कर सके क्योंकि अगरचे एक दोस्त महब ख्वाब है
लेकिन दूसरा दोस्त बेदार है हकीकत शनास एक मर्तबा आपने कई यौम से कुछ नहीं
खाया और जब खादिमा खाना तैयार करने लगी तो घर में प्याज नहीं था और इसने आपके पड़ोसी
से पयाज मांग लाने की इजाजत तलब की आपने फरमाया कि मैं तो बरसों से ताला से यह अहद
किए हुए हूं कि तेरे सिवा किसी से कुछ तलब ना करूंगी लिहाजा अगर प्याज नहीं तो कोई
हर्ज नहीं अभी आपका जुमला पूरा भी नहीं हुआ था कि एक परिंदा चूच में प्याज लिए
हुए आया और हांडी में डालकर उड़ गया मगर आपने इसको फरेब शैतानी तसव्वुर करते हुए
बगैर सालन के रोटी खा ली आप एक पहाड़ी पर तशरीफ ले गई और तमाम सहराई जानवर आपके
गिर्द जमा हो गए लेकिन इस वक्त ख्वाजा हसन बसरी वहां पहुंचे तो वह तमाम जानवर भाग गए
हसन बसरी ने हैरत जदा होकर आपसे सवाल किया कि यह तमाम जानवर मुझे देखते ही क्यों भाग
गए राबिया बसरी ने पूछा कि आज आपने क्या खाया है तो उन्होंने कहा कि गोश्त रोटी यह
सुनकर आपने फरमाया जब तुम इनका गोश्त खाओगे तो फिर यह तुमसे क्यों कर मानूस हो
सकते हैं मुकाम विलायत एक मर्तबा आप हजरत हसन बसरी के मकान पर पहुंची तो इस वक्त वह
मकान की छत पर इस दर्जा मसरूफ गरिया थे के अश्कों का परनाला बह पड़ा राबिया बसरी ने
कहा कि अगर आपकी यह गिरिया जारी फरेब का राज है तो इसे बंद कर दो ताकि आपके बातिन
में ऐसा बहरे बेकरा मोजन हो जाए कि अगर इसकी गहराइयों में अपने कल्ब को तलाश करना
चाहो तो ना मिल सके क्योंकि अल्लाह ताला को ऐसा कर देने में कुदरत कामला हासिल है
आपकी यह बातें गो हसन बसरी के लिए बार खातिर हुई लेकिन आपने खामोशी इख्तियार कर
ली और एक रोज जब राबिया बसरी साहिले फरात पर मौजूद थी तो अचा हसन बसरी भी वहां
पहुंच गए और पानी पर मुसल्ला बिछाकर फरमाया कि आइए हम दोनों नमाज अदा करें
राबिया ने जवाब दिया कि अगर यह मखलूक के दिखावे के लिए है तो बहुत अच्छा है क्योंकि दूसरे लोग ऐसा करने से कासिर हैं
यह कहकर राबिया ने अपना मुसल्ला हवा के दोष पर बिछाकर फरमाया आइए दोनों यहां नमाज
अदा करें ताकि मखलूक की निगाहों से ओझल रहे फिर बतौर दिलज राबिया ने फरमाया कि जो
फेल आपने सरंजम दिया वह पानी की मामूली सी मछलियां भी कर सकती हैं और जो मैंने किया
वह एक हकीर मक्खी भी कर सकती है लेकिन हकीकत का इन दोनों से कोई ताल्लुक नहीं
हजरत हसन बसरी मुकम्मल एक शब रोज राबिया बसरी के यहां मुकीम रहे और हकीकत और मारफ
के मौजू पर गुफ्तगू करते रहे लेकिन हसन बसरी कहते हैं कि इस दौरान ना तो मुझे यह
एहसास हुआ कि मैं मर्द हूं और ना यह महसूस हुआ कि राबिया औरत है और वहां से वापसी पर
मैंने अपने आप को मुफलिस और इनको मुखलिस पाया हजरत बसरी अपने चंद रु फका के हमरा
एक शब राबे बसरी के यहां पहुंचे लेकिन इस वक्त इनके यहां रोशनी का कोई इंतजाम नहीं
था और हजरत हसन को रोशनी की जरूरत महसूस हुई चुनांचे राबिया ने अपनी उंगलियों पर
कुछ दम किया और वह ऐसे रोशन हो गई कि पूरा मकान रोशन हो गया और ता सहर व रोशनी कायम
रही लेकिन अगर कोई मो तरज यह कहे कि यह चीजें बाद अज कयास है तो इसका जवाब यह है
कि जो शख्स सदक दिली के साथ हजूर अकरम स अहि वसल्लम की तात करता है इसको आपके मोज
में से कुछ हिस्सा जरूर हासिल होता है कि खरक आदत शय का इजहार अंबिया के हक में
मोजा कहलाता है और वली के लिए करामत का लफ्ज इस्तेमाल होता है और यह करामत इसे
सिर्फ इतबा नबूवत ही से हासिल हो सकती है जैसा कि हुजूर अकरम का यह इरशाद है कि
रोया सादिका नबूवत के 40 हिस्सों में से एक हिस्सा है हजरत राबिया बसरी ने एक
मर्तबा हजरत हसन के लिए बतौर ह दिया मोम सुई और बाल रवाना किए और यह पैगाम भेजा कि
मोम की मानिंद खुद को पिघलाकर रोशनी फराह करो और सुई की मानिंद बहना रहकर मखलूक के
काम आओ और जब तुम इन दोनों चीजों की तकल कर लोगे तो बाल की मानिंद हो जाओगे और कभी
तुम्हारा कोई काम खराब नहीं होगा एक मर्तबा हसन बसरी ने सवाल किया कि तुम्हें निकाह की ख्वाहिश नहीं होती आपने जवाब
दिया कि निकाह का ताल्लुक तो जिस्म वजूद से है और जिसका वजूद अपने मालिक में मिल
गया हो उसके लिए हर शय में अपने मालिक की इजाजत जरूरी है
मफत हजरत हसन बसरी ने आपसे दरयाफ्त किया कि तुम्हें यह मराबे अजीम कैसे हासिल हुए
फरमाया कि हर शय को यादे इलाही में गुम करके फिर हजरत हसन ने सवाल किया कि तुमने
खुदा को क्यों कर पहचाना जवाब दिया कि बे माया और बे कैफ होने की वजह से एक दफा
हजरत हसन बसरी ने आपसे फरमाइश की कि मुझे इन अलम की बाबत समझाओ जो तुम्हें अल्लाह
ताला से बिला वास्ता हासिल हुए हैं फरमाया कि मैंने थोड़ा सा सूत कात कर तकल जरूरियत
के लिए दो दिरहम में फरोख्त कर दिया और दोनों हाथों में एक-एक दिरहम लेकर इस
ख्याल में गर्क हो गई कि अगर मैंने दोनों को एक हाथ में लिया तो यह जोड़ा बन जाएगा
और यह बात वहदा नियत के खिलाफ और मेरी गुमराही का बायस हो सकती है बस इसके बाद
मेरी तमाम राहें खुलती गई एक मत तबा लोगों ने आपसे बयान किया कि हजरत हसन यह कहते
रहते हैं कि अगर मैं रोज महशर एक लम्हा के लिए भी दीदार खुदा वंदी से महरूम रहा तो
इतनी गिरिया उ जारी करूंगा कि अहले फिरदौस को भी मुझ पर रहम आएगा राबिया ने कहा कि
उन्होंने बिल्कुल सही कहा है लेकिन यह शय भी इश्के शया ने शान है जो आने वाहिद के
लिए याद इलाही से गाफिल ना रहता हो जब आपसे निकाह ना करने की वजह दरयाफ्त की गई
तो जवाब दिया कि तीन चीजें मेरे लिए वजह गम बनी हुई हैं अगर तुम यह गम दूर कर दो तो मैं यकीनन कर लूंगी अव्वल यह कि क्या
खबर मेरी मौत इस्लाम पर होगी या नहीं दोम रोज महशर मेरा आमाल नामा सीधे हाथ में
दिया जाएगा या उल्टे हाथ में रोज महशर जब जन्नत में से एक जमात को दाहिनी तरफ से और
दूसरी को बाएं तरफ से दाखिल किया जाएगा तो ना जाने मेरा शुमार किस जमात में होगा
लोगों ने अर्ज किया कि इन तीनों सवालों का जवाब हमारे पास नहीं है आपने फरमाया जिसको
इतने गम हो तो इसको निकाह की क्या तमन्ना हो सकती है जब लोगों ने आपसे यह सवाल किया
कि आप कहां से आई हैं और कहां जाएंगी तो जवाब दिया कि जिस जहां से आई हूं उस जहान
में लौट जाऊंगी फिर सवाल किया गया इस जहान में आपका क्या काम है फरमाया कफ अफसोस
मिलना और जब अफसोस करने की वजह पूछी तो फरमाया कि मैं रिजक तो इस जहान का खाती हूं और काम उस जहान का करती हूं खुद शनास
यो खुदा शनास एक मर्तबा लोगों ने अर्ज किया कि आपकी शीरी बयानी तो इस काबिल है
कि आपको मुसाफिरखाना का निगरा मुकर्रर कर दिया जाए फरमाया मैं तो खुद ही अपने
मुसाफिरखाना का मुहाफिज हूं क्योंकि जो कुछ मेरे अंदर है इसे बाहर निकाल देती हूं
और जो मेरे बाहर है इसको अंदर नहीं जाने देती इसलिए मुझे किसी की आमदो रफत से कोई
सरोकार नहीं क्योंकि कल्ब की निगहबान हूं खाक जिस्म की नहीं एक मर्तबा आपसे सवाल
किया गया क्या आप इब्लीस को दुश्मन तसव्वुर करती हैं फरमाया कि मैं तो रहमान की दोस्ती में मशगूल की से इब्लीस की
दुश्मनी का तसव्वुर ही नहीं करती आलिम ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आपसे फरमाया कि तुम मुझे महबूब
रखती है तब राबिया ने अर्ज किया कि वह कौन बदनसीब होगा जो आपको महबूब ना रखता हो
लेकिन मैं तो हु बे इलाही में ऐसी गर्क हूं कि इसके सिवा किसी की महबूबिया का तसव्वुर तक भी नहीं आता यही वजह है कि मैं
किसी की महबूबिया का एहसास तक बाकी नहीं रखती लोगों के इस सवाल पर कि मोहब्बत क्या
शय है आपने फरमाया कि मोहब्बत अजल से है और अब तक रहेगी क्योंकि बजम आलम में किसी
ने इसका एक घूंट तक नहीं चखा जिसके नतीजा में मोहब्बत अल्लाह ताला में जम होकर रह
गई हो इसीलिए अल्लाह ताला का इरशाद है बबब अल्लाह इनको महबूब रखता है और वह
अल्लाह को महबूब रखते हैं एक मर्तबा किसी ने यह सवाल किया क्या आप जिसकी इबादत करती
हैं क्या वह आपको नजर भी आता है फरमाया अगर नजर ना आता तो इबादत क्यों करती आप हम
औकात गिर अजारी करती रहती थी और जब लोगों ने वजह दरयाफ्त की तो फरमाया कि मैं इस
फिराक से खौफ जदा हूं जिसको महफूज तसव्वर करती हूं और कहीं ऐसा ना हो कि दम निजा यह
नदा आ जाए कि तू लायक बारगाह नहीं है हका लोगों ने जब आपसे यह सवाल किया कि खुदा
बंदे से किस वक्त खुश होता है फरमाया कि जब बंदा मेहनत पर इस तरह शुक्र अदा करता
है जैसा कि नेमत पर करता है लोगों ने सवाल किया कि आसी की तौबा कबूल होती है या नहीं
फरमाया कि उस वक्त तक वह तौबा भी नहीं कर सकता जब तक खुदा तौफीक ना दे और जब तौफीक
हासिल हो गई फिर तो कबूलियत में भी कोई शक नहीं रहा फिर फरमाया जब तक कल्ब बेदार
नहीं होता इस वक्त तक किसी उज से भी खुदा की राह नहीं मिलती और बेदारी कल्ब के बाद
आजा की हाजत भी खत्म हो जाती है क्योंकि कल्ब बेदार वही है जो हक के अ र इस तरह जम
हो जाए कि फिर आजा की हाजत भी बाकी ना रहे और यही फना फी अल्लाह की मंजिल है हकीकी
तौबा आप अक्सर फरमाया करती थी कि सिर्फ जुबानी तौबा करना झूठे लोगों का फेल है
क्योंकि अगर सदके दिल के साथ तौबा की जाए तो वह दोबारा कभी तौबा की जरूरत ही पेश ना आए फिर फरमाया कि मफत तवज्जो
ये है कि वह खुदा से पाकीजा कल्ब तलब करें और जब अता कर दिया जाए तो फिर इसी वक्त
इसको खुदा के हवाले कर दे ताकि हिजा बात हिफाजत में महफूज रहकर मखलूक की निगाहों
से पोशीदा रहे दानिश मंदी हजरत सालेह आमरी अक्सर यह फरमाया करते थे कि जब मुसलसल
किसी का दरवाजा खटखटाया जाता है तो आखिरकार किसी ना किसी वक्त खोल ही देता है
राब बसरी ने आपका यह जुमला सुनकर सवाल किया कि आखिर वह कब तक खुलेगा क्योंकि वह
तो कभी बंद ही नहीं हुआ यह सुनकर हजरत सालेह को आपकी दानिश मंदी पर मु रत हुई और
अपनी कम अकली पर रंज एक मर्तबा राबे बसरी ने किसी को हाय गम हाय गम कि रट लगाते हुए
सुना तो फरमाया कि हाय गम ना कहो बल्कि हाय बे गमी कहकर नोहा करो क्योंकि अगर तुम
में गम होता तो तुम में यह बात करने की सकत ना होती एक मर्तबा किसी शख्स को सर पर
पट्टी बांधे हुए देखकर सबब दरयाफ्त फरमाया तो इसने अर्ज किया कि सर में बहुत दर्द है
आपने पूछा कि तुम्हारी उम्र कितनी है इसने कहा 30 साल फिर सवाल किया कि तूने 30 साल
के अरसा में कभी सेहत मंदी के शुकराने में तो पट्टी बांधी नहीं और फिर सिर्फ एक यम
के मर्ज में शिकायत की पट्टी बांधकर बैठ गया है किसी को आपने चार दिरहम देकर कंबल
खरीदने का हुकम दिया इसने सवाल किया कि कंबल स्याह लाऊ या सफेद यह सुनते ही आपने
इससे दिरहम वापस लेकर दरिया में फेंकते हुए फरमाया कि अभी कंबल खरीदा भी नहीं कि
सियाह सफेद का झगड़ा खड़ा हो गया और खरीदारी के बाद ना जाने क्या बबाल पेश आ जाता एक मर्तबा मौसम बहार में आप कुंजे
तन्हाई में थी कि खादिमा ने बाहर निकलने की इस्तता करते हुए अर्ज किया कि यहां आकर
रंगीन फितरत का नजारा कीजिए कि उसने कैसी-कैसी रंगी नियां तखक फरमाई हैं लेकिन
आपने जवाब दिया कि तू भी गोशाम होकर खुद शाने हकीकी ही का मुशाहिद कर ले क्योंकि
मेरा मुकदर साने का नजारा है ना के सनद का कुछ लोग जियारत के लिए हाजिर हुए तो देखा
कि आप दांतों में गोश्त काट रही हैं उन्होंने सवाल किया क्या आपके यहां चाकू
छुरी नहीं जो दांतों से काम ले रही हैं फरमाया कि मैं महज इस खौफ से चाकू छुरी
नहीं रखती कि वह मेरे और मेरे महबूब के रिश्ता को मुनकता ना कर दे दर्दो दिल एक
मर्तबा आपने सात शब रोज मुसलसल रोजे रखे और शब में कतन आराम भी नहीं किया लेकिन जब
आठवें दिन भूख की शिद्दत की नफ्स ने फरियाद की कि मुझे कब तक अजियत दोग तो इसी
वक्त एक शख्स खाने की कोई शय प्याले में लिए हुए हाजिर हुआ आप लेकर शमा रोशन करने
उठी इसी वक्त एक बिल्ली कहीं से आई और वह पियाला उलट दिया और जब पानी से रोजा खोलने
के लिए उठी तो शमा बुझ गई और आप खोरा गिर कर टूट गया इसी वक्त आपने एक दिलदोज आह
भरकर अल्लाह ताला से अर्ज किया कि मेरे साथ यह कैसा मामला किया जा रहा है निदा आई
कि अगर दुनियावी नेमतों की तलबगार हो तो हम अता किए देते हैं लेकिन इसके इवज में
अपना दर्द तुम्हारे कल्ब से निकाल लेंगे इसलिए कि हमारे गम और गम रोजगार का एक
कालब में इस्तमा मुमकिन नहीं और ना कभी जुदा काना मुरादें एक कल्ब में जमा हो
सकती हैं यह निदा सुनते ही दामनी उम्मीद छोड़कर अपना कल्ब हब दुनिया से इस तरह
खाली कर लिया जिस तरह मौत के वक्त मरने वाला उम्मीद जिंदगी तर्क करके कल्ब को
दुनियावी तसव्वुर से खाली कर लेता है और इसके बाद आप भी दुनिया से इस इस तरह
किनारा कश हो गई कि हर सुबह यह दुआ करती कि अल्लाह मुझे इस तरह अपनी जारी
मुतबललिस्ट
में है और ना वह मर्ज तुम्हें दिखाई दे सकता है इसका वाहिद इलाज सिर्फ विसाले
खुदा वंद है इसलिए मैं मरीजों जैसी सूरत बनाए हुए गिर्या उ जारी करती रहती हूं कि
शायद इसी सबब से कयामत में ख्वाहिश पूरी हो जाए इस्तग कुछ अहले अल्लाह हाजिर खिदमत
हुए तो आपने सवाल किया कि खुदा की बंदगी क्यों करते हो इनमें से एक ने जवाब दिया
कि हम जहन्नुम के इन तबकात से खाफ होकर जिन पर रोज महशर गुजरना पड़ेगा खुदा की
बंदगी करते हैं ताकि जहन्नम से मह मूज रहकर और दूसरे ने जवाब दिया कि हम
ख्वाहिशे फिरदौस में इसकी बंदगी करते हैं आपने फरमाया कि जो बंदा खौफ जहन्नुम और
उम्मीदे फिरदौस की वजह से बंदगी करता है वह बहुत ही बुरा है यह सुनकर लोगों ने
सवाल किया कि क्या आपको खुदा से उम्मीदो वयम नहीं फरमाया कि पहले हमसाया के बाद
में अपना घर इसीलिए हमारी नजरों में फिरदौस और जहन्नुम होना ना होना बराबर है
क्योंकि इबादत इलाही फर्ज ऐन है और अगर वह फिरदौस हो जहन्नम को तखक ना करता तो क्या
बंदे इसकी बंदगी से मुनकर हो जाते इससे मालूम हुआ कि बैम रजा से हटकर बिला वास्ता
इसकी परस्तिश करनी चाहिए एक बुजुर्ग ने आपको गंदे लिबास में देखकर अर्ज किया कि
अल्लाह के बहुत से ऐसे बंदे जो आपकी जुंबिश आबरू पर नफीस से नफीस लिबास मुहैया
कर सकते हैं फरमाया कि मुझे तलब गैर से इसलिए हया आती है कि मालिक दुनिया तो खुदा
है और अहले दुनिया को हर शय आरत अता की गई है और जिसके पास हर शय खुद आरिया हो इससे
कुछ तलब करना बायस नदा मत है यह सुनकर इन बुजुर्गों ने आपके सब्रो बे नियाजी की दात
दी आजमाइश बतौर आजमाइश कुछ लोगों ने आपसे अर्ज किया कि खुदा ने मर्दों को औरतों पर
फजीलत दी है और वस्फ नबूवत सिर्फ मर्दों ही को क्यों हासिल हुआ है इसके बावजूद भी
आपको अपने ऊपर फखर तकब्बल है और लहासिल रियाकारी में मुब्तला हैं फरमाया कि यह
तुम लोग बचा कहते हो लेकिन यह तो बताओ कि क्या कभी किसी औरत ने भी खुदाई का दावा
किया है और क्या कोई औरत भी हुई है जबकि सैकड़ों मर्द मुखन फिरते हैं एक
मर्तबा अलीलू गई और वजह मर्ज दरयाफ्त करने पर फरमाया कि जब मेरा कल्ब जन्नत की जानिब
[संगीत] मुतजेंस
के लिए हाजिर हुआ तो बसरे का एक रईस आपके आस्ताने पर रुपयों की थैली रखे हुए मसरूफ
गिरिया था और यह कहता जा रहा था यह रकम राबे की खिदमत में बतौर नजराना पेश करना
चाहता हूं लेकिन मुझे यकीन है कि वह कभी इसको कबूल नहीं फरमाएंगे लिहाजा अगर आप
सिफारिश कर दें तो शायद कबूलियत हासिल हो जाए चुनांचे हजरत हसन बसरी ने अंदर
पहुंचकर इसकी इस्तता पेश कर दी लेकिन राबिया ने फरमाया कि मैं जब से खुदा शनास
हो गई हूं इस वक्त से मखलूक से कुछ लेना और मेल मलाप तर्क कर दिया है फिर आप खुद
ही सोचे कि जिस रकम के मुतालिक यह भी इल्म नहीं कि यह जायज है या नाजायज है इसको मैं
कैसे कबूल कर सकती हूं हजरत अब्दुल वाहिद आमरी बयान करते थे य एक मर्तबा मैं और
हजरत सुफियान राबे बसरी की मिजाज पुर्सी के लिए गए हाजिर हुए तो कुछ ऐसे मरब हुए
कि लब कुशाई की हिम्मत ना हो सकी हत्ता कि राबिया ने खुद फरमाया कुछ गुफ्तगू कीजिए
तो हम दोनों ने अर्ज किया कि अल्लाह ताला आपका मर्ज दूर फरमाए राबिया ने फरमाया
अल्लाह ताला आपका मर्ज दूर फरमाए और मैं इस अता करदा शय का शिकवा कैसे कर सकती हूं
क्योंकि यह किसी दोस्त के लिए भी मुनासिब नहीं है कि रजाए दोस्त की मुखालिफत करें
फिर हजरत सुफियान ने पूछा कि क्या आपको किसी शय की ख्वाहिश है फरमाया तुम साहिबे
मफत होकर ऐसा सवाल करते हो और बसरा में खजूर की अर्जानी के बावजूद 12 साल से कुछ
खाने की ख्वाहिश है लेकिन मैंने महज इसलिए नहीं चखी कि बंदे को अपनी मर्जी के
मुताबिक कोई काम नहीं करना चाहिए क्योंकि रजाए इलाही के बगैर कोई काम करना कुफर के
हम मानी है फिर हजरत सुफियान ने अपने लिए दुआ की दरख्वास्त की तो फरमाया कि अगर
तुम्हारे अंदर खब्बे दुनिया ना होती तो तुम नेकी का मुजस्सम होते उन्होंने अर्ज
किया के यह क्या फरमा रही हैं आपने कहा सच्ची बात कह रही हूं क्योंकि अगर ऐसा ना
होता तो तुम कम अकली की बातें ना करते इसलिए कि जब तुम्हें यह इल्म है कि दुनिया
फानी है और फानी शय की हर शय फानी हुआ करती है इसके बावजूद भी तुमने यह सवाल
किया कि तुम्हारी तबीयत किस चीज को चाहती है यह सुनकर सुफियान ने मवे हैरत होकर
बारगाह इलाही में अर्ज किया कि अल्लाह मैं तेरी रजा का जोया हूं राबे ने फरमाया कि
तुम्हें रजाए इलाही की जुस्तजू करते हुए नदा मत नहीं होती जबकि तुम खुद इस की रजा
के तालिब नहीं हो कारसाज मा बफक कामा हजरत मालिक बिन दिनार कहते थे मैं एक मर्तबा
बगर से मुलाकात राबिया के यहां पहुंचा तो देखा कि एक टूटा हुआ मट्टी का लोटा है
जिसमें आप वजू करती हैं और पानी पीती हैं और एक ब सदा चटाई है जिस पर ईंट का तकिया
बनाकर इस्तरा हत फरमा हैं मैंने अर्ज किया कि मेरे बहुत से अहबाब मालदार हैं अगर
इजाजत हो तो इनसे आपके लिए कुछ तलब करो आपने सवाल किया कि क्या मुझे और तुम्हें
दौलत मंदो को रिस्क अता करने वाली एक ही जात नहीं है तो फिर क्या दरवेश को इनकी
गुरबत की वजह से इस जात ने फरामोश कर दिया है और उमरा को रिस्क देना याद रह गया है
मैंने अर्ज किया ऐसा तो नहीं है फरमाया जब वह जात हर फर्द की जरूरियत से वाकिफ है तो
फिर हमें याद दिहानी की क्या जरूरत है और हमें इसकी खुशी में खुशी होनी चाहिए
की तारीफ हजरत हसन बसरी मालिक बिन दीनार और शफीक बलखी एक मर्तबा राबिया के मकान पर
दस्त को सिफा के मौजू पर तबादला ख्याल कर रहे थे तो हसन बसरी ने फरमाया जो गुलाम
अपने आका के जर्ब को न काबले बर्दाश्त तसव्वुर करें वह अपने दावा सदक में काब है
यह सुनकर राबे बसरी ने कहा कि यह कौल खुद पसंदी का आईना दार है फिर शफीक बलखी ने
फरमाया कि जो गुलाम अपने आका के जर पर शुक्र अदा ना करे वह अपने दावा सदक में
छूटा है इस पर राबे बसरी ने फरमाया कि सादिक होने की तारीफ कुछ इससे और ज्यादा
बुलंद होनी चाहिए फिर मालिक बिन दिनार ने सदक की तारीफ में फरमाया जो गुलाम अपने
आका के जरब में लज्जत महसूस ना करें इसका दावा सदक बातिल है लेकिन रावे बसरी ने
दोबारा यही फरमाया कि इससे भी अफजल वाला कोई और तारीफ होनी चाहिए यह कहकर आपने सिद
की यह तारीफ बयान की जो मालिक के दीदार पर अपने जख्मों की अजियत फरामोश ना कर सके वह
अपने दावा सदक में झूठ है मुसन्निफ रहमतुल्ला अल फरमाते हैं कि दीदार खुदा
वंदी में शिद्दत तकलीफ को फरामोश कर देना कोई ताज्जुब की बात नहीं है जब के हुस्ने यूसुफ को देखकर मिसरी औरतों ने अपनी
उंगलियां तराश डाली और तमन्ना ए दीदार में तकलीफ का कतन एहसास ना हुआ मोहब्बत की
अलामत मश कीने बसरा में से एक शेख आपके यहां जाकर सरने बैठ बे हुए दुनिया की
शिकायात करने लगा तो राबिया ने फरमाया कि लिबान आपको दुनिया से बहुत लगाव है
क्योंकि जो शख्स जिससे बहुत ज्यादा मोहब्बत करता है इसका जिक्र भी ज्यादा
करता है अगर आपको दुनिया से लगाव ना होता तो आपका भी इसका जिक्र ना छेड़ते तवक हजरत
हसन बसरी शाम को ऐसे वक्त राबिया के यहां पहुंचे जब वह चूल्हे पर सालन तैयार कर रही
थी लेकिन आपकी गुफ्तगू सुनकर फरमाने लगे कि यह बातें सालन पकाने से कहीं बेहतर हैं
और नमाज मगरिब के बाद जब हांडी खोलकर देखा तो सालन खुद बखुदा आपने और हसन बसरी ने साथ मिलकर
गोश्त खाया और हसन बसरी फरमाते हैं कि ऐसा लजीज गोश्त मैंने जिंदगी भर नहीं खाया
मकसद बंदगी हजरत सुफियान अक्सर फरमाया करते थे कि एक शब को मैं राबिया के यहां
पहुंचा तो वह पूरी शब मशगूल इबादत रही और मैं भी एक गशा में नमाज पढ़ता रहा फिर
सुबह के वक्त राबिया ने फरमाया कि इबादत की तौफीक अता किए जाने पर हम किसी तरह
माबूद हकीकी का शुक्र अदार नहीं कर सकते और मैं बतौर शुकराना कल का रोजा रखूंगी
अक्सर आप यह दुआ किया करती थी कि या खुदा अगर रोज महशर तूने मुझे नार जहन्नुम में
डाला तो मैं एक ऐसा राज अफशा कर दूंगी जिसको सुनकर जहन्नम मुझसे 1000 साल की
मुसाफत पर भाग जाएगी ये दुआ करती कि दुनिया में मेरे लिए जो हिस्सा मतान किया
गया वह अपने मंदीन को दे दे और जो हिस्सा अकबा बे मख्सूसपुरी
जहन्नुम के डर से इबादत करती हूं तो मुझे जहन्नुम में झोंक दे और अगर ख्वाहिशे
फिरदौस वजह इबादत हो तो फिरदौस मेरे लिए हराम फरमा दे और अगर मेरी परस्तिश सिर्फ
तमन्ना ए दीदार के लिए हो तो फिर अपने जमाल आलिम फरोज से मुशर्रफ फरमा दे दे
लेकिन अगर तूने मुझे जहन्नुम में डाल दिया तो मैं यह शिकवा करने में हक ब जानिब
हूंगी कि दोस्तों के हमरा दोस्तों ही जैसा बर्ताव होना चाहिए इसलिए बाद निदा ए गैबी
आई कि तुम हमसे बदज ना हो हम तुझे अपने ऐसे दोस्तों के करीब में जगह देंगे जहां
तुम हमसे हम कलाम हो सकोगी फिर आपने खुदा ताला से अर्ज किया कि मेरा काम तो बस तुझे
याद करना है आखिरत में तमन्ना ए दीदार लेकर जाना वैसे मालिक होने की हैसियत से
तू मुख्तार कुल है एक रात हालत इबादत में आपने खुदा से अर्ज किया कि मुझे या हजूरी
कल्ब अता फरमा या फिर बेरग बती को कबूलियत इनायत कर दे वफात के वक्त आपने मजलिस में
हाजरी ने मशक से फरमाया आप हजरात यहां से हटकर मलायका के लिए जगह छोड़ दें चुनांचे
सब बाहर निकल आए और दरवाजा बंद कर दिया इसके बाद अंदर से यह आवाज सुनाई दी के या
इंतहा नफ्स अल मुतमइन अरज यानी ऐ मुतमइन नफ्स अपने मौला के जानिब लौट चल और जब कुछ
देर के बाद अंदर से आवाज आनी बंद हो गई तो लोगों ने जब अंदर जाकर देखा तो रूह कफ से
अंसरी से परवाज कर चुकी थी मशान का यह कौल है कि राबे ने खुदा की शान में कभी कोई
गुस्ताखी ना की और ना कभी दुख सुख की परवाह की और मखलूक से कुछ तलब करना
दरकिनार अपने मालिक के हकीकी से कभी कुछ नहीं मांगना और अनोखी शान के साथ दुनिया
से रुखसत हो गई इन्ना लिल्लाह व इन्ना इलैही राजिन हम सब अल्लाह ताला के लिए हैं
और इसी की तरफ लौटने वाले हैं किसी ने हजरत राबे बसरी को ख्वाब में देखकर
दरयाफ्त फरमाया कि मुनकर नकीर के साथ कैसा मामला रहा जवाब दिया कि नकीरी ने मुझसे
सवाल किया कि तेरा रब कौन है तो मैंने कहा वापस जाकर अल्लाह ताला से अर्ज करो कि जब
तूने पूरी मखलूक के ख्याल के बावजूद एक नासमझ औरत को कभी फरामोश नहीं किया तो फिर
वह तुझे क्यों कर भूल सकती है और जब दुनिया में तेरे सिवा इसका किसी से
ताल्लुक ना था फिर मलायका के जरिया जवाब तलबी के क्या मानी हजरत मोहम्मद असलम तोसा
और नईमी तर तोसा ने बयानों में 3 हज राजगीर को पानी पिलाया और आबे बसरी के
मजार पर आकर कहा कि तेरा कौल तो यह था कि तू दोनों जहानों से बे नियाज हो चुकी
लेकिन आज वो तेरी बे नियाजी कहां रुखसत हो गई चुनांचे मजार से आवाज आई कि जिस चीज का
मुशाहिद करती रही और फिल वक्त भी कर रही हूं वह मेरे लिए बहुत ही बायस बरकत
है बाब नंबर 10 हजरत फुजैल बिन अयाज रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब तारुफ
आपका शुमार ना सिर्फ अहले तकवा और अहले वरा में होता है बल्कि आप मुश कीन के
पेशवा राहे तरीकत के हादी विलायत हिदायत के मोहरे मुनव्वर और रामत रियाजत के तबार
से अपने दौर के शेखे कामिल थे आपके हम असर आपको सादी को मुक्तता तसव्वुर करते थे आप
इब्तिदा दौर में टाट का लिबास ऊनी टोपी और गले में तस्बीह डाले सहर बसरा में लूटमार
किया करते थे और डाकुओं के सरगना थे गारत गरी का पूरा माल तकसीम करके अपने लिए
पसंदीदा शय रख लिया करते थे इसके बावजूद ना सिर्फ खुद पंज गाना नमाज के आदी थे
बल्कि खुद्दाम और साथियों में जो नमाज ना पढ़ता इसको खारिज अस जमात कर देते अजीब
वाक्यात एक मर्तबा कोई मालदार काफिला इस जानिब से गुजर रहा था इनमें से एक शख्स के
पास बहुत रकम थी चुनांचे उसने लुटेरों के खौफ से यह सोचकर कि रकम बच जाएगी तो बहुत
अच्छा है और सहरा में रकम दफन करने के लिए जगह की तलाश में निकला तो वहां एक बुजुर्ग
मुसल्ला बचाए तस्बीह पढ़ते देखकर मुतमइन सा हो गया और वह रकम बतौर अमानत इन
बुजुर्ग के पास रखकर जब काफिला में पहुंचा तो पूरा काफिला लुटेरों की नजर हो चुका था
वह शख्स जब अपनी रकम की वापसी के लिए इन बुजुर्ग के पास गया तो देखा वह हजरत
लुटेरों के साथ मिलकर माल गनीमत तकसीम कर रहे हैं उस बेचारे ने इजहार तासुर करते
हुए कहा मैंने अपने ही हाथों अपनी रकम एक डाकू के हवाले कर दी लेकिन हजरत फुजैल ने
इसे अपने करीब बुलाकर पूछा कि यहां क्यों आए हो उसने डरते डरते अर्ज किया कि अपनी
रकम की वापसी के लिए आपने फरमाया कि जिस जगह रख गए थे वहीं से उठा लो जब वह अपनी
रकम लेकर वापस हो गया तो आपके साथियों ने पूछा यह रकम बाहम तकसीम करने के बजाय आपने
वापस क्यों कर दी आपने फरमाया कि इसने मुझ पर एतमाद किया और मैं अल्लाह पर तमा करता
हूं फिर चंद यौम बाद लुटेरों ने दूसरा काफला लूट लिया जिसमें बहुत मालू मता हाथ
आया लेकिन अहले काफिला में से किसी ने पूछा कि क्या तुम्हारा कोई सरगना नहीं है
लुटेरों ने जवाब दिया कि है तो सही लेकिन इस वक्त वह लबे दरिया निमाज में मशगूल है
उस शख्स ने कहा कि यह वक्त तो किसी निमाज का नहीं रजनों ने कहा कि नफल पड़ रहा है
फिर उसने सवाल किया कि जब तुम खाना खाते हो तो क्या वह तुम्हारे हमरा नहीं खाता
उन्होंने जवाब दिया कि वह दिन में रोजा रखता है उसने फिर कहा यह तो रमजान का महीना नहीं है डाकुओं ने कहा नफली रोज
रखता है यह हालात सुनकर वह शख्स हैरत जदा रह गया और हजरत फुजैल के पास जाकर अर्ज
किया कि सौमो सलात के साथ राह जनी का क्या ताल्लुक है आपने पूछा क्या तूने कुरान
पढ़ा है इस शख्स ने खब्बे असबा में जवाब दिया तो हजरत फुजैल ने यह आयत तिलावत कर
दी जिसका तर्जुमा कुछ यूं है यानी दूसरों ने अपने गुनाहों का तरा करते हुए अमले
सालेह को इसके साथ खलत मलत कर दिया आपकी जुबानी कुरानी आयत सुनकर वह शख्स महब हैरत
रह गया रिवायत है कि आप बहुत बा मुरव और बा हिम्मत थे और जिस कारवा में कोई औरत
होती या जिनके पास कलील मता होती तो इसको नहीं लूटते थे और जिसको लूटते इसके पास
कुछ ना कुछ माल मता छोड़ देते इब्तिदा दौर में आप एक औरत पर फरिश्ता हो गए और अक्सर
इसकी मोहब्बत में गिर्या उ जारी करते रहते ना सिर्फ यह बल्कि लूटे हुए सासे में से
अपना हिस्सा इस औरत के पास भेज देते और गाहे गाहे खुद भी इसके पास जाते रहते सबक
आमोस वाकया एक मर्तबा रात में कोई काफिला आकर ठहरा और इसमें एक शख्स यह आयत तिलावत
कर रहा था जिसका तर्जुमा कुछ यूं है यानी क्या अहले ईमान के लिए वह वक्त नहीं आया
कि इनके कुलूब अल्लाह के जिक्र से खौफ जदा हो जाएं इस आयत का फुजैल के कल्ब पर ऐसा
असर हुआ जैसे किसी ने तीर मार दिया हो और आपने इजहार तासु करते हुए कहा यह गारत गरी
का खेल कब तक जारी रहेगा और अब वह वक्त आ चुका है कि हम अल्लाह की राह में चल पड़ें
यह कहकर जारो केतार रोए इसके बाद से मशगूल रियाजत हो गए और एक सहरा में जा निकले
जहां कोई काफिला पड़ाव डाले हुए था अहले काफिला में से कोई कह रहा था कि फुजैल
डाके मारता है लिहाजा हमें रास्ता तब्दील कर देना चाहिए यह सुनकर आपने फरमाया अब
कतन बेखौफ हो जाओ इसलिए कि मैंने रजनी से तौबा कर ली है फिर इन लोगों ने जिनको आपसे
अजियत पहुंची थी मुफी तलब कर ली लेकिन एक यहूदी ने माफ करने से इंकार कर दिया यह
शर्त पेश की कि अगर सामने वाली पहाड़ी को यहां से हटा दो तो मैं माफ कर दूंगा
चुनांचे आपने इसकी मट्टी उठानी शुरू कर दी और इत्तफाक से एक दिन ऐसी आंधी आई कि वह
पूरी पहाड़ी अपनी जगह से खत्म हो गई और यहूदी ने यह देखकर अपने कल्ब से आपकी
दुश्मनी खत्म कर दी और अर्ज किया कि मैंने यह अहद किया था कि जब तक तुम मेरा माल
वापस नहीं करोगे मैं मुआफ नहीं करूंगा लिहाजा इस तकिया के नीचे अशरफियां की थैली
रखी हुई है वह आप उठाकर मुझे दे दें ताकि मेरी कसम का कफारा हो जाए चुनांचे वह
उठाकर आपने इसको दे दी इसके बाद इसने यह शर्त पेश की कि पहले मुझे मुसलमान कर लो
फिर माफ करूंगा और आपने कलमा पढ़ाकर इसको मुसलमान कर लिया इस्लाम लाने के बाद इसने
बताया कि मेरे मुसलमान होने की वजह यह थी कि मैंने तौरा में पढ़ा था कि अगर सदक
दिली से तायब होने वाला खाक को हाथ लगा देता है तो वह सोना बन जाती है लेकिन मुझे
इस पर यकीन नहीं था और आज जबकि मेरी थैली में मट्टी भरी हुई थी और आपने जब मुझको दी
तो वाकई इसमें सोना निकला और मुझे मुकम्मल यकीन हो गया कि आपका मजहब सच्चा है एक
मर्तबा आपने किसी से इस्तता की कि मैंने बहुत जरायम किए हैं लिहाजा मुझे अमीर वक्त
के पास ले चलो ताकि वह मुझ पर शर हदूद
नाफिया तो इसने इंतहा तजीम और तकरी के साथ आपको वापस कर दिया और जब आपने अपने घर के
दरवाजे पर जाकर आवाज दी तो बीवी ने जाफ से भरी हुई आवाज सुनकर यह तसव्वुर किया कि
शायद आप जख्मी हो गए हैं और जब बीवी ने पूछा कि जखम कहां आया है तो फरमाया आज
मेरे कल्ब पर जखम लगा है फिर बीवी से कहा कि मैं सफरे हज पर जाना चाहता हूं लिहाजा
अगर तुम चाहो तो मैं तुमको तलाक दे दूं क्योंकि इस रास्ते में तुम्हें मेरे हमराह बड़ी-बड़ी अजियत झेलनी पड़ेंगी लेकिन बीवी
ने कहा कि खादिमा बनकर तुम्हारे हमराह रहूंगी क्योंकि मेरे लिए तुम्हारी फुरकत
ना काबिले बर्दाश्त है चुनांचे आपने इन्हें भी तरीके सफर कर लिया और अल्लाह ताला ने रास्ते की तमाम मुश्किलात दूर
फरमा दी आपने मक्का मुअज्जम पहुंचकर काब उल्लाह की मुजावर इख्तियार कर ली और
मुद्दतों हजरत इमाम हनीफा की खिदमत में रहकर इल्म हासिल किया और इबादत और रियाजत
में मेराजे कमाल तक रसाई हासिल की अहले मक्का आपके गिर्द जमा रहते और आप अपने मुज
हसना से इन्हें मुतासिर फरमाते रहते दरी असना आपके कुछ आजा बगर से मुलाकात पहुंचे
तो आपने इनसे मुलाकात नहीं की लेकिन बेहद इसरार के बाद छत पर चढ़कर फरमाया कि
अल्लाह तुम लोगों को अकले सलीम अता फरमाए ताकि किसी अच्छे काम में मशगूल हो जाओ यह
अल्फाज उन लोगों पर कुछ ऐसे मोसर हुए कि इन पर गशी तारी हो गई और तमन्ना मुलाकात
के लिए वतन वापस हुए बे नियाजी एक रात हारून रशीद ने फजल बरमक को हुक्म दिया कि
मुझे किसी दरवेश से मिलवा दो चुनांचे वह हजरत सुफियान की खिदमत में ले गया और दरवाजे पर दस्तक देने के बाद जब हजरत
सुफियान ने पूछा कि कौन है तो फजल ने जवाब दिया अमीरुल मोमिनीन हारून रशीद तशरीफ लाए
हैं सुफियान ने फरमाया कि काश मुझे पहले इल्म होता तो मैं खुद इस्तकबाल के लिए
हाजिर होता यह जवाब सुनकर हारून ने फजल से कहा कि मैं जैसे दरवेश का मुतला श था
इनमें वह औसाफ नहीं है और तुम मुझे यहां लेकर क्यों आए फजल ने अर्ज किया कि आप जिस
किस्म के बुजुर्ग की जुस्तजू में है वो औसाफ सिर्फ फुजैल बिन अयाज में है यह कहकर
हारून को फुजैल बिन अयाज के यहां ले आया इस वक्त आप यह आयत तिलावत फरमा रहे थे
जिसका तर्जुमा कुछ यूं है यानी क्या लोग यह समझते हैं कि जिन्होंने बुरे काम किए
हम इनको नेक काम करने वालों के बराबर कर देंगे यह सुनकर हारून ने कहा कि इससे बड़ी
नसीहत और क्या हो सकती है फिर जब दरवाजे पर दस्तक देने के जवाब में हजरत फुजैल ने
पूछा कि कौन है फजल बरमक ने कहा अमीरुल मोमिनीन तशरीफ लाए हैं आपने अंदर
ही से फरमाया कि इनका मेरे पास क्या काम और मुझे इनसे क्या वास्ता मेरी मशगूल में
आप लोग हारिज ना हो लेकिन फजल ने कहा कि लल अमर की अतात फर्ज है आपने फरमाया कि
मुझे अजियत ना दो फिर फजल ने कहा कि आप अंदर दाखिले की इजाजत नहीं देते तो हम
बिला इजाजत दाखिल हो जाएंगे आपने फरमाया कि मैं तो इजाजत नहीं देता वैसे बिला
इजाजत दाखिले में तुम मुख्तार हो और जब दोनों अंदर दाखिल हुए तो आपने शमा बुझा दी
ताकि हारून की शक्ल नजर ना आए लेकिन इत्तेफाक से तारीख में हारून का हाथ आपके
दस्ते मुबारक पर पड़ गया तो आपने फरमाया कि कितना नरम हाथ है काश जहन्नुम से निजात
हासिल कर सके यह फरमा करर निमाज में मशगूल हो गए और फराग दे निमाज के बाद जब हारून
ने अर्ज किया कि आप कुछ इरशाद फरमाए तो आपने फरमाया कि तुम्हारे वालिद हजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के चचा थे और जब उन्होंने हजूर अकरम से इस्तता की कि मुझे
किसी मुल्क का हुक्मरान बना दीजिए तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मैं तुम्हें तुम्हारे नफ्स का हुक्मरान
बनाता हूं क्योंकि दुनियावी हुकूमत तो रोज महशर वजह निदा मत बन जाएगी यह सुनकर हारून
ने अर्ज किया कि कुछ और इरशाद फरमाए आपने फरमाया कि जब उमर बिन अब्दुल अजीज को
सल्तनत हासिल हुई तो उन्होंने कुछ जी अकल लोगों को जमा करके फरमाया कि मेरे ऊपर एक
ऐसा बार गरा डाल दिया जाए जिससे छुटकारे कोई सबील नजर नहीं आती इनमें से एक ने
मशवरा दिया कि आप हरसन रसीदा मोमिन को बाप की जगह तसव्वुर करें और हर जवान को बमणजी
के तसव्वुर करें और औरतों को मां बेटी और बहन समझे और इन्हीं रिश्तों के मुताबिक
इनसे हुस्ने सुलूक से पेश आए हारून रशीद ने फिर अर्ज किया कि कुछ और नसीहत फरमाए
तो आपने फरमाया पूरी ममल कत इस्लामिया के बाशिंदों को अपनी औलाद तसव्वुर करो
बुजुर्गों पर मेहरबानी करो छोटों से भाइयों और औलाद की तरह पेश आओ फिर फरमाया
कि मुझे खौफ है कि कहीं तुम्हारी हसीन और जमील सूरत नारे जहन्नुम का ईंधन ना बन जाए
क्योंकि महशर में बहुत सी हसीन सरतो का नार जहन्नुम जाकर हुलिया तब्दील हो जाएगा
और बहुत से अमीर असीर हो जाएंगे अल्लाह से खाफ रहते हुए महशर में जवाबदेही के लिए
हमेशा चौकस रहो क्योंकि वहां तुम एक एक मुसलमान की बाज पुस होगी और अगर तुम्हारे
कलमेर में एक गरीब औरत भी भूख सोई तो महशर में तुम्हारा गिरेबान पकड़े गी हारून पर
यह नसीहत आमज गुफ्तगू सुनते सुनते गशी तारी हो गई और फजल बर मकी ने हजरत फुजैल
से कहा कि जनाब बस कीजिए आपने तो अमीरुल मोमिनीन को नी मुर्दा ही कर दिया है हजरत
फुजैल ने फरमाया कि ऐ हा मान खामोश हो जा मैंने नहीं बल्कि तूने और तेरी जमात ने
हारून को जिंदा दरगोर कर दिया है यह सुनकर हारून पर मजीद रकत तारी हो गई और फजल बर
मक्की से कहा कि मुझे फिरौन तसव्वुर करने की निस्बत से तुझे हा मान का खिताब दिया है फिर हारून ने पूछा कि आप किसी के मकरूज
तो नहीं फरमाया बेशक अल्लाह का कर्जदार हूं और इसकी अदायगी सिर्फ अतात ही से हो
सकती है लेकिन इसकी अदायगी भी मेरे बस से बाहर है क्योंकि महशर में मेरे पास किसी
सवाल का जवाब ना होगा फिर हारून ने अर्ज किया कि मेरा मकसद दुनियावी कर्ज था आपने
फर फरमाया कि अल्लाह ताला की अता करदा नेमतें ही इतनी हैं कि मुझे कर्ज लेने की जरूरत नहीं इसके बावजूद हारून ने बतौर
नजराना 1000 दीनार की थैली पेश करते हुए अर्ज किया कि यह रकम मुझे अपनी वालिदा के
विरसा में हासिल हुई है इसलिए कतन हलाल है यह सुनकर आपने फरमाया कि सद हैफ मेरी तमाम
पंदोह बे सूद होकर रह गई क्योंकि तुमने जरा सा भी असर कबूल नहीं किया मैं तो
तुम्हें दावत निजात दे रहा हूं और तुम मुझे कैर हिलाक में झोंक देना चाहते हो
क्योंकि माल मुस्तहकम को मिलना चाहिए वह तुम गैर मुस्तक में तकसीम करने के ख्वा हो
इसके बाद हारून ने रुखसत होते हुए फजल बर मक्की से कहा यह वाकई साहिबे फजल
बुजुर्गों में से हैं वली की औलाद हजरत फुजैल एक मर्तबा अपने बच्चे को आगोश में
लिए हुए प्यार कर रहे थे कि बच्चे ने सवाल किया कि क्या आप मुझे अपना महबूब तसव्वुर
करते हैं फरमाया बेशक फिर बच्चे ने पूछा कि अल्लाह ताला को भी महबूब समझते हैं फिर
एक कल्ब में दो चीजों की महबूबिया मा हो सकती है यह सुनते ही बच्चे को आगोश से
उतार करर मसरूफ इबादत हो गए मैदान अरफात में लोगों की गिर उ जारी का मंजर देखकर
फरमाया कि इतनी गिर अजारी के साथ किसी बखिल से भी दौलत तलब करें तो शायद वह भी
इंकार नहीं कर सकता लिहाजा ए मालिक हकीकी इतनी गिरे औ जारी के बाद मगफिरत तलब करने
वालों को तू यकीनन माफ फरमा देगा आरफा की शब में किसी ने आपसे सवाल किया कि अरफात
के मुतालिक जनाब का क्या ख्याल है फरमाया कि अगर फुजैल इनमें शामिल ना होता तो
यकीनन सबकी मगफिरत हो जाती रमजो इशारा आपसे किसी ने सवाल पूछा
कि खुदा की मोहब्बत मेराजे कमाल तक किस वक्त पहुंची फरमाया कि जब हुब्ब दुनिया और
दीन बंदे के लिए मुसाब हो जाए फिर किसी ने सवाल किया कि अगर कोई फर्द इस खौफ से
लब्बैक ना कहता हो कि जवाब नफी में ना मिल जाए तो इसके मुतालिक आपकी क्या राय है
फरमाया कि इससे ज्यादा बुलंद मर्तबा कोई नहीं फिर इस दीन के मुतालिक सवाल के जवाब
में फरमाया कि अकल दीन की बुनियाद है और अकल की बुनियाद इल्म और इल्म की बुनियाद
सब्र है हजरत इमाम अहमद बिन हंबल रहमतुल्ला अल फरमाया करते थे कि मैंने
अपने कानों से हजरत फुजैल को यह कहते सुना है कि जब तालिब दुनिया रुसवा और जलील होता
है और जब मैंने अपने लिए कुछ नसी हत करने के मुतालिक अर्ज किया तो फरमाया कि खादिम
बनो मखदूम ना बनो क्योंकि खादिम बनना ही वजह सहादत है एक मर्तबा बशर हाफी ने पूछा
कि जहद रजा में अफजल कौन है फरमाया कि रजा को फजीलत इसलिए हासिल है कि जो राजी बि
रजा रहता है वह अपनी बसात से ज्यादा तलब नहीं करता सुफियान सूरी फरमाया करते थे कि
एक मर्तबा रात को आपकी खिदमत में हाजिर हुआ और कुरान और हदीस के बयान के बाद
मैंने अ अ किया कि आज की नशत और रात दोनों मुबारिक हैं खिलत से कहीं ज्यादा अफजल
फरमाया आज की शब तमाम रातों से कबी है क्योंकि आज की शब हम दोनों इसी तसव्वुर
में गर्क रहे कि गुफ्तगू का मौजू ऐसा होना चाहिए जो हम दोनों का पसंदीदा हो जबकि इस
तसव्वुर से खिलवट नशी और जिक्र इलाही में मशगूल अत कहीं ज्यादा बेहतर है इरशाद आपने
हजरत अब्दुल्लाह को सामने से आता हुआ देखकर फरमाया कि जिधर से आए हो उधर ही लौट
जाओ वरना मैं लौट जाऊंगा तुम्हारी आमद की गायत सिर्फ यह होती है कि हम दोनों बैठकर
बातें करें एक मर्तबा आपने किसी से हाजिर खिदमत होने की वजह दरयाफ्त की तो उसने
अर्ज किया कि मेरी आमद का मकसद आपकी शीने बयानी से महसूस होना है आपने कसम खाकर
फरमाया कि यह बात मेरे लिए बहुत ही वहशत अंगेज है क्योंकि तुम्हारी आमद का मकसद
सिर्फ इतना है कि हम दोनों झूठ और फरेब में मुब्तला हैं लिहाजा यहां से फौरन चले
जाओ एक मर्तबा आपने फरमाया कि मेरी ख्वाहिश सिर्फ इस गर्ज से
अलीलुया क्योंकि बंदगी एक ऐसी खिलवट नशीन का नाम है जिसमें किसी की सूरत नजर ना
पड़े और मैं ऐसे शख्स का बहुत ममनून होता हूं जो ना मुझे सलाम करे और ना मिजाज
पुर्सी को आए क्योंकि लोगों से मिलमिला और अदम तन्हाई नेकी से बहुत दूर कर दे देते
हैं और जो शख्स महज आमाल पर गुफ्तगू करता है इसकी गुफ्तगू लगव और बे सूद होती है जो
अल्लाह ताला से खौफ रखता है इसकी जुबान कंग हो जाती है और अल्लाह ताला दोस्त को
गम और दुश्मन को ऐश अता करता है फिर फरमाया जिस तरह जन्नत में रोना अजीब सी
बात है इसी तरह दुनिया में हंसना भी ताज्जुब अंगेज है क्योंकि ना जन्नत रोने
की जगह है और ना दुनिया हंसने की जगह और जिसका कल्ब खुशित इलाही से लबरेज होता है
इससे हर शय खौफ जदा रहती है फिर फरमाया बंदे में जहद की मिकर इस कदर होती है
जितना इसे आखिरत से लगाव होता है फरमाया कि मैंने पूरी उम्मत मोहम्मदी में इब्ने
सीरीन से ज्यादा बेमो रजा के आलम में किसी को नहीं देखा फिर फरमाया अगर दुनिया की हर
लज्जत मेरे लिए जायज कर दी जाती जब भी मैं दुनिया से इतना नादम रहता जितना लोग हराम
और मुर्दा शै से नादम होते हैं फिर फरमाया कि अल्लाह ने बुराइयों के मजमुआ को दुनिया
का नाम दे दिया और दुनिया से बरी उल जिमा होकर लौटना इतना ही मुश्किल है जितना
दुनिया में आना आसान है फिर फरमाया कि लोग दारुल अमराज में पागलों की मानिंद तंग जगह
में जिंदगी गुजार देते हैं फिर फरमाया कि अगर आखिरत खाकी होती और दुनिया जर खालिस
फिर भी दुनिया फानी रहती और लोगों की ख्वाहिश खाकी होने के बावजूद आखिरत ही की
जानिब होती लेकिन दुनिया खाकी है और आखिरत जर खालिस फिर आखिरत की जानिब लोगों की
तवज्जो नहीं होती फिर फरमाया कि दुनिया में जब किसी को नेमतों से नवाता जाता है
तो आखिरत में इसके 100 हिस्से कम कर दिए जाते हैं क्योंकि वहां तो सिर्फ वही
मिलेगा जो दुनिया में कमाया है लिहाजा यह इंसान के इख्तियार में है कि वह हिस्सा आखिरत में कमी कर ले या ज्यादती फिर
फरमाया कि दुनिया में उम्दा लिबास और अच्छा खाने की आदत ना डालो क्योंकि महशर में इन चीजों से महरूम कर दिए जाओगे फिर
फरमाया कि अल्लाह ताला का यह इरशाद है कि हम अंबिया राम में से किसी एक नबी से
पहाड़ पर हम कलाम होंगे चुनांचे तूर सीना के अलावा तमाम पहाड़ फखर तकब्बल के शिकार
हो गए इसलिए अल्लाह ताला ने कोहेतूर पर हजरत मूसा से कलाम फरमाया क्योंकि इजस
खुदा की पसंदीदा शय है फिर फरमाया कि तीन चीजों का हसूल नामुमकिन है इसलिए इनकी
जुस्तजू ना करो अव्वल ऐसा आलिम जो मुकम्मल तौर पर अपने इल्म पर अमल पैरा हो दोम ऐसा
आमल जिसमें इखलास भी हो सोम वो भाई जो अयूब से पाक हो क्योंकि जो फर्द अपने भाई
का जाहिर दोस्त है और बात दुश्मन हो इस पर सदा खुदा की लानत रहती है और इसकी समात
[संगीत] बसारी था कि जब अमल को रया तसव्वुर किया
जाता था और एक दौर यह है कि बे इल्मी रया में शामिल है याद रखो कि दिखावे का अमल
शर्क में शामिल है फिर फरमाया कि जहद अहले मारफ वही है जो मुकदरा पर शाकिर काने रहे
और मुकम्मल खुदा शनास इबादत भी मुकम्मल करता है और किसी से आनत का तालिब ना हो वह
जवा मर्द है फिर फरमाया कि
मुतकब्बीर
करो वरना तुम्हें हल्का इस्लाम से खारिज रखा जाएगा और अगर महबूबिया का दावा करोगे
तो दरोगी होगी क्योंकि तुम्हारा कोई अमल खुदा के महबूब जैसा नहीं है फरमाया कि जब
हवाइज जरूरियत से जिक्र इलाही से महरूम हो जाता हूं तो बेहद मलामत होती है हालांकि
तीन यौम के बाद रफा हाजत के लिए जाता हूं फिर फरमाया कि बहुत से लोग गुसल के बाद
पाक हो जाते हैं लेकिन बहुत से बद बातिन हज्ज और जियारत काबा के बाद भी नजिस लौटते
हैं फिर फरमाया कि दानिशमंद से जंग करना अहम कों के साथ मिठाई खाने से ज्यादा सहल
है फिर फरमाया जो लोग चौ पाओं पर लान तान करते हैं तो वह चुपाए कहते हैं कि हम में
और तुझ में जो लानत का ज्यादा मुस्तक हो इस पर लानत हो फिर फरमाया कि अगर मुझे
अपनी दुआ की मकबूल का ए कान होता तो मैं अपने बजाय सुल्तान वक्त के लिए दुआ करता
ताकि मखलूक को ज्यादा सुकून हासिल होता क्योंकि अपने लिए दुआ करने में अपना ही मुफद पोशीदा होता है फिर फरमाया कि खाने
और सोने की ज्यादती बायस हलाक होती है फिर फरमाया कि दो खस्त हकत पर मबन है अव्वल
बिला वजह हंसना दोम दिन रात की बेदारी से गुरेज करना और खुद अमल ना करते हुए दूसरों
को नसीहत करना फिर फरमाया कि अल्लाह ताला का यह इरशाद है कि जो मुझे याद करता है
मैं उसे याद करता हूं और जो मुझे भुला है मैं उसको भुला देता हूं और मेरे फेल के
बाद मुझे याद करना जुर्म है फिर फरमाया कि अल्लाह ला का इरशाद है कि मासि अत करने
वालों को मुबारकबाद दे दो कि जब तुम तौबा करोगे तो मैं कबूल करूंगा और सकन को डरा
दो कि अगर महशर में अदल करूंगा तो सब मुस्त वजब अजाब होंगे वाक्यात एक मर्तबा
आपके बच्चे का पेशाब बंद हो गया तो आपने दुआ फरमाई कि अल्लाह मुझे तेरी दोस्ती की
कसम इसका मर्ज दफा फरमा दे चुनांचे बच्चा इसी वक्त सेहत याबो गया और अपनी दुआओं में
अक्सर यह फरमा या करते थे कि अल्लाह तेरा दस्तूर तो यह है कि अपने महबूब बंदों और
इनके बीवी बच्चों को भूखा नंगा रखता है और इनको ऐसी गुरबत देता है कि घरों में रोशनी
तक का इंतजाम नहीं होता फिर भला तूने मुझे दौलत क्यों अता फरमाई मैं तेरे महबूब
बंदों के मर्तबा का फर्द नहीं हूं और कभी अजाब से निजात देकर मेरे हाल पर रहम फरमा
क्योंकि तू अजीमो सत्तार है मशहूर है कि आपको 30 बर्ष किसी ने भी हंसते हुए नहीं
देखा लेकिन जब आपके साहिबजादे का इंतकाल हुआ तो मुस्कुरा रहे थे और जब लोगों ने
वजह पूछी तो फरमाया चूंकि अल्लाह ताला इसके मरने से खुश हुआ लिहाजा मैं भी इसकी
रजा में खुश हूं किसी कारी ने बहुत खुश इल्हान के साथ आपके सामने आयत तिलावत की
तो आपने फरमाया मेरे बच्चे के नजदीक जाकर तिलावत करो ताकि सूरत अल कारिया हरगिज मत
पढ़ना कि खुशियली की वजह से वह जिक्र कयामत सुनने की इस्तता नहीं रखता मगर काली
ने वहां पहुंचकर यही सर किरत की और आपके साहिबजादे एक चीख मारकर दुनिया से रुखसत
हो गए जिंदगी के आखरी लम्हा में आपने फरमाया कि मुझे पैगंबरों पर इसलिए रश्क
नहीं आता इनके लिए भी कब्र कयामत और जहन्नम पुल सिरात का मरहला है और वह भी
नफ्सी नफ्सी की मंजिल से गुजरेंगे और मलायका पर इसलिए रश्क नहीं आता कि वह
इंसानों से ज्यादा खौफ जदा रहते हैं अलबत्ता इन पर जरूर रश्क आता है जिन्होंने
शेख में मादर से जन्म ही लिया है इंतकाल के वक्त आपकी दो
साहिबजादे उन्होंने अपनी जौजा मोहतरमा से फरमाया कि मेरे बाद दोनों को वो अबू कैस
पर ले जाकर अल्लाह ताला से अर्ज करना कि फुजैल ने जिंदगी भर इन्हें परवरिश किया और
जबक वह कब्र में जा चुका है तो यह दोनों तेरे सुपुर्द हैं चुनांचे बीवी ने वसीयत पर अमल किया और अभी दुआ ही में मशगूल थी
कि सुल्तान यमन इधर आ निकला इसने दोनों साहिबजादे को अपनी कफा में लेकर इनकी
वालिदा से इजाजत के बाद अपने दो लड़कों से शादी कर दी रिवायत अब्दुल्लाह बिन मुबारक
फरमाया करते थे कि हजरत फुजैल की मौत के वक्त जमीनो आसमान हजल मलाल में गर्क
थे बाब नंबर 11 हजरत इब्राहिम धम रहमतुल्लाह अल के
हालात मुना किब तारुफ आप बहुत ही अहले तकवा बुजुर्गों में
से हुए हैं और बहुत से मशक से शरफ नयाज हासिल किया बहुत अरसा तक हजरत इमाम हनीफा
रहमतुल्लाह अल की सोहबत में रहे जुनेद बगदादी फरमाते हैं कि आपको वह तमाम उलूम
हासिल थे जो औलिया कराम को हुआ करते हैं और दरह कीक आप गुंजना उलूम की तकलीद थे एक
मर्तबा इमाम अबू हनीफा की मजलिस में हाजिर हुए तो लोगों ने हकत अमेज निगाहों से देखा
लेकिन इमाम अबू हनीफा ने सैयद ना कहकर खिताब किया और अपने नजदीक जगह दी और जब
लोगों ने सवाल किया कि इन्हें सरदारी कैसे हासिल हो गई तो इमाम साहिब ने फरमाया कि
इनका मुकम्मल वक्त जिक्र शुगल में गुजरता है और हम दुनियावी मशाग में भी हिस्सा
लेते रहते हैं सबक आमज वाक्यात इब्तिदा में आप बलख के सुल्तान और अजीम उल मरतबक
हुक्मरान थे एक मर्तबा आप मह ख्वाब थे कि छत पर किसी के चलने की आहट महसूस हुई तो
तो आवाज देकर पूछा कि छत पर कौन है जवाब मिला कि मैं आपका एक शनास हूं ऊंट की तलाश
में छत पर आया हूं आपने फरमाया कि छत पर ऊंट किस तरह आ सकता है आपको ताजो तख्त में
खुदा किस तरह मिल जाएगा यह सुनकर आप हैबत जदा हो गए और दूसरे दिन जिस वक्त दरबार
जमा हुआ था तो एक बहुत ही जी हशमप हाजरी पर कुछ ऐसा रोप तारी हुआ कि
किसी में कुछ पूछने की सकत बाकी ना रही और वोह शख्स तेजी के साथ तख्ते शाही के नजदीक
पहुंचकर चारों तरफ कुछ देखने लगा और जब इब्राहिम उधम ने सवाल किया कि तुम कौन हो
और किसकी तलाश में आए हो तो उसने कहा मैं कयाम करने की नियत से आया था लेकिन यह तो
सराय मालूम होती है इसलिए यहां कयाम मुमकिन नहीं आपने फरमाया कि बरादर यह सराय
नहीं बल्कि शाही महल है इसने सवाल किया कि आपसे कबल यहां कौन आबाद था फरमाया कि मेरे
बाप दादा अर्ज के इस तरह कई पुश्तो तक पूछने के बाद उसने कहा और अब आपके बाद
यहां कौन रहेगा फरमाया कि मेरी औलादे उसने कहा जरा तसव्वुर फरमाइए कि जिस
जगह इतने लोग आकर चले गए और किसी को सवात हासिल ना हो सका वह जगह अगर सराए नहीं तो
और क्या है यह कहकर वह अचानक गायब हो गया और इब्राहिम अधम चूंकि रात ही के वाकया से
बहुत मुस्तरबते इसलिए इस वाकया ने और भी बेचैन कर दिया आप इसकी जुस्तजू में निकल
खड़े हुए और एक जगह जब मुलाकात के बाद आपने इनका नाम दरयाफ्त किया तो उन्होंने
फरमाया कि मुझे खिजर कहते हैं इसी अधेड़ वन में आप लश्कर समेत शिकार के लिए रवाना
हुए लेकिन लश्कर से बिछड़कर जब तन्हा रह गए तो गैब से निदा आई कि ऐ इब्राहिम मौत
से कबल बेदार हो जाओ और यह आवाज मुसलसल आती रही जिससे आपकी कल्बी कैफियत दगड़ गू
होती चली गई फिर अचानक सामने एक हिरन नजर आ गया और जब आपने शिकार करना चाहा तो वह
बोल पड़ा कि अगर आप मेरा शिकार करेंगे तो आप खुद शिकार हो जाएंगे और क्या आपकी तखक
का यही मकसद है कि आप सैर शिकार करते फिरें फिर आपकी सवारी के जीन से भी यही
सदा आने लगी और आप घबराकर इस तरह मतवल ला हुए कि कल्ब नूर बातन से मुनव्वर सा हो
गया इसके बाद आप तख्तो ताज को खैराबाद कहकर सहरा ब सहरा गरिया उ जारी करते हुए
निशापुर के करीब वजवा में पहुंचकर एक तारीख और भयानक गार में मुकम्मल नौ साल तक
इबादत में मसरूफ रहे और हर जुमा को लकड़ियां जमा करके फरोख्त कर देते और जो
कुछ मिलता आधा राहे मौला में दे देते और बाकी ईमानदार रकम से रोटी खरीद कर जुमा
अदा करते और फिर हफ्ता भर के लिए गार में चले जाते मौसम सरमा में यख बस्ता पानी को
जिसने बर्फ की शक्ल इख्तियार कर ली थी तोड़कर नहाए और पूरी शब मशगूल इबादत रहे
और सुबह को जब हलाक ता में सर्दी महसूस होने लगी तो आपको आग का ख्याल आया और अभी
इसी ख्याल में थे कि ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी ने पुष्ट पर गर्म पस्तीन डाल दी हो
जिसकी वजह से पुरसत नींद आ गई और जब बेदारी के बाद देखा तो एक बड़ा अजदहा था
जिसकी गर्मी ने आपको सुकून बख्शा यह देखकर आप खौफ जदा हो गए और अल्लाह ताला से अर्ज
किया कि तूने इसको मेरे लिए सुकून की वजह बनाया लेकिन अब यह कहर के रूप में मेरे
सामने है यह कहना था कि असदा फन जमीन पर मारता हुआ गायब हो गया जब आवाम को आपके
मराब का सही अंदाजा हो गया तो आपने इस गार को खैराबाद कहकर मक्का मुअज्जम का रुख
किया इसके बाद एक मर्तबा शेख अबू सद रहमतुल्लाह अलह ने इस गार की जियारत करके
फरमाया कि अगर यह गार मुश्क से लबरेज कर दिया जाता जब भी इतनी खुशबू ना होती जितनी
एक बुजुर्ग का चंद रोज कयाम से मौजूद है सहराई सफर में आपकी एक ऐसे खुदा रसीदा
बुजुर्ग से मुलाकात हुई जिसने आपको इमे आजम की तालीम दी आप हमेशा इसी इमे आजम के
जरिया अल्लाह ताला को याद करते रहे फिर इसी दौरान जब आपकी मुलाकात हजरत खिजर से
हुई तो उन्होंने फरमाया कि जिन बुजुर्ग ने तुम्हें इमे आजम की तालीम दी वह मेरे भाई
इलियास अल सलाम है इसके बाद जब आपने बाकायदा तौर पर हजरत खजर की बैत की और
बुलंद मराब तक पहुंचे फिर फरमाया एक मर्तबा मैं बेबान की खाक छानता हुआ जब
नवाह इराक पहुंचा तो मैंने ऐसे 70 फुकरा को देखा जो राहे मौला में अपनी जान निछावर
कर चुके थे लेकिन इनमें एक फर्द ऐसा बाकी था जिसमें जिंदगी के कुछ आसार मौजूद थे और
जब मैंने इस वाक की नयत दरयाफ्त की तो उसने कहा कि ऐ इब्राहिम बस मेहराब और पानी
को जुज हयात बनाकर आगे जाने की सई ना करो वरना महजूर हो जाओगे और कुर्बत का तसव्वुर
भी छोड़ दो वरना अजियत उठाओगे क्योंकि किसी किताबो ताकत नहीं कि सलामत रुई की
हालत में गुस्ताखी का मुरत कब हो सके और उस दोस्त से भी डरते रहो जो हाज यो को कुफ
फारे रूम की मानिंद बजरिया जंग ताते अख कर देता है और हम इस बयाबान में अहद करके
खुदा के सिवा किसी से सरोकार ना रखेंगे महज तवक अले अल्लाह के सहारे मुकीम हो गए
और जब कत मुसाफत करते हुए बैतुल्लाह के करीब पहुंचे तो हजरत खिजर से शरफे नयाज
हासिल हो गया और हमने आपकी मुलाकात को मुबारक फाल तसव्वुर करते हुए अपनी सही के
बराबर होने पर खुदा का शुक्र अदा किया लेकिन इस इसी वक्त निदा आई कि ऐ अहद शिनों
ए फरेब कारो क्या तुम्हारा यही अहद था कि तुम मुझको फरामोश करके दूसरों से रस्मो
रवा बढ़ाओ सुन लो कि मैं इस जुर्म की सजा में मौत के घाट उतार दूंगा चुनांचे ए
इब्राहिम उदम यह तमाम फौत शुदा लोग इसी के कहर के शिकार हो गए और अगर तुम भी खैरियत
चाहते हो तो एक कदम भी आगे ना बढ़ना और हजरत इब्राहिम रहमतुल्ला अलह ने हैरत जदा
होकर इस शख्स से पूछा कि तुम कैसे जिंदा बच गए तो जवाब दिया कि अभी नीम पुख्ता हूं
और अब इन्हीं की तरह पुख्ता होकर जान देना चाहता हूं यह कहकर वह भी जां बहक हो गया
आप कत मुसाफत करते और गिर्या उ जारी फरमाते मुकम्मल 40 बर्स में मक्का मुअज्जम
पहुंचे और जब अहले हरम बुजुर्गों को आपकी आमद की इत्तला मिली तो वह बराय इस्तकबाल
निकल खड़े हुए और आपने महज इस खौफ से कि कोई शनातन कर सके खुद को काफिले से जुदा
कर लिया और जब खादिमा अहले हरम ने जो आगे-आगे थे दरयाफ्त किया कि इब्राहीम बिन
उधम कितनी दूर हैं इसलिए कि अहले हरम इनसे नयाज हासिल करने आ रहे हैं तो आपने फरमाया
कि वो लोग एक मुलदून मिलना चाहते हैं यह सुनते ही खुदा
ने आपके मुंह पर थप्पड़ मारते हुए कहा कि मुलदून है आपने फरमाया कि मैं भी तो यही
कह रहा हूं और जब वो लोग लोग आगे निकल गए तो आपने अपने नफ्स से फरमाया अपने करतूत
की सजा भुगत ली क्योंकि खुदा का शुक्र है कि अहले हरम के इस्तकबाल करने की ख्वाहिश
पूरी ना हो सकी इसके बाद जब लोगों ने आपको शना फत कर लिया तो इस कदर अकीदत मंद हो गए
कि आपने भी वही सकून इख्तियार कर ली और बेशुमार अफराद आपके हाथों पर बैत हुए और
आपकी यह हालत थी कि हसूल रिजक के लिए बड़ी मशक्कत के साथ कभी जंगल से लकड़ियां लाकर
फरोख्त करते और कभी किसी के खेत पर रखवाली का काम करते जब आपने बलख की सल्तनत को
खैराबाद कह दिया तो इस वक्त आपका एक बहुत छोटा बच्चा था जब इसने जवानी में पूछा कि
मेरे वालिद कहां है तो वालिदा ने पूरा वाकया बयान करने के बाद बताया कि वह इस वक्त मक्का मुअज्जम में मुकीम है इसके बाद
इस लड़के ने पूरे शहर में मुनादी करवा दी कि जो लोग मेरे हमराह सफरे हज पर चलना चाहे मैं इनके पूरे खराज जात बर्दाश्त
करूंगा यह मुरादी सुनकर तकरीबन 4000 अफराद चलने पर तैयार हो गए जिनको वह लड़का अपनी
हमराह लेकर वालिद के दीदार की तमन्ना में का बतल्ला पहुंच गया और जब इसने मखे हरम
से अपने वालिद के मुतालिक दरयाफ्त किया तो उन्होंने कहा कि वह हमारे मुर्शिद हैं और इस वक्त इस नियत से जंगल में लकड़ियां
लेने गए हैं कि वह फरोख्त करके अपने और हमारे खाने का इंतजाम करें यह सुनते ही लड़का जंगल की जानिब भी चल पड़ा और एक
बूढ़े को सर पर लकड़ियों का बोझ लाते देखा तो फरते मोहब्बत से वह बेताब हो गया लेकिन
बतौर सहादत मंदी और नवाक फियत के खामोशी के साथ आपके पीछे बाजार तक पहुंच गया और
जब वहां जाकर हजरत इब्राहिम ने आवाज लगाई कि कौन है जो पाकीजा माल के एवज में
पाकीजा माल खरीदे यह सुनकर एक शख्स ने रोटियों के इवज में लकड़ियां खरीदी जिनको
आपने अपने इरादत मंदो के सामने रख दिया और खुद निमाज में मशगूल हो गए आप अपने इरादत
मंदो को हमेशा यह हिदायत फरमाया करते थे कि कभी किसी औरत या बे रैश लड़के को नजर
भर कर ना देखना और खुसूस इसी वक्त बहुत मोहता रहना जब अ आयाम हज के दौरान कसीर
औरतें और बे रेश लड़के जमा हो जाते हैं और तमाम अफराद इस हिदायत के पाबंद रहते हुए
आपके हमराह तवाफ में शरीक रहते लेकिन एक मर्तबा हालत तवाफ में एक लड़का आपके सामने
आ गया और बे साख आपकी निगाहें इस पर जम गई और फिराग से तवाफ के बाद आपने इरादत मंदो
से अर्ज किया कि अल्लाह आपके ऊपर रहम फरमाए आपने जिससे बाज रहने की हमें हिदायत की थी इसमें आप खुद ही
[संगीत] मुलव्यादि था और मुझे यकीन है कि यह वही
बच्चा है फिर अगले दिन आपका एक मुरीद जब बलख के काफिला की तलाश करता हुआ वहां पहुंचा तो देखा कि वही लड़का दीबा और हरीर
के खैमाह कुर्सी पर बैठा तिलावत कर रहा है और जब इसने आपके मुरीद से आपका मकसद
दरयाफ्त किया तो मुरीद ने सवाल किया कि आप किसके साहिबजादे हैं यह सुनते ही इस लड़के
ने रोते हुए कहा कि मैंने अपने वालिद को नहीं देखा लेकिन कल एक बूढ़े लकड़हारे को
देखकर यह महसूस हुआ कि शायद यही मेरे वालिद हैं और अगर मैं इनसे कुछ पूछ गिच
करता तो अंदेशा था कि वह फरार हो जाते क्योंकि वह घर से फरार हैं और इनका इम
गरामीण धम है यह सुनकर मुरीद ने कहा कि चलिए मैं इनसे आपकी मुलाकात करवा दूं और
अपने हमराह आपकी बीवी और लड़के को लेकर बैतुल्लाह में दाखिल हो गया और जिस वक्त
बीवी और बच्चे की आप पर नजर पड़ी तो व फूरे मोहब्बत से बया तबा दोनों लिपट गए और
रोते-रोते बेहोश हो गए और होश आने के बाद जब हजरत इब्राहिम ने पूछा कि तुम्हारा दीन
क्या है तो लड़के ने जवाब दिया इस्लाम फिर सवाल किया क्या तुमने कुरान करीम पढ़ा है
लड़के अस बात में जवाब दिया फिर पूछा कि इसके अलावा और भी कुछ तालीम हासिल की है
लड़के ने कहा जी हां यह सुनकर फरमाया कि अल्हम्दुलिल्लाह इसके बाद जब आप जाने के
लिए उठे तो बीवी और बच्चे ने इसरार करके आपको रोक लिया जिसके बाद आपने आसमान की
तरफ चेहरा उठाकर कहा कि या इलाही आसनी यह कहते ही आपके साहिबजादे जमीन पर गिर पड़े
और फौत हो गए और जब इरादत मंदो ने सबब दरयाफ्त किया तो फरमाया कि जब मैं बच्चे
से हम आगोश हुआ तो व फूरे जज्बात और फरते मोहब्बत से बेताब हो गया और उसी वक्त यह
नदा आई कि हमसे दोस्ती के दावा के बाद दूसरे को दोस्त रखता है यह निदा सुनकर
मैंने अर्ज किया कि या अल्लाह तू लड़के की जान ले ले या फिर मुझे मौत दे दे चुनांचे लड़के के हक में दुआ कबूल हो गई और अगर इस
पर कोई तराज करे तो मेरा यह जवाब है कि यह वाक हजरत इब्राहीम अल सलाम के वाक से
ज्यादा तहर खेज नहीं क्योंकि उन्होंने भी ले हुक्म में अपने बेटे को कुर्बान कर
देने की ठान ली थी आप अक्सर यह फरमाते कि मुझे यह जुस्तजू रहती थी कि रात में किसी
वक्त खाना काबा खाली मिल जाए लेकिन ऐसा मौका नसीब ना होता था इत्तफाक से एक शब
बारिश हो रही थी और तन्हा तवाफ में मशगूल था और मैं हुस्ने इत्तेफाक समझकर हल्का
काबा में हाथ डालकर अपने गुनाहों की मगफिरत तलब करने लगा लेकिन यह निदा आई कि
पूरी मखलूक मुझसे तालिब मगफिरत होती है और अगर मैं सबको माफ कर दूं तो फिर मेरी
गारत और रहमानिया की क्या कदर रह जाएगी यह सुनकर आपने अर्ज किया ऐ अल्लाह मेरी
मगफिरत फरमा दे नि दई के दूसरों के मुतालिक हमसे सवाल कर अपने मुतालिक हमसे
कुछ ना कह क्योंकि दूसरों के लिए तेरी सिफारिश मुनासिब है आप फरमाते हैं कि मैं
अक्सर यह दुआ करता ए अल्लाह तू अलीम खबीर है कि तेरी इनायत करम जो मुझ पर है इसके
मुकाबला में आठों जन्नत को भी कोई है यत नहीं और इस तरह तेरी मोहब्बत के मुकाबले
में आठों जन्नतें हीच हैं लिहाजा ए खुदा रुसवाई मासि से बचाते हुए मुझे अतात का
शर्फ अता फरमा दे और जो तेरी जात से वाकिफ है इसे क्या खबर कि इस शख्स की क्या
कैफियत होगी जो तुझसे कतन ना वाकिफ है आप अक्सर फरमाया करते थे कि 15 बरस की
मुकम्मल अजय तों के बाद मुझे यह निदा सुनाई दी कि ऐश और राहत को तर्क कर इसकी
बंदगी और अकाम की तामील के लिए मुस्ता हो जा एक मर्तबा लोगों ने सवाल किया कि आपने
सल्तनत को क्यों खैराबाद कहा फरमाया कि एक दिन आईना लिए हुए मैं तख्ते शाही पर
मुतमइन था तो इसी वक्त मुझे ख्याल आया ना तो मेरे पास तवील सफर के लिए जादरा है और
ना कोई हुज्जत दलील जबकि मेरी आखरी मंजिल कब्र है और हाकिम भी आदिल और मुनसिफ है बस
यह ख्याल आते ही मेरा दिल सा बुझ गया और मुझे सल्तनत से नफरत हो गई फिर लोगों ने
सवाल किया कि खुरासान को खैराबाद क्यों कहा फरमाया कि रोजाना लोग मिजाज पुर्सी को
आने लगे थे फिर सवाल किया कि आप निगाह क्यों नहीं कर लेते फरमाया कि क्या कोई
औरत अपने शौहर के घर नंगी भूख रहने के लिए निकाह पर राजी हो सकती है और अगर मेरा बस
चले तो मैं अपने आप ही को तलाक दे दूं फिर भला इन हालात में किस तरह मैं किसी औरत को
अपनी वाबस्ता कीी से फरेब दे सकता हूं किसी ने एक दरवेश से सवाल किया कि क्या
आपकी बीवी है तो दरवेश ने नफी में जवाब दिया जिसके बाद सायल ने जवाब दिया कि आप
बहुत अच्छे रहे क्योंकि जिसने निकाह किया वह गोया कश्ती पर सवार हो गया और जब औलाद
का सिलसिला शुरू हुआ तो समझ लो कि कश्ती गर्क हो गई किसी दरवेश ने आपके सामने
दूसरे दरवेश का शिकवा किया तो फरमाया कि तूने मुफ्त खरीदी हुई दरवेशी बे सूद
इख्तियार की और जब इसने पूछा कि क्या दरवेशी भी खरीदी जा सकती है फरमाया कि
यकीनन क्योंकि मैंने सल्तनत बलख के बदला में दरवेशी खरीदी और बहुत अर्ज खरीदी
क्योंकि दरवेशी सल्तनत के मुकाबला में बहुत बे बश है इरशाद किसी ने बतौर नजराना
आपको एक हजार दिरहम पेश करते हुए कबूल कर लेने की इस्तता की लेकिन आपने फरमाया कि
मैं फकीरों से कुछ नहीं लेता इसने अर्ज किया कि मैं तो बहुत अमीर हूं फरमाया कि
क्या तुझे इस जायद दौलत की तमन्ना नहीं है और जब इसने अस बात में जवाब दिया तो
फरमाया कि अपनी रकम वापस ले जाओ क्योंकि तू फकीरों का सरदार है रिवायत है कि जब
आपके ऊपर वारदात गैबी का नजूल होता तो फरमाया करते कि सलाती आलिम आकर देखें कि
यह कैसी वारदात है और अपनी शौकत और सल्तनत पर नादम हो फिर फरमाया कि ख्वाहिश का बंदा
कभी सच्चा नहीं हो सकता क्योंकि खुदा के साथ इखलास का ताल्लुक सदको को खुलूस नियती
से है फिर फरमाया कि जिनको तीन हाल तों में दिल जमी हासिल ना हो तो समझ लो कि
इसके ऊपर बाबे रहमत बंद हो चुका है अव्वल तिलावत कलाम मजीद के वक्त दोम हालत नमाज
में सोम जिक्र और शुगल और आरिफ की शनातन शय में हसूल इबत के लिए गौर और
फिक्र करते हुए खुद को हमद सना में मशगूल रखे और ताते इलाही में ज्यादा से ज्यादा
वक्त गुजारे फिर फरमाया कि एक मर्तबा राह में मुझे एक ऐसा पत्थर मिला जिस पर यह तहरीर था कि उल्टा पढ़ो और जब मैंने पढ़ा
तो इस पर तहरीर था कि अपने इल्म के मुताबिक इस पर अमल क्यों नहीं करते और
जिसका तुम्हें इल्म नहीं इसके तालिब क्यों हो फिर फरमाया कि हशर में वही अमल वजनी
होगा जो दुनिया में गरा महसूस होता है फिर फरमाया कि तीन रोजा नात रफा हो जाने के
बाद कल्बे सालिक पर सारे खजाने कुशा कर दिए जाते हैं और यह के कभी दुनिया की
सल्तनत कबूल ना करें दोम अगर कोई शय सलब कर ली जाए तो गमजदा ना हो क्योंकि किसी शय
के हसूल पर इजहार मुसर्रत करना हरीश होने की अलामत है और गम करना गुस्सा की निशानी
है सोम यह कि किसी तरह की तारीफ और बख्श पर कभी इजहार मुसरत ना करें क्योंकि इजहार
मुसरत करना कमतरी अलामत है और एहसास कमतरी वाला हमेशा नदा दमत का शिकार होता है वाकत
आपने किसी से सवाल किया क्या तुम जमात हक में शमू चाहते हो और जब इसने अस बात में
जवाब दिया तो आपने फरमाया कि दुनिया और आखिरत की रत्ती भर परवाह ना करते हुए खुद
को गैर अल्लाह से खाली कर लो और रिजक हलाल इस्तेमाल करो फिर फरमाया कि सौम और सलात
और जिहाद और हज पर किसी को जमा मर्दी का मर्तबा इस वक्त तक हासिल नहीं हो सकता जब
तक वह महसूस ना कर ले कि इसकी रोजी किस किस्म की है रिवायत है कि किसी ने आपसे एक
साहिबे वजद और इबादत और रियाजत में मशगूल रहने वाले नौजवान की बहुत तारीफ की
चुनांचे इश्ते के मुलाकात में जब आप इसके यहां पहुंचे तो इसने आप से तीन यम के लिए
यहां मेहमान रखने की तदा की और जब आपने तीन यौम में इसके अहवाल का मुताल किया तो
महसूस हुआ कि इसकी जितनी तारीफ सुनी थी इससे कहीं ज्यादा बेहतर साबित हुआ और यह
देखकर आपने नादम होकर फरमाया कि हम तो इस कदर काहिल वजूद है और यह शबे बेदारी करता
रहता है लेकिन फिर आपको यह ख्याल आया कि कहीं यह इब्लीस के किसी फरेब में मुब्तला
तो नहीं इसलिए यह देखना चाहिए कि यह हलाल रिजक इस्तेमाल करता है या नहीं और जब आपको
यह यकीन हो गया कि इसकी रोजी हलाल नहीं है फिर आपने इससे अपने यहां तीन रोज मेहमान
रखने के मुतालिक फरमाया और इसके हमराह लाकर खाना खिलाया जिसके बाद उसकी पहली सी
हालत बाकी नहीं रही और जब इससे पूछा कि आपने यह क्या कर दिया है है तो फरमाया कि
तुझे रिस्क हलाल हासिल ना होने की वजह से शैतान की कार फरमाया जारी थी और अब मेरे
यहां के रिस्क हलाल ने तेरी बात हालत को तब्दील करके रख दिया है और तुझे यह भी
मालूम हो गया कि तमाम इबादत और रियाजत का ताल्लुक सिर्फ रिजक हिलाल पर मकू है एक
दिन आपके पास हजरत शफीक बलखी आए और सवाल किया कि आपने दुनिया से फरार क्यों
इख्तियार किया फरमाया कि अपने दीन को आगोश में लिए सहरा ब सहरा करिया ब करिया इसलिए
भागता फिरता हूं कि देखने वाले मुझे या तो मजदूर तसव्वुर करें या दीवाना ताकि अपने
दीन को सलामत लेकर मौत के दरवाजे से निकल जाऊं माहे रमजान में आप जंगल से घास लेकर
फरोख्त किया करते और इससे हासिल होने वाली रकम को खैरात करके पूरी शब मसरूफ इबादत
रहते और जब आपसे सवाल किया गया कि आपको नींद नहीं आती फरमाया कि जिसकी आंखों से
हम वक्त सैलाब अश्क रवा हो इसको भला नींद क्यों करा सकती है और आपका यह मामूल था कि
फरात नमाज़ के बाद अपना चेहरा छुपाकर फरमाते कि मुझे यह खौफ रहता है कि अल्लाह
ताला मेरी नमाज को मेरे मुंह पर ना मार दे एक यौम आपको खाना नसीब ना हुआ तो शुकराने
की 400 रकत अदा की और जब इस तरह मुकम्मल सात यम गुजर गए और आपके जाफ और कमजोरी में
इजाफा होता चला गया तो आपने अल्लाह ताला से भूख का इजहार किया चुनांचे इसी वक्त एक
नौजवान आपको अपने मकान पर ले गया और आपको पहचान कर अर्ज किया कि मैं आपका दरी गुलाम
हूं और मेरी तमाम अमला आप ही की मलकीत है यह सुनकर आपने उसे आजाद करके तमाम जायदाद
उसी के हवाले कर दी और यह अहद कर लिया कि अब कभी किसी से कुछ तलब ना करूंगा क्योंकि
रोटी के एक टुकड़े की तलब पर पूरी दुनिया पेश कर दी गई अपने इरादत मंदो के हमराह आप
एक मस्जिद में कयाम फरमा हुए और रात को तेज तुं सर्द हवाएं चलने लगी तो आप मस्जिद
का दरवाजा रोककर खड़े हो गए और मुरीदन के सवाल पर फरमाया कि मैं तुम्हें अजियत से
बचाने के लिए खड़ा हो गया ताकि तमाम सर्द हवाओं से महफूज रह सकें दौरान सफर एक
मर्तबा आपके पास जादरा खत्म हो गया तो आपने 40 यम मट्टी खाकर इसलिए गुजार दिए कि
मेरी वजह से किसी को जाद रह पेश करने की जहमत ना हो हजरत सुहेल फरमाया करते थे कि
मैं एक मर्तबा आपके हमराह दौरान सफर बीमार हो गया और आपके पास जो कुछ था वह सब मेरी
बीमारी पर खर्च कर दिया और जब सब चीजें खत्म हो गई तो अपना खच्चर फरोख्त करके खर्च किया और सेहत याबो के बाद जब मैंने
खच्चर के बारे में दरयाफ्त किया तो फरमाया वह तो मैंने फरोख्त कर दिया फिर जब मैंने
अर्ज किया कि मैं सफर किस तरह कर सकूंगा तो फरमाया कि मेरे कांधे पर और आप यकीन
करें कि मुझे अपने कांधे पर बिठाकर तीन मन मंजिल तक सफर किया एक रिवायत में है कि जब
आपके पास खाने को कुछ बाकी ना रहा तो मुसलसल 15 यम तक रेत खाकर गुजार दिए और
फिर आप फरमाया करते थे कि मैंने कभी मक्का मुजमा में इसलिए कोई फल नहीं खरीदा कि
वहां की बेश तर जमीनें फौजियों ने खरीद रखी थी आप फरमाते हैं कि मैंने बेशुमार हज
करने के बाद भी महज इसी खौफ से कभी आबे जमजम नहीं पिया कि इस पर हुकूमत का डोल
रहता था आपको दिन भर मजदूरी के बाद जो रकम मिलती वह सब अपने इरादत मंदो पर सर्फ कर
देते और एक रात जब आपको को आने में बहुत ताखी हो गई तो इस तसव्वुर से कि शायद अब
आप ना आए सब मुरीद खाना खाकर सो गए और आपने वापसी पर सबको महब ख्वाब देखकर यह
ख्याल किया कि शायद यह सब भूखे ही सो गए चुनांचे आप आटा लेकर आए और आग रोशन करने
में मसरूफ हो गए इत्तफाक से इसी वक्त एक मुरीद बेदार हो गया और सवाल किया कि आप यह
मुसीबत क्यों बर्दाश्त कर रहे हैं फरमाया कि मुझे ख्याल आया कि शायद तुम लोग बगैर
खाए सो गए इसलिए खाने की तैयारी में मसरूफ हूं यह सुनकर मुरीद को बेहद नदा मत हुई और
दूसरे मुरीद से कहने लगा कि हम सब तो आपकी आमद में ताखी की वजह से ना जाने किन शक को
शुभत में मुब्तला थे और आप हमारे मुतालिक कितनी अजियत बर्दाश्त कर रहे हैं अगर कोई
आपकी मयत इख्तियार करना चाहता तो आप इसके सामने तीन शर्तें फरमाते अव्वल यह कि मैं
सबका खादिम बनकर रहूंगा दो अजान भी खुद दिया करूंगा सोम जो शय मुझे
मयस्सर होगी वह सबको मसावी तकसीम करूंगा और जब एक शख्स ने कहा कि मैं इन शराय की
पाबंदी नहीं कर सकता तो फरमाया कि मुझे तेरी सदाकत पर हैरत है एक शख्स बरसों आपकी
सोहबत में रहकर जब वापस जाने लगा तो अर्ज किया कि अगर कुछ खामियां या बुराइयां आपने
मेरे अंदर देखी हो तो मुतबललिस्ट [संगीत]
नजर मोहब्बत से देखा है और अयूब पर सिर्फ दुश्मन की नजर होती है एक दिन कोई मजदूर
दिन भर की नाकामी के बाद जब घर की तरफ चला तो ख्याल आया कि आज अहलो अयाल को क्या
जवाब दूंगा इसी आलम में सरे राह इसकी मुलाकात हजरत इब्राहिम बिन अदम से हो गई
और इसने अर्ज किया कि मुझे आपकी हालत पर सिर्फ इसलिए रश्का आता है कि आप आसूदा और
मुतमइन है लेकिन मैं शब रोज मसाइल में मुब्तला रहता हूं आपने फरमाया कि आज तक की
इबादत सदका में तुझे नजर करता हूं और तू सिर्फ आज की परेशानियां मुझे अता कर दे
खलीफा मोत समम बे अल्लाह ने जब आपसे आपकी मसरूफियत के मुतालिक सवाल किया तो फरमाया
कि मैंने दुनिया और आखिरत इनके तलबगार के लिए वक्फ करके अपने लिए आखिरत में सिर्फ
दीदार इलाही को मुंतखाब कर लिया है फिर जब किसी और ने आपसे यही सवाल किया तो फरमाया
कि अल्लाह के कारिंदे को किसी भी काम की हाजत नहीं रहती एक मर्तबा हज्जाम आप आप का
खत बना रहा था कि किसी ने अर्ज किया इसको कुछ मुआवजा दे दीजिएगा चुनांचे आपने एक
थैली उठाकर इसको दे दी लेकिन इसी वक्त इत्तफाक से एक सायल आ गया और हज्जाम ने वह
थैली उसे दे दी यह देखकर आपने फरमाया कि इसमें तो सोना और अशरफियां भरी हुई थी
उसने कहा कि इसका इल्म तो मुझे भी है और यह भी मालूम है कि इंसान दिल से गनी होता है ना कि दौलत से लेकिन मैं जिसकी राह में
लुटाता हूं उससे आप ना वाकिफ हैं आप फरमाते हैं कि इसका यह जुमला सुनकर मुझे
बेहद नदा मत हुई और मैंने नफ्स से कहा कि जैसा तूने किया वैसी ही सजा मिल गई लोगों
ने जब आपसे यह सवाल किया कि क्या हालत में आपको कभी मुसर्रत भी हासिल हुई तो
आपने फरमाया कि बहुत मर्तबा और एक मर्तबा मैं कसी कपड़ों और बढ़े हुए बालों की हालत
में कश्ती पर सवार हो गया और अहले कश्ती मेरा मजाक उड़ाने लगे हत्ता कि एक मसखरा
बार-बार मेरे बाल नोचता और घूंसे मारता रहा चुनांचे इस वक्त मुझे अपने नफ्स की
रुसवाई पर बेहद मुसरत हुई फिर इसी दौरान दरिया में तूफान आ गया और मल्लाह ने कहा
कि इस दीवाने को दरिया में फेंक दो और जब लोगों ने मेरा कान पकड़कर फेंकना चाहा तो
तूफान ठहर गया और मुझे अपनी जिल्लत पर बेहद खुशी हुई आप फरमाया करते कि मैं तवक
करके एक जंगल में पहुंच गया और जब वहां कई यौम कुछ ना खाने के बाद यह ख्याल आया कि
करीब में मेरे एक दोस्त रहते हैं इनके हां कुछ खा लिया जाए लेकिन उसी वक्त यह
तसव्वुर भी आया कि इस तरह तो मेरा तवल ही कदम हो जाएगा एक मस्जिद में पहुंचकर यह
कलमा विरद करना शुरू कर दिया तव
तवला यानी मेरा तवक इस पर है जो जिंदा है और कभी ना मरेगा इसके बाद निदा गैबी आई कि
अल्लाह ने मुतली से आलिम को पाक कर दिया है और मैंने जब सवाल कि कि यह निदा कैसी
है तो निदा आई के इसको किसी तौर पर भी [संगीत]
मुतकब्बीर
मेरे पास तो ऐसी बेहूदा बात का जवाब नहीं है आप फरमाया करते थे कि मैंने एक गुलाम
खरीद कर जब इसका नाम दरे दफ्त किया तो उसने जवाब दिया कि आप चाहे जिस नाम से
पुकार फिर मैंने जब यह सवाल किया कि तुम क्या खाते हो तो उसने कहा जो आप खिला दें
मैंने पूछा कि तुम्हारी ख्वाहिश क्या है तो उसने जवाब दिया कि जो आपकी ख्वाहिश हो गुलाम को इन चीजों से बहस नहीं हुआ करती
यह सुनकर मैंने सोचा कि काश मैं भी अल्लाह ताला का यूं ही अतात गुजार होता तो कितना बेहतर था जब लोगों ने आपसे सवाल किया कि
आप किसकी बंदगी करते हैं यह सुनकर आप लर्ज बर अंदामम होकर जमीन पर गिर पड़े और बहुत
बहुत देर तक लौटते रहे फिर बैठकर यह आयत तिलावत की जिसका तर्जुमा कुछ यूं है आसमान
और जमीन पर रहने वाले सब के सब खुदा के सामने बंदे होकर आने वाले हैं और जब लोगों
ने यह सवाल किया कि जमीन में गिरने से कबल आपने यह आयत क्यों तिलावत नहीं की फरमाया
कि अगर मैं खुद को अल्लाह का बंदा कहूं तो वह हक बंदगी तलब करेगा और बंदा होने से
मुनकर भी नहीं हो सकता फिर किसी ने पूछा कि आपके औकात किन मशाग में गुजरते हैं
फरमाया कि मेरे पास चार सवारियां हैं जब नेमत हासिल होती है तो शुक्र की सवारी पर
इसके सामने जाता हूं और जब फरमाबरदार करता हूं तो खुलूस की सवारी पर इसके सामने जाता
हूं और जब मासि अत का मुरत होता हूं तो नदा मत तौबा की सवारी पर हाजिर होता हूं
और मसाइल में मुब्तला होता हूं तो सब्र की सवारी से काम लेता हूं आपका एक कौल यह भी
है कि जब तक बंदा अहलो अयाल को छोड़कर कुत्तों की मानिंद घोड़े की कमर पर ना
लौटे इस वक्त तक वह मर्दों की सफ में शुमार नहीं किया जाता और आपका यह कॉल
इसलिए भी सही है कि आपने सल्तनत छोड़कर जिल्लत और रुसवाई इख्तियार की जिसकी वजह
से दौलत फक्र से मालामाल हुए किसी जगह शयख का मजमा था और जब आपने इनके नजदीक बैठना
चाहा तो उन्होंने मना करते हुए कहा कि अभी तुम्हारे अंदर से हुकूमत की बू नहीं गई यह
बात कितनी ताज्जुब खेज है कि इन शयोक ने जब आप जैसी हस्ती को कुर्ब अता नहीं किया
तो दूसरों के लिए इनका क्या तसव्वुर होगा और खुद इनके मराब का खुदा के सिवा कौन
अंदाजा कर सकता है किसी ने आपसे सवाल किया कि दिलों पर पर्दे क्यों पड़े हुए हैं
फरमाया कि खुदा के दुश्मनों को अपना दोस्त समझने पर और आखिरत की नेमतों को फरामोश कर
देने की वजह से किसी ने आपसे नसीहत करने की ख्वाहिश की तो फरमाया कि खालिक को महबूब रखते हुए मखलूक से किनारा कश हो जाओ
और बंद को खोल दो और खुले को बंद कर लो और जब इसने इस जुमले का मफू पूछा तो फरमाया
कि कि सेमो जर की मोहब्बत छोड़कर थैली का मुंह कु शदा कर दो और लवित से एतराज करो
हजरत अहमद खिजर या का कौल है कि एक मर्तबा हजरत इब्राहिम बिन उदम ने हालत तवाफ में
किसी से फरमाया कि जब तक अपने ऊपर अजमत इज्जत और ख्वाबो इमारत का दरवाजा बंद करके
फक्र जिल्लत और बेदारी का दरवाजा कुशा ना करोगे इस वक्त तक तुम्हें सलिहीन का
मर्तबा हासिल नहीं हो सकता किसी ने आपसे नसीहत करने की ख्वाहिश की तो फरमाया कि छह
आदतें इख्तियार कर लो अव्वल जब तुम इतका बे मासि अत करते हो तो खुदा का रिजक मत
इस्तेमाल करो दोम अगर मासि अत का [संगीत]
कसदार करो जहां वह देख ना सके और इस पर जब लोगों ने यह तराज किया कि वह कौन सी जगह
है जहां वह नहीं देख सकता जबकि वह इसरा कुलूब तक्त से वाकिफ है तो फरमाया कि यह
कैसा इंसाफ है कि इसका रिजक इस्तेमाल करो और इसी के मुल्क में रहो और इसी के सामने
गुनाह भी करो चरम फरिश्ता अजल से तौबा का वक्त तलब करो पंचम मुनकर नकीर को कब्र में
मत आने दो सशम जब जहन्नुम में जाने का हुक्म मिले तो इंकार कर दो यह सब बातें
सुनकर सायल ने अर्ज किया कि यह तमाम चीजें तो नामुमकिन में से हैं और कोई भी इनकी
तक्मी नहीं कर सकता आप ने फरमाया कि जब यह तमाम चीजें नामुमकिन उल अमल हैं तो फिर
गुनाह ना करो यह सब सुनकर वह शख्स तमाम गुनाहों से तायब होकर इसी वक्त आपके सामने
फौत हो गया जब लोगों ने आपसे दुआओं की अदम कबूलियत की शिकायत की तो फरमाया कि तुम
खुदा को पहचानते हुए भी इसकी अतात से गुरेज हो और इसके कुरान और रसूल से वाकिफ
होते हुए भी इनके अह काम पर अमल पैरा नहीं होते और इसका रिजक खाकर भी इसका शुक्र
नहीं करते जन्नत में जाने और जहन्नुम से निजात पाने का इंतजाम नहीं करते मां-बाप
को दफन करके भी इबरत हासिल नहीं करते इब्लीस को गनीम जानते हुए भी इससे मादन
नहीं करते मौत की आमद का यकीन रखते हुए इससे बेखबर हो और अपने अयूब से वाकिफ होते
हुए भी दूसरों की अयूब जुई करते हो फिर भला खुद सोचो कि ऐसे लोगों की दुआएं कैसे
कबूलियत हासिल कर सकती हैं एक मर्तबा किसी ने पूछा कि फाका कश इंसान क्या करें फरमाया केता दम मर्ग सब्र से काम ले ताकि
कातिल से खून बहा लिया जा सके फिर किसी ने अर्ज किया कि आजकल गोश्त बहुत गरा हो गया
है फरमाया कि खाना तर्क कर दो अपने आप अर्जा हो जाओगे एक मर्तबा आप वो सदा लिबास
में हिमाम के अंदर जाने लगे तो लोगों ने आपको रोक दिया और आपने आलिम जजब में
फरमाया कि जब गरीब को इब्लीस के घर में दाखिला की इजाजत नहीं तो फिर बगैर बंदगी
के कोई खुदा के घर में क्यों दाखिल होता है हज के दौरान आपको खाना मयस्सर ना आया
तो इब्लीस ने सामने आकर कहा सल्तनत छोड़कर सवाय फाका कुशी के और क्या मिला इस वक्त
आपने अल्लाह ताला से अर्ज किया कि गनीम को दोस्त के पीछे क्यों लगा दिया निदा है कि तुम्हारी जेब में जो चीज है इसे फेंक दो
ताकि तुम्हें इसका राज मालूम हो जाए चुनांचे आपने जेब में हाथ डाला तो थोड़ी
सी चांदी बरामद हुई वो फेंकते ही इब्लीस रफू चक्कर हो गया एक मर्तबा आपके साथ यही
सलूक किया गया आप एक मर्तबा खजूर चुनने पहुंचे तो जब आपका दामन खजूरों से भर जाता
तो लोग छीन लेते और 40 मर्तबा आपके साथ यही सलूक किया गया 41 वं मर्तबा किसी ने
नहीं छीनी और गैब से निदा आई कि ये 40 बार की सजा इसलिए दी गई कि तुम्हारे दौरे
हुकूमत में चार पहरादर जरी शमशीर से मरस तुम्हारे आगे चला करते थे फिर फरमाया कि
एक मर्तबा मुझे एक बाग का रखवाला मुकर्रर कर दिया गया और जिसने तकर किया था इसने ने
एक दिन कहा कि मेरे लिए शीरी अनार तोड़ लाओ चुनांचे मैंने जितने भी अनार इसको पेश
किए वह सब के सब र्ष निकले उसने कहा कि तुम्हें आज तक शेरी और तुर अनार की शनातन
हो सकी मैंने कहा कि मुझे नगरानी पर मुकर्रर किया गया है ना कि खाने के लिए यह
सुनकर बाग के मालिक ने कहा कि मालूम होता है तुम इब्राहिम बिन अदह हो यह सुनते ही
आप वहां से ना मालूम सिमत की जानिब चले गए आप फरमाया करते कि एक मर्तबा हजरत
जिब्राइल को में देखा कि वह कोई किताब से बगल में दबाए हुए हैं और मेरे सवाल के
जवाब में फरमाया मैं इसमें अल्लाह के दोस्तों के नाम दर्ज करता रहता हूं फिर मैंने पूछा कि क्या इसमें मेरा नाम भी
शामिल है फरमाया कि तुम्हारा शुमार खुदा के दोस्तों में नहीं होता मैंने अर्ज किया
कि इसके दोस्तों का दोस्त तो जरूर हूं यह सुनकर वह कुछ देर साक रहे फिर फरमाया कि
मुझे मन जानिब अल्लाह य हुकम मिला है कि सबसे पहले तुम्हारा नाम दर्ज कर दूं इसके बाद दूसरों का क्योंकि इस रास्ता में
मायूसी के बाद ही उम्मीद होती है आप फरमाया करते कि मैं एक रात बैतुल मुकद्दस
में मुकीम था और इस खौफ से कि वहां के खद्दर ना निकाल दें चटाई लपेट कर बैठ गया
और अभी एक तिहाई रात बाकी थी कि दरवाजा खुद बखुदा खुला और एक बुजुर्ग 40 अफराद के
हमराह तशरीफ लाए और तमाम हजरत टाट के लिबास में मलब उसस थे फिर सबने मेहराब
मस्जिद में नमाज अदा की और मेहराब की जानिब पुष्ट करके बैठ गए इनमें से एक ने
कहा कि आज मस्जिद में कोई शख्स ऐसा जरूर है जिसका ताल्लुक हमारी जमात से नहीं यह
सुनकर इन बुजुर्ग ने फरमाया कि वह इब्राहिम बिन उदम है जिनको 40 रातें इबादत करते गुजर गई लेकिन कोई लज्जत हासिल ना कर
सके आप कहते हैं कि मैं यह सुनकर चटाई से निकल आया और अर्ज किया कि अगर रियाजत का
यही मफू है तो आज से मैं भी आपकी जमात में शामिल होता हूं एक मर्द आप सफर कर रहे थे
और रास्ते में एक सिपाही मिल गया और इसने जब आपका नाम पूछा तो आपने कब्रिस्तान की
तरफ इशारा किया इस पर सिपाही को बहुत गुस्सा आया और कहने लगा मुझसे दिल लगी
करते हो वह आपकी गर्दन पर रस्सी डालकर जदो कोप करता हुआ आबादी में ले आया और जब अहले
करिया ने सिपाही से कहा कि तुमने यह क्या सितम किया है यह तो हजरत इब्राहिम बिन अधम
है ये सुनकर जब उसने माफी तलब की तो फरमाया तूने जुल्म करके मुझे जन्नत का मुस्तक बना दिया इसलिए मैं तुझे दुआ देता
हूं कि तू भी जन्नत में जाए इसके बाद किसी बुजुर्ग ने अहले बहिश्त को ख्वाब में देखा कि इनके दामन मोतियों से लबरेज हैं और जब
इन बुजुर्ग ने सवाल किया तो बताया गया कि एक नावा किफ ने हजरत इब्राहिम बिन धम का
सर फोड़ दिया था तो हमें यह हुकम मिला है कि जब वह दाखिले बहिश्त हो तो इन पर मोती
निछावर किए जाएं एक मजज किस्म का शख्स पराग हाल और चेहरा गुबार आलूदा आपके सामने
आ गया तो आपने अपने हाथों से इसका मुंह धोया और फरमाया कि जो मुंह जिक्र इलाही का
मजहर हो इसको प्रागंत ना होना चाहिए और जब इसका मजू और जब इस मजू को कुछ होश आया तो
लोगों ने पूरा वाकया इससे बयान किया जिसको सुनकर उसने तौबा की फिर आपने ख्वाब में
देखा कि कोई यह कह रहा है कि तुमने महज खुदा के वास्ते से एक मजज का मुंह धोया
इसलिए अल्लाह ने तुम्हारा कल्ब धो डाला हजरत मोहम्मद मुबारक सूफी कहते हैं कि एक
मर्तबा मैंने आपके हमराह बैतुल मुकद्दस के सफर में दोपहर के वक्त एक अनार के दरख्त
के नीचे निमाज अदा की इस वक्त दरख्त से निदा आई कि मेरा फल खाकर इज्जत अफजाई की
जाए चुनांचे आपने दो अनार तोड़कर एक मुझे दिया और एक खुद खाया लेकिन इस वक्त वो
दरख्त भी छोटा था और अनार भी र्ष निकले जब हम बैतुल मुकद्दस से वापस हुए तो वह बहुत
कद आवर हो गया था और अनार भी बहुत शीरी थे और साल में दो मर्तबा फल देता था इसी
करामत की बिना पर इस दरख्त को रमान उल आबदीन के नाम से मासूम कर दिया गया आप
किसी बुजुर्ग से एक पहाड़ी पर मसरूफ गुफ्तगू थे तो उन्होंने सवाल किया कि अहले
हक के मुकम्मल होने की क्या अलामत है फरमाया कि अगर वह पहाड़ को चलने का हुकम
दे तो वह अपनी जगह छोड़ दे यह कहते ही वह पहाड़ हरकत में आ गया तो आपने फरमाया कि
मैंने तुझसे नहीं कहा था वो ठहर गया किसी बुजुर्ग के हमराह कश्ती में शरी के सफर थे
कि अचानक शदीद तूफान आ गया और लोग खौफ से लरज गए इसी वक्त गैब से निदा आई के के
गर्क बानी का अंदेशा ना करो क्योंकि तुम्हारे हमराह इब्राहीम बिन अदम भी है इस
आवाज के बाद तूफान थम गया और एक मर्तबा आप कश्ती पर सफर कर रहे थे तो शदीद तूफान आ
गया आपने कुरान करीम हाथ में लेकर कहना शुरू किया कि या अल्लाह हमारे हमराह तेरी
मुकद्दस किताब भी है और हमारी रकाबी से यह भी गर्क हो सकती है निदा आई कि ऐसा नहीं
होगा एक मर्तबा आपने कश्ती पर सफर का कसत फरमाया तो मलाह ने कराया तलब किया और इस
वक्त आपके पास कुछ नहीं था और आपने नमाज पढ़कर दुआ की या अल्लाह ये मलाह कराया तलब
करता है चुनांचे इसी वक्त पूरा
रेगजीन को दे दी साहिले दजला पर आप अपनी गदड़ा करर कहा के हुकूमत छोड़कर तुमने
क्या हासिल किया यह सुनकर आपने अपनी सुई दरिया में फेंक दी तो बेशुमार मछलियां
अपने मुंह में सोने की एक-एक सुई दबाए हुए नमूद हो गई लेकिन आपने फरमाया कि मुझे तो
अपनी सुई दरकार है चुनांचे एक मछली आपकी सुई भी लेकर आ गई और आपने सुई लेकर इस
शख्स से फरमाया कि हुकूमत को खैराबाद कहकर एक मामूली सी यह शय हासिल हुई है आपने
कुएं से डोल निकाला तो डोल सोने से लबरेज था आपने इसे फेंक कर फिर डोल डाला तो
चांदी से भरा हुआ निकला और तीसरी मर्तबा मोतियों से इस वक्त आपने कहा कि या अल्लाह
मैं तो पाकीजा का खस्त गार हूं मेरी निगाहों में
सेमो जर की कोई वकत नहीं सफरे हज के दौरान आपके साथियों ने अर्ज किया कि हमारे पास
खुर्द नोश का कोई इंतजाम नहीं फरमाया कि खुदा पर भरोसा रखो और इस दरख्त के जानिब
देखो जो इस वक्त पूरा सोने का बन चुका है आप कुछ बुजुर्गों के हमराह एक इलाके नजदीक
एक पड़ाव डालकर आग रोशन करने लगे तो किसी ने कहा कि इस जगह आग और पानी दोनों का
इंतजाम है लिहाजा अगर कहीं से जायज किस्म का गोश्त मिल जाए तो भून कर खाएं आप यह
फरमा करर अल्लाह को सब कुदरत से मशगूल नवाज हो गए इस वक्त कहीं से शेर की ड़ने
की आवाज आई और तमाम बुजुर्गों ने कहना शुरू कर दिया कि शेर एक गोर खरका हमारी
जानिब घेर कर ला रहा है चुनांचे सबने गोरख पकड़कर जबाह किया और जब तक सारे लोग खाना
खाते रहे वह शेर निगरानी करता रहा आपके इंतकाल के बाद पूरे आलम ने यह निदा सुनी
कि आज दुनिया का अमन फौत हो गया इसके बाद आपके इंतकाल के इत्तला मिली लेकिन आपकी
गुमशुदगी की वजह से ना तो यह मालूम हो सका कि आपका मजार कहां है और ना यह पता चला कि
इंतकाल किस जगह हुआ बाज हजरात का ख्याल है कि मजार बगदाद में है और बाज कहते हैं कि
हजरत लूत की कब्र के नजदीक शाम में मद फोन
है बाब नंबर 12 हजरत बशर हाफी रहमतुल्लाह अलह के
हालातो मुना कब आपको कश्फ मुजाहि दत में मुकम्मल
दस्तरस हासिल थी और असूल शरा के बहुत बड़े आलिम थे और अपने मामू अली हशर के हाथ पर
बैत थे मरू में विलादत हुई और बगदाद में मुकीम थे आपकी तौबा का वाकया यह है कि एक
मर्तबा हालत दीवानगी में कहीं जा रहे थे कि रास्ता में एक कागज पड़ा हुआ मिला जिस
पर बिस्मिल्लाह अ रहमान अर रहीम लिखा हुआ था आपने इस कागज को अतर से मुअत्तर करके
किसी बुलंद मुकाम पर रख दिया और इसी शब ख्वाब में देखा कि किसी दरवेश को मंजन बे
अल्लाह यह हुकम मिला कि बशर हाफी को यह खुशखबरी सुना दो कि हमारे नाम को मुअत्तर करके जो तुमने तजीम एक बुलंद मुकाम पर रखा
है इसकी वजह से हम तुम्हें भी पाकीजा मराब अता करेंगे और बेदारी के बाद जब इन दरवेश
को यह तसव्वुर आया कि बशर हाफी तो फस्को फजू में मुब्तला हैं इसलिए शायद मेरा
ख्वाब सही नहीं है लेकिन दूसरी मर्तबा और तीसरी मर्तबा भी जब यही ख्वाब नजर आया तो
वह आपके घर पहुंचे वहां मालूम हुआ कि मैं कदे में है और जब वह दरवेश मैकदे में
पहुंचा तो मालूम हुआ कि बशर हाफी नशा में चूर और बदमस्त पड़े हुए हैं उन्होंने लोगों से कहा कि आप आपसे जाकर कह दूं कि
मैं तुम्हारे लिए एक जरूरी पैगाम लाया हूं चुनांचे जब लोगों ने आपसे कहा तो फरमाया कि ना मालूम अताब इलाही का पैगाम है या
सजा का और यह कहकर मै कदा से हमेशा के लिए तौबा करके निकले जिसके बाद अल्लाह ताला ने
वह अजीम मराब अता फरमाए कि आपका जिक्र भी कुलूब के लिए सुकून बन गया और चूंकि आप इस
एहसास की वजह से नंगे पांव रहा करते थे कि जमीन को अल्लाह ताला ने फर्श फरमाया है
इसलिए शाही फर्श पर जूते पहनकर चलना आद ब के मुनाफ है यही वजह है कि आपको हाफी कहा
जाता है वाक्यात औलिया कराम की ऐसी जमात भी थी जो ना तो ढेले से तंजा करते थे और
ना जमीन पर थूकते थे क्योंकि इन्हें हर शय में और हर जगह अनवारे इलाही का जहूर महसूस
होता था चुनांचे बशर हाफी का भी इस जमात से ताल्लुक था और बाज सूफिया के नजदीक
चूंकि नूरे इलाही चश्म सालिक में हुआ करता है इसलिए इसे हर जगह सिवाए खुदा के कुछ
नजर नहीं आता एक रिवायत में है कि हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हजरत सबा की
मयत के हमराह अंगूठे के बल तशरीफ ले जा रहे थे और फरमाते थे कि मुझे यह डर है कि
मलायका के परों पर मेरा कदम ना आ जाए हजरत इमाम अहमद बिन हबल रहमतुल्ला अलह बेतरी की
मैयत में रहते और आपके अकीदत मंदो में से थे चुनांचे जब आपके शागिर्द ने पूछा कि
मुहस फकी होने के बावजूद आप एक खती के हमराह क्यों रहते हैं फरमाया कि मुझे अपने
उलूम पर मुकम्मल तौर पर हासिल है लेकिन वह खती अल्लाह ताला को मुझसे ज्यादा
जानता है इसी वजह से इमाम साहिब अक्सर आपसे इस्तता करते कि मुझे खुदा की बातें
सुनाओ मनकुल है कि एक मर्तबा आप हैरत की हालत में पूरी रात घर के दरवाजे पर एक कदम
अंदर और एक बाहर रखे खड़े रहे फिर एक मर्तबा छत पर चढ़ते हुए पूरी रात सीढ़ियों
पर ही खड़े गुजार दी और जब सुबह नमाज के वक्त आपकी हम शरा के यहां पहुंचे तो
उन्होंने कहा यह क्या हालत बना रखी है फरमाया कि मैं इस तसव्वर में गर्क हूं कि बगदाद में दो गैर मुस्लिमों के नाम भी बशर
हैं और मेरा नाम भी यही है लेकिन ना जाने अल्लाह ताला ने मुझे दौलत इस्लाम से क्यों नवाजा और इन्हें क्यों महरूम रखा एक
मर्तबा मैदान बनू इसराइल में हजरत बिलाल खवास की मुलाकात हजरत खिजर से हो गई तो
बिलाल खवास ने पूछा कि इमाम शाफी के मुतालिक आपकी क्या राय है खिजर ने फरमाया
कि वह तार में से है और जब इमाम हंबल के लिए दरयाफ्त किया तो फरमाया कि इनका शुमार
सद कैन में होता है और जब हजरत बशर हाफी के मुतालिक दरयाफ्त किया तो फरमाया कि वह
मुनफरीद जमाना है हजरत अब्दुल्लाह कहते हैं कि मैंने जुल नून असरी को इबादत से
मुत्त सिफ पाया और हजरत सुहेल को इशारों पर चलने वाला देखा और बशर हाफी को तकवा
में मुमताज पाया लोगों ने पूछा कि फिर आपका रुहान किसकी तरफ है फरमाया कि बशर हाफी की तरफ क्योंकि वह मेरे उस्ताद भी
हैं हजरत बशर हाफी ने मुहस होने के बाद बाकी तमाम उलूम की किताबों को जर जमीन दफन
कर दिया था लेकिन इसके बावजूद भी हदीस कभी बयान नहीं की और यह फरमाते थे कि मैं इस
वजह से हदीस बयान नहीं करता कि मेरे अंदर हसूल शोहरत का जज्बा है और अगर यह खामी ना
होती तो मैं जरूर हदीस बयान करता एक मर्तबा लोगों ने अर्ज किया कि जब बगदाद
में अकले हलाल की तमीज बाकी नहीं रही तो आपके खाने का क्या इंतजाम है फरमाया कि
जिस जगह से तुम खाते हो मैं भी खाता हूं और जब लोगों ने सवाल किया कि अजीम मराब
आपको कैसे हासिल हुए फरमाया कि एक लुकमा की भूख छोड़कर क्योंकि हंसने वाला खाकर
रोने वाले के बराबर नहीं हो सकता अकले हलाल में भी फजूल खर्ची का अंदेशा बाकी
रहता है फिर किसी ने आपसे दरयाफ्त किया कि सालन किस चीज का खाना चाहिए फरमाया कि
आफियत का सालन खाओ मशहूर है कि आपने 40 बर्स तक ख्वाहिश के बावजूद कभी बकरी की
सीरी नहीं खाई और हमेशा बाकला की तरह सरकारी खाने को जी चाहता रहा लेकिन खाई
कभी नहीं और कभी हुकूमत की जारी करदा नहर से पानी नहीं पिया फिर एक मर्तबा जब लोगों
ने यह सवाल किया कि आपको यह मराब कैसे हासिल हुए तो फरमाया कि खुदा के इलावा मैंने कभी किसी पर इजहार हाल नहीं किया और
मैं वाजो नसीहत से यह बेहतर तसव्वर करता हूं कि लोगों के सामने खुदा का जिक्र करता
रहूं किसी ने आपको मौसम सर्मा में बरना और कपक पाते हुए देखकर पूछा क्या आप इतनी
अजियत क्यों बर्दाश्त करते हैं फरमाया कि इस वजह से कि इस सर्दी में फुकरा साहिबे
हाजत होंगे इनका क्या हाल होगा और मेरे पास इतना देने को नहीं है कि इनकी एतज
खत्म कर सकूं इसलिए जिस्मानी तौर पर इनका शरीक रहता हूं हजरत अहमद बिन इब्राहीम अल
मुतली फरमाते हैं कि एक मर्तबा हजरत बशर ने मुझसे फरमाया कि हजरत मारूफ को मेरा यह
पैगाम पहुंचा देना कि मैं नमाज फजर के बाद आपके पास आऊंगा लेकिन आप इशा के वक्त भी
तशरीफ नहीं लाए चुनांचे मैं चश्मे बर राह था तो देखा कि आप अपना मुसल्ला उठाकर
दरिया ए दजला पर पहुंचे और पानी के ऊपर चलकर सुबह तक हजरत मारूफ से मसरूफ गुफ्तगू
रहे और सुबह को फिर पानी पर चलते हुए वापस आ गए इस वक्त मैंने कदम पकड़कर अपने लिए
दुआ की दरख्वास्त की तो दुआ देकर फरमाया जो कुछ तुमने देखा है इसको मेरी हयात में
किसी से बयान ना करना किसी इजतेमा में आप रजाए इलाही के औसाफ बयान फरमा रहे थे कि
एक शख्स ने अर्ज किया कि यह तो हम खूबी जानते हैं कि आप बहुत ही
बासफेस्ट
कर फरमाया कि फुकरा की भी तीन किस्में हैं अव्वल जो ना तो मखलूक से तलब करते हैं और
ना किसी के कुछ देने के बावजूद इनसे कुछ लेते हैं इनका शुमार तो ऐसे रूहानी बंदों
में होता है जो कुछ खुदा से मांगते हैं मिल जाता है दोम व जो खुद तो किसी से तलब
नहीं करते लेकिन अगर कोई दे दे तो कबूल कर लेते हैं यह मुत वसत किस्म के मतवल होते
हैं और इन्हें जन्नत की तमाम नेमतें हासिल होंगी स्वयं वज नफ्स कुशी करते हुए सब्रो
जब्त से काम लेकर जिक्र इलाही में मशगूल रहते हैं आप फरमाया करते कि एक मर्तबा
हजरत अली जर्जा किसी चश्मे के नजदीक तशरीफ फरमा थे और मैं भी इनके सामने पहुंच गया
तो आप मुझे देखकर यह कहते हुए भाग पड़े कि मुझे इंसान की शक्ल नजर आ गई जिसकी वजह से
मैं यह गुनाह का मुरत हो गया मैं भी भागता हुआ इनके पास पहुंचा और अर्ज किया कि क्या
मुझे कोई नसीहत फरमा दीजिए तो आपने कहा कि फक्र को पोशीदा रखकर सब्र इख्तियार करो और
ख्वाहिश निफ सानी को निकाल फेंको और मकान को कब्र से भी ज्यादा खाली रखो ताकि तर्क
दुनिया का रंच ना हो एक काफला हज की नियत से रवाना होने लगा तो अहले काफिला ने आपसे
भी अपने हमराह चलने की इस्तता की लेकिन आपने तीन शर्तें पेश कर दी अव्वल यह के
कोई शख्स अपने हमराह तोष ना ले दोम किसी से कभी कुछ तलब ना करे सोम अगर कोई कुछ
पेश भी करें जब भी कबूल ना करें यह सुनकर अहले काफिला ने अर्ज किया कि पहली दो
शर्तें तो हमें मंजूर हैं लेकिन तीसरी शर्त काबिले कबूल नहीं आपने फरमाया कि तवक
हाजियों का तोष सफर है और अगर तुम यह
कसदार जए विलायत भी हासिल होता आप फरमाते हैं कि एक दिन मैं अपने मकान पर पहुंचा तो
देखा कि एक साहिब मेरे मुंतज हैं और मेरे इस सवाल पर के बिला इजाजत मकान में तुम
क्यों दाखिल हुए फरमाया कि मैं खिजर हूं चुनांचे मैंने अर्ज किया फिर मेरे लिए दुआ
फरमा दें तो आपने कहा कि अल्लाह तेरे लिए इबादत को आसान कर दे और तेरी इबादत को
तुझसे भी पोशीदा रखें किसी ने आपसे अर्ज किया कि मेरे पास 1000 दिरहम है और मैं हज
का ख्वाहिश मंद हूं आपने फरमाया कि यह रकम किसी मकरूज के कर्ज में दे दो या यतीम और
मुफलिस अयाल दारो में तकसीम कर दो तो तुम्हें हज से भी ज्यादा सवाब मिलेगा
लेकिन इसने कहा कि मुझे हजज की बहुत ख्वाहिश है फरमाया कि तूने नाजायज तरीके से यह रकम हासिल की है इसलिए तू ज्यादा
सवाब का ख्वाहिश मंद बनना चाहता है एक दिन आपने कब्रिस्तान में मुर्दों को लड़ते हुए
देखकर अल्लाह ताला से अर्ज किया कि यह राज मुझे भी मालूम हो जाए और जब मैंने इन
मुर्दों से पूछा तो उन्होंने कहा कि एक हफ्ता कबल किसी शख्स ने सूर इखलास पढ़कर
इसका सवाब हमें बख्श दिया और आज पूरे एक हफ्ता से हम इसकी तकसीम में मसरूफ हैं
लेकिन अभी तक वह खत्म नहीं हुआ आप फरमाया करते थे कि मैं एक मर्तबा ख्वाब में हजूर
अकरम की जियारत से मुशर्रफ हुआ तो हुजूर ने पूछा कि ऐ बशर क्या तुझे इल्म है कि
तेरे दर के बुजुर्गों से तेरा दर्जा क्यों बुलंद किया गया मैंने अर्ज किया कि मुझे तो मालूम नहीं फरमाया तूने सुन्नत का इतवा
करते हुए बुजुर्गों की तजीम की और मुसलमानों को राहे हक दिखाता रहा और मेरे
असाबी हमेशा महबूब रखा इसीलिए अल्लाह ताला ने तुझे यह मर्तबा फरमाया फिर दोबारा जब
हुजूर की जियारत से मुशर्रफ हुआ तो अर्ज किया कि मुझे कोई नसीहत फरमा दें हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि
उमरा हुसूल सवाब के लिए फुकरा की जो खद मत करते हैं व तो पसंदीदा हैं लेकिन इससे
ज्यादा अफजल यह है कि फुकरा कभी उमरा के आगे दस्ते तलब दराज ना करें बल्कि खुदा
ताला पर मुकम्मल भरोसा रखें इरशाद आप अक्सर फरमाया करते थे कि पानी जब तक रवा
रहता है साफ रहता है और जब रुक जाता है गदला और कीचड़ जैसा हो जाता है फरमाया कि
जो दुनियावी इज्जत चाहता है इसे तीन चीजों से किनारा कश रहना चाहिए अव्वल मखलूक से
इजहार हाजत करना दोम दूसरों के ऐब निकालना सोम किसी मेहमान के हमराह जाना फरमाया कि
दुनियावी नमूद का ख्वाहिश मंद लज्जत आखिरत से महरूम रहता है फरमाया कि काने रहने से
सिर्फ दुनिया ही में इज्जत मिल जाती तब भी कनात बेहतर थी फिर फरमाया कि यह तसव्वुर
करना कि लोग हमें बेहतर समझे महज खब्बे दुनिया का मजहर है और जब तक बंदा नफ्स के
सामने फौलादी दीवार कायम नहीं कर लेता इस वक्त तक इबादत में लज्जत और हलावत हासिल
नहीं कर सकता फरमाया कि यह तीन काम करना बहुत मुश्किल हैं अव्वल मुफलिसी में सखावत
दोम खौफ में सदाकत सौम खिलवट में तकवा फरमाया कि तकवा नाम है शक को शुभत से पाक
होने और कल्ब की हम वक्त ग्रिफ्ट करने का फरमाया कि अल्लाह ने बंदे को सब्रो मारफ
से ज्यादा अजीम शय और कोई नहीं अता की और अहले मारफ ही खुदा के मख्सूसपुरी
साफ रखता है इसको सूफी कहते हैं और अहले मफत वो हैं जिनके सिवाए खुदा के ना कोई
जानता है ना इज्जत करता है और जो शख्स हिलावत आजादी के साथ हम किनार होना चाहता
है इनको अपने ख्यालात पाकीजा बनाने चाहिए और जो सदक दिली के साथ इबादत करता है वह
लोगों से वहशत जदा रहता है फरमाया कि ना तो मुझे कभी अहले दुनिया में बैठना गवारा
हुआ और ना कभी इन्हें मेरी सोहबत अच्छी लगी किसी ने अर्ज किया कि मैं तवल अल्लाह
हू फरमाया अगर तू मुत वक्किल है तो खुदा के अह काम पर भी यकीनन राजी होगा इंतकाल
के वक्त जवाब शदीद मुस्तरबते तो लोगों ने पूछा कि क्या तर्क दुनिया का गम है फरमाया
नहीं बल्कि बारगाह खुदा वंदी में जाने का खौफ है किसी शख्स ने आपकी मौत के वक्त जब
आपसे अपनी मुफलिसी का रोना रोया तो आपने अपना पैरान तो उतार कर इसको दे दिया और
खुद दूसरे का मांग कर पहन लिया इंतकाल के बाद किसी ने ख्वाब में आपसे पूछा कि क्या
हाल है आपने फरमाया अल्लाह ताला मुझसे इसलिए नाराज हुआ कि तू दुनिया में इससे
ज्यादा क्यों हाइफ रहता था और क्या तुझे मेरी करीमी पर यकीन नहीं था फिर इसी शख्स
ने अगले दिन ख्वाब में यह देखकर जब हाल पूछा तो फरमाया कि अल्लाह ने मेरी मगफिरत
फरमा दी और अल्लाह ताला ने यह भी फरमाया कि खूब अच्छी तरह खा और पी इसलिए कि
दुनिया में तूने हमारी याद की वजह से कुछ ना खाया ना पिया फिर किसी और शख्स ने
ख्वाब में देखकर हाल पूछा तो फरमाया मेरी बख्श भी हो गई और अल्लाह ताला ने मेरे लिए
निस्फ बहिश्त जायज करार दे दी और यह भी इरशाद फरमाया कि अगर तू आग पर भी सजद रेजी
करता रहता जब भी इसका शुक्रिया अदा नहीं कर सकता था कि हमने लोगों के कुलूब में
तुझे जगह अता कर दी फिर एक और शख्स ने ख्वाब में देखकर हाल पूछा तो फरमाया कि
अल्लाह ताला ने मेरी मगफिरत करके यह फरमाया कि जब हमने तुझे दुनिया से उठाया तो तुझसे अफजल और कोई नहीं था आपका मुकाम
किसी औरत ने इमाम हंबल रहमतुल्ला अल से यह मसला दरयाफ्त किया कि मैं अपनी छत पर सूद
कात रही थी कि रास्ता में शाही रोशनी का गुजर हुआ और इसी रोशनी में थोड़ा सा सूत
कात लिया अब फरमाइए कि वह सूत जायज है या नाजायज यह सुनकर इमाम साहिब ने फरमाया कि
तुम कौन हो और इस किस्म का मसला क्यों दरयाफ्त करती हो इस औरत ने जब जवाब दिया
कि मैं बशर हाफी की हम शरा हूं इमाम साहिब ने फरमाया कि तुम्हा लिए व सूत जायज नहीं
क्योंकि तुम अहले तकवा के खानदान से हो और तुम्हें अपने भाई के नक्शे कदम पर चलना
चाहिए जो मुस्तबादा
बाब नंबर 13 हजरत जुनून मिसरी रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब
तारुफ आप सुल्तान मारफ और बहरे तौहीद के शनावर थे और इबादत और रियाजत से मशहूर
जमाना हुए लेकिन अहले मारफ हमेशा आपको बेदीन कहकर आपकी बुजुर्ग की अजमत से मुनकर
रहे और आपने भी कभी किसी पर अपने औसाफ के इजहार की जहमत ना फरमाई जिसकी वजह से
ताहियात आपके हालात पर पर्दा पड़ा रहा आपके तायब होने का वाकया अजीबो गरीब है और
वह यह कि किसी ने आपको इत्तला पहुंचाई कि फलां मुकाम पर एक नौजवान आबिद है और आप
इससे नयाज हासिल करने पहुंचे तो देखा कि वह एक दरख्त पर उल्टा लटका हुआ नफ्स से
मुसलसल यह कह रहा है कि जब तक तू इबादत इलाही में मेरी हमनवाई नहीं करेगा मैं
तुझे यूं ही अजियत देता रहूंगा हत्ता कि तेरी मौत वाक हो जाए यह वाकया देखकर आपको
इस पर ऐसा तरस आया के रोने लग गए और जब नौजवान आबिद ने पूछा कि यह कौन है जो एक
गुनाहगार पर तर्ष खाकर रो रहा है यह सुनकर आपने इसके सामने जाकर सलाम किया और मिजाज
पुर्सी की इसने बताया चूंकि यह बदन इबादत इलाही पर आमादा नहीं नहीं है इसलिए यह सजा
दे रहा हूं आपने कहा कि मुझे तो यह गुमान हुआ शायद तुमने किसी को कत्ल कर दिया है
या कोई गुनाह अजम सरज द हो गया है इसने जवाब दिया कि तमाम गुनाह मखलूक से
इख्तिलाफ की वजह से पैदा होते हैं इसीलिए मखलूक से रस्मो रवा को बहुत गुनाह तसव्वुर
करता हूं आपने फरमाया कि तुम तो वाकई बहुत बड़े जहद हो उसने जवाब दिया कि अगर तुम
किसी बड़े जाहिद को देखना चाहते हो तो सामने पहाड़ पर जाकर देखो चुनांचे जब आप
वहां पहुंचे तो एक नौजवान को देखा जिसका एक पैर कटा हुआ बाहर पड़ा था और उसका
जिस्म कीड़ों की खुराक बना जब आपने यह सूरते हाल मालूम की तो उसने बताया कि एक दिन मैं इसी जगह मसरूफ इबादत था कि एक
खूबसूरत औरत सामने से गुजरी जिसको देखकर मैं फरेब शैतान में मुब्तला हो गया और
इसके नजदीक पहुंच गया इस वक्त नि दई कि ऐ बेगैरत 30 साल खुदा की इबादत अतात में
गुजार कर आज शैतान की इबादत करने चला है लिहाजा मैंने इसी वक्त अप ना एक पांव काट
दिया कि गुनाह करने के लिए पहला कदम इसी पांव से बढ़ाया था फिर बताइए कि आप मुझ
गुनाहगार के पास क्यों आए और अगर वाकई आप किसी बड़े जाहिद की जुस्तजू में है तो इस
पहाड़ की चोटी पर चले जाइए लेकिन जब बुलंदी की वजह से आपका पहुंचना ना मुमकिन हो गया तो इस नौजवान ने खुद ही इन बुजुर्ग
का किस्सा शुरू कर दिया उसने बताया कि पहाड़ की चोटी पर जो बुजुर्ग हैं इनसे एक दिन किसी ने यह कह दिया कि रोजी मेहनत से
हासिल होती है बस उस दिन से उन्होंने यह अहद कर लिया कि जिस रोज में मखलूक का हाथ
होगा वह मैं इस्तेमाल नहीं करूंगा और जब बगैर कुछ खाए दिन गुजर गए तो अल्लाह ताला
ने शहद की मक्खियों को हुकम दे दिया कि इनके गिर्द जमा रहकर इन्हें शहद मुहैया
करती रहे चुनांचे हमेशा वह शहद ही इस्तेमाल करते हैं यह सुनकर हजरत जुनून ने
दर से इबरत हासिल किया और इसी वक्त से इबादत और रियाजत की तरफ
मुतजेंस से नीचे आकर बैठ बैठ गया इसी वक्त आपको ख्याल आया कि ना जाने इको रिजक कहां
से मुहैया होता होगा लेकिन आपने देखा कि इस परिंदे ने अपनी चूच से जमीन कुरे दी
जिसमें से एक सोने की प्याली बरामद हुई और इसमें तिल भरे हुए थे और दूसरी चांदी की
प्याली गुलाब के अर्क से लबरेज थी चुनांचे वह परिंदा इसे खाकर और अर्क गुलाब पीकर
दरख्त पर जा बैठा और पलियां गायब हो गई यह देखकर आपने भी इसी दिन से तवक पर कमर बांध
ली और यकीन कर लिया कि अल्लाह ताला पर भरोसा करने वाले को कभी तकलीफ नहीं होती
इसके बाद आपने जंगल की राह ली जहां आपके कुछ पुराने दोस्त मिल गए और इत्तेफाक से वहां एक खजाना बरामद हो गया जिसमें एक ऐसा
तख्ता था जिस पर अल्लाह ताला के असमाए मुबारक कुंदा थे और जिस वक्त खजाना तकसीम
होने लगा तो आपने अपने हिस्से में सिर्फ वो तख्ता ले लिया और एक रात ख्वाब में देखा कि कोई यह कह रहा है ऐ जुल नून सबने
दौलत तकसीम की और तूने हमारे नाम को पसंद कर लिया जिसके इवज हमने तेरे ऊपर इल्म
हिकमत के दरवाजे कुशा कर दिए यह सुनकर आप शहर वापस आ गए वाकत आप फरमाया करते कि एक
दिन मैं लबे दरिया वजू कर रहा था के सामने के महल पर एक खूबसूरत औरत नजर आई जब मैंने
इससे गुफ्तगू करने के लिए कहा तो इसने कहा दूर से मैं तुमको दीवाना तसव्वुर किए हुए
थी और जब कुछ करीब आ गए तो मैं आलिम समझा और जब बिल्कुल करीब आए तो अहले मारफ
तसव्वुर किया और अब मालूम हुआ कि तुम इन तीनों में से कुछ भी नहीं हो जब मैंने
इसकी वजह पूछी तो उसने जवाब दिया कि आलिम ना महरम पर नजर नहीं डालते और दीवाने वजू
नहीं करते और अहले मारफ खुदा के सिवा किसी को नहीं देखते यह कहकर वह गायब हो गई और
मैंने समझ लिया कि यह गैब की जानिब से एक तंब है एक मर्तबा आप कश्ती पर सफर कर रहे
थे कि किसी व्यापारी का मोती खो गया और सबने आपको मशकूर करके जद कोब करना शुरू कर
दिया आपने आसमान के जानिब नजर उठाकर कहा कि ऐ अल्लाह तू अलीम है कि मैंने कभी चोरी
नहीं की यह कहते ही दरिया में श्रद्धा मछलियां मुंह में एक-एक मोती दबाए नमूद
हुई और आपने एक मछली के मुंह से मोती निकालकर इस ब्यापारी को दे दिया इस करामत
के मुशाहिद के बाद तमाम मुसाफिरों ने मुफी तलब की इसी वजह से आपका खिताब जुअल नून
पड़ गया आपकी बहन पर आपकी सोहबत का यह असर हुआ कि एक दिन यह आयत तिलावत कर रही थी के
जिनका तर्जुमा कुछ यूं था तो अल्लाह ताला से अर्ज किया कि जब तूने बनू इसराइल पर
मनो सलवा नाजिल फरमाया तो मोमिनीन इससे महरूम क्यों हो चुनांचे इसी वक्त मनु सलवा
का नजूल हुआ आप सहरा की जानिब ऐसी जगह चली गई कि फिर कुछ पता ना चला आप फरमाया करते
कि मैंने एक पहाड़ पर बहुत से बीमारों का इस्तेमा देखा और जब वजह पूछी तो उन्होंने
बताया कि यहां एक इबादत गुजार साल में एक मर्तबा अपनी इबादत गाह से निकलकर बीमारों
में कुछ दम करता है जिसके बाद सेहत याबो जाते हैं चुनांचे कुछ अरसा मैंने भी इन
बुजुर्ग का इंतजार किया और जब वह निकले तो आंखों के गिर्द हल्के हो गए थे और बहुत
कमजोर और जफ थे फिर आसमान की जानिब नजरें उठाकर तमाम बीमारों पर कुछ दम किया और वह
सब फौरन सेहत याबो गए और जब वह इबादत गाह में दाखिल होने लगे तो मैंने हाथ पकड़कर अर्ज किया कि जहरी अमराज वालों को तो शिफा
हो गई लेकिन मेरा बात मर्ज भी दफा फरमा दीजिए यह सुनकर फरमाया ऐ जुअल नून मेरा
हाथ छोड़ दे क्योंकि अल्लाह ताला निगरानी फरमा रहा है कि तूने इसका दस्त कर्म
छोड़कर दूसरे का हाथ थाम लिया है यह कहकर उन्होंने हाथ छुड़ाया और इबादत गाह में
दाखिल हो गए लोगों ने जब आपसे गिर अजारी के वजह दरयाफ्त की तो फरमाया रात हालत
सजदा में नींद आ गई तो ख्वाब में देखा कि अल्लाह ताला फरमा रहा है मैंने मखलूक को
10 हिस्सों में तकसीम किया और इनके सामने जन्नत पेश की गई तो नौ हि से इस पर
फरिश्ता हो गए लेकिन एक हिस्सा इस पर भी मतवल हो सका फिर मैंने एक हिस्से के भी 10
हिस्से कर दिए और जब मैंने इनसे सवाल किया ना तुम जन्नत का तलबगार बने और ना जहन्नुम
से खौफ जदा हुए फिर आखिर तुम क्या चाहते हो उन्होंने अर्ज किया जो कुछ हम चाहते
हैं इससे आप बखूबी वाकिफ हैं किसी बच्चे ने आपसे अर्ज किया कि मुझे बतौर वरसा 1
लाख दीनार हासिल हुए हैं और मेरी तमन्ना है कि यह सब आप ही की जात गिरामी पर सर्फ
कर दूं आपने फरमाया हदे बलूग तक पहुंचने से कबल तुम्हारे लिए इसका खर्च करना
नाजायज है और जब वह बच्चा शबाब पर पहुंचा तो पूरी जायदाद फुकरा में तकसीम करके आपके
इरादत मंदो में शामिल हो गया फिर यही नौजवान एक दिन आपकी खिदमत में हाजिर हुआ
तो मालूम हुआ कि आप आजकल जरूरतमंद हैं आपने इजहारे तासु करते हुए कहा कि काश
मेरे पास अगर आज दौलत होती तो मैं भी आपकी खिदमत में पेश करता आपने इसकी नियत को
भांप कर यकीन कर लिया कि यह अभी मफ हूम से आशना नहीं है चुनांचे इसने फरमाया
कि फलां दवाखाना से यह दवा लाकर और रोगन में मिलाकर तीन कर्ज तैयार करके इनमें सुई
से सुराख करके मेरे पास ले आओ चुनांचे आपने तीनों गोलियों पर कुछ दम किया तो वह
याकूत में तब्दील हो गई और आपने फरमाया कि किसी जोहरी के पास ले जाकर कीमत मालूम करो
चुनांचे जोहरी ने 1000 दीनार कीमत लगाई फिर इस नौजवान ने पूरा वाकया बयान किया तो
फरमाया कि इसको पानी में घोल दो और यह अच्छी तरह जहन नशीन कर लो कि फुकरा को माल
जर की जरूरत नहीं होती यह सुनकर वह हमेशा के लिए दुनिया से अलहदा हो गया आपने
फरमाया कि मेरी 30 बर्ष की हिदायत का नतीजा यह निकला कि सिर्फ एक शहजादा सही
मानों में हिदायत याफ्ता हो सका और वह भी इस तरह कि एक दफा मेरी मस्जिद के सामने से
गुजर रहा था तो मैं उस वक्त यह जुमला कह रहा था कि कमजोर का ताकतवर से जंग करना
निहायत
अहमकारा माया कि इससे ज्यादा अहमक कौन हो सकता है जो खुदा से जंग करें यह सुनकर वह
चला गया और दूसरे दिन आकर मुझसे पूछने लगा कि विसाले खुदा वंदी के लिए कौन सी राह
इख्तियार की जाए मैंने कहा कि दो राहे हैं एक छोटी और दूसरी तवील छोटी तो यह है की
ख्वाहिश दुनिया और माशियत को छोड़ दे और तवील राह यह है कि खुदा के सिवा सबसे
किनारा कुश हो जाए और इसने अर्ज किया कि मैं यही तवील राह इख्तियार कर रहा हूं और
इसके बाद अपनी इबादत और रियाजत से अब्दाल के मुकाम तक पहुंच गया हजरत अबू जाफर आऊर
ने बताया कि एक मर्तबा मैं आपकी मजलिस में मौजूद था और आप जमादा की फरमाबरदार के
मौजू पर गुफ्तगू करते हुए फरमा रहे थे कि जमादा अहले अल्लाह के के इस दर्जा
फरमाबरदार होते हैं कि अगर मैं इस सामने वाले तख्त से यह कह दूं कि पूरे मकान का
चक्कर लगाओ तो वह हरगिज दरे ग नहीं कर सकता यह कहते ही सामने वाला तख्त पूरे
मकान का चक्कर लगाकर अपनी जगह कायम हो गया यह वाकया देखकर एक नौजवान ने रोते-रोते
जान दे दी और आपने इसी तख्त पर गुसल देकर दफन कर दिया किसी ने आपसे अर्ज किया कि
मैं मकरूज हो गया हूं तो आपने एक पत्थर उठाया जो मूर्त में तब्दील हो गया और वही
पत्थर इस शख्स को दे दिया चुनांचे इसने 400 दिरहम में फरोख्त करके अपने कर्ज की
अदायगी कर दी एक शख्स औलिया कराम को खती तसव्वुर करता था तो अपनी अंगुरी देकर
फरमाया इसको भुटिया की दुकान पर एक दीनार में फरोख्त कर दो लेकिन भुटिया ने कहा कि
इसकी कीमत तू ज्यादा मांगता है कुछ कम कर फिर जब सुनार के यहां पहुंचा तो इसने 1000
दीनार कीमत लगाई और जब इस श ने पूरा वाकया बयान किया तो फरमाया कि जिस तरह भुटिया
अंग्री की कीमत से आशना नहीं इसी तरह तुम भी मराबे औलिया से ना आशना हो मुसलसल 10
साल तक आपको लजीज खानों की ख्वाहिश रही लेकिन खाया नहीं एक मर्तबा जब ईद के शब
में नफ्स ने तकाजा किया कि आज तो कोई लजीज गजा मिलनी चाहिए तो फरमाया कि अगर दो रकत
में मुकम्मल कुरान खत्म कर ले तो मैं तेरी ख्वाहिश पूरी कर दूंगा नफ्स ने ने आपकी यह
ख्वाहिश मंजूर कर ली और खत्म कुरान के बाद जब आप लजीज गिजा एं लेकर आए तो पहला ही
लुकमा उठाकर हाथ खींच लिया और नमाज के लिए खड़े हो गए और जब लोगों ने इसकी वजह
दरयाफ्त की तो फरमाया कि पहले लकम पर नफ्स ने खुश होकर कहा आज से 10 बर्स के बाद
तेरी ख्वाहिश पूरी हो रही है चुनांचे मैंने लुकमा रखकर कहा कि मैं हरगिज तेरी
ख्वाहिश पूरी नहीं करूंगा लेकिन इसी वक्त एक शख्स उम्दा खाने के देग लिए हुए हाजिर
हुआ और अर्ज किया कि मैं बहुत मुफलिस और बाल बच्चों वाला हूं मगर आज मैंने सुबह ईद
की वजह से लजीज खाना पकवा या और सो गया चुनांचे ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम की जियारत हुई तो आपने फरमाया कि अगर महशर में मुझसे मिलने का
ख्वाहिश मंद है तो यह खाना जुअल नून को दे आओ और मेरा यह पैगाम पहुंचा दे कि वक्ती
तौर पर अपने नफ्स से सुला करके एक दो लुकमा यह खाना चख ले हजूर सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम का यह गाम सुनकर कहा कि फरमाबरदार को इसमें क्या दरे ग हो सकता है
यह कहकर आपने थोड़ा सा खाना चख लिया जिस वक्त आप बुलंद मराब पर फायज हो गए तो
लोगों ने मराब की ना वाकफिट की बिना पर आपको जंदी का खिताब देकर खलीफा वक्त से
आपकी शिकायत कर दी चुनांचे आपको बेड़ियां पहनाकर ले जाया जा रहा था तो एक जफा ने
कहा कि खौफ जदा ना होना क्योंकि वह भी तुम्हारी ही तरह खुदा का एक बंदा है उसी
वक्त राह में एक बहिश्त ने आपको खुन के पानी से सेराब किया और इसके सिला में जब
आपने अपने एक साथी से कहा कि इसको एक दीनार दे दो बहिश्त ने अर्ज किया कि
कैदियों से कुछ लेना बुजदार की अलामत है इसके बाद आपको दरबारे खिलाफत से 40 यौम की
कैद हो गई और इसी अरसा में आपकी हमरा रोटी की एक टिकिया रोजाना आपके पास लेकर जाती
लेकिन रिहाई के बाद हर यौम के हिसाब से 40 रोटियां आपके पास महफूज थी और जब आपकी
हमरा ने कहा कि यह तो जायज कमाई की थी फिर आपने क्यों नहीं खाई फरमाया कि चूंकि
दारोगा जेल बद बातिन किस्म का इंसान है इसलिए इसके हाथ से भिजवाई हुई रोटी से
मुझे कराह महसूस हुई फिर जब आप रवाना होने लगे तो गिर पड़े और सर पर शदीद जर्ब आई
लेकिन यह अजीब बात है कि खून की एक बूंद भी आपके लिबास पर नहीं पड़ी और जो खून
जमीन पर गिरा था वह भी गायब हो गया और जब खलीफा के रूबरू पेश हुए तो इसके सवालात का
दन दन शिकन जवाब देकर अहले दरबार को हैरत में डाल दिया चुनांचे खलीफा ने आपके दस्ते
मुबारक पर बैत कर ली और निहायत एजाजो इकराम के साथ आपको मिस्र रुखसत किया आपके
एक इरादत मंद जिसने 40 चिल्ले खीचे और 40 हज किए 40 बर्स सोया नहीं और बराक करता
रहा अर्ज किया कि इतनी इबादत और रियाजत के बावजूद आज तक अल्लाह ताला मुझसे कभी हम
कलाम नहीं हुआ और ना कभी रमज खुदा वंदी मुझ पर मुनक शिफ हो सके लेकिन नाज बिल्लाह
य अल्लाह ताला का शिकवा नहीं बल्कि अपनी बदनसीबी का इजहार किया है आपने फरमाया कि
खूब शिकम सेर होकर खाना खाओ और इशा की नमाज पढ़े बगैर आराम से सो जाओ इसने तामील
हुकम में खाना तो खूब अच्छी तरह खा लिया लेकिन नमाज तर्क ने को कल्ब ने गवारा नहीं
किया इसलिए नमाज पढ़कर सो गया और ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
की जियारत हुई तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अल्लाह ताला सलाम के
बाद फरमाता है कि हमारी बारगाह से ना उम्मीद लौटने वाला नामर्द है और मैं तेरी
इस 40 साला रियाजत का सिला जरूर दूंगा लेकिन जुल नून को हमारा यह पैगाम पहुंचा
देना कि हम तुझे शहर भर में इसलिए जलील करेंगे कि तू फिर कभी हमारे दोस्तों को
फरेब में मुब्तला ना कर सके और जब अपना ख्वाब हजरत जल नून को सुनाया तो उनकी
आंखों से मुसर्रत के आंसू निकल पड़े लेकिन अगर कोई मो तरज यह कहे कि कोई मुर्शद क्या
किसी को नमाज पढ़ने का हुकम दे सकता है तो इसका जवाब यह है कि मुर्शद ब मंजिला तबीब
के हुआ करता है और तबीब कभी जहर से भी मरीज का इलाज करता है और चूंकि आपको बखूबी
यह इल्म था कि मेरे कहने पर हरगिज नमाज तर्क नहीं कर सकता इसलिए आपने ऐसा हुक्म
दिया और इसके अलावा तरीकत की राहों में ऐसे अहवाल भी पेश आ जाते हैं जो बजहर
शरीयत के खिलाफ होते हैं लेकिन दरह कीक वह अपनी जगह बिल्कुल सही होते हैं जिस तरह
हजरत खिजर को लड़के के कत्ल का हुकम दिया गया लेकिन मंशा खुदा वंदी यही था गो यह
बात अपनी जगह मुस्लिम है कि खिलाफ शरा कोई काम ना किया जाए लेकिन राहे तरीकत में ऐसे
अहवाल जरूर पेश आते हैं जिसका इंकार नहीं किया जा सकता किसी कमजोर बदवी को तवाफे
काबा करते देखकर आपने फरमाया कि क्या तू खुदा का महबूब है उसने इस बात में जवाब
दिया फिर पूछा कि वह महबूब तुझसे करीब है या दूर उसने जवाब दिया करीब है फिर सवाल
किया क्या वह तुझसे मुवाफीनामा वाफिया कि मुवाफीनामा
कि जब तू खुदा का महबूब भी है और वह तेरे करीब और मुवाफीनामा
दिया कि दूर रहने वालों के अजाब की निस्बत से वह लोग ज्यादा हैरान और सरगर द रहते
हैं जिन्हें कुर्ब नसीब होता है एक खुद साख खुदा के आशिक जिसने खुद को दोस्त
मशहूर कर रखा था इसकी अयादत के लिए आप तशरीफ ले गए तो उसने कहा कि जो खुदा के
अता करदा दर्द में अजियत का एहसास करे वह व कभी दोस्त नहीं हो सकता लेकिन आपने
फरमाया कि जो खुद को खुदा का दोस्त कहता हो वह इसका दोस्त नहीं हो सकता यह सुनकर
उसने तौबा करते हुए कहा कि आज से मैं कभी खुद को खुदा का दोस्त नहीं कहूंगा एक शख्स
आपकी अयादत को हाजिर हुआ और अर्ज किया कि दोस्त का अता करदा दर्द भी महबूब हुआ करता
है आपने फरमाया अगर तुम इससे वाकिफ होते तो ऐसी बे अदबी से इसका नाम ना लेते अपने
अहबाब में से आपने किसी को तहरीर किया कि अल्लाह ताला हम दोनों को नादानी की चादर
से ढापक तमाम दुनियावी चीजों से इस तरह बेखबर कर दे कि हम इसकी मर्जी के मुताबिक
काम करें और वह हमसे खुश रहे आप फरमाया करते थे कि मैं दौरान सफर एक बर्फ पोश
सहरा में से गुजरा तो देखा कि एक आतिश परस्त हर सिमत दाना बखे रहा है और जब आपने
वजह दरयाफ्त की तो इसने अर्ज किया कि ऐसी हालत में छूं के परिंदों को कहीं से भी
दाना हासिल नहीं हो सकता इसलिए मैं सवाब की नियत से दाना बखे रहा हूं मैंने कहा कि
इसके यहां गैर की रोजी नापसंद ददा है लेकिन उसने अर्ज किया कि मेरे लिए बस इतना
ही काफी है कि वह मेरी नियत को देख रहा है इसके बाद मैंने इस आतिश परस्त को आयामे हज
में निहायत जौक और शौक के साथ तवाफे काबा में मसरूफ पाया और तवाफ के बाद इसने ने
मुझसे कहा आपने देखा कि मैंने जो दाना बखेरा था इसका समर कितनी बेहतर शक्ल में
मिला है यह सुनते ही मैंने पुरजोश लहजा में अल्लाह ताला से अर्ज किया कि तूने 40
बरस आतिश परस्ती करने वाले को चंद दानों के इवज इतनी अजीम नेमत क्यों अता कर दी
निदा आई कि हम अपनी मर्जी के मुख्तार हैं हमारे उमू में किसी को मुदा की इजाजत नहीं
आप निमाज की नियत करते वक्त अल्लाह ताला से अर्ज करते कि तेरी बारगाह में हाजिरी
के लिए कौन से पांव लाऊं कौन सी आंखों से किबला की जानिब नजर करूं और कौन सी जुबान
से तेरा भेद बताऊं और तारीफ के वह कौन से अल्फाज हैं जिनसे तेरा नाम लूं लिहाजा
मजबूरन हया को तर्क करके तेरे हजूर हाजिर रहा हूं इसके बाद नियत बांध लेते और अक्सर
खुदा ताला से यह अर्ज करते कि मुझे आज जिन मसाब का सामना है वह तो तेरे सामने अर्ज
करता रहता हूं लेकिन महशर में अपनी बद आमाल से जो अजियत पहुंचेगी इसका इजहार
किससे करूं लिहाजा मुझे अजाब की नदा मत से छुटकारा अता कर दे इरशाद आप अक्सर यह
फरमाया करते कि पाकीजा है वह जात जो आरफीन को दुनियावी वसाय से बे नियाज कर देती है
फरमाया कि हिजाब चश्म ही सबसे बड़ा हिजाब है जिसकी वजह से गैर शरी चीजों पर नजर
नहीं पड़ती फरमाया कि शकम शर को हिकमत हासिल नहीं होती फरमाया कि मा त से तायब
होकर दोबारा इतका बे मासि अत दरो गोई है फरमाया कि सबसे बड़ा दौलतमंद वह है जो
तकवा की दौलत से मालामाल हो फरमाया कलील खाना जिस्मानी तवाना का जरिया और कलील
गुनाह रूहानी तवाना का जरिया है फरमाया कि मसाइल करना ताज्जुब खेज नहीं बल्कि मसाइल
रहना ताज्जुब की बात है फरमाया कि खुदा से खौफ करने वाले हिदायत पाते हैं और इससे
खाफ होने वाले गुमराह हो जा ते हैं और दरवेशी से डरने वाले कहरे इलाही में
गिरफ्तार हो जाते हैं फरमाया कि इंसान पर छह चीजों की वजह से तबाही आती है नंबर एक
आमाल सालहा से कोताही करना दो इब्लीस का फरमाबरदार होना तीन मौत को करीब ना समझना
चार रजाए इलाही को छोड़कर मखलूक की रजामंदी हासिल करना पांच तकाजा ए नफ्स पर
सुन्नत को तर्क कर देना छह अकारी की गलती को सनद बनाकर इनके फजल पर नजर ना करना और
अपनी गलती को इनके सर थोपना फरमाया कि अहले तकवा की सोहबत से लुत्फे हयात हासिल
होता है और ऐसे अहबाब बनाने चाहिए जो तुम्हारी नाराजगी से नाराज ना हो फरमाया
कि अगर तुम हसूल मफत के ख्वाहिश मंद हो तो खुदा से ऐसी दोस्ती की मिसाले पेश करो
जैसे कि हजरत सिद्दीक अकबर ने हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथ की और कभी
जर्रा बराबर मुखालफत ना करने की वजह से अल्लाह ताला ने इन्हें सिद्दीक के खिताब
से नवाजा और खब्बे खुदा वंदी की निशानी भी यही है कि कभी इसके हबीब की मुखालिफत ना
करें फरमाया कि इस तबीब से ना अहल कोई नहीं जो आलिम मदहोशी में मदहोश का इलाज
करे यानी जिस पर नशा ए दुनिया सवार हो इसको नसीहत करना बेसू द है लेकिन जब होश
ठिकाने आ जाए तो फिर इससे तौबा करवानी चाहिए फरमाया कि मैं ने राहे इखलास की
जानिब ले जाने वाली खिलवट से जायद किसी शय को अफजल नहीं पाया फरमाया कि पहले कदम पर
खुदा को कोई नहीं पा सकता यानी खुदा को मिलने तक खुद को तालिब तसव्वुर करता है
फरमाया कि खुदा से दूरी इख्तियार करने वालों की नेकियां मुकर्रम के गुनाहों के बराबर हुआ करती हैं और सदक दिली से तायब
होने के बाद सारे गुनाह मुफ हो जाते हैं फरमाया कितना अच्छा होता कि खुदा ताला
अपने मोहब्बत करने वालों को इसी वक्त मोहब्बत से नवाजता जब इनके दिल खद साए
फिराक से खाली कर दिए जाते फरमाया कि जिस तरह हर जुर्म की एक सजा हुआ करती है इसी
तरह जिक्र इलाही से गफलत की सजा दुनियावी मोहब्बत है फरमाया कि जिस चीज पर खुद अमल
पैरा होकर नसीहत करें इसको सूफी कहते हैं फरमाया कि आरफीन इसलिए ज्यादा खाफ रहते
हैं कि लम्हा ब लमहा कुर्बे इलाही में ज्यादती होती रहती है और आरिफ की शनातन
में रहकर भी बेगाना लाइक रहे और खुदा से डरने वाले को भी आरिफ कहा जाता है और आरिफ
के अंदर लगातार तगुर होता रहता है और आरिफ अपनी मारफ की बिना पर हमेशा मौ दिब रहता
है फरमाया कि मारफ की तीन इक्साम है अव्वल मफत तौहीद जो तकरीबन हर मोमिन को हासिल
रहती है दोम मारफ हुज्जत बयान यह हु कमा उलमा को मिलती है स्वयम सिफात की मारफ यह
सिर्फ औलिया कराम के लिए मख्सूसपुरी
और मारूफ की मारफ एक हो जाने की वजह से मारफ का मदही दोनों हाल तों से खाली नहीं
क्योंकि या तो वह अपने दावा में सच्चा है या झूठा अगर सच्चा है तो अपनी तारीफ करने
का मुरत किब होता है और सच्चे लोग कभी अपनी तारीफ खुद नहीं करते जैसा कि हजरत
सिद्दीक खुद फरमाया करते थे कि मैं तुमसे अफजल नहीं हूं और इस जमन में हजरत जुल नून
फरमाते हैं कि खुदा शनास मेरा गुनाह अजीम है और अगर तुम अपने दावा में सच्चे नहीं
तो फिर तुम्हें आरिफ नहीं कहा जा सकता मुख्तसर यह कि आरिफ को अपनी जुबान से आरिफ
कहना मुनासिब नहीं फरमाया कि आरिफ को जिस कदर कुर्बत हासिल होगी इसी कदर सरगर द
रहेगा जिस तरह आफताब से करीब शय इससे मुतासिर भी ज्यादा होती है और जिसकी मिसाल
मनरज जैल शेर से भी मिलती है नजदीक राबे बूद हैरानी कायशा दानं सियासत सुल्तानी
तर्जुमा नजदीक रहने वालों की हैरानी इसलिए ज्यादा होती है क्योंकि वह बादशाही सियासत
को जान हैं आरिफ की पहचान फरमाया कि आरिफ की शनातन इल्म के खुदा को जाने बगैर आंख
के देखे बगैर समात के इससे वाकिफ हो बगैर मुशाहिद के इसको समझे बगैर सिफत के पहचाने
और बगैर कश्फ हिजा बात के इसका मुशाहिद कर सके यानी जाते बारी में फना इयत की यह
अलामत हैं जैसा कि खुद बारी ताला का इरशाद है कि मैं जिसको दोस्त बनाता हूं उसका कान
बन जाता हूं ताकि वह मुझसे सुने आंख बन जाता हूं ताकि वह मुझसे देखे जबान बन जाता
हूं ताकि वह मुझसे बात करें और हाथ बन जाता हूं ताकि वह मुझसे पकड़े हदीस कुदसी
आपने फरमाया कि जाहिद सुल्तान आखिरत हुआ करते हैं और इनके दोस्त सुल्तान आरफीन
होते हैं फरमाया सोहबत इलाही का मुकाम यह है कि जो चीजें इससे दूर कर देने वाली हो
इनसे किनारा कुश रहे फरमाया कि मरीज कल्ब की चार अलामत हैं अव्वल इबादत में लज्जत
का ना होना दोम खुदा से खौफ जदा ना होना सौम दुनियावी अमूर से इबरत हासिल ना करना
चरम इल्म की बातें सुनने के बाद भी इन पर अमल ना करना फरमाया कि कल्ब रूह से खुदा
का फरमाबरदार बन जाने को बूदतमीज
से और खवास गफलत से तौबा कर हैं लेकिन तौबा की भी दो किस्में हैं अव्वल तौबा
अनाबंद का खुदा से डर कर तौबा करना दम तौबा
इतजाई होना यानी इस पर नादम हो कि मेरी रियाजत अजमत खुदा वंदी के सामने कुछ भी
नहीं फिर फरमाया कि हर उज की तौबा का जुदा काना तरीका है मसलन कल्ब की तौबा यह है कि
हराम चीजों को तर्क कर दे आंख की तौबा यह है कि हराम चीज की जानिब निगाह ना उठे और
शर्मगाह की तौबा यह है कि बदका से किनारा कुश रहे फिर फरमाया कि वह फक्र जिसमें
कदूर तो गुबार हो मेरे नजदीक खूत तकब्बल से ज्यादा बेहतर है फरमाया कि न दमत का
मफू यह है कि इतका बे माशियत के बाद खौफ सजा बाकी रहे और तकवा का मफू यह है कि
अपने जाहिर को मासि अत नाफरमानी में मुब्तला ना करें और बातिन को लवित से
महफूज रखते हुए हम वक्त अल्लाह का तसव्वुर कायम रखें यानी हर लम्हा यह तसव्वुर करता
रहे कि वह हमारे तमाम अफल की निगरानी कर रहा है और हम इसके सामने हैं फरमाया कि
जिस पर शमशीर सदक चल जाती है इसके दो टुकड़े कर देती है फरमाया कि
मुराककाबत कर दे और इसको अजम जाने जिसको खुदा ने
अजमत अता की हो और इसकी जानिब रुख भी ना करें जिसको उसने जलील और रुसवा कर दिया हो
फरमाया कि हालत वजद भी एक राज है और समा इलाज नफ्स है और हका नियत से शरीक समा
होता है वह अहले हक में से हो जाता है तवक फरमाया कि तवक नाम है खुदा पर एतमाद रखते
हुए किसी से कुछ तलब ना करने और बंदा बनकर मालक की तात करने और तदा बीर तकब्बल तर्क
कर देने का और अंस नाम है खुदा के महबूब से मोहब्बत करने और इनकी मोहब्बत हासिल
करने का और जिस वक्त औलिया कराम पर गलबा अंस होता है तो ऐसा महसूस करते हैं जैसे
अल्लाह ताला जुबान नूर में उनसे हम कलाम है और गलबा हैबत होता है तो फिर नूर के
बजाय जबाने नार से बातें होती हैं और खुदा के मोनस की
शनातन में डाल देने के बाद भी हौसले में कमी ना आए और अंस खुदा वंदी की निशानी यह
है कि मखलूक से किनारा कुश हो जाए आ फरमाया कि तदब्बूर
तफकॉर्न
है शिद्दत मौत पर राजी रहने और
मसाइल कदर पर राजी रहता है वह अपने नफ्स से वाकिफ हो जाता है इखलास फरमाया कि
इखलास में जब तक सद को सबर शामिल ना हो इस वक्त तक इखलास मुकम्मल नहीं होता और खुद
को इब्लीस से महफूज रखने का नाम भी इखलास है अहले इखलास वह होते हैं जो अपनी तारीफ
से खुश और अपनी बुराई से नाखुश ना हो और अपने आमाल सालि को इस तरह फरामोश कर दें
कि रोज महशर अल्लाह ताला से इनका मुआवजा भी तलब ना करें लेकिन खिलत में इखलास का
कायम रखना बहुत दुश्वार है यकीन फरमाया कि आंखों से मुशाहिद करने वाले की मिसाल इल्म
जैसी है और कल्ब से देखने वाले की मिसाल यकीन जैसी है और यकीन का समर सब्र है और
यकीन की भी तीन अलामत हैं अव्वल हर शय में खुदा को देखना दोम अपने तमाम उमू में इसी
से रजू करना सोम हर हाल में इसकी आनत तलब करना यकीन आरजूओ में कमी कर देता है और
आरजूओ की किल्लत जहद की तल कीन करती है और जहद हिकमत का अलम बदार है और हिकमत शजर
अंजाम को फलदार कर देती है और थोड़ा सा यकीन भी पूरी दुनिया से ज्यादा अहमियत
रखता है क्योंकि यह तरक्की आखिरत की जानिब ले जाता है और इससे आलम मलकू का मुशाहिद
होने लगता है अहले यकीन की शना फत यह है कि मखलूक की मुखालिफत करते हुए ना तो इसकी
तारीफ करें और ना इसकी सखावत से फायदा उठाए और अगर मखलूक दरप आजाद हो जाए तो
अपनी जात से किसी को अजियत ना पहुंचाए क्योंकि जिसको खालिक की कुर्बत हासिल हो
वह मखलूक से कोई वास्ता नहीं रखता फरमाया कि हक बीनी का दावेदार ना सिर्फ महरूम का
शिकार होता है बल्कि इसका दावा भी झूठा होता है क्योंकि हक बीन बंदा इजहार को
मायू तसव्वुर करता है फरमाया कि कोई मुरीद इस वक्त तक सही मानों में मुरीद नहीं होता
जब तक खुदा के बाद मुर्शद का अतात गुजार ना हो जो बंदा विस्वास कल्बी खत्म करने के
बाद मुराककाबत अता कर देता है फरमाया खुदा से खौफ रखने
वाला इसकी जानिब मतवल
मतवल हो गई और कनात पजीर बंदा लज्जत और कैफ में गर्क होकर सबका सरदार बन जाता है
और जो बंदा लगव कामों में तकलीफ बर्दाश्त करता है वही चीज इसके बाद करामत साबित
होती है अकवाले जरी फरमाया कि खुदा से
खाइफा की मोहब्बत इस तरह जाग जीन हो जाती है कि इसको अकल कामिल अता कर दी जाती है
और जो मुश्किलात पर काबू पाने की कोशिश करता रहता है वह शदीद मुश्किलात में गिरता
चला जाता है और जो बे सूद चीजों के हसूल को सही करता है वह इस शय को खो देता है
जिसको इससे फायदा पहुंच सकता फरमाया कि अगर तुम्हें हक बात पर थोड़ा सा रंज भी
होता तो यह इस चीज की अलामत है कि तुम्हारे नजदीक हक का दर्जा बहुत कम है
फरमाया कि जिसका जाहिर बातिन का ईना दार ना हो उसकी सोहबत से किनारा कुश रहो फिर
यादे इलाही करने वाला खुदा के सिवा हर शय को खुद बखुदा चला जाता है मुफीद
जवाबाइकिरण
की जातो सिफात से शनातन को इसके रसूल की वजह से पहचाना क्योंकि खुदा को तो खालिक
होने की वजह से शिनाख्त किया जा सकता है और रसूल चूंकि मखलूक है इसलिए मखलूक को
इसके जरिया पहचाना जा सकता है फिर लोगों ने सवाल किया कि बंदा खुदा से किस वक्त
आनत तलब करता है फरमाया नफ्स तदा बीर से आजिज आकर
नसायन माया कि ऐसे अहले इखलास की सोहबत इख्तियार करो जो हर हाल तुम्हारे शरीक रहे
तुम्हारी तब्दीली से भी इनमें कोई तब्दीली रूमा ना हो फरमाया कि बंदा इस वक्त तक
जन्नत का मुस्तक नहीं हो सकता जब तक पांच चीजों पर अमल पैरा ना हो अव्वल ठोस
इस्तकामेश्वरी कों से खुदा ताला का
मुराककाबत से
कबल अपना मुहास करते रहना खौफ फरमाया कि खौफ इलाही की निशानी यह है कि खुदा के
सिवा हर शय से बेखौफ हो जाए और दुनिया में वही महफूज रहता है जो किसी से बात नहीं
करता फिर फरमाया कि तवक नाम है मखलूक से तर्क हिर्स का और दुनियावी वसाय को छोड़कर
गोश नशीन हो जाने और नफ्स को रबू बियत से जुदा करके अबू दियत की जानिब मायल हो जाने
का फिर फरमाया कि बेती त को गम भी ज्यादा होता है और दुनिया नाम है खुदा से गाफिल
कर देने का फरमाया कि वह कमीना है जो खुदा के रास्ता में ना वाकिफ होते हुए भी किसी
से मालूमात ना करें हजरत यूसुफ बिन हुसैन ने आपसे पूछा कि किसकी सोहबत इख्तियार
करूं फरमाया कि जिसमें मनोतो का खतरा ना हो और नफ्स की मुखालिफत में खुदा के
मुवाफीनामा
है वह कभी तायब होकर मकबूल बारगाह हो जाए नसीहत वसीयत किसी ने आपसे अर्ज किया कि
मुझे कोई नसीहत फरमाइए तो आपने फरमाया अपने जाहिर को खल्क के और बातिन को खालिक
के हवाले कर दो और खुदा से ऐसा ताल्लुक कायम करो जिसकी वजह से वह तुम्हें मखलूक
से बे नियाज कर दे और यकीन पर कभी शक को तरजीह ना दो और जिस वक्त तक नफ्स आनत पर
आमादा ना हो मुसलसल इसकी मुखालिफत करते रहो और मसाइल करते हुए जिंदगी खुदा की याद में
गुजार दो फिर दूसरे शख्स को यह वसीयत फरमाए कि कल्ब को माज और मुस्तकबिल के
चक्कर में ना डालो यानी गुजरे हुए और आने वाले वक्त का तसव्वुर कल्ब से निकालकर
सिर्फ हाल को गनीमत जानो किसी ने आपसे दरयाफ्त किया कि सूफी की क्या तारीफ है
आपने फरमाया तर्क दुनिया करके खुदा को महबूब बना ले और खुदा भी इसको महबूब समझे
फिर किसी ने कहा कि मुझको खुदा का रास्ता दिखा दीजिए तो आपने फरमाया खुदा ताला तेरी
रसाई से बहुत दूर है लेकिन अगर किसी को वाकई कुर्ब मतलूब हो तो वह पहले ही कदम पर
मिल जाता है और इसको हम पहले ही तफसील तौर पर बयान कर चुके हैं फिर किसी ने अर्ज
किया कि आपको अपना दोस्त तसव्वुर करता हूं तो फरमाया कि सिर्फ खुदा से दोस्ती करो और
इसी की दोस्ती तुम्हारे लिए काफी है अगर तुम हक शनास नहीं हो तो किसी ऐसे की
जुस्तजू कर करो जो तुम्हें हक से शनास करा दे क्योंकि मेरी दोस्ती तुम्हारे लिए सूद
मंद नहीं हो सकती फरमाया कि जिसको हदूद मार्फत मालूम हो जाती है वह खुद गुम हो
जाता है किसी ने दरयाफ्त किया कि आरफ की तारीफ क्या है फरमाया कि जिसमें पहले तहर
और बाद में इत साल हक हो जाए इसी वक्त आरिफ को हयाते दामी हासिल हो जाती है और
इसको हमा औकात यादे इलाही और विसाल हासिल हो जाता है और नफ्स की मफत यह है कि हमेशा
नफ्स से बद जन रहे कभी इससे हुस्ने जन ना रखे फरमाया कि मुझसे ज्यादा खुदा से कोई
भी दूर नहीं है क्योंकि 70 साल बहरे वहदा नियत में गोता जन रहने के बाद भी गुमान के
सिवा कुछ ना हासिल हो सका मनकुल है कि मौत के करीब लोगों ने सवाल किया कि आपकी किसी
चीज को तबीयत चाहती है फरमाया मेरी ख्वाहिश सिर्फ यह है कि मौत से कबल मुझे
आगाही हासिल हो जाए फिर आपने यह शेर पढ़ा जिसका तर्जुमा कुछ यूं है खौफ ने मुझे
बीमार कर दिया और शौक ने मुझे जिला डाला मोहब्बत ने मुझे फना कर दिया और अल्लाह
ताला ने मुझे जिला दिया इसके बाद आप पर गशी तारी हो गई और कुछ होश आने के बाद
यूसुफ बिन हुसैन रजि अल्लाह ताला अन्हो ने वसीयत करने के लिए अर्ज किया फरमाया कि इस
वक्त में खुदा के एहसाना में गुम हूं इस वक्त कोई बात ना करो इसके बाद
इंतकाल हो गया इन्ना लिल्लाह व इन्ना इलैही राजिन
रिवायत आपके इंतकाल की शब में 70 औलिया कराम को हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम की जियारत हुई और हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मैं खुदा के
दोस्त जुल नून मिसरी के इस्तकबाल के लिए आया हूं इंतकाल के बाद लोगों ने आपकी
पेशानी पर कलेमा लिखे हुए देखे जिनका तर्जुमा कुछ यूं था यह अल्लाह ताला का
दोस्त है और अल्लाह ताला की मोहब्बत में मर गया और यह मकतूल है जो अल्लाह ताला की
तलवार से मरा है धूप की शिद्दत की वजह से आपके जनाजे पर परिंदे साया फगन हो गए थे
जिस तरफ से आपका जनाजा गुजरा वहां मस्जिद में मोजन अजान दे रहा था जिस वक्त वह अशद
अनला इलाहा वहद अन्ना मुहम्मद रसूल अल्लाह पर पहुंचा तो आपने शहादत की उंगली उठा दी
जिसकी वजह से लोगों को ख्याल हुआ कि शायद आप हयात हैं लेकिन जब जनाजा रखकर देखा तो
आप मुर्दा थे और अंगुर शहादत उठी हुई थी और बहुत कोशिश के बावजूद भी सीधी नहीं हुई
चुनांचे इसी तरह आपको दफन कर दिया गया और आपकी यह करामत देखकर अहले मिस्र आपको
मुसलसल अजियत पहुंचाने पर बेहद नादम हुए और उन्होंने अपनी गलतियों से तौबा
की बाब नंबर 14 हजरत बायजीद रहमतुल्ला अल के हा तो मुना किब तारुफ आप बहुत बड़े
औलिया और मशक में से हुए हैं और रियाजत इबादत का जरिया कुर्बे इलाही हासिल हुआ
अदीस बयान करने में आपको दर्क हासिल था हजरत जुनेद बगदादी का कौल है कि हजरत
बायजीद को औलिया में वही एजाज हासिल है जो हजरत जिब्राईल को मलायका में और मुकाम
तौहीद में तमाम बुजुर्गों की इंतहा आपकी इब्तिदा है क्योंकि इब्तिदा मु में ही लोग
सरगर द होकर रह जाते हैं जैसा कि हजरत बायजीद का कॉल है कि अगर लोग 200 साल तक
भी गुलशन मारफ में सर गजता रहे जब कहीं जाकर इसका एक फूल मिल सकता है जो मजमुआ
तौर पर इब्तिदा ही में मुझे मिल गया शेख अबू सईद का कॉल है कि मैं पूरे आलिम को
आपके औसाफ से पुर देखता हूं लेकिन इसके बावजूद भी आपके मुरा दिब को कोई नहीं
जानता आपके दादा आतिश परस्त थे और वालिद बुजुर्ग वार का बस्तान के अजीम बुजुर्गों
में शुमार होता है आपकी करामात का जुहूर शिक में मादी में ही होने लगा था क्योंकि
आपकी वालिदा फरमा थी कि जिस वक्त बायजीद मेरे शिकम में था तो अगर कोई मुश्त बा
गिजा मेरे शिकम में चली जाती तो इस कदर बेकली और बेचैनी होती कि मुझे हल्क में
उंगली डालकर निकालना पड़ती हजरत बायजीद का कौल है कि राहे तरीकत में सबसे बड़ी दौलत
वह है जो मादर जाद हो इसके बाद चश्मे बीना और इसके बाद गोशे होश लेकिन अगर ये तीनों
चीजें हासिल ना हो तो फिर अचानक मर जाना बेहतर है जब आप मकतब में दाखिल हुए और
आपने सूर लुकमान की ये आयत पढ़ी के इन अकली वल वाले देख यानी मेरा शुक्र अदा कर
और अपने वालदैन का इस वक्त अपनी वालिदा से आकर अर्ज किया कि मुझसे दो हस्तियों का
शुक्र अदा नहीं हो सकता लिहाजा आप मुझे खुदा से तलब कर लें ताकि मैं आपका शुक्र
करता रहूं या फिर खुदा के सुपुर्द कर दें ताकि इसके शुक्र में मशगूल हो जाऊं वालिदा
ने फरमाया कि मैं अपने हुकूक से दस्त बरदार होकर तुझे खुदा के सुपुर्द करती हूं चुनांचे इसके बाद आप शाम की जानिब निकल गए
और वहीं जिक्र शुगल को जुज हयात बना लिया और मुकम्मल तीन साल शाम के मैदानों और
चेहरा में जिंदगी गुजार दी इस अरसा में यादे इलाही की वजह से खाना पना सब तर्क कर
दिया ना सिर्फ यह बल्कि 1 मशा से भी नयाज हासिल करके इनके फय से सराब हुए इन्हीं
मशक में हजरत इमाम जाफर सादिक भी शामिल हैं हालात एक मर्तबा आप हजरत इमाम जाफर
सादिक की खिदमत में थे तो उन्होंने फरमाया के बायजीद फला ताक में जो किताब रखी है वह
उठा लाओ आपने दरयाफ्त किया कि वह ताक किस जगह है इमाम जाफर ने फरमाया कि इतने अरसा
रहने के बाद भी तुमने ताक नहीं देखा आपने अर्ज किया ताक तो क्या मैंने आपके रूबरू
कभी सर भी नहीं उठाया इस वक्त इमाम जाफर ने फरमाया अब तुम मुकम्मल हो चुके लिहाजा
बस्ता वापस चले जाओ एक मुकाम पर आप किसी बुजुर्ग से नयाज हासिल करने पहुंचे तो जिस
वक्त आप इनके नजदीक हो गए तो देखा कि उन्होंने काबा की जानिब थूक दिया यह देखकर
आप मुलाकात के बगैर वापस आ गए और फरमाया कि अगर वह बुजुर्ग तरीकत के दर्जो को जान
है तो शरीयत के मुनाफ काम ना करता आपके अदब का यह आलिम था कि मस्जिद जाते वक्त
रास्ता में भी ना थूकते सफरे हज में चंद कदमों के बाद आप नमाज अदा करते हुए फरमाते
कि बैतुल्लाह दुनियावी बादशाहों का दरबार नहीं जहां इंसान एकदम पहुंच जाए इस तरह आप
पूरे 12 साल में मक्का मुअज्जम पहुंचे लेकिन हज के बाद मदीना मुनव्वरा तशरीफ
नहीं ले गए और फरमाया कि यह कोई माकूल बात नहीं कि हज के तुफैल में मदीना मुनव्वरा
जाऊं इस की जियारत के लिए इंशा अल्लाह फिर किसी दूसरे मौका पर हाजिर होंगा चुनांचे
जब दूसरे साल मदीना मुनव्वरा रवाना हुए तो सद अफराद आपके हमराह हो गए लेकिन आपने
इससे छुटकारा हासिल करने की अल्लाह ताला से दुआ की और एक दिन नमाज फजर के बाद आपने
लोगों से कहा कि मैं तो खुदा हूं इसके बावजूद भी लोग मेरी परस्तिश नहीं करते यह
सुनते ही लोग आपको पागल समझकर किनारा कुश हो गए लेकिन दरह कीक यह अल्फाज आपने लिसान
गैब से फरमाए थे एक मर्तबा राह में आपको एक ऐसी खोपड़ी पड़ी हुई मिल गई जिस पर यह
तहरीर था सुमन बकम उन फलाक यानी वह गूंगे बहरे और अंधे हैं
इसलिए व अकल नहीं रखते यह पढ़ते ही आप चीख मार करर बेहोश हो गए और होश आने के बाद इस
खोपड़ी को बोसा देकर फरमाया कि यह ऐसे सूफी की है जो जिक्र इलाही में इस दर्जा
सरगर द हो गया कि ना तो कान रहे जिससे अल्लाह ताला की बात सुने ना जुबान जिससे
इसका जिक्र कर सके और ना आंख जिससे इसका जमाल देख सके हजरत जुल नून मिसरी
रहमतुल्ला अलह ने आपके पास पैगाम भेजा कि तुम रात को सुकून और चैन के साथ नींद लेकर
अहले काफिला से पीछे रह जाते हो और आपने जवाब दिया कि पूरी रात सुकून की नींद लेने
के बाद अहले काफिला से बिछड़कर जो पहले मंजिल पर पहुंच जाए वही कामिल होता है यह
सुनकर जुअल नून ने कहा कि यह मर्तबा अल्लाह ताला इन्हें मुबारक फरमाए मदीना
मुनव्वरा से सफर में आपने अपने ऊंट पर बेहद बोझ लाद लिया और जब लोगों ने कहा कि
जानवर पर इस कदर बोझ लाद शाने बुजुर्ग के खिलाफ है तो फरमाया कि पहले आप लोग गौर से
देख लें कि बोझ ऊंट के ऊपर है भी या नहीं चुनांचे जब लोगों ने गौर से देखा तो मालूम
हुआ कि पूरा बार ऊंट की कमर से ऊपर था यह देखकर सब हैरत जदा रह गए तो आपने फरमाया
कि मैं अपना हाल पोशीदा रखता हूं तो दूसरों को खबर नहीं होती और यह जाहिर कर देता हूं तो हैरत जदा रह जाते हैं इन
हालात में भला मैं तुम्हारे हमराह कैसे रह सकता हूं और जब जियारत मदीना से फारिग हुए
और वालिदा की खिदमत का तसव्वुर आया तो बस्तान के लिए रवाना हो गए और जब अहले शहर
को आपकी आमद की इत्तला मिली तो काफी फासला पर आपके इस्तकबाल के लिए पहुंच गए लेकिन
इस वक्त आपको यह परेशानी हो गई कि अगर लोगों से मुलाकात करता रहूं तो यादे इलाही में गफलत होगी लिहाजा आपने इन लोगों को
मुत फिर करने के लिए यह तरकीब की कि रमजान के बावजूद दुकान से खाना खरीद कर खाना
शुरू कर दिया देखते ही तमाम अकीदत मंद वापस हो गए और आपने फरमाया ग मैंने इजाजत
शरी पर अमल किया लेकिन लोग मुझे बुरा समझकर मुन हरि हो गए जब सफर से वापसी में
मकान के दरवाजे पर पहुंचे तो दरवाजे से कान लगाकर सुना तो वालिदा वजू करते हुए यह
कह रही थी कि या अल्लाह मेरे मुसाफिर को राहत से रखना और बुजुर्गों से इसको खुश
रखकर अच्छा बदला देना यह सुनकर पहले तो आप रोते रहे फिर दरवाजे पर दस्तक दी तो
वालिदा ने पूछा कौन है अर्ज किया कि आपका मुसाफिर चुनांचे उन्होंने दरवाजा खोलकर
मुलाकात करते हुए फरमाया कि तुमने इस कदर तवील सफर इख्तियार किया कि रोते-रोते मेरी
बसारी और गम से कमर झुक गई आपने फरमाया कि जिस काम को मैंने बाद के लिए छोड़ा था वह
पहले ही हो गया और वह मेरी वालिदा की खुशनूर थी वालिदा की बरकत आप फरमाया करते
कि मुझे जितने भी मराब हासिल हुए सब वालिदा की अतात से हासिल हुए एक मर्तबा
मेरी वालिदा ने रात को पानी मांगा लेकिन इत्तफाक से इस वक्त घर में कतन पानी नहीं
था चुनांचे मैं घड़ा लेकर नहर से पानी लाया मेरी आमद और रफत की ताखी की वजह से
वालिदा को फिर नींद आ गई और मैं रात भर पानी लिए खड़ा रहा हत्ता कि शदीद सर्दी की
वजह से पानी प्याले में मुंजमपल्ली के बाद मैंने इन्हें पानी पेश
किया तो उन्होंने फरमाया तुमने पानी रख दिया होता इतनी देर खड़े रहने की क्या
जरूरत थी मैंने अर्ज किया कि महज इस खौफ से खड़ा रहा कि मुबा द आप कहीं बेदार होकर
पानी ना पी पाएं और आपको तकलीफ पहुंचे यह सुनकर उन्होंने मुझे दुआएं दी इसी तरह एक
रात वालिदा ने फरमाया कि दरवाजे का एक एक फट खोल दो लेकिन मैं रात भर इसी परेशानी
में खड़ा रहा कि ना मालूम दाहिना पट खोलूं या बाया क्योंकि अगर इनकी मर्जी के खिलाफ
गलत पट खुल गया तो हुक्म अदूरी में शुमार होगा चुनांचे इन्हीं खिदमत की बरकत से यह
मराब मुझको हासिल हुए रियाजत आप फरमाया करते कि मैंने 12 साल तक नफ्स को रियाजत
की भट्टी में डालकर मुजाहिद की आग से तपाया और मलामत के हथोड़े से कूट रहा
जिसके बाद मेरा नफ्स आईना बन गया फिर पाच साल मुख्तलिफ किस्म की इबादत से इस पर कली
चढ़ाता रहा फिर एक साल तक जब मैंने खुदा त मादी की नजर से इसका मुशाहिद किया तो
इसमें तकब्बल और खुद पसंदी का मादा मौजूद पाया चुनांचे फिर पांच साल तक सही ब सियार
के बाद इसको मुसलमान बनाया और जब इसमें खलाक का नजारा किया तो सबको मुर्दा देखा
और नमाज जनाजा पढ़कर इनसे इस तरह किनारा कुश हो गया जिस तरह लोग नमाज जनाजा पढ़कर
कयामत तक के लिए मुर्दे से जुदा हो जाते हैं फिर इसके बाद मुझे खुदा वंदे ताला तक
पहुंचने का मर्तबा हासिल हो गया आप मस्जिद में दाखिले से कबल दरवाजे पर खड़े होकर
गिर आजारी करते रहते थे जब वजह दरयाफ्त की गई तो फरमाया कि मैं खुद को हाज औरत की
तरह निच तसव्वुर करते हुए रोता रहूं कि कहीं दाखिले से मस्जिद निज ना हो जाए एक
मर्तबा आप सफरे हज पर रवाना होकर चंद मंजिल पहुं ने के बाद फिर वापस आ गए और जब
लोगों ने इरादा तोड़ने की वजह पूछी तो फरमाया कि रास्ते में मुझे एक हशी मिल गया
और इसने मुझे इसरार के साथ यह कहा कि खुदा को बिस्तान में छोड़कर क्यों जाता है
चुनांचे मैं वापस आ गया हज के सफर में किसी ने पूछा कि कहां का
कसदार कुछ रकम है फरमाया 200 दीनार इसने अर्ज किया कि मैं मुफलिस हूं और अयाल दार
हूं लिहाजा यह रकम मुझको देकर सात मर्तबा मेरा तवाफ कर लीजिए तो इसी तरह आपका हज हो
जाएगा आपने इसी के कहने पर यह अमल किया और वह रकम लेकर रुखसत हो गया जब आपके मुरा
दिब में इजाफा होने लगा और आपका कलाम आवाम के जनों से बाला तर हो गया तो आपको सात
मर्तबा बस्तान से निकाला गया और जब आपने निकालने की वजह पूछी तो कहा गया कि तुम
निहायत बुरे इंसान हो आपने फरमाया कि जिस शहर का सबसे बड़ा इ सान बायजीद हो वह शहर
सबसे अच्छा है एक शब आप इबादत खाना की छत पर पहुंचे और दीवार पकड़कर पूरी रात खामोश
खड़े रहे जिसकी वजह से आपको पेशाब में खून आ गया और जब लोगों ने वजह पूछी तो फरमाया
कि इसकी दो वजू हैं अव्वल यह कि आज मैं खुदा की इबादत नहीं कर सका दोम यह के आयाम
तफतून सरज हो गया था चुनांचे इन दोनों चीजों से ऐसा खौफ जदा था कि मेरा कल्ब खून
हो गया और वह खून पेशाब के रास्ते से निकला इबादत के औकात में आपको यह खौफ लहक
रहता कि कहीं किसी की आवाज से मेरी इबादत में खलल वाके ना हो जाए इसलिए मकान के
तमाम सुराख बंद कर दिए थे ईसा बस्तानी का कौल है कि मैं 30 साल आपके साथ रहा लेकिन
कभी आपको बात करते नहीं देखा और आपकी यह आदत थी कि जानों में सर दिए रहते और जब सर
उठाते तो फिर फौरन ही सर्द आह खेंच कर जानू पर रख रख लेते और हजरत सहलक फरमाते
हैं कि ईसा बस्तानी ने जैसा बयान किया वह कब्ज की कैफियत होगी वैसे आप हालत बस्त
में लोगों से बातें करते और फैज भी पहुंचाते थे कैफियत
वजद एक मर्तबा हालत वजद में आपने कह दिया सुभानी मा आजम शानी यानी मैं पाक हूं और
मेरी शान बहुत बड़ी है और जब खतामबंद के बाद इरादत मंदो ने सवाल किया कि यह जुमला
आपने क्यों कहा फरमाया कि मुझे तो इल्म नहीं कि मैंने ऐसा कोई जुमला कहा हो लेकिन आइंदा इस किस्म का
जुमला मेरी जुबान से निकल जाए तो मुझे कत्ल कर डालना इसके बाद दोबारा हालत वजत में फिर आपने यही जुमला कहा जिस पर आपके
मुरीदन कत्ल कर देने पर आमादा हो गए लेकिन पूरे मकान में इन्हें हर सिमत बायजीद ही
बायजीद नजर आए और जब उन्होंने छुरियां चलानी शुरू की तो ऐसा महसूस होता था जैसे
पानी पर छुरियां चल रही हो और आपके ऊपर इसका कतन कोई असर नहीं हुआ फिर जब कुछ
वकफा के बाद वह सूरत रफ्ता-रफ्ता खत्म होती चली गई तो देखा कि आप मेहराब में
खड़े हैं और जब मुरीदन ने वाकया बयान किया तो फरमाया कि असल बायजीद तो मैं हूं और
जिनको तुमने देखा वह बायजीद नहीं थे और अगर कोई मो तरज यह कहे कि इंसानी जिस्म इस
कदर तवील कैसे हो सकता है तो जवाब यह है कि हजरत आदम जिस वक्त दुनिया में तशरीफ
लाए और तवाल की वजह से इनका सर आसमान से टकराता था और जब हुक्मे इलाही से हजरत
जिब्राइल ने इनके सर पर अपना मुक्का मारा इस वक्त आपका कद छोटा हो गया इससे मालूम
हुआ कि जब इसको बड़े जिस्म को छोटा कर देने पर कुदरत है तो छोटे जिस्म को भी
बड़ा कर देना इसकी कुदरत में दाखिल है इस तरह जब तक बच्चा शेक में मादर में रहता है तो इसका वजन बहुत हल्का होता है लेकिन
विलादत होते ही वजन में इजाफा हो जाता है मगर इन चीजों को समझने के लिए मराब की
वाकफिट बहुत जरूरी है एक मर्तबा आपने एक लाल रंग का सेब हाथ में लेकर फरमाया कि यह
तो बहुत ही लतीफ है चुनांचे इसी वक्त गैब से निदा आई कि हमारा नाम सेब के लिए
इस्तेमाल करते हुए हया नहीं आती और इस जुर्म में अल्लाह ताला ने 40 दिन के लिए
अपनी याद आपके कल्ब से निकाल दी लेकिन इसके बाद आपने कसम खा ली कि अब कहीं बस्ता
का फल नहीं खाऊंगा गलत फहमी एक मर्तबा आपको यह तसव्वुर हो गया कि मैं
बहुत बड़ा बुजुर्ग और शेखे वक्त हो गया हूं लेकिन इसी के साथ यह ख्याल भी आया कि
मेरा यह जुमला फख्र तकब्बल का आयना है चुनांचे फौरन खुरासान का रुख किया और
अचानक मंजिल पर पहुंचकर दुआ की कि ऐ अल्लाह जब तक ऐसे कामिल बंदे को नहीं
भेजेगा जो मुझको मेरी हकीकत से रू शनास करा सके इस वक्त तक यहीं पड़ा रहूंगा और
जब तीन शब रोज इसी तरह गुजर गए तो चौथे दिन एक शख्स ऊंट पर आया जिसको आपने ठहरने का
इशारा किया लेकिन इस इशारे के साथ ऊंट के पांव जमीन में ंसते चले गए और जो इस पर
सवार था उसने गुस्से के अंदाज में कहा कि क्या तुम यह चाहते हो कि मैं अपनी खुली
हुई आंख बंद कर लू और बंद आंख खोल दूं और बायजीद समेत पूरे बस्तान को गर्क कर दूं
यह सुनकर आपके होश उड़ गए और इससे पूछा कि तुम कौन हो और कहां से आए हो इसने जवाब
दिया कि जिस वक्त तुम ने अल्लाह ताला से अहद किया था इस वक्त मैं यहां से 3000 मील
दूर था और इस वक्त मैं सीधा वहीं से चला आया हूं लिहाजा तुम्हें खबरदार करता हूं
कि अपने कल्ब की निगरानी करते रहो यह कहकर वह गायब हो गया आप मस्जिद में 40 बर्स
मुकीम रहे लेकिन इस दर्जा मोहता थे कि मस्जिद का और मस्जिद से बाहर का लिबास
जुदा-जुदा होता था और इसमें सवाय मस्जिद की दीवार के आपने किसी चीज से टेक नहीं
लगाई आप फरमाया करते कि मैंने 40 बर्स तक आम इंसानों की गज चखी तक नहीं क्योंकि
मेरा रिजक कहीं और से आता था और इस दौरान अपने कल्ब की निगरानी में मसरूफ रहा इसके
बाद जब गौर किया तो हर सिमत बंदगी और खुदाई नजर आई फिर 30 साल तक खुदा की
जुस्तजू में गुजारे इसके बाद खुदा को तालिब और खुद को मतलूब पाया और अब 30 साल
से यह कैफियत है कि जब खुदा का नाम लेना चाहता हूं तो पहले तीन मर्तबा अपनी जुबान
को धो लेता हूं हजरत अबू मूसा ने जब आपसे सवाल किया कि खुदा की जुस्तजू में सबसे
ज्यादा दुश्वार मुकाम आपको क्या नजर आया फरमाया कि खुदा की आनत के बगैर कल्ब को इस
तरह तवज्जो करना बहुत दुश्वार है और जब इसकी मदद शामिल हाल होती है तो फिर सई के
बगैर भी कल्ब इसकी तरफ मतवल एक खास कशिश सी महसूस हो होने लगती
है फिर रफ्ता रफ्ता अल्लाह ने वह मराब अता किए जो आप पर भी जाहिर हैं और जाहिर में
भी इसकी अलामत पाई जाती हैं और जिस वक्त आपके ऊपर खौफ तारी होता तो पेशाब में खून
आने लगता था एक मर्तबा कुछ लोग हाजिर हुए तो आपने
मुराककाबत बख्शी का एक इरादत मंद अपनी रियाजत के
तबार से बहुत बुलंद था और आप इससे यह फरमाया करते कि हजरत बायजीद की सोहबत तेरे
लिए ज्यादा सूद मंद होगी लेकिन वह अर्ज करता कि मैं तो बायजीद के खुदा को दिन में
100 मर्तबा देखता हूं इनसे भला मुझे क्या फायदा हासिल हो सकता है हजरत बतरा ने
फरमाया कि अभी तक तूने अपने पैमाने के मुताबिक खुदा का दीदार किया है लेकिन इनकी
तवज्जो के बाद ऐसा दीदार होगा जिस तरह दीदार का हक है क्योंकि कि अल्लाह ताला का
मुख्तलिफ तरीकों से मुशाहिद किया जा सकता है इसीलिए अल्लाह ताला महशर में एक खास
तजल्ली तो हजरत सिद्दीक अकबर पर डालेगा और एक खास तजल्ली पूरी मखलूक पर यह सुनने के
बाद उस मुरीद के कल्ब में हजरत बायजीद का इश्तियाक दीदार पैदा हुआ और अपने मुर्शद
के हमराह जिस वक्त आपके मकान पर पहुंचा तो आप कहीं से पानी भरने गए हुए थे और जब यह
दोनों इनकी तलाश में चल दिए तो देखा कि आप एक हाथ में घड़ा और एक हाथ में पोस्ती
लटकाए चले आ रहे हैं लेकिन इस मुरीद पर आपकी ऐसी हैबत तारी हुई कि कपकपी की वजह
से जमीन पर गिर पड़ा और वहीं दम निकल गया और जब हजरत बू तरा ने कहा कि आपने एक ही
नजर में काम खत्म कर दिया आपने फरमाया कि इसके अंदर कश्फ का एक खास मुकाम बाकी रह
गया था जो इस वक्त इसको हासिल हुआ लेकिन वह बर्दाश्त ना करते हुए जां बहक हो गया
जिस तरह मिस्र की औरतें हुस्ने यूसुफ की ताब ना लाकर अपनी लिया काट बैठती थी हजरत
यया बिन मुज ने जब आपको यह तहरीर किया कि आपकी ऐसे शख्स के बारे में क्या राय है जो
एक जाम जल्ली से ऐसा मस्त हो गया कि इसकी मस्ती अबद तक खत्म ना होने वाली है आपने
जवाब में तहरीर किया कि यहां एक ऐसा फर्द भी मौजूद है जो अजलो अबद के बहरे बेकरा को
पीकर भी यही कहता है कि कुछ और मिल जाए फिर एक मर्तबा यया बिन मुज ने तहरीर किया
कि मैं आपको एक राज बताना चाह हूं लेकिन इस वक्त बताऊंगा जब हम दोनों शजर तबा के
नीचे खड़े होंगे और कासदन भी कर दी कि हजरत बायजीद से कहना कि
इसको खा ले कि आबे जमजम से गंधी गई है इसके बाद हजरत बायजीद ने लिखा कि जिस जगह
खुदा को याद किया जाता है वहां जन्नत और तबा दोनों मौजूद होते हैं और टिकिया इसलिए
वापस कर रहा हूं कि आबे जमजम से गूंदने की फजीलत अपनी जगह मुस्लिम लेकिन यह कैसे
मालूम कि जो बीज बोया गया था वह कस्बे हलाल का था या कस्बे हराम का इसलिए कि
इसके कुल हलाल होने में मुझको शक है इस जवाब के बाद यया बिन मुज बाद नमाज इशा ब
गर्ज मुलाकात बस्तान पहुंचे लेकिन यह ख्याल करके कि कहीं आपको तकलीफ ना हो और
किसी जगह मुकीम हो गए और सुबह को जब आपके यहां हाजिर हुए तो मालूम हुआ कि आप
कब्रिस्तान में हैं चुनांचे जब हजरत यया कब्रिस्तान में पहुंचे तो देखा कि आप
अंगूठे के बल खड़े हुए मसरूफ इबादत हैं और ऐसा महसूस हुआ कि जैसे पूरी रात इसी तरह
खड़े हुए गुजरी फिर फराग के बाद जब अच्छी तरह दिन निकल आया तो आपने यह दुआ पढ़ी के
आनल मकाम मैं तुझसे पनाह तलब करता हूं इस बात की कि मैं तुझसे इस मुकाम का हाल
दरयाफ्त करूं इसके बाद हजरत यया ने पेश कदमी करते हुए सलाम कि किया और रात के
वाकया दरयाफ्त किए तो आपने फरमाया कि अल्लाह ताला ने मुझको बेश मदार ज अता करने
चाहे लेकिन वह सब हिजाब के थे इसलिए मैंने कबूल नहीं किए फिर हजरत यया ने पूछा कि
आपने अल्लाह ताला से मफत क्यों नहीं तलब की यह सुनते ही आपने चीख कर कहा कि बस
खामोश हो जाओ इसलिए कि मुझे शर्म आती है कि मैं इस शय से वाकिफ हो जाऊं जिसके लिए
मेरी तमन्ना यह है कि खुदा के सिवा इससे कोई वाकिफ ना हो और यह बात सोच लो कि जहां
मारफ से खुदा वंदी का वजूद हो वहां मुझ जैसे गुनाहगार का गुजर कहां क्योंकि यह
खुदा की मर्जी में शामिल है कि मफत को इसके इलावा कोई जान ना सके फिर हजरत यया
ने अर्ज किया कि आज के शब जो मराब आपको अता हुए इनका कुछ फैज मुझे भी पहुंचा
दीजिए हजरत बायजीद ने फरमाया कि अगर तुझको सिफात आदम कुद्स जिब्राईल खलते इब्राहीम
शौक मूसा पाकीजा और खब्बे मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम सी कुछ
अता कर दिए जाएं जब भी खुश ना होना क्योंकि यह सब हिजा बात हैं पस सिर्फ खुदा
ही को खुदा से तलब करते रहना ताकि सब कुछ हासिल हो जाए हजरत जुअल नून ने आपकी खिदमत
में एक जाय नमाज अरसल की तो आपने यह कहकर वापस कर दी कि मुझे इसकी हाजत नहीं
अलबत्ता एक मसनद की जरूरत है यानी अब ऐसा बे नियाज हो चुका हूं कि मुझे नमाज माफ हो
चुकी है और जब उन्होंने नफीस किस्म की मसनद भिजवाई तो यह कहकर वापस कर दी कि
जिसके पास अल्ताफ खुदा वंदी की मसनद मौजूद हो उसको दुनियावी मसनद की जरूरत नहीं
हालांकि यह वह दौर था जबकि आप निहायत जफ और परेशान हाल थे और अगर मसनद कबूल कर
लेते तो जायज था लेकिन अज रोए तकवा दोनों चीजें वापस कर दी आप फरमाया करते कि मैं
सर्दी की रात में गजरी ड़ेगे यख बस्ता पानी से गुसल करके सुबह तक वही भीगी हुई
गजी इस नियत से उड़े रखी के जुर्म में नफ्स को और भी ज्यादा सर्दी का सामना करना
पड़े और इस दिन से यह मामूल बना लिया कि दिन में 70 मर्तबा गुसल करता हूं और हर
मर्तबा बेहोश हो जाता हूं एक मर्तबा कब्रिस्तान में तशरीफ लाए कि एक बस्ता मी
नौजवान बर्बत बजा रहा था तो आपने इसको देखकर लाहौल पढ़ी और इस नौजवान ने बर्बत
को इतनी जोर से आपके सर पर दे मारा कि आपका सर फट गया और बर्बत टूट गया लेकिन
आपने घर आकर इस नौजवान को बर्बत की कीमत और कुछ हलवा वगैरह भेजते हुए पैगाम दिया
कि इस रकम से दूसरा बर्बत खरीद लो और हलवा वगैरह खुद खाओ ताकि शिकस्ता बर्बत का गम
दूर हो जाए इसके बाद इस नौजवान ने हाजिर होकर माजर तलब की और हमेशा के लिए वो और
इसका एक साथी तायब हो गए एक मर्तबा आप इरादत मंदो के हमरा एक तंग गली से गुजर
रहे थे कि सामने से एक कुत्ता आ गया चुनांचे आपने और मुरीदन ने रास्ता छोड़
दिया और वह कुत्ता निकल गया इसी वक्त किसी मुरीद ने पूछा कि जब खुदा ने इंसानों को
अशरफुल मखलूक बनाया है तो फिर आप ने कुत्ते के लिए रास्ता क्यों छोड़ दिया
इससे तो ऐसा महसूस होता है कि कुत्ते को हम पर बरतरी हासिल है और यह बात खिलाफ अकल
है और खिलाफ शराबी आपने जवाब दिया कि इस कुत्ते ने मुझसे सवाल किया था था कि अजल
में मुझको कुत्ता और आपको सुल्तान उल आरफीन क्यों बनाया गया और इसमें मेरा क्या
कसूर था और आपकी क्या फजीलत थी चुनांचे मैंने इस ख्याल से कि अल्लाह का कितना
बड़ा इनाम है कि इसने मुझे कुत्ते पर फजीलत अता कर दे इसलिए मैंने रास्ता छोड़
दिया फिर एक और मर्तबा राह में कुत्ता मिला तो आपने दामन समेट लिया जिस पर
कुत्ते ने अर्ज किया कि आपने दामन क्यों बचा लिया इसलिए कि अगर मैं भीगा हुआ नहीं
हूं तो मुझसे नापाकी का खतरा नहीं और अगर भीगा हुआ होता तो आप अपने कपड़े पाक कर
सकते थे लेकिन यह तकब्बल जिसका आपने मुजहरा फरमाया यह तो सात समुंदरों के पानी
से भी पाक नहीं हो सकता आपने फरमाया तू सच कहता है इसीलिए कि तेरा जाहिर निज है और
मेरा बातिन लिहाजा हम दोनों को एक साथ रहना चाहिए ताकि कुछ
पाकीजा कि हम दोनों का साथ रहना मुमकिन नहीं क्योंकि मैं मैं मरदूड हूं और आप
मकबूल बारगाह दूसरा यह कि मैं दूसरे दिन के लिए एक हड्डी भी जमा नहीं करता और आप
साल भर का गल्ला जमा कर लेते हैं आपने फरमाया सदफ जब मैं कुत्ते के हमराह रहने
के काबिल भी नहीं तो फिर खुदा का कर्ब कैसे हासिल हो सकता है और पाक है वह
अल्लाह जो बदतर मखलूक की बातों से बेहतरीन मखलूक को दर् से इबरत देता है एक शख्स 30
साल तक आपकी सोहबत में इबादत करता रहा और एक दिन आपसे अर्ज किया कि इतना अरसा गुजर
जाने के बावजूद भी आपकी तालीम मुझ पर असर अंदाज ना हो सकी आपने फरमाया कि एक ही
शक्ल से तेरे ऊपर असर हो सकता है लेकिन वह तेरे लिए काबिले कबूल ना होगी इसने अर्ज
किया कि मैं आपके हर हुकम की तामील करूंगा आपने फरमाया कि दाढ़ी मूंछ और सर के बाल
मुंडा कर और एक कंबल ओड़कर एक थैले में अखरोट भर ले और एक ऐसी जगह जा बैठ जहां
बहुत लोग तुझसे वाकिफ हो और बच् से कह दे कि जो बच्चा मुझे एक थप्पड़ मारेगा इसको
एक अखरोट दूंगा बस यही तेरा वाहिद इलाज है इसलिए कि अभी तुझे अपने नफ्स पर काबू
हासिल नहीं हो सका इसने जवाब में कहा सुभान अल्लाह ला इलाह इल्लल्लाह आपने
फरमाया कि यह कलमा अगर किसी काफिर की जुबान से अदा होते तो वह मुसलमान हो जाता
लेकिन तू इसलिए मुशरिक हो गया कि तूने अजमत खुदा वंदी के बजाय अपनी अजमत का
इजहार किया यह सुनकर इसने अर्ज किया कि आपकी बताई हुई तरकीब मेरे लिए काबिले कबूल नहीं आपने कहा कि यह तो मैं पहले ही कह
चुका था कि तू मेरी बात पर अमल नहीं करेगा हजरत शफीक बलखी का एक इरादत मंद सफरे हज
पर रवाना होते हुए हजरत बायजीद के यहां शरफे नयाज के लिए हाजिर हुआ तो आपने
फरमाया कि किससे बैत हो और जब इसने अपने मुर्शिद का नाम बताया तो फरमाया कि तुम्हारे मुर्शद के अकवाले और आमाल क्या
हैं इसने अर्ज किया कि इनका अमल तो यह है कि मखलूक से बेनियाज़ हो होकर मुत वक्कल
अललाह हो गए हैं और कॉल यह है कि अगर बारिश ना होने से गल्ला पैदा ना हो और पूरी मखलूक मेरी अयाल में दाखिल हो जब भी
मैं तवक तर्क नहीं कर सकता यह सुनकर हजरत बायजीद ने फरमाया कि वह तो बहुत काफिर
मुशरिक है और अगर मैं परिंदा बन जाऊं जब भी इसके शहर का रुख ना करूं लिहाजा इसको
मेरा यह पैगाम पहुंचा दो कि सिर्फ दो रोटियों की खातिर तू खुदा को आजमा है और
जब भूख लगे तो किसी से मांग कर खा लेना तवक को रुसवा ना करना क्योंकि मुझे यह
खतरा है कि कहीं तेरी वजह से तेरा शहर तबा ना हो जाए ये सुनकर इनका मुरीद हज का
कसदार बायजीद का पैगाम लेकर हजरत शफीक की खिदमत में पहुंचा और जब हजरत शफीक ने इस
पैगाम पर गौर किया तो महसूस हुआ कि वह ऐब वाकई इनके अंदर मौजूद है लेकिन उन्होंने
अपने मुरीद से पूछा कि हजरत बायजीद से यह क्यों नहीं पूछा कि अगर मुझ में यह खामी
है तो फिर आपका क्या मर्तबा है चुनांचे इस मुरीद ने दोबारा आपकी खिदमत में पहुंचकर
यही सवाल दोहराया आपने फरमाया यह इसकी दूसरी बेवकूफी है लेकिन मैं जो कुछ जवाब
दूंगा वह तेरे फहम से बाला तर है लिहाजा कागज पर तहरीर करके बिस्मिल्लाह अ रहमान
रहीम बा यजद कुछ भी नहीं और कागज लपेट करर इको दे दिया इसका मफू यह है कि जब बायजीद
कुछ नहीं तो इसके औसाफ क्या हो सकते हैं लिहाजा इसका मर्तबा दरयाफ्त करना बेसू है
और तवक और इखलास तो सब मखलूक की बातें हैं तो हमारी शोहरत तो अल्लाह के खलाक से होनी
चाहिए ना कि तवक्कोल से चुनांचे जब वह मुरीद पैगाम लेकर पहुंचा तो हजरत शफीक
बिल्कुल लबे मर्ग थे और कागज पढ़कर कलमा शहादत पढ़ते हुए दुनिया से रुखसत हो गए
हजरत अहमद खिजर या अपने हजार मुर्शदी के हमराह आपसे मुलाकात के लिए रवाना हुए तो
इनके मुरीदन में से एक मुरीद बहुत ही साहिबे फजल कमाल था और इसकी कैफियत थी कि
हवा में उड़ता और पानी पर चलता था चुनांचे जिस वक्त यह जमात बायजीद के दर दौलत पर
पहुंची तो हजरत अहमद ने मुरीदन को यह हुक्म दिया कि जिसमें हजरत बायजीद के
दीदार की ताकत हो बस वही मेरे हमराह आए और बाकी सब लोग ठहर जाएं लेकिन सभी ने आपके
इश्तियाक दीद का इजहार किया और जब हजरत बायजीद के घर पहुंचे तो जूते उतारने की जगह पर अपने असार रख दिए और जब सब आपके
सामने पहुंचे तो आपने सवाल किया कि तुम्हारा वह मुरीद कहां है जो सबसे अफजल
तरीन है और वह बाहर क्यों खड़ा रह गया इसको भी अंदर बुला लो चुनांचे जब इसको भी
अंदर बुला लिया गया तो आपने हजरत अहमद से पूछा कि आप कब तक दुनिया की सैरो सहत में
मशगूल रहेंगे उन्होंने जवाब दिया कि पानी के एक जगह ठहर जाने से बदबू पैदा होकर रंग
तब्दील हो जाता है आपने पूछा कि फिर दरिया क्यों नहीं बन जाते जिसमें ना कभी बदबू
पैदा हो और ना कभी रंग तब्दील हो इसके बाद फिर मारफ के मुतालिक कुछ दूसरी गुफ्तगू
होती रही जिस पर हजरत अहमद ने अर्ज किया कि आपकी बातें मेरे फहम से बाला तर हैं
इन्हें जरा वजाहत से बयान फरमाएं ताकि मैं समझ सकूं चुनांचे आपने इस अंदाज से
गुफ्तगू फरमाई कि इनकी समझ में अच्छी तरह आ गई और जब आप खामोश हो गए तो हजरत अहमद
ने सवाल किया कि मैंने आपके मकान के सामने इब्लीस को फांसी पर लटकते देखा है वह क्या
चीज है हजरत बायजीद ने फरमाया सजा मैंने बस्तान में आ गया और इसी की बसात में
दाखिल ना होगा वह वादा खिलाफी करते हुए एक शख्स को फरेब देने बस्तान में आ गया और
इसी के समेत मैंने इसे फांसी पर लटका दिया किसी ने सवाल किया कि आपके पास औरतों का
इस्तमा क्यों रहता है और इसमें क्या राज है फरमाया कि यह मलायका हैं जिनको मैं
इल्मी मसाइल समझाता हूं फिर फरमाया कि एक शब अव्वल फलक के मलायका मेरे पास आए और
कहने लगे कि हम आपके हमराह इबादत करना चाहते हैं मैंने कहा मेरी जुबान में वह
ताकत नहीं जिससे मैं जिक्र इलाही कर सकूं लेकिन इसके बावजूद रफ्ता रफ्ता सातों
अफलाक के मलायका मेरे पास जमा हो गए और सबने वही ख्वाहिश जाहिर की जो फल के अव्वल
के फरिश्तों ने की थी और मैंने सबको पहले जैसा जवाब दिया और जब उन्होंने पूछा कि
जिक्र इलाही की ताकत आप में कब तक पैदा होगी तो मैंने कहा कि कयामत को जब सजा और
जजा खत्म हो जाएंगे और मैं तवाफे अर्श करता हुआ अल्लाह अल्लाह कह रहा होंगा आप
फरमाया करते थे कि एक शब अचानक मेरा मकान मुनव्वर हो गया और मैंने आवाज देकर कहा कि
अगर इब्लीस की हरकत है तो मैं अपनी बुजुर्ग और बुलंद हिम्मती की वजह से इसके
फरेब में नहीं आ सकता और अगर मुकर की जानिब से यह नूर है तो मुझे खिदमत का मौका
आता कीजिए ताकि मैं भी मराबे करामत हासिल कर सकूं एक शब आपको इबादत में लज्जत महसूस
नहीं हुई तो खादिम से फरमाया कि देखो घर में क्या चीज मौजूद है चुनांचे अंगूर का
एक खोशा निकला तो आपने फरमाया कि यह किसी को दे दो इसके बाद आपके ऊपर अनवार की
बारिश होने लगी और जिक्र शुगल में लज्जत महसूस होने लगी एक यहूदी जो आपका पड़ोसी
था वह कहीं सफर में चला गया और अफलास की वजह से इसकी बीवी चिराग तक रोशन नहीं कर
कर सकती थी और तारीख की वजह से इसका बच्चा तमाम रात रोता रहता था चुनांचे आप हर रात
इसके यहां चिराग रखा आते और जिस वक्त वह यहूदी सफर से वापस आया तो उसकी बीवी ने
तमाम वाकया सुनाया जिसको सुनकर उसने कहा यह बात किस कदर अफसोस ख है कि इतना अजीम
बुजुर्ग हमारा पड़ोसी हो और हम गुमराही में जिंदगी गुजार दें चुनांचे मियां बीवी
आपके हाथ पर मुशर्रफ बस्लाम हो गए एक मर्तबा किसी आतिश परस्त से मुसलमान होने
की तबलीग की गई तो उसने जवाब दिया कि अगर इस्लाम इसका नाम है जो हजरत बायजीद को
हासिल है तो इसकी मुझ में ताकत नहीं और जिस तरह के तुम सब लोग मुसलमान हो तो मुझे
तमाज नहीं एक मर्तबा आप अपने इरादत मंदो के हमरा तशरीफ फरमा थे तो अचानक एक मुरीद
से फरमाया कि खुदा का दोस्त आ रहा है चलकर इसका इस्तकबाल करना चाहिए और जब सब लोग
बाहर निकले तो देखा कि हजरत इब्राहिम हरवी हैं जो खच्चर पर सवार चले आ रहे थे हजरत
बायजीद ने इनसे कहा कि मुझे आपके इस्तकबाल का मन जाने अल्लाह हुक्म मिला है और यह भी
हुक्म है कि इस बारगाह में आपको मैं आपको अपना शफी बना लूं यह सुनकर उन्होंने जवाब
दिया कि अगर पहली शफात तुम्हें और आखिरी शफात मुझे अता की जाए जब भी हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शफात के मुकाबला में इसका मर्तबा एक मुश्त खाक भी
नहीं है इसके बाद दस्तरख्वान बिछाया जिस पर अनवा एकक शम के लजीज और आला खाने चुने
हुए थे और आपने हजरत इब्राहीम के हमराह खाना खाया लेकिन हजरत इब्राहीम के कल्ब
में ख्याल गुजरा कि हजरत बायजीद जैसे शेखे दौरा को ऐसे खानों से एतराज करना चाहिए और
हजरत बायजीद को आपकी नियत का अंदाजा हो गया तो आपने खाने के बाद इनको अपने हमराह
एक कोना में ले जाकर दीवार पर हाथ मारा तो एक ऐसा दरवाजा नमूद हुआ जिसके सामने बहुत
बड़ा दरिया ठाठ मा रहा था और हजरत बायजीद ने इनसे कहा कि चलिए हम
दोनों इसमें गुस्ल करें लेकिन उन्होंने कहा कि खुदा ने यह मर्तबा मुझे अता नहीं
फरमाया यह जवाब सुनकर आपने इनसे कहा कि जिस जो की रोटी तुम्हारी गजा है वह तो जो
हैं जिनको जानवर खाते हैं और लेद करते हैं लेकिन तुम इसके बावजूद भी यह तसव्वुर करते
हो कि उम्दा और लजीज खाना खाने वाला कभी अहले तकवा नहीं हो सकता यह सुनकर हजरत
इब्राहिम रवी बहुत नादम हुए और माफी तलब की एक मर्तबा लोगों ने कहत से आजिज आकर
आपसे दुआ की दरख्वास्त की तो आपने मुराककाबत
[संगीत] कुछ ही देर में बारिश शुरू हो गई और एक
दिन रात मुसलसल पानी बरसता रहा एक दिन आपने अपने पांव फैलाए तो एक मुरीद ने भी
फैला लिए और जब आपने समेटे तो इसने भी समेटने की कोशिश की मगर इसके पांव शल होकर
रह गए और मौत के वक्त तक यही हालत रही क्योंकि इसने मुर्शिद के पांव फैलाने को
एक मामूली बात समझा था एक शख्स जो आपकी अजमत और करामत से मुनकर था इसने अर्ज किया
कि मुझे रमज खुदा वंदी से आगाह फरमाए आपने इसकी बद बादनी को महसूस करते हुए फरमाया
कि फलां पहाड़ पर मेरा एक दोस्त मुकीम है इससे जाकर अपनी ख्वाहिश का इजहार करो
चुनांचे यह शख्स जब वहां पहुंचा तो देखा कि एक बहुत बड़ा मुहीब किस्म का अजदहा
वहां बैठा हुआ है और यह इसको देखते ही मारे खौफ के बेहोश हो गया और जब होश में
आया तो हजरत बायजीद की खिदमत में हाजिर हुआ और पूरा वाकया बयान किया जब आपने
फरमाया कि अजीब बात है तुम मखलूक से इस कदर खाफ हो गए और खालक की हैबत ने
तुम्हारे कल्ब में कतन असर नहीं किया इस बुनियाद पर मुझसे रमज खुदा वंदी मालूम
करने आए थे इस एक अंग्रेज भी आपकी कराम तों को देखकर कहा करता था कि ऐसी करामत तो
मैं भी पेश कर सकता हूं फर्क सिर्फ इतना है कि इनकी बातें मेरी समझ में नहीं आती
और जब एक मर्तबा वह आपकी खिदमत में हाजिर हुआ तो चूंकि आप इसकी बेहूदा बातों से वाकिफ थे इसलिए एक आह खींची कि वह गश खाकर
गिर पड़ा और तीन शब रोज इसी हालत में गुजर गए हत्ता कि हवाइज जरूरियत
में ही पूरी करता रहा और इसको मुतले खबर नहीं हुई फिर होश में आने के बाद जब नहा ध
होकर आपके सामने आया तो आपने फरमाया कि यह बात अच्छी तरह जहन नशीन कर लो कि हाथी का
बोझ गधे पर नहीं डाला जा सकता हजरत शेख अबू सैद मेख वारानी आपकी खिदमत में बगर ज
इम्तिहान हाजिर हुए तो आपने इनकी नियत भांप कर फरमाया कि तुम अबू सईद राई के पास
चले जाओ वह मेरा मुरीद भी है मैंने अपनी तमाम विलायत इसी के हवाले कर दी है
चुनांचे जब वह वहां पहुंचे तो देखा कि वह मशगूल इबादत है लिहाजा ये इंतजार में खड़े
रहे और फराग के इबादत के बाद जब उन्होंने पूछा कि क्या चाहते हो तो आपने अर्ज किया
कि ताजा अंगूर चुनांचे अबू सईद राई ने एक छड़ी के दो टुकड़े करके एक अपनी और इनके
करीब जमीन में दफन कर दिए और थोड़े ही वकफा में दोनों मुका मात से अंगूर के
सरसब्ज दरख्त नमूद होने शुरू हो गए और देखते ही देखते इनमें अंगूर भी लग गए फर्क
सिर्फ यह रहा कि अबू सईद मे खुरानी के करीब दरख्त में सयाह और अबू सईद राई के
करीब दरख्त में निहायत सुफैद किस्म के अंगूर थे और जब अबू सईद मे खुरानी ने वजह
दरयाफ्त की तो फरमाया कि मुझे तो सिद को यकीन का दर्जा हासिल हुआ और तुम्हें
इम्तिहान मंजूर था इसलिए अल्लाह ने दोनों दरख्तों से दोनों की कल्बी कैफियत जाहिर
फरमा दी इसके बाद आपने कंबल देकर यह हिदायत कर दी कि इसको ब हिफाजत रखना और क
गुम ना कर देना चुनांचे वह कंबल लेकर हज करने चले गए लेकिन कंबल इंतहा एहतियात के
बावजूद भी अरफात में गुम हो गया और जब बस्तान वापस आए तो देखा वही कंबल अबू सईद
राई के पास मौजूद है लोगों ने जवाब से सवाल किया कि आपका मुर्शद कौन है फरमाया
कि एक बूढ़ी औरत इसलिए कि मैं एक मर्तबा जंगल में था कि एक बुढ़िया सर पर आटा रखे
हुए मिली और मुझसे कहने लगी कि यह आटा मेरे मकाम तक पहुंचा दो इसी दौरान मुझे एक
शेर नजर आ गया और मैंने आटा इसकी कमर पर रखकर बुढ़िया से कहा जाओ यह तुम्हारे घर
पहुंचा देगा लेकिन तुम यह बताती जाओ कि शहर में जाकर लोगों से क्या कहोगी बुढ़िया ने कहा कि मैं यह कहूंगी कि आज जंगल में
मेरी मुलाकात एक खुद मा जालिम से हो गई आपने पूछा कि मुझे खुद मा जालिम का खिताब
क्यों दिया बुढ़िया ने कहा कि शरीयत ने शेर को मुकलम नहीं बनाया और तुम एक गैर
मुकलम की पुश पर अपना बोझ लाद रहे हो और यह जुल्म नहीं तो फिर क्या है और दूसरा ऐब
तुम्हारे अंदर यह है कि तुम खुद लोगों पर साहिबे करामत जाहिर करना चाहते हो और इसी
का नाम खुद नुमाई है चुनांचे मैंने बुढ़िया की बात से ऐसी नसीहत और इबरत हासिल की कि हमेशा के लिए ऐसी चीजों के
अजहार से तौबा कर ले बस इस वजह से इस बुढ़िया को अपना मुर्शद तस्लीम करता हूं
और अब मेरी हालत यह है कि हर करामत पर मैं अल्लाह ताला की तस्दीक का तालिब हूं और इस तस्दीक के लिए उस दिन से एक नूर जाहिर
होता है जिस पर सब्ज रूफ में यह कलमा तहरीर होते हैं ला इलाह इल्लल्लाह मोहम्मद
रसूल अल्लाह नूह नजी अल्लाह इब्राहिम खलीलुल्लाह मूसा कलीम उल्लाह ईसा रू
अल्लाह अलैहि सलातो सलाम जिससे अंदाजा हो जाता है कि पांच शहादत मेरी करामत की
शाहिद हैं हजरत अहमद खजर या फरमाते हैं कि एक मर्तबा ख्वाब में जमाले खुदा वंदी से
मैं मुशर्रफ हुआ तो अल्लाह ताला ने फरमाया कि तुम सब तो हमसे अपनी जरूरियत की चीजें
तलब करते हो लेकिन बायजीद हमसे हमें मांगता है एक मर्तबा शफीक बलखी और अबू राब
बख्शी हजरत बायजीद से मुलाकात करने पहुंचे तो आपने दस्तरख्वान पर खाना रखवा लिया और
सब लोग शरीक ताम हो गए लेकिन अबू तलाब ने फरमाया कि मैं रोजे से हूं यह सुनकर उनके
एक मुरीद ने कहा कि अगर दावत के लिए नफल रोजा तोड़ दिया जाए तो रोजादार को रोजा और
दावत दोनों का अजर हासिल होता है लेकिन इस कहने के बाद भी उन्होंने इंकार कर दिया
फिर हजरत बायजीद ने फरमाया तुम लोगों को शायद मालूम नहीं कि यह शख्स बारगाह खुदा
वंदी से बहुत दूर है चुनांचे चंद आयाम के बाद अबू तरा के चोरी के जुर्म में
गिरफ्तार करके हाथ काट दिए गए जामे मस्जिद के एक कोने में हजरत बायजीद ने अपना अस्सा
खड़ा कर दिया लेकिन वह इत्तफाक से गिर पड़ा और बूढ़े ने उठाकर फिर फ इसी कोने
में खड़ा कर दिया और जब आपको इसका इल्म हुआ तो उस बूढ़े के मकान पर पहुंचकर अस्सा
उठा कर रखने की तकलीफ पर मुफी चाही किसी ने आपसे हया के मुतालिक दरयाफ्त किया तो
आपने ऐसे मोसर अंदाज में हया की तारीफ बयान की कि वह शख्स पानी बनकर बहना शुरू
हो गया यानी आंसू जारी हो गए आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा मैं दजला पर पहुंचा
तो पानी जोश मारता हुआ मेरे इस्तकबाल को बढ़ा लेकिन मैंने कहा कि मुझे तेरे
इस्तकबाल से शमा बराबर भी गरूर नहीं होगा और मैं अपनी 30 साला रियाजत को तकब्बल
करके हरगिज जाया नहीं कर सकता क्योंकि मैं तो करीम का तालिब हूं ना के करामत का फिर
फरमाया कि मैंने एक मर्तबा यह ख्याल किया कि अल्लाह ताला मुझे बीवियों के खर्च की
परेशानियों से बचाए रखे लेकिन फिर यह ख्याल आया कि यह तो सुन्नते नबवी के खिलाफ
है यह सोचकर मैंने दुआ नहीं की और इस जिम्मेदारी को अपने ही लिए कायम र हने
दिया और अल्लाह ताला ने इतनी सहूल अता कर दी कि मेरे नजदीक दीवार और औरत में कोई
फर्क नहीं रहा किसी इमाम के पीछे आपने नमाज पढ़ ली और फरात नमाज के बाद जब इमाम
ने पूछा कि आपका जरिया मुश क्या है तो आपने फरमाया कि पहले मैं अपनी नमाज की कजा कर लूं फिर तुझे जवाब दूंगा और जब इसने
कहा कि नमाज कजा क्यों कर रहे हो तो फरमाया कि जो रिजक पहुंचाने वाले ही से वाकिफ ना हो उसके पीछे नमाज दुरुस्त नहीं
आप फर फरमाया करते थे कि मुझसे मुलाकात करने वालों में बाज को रहमत हासिल होती है
और बाज को लानत क्योंकि जो लोग मेरी मदहोशी के आलम में मुलाकात करते हैं वह तो
मेरी हालत से मुतासिर होकर गीबत के मुरत किब हो जाते हैं और जो लोग इस वक्त आते
हैं जब मुझ पर हक का गलबा होता है तो इनको रहमत हासिल होती है फिर फरमाया कि काश
कयामत जल्दी आ जाए ताकि मैं जहन्नुम के करीब मुकीम हो जाऊं और मेरे कयाम की वजह
से जहन्नुम सर्द पड़ जाए ताकि अहले जहन्नुम को मेरी जात से आराम और सुकून
हासिल हो सके बाज लोगों ने आपसे बयान किया कि हजरत कातिम यह कहते हैं कि जो कयामत
में अहले जहन्नुम की शफात ना करे वह मेरा मुरीद नहीं आपने फरमाया कि महशर में
जहन्नुम के दरवाजे पर खड़ा होकर और अहले जहन्नुम को जन्नत में भेजने के लिए खुद को
जहन्नुम में ना गिरा देगा वह मेरा मुरीद नहीं फिर कुछ लोगों ने पूछा कि जब आपको
साहिबे फजल कमाल बनाया गया है तो आप मखलूक को सीधे रास्ते पर क्यों नहीं खींचते
फरमाया जो खुद ही मर्दू दे बारगाह हुआ इसको मैं कैसे मकबूल बना सकता हूं एक
मर्तबा आप मुत फक्कर और सर नग बैठे हुए थे कि एक बुजुर्ग तशरीफ ले आए और जब आपने सर
उठाकर देखा तो इन बुजुर्ग ने पूछा कि आप फिक्र मंद क्यों हैं यह सुनते ही आपको ऐसा
जोश आया कि मेंबर से टकराकर बेहोश हो गए और जब होश आया तो फरमाया कि ना जाने तेरी
इसम क्या मस्लत है कि मुझ जैसे गुमान रहने वाले से अपनी मारफ का दावा करवा दिया एक
मर्तबा खुशि इलाही से आप लरज बर अंदामम थे कि किसी मुरीद ने सवाल कर डाला कि आपकी यह
क्या हालत है फरमाया कि जो तीन साल रियाजत नफ्स खुशी के बाद हासिल होती है वह अभी
तेरे फहम से बाला तर है जिस वक्त जंगे रोम में इस्लामी लश्कर पसवा हो गया तो किसी
लश्करी के मुंह से निकला कि बायजीद आनत फरमाइए चुनांचे इस वक्त एक आग नमूद हुई
जिसके खौफ से कुफर का लश्कर फरार हो गया और मुसलमानों को फतह हासिल हो गई किसी बुजुर्ग ने मुराककाबत
आप कहां थे फरमाया कि बारगाह खुदा वंदी में इस वक्त उन्होंने कहा कि मैं भी तो
वहीं था लेकिन मैंने आपको नहीं देखा आपने फरमाया कि तेरे और अल्लाह ताला के माबीन
एक हिजाब था और मैं जात बारी के बिल्कुल सामने था इसी वजह से आप मुझे ना देख सके
फिर फरमाया कि जो शख्स इतबा सुन्नत के बगैर खुद को साहिबे तरीक कहता है वह काजबी
इतबा शरीयत के बगैर तरीकत का हसूल मुमकिन नहीं किसी ने अर्ज किया कि कुछ देर के लिए
अगर आप खुलूस कल्ब के साथ मेरी जानिब मतवल अर्ज करूं फरमाया कि मैं 30 साल से
अल्लाह ताला से खुलूस कल्ब का तालिब हूं लेकिन आज तक हासिल ना हो सका लिहाजा जब
मेरा कल्ब ही इखलास और सिफा से खाली है तो फिर मैं तुम्हारी तरफ कैसे
मुतजेंस करें कि राहे हक मोहरे मुनव्वर की तरह रोशन है इसलिए कि यह एक ऐसा रास्ता है
कि मैं बरसों से सुई के नाके के बराबर सुराख तलाश कर रहा हूं मगर नहीं मिलता जिस
वक्त आपको कोई परेशानी लाह होती तो फरमाते कि ऐ अल्लाह रोटी तो अता कर दी सालन भी दे
दे ताकि अच्छी तरह खा सकूं यानी तेरी ही अता करदा परेशानी है और तू ही सब्र देने
वाला है एक मर्तबा हजरत अबू मूसा ने सवाल किया कि आप की रातें कैसी गुजरती हैं
फरमाया कि यादे इलाही में मुझे सहर शाम का पता ही नहीं चलता आप फरमाया करते थे कि
मुझसे बजरिया इल्हाम अल्लाह ताला ने फरमाया कि इबादत और खिदमत तो बहुत है
लेकिन अगर तू हमारी मुलाकात का मतम नहीं है तो बारगाह में वह शय शफात के लिए भेज
जो हमारे खजाने में ना हो आपने सवाल किया कि वह कौन सी शय है फरमाया गया अजो इन
कसारी और जिल्लत गम हासिल कर क्योंकि हम हमारा खजाना इन चीजों से खाली है और इनको
हासिल करने वाले हमारा कर्ब हासिल कर लेते हैं आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा जंगल
में मेरे ऊपर मोहब्बत की बारिश हुई और पूरी जमीन बर्फ की तरह यख हो गई और इसमें
गर्दन तक गर्क हो गया और फिर फरमाया कि मैंने नमाज के जरिए
इस्तकाम्या सवाए भूखा रहने के और कुछ हासिल नहीं किया और जो कुछ भी मिला वह सब
फजले खुदा वंदी से हासिल हुआ और अपनी सई से कुछ नहीं मिल सका फिर फरमाया कि दो आलम
की दौलत से यह बात बेहतर है कि इंसान खुदा के फजल से हटकर अपनी जाती सही से कुछ भी
हासिल कर सकता है फिर भी इंसान को सही करने का हुक्म दिया गया है इसलिए सई बहुत
जरूरी है लेकिन सई के बाद जो कुछ हासिल हुआ इसको महज खुदा का फजल तसव्वुर करना
चाहिए जिस वक्त आप सिफात खुदा वंदी बयान फरमाते तो असली हालत में रहते लेकिन जब
जात खुदा वंदी के मौजू पर गुफ्तगू होती तो बेखुदी के आलम में यह कहते रहते कि मैं सर के बल आ रहा हूं अल्लाह मुझसे बहुत नजदीक
है एक मर्तबा किसी मुरीद ने कहा कि मुझे इस पर हैरत होती है कि जो खुदा को जानते
हुए भी इबादत नहीं करता आपने फरमाया कि मुझे इस बंदे पर हैरत होती है जो खुदा को
पहचानने के बाद इबादत करता है यानी यह हैरत है कि खुदा को पहचान कर हैरत में
कैसे रहता है आप फरमाया करते थे कि जब मैं ने पहली मर्तबा हज किया तो काबा की जियारत
की और दूसरी मर्तबा काबा और साहिबे काबा दोनों की जियारत से मुशर्रफ हुआ और तीसरी
मर्तबा कुछ भी नजर नहीं आया क्योंकि यादे इलाही में इजाफा होता चला गया और इसका
अंदाजा इस वाकए से भी लगाया जा सकता है कि किसी ने दरवाजे पर आवाज दी तो आपने पूछा
किसकी तलाश है जवाब मिला कि बा यजद फरमाया कि मैं 30 साल से इसकी तलाश में हूं लेकिन
आज तक नहीं मिला और जिस वक्त यह वाकया हजरत जुनून के सामने बयान किया गया तो फरमाया कि वह खा साने खुदा की तरह खुदा से
पवस हो गए थे जब लोगों ने आपके मुजाहि दत से मुतालिक सवाल किया तो फरमाया कि अगर
मैं आला मुजाहि दत का जिक्र करूं तो तुम्हारे फहम से बाला तर है लेकिन मामूली
मुजाहिद यह है कि एक दिन मैंने अपने नफ्स को इबादत के लिए आमादा करना चाहा तो वह
मुन हरि हो गया लेकिन मैंने भी इस सजा में पूरे एक साल तक इसको पानी से महरूम रखा और
कहा या तो इबादत के लिए तैयार हो जाओ वरना तुझे इसी तरह प्यास से तड़पाता रहूंगा आप
इस दर्जा मुस्त गरिक रहते थे कि एक इरादत मंद जो 30 साल से आपका खादिम बना हुआ था
वह जब भी सामने आता आप पूछते कि तेरा नाम क्या है एक मर्तबा इसने अर्ज किया कि आप
मेरे साथ मजाक करते हैं जब भी सामने आता हूं आप नाम पूछते हैं फरमाया कि मैं मजाक
नहीं करता बल्कि मेरे कल्ब और रूह में इस तरह अल्लाह का नाम जारी और सारी है कि इस
के नाम के सिवा मुझे किसी का नाम याद नहीं रहता जब लोगों ने आपसे पूछा कि आला मुरा
दिब आपको कैसे हासिल हुए फरमाया कि एक मर्तबा बचपन में चांदनी रात थी और मैं शहर
से बाहर निकल गया वहां मुझे एक ऐसा दरबार नजर आया कि जिसके मुकाबले में सारी दुनिया
हीच मालूम होने लगी इस वक्त मैंने खुदा से अर्ज किया कि ऐसा बेनजीर दरबार दुनिया की
निगाहों से क्यों पोशीदा है नि दए के इस दरबार में वही आ सकते हैं जो इसके काबिल
हैं क्योंकि यहां ना अहल लोगों की रसाई मुमकिन नहीं इस वक्त मुझे यह ख्याल आया कि
मैं तमाम आलिम की शफात तलब करूं ताकि वह भी इस दरबार के काबिल बन जाएं लेकिन इस
ख्याल से खामोश हो गया कि शफात तो हुजूर अकरम ही के लिए मख सूस है फिर निदा आई कि
तूने हमारे हबीब का पास से अदब किया इसके मुआवजे में हम तुझको वह मर्तबा अता करते
हैं ताकि ता हशर तेरा नाम सुल्तान उल आरफीन बायजीद तमाम मखलूक की जुबान पर रहे
और जिस वक्त यह वाकया हजरत अबू नसर कसीद के सामने पेश किया गया तो फरमाया कि दरह
कीक व ऐसे ही मुमताज जमाना है और जितने मराब इनको अता हुए वह सब इनकी अलू हिमत की
वजह से थे आप इशा की चार रकात पढ़कर सलाम फेरते हुए फरमाते कि यह नमाज कबूल नहीं ये
कहकर फिर चार रकत नमाज अदा करते फिर यही फरमाते कि यह भी कबूल नहीं हत्ता कि इसी
तरह रात खत्म हो जाती और सुबह को अल्लाह ताला से अर्ज करते कि मैंने तेरी बारगाह के लायक नमाज की बहुत चई की लेकिन महरूम
रहा क्योंकि जैसा मैं खुद हूं वैसी ही मेरी निमाज है लिहाजा मुझे अपने बे नमाज
बंदों में शामिल कर ले एक शख्स आपके सुबह के मामलात देखने के लिए ठहर गया तो उसने
देखा कि आपने अल्लाह की एक जरब लगाई और इतनी जोर से जमीन पर गिर पड़े कि सर में
शदीद चोट आ गई और लोगों के सवाल पर बताया कि जब मैं अर्शे खुदा वंदी के नजदीक
पहुंचा और दरयाफ्त किया कि अल्लाह कहां है जवाब मिला कि इसको अहले जमीन के शिकस्ता
कुलूब से तलाश कर क्योंकि अहले आसमान भी इसको वहीं तलाश किया करते हैं और जिस वक्त
मैं मुकाम कुर्ब में दाखिल हो गया तो सवाल किया गया कि क्या चाहते हो मैंने अर्ज
किया कि जो कुछ हो वही दे दीजिए हुक्म हुआ कि हमारी दाम कुर्बत के लिए खुद को फना कर
दो और मैंने इसको मंजूर कर लिया फिर मैंने अर्ज किया कि फैजो बरकत के हसूल के बगैर
मैं यहां से नहीं टल सकता फिर सवाल हुआ और क्या चाहते हो मैंने पूरी मखलूक की मगफिरत
तलब की हुक्म हुआ कि गौर से देखो और जब मैंने गौर से देखा सो हर मखलूक के हमराह
एक शफी मौजूद था लेकिन अल्लाह की सबसे ज्यादा नजर कम मुझ पर थी फिर मैंने खामोश
रहने के बाद अर्ज किया कि इब्लीस पर भी रहम फरमा दीजिए जवाब मिला कि वह आग है और
आग के लिए आग ही मुनासिब है लेकिन तुम आग से बचने की कोशिश करते रहो इसके बाद
अल्लाह ने मेरे सामने दो मुकाम पेश किए लेकिन मैंने इनमें से एक को भी कबूल नहीं
किया फिर सवाल हुआ कि और क्या चाहते हो मैंने अर्ज किया कि बिला तलब जो कुछ मिल
जाए सही इतबा जो लोग आपसे दुआ के लिए अर्ज करते तो आप खुदा से कहते कि मखलूक मुझे
वास्ता बनाकर तुझसे मांग रही है और तू इनके तलब से बखूबी वाकिफ है इस तरह कहने
से लोगों की मुरादें बर आती एक मर्तबा कहीं तशरीफ ले जा रहे थे कि एक इरादत मंद
आपके नक्शे कदम पर कदम रखकर चलते हुए कहने लगा कि मुर्शद के नक्श पर चलना इसको कहते
हैं फिर इसी मुरीद ने इदा की कि मुझे अपनी पस्तीन का एक टुकड़ा इनायत फरमा दें ताकि
मुझे भी बरकत हासिल हो सके आपने फरमाया कि इस वक्त तक मेरी खाल भी सूद मंद नहीं जब
तक मुझ जैसा अमल ना हो नजरे कम आपने किसी देवाने को यह कहते हुए
सुना कि अल्लाह मेरी जानिब नजर फरमा आपने पूछा कि तूने ऐसे कौन से आमाल नेक किए हैं
जो इसकी नजर तेरी तरफ उठे इसके बावजूद इसने जवाब दिया कि इसकी नजर मुझ पर पड़
जाएगी तो आमाल खुद बखुदा अच्छे हो जाएंगे आपने फरमाया तू सच्चा है एक मर्तबा मारफ
तो हकीकत के मौजू पर आप कुछ फरमा रहे थे तो अपने होंठ चाटते जाते और कहते जाते हैं
कि मुझसे जयद खुशनसीब कोई नहीं कि मैं खुद ही मैं भी हूं और मैं ख्वार भी इरशाद आप
फरमाया करते थे कि 70 जनार्य भी एक जिनार मेरी कमर में बाकी रह
गया और जब किसी तरह ना खुल सका तो मैंने खुदा से अर्ज किया कि इसको किस तरह खोला
जाए नि दए कि यह तुम्हारे बस की बात नहीं जब तक हम ना चाहे आपने फरमाया कि मेरी
अंतक कोशिशों के बावजूद भी दर हक ना खुल सका और जब खुला तो मसाइल के जरिया खुला और
हर तरह से मैंने इसकी राह पर चलने की सई की लेकिन सब बेसू साबित हुई और जब कल्बी
लगाव के जरिया चला तो मंजिल तक पहुंच गया फरमाया कि मैंने मुकम्मल 30 साल अल्लाह ताला से अपनी जरूरियत के मुताबिक तलब किया
लेकिन इसकी राह में गामजीन करने लगा कि या अल्लाह तू मेरा हो
जा और जो तेरी मर्जी हो वैसा कर फरमाया कि जब मैंने अल्लाह ताला से सवाल किया कि झ
तक रसाई की क्या सूरत है फरमाया गया अपने नफ्स को तीन तलाक दे दे फरमाया कि अगर
महशर में मुझे दीदार खुदा वंदी से महरूम कर दिया गया तो इस कदर गिरिया करूंगा कि
अहले जहन्नुम भी अपनी तकलीफ को भूल जाएंगे फरमाया कि अगर पूरी दुनिया की सल्तनत भी मुझको दे दी जाए जब भी मैं अपनी इस आह को
अफजल तसवर करूंगा जो मैंने गुजर्ता शब की है फरमाया कि गुजर्ता बुजुर्ग मामूली सी
चीजों पर ही खुदा से राजी हो गए लेकिन मैंने राजी होने के बजाय खुद इस पर
कुर्बान कर दिया है और मुझे वह औ साफ हासिल हो गए कि अगर इनमें से एक दाना के
बराबर भी सामने आ जाए तो निजाम आलम बरहम हो जाए फरमाया कि खुदा ने अपनी खुशी से
अपने दीदार से मुशर्रफ फरमाया इसलिए मैं बंदा होने की हैसियत से किस तरह इसके दीदार की तमन्ना कर सकता हूं फरमाया कि 40
साल मैंने मखलूक को नसीहत करने में गुजारे लेकिन सब बे सूद साबित हुआ और जब रजाए
खुदा वंदी हुई तो मेरी नसीहत के बगैर ही लोग सीधे रास्ते पर आ गए फरमाया कि बहुत
से हिजा बात से गुजर कर जब मैंने गौर किया तो खुद को मुकाम हजब बहर में पाया यानी
जाते बारी में गुम हो गया जहां तक किसी दूसरे की रसाई मुमकिन नहीं फरमाया कि 30
साल तक तो अल्लाह ताला मेरा आईना बना रहा लेकिन अब मैं खुद आईना बन गया हूं इसलिए
कि मैंने इसकी याद में खुद को भी इस तरह फरामोश कर दिया है अब अल्लाह ताला मेरी
जुबान बन चुका है यानी मेरी जबान से निकलने वाले कलमा गोया जुबान खुदा वंदी से
अदा होते हैं और मेरा वजूद दरमियान से खत्म हो जाता है फरमाया कि मुझे खुदा की
बारगाह से हैरत और हैबत के अलावा कुछ ना मिल सका फरमाया कि एक रात सुबह तक अपने
कल्ब के जुस्तजू करता रहा लेकिन नहीं मिला और सुबह को यह निदा ए गैबी आई कि तुझे दिल
से क्या गर्ज तू हमारे सिवा किसी को तलाश ना कर फरमाया कि अल्लाह ने मुझे वह मुकाम
अता किया कि कुल कायनात को अपनी उंगलियों के दरमियान देखता हूं फरमाया कि आरिफ का अदना मुकाम यह है कि सिफात खुदा वंदी का
मजहर हो फरमाया कि अगर अल्लाह ताला मुझको जहन्नुम में झोंक दे और मैं सब्र भी कर
लूं जब भी इसकी मोहब्बत का हक अदा नहीं होता और अल्लाह ताला मुझको पूरी कायनात
बख्श दे और जब भी इसकी रहत के मुकाबला में कलील है फरमाया कि आरिफ कामिल वही है जो
आतिश मोहब्बत में चलता है फरमाया कि जब तर्क दुनिया के बाद हुब्ब इलाही इख्तियार की तो अपनी जात को भी दुश्मन तसव्वुर करने
लगा और जब मैंने इन हिजा बात को उठा दिया जो मेरे और खुदा के मा बैन थे तो इसने
मुझे अपने कर्म से नवाज दिया फरमाया कि खुदा के बहुत से बंदे ऐसे भी हैं जो दीदार
इलाही के मुकाबले में जन्नत को भी अच्छा नहीं समझते फरमाया कि आरिफ सादिक वही है
जो ख्वाहिश को तर्क करके खुदा की पसंदी दगी को मलफ रखे बाज लोगों ने पूछा कि क्या
अल्लाह ताला बंदों को अपनी मर्जी से जन्नत में दाखिल नहीं करता फरमाया कि यकीनन अपनी
मर्जी से ही दाखिल करता है लेकिन जिसको अपनी मर्जी से आला रफा बना दे इसको जन्नत
की क्या ख्वाहिश फरमाया एक दाना मफत में जो लज्जत है वह जन्नत की नेमतों में कहां
फरमाया कि खुदा की याद में फना हो जाना जिंदा जावेद हो जाना है फरमाया कि जाहिद
सालेह को ऐसी हवा की तरह तसव्वुर करो जो तुम्हारे ऊपर चल रही है फरमाया कि जबा इश
जन्नत गो खुदारा लोगों ही से है लेकिन वह इसको एक बार तसव्वुर करते हैं फरमाया कि
दुनिया अहले दुनिया के लिए गुरूर ही गुरूर और आखिरत अहले आखिरत के लिए सुरूर ही
सुरूर और जब खुदा वंदी आरफीन के लिए नूर ही नूर है और आरफ की रियाजत यह है कि वह
अपने नफ्स का निगरा रहे और आरफ की शनातन से किनारा कश रहे फरमाया कि खुदा का
तालिब आखिरत की जानिब भी मतवल नहीं होता और खुदा से मोहब्बत करने वाला अपनी
मोहब्बत की बिना पर खुदा ही की तरह यकता हो जाता है फरमाया कि महशर में अहले जन्नत
के सामने कुछ सूरतें पेश की जाएंगी और जो किसी सूरत को अपना लेगा वह दीदार इलाही से
महरूम हो जाएगा यही मुनासिब है कि बंदा खुद को हीज समझते हुए कभी अपने इल्म अमल
की ज्यादती पर नाजा ना हो क्योंकि जिस वक्त बंदा खुद को हीज तसव्वुर ना करे
वासिल अललाह नहीं हो सकता क्योंकि खुदा के सिफत का इसी वक्त मुजहरा हो सकता है जब यह
मुकाम इसको हासिल हो जाए फरमाया कि इल्म और खबर ऐसे फर्द से सीखो और सुनो जो इल्म
से मालूम तक और खबर से मुखद तक रसाई हासिल कर चुका हो और जो एजाज दुनियावी के लिए
इल्म हासिल करे इसकी सोहबत से किनारा कश रहो इसलिए कि इसका इल्म खुद इसके लिए सूद
मंद नहीं फरमाया कि खुदा शनास खुदा को जरूर दोस्त रखता है क्योंकि मोहब्बत के
बगैर मारफ बेमानी है फरमाया कि यह एक कुलिया है कि जब तक नदी नाले बहते रहते
हैं इस वक्त तक इनमें शोर होता है और जब दरिया में मिल जाते हैं तो तमाम शोर खत्म
हो जाता है फिर फरमाया कि खुदा के कुछ बंदे ऐसे भी हैं कि अगर एक लम्हा के लिए
भी महजूब हो जाएं तो परस्तिश तर्क कर दें यानी महजूब हो जाने से वह कतन नाबूत हो
जाते हैं और नाबूत होने के बाद इबादत नहीं कर सकते फरमाया कि आरिफ वह है जो मुल्क को
दौलत मायू तसव्वुर करता हो लेकिन इसके इबादत का सिला सवाय खुदा के किसी को मालूम
नहीं फरमाया कि खुदा दोस्त लोगों की नजर में जन्नत भी कोई हकीकत नहीं रखती ग अहले
मोहब्बत हिजर में मुब्तला रहते हैं लेकिन इनकी हालत इन बंदों की तरह होती है जो हर
हाल में मतलूब के तालिब रहते हैं जिस तरह आशिक को इश्क और तालिब को मतलूब के सिवा
और कुछ तलब करना मुनासिब नहीं फरमाया कि खुदा ने जिन के कुलूब कु बार मोहब्बत उठाने के काबिल तसव्वुर नहीं किया इनको
इबादत के तरफ लगा दिया क्योंकि मारफ से इलाही का बार सिवाय इबादत आरिफ के और कोई
बर्दाश्त नहीं कर सकता अगर मखलूक अपनी हस्ती को पहचान ले तो खुदा की मारफ खुद
बखुदा को ऐसा वक्त जरूर निकालना चाहिए जिसमें अपने मालिक के सिवा किसी पर नजर ना
उठे फिर फरमाया कि अल्लाह ताला अपने महबूब बंदों को तीन चीजें अता फरमाता है अव्वल
दरिया की तरह सखावत दोम आफताब की तरह रोशनी सोम जमीन की तरह आसी के उलूम में एक
ऐसा इल्म भी है जिससे आलिम वाकिफ नहीं और जहद में एक ऐसा जहद है जिसको जाहिद भी
नहीं जानते और अल्लाह ताला जिसको मकबूल अता फरमाता है इस पर एक ऐसा फिरौन मुकर्रर
कर देता है जो हम वक्त अजियत पहुंचाता रहे फरमाया कि गुफ्तगू और आवाज और हरकत सब
पर्दे के बाहर की चीजें हैं लेकिन पर्दे में सिवाए हैबत रोब और खाम ी के कुछ भी
नहीं और बंदे को जिस वक्त तक कुर्बे इलाही हासिल नहीं होता इस वक्त तक बातें बताता
है लेकिन जब हजूरी हासिल होती है तो सक्ता तारी हो जाता है फरमाया कि आरिफ वो है
जिसकी नजर में हर बुराई अच्छाई में तब्दील हो जाए और खुदा शनास जहन्नुम के लिए अजाब
और ना खुदा शनास के लिए जहन्नुम अजाब है लेकिन खुदा शनास की राहों में बहुत से वह
लोग आते हैं जो रात को ईमान से खाली होकर पलट जाते हैं फरमाया कि इंसानी ख्वाहिश
छोड़ देना दरह कीक वासले अल्लाह हो जाना है और जो वासले अललाह हो जाता है मखलूक
इसके फरमाबरदार हो जाती है फरमाया कि हजरत मूसा और ईसा ने यह महसूस कर लिया कि
उम्मते मोहम्मदी में ऐसे खुदा रसीदा भी हैं जो तहल सरा से लेकर अलल अलीन तक छाए
हुए हैं तो उन्होंने भी हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत में शमू की दुआ की लेकिन इस कौल से मुझे अपनी
बरतरी मकसूद नहीं है फरमाया कि अगर तुम्हारे सामने पूरी दुनिया की नेमतें भी पेश कर दी जाएं जब भी मसरूर ना होना और
अगर अजियत पहुंचे तो मायूस मत होना क्योंकि जिसने लफ्ज़ कुन से तमाम आलिम बना
दिया इसके कब्जा कुदरत से कोई शय खारिज नहीं फरमाया कि जो शख्स खुद के बेहतर और
इबादत को मकबूल तसव्वुर करता है और अपने नफ्स को बदतर नफू में शुमार नहीं करता
इसका शुमार किसी भी जमात में नहीं होता खुद शनाश फरमाया कि खुद को अपने मर्तबा के
मुताबिक ही जाहिर करना चाहिए या जिस कदर खुद को को जाहिर करता है व मर्तबा हासिल करना चाहिए फरमाया कि अशक के लिए शौक ऐसी
राजधानी है जिसमें तहते फिराक बिछा हुआ है शमशीर हिज्र रखी हुई है और वस्ल हिज्र के
आगोश में है और शमशीर हिज्र से हर वक्त हजारों सर काटे जा रहे हैं लेकिन 7000 साल
गुजर जाने के बाद भी शाखी विसाल को कोई भी हाथ ना लगा सका भूख फरमाया कि भूख एक ऐसा
अब्र है जिससे रहमत की बारिश होती है फरमाया कि जो अ रुए तकब्बल
में गुफ्तगू करता है वह खुदा से दूर है जो मखलूक की अजियत रसा को बर्दाश्त करता है
और मखलूक से खंदा पेशानी से पेश आता है वह खुदा से बहुत नजदीक है जिक्र इलाही फरमाया
कि खुदा की याद का मफू अपने नफ्स को फरामोश कर देना है और जो शख्स खुदा को
खुदा के जरिया शिनाख्त करता है वह जिंदा जावेद हो जाता है लेकिन जो अपने न का
जरिया खुदा को पहचानने की सही करता है वह फानी है फरमाया कि कल्बे आरिफ इस शमा की
तरह है जो फानूस के अंदर से हर सिमत अपना नूर फैलाती रहती है और जिसको यह मुकाम
हासिल हो गया इसको तारी की का खतरा नहीं रहता फरमाया कि दो खसते मखलूक की तबाही का
बायस बनती हैं अव्वल किसी भी मखलूक का एहतराम ना करना दोम खालिक के एहसान को
ठुकरा देना नसीहत आपके एक इरादत मंद ने सफर में जाने से कबल सहत करने की
दरख्वास्त की तो आपने फरमाया कि अगर तुम्हें किसी बुरी आदत से वास्ता पड़ जाए तो इसको अच्छी आदत में तब्दील करने के सही
करना और जब तुम्हें कोई कुछ देना चाहे तो पहले खुदा का शुक्र अदा करना बाद में देने
वाले का क्योंकि अल्लाह ही ने इस को तुम पर मेहरबान किया है और जब इबत में फंस जाओ
तो जज से काम लेना क्योंकि सब्र की तुम में ताकत नहीं सवालात जब आपसे जहद की तारीफ पूछी गई
तो फरमा आया जहद की कोई कदर कीमत नहीं है और मैंने सिर्फ तीन यम जहद के आलम में
गुजारे हैं एक दिन अजल में दूसरा आखिरत में और तीसरा दिन वह है जो इन दोनों दिनों
से अलहदा है फिर निदा आई कि ऐ बाद यजद तेरी कुवत से बाहर है कि तू हमें बर्दाश्त
कर सके मैंने अर्ज किया कि मेरी भी यही ख्वाहिश है निदा आई कि तेरी ख्वाहिश पूरी
हो गई फरमाया कि मैं इस तरह राजी बिरजा हूं कि अगर किसी को अलल अलीन में और मुझको
असफल साफिन में डाल दिया जाए जब भी अपनी मौजूदा हालत पर खुश रहूंगा कुर्बे इलाही
फिर लोगों ने सवाल किया कि इंसान को मर्तबा कमाल किस वक्त हासिल होता है फरमाया कि जब मखलूक से किनारा कश होकर
अपने अयूब पर नजर पड़ने लगे तो इस वक्त कुर्बे इलाही भी हासिल होता है फिर सवाल
किया गया कि हमें तो जहद इबादत की तलन फरमाते हैं लेकिन खुद इस जानिब रागब नहीं
आपने जवाब दिया कि अल्लाह ने जहद इबादत को मुझसे सलब कर लिया फिर किसी ने पूछा कि
खुदा तक रसाई किस तरह मुमकिन है फरमाया कि ना तो दुनिया की जानिब नजर उठाओ ना इसकी
बातें सुनो और अहले दुनिया से खुद भी बात करना छोड़ दो फिर लोगों ने अर्ज किया कि
हमने आपके कलाम से बेहतर किसी बुजुर्ग का कलाम नहीं देखा आपने फरमाया कि दूसरों के कलाम में इतबा होता है और मैं बगैर तलबी स
के गुफ्तगू करता हूं क्योंकि दूसरे लोग तो हम कहते हैं और मैं तू ही तू कहता हूं
किसी ने आपसे नसीहत करने की इदा की तो फरमाया कि आसमान के जानिब देखो यह बताओ कि इसका खालिक कौन है इसने कहा कि खुदा ने
तखक फरमाया है आपने फरमाया बस इससे डरते रहो क्योंकि वह तुम्हारे हर हाल से बाख है
फिर किसी ने पूछा कि तालिब बंदे सफर सयाह से क्यों खुश नहीं होते फरमाया कि जब
मकसूद अपनी जगह कायम है तो फिर इसको सफर सहत में तलाश करना मुमकिन नहीं फिर किसी
ने सवाल किया कि कैसे बंदों की सोहबत में रहना चाहिए फरमाया जो तुम्हारी अयादत करे जो तुम्हारी खता माफ करता रहे और हक बात
तुमसे कभी ना छुपाए पूछा गया कि आप रात में नमाज क्यों नहीं पढ़ते फरमाया कि मुझे
आलिम उल मलकू के चक्कर लगाने ही से फुर्सत नहीं मिलती इसके इलावा लोगों की आनत करता
रहता हूं सवाल हुआ कि आरिफ कौन है फरमाया कि जो दुनिया में रहकर भी तुमसे दूर भागता
है और ख्वाब में ना तो खुदा के सिवा किसी को को देखे और ना किसी पर अपना राज जाहिर
करें पूछा गया कि अमर बिल मारूफ और नही अनिल मुनकर की भी वजाहत फरमा दीजिए फरमाया
कि दुनिया को छोड़ दो ताकि इन दोनों चीजों का किस्सा ही बाकी ना रहे फरमाया कि बहरे मारफ में गरक होकर अमर बिल मारूफ की
शिनाख्त होती है और बंदा नफ्स मखलूक की आनत के बगैर ही कुर्बे इलाही हासिल कर
लेता है किसी ने पूछा कि आपको यह मराब कैसे हासिल हुए फरमाया कि मैंने वसाय
दुनियावी को ज जीरे कनात में जकड़ कर और सिद के संदूक में बंद करके मायूस हों के
दरिया में गर्क कर दिया सवाल किया गया कि आपकी उम्र कितनी है आपने फरमाया 4 साल
इसलिए कि मैं सिर्फ चार साल से खुदा का मुशाहिद कर रहा हूं इससे कबल 70 साल महज
कैलो काल में गुजर गए जिनको उम्र में शुमार नहीं किया जा सकता इज्जत हजरत अहमद
खिजर या ने आपसे कहा कि अभी तक मुझको मुकाम निहायत तक रसाई हासिल नहीं हो सकी
आपने फरमाया कि तुम इज्जत की इंतहा हासिल करने की फिक्र में हो और वह बारी ताला की
सिफत है जिसको मखलूक हासिल कर ही नहीं सकती फिर लोगों ने पूछा कि नमाज की सही
तारीफ क्या है फरमाया कि जिसका जरिया खुदा से मुलाकात हो सके लेकिन इससे मुलाकात
बहुत दुश्वार है सवाल किया गया कि आप भूखे रहने की तारीफ क्यों करते हैं फरमाया कि
अगर फिरौन फाका कशी करता तो मैं तुम्हारा रब हूं कहकर खुदाई का दावेदार ना होता
फरमाया कि मगरूर इसको कहते हैं जो दूसरों को कमतर तसव्वुर करें और मगरूर को कभी
मार्फत हासिल नहीं हो सकती फिर किसी ने अर्ज किया कि आपका पानी के ऊपर चलना बहुत
बड़ी करामत है फरमाया कि इसमें कोई करामत नहीं क्योंकि लकड़ी के छोटे-छोटे टुकड़े
भी पानी पर बहते हैं लोगों ने अर्ज किया क्या आप हवा में परवाज करके मक्का मजमा
सिर्फ एक शब में पहुंच जाते हैं फरमाया कि यह भी कोई करामत नहीं क्योंकि मामूली
परिंदे भी हवा में परवाज करते हैं और जादूगर लोग तो एक शब में तमाम दुनिया की सैर कर लेते हैं लोगों ने मुजाहिद के
मुतालिक गौर किया तो फरमाया कि मैंने 100 साल की गोशाई के बाद भी खुद को एक गार में
रहने वाली औरत की तरह पाया और जिस वक्त मैंने दुनिया को खैराबाद कह दिया खुदा
ताला से मिल गया और खुदा से कहा कि मेरा तेरे सिवा कोई नहीं और जब तक तू मेरा है
सब कुछ मेरा है और जब अल्लाह ने मेरे सद का मुशाहिद कर लिया तो मेरे के अयूब दूर
फरमा दिए फरमाया कि मखलूक ने मजमुआ तौर पर खुदा को जितना याद किया है मैंने तन्हा
याद किया है जिसकी वजह से खुदा ने भी मुझको याद किया और अपनी मारफ से मुझको
हयाते नौ अता कर दी फरमाया कि जिसको अतात खुदा वंदी की खलत से नवाजा गया वो इस खलत
पर फरिश्ता होकर रह गया लेकिन मैंने खुदा से सिवाए खुदा के कुछ तलब नहीं किया
फरमाया कि मुझे जब यह ख्याल आया कि खुदा को दोस्त रखता हूं तो गौर करने के बाद मालूम हुआ कि मैं इसको दोस्त नहीं रखता
बल्कि वह मुझे दोस्त रखता है फरमाया कि दूसरे लोगों ने तो मुर्दों से इल्म हासिल
किया है लेकिन मैंने ऐसी जिंदा हस्ती से इल्म सीखा कि जिसको मौत ही नहीं है फरमाया
कि जब मैंने नफ्स को अल्लाह की जानिब रागब करना चाहा और वह रागब ना हुआ तो मैं इसको
भी छोड़कर खुदा की हजूरी में पहुंच गया फरमाया कि जब मुझे आसमान की सैर कराई गई
और जब आलिम उल मलकू मेरे मुशाहिद में आ गया तो मुझे वहां से रज मोहब्बत हासिल हो
गए फरमाया कि मुझे यह मर्तबा इसलिए हासिल हुआ कि जिस उज को रुजू अललाह ना पाया इससे
किनारा कुश होकर दूसरे उज से काम निकाला फरमाया कि खुदा शनास के बाद मैंने खुदा को
अपने लिए काफी समझा फरमाया कि बहुत अरसा से नमाज में मुझे ख्याल आता है कि मेरा
कल्ब मुशरिक है और इसको जिना की जरूरत है फरमाया कि औरतें मुझसे इसलिए अफजल हैं कि
वह माहवारी के बाद गुसल करके पाक हो जाती हैं लेकिन मुझे तमाम उम्र गुस्ल करते बीत
गई लेकिन पाकी हासिल ना हो सकी फरमाया कि अगर पूरी जिंदगी में मुझसे एक नेक काम भी
हो जाता तो खौफ जदा ना रहता फरमाया कि अगर रोज महशर में यह सवाल किया जाए कि तूने
फलां काम क्यों किया तो मैं इसको बेहतर तसव्वुर करता हूं कि यह पूछा जाए कि तूने
फलां काम क्यों ना किया फरमाया कि अल्लाह मखलूक के भेदों से खूब वाकिफ है और हर भेद
की जानिब नजर डालकर फरमाता है कि मैं इसको अपनी मोहब्बत से खाली पाता हूं लेकिन
बायजीद के भेद को अपनी मोहब्बत में गर्क देखता हूं फरमाया कि मैंने ख्वाब देखा कि
खुदा की तौहीद से ज्यादा का तलबगार हूं लेकिन बेदारी के बाद मैंने अर्ज किया कि
मुझे तेरी तौहीद से बढ़कर कुछ नहीं चाहिए फरमाया कि अल्लाह ताला ने सवाल किया कि
क्या ख्वाहिश रखते हो मैंने अर्ज किया कि जो मेरे लायक हो फरमाया कि खुद को छोड़कर
चले आओ फरमाया कि लोग मुझे अपने जैसा ख्याल करते हैं हालांकि आलम में मेरे औसाफ
का मुशाहिद कर ले तो मर जाएं क्योंकि मैं एक ऐसे समंदर की तरह हूं जिसकी गहराई की
ना इब्तिदा है ना इंतहा अर्श की हकीकत के मुतालिक किसी ने आपसे सवाल किया तो फरमाया
कि अर्श तो मैं खुद हूं फिर कुर्सी के मुतालिक पूछा तो आपने फरमाया कि कुर्सी भी
मैं खुद हूं और फिर कलम के मुतालिक भी यही फरमाया इसके बाद साइल ने कहा कि अल्लाह
ताला के तो और भी बहुत से मुकर्रर बंदे हैं मसलन हजरत इब्राहिम हजरत मूसा और हजूर
मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इस पर भी आपने यही फरमाया कि वह भी मैं ही हूं फिर
सायल ने मलायका के लिए सवाल पूछा तो जब भी यही फरमाया कि वह भी मैं ही हूं यह जवाब सुनकर जब वह खामोश हो गया तो आपने फरमाया
कि हक में फनात के बाद तमाम चीजों को अपनी ही हस्ती में जम पाता हूं इसलिए हक में सब
चीजें मौजूद है हजरत बायजीद बस्तानी रहमतुल्लाह अलह के मेराज की कैफ
यत आप फरमाते हैं कि जिस वक्त मुझे तमाम मौजूदा से बे नियाज करके खुदा ने अपने नूर
से मुनव्वर फरमाया और तमाम इसरार और रमज से आगाही अता की तो मैंने चश्म यकीन के
साथ खुदा ताला का मुशाहिद किया और मुझे मालूम हुआ कि मेरा नूर इसके नूर के सामने तारीक है और मेरी अजमत इसकी बरतरी के
सामने कतन बे हकीकत है क्योंकि वह मुसफ्फा था और मेरे वजूद में किसा फत थी और जब
मैंने अपने नूरो अजमत के अंदर इसके नूर अजमत को महसूस किया तो यह अंदाजा हो गया
कि मेरी तमाम इबादत और रियाजत में इसी का हुक्म नाफ है और जब मैंने इसकी वजह पूछी
तो फरमाया कि जब तक हम काम करने की कुवत अता नहीं करते इस वक्त तक तू कुछ भी नहीं
कर सकता क्योंकि फाइल हकीकी तो हम हैं और हमारे ही इरादे से तमाम चीजें जहूर पजीर
होती हैं और जब खुदा ने मेरी हस्ती को फना करके बका का मुकाम अता किया तो अपनी खुदी
का मैंने बे हिजबाना मुशाहिद किया गोया मैंने अल्लाह को अल्लाह के जरिया देखा और
इसकी हकीकत में गुम होकर गूंगा बहरा और जाहिल बन गया नफ्स की बरबरी को दरमियान से
फना करके एक अरसा वहां कयाम किया फिर खुदा ने मुझको अलू में अजली से आगाह फरमा करर
जुबान को अपने कर्म से गो आई और आंखों को अपने नूर से नूर अता किया जिसका जरिया
मैंने हर शय में इसकी जात को जलवा कर पाया और इसके इल्म से इल्म हासिल किया फिर
फरमाया गया कि मेरा वजूद सबके साथ भी है और सबसे जुदा भी तुझे बिला वसाय के तमाम
वसाय हासिल हैं मैंने अर्ज किया कि मुझे इन चीजों से कोई दिलचस्पी नहीं मुझे तेरे वजूद के बगैर अपना वजूद भी नापसंद है
बल्कि तेरे वजूद का अपने वजूद के बगैर भी कयाम चाहता हूं फरमाया कि शरीयत को छोड़कर
हदे तदा से निकल जा ताकि तेरी कोशिश हमारे लिए पसंदीदा हो मैंने अर्ज किया कि मेरी
तमन्ना तो यही है और मुझे यह भी इल्म है कि मेरी जात नुक्स ऐब से पाक है फरमाया
गया कि यह भेद तुझे कैसे मालूम हुआ मैंने अर्ज किया कि मेरे इल्म का सबब तू बखूबी
जानता है क्योंकि तू ही मुहि व महाब है फिर उसने अपनी रजा से मुझे मुखातिब फरमा
कर शर्फ अता किया और अपनी खुशनूर पर मोहरे तस्दीक सब्त कर दी और कल्ब की तारीख और
नफ्स की कसा फत को दूर कर दिया इस वक्त मैंने महसूस किया कि मेरी हयात का ताल्लुक
जात खुदा वंदी से है और मैं इसके फजल और करम में मलब उसस हूं पूछा गया और क्या चाहता है मैंने अर्ज किया तू सबसे जयद
अलीमो करीम है इसलिए तुझको ही तुझसे तलब करता हूं सिर्फ इतना कुर्ब अता करके मां
सेवा से निजात अता कर दे इस तरह के कलाम के बाद मुझे ताज करामत अता करते हुए
फरमाया कि तूने हक को देख लिया और पा लिया मैंने अर्ज किया कि मैंने हक को हक के
तवस्सूल से पाया और देखा फिर मेरी हमद सना के सिला में ऐसे पर अता किए गए जिनके
जरिया मैदाने इज्जत में परवाज करते हुए हुए कुदरत के सनाय का मुशाहिद किया खुदा
ने अपनी कुवत जीनत से मुझे कुवत और जीनत बख्शी और ताज करामत सर पर रखकर दर तौहीद
खोल दिया और फरमाया कि अब तेरी रजा हमारी रजा होगी और तेरा कलाम कसाव तों से पाक
होगा और तेरा हमारे औसाफ से वाबस्ता होने का किसी को इल्म भी ना हो सकेगा इसके बाद
मुझे अ सरे नौ जिंदगी अता की गई और मुकम्मल आजमाइश के बाद दरयाफ्त किया गया
के मुल्क किस है हुक्म किसका है और साहिबे इख्तियार कौन है मैंने कहा कि तेरे सिवा
किसी में यह औसाफ नहीं हो सकते फिर जिस वक्त मुझे नजरे कहर से देखा गया तो मेरी हस्ती फना हो गई और मैंने सब्र सुकून का
पैरान पहन लिया जिसकी बिना पर मुझे यह मराब तवीज किए गए मेरे कल्ब तारीक में
मुसर्रत का एक ऐसा दरीचा खोला गया और लिसान तौहीद अता करके मेरे कल्ब को अपने
नूर से मुनव्वर कर दिया और अपनी सनतोसीमां
दिया और अब मैं इसी की आनत से बात करता और चलता फिरता हूं और इसी के कर्म से वह हयात
मिली जिससे मौत का वजूद ही नहीं फिर फरमाया गया कि मखलूक तेरे दीदार की मतम
नहीं है मैंने कहा कि मैं तो तेरे सिवा किसी को भी देखना पसंद नहीं करता लेकिन
अगर तेरी यही ख्वाहिश है कि मखलूक तेरा नजारा करे तो फिर मैं राजी बिरजा हूं लेकिन पहले मुझे वहदा नियत से आरात फरमा
दे ताकि मखलूक मेरे अंदर तेरी वहद हकीकत का मुशा द कर सके और मेरा वजूद दरमियान से
मुनकता हो जाए फिर खुदा ताला ने मेरी ख्वाहिश की तकल के बाद मुझे तमाम आलिम के
सामने पेश कर दिया और जैसे ही मैंने इसकी बारगाह के बाहर कदम रखा तो लगज से गिर
पड़ा तो फौरन यह निदा आई कि हमारे दोस्त को वापस ले आओ क्योंकि वह हमारे बगैर ना
रह सकता है ना चल फिर सकता है फिर हजरत बायजीद ने फरमाया कि मैं 30 साल तक वहदा
नियत की फजा में परवाज करता रहा और 30 साल फिजए उलू यत में उड़ता रहा और 30 साल तक
फजा यकता नियत में परवाज की और जब 90 साल मुकम्मल हो गए इस वक्त मैंने बायजीद को
देखा और महसूस किया कि जो आलम नजरों से गुजरा है वह बायजीद ही ने देखा है फिर
4000 मराब तय करने के बाद कमाली औलिया का दर्जा तक पहुंचा और जब खुद को नबूवत के इब्तिदा दर्जा में देखा तो यह तसव्वुर कर
लिया कि शायद इतना अजम मर्तबा किसी को हासिल नहीं हुआ गौर और फिक्र के बाद मालूम हुआ कि मेरा सर एक नबी के कदमों के नीचे
है इस वक्त मुझे महसूस हुआ के विलायत की इंतहा नबूवत की इब्तिदा हुआ करती है लेकिन
नबूवत की कोई इंतहा नहीं इस मुकाम से जब मेरी रूख फिरदौस हो जहन्नुम और मलायका के
मुशाहिद के लिए रवाना हुई तो वहां अंबिया कराम से शरफे नयाज हासिल हुआ और मैंने सलाम किया लेकिन जिस वक्त मेरी रूह हजूर
अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के रूबरू पहुंची तो देखा कि आग के दरिया में एक रास्ता है और नूर के हजारों हिजा बात
दरमियान में हाइल है जिसकी वजह से मेरी रूह दीदार सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से से महरूम रह गई और मुझ पर हैबत
की वजह से गशी तारी हो गई और जब होश आया तो मैंने दूर ही से हजूर की खिदमत में सलाम पेश किया और इस तरह मुझे कुर्बे खुदा
वंदी तो हासिल हुआ लेकिन इसके महबूब के कुर्ब तक रसाई हासिल ना हो सकी क्योंकि यह
अमर वाकया है कि अल्लाह ताला तो हर बंदे के हमराह और करीब है और हर बंदा अपने मयार
के मुताबिक इसका मुशाहिद कर सकता है लेकिन हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत इसी वक्त नसीब हो सकती है जब ला इलाहा
इलल्लाह की मंजिल से गुजर जाए और हम पहले भी जिक्र कर चुके हैं कि अल्लाह और इसके
महबूब की राहें गो एक हैं लेकिन जियारत महबूब के लिए ताबे नजारा की जरूरत है जिस
तरह हजूर बू तरा के एक इरादत मंद ने अल्लाह ताला को देख लिया लेकिन बायजीद का हौसला ना हो सका फिर हजरत बायजीद ने
फरमाया कि जो कुछ मैंने मुशाहिद किया इससे यह अंदाजा हो गया कि जब तक खुदी का अजला
ना हो जाए खुदा का रास्ता मिलना मुहाल है और जब मैंने सवाल किया कि मैं अपनी खुदी
का अ किस तरह करूं तो जवाब मिला कि यह मुकाम सिर्फ इतबा नबवी से ही हासिल हो
सकता है हजरत मुसन्निफ कहते हैं कि मुझे हैरत है कि जो बुजुर्गा दीन वकार नबवी
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इस दर्जा बाख हो कि इनके अकवाले से लोग ऐसा मफू क्यों
अखज कर लेते हैं जिसमें हजूर अकरम की तहकीक का पहलू निकलता हो जैसा कि हजरत
बायजीद रहमतुल्लाह अलह से पूछा गया कि क्या तमाम मखलूक कयामत में हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के अलम के नीचे होग फरमाया कि
कसमिरसैक्स
हासिल कर ली थी कि आपकी जुबान खुदा की जुबान बन चुकी थी और आपका कॉल हकीकत में
अल्लाह ताला का कॉल था और यह भी तस्लीम कर लेना चाहिए कि वा आजम मिनल वाय मोहम्मद या
सुभानी मा आजम शानी जैसे कलमा आपकी जुबान से निकले लेकिन दरह कीक खुदा ताला ने आपकी
जुबान से गुफ्तगू फरमाई हजरत बायजीद बस्तानी रहमतुल्ला अल
के मुनाजात आप अपनी मुनाजात में यह कहा करते थे कि ऐ
अल्लाह मेरे और अपने दरमियान दोई का हिजाब खत्म फरमा दे ताकि मैं तेरी जात में फना
हो जाऊं ए अल्लाह जब तक मैं खुद ही में मुब्तला रहा सबसे से अदना रहा लेकिन जब
तेरी मयत नसीब हुई इस वक्त मैं सबसे आला और बतर हो गया अल्लाह फिक्र फाका से तेरा
कुर्ब हासिल हुआ है और तेरे अल्ताफ करमाना ने मेरे फक्र फाका को निस्त नाबूत कर दिया
ए अल्लाह मैं इल्म और जहद नहीं चाहता अपने रमज मुझ पर आ शिकार फरमा दे ऐ अल्लाह तेरे
ही फजल ने मुझे मुझसे रू शनास किया और इसलिए मैं तुझ पर नाज करता हूं ऐ अल्लाह
कल्ब के लिए बेहतरीन शय तेरा इल्हाम और गैब की राहों में सबसे अफजल तेरा नूर है
और सबसे उम्दा है वह हालत जिसका इंक शफ मखलूक के लिए दुश्वार है और बेहतरीन है वह
जबान जो तेरा वस्फ बयान करने से कास रहे क्योंकि इंसान अगर तेरा औसाफ बयान करना
चाहे तो पूरी जिंदगी में तेरे औसाफ का मामूली सा हिस्सा भी बयान नहीं कर सकता ऐ
अल्लाह यह बात ताज्जुब खेज नहीं कि मैं तुझको अपना दोष तसवर करता हूं बल्कि हैरत
अंगेज ये है कि तू मुझको अपना दोस्त समझता है क्योंकि मुख्तार कुल और साहिबे कुवत है
और मैं एक कमजोर और मोहताज बनदा हूं ए अल्लाह मैं तुझसे खौफ जदा रहता था लेकिन
तूने अपने कर्म से मेरा खौफ दूर कर दिया जिसकी वजह से मैं हमा औकात मसरूर शाद मा
रहता हूं और तूने मुझे अपने बारगाह में बारया फरमाया जिसका मैं किसी तरह भी शुक्र
अदा नहीं कर सकता ए अल्लाह मैं अपनी इबादत और रियाजत पर नाजा नहीं हूं बल्कि यह बात
काबिल है कि तूने अपने अह काम की बजा आवरी के लिए कुवत और तात अता करके खिलते
बुजुर्ग से सरफराज फरमाया ऐ अल्लाह मेरा शुमार तू इन आतिश परस्तों में कर ले जो 70
साल आतिश परस्ती में मुब्तला रहे और आखरी उम्र में सहराय गुमराही में निकलकर वादी
हिदायत में पहुंचे और इस्लाम में दाखिल होकर इनमें तेरा नाम लेने का जौक पैदा हो
गया ऐ अल्लाह ना तुझे किसी सबब की हाजत है और ना कबूलियत के लिए किसी इबादत की और ना
तेरे यहां की यह रसम है कि कसरत गुनाह की बिना पर गुनाहगारों को किसी तरह माफ ही ना
करें बल्कि तुझे कुल्ली इख्तियार है कि जिसको चाहे माफ करके अपने कुर्ब से नवाज
दे ऐ अल्लाह गु मैं ने अपने नजदीक बहुत ही नेक काम अंजाम दिए लेकिन वह तेरी बारगाह
में कबूलियत के हरगिज काबिल नहीं लिहाजा इनको नजरअंदाज फरमा करर सिर्फ अपने रहम और
करम से मेरी मगफिरत फरमा दे आप हम औकात अल्लाह अल्लाह का विरद जारी रखते और आलम
नजा में भी आपकी जुबान पर अल्लाह ही का नाम था और मौत से कबल आपने फरमाया कि ऐ
अल्लाह मैं दुनिया में बर बनाए गफलत तेरी इबादत से महरूम रहा और अब आखरी वक्त में
भी तेरी इबादत से गाफिल हूं इसके बावजूद भी तेरी रहमत का मतम नहीं हो यह कलमा
जुबान पर थे कि रूह मुबारक अलल अली जीन की जानिब परवाज कर गई इन्ना लिल्लाह व इन्ना
इलैही राजिन इसी ने ख्वाब में देखकर आपसे सवाल किया कि तसव्वुफ का क्या मफू है
फरमाया कि राहतों को छोड़कर मशक्कत बर्दाश्त करने का नाम ही तसव्वुफ है जब
शेख अबू सईद और अबू अलखैर आपकी जियारत के लिए हाजिर हुए तो कुछ देर कयाम करके चलते
वक्त फरमाया कि यह वह ठिकाना है जहां खोई हुई चीज मिल जाती
है बाब नंबर 15 हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब
तारुफ आप उलूम जहरी बातन से मरस और शरीयत
तरीकत से आरात थे और उलमा और सूफिया दोनों ही आपके मराब के पेशे नजर बेहद ताजमोहल
मश कीन आपकी सोहबत से फैज याबु ए इसके अलावा आपकी तसा निफ और करामात कसरत से हैं
एक मर्तबा हजरत सुफियान सूरी और हजरत फुजैल बिन अयाज ने आपको तशरीफ लाते देखा
तो सूरी रहमतुल्लाह अलह ने कहा ऐ मर्दे मशरक तशरीफ लाइए और हजरत फुजैल ने कहा कि
ऐ मर्द मगरिब और जो मगरिब और मशरिक के दरमियान है तशरीफ लाइए हजरत मुंस फरमाते
हैं कि जिसकी तारीफ में हजरत फुजैल जैसे बुजुर्ग रतब लिसान हो इनके औसाफ भला मैं
क्या बयान कर सकता हूं रुजू की वजह इब्तिदा दौर में आप एक इस की मोहब्बत में
गिरफ्तार हो गए और मोहब्बत का अरसा बहुत तूल पकड़ गया चुनांचे सर्दियों की एक रात
में आप सुबह तक इसके मकान के सामने इंतजार में खड़े रहे और जब सहर नमूद हुई तो रात
के बेकार जाने का बेहद मलाल हुआ और कल्ब में यह ख्याल पैदा हुआ कि अगर मैं यह रात
इबादत में गुजारता तो इस बेदारी से वो लाख दर्जा बेहतर था बस इसी तसव्वुर से आपने
तायब होकर इबादत और रियाजत को सदक दिली के साथ अपना मशगूल बना लिया और बहुत कलील
अरसा में आला रफा मराब पर फायज हुए एक मर्तबा आपकी वालिदा आपकी जुस्तजू में
निकली तो देखा कि एक बाग में गुलाब के पौधे के नीचे मवे ख्वाब हैं और इसकी टहनी
से मक्खियां उड़ा रहे हैं आप मरू के बाशिंदे थे और सैरो सेहत के बेहद दिल ददा
और मुद्दतों बाद बगदाद में मुकीम रहकर मक्का मुअज्जम तशरीफ ले गए और वहां से
वापस होकर अपने वतन असली मरू में सकत पजीर हो गए और इस दौर में मरू में एक जमात
फुकाहा की और दूसरी मुहसीन की थी लेकिन आपके बेहतरीन तर्ज अमल की वजह से दोनों
जमात आपको काबिले एहतराम तसव्वुर करती थी और इसी तरह की मुनासिब से आपको रजल फरी
कैन के खिताब से याद किया जाने लगा और जब भी कोई इख्तिलाफ इन दोनों जमां में रमा
होता तो आपको सालिफ बनाकर आपके फैसलों की पाबंदी करती इसके अलावा अपने मरू में दो
सराए भी तामीर कराई एक फुकाहा के कयाम के लिए और दूसरी मुहसीन के लिए और इसके बाद
आप मुस्तकिल तौर पर मक्का मजमा में कयाम पजीर हो गए आपका यह मामूल था कि एक साल हज
करते और दूसरे साल शरीक जिहाद रहते और तीसरे साल तिजारत करके जो कुछ भी नफा
हासिल करते वह सब मुस्तक में तकसीम फरमा देते और फुकरा को खजूर खिलाते तो घुटिया
शुमार करते जाते और जो शख्स जिस कदर खजूर खाता इसी हिसाब से हर शख्स को इतने ही
दिरहम देते थे कुछ अरसा एक निहायत बद तीनत शख्स आपकी
सोहबत में रहा और जब वह रुखसत हो गया तो आपने रोते हुए फरमाया कि सद हैफ वह तो
मुझसे रुखसत हो गया लेकिन इसकी बुरी खसते इससे रुखसत ना हो सकी एक मर्तबा कहीं
तशरीफ ले जा रहे थे कि रास्ता में बाज लोगों ने एक नाबी से कहा कि अब्दुल्लाह
बिन मुबारक तशरीफ ला रहे हैं जो कुछ तलब करना चाहे तलब कर ले चुनांचे इसने आपको
ठहरा करर यह दुआ करने की दरख्वास्त की कि मेरी बस वापस आ जाए और जब आपने दुआ की तो
फौरन ही इसकी बशारत वापस आ गई आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा बगर से हज रवाना हुआ
लेकिन रास्ते में इतनी ताखी हो गई कि सिर्फ चार यम हज में बाकी रह गए और मुझे
यकीन हो गया कि अब मैं हज से महरूम रह जाऊंगा लिहाजा क्या शक्ल इख्तियार करनी
चाहिए इसी फराग में एक बुढ़िया ने आकर मुझसे कहा कि मेरे हमराह चल मैं तुझे रफा
तक पहुंचाए देती हूं चुनांचे मैं चल पड़ा और जब राह में कोई दरिया आ जाता तो वह
कहती कि आंखें बंद कर लो और जब मैं इस पर अमल करता तो ऐसा महसूस होता कि मैं सिर्फ
कमर कमर तक पानी में चल रहा हूं और जब दरिया कर लेता तो वह कहती कि आंखें
खोल दो बगज यह कि इसी तरह इसने मुझे अरफात तक पहुंचा दिया और फरात हज के बाद बुढ़िया
ने कहा कि चलो मैं अपने बेटे से तुम्हारी मुलाकात करवाऊं और जब मैं वहां पहुंचा तो
देखा कि एक बहुत ही कमजोर सा नौजवान नूरानी सूरत का बैठा हुआ है और मां को
देखते ही कदमों में गिर कर कहने लगा मुझे मालूम हो चुका है तुम दोनों को अल्लाह ताला ने मेरी तजवीज और तक फीन के लिए भेजा
है क्योंकि मेरी मौत का वक्त बहुत ही करीब है यह कहते ही वह फौत हो गया और मैंने
गुसल देकर इसको कब्र में उतार दिया लेकिन बुढ़िया ने मुझसे कहा कि अब तुम रुखसत हो
जाओ क्योंकि मैं अपनी जिंदगी बेटे की कब्र पर गुजारना चाहती हूं और आइंदा साल जब तुम
आओगे तो मैं तुम्हें ना मिल सकूंगी लेकिन मेरे लिए हमेशा दुआए खैर करते रहना मशहूर
वाकया एक मर्तबा आप फराग के हज के बाद बैतुल्लाह में सो गए और ख्वाब में देखा कि
दो फरिश्ते बाहम बातें कर रहे हैं और एक ने दूसरे से सवाल किया कि इस साल कितने लोग हज में शरीक हुए और कितने अफराद का हज
कबूल हुआ दूसरे ने जवाब दिया कि 6 लाख लोगों ने फरीजा ए हज अदा किया लेकिन एक
फर्द का भी हज कबूल नहीं हुआ मगर दमिश्क का एक मोची जो हज में तो शरीक नहीं हुआ
लेकिन खुदा ने इसका हज कबूल फरमा करर इसके तुफैल में सबका हज कबूल कर लिया यह ख्वाब
देखकर बेदारी के बाद मोची से मुलाकात करने के लिए दमिश्क पहुंचे और मुलाकात के बाद
जब इसका नामो नस्त दरयाफ्त करके हज का वाकया दरयाफ्त किया तो इसने अपना पेशा
बयान करने के बाद जब आपका नाम पूछा तो आपने बता दिया कि अब्दुल्लाह बिन मुबारक
हूं यह सुनते ही वह चीख मार कर बेहोश हो गया और होश में आने के बाद इस तरह अपना
वाकया बयान किया कि बहुत अरसा से मेरे कल्ब में हज की तमन्ना थी और मैंने इस
नियत से 300 दरहम भी जमा कर लिए थे लेकिन एक दिन पड़ोसी के यहां से खाना पकने की
खुशबू आई तो मेरी बीवी ने कहा कि इसके यहां से तुम भी मांग लाओ ताकि हम भी खा ले
चुनांचे मैंने इससे जाकर कहा कि आज आपने जो कुछ पकाया है हमें भी इनायत करें लेकिन
उसने कहा कि वह खाना आपके खाने का नहीं है क्योंकि सात यौम से मैं और मेरे अहलो अयाल
फाका कुशी में मुब्तला थे तो मैंने मुर्दा गधे का गोश्त पका लिया यह सुनकर मैं खौफ
खुदा वंदी से लर्ज गया और अपनी तमाम जमा शुदा रकम इसके हवाले करके यह तसव्वुर कर
लिया कि एक मुसलमान की इमदाद मेरे हज के बराबर है हजरत अब्दुल्लाह ने यह वाकया
सुनकर फरमाया कि फरिश्तों ने ख्वाब में वाकई सच्ची बात कही थी और खुदा ताला हकीकत
कजा और कद्र का मालिक है आपके पास एक ऐसा गुलाम था जिससे आपने यह शर्त कर रखी थी कि
अगर तुम मेहनत मजदूरी करके इतनी रकम मुझे दे दो तो मैं तुमको आजाद कर दूंगा एक दिन
किसी ने आपसे कह दिया कि आपका गुलाम तो सरका करते हुए कफन चुराकर फरोख्त करने के
बाद आपकी रकम अदा करता है यह सुनकर आपको बेहद मलाल हुआ और रात को छुपकर इसके
पीछे-पीछे कब्रिस्तान पहुंच गए कब्रिस्तान में जाकर गुलाम ने एक कब्र खोली और निमाज
में मशगूल हो गया और जब आपने करीब से देखा तो मालूम हुआ कि वह टर्च के कपड़े पहने
अपने गले में तौक पहने हुए गिरिया उ जारी कर रहा है यह देखकर आप रो पड़े और पूरी
रात आपने बाहर और गुलाम ने कब्र में इबादत करने में गुजार दी फिर सुबह को गुलाम ने
कब्र को बंद किया और फजर की नमाज मस्जिद में जाकर अदा की और यह दुआ करता रहा कि ऐ
अल्लाह अब रात गुजर चुकी है और मेरा आका अब रकम तलब करेगा लिहाजा अपने कम से तू ही
कुछ इंतजाम फरमा दे इस दुआ के बाद एक नूर नमूद हुआ और उसने दिरहम की शक्ल इख्तियार
कर ली चुनांचे आप यह वाकया देखकर गुलाम के कदमों में गिर पड़े और फरमाया कि काश तू
आका और मैं गुलाम होता यह जुमला सुनकर गुलाम ने फिर दुआ की कि ऐ अल्लाह अब मेरा
राज फाश हो गया है इसलिए मुझे दुनिया से उठा ले और आप ही की आगोश में दम तोड़ दिया
फिर आपने गुसल देकर टाट ही के लिबास में दफन कर दिया लेकिन रात को ख्वाब में देखा
कि हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और हजरत इब्राहिम दो बर्रा कों पर तशरीफ लाए
और फरमाया कि ऐ अब्दुल्लाह तूने हमारे दोस्त को टाट के लिबास में क्यों दफन किया
है एक मर्तबा आप बहुत वजाहत के साथ चल रहे थे कि एक नादर सैयद ने कहा कि मैं सैयद
होने के बावजूद भी आपसे मर्तबा में क्यों कम हूं फरमाया कि मैं तो तेरे जद्दे अमजद
का अतात गुजार हूं लेकिन तू इनके अकवाले आमाल पर भी अमल पैरा नहीं बाज हजरात कहते
हैं कि आपने यह जवाब दिया कि यह तो एक हकीकत है कि तेरे जद्दे आला खतम उल अंबिया
थे और मेरा बाप गुमराह मगर तेरे जद्दे आला ने जो तरका छोड़ा उसको मैंने हासिल कर
लिया और जिसकी वजह से यह मर्तबा अता किया गया और मेरे बाप की गुमराही तूने तरका
हासिल कर ले इसलिए तू रुसवा हो गया लेकिन इसी शब आपने ख्वाब में हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को गुस्से की हालत में देखा और जब वजह दरयाफ्त की तो
हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि तूने मेरी आल के अयूब की पर्दा दारी क्यों की चुनांचे आप बेदार होने के बाद
इसी सैयद की जुस्तजू में निकल खड़े हुए और इधर इस सैयद ने ख्वाब में देखा कि हुजूर
अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम यह फरमा रहे हैं कि अगर तेरे आमाल और अफल बेहतर होते तो अब्दुल्लाह तेरी अहान क्यों करता
चुनांचे वो भी बेदारी के बाद आपकी तलाश में चल दिया और जब रास्ता में दोनों की मुलाकात हुई तो दोनों अपना-अपना ख्वाब
सुनाने के बाद तायब हुए हजरत सुहेल बेश तर आपके पास तशरीफ लाया करते थे एक मर्तबा
चलते हुए कहने लगे कि अब मैं कभी आपके पास नहीं आऊंगा इसलिए कि आज छत पर से आपकी
कनीज मुझे ऐ सुहेल कहकर आवाज दे रही थी और यह बात मेरे लिए बारे खातिर होगी यह सुनकर
हजरत अब्दुल्लाह ने कहा कि आओ सुहेल की नमाज जनाजा अदा करें चुनांचे इसी वक्त
इनका इंतकाल हो गया और तजवीज और तक फीन के बाद जब लोगों ने सवाल किया कि मौत से पहले
ही आपको इनकी मौत का इल्म हो गया था फरमाया कि उन्होंने ने यह कहा कि तेरी छत पर से कनीज ऐ सुहेल कहकर आवाज दे रही थी
हालांकि मेरे यहां कोई लौंडी नहीं है और यकीनन वह हूरें थी और आवाज दे रही थी इसी
वजह से मैंने इनकी मौत का यकीन कर लिया एक ईसाई राहिब इबादत मुजाहि दत करते-करते
बहुत कमजोर हो गया था और जब हजरत अब्दुल्लाह ने दरयाफ्त किया कि खुदा का
रास्ता कैसा है इसने जवाब दिया कि तुम आरिफ होने की वजह से यकीनन खुदा और उसकी
राहों से जरूर वाकिफ हो गए मैंने तो आज तक अल्लाह ही को नहीं पहचाना फिर भला उसका
रास्ता कैसे बता सकता हूं मैं तो पहचाने बगैर इसकी इबादत करते-करते इस कदर जफ हो
गया हूं इसने कहा ना जाने तुम किस किस्म के आरिफ हो कि खुदा का खौफ भी नहीं करते
यह सुनकर आपको ऐसी इबरत हुई कि हर यौम आपके खौफ खुदा वंदी में इजाफा होता चला
गया आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा रोम के गिर्द नवाह में मैंने देखा कि कुछ लोग
एक शख्स को शिकंजा में कस कर मार पीट रहे हैं और एक शख्स दूर से खड़ा कह रहा है कि
इसको अच्छी तरह मारो वरना बड़ा बुत खफा हो जाएगा और जब मैंने पिटने वाले से पूछा कि
यह लोग तुझे मार रहे हैं इसने कहा कि हमारा यह मजहबी अकीदा है कि गुनाहों से
पाक हुए बगैर बड़े बुत का नाम जबान पर से नहीं निकाल सकते और इसके डर से मैं गिर्या
उ जारी भी नहीं कर सकता यह सुनकर आपने फरमाया कि खुदा का एहसान अज है कि इसने
मुझे वह दीन अता किया जिसमें खुदा का नाम लेते ही बंदा गुनाहों से पाक हो जाता है
और जब इसकी मार्फत हासिल करता है तो सकत इख्तियार कर लेता है जैसा कि खुदा का
इरशाद है कि खुदा को शनातन वालों की जुबान कंग हो जाती है एक मर्तबा जिहाद में आप एक
काफिर से बरसरे पकार थे कि नमाज का वक्त आ गया और आपने इस काफिर से इजाजत लेकर निमाज
अदा कर ली और जब इसकी इबादत का वक्त हुआ तो वह भी आपसे इजाजत लेकर अपने बुत की
जानिब मतवल में इसको कत्ल कर देने की ख्वाहिश पैदा हुई चुनांचे इसी वक्त नदा गैब आई कि
हमारी इस आयत के मुताबिक अफन बिल का मस यानी तुमसे कयामत में अहद शिकनी
की बाज पुस होगी और लिहाजा अपने कसदार आ जाओ यह सुनते ही आप रो पड़े और जब इस
काफिर ने रोने का सबब दरयाफ्त किया तो आपने पूरा वाकया बया कर दिया यह सुनकर इस
काफिर को ख्याल आया कि जो खुदा अपने दुश्मन की वजह से अपने दोस्त पर नाराज हो
इसकी अता ना करना बुजदिली है और ख्याल के साथ ही वह सच्चे दिल से मुसलमान हो गया आप
फरमाया करते थे कि एक शख्स खाना काबा में दाखिल होना चाहता था लेकिन लर्ज कर बेहोश
हो गया और होश में आने के बाद जब मैंने इसकी कैफियत पूछी तो इसने बताया कि मैं आतिश परस्त हूं और भेस तब्दील करके काब
उल्लाह में दाखिले की नियत से आया था लेकिन जैसे ही मैंने दाखिला का कसदार के दोस्त का दुश्मन बनकर दोस्त के
मकान में कैसे दाखिल हो सकता है और यह आवाज सुनते ही मैंने सदक दिली से इस्लाम
कबूल कर लिया मौसम सरमा में निशापुर के बाजार में आपने एक गुलाम को देखा जो सर्दी
में सुकड़ हुआ था आपने पूछा कि तुम अपने मालिक से पस्तीन का मुतालबा क्यों नहीं
करते इसने जवाब दिया कि इसको नजर नहीं आता जो मेरे कहने की जरूरत पेश आए इस जुमला से
आपको ऐसी इबरत हुई कि आपने फरमाया कि तरीकत तो इस गुलाम से हासिल करनी चाहिए एक
परेशानी के वक्त कुछ लोग आपके पास बतौर दिलदारी के हाजिर हुए और इनमें एक आतिश
परस्त भी था और इसने यह कहा कि दानिश्वर वही है जो अव्वल दिन ही वह काम अंजाम दे
जिसको नादान तीसरे दिन पूरा करते हैं यह जुमला सुनकर आपने लोगों से फरमाया कि इस
कॉल को याद रखना बहुत अजीम नसीहत है जब लोगों ने आपसे सवाल किया कि कौन सी आदतें
सूद मंद हो सकती हैं फरमाया अकले कामिल होना लोगों ने कहा कि अगर अकल कामिल ना हो
फरमाया कि हुस्ने अदब हो लोगों ने कहा कि अगर यह भी ना हो फरमाया कि इतना शफीक भाई
बन जाए कि लोग इससे मशवरा करें लोगों ने कहा अगर यह भी मुमकिन ना हो सके फरमाया
सुकू इख्तियार करो और अगर यह भी ना हो तो फिर मर गए नाग बहुत सूद मंद है एक मर्तबा
फरमाया कि जो अदब की अहमियत से वाकिफ नहीं इसकी मिसाल ऐसी है जैसे सुन्नत में खलल
पड़ने की वजह से फराइज से भी महरूम हो जाती है और ऐसा शख्स खुदा की मारफ से कभी
बहरा व नहीं हो सकता इरशाद जब लोगों ने यह सवाल किया कि खुदा के रास्ते में चलने
वालों की क्या कैफियत हुई फरमाया कि वह हम औकात खुदा के तलब में मशगूल रहते हैं
फरमाया कि हमें कसीर इल्म के बजाय कलील अदब की ज्यादा एतज है और लोग इस वक्त अदब
की तलाश करते हैं जब अहले अदब दुनिया से रुखसत हो चुके गो मशक ने अदब की बहुत सी
तारीफें की हैं लेकिन मेरे नजदीक अदब नाम है नफ्स शनास का फरमाया कि एक दरहम कर्ज
हसना देना 1000 दिरहम खैरात करने से ज्यादा मोजिब सवाब है और नाजायज माल का
हिस्सा लेने वाला भी तवक से महरूम रहता है और तवक वह है जिसको तुम्हारा नफ्स ही नहीं
बल्कि खुदा ताला भी तवक ख्याल करें और तवक कसब के लिए माने नहीं है बल्कि कस्बो तवक
दोनों ही दाखिले इबादत हैं और अहले तवक को इतना पसमांदा कर लेना कि जो इनके मर्ज मौत
में काम आ सके मायू नहीं फरमाया कि अगर अयाल दार शख्स बच्चों की नगरानी और परवरिश
के साथ इल्म दीन भी सिखाता है तो इसका अजर जिहाद से भी फजू है फरमाया कि जिसको
दुनिया वाले इस इज्जत वकत की निगाहों से देखते हो इसको चाहिए कि वह खुद को बेवक्त तसव्वुर करते हुए खुद फरेबी में मुब्तला
ना हो जब लोगों ने सवाल किया कि कल्ब का मुलजी इलाही और लोगों से किनारा कुशी करने
से फरमाया कि तवाजो का मफू यह है कि इंसान अमरा से गुरूर और फुकरा से इज के साथ पेश
आए और जो दुनियावी मराब के ऐतबार से तुमसे बतर हो इसके साथ तकब्बल से पेश आओ और जो
तुम से कमतर हो इससे आजिज इख्तियार करो फरमाया कि जिसकी रजा में खौफ का अंसर ना
हो वह बहुत जल्द खत्म हो जाएगा फरमाया कि जहरी और बात मुराककाबत
से खौफ को दूर करके सुकून अता कर दे जब लोगों ने आपकी मजलिस में गीबत पर बहस की
तो आपने फरमाया अगर इंसान गीबत ही करना चाहे तो पहले अपने वालदैन की गीबत करें
क्योंकि इनके गुनाह इतने ज्यादा हैं कि औलाद की नेकियां इनके आमाल नामे में दर्ज
की जाती हैं किसी ने आपसे अर्ज किया कि मैं ऐसे गुनाह का मुरत हो गया हूं जिसको बेवजह न दमत आपके सामने नहीं बता सकता
लेकिन इसरार के बाद इसने कहा कि मैं जना का इतका कर बैठा हूं आपने फरमाया कि मैं
तो इस ख्याल में था कि शायद तूने गीबत का गुनाह किया है क्योंकि जिना का ताल्लुक तो
खुदा के गुनाह से है जो तौबा के बाद मुफ भी हो सकता है लेकिन गीबत बंदे का गुनाह
है जिसको खुदा माफ नहीं करता आपके यहां कोई मेहमान आ गया और और इस वक्त आपके यहां
कुछ भी मौजूद ना था लेकिन आपने अपनी बीवी से फरमाया कि मेहमान खुदा का भेजा हुआ
होता है लिहाजा मेहमान दारी में किसी किस्म की कोताही ना करना मगर इसने आपके
हुक्म की तामील नहीं की चुनांचे इस हुक्म शरी के मुताबिक जो औरत शौहर का हुकम ना
माने इसको तलाक दे देनी चाहिए आपने भी मेहर अदा करके अपनी बीवी को तलाक दे दी एक
दिन आपकी मजलिस वाज में कोई अमीर जादी शरीक हुई और वाज से इस दर्जा मुतासिर हुई
कि अपने वालदैन से कह दिया कि मेरा निकाह अब्दुल्लाह बिन मुबारक से कर दो और वालदैन
ने भी खुश होकर निकाह करके लड़की आपके हमराह कर दी इसके अलावा 50 हज दीनार भी
लड़की को दिए फिर निकाह के बाद आपने ख्वाब में देखा कि अल्लाह ताला फरमाता है कि तूने हमारी खुशनूर में बीवी को तलाक दे दी
थी लिहाजा हमने इससे बेहतर तुझको दूसरी बीवी अता कर दी कि तू बखूबी अंदाजा कर सके
कि खुदा को खुश करने वाले कभी नुकसान में नहीं रहते मौत से कबल आपने अपना तमाम घर
का सामान फुकरा में तकसीम कर दिया और जब एक इरादत मंद ने सवाल किया कि आपकी तीन
साहिबजादे हैं इनके लिए क्या छोड़ा फरमाया कि इनके लिए खुदा को छोड़ दिया है क्योंकि
जिसका कफील खुदा हो इसको अब्दुल्लाह की क्या हाजत है मौत से पहले आपने आंखें
खोलकर मुस्कुराते हुए फरमाया कि अमल करने वालों को ऐसे ही अमल कर करने चाहिए इसके बाद आपका इंतकाल हो गया और किसी ने हजरत
सुफियान सूरी को ख्वाब में देखकर पूछा कि अल्लाह ताला का आपके साथ कैसा मामला रहा
फरमाया कि इसने मेरी मगफिरत कर दी फिर इसने सवाल किया अब्दुल्लाह बिन मुबारक किस
हाल में है फरमाया कि इनका शुमार तो इस जमात में है जो दिन में दो मर्तबा हजूर
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का शरफ हासिल करती है बाब नंबर
16 हजरत सुफियान सूरी रहमतुल्ला अल के हालातो मुना केब तारुफ आप शरीयत और तरीकत
में कामिल और उलूम रिसालत के वारिस थे जिसकी वजह से आवाम ने आपको अमीरुल मोमिनीन
का खिताब दिया था और उलूम जहरी और बातन पर आपको मुकम्मल दस्तरस हासिल थी बहुत से मश
कीन आपकी सोहबत से फैज याबु ए एक मर्तबा हजरत इब्राहिम ने आपको समात हदीस की दावत
दी और जब आप वहां पहुंच गए तो फरमाया कि मुझको तो सिर्फ आपके अखलाक का इम्तिहान
मकसूद था वरना दरह कीक किसी काम की गर्ज से नहीं बुलाया आप पैदायशी मुत्त की थे
हत्ता कि एक मर्तबा आपकी वालिदा ने आयाम हमल में हमसाया की कोई चीज बिला इजाजत
मुंह पर रख ली तो आपने पेट में तड़पना शुरू कर दिया और जब तक उन्होंने हमसाया से
माजर तलब ना की आपका इस्तरा खत्म ना हुआ आपके तायब होने का वाकया यह है कि आप एक
मर्तबा मस्जिद में दाखिल होते वक्त पहले उल्टा पांव मस्जिद में रख दिया जिसके बाद
ही यह निदा आई कि ऐ सूरी मस्जिद के हक में यह गुस्ताखी अच्छी नहीं बस इसी दिन से
आपका नाम सूरी पड़ गया बहरहाल यह निदा सुनकर खौफ कैसा गलबा हुआ कि गश खाकर गिर
पड़े और होश आने के बाद अपने मुंह पर तमाचे लगाते हुए कहने लगे कि बेअदबी की
ऐसी सजा मिली कि मेरा नाम ही दफ्तर इंसानियत से खारिज कर दिया गया लिहाजा ऐ
नफ्स अब ऐसी बेअदबी की जुरत कभी ना करना एक मर्तबा किसी के खेत में आपका कदम पड़
गया तो फौरन नि दई के ऐ शोर देख भाल कर कदम रख हजरत मुसन्निफ फरमाते हैं कि जिस
पर खुदा का इतना बड़ा कर्म हो कि सिर्फ एक कदम गलत पढ़ने पर तबी फरमाई गई तो इसकी
बातन कैफियत क्या होगी आप फरमाया करते थे कि मैंने हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जिस कदर भी अकवाले सुने इन पर
अमल पैरा रहा और आपका यह मकला था कि मुहसीन को जकात अदा करनी चाहिए यानी 200
अहा दीस में से कम से कम पांच अहा दीस पर अमल करना जरूरी है एक मर्तबा हालत नमाज
में खलीफा वक्त ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेर लिया तो आपने फरमाया कि ऐसी नमाज कतई बे
हकीकत है और कयामत में तेरी नमाज गेंद की तरह तेरे मुंह पर मार दी जाएगी खलीफा ने
झड़ कर कहा कि खामोश रहो आपने फरमाया कि हक गोई में खामोशी कैसी यह सुनते ही खलीफा
ने गजब नाक होकर हुक्म दिया कि इसको फांसी दे दो और दूसरे दिन ठीक फांसी के वक्त आप
एक बुजुर्ग हजरत सुफियान बिन एनिया के जानो पर सर रखे हुए पैर फैलाकर आंखें बंद
किए लेटे हुए थे और लोगों ने कहा कि फांसी का वक्त करीब है तो फरमाया कि मुझे इसका
जरा बराबर खौफ नहीं लेकिन हक गई से कभी बाज ना आऊंगा फिर अल्लाह ताला से अर्ज
किया कि ऐ अल्लाह खलीफा मुझे बेकसूर सजा देना चाहता है इसलिए इसको बदला मिलना
चाहिए इस दुआ के साथ ही एक धमाके के साथ जमीन शक हुई और खलीफा वजरा समेत इसमें धंस
चला गया और जब लोगों ने अर्ज किया कि इतनी जोर असर दुआ हमने कभी नहीं देखी तो फरमाया
कि मेरे इजहार हक की वजह से दुआ जोरदार बन गई फिर जब दूसरा खलीफा पहले खलीफा का कायम
मुकाम हुआ तो आपके अकीदत मंदो में रहा चुनांचे जब आप बीमार हुए तो ब गर्ज इलाज
इसने एक तबीब हाजिक को मुवाल के लिए भेजा लेकिन वह आतिश परस्त था और इसने आपके कारे
की जांच करने के बाद बता या कि इनका जिगर खौफ इलाही से पाश पाश हो चुका है और इसके
रेजे पेशाब में आ रहे हैं फिर आपने उससे कहा कि जिस मजहब में ऐसे-ऐसे अफराद हो वह
मजहब कभी बातिन नहीं हो सकता यह कहकर खुलूस नियत के साथ वह मुसलमान हो गया और
जब यह वाकया खलीफा ने सुना तो कहा कि मैंने तो तबीब को मरीज के पास भेजा था
लेकिन अब महसूस हुआ कि मर्ज तबीब के पास पहुंच गया आप अहदे शबाब ही में कुबड़े हो
गए थे और लोगों को बेहद असरार पर बताया कि मरते दम मेरे उस्ताद ने फरमाया कि मैंने
हिदायत इबादत में 50 साल सर्फ किए लेकिन मुझे यह हुकम मिला कि तू हमारी बारगाह के
काबिल नहीं है और बाज ने इसी वाकया को इस तरह तहरीर किया है कि आपने फरमाया कि मेरे तीन उत जो बहुत ज्यादा आबिद जाहिद थे मौत
से कबल तीनों यहूदी नसरानी और आतिश परस्त हो गए और इस वाकया से मुतासिर होकर मुझ पर
खौफ का ऐसा गलबा हुआ कि मेरी कमर झुक गई और हम वक्त खुदा से सलामती ईमान की दुआ
करता रहता हूं इस्तग किसी ने अशरफियां की दो थैलियां रसाल करते हुए आपकी खिदमत में
यह पैगाम भेजा कि चूंकि आप मेरे वालिद के दोस्त हैं और अब वह फौत हो चुके हैं लेकिन
इनकी पाकीजा कमाई से यह थैलियां साल खिदमत है आप इनको अपने खराज जात के लिए कबूल
फरमाएं लेकिन आपने वह थैलियां वापस करते हुए पैगाम भेजा कि तुम्हारे वालिद से मेरे
ताल्लुकात सिर्फ दीन के लिए थे ना कि दुनिया के लिए इस वाकए की इतल जवाब के
साहिबजादा को हुई तो उन्होंने अर्ज किया कि मैं नादर और अयाल दार हूं अगर तुम यह
रकम मुझे दे देते तो मेरे बहुत काम निकल सकते थे आपने फरमाया कि मैं दीनी ताल्लुकात को दुनियावी मुआवजा में फरोख्त
नहीं करता अलबत्ता अगर वह शख्स खुद तुमको दे दे तो तुम खर्च कर सकते हो आप किसी से
कुछ नहीं लेते थे और एक शख्स ने जब आपकी खिदमत में कोई तोहफा पेश किया तो आपने
कबूल नहीं फरमाया और जब इस शख्स ने अर्ज किया कि आपने तो कभी मुझको कोई नसीहत तक
नहीं की जो यह समझ लिया जाए कि मैं इसका मुआवजा दे रहा हूं आपने फरमाया कि मैंने
तुम्हारे दूसरे मुसलमान भाइयों को तो रास्ता दिखाया है और अगर मैं तुम्हारा तोहफा कबूल कर लूं तो हो सकता है कि मेरे
कल्ब में तुम्हारी रखब पैदा हो जाए और इसी का नाम दुनिया है लिहाजा मैं खुदा के सिवा
किसी और जानिब नहीं होना चाहता आपको एक शख्स के हमराह किसी रईस के महल के नजदीक
से गुजरे तो आपके साथ वाले शख्स ने महल को गौर से देखा आपने इसको मना करते हुए
फरमाया कि दौलतमंद तामीर मकान में बहुत फजूल खर्ची से काम लेते हैं इसलिए इसका
देखने वाला भी गुनाहगार हो जाता है आप अपने एक हमसाया के जनाजा में शरीक हुए तो
इस वक्त तमाम लोग मरहूम की तारीफें कर रहे थे लेकिन आपने फरमाया कि वह तो मुनाफिक था
अगर मुझे पहले से इल्म होता तो मैं जनाजे में कभी शरीक ना होता और इसकी मुनाफिक की
दलील यह है कि अहले दुनिया इसकी तारीफें कर रहे हैं इससे मालूम हुआ कि अहले दुनिया से बहुत गहरा तालुक था और यही चीज इसकी
मुनाफिक पर दलाल करती है एक मर्तबा आपने उल्टा कुर्ता पहन लिया और जब लोगों ने
सीधा करने के लिए कहा तो फरमाया कि मैंने तो खुदा के लिए पहना है फिर मखलूक के कहने से सीधा क्यों करूं एक नौजवान ने हज से
महरूम रह जाने पर सर्द आह खींची तो आपने फरमाया कि मैंने चार हज किए हैं और इनका
अजर मैं इस शर्त पर तुझे देने के लिए तैयार हूं कि तू अपनी आह का अजर मुझे दे
दे चुनांचे जब इसने शर्त मंजूर कर ली तो आपने खंदा पेशानी से अपने तमाम हज्ज का
सवाब इसको मुंत किल कर दिया फिर आपने ख्वाब देखा कि कोई यह कह रहा है कि तुमने एक आह खरीद कर वह नफा हासिल कर लिया है कि
अगर इस नफा को अहले अरफात पर तकसीम किया जाए तो सब मालामाल हो जाएं आप एक हमम में
दाखिल हुए तो देखा कि एक नो उम्र हसीन लड़का वहां मौजूद है आपने लोगों से फरमाया
कि इसको फौरन यहां से निकाल दो क्योंकि औरत के हमराह तोसे सिर्फ एक ही शैतान रहता
है लेकिन नोखे और हसीन लड़के के हमराह 18 शैतान होते हैं ताकि देखने वाले के सामने
लड़के को आरात करके पेश करें खाने के वक्त एक कुत्ता आकर खड़ा हुआ और आपने इसको रोटी
डाल दी जब लोगों ने सवाल किया कि आप बीवी बच्चों के हमरा खाना क्यों नहीं खाते
फरमाया कि वह सब खुदा की इबादत में खारिज हो जाते हैं लेकिन यह कुत्ता मेरी हिफाजत
करता है जिसकी वजह से मैं पुर सुकून होकर यादे इलाही में मशगूल रहता हूं एक मर्तबा
आप गिर अजारी करते हुए हज के सफर पर रवाना हुए इस वक्त लोगों ने समझा कि शायद खौफ
मासि अत से यह हालत है लेकिन आपने फरमाया मैं तो इसलिए रो रहा हूं कि ना जाने मेरे
ईमान में कुछ सदाकत भी है या गुनाह और गुनाहों की फिक्र तो इसलिए नहीं कि रहमत
खुदा वंदी के मुकाबले में गुनाह एक बे हकीकत शे है हका आप फरमाया करते थे क्या आरफीन को
मारफ आबदीन को कुरबत और हुकमार फरमाता है फिर फरमाया कि गिर जारी
की भी 10 किस्में हैं जिनमें नौ हिस्से रया से भरपूर होते हैं और एक हिस्सा खुश
से लबरेज होता है फिर फरमाया कि आमाल नेक करने वालों के आमाल को मलायका अमले नेक के
दफ्तर में दर्ज कर लेते हैं और जब कोई इन आमाल पर करने लगता है तो फिर इन्हे
आमाल को र के दफ्तर में मुंत किल कर देते हैं फिर फरमाया कि लातीन उमरा से मुंस
रहने वाला आबिद भी रिकार होता है जाहिद की शनातन है कि नेक काम अंजाम देकर ना तो इन
पर फख्र करें और ना अपने जहद का ढंडोरा पीटे और जहद का हकीकी मफू यह है कि मोटा
अनाज और बसीद लिबास इस्तेमाल करता है और दुनिया से ना दिल लगाए और ना उम्मीदों में
इजाफा करें फिर फरमाया कि गशा नशीन को आखिरत में निजात मिल जाती है फिर किसी ने
सवाल किया कि गशा नशीन करके गुजरो औकात कैसे करें फरमाया कि खुदा से खौफ जदा रहने
वालों को गुजर बसर का गम नहीं रहता फिर फरमाया कि लोगों की नजरों से पोशीदा रहने
वाला इसलिए बेहतर होता है कि इलाफ का तरीका यही था कि अजमत के बजाय जिल्लत को
पसंद करते थे फिर फरमाया कि अहले दुनिया का सोना बेदारी से इसलिए अफजल है कि वह
नींद की हालत में दुनिया से दूर रहते हैं फिर फरमाया जाहिद की सोहबत इख्तियार करने
वाला बादशाह उस जाहिद से बेहतर है जिसको बादशाह का कुर्ब हासिल हुआ फिर फरमाया कि
मखलूक में पांच किस्म के लोग ज्यादा हर दिल अजीज होते हैं अव्वल जाहिद आलम दोम
फकी सूफी सोम मतवाद तोंगर चरम शाकर दरवेश
पंचम शरीफ सखी फिर फरमाया कि अहले यकीन तकाली को बजा तस्लीम करते हुए कभी ना
शुक्र नहीं करते फिर फरमाया कि हम इन्हीं को महबूब तसव्वुर करते हैं जो जखम
पहुंचाते हैं और हमारी दौलत पर काबिज हो जाते हैं फिर फरमाया कि अगर तुम्हें कोई
अच्छा कहे तो इसको ना गवारी के साथ ठुकरा दो किसी ने यकीन का मफू पूछा तो फरमाया कि
कल्बी आवाज का नाम यकीन है और अहले यकीन मार तक रसाई हासिल कर लेते हैं और यकीन का
यह मफू भी है कि हर मुसीबत को मन जानिबे अल्लाह तसव्वुर किया जाए लोगों ने आपसे सवाल किया कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम ने जो यह फरमाया कि ज्यादा गोश्त खोर को अल्लाह ताला दुश्मन तसव्वुर करता
है आखिर इसमें क्या भेद है आपने जवाब दिया कि यहां गोश्त से मुराद गीबत है क्योंकि
मुसलमान की गीबत करना ऐसा ही है जैसे किसी ने मुर्दार का गोश्त खा लिया और अहले गीबत
को अल्लाह ताला दुश्मन तसव्वुर करता है आपने हजरत हातिम से फरमाया कि मैं तुम्हें इन चार चीजों से आगाह करता हूं जिनको आवाम
ने बर बनाए गफलत फरामोश कर दिया है अव्वल यह कि लोगों पर तोहमत लगाकर इनको बुरा भला
कहना अकाम खुदा वंदी से गाफिल बना देता है दोम किसी मोमिन के अरूज पर हसद करना ना
शुक्र का पेश खेमा है सोम नाजायज दौलत जमा करने से इंसान आखिरत को भूल जाता है चरम
खुदा ताला की वद पर खौफ जदा ना होने और इन वादों पर इजहार मायूसी करने से कुफ्र आयद
हो जाता है और यह सब चीजें निहायत बुरी हैं जब आपका कोई इरादत मंद सफर का कसत
करता तो आप फरमाते कि अगर कहीं राह में मौत नजर पड़े तो मेरे लिए लेते आना और
मरते दम रोकर फरमाया कि मैं मौत का बहुत ख्वाहिश मंद रहता था लेकिन आज मालूम हुआ
कि मौत लाठी टेक कर दुनिया में सफर करने से कहीं ज्यादा दुश्वार है यानी खुदा के
रूबरू पेश होना आसान काम नहीं और मौत का जिक्र सुनकर खौफ के मारे बेहोश हो जाया
करते थे और लोगों को नसीहत फरमाते कि मौत से पहले इसका सामान मुहैया कर लो और जब
मौत के वक्त लोगों ने अर्ज किया कि आपको जन्नत मुबारिक हो तो फरमाया कि अहले जन्नत
तो दूसरे लोग हैं हमारी वहां तक रसाई कहां हो सकती है जिस वक्त बसरा में आप बीमार
पड़े तो हाकिम बसरा ने आपको तलाश करने का हुक्म दिया और जब लोग तलाश करते हुए
पहुंचे तो आपको मवेशियों के बांधने की जगह पाया और इस व वक्त आप दर्दे शिकम और पेचिश
की वजह से अस्तरा में थे लेकिन ऐसी हालत में जिक्र इलाही से एक लम्हा के लिए भी
गाफिल नहीं हुए और इसी शब लोगों ने देखा कि आप रात भर में 60 मर्तबा पाखा नहीं गए
और हर मर्तबा वजू करके नमाज में मशगूल हो जाते और जब लोगों ने अर्ज किया कि ऐसी
हालत में आप बार-बार वजू ना करें तो फरमाया कि मैं इसलिए
बावजूद के सामने नजिस हालत में ना पहुंचो हजरत अब्दुल्लाह मेहंदी बयान करते हैं कि
मैं मौत के वक्त आपके पास ही था और आपने फरमाया कि मेरा चेहरा जमीन पर रख दो
क्योंकि अब वक्त बिल्कुल करीब है चुनांचे मैं हुक्म की तामील करके लोगों को इत्तला
देने के गर्ज से बाहर निकला और बाहर निकल कर देखा कि एक जमे गफीर है और जब मैंने इन
लोगों से पूछा कि तुमको आपकी नाजुक हालत का इल्म कैसे हुआ तो उन लोगों ने कहा कि
हमें ख्वाब में यह हुक्म दिया गया है कि सुफियान सूरी रहमतुल्लाह अलह की मयत पर पहुंच जाओ चुनांचे जिस वक्त लोग अंदर
दाखिल हुए तो आपकी हालत बहुत नाजुक हो चुकी थी और आपने तकिया के नीचे से 1000
थैली निकालकर फरमाया कि इसको फुकरा में तकसीम कर दो इस वक्त लोगों के कल्ब में यह
वस्व पैदा हुआ कि आप दूसरों को तो दौलत जमा करने से मना करते रहे और खुद 1000
दीनार जमा कर लिए लेकिन जब आपने लोगों की नियत का अंदाजा करते हुए फरमाया कि इन
दीनार से मैंने ईमान का तहफ्फुज किया है क्योंकि जब इब्लीस मुझसे यह पूछता था कि
अब तुम कहां से खाओगे तो मैं जवाब देता था कि मेरे पास यह दीनार मौजूद हैं और जब यह
सवाल करता कि तुम्हें कफन कहां से नसीब होगा इस वक्त भी मैं यही जवाब देता
हालांकि मुझे इन नारों की कतई जरूरत ना थी मगर वसवसे शैतानी के लिए जमा कर लिए थे यह
फरमा करर कलमा पढ़ा और दुनिया से रुखसत हो गए बुखारा में एक शख्स फौत हो गया जिसका
विरसा शरी तबार से आपको पहुंचता था चुनांचे काजी ने माले विरासत को अमानत जमा
करके आपको इत्तला बिजवा दी इस वक्त आपकी उम्र 18 साल थी और जब आप बुखारा पहुंचे तो
बस्ती के करीब लोगों ने इस्तकबाल करके अमानत आपके सपूर्ण कर दी और वही रकम आपके
पास जमा थी जिसको मरते वक्त सदका कर दिया और यह भी मशहूर है कि जिस रात आप फौत हुए
तो लोगों ने गैब से निदा सुनी कि आज तक मर गया किसी ने ख्वाब में देखकर आपसे पूछा कि
कब्र की दहशत और तन्हाई में आपने सब्र कैसे किया फरमाया कि मेरे मजार को अल्लाह
ने जन्नत के बागों में मुंत किल कर दिया फिर किसी और ने ख्वाब में देखा कि आप
जन्नत में एक दरख्त से दूसरे दरख्त पर परवाज कर रहे हैं और जब इसने पूछा कि यह
मर्तबा आपको कैसे हासिल हुआ फरमाया कि जहद तकवा से आप अवाम से बहुत शफकत के साथ पेश
आते थे चुनांचे एक मर्तबा एक परिंदा कफ्स में मुस्तरबत तो आपने इसको आजाद कर दिया
और वही परिंदा आपके यहां पहुंचकर आपकी इबादत को देखता रहता था आपकी वफात के बाद
जनाजे पर कभी रोता हुआ गुजर जाता और कभी जनाजे पर लौटता और तड़पता था और जब आप दफन
हो चुके तो परिंदा अक्सर आपके मजार पर रोता रहता हत्ता कि एक दिन कब्र में से
आवाज आई कि मखलूक से शफकत की वजह से खुदा ने इनकी मगफिरत फरमा दी
बाब नंबर 17 हजरत अबू अली शफीक बलखी रहमतुल्लाह अलह के हालातो मुना किब आपका
इसम गिरामी शफीक और कुनियत अबू अली है आप मुमताज जमाना मशक मुत्त कीन में से हुए
हैं और जयद आलिम मुसन्निफ होने के साथ-साथ पूरी जिंदगी तवल में गुजार दी चुनांचे
आपकी बहुत सी तसा निफ है और हजरत तम अम जैसे बुजुर्ग आपके तला मिजा में से हुए
हैं लेकिन आपने तरीकत की मंजिलें हजरत इब्राहीम बिन अदह की सोहबत में तय की और
कसीर मशक से शरफे नियाज हासिल रहा हालातो हका आप फरमाया करते थे कि मैंने
1700 उजा से शरीयत और तरीकत के उलूम से इस्तफा किया लेकिन नतीजा में पता चला कि
खुदा की रजा सिर्फ चार चीजों पर मुनसर है अव्वल रोजी की जानिब से सुकून हासिल रहना
दोम खुलूस से पेश आना सोम इब्लीस को दुश्मन तसव्वुर करना चरम तोशा आखिरत जमा
करना और इन्हीं चार चीजों के मुतालिक अल्लाह ताला ने भी इरशाद फरमाया है आप एक
खास वाकए से मुतासिर होकर तायब हुए और व यह कि जब आप बगर ज तिजारत तुर्की पहुंचे
तो वहां का एक मशहूर बुत कदा देखने पहुंच गए और वहां एक पुजारी से फरमाया कि तुझे
कादिर जिंदा खुदा को नजरअंदाज करके एक बेजान बुत की पूजा करते हुए नदा मत नहीं
होती उसने जवाब दिया कि आप जो हसूल रिस्क के लिए दुनिया भर में तिजारत करते फिरते
हैं इससे नदा मत नहीं होती और क्या आपका खालिक घर बैठे रिज्क पहुंचाने पर कादर
नहीं है यह सुनकर उसी वक्त वतन वापस लौटे तो रास्ता में किसी ने पेशा दरयाफ्त किया
तो आपने फरमाया कि मैं तिजारत करता हूं उसने ताना दिया कि आपके मुकद्दर का जो कुछ है वह तो घर बैठे भी मुय सिर आ सकता है
लेकिन मैं यह समझ ता हूं कि शायद आप खुदा पर शाकिर नहीं हैं इस वाकए से आप और ज्यादा मुतासिर हुए और जब घर पहुंचे तो
मालूम हुआ कि शहर के एक सरदार का कुत्ता गुम हो गया है और शुबह में आपके हमसाया को
गिरफ्तार कर लिया गया है चुनांचे आपने सरदार को यह यकीन दिलाकर कि तुम्हारा
कुत्ता तीन यम के अंदर मिल जाएगा अपने हमसाय को रिहा करवाया और जिसने कुत्ता चोरी किया था वह तीसरे दिन आपके पास पहुंच
गया और आपने सरदार के यहां कुत्ता बिजवा करर दुनिया से किनारा कुशी इख्तियार कर ली
एक मर्तबा बल में कहत चाली हो गई और आपने बाजार में एक गुलाम को बहुत खुश देखकर
पूछा कि लोग तो कहत से बर्बाद हो गए हैं और तू इस कदर खुश नजर आ रहा है उसने जवाब
दिया कि मेरे आका के यहां बहुत गल्ला मौजूद है और वह मुझे कभी भूखा ना रखेगा
आपने अल्लाह ताला से अर्ज किया कि अल्लाह जब एक गुलाम को अपने आका पर इस कदर एतमाद है तो तेरी जात पर मैं क्यों ना एतमाद
करूं जबकि तू मालिक उल मुल्क है बस इसके बाद आपने ने सख्ती के साथ दुनिया से
किनारा कुश इख्तियार कर ली हत्ता कि आपका तवक मेराज कमाल तक पहुंचा और आप अक्सर
फरमाया करते थे कि मेरा उस्ताद तो एक गुलाम है हजरत हातिम इसम बयान किया करते
थे कि एक मर्तबा मैं आपके हमराह शरीके जिहाद था और जंग पूरी कुवत से जारी थी
लेकिन आप अपनी गदरी ओड़कर दोनों फौजियों के दरमियान सो गए मगर आपको किसी किस्म का
गजंद नहीं पहुंचा आप एक मर्तबा अपनी एक मजलिस में फूलों की ु खुशबू से महसूस हो
रहे थे कि यकायक शोर बुलंद हुआ कि कुफर की फौज आ पहुंची है लेकिन आपने कुवत बातन के
जरिया इन्हें शिकस्त दे दी इसी वक्त किसी अहमक ने यह कह दिया कि हैरत अंगेज है यह
बात कि कुफा की फौज इतनी करीब पहुंच गई और मुसलमान का अमीर फूल सूंघता रहा आपने
फरमाया कि मो तरज ने फूल सूंघना तो देख लिया लेकिन कुफर को जो शिकस्त गैबी हुई वह
नजर नहीं आई एक मर्तबा समरकंद में दौरान वाज लोगों से खास तौर पर मतवल कर फरमाया
कि अगर तुम मुर्दा हो तो कब्रिस्तान पहुंच जाओ और अगर दीवाने हो तो पागलखाने चले जाओ
और अगर काफिर हो तो दारुल हर्ब में कयाम करो और अगर मोमिन हो तो राहे रास्त
इख्तियार करो किसी रईस ने अर्ज किया कि मेहनत और मजदूरी करने की वजह से लोग आपको
कमतर तसव्वुर करते हैं लिहाजा अपने खराज जात के लिए कुछ रकम मुझसे ले लिया कीजिए
आपने फरमाया कि अगर पांच चीजों का खौफ ना होता तो शायद मैं तेरी दरख्वास्त पर गौर करता अव्वल यह कि मुझे देने से तेरी दौलत
में कमी वाके होगी दोम मेरे पास से रकम चोरी हो जाने का भी खतरा है सोम यह कि
मुमकिन है तुझे मेरे ऊपर रकम खर्च करने का गम पैदा हो जाए चहारूम यह कि मुमकिन है
मेरे अंदर कोई ऐब पैदा हो जाए ऐब पैदा हो जाने की वजह से तो अपनी रकम की वापसी का
मुतालबा करने लगे पंचम यह कि तेरी मौत के बाद मैं फिर बेकारी रह जाऊं असली जाद राह
किसी ने आपसे अपने अजम हज का तजक किया तो आपने पूछा कि तुम्हा साथ जादे सफर के तौर
पर क्या चीज है इसने अर्ज किया कि मेरे हमराह चार चीजें हैं अव्वल यह कि मैं अपनी
पूरी रोजी को दूसरों की निस्बत से ज्यादा करीब पाता हूं दोम इसका यकीन रखता हूं कि
मेरे रिजक में कोई हिस्सेदार नहीं बन सकता सोम यह के खुदा हर जगह मौजूद है चहारूम यह
कि अल्लाह मेरी नेको बद हालत से बखूबी वाकिफ है यह सुनकर आपने फरमाया कि इससे
ज्यादा बेहतर और कोई जाद सफर नहीं हो सकता और अल्लाह ताला तेरा हज कबूल फरमाए नसायन
हजज के दौरान जब आप बगदाद पहुंचे तो खलीफा हारून रशीद आपको मदु करके बहुत एहतराम के
साथ पेश आया और आपसे कुछ नसीहत करने की इस्तता की आपने फरमाया कि यह अच्छी तरह
समझ लो कि तुम खुलफा ए राशिद के नायब हो और खुदा ताला तुमसे इल्म हया और सिद को
अदल की बाज पुस करेगा और खुदा ने तुम्हें शमशीर ताज जियाना और दौलत इसलिए अता किए
कि अहले हाजत में दौलत तकसीम करो और ताजि आने से शरीयत पर पर अमल पैरा होने वालों
को सजा दो और शमशीर से खून करने वालों का खून बहा दो और अगर इसने इस पर अमल ना किया
तो रोज महशर तुम्हें अहले जहन्नुम का सरदार बना दिया जाएगा और तुम्हारी मिसाल दरिया जैसी है और अमल हुकाम इससे निकलने
वाली नहरें हैं लिहाजा तुम्हारा फर्ज है कि इस तरह आदिला हुकूमत करो कि इसका पुर तो आमाल हुकाम पर भी पड़े क्योंकि नहरें
दरिया के ताबे हुआ करती हैं और फिर आपने सवाल किया कि अगर रेगिस्तान में तुम पया
से तड़प रहे हो और कोई शख्स निस्फ हुकूमत के मुआवजा में तुम्हें एक गिलास पानी देना
चाहे तो क्या तुम इसे कबूल करोगे हारून रशीद ने जवाब दिया कि यकीनन कबूल कर लूंगा
फिर आपने पूछा कि अगर इस पानी के इस्तेमाल से तुम्हारा पेशाब बंद हो जाए और शदीद तकलीफ में कोई तबीब इलाज के मुआवजा में
बकिया निस्फ सल्तनत तलब करे तब तुम क्या करोगे हारून रशीद ने जवाब दिया कि निस्फ
सल्तनत इसके हवाले कर दूंगा यह सुनकर आपने फरमाया कि वह सल्तनत बायस इफ्तेखार नहीं
हो हो सकती जो सिर्फ एक घूंट पर फरोख्त हो सके इस जवाब के बाद हारून रशीद बहुत देर
तक रोता रहा और ब सद एहतराम आपको रुखसत किया और जब आप मक्का मुजमा पहुंचे तो यह
ख्याल पैदा हो गया कि खाना खुदा में तलाश रिस्क मुनासिब नहीं और जब वहां हजरत इब्राहिम बिन उधम से मुलाकात हुई तो इनसे
सवाल किया कि आपने हसूल रिस्क के लिए क्या जरिया इख्तियार किया उन्होंने जवाब दिया अगर कुछ मिल जाता है तो शुक्र करता हूं और
अगर नहीं मिलता तो सब्र से काम लेता हूं आपने फरमाया कि यह हाल तो कु का भी है और
जब हजरत इब्राहीम बिन उदम ने आपसे हसूल मुश के मुतालिक पूछा तो फरमाया कि अगर कुछ
मिल जाता है तो खैरात कर देता हूं और नहीं मिलता तो शुक्र से काम लेता हूं यह सुनकर
हजरत इब्राहिम बिन उदम ने कहा कि वाकई आप अजीम बुजुर्ग हैं फिर हज के बाद बगदाद
वापस आ गए और वहीं वाज गोई को
मशगूल मेरे पास चांदी थी और आज तक इसी तरह मेरी
जेब में पड़ी है इस पर किसी ने ऐतराज किया कि जिस वक्त आपने चांदी जेब में रखी तो
क्या इस वक्त खुदा पर एतमाद नहीं था या इसका वजूद नहीं था यह सुनकर आप खामोशी के
साथ मेंबर से नीचे आ गए मुतली आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा मैंने ख्वाब में
किसी को यह कहते सुना कि मुत वकन का रिजक को खुश खलकी में ज्यादती होती रहती है और
वह फराक दिल होते हैं और इबादत के वक्त इनके कुलूब वसवसे से पाक रहते हैं फिर
फरमाया कि इबादत की बुनियाद बैम और रजा और खब्बे इलाही पर कायम है और खौफ की निशानी
मोहर मात को तर्क कर देना है और उम्मीद की निशानी इबादत पर मदावन इख्तियार करना है
जोर मोहब्बत की निशानी शौक और तौबा अजुए अला अल्लाह हो जाना है और जिसके अंदर खौफ
और इस्तरा ना हो वह जहन्नुम है फिर फरमाया कि तीन चीजें इंसान के लिए मोहल हैं अव्वल
तौबा की उम्मीद पर मासि अत का इरत काब दोम जिंदगी की उम्मीद पर तौबा ना करना सौम
रहमत से मायूस होना फिर फरमाया कि अल्लाह ताला ब दीनो अहले रियाजत को मरने के बाद
जिंदा करता है और माशियत कारों को जिंदगी ही में मुर्दा बना देता है फिर फरमाया
फिक्र से तीन चीजें हासिल होती हैं जिस्मानी गम मशगूल हिसाब फिर फरमाया कि मौत आकर वापस
नहीं होती लिहाजा हर लम्हा इसके लिए कमर बस्ता रहो फिर फरमाया कि मेरे नजदीक
मेहमान हर शय से ज्यादा अजीज है क्योंकि मेहमान नवाजी का सिला खुदा ही जानता है
फिर फरमाया कि जो शख्स हसूल नेमत के लिए दुश्वार इख्तियार करके दुश्वार को फरा
तसव्वुर ना करें वह हमेशा गम दो जहां में मुब्तला रहता है और जिसने इसको फराही समझ
लिया वह दोनों जहानों में खुश रहता है रमजो इशारा जब लोगों ने आपसे सवाल किया कि
खुदा पर कामिल एतमाद करने वाला कौन होता है फरमाया जो दुनियावी शय के फौत हो जाने
को गनीमत तसव्वुर करें और जो खुदा के वादों को इंसानों के वादों से ज्यादा
इत्मीनान बख समझे फिर फरमाया कि तीन चीजें तकवा की पहचान है फर्स तादम मनक दन सुखन
गुफ्तगू यह है कि तुम खुदा के फरिश्ता आदा हो लिहाजा इसी किस्म के अमूर अंजाम दो और
मना कर्दन का मफू यह है कि किसी से कुछ तलब ना करो और सुखन
गुफ्तगू सूद मंद हो और दूसरा मफू इस जुमला का यह है कि तुमने जिस कदर नेक काम अंजाम
दिए वह दीन की भलाई के लिए हैं और जिन कामों से किनारा कुशी इख्तियार की वो दुनियावी भलाई के लिए हैं क्योंकि एक
इंसान अपनी जुबान से दीन और दुनिया दोनों की बातें कर सकता है फिर फरमाया कि मैंने
मुता दद उलमा से सवाल किया कि दानिश्वर और दौलतमंद बखिल दाना दरवेश का क्या मफू है
और सबने यही जवाब दिया कि दानिश्वर वो है जो मोहिब बे दुनिया से एतराज करे दौलतमंद
वह है जो कजा कुदरत पर मुतमइन रहे दाना वह है जो फरेब दुनिया में मुब्तला ना हो सके
दरवेश वह है जो ज्यादा तल्प ना करें और बखी वह है जो दौलत को मखलूक से ज्यादा
अजीज तसव्वुर करते हुए किसी को एक दाना ना दे हजरत हातिम एस्म ने आपसे नफा बख्श
नसीहत करने की दरख्वास्त की तो फरमाया कि आम वसीयत तो यह है कि अपने कौल का माकूल
जवाब सोचे बगैर कोई बात मुंह से ना निकाली जाए और खास वसीयत यह है कि जब तक तुम्हारे
अंदर बात ना कहने की ताकत मौजूद है खामोशी इख्तियार
करो बाब नंबर 18 हजरत इमाम अबू हनीफा रहमतुल्लाह अल के हालात मुना किब तारुफ
आपका इसम गरामीण वालिद का नाम साबित और आपकी कुनियत अबू हनीफा है और आप इल्म
शरीयत के मेहरो मह बनकर आसमानी तरीकत पर रोशन हुए और आप ना सिर्फ रमजो हकीकत से
आगाह थे बल्कि द कीक से दखक मसाइल उलूम के मानी और मुतालिब वाज कर देने में मुकम्मल
दर्क रखते थे और आपकी अजमत और जलालत की यह दलील है कि गैर मुस्लिम भी आपकी तारीफ और
एहतराम करते थे और आपकी इबादत और रियाजत का सही इल्म तो खुदा ही को है आपको
बड़े-बड़े जलील उल कदर सहाबा से शरफे नयाज हासिल रहा और हजरत फुजैल हजरत इब्राहिम
बिन अदह हजरत बशर हाफी वगैरह हस्तियां आपके तला मिजा में शामिल रही सबक जवाब
आपकी कुनियत का अजीबोगरीब वाकया यह है कि एक मर्तबा कुछ औरतों ने सवाल किया कि जब
मर्द को चार निकाह करने की इजाजत है तो फिर औरत को कम से कम दो शौहर रखने की इजाजत क्यों नहीं आपने कहा कि इसका जवाब
किसी और वक्त दूंगा और इस उलझन में घर के अंदर तशरीफ ले गए और जब आपकी साहिबजादे
हनीफा ने उलझन की वजह पूछी तो आपने औरतों का सवाल पेश करके फरमाया कि इसका जवाब
देने से कासिर हूं और मेरी उलझन का यही सबब है यह सुनकर साहिबजादे ने अर्ज किया
कि अगर आप अपने नाम के हमराह मेरे नाम को भी शोहरत देने का वादा करें तो मैं इन औरतों का जवाब दे सकती हूं और जब आपने
वादा कर लिया तो साहिबजादे ने अर्ज किया कि इन औरतों को मेरे पास भिजवा दीजिए चुनांचे जब वह औरतें आ गई तो साहिबजादे ने
एक प्याली हर औरत के हाथ में देकर कहा अपनी-अपनी प्याली में तुम सब थोड़ा-थोड़ा सा अपना दूध डाल दो इसके बाद एक बड़ा
प्याला इनको देकर कहा कि इन सब प्यालो का दूध इसमें डाल दो और जब औरत ने ये अमल
किया तो आपने फरमाया कि अब तुम सब इसमें से अपना-अपना दूध निकाल लो लेकिन औरतों ने
अर्ज किया कि यह तो नामुमकिन है साहिब जादी ने अर्ज किया कि जब दो शौहर की शिरकत में तुम्हारी औलाद होगी तो तुम यह क्यों
कर बता सकोगी कि यह औलाद किस शौहर की है और इस जवाब से व औरतें शश दरा रह गई और
इमाम साहिब ने इसी दिन से अबू हनीफा की कुनियत इख्तियार कर ली और अल्लाह ताला ने
भी नाम से ज्यादा कुनियत को शोहरत अता की जिस वक्त मदीना मुनव्वरा में हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के रोजा 10 पर यह कहकर सलाम पेश किया कि अस्सलाम वालेकुम या
सदल मुरसलीन तो जवाब मिला वा अलेकुम अस्सलाम या इमाम उल मुस्लिमीन बताइए यह
शर्फ आप जैसे खुशब तों के सिवा किसको नसीब हो सकता है सच्चा ख्वाब जब आप दुनिया से
किनार कुश होकर इबादत और रियाजत में मशगूल हो गए तो एक रात ख्वाब में देखा कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की हड्डियों
को मजार अकदर से निकलकर अलहदा अलहदा कर रहा हूं और जब दहशत जदा होकर आप आप ख्वाब
से बेदार हुए तो इमाम इब्ने सीरन से ताबीरे ख्वाब दरयाफ्त की उन्होंने कहा कि
बहुत मुबारिक ख्वाब है और आपको सुन्नते नबवी के परखने में वह मर्तबा अता किया
जाएगा कि अहा दीस सहीह को मौजू हदीस से जुदा करने की शिनाख्त हो जाएगी इसके बाद
जब दोबारा ख्वाब में हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत से मुशरफ हुए तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया
कि ऐ अबू अल्लाह ताला ने तेरी तखक मेरी सुन्नत के अजहार के लिए फरमाई है लिहाजा
दुनिया से किनारा कश मत हो तकवा आप बहुत ही मोहता किस्म के लोगों में से थे
चुनांचे एक मर्तबा खलीफा वक्त ने तमाम उलमा से एक अहदनामा तहरीर कराकर काज वक्त
इमाम शबी के पास दस्तखत के लिए भिजवाया इसलिए कि आप जफी की वजह से इजतिमा उलमा
में शरीक नहीं थे चुनांचे आपने अपनी मोहर सब्द करके दस्तखत फरमा दिए लेकिन जब यह
अहदनामा हजरत इमाम अबू हनीफा की खिदमत में पहुंचा तो फरमाया कि अमीरुल मोमिनीन बज
खुद यहां मौजूद नहीं है लिहाजा या तो वह अपनी जुबान से हुक्म दें या मैं खुद वहां
चलूं जब ही दस्तखत कर सकता हूं जब खलीफा के पास यह पैगाम पहुंचा तो इसने इमाम शबी
से दरयाफ्त करवाया कि क्या गवाही के लिए दीदार भी शर्त है उन्होंने फरमाया कि
यकीनन दीदार शर्त है खलीफा ने पूछा कि फिर आपने बगैर देखे हुए दस्तखत कैसे कर दिए
उन्होंने कहा कि चूंकि मुझे यकीन कामिल था कि आप ही का हुक्म है इसलिए दस्तखत कर दिए
खलीफा ने कहा कि कजा के ओहदे पर पर फायज होकर आपने खिलाफ शरा काम किया इसलिए मैं
चाहता हूं कि इस ओहदे पर किसी और का तकर कर दूं चुनांचे खलीफा के मुशीर ने इमाम
अबू हनीफा हजरत सुफियान हजरत शरीफ और हजरत मशर के नाम काज के ओहदे के लिए पेश किए और
जब तलबी पर चारों हजरात दरबार की तरफ चले तो हजरत इमाम अबू हनीफा ने फरमाया कि मैं किसी बहाने से यह ओहदा कबूल नहीं करूंगा
और सुफियान तुम फरार हो जाओ और मशर तुम पागल बन जाओ इसी तरह शरीफ को इसके ओहदे के
लिए मुंतखाब कर लिया जाएगा चुनांचे हजरत सुफियान रजि अल्लाह अन्हो तो रास्ता ही से फरार हो गए और जब यह तीनों दाखिले दरबार
हुए तो खलीफा ने इमाम अबू हनीफा को ओहदा कबूल करने का हुक्म दिया लेकिन आपने यह
कहकर इंकार कर दिया कि मैं अरबल नस्ल नहीं हूं इसलिए सरदारा अरब मेरे फतवा को गैर
मसनद तसव्वुर करेंगे लेकिन इस वक्त जाफर भी दरबार में मौजूद थे उन्होंने कहा कि
काज के लिए नस्की जरूरत नहीं बल्कि इल्म की जरूरत है आपने फरमाया कि यह सही हैले
लेकिन मैं अपने अंदर इस ओहदे की सलाहियत नहीं पाता खलीफा ने कहा कि आप झूठे हैं आपने फरमाया कि अगर मैं झूठा हूं तो फिर
एक झूठे को यह ओहदा तफजूल सच्चा है तो जिसमें काजी होने की
सलाहियत ना हो वह खलीफा का नाइब काजी कैसे हो सकता है इसके बाद खलीफा ने हजरत मशर को
ओहदा कबूल करने को कहा लेकिन वह पागल बन गए दौड़कर खलीफा का हाथ पकड़ा और बीवी
बच्चों की खैरियत मालूम करने लगे चुनांचे खलीफा ने दीवाना समझकर इनको भी छोड़ दिया लेकिन जब हजरत हजरत शरी से इसरार किया तो
उन्होंने यह ओहदा कबूल कर लिया लेकिन इमाम अबू हनीफा ने तमाम उम्र इनसे मुलाकात नहीं
की बसीरत कुछ बच्चे गेंद से खेल रहे थे और गेंद इत्तफाक से इमाम अबू हनीफा की मजलिस
में आप ही के सामने आ ग और बच्चों में से खौफ के मारे किसी में हिम्मत ना हुई कि
आपके सामने से गेंद उठा ले लेकिन एक लड़के ने भागकर आपके सामने से जब गेंद उठाई तो
आपने फरमाया यह लड़का है क्योंकि इसमें हया का मादा नहीं है और जब मालूमात
की गई तो पता चला कि वाकई वह लड़का है एक शख्स आपका कर्जदार था और इसके इलाका
में मौत वाके हो गई और जब इमाम हनीफा रहमतुल्लाह अल नमाज जनाजा के लिए वहां
पहुंचे तो हर तरफ धूप फैली हुई थी और मौसम भी बहुत गर्म था लेकिन आपके मकरूज की
दीवार के पास कुछ साया था चुनांचे जब लोगों ने कहा कि आप यहां तशरीफ ले आए तो आपने फरमाया कि साहिबे खाना मेरा मकरूज है
इस इसलिए इसके मकान के साया से इस्तफा करना मेरे लिए जायज नहीं क्योंकि हदीस में
है कि कर्ज की वजह से जो नफा भी हासिल हो वो सूद है किसी मजूस ने आपको गिरफ्तार कर
लिया और इन्हीं में से किसी जाबिर और जालिम मजूस ने आपसे कहा कि मेरा कल्म बना
दीजिए आपने फरमाया कि मैं हरगिज नहीं बना सकता और जब इसने कलम ना बनाने की वजह पूछी
तो फरमाया कि अल्लाह ताला का इरशाद है कि महशर में फरिश्तों से कहा जाएगा कि
जालिमों को इनके मावनी के हमराह उठाओ लिहाजा मैं एक जालिम का माविन नहीं बन सकता इबादत आप 300 नफल हर शब में पढ़ा
करते थे एक दिन रास्ता में किसी औरत ने दूसरी औरत को इशारा से बताया कि यह शख्स
रात में 500 नफल पढ़ता है और आपने इनकी गुफ्तगू सुन ली फिर उसी रात से 500 नफल
पढ़ना शुरू कर दिए फिर एक दिन रास्ता में किसी ने कह दिया कि यह 1000 नफल रात में
पढ़ते हैं चुनांचे इसी रात से आपने 1000 नफल को मामूल बना लिया फिर आपके किसी
शागिर्द ने अर्ज किया कि लोग यह समझते हैं कि आप रात भर बेदार रहते हैं आपने फरमाया
कि आज से यकीनन पूरी रात बेदार रहा करूंगा और जब शागिर्द ने वजह पूछी तो फरमाया कि
अल्लाह ताला का यह इरशाद है कि बंदे अपनी इस तारीफ को पसंद करते हैं जो इनमें नहीं
है और मैं ऐसे ग्रह में शामिल होना नहीं चाहता और असदन से आपने मुकम्मल 20 साल तक
इशा के वजू से सुबह की नमाज पढ़ी और तवील सजदों की वजह से आपके गुटों में ऊंट के
गुटों जैसे ग े पड़ गए थे हजरत दाऊद ताई कहते हैं कि मैंने 20 साल तक कभी आपको
तन्हाई या मजमा में नंगे सर और टांगे फैलाए नहीं देखा और जब मैंने अर्ज किया कि
तन्हाई में कभी तो टांगे सीधी कर लिया कीजिए तो फरमाया कि मजमा में तो बंदों का एहतराम करूं और तन्हाई में खुदा का एहतराम
खत्म कर दूं यह मेरे लिए मुमकिन नहीं इशारा एक रईस हजरत उस्मान गनी रजि अल्लाह
ताला अन्हो के साथ कल्बी अनाद रखता था और नाज बिल्लाह इनको य यहूदी कहा करता था
चुनांचे एक मर्तबा आपने इससे फरमाया कि मैं एक यहूदी के साथ तेरी लड़की की शादी
करना चाहता हूं इसने गुस्सा से कहा कि आप अमीरुल मोमिनीन होकर ऐसी बातें करते हैं मैं तो ऐसी शादी को कतन हराम तसव्वुर करता
हूं आपने फरमाया कि तेरे हराम करने से क्या फर्क पड़ता है जबकि हजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी दो साहिबजादे निकाह में दे दी वह आपका इशारा
समझ गया और तौबा करके अपने बुरे ख्यालात से बाज आ गया एक मर्तबा आप हमाम खाना में
तशरीफ ले गए तो वहां एक बरना शख्स आ गया और कुछ लोगों ने इसको फास और कुछ ने
मलहिया इसको देखते ही इमाम साहिब ने आंखें बंद कर ली और जब इस शख्स ने पूछा कि आपकी
रोशनी कब सलब कर ली गई फरमाया कि जब से तेरा पर्दा सलब किया गया फिर आपने फरमाया
कि जब कोई कदयाल वाले से मुबा हसा करता है तो दो बातें होती हैं या तो काफिर हो जाता
है या मजहब से मुन हरि फिर फरमाया कि मैं बखी की शहादत इसलिए कबूल नहीं नहीं करता
कि इसका बख हमेशा अपने हक से ज्यादा का तालिब रहता है कुछ लोग तामीर मस्जिद के सिलसिला में बरकत के ख्याल से इमाम साहिब
से भी चंदा लेने पहुंच गए लेकिन यह बात आपको नागवार सी गुजरी और शदीद इसरार पर
आपने बादल नख्वा स्ता एक दिरहम दे दिया और जब आपके शागिर्द ने सवाल किया कि आप तो
बहुत ज्यादा सखावत से काम लेते हैं फिर यह एक दिरहम आपके लिए क्यों बार हो गया
फरमाया कि कस्बे हलाल मट्टी और पानी में नहीं मिल सकती इसलिए एक दिरहम की वजह से मुझे अपने माल पर शक हो गया लेकिन कुछ
दिनों के बाद लोगों ने दिरहम वापस करते हुए कहा कि यह खोटा है आप दिरहम लेकर बहुत
मसरूर हुए फतवा और तकवा एक मर्तबा बाजार जा रहे थे कि गर्द गुबार के कुछ जर्रा
आपके कपड़ों पर आ गए तो आपने दरिया पर जाकर कपड़े को खूब अच्छी तरह धोकर पाक
किया और जब लोगों ने पूछा कि आपके नजदीक तो इतनी नजासत जायज है फिर आपने कपड़ा
क्यों पा किया फरमाया कि वह फतवा है और यह तकवा मनकुल है कि जब हजरत दाऊद ताइक को
लोगों ने अपना रहनुमा तस्लीम कर लिया तो इमाम साहिब ने पूछा कि अब मुझको क्या करना
चाहिए उन्होंने फरमाया कि तुम अपने इल्म पर अमल पैरा रहो क्योंकि इल्म बिला अमल
ऐसा है जैसे जिस्म बगैर रूह के इल्म ताबीर खलीफा वक्त ने मुल्क उल मौत को ख्वाब में
देखकर पूछा कि अब मेरी जिंदगी कितनी रह गई है तो हजरत इजराइल ने पांचों उंगलियां उठा
दी और जब तमाम लोग इसकी ताबीर बताने से कासिर है तो खलीफा ने इमाम साहिब से ताबीर
पूछी आपने फरमाया कि पांच उंगलियों से इन पांच चीजों की जानिब इशारा है जिनका इल्म
खुदा के सिवा किसी को नहीं अव्वल कयामत कब आएगी दोम बारिश कब होगी सोम हाम के पेट में
क्या है चरम कल इंसान क्या करेगा पंजमपट्टी
की कब्र के नजदीक सोया हुआ था तो मैंने देखा कि मैं मक्का मजमा में हूं और हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम बाबे बनी
शैबा से एक मोअम्मर शख्स को आगोश मुबारक में लिए तशरीफ लाए और मुझे हैरत जदा देखकर
फरमाया कि यह मुसलमानों का इमाम और तुम्हारे मुल्क का बाशिंदा अबू हनीफा है
आपका मुकाम नोफल बिन हब्बा बयान करते हैं कि इमाम साहिब के इंतकाल के बाद मैंने
ख्वाब में देखा कि कयामत कायम है और लोग हिसाब किताब में मश है और हौज कौसर पर
हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम तशरीफ फरमा है और आपके तफ बहुत से बुजुर्ग खड़े
हैं और इमाम अबू हनीफा लोगों से कह रहे हैं कि मैं हजूर की इजाजत के बगैर किसी को
पानी नहीं दे सकता फिर हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि इसको पानी दे दो चुनांचे इमाम साहिब ने मुझको एक गिलास
पानी दे दिया और शराब होकर पीने के बावजूद भी पानी में जरा सी भी कमी नहीं आई फिर
मैंने इमाम साहिब से तमाम बुजुर्गों के नाम दरयाफ्त कि है तो आपने फरमाया कि दाएं जानिब हजरत इब्राहिम खलीलुल्लाह और बाएं
जानिब हजरत अबू बकर सिद्दीक हैं इस तरह आपने 17 अफराद के नाम बताए जिनको मैं
उंगलियों के पोरों पर शुमार करता रहा और बेदारी के बाद उंगलियों के 17 पोरे बंधे
हुए थे हजरत यया मुज राजी ने हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ख्वाब में
पूछा कि मैं आपको किस जगह तलाश करूं हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि अबू हनीफा के पास चूंकि इमाम साहिब के तफसीर
मुना किब बयान करना बेहद मुश्किल है इसलिए यहां खसारे काम लिया गया बाब नंबर 19 हजरत
इमाम शाफी रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब तारुफ आप बार शरीयत तरीकत के तैराक और
रमज हकीकत के शनास थे फरासत जकात में मुमताज और तफ्ता फि दन में यकता ए रोजगार
और पूरा आलिम आपके महासिन औसाफ से बखूबी है लेकिन आपकी रियाजत और करामात का इस
तस्नीफ में अहाता नहीं किया जा सकता इल्मी मर्तबा आपने 13 साल की उम्र में ही
बैतुल्लाह में फरमा दिया था कि जो कुछ पूछना चाहो मुझसे पूछ लो और 15 साल के सन
में फतवा देना शुरू कर दिया था हजरत इमाम अहमद बिन हंबल का आप बहुत एहतराम और खिदमत
किया करते थे और जब किसी ने यह तराज किया कि आप जैसे अहले इल्म के लिए एक कम उम्र
शख्स की मदारत करना मुनासिब नहीं आपने जवाब दिया के मेरे पास जिस कदर इल्म है
इसके मानी और मुतालिब से वह मुझसे ज्यादा बाख है और इसकी खिदमत से मुझे अहा दीस के
हका मालूम होते हैं अगर वह पैदा ना होता तो इल्म के दरवाजे पर ही खड़े रह जाते और
फका का दरवाजा हमेशा के लिए बंद रह जाता और इस दौर में वह इस्लाम का सबसे बड़ा
मोहसिन है वह मुनी और उलूम लुगत में अपना सानी नहीं रखता और हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के इस कॉल के मुताबिक कि हर सदी की इब्तिदा में एक ऐसा
शख्स पैदा होगा कि अहले इल्म इससे इल्म दीन हासिल करेंगे और इस सदी की इब्तिदा
इमाम शाफी से हुई हजरत सुफियान सूरी का कॉल है कि इमाम शाफी के दौर में इनसे
ज्यादा दानिश्वर और कोई नहीं और हजरत बिलाल रहमतुल्लाह अल खवास का कौल है कि मैंने हजरत खिजर से पूछा कि इमाम शाफी के
मुतालिक आपकी क्या राय है फरमाया कि इनका शुमार औद्या दौर में आप किसी की शादी या दावत
में शरीक ना होते और मखलूक से किनारा कु होकर जिक्र इलाही में मशगूल रहते और हजरत
सलीम रहमतुल्लाह अलह राई की खिदमत में हाजिर होकर फय ज बातन से फैज याबो और
आहिस्ता आहिस्ता ऐसे अरूज और कमाल तक रसाई हासिल कर ली कि अपने दौर के तमाम मशक को
पीछे छोड़ दिया अब्दुल्लाह अंसारी का कौल है कि गो मैं शाफी मसलक से मुतालिक नहीं
लेकिन इमाम साहिब के बुलंद मराब की वजह से इनके अकीदत मंदो में हूं इमाम शाफी फरमाते
हैं कि मैं एक मर्तबा ख्वाब में हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के दीदार से मुशर्रफ हुआ तो आपने फरमाया कि ऐ लड़के
तुम कौन हो मैंने अर्ज किया कि आप ही की उम्मत का एक फर्द हूं फिर हजूर सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम ने अपने नजदीक बुलाकर अपना नवाब दहन मेरे मुंह में डाल दिया और फरमाया कि जा अल्लाह तुझे बरकत अता करें
फिर इसी शब ख्वाब में हजरत अली रजि अल्लाह ताला अन्हो ने उंगली में अपनी अंगस्ता
निकालकर मेरी उंगली में डाल दी हाजर दिमागे आपकी वालिदा बहुत बुजुर्ग
थी और अक्सर लोग अपनी अमानत आपके पास रखवा देते थे एक दफा दो आदमियों ने कपड़ों से
भरा हुआ एक संदूक आपके पास बतौर अमानत रखवा दिया इसके बाद एक शख्स आकर वह संदूक
ले गया फिर कुछ अरसा बाद दूसरे शख्स ने आकर संदूक तलब किया तो आपने कहा कि मैं
तुम्हारे साथी को वह संदूक दे चुकी हूं आपने कहा जब हम दोनों ने साथ रखवाया था तो
फिर आपने मेरी मौजूदगी के बगैर इसको कैसे दे दिया इस जुमला से आपकी वालिदा को बहुत नदा मत हुई लेकिन इसी वक्त इमाम शाफी भी
घर आ गए और और वालिदा से कैफियत मालूम करके उस शख्स से कहा कि तुम्हारा संदूक
मौजूद है लेकिन तुम तन्हा कैसे आ गए अपने साथी को हमराह क्यों नहीं लाए हो पहले
अपने साथी को ले आओ यह जवाब सुनकर वह शख्स शश दर रह गया जिस वक्त आप इमाम मालिक के
पास पहुंचे तो उनकी उम्र 17 साल थी आप उनके दरवाजे पर इस नियत से खड़े रहते जो
शख्स इमाम मालिक से फतवे पर दस्तखत लेकर निकलता आप ब गौर मुताल करते और अगर जवाब
सही होता तो इस शख्स को रुखसत कर देते और अगर कोई खामी नजर आती तो वापस दोबारा इमाम
मालिक के पास भेज देते और वह गौर करने के बाद ना सिर्फ इस खामी को दूर कर देते
बल्कि इमाम शाफी के अमल से बहुत मसरूर होते खलीफा हारून रशीद और इसकी बीवी में
किसी बात पर तकरार हो गई तो जुबैदा ने कहा कि तुम जहन्नुम हो और हारून रशीद ने कहा
कि अगर मैं जहन्नुम हूं तो तेरे ऊपर तलाक है यह कहकर बीवी से किनारा कुशी इख्तियार
कर ली लेकिन मोहब्बत की ज्यादती की वजह से से जब जुदाई की तकलीफ बर्दाश्त ना हो सकी
तो तमाम उलमा को बुलाकर पूछा कि मैं जहन्नम हूं या जन्नती लेकिन किसी के पास
उसका जवाब ना था और इमाम शाफी भी कमसन के बावजूद इन उलमा के साथ थे चुनांचे आपने
फरमाया कि अगर इजाजत हो तो मैं इसका जवाब दूं और इजाजत के बाद खलीफा से पूछा कि
आपको मेरी जरूरत है या मुझे आपकी खलीफा ने कहा कि मुझे आपकी जरूरत है आपने फरमाया
तुम तख्त से नीचे आ जाओ क्योंकि उलमा का मर्तबा तुमसे बुलंद है चुनांचे इसने नीचे
आकर आपको तख्त पर बिठा दिया फिर आपसे सवाल किया कि तुम्हें कभी ऐसा मौका भी मिला है
कि गुनाह पर कादिर होने के बावजूद महज खौफ इलाही से गुनाह से बाज रहे हो उसने
कसमिरसैक्स
की हुज्जत तलब की तो फरमाया कि खुदा ताला का यह इरशाद है कि कसत गुनाह के बाद जो
शख्स खौफ गुनाह से रुक गया उसका ठिकाना जन्नत है य जवाब सुनकर तमाम उलमा ने दाद
देते हुए कहा कि जिसका कम सनी में यह आलम हो तो खुदा जाने जवानी में इसके क्या मराब
होंगे अदब एहतराम आप सादात की बहुत तजीम करते थे चुनांचे एक मर्तबा दौरान सबक सैयद
के कम सिन बच्चे खेल कूद रहे थे और जब वह नजदीक आते तो
ताजमहल अहले तकवा लोगों में तकसीम करने के लिए मक्का मुअज्जम अर साल की और इसमें से
कुछ रकम लोगों ने पेश की लेकिन आपने सवाल किया कि यह रकम किसकी है और किन लोगों में
तकसीम करने को भेजी गई है जवाब मिला कि अहले तकवा दरवेश में तकसीम होने के लिए आई
है आपने फरमाया कि मैं तो अहले तकवा नहीं हूं इसलिए यह मुझ पर हराम है करामत हाकिम
रोम कुछ रकम सालाना हारून रशीद के पास भेजा करता था लेकिन एक मर्तबा चंद रहब को
भी भेजकर यह शर्त लगा दी कि अगर आपके दीनी उलमा मनाजर में इन राहिबो से जीत गए जब तक
तो मैं अपनी रकम जारी रखूंगा वरना बंद करूंगा चुनांचे खलीफा ने तमाम उलमा को मजत
मा करके इमाम शाफी को मुनाजरा पर आमादा किया और आपने पानी के ऊपर मुसल्ला बिछाकर
फरमाया कि यहां आकर मुनाजरा करो यह सूरते हाल देखकर सब ईमान ले आए और जब इसकी तला
हाकिम रोम को पहुंची तो इसने कहा कि यह बहुत अच्छा हुआ इसलिए कि अगर वह शख्स आ जाता तो पूरा रोम मुसलमान हो जाता
एहतियात आप बैतुल्लाह के अंदर चांद की रोशनी में मसरूफ मुताल थे तो लोगों ने कहा
कि अंदर शमा की रोशनी में मुताल कीजिए लेकिन आपने जवाब दिया कि वह रोशनी बैतुल्लाह के लिए मख सूस है इसमें मुताल
करना मेरे लिए जायज नहीं हाफिजा आप हाफिज
नहीं थे और कुछ लोगों ने खलीफा से शिकायत कर दी कि इमाम शाफी हाफिज नहीं है तो इसने
बतौर आजमाइश रमजान में आप को इमाम बना दिया चुनांचे आप दिन भर में एक पारा हिफ
करके रात को तरावीह में सुना दिया करते थे इस तरह एक माह में पूरा कुरान हिज कर लिया
नकत आप एक हसीना पर फरिश्ता हो गए और इससे निकाह करने के बाद सिर्फ सूरत देखकर मेहर
अदा करके तलाक दे दी जब इमाम शाफी ने इमाम हंबल से यह मसला दरयाफ्त किया कि आपके
नजदीक उम्दा नमाज तर्क कर देने वाला काफिर हो जाता है तो इसके मुसलमान होने की क्या
शक्ल है उन्होंने जवाब दिया कि नमाज अदा करें इमाम शाफी ने जवाब दिया कि काफिर की
नमाज ही दुरुस्त नहीं यह सुनकर आप साक रह गए एक शख्स ने आपसे नसीहत की दरख्वास्त की
तो फरमाया कि दूसरों के बराबर दौलत जमा करने की सई मत करो बल्कि इबादत में बराबर
कोशिश करते रहो क्योंकि दौलत तो दुनिया में रह जाती है और इबादत कब्र के साथी है
और कभी किसी मुर्दे से हसद ना करो क्योंकि दुनिया में सब मरने के लिए आए हैं इसलिए
सब मुर्दे हैं लिहाजा किसी से भी हसद ना करो एक मर्तबा आप गुजरे हुए वक्त की
जुस्तजू में निकले तो सूफिया की एक जमात ने कहा कि गुजरा हुआ वक्त तो हाथ नहीं आता
लिहाजा मौजूदा वक्त ही को गनीमत जानो आपने फरमाया कि मुझको मुराद हासिल हो गई
क्योंकि तमाम दुनिया का इल्म मुझको हासिल नहीं हुआ और मेरा इल्म सूफिया के इल्म तक
नहीं पहुंचा और सूफिया का इल्म इन्हीं के एक मुर्शद के इस कॉल तक नहीं पहुंचा कि
मौजूदा शमशीर काते है आलिम नजा में आपने वसीयत नामा तहरीर कर दिया था और जबानी भी
लोगों से कह दिया कि फलां शख्स से कह देना कि वह मुझको गुस्ल दे लेकिन वफात के बहुत
अरसा बाद वह शख्स मिस्र से वापस आया तो लोगों ने वसीयतनामा और जुबानी वसीयत इस तक
पहुंचा दी चुनांचे वसीयत नामा में तहरीर था कि मैं 700 का मकरूज हूं यह पढ़कर इस
शख्स ने कर्ज अदा कर दिया और लोगों से कहा कि गुसल से आपकी यही मुराद थी रफी बिन
सुलेमान ने इमाम साहिब के इंतकाल के बाद ख्वाब में देखकर पूछा कि खुदा ताला का
आपके साथ कैसा मामला रहा फरमाया कि सोने की कुर्सी पर बिठाकर मोती निछावर किए गए
और अपनी रहमत बेकरा से मुझे नवाज
दिया बाब नंबर 20 हजरत इमाम अहमद बिन हंबल रहमतुल्ला अलह के हालातो मनाकर
तारुफ रियाजत तकवा में आपका मुकाम बहुत बुलंद है और आप जहीन और जकी होने के
साथ-साथ मुस्त है बाबुल दवात भी थे और मंदी ने आपकी ऊपर जो बहता बांधे हैं आपकी
जात गिरामी इससे कतन मुब्रा है आपके साहिबजादे एक मर्तबा य हदीस बयान कर रहे
थे अखर नता आदम बैदा यानी खुदा ने हजरत आदम का खमीर अपने हाथ से गंधा और हदीस
बयान करते हुए आप ने अपना हाथ दराज कर दिया लेकिन इमाम हंबल रहमतुल्लाह अलह ने
मना करते हुए फरमाया कि जब जब यद अल्लाह का मफ हूम बयान किया करो तो हाथ दराज करके
ना समझाया करो इमाम साहिब ने बहुत से मशहूर जलील कदर बुजुर्गों से शरफे नयाज
हासिल किया है और बशर हाफी का कॉल तो यह है कि इमाम हंबल मुझसे बदर जहा अफजल है
क्योंकि मैं तो सिर्फ अपने ही वास्ते अकुल हिलाल की कोशिश करता हूं लेकिन वह अपने
अहलो अयाल के लिए भी हलाल रिज्क हासिल करते हैं और हजरत सरी सत्ता का कौल है कि
मोत जिला ने आपके ऊपर जितनी ताना जनी की है मौत के वक्त आप इन तमाम चीजों से पाक
थे मसलन बगदाद के मौत जिला ने हंगामा खड़ा करके यह चाहा कि आप किसी तरह यह तस्लीम कर
ले कि कुरान मखलूक है और इस सिलसिला में दरबार खिलाफत से बहुत बड़ी सजाएं भी दी गई
हत्ता कि जिस वक्त आपको 1000 कोड़े लगाए जा रहे थे तो इत्तफाक से आपका कमर बंद खुल
गया लेकिन गैब से दो हाथ न मूदार हुए और कमरबंद बांधकर गायब हो गए मगर इतनी शदीद
अजय तों के बाव जूद आपने कुरान को मखलूक नहीं बताया और जब आप छूट गए तो लोगों ने पूछा कि जिन फिना पुर दजो ने आपको इस कदर
अजियत पहुंचाई हैं इनके लिए आपकी क्या राय है फरमाया कि वह मुझे अपने ख्याल के
मुताबिक गुमराह तसव्वुर करते हैं और इसलिए तमाम तकलीफें सिर्फ खुदा के लिए दी गई हैं
इसलिए मैं इनसे कोई मुखजी मनकुल है कि किसी नौजवान की मां के हाथ पैर शल हो गए
और जब इसने बेटे को दुआ के लिए आपके पास भेजा तो आपने हाल सुनकर वजू करके नमाज शुरू कर दी और जब वह नौजवान घर पहुंचा तो
मां सेहत याबो चुकी थी और खुद आकर दरवाजा खोला आप दरिया के किनारे वजू कर रहे थे और
एक शख्स बुलंदी पर बैठा हुआ वजू कर रहा था लेकिन आपको देखकर ताजी मन नीचे आ गया फिर
इसके इंतकाल के बाद किसी ने ख्वाब में देखकर पूछा कि किस हाल में हो उसने कहा कि खुदा ताला ने महज इस तजीम की वजह से जो
मैंने इमाम हंबल के वजू करते वक्त की थी मगफिरत फरमा दी वाकत आप फरमाया करते थे कि
मैं जंगल में रास्ता भूल गया और जब एक आराबी से रास्ता मालूम करना चाहा तो वह फूट-फूट कर रोने लगा मुझे ख्याल हुआ कि यह
शायद फाका से है और जब मैंने खाना देना चाहा तो वह बहुत नाराज होकर कहने लगा कि ऐ
इमाम हंबल क्या तुझे खुदा पर तमाज नहीं जो खुदा की तरह मुझे खाना देना चाहता है जो
कि तू खुद गुम कर दायरा है मुझे ख्याल आया कि अल्लाह ताला ने अपने नेक बंदों को कहां-कहां पोशीदा कर रखा है व मेरी नियत
को भाप कर बोला कि खुदा के बंदे तो ऐसे होते हैं कि अगर वह तमाम सरजमीन सोना बन
जाने के लिए कह दें तो पूरा आलम सोने का बन जाए और मैंने जब निगाह उठाई तो पूरा
सेहरा सोने का नजर आया और गैब से नदा आई कि यह हमारा महबूब बंदा है और अगर यह कह
दे तो हम पूरे आलम को जेरो जबर कर दें लिहाजा तुझे इस बात का शुक्र अदा करना
चाहिए कि तेरी मुलाकात ऐसे बंदे से हो गई लेकिन आज के बाद इसको कभी ना देख सकेगा
आपके साहिबजादे हजरत सालेह इफ हान के काजी थे और एक मर्तबा इमाम हंबल के खादिम ने
हजरत सोलेह के मतक में से खमीर लेकर रोटी तैयार की और जब रोटी इमाम साहिब के सामने
पहुंची तो आपने पूछा कि यह इस कदर गदास क्यों है खादिम ने पूरी कैफियत बता दी तो
आपने फरमाया कि जो शख्स इफ हान का काजी रहा हो इसके यहां से खमीर क्यों लिया
लिहाजा यह रोटी मेरे खाने के लायक नहीं और यह किसी फकीर के सामने पेश करके पूछ लेना
कि इस रोटी में खमीर तो सौले का है और आटा अहमद बिन हंबल का अगर तुम्हारी तबीयत
गवारा करे तो ले ले लेकिन 40 यम तक कोई सायल नहीं आया और जब रोटियों में बदबू
पैदा हो गई तो खादिम ने दरिया दजला में फेंक दी लेकिन इमाम साहिब के तक का यह
आलिम था कि आपने इस दिन से दरिया दजला से मछली नहीं खाई और आप लोगों से फरमाया करते
थे कि जिसके पास चांदी की सुरमा दानी हो इसके पास भी मत बैठो एक मर्तबा इमाम अहमद
बिन हंबल समात हदीस के लिए हजरत अबू सुफ यान सूरी की खिदमत में मक्का मुअज्जम
पहुंच गए और रोजाना आप यहां हाजिरी देते एक दिन इत्तेफाक से जब आप नहीं पहुंचे तो
हजरत सुफियान ने खादिम भेजकर खैरियत मालूम की और जब खादिम पहुंचा तो देखा कि कपड़े
धोबी को दे दिए और खुद बरना है और जब खादिम ने अर्ज किया कि आप मुझसे रकम लेकर
लिबास तैयार करा लें तो आपने मना फरमाया कि मेरे हाथ की तहरीर करदा एक किताब है
इसको फरोख्त करके 10 गज टाट ला दो ताकि मैं कुर्ता और तहब तैयार करवा लूं और जब
इसने कहा कि अगर इजाजत हो तो कता खरीद लो आपने फरमाया कि नहीं टाट काफी है एक मजदूर
जो आपके यहां काम करता था जब वह शाम को जाने लगा तो आपने शागिर्द से फरमाया कि
इसको मजदूरी से कुछ ज्यादा रकम दे दो और जब शागिर्द ने अर्ज किया कि इसने तो पहले
ही इंकार कर दिया है अब शायद नहीं मानेगा आपने फरमाया कि इस वक्त तो इसको ज्यादा
लालच नहीं था मगर हो सकता है अब कुछ ज्यादा की तमा पैदा हो गई हो एक मर्तबा
आपने अपना तबाकू नहीं पहुंचे तो बनिए ने दो
तबाकू कहा कि इनमें से जो आपका हो ले लीजिए क्योंकि मेरे जहन में नहीं रहा कि
आपका तबाकू सुनकर आप खामोशी से
तबाकू याद ना रहा कि इनमें से कौन सा तबाकू
मुतमरना वह आपके यहां खुद तशरीफ ले आए और जब साहिबजादे ने इनकी आमद की इत्तला दी तो
इमाम साहब खामोश हो गए और मुलाकात के लिए बाहर नहीं निकले और साहिबजादे ने पूछा कि
आपको तो मुलाकात की बेहद तमन्ना थी फिर क्यों नहीं मुलाकात की फरमाया कि मुझे यह
तसव्वुर पैदा हो गया कि मुलाकात के बाद आपको खुश खलकी की वजह से कहीं आपकी जुदाई
मेरे लिए शाक ना हो जाए इसलिए यह तय कर लिया कि आपसे ऐसी जगह मुलाकात करूंगा जहां
से जुदाई का इमकान ना रहे इरशाद शरी मसाइल तो आप खुद बता दिया करते थे लेकिन मसाइल
तरीकत के सिलसिला में लोगों को बशर हाफी की खिदमत में भेज देते और अक्सर फरमाया
करते कि मैंने खुदा से खौफ तलब किया तो इसने इतना खौफ अता कर दिया कि मुझे जवाल
अकल का खतरा पैदा हो गया फरमाया कि अल्लाह ताला ने मुझसे फरमाया कि तुझे मेरा कर्ब
सिर्फ कुरान से हासिल हो सकता है फिर फरमाया कि आमाल की मशक्कत से छुटकारे का नाम इखलास है और खुदा पर एतमाद तवक है और
तमाम अमूर को खुदा के सुपुर्द कर देने का नाम रजा है जहद जब लोगों ने मोहब्बत का
मफू पूछा तो फरमाया कि जब तक बशर हाफी हयात हैं इनसे दरयाफ्त करो फिर सवाल किया
गया कि जहद किसको कहते हैं फरमाया कि आवाम का जहद तो हराम अश्या तक कर देना है और
खवास का जहद हलाल चीजों में ज्यादती के तमा करना है और आरफीन के जहद को खुदा के
सिवा कोई नहीं जानता फिर सवाल किया गया कि जो जाहिल किस्म के सूफिया मस्जिद में मुत
वक्किल बनकर बैठ जाते हैं इनके मुतालिक क्या राय है फरमाया कि ऐसे लोगों को गनीमत
समझो क्योंकि इल्म की वजह से उन्होंने त वक्कल इख्तियार किया है और जब लोगों ने
अर्ज किया कि यह तो महज रोटियां हासिल करने का एक बहाना है तो आपने फरमाया कि
दुनिया में कोई जमात भी रोटियों से बे नियाज नहीं वफात इंतकाल के वक्त साहिबजादे
ने तबी पूछी तो फरमाया कि जवाब का वक्त नहीं है बस दुआ करो कि अल्लाह ताला ईमान
पर खात्मा कर दे क्योंकि इब्लीस लन मुझसे कह रहा है कि तेरा ईमान सलामत ले जाना
मेरे लिए बायस मलाल है इसलिए दम निकलने से कबल मुझे सलामती ईमान के साथ मरने की तवको
नहीं है अल्लाह ताला अपना फजल फरमा दे यह कहते कहते रूह परवाज कर गई इन्ना लिल्लाह
व इन्ना इल राजन मोहम्मद बिन हजमा बयान करते हैं कि इंतकाल के बाद मैंने ख्वाब
में इमाम साहिब को देखा कि व लंगड़ा करर चल रहे हैं और जब मैंने दरयाफ्त किया कि
कहां तशरीफ ले जा रहे हैं तो फरमाया कि दारुल सलाम में और जब मैंने यह सवाल किया कि खुदा ताला ने क्या मामला किया फरमाया
बजहर मैंने दुनियावी जिंदगी में बहुत अजियत झेली लेकिन कुरान को मखलूक कभी नहीं
कहा बस इसी के सिला में मेरी मगफिरत भी हो गई और मुझे बहुत बड़े-बड़े मराब भी अता
हुए फिर फरमाया कि जब अल्लाह ताला ने मुझसे पूछा कि जो दुआ तुमको सुफियान सूरी ने बताई थी
वह सुनाओ चुनांचे मैंने यह दुआ सुना द यार कुली कदर त कादर अला कुली वला
नीन यानी अल्लाह हर चीज तेरे कब्ज कुदरत में है और तू हर शय पर कादर है और वह
मुझको अता फरमा दे और मुझसे मत पूछ कि क्या तलब करता है फिर अल्लाह ताला ने
फरमाया कि अहमद यह बहिश्त है और इसमें दाखिल हो जा और मैं इसमें दाखिल हो गया
बाब नंबर 21 हजरत दाऊद ताई रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब तारुफ आप लूमो हका के
शनास राहे तरीकत के आमिल और सालि कीनो आरफीन के पेश हवाओ मुक्तता थे और इमाम अबू
हनीफा से शरफे तिलम हासिल रहा हत्ता कि मुसलसल 20 साल इमाम साहिब से इल्म हासिल
करते रहे यूं तो तमाम उलूम पर आपको दस्तरस हासिल थी लेकिन इल्म फकीह में अपना नमूना
आप ही थे आप हजरत हबीब राई के इरादत मंदो में दाखिल थे लेकिन हजरत फुजैल हजरत
इब्राहिम धम जैसी बरगी हस्तियों से शरफे नियाज हासिल रहा वाकया आपके तायब होने का
वाकया इस तरह मनुकूल है कि किसी गवैया ने आपके सामने मंदर जा जैल शेर पढ़ा बाए खुद
एक तब दिल बला व बा आनक माजा सला कौन सा चेहरा खाक में नहीं मिला और कौन सी आंख
जमीन पर नहीं बही यह शेर सुनकर आलिम बेखुदी में हजरत इमाम अबू हनीफा की खिदमत
में पहुंच गए और अपना पूरा वाकया बयान करके कहा कि मेरी तबीयत दुनिया से अचा हो
चुकी है और एक ना मालूम सी शय कल्ब को मुस्तरबते हैं यह सुनकर इमाम साहब ने
फरमाया कि गशा नशीन इख्तियार कर लो चुनांचे इसी वक्त से आप गशा नशीन हो गए फिर कुछ अरसा बाद इमाम साहिब ने फरमाया कि
अब यह बेहतर है कि लोगों से राबता कायम करके इन की बातों पर सब्रो जब्त से काम लो
चुनांचे एक बर्ष तक तामील हुकम में बुजुर्गों की सोहबत में रहकर इनके अकवाले
से बहरा भ हुए लेकिन खुद हमेशा खामोश रहते थे इसके बाद हजरत हबीब राई से बैत होकर फय
ज बातन से सराब होते रहे और जिक्र इलाही में मशगूल रहकर अजीम मराब से हम किनार हुए
कनात वरसा में आपको 20 दिनार मिले थे और 20 साल से अपने खराज जात की तकल करते रहे
और जब बाज बुजुर्गों ने कहा कि दीनार जमा करके रखना ईसार के मनाफी है सो आप ने
फरमाया कि यही दीनार जिंदगी भर के लिए बायस तमा नियत है लेकिन कनात का येय आलिम था कि रोटी पानी में भिगो कर खाते और
फरमाया करते कि जितना वक्त लुकमा बनाने में सर्फ होता है इतनी देर में 50 आयतें
कुरान की पढ़ सकता हूं एक मर्तबा अबू बकर अयाश आपके यहां पहुंचे तो देखा कि रोटी का
एक टुकड़ा हाथ में लिए रो रहे हैं और जब हजरत अयाश ने वजह पूछी तो फरमाया कि दिल
तो यह चाहता है कि इसको खा लूं लेकिन यह पता नहीं कि ये रिस्क हलाल भी है या नहीं
एक शख्स ने आपके यहां पानी का घड़ा धूप में रखा हुआ देखकर अर्ज किया कि इसको साया
में क्यों नहीं रखा फरमाया कि जिस वक्त मैंने यहां रखा इस वक्त साया था लेकिन अब
धूप में उठाते हुए नदा मत होती है कि महज अपनी राहत के लिए तस औकात करते हुए जिक्र
इलाही से गाफिल रहूं आपका मकान बहुत वसी था लेकिन जब इसका एक हिस्सा मुन हदम हो
गया तो दूसरे हिस्से में मुंत किल हो गए और जब वह भी मुन हदम हो गया तो दरवाजे में
मुंत किल हो गए लेकिन इसकी छत भी बहुत पसीदा थी और जब लोगों ने छत ठीक कराने के लिए कहा तो फरमाया कि मैं अल्लाह ताला से
यह अहद कर चुका हूं कि दुनिया में तामीर का काम नहीं कराऊंगा और आपके इंतकाल के बाद वह छत भी मुन हदम हो गई किनारा कशी जब
लोगों ने आपसे सवाल किया कि सोहबत मखलूक से किनारा कश क्यों रहते हैं फरमाया कि
अगर कम उम्र के लोगों में बैठूं तो वह अदब की वजह से दीनी इल्म नहीं दिखाएंगे और अगर
मोअम्मर बुजुर्गों में बैठूं तो वह मुझे अयूब से आगाह नहीं करेंगे फिर मेरे लिए
मखलूक की सोहबत क्या सूद मंद हो सकती है फिर किसी ने पूछा कि आप शादी क्यों नहीं करते फरमाया कि निकाह के बाद बीवी के रोटी
कपड़े की कफा लेनी पड़ती है और हकीकत यह है कि खुदा के सिवा कोई किसी का कफील नहीं
होता इसलिए मैं किसी को धोका देना नहीं चाहता फिर सवाल किया गया कि आप दाढ़ी में
कंघा क्यों नहीं करते फरमाया कि जिक्र इला से फुर्सत नहीं मिलती आप चूंकि मखलूक से
किनारा कुश रहकर इबादत में मसरूफ रहते थे इसी वजह से आपको अजीम मरा त बता किए गए
बेखुदी एक मर्तबा चांदनी से लुत्फ अंदज होने के लिए छत पर पहुंच गए लेकिन मनाजर
कुदरत की हैरत अंगेज यों से मुतासिर होकर आलिम बेखुदी में हमसाया की छत पर गिर पड़े
और हमसाया यह समझा के छत पर चोर आ गया है चुनांचे वह शमशीर बरना लिए हुए छत पर चढ़ा
लेकिन आपको देखकर पूछ पूछा कि आप यहां कैसे पहुंच गए फरमाया कि आलम बेखुदी में ना जाने किसने मुझको यहां फेंक दिया मनकुल
है कि आप मुदा विमत के साथ रोजा रखते थे और एक मर्तबा मौसम गर्मा की धूप में बैठे
हुए मशगूल इबादत थे क्या आपकी वालिदा ने फरमाया यहां साया में आ जाऊ लेकिन आपने
कहा कि मुझको इस चीज की नदा मत होती है कि ख्वाहिश नफ्स के लिए कोई इक दम करूं फिर
फरमाया कि जब बगदाद में लोगों ने मुझको परेशान करना शुरू किया तो मैंने यह दुआ की
कि ऐ अल्लाह मेरी चादर ले ले ताकि बा जमात नमाज से निजात हासिल हो जाए और मखलूक से
कोई वास्ता ना रहे चुनांचे जब अल्लाह ताला ने मेरी चादर ले ली इस वक्त से जिक्र इलाही और गोश नशीन के सिवा मुझको कुछ
अच्छा नहीं लगता नुक्ता आप सदा गमजदा रहते थे और फरमाया करते कि जिसको हर लम्हा
मसाइल का सामना हो उसको मुसरत कैसे हासिल हो सकती है लेकिन एक मर्तबा किसी दरवेश ने
आपको मुस्कुराते हुए देखकर वजह पूछी तो फरमाया कि खुदा ने मुझे शराबे मोहब्बत
पिला द है इसके खुमार से मसरूर हूं और जब कहीं आप मजमा में पहुंच जाते तो यह कहकर
कि लश्कर आ रहा है भाग पड़ते और जब लोगों ने पूछा कि किसका लश्कर फरमाया कि
कब्रिस्तान के मुर्दों का लश्कर नसीहत जब हजरत शेख अबू रबी रहमतुल्ला अलह ने आपसे
वसीयत की दरख्वास्त की तो फरमाया कि दुनिया से रोजा रखो और आखिरत से इफ्तार
करो फिर किसी और ने वसीयत की दरख्वास्त की तो फरमाया कि बद गोई से एतराज करो मखलूक
से किनारा कश रहो दीन को दुनिया पर तरजीह दो और अगर मुमकिन हो तो मखलूक का ख्याल ही
दिल से निकाल दो फिर किसी और ने नसीहत के लिए अर्ज किया तो फरमाया कि मुर्दे तुम्हारे इंतजार में है यानी तुम्हें भी
मरना है इसलिए वहां का सामान कर लो फिर फरमाया कतक दुनिया से बंदा खुदा तक रसाई
हासिल कर लेता है हजरत फुजैल ने दो मर्तबा आपसे शरफे नयाज हासिल किया और फख्र या
फरमाया करते थे कि पहली मुलाकात में तो ने आपको शिकस्ता छत के नीचे बैठे हुए देखकर
अर्ज किया कि इस जगह से हट जाइए कहीं ऐसा ना हो कि छत गिर पड़े लेकिन आपने फरमाया
कि मैंने आज तक छत की तरफ नजर ही नहीं डाली और दूसरी मुलाकात में यह नसीहत फरमाई कि लोगों से ताल्लुक मुनकता कर लो हजरत
मारूफ कखी से रिवायत है कि मैंने आपसे ज्यादा कोई दुनिया से मुत फर नहीं पाया और
ना सिर्फ फुकरा का एहतराम करते बल्कि इनसे अकीदत मोहब्बत भी रखते थे हजरत जुनैद
बगदादी से रिवायत है कि एक मर्तबा आपने ह मत बनवाने के बाद हज्जाम को एक दीनार दे दिया तो लोगों ने कहा कि यह तो असराफ बेजा
है आपने फरमाया कि दीन के लिए मुरव्वत जरूरी है जब इमाम अबू यूसुफ और इमाम अबू
मोहम्मद में कोई इख्तिलाफ रमा होता तो वह दोनों आपके फैसले को कबूल करते लेकिन आप
इमाम अबू यूसुफ से ज्यादा इमाम मोहम्मद का एहतराम करते और फरमाते कि इमाम मोहम्मद ने
महज दीन के लिए इल्म हासिल किया और इमाम अबू यूसुफ ने मनसब जह के लिए और कजा का वह
ओहदा जिसको इमाम अबू हनीफा ने कोढ़े खाकर भी कबूल नहीं किया इसको इमाम अबू यूसुफ ने
कबूल करके अपने उस्ताद की पैरवी नहीं की बे नियाजी जब हारून रशीद इमाम अबू यूसुफ
के हमराह आपके पास बगर से मुलाकात हाजिर हुआ तो आपने मुलाकात से इंकार करते हुए
फरमाया कि मैं दुनियादारी की वालिदा ने बेहद इसरार किया
तो आपने इजाजत दे दी और जब जब हारून रशीद रुखसत होने लगा तो एक अशरफी पेश करनी चाहि
मगर आपने वापस करते हुए फरमाया कि मैंने अपना मकान जायज दौलत के इज फरोख्त किया है
इसलिए मेरे पास खराज जात के लिए रकम मौजूद है और मैं यह दुआ करता हूं कि जब यह रकम
खत्म हो जाए तो अल्लाह ताला मुझे दुनिया से उठा ले एक मर्तबा इमाम अबू यूसुफ ने
आपके खादिम से दरयाफ्त किया कि अब खराज जात के लिए कितनी रकम बाकी रह गई है तो
इसने कहा कि 10 दरहम चांदी बाकी है चुनांचे इमाम अबू यूसुफ ने खराज जात का हिसाब लगाकर अंदाजा कर लिया कि बस आप इतने
दिन और हयात रहेंगे र्क लज्जत किसी बुजुर्ग ने आपको धूप में कुरान खवानी करते
हुए देखकर साया में आने की दरख्वास्त की तो फरमाया कि मुझे इतबा नफ्स नापसंद है और
इसी रात आपका विसाल हो गया वसीयत आपने यह वसीयत फरमाई थी कि मुझे दीवार के नीचे दफन
करना चुनांचे आपकी वसीयत पूरी कर दी गई इस सिलसिला में मुसन्निफ किताब फरमाते हैं कि
आज तक आपकी कब्र महफूज है वफात किसी ने आपको ख्वाब के अंदर परवाज करते हुए यह
कहते सुना कि आज मुझे कैद से छुटकारा मिल गया और बेदार होकर जब वह शख्स ताबीर ख्वाब
दरयाफ्त करने आपके यहां पहुंचा तो आपकी वफात की खबर सुनते ही कहने लगा कि ख्वाब की ताबीर मिल गई और रिवायत है कि इंतकाल
के वक्त आसमान से यह निदा आई कि दाऊद ताई अपनी मुराद को पहुंच गया और अल्लाह ताला
भी इनसे खुश है हजरत महासबीटीसी
[संगीत]
मौजूद हैं और हजरत हसन बसरी के हम असर हैं बगदाद में विसाल हुआ और वहीं मजार मुबारक
है शेख अबू उबैद खफ फरमाया करते थे कि मश
कीने तरीकत में पांच हजरात सबसे ज्यादा पैरवी के लायक हैं अव्वल हजरत महासबीटीसी
तरह
[संगीत]
से कम नहीं लेकिन कसरे नफी की वजह से अपना नाम नहीं लिया हालात आपको विरसा में 3 हज
दिरहम मिले थे लेकिन इन्हें आपने बैतुल माल में दाखिल करते हुए फरमाया कि हजूर अकरम का यह इरशाद
गरामीण के मजूस हैं और मुसलमानों को इनका तरका ना लेना चाहिए क्योंकि मेरे वालिद
कद्र या मसलक के हामिद थे इसलिए ब हैसियत मुसलमान मैं इन कतर का नहीं ले सकता जब आप
किसी मुस्तबादा हाथ बढ़ाते तो उंगलियां शल हो जाती थी जिसकी वजह से आपको खाने के इस्तबा का पता
चल जाता था चुनांचे आप एक मर्तबा भूख की हालत में जुनेद बगदादी के यहां पहुंच गए
और वहां इत्तेफाक से किसी शादी में से खाना आया हुआ था लिहाजा जब वह खाना हारिस
महासबीटीसी
तो बाहर जाकर उगल दिया और वहीं से रुखसत हो गए फिर कुछ अरसा के बाद हजरत जुनेद से
मुलाकात हुई और उन्होंने गुजर्ता वाकया दरयाफ्त किया तो आपने फरमाया कि मुझ पर खुदा का कर्म है कि जब मेरे सामने
मुस्तबादा इस रोज भी यही हुआ लेकिन दिल शिकनी के सबब मैंने एक लुकमा मुंह में रख
लिया मगर वह हल्क से नीचे ना उतर सका और मुझको बाहर जाकर उगल देना पड़ा
लिहाजा आप बताइए कि वह खाना कहां से आया था हजरत जुनेद ने फरमाया कि पड़ोसी के
यहां से शादी की तकरीब में आया था फिर हजरत जुनैद ने इसरार फरमाया कि आज मेरे हमरा तशरीफ ले चलिए फिर आपको घर ले जाकर
जौ की खुश्क रोटी आपके सामने रख दी और आपने शिकम सैर होकर फरमाया कि फुकरा की
तवाजो इस तरह की जाती है इरशाद आप फरमाया करते थे कि इब्तिदा में
जब किसी को नमाज पढ़ने पर फखर करते देखा तो यह शुबा होता के ना जाने इसकी नमाज
कबूल भी हुई या नहीं लेकिन अब यकीन के साथ कह सकता हूं कि ऐसे शख्स की नमाज हरगिज
कबूल नहीं होती आपको मुहास बी का खिताब इसलिए दिया गया है कि आप हिसाब में बहुत
मुमताज थे फिर आपने फरमाया कि मुरातु ब आलिया के हसूल के लिए चंद खस तों की जरूरत
है और वह यह है कि कभी कसम ना खाए कभी दरो
गोई से काम ना ले वादा कर लेने के बाद इसको इफाक करें कभी जालिम पर पर भी लानत
ना भेजे किसी से बदला ना ले किसी के लिए बददुआ ना करें किसी के कुफ्र नफाक पर
शाहिद ना बने गुनाह से किनारा कश होकर जाहिरी और बातन किसी तरह भी
कसदार खातिर ना बने और दूसरों का बार खत्म करने में मदद करें लालच को खत्म करके
लोगों से ना उम्मीद रहे सबको अपने से ज्यादा बेहतर तसव्वुर करते हुए किसी जाह
मरतबक का ख्वा हा ना हो अगर कोई इन तमाम चीजों पर अमल पैरा हो जाए तो इंशा अल्लाह
इसके लिए सूद मंद साबित होगा फरमाया कि कुर्बे इलाही की मंजिल में कल्ब इल्म का
रकीब बन जाता है फिर फरमाया कि अकाम इलाही की बजा आवरी का नाम सब्र है मसाइल रहने और
इनको मन जानिब अल्लाह तसव्वुर करने का नाम तस्लीम है खुदा के दुश्मनों से नकता
ताल्लुक का नाम हया है तर्क दुनिया हुब्ब इलाही है मुहास के डर से गुनाह ना करने का
खौफ है मखलूक से फरार का नाम अनसे खालिक है और जो मखलूक के बराबर समझने पर भी
इजहार मुसर्रत करे इसको सादिक कहा जाता है फरमाया खुदा का बंजा या खुद ही तर्क कर दे
फरमाया कि बजरिया रियाजत नफ्स को पाकीजा बनाने से राहे रास्त मिल जाती है और जो शख्स दुनिया ही में जन्नत की नेमत का
तलबगार हो इसको सालेह और काने लोगों की सोहबत इख्तियार करनी चाहिए फरमाया कि
आरफीन खंदक रजा में उतर कर और बहरे सफा में गौता जनी करके वफा के मोती हासिल कर
लेते हैं और फिर हिजाब खफा में वासले बल्ला हो जाते हैं फरमाया कि शफकत और वफा
के हसूल के बाद इससे फवाद हासिल कर लेते हैं और मैं महरूम हूं आप कोई किताब लिख
रहे थे कि किसी दरवेश ने अर्ज किया कि मारफ इलाही का हक बंदे पर है या बंदे का
हक अल्लाह पर अगर मफत इलाही बंदा खुद हासिल करता है तो इस तरह बंदे का हक खुदा
पर साबित होगा और बंदे का हक खुदा पर साबित करना हराम है और अगर बंदे की मारफ
पर अल्लाह का हक है तो यह भी सही नहीं क्योंकि ऐसी शक्ल में बंदे को अल्लाह के
हक का हक अदा करना चाहिए इस मंत की तकरीर का मफू समझकर आपने किताब लिखना बंद कर
दिया इसके अलावा यह हाल भी पैदा हुआ कि जब मारफ अल्लाह ही का हक है तो फिर मारफ के
बाब में कोई किताब तस्नीफ करना लगव है अल्लाह ताला का भी यही कौल है कि अन
ला यानी नबी आप अपने किसी महबूब शख्स को हिदायत नहीं कर सकते बल्कि अल्लाह ताला
जिसको चाहता है फिर दूसरा ख्याल आपको यह भी पैदा हुआ कि अल्लाह की मारफ का हक बंदे
पर ही है इसलिए कि इसने बंदे को मारफ की तौफीक दी लिहाजा बंदे को इसका हक अदा करना
चाहिए इस ख्याल के साथ ही आपने फिर दोबारा अपनी तस्नीफ शुरू कर दी वफात इंतकाल के
वक्त आपके पास एक दिरहम तक नहीं था जबकि बहुत सी जमीन और जायदाद आपको बतौर तरका
हासिल हुई थी लेकिन जैसा कि हम ऊपर बयान कर चुके हैं कि शरीयत की पैरवी की वजह से तमाम तरका बैतुल माल में जमा करके खुद एक
खब्बा भी नहीं लिया और फाका के आलम में आप दुनिया से रुखसत हो गए इन्ना
लिल्लाह व इन्ना इल रान बाब नंबर 23 हजरत अबू सुलेमान दारा रहमतुल्ला अल के हालात
मुना किब तारुफ आप शरीयत तरीकत के बहरे बेकरा थे और मिजाज में लुत्फ करम होने की
वजह से आपको रिहान उल कुलूब और त दल जाय फीन जैसे खिता बात अता किए गए थे आपकी सकत
शाम के एक नामी दारुल मुल्क की थी इस निस्बत से आपको दरा कहा जाता है आपके एक
इरादत मंद हजरत अहमद हवारी से मनकुल है कि एक रात मैंने खिलवट में नमाज अदा की जिससे
मुझे बहुत सुकून महसूस हुआ और जब मैंने अपना वाकया अपने पीरो मुर्शिद हजरत अबू
सुलेमान से अर्ज किया तो उन्होंने फरमाया कि तुम इतने बूढ़े हो गए लेकिन तुम्हें लव
और जलवत की कैफियात का अंदाजा ना हो सका हालांकि खिलवट हो या जलवत खुदा ताला से
रोक देने वाली कोई शय नहीं इरशाद आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा रात में नमाज
पढ़ने के बाद जब मैंने दुआ के लिए हाथ उठाने चाहे तो सर्दी की वजह से एक हाथ बगल
में दबा लिया और इसी शब ख्वाब में अल्लाह ताला को यह फरमाते सुना कि ऐ सुलेमान तुझे
इस हाथ का रुतबा अता कर दिया गया जो तूने दुआ के लिए दराज किया था और अगर दूसरा हाथ
भी उठा लेता तो हम इसका अजर भी अता कर देते चुनांचे इस दिन से आपने मौसम सरमा
में दोनों हाथ उठाकर दुआ मांगने का मामूल बना लिया फरमाया कि एक रात मुझ पर ऐसी गनद
की तारी हुई कि मेरे वजाइना लगा और ख्वाब गफलत में देखा कि एक
हूर मुझसे कह रही है कि मुकम्मल 500 साल से मुझे तुम्हारे लिए ही बनाया संवारा जा
रहा है और तुम ख्वाब गफलत में पड़े हुए हो इस आवाज के साथ ही मैंने बेदार होकर अपना
वजीफा पूरा किया फरमाया कि एक मर्तबा ख्वाब में ऐसी हूर का नजारा किया कि इसकी
पेशानी रोशन और मुनव्वर है और जब मैंने सवाल किया कि यह नूर रोशनी कैसी है तो
इसने जवाब दिया कि एक शब तुम खौफ इलाही में गिरिया कर रहे थे तो तुम्हारे अश्कों
को मेरे चेहरे पर बतौर उबटन के मल दिया गया था बस उसी दिन से यह नूर रोशनी मेरी
पेशानी पर नमूद हो गया फरमाया कि मैं हमेशा रोटी पर नमक छिड़क कर खा लेता था
इत्तफाक से एक दिन नमक में तिल मिल गया और मैंने बगैर देखे वो तिल भी खा लिया मगर
इसकी यह सजा मिली कि एक साल तक इबादत और रियाजत में लज्जत ही हासिल नहीं हुई
फरमाया कि मैं अपनी जरूरियत जिंदगी के लिए अपने एक दोस्त से आनत के तौर पर कुछ तलब
कर लेता था लेकिन एक दिन जब मेरी तलब पर इसने यह कह दिया कि तुम्हारी तलब आखिर कब
खत्म होगी तो उसी दिन से मैंने मखलूक से कुछ तलब नहीं किया फरमाया कि मैं खलीफा
वक्त को बुरा समझते हुए भी कभी लोगों के सामने इसकी बुराई इस डर से नहीं करता था
कि कहीं लोग मुझे मुखलिस हगग ना समझ बैठे और मैं अदम इखलास की हालत में दुनिया से
रुखसत हो जाऊं फरमाया कि मक्का मजमा में एक शख्स जमजम के अलावा दूसरा पानी नहीं
पीता था और जब मैंने सवाल किया के अगर चा जमजम खुश्क हो जाए तो तुम क्या करोगे उसने
कहा कि अल्लाह ताला आपको नसीहत का अजर अता फरमाए क्योंकि मैं तो बर्सों से परस्तिश
की हद तक जमजम से अकीदत रखता हूं और आज से इस अकीदत को खत्म करता हूं कुछ लोगों ने
हजरत सालेह बिन अब्दुल करीम से सवाल किया कि बैम रिजा में कौन सी शय बेहतर है
फरमाया कि बेहतर तो यह है कि दोनों ही हो लेकिन रजा से बैम का पल्ला भारी है और जब
इस कॉल को हजरत अबू सुलेमान के सामने नकल किया गया तो आपने फरमाया कि मेरे नजदीक तो
तमाम इबादत का दारोमदार बैम पर है लेकिन क्योंकि रजा इबादत से बे नियाज कर देती है
और दीन और दुनिया की बुनियाद ही खौफ पर कायम है और जब खौफ पर रजा का गलबा हो जाता
है तो कल्ब की शामत आ जाती है और खौफ की ज्यादती से इबादत में भी ज्यादती रमा हो
जाती है फरमाया लुकमान ने अपने बेटे को यह नसीहत की थी कि खुदा से इतना ही डरो कि
रहमत से मायूस ना हो और ना इतनी उम्मीद वाबस्ता करो कि अजाब से बेखौफ हो जाए
एहतराम से बचने का तरीका फरमाया कि एहतराम भी एक खहर है जो शिकम सैरी के नतीजा में
होता है इसके अलावा शिकम सेरी छह और खराब हों को भी जन्म देती है अव्वल इबादत में
दिल ना लगना दोम हिकमत की बातें याद ना रहना सोम शफकत करने से महरूम हो जाना चरम
इबादत का बार खातिर बन जाना पं जम ख्वाहिश नफ सानी में इजाफा हो जाना शिश पाखाना से
इतनी मोहलत ना मिलना जो मस्जिद में जाकर इबादत कर सके भूख के
फवाइव के अलावा किसी को भी भूख की ताकत अता नहीं करता क्योंकि भूख आखिरत की शिकम
सेरी दुनिया की कुंजी है और भूखे शख्स की तमाम दीनी और दुनियावी जरूरतें पूरी होती
रहती हैं और नफ्स में में आजी और कल्ब में नरमी पैदा हो जाती है और इस पर अलू में
समा भी का इंकफेक्टेड
[संगीत] वाला मकसद असली से महरूम रह जाता है और
जिंदगी में जिसको कलील सा इखलास भी मयस्सर आ गया वह मसरूर रहता है और अहले इखलास
वसवसे से एतराज करते रहते हैं फरमाया कि अहले सदक जब कैफियत कल्बी का इजहार करना
चाहते हैं तो जबान साथ नहीं देती फरमाया कि बाज बंदगा खुदा ऐसे भी हैं जो हालत रजा
में सब्र को भी बायस नदा मत तसवर करते हैं क्योंकि सब्र की सूरत में में तो गोया
बंदा सब्र का दावेदार हो जाता है लेकिन रज का ताल्लुक सिर्फ खुदा की मर्जी से है और
इस ऐतबार से सब्र का ताल्लुक बंदे के साथ और रज का ताल्लुक अल्लाह के साथ हो जाता
है रजा रजा का मफू यह है कि ना रगत बहिश्त रहे और ना खौफ अजाब फरमाया कि रज की तो
मुझे ऐसी लत पड़ गई है कि अल्लाह ताला हर फर्द को जहन्नुम में भेजना चाहे तो वह
मजबूरन चले जाएंगे लेकिन मैं इसको बखू कबूल कर लूंगा तवाजो फरमाया कि तरक खुद
बीनी का नाम तवाजो है और नफ्स शनास ना होने वाला कभी मतवाद नहीं हो सकता इस तरह
दुनिया को तहकीक से देखने वाला कभी बुरा नहीं हो सकता जहद खुदा से दूर कर देने वाली एशिया
को पुष्ट डाल देने वाले को जाहिद कहा जाता है और जहद की अलामत यह है कि कम
कीमती अश्या के मुकाबले में कीमती अश्या की तमन्ना ना करें और सिर्फ जुबानी जहद भी
माल जर से कहीं बेहतर है फरमाया कि हुब्ब दुनिया ही तमाम मुसीबतों को जन्म देती है
फरमाया कि तसव्वुफ यह है कि बंदा मसाइल को मन जानिबे अल्लाह तसव्वुर करते हुए खुदा
के सिवा सबको छोड़ दे फरमाया कि भूख इबादत के लिए जरूरी है फरमाया कि दुनियावी अमूर
में गौर और फिक्र करना आखिरत के लिए हिजाब बन जाता है और दीनी अमूर में
तफकॉर्न हासिल होना है फरमाया कि इल्म में इजाफा करके इबरत हासिल करना जरूरी है और
गौर और फिक्र खौफ में इजाफा करते हैं फरमाया कि आंख से अश्क रेजी और कल्ब से
फिक्र अकबा की जरूरत है फरमाया कि उम्र राय गुजरने का गम इतना अहम है कि अगर
इंसान इस पर तमाम उम्र भी रोता रहे जब भी कम है फरमाया कि मोमिन वह है जो कल्ब को
गमे दुनिया से तही करके इबादत इलाही में रोता है फरमाया कि जब तक बंदा मशगूल इबादत
रहता है इस वक्त तक मलायका बहिश्त के सब्ज अजारों में हर इबादत के मुकाबले में एक-एक
दरख्त लगाते हैं और जब बंदा इबादत से गुरेजा होता है तो वह भी अपना काम छोड़
देते हैं फरमाया कि सदक दिली के साथ निसानी ख्वाहिश को तर्क कर देने वाला
अल्लाह ताला के अजर का मुस्तक होता है फरमाया कि जिस इबादत में दुनिया ही में
लज्जत हासिल ना हुई हो आखिरत में भी इसका अजर नहीं मिलता क्योंकि हसूल लज्जत ही
कबूलियत की दलील है फरमाया कि जाहिद का आखिरी दर्जा मतवा कलीन के इब्तिदा दर्जा
के बराबर है फरमाया कि अल्लाह ताला आरफीन को ख्वाब में भी वह मदार अता फरमाता है जो
गैर आरफीन को नमाज में भी नसीब नहीं होते और जब आरफीन के चश्मे बातिन हवा हो जाती
है तो चश्मे जाहिरी मु अतल कर दी जाती है और इसको अल्लाह के अलावा कुछ नजर नहीं आता
और कुर्बे इलाही का हजूर भी इसी वक्त मुमकिन है जब दीन और दुनिया दोनों को खुदा
पर छोड़ दे फरमाया कि मफत खामोशी से करीब तर है फरमाया कि जिसका कल्ब जिक्र इलाही
से मुनव्वर हो जाता है इसको किसी शय की एहतियात बाकी नहीं रहती और जिस इबादत में
अजियत उठाता है वही जरिया निजात बन जाती है फरमाया कि सब्र से अफजल कोई शय नहीं
लेकिन सब्र की भी दो किस्में हैं अव्वल इस चीज पर सब्र करना जिसकी तलब ही ना हो दोम
उस शय पर सबर करना जिसकी तलब भी मौजूद हो लेकिन खुदा ने इसको मना फरमाया है फरमाया
कि जिस कदर मैंने खुद को शिकस्त हाल किया इससे ज्यादा दुनिया भी खस्ता और खराब ना
कर सकी फरमाया कि जो नफ्स कुशी करके कुर्बे इलाही हासिल करता है वह जन्नत का
मुस्तक हो जाता है फरमाया कि अल्लाह ताला का यह इरशाद है कि जो बंदे मुझ से इजहार
नदा मत करते हैं मैं उनकी पर्दा दारी करता हूं दोस्त से दरगुजार का फायदा आपने किसी
मुरीद से फरमाया कि अगर कोई दोस्त भी आलिम गजब में तुम्हारे खिलाफ मर्जी बात कहे तो
तुम गुस्सा ना करो और ना उसे बुरा भला कहो क्योंकि हो सकता है वह और ज्यादा सख्त गोई
से काम ले इस मुरीद ने बताया कि तजुर्बा के बाद आपका कॉल सही साबित हुआ हजरत जुनैद
बगदादी रहमतुल्ला अल से रिवायत है कि आप बहुत ज्यादा मोहता रहते हुए फरमाया करते
थे कि मुझको सूफिया कराम के जिस कदर अवाल भी मालूम होते हैं मैं इन पर उस वक्त तक
अमल पैरा नहीं होता जब तक कुरान और हदीस से कम से कम इसके मुतालिक दो शहादत नहीं
मिल जाती आपने हजरत मुआ बिन जबल से भी कुछ इल्म हासिल किया था और अपनी मुनाजात में
कहा करते थे कि ऐ अल्लाह जो तेरे अह काम पर अमल पैरा ना हो वह तेरी खिदमत के लायक
कैसे हो सकता है वफात इंतकाल के वक्त लोगों ने अर्ज किया कि अब आप इस खुदा के
यहां जा रहे हैं जो गफूर और रहीम है लिहाजा हमें कोई बशारत दे दीजिए आपने
फरमाया कि मैं तो उस खुदा के पास जा रहा हूं जो गुनाह सगीरा पर मुहास करता है और
गुनाह कबीरा पर सजा देता है यह कहते-कहते रूह कफ से अंसरी से परवाज कर गई किसी ने
ख्वाब में आपसे दरयाफ्त किया कि अल्लाह ताला ने आपके साथ क्या मामला किया फरमाया
कि रहमतो इनायत से काम लिया लेकिन शोहरत मखलूक मेरे लिए मुजर साबित
हुई बाब नंबर 24 हजरत मोहम्मद समाकर हमत अलह के हालातो मुनास तारुफ आप आबिद जाहिद
होने के साथ-साथ बहुत बड़े वाइज और मकबूल खास आम थे हजरत मारूफ कखी को आपके मवाइल
से बहुत इंशर हासिल होता था इसके अलावा खलीफा हारून रशीद भी आपका बेहद मो तरफ था
एक मर्तबा आपने फरमाया ए रून शरफे जहद सबसे अजीम शर्फ है हका आप फरमाया करते थे
कि तवाजो का मफ हूम यह है कि बंदा खुद को हीज तसव्वुर करे फिर फरमाया कि अहद
गुजर्ता के लोगों की मिसाल दवा की तरह थी जिससे लोग शिफा हासिल करते थे और मौजूदा
दौर के लोगों की मिसाल दर्द जैसी है जो सेहतमंद को भी मरीज बना देते हैं फरमाया
कि एक वो दौर था जब वाइजन वाज गोई को इस कदर दुश्वार समझते थे जितना अब इल्म पर
अमल को मुश्किल तसव्वुर किया जाता है और जिस तरह आज के अहद में उलमा की किल्लत है
इसी तरह गुजर्ता दौर में वाइजन की कमी थी हजरत अहमद हवारी से रिवायत है कि जब मैं
हालत मर्ज में आपका कार वरा लेकर तबीब के यहां पहुंचा तो वह इत्तफाक से आतिश परस्त
था और जब वहां से वापस हुआ तो रास्ता में एक बुजुर्ग ने सवाल कि किया कि कहां से आ
रहे हो और मैंने जब पूरा वाकया बयान किया तो उन्होंने फरमाया इंतहा हैरत है कि खुदा
का महबूब खुदा के गनीम से आनत हासिल करें लिहाजा तुम इनसे यह कह दो कि दर्द के
मुकाम पर हाथ रखकर यह दुआ पढ़ दें अजु बिल्लाह मिन शैतान रम व बिल ह अंजलना व
बिल ह नजला तर्जुमा मैं रांदे हुए शैतान से अल्लाह ताला की पनाह मांगता हूं और
हमने इसे सच के साथ उतारा है और सच के साथ वह नाजिल हुआ है चुनांचे वापसी में जब
मैंने आपसे वाकया बयान किया तो आपने दुआ पढ़कर दम कर लिया और फौरन ही सेहत हासिल
हो गई और फिर मुझसे फरमाया कि वह हजरत खिजर अलैहि सलातो सलाम थे हालत नजा में
आपने फरमाया कि ऐ अल्लाह मैं इरत काबे मासि अत के वक्त भी तेरे महबूब बंदों को
महबूब रखता था लिहाजा इसके सिला में मेरी मगफिरत फरमा दे शादी जिस वक्त आपसे शादी
कर ले ने के मुतालिक अर्ज किया गया तो फरमाया कि दो इब्लीस की मुझ में हिम्मत
नहीं बाद अज वफात लोगों ने ख्वाब में जब आपसे कैफियत दरयाफ्त की तो फरमाया कि
मगफिरत तो हो गई लेकिन जो मर्तबा बाल बच्चों की अजियत बर्दाश्त करने से हासिल
होता है वह ना मिल सका बाब नंबर 25 हजरत मोहम्मद बिन असलम तूसी रहमतुल्लाह अल के
हालातो मुना किब तारुफ आप इबादत और रियाजत में मुमताज जमाना थे और सखी के साथ सुन्नत
पर अमल पैरा होने की बिना पर आपको लिसान रसूल का खिताब मिला हालात एक दफा आप अली
बिन मूसा के हमराह ऊंट पर सवार और इसहाक बिन जहरिया ऊंट की नकेल थामे हुए थे और इस
हाल में आप निशापुर पहुंचे के जिस्म पर कंबल का कुर्ता सर पर नमे की टोपी और
कांधे पर किताबों का थैला था लेकिन आपके मवाइल मोसर हुए थे कि तकरीबन 500 अफराद
राहे रास्त पर आ गए महज इस जुर्म में कि आपने कुरान को मखलूक नहीं कहा मुकम्मल 2
साल तक कैद बंद की मुशक्कल नहीं पड़ी और कैदखाना में आपका यह मामूल रहा कि हर जुमा
को गुसल करके बाहर जेल के दरवाजे तक पहुंच जाते लेकिन जब दरवाजे पर आपको रोक दिया
जाता तो आप वापस जाकर अल्लाह ताला से अर्ज करते कि मैंने तो अपना फर्ज अदा कर दिया
अब तू जो चाहे कर और जिस वक्त आपको रिहा किया गया उस वक्त अब्दुल्लाह बिन जाहिर
हाकिम निशापुर वहीं मुकीम था और तमाम लोग सलामी की गर्ज से हाजिर हो रहे थे और अहले दरबार से उसने
पूछा कि अब कोई नामी गिरामी शख्सियत तो ऐसी नहीं रही जो सलामी के लिए ना आई हो
लोगों ने जवाब दिया कि दो हस्तियां अहमद बिन हरब और मोहम्मद बिन असलम हाजिर दरबार
नहीं हुए क्योंकि यह दोनों बहुत बड़े आलिम और आबिद हैं और बादशाह के सलाम के लिए कभी
हाजिर नहीं होते चुनांचे इसने कहा हम खुद इनको सलाम करने जाएंगे और जब वह पहले अहमद
हरब के पास पहुंचा तो उन्होंने इस्तग की कैफियत से सर उठाकर फरमाया कि ऐ
अब्दुल्लाह तुम बहुत ही हसीन हो लेकिन इस हुस्नो जवानी को खुदा की नाफरमानी पर
कुर्बान ना करना फिर जब वह मोहम्मद बिन असलम की चौकट पर पहुंचा तो यौमे जुमा की वजह से उन्होंने अंदर नहीं बुलाया लेकिन
अब्दुल्लाह बिन जाहिर भी नमाज जुमा के वक्त तक घोड़े पर सवार आपका इंतजार करता
रहा और जब आप मकान से बरामद हुए तो घोड़े से उतर कर इसने कदम बोसी करते हुए अर्ज
किया कि ऐ लाख मैं चूंकि बहुत बुरा हूं इसलिए तेरा महबूब भी मुझसे दुश्मनी रखता
है लेकिन व चूंकि महबूब है इसलिए मैं भी इसको महबूब रखता हूं और इसके तुफैल में
मेरी मगफिरत फरमा दे आप तोस छोड़कर निशापुर में सकत पजीर हो गए थे और जिस
मस्जिद में इबादत करते थे वह मस्जिद तमाम मसाजिद से मुतबललिस्ट
तूसी कहा जाता है वैसे आप अरब के बाशिंदे थे किसी बुजुर्ग ने रोम में यह ख्वाब देखा
कि इब्लीस फिजा में से जमीन पर गिर पड़ा और जमीन इसके बोझ से धंसने के करीब हो गई
इन बुजुर्ग ने इब्लीस से सवाल किया कि तेरी यह हालत क्यों हुई उसने जवाब दिया कि इस वक्त हजरत मोहम्मद बिन असलम वजू करते
हुए खनका थे तो मैं लर्ज बरा होकर गिर पड़ा आपके मकान के सामने ही नहर बहती थी
लेकिन महज इस तसव्वुर से इसका पानी इस्तेमाल ना फरमाते थे कि यह नहर आवाम की
मलकीत है और जब वह नहर खुश्क हो गई तो कुएं से पानी खींच खींच कर आपने खुद इसको
भरा लेकिन सिर्फ एक कुजा पानी आपने इसमें सर्फ किया
करामात आप कर्ज लेकर फुकरा को दे दिया करते थे चुनांचे एक मर्तबा किसी यहूदी ने
अपना कर्ज तलब किया तो इस वक्त आपके पास देने को कुछ भी नहीं था लेकि लेकिन आपने
इसी वक्त अपना कलम तराशा था इसका एक टुकड़ा जमीन पर से उठाकर यहूदी को देते
हुए फरमाया कि यह ले जाओ और जब इसने देखा तो वह सोना बन गया था चुनांचे यहूदी को
ख्याल हुआ कि जिस मजहब में ऐसे-ऐसे खुदा रसीदा हो वह मजहब कभी बातिल नहीं हो सकता
इस तसव्वुर से वह यहूदी फौरन ईमान ले आया किसी ने अबू अली फार मदी से दौरान वाज यह
सवाल किया कि वह उलमा जो हकीकत में वारिस अंबिया होते हैं उनमें कौन-कौन हस्तियां
दाखिल हैं आपने हजरत मोहम्मद बिन असलम की जानिब इशारा करते हुए फरमाया कि वह ऐसे
अफराद होते हैं इंतकाल जिस वक्त निशापुर में आप बीमार हुए तो आपके पड़ोसी ने ख्वाब
में देखा कि आप फरमा रहे हैं आज मैं गमो अंदूह से आजाद हो गया और जब बेदारी के बाद
वह ताबीर मालूम करने आपके यहां पहुंचा तो आपका इंतकाल हो चुका था और आपके ऊपर वही
कंबल डाल दिया गया था जो आपके इस्तेमाल में रहता था और उसी वक्त राह चलती दो
औरतें कह रही थी कि अफसोस आज मोहम्मद बिन असलम दुनिया से रुखसत हो गए लेकिन दुनिया
इन्हें कभी फरेब ना दे सकी और अपने हमराह फजा इल ख साइल भी लेकर चले गए बाब नंबर 26
हजरत अहमद हरब रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब तारुफ आप बहुत अहले तकवा बुजुर्ग
थे और एक बहुत बड़ी जमात आपने अपने इरादत मंदो की छोड़ी और हजरत यया बिन मुज ने बात
फरमाई थी कि मेरी मौत के बाद मेरा सर अहमद हरब के कदमों में रख देना एक मर्तबा आपकी
वालिदा ने पालतू मुर्ख पकाकर आप सिखाने के लिए कहा तो आपने फरमाया कि इस मुर्ग ने एक
हमसाया की छत पर जाकर चंद दाने खा लिए थे इसलिए मैं इस मुर्ख का गोश्त नहीं खा सकता
हालात किसी दोस्त ने आपको मकतूब तहरीर किया तो आप जिक्र इलाही की मशगूल की वजह
से जवाब ना दे सके और कुछ दिनों के बाद अपने मुरीद से यह जवाब लिखवा दिया कि मुझे
जवाब देने की फुर्सत नहीं मिलती और तुम्हें जिक्र इलाही से किसी वक्त गाफिल
ना रहना चाहिए एक मर्तबा हज्जाम आपका खत बना रहा था और आप जिक्र इलाही में मसरूफ
थे चुनांचे इसने गर्ज किया कि कुछ देर के लिए जिक्र इलाही से ठहर जाइए आपने फरमाया
कि तुम अपना काम करो मैं अपना काम कर रहा हूं और इस हालत में कई जगह से आपका लब कट
गया मगर आप यादे इलाही में मसरूफ रहे अपने साहिबजादे को तवक की इस तरह तालीम दी कि
एक दीवार में सुराख करके इनसे कह दिया था कि जिस शय की ख्वाहिश हुआ करें इस सुराख
से तलब कर लिया करो और बीवी से कह दिया कि तुम सुराख के दूसरी जानिब से वह चीज रख
दिया करो चुनांचे मुद्दतों ऐसा ही होता रहा लेकिन इत्तेफाक से एक दिन बीवी कहीं
चली गई और साहिबजादे ने सुराख में जाकर खाना तलब किया और अल्लाह ताला ने खाना
मुहैया फरमा दिया और जब आप मसरूफ तम थे तो वालिदा आ गई और पूछा कि तुम्हें खाना कहां
से मिला उन्होंने कहा जहां से रोजाना मिलता है उस वक्त अहमद हरब ने बीवी से फरमाया कि आइंदा तुम कोई चीज सुराख में ना
रखना क्योंकि मेरा मकसद हासिल हो चुका और अब अल्लाह ताला बिला वास्ता पहुंचाता रहेगा एक बुजुर्ग से रिवायत है कि एक दफा
मैंने आपका एक कॉल सुना जिसके बाद से आज 40 साल गुजर चुके और मेरे कल्ब में रोज
बरोज नूर का इजाफा होता रहा और इस कॉल की लज्जत आज भी इसी तरह कायम है नुफा का असर
एक मर्तबा कुछ सैयद हजरात बगर से मुलाकात आपके पास पहुंचे तो आप इनके साथ बेहद
एतराज और ताजमहले किन आपका एक शरीर बच्चा गुस्ताख
तौर पर रुबाब बजाता हुआ बाहर निकला और इसकी यह हरकत सादात को बहुत नागवार हुई तो
आपने फरमाया कि इसको नजरअंदाज फरमा दें क्योंकि इस बच्चे का नुफा इस रात कायम हुआ
था जब मेरे हमसाया के यहां बादशाह के पास खाना आया था और इसने मुझको भी खिलाया तो
इसी वजह से यह बच्चा गुस्ताख पैदा हुआ वाकया आपका हमसाया आतिश परस्त था और दौरान
सफर इसको डाकुओं ने लूट लिया चुनांचे आप दिलज की गर्ज से इसके यहां तशरीफ ले गए थे
और वह भी आपके साथ बहुत एहतराम के साथ पेश आया मगर वो जमाना कहत साली का था इसलिए
आतिश परस्त को ख्याल हुआ कि शायद आप खाना खाने आए हो चुनांचे उसने जब खाने का
इंतजाम करना चाहा तो आपने फरमाया कि हम खाने के गर्ज से नहीं बल्कि दिलज के लिए
आए हैं फिर उसने अर्ज किया कि गोह मेरा माल लुट गया लेकिन तीन चीजें लायक शुक्र
हैं अव्वल यह कि दूसरों नेने मेरा माल लूटा लेकिन मैंने कभी किसी का माल गस नहीं
किया दोम यह के अब भी मेरे पास निस्फ दौलत बाकी है सोम यह कि मेरा मजहब महफूज रह गया
यह सुनकर आपने पूछा कि तुम आग क्यों पूछते हो उसने कहा रोज महशर जहन्नुम की आग से भी
महफूज रहूं और खुदा का कुर्ब भी हासिल हो जाए आपने फरमाया कि आ की हकीकत तो इतनी सी
है कि एक बच्चा इस पर पानी डाल दे तो बुझ जाएगी इसके अलावा तुम 17 साल से आग को
पूछते हो लेकिन आज तक इसने तुम्हारे साथ क्या सुलूक किया जिसके बिना तुम कयामत में
बेहतरी की तवको रखते हो आपके कौल से मुतासिर होकर उसने अर्ज किया कि अगर आप
मेरे चार सवालों का जवाब दे दें तो ईमान ला सकता हूं अव्वल खुदा ने मखलूक को क्यों
तखक किया दोम तखक के बाद रिजक क्यों दिया सोम रिजक देने के बाद मौत से क्यों दो चार
किया चरम मारने के बाद जिंदा करने की जरूरत क्यों हुई आपने जवाब दिया कि खलीक
मखलूक का मकसद है कि खालिक की शनातन करने का मकसद यह है कि इसकी रज्जाक
का अंदाजा किया जा सके और मौत का मकसद यह है कि इसकी जब्बारी और कहार का अंदाजा
करना है और मौत के बाद जिंदगी का मकसद यह है कि इसके कादिर होने को तस्लीम किया जा
सके यह कहकर आप बहुत देर तक आग पर हाथ डाले बैठे रहे लेकिन आपका हाथ आग से
मुतासिर नहीं हुआ यह देखकर वह फौरन मुसलमान हो गया और आप चीख मार करर बेहोश
हो गए और होश में आने के बाद जब वजह पूछी गई तो फरमाया कि मैंने यह गैबी नदा सुनी
कि बहराम तो 70 साल के बाद मुसलमान हो गया लेकिन तू जो हमेशा से मुसलमान है क्या
लेकर आया है अकवाले जरी आप उम्र भर शब बेदार रहे और कभी लोग आराम करने के लिए
इसरार करते तो फरमाते कि जिसके लिए जहन्नुम दहका जा रही हो और बहिश्त को आरात
किया जा रहा हो लेकिन इसको इल्म ना हो इन दोनों में इसका ठ ना कहां है इसको भला
नींद कैसे आ सकती है फरमाया कि अगर मुझको यह इल्म हो जाए कि फलां शख्स मेरी गीबत
करता तो मैं इसको सीमो जर से मालामाल कर देता क्योंकि जिसकी गैब की जाती है इसको
बेहद सवाब मिलता है फरमाया खुदा से हाइफ रहते हुए इबादत करते रहो और दुनिया के दाम
फरेब से बचते रहो क्योंकि इसमें फंसकर मसाइल करना पड़ता है
बाब नंबर 27 हजरत हातिम एम रहमतुल्ला अल के हालात
मुना किब तारुफ आप हजरत शफीक बलखी के
मुरीद और हजरत खिजर या के मुर्शिद होने के साथ-साथ जहद इबादत में यताई रोजगार थे और सने बलूग
के बाद से जिंदगी भर कभी याद इलाही से गाफिल नहीं रहे और पूरी जिंदगी सिद को
इखलास में गुजार दी हजरत बगदादी से मनकुल है कि हजरत इम का हमारे दौर के सकन में
शुमार होता है और आपके अवाल नफ्स शनास और फरेब नफ्स से बचने के लिए बहुत सूद मंद है
आपका एक कॉल यह है कि अगर अहले दुनिया तुमसे पूछे कि तुमने हातिम इम से क्या
हासिल किया तो यह कभी ना कहना कि हमने इससे इल्म हिकमत हासिल किए बल्कि यह कहना
कि हमने सिर्फ दो बातें सीखी हैं अल लिए कि जो शय अपने कब्जा में हो इस पर खुश रहो
दोम इस चीज की तवको कभी ना रखो जो अपने कब्जा में ना हो पर्दा दारी एक औरत आपके
पास कोई मसला पूछने आई तो इत्तफाक से इसकी रीह खारिज हो गई जिसकी वजह से वह बहुत
नादम हुई लेकिन आपने फरमाया कि जोर से बात कहो कि मैं बहरा हूं फिर इसने बुलंद आवाज
से मसला पूछा तो आपने जवाब दे दिया मगर दरह कीक आप बहरे नहीं थे बल्कि औरत की
शर्मिंदगी रफा करने के लिए जानबूझकर बहरे बन गए थे और जब तक वह औरत हयात रही आप
मुसलसल बहरे बने रहे इसी मुनासिब से आपको एस्म कहा जाता है बलख में आपने दौरान वाज
फरमाया कि ऐ खुदा इस मजलिस में जो सबसे ज्यादा आसी हो इसकी मगफिरत फरमा दे
इत्तेफाक से वहां एक कफन चोर भी मौजूद था और जब रात को उसने कफन चुराने के लिए कब्र
को खोला तो निदा आई क्या आज ही तू हातिम के सदके में तेरी मगफिरत हुई थी और आज ही
फिर तू इरत काबे मासि अत के लिए आ पहुंचा यह निदा सुनकर वह हमेशा के लिए तायब हो
गया हजरत मोहम्मद राजी से रिवायत है कि मैंने आपको कभी गजब नाक होते नहीं देखा
अलबत्ता एक बार आप बाजार जा रहे थे तो आपके किसी शागिर्द से दुकानदार अपना कर्ज
तलब कर रहा था इसी वक्त आपने गजब नाक होकर अपनी चादर जमीन पर फेंक दी और पूरे बाजार
में सोना ही सोना फैल गया फिर आपने गुस्सा में दुकानदार से फरमाया कि अपने कर्ज के
मुताबिक सोना उठा ले लेकिन अगर एक खब्बा भी ज्यादा उठाया तो तेरे हाथ शल हो जाएंगे
लेकिन उसने लालच में कुछ ज्यादा सना उठा लिया चुनांचे उसी वक्त दोनों हाथ शल हो गए
तीन शराय के साथ आपने एक शख्स की दावत कबूल फरमा ली अव्वल यह कि मैं जिस जगह
चाहूं ब बैठूंगा दोम जो चाहूं खाऊंगा सोम मेरे कहने पर तुझे अमल करना होगा चुनांचे
इसके यहां पहुंचकर आप जूतों में बैठ गए और अपने पास से दो रोटियां निकाल कर खा ली
फिर मेजबान से फरमाया कि एक तवा गर्म करके ले आओ जब तवा आ गया तो आपने जलते तवे पर
खड़े होकर फरमाया कि सिर्फ दो रोटियां खाई हैं फिर तवे पर से उतरकर अहले मजलिस से
कहा अगर तुम्हारा यह अकीदा है कि कयामत में हर शय का मुहास होगा तो इस जलते तवे
पर खड़े हो जाओ लेकिन लोगों ने अर्ज किया कि यह हमारे बस की बात नहीं आपने फरमाया
कि जब तुम इस अमल से इस वक्त का हिसाब नहीं दे सकते तो आग से बनी हुई महशर की
जमीन पर खड़े होकर तमाम उम्र का हिसाब कैसे दे सकोगे फिर आपने इस आयत की तशरीफ
फरमाई सुमाम यानी कयामत के दिन तुमसे तमाम
नेमतों की बाज पुस होगी आपकी तशरीफ का अंदाज बयान कुछ ऐ था कि जैसे मैदान हश्र
निगाहों के सामने है और तमाम अहले मजलिस मुस्तरबते लगे वाकया किसी तोंगर ने आपको
कुछ रकम देने की पेशकश की तो आपने मना फरमाया कि मैं इस डर से नहीं लेता कि तेरी
मौत के बाद मुझे अल्लाह ताला से यह कहने का मौका ना मिले कि जमीन का राजिक तो मर
गया लिहाजा अब तो मेरी जरूरियत की तक मल फरमा किसी ने आपसे सवाल किया कि आपको रिजक
कहां से मिलता है फरमाया कि खुदा के खजाने से उसने कहा आप तो लोगों को फरेब दे देकर
रिज्क हासिल करते हैं आपने सवाल किया कि मैंने तुझसे कोई रकम ली है उसने कहा नहीं
आपने फरमाया कि काश तू मुसलमान हो जाता उसने कहा कि आप हमेशा कुछ बहसी करते रहते
हैं आपने फरमाया मैं तो इसलिए हुज्जत पेश कर रहा हूं कि कयामत में अल्लाह ताला
बंदों से हुज्जत तलब करेगा उसने कहा यह तो सब कहने की बातें हैं आपने फरमाया कि इन
अह कामात को तू बातों से ताबीर करता है जिन एह कामात की वजह से तेरी मां तेरे बाप
के लिए हलाल हुई फिर उसने पूछा कि क्या आपको आसमान से रिज्क मिलता है फरमाया कि
मुझे क्या तमाम आलिम के लिए ही आसमान से रिजक नाजिल होता है उसने कहा कि अगर ऐसा
है तो आप एक जगह पर जाएं फिर मैं देखता हूं कि आपको रिज्क कैसे मिलता है यह सुनकर
आप पूरे दो बर्स एक गार में पड़े रहे और मन जानिबे अल्लाह आपको रिज्क मिलता रहा
फिर उस शख्स ने एक मर्तबा सवाल किया कि क्या आपने किसी को बगैर बीज डाले फसल
काटते हुए देखा है फरमाया कि हां तुम खुद बगैर बोए हुए बाल काटते रहते हो यह सुनकर
वह मुकम्मल तौर पर तायब हो गया और आपने उसको नसीहत फरमाई के मखलूक से कता ताल्लुक
करके इस तरह मशगूल इबादत रहो कि इसके अलावा किसी को इल्म ना हो सके और हमेशा
मखलूक की खिदमत करते रहो ताकि वह तुम्हारी खिदमत करें रिजक
आपने इमाम हंबल से सवाल किया कि आप रिजक के जुस्तजू करते हैं या नहीं इमाम साहिब
ने जवाब दिया कि यकीनन तलाश करता रहता हूं आपने पूछा कि कबल अज वक्त या बाद अज वक्त
या बवत तलाश करते हो यह सुनकर इमाम साहिब सक्ता में आ गए इसलिए कि अगर यह कहे कि
कबल अज वक्त तलाश करता हूं तो फरमाएंगे कि तुम तजी औकात करते हो और अगर बाद अज वक्त
कह दूं तो कहेंगे कि गुजर्ता शय की जुस्तजू ला हासिल है और अगर यह कहूं कि
बवत तलाश करता हूं तो फरमाएंगे कि मौजूदा शय की जुस्तजू से क्या फायदा लेकिन एक
बुजुर्ग फरमाते हैं कि जवाब यह होना चाहिए था कि तलाश रिजक ना सुन्नत है ना फर्ज है
इसलिए इसकी जुस्तजू ही बे सूद है क्योंकि रिजक तो हमको खुद तलाश करता फिरता है जैसा
कि हदीस में है रिजक तो खुद तुम्हारे पास पहुंचता है तुम्हें जुस्तजू की क्या जरूरत
है एक मर्तबा आपने के कसदार माह के खराज जात के लिए कितनी रकम
की जरूरत है बीवी ने अर्ज किया कि जितनी मेरी जिंदगी हो इतनी रकम दे दो आपने
फरमाया कि जिंदगी तो मेरे कब्ज कुदरत से बाहर है बीवी ने कहा कि फिर मेरा रिजक
आपके हाथ में कैसे हो सकता है इसके बाद जब आप शरीके जिहाद हुए तो एक काफिर ने कत्ल
करने के लिए तलवार सौती तो किसी जानिब से ऐसा तीर आकर लगा कि वहीं ढेर हो गया आपने
फरमाया कि तूने मुझको कत्ल किया या मैंने नसीहत किसी ने आपसे नसीहत करने की
दरख्वास्त की तो फरमाया कि अगर दोस्त की ख्वाहिश है तो खुदा काफी है अगर साथियों
की तमन्ना है तो नकीरी बहुत हैं और अगर इबरत हासिल करना चाहो तो दुनिया काफी है
अगर मोनस की तलाश है तो कुरान बहुत काफी है अगर मशह चाहते हो तो इबादत बहुत बड़ा
मशक है और अगर मेरे तो जहन्नुम काफी है जिंदगी बाज लोगों ने
आपसे बयान किया कि फलां शख्स ने बहुत दौलत जमा कर ली है आपने पूछा कि क्या जिंदगी का
भी जखीरा कर लिया है क्योंकि मुर्दों का दौलत जमा करना कतन बे सूद है किसी ने आपसे
अर्ज किया कि अगर आपको किसी शय की जरूरत हो तो फरमा दें आपने फरमाया कि मेरी सबसे
बड़ी जरूरत तो यह है कि ना मैं कभी तुझको देखूं और ना तू मुझे देखे फिर किसी ने
पूछा कि आप निमाज किस तरह अदा करते हैं फरमाया कि पहले जहरी वजू करता हूं फिर
बातन यानी तौबा करके दाखिल मस्जिद होता हूं फिर मस्जिद हराम और मुकाम इब्राहीम
नजरों के सामने होता है और दाएं बाएं फिरदौस जहन्नुम और कदमों के नीचे पुल
सिरात होती हैं फिर खुदा को सामने और मौत को पीछे तसव्वुर करते हुए कल्ब को रजू इला
अल्लाह कर लेता हूं फिर ताज के साथ तकबीर कहकर एहतराम के साथ कयाम और हैबत लिए हुए
करते कुरान करता हूं और इज के साथ रुकू सुजूद करके हलम के साथ कदा करता हूं और
शुक्र अदा करते हुए सलाम फेरता हूं इरशाद आपने उलमा की जमात की जानिब से गुजरते हुए
फरमाया कि अगर रोज गुजर्ता पर तासु और मौजूदा दिन को गनीमत तसव्वुर करते हुए
आइंदा दिन से खौफ जदा हो तब तो बेहतर है वरना जहन्नुम तुम्हारे लिए तैयार है
फरमाया कि खुदा ताला ने तीन चीजों का बहम रब्त कायम फरमाया है फरात का इबादत से
इखलास का मखलूक से और मायूसी निजात में एह कामात के बजा लाने से फरमाया कि पुर बहार
बागत पर तकब ना करो क्योंकि बहिश्त की बागत से ज्यादा पुर बहार यह पुर बहार नहीं
हो सकते और इबादत पर खूत से इसलिए एतराज करो कि इब्लीस कसरत इबादत के बावजूद मर्दू
दे बारगाह हुआ और करामात की ज्यादती पर इसलिए नाजा ना हो कि हजरत यूश अल सलाम के
दौर में बनू इसराइल का एक फर्द बलम बाउर बहुत ज्यादा आबिद और जाहिद था मगर तकब्बल
की वजह से अल्लाह ताला ने उसकी मिसाल कुत्ते से दी है फरमाया कि आबदीन उलमा की
सोहबत पर भी फक्र ना करो क्योंकि सालबा हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की
सोहबत में रहकर भी कोरा रहा फरमाया कि कल्ब की भी पांच किस्में हैं अव्वल कल्ब
मुर्दा जो कुफा का है दोम मरीज कल्ब जो गुनाहगारों का है सोम गाफिल कल्ब जो पेट
के गधों का है चरम कल्बे वाजग जिसको कुरान ने कुलू बिना लफ से ताबीर किया है यह
यहूदियों का है और सही कल्ब अहले दिल हजरात का होता है फरमाया कि शहवत की भी
तीन किस्में हैं अव्वल खा ने की शहवत दोम बोलने की और सोम देखने की लिहाजा खाने में
खुदा पर एतमाद रखो बात हमेशा सच बोलो देखकर इबरत हासिल करो और आमाल सालि को रया
से दूर रखो गुफ्तगू में हिर्स को खैराबाद कह दो सखावत को एहसान करके कभी ना जता जो
शय तुम्हारे पास मौजूद है इसमें बुकल ना करो फरमाया कि जिहाद की भी तीन किस्में
हैं अव्वल इब्लीस से ऐसा जिहाद जिससे वह जिच हो जाए दोम लानिया जिहाद यानी फर्ज की
अदायगी के लिए सोम कुफ फार से इस तरह जिहाद करो कि या खुद खत्म हो जाओ या
इन्हें खत्म कर दो फरमाया कि जहद का पहला दर्जा तवाक्कुल है दूसरा दरमियानी दर्जा
सब्र है और तीसरा आखरी दर्जा इखलास है फिर यह आयत तिलावत की वला खाफ अवलन तन ना खौफ
जदा हो और ना गमगीन फिर फरमाया कि जल्दी का काम शैतान का होता है लेकिन मेहमान के
सामने खाना रखने मुर्दे को कफना नहीं दफनाने बालक लड़की का निकाह करने और तौबा
करने में उजल से काम लेना अफजल है इस्तग आप कभी किसी से कुछ नहीं लेते थे और जब
लोगों ने वजह पूछी तो फरमाया कि लेने में रुसवाई और देने वाले की इज्जत होती है और
ना लेने में इसके बरक्स होता है लेकिन एक मर्तबा जब आपने किसी से कोई शै ली तो
लोगों को रे हैरत किया आपने फरमाया कि मैं इसकी इज्जत को अपनी इज्जत पर तरजीह देना
चाहता हूं जाहिद बगदाद में आपने खलीफा से मुलाकात के वक्त फरमाया कि अस्सलाम
वालेकुम या जाहिद खलीफा ने कहा मैं तो जाहिद नहीं हूं बल्कि आप जाहिद हैं आपने
कहा कि खुदा का यह फरमान है कुल मता दुनिया कलील यानी ऐ नबी फरमा दीजिए कि
दुनिया की मता बहुत थोड़ी है और चूंकि तू कलील शय पर काने हो गया इस इसलिए जाहिद है
और दुनिया और आखिरत पर भी काने ना हो सका तो फिर मैं कैसे जाहिद हूं बाब नंबर 28
हजरत सहल बिन अब्दुल्लाह तितरी रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आपका मुकाम सूफिया कराम में
बहुत बुलंद है और अगर आपको मुक्त दए सूफिया कहा जाए तो बेजाना होगा इसके अलावा
आप हमेशा फाका कशी के आलम में शब बेदारी करते और यह तमाम चीजें अहदे तफू ही से
आपके हिस्सा में आई थी हत्ता आपका यह कौल है कि जिस वक्त अल्लाह ताला ने फरमाया कि
अल सुत बर बिकम यानी क्या मैं तुम्हारा रब नहीं हूं तो मुझे अपना जवाब बला अब भी याद
है यानी क्यों नहीं समम हालात आप 3 साल की
उम्र ही से अपने मामू मोहम्मद बिन समार केमरा मशगूल इबादत रहते थे और एक दिन आपने
मामू से अर्ज किया कि मैं अजल से लेकर आज तक अर्श के सामने सजद रेज हूं लेकिन मामू
ने हिदायत की कि आइंदा यह बात किसी से ना कहना और हर शब में एक मर्तबा यह दुआ पढ़
लिया करो अल्लाह मा अल्लाह नाजिरी अल्लाह शाहिद और जब आपने इसको अपना मामूल बना
लिया तो आपके मामू ने हुकम दिया कि अब इस दुआ को यमिन सात मर्तबा पढ़ा करो फिर कुछ
अरसा बाद इसकी तादाद 15 करवा दी और ताहियात आप इस पर अमल पैरा रहे आप फरमाते
हैं कि फिर मैंने तालीम कुरान हासिल की और 7 साल की उम्र से रोजे रखने की मदावन
इख्तियार कर ली और हमेशा जो की रोटी से रोजा इफ्तार करता था फिर जब 12 साल की
उम्र में जब मुझे एक मसला में अशकाल पेश आया तो मैं हजरत हबीब हमजा जो अपने दौर के
बहुत बड़े आबिद जाहिद थे के पास बसरा पहुंचा चुनांचे उन्होंने मेरा अशकाल दूर
फरमा दिया और कुछ दिन में इनकी खिदमत से फैज याबो करर फिर वापस दस्तर लौट आया और
यह मामूल बना लिया कि दिन में रोजा रखता और रात को साढ़े तोला चांदी के वजन के
बराबर जो की दो टियां खा लेता फिर कुछ अरसा के बाद तीन शबाना रोज का रोजा शुरू
किया फिर सात फिर 25 यम के रोजे को अपना मामूल बना लिया लेकिन बाज रिवायत में यह
भी है क्या आपने 70 शबाना रोजे के बाद इफ्तार किया और कभी 40 शबाना रोजे के बाद
सिर्फ एक बादाम खा लिया आप फरमाया करते कि मैंने फाका कशी और खाने दोनों चीजों का
तजुर्बा करके देखा है तो इब्तिदा भूख से नका हत और खाने से कुवत महसूस होती थी
लेकिन रफ्ता-रफ्ता बिल्कुल इसके बरक्स महसूस होने लगा इसके अलावा माहे शाबान के
रोजों की फजीलत की वजह से आप माहे शाबान में बकसर रोजा रखते थे और पूरे रमजान में
सिर्फ एक मर्तबा खा पी लेते बकाया आयाम कयाम करते हुए कूफा पहुंचे तो नफ्स ने
तकाजा किया अगर आप मुझे मछली और रोटी खिला दें तो मैं मक्का मजमा तक कुछ नहीं
मांगूंगा चुनांचे आपने एक जगह देखा कि एक ऊंट चक्की से बंधा हुआ चक्की चला रहा है
आपने चक्की के मालिक से पूछा कि दिन भर की मेहनत के बाद तुम ऊंट वाले को क्या देते
हो उसने कहा कि दो दिनार आपने फरमाया कि इसको खोलकर मुझे बांध दो और दिन भर के बाद
बजाय दो के एक दीनार दे देना और जब शाम को एक दीनार मिल गया तो आपने मछली रोटी खाकर
नफ्स से कहा कि जिस वक्त भी तू मुझसे भूख की शिकायत करेगा इसी तरह मेहनत करना
पड़ेगी फिर मक्का मजमा पहुंचकर हज किया और हजरत जुल नून से बैत होकर ततर वापस आ गए
ना तो आप कभी दीवार से टेक लगाते ना पांव फैलाते और ना कभी किसी के सवाल का जवाब
देते एक मर्तबा मु सलसल चार माह तक आपकी पैरों की उंगलियों में शदीद दर्द रहा और
आपने उंगलियों को बांधे रखा जब किसी ने वजह पूछी तो आपने कोई जवाब नहीं दिया फिर
जब इस शख्स ने मिस्र पहुंचकर हजरत जुल नून से मुलाकात की तो इनके पांव की उंगलियां
बंधी हुई थी और आपने फरमाया कि चार माह से दर्द में मुब्तला था फिर जब इसने आपसे
हजरत सहल का वाकया बयान किया तो फरमाया कि इसमें कोई शक नहीं कि सवाय सहल के मेरे
दर्द से बाख होकर कोई इस तरह पैरवी करें उस्ताद अचानक आपने एक मर्तबा दीवार से
पुष्ट लगाकर पांव फैलाए हुए लोगों से फरियाद की आज जो कुछ पूछना है मुझसे पूछो
और जब लोगों ने अर्ज किया कि आज यह क्या माजरा है तो फरमाया कि जब तक उस्ताद हयात
थे इनका अदब लाजमी था यह सुनकर लोगों ने तारीखों वक्त नोट कर लिए और मालूमात के
बाद पता चला कि ठीक इसी वक्त हजरत जुल नून का इंतकाल हुआ था करामत उमर उलस एक मर्तबा
ऐसा अलीन हुआ के तबा ने जवाब दे दिया चुनांचे उसने आलिम यास में आपको बुलाकर
दुआ की दरख्वास्त की तो आपने फरमाया कि दुआ इसी के हक में असर अंदाज होती है जो
तायब हो चुका हो लिहाजा पहले तुम तौबा करके कैदियों को रिहा कर दो और जब इसने
हुकम की तामील कर दी तो आपने दुआ की कि ऐ अल्लाह जिस तरह तू ने अपनी नाफरमानी की
जिल्लत इसको अता की इसी तरह मेरी इबादत की अजमत भी इसको दिखा दे ये कहते ही वह
तंदुरुस्त होकर खड़ा हो गया और बहुत सी दौलत बतौर नजराना पेश करनी चाहि लेकिन
आपने इंकार कर दिया फिर किसी मुरीद ने रास्ता में अर्ज की कि अगर आप नजराना कबूल
कर लेते तो मैं कर्ज से सुबक दोष हो जाता आपने फरमाया कि अगर तुझे जर देखना है तो
सामने देख और जब इसने नजर उठाई तो हर सिमत सोना ही सोना नजर आया और आपने फरमाया कि
खुदा ने जिसको यह मर्तबा अता किया हो इसको दौलत की कैसे तमन्ना हो सकती है जब सतह आब
पर चलते तो कदम कभी तर नहीं हुए थे और जब लोगों ने कहा कि हमने सुना है कि किसी
कश्ती के बगैर पानी के ऊपर चलते हैं फरमाया कि मस्जिद के मुअज्जिन से पूछ लो यह झूठ नहीं बोलता और जब इससे पूछा गया तो
इसने कहा कि इसका तो मुझे इल्म नहीं अलबत्ता एक मर्तबा आप नि हाते हुए हौज पर
फिसल कर गिरने ने के करीब हुए तो मैंने थाम लिया लेकिन शेख अबू अली वफा कहते हैं
कि आप बहुत साहिबे करामत होने के बावजूद खुद को जमाना की नजरों से छुपाए रखते थे
नमाज जुमा के बाद कोई बुजुर्ग मुलाकात के लिए आया तो देखा कि आपके नजदीक एक सांप
कुंडली मारे हुए बैठा है और जब वह बुजुर्ग इजाजत लेकर करीब पहुंचा तो फरमाया कि जो हकीकत आसमान से नवाफ होता है वही जमीन की
चीजों से खौफ खाता है और फिर आपने बुजुर्ग से पूछा कि नमाज जुमा के लिए क्या ख्याल
है उन्होंने कहा कि मस्जिद जामिया तो यहां से 24 घंटों की मुसाफत के फासले पर है यह
सुनकर आपने इनका हाथ पकड़ा और चश्मे जदन में मस्जिद के अंदर दाखिल हो गए और नमाज
के बाद लोगों पर नजर डालते हुए फरमाया कि मुखलिस साहिबे ईमान तो बहुत कलील हैं
अलबत्ता कलमा गोह बहुत ज्यादा हैं एक मर्तबा बयान में आपको एक बहुत ही बदहाल
बुढ़िया मिली चुनांचे जब आपने उसकी आनत करनी चाही तो उसने हाथ उठाकर मुट्ठी बंद
कर ली और जब मुट्ठी खोली तो इसमें सोना था फिर उसने आपसे कहा कि तुम जेब से रकम
निकालते हो लेकिन मुझे गैब से मिलती है और यह कहकर अचानक गायब हो गई और जब आपने
बैतुल्लाह पहुंचकर तवाफ शुरू किया तो दौरान तवाफ देखा कि काबा खुद इस बुढ़िया
का तवाफ कर रहा है और जब आप इसके नजदीक हुए तो उसने कहा कि जो इख्तियार तौर पर
यहां पहुंचता है उसके लिए तवाफे काबा जरूरी है लेकिन जो इस तरारी आलिम में आते
हैं काबा खुद इनका तवाफ करता है वाकत आप फरमाया करते थे कि मुझे एक ऐसे खुद रसीदा
से शरफे नयाज हासिल हुआ है जो शब रोज दरिया के अंदर मुकीम रहते हैं और सिर्फ
पांच वक्त की निमाज के लिए बाहर निकलते हैं लेकिन इनके ऊपर पानी का कुछ असर नहीं
होता फिर फरमाया कि मैंने एक मर्तबा ख्वाब में देखा कि कयामत कायम है और एक परिंदा
पकड़ पकड़ कर लोगों को बहिश्त में लिए जाता है और जब मुझे हैरत हुई तो नदा आई कि
यह परिंदा दुनियावी तकवा है और आज अहले तकवा इसके तफल में दाखिल जन्नत हो रहे हैं
फरमाया कि मैंने ख्वाब में देखा है कि मैं बहिश्त में हूं और वहां तीन बुजुर्गों से
मुलाकात करके यह सवाल कर रहा हूं कि दुनिया में सबसे ज्यादा डरावनी शय आपको
क्या पेश आई उन्होंने जवाब दिया के खात्मे का डर सबसे ज्यादा था फिर फरमाया कि मैंने
ख्वाब में इब्लीस से कहा कि तेरे नजदीक सबसे ज्यादा परेशान कुन कौन सी शय है उसने
कहा कि बंदे का खुदा के हमराह राजो नयाज एक मर्तबा मैंने इब्लीस से पकड़ कर पूछा
कि जब तक तू खुदा की वहदा नियत के मुतालिक नहीं बताएगा मैं नहीं छोडूंगा चुनांचे
उसने इस कदर तशरीफ मुरफे वहदा नियत बयान किए कि इस अंदाज में कोई आरिफ भी बयान
नहीं नहीं कर सकता इरशाद पेट भर कर खाने की ख्वाहिश नफ सानी
अपने अरूज पर पहुंच जाती है और नफ्स अपनी मुरादें तलब करने लगता है फरमाया कि हलाल
रिजक से महरूम खलत नशीन के लिए सूद मंद नहीं हो सकती और हलाल रिज्क इसी को मिलता
है जिसको खुदा चाहे फरमाया कि बद्दू फाका कशी इबादत मकबूल से महरूम रहती है और जो
भूख जिल्लत और कनात को अपना लेता है इसको लज्जत इबादत भी हासिल होती है और फाका
किशी को इब्लीस भी फरेब नहीं दे सकता और इसके हलाल से मुकम्मल आजा रुजू इबादत रहते
हैं और हराम रिजक से रगत और मासि में इजाफा होता है फरमाया कि सकन और शोहदा के
सिवा किसी को फराक दिली हासिल नहीं होती फरमाया कि अहले इखलास को
मसाइल ताला आजमा है और अगर वह साबित कदम रहते हैं तो कर्ब अता करता है वरना आतिश
फिराक में डाल देता है फरमाया कि खुदा के इलावा किसी शय से भी तमा नियत का हसूल
हराम है और जो अवाम रो नवाही की पाबंदी नहीं करता वह मफत इलाही से महरूम रहता है
वजद हाल फरमाया कि जिस वजद हाल के लिए कुरान और हदीस में इत दलाल ना हो व लगवे
बातिल है फरमाया कि दूसरों की निस्बत आलिम का दर्जा बुलंद है लेकिन आलिम की शिनाख्त
यह है कि अजल से जो मुक्त दरात कायम हो चुके हैं इन पर खुश रहे उलमा उलमा की भी
तीन किस्में हैं अव्वल वह आलिम जो अपने उलूम जहरी को लोगों के सामने पेश कर दे
दोम वह आलिम जो उलूम बात को अहले बातिन के रूबरू बयान कर दे सोम व आलिम जिसके इल्म
को इसके और खुदा के सिवा कोई ना जानता हो और सबसे बड़ी मासि अत जहालत है फिर फरमाया
कि इस्लाम के तीन जरी असूल है अव्वल उसूल इखलास आमाल में हजूर अकरम सल्लल्लाहु अल
सल्लम की इतबा दोम रिजक हलाल इस्तेमाल करना सोम अफल में इखलास पैदा करना फरमाया
कि इब्तिदा तो यह जरूरी है लेकिन खामोशी इख्तियार किए बगैर तौबा का हसूल नामुमकिन
नहीं और अदायगी हुकूक के बगैर रिस्क हलाल का हसूल नामुमकिन है और जब तक अपने तमाम
आजा की निग दश्त ना करें हकूक खुदा वंदी अदा नहीं हो सकते और हमारी तमाम बयान कर द
बातें तौफीक इलाही के बगैर हासिल नहीं हो सकती फरमाया कि अफजल इंसान वही है जो बद
खस्ती को तर्क करके नेक खस्त इख्तियार करें फरमाया कि फुकरा को नजरे तकी से मत
देखो क्यों को इनमें अक्सर नायब और वारिस अंबिया होते हैं फिर फरमाया कि अबू दियत
का इब्तिदा मुकाम अपने इख्तियार कुवत से खाली और बेजार हो जाना है फरमाया कि जिसके
जाहिर बातिन में युगा निगत ना हो इसको सिद की हवा तक नहीं लग सकती फरमाया कि अहले
बदत से ताल्लुक कायम करने वाले से अल्लाह ताला इतबा सुन्नत सलब कर लेता है और जो
बदती के अफल पर इजहार मुसरत करता है इससे नूर ईमान सलब कर लिया जाता है और दुनिया
में सुन्नत एक ऐसी शय है जैसे आखिरत में जन्नत और जिसको जन्नत हासिल होगी इससे गमो
अंधो का खात्मा हो गया जो मर्तबा सुन्नत हो गया इससे बदत दूर हो गई फरमाया कि खुदा
की सबसे बड़ी देन यह है कि कल्ब को अपने जिक्र से सरफराज फरमा दे और सबसे अजम मासि
अत खुदा को फरामोश कर देना है फरमाया कि हराम शय से किनारा कश रहने वाला मामून हो
जाता है फरमाया कि ज्यादा मुतबललिस्ट
जिक्र इलाही का इजाफा होता है फरमाया कि खुदा से बड़ा कोई मोइनो मावन नहीं और
हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से जायद बड़ा हादी और रहनुमा नहीं तकवा से
अफजल कोई जादे राह नहीं और सब्र का कोई नेम उल बदल नहीं फरमाया कि अल्लाह ताला
पुकार पुकार कर फरमाता है कि ऐ बंदे मैं तुम्हें याद करता हूं लेकिन तुम मुझे याद
नहीं करते तुम्हें अपनी जानिब बुलाता हूं और तुम मुखालिफ सिमत इख्तियार करते हो मैं
तुमसे मुसाहिब को दूर करता हूं और तुम इरत काबे मासि अत से इनको दावत देते हो भला
इससे ज्यादा नाइंसाफी और क्या हो सकती है और महशर में तुम्हारे पास इसका क्या जवाब
होगा फरमाया कि जिसने नफ्स पर कब्जा कर लिया वह पूरे आलिम पर काबिज हो गया फरमाया
कि मुवाफीनामा फत नफ्स से बेहतर कोई इबादत नहीं और जिसने
नफ्स को शनातन उसने खुदा को पहचान लिया उसने हर शय हासिल कर ली फरमाया कि सद कन
पर खुदा एक फरिश्ता मुकर्रर कर देता है जो इसको औकात नमाज से मुतला करता रहता है और
अगर वह सो जाता है तो बेदार कर देता है फरमाया कि सूफिया वह हैं जो कदूर से पाक
हैं गौर और फिक्र करके आदी खालिक से नजदीक और मखलूक से दूर होते हैं और खाक सोने में
इनके नजदीक कोई फर्क नहीं होता और कम खाना मखल लूक से फरार इख्तियार करना खालिक की
इबादत करना न तसव्वुफ है तवक फरमाया कि तवक अंबिया कराम की पसंदीदा शय है इसलिए
मुतमइन के लिए तबा सुन्नत जरूरी है और तवक का मफू यह है कि खुदा के सामने इस तरह रहे
जैसे गु साल के सामने मयत पड़ी रहती है और मतवल की शनातन तो किसी से तलब करे और ना
बगैर तलब किसी से कुछ ले बल्कि अगर कोई कुछ दे भी दे तो इसको सदका कर दे और मायदे
खुदा वंदी पर सदक दिली से ईमान रखे और ख्वा कुछ पास हो या ना हो हर हाल में
मसरूर रहे लेकिन तवक भी इसी को नसीब होता है जो दुनिया को छोड़कर इबादत और रियाजत
में मशगूल हो जाता है और तवक ही एक ऐसी शय है जिसमें सवाए अच्छाई के बुराई का कोई
पहलू ही नहीं होता फरमाया कि दोस्ती का मफू यह है कि फरमाबरदार पर आमादा रहते हुए
मुखालिफ चीजों से फरार इख्तियार करें और तमाम राहतें भी इसी का मुकद्दर है जो खुदा
को दोस्त रखता है और दनो दुनिया से खाफ ना होने का नाम मुराककाबत
ही मिलता है और मुतकब्बीर
कि ना जाने नौशा तकदीर पर क्या है एक शख्स ने दावा किया कि मैं बहुत बड़ा खाफ हूं तो
आपने फरमाया कि तूने इकता बातिन की वजह से खुदा को शनातन किया फिर भला खौफ से तुझको
क्या निस्बत हो सकती है फरमाया कि जहद के तीन मदारत हैं पहला दर्जा तो यह है कि
लिबास तम में जहद इख्तियार करें क्योंकि तोम का अंजाम गलाज और लिबास का अंजाम फटना
है और दूसरा दर्जा यह है कि यह भी अच्छी तरह जहन नशीन कर ले कि मेल मिलाप का अंजाम
फराक है और तीसरा दर्जा यह है कि दुनिया को फानी तसव्वुर करता है फरमाया कि नफ्स
को पसे पुष्ट डाल देने का नाम परहेज गारी है और इतबा नफ्स करने वाला ऐसा है जैसे
कोई खुदा के दुश्मन को दोस्त रखे फिर फरमाया कि तजल्ली की भी तीन किस्में हैं
अव्वल तजल्ली जात जिसको मुकाशिफत खुदा वंदी से ताबीर किया जाता है दोम
तजल्ली सिफात जो मरकज नूर होती है फरमाया कि परहेज गारी का इब्तिदा दर्जा है और जहद
का पहला दर्जा मारफ और मारफ का पहला दर्जा तवक है और तवक का पहला दर्जा रजाए इलाही
और रजाए इलाही का पहला दर्जा मुवाफीनामा
मरहला इखलास है और इखलास का यह मफू है कि बिला
तसरफती को इस तरह वापस करना है फिर फरमाया कि पूरे दिन गलत रास्ते से बचना पूरी शब
की निमाज से बेहतर है फिर किसी ने अर्ज किया कि फलां शख्स यह कहता है कि मैं बगैर
हुकम के रिज्क तलाश नहीं करता आपने फरमाया कि यह बात सिद्दीक या जिंदी के सिवा कोई
नहीं कह सकता फरमाया कि शब रोज में सिर्फ एक मर्तबा खाना सिद कन का शेवा है और दो
मर्तबा खाना मोमिनीन की आदत है और तीन मर्तबा खाना चरने वालों का काम है फरमाया
कि खलाक हुसना का अदना दर्जा यह है कि लोगों के कसूर माफ करते हुए बुराई का बदला
ना ले फरमाया कि मर्जो बला और भूख पर काबू पाने और इल्ला माशाल्लाह कहने से बंदा
खुदा के कर्म का मुस्तक हो जाता है फरमाया कि निजात खामोशी तन्हाई और कम खाने में है
किसी ने अर्ज किया कि मैं आपकी सोहबत में रहना चाहता हूं आपने पूछा कि मेरे बाद
किसकी सोहबत इख्तियार करोगे उसने कहा कि खुदा की सोहबत आपने फरमाया अभी से उसकी
सोहबत इख्तियार कर लो फिर उसने पूछा कि क्या शेर आपके नजदीक आ जाता है फरमाया कि
जब मैं इसको कुत्ता कहकर आवाज देता हूं तो आ जाता है और फिर फरमाया कि आरफीन की सोहबत तमाम उमू से अफजल है आप इस तरह
मुनाजात करते थे कि ऐ अल्लाह मैं किसी लायक भी नहीं फिर भी तू मुझे याद करता है
और मेरे लिए यही खुशी बहुत है और वफात के करीब लोगों ने पूछा कि आपके मरने के बाद
खलीफा कौन होगा और बरसरे मंब वाज कौन कहेगा फरमाया कि शाद दिलगीर आतिश परस्त
मेरा खलीफा होगा चुनांचे आपने उसको बुलवा कर फरमा माया कि मेरी मौत से तीन यम बाद
निमाज जोहर के वक्त से वाज कहना और जब तीसरे दिन तमाम लोग जमा हुए और वह अपने
मजहबी लिबास में मेंबर पर पहुंचा तो लोगों से कहा कि तुम्हारे सरदार ने मुझे रहनुमा
बनाया है और मुझसे यह भी फरमाया है कि तेरी आतिश परस्ती तर्क कर देने का वक्त आ
पहुंचा ये कहते ही उसने अपना लिबा उतार करर कलमा पढ़ा और इस्लाम में दाखिल हो गया
इसके बाद लोगों को नसीहत की कि मैं तो जहरी लबादा उतार कर मुसलमान हो गया लेकिन
अगर तुम रोज महशर अपने मुर्शद से मिलना चाहते हो तो बातन जनार्य दो इस जुमला से अहले मजलिस इस
दर्जा मुतासिर हुए कि मुज तरबाना तौर पर रोने लगे आपके जनाजे में कसीर मजमा के साथ
आतिश परस्त भी शामिल था और इसने लोगों को बताया कि मलायका के गोह दर गरो आपका जनाजा
उठा रहे हैं हजरत अबू तलह मालिक से त है कि आप हालत सौम में दुनिया के अंदर तशरीफ
लाए और रोजे ही की हालत में रुखसत हो गए एक शख्स आपके सामने से गुजरा तो फरमाया कि
यह अहले बातिन है और आपकी वफात के बाद इसी शख्स को आपके मजार पर देखकर किसी ने कहा
कि हजरत सहल तो आपको अहले बातिन कहा करते थे लिहाजा कोई करामत हमें भी दिखा दीजिए
चुनांचे इसने कब्र से मुखातिब होकर कहा कि ऐ सहल कुछ तो फरमाइए और अंदर से आवाज आई
कि खुदा के सिवा ना कोई माबूद है ना इसका कोई शरीक है फिर उस शख्स ने कहा कि सहल यह
कहने वाले की कब्र मुनव्वर हो जाती है आवाज आई कि मेरी कब्र भी खुदा ने मुनव्वर
कर दी बाब नंबर 29 हजरत मारूफ करकी रहमतुल्ला
अल के हालातो मुना किब तारुफ आप तरीकत हकीकत के मुक्त और पेशवा
थे लेकिन आपके वालिद नसरानी थे और जब आपको दाखिल मकतब किया गया तो मुल्लम ने यह दर्स
देना चाहा कि सालि सला सा यानी खुदा तीन है आपने कहा कि कहो आपने कहा कि हु अल्लाह
अहद वह खुदा तू है और जद कोब करने के बावजूद भी आपने खुदा को तीन नहीं कहा और
वहां से फरार होकर हजरत अली बिन मूसा रजा की खिदमत में हाजिर होकर मुशरफ बे इस्लाम
हुए और इन्हीं से बैद हासिल की लेकिन फरार होने के बाद वालदैन को ख्याल आया कि वह
किसी मजहब पर भी रहता लेकिन काश हमारे पास रहता कुछ अरसा के बाद आप घर लौटे तो आपके
अहवाल से मुतासिर होकर वालदैन भी मुसलमान हो गए और बहुत अरसा हजरत दाऊद ताई की
खिदमत में रहकर फैज बातन से सराब होते रहे हजरत मोहम्मद बिन तूसा से रिवायत है कि एक
मर्तबा मैंने एक निशान देखकर पूछा कि कल तक तो यह निशान आपको नहीं था फिर आज कैसे
हो गया फरमाया कि रात को हालत नमाज में मुझे मक्का मुअज्जम पहुंचने का तसव्वुर आ गया और वहां पहुंचकर तवाफे काबा के बाद जब
चार जमजम पर पहुंचा तो मेरा पांव फिसल गया और यह उसी का निशान है हालात एक मर्तबा
कुरान और मुसल्ला मस्जिद में छोड़कर आप दरिया पर
पाकीजा एक बुढ़िया आपका कुरानो मुसल्ला मस्जिद से उठाकर चलती बनी और जब रास्ता
में आपसे मुलाकात हुई तो आपने गर्दन झुकाए हुए बुढ़िया से फरमाया कि क्या तुम्हारा कोई बच्चा कुरान पढ़ता है और जब बुढ़िया
ने नफी में जवाब दिया तो फरमाया कि मेरा कुरान वापस कर दो अलबत्ता मुसल्ला मैंने
तुम्हें हुबा कर दिया चुनांचे वह बुढ़िया आपके इल्म से इस दर्जा मुतासिर हुई कि
दोनों चीजें आपको वापस कर दी आप कुछ लोगों के हमराह जा रहे थे कि रास्ता में एक मजमा
रक्सो सुरूर मैनो श में मसरूफ मिल गया जब आपके हमराही हों ने इनके हक में बददुआ
करने की दरख्वास्त की तो फरमाया कि ऐ अल्लाह जिस तरह आज तूने इनको बेहतर ऐश दे
रखा है आइंदा इससे भी बेहतर ऐश इनको अता करता रह इस दुआ के साथ ही वह मजमा शराब और
रबा फेंक कर आपके सामने आया और बैत हासिल करके बुरे अफल से तायब हो गया इसके बाद
आपने लोगों को मुखातिब करके फरमाया कि जो शिरनी से मर सकता हो इसको जहर देने से
क्या हासिल हजरत सरी सत्ता से रिवायत है कि ईद के दिन भी मैंने आपको खजूर चुनते
देख कर वजह पूछी तो फरमाया कि यह सामने वाला यतीम बच्चा इसलिए उदास है कि तमाम
बच्चे नए लिबास में मलब उसस हैं और मेरे पास कपड़े तक नहीं इसलिए मैं खजूर चुनकर
फरोख्त करना चाहता हूं ताकि इसके लिए कपड़े फराह कर सकूं लेकिन मैंने अर्ज किया
कि यह काम तो मैं भी अंजाम दे सकता हूं आप क्यों जहमत फरमाते हैं चुनांचे मैं बच्चे
को हमराह ले आया और इसको नया लिबास पहना दिया और उसके सिला में जो नूर अता किया गया उससे मेरी हालत बदल गई किबला का रुख
ना मालूम मालूम होने की वजह से आपके एक मेहमान ने गलत सिमत मुंह कर के नमाज अदा
कर ली और नमाज के बाद जब उसको सही सिमत मालूम हुई तो उसने आपसे अर्ज किया कि जब
मैंने नियत बांधी थी इस वक्त आपने आगाह क्यों ना किया फरमाया कि फुकरा को दूसरों
के अमूर में इस वक्त मुदा फिलत की हाजत होती है जब इन्हें अपने अमूर से मोहलत मिल
जाए आपके मामू को तो वाले शहर थे उन्होंने आपको जंगल में इस हालत से देखा कि एक
कुत्ता आपके पास बैठा हुआ है और एक लुकमा खुद खाते हैं और एक इसको खिलाते हैं यह
कैफियत देखकर मामू ने कहा कि तुमको हया नहीं आती कि कुत्ते को खाना खिला रहे हो
आपने कहा कि हया की वजह से ही तो इसको खिला रहा हूं और यह कहकर जब आपने आसमान की
जानिब देखा तो एक परिंदा अपनी आंख और चेहरों को परों से
ढापेमा पर आ बैठा और आपने मामू से फरमाया कि खुदा से हया करने वाला से हर शय हया
करती है एक मर्तबा आलिम वजद में सुत के साथ इतनी जोर से चिमक गए कि वह सतन
टुकड़े-टुकड़े होने के करीब हो गया फिर फरमाया कि तीन चीजें शुजात का मजहर है
अव्वल वादा वफा करना दोम ऐसी सताय जिसमें
जूद सखा का तसव्वुर तक ना हो सोम बिला तलब के अता कर देना
इरशाद फरमाया कि नफ्स का इतबा खुदा की गिफ्ट है और जो खुदा को याद करता है वह
इसका महबूब है और वह जिसको महबूब बना ले इस पर खैर के दरवाजे खोलकर शर के दरवाजे
बंद कर देता है फरमाया कि लग बातें गुमराही की दलील हैं और गाफिल ना होना
हकीकत वफा की निशानी है फरमाया कि आमाल लिहा के बगैर जन्नत की तलब और इतबा सुन्नत
के बगैर शफात की उम्मीद और नाफरमानी के बाद रहमत की तमन्ना हकत है और हका को
मातबर तसव्वुर करते हुए द कीक मसाइल बयान करना और मखलूक से उम्मीद वाबस्ता ना करना
खालिस तसव्वुफ है लिहाजा मखलूक से आस तोड़कर खुदा से तलब करना चाहिए फरमाया कि
शर को नजरअंदाज करके किसी की बुराई या भलाई ना करो फरमाया कि जब दुनिया से
किनारा कश रहने वाले खब्बे इलाही के जायका से लज्जत हासिल करता है लेकिन यह मोहब्बत
भी इश्के कर्म से नसीब होती है फरमाया कि आरफीन खुद सराप दौलत हैं इन्हें किसी की
हाजत नहीं एक मर्तबा बड़ी खुश दिली के साथ कोई चीज तनाव फरमा रहे थे तो लोगों ने
पूछा कि ऐसी क्या शय है जो आप इस कदर मुसर्रत के साथ खा रहे हैं फरमाया कि मेरी
मुसर्रत की यह वजह है कि मैं खुदा ताला का मेहमान हूं और जो वह अता करता है खा लेता
हूं और अक्सर आप नफ से फरमाया करते थे कि मुझको छोड़ दे ताकि तुझे भी छुटकारा मिल
जाए फरमाया कि खुदा पर तवक करने वाला मखलूक के जर से महफूज रहता है फरमाया कि
इस चीज से डरते रहो कि खुदा की नजरें तुम पर हैं हजरत सरी सत्ता से रिवायत है कि
आपने मुझे यह हिदायत फरमाई कि जब तुम्हें कुछ तलब करना हो तो इस तरह तलब किया करो
कि ऐ खुदा भक के मारूफ कर है मुझको फला शय अता कर दे तो वह शय यकीनन तुमको मिल जाएगी
फिर सरी सत्ता ने फरमाया कि दमे मर्क आपने मुझे यह वसीयत फरमाई थी कि मुझको बिल्कुल
बहना दफन करना क्योंकि मैं दुनिया में बिल्कुल ही बरहन आया था इसके बाद आप
इंतकाल कर गए और आपका मजारे मुबारक आज तक मर्जाए खलाक बना हुआ है और लोगों की तमाम
मुरादें पूरी होती हैं वाकया जनाजा वफात के बाद हर मजहब के लोग अपने-अपने मसलक के
मुताबिक आपकी मयत उठाने पर आमादा ए बैकार थे यह देखकर आपके एक खादिम ने बताया कि
आपकी यह वसीयत थी कि जिस मजहब के लोग जमीन से मेरा जनाजा उठा ले वही दफन भी करें
चुनांचे मुसलमानों के अलावा किसी से भी आपका जनाजा ना उठ सका और इस्लामी अह काम
के मुताबिक आपकी तजी और तक फीन की गई एक मर्तबा आप बाजार से गुजर रहे थे तो देखा
कि एक बहिश्त यह कह रहा है कि ऐ अल्लाह जो मेरा पानी पी ले इसकी मगफिरत फरमा दे
चुनांचे नफली रोजे के बावजूद आपने पानी पी लिया और जब लोगों ने कहा कि आपका तो रोजा
था तो फरमाया कि मैंने तो बहिश्त की दुआ पर पानी पी लिया फिर इंतकाल के बाद किसी
ने ख्वाब में देखकर पूछा कि अल्लाह ताला ने आपके साथ कैसा सलूक किया फरमाया कि
बहिश्त की दुआ से मगफिरत फरमा दी हजरत मोहम्मद हुसैन ने ख्वाब में देखा और पूछा
कि अल्लाह ताला ने क्या मामला किया फरमाया कि मेरी मगफिरत फरमा दी फिर उन्होंने सवाल
किया कि क्या इबादत और जहद की वजह से मगफिरत हुई तो फरमाया कि नहीं बल्कि मैंने
इब्ने समा की इस नसीहत पर अमल किया था कि जो दुनिया से
इंकताला अल्लाह कर लेता है अल्लाह ताला भी इसकी जानिब रुजू फरमाता है हजरत सरी सत्ता
से रिवायत है कि मैंने आपको ख्वाब में तहत अर्श इस तरह देखा कि आप पर गशी तारी है और
पूछा जा रहा है कि यह कौन है इस सवाल पर फरिश्ते कह रहे हैं कि तू हमसे ज्यादा
जानता है फिर आवाज आई यह मारूफ करकी है जिसको हमार
महबूबिया ने बेखुद बना दिया है और अब हमारे दीदार के बगैर इसको होश नहीं आ
सकता बाब नंबर 30 हजरत सरी सत्ता रहमतुल्ला अल के हालातो
मुना किब तारुफ आप अहले कमाल में पहले फर्द हैं जिन्होंने बगदाद में हका तौहीद
की बुनियाद डाली आप मारूफ करकी से बैत और हजरत जुनैद बगदादी के मामू थे इसके अलावा
हबीब राई से भी शरफे नयाज हासिल रहा हालात इब्तिदा दौर में आप एक दुकान में सकत पजीर
रहे और इसी में एक पर्दा डालकर 1000 नवाफिल रोजाना पढ़ा करते थे इसी दौरान एक
शख्स कोहे लगाम से हाजिर हुआ और पर्दा उठाकर सलाम के बाद अर्ज किया कि कोहे लगाम
के फलां बुजुर्ग ने आपको सलाम कहा है आपने सलाम का जवाब देकर फरमाया कि मखलूक से
मुनकता होकर इबादत करना मुर्दों का काम है और जिंदा वह हैं जो मखलूक से वाबस्ता रहकर
यादें इलाही करते हैं आप तिजारत में 10 दीनार पर सिर्फ निस्फ दिनार नफा लिया करते
थे एक मर्तबा किसी ने 60 दिनार के बादाम खरीदे लेकिन इसके बाद कीमतें बढ़ गई और
दलाल ने 90 दिनार लगा दिए लेकिन आपने फरमाया कि मैं अपने अहद के खिलाफ फरोख्त
नहीं कर सकता द में आप सकत फरोशी करते थे और सकत फरोश उसे कहते हैं जो गिरे पड़े फल
फरोख्त करता है इसी दौरान बगदाद के बाजार में आग लगी लेकिन आपकी दुकान महफूज रह गई
और आपने बतौर शुकराने के दुकान का तमाम माल सदका कर दिया एक मर्तबा लोगों ने सवाल
किया कि आपको यह मराब कैसे हासिल हुए फरमाया कि एक मर्तबा हबीब राई मेरी दुकान
पर तशरीफ लाए और एक यतीम बच्चा भी इनके हमराह था उन्होंने फरमाया कि इस बच्चे को
कपड़े दिलवा दो और जब मैंने तामील कर दी तो आपने दुआ दी कि अल्लाह ताला तुम्हें वह
मराब अता करे कि तुम दुनिया को अपना गनीम तसव्वुर करने लगो चुनांचे इस दिन खुदा ने
मुझे अजीम मराब से नवाजा इरशाद आप फरमाया करते थे कि 40 साल से
मेरे नफ्स को शहद की ख्वाहिश है लेकिन आज तक मैंने इसकी ख्वाहिश पूरी नहीं की
फरमाया कि मैं हर यौम इसलिए आईना देखता हूं कि शायद माशियत की वजह से मेरा चेहरा
सयाह ना हो गया हो फरमाया कि काश पूरे आलम के आला मुझे मिल जाते ताकि तमाम लोगों को
गमों से रिहाई हासिल हो जाती फरमाया कि जब किसी मुसलमान के सामने दाढ़ी में लाल करता
हूं तो डरता हूं तो कहीं मुनाफिकन में मेरा शुमार ना हो जाए जाहिर परस्ती आप
बहुत मुंह बनाकर सलाम का जवाब दिया करते थे और जब वजह पूछी गई तो फरमाया कि हदीस
शरीफ में है कि जो किसी को सलाम करता है उस पर खुदा की तरफ से 100 रहमत नाजिल होती
हैं जिसमें से 90 रहमत उसको मिलती हैं जो दोनों में से खंदा पेशानी से पेश आता है
लिहाजा मैं मुंह बनाकर इसलिए जवाब देता हूं कि मुझसे जयद रहमत सलाम करने वाले को
हासिल हो जाएं आपने हजरत याकूब अल सलाम से ख्वाब में पूछा कि जब आप खुदा से मोहब्बत
करते थे तो हजरत यूसुफ अल सलाम की मोहब्बत क्यों थी उसी वक्त निदा ए गैबी आई कि ऐ
सरी पासे अदब मलूज रहे फिर उसके बाद जब आपको ख्वाब में हुस्ने यूसुफ से दोचा किया
गया तो चीखें मारकर 13 यौम गशी की हालत में पड़े रहे और होश आने के बाद यह निदा
आई कि जो हमारे महबूब से गुस्ताखी कर ता है उसका यही अंजाम होता है किसी खुदार
सीदा से आपका नाम पूछा तो फरमाया कि हु फिर सवाल किया कि खाते पीते क्या हैं
उन्होंने फिर जवाब में ू कहा गर्ज के जब हर सवाल के जवाब में वह यही कहते रहे तो
आपने पूछा कि ू से मुराद क्या अल्लाह है यह सुनते ही वह बुजुर्ग चीख मारक दुनिया
से रुखसत हो गए हजरत जुनेद बगदादी से रिवायत है कि जब हजरत सरी सत्ता ने
मुझसे मोहब्बत का मफू दरयाफ्त किया तो मैंने कहा कि बाज हजरात
मुवाफीनामा रही इसी वक्त आपने फरमाया कि अगर मैं दावा
करूं कि सिर्फ मोहब्बत ही की वजह से मेरी खाल खुश्क हुई तो मैं अपने दावा में हक
बजानिया ही बेहोश हो गए लेकिन आपका रूह मुबारक मोहरे दरख श की तरह दमक रहा था एक
मर्तबा फरमाया कि मोहब्बत बंदे को ऐसा कर देती है शमशीर और सुना की अजियत भी इसको
महसूस नहीं होती और इससे पहले मैं भी मोहब्बत की हकीकत से ना आशना था लेकिन
खुदा ने जब आगाह फरमा दिया तब मुझे मोहब्बत का सही मफू मालूम हुआ जब आपको यह
इल्म हो जाता कि लोग मेरे पास हसूल तारी के गर्ज से आ रहे हैं तो आप दुआ करते कि
अल्लाह इनको वह तालीम अता कर दे जिसमें मेरी एहतियात ही बाकी ना रहे और मुझे यह
लोग तेरी इबादत से गाफिल ना रख सके एक शख्स मुकम्मल 30 साल में इबादत मुजाहि दत
में सरगरम अमल था और लोगों ने जब उसे पूछा कि तुम्हें यह दर्जा कैसे मिला तो जवाब
दिया कि मैंने एक रोज हजरत सरी सक्ता के दरवाजे पर जब उन्हें आवाज दी तो पूछा कि
कौन है मैंने अर्ज किया कि आपका एक शनास यह सुनकर आपने यह दुआ दी कि ऐ अल्लाह इसको
ऐसा बना दे कि तेरे सिवा किसी से शना साई ना रहे चुनांचे उसी दिन से मुझे मराब
हासिल होने शुरू हो गए और आज इस दर्जा तक पहुंच गया हूं एक मर्तबा दराने वाज
मुसाहिब का नायब अहमद बिन यजद बड़े तिज को एहतेशाम के साथ मजलिस वाज में आ पहुंचा और
उस वक्त आपके वाज का यह मौजू था कि मखलूक में कोई मखलूक भी इंसान से कमजोर नहीं
लेकिन इसके बावजूद भी इंसान बड़े-बड़े गुनाह का इरत काब करता रहता है इस तकरीर
का अहमद बिन यजद पर ऐसा असर हुआ कि घर पहुंचकर बिना खाए पिए पूरी रात इबादत में
मशगूल रहा और सुबह को मुस्तबादा तौर पर फकीराना लिबास में आपके पास हाजिर हुआ और
अर्ज किया कि आपके बयान से कल जो मेरे ऊपर तासुर कायम हुआ है वह बयान से बाहर है और
हुब्ब दुनिया से निजात हासिल करके गोश नशीन का रुजम पैदा हो गया है लिहाजा आप
राहे तरीकत की तालीम से आरात फरमा दें आपने फरमाया कि आम तालीम तो यह है कि
पंचगांव की खास तालीम यह है कि दुनिया को खैर आबाद
कहकर इस तरह मसरूफ इबादत हो जाओ कि खुदा के सिवा किसी से कुछ तलब ना करो और अगर
कोई शय देना भी चाहे जब भी मत लो यह सुनकर अहमद बिन यजद नही फो नजार ना मालूम सिमत
की तरफ रवाना हो गए और कुछ अरसा के बाद उनकी वालिदा रोती पीटती आपके पास पहुंची
और अर्ज किया कि मेरा तो एक ही बच्चा था और वह भी आपकी सोहबत में दीवाना होकर ना
जाने कहां चला गया आपने तसल्ली देते हुए फरमाया कि जब वह आ जाए तो मैं तुम्हें
मतला कर दूंगा एक दिन अहमद बिन यजीद नही फो नजार हालत में आपकी खिदमत में हाजिर
हुए और अर्ज किया कि आपने ख्वाब गफलत से बेदार करके जो कर्म मुझ पर फरमाया है
अल्लाह ताला आपको इसकी जजा ए खैर दे दनी असना अहमद बिन यजीद की वालिदा और बीवी
बच्चे भी आ गए और इनकी जबू हाली देखकर लिपट कर रोने लगे और उनके साथ-साथ अहले
मजलिस पर भी गिर तारी हो गया फिर वालिदा और बीवी ने जब घर चलने पर इसरार किया तो
इंकार कर दिया जिस पर बीवी ने कहा कि अपने बच्चे को भी हमरा रखो चुनांचे आपने इसका
लिबास उतार कर कंबल उड़ा दिया और हाथ में जबील देकर साथ चलने के लिए कहा तो मां से
बच्चे का यह हाल नहीं देखा गया और इसको साथ नहीं जाने दिया फिर बरसों के बाद हजरत
सरी से किसी ने आकर अर्ज किया कि मुझको अहमद बिन यजद ने पैगाम देकर भेजा है मेरी
मौत करीब है अगर आप कद में रंज फरमाएं तो बेहतर होगा और जब आप वहां पहुंचे तो देखा
कि वह कब्रिस्तान में मट्टी के ढेर पर पड़े आहिस्ता आहिस्ता यह कह रहे हैं
लिम चुनांचे जिस वक्त आपने उनका सर अपनी आगोश में रखा तो उन्होंने आंख खोलकर कहा
कि आप बिल्कुल खात्मे के वक्त पहुंचे हैं यह कहकर आपकी आगोश में ही दुनिया से रुखसत
हो गए गए और जब आप उनकी तजवीज और तक फीन के सामान की खातिर शहर के जान में रवाना
हुए तो रास्ता में एक जम में गफीर मिला लोगों ने कहा कि हमने यह निदा आसमानी सुनी है कि हमारे मख सूस वली की नमाज अदा करना
चाहे व शुने जिया के कब्रिस्तान में पहुंच जाए चुनांचे हम सब वहां जा रहे हैं
इरशाद अपनी जवानी के दौर में फरमाया करते थे कि इबादत तो अहदे शबाब ही में करनी
चाहिए फिर फरमाया कि मालदार हमसाया बाजारी कारी और अमीर उलमा से दूर ही रहना चाहिए
फिर फरमाया कि सलामती दीन और सुकून जिस्मो जान सिर्फ गशा नशीन में ही है फरमाया कि
पांच चीजें छोड़कर तमाम आलिम बे सूद है अव्वल खाना लेकिन बकाए जिंदगी की हद तक
दोम पानी सिर्फ रफा तिशन गी के लिए सोम लिबास सिर्फ सत्र पोशी की हद तक चार मकान
सिर्फ सकून के लिए पंचम इल्म अमल की हद तक फरमाया कि ख्वाहिश की हद तक गुनाह काबले
माफी है लेकिन किब्र खूद की बुनियाद पर गुनाह ना काबले माफी है क्योंकि हजरत आदम
की लगज ख्वाहिश की बुनियाद पर थी और इब्लीस की ख्वाहिश किब्र नखत की वजह से थी
फरमाया कि जो खुद अपने नफ्स को आरात ना कर सके वह दूसरे नफ्स को कैसे संवार सकता है
फरमाया कि ऐसे अफराद बहुत कलील हैं जिनके कॉल और फेल में तजत ना हो और जो कदर नेमत
नहीं करता नेमत इससे से कोसों दूर भागती है फरमाया कि जो खुदा का अतात गुजार होता
है पूरा आलिम इसके जेरे नगी रहता है फरमाया कि जुबानो रुख से कल्बी कैफियात का
अंदाजा किया जा सकता है लेकिन कल्ब की भी तीन किस्में हैं अव्वल वो कल्ब जो कहे गरा
की तरह अपनी जगह अटल रहे दोम वो कल्ब जो मुस्तहकम दरख्त की तरह हो बाद तुं के
झोंके कभी इसको हिला भी देते हो सोम वो कल्ब जो परिंदों की मानिंद हवा में परवाज
करते हैं फरमाया कि अंसो हया कल्ब के दरवाजे पर पहुंचते हैं लेकिन अगर कल्ब में
जहद वरा का वजूद होता है तो मुकीम हो जाते हैं वरना वहीं से लौट आते हैं फरमाया कि
जिस कल्प में कोई और शय मुकीम होती है वहां यह पांच चीजें दाखिल नहीं होती खौफ
रजा हया उंस मोहब्बत और हर मुकर्रर बारगाह
को इसके कुर्ब के मुताबिक ही फहम अता की जाती है फरमाया कि रमज कुरानी की तफहीम के
लिए गौर और फिक्र करने वाला ही सबसे ज्यादा दानिशमंद है फरमाया कि महशर में
उम्म तों को अंबिया कराम की जानिब से निदा दी जाएगी लेकिन औलिया कराम को खुदा की
जानिब से पुकारा जाएगा फरमाया कि आरफीन का बुलंद मुकाम शौक है और आरिफ वह है जो कम
खाए कम सोए और कम आराम करें और आरिफ मोहरे ताबा की मानिंद सबको मुनव्वर करता है और
जमीन की तरह हर शय का बार संभाले रखता है आग की तरह सबको रास्ता दिखाता है और पानी
की तरह कुलूब को हयात ताजा देकर सराब करता रहता है फरमाया कि मखलूक से कुछ ना तलब
करते हुए दुनिया से मुत निफ रहने का नाम जहद है फरमाया कि खुद को फना कर देने के
बाद को सुकून मिलता है फरमाया कि मैंने जहद के तमाम वसाय इख्तियार किए लेकिन
हकीकी जहद से महरूम रहा फरमाया कि रियाकारी से मिलना खुदा से दूर कर देता है
और कसरत से मेल मिलाप रखने वाले को सदक हासिल नहीं हो सकता फरमाया कि खलाक यह है
कि लोगों को अजियत देने की बजाय उनकी अजियत रासानी पर सब्र से काम ले और गुस्सा
पर काबू पाना भी दाखिल खलाक है फरमाया कि गुनाह से तराज करना सिर्फ तीन वजूह से
होता है अव्वल ख्वाहिश बहिश्त दोम खौफ जहन्नुम से सोम खुदा की शर्म से फरमाया कि
इबादत को ख्वाहिश पर तरजीह देने से बंदा उरूज कमाल तक पहुंच जाता है एक मर्तबा सबर
का मफू बयान करते हुए कई मर्तबा बिच्छू ने काट लिया आपने उफ तक ना की अपनी मुनाजात
में आप यह कह रहे थे कि ऐ अल्लाह तेरी अजमत ने मुनाजात से रोका और तेरी मारफ ने
उंस अता किया और अगर जुबान से जिक्र करने को मना फरमा देता तो मैं जुबान से कभी
तुझे याद ना करता क्योंकि जुबान में तेरी सिफात बयान करने की कुदरत ही नहीं है हजरत
जुनेद बगदादी से रिवायत है कि एक मर्तबा आपने फरमाया कि मैं बगदाद में मरने को
इसलिए ना पसंदीदा समझता हूं कि यहां की जमीन मुझको कबूल नहीं करेगी और मुझसे
हुस्ने जन रखने वाले बद जनी में मुब्तला हो जाएंगे हजरत जुनेद कहते हैं कि जब मैं
अयादत के लिए हाजिर हुआ तो गर्मी की वजह से मैंने आपको पंखा झलना शुरू कर दिया मगर
आपने रोकते हुए फरमाया कि आग और भड़कने लगती है और मेरी मिजाज पुर्सी पर फरमाया
कि बंदा तो ममलुक है और इसको किसी शय पर कुदरत हासिल नहीं फिर जब मैंने नसीहत करने
की दरख्वास्त की तो फरमाया कि मखलूक में कहते हुए खालिक से गाफिल ना होना यह कहकर
आप दुनिया से रुखसत हो गए बाब नंबर 31
हजरत फतह मुसली रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आपका शुमार मश कराम में
होता है और आपको जिक्र इलाही से मोहब्बत और मखलूक से नफरत थी मनकुल है कि किसी ने
एक बुजुर्ग से कहा कि फतह मुसली जाहिल है उन्होंने जवाब दिया कि जो को खैराबाद कह
दे उससे ज्यादा बड़ा आलिम कौन हो सकता है हालात एक मर्तबा रात के हजरत सरी सत्ता
आपसे मुलाकात के लिए चले तो रास्ता में सिपाहियों ने चोर समझकर गिरफ्तार कर लिया
और सुबह को जब तमाम कैदियों के कत्ल का हुकम दिया गया तो आपके नंबर पर जल्लाद ने
हाथ रोक लिया और जब इससे वजह पूछी गई तो उसने बताया कि एक बूढ़े खुदा रसीदा मेरे
सामने खड़े मना कर रहे हैं और वह बुजुर्ग हजरत फतह मुसली है चुनांचे आपको रिहा कर
दिया गया और आप फतह मुसली के हमरा चले गए एक मर्तबा आपने लोहार की भट्टी में हाथ
डालकर लोहे का एक गर्म टुकड़ा हाथ में लेकर फरमाया कि इसका नाम सिद्दीक है और
आपने हजरत अली से ख्वाब में नसीहत करने की तदा की तो उन्होंने फरमाया कि यह नियत
सवाब उमरा के लिए फुकरा की
फुकरा उमरा से नफरत करें एक शिकस्त हाल नौजवान से मस्जिद में आपकी मुलाकात हुई तो
उसने अर्ज किया कि मैं एक मुसाफिर हूं और चूंकि मुकीम लोगों पर मुसाफिर का हक होता
है इसलिए मैं यह कहने से हाजिर हुआ हूं कि कल फला मुकाम पर मेरी मौत वाक होगी लिहाजा
आप गुसल देकर उन्हीं ब सदा कपड़ों में मुझे दफन कर दें चुनांचे जब अगले दिन आप
वहां तशरीफ ले गए तो इस नौजवान का इंतकाल हो चुका था था और आप जब उसकी वसीयत के
मुताबिक अमल करके कब्रिस्तान से वापस होने लगे तो कब्र में से आवाज आई कि ऐ फतह
मुसली अगर मुझे कुर्बे खुदा वंदी हासिल हो गया तो मैं आपको इसका सिला दूंगा फिर कहा
कि दुनिया में यूं जिंदगी बसर करो कि हयाते अब्दी हासिल हो जाए एक मर्तबा गिर
जारी करते-करते आपकी आंखों से अश्कों की बजाय लहू जारी हो गया और जब लोगों ने पूछा
कि इस कदर क्यों रोते रहते हैं तो फरमाया कि खौफ मासि अत से किसी ने बतौर नजराना 5050 दिरहम आपकी
खिदमत में पेश करते हुए अर्ज किया कि हदीस में यह आया कि जिसको बगैर तलब कुछ हासिल
हुआ अगर वह कबूल ना करे तो इसको नेमत खुदा वंदी का मुनकर कहा जाएगा यह सुनकर आपने
सिर्फ इसमें से एक दिरहम उठा लिया ताकि कुफ्र ने नेमत ना हो इरशाद आप फरमाया करते
थे कि मैंने 30 साल अब्दाली से नियाज हासिल किया और सभी ने यह नसी की कि मखलूक
से किनारा कुशी करो और कम खाओ जिस तरह मरीज पर बिला वजा खाना पानी बंद करने से
मौत वाक हो जाती है इस तरह इल्म हिकमत और मश की नसीहत के बगैर कल्ब मुर्दा हो जाता
है फरमाया कि मैंने एक ईसाई राहिब से पूछा कि खुदा का रास्ता कौन सा है उसने जवाब
दिया कि जिस तरफ तलाश करो वही है फरमाया कि आरिफ की हर बात और हर अमल मन जानिब
अल्लाह हुआ करते हैं और वह खुदा के सिवा किसी का तलबगार नहीं रहता और जो बंदा नफ्स
की मुखालिफत करता है वही खुदा का खलील है और खुदा का तालिब दुनिया का तालिब कभी
नहीं हो सकता बाद अज वफात किसी ने ख्वाब में देखकर आपसे पूछा कि अल्लाह ताला ने
आपके साथ क्या सुलूक किया फरमाया कि इसने मेरी मगफिरत करके फरमाया कि चूंकि तू खौफ
मासि अत से गिरिया कना रहता था इसलिए हमने फरिश्तों को हुकम दे दिया कि तेरी कोई
मासि अत दर्ज ना करें बाब नंबर 32 हजरत अहमद हवारी
रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आप बहरे शरीयत और तरीकत के शनावर थे
और बहुत सी दूसरी सिफात भी आप में मौजूद थी और मुसन के कौल के मुताबिक आपको शाम का
रेहान कहा जाता है हालात आप हजरत सुलेमान दारा के इरादत मंदो में से थे और सुफियान
बिन एनिया से भी फैज सोहबत हासिल किया था इसके अलावा आपके कलाम में बहुत ज्यादा असर
था हसूल इल्म के बाद अक्सर मसरूफ मुताल रहते लेकिन आखिर में तमाम किताबें दरिया
में फेंक दी और फरमाया कि हसूल मकसद के बाद हुज्जत और रहनुमाई की हाजत नहीं रहती
लेकिन बाज हजरात आपके इस अमल को आलिम वजद की पैदावार बताते हैं अपने मुर्शद हजरत
सुलेमान दारा से आपका यह मुहि था कि हम दोनों किसी बात में भी एक दूसरे से
इख्तिलाफ नहीं करेंगे चुनांचे एक मर्तबा जब हजरत सुलेमान आलम वजद में थे कि आपने
अर्ज किया तनूर गर्म है जैसा हुक्म हो किया जाए उन्होंने इसी वजदा कैफियत में कह
दिया कि तुम खुद तनूर में जाकर बैठ जाओ और यह महिदा के मुताबिक फौरन तनूर में जा
बैठे और फिर कुछ देर के बाद जब हजरत सुलेमान को याद आया कि मैंने तो हालत वजत
में इनसे कह दिया था चुनांचे तलाश करने पर देखा क्या तनूर में जा बैठे हैं और जब
हजरत और जब हजरत सुलेमान के कहने पर बाहर निकले तो आग ने आपके ऊपर कोई असर नहीं
किया था इरशाद फरमाया करते थे कि जब तक बंदा सदक दिल से इजहार नदा मत ना करे जुबानी तौबा
बे सूद है और जब तक इबादत और रियाजत में जद्दो जहद शामिल ना हो तो इस वक्त तक
गुनाह से बरी जिमा नहीं हो सकता और इस अमल के बाद ही अंश और दीदार इलाही नसीब होता
है फरमाया कि मफत की ज्यादती अकल की ज्यादती पर मौक है और खाफ रहने वालों का
सहारा रिजा है फरमाया कि तजी औकात पर रोना मुफीद है और हुब्ब दुनिया फक्र की दुश्मन
है और जो नफ्स शनास ना हो वो मगरूर है और गफलत और संग दिली से ज्यादा बड़ा कोई अजाब
नहीं फरमाया कि अंबिया कराम ने मौत को इसलिए बुरा तसव्वुर किया कि व याद इलाही
से मुनकता कर देती है फरमाया कि इबादत को मरगूब समझने वाला खुदा का महबूब होता है
और जो खुदा को इसलिए महबूब समझता है किससे हसूल नेमत करे तो वह मुशरिक है बल्कि खुदा
को बिला किसी तमा के महबूब तसवर करने वाला ही इसका महबूब होता है बाब नंबर 33 हजरत
अहमद हजरिया रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आप खुरासान के अजीम अहले अल्लाह
में से थे इस इसके अलावा आपकी तसा निफ न साय और आपके मुरीदन की तादाद भी बहुत
ज्यादा है ना सिर्फ यह बल्कि आपके तमाम हल्का बगो साहिबे कमाल बुजुर्गों से हुए
हैं हालात आपको हजरत हातिम इसम से शरफे
बैत हासिल था लेकिन अरसा दराज तक हजरत अबू तरा से भी यज हासिल करते रहे और जब लोगों
ने हजरत अबू हिफ से पूछा कि अहद हाजिर के तमाम सूफिया में आपके किसका मुकाम बुलंद
है तो आपने फरमाया कि मैंने हजरत अहमद हिजर या से ज्यादा बा हौसला और सादिल
अहवाल किसी को नहीं पाया बल्कि अबू हिस तो यहां तक फरमाते थे कि आपका वजूद ना होता
तो मुरव्वत फतुहा का जुहूर ही ना होता आप हमेशा फौजी लिबास में रहते और आपकी जौजा
फातिमा बहुत ही इबादत गुजार और सरदार बलख की दुख्तर थी और यह भी मशहूर है कि उन्हों
ने खुद ख्वाहिशे निकाह का इजहार करते हुए आपको अपने वालदैन से पैगाम निकाह देने के
लिए कहा लेकिन आपने इंकार कर दिया मगर जब दोबारा उन्होंने कहा कि आप रहनुमा होकर
राह मार रहे हैं उस वक्त आपने उनके सरार पर निकाह का पैगाम भेज दिया और जब निकाह
के बाद आपके यहां आई तो आपके हमराह सदक दिली से मशगूल इबादत हो गई और जब आप अपनी
बीवी के हमराह हजरत बायजीद से त के लिए पहुंचे तो आपकी बीवी ने उनसे बे बकाना तौर
पर गुफ्तगू की और इनका तरीका गुफ्तगू आपको नागवार हुआ और आपने तंब की कि गैर मर्दों
से इस तरह बे बकानो बे हिजा बाना गुफ्तगू जेबा नहीं लेकिन बीवी ने जवाब दिया कि
ख्वाहिश नफ्स की तकल में जिस तरह आप मेरे राजदार हैं इसी तरह हजरत बायजीद ख्वाहिश
तरीकत में मेरे हमराज हैं और इन्हीं की वजह से मुझे द इलाही नसीब होता है और इसकी
वजह यह है कि आप तो मेरी सोहबत के मतम नहीं रहते हैं और वह इससे बे नियाज है एक
मर्तबा हजरत बायजीद ने इनके हाथ में मेहंदी लगी देखकर पूछा कि यह मेहंदी क्यों
लगाई है उन्होंने अर्ज किया कि आज तक आपने मेरे हाथ और मेहंदी पर नजर नहीं डाली थी
इसलिए मैं आपके नजदीक बैठ जाती थी लेकिन आज से आपकी सोहबत मेरे लिए नाजायज है इसके
बाद हज हजरत अहमद बीवी समेत निशापुर मुकीम हो गए और जिस वक्त यया बिन माज निशापुर
पहुंचे तो आपने उनकी दावत के लिए जब बीवी से मशवरा किया तो उन्होंने कहा कि इतनी
मिक में गाय इतनी बकरियां इतना त्र और 20
गधे क्योंकि एक करीम की दावत के लिए जरूरी है कि कुत्ते भी महरूम ना रहे लिहाजा 20
गधों का गोश्त कुत्तों को खिलाया जाएगा इसी वजह से आप अपनी बीवी के मुतालिक
फरमाया करते थे जो शख्स मर्द को देखना चाहे वह फातिमा को देख ले आप अपने नफ्स पर
बेहद जबर से काम लेते थे चुनांचे एक मर्तबा आवाम जिहाद पर रवाना हुए तो आपके
नफ्स ने भी जिहाद का तकाजा किया लेकिन आपको यह ख्याल हो गया कि नफ्स का काम चूंकि तरकीब इबादत नहीं है इसलिए मुझे
किसी मुकर में मुब्तला करना चाहता है और शायद इसकी तरकीब का यह मकसद हो कि दराने
सफर रोजे नहीं रखने पड़ेंगे को इबादत से छुट्टी मिल जाएगी और लोगों से रब तो जब्त
का मौका मिल जाएगा मगर नफ्स ने इन सब चीजों से इंकार करते हुए कहा कि इनमें से
कोई बात नहीं है फिर जब आपने यह दुआ की कि ऐ अल्लाह मुझको फरेब नफ्स से महफूज रख तो
अल्लाह ताला ने नफ्स का फरेब जाहिर फरमा दिया कि नफ्स का यह फरेब था कि चूंकि आज
तक मेरी ख्वाहिश पूरी नहीं हुई लिहाजा मैं जिहाद में शरीक होकर शहीद हो जाऊं और तमाम
झं जड़ों से छुटकारा मिल जाए यह सुनकर आपने उस दिन नफ्स कुशी में और भी इजाफा कर
दिया आप फरमाया करते थे कि सफरे हज के दौरान मेरे पांव में कांटा चुप गया और
मैंने इस तसव्वुर से नहीं निकाला कि इससे तवक मुतासिर हो जाएगा चुनांचे मवाद पढ़ने
से मेरा पांव मुतमरना हुए दाखिले मक्का हुआ और इसी हालत
में हज करके वापस हो गया लेकिन राह में लोगों ने इसरार करके वह कांटा निकाल दिया
जब मैं हजरत बायजीद की खिदमत में हाजिर हुआ तो उन्होंने मुस्कुरा कर पूछा कि जो अजियत तुमको दी गई थी वह कहां गई मैंने
जवाब दिया कि मैंने अपने इख्तियार को इसके ताबे कर दिया था इस पर हजरत बायजीद ने फरमाया कि खुद को साहिबे इख्तियार तसव्वुर
करना क्या शिर्क में दाखिल नहीं इरशाद आप फरमाया करते थे कि अजमत फक्र का इजहार
किसी तरह भी मुनासिब नहीं फरमाया कि एक दरवेश ने माहे सया में एक द मंद को दावत
दी और जो की खुश्क रोटी उसके सामने रख दी फिर खाने के बाद उसके घर पहुंचकर एक तोड़ा
अराफिया का दरवेश की खिदमत में भेजा लेकिन दरवेश ने कहा कि मैं अपने फक्र को दोनों
जहान के एवज भी फरोख्त करने के लिए तैयार नहीं रात में आपके यहां चोर आ गया लेकिन
जब खाली हाथ जाने लगा तो आपने फरमाया कि मेरे साथ रात भर इबादत करो और इसका जो कुछ
सिला मुझको मिलेगा वह मैं मैं तुम्हें अता कर दूंगा चुनांचे वो रात भर आपके हमराह
मशगूल इबादत रहा और सुबह को जब किसी दौलतमंद ने बतौर नजराना 100 दिनार भेजे तो
आपने इस चोर को देते हुए फरमाया कि यह तो सिर्फ एक शब की इबादत का मुआवजा है यह
सुनकर चोर ने कहा कि सद हैफ मैंने आज तक इस खुदा को फरामोश किए रखा जिसकी एक रात
की इबादत करने का यह सिला मिलता है फिर तौबा करके आपके इरादत मंदो में शामिल हो
गया और बहुत बुलंद मुराद हासिल किए किसी ने ख्वाब में देखा सेमो जर की जंजीरें
पड़ी हुई एक रुथ पर एक रथ पर सवार हैं और मलायका इस रथ को खींच रहे हैं और जब इसने
सवाल किया क्या आप इस कद्र जा हो मरतबक के साथ कहां तशरीफ ले जा रहे हैं तो फरमाया
कि अपने दोस्त से मुलाकात करने फिर उसने अर्ज किया कि इतने बुलंद मुरा दिब के
बावजूद आप को दोस्त से मुलाकात की ख्वाहिश है फरमाया कि अगर मैं नहीं पहुंचा तो वह खुद आ जाएगा और जियारत का जो मर्तबा मिलता
है वह उसको हासिल हो जाएगा करामात एक मर्तबा आप किसी बुजुर्ग की खानकाह में
बसीद लिबास पहने हुए पहुंचे तो वहां के लोगों ने आपको हिकारत से देखा लेकिन आप
खामोश रहे फिर एक मर्तबा कुएं में डोल गिर गया तो आपने इन्हीं बुजुर्ग के यहां जाकर
कहा कि दुआ फरमा दीजिए कि डोल कुएं से बाहर आ जाए यह सुनकर वह बुजुर्ग हैरत जदा
रह गए लेकिन आपने फरमाया कि अगर इजाजत हो तो मैं खुद दुआ कर दूं चुनांचे इजाजत के
बाद जब आपने दुआ फरमाई तो डोल खुद तो डोल खुद
बखुदा को हिदायत फरमा दीजिए कि मुसाफिर को ह कात की नजर से ना देखा करें अजीब वाकया
किसी ने आपसे अपने अफलास का रोना रोया तो फरमाया कि जितने भी पेशे हो सकते हैं इनका
नाम अलहदा अलहदा पर्शियो पर लिखकर एक लोटे में डालकर मेरे पास ले आओ और जब वह तामील
कर चुका तो आपने लोटे में हाथ डालकर जब एक पर्ची निकाली तो इस पर चोरी का पेशा दर्ज
था आपने इसको हुक्म दिया कि तुम्हें यही पेशा इख्तियार करना चाहिए यह सुनकर पहले
तो वह परेशान हुआ लेकिन शेख के हुक्म की वजह से चोरों के ग्रह में शामिल हो गया
लेकिन जोरों ने इससे यह वादा लिया कि जिस तरह हम कहेंगे तुम्हें करना होगा चुनांचे
एक दिन इस ग्रह ने किसी काफिला को लूटकर एक दौलतमंद को कैदी बना लिया और जब इस नए
चोर से इस दौलतमंद को कत्ल करने का कहा तो इस चोर को यह ख्याल आया कि इस तरह यह लोग
सदा इंसानों को कत्ल कर चुके होंगे लिहाजा बेहतर सूरत यह है कि इसके सरदार ही को
खत्म कर दिया जाए और इस ख्याल के साथ ही इसने सरदार का खात्मा कर दिया यह कैफियत
देखकर तमाम चोर डर के मारे फरार हो गए और जिस दौलतमंद को कैद किया गया था नए चोर ने
इसको रिहा कर दिया जिसके सिला में इस दौलतमंद ने इसको इतनी दौलत दे दी कि यह
खुद अमीर कबीर बन गया और तमाम उम्र इबादत में गुजार दी एक मर्तबा कोई बुजुर्ग आपके
यहां तशरीफ लाए तो आपने अजरा मेहमान नवाजी उस दिन सात शमें रोशन की
यह देखकर उन बुजुर्ग ने तराज किया कि ये तकल्लुफ तो तसव्वुफ के मनाफी हैं यह देखकर
उन बुजुर्ग ने तराज किया कि यह तकल्लुफ तो तसव्वुफ के मुनाफ हैं आपने फरमाया कि
मैंने तो यह तमाम शम सिर्फ खुदा के वास्ते रोशन की हैं और अगर आप गलत समझे तो फिर
इनमें से जो शम खुदा के लिए रोशन ना हो उसको बुझा दें यह सुनकर वह बुजुर्ग तमाम
शमो को बुझाने में मशगूल रहा लेकिन एक भी ना बुझ सकी फिर सुबह को आपने फरमाया कि
मेरे साथ चलो मैं तुम्हें कुदरत के अजा बाद का नजारा कराना चाहता हूं चुनांचे जब
एक गिरजा के दरवाजे पर पहुंचे तो वहां एक काफिर बैठा हुआ था और इसने आपको देखते ही
बहुत
ताजमहेल कैसे खा सकते हैं यह सुनकर वह ईमान ले आया और इसके हमरा मजीद 69 अफराद
मुसलमान हो गए और उसी शब आपने ख्वाब में अल्लाह ताला को यह फरमाते देखा कि अहमद
तूने हमारे लिए सात शम रोशन की और इसके सिला में हमने तेरे ही वसीले से 70 कुलूब
को नूर ईमान से मुनव्वर कर दिया इरशाद आप फरमाया करते थे कि मैंने इंसानों
को जानवरों की मानिंद चारा खाते देखा है यह सुनकर लोगों ने पूछा कि क्या आप
इंसानों में शामिल नहीं थे फरमाया कि शामिल तो मैं भी था लेकिन फर्क यह था कि
वह खाते हुए खुश होकर उछल कूद रहे थे और मैं खाते हुए रो रहा था फरमाया कि फक्र
तीन चीजों से हासिल होता है अव्वल सखावत दोम तवाजो सोम अदब फिर फरमाया कि शाकी लोग
साबिर नहीं हो सकते लेकिन सब्र है फरमाया मारफ का मफू यह है कि खुदा
को कल्ब से महबूब रखते हुए जुबान से भी याद करता रहे और खुदा के इलावा हर शय को
तर्क कर दे फरमाया कि अहले खलाक खुदा के नजदीक महबूब होते हैं और खुदा की मोहब्बत
यह है कि तमाम असबाब वसाय को खैराबाद कहकर सदक दिली के साथ जिक्र इलाही में मशगूल
रहे फरमाया कि जब कल्ब नूर से पुर हो जाता है तो इसका नूर आजा से भी जाहिर होने लगता
है और अगर बातिल से लबरेज होता है तो इसकी तारी की भी आजा से जाहिर होती है फरमाया
कि ख्वाब गफलत से खराब कोई ख्वाब नहीं और शहवत से ज्यादा कवी कोई दूसरी शय नहीं
बल्कि गफलत के बगैर शहवत का गलबा कभी नहीं हो सकता फरमाया कि जिंदगी में ऐसी मयाना
रवी होनी चाहिए कि जो दीन और दुनिया दोनों से मुताबिक रखती हो फरमाया कि खुदा के
सिवा हर शय सिकना कशी सबसे बड़ी इबादत है किसी ने आपके रूबरू जब यह आयत पढ़ी के
इला अल्लाह तो आपने फरमाया कि यह आयत तो इसके सामने किरत करो जो इसका ना बन चुका
हो फिर नसीहत फरमाई कि नफ्स को मार डालो ताकि तुम्हें हयात मिल जाए करामत वफात से
पहले आप 7 हजार दीनार के मकरूज थे और यह तमाम कर्जा खैरात सदका करने की वजह से हुआ
था चुनांचे आखरी वक्त जब कर्ज ने तकाजा किया तो आपने दुआ की कि अल्लाह मैं तो इसी
वक्त तेरे पास हाजिर हो सकता हूं जब इनके कर्ज से सबक दोष हो जाऊं क्योंकि मेरी
हयात तो इनके पास गिरवी है अभी यह दुआ खत्म भी ना होने पाई थी के दरवाजे पर से
आवाज आई कि तमाम लोग अपना कर्ज ले और जब सब ले चुके तो आपका इंतकाल हो
गया बाब नंबर 34 हजरत अबू तुरा बख्शी रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब वाक्यात
आप खुरासान के अजीम उल मरतबक बुजुर्गों में से हुए हैं ना सिर्फ यह बल्कि 40 हज करने के साथ-साथ अरसा दराज तक कभी आराम
नहीं किया लेकिन एक मर्तबा सजदे की हालत में बैतुल्लाह के अंदर ही नींद आ गई और
ख्वाब में देखा कि बहुत सी हूरें आपकी जानिब मुतजेंस इलाही से फुर्सत नहीं मैं
तुम्हारी तरफ कैसे मुत वज्जा हो सकता हूं लेकिन हूरों ने कहा कि जब आपकी अदम तवज्जो
का इल्म दूसरी हूरों को होगा तो वह हमारा मजाक उड़ाएंगे यह सुनकर दरवाज जन्नत ने
जवाब दिया कि ये इस वक्त कतई [संगीत] मतवल महशर जन्नत में ही मुलाकात हो सकेगी
इब्ने जला का कौल है कि मैंने बेशुमार बुजुर्गों से शरफे नयाज हासिल किया है
लेकिन मेरी नजर में चार बुजुर्गों से ज्यादा अजीम उल मरतबक कोई बुजुर्ग नहीं
गुजरे और इनमें पहला दर्जा हजरत अबू राब का है फिर जिस वक्त आप मक्का मज्ज मा
पहुंचे तो बहुत ही खुश और खुरम थे और जब मैंने पूछा कि खाने का क्या इंतजाम है
फरमाया कभी बसरा कभी बगदाद और कभी यहीं खा लेता हूं हालात आप अपने दोस्तों में कोई
ऐब देखते तो खुद तौबा करते हुए मुजाहि दत में इजाफा कर देते और फरमाया करते कि मेरी
ही नहुसत की वजह से इसमें यह ऐब पैदा हुआ और मुरीदन से फरमाया करते कि रकार का कोई
काम ना करना एक मर्तबा आपसे किसी मुरीद पर एक माह का फाका गुजर गया और इसने इस तरारी
हालत में खरबूजे के छिलके की तरफ हाथ बढ़ा दिया तो आपने फरमाया कि ऐसी सूरत में तुझे
तसव्वुफ हासिल नहीं हो सकता क्योंकि मैंने खुदा से यह अहद किया है कि मेरा हाथ हराम
शय की जानिब ना बढ़ेगा फरमाया कि तमाम उम्र में एक मर्तबा जंगल में मुझे अंडा
रोटी खाने की ख्वाहिश हुई और मैं रास्ता भूलकर एक ऐसी जगह जा पहुंचा जहां कुछ पहले
काफिला शरो गुल मचा रहे थे और मुझे देखते ही लिपट कर कहने लगे कि इसी ने हमारा
सामान चुराया है और यह कहकर मेरे ऊपर मुसलसल छुरियां के वार करते रहे लेकिन एक
बूढ़े ने मुझे शनातन से कहा कि यह चोरी नहीं कर सकते यह तो बहुत बड़े बुजुर्ग हैं
यह सुनकर सब मुफी के खस्त गार हुए तो मैंने कहा कि मुझे तकलीफ का शिकवा इसलिए
नहीं कि आज मेरे नफ्स को खूब जिल्लत का सामना हुआ फिर इस बूढ़े ने अपने घर ले
जाकर मेरे सामने अंडा रोटी पेश किया और मुझे खाने में कुछ तामिल हुआ तो निदा ए
गैबी आई कि तुझे ख्वाहिश की सजा मिल गई अब खाना खा ले लेकिन तेरे नफ्स की ख्वाहिश
सजा पाए बगैर कभी पूरी नहीं होगी एक मर्तबा आप इरादत मंदो के हमराह जंगल में
सफर कर रहे थे कि सबको पीने और वजू के लिए पानी की जरूरत पेश आई और सबने आपसे अर्ज
किया चुनांचे आपने जमीन पर एक लकीर खींच दी जहां से उसी वक्त एक नहर जारी हो गई गई
हजरत अबू अल अब्बास से मनकुल है कि मैं एक मर्तबा सहरा में साथ था तो आपके एक मुरीद
ने पयास की शिकायत की चुनांचे जैसे ही आपने जमीन पर पांव मारा एक चश्मा नमूद हो
गया फिर दूसरे मुरीद ने अर्ज किया कि मैं तो आं जूरे में पानी पीने का ख्वाहिश मंद हू और आपने इसकी फरमाइश पर जब जमीन पर हाथ
मारा तो बहुत खूबसूरत सफेद रंग का प्याला निकल आया और बैतुल्लाह तक वह हमारे साथ
रहा आपने हजरत अबू अ अब्बास से पूछा कि आपके मुरीदन की कश्फ कराम के मुतालिक क्या
राय है उन्होंने कहा बहुत कम अफराद इस पर यकीन रखते हैं आपने फरमाया कि इन चीजों को
सही ना समझने वाला काफिर है इरशाद आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा मैंने तारीख
रात के अंदर एक बहुत ही खौफनाक कदा व हब्शी को देखकर पूछा कि तुम जिन हो या
इंसान उसने उल्टा मुझसे यह सवाल किया कि तुम काफिर हो या मुसलमान और जब मैंने कहा
कि मुसलमान हूं तो उसने कहा कि मुसलमान तो खुदा के सिवा किसी से नहीं डरता उस वक्त
यकीन हो गया कि यह गैबी तंब है फरमाया कि एक मर्तबा मैंने एक शख्स को बिला सवारी और
जादे राह के जंगल में सफर करते देखकर ख्याल किया कि इससे ज्यादा खुदा पर किसी
को एतमाद नहीं हो सकता और जब मैंने इसकी बेसर सामान के मुतालिक सवाल किया तो उसने
जवाब दिया कि खुदा को साथ रखने वाले के लिए किसी शय की जरूरत नहीं होती फरमाया कि
मैंने 30 साल तक ना किसी से कुछ लिया और ना दिया लोगों ने अर्ज किया कि इसकी वजाहत
फरमा दीजिए तो आपने कहा कि एक शख्स ने मुझे दावत दी लेकिन मैंने कबूल नहीं किया
और इस जुर्म में मुसलसल 14 यम तक फाका कशी करता रहा फरमाया कि बंदा सादिक वही है जो
अमल से कबल ही लज्जत अमल को महसूस कर ले और इखलास एक ऐसा अमल है जिसमें लज्जत
इबादत मुजमिल है फरमाया कि तीन चीजों से अंस मुज्र रसा है अव्वल नफ्स से दोम
जिंदगी से और सौम दौलत से फरमाया कि सुकून और राहत तो सिर्फ जन्नत ही में मिल सकते
हैं फरमाया कि वासले बल्ला होने के 70 मदार हैं और इनमें सबसे आला दर्जा तवक है
और अदना दर्जा अजाब और तवक का मफू यह है कि खुदा के दिए पर शुक्र अदा करें और ना
देने पर सब्र करें लेकिन हमा वक्त इसकी याद में गुम रहे फरमाया कि खुदा ने उलमा
को सिर्फ हिदायत के लिए तखक किया है फरमाया कि गना का मूम हर शय से मुस्त गना
होना है और फुकरा का मफू जरूरतमंद होना है इस्तग किसी ने आपसे अर्ज किया कि अगर आपकी
कोई हाजत हो तो फरमा दीजिए आपने जवाब दिया कि मुझे तो खुदा से भी हाजत नहीं इसलिए कि
मैं तो इसकी रजा पर खुश हूं वह जिस हाल में चाहे रखे फरमाया दरवेश को जो मिल जाए
वही उसका खाना है और जिससे जिस्म ढा पा जा सके वही लिबास है और जिस जगह मुकीम हो वही
मकान है वफात आपका इंतकाल बसरा के सहरा
में हुआ और इंतकाल के बर्सों बाद जब वहां से कोई काफिला गुजरा तो देखा कि आप हाथ
में अस्सा लिए किबला रू खड़े हैं और होठ खुश्क है मगर इसके बावजूद कोई दरिंदा आपके
पास ना भटकता था बाब नंबर 35 हजरत यया बिन
मुज रहमतुल्लाह अल के हालात मुराग तारुफ आप को हका और
दकाससी थी और तासुर अमेज मवाइल से आपको
वाइज के नाम से मसू किया जाता था लेकिन बाज अजम बुजुर्गों का मकला है कि दुनिया
में दो यया हुए हैं अव्वल हजरत यया जकरिया अल सलातो अस्सलाम और दूसरे यया बिन मुज
हजरत यया को तो मनाजिल खौफ तय करने का शर्फ हासिल हुआ और यया बिन मुज रहमतुल्ला
अलह ने रजा की जदा पैमाईश किया और आप अहदे तफू ही से मुरफे हका से इस तरह आशना रहे
कि कभी गुनाह कबीरा के मुरत कब नहीं हुए और आप अपनी इबादत और रियाजत की बिना पर
मुमताज जमाना रहे हालात जिस वक्त मुरीदन ने आपसे बेमो रजा का मफू पूछा तो फरमाया
कि यह दोनों चीजें अरकाने ईमान में दाखिल हैं और इनको नजरअंदाज कर देने से ईमान
मुस्तहकम नहीं होता क्योंकि खौफ करने वाला तो फराग के खतरे की वजह से इबादत करता है
और अहले रजा वसल की उम्मीद में मसरूफ इबादत रहता है लेकिन इबादत इस वक्त तक
मुकम्मल नहीं होती जब तक बैम रजा दोनों शामिल ना हो और इसी तरह इबादत के बगैर बैम
रजा कभी हासिल नहीं हो सकते खुलफा ए राशिद के बाद आप ही को बरसरे मंब वास गोई की
अव्वल हासिल हुई आपके एक भाई बहस मुजावर मकाम मुजमा में भी मुकीम थे और उन्होंने
वहां से आपको तहरीर किया कि मुझे तीन चीजों की तमन्ना थी अव्वल यह कि किसी
मुतबललिस्ट
पूरी हो गई अब तीसरी ख्वाहिश सिर्फ यह है कि मरने से कबल एक मर्तबा आपसे मुलाकात हो
जाए खुदा से दुआ कीजिए कि यह तमन्ना भी पूरी कर दे आपने जवाब में लिखा कि इंसान
को तो बजाते खुद मुतबललिस्ट कयाम भी
मुतबललिस्ट
कर देना चाहिए क्योंकि विसाले खुदा वंदी के बाद बंदा खुद
बखुदा ही को ना पा सके तो फिर मुझसे मुलाकात भी बे सूद है आपने किसी दोस्त को
तहरीर किया कि दुनिया और आखिरत की मिसाल ख्वाब बेदारी जैसी है अगर इंसान ख्वाब में
रोता है तो बेदारी में हंसता है लिहाजा तुम खौफ इलाही में रोने को अपना मसलक बना
लो ताकि कयामत में हंसने का मौका मिल जाए मनकुल है कि अपने भाई के हमराह एक देहात
में पहुंचे तो भाई ने कहा कि यह जगह बहुत अच्छी है आपने फरमाया कि इससे अच्छा वह
कल्ब है जो यादे इलाही में रहकर इस देहात की खूबसूरती पर नजर ना डाले खौफ एक मर्तबा
घर में चिराग बुझ गया तो आप महज इस खौफ से रोते रहे कि कहीं तौहीद ईमान की शमा भी
गफलत के झोंकों से ना बुझ जाए इरशाद किसी ने अर्ज किया कि मौत के
मुकाबला में दुनिया की एक हुबा से जायद कदर नहीं आपने फरमाया कि अगर मौत का वजूद
ना होता तो और भी ज्यादा बेकदर होती फरमाया कि मौत की मिसाल पुल जैसी है जो एक
हबीब को दूसरे हबीब से मिला देती है किसी ने आपके सामने यह पढ़ा आमन आलमीन आपने
फरमाया कि जब एक लम्हा का ईमान 200 साल की मासि अतो को खत्म कर देता है तो फिर 70
साल का ईमान 70 साल की मासि अतो को किस तरह खत्म ना कर देगा फरमाया कि रोज महशर
जब अल्लाह ताला मुझसे सवाल करेगा कि तेरी क्या तमन्ना है तो अर्ज करूंगा कि मुझे
जहन्नुम में भेजकर दूसरों के लिए जहन्नुम सर्द कर दे जैसा कि बारी ताला का यह कौल
है मोमिन का नूर आग के शोलों को सर दर्द कर देता है शाहिद है फरमाया कि अगर
जहन्नुम मेरी मलकीत में दे दी जाए कि मैं किसी आशिक को भी इसमें ना जलने दूं
क्योंकि आशिक तो रोजाना खुद को 100 मर्तबा जलाता है लोगों ने पूछा कि अगर किसी आशिक
के गुनाह कसरत से हो फिर क्या करेंगे फरमाया कि जब भी नहीं जलने दूंगा क्योंकि
इसके गुनाह इख्तियार नहीं बल्कि इस्तरा होते हैं फरमाया कि खुदा से खुश रहने वाले
से हर शय खुश रहती है और जिसकी आंखें जमाले खुदा वंदी से मुनव्वर हो जाएं इसके
नूर से तमाम दुनिया की आंखें मुनव्वर रहती हैं फरमाया कि अल्लाह ताला रोज महशर आरफीन
को अपने दीदार से सरफराज फरमाए फरमाया कि जिस कदर बंदा खुदा को महबूब रखता है इसी
कदर वह महबूबे खलाक हो जाता है और जितना खुदा से खाफ रहता है उतना ही मखलूक भी
इससे खौफ जदा रहती है और जिस कदर रुजू इला अल्लाह होता है उसी कदर मखलूक भी इसकी
जानिब रुजू करती है फरमाया कि सबसे ज्यादा खसारे में है वह जो अफल बद में जिंदगी गुजारता है फरमाया कि
तीन किस्म के लोगों से तराज करो अव्वल गाफिल उलमा से दोम काहिल कारियों से सोम
जाहिल सूफियों से फरमाया कि औलिया कराम को तीन बातों से पहचान लो अव्वल वह खालिक पर
भरोसा रखते हो दोम मखलूक से बे नियाज हो सोम खुदा को याद करते हो कि अगर मौत
फरोख्त की जाने वाली शय होती तो तो अहले आखरत मौत के सिवा कुछ ना खरीदते फरमाया कि
दानिश मंदी की तीन अलामत हैं अव्वल यह कि उमरा को हसद की बजाय बनज नसीहत देखे
फरमाया कि छुपकर गुनाह करने वाले को खुदा जाहिर में जिल्लत अता करता है कि इबादत
ज्यादा करो और लोगों से कम मिलो फिर फरमाया कि अगर आरफीन अदब इलाही से महरूम
हो जाएं तो इनके लिए हलाक है फरमाया कि जो गम खुदा से दूर कर दे उससे वो गुनाह बेहतर
है जो खुदा का मोहताज बना दे फरमाया कि खुदा दोस्त रया और नफाक से दूर रहता है और
मखलूक से भी इसी को दोस्ती बहुत कम होती है लेकिन खुदा से ज्यादा बंदे का दोस्त और
कोई नहीं फरमाया कि मुसलमान पर मुसलमान के तीन हकूक हैं अव्वल यह कि अगर किसी को नफा
ना पहुंचा सके तो मुज्र भी ना पहुंचाए दोम यह कि अगर किसी को अच्छा ना कहे तो बुरा
भी ना कहे सोम यह कि अगर किसी को खुश ना कर सके तो गमजदा भी ना करें फरमाया कि
अहमक हैं वह लोग जो जहन्नुम के बाद जन्नत तलब करते हैं फरमाया कि तौबा के बाद एक
गुनाह भी इन 70 गुनाहों से बदतर है जिनके बाद तौबा की गई हो फिर फरमाया मोमिन बैम
रजा के मा बैन रहकर गुनाह करता है फरमाया कि हैरत है इन लोगों पर जो बीमारी के खौफ
से खाने को तर्क कर देते हैं लेकिन खौफ आखिरत से मासि नहीं छोड़ते फिर फरमाया कि
तीन किस्म के लोग दानिशमंद होते हैं अव्वल तारिक दुनिया दोम तालिब अकबा सोम खुदा के
आशिक फरमाया कि मरते वक्त दो परेशानियां लाह क रहती हैं अव्वल यह कि इनके बाद दौलत
पर दूसरे लोग काबिज होंगे दूसरे यह कि लोग इसकी दौलत का हिसाब दरयाफ्त करेंगे फरमाया
कि तवक और जहद पर ताना जनी करना है फरमाया कि फाका कशी मुरीद की रियाजत तौबा करने
वालों के लिए तजुर्बा जाहिद के लिए सियासत और आरिफीन के लिए मगफिरत है फरमाया कि
अहले तकवा अमल की जानिब अब्दाली अन आयात की जानिब लिबी हक के एहसान की जानिब और
आरफीन जिक्र की जानिब रागब करते हैं फरमाया कि नजूल बिलिया के वक्त सब्र की
हकीकत और मुकाशिफत वक्त हकीकत रजा जाहिर होती है फरमाया कि सदक दिली से कलील इबादत
भी इस 70 साल की इबादत से बदर जहा बेहतर है जो बेदिली के साथ की गई हो फरमाया कि
तालिब की आला मंजिल खौफ और वासिल की हया या रजा है फरमाया कि अमल को अयूब से महफूज
रखना ही इखलास है फरमाया कि ख्वाहिश से किनारा कशी शौक इलाही है फरमाया कि जे हे
दाल तीन हरूफ है जे से मुराद जीनत को तर्क कर देना है हे से मुराद हवा यानी ख्वाहिश
को खैराबाद कह देना और दाल से मुराद दुनिया को छोड़ देना है फरमाया कि जाहिद
वो है जो तलब दुनिया से ज्यादा त के दुनिया की ख्वाहिश रखता हो फरमाया कि इता खुदा का खजाना है फरमाया कि अतात खुदा का
खजाना है और दुआ इसकी कुंजी है फरमाया कि तौहीद नूर है और शिर्क नार और तौहीद का
नूर गुनाहों को और शिर कनार नेकियों को जला देते हैं फरमाया कि जिक्र इलाही
गुनाहों को मेहव कर देता है और इसकी रजा आरजूओ को फना कर देती है और बंदा इसकी
मोहब्बत में सरगर द रहता है फरमाया कि अगर तुम खुदा से राजी हो तो वह भी तुमसे राजी
है किसी ने सवाल किया कि क्या कुछ लोग ऐसे भी हैं जो खुदा से राजी नहीं और इसकी मफत
के दावेदार भी हैं फरमाया कि जब नफ्स ऐसी इबादत का दावेदार बन जाए कि अगर तीन दिन
रात खाना ना खाए तो नफ्स में नाकाह पैदा ना हो फरमाया कि खुदा पर तमार करके मखलूक
से बे नियाज होने का नाम दरवेशी है और कयामत में सिर्फ दरवेश ही की कदर होगी और
तोंगरी की ना कद्र फरमाया कि जफा ए महबूब पर सब्र और वफा पर शुक्र का नाम मोहब्बत
है किसी ने कहा कि बाज लोग आपकी गीबत करते हैं तो फरमाया कि अगर मेरे अंदर अयूब है
तो मैं वाकई इसका सजावा हूं और अगर अच्छाइयां हैं तो गीबत से मुझको कोई जरर
नहीं पहुंचता सवाल किया गया कि आप अपने मवाई में हमेशा खौफ रिजा ही का जिक्र
क्यों करते हैं फरमाया चूंकि अल्लाह ताला कवी और बंदा कमजोर है इसलिए बंदे को इससे
खौफ और उम्मीद ही रखना मुनासिब है तरीका दुआ आप अपनी मुनाजात इस तरह शुरू करते कि
ऐ अल्लाह गो मैं बहुत ही मा मायत का हूं फिर भी तुझसे मगफिरत की उम्मीद रखता हूं
मैं सर तापा माशियत और तू मुजसे में उफू है ऐ अल्लाह तूने फिरौन को खुदाई दावा पर
भी हजरत मूसा और हजरत हारून को नरमी का हुकम दिया लिहाजा जब तू अना रब बिकम अल
आला कहने वाले पर कम फरमा सकता है तो जो बंदे सुभाना रब्बियाल आला कहते हैं उन पर
तेरे लुत्फ करम का कौन अंदाजा कर सकता है ए अल्लाह मेरी मलकीत में एक कंबल के सिवा
कुछ नहीं लेकिन अगर यह भी कोई तलब करे तो मैं देने पर तैयार हूं ए अल्लाह तेरा
इरशाद है कि नेकी करने वालों को नेकी की वजह से बेहतर सिला दिया जाता है और मैं
तुझ पर ईमान रखता हूं जिससे अफजल दुनिया में कोई नहीं है लिहाजा इसके सिला में
अपने दीदार से नवाज दे ऐ अल्लाह जिस तरह तू किसी से मुशा बेह नहीं इसी तरह तेरे
अमूर भी दूसरों से गैर मुशा है और जब यह दस्तूर है कि तालिब अपने मतलूब को राहतें
पहुंचाता है तो फिर यह कैसे मुमकिन है कि त अपने बंदों को अजाब में मुब्तला कर दे
इसलिए कि तुझसे ज्यादा महबूब रखने वाला और कौन हो सकता है ऐ अल्लाह मेरा दुनियावी
हिस्सा कुफर को दे दे और अखर भी हिस्सा अहले ईमान को अता कर दे क्योंकि मेरे लिए
तोत दुनिया में तेरी याद और आखिरत में तेरा दीदार काफी है ऐ अल्लाह चूंकि तू गुनाह बख्शने वाला है और मैं गुनाहगार हूं
इसीलिए तुझसे तालिब मगफिरत हूं ए अल्लाह तेरी गफारी और अपनी कमजोरी की बिना पर
इतका बे मासि अत करता हूं इसीलिए अपनी गफारी या मेरी कमजोरी के पेशे नजर मुझे
बख्श दे ऐ अल्लाह रोज महशर जब मुझसे पूछा जाएगा कि दुनिया से क्या लाया तो मेरे पास
कोई भी जवाब ना होगा हालात आप एक लाख के महज इसलिए मकरूज हो गए कि नमाजियों
हाजियों फुकरा सूफिया और उलमा को कर्ज ले लेकर दिया करते थे जब कर्ज देने वालों ने
तकाजा शुरू किया तो आपने जुमा के शब में हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ख्वाब में देखा कि आप फरमा रहे हैं कि ऐ
यया रंजीदा क्यों हो कि तेरा गम मुझको गमगीन कर देता है अब तेरे लिए यह हुक्म है
कि तू हर शहर में जाकर वाज कह और मैं एक शख्स को हुक्म दूंगा कि तुझे 3 लाख दिरहम
दे दे चुनांचे सबसे पहले निशापुर पहुंचकर आपने वाज में फरमाया कि ऐ लोगों मैं खुदा
के नबी के हुक्म पर शहर शहर वाज गोई के लिए निकला हूं क्योंकि मैं 1 लाख दिरहम का
मकरूज हो चुका हूं और हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि एक शख्स तेरा कर्ज अदा कर देगा यह सुनकर एक शख्स 500
दिरहम और दूसरे ने 40000 दिरहम और तीसरे ने 10000 दिरहम की पेशकश की लेकिन आपने
फरमाया कि मुख्तलिफ लोगों से लेकर मुझे कर्ज की अदायगी मंजूर नहीं क्योंकि मुझे
तो यह हुकम मिला है कि सिर्फ एक शख्स कर्ज अदा करेगा इसके बाद आपने ने ऐसे मुतासिर
अंदाज में वाज फरमाया कि इसी मजलिस में सात अफराद का इंतकाल हो गया उसके बाद फिर
वहां से बलख पहुंचे तो तोंगरी के फजल कुछ इस अंदाज में बयान फरमाए कि एक शख्स ने 1
लाख दिरहम का नजराना पेश कर दिया लेकिन एक बुजुर्ग ने फरमाया कि दरवेशी के मुकाबला
में तोंगरी की फजीलत बयान करना आपकी शान के मुनाफ है चुनांचे बल्क से रवानगी के
बाद रास्ता में डाकुओं ने आपकी सारी रकम लूट ली इस वक्त आपको ख्याल आया कि यह
हादसा इन्हें बुजुर्ग के कौल की वजह से पेश आया है फिर जब आखिर में आप मुल्क हरी
में पहुंचे तो अपना ख्वाब बयान किया चुनांचे दराने वाज हाकिम हरी की लड़की ने
बयान किया कि इस दिन मुझे भी हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने आपके कर्ज की
अदायगी का हुक्म दिया था और जब मैंने अर्ज किया कि अगर हुक्म हो तो खुद वहां जाकर
इनका कर्ज अदा कर दूं तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि वोह खुद यहां आएगा लिहाजा मेरी आपसे इतनी इस्तता है कि
सिर्फ चार यम तक यहां वाज फरमा द चुनांचे आपके मवाई का ऐसा असर हुआ कि चार यम के
अंदर 145 अफराद आपकी मजलिस वाज में इंतकाल
कर गए और जब आप वहां से रुखसत होने लगे तो इस अमीर लड़की ने 60 ऊंट दीनार दिरहम से
भरकर आपके हमराह किए और जब आप वतन पहुंचे तो साहिबजादे को हिदायत की कि तमाम कर्ज
की अदायगी के बाद जो रकम बच जाए उसको फुकरा में तकसीम कर दो क्योंकि मेरे लिए
खुदा की जात बहुत काफी है इसके बाद आप जमीन पर सर रखे हुए मशगूल मनाचा थे कि
किसी ने ऐसा पत्थर मारा कि आपका इंतकाल हो गया और आपकी नाश को निशापुर ले जाकर
कब्रिस्तान ममर में दफन किया गया बाब नंबर 36 हजरत शाह शुजा किरमानी रहमतुल्ला अल के
हालातो मुना किब तारुफ आप शाही न से ताल्लुक रखने के बावजूद बहुत ही अजीम उल
मरतबक बुजुर्ग हुए हैं और आपकी तजनी में मराल हुकमार तस्नीफ है इसके अलावा आपको बेशुमार
बुजुर्गों से शरफे नयाज हासिल रहा जिनमें हजरत अबू तुरा बख्शी और यया बिन मुज जैसी
बुजुर्ग हस्तियां भी शामिल हैं और जब आप निशापुर पहुंचे तो हजरत अबू हिफ ने अपनी
अजमत और बरतरी के बावजूद आपका एहतराम करते हुए फरमाया कि जिसको उबा में तलाश करता था
इसको कुबा में पाया हालात आप मुकम्मल 40
साल तक नहीं सोए और जब आंखें नींद से भारी होने लगती तो नमक भर लेते लेकिन 40 साल के
बाद आप एक मर्तबा सोए तो अल्लाह ताला को ख्वाब में देखकर अर्ज किया कि अल्लाह
मैंने तुझे बेदारी में तलाश किया लेकिन ख्वाब में पाया निदा आई कि ये इस बेदारी
का मुआवजा है इसके बाद से आपने सोने को इसलिए अपना मामूल बना लिया कि शायद फिर
जलवाए खुदा वंदी नजर आ आ जाए और अपने इस ख्वाब पर इस कदर नाजा थे कि यह फरमाया
करते कि अगर इस ख्वाब के मुआवजा में मुझे दोनों आलिम भी अता किए जाएं तब भी कबूल
नहीं करूंगा जब आपके यहां लड़का तलित हुआ तो इस कसीना पर सब्ज हरूफ में अल्लाह
जल्ला शना तहरीर था लेकिन जब शौरी उम्र को पहुंचा तो लहब लाब में मशगूल रहकर बर्बत
पर गाना गाया करता था चुनांचे रात के वक्त जब एक मोहल्ला में से गाता हुआ गुजरा तो
एक नई दुल्हन अपने शौहर के पास सोई हुई थी मुस्तर बाना तौर पर उठकर बाहर झांकने लगी
दनय सना जब शौहर की आंख खुली तो बीवी को अपने पास ना पाकर उठा और बीवी के पास
पहुंचकर इस लड़के से मुखातिब होकर कहा कि शायद अभी तेरी तौबा का वक्त नहीं आया यह
सुनकर लड़के ने तासुर अमेज अंदाज में कहा कि यकीनन वक्त आ चुका है और यह कहकर बर्बत
तोड़ दिया और इसी दिन से जिक्र इलाही में मशगूल हो गया और इस दर्जा कमाल तक पहुंचा
कि इसके वालिद फरमाया करते थे कि जो मुकाम मुझे 40 साल में हासिल ना हुआ वह साहिबजादे को 40 यौम में मिल गया शाह
किमान ने आपकी साहिबजादे के साथ निकाह करने का पैगाम भेजा तो आपने तीन यौम की
मोहलत तलब की और तीन दिनों में मस्जिद के राफ इस नियत से चक्कर काटते रहे कोई दरवेश
कामिल मिल जाए तो मैं इससे निकाह कर दूं चुनांचे तीसरे दिन एक बुजुर्ग खुलूस कल्ब
के साथ मस्जिद में नमाज अदा करते हुए मिल गए तो आपने दरयाफ्त किया कि कि क्या तुम
निकाह के ख्वाहिश मंद हो उन्होंने कहा कि मैं तो बहुत मफल कुल हाल हूं मुझसे कौन
अपनी लड़की का निकाह कर सकता है लेकिन आपने फरमाया कि मैं अपनी लड़की तुम्हारे
निकाह में देता हूं चुनांचे बामी रजामंदी से निकाह हो गया और जब साहिबजादे अपने शौहर के पहुंची तो देखा कि एक कोने में
पानी और एक टुकड़ा सूखी हुई रोटी का रखा हुआ है और जब शौहर से पूछा कि यह क्या है
तो उन्होंने कहा कि आधा पानी और आधी रोटी कल खा ली थी और आधी आज के लिए बचा रखी थी
यह सुनकर जब बीवी ने अपने वालदैन के यहां जाने की ख्वाहिश की तो शौहर ने कहा कि मैं तो पहले ही जानता था कि शाहे खानदान की
लड़की फकीर के साथ गुजारा नहीं कर सकती लेकिन बीवी ने जवाब दिया कि यह बात नहीं
बल्कि मैं तो अपने वालिद से यह शिकायत करना चाहती हूं कि उन्होंने मुझसे वादा किया था कि मैं तेरा निकाह किसी मुत्त की
से कर रहा हूं मगर अब मुझे मालूम हुआ कि मेरा निकाह तो ऐसे शख्स से कर दिया गया है
जो खुदा पर काने नहीं है और दूसरे दिन के लिए खाना बचाकर रखता है जो तवक के कतन मुनाफ है लिहाजा इस
घर में या तो मैं रहूंगी या यह रोटी रहेगी हजरत अबू हिफ ने आपको तहरीर किया कि जब
मैंने अपने अमल नफ्स और मासि अतो पर निगाह डाली तो मायूस हों के सिवा कुछ ना मिला
आपने जवाब में तहरीर किया कि मैंने आपके मकतूब को अपने कल्ब के लिए आईना बना लिया
है क्योंकि अगर नफ्स से मुखलिस मायूसी होगी तो खुदा ताला से आस होगी और जब खुदा
से आस होगी तो खौफ पैदा होगा और जब खौफ पैदा होगा तो नफ्स की जानिब मायूसी होगी
और जब नफ्स से मायूसी होगी तो खुदा की याद भी हो सकेगी और जब खुदा की याद मुकम्मल
होगी तो इस्तग पैदा होगा और मुस्त गनी होने के बाद ही खुदा का विसाल हो सकता है
हजरत यया बिन मुज आपके गहरे दोस्तों में थे चुनांचे जब दोनों एक ही शहर में जमा
हुए तो हजरत यया ने अपनी मजलि से वाज में आपको भी दावत दी लेकिन आप नहीं गए और जब
एक दिन हजरत यया के पास पहुंचे तो एक गोशाम छुपकर बैठ गए इस वक्त हजरत यया बाज
गोई में मशगूल थे लेकिन अचानक जुबान बंद हो गई और आपने कहा कि इस मजलिस में शायद
मुझसे बेहतर कोई वाज मौजूद है जिसके तसरफती है यह सुनकर आप सामने आए और फरमाया
कि मैं इसी वजह से इसकी मजलिस वाज में शरीक होना नहीं चाहता था इरशाद आप फरमाया
करते थे कि अहले फजल और अहले विलायत की विलायत इसी वक्त तक कायम रहती है जब तक कि
वह अपने फजल विलायत को फजल विलायत तसवर नहीं करते फरमाया कि फक्र खुदा का एक राज
है और जब तक फुकरा इसको पोशीदा रखते हैं अमीन होते हैं और अफशा ए राज के बाद इनसे
फक्र तलब कर लिया जाता है फरमाया कि सदक की तीन अलामत हैं अव्वल दुनिया से नफरत का
इजहार दोम मखलूक से दूरी सोम ख्वाहिश पर गलबा हासिल करना फरमाया कि खौफ इलाही का
मफू हमेशा खाफ रहना है और सबसे बड़ा खाफ वह है जो खुद दिखावे के लिए हकूक अल्लाह
की तामील ना करता हो फरमाया कि सब्र की तीन अलामत हैं तर्क शिकायत सदक रजा और
कबूलियत रजा फरमाया कि मेरी मिसाल इस जिंदा मुर्ख की सी है जिसको सीख पर लगाकर
आग में रख दिया जाए और चारों तरफ से आग दहका जाए वफात आपके विसाल के बाद हजरत अली
शेर जानी आपकी कब्र पर फुकरा को खाना तकसीम किया करते थे एक मर्तबा उन्होंने
दुआ की कि या अल्लाह इस वक्त किसी मेहमान को भेज दे ताकि मैं इसके हमराह खाना खाऊं
चुनांचे इसी वक्त एक कुत्ता आ गया लेकिन आपने इसको धुत का कर भगा दिया इसके जाते
ही निदा ए गैबी आई के खुद ही मेहमान को धुत का देते हो यह निदा सुनकर आप मुस्तर
बाना तौर पर कुत्ते के जुस्तजू में निकल खड़े हुए और तलाश बेसियार के बाद जब वह एक
जंगल में मिल गया तो आपने खाना इसके सामने रख दिया लेकिन उसने नहीं खाया जिसकी वजह
से एहसास से निदा मत करते हुए आपने तौबा की तौबा के बाद आपसे कुत्ते ने कहा कि
आपने बहुत अच्छा किया वरना अगर शाह करमानी के मजार से हटकर इस किस्म की हरकत करते तो
ना काबिले फरामोश सजा के मुस्तजब होते हजरत यूसुफ बिन हुसैन रहमतुल्ला अल के
हालात मुना किब तारुफ आप बहुत बाकमान और अजीम बुजुर्गों में से हैं और और
बड़े-बड़े मशक की सोहबत से फैज जाब हुए आपका ताल्लुक हजरत जुल नून मिसरी के इरादत
मंदो में से था इसके अलावा आप बहुत खूबसूरत और खुश पोश भी थे तवील उम्र पाने
के बावजूद कसरत से इबादत किया करते थे हालात अहद जवानी में किसी कबीले के सिरदार
की लड़की आपके इश्क में मुब्तला हो गई और एक रोज तन्हाई में आपसे वसल की ख्वाहिश
जाहिर की लेकिन आपके ऊपर खौफ इलाही का इस दर्जा गलबा हुआ कि आप वहां से भाग पड़े और
त को ख्वाब में हजरत यूसुफ को एक तख्त पर इस तरह जलवा फरमा देखा कि मलायका सफ बस्ता
आपके सामने खड़े हैं और आपको देखते ही हजरत यूसुफ बहरे इस्तकबाल खड़े हो गए और
अपने पहलू में बिठाकर फरमाया कि जिस वक्त तुम्हारे ऊपर लड़की की ख्वाहिश वस्ल पर
खौफ इलाही का गलबा हुआ था उसी वक्त अल्लाह ताला ने मुझसे फरमाया कि ऐ यूसुफ तुमने
जुलैखा के शर से बचने की दुआ की थी लेकिन यह वह यूसुफ है जिसने हमारे खौफ से सरदार
की लड़की को ठुकरा दिया और आज इसी वजह से तुमसे मुलाकात के लिए मुझे हुकम दिया गया
है फिर हजरत यूसुफ ने फरमाया कि तुमको यह बशारत देता हूं कि आइंदा चलकर तुम्हारा शुमार अजीम बुजुर्गों में होगा लिहाजा तुम
इमे आजम की तालीम के लिए खिदमत करते रहो लेकिन पासे अदब की वजह से इजहार मद ना कर
सके फिर जब खुद ही हजरत जुल नून ने आमद का मकसद दरयाफ्त किया तो अर्ज किया कि हसूल
नियाज और खिदमत गुजारी के लिए हाजिर हुआ हूं और यह कहकर फिर मजीद एक साल तक वहीं
पड़े रहे फिर 2 साल गुजरने के बाद जब दोबारा हजरत जुल नून ने आमद का मकसद पूछा
तो अर्ज किया कि इसमे आजम सीखना चाहता हूं यह सुनकर वह खामोश हो गए और मजीद एक साल
तक कोई जवाब नहीं दिया फिर 3 साल गुजर जाने के बाद आपके हाथ में सर पोश से ढका
हुआ एक प्याला देते हुए फरमाया कि यह प्याला दरिया ए नील के दूसरे किनारे पर फलां शख्स को दे आओ और वही शख्स तुमको
इसमे आजम भी बता देगा चुनांचे बे यकीनी की कैफियत में जब रास्ता में इस पया को खोल
कर देखा तो इसमें से एक चूहा दुम दबाकर भाग गया यह देखकर आप बेहद नादम हुए और
खाली पया इस शख्स के हाथ में जाकर दे दिया उसने कहा कि जब तुम एक चूहे की हिफाजत ना
कर सके तो फिर इसमे आजम को कैसे महफूज रख सकोगे यह जवाब सुनकर आप मायूसी के आलम में
हजरत जुल नून की खिदमत में वापस पहुंचे तो उन्होंने फरमाया कि मैंने सात मर्तबा खुदा
से तुम्हें इमे आजम बताने की इजाजत चाही लेकिन हर मर्तबा यही जवाब मिला कि अभी
आजमाओ चुनांचे बतौर आजमाइश के मैंने तुम्हें चूहा बंद करके दे दिया था लेकिन यह अंदाजा हुआ कि तुम अभी तक इमे आजम की
हिफाजत के अहल नहीं हुए हो लिहाजा अपने वतन वापस जाकर वक्त का इंतजार करो चुनांचे
रवानगी से कबल जब आपने हजरत जुल नून से नसीहत करने की दरख्वास्त की तो उन्होंने
फरमाया कि तुमने जो कुछ लिखा पढ़ा है इसको यकसर फरामोश कर दो ताकि दरमियान से हिजाब
उठ जाए और मुझको भी इस इस तरह भुला दो कि किसी के सामने मुझे अपना मुर्शद मत कहो
लेकिन आपने अर्ज किया कि यह दोनों शर्तें मेरे लिए ना काबिले कबूल हैं अलबत्ता
तीसरी शर्त कि मखलूक को खुदा की जानिब मद करो इस पर इंशा अल्लाह जरूर अमल पैरा होगा
चुनांचे वतन वापस आने के बाद आपने तबलीग वाज का सिलसिला शुरू कर दिया लेकिन उलमा
ने आपकी इस दर्जा मुखालिफत की कि आवाम आपसे बदज हो गए और एक दिन जब आप वाज कहने
पहुंचे तो वहां एक फर्द भी मौजूद नहीं था लिहाजा आपने वाज कोई तर्क कर देने का
कसदार ने कहा आपने जुल नून से मखलूक को बंदो न साय करते रहने का वादा किया था फिर
यह अहद शिकनी कैसी इसके बाद से आपने यह परवाह किए बगैर कि कितने अफराद वाज में
हाजिर होते हैं मुसलसल 50 बर्स तक अपना सिलसिला वाज जारी रखा और आपके फैज सोहबत
से हजरत इब्राहिम खवास पर यह असर हुआ कि बगैर वारी और जाद राह के सहरा में सफर
करते रहे हजरत इब्राहिम खवास से रिवायत है कि एक मर्तबा आलिम रोया में यह निदा सुनी
कि यूसुफ बिन हुसैन से कह दो कि तुम रांदा है दरगाह हो चुके हो लेकिन बेदारी के बाद
यह ख्वाब बयान करते हुए उनसे मुझे नदा मत हुई लेकिन दूसरी शब फिर यही ख्वाब देखा और
तीसरी शब मुझे तंब की गई कि अगर तुमने यह ख्वाब उनसे बयान ना किया तो तुम्हें
जिंदगी भर के लिए सजा में मुब्तला कर दिया जाएगा चुनांचे जब ख्वाब बयान करने की नियत
से आपकी खिदमत में पहुंचा तो आपने हुकुम दिया कि कोई उम्दा सा शेर सुनाओ और जब
मैंने एक शेर सुनाया तो आप इस कदर रोए कि आंखों से लहू जारी हो गया फिर फरमाया कि
शायद इसीलिए मुझे जिंदी कहते हैं और अल्लाह ताला का यह फरमाना कि मैं मर्दू दे
बारगाह हूं कतन दुरुस्त है हजरत इब्राहिम कहते हैं कि मैं यह सुनकर हैरत जदा रह गया
और इसी दिन और इसी उधेड़ बन में जंग की तरफ निकल गया और वहां जब हजरत खिजर से
मुलाकात हुई तो उन्होंने फरमाया कि यूसुफ बिन हुसैन रहमतुल्लाह अल इश्क इलाही की
शमशीर के घायल हैं और इनका मुकाम आला अलीन में है और खुदा की राह में ऐसा ही मुकाम
हासिल भी करना चाहते हैं कि तनज जुली के बाद भी अलीन में रहे और वासले बल्ला होने
के बाद अगर बादशाही नहीं तो वजार तो मिल ही जाती है अहदे शबाब में हजरत अब्दुल
वाहिद जैद निहायत शोख न डर थे और अक्सर वालदैन से लड़ झगड़ कर भाग जाते थे वो
इत्तेफाक से एक दिन आपकी मजलिस वाज में जा पहुंचे और आप अपने वाज में यह फरमा रहे थे
कि अल्लाह ताला बंदे को इस तरह अपनी जाने तवज्जो हता होकर किसी के सामने जाता है यह सुनते
हैं अब्दुल वाहिद जैद पर यह असर हुआ कि चीख मारी और कपड़े फाड़कर कब्रिस्तान की
तरफ चल दिए और तीन शब रोज आलिम बेखुदी में वहीं पड़े रहे लेकिन जिस दिन उनके ऊपर यह
कैफियत तारी हो रही थी उसी दिन यूसुफ बिन हुसैन ने ख्वाब में यह निदा सुनी कि तायब
होने वाले नौजवान को तलाश करो चुनांचे जिस वक्त तलाश करते हुए कब्रिस्तान पहुंचे तो
तीन ही यौम में हजरत अब्दुल वाहिद ने वो मदारत तय कर लिए थे कि आपको देखते ही कहा
कि आपको तो तीन यौम कबल हुकम दिया गया था लेकिन आप आज पहुंचे हैं निशापुर के एक
ताजिर का किसी पर कर्ज था और वह शख्स कहीं बाहर चला गया था और इसी दौरान में उस
ताजिर ने एक हसीन कनीज खरीदी थी लिहाजा कर्ज वसूल किए जाने से कबल वह इस फिक्र
में सर गर्दा था कि कनीज को किसके हवाले किया जाए आखिरकार हजरत उस्मान हैरी से
दरख्वास्त की कि अगर आपकी बीवी कनीज को अपने पास रख ले तो फलां जगह जाकर अपना
कर्ज वसूल कर लाऊं और जब वह कनीज को छोड़कर चला गया तो एक दिन उस्मान हेरी की
इस पर नजर पड़ गई और शहवानी जज्बात पैदा हो गए लेकिन आप फौरन अपने मुर्शिद हजरत
अबू हिफ हुद्दा द के पास पहुंच गए और उन्होंने हुकम दिया कि हजरत हुसैन बिन यूसुफ के पास फौरन रे चले जाओ चुनांचे रे
पहुंचकर जब लोगों से उनका पता पूछा कि वह कहां है तो लोगों ने कहा वह तो जंदी है और
तुम भी इसके पास जाकर बर्बाद हो जाओगे जबकि तुम खुद साहिबे कमाल मालूम होते हो
यह सुनकर उमान हीरी फिर निशापुर वापस आ गए और अपने मुर्शद से पूरा वाकया बयान कर
दिया लेकिन उन्होंने फिर यही हुकम दिया कि तुम वापस रे जाकर किसी तरह उनसे मुलाकात
करो और जब वह दोबारा रे जाकर उनसे मिले तो देखा कि एक कमसन लड़का उनके पास बैठा हुआ
है और वह जामो सराही सामने रखे हुए हैं उन्होंने सलाम किया तो हजरत यूसुफ बिन
हुसैन ने जवाब देने के बाद ऐसे मोसर अंदाज में गुफ्तगू की कि यह दंग रह गए फिर
उस्मान हेरी ने उनसे सवाल किया कि साहिबे मारफ होने के बावजूद भी आपने जहरी हालत
ऐसी क्यों बना रखी है कि लोग आपसे मुत फर हो गए हैं उन्होंने कहा यह लड़का मेरा
बच्चा है और सराही में पानी है लेकिन जाहिरी हालत मैंने इसलिए खराब कर रखी है
कि कहीं कोई गैर शख्स मुझको दीनदार समझकर तेरी कनीज मेरे हवाले ना कर दे यह सुनकर
उस्मान हेरी ताड़ गए कि खुदा का दोस्त कभी मखलूक से दोस्ती नहीं रख सकता आप इशा के
बाद से सुबह तक हालत कयाम में गुजार देते थे और जब लोगों ने अर्ज किया कि यह किस
किस्म की इबादत है तो फरमाया कि इशा के बाद रुकू और सुजूद की ताकत बाकी नहीं रहती
इसलिए कयाम किए रहता हूं अकवाले जनी हजरत जुनैद बगदादी को आपने तहरीर किया कि अगर
खुदा ने तुम्हें नफ्स की शिद्दत से आशना कर दिया तो कोई मर्तबा भी हासिल ना कर
सकोगे और अल्लाह ने हर उम्मत में कुछ अमीन मुकर्रर किए हैं लेकिन उम्मते मोहम्मदी के
अमीन औलिया कराम है और औरतों और लड़कों की सोहबत सूफिया के लिए तबाह कुन होती है और
जो कल्बी लगाव से खुदा को याद करता है उसके कल्ब से खुद बखुदा मां सिवाय अल्लाह
की याद निकल जाती है और सादिक वही है जो गोश तन्हाई में खुदा को याद करता है और
मोहिद वह है जो खुदा की बारगाह में रहकर अवाम नवाही की पाबंदी करता रहे और बहरे
तौहीद में गर्क होने वाले की तिष्णगी कभी रफा नहीं होती और जाहिद वही है जो खुद को
खोकर खुदा को तलाश करता रहे और बंदे को बंदा ही की तरह रहना सजवार है और जो गौर
और फिक्र के बाद खुदा को पहचान लेता है वह इबादत भी बहुत ज्यादा करता है वफात इंतकाल
के वक्त आपने अर्ज किया कि ऐ अल्लाह मैं कौल से मखलूक को फेल से नफ्स को नसीहत
करता हूं लिहाजा मखलूक की नसीहत के मावजा में मेरे नफ्स की खयानत को माफ कर दे वफात
के बाद किसी बुजुर्ग ने आपको आला मराब पर फायज देखकर सवाल किया कि यह मर्तबा आपको
कैसे हासिल हुआ फरमाया कि मैंने दुनिया में बुराई को भलाई के साथ कभी मखलूक होने
नहीं दिया बाब नंबर 28 हजरत अबू हिफ हु दद रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ
आपका शुमार कुताब आलम में होता है और आपको किसी वास्ते के बगैर कश्फ मुरा दिब हासिल
हुए इसके अलावा हजरत उस्मान मेरी जैसे बुजुर्ग आपके इरादत मंदो में दाखिल हुए और
शाह शुजा किरमानी ने आपके हमराह बगदाद जाकर बहुत अजीम उल मरतबक बुजुर्गों से
शरफे नियाज हासिल किया हालात अहदे शबाब में आपको एक कनीज से इश्क हो गया और इसको
हासिल करने के लिए निशापुर जाकर आपने एक जादूगर से मुलाकात की लेकिन उसने यह शर्त
लगा दी कि 40 शयाम की इबादत को तर्क करके मेरे पास आना चुनांचे उसकी हिदायत पर अमल
करने के बाद जब उसके पास पहुंच तो उसने तरह-तरह के जादू करना शुरू किए मगर एक भी
कारगर ना हो सका और जब उसने कहा कि इस 40 यम में तुमने जरूर कोई नेक अमल किया है तो
आपने फरमाया कि मैंने तो कोई ऐसा अमल नहीं किया अलबत्ता इतना जरूर हुआ कि रास्ता में पड़े हुए पत्थर वगैरह उठाकर इस नियत से
फेंक देता था कि किसी को ठोकर ना लगे यह सुनकर जादूगर ने कहा कि किस कदर अफसोस नाक
है यह बात कि आप ऐसे खुदा की इबादत से गुरेजा हैं जिसने मामूली सी नेकी को वो
कबूलियत अता की कि मेरे तमाम जादू नाकाम होकर रह गए आपने इसी वक्त तौबा करके खुदा
की इबादत शुरू कर दी और आपको खुदाद इसलिए कहा जाता है कि आप लोहार थे आप एक दिनार
रोजाना कमाकर रात को फुकरा में तकसीम कर देते और बेवा औरतों के घरों में चुपके से
फेंक देते थे ताकि किसी को इल्म ना हो सके और खुद इशा के वक्त भीख मांगकर या गिरा
पड़ा साग पात लाकर पकाया करते थे और बरसों इसी तरह जिंदगी गुजारते रहे एक मर्तबा कोई
नबीना आपकी दुकान के सामने से यह आयत तिलावत करते हुए गुजरा यानी मन जानिबे
अल्लाह इन पर वह बात जाहिर हो गई जिसका किसी को इल्म ना था यह आयत सुनकर ऐसी
बेखुदी तारी हुई कि भट्टी में गर्म लोहा निकालकर हाथ पर रख लिया और शागिर्द को
हुक्म दिया कि इसको हथोड़े से कूट दो यह सुनकर शागिर्द हैरत जदा हो गए जब आपको होश
आया तो तमाम दुकान का माल लुटा करर गोशाम हो गए और फरमाया कि मैंने अपना भेद छुपाना
चाहा लेकिन खुदा की मर्जी मालूम नहीं हुई मनकुल है कि एक मोहल्ला में कोई मोहद्दिस
हदीस बयान किया करते थे और जब अहले मोहल्ला ने हदीस सुनने के लिए चलने को कहा
तो फरमाया कि 30 बर्स कबल एक हदीस सुनी थी और आज तक इस पर अमल ना कर सका फिर मजीद
हदीस सुनकर क्या करूंगा और जब लोगों ने वह हदीस पूछी तो आपने सुना दी कि बेहतरीन
मर्द वही है जो ऐसी चीजों को छोड़ दे जिनमें कोई इस्लामी मुफद मुजम ना हो एक
मर्तबा चंद साथियों के हमराह जंगल में जाकर जिक्र इलाही में मुस्त गरिक हो गए तो
वहां एक र्न आकर आपकी आगोश में लौटने लगा यह देखकर आप रोने लगे और वह हेर्न भाग गया
फिर जब साथियों ने हेर्न के आगोश में लौटने का सब पूछा तो फरमाया कि मुझे ख्याल
आ गया था कि अगर इस वक्त कहीं से बकरी मिल जाती तो मैं साथियों की दावत करता लिहाजा
बकरी के बजाय वह हिर्न मेरी आगोश में आ गया फिर लोगों ने रोने का सबब पूछा तो
फरमाया कि हर्न की आमद मुझे खुदा की बारगाह से दूर करने के लिए थी क्योंकि अगर
खुदा ताला फिरौन की भलाई चाहता तो खुद इसकी ख्वाहिश पर दरिया ए नील जारी ना करता
आलिम गजब में भी आप खुश खलकी से पेश आते और जब गुस्सा खत्म हो जाता तो इस वक्त
दूसरी बातें करते थे थे हजरत अबू उस्मान हीरी से रिवायत है कि एक मर्तबा आपकी
खिदमत में पहुंचा तो आपके सामने मुनक्का के दाने रखे हुए थे चुनांचे मैंने इससे एक
उठाकर रख लिया लेकिन आपने मेरा रुखसार दबाते हुए पूछा तुमने बिला इजाजत मुनक्का
क्यों खाया मैंने अर्ज किया कि मुझे आपकी फराग दिली का इल्म है कि जो कुछ भी होता
है आप फुकरा में तकसीम कर देते हैं इसलिए मैंने मुनका खा लिया आपने फरमाया कि जब
मुझे खुद अपने दिल का हाल मालूम नहीं तो फिर मुझको कैसे मालूम हो सकता है हजरत अबू
उस्मान हेरे कहा करते थे कि एक मर्तबा मैंने अर्ज किया कि मैं वाज गोई का इरादा
रखता हूं क्योंकि मुझे मखलूक से इस कदर मोहब्बत है कि मैं इनके बदले में जहन्नुम
में जाना पसंद करता हूं आपने फरमाया कि पहले अपने नफ्स को नसीहत कर लो फिर मखलूक
को नसीहत करना और जब तुम्हारे वाज में अजीम इस्तमा होने लगे तो गरूर हरगिज ना
करना क्योंकि मखलूक जाहिर को और अल्लाह ताला बातिन को देखता है चुनांचे जिस वक्त
मैंने बरसरे मबर वाज कहना शुरू किया तो आप भी छुपकर एक कोने में बैठ गए और वाज के
खतामबंद कर दे दिया इस वक्त आपने सामने आकर फरमाया कि ऐ झूठे मिंबर से उतर जा
क्योंकि तू मखलूक की मोहब्बत का दावेदार है और सायल के सवाल पर सबसे पहले तूने अब
अपना लिबास उतार कर दे दिया हालांकि मोहब्बत का तकाजा यह था कि दूसरों को सबक
का मौका देता ताकि वह तुझसे सवाब हासिल कर सकते आप सरे बाजार एक यहूदी को देखते ही
बेहोश हो गए और होश आने के बाद जब लोगों ने वजह पूछी तो फरमाया कि मुझे एक शख्स का
अदल के लिबास में खुद को फजल के लिबास में देखकर यह खद हो गया कि कहीं इसका लिबास
मुझको और मेरा लिबास इसको ना अता कर दिया जाए जब सफरे हज के दौरान बगदाद पहुंचे तो
ऐसी फसाह के साथ अरबी जुबान में गुफ्तगू की कि अहले जुबान भी दंग रह गए हालांकि आप
फारिस के बाशिंदे थे और अरबी जुबान से कतन ना वाकिफ थे एक मर्तबा हजरत जुनेद बगदादी
से आपने फत का मफू पूछा तो फरमाया कि अपने अच्छे काम को ना किसी पर जाहिर करो और ना
अपनी जानिब इसको मंसूब करो आपने फरमाया कि मेरे नजदीक एक तो फत का मफू यह है कि खुद
इंसाफ करें दूसरे से इंसाफ के तालिब ना हो यह सुनकर हजरत जुनेद ने अहले मजलिस से
फरमाया कि आज से इसी पर अमल करो आपने फरमाया कि तुम खुद भी इस पर अमल करो हजरत
जुनैद ने फरमाया कि वाकई शुजात इसी का नाम है कोई रोब की वजह से बात नहीं कर सकता था
और इस वक्त तक मौ दबाना हाथ बांधे रहते जब तक आप बैठने की इजाजत ना देते एक मर्तबा
हजरत जुनेद ने कहा कि आप तो मुरीदन को आदाब शाही से रोशना कराते हैं आपने जवाब
दिया के सरनामा देखकर खत का मजमून जाहिर हो जाए फिर आपने हजरत जुनेद से कहा कि
जरबा और हलवा तैयार करवाओ जरबा एक किस्म का खाना होता है चुनांचे जब दोनों अश्या
तैयार हो गई तो हुक्म दिया कि एक मजदूर को सर पर रखकर हिदायत कर दो कि जब तक थक ना
जाए चलता रहे और जब आगे चलने की हिम्मत नाना रहे तो करीबी मकान के दरवाजे पर आवाज
देकर वहां यह दोनों चीजें दे आए चुनांचे आपने हिदायत पर अमल करते हुए एक मुरीद को
मजदूर के हमराह कर दिया और जब मजदूर कतई थक गया तो एक दरवाजे पर दस्तक दी अंदर से
आवाज आई कि अगर जेरिया और हलवा दोनों चीजें हो तो मैं बाहर आऊं और फिर अंदर से
एक जई आदमी बाहर आए और दोनों चीजें ले ली और जो मुरीद मजदूर के हमराह थे उसने हैरत
जदा होकर इन बुजुर्ग से वाक की नयत पूछी तो उन्होंने फरमाया कि काफी दिनों से मेरे
बच्चे इन दोनों खानों की फरमाइश कर रहे थे लेकिन मैंने अल्लाह ताला से इसलिए तलब
नहीं किया कि वह खुद ही भेज देगा आपका एक इरादत मंद बहुत ही
मदबीद था और जब हजरत जुनेद ने पूछा कि यह कितने अरसे से आपके पास है तो फरमाया कि
10 साल से और मेरे पास रहकर इसने अपनी जाती 700 हजार दिनार कर्ज लेकर खर्च किए
हैं जिनकी अभी तक अदायगी नहीं हो सकी लेकिन इसमें इतनी जुरत नहीं है कि मेरी
राय मालूम कर सके द से सफर करने के दौरान जब आपको एक जंगल में पानी कहीं दस्तयाब ना
हो सका तो आप एक शहर के किनारे खामोश बैठ गए दरिया सुना अबू तरा बख्शी ने वहां
पहुंचकर परेशानी का सबब पूछा तो फरमाया कि आज 16 यम के बाद पानी मुज सर आया है और इस
अमल यकीन में मुनाजरा हो रहा है अगर इल्म को गलबा हासिल हो गया तो पानी पी लूंगा और
अगर यकीन गालिब आ गया तो पानी पिए गैर आगे रवाना हो जाऊंगा उन्होंने जवाब दिया कि यह
मराब तो आप ही जैसे लोगों के हो सकते हैं मक्का मुअज्जम में फुकरा को जबू हाली में
देखकर आपको इनकी आनत का ख्याल आया लेकिन पास एक कौड़ी नहीं थी चुनांचे आपने एक
पत्थर उठाकर अल्लाह ताला से अर्ज किया कि अगर आज तूने मुझे इनायत ना किया तो काबा
की तमाम कंदील इस पत्थर से तोड़ दूंगा उसी वक्त किसी ने रूपों से भरी हुई थैली पेश
की और तमाम रकम आपने फुकरा में तकसीम कर दी और फरात हज के बाद जब बगदाद पहुंचे तो
हजरत जुनेद बगदादी ने सवाल किया कि हमारे लिए क्या तोहफा लाए हो फरमाया यह तोहफा
लाया हूं कि अगर कोई शख्स तुम्हारा कसूरवार हो तो इसको अपना ही कुसूर तसव्वुर
करो और अगर नफ्स इस पर मुतमइन ना हो तो इसको मुत निब्ब कर दो अगर तू अपने भाई का
कसूर मुफ ना करे तो मैं तुझे छोड़ दूंगा और बहरे नफ्स से इश्के कसूर को माफ करवाओ
उन्होंने फरमाया कि यह मराब तो खुदा ने आप ही को अता किए हैं हजरत शिबली के यहां आप
चार माह मेहमान रहे और हर यौम मुख्तलिफ तरीकों से आपकी जियाफत का एहतमाम किया
जाता था लेकिन रुखसत होते वक्त आपने इनसे कहा कि जब आप कभी निशापुर आएंगे इस वक्त
मैं आपको आदाब मेजबानी से आगाह करूंगा क्योंकि मेहमान के लिए तकल्लुफ बेहतर नहीं
बल्कि ऐसा सलूक किया जाना चाहिए कि मेहमान की आमद से गम और जाने से मुसर्रत ना हो
चुनांचे जिस वक्त हजरत शिबली निशापुर पहुंचे तो 39 अफराद आपके साथ थे इस दिन
हजरत अबू हिफ हुद्दा द ने अपने यहां 40 41 शमे जलाई और जब हजरत शिबली ने कहा कि यह
तकलीफें बेजा क्यों कर रहे हैं तो फरमाया कि अगर तुम्हारे नजदीक ये तकल्लुफ में
दाखिल है तो तमाम शमो को बुझा दो चुनांचे साई बसर के बावजूद एक के इलावा वह कोई शमा
भी ना बुझ सकी उसी वक्त आपने फरमाया कि चूंकि मेहमान खुदा का भेजा हुआ होता है
इसलिए मैंने खुदा की रजा के लिए हर मेहमान के नाम पर एक शमा रोशन की और एक शमा अपने
लिए जलाई चुनांचे मेरे नाम की क्षमा बुझ गई कि वह खुदा की रजा के लिए नहीं थी बाकी 40 क्म जो इसके नाम पर रोशन की गई थी वह
नहीं बुझ सकी और बगदाद में जो कुछ तकल्लुफ तुमने किए वह सिर्फ मेरे लिए थे इसलिए
इसको तकल्लुफ का नाम दिया जाएगा और मैंने जो कुछ किया वह सिर्फ रजाए इलाही के लिए
किया इसलिए इसको तकल्लुफ नहीं कहा जा सकता इरशाद हजरत अबू अली सखी से रिवायत है कि
आपका यह कौल था कि इतबा ए सुन्नत ना करने वाला और खुद को बुरा तसव्वुर ना करने वाला
मर्द नहीं होता किसी ने सवाल किया कि वली का खामोश रहना बेहतर है या गुफ्तगू करना
फरमाया कि गुफ्तगू करना बायस तबाही और के लिए उमरे नूह दरकार है फरमाया कि दरवेश वह
है जो कसरत इबादत के बावजूद भी एज का इजहार करता है फरमाया कि बेहतरीन है वह
लोग जो लोगों पर नवाजिश करते रहे और खुद खुदा के कर्म के तलबगार रहे और इतबा
सुन्नत के बाद हलाल रिजक की जुस्तजू करें फरमाया कि वह एक लम्हा बहुत बेहतर है जो
खुदा तक पहुंचा दे फरमाया कि वह शख्स अंधा है जो सनद को देखकर मसन को पहचानता है और
मसन से सनद को नहीं पहचानता है फरमाया कि खुदा का दर पकड़ने वालों तुम पर दर खुल
जाते हैं और सरदार अंबिया हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के तबा से तमाम
सरदार फरमा बरदार हो जाते हैं आदत हजरत मोहम बयान करते हैं कि मैंने 22 साल आपके
हमराह रहकर यह अंदाजा किया कि आप कभी गफलत और मुसर्रत के साथ खुदा को याद नहीं करते
बल्कि निहायत एहतराम और अजमत के साथ याद करते हैं और खौफ इलाही से ऐसे बदल जाते थे
जैसे नजा की कैफियत तारी हो किसी ने आपसे सवाल किया कि आप खुदा की जानिब क्यों मतवल
जिस लिए मोहताज दौलतमंद की जानिब रुजू करता है अब्दुल्लाह सलमा ने लोगों से यह
हिदायत की थी कि मेरा सर अबू हिफ हदाद के कदमों में रख देना बाब नंबर 39 हजरत हमद
कसार रहमतुल्लाह अलह के हालातो मुना किब तारुफ आप फकीह महद होने के साथ-साथ ब कमाल
अहा तरीकत में से हुए हैं और तसव्वुफ में बहुत आला मुकाम पर फायज हुए आपके पीरो
मुर्शिद हजरत अबू तरा बख्शी थे और खुद हजरत सुफियान सूरी और हजरत अब्दुल्लाह बिन
मुबारक जैसे बुजुर्गों को मुर्शिद कहते थे आपके मुतकब्बीर
के वक्त किसी दोस्त की नजा हालत में इसके सरने तशरीफ फरमा थे और इसकी मौत के बाद
कहा अब यह इसके वरसा की मलकिया है इसलिए इनकी मर्जी के बगैर जलाना दुरुस्त नहीं
हालात निशापुर में आपकी एक नौजवान सालेह से मुलाकात हुई तो आपने सवाल किया कि
शुजात और जमा मर्दी का क्या तकाजा है उसने अर्ज किया कि मेरी शुजात का तकाजा तो यह है कि सूफिया के लिबास पहनकर उनके मसलक पर
की शुजात यह है कि सूफिया का लबादा उतार फेंकें और इस तरह जिक्र इलाही से अपने
मराब में इजाफा करें कि दुनिया आपके ऊपर फरिश्ता ना हो इरशाद शहर नामा के बाद जब
आवाम ने आपसे वाज गोई की फरमाइश की तो फरमाया कि मेरा वाज मखलूक के लिए इस वजह
से मुफीद नहीं हो सकता कि मैं दुनिया से मोहब्बत रखता हूं और वाज गोई का हक सिर्फ
इसी को है जिसके वाज में इतना असर हो कि हिदायत पा सक और वाज इसी को कहा जा सकता
है जिसके बयान में तस हो और
अमदाबाद रहे लोगों ने सवाल किया कि गुजर्ता इलाफ का अंदाज बयान मोसर क्यों
होता था फरमाया कि वह इस्लाम की बरतरी और नफ्स से निजात पाने की बात कहा करते थे
फरमाया कि मखलूक की चाहत से खालिक की चाहत बेहतर है और छुपाने वाली बात को किसी पर
जाहिर ना करो और हमेशा नेक लोगों की सोहबत में बैठो जाहिल की सोहबत से किनारा कश
रहकर आलिम की सोहबत इख्तियार करो फरमाया कि के ज्यादती की तलब बाइ से कुलफा हुआ
करती है और नफ्स को अच्छा समझना इसलिए तकब्बल पैदा कर देता है कि इत बाए नफ्स
बंदे को अंधा कर देती है फरमाया कि खुद को सबसे बदतर तसव्वुर करते हुए कभी किसी
बदमस्त की जानिब इस खौफ से नजर ना डालो कि कहीं तुम खुद भी बदमस्ती का शिकार ना हो
जाओ और हमेशा बेमो रजा को अपना मसलक बनाए रखो फरमाया कि तवाजो है और तवाजू ये है कि किसी को अपने
से ज्यादा जलील तसव्वुर ना करें फरमाया कि ज्यादा खाना अमराज की जड़ और दीन के लिए
आफत है फरमाया कि खुद को इसलिए कमतर तसव्वर करो कि दुनिया तुम्हारी इज्जत करे
अकवाले जरीन हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारिक से रिवायत है कि आपकी मेरे लिए ये नसीहत
थी कि कभी दुनिया के वास्ते किसी पर गजब नाक मत होना किसी ने सवाल किया कि बंदे की
क्या तारीफ है फरमाया कि जो खुदा और इसकी इबादत को महबूब तसव्वुर करें और जहद का
मफू यह है कि अता करदा शय पर काने रहकर कभी ज्यादा की तलबगार ना हो और तवक की
तारीफ यह है कि मकरूज होने की सूरत में बजाय बंदे के खुदा से इसकी अदायगी की
उम्मीद रखो और अपने अमूर खुदा के सुपुर्द करने से कबल जरूरी है कि हीला और तदबीर भी
इख्तियार की जाए फरमाया कि तीन चीजें इब्लीस के लिए वजह इन बसात है अव्वल किसी
दीनदार का कत्ल दोम किसी शख्स का हालत कुफ्र पर मरना सोम दरवेशी से फरार हजरत
अब्दुल्लाह बिन मुबारक बयान करते हैं कि हालत मर्ज में जब मैंने आपसे अर्ज किया कि
अपने बच्चों को कोई नसीहत फरमा दीजिए तो फरमाया कि इनकी अमार से ज्यादा इनकी
दरवेशी की जया से खाफ हूं आपने हजरत अब्दुल्लाह बिन मुबारक से दम मर्ग में यह
वसीयत फरमाई कि मरने के बाद मुझको औरतों में दफन करना और यह कहकर दुनिया से रुखसत
हो गए बाब नंबर 40 ह हजरत मंसूर अम्मार
रहमतुल्लाह अलह के हालात मुना किब तारुफ आप इराक के बाशिंदे थे और अपने दौर के
अदीम उल मिसाल साहिबे कश्फ बुजुर्ग और बेनजीर वाज हुए हैं सूफिया कराम ने आपके
औसाफ बयान किए हैं हालात आपके अजीम उल मरतबक होने की सबसे बड़ी वजह यह हुई कि एक
मर्तबा रास्ता में कागज का एक पुर्जा जिस पर बिस्मिल्लाह अर रहमान अर रहीम तहरीर था
पड़ा हुआ मिला और आपने अजमत का तसव्वुर से इसको गोली बनाकर निगल ली और इसी रात ख्वाब में
देखा कि बारी ताला फरमाते हैं कि हमने तेरे लिए हिकमत दाना की राहे आज से इसलिए
कुशा कर दें कि तूने हमारे निजाम की [संगीत]
ताजमहाल वाजो तबलीग में मशगूल रहे किसी दौलतमंद ने अपने गुलाम को बाजार से कुछ
खरीदने के लिए भेजा तो वह गुलाम रास्ते में आपका आवाज सुनने लगा वहीं एक नादर
दरवेश भी खड़ा था जिसको देखकर आपने फरमाया कि कौन शख्स है जो इसको चार दिरहम देकर
मुझसे चार दुआएं ले यह सुनकर उस गुलाम ने जो चार दिरहम का सामान खरीदने आया था उस
दरवेश को चारों दिरहम अता कर दिए और जब आपने गुलाम से पूछा कि अपने हक में क्या
दुआएं चाहता है तो उसने अर्ज किया कि अव्वल में आजाद हो जाऊं दोम अल्लाह ताला
मेरे मालिक को तौबा की तौफीक दे सोम इन चारों दिरहम के मुआवजा में मुझे चार दिरहम
मिल जाए हारम अल्लाह ताला मुझ पर और तमाम हाजरी मजलिस पर रहमतों का नजूल फरमाए
चुनांचे आपने इसी के मुताबिक दुआएं फरमा दी और गुलाम जब अपने आका के पास पहुंचा तो
उसने खुफ कीी के साथ ताखी का सबब दरयाफ्त किया और जब गुलाम ने पूरा किस्सा बयान कर
दिया तो इसको आजाद करके मजीद 400 दिरहम आका ने इसको और अता किए और खुद तायब हो
गया और इस शब ख्वाब में देखा कि बारी ताला फरमाते हैं कि हमने तेरी बद खस्ती के
बावजूद तुझ पर और तेरे गुलाम पर नीज मंसूर अम्मार और अहले मजलिस पर रहमतों का नजूल
कर दिया दराने वाज किसी ने कागज पर इस मफू का शेर लिखकर आपको पेश किया कि जो खुद
अहले तकवा में से ना हो और दूसरों को तकवा की हिदायत करें इसकी मिसाल इस तबीब जैसी
है जो खुद मरीज हो और दूसरों का इलाज करता हो एक शब आप घूम फिर रहे थे कि किसी मकान
से इस किस्म की मनाजा की आवाज आई कि ऐ अल्लाह मैंने नाफरमान बनकर गुनाह नहीं
बल्कि इब्लीस और नफ्स के फरेब में आकर गुनाह किया लिहाजा अपनी रहमत से मुझे माफ
फरमा दे यह सुनकर आपने इस्तरा कैफियत में यह आयत तिलावत की के ऐ ईमान वालों खुद को
और अपने अहलो नफ्स को जहन्नुम की आग से बचाओ जिसका ईंधन आदमी और पत्थर है फिर जब
सुबह के वक्त आप इस मकान के करीब से गुजर रहे थे तो अंदर से रोने की आवाज आई आपने
वजह पूछी तो बताया गया कि रात को किसी शख्स ने दरवाजे पर एक आयत तिलावत की जिसको
सुनकर एक लड़का खौफ इलाही से जां बहक हो गया यह सुनकर आपने फरमाया कि इसका कातिल
मैं ही हूं इरशाद खलीफा हारून रशीद ने आपसे पूछा कि मखलूक में सबसे ज्यादा आलिम
कौन है और सबसे ज्यादा जाहिल कौन है फरमाया कि सबसे ज्यादा आलिम तो वह है जो
फरमाबरदार हो और खौफ रखने वाला हो और सबसे ज्यादा जाहिल वह है जो डर और गुनाहगार हो
फरमाया कि आरफीन का कल्ब जिक्र इलाही का मरकज होता है और दुनिया वालों का हिर्स ो
तमा का मखजन फिर आरिफ की भी दो किस्में हैं एक तो वो जो खुद बखुदा मुजाहि दत और
रियाजत की जानिब रागब होते हैं दूसरे वो जो सिर्फ रजाए इलाही के लिए वासले इला
अल्लाह होकर इबादत करते हैं फिर फरमाया कि हिकमत कल्ब आरफीन में लिसान तस्दीक से
कल्बे जहा में लिसान तफसील से कल्बे मुरीदन में लिसान
तफकॉर्न और गोशाई जिसके सामने आखिर मौत हो और तौबा
काह वक्त इसको तसवर है फरमाया कि कल्बे इंसानी मुजस्सम नूर होता है और जब इसमें
दुनिया आबाद हो जाती है तो वह नूर सलब हो जाता है और तारी कियां मुसल्लत हो जाती
हैं फरमाया कि अतात नफ्स इंसान को हलाक में डाल देती है और मुसीबतों पर साबिर ना
रहने वाले आखिरत में मुसीबतों में गिरफ्तार हो जाते हैं फरमाया कि तारिक दुनिया को किसी किस्म का गम बाकी नहीं
रहता और सकूट इख्तियार करने वाला माजर ख्वाहिश से बे नियाज हो जाता है फरमाया कि
जिस मुसीबत से बच सकता हो और ना बचे वह बहुत बड़ा मुसीबत का है वफात इंतकाल के
बाद जब अबुल हसन शरा ने ख्वाब में आपसे पूछा कि खुदा ताला ने कैसा मामला किया
फरमाया कि बख्श के बाद मुझसे फरमाया कि जिस नयत से अहले दुनिया के सामने तू हमारी
हमद सना करता था इसी तरह अब मलायका के सामने भी हमद सना
कर बाब नंबर 41 हजरत अहमद बिन अंता की रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब
तारुफ आपका शुमार मुक्त दमीन मश में से होता है और बहुत ज्यादा मुअम्मर होने की
वजह से अक्सर बेश तर तबाताबाई से शरफे नियाज हासिल हुआ इसके अलावा बहुत से
बुजुर्गा दीन का दौर भी देखा आपकी दाना और काफिया शनास का यह आलिम था कि हजरत
सुलेमान दारा जैसे अजीम उल मरतबक बुजुर्ग आपको जासूस उल कल्ब के खिताब से याद करते
थे इसके अलावा आपके अक्वालो इरशाद भी लाता दद हैं इरशाद किसी ने आपसे सवाल किया क्या
आपको खुदा का इश्तियाक है फरमाया कि इश्तियाक तो का हुआ करता है और खुदा तो हर
लम्हा हाजिर है फिर फरमाया कि मारफ के तीन मदार हैं अव्वल वहदा नियत को साबित करना
दोम खुदा के इलावा हर शय को छोड़ देना सोम यह तसव्वुर कायम रखना कि किसी से भी खुदा
की इबादत का हक अदा नहीं हो सकता क्योंकि जिसको बारी ताला नूर मारफ अता नहीं करता
वह नूर ही से महरूम रहता है फरमाया कि खुदा की मोहब्बत की यह अलामत है कि इंसान
इबादत को कम करे लेकिन गौर और फिक्र ज्यादा और गशा नशीन होकर सकत इख्तियार कर
ले मुसरत से खुश ना हो और गम से दिल बर्दाश्त ना हो फरमाया कि जब हजरत यूनुस
को यह ख्याल हो गया कि खुदा ताला मेरे ऊपर गजब नाक ना होगा तो कैसी मुसीबत में
गिरफ्तार किया गया फरमाया कि अहले अल्लाह की सोहबत अकीदत मंदी से इख्तियार करो
फरमाया कि जोद की चार किस्में हैं अव्वल तवक अल अल्लाह दोम मखलूक से बजारी सोम
इखलास का इजहार करना चरम खुदा की राह में म सायब बर्दाश्त करना फिर फरमाया कि मकदूम
फत के मुताबिक ही बंदा खौफ और हया करता है फरमाया कि कल्ब की
पाकीजा निश मंद व है जो नेमतों पर शुक्र अदा करें फरमाया कि यकीन खुदा का ऐसा अता
करदा नूर है जिससे बंदा इस तरह अमूर आखिरत का मुशाहिद करता है कि दरमियान में तमाम
हिजा बात रफा हो जाते हैं फरमाया कि मखलूक से किनारा कश होकर खुदा को हाजिर नाजिर
तसव्वुर करके इबादत करो फरमाया कि सफाई कल्ब के लिए यह पांच चीजें जरूरी हैं
अव्वल अहले कबर की सोहबत दोम तिलावत कुरान सोम फाका कशी चरम रात की नमाज पंजमपट्टी
[संगीत]
हम माल औलाद से ज्यादा खुद फित है करामत मुरीदन के लिए आपका तरीका ए तालीम यह था
कि एक शब अचानक 29 मुरीदन आ गए आपने दस्तरखान बिछुवा करर रोटी की किल्लत की
वजह से टुकड़े-टुकड़े करके सबके सामने रखकर चिराग उठा लिया और कुछ देर के बाद आप
चिराग लाए तो तमाम टुकड़े उसी तरह हर शख्स के सामने मौजूद थे और किसी ने भी बगर ज
ईसार एक टुकड़ा भी नहीं खाया बाब नंबर 42 हजरत अब्दुल्लाह बिन खुबक रहमतुल्ला अल के
हालात मुना किब तारुफ आपका वतन असली कूफा था लेकिन अंताक्या में सकत वजीर हो गए और
अपने दौर के इंतहा मुत कीयो मशक में से हुए हैं और आपके अकबाल और इरशाद कसरत से
हैं इरशाद शेख फतह मुसल्ला से रिवायत है कि जिस वक्त मैंने आपसे शरफे नयाज हासिल
किया तो आपने फरमाया कि इंसान को चार नेमतें अता की गई हैं अव्वल आंख दोम जुबान
सोम कल्ब चरम हवा आंख का इजहार शुक्र तो यह है कि जिस शै को देखने को खुदा ने मना
किया है इस पर कभी नजर ना डाले और जुबान का इजहार शुक्र यह है कि कभी कोई चीज तलब
ना करें और जो शख्स इन चीजों को मलूज नहीं रखता बदनसीबी का शिकार हो जाता है फरमाया
कि कल्ब की तखक सिर्फ इबादत के लिए हुई है फरमाया कि खौफ जदा रहने वाला ख शात नफ्स
की तकल नहीं करता फरमाया कि दुनिया में र्स हवस को छोड़कर दिल शिकस्ता रहना आखिरत
के लिए अफजल है फरमाया कि जो शय आखिरत के लिए सूद मंद ना हो इसका हसूल अब्ज है और
मनफात बख्श आरजू वह है जिससे मुश्किल हल हो जाए फरमाया कि अफराद को उम्मीद रहती है
जो बुराई से तायब होते हैं या जो तौबा भी करते हैं और बुराई भी करते हैं लेकिन यह
खौफ रहता है कि ना मालूम मगफिरत हो सकेगी या नहीं लेकिन वो रजा झूठी है जिसमें
मुसलसल गुनाह के साथ मगफिरत की तलब भी हो और बदी करने वालों को खौफ ज्यादा और रजा
कम होती है फरमाया कि सदक तमाम अहवाल से बे नियाज होता है और सदक वो है जो हर शय
की माहियवंशी
हजरत जुनेद बगदादी रहमतुल्लाह अलह के हालात मुना किब तारुफ आप हजरत सरी सत्ता
के भांजे और मुरीद हैं और हजरत महासबीटीसी
वजह से अहले जमाना ने आपको शैखुल शयख
जाहिद कामिल और इल्म अमल का सर चश्मा तस्लीम कर लिया था और आपको सैयद उल तायफ
लिसान अल कौम तास उल उलमा और सुल्तान उल मुह कीन के खिताब से नवाजा था और अक्सर
सूफिया कराम ने आपका रास्ता इख्तियार किया लेकिन इन तमाम औसाफ के बावजूद बुजो अनाद
रखने वालों ने आपको जंदी को काफिर तक भी कह डाला हालात किसी शख्स ने हजरत सरी
सत्ता से सवाल किया कि क्या कभी मुरीद का द दर्जा मुर्शिद से भी बुलंद हो जाता है
फरमाया बेशक जिस तरह जुनेद मेरा मुरीद है लेकिन मराब में मुझसे ज्यादा है हजरत सहल
तितरी से रिवायत है कि गो हजरत जुनेद का मर्तबा सबसे आरफा वाला है लेकिन आप सिर्फ
हजरत आदम की तरह इबादत तो करते थे मगर राहे तरीकत की मशक्कत बर्दाश्त ना कर सकते
थे हजरत मुसन्निफ फरमाते हैं हजरत सहल का यह कौल एक ऐसा राज है जो हमारी फहम से
बाला तर है और अदब का यह तकाजा है कि हम दोनों बुजुर्गों में से किसी की शान में
गुस्ताखी के मुरत ना हो बचपन ही से आपको बुलंद मुदारी हासिल होते रहे एक मर्तबा
मकतब से वापसी पर देखा कि आपके वालिद बरसरे राह रो रहे हैं आपने वजह पूछी तो
फरमाया कि मेरे रोने का सबब यह है कि आज मैं तुम्हारे मामू को माले जकात में से
कुछ दिरहम भेजे थे लेकिन उन्होंने लेने से इंकार कर दिया और आज मुझे यह एहसास हो रहा
है कि मैंने अपनी जिंदगी ऐसी से माल के हसूल में सर्फ कर दी जिसको खुदा के दोस्त
भी पसंद नहीं करते चुनांचे हजरत जुनेद ने अपने वालिद से वो दिरहम लेकर अपने मामू के
यहां पहुंचकर आवाज दी और जब अंदर से पूछा गया कि कौन है तो आपने अर्ज किया कि जुनेद
आपके लिए जकात की रकम लेकर आया है लेकिन उन्होंने फिर इंकार कर दिया जिस पर हजरत
जुनेद ने कहा कि कसम है उस जात की जिसने आपके ऊपर फजल और मेरे वालिद के साथ अदल
किया अब आपको इख्तियार है कि यह रकम ले याना ना ले क्योंकि मेरे वालिद के लिए जो हुकम था कि हकदार को जकात पेश करो वो
उन्होंने पूरा कर दिया यह बात सुनकर हजरत सरी ने दरवाजा खोलकर फरमाया कि रकम से
पहले मैं तुझे कबूल करता हूं चुनांचे उसी दिन से आप इनकी खिदमत में रहने लगे और सात
साल की उम्र में उन्हीं के हमरा मक्का मजमा पहुंचे वहां चार सूफ कराम में शुक्र
के मसला पर बहस छिड़ी हुई थी और जब सब शुक्र की तारीफ बयान कर चुके तो आपके मामू
ने आपको शुक्र की तारीफ बयान करने का हुक्म दिया चुनांचे आपने कुछ देर सर झुकाए
रखने के बाद फरमाया कि शुक्र की तारीफ यह है कि जब अल्लाह ताला नेमत अता करें तो
इसकी नेमत की वजह से मुनम की नाफरमानी कभी ना करें यह सुनकर सब लोगों ने कहा कि वाकई
शुक्र इसका नाम है फिर आपने बगदाद वापस आकर आईना साजी की दुकान कायम कर ली और एक
पर्दा डालकर 400 रकत नमाज जमिया इसी दुकान में अदा करते रहे और कुछ अरसा के बाद
दुकान को खैराबाद कहकर हजरत सरी सत्ता के मकान के एक हुजरे में गशा नशीन हो गए और
30 साल तक इशा के वजू से फजर की नमाज अदा करते और रात भर इबादत में मशगूल रहते थे
40 साल के बाद यह ख्याल हो गया कि अब मैं मेराज कमाल तक पहुंच गया हूं चुनांचे गैब
से नदा आई कि ऐ जुनेद अब वह वक्त आ पहुंचा है कि तेरे गले में जना र डाल दी जाए आपने
अर्ज किया कि ऐ बारी ताला मुझसे क्या कसूर सरज द हुआ है जवाब मिला कि तेरा वजूद अब
अभी तक बाकी है यह सुनकर आपने सर्द आह भरते हुए कहा कि जो बंदा विसाल का अहल
साबित ना हो सका उसकी तमाम नेकियां दाखिल माशियत हो गई उसके बाद आपको फिना पुर दराज
ने सख्त सुस्त भी कहा और खलीफा से भी आपकी शिकायतें की लेकिन खलीफा ने कहा कि जब तक
इनके खिलाफ यह जुर्म साबित ना हो जाए कि उनकी वजह से लोग फित और फसाद में मुब्तला होते हैं सजा देना करिन कयास नहीं फ एक
मर्तबा खलीफा ने ब र् इम्तिहान एक हसीनो जमील कनीज को लिबास और जेवरात से मरचा
करके यह हिदायत कर दी कि उनके सामने पहुंचकर निकाबी कहना कि मैं एक अमीर जादी हूं अगर
आप मेरे साथ हमबिस्तर हो जाएं तो मैं आपको दौलत से नवाज दूंगी और वाक की नयत मालूम
करने के लिए इस कनीज के हमराह एक गुलाम को भी भेज दिया और जब इस कनीज ने खलीफा की
हिदायत के मुताबिक आपके सामने इजहार मदा किया तो आपने सर झुकाकर एक ऐसी सर्द आह
खींची कि उस कनीज ने वहीं दम तोड़ दिया और जब गुलाम ने वापस आकर खलीफा से वाक की
नोयतो खलीफा को बहुत सदमा हुआ क्योंकि वह खुद इससे बहुत मोहब्बत करता था और उसने
कहा कि जो फेल मैंने इनके साथ किया था वो ना करना चाहिए था जिसकी वजह से मुझे यह
रोज बद देखना नसीब हुआ फिर आपकी खिदमत में पहुंचकर अर्ज किया कि यह बात आपने कैसे
गवार की कि ऐसी महबूब हस्ती को दुनिया से रुखसत कर दिया आपने जवाब दिया कि अमीरुल
मोमिनीन की हैसियत से तुम्हारा फर्ज तो मोमिनीन के साथ मेहरबानी करना है लेकिन
मेहरबानी के बजाय तुमने मेरी 40 साला इबादत को मलिया मेट करना कैसे गवारा कर
लिया मनकुल है कि जब आपके मराब में इजाफा होता गया तो आपने वाजो तबलीग को अपना शेवा
बना लिया और एक मजमा में फरमाया कि वाज गोई मैंने अपने इख्तियार से शुरू नहीं की
बल्कि 30 अब्दाल अन के असरार बेहद पर यह सिलसिला शुरू किया और मैंने तकरीबन 200
बुजुर्गों के जूते सीधे किए हैं इरशाद आप फरमाया करते थे कि मुझे तमाम मदारत सिर्फ
फके कशी तर्क कर देना और शबे बेदारी से हासिल हुए फरमाया कि सूफी वह है जो खुदा
और रसूल की इस तरह अतात करें कि एक हाथ में कुरान हो और दूसरे में हदीस फरमाया कि
मेरे मुर्शद हजरत अली के मत बाइन में से थे और जब उनकी सिफात का तजक करते तो लो
लोगों में समात के सकत बाकी ना रहती फरमाया कि हजरत अली का यह कौल है कि अल्लाह ताला ने मुझको अपनी मारफ अता की और
वह खुदा ऐसा यकता है कि ना कोई उसका मुशा बेह हो सकता है ना उसका ताल्लुक किसी जिन
से है और ना इसको मखलूक पर कयास किया जा सकता है वह दूर रहते हुए भी नजदीक है और
नजदीक होते हुए भी दूर और वो ऐसा बतर है कि उससे बुलंद शय कोई नहीं और वह किसी शय
पर कायम नहीं उसकी जात ऐसी है कि किसी में उस जैसे औसाफ नहीं है और जो उसके कलाम की
तशरीफ या तावी करता है वह मुलदसबापू
भी इसकी इबादत में लम्हा भर के लिए जर्रा बराबर भी कमी ना करूंगा इरशाद फरमाया कि
मखलूक की माशियत कारी मेरे लिए यूं वजह सियत है कि मैं मखलूक को अपना अस्सा तसवर
करता हूं क्योंकि मोमिनीन जात वाहिद की तरह हैं इसलिए हुजूर अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जितनी अजियत मुझे हुई उतनी किसी नबी को नहीं हुई
फरमाया कि अरसा दराज तक इन मासि अत कारों की हालत पर नोहा ख्वा रहा लेकिन अब मुझे
ना अपनी खबर है ना अर्ज समाकी फरमाया कि 10 साल तक कल्ब ने मेरा तहफ्फुज किया और
10 साल तक मैंने उसकी हिफाजत की लेकिन अब यह कैफियत है कि ना मुझे दिल का हाल मालूम
है ना दिल को मेरा फरमाया कि मखलूक इस बात से बेखबर है कि 20 साल से अल्लाह ताला
मेरी जुबान से कलाम करता है और मेरा वजूद दरमियान से खत्म हो चुका है फरमाया कि 20
साल से सिर्फ जहरी तसव्वुफ बयान करता हूं क्योंकि इसके नुका बयान करने की मुझे
इजाजत नहीं फरमाया कि अगर महशर में खुदा ताला मुझे दीदार का हुक्म देगा तो मैं
अर्ज करूंगा कि चुनांचे आंख गैर हैं और मैं गैर के जरिया दोस्त का मुशाहिद नहीं
करना चाहता फरमाया कि जब मैं इस हकीकत से आगाह हुआ कि कलाम वह है जो कल्ब से हो तो
मैंने 30 साल की नमाज का आदा किया इसके बाद 30 साल तक यह इल्तजा किया कि जिस वक्त
भी निमाज उसके अंदर दुनिया का ख्याल आ जाता तो व दोबारा नमाज अदा करता और अगर
आखिरत का तसव्वुर आ जाता तो सजदा सहू करता फरमाया कि एक मर्तबा मैंने इरादत मंदो से
कहा कि अगर फर्ज निमाज के सिवा नवाफिल भी तुम्हें नसीहत करने से बेहतर होते तो मैं
हरगिज तुम्हें नसीहत ना करता आप सायम उल ताहर थे लेकिन मेहमान की आमद पर रोजा ना
रखते और फरमाते कि मुसलमान भाइयों की मुआफ भी रोजे से कम नहीं आपके ऊपर हजरत अबू बकर
कसाई के मा बैन तसव्वुफ के 1000 मसाइल पर मुरासु और अबू बकर कसाई ने इंतकाल के वक्त
यह वसीयत फरमाई कि इन मसाइल को मेरे साथ ही दफन कर दिया जाए लेकिन आपने फरमाया कि
दूसरों के हाथों में पहुंचने से बेहतर यही है कि यह मसाइल हम दोनों के कुलूब ही में
रह जाएं बुलंदी मराब के बाद शरी सत्ता ने आपको वाज गोई का मशवरा दिया तो आपने अर्ज
किया कि आपकी हयात में वाज गोई मुझे अ अच्छी नहीं मालूम होती लेकिन उसी शब हजूर
अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ख्वाब में देखा कि आप भी वाज गोई का हुक्म दे रहे हैं और जिस वक्त हजरत सरी सत्ता से
ख्वाब बयान करने का
कसदार यह ख्याल है कि दूसरे लोग तुमसे वास गोई के लिए कहे आखिर हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के फरमान के बाद तुम्हें क्या उजर बाकी रह जाता है फिर
आपने हजरत सरी से सवाल किया कि यह आपको कैसे इल्म हो गया कि रात को हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे वाज गोई का हुकम दिया जवाब दिया कि आज शब को मैंने बारी ताला को ख्वाब में यह फरमाते हुए
देखा कि हमने मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम को भेजा है क्या आप जुनैद को
वाज गोई की ताकीद करें फिर हजरत जुनेद रहमतुल्ला अलह ने कहा कि मैं इस शर्त
परवाज कह सकता हूं कि 40000 अफराद से ज्यादा कम मजमा ना हो एक मर्तबा दुराने
वाज 40 अफराद में से 22 पर गश तार हो गई और 18 इंतकाल कर गए एक मर्तबा वाज गोई के
दौरान एक आतिश परस्त मुसलमानों के भेस में हाजिर हुआ और आपसे अर्ज किया कि हजूर अकरम
का यह फरमान है कि मुसलमान के फरासत से बचते रहो क्योंकि वह खुदा के नूर से देखता
है यह कॉल सुनकर आपने फरमाया कि इसका मकसद तो यह है कि तुझे मुसलमान होना चाहिए इस
करामत से गरवी द होकर वह मुसलमान हो गया फिर कुछ अर्से के लिए आपने यह कहकर वाज गई
तर्क कर दी कि मैं खुद को हलाक में डालना पसंद नहीं करता कुछ दिनों के बाद फिर
सिलसिला वाज शुरू कर दिया जब लोगों ने वजह पूछी तो फरमाया कि मैंने एक हदीस में यह
देखा कि मखलूक में से बदतर फर्द मखलूक का कफील बनकर वाज गोई के जरिया हिदायत का
रास्ता दिखाएगा चुनांचे मैंने खुद को बदतर मखलूक तसव्वुर किया इसलिए फिर वाज गई शुरू
कर दी फिर किसी ने सवाल किया कि आपको यह बुलंद मुरा दिब कैसे हासिल हुए फरमाया कि
मैं एक टांग से 40 साल तक अपने मुर्शिद के पर खड़ा रहा हूं आप फरमाया करते थे कि एक
मर्तबा मेरा कल्ब कहीं खो गया और जब मैंने मिल जाने की दुआ की तो हुक्म हुआ कि हमने
तुम्हारा कल्ब इसलिए ले लिया है कि तुम हमारी मायत में रहो और तुम कल्ब की वापसी
दूसरी जानिब रागब होने के लिए चाहते हो एक मर्तबा हुसैन मंसूर हल्लाज गलबा हाल की
कैफियत में हजरत उमर बिन उस्मान से दिल बर्दाश्त होकर हजरत जुनैद बगदादी की खिदमत
में पहुंचे और उनसे अर्ज किया मेरी दिल बर्दा तगी का सबब यह है कि बंदा अपनी होशियारी और मस्ती की वजह से हम वक्त
सिफात इलाही में फना नहीं रह सकता आपने फरमाया कि तुमने होशियारी और मस्ती का मफू
समझने में गलती की है किसी ने आपके सामने हजरत शिबली का यह कौल नकल किया कि अगर
खुदा ताला मुझको फिरदौस और जहन्नुम का इख्तियार दे तो मैं जहन्नुम को इसलिए
इख्तियार करूं कि जन्नत तो मेरी पसंदीदा शय है और जहन्नुम खुदा की लिहाजा दोस्त की
पसंदीदा शय को नापसंद करने वाला दोस्त नहीं लेकिन आपने फरमाया कि मैं तो बंदा
होने की हैसियत से साहिबे इख्तियार होने का दावा नहीं कर सकता इसलिए वह मुझे जहां
भी भेज देगा शुक्र बजा लाऊंगा हजरत रोय को जंगल में एक बुढ़िया ने यह पैगाम दिया कि
बगदाद पहुंचकर जुनेद से कहना कि तुम्हें आवाम के सामने जिक्र इलाही करते हुए नदा मत नहीं होती यह पैगाम सुनकर आपने फरमाया
कि मैं आवाम के सामने इसलिए इसका जिक्र करता हूं कि किसी से भी इसका हक के जिक्र
अदा नहीं हो सकता किसी ने हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हमराह हजरत जुनैद को भी ख्वाब में देखा और एक शख्स ने
कोई फतवा हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के सामने पेश किया तो आपने हजरत जुनैद की तरफ
इशारा कर दिया उसने कहा कि जब हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम खुद तशरीफ फरमा
है तो दूसरे की क्या जरूरत है हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि हर नबी को अपनी उम्मत पर फक्र है लेकिन मुझे
अपनी उम्मत में जुनेद पर इससे भी ज्यादा फक्र है हजरत जुनैद बिन नसर बयान करते हैं
कि आपने एक दरहम देकर अंजीर रोगने जैतून खरीद लाने का हुक्म दिया और इफ्तार के
वक्त अंजीर मुंह में रखकर फौरन निकाल कर फेंक दिया और जब मैंने वजह पूछी तो फरमाया
कि मुझे यह निदा आई कि ऐ बेहया जिस शय को तूने हमारी याद में छोड़ दिया था फिर उसकी
जानिब मतवल की अयादत के लिए तशरीफ ले गए तो वह
मसरूफ गिरिया था आपने सवाल किया कि किसकी अदा करदा अजियत पर गिरिया कना है और किससे
इसकी शिकायत करना चाहता है दरवेश यह सुनकर साक हो गया तो आप ने फिर पूछा कि खैर का
ताल्लुक किससे है और इसने अर्ज किया कि ना रोने की इजाजत है ना सवर की कुवत हालत
दर्द में एक मर्तबा सूर फातिहा पढ़कर अपने पांव पर दम कर ली तो निदा आई के तुझे नादम
होना चाहिए कि अपने नफ्स की खातिर हमारे कलाम को इस्तेमाल करता है एक मर्तबा आप
आशो बे चश्म में मुब्तला हुए तो आतिश परस्त तबीब ने आंखों पर पानी ना लगने की
हिदायत की लेकिन आपने फरमाया कि वजू करना तो मेरे लिए जरूरी है और तबीब के जाने के बाद वजू करके नमाज इशा अदा फरमा करर सो गए
सुबह को बेदार हुए तो दर्दे चश्म खत्म हो चुका था और यह निदा आई कि चूंकि तुमने हमारी इबादत की वजह से आंखों की परवाह
नहीं की इसलिए हमने तुम्हारी तकलीफ खत्म कर दी और तबीब ने जब सवाल किया कि एक ही
शब में आपकी आंखें किस तरह अच्छी हो गई तो फरमा माया कि वजू करने से यह सुनकर उसने कहा कि दरह कीक मैं मरीज था और आप तबीब यह
कहकर मुसलमान हो गया किसी बुजुर्ग ने इब्लीस को फरार होते देखा और वह बुजुर्ग
जब आपके पास पहुंचे तो आपको बहुत गजब नाक हालत में पाया चुनांचे उन बुजुर्ग ने कहा
कि गुस्सा थूक दीजिए क्योंकि गुस्सा की हालत में शैतान गालिब आ जाता है उसके बाद
जब रास्ता का वाकया बयान किया तो आपने फरमाया कि इब्लीस मेरे गुस्सा से भागता है क्योंकि दूसरे लोग तो अपने नफ्स की खातिर
गुस्सा करते हैं फिर फरमाया कि अगर खुदा ने इब्लीस से पनाह मांगने का हुकम ना दिया
होता तो मैं कभी उससे पनाह ना तलब करता आपकी मुलाकात मस्जिद के दरवाजे पर एक
मोअम्मर शख्स की सूरत में इब्लीस से हो गई तो आपने सवाल किया कि आदम को सजदा ना करने
की क्या वजह थी उसने जवाब दिया कि गैर अल्लाह को सजदा करना कब रवा है उस जवाब से
आप हैरत जदा हुए तो गैबी आवाज आई के इससे कह दो कि तू काजबी हर बंदे को मालिक के
हुक्म से इन हर की इजाजत नहीं चुनांचे इब्लीस आपके गैबी इल्हाम को भांप कर फौरन
रफू चक्कर हो गया किसी ने आपसे अर्ज किया कि मौजूदा दौर में दीनी भाइयों की किल्लत
है आपने फरमाया कि अगर तुम्हारे ख्याल में दीनी भाई सिर्फ वह हैं जो तुम्हारी
मुश्किलात को हल कर सके तब तो यकीनन वह नायाब हैं और अगर तुम हकीकी दीनी भाइयों
का फुक दन तसव्वुर करते हो तो काजबी कि बरादर दीनी का हकीकी मफू यह है कि जिनकी
दुश्वारियां का हल तुम्हारे पास हो और उनके तमाम उमू में तुम्हारी आनत शामिल हो
और ऐसे बरादर दीनी का फुकन नहीं जब लोगों ने आपसे गिरिया अजारी का सबब पूछा तो
फरमाया कि ता हयात में मुसीबत और बला की जुस्तजू में रहा कि अगर वह अजदहा बनकर
सामने आ जाए तो मैं सबसे पहले इसका लुकमा बन जाऊं लेकिन आज तक यही हुक्म मिलता रहा
कि अभी तेरी रियाजत बला के मुकाबला में नहीं जम सकती किसी ने अर्ज किया कि अबू
सैद खराज के इंतकाल के वक्त जौक और शौक में बहुत इजाफा हो गया था आपने फरमाया कि
ऐसी हालत में इनकी मौत बायस नजब है क्योंकि जब बंदे को जौक और शौक का यह
इंतहा मुकाम हासिल हो जाता है तो वह सब कुछ फरामोश कर देता है और ऐसे ही अहले
मराब को खुदा अपना दोस्त रखता है और ऐसे ही बंदे खुदा पर करते हैं और इसी की
दोस्ती में ऐसे गुम हो जाते हैं कि इनसे ऐसे अकवाले सादर होने लगते हैं जो आवाम के
जहन और फिक्र से बद होते हैं और अवाम इन अकवाले हैं इब्ने शरीफ से लोगों ने सवाल
किया कि क्या जुनद बगदादी का कलाम उनके इल्म के मुताबिक होता है उन्होंने जवाब
दिया कि यह तो मैं नहीं जानता अलबत्ता उनकी गुफ्तगू ऐसी जरूर होती है जैसे खुदा ताला उनकी जबान से कलाम कर रहा हो और मेरे
कॉल की यह दलील है कि जब जुनेद तौहीद को बयान करते हैं तो ऐसा जदीद मजमून होता है
कि हर शख्स इसको समझने से कासिर है एक मर्तबा दराने वाज किसी ने अर्ज किया कि
आपका वाज मेरे फहम से बाला तर है आपने फरमाया कि 70 साल की इबादत कदमों के नीचे
रखकर सर निग हो जा उसके बाद अगर तेरी समझ भी ना आए तो यकीनन मेरा कसूर होगा एक
मर्तबा किसी ने दौरान वाज आपकी तारीफ कर दी तो फरमाया कि हकीकत में यह खुदा की तारीफ कर रहा है किसी ने सवाल किया कि
कल्ब को मुसरत किस वक्त हासिल होती है फरमाया कि जब अल्लाह कल्ब में होता है
किसी ने 500 दिनार आपकी खिदमत में पेश किए तो पूछा कि तुम्हारे पास और भी रकम है
उसने ने जब इस बात में जवाब दिया तो पूछा कि मजीद माल की भी हाजत है उसने कहा हां
आपने फरमाया कि अपने 500 दीनार वापस ले जा क्योंकि तू इसके लिए मुझसे ज्यादा हाजत
मंद है और मेरे पास कुछ भी नहीं है लेकिन मुझे हाजत नहीं और तेरे पास मजीद रकम
मौजूद है फिर भी तू मोहताज है किसी सायल ने आपसे सवाल किया तो आपको यह ख्याल पैदा
हुआ कि जब यह शख्स मजदूरी कर सकता है तो इसको सवाल करना जायज नहीं लेकिन उसी शब
ख्वाब देखा कि सर पोश से ढका हुआ एक बर्तन आपके सामने रखा हुआ है और हुक्म दिया जा
रहा है कि इसको खा लो चुनांचे जिस वक्त आपने खोल कर देखा तो वही सायल मुर्दा पड़ा
हुआ है आपने फरमाया कि मैं तो मुर्दार ख्वार नहीं हूं हुक्म हुआ कि फिर दिन में इसको क्यों खाया था आपको ख्याल आ गया कि
मैंने गीबत की थी और यह उसी जुर्म की सजा है आप फरमाया करते थे कि इखलास की तालीम
मैंने हज्जाम से हासिल की है और वाकया इस तरह पेश आया कि मक्का मजमा में कयाम के
दौरान एक हजाम किसी दौलतमंद की हिजाम बना रहा था तो मैंने उससे कहा कि खुदा के लिए
मेरी हजामत बना दे उसने फौरन इस दौलतमंद की हजामत छोड़कर मेरे बाल काटने शुरू कर
दिए और हजामत बनाने के बाद एक कागज की पुड़िया मेरे हाथ में दे दी जिसमें कुछ
रेजगारी लिपटी हुई थी और मुझसे कहा कि आप इसको अपने खर्च में लाएं वो पुड़िया लेकर
मैंने यह नियत कर ली कि अब पहले मुझे जो कुछ दस्तयाब होगा वो वो भी हज्जाम की नजर कर दूंगा चुनांचे कुछ अरसा के बाद एक शख्स
ने बसरा में अशराफुल बरेज थैली मुझको पेश की वो लेकर जब हज्जाम के पास पहुंचा तो
उसने कहा कि मैंने तो तुम्हारी खिदमत सिर्फ खुदा के लिए की थी और तुम बेहया
बनकर मुझे थैली पेश करने आए हो क्या तुम्हें इसका इल्म नहीं कि खुदा के वास्ते
काम करने वाला किसी से मुआवजा नहीं लेता एक रात आपका इबादत से दिल अचा हो गया
चुनांचे आप बाहर निकले तो देखा कि दरवाजे पर एक आदमी कंबल लपेटे बैठा हुआ है आपने
उसको देखते ही फरमाया कि इबादत से दिल अचा होने की वजह से शायद तुम्हारा इंतजार करना
है उसने अर्ज किया कि नफ्स का क्या इलाज है आपने फरमाया कि नफ्स की मुखालिफत इसका वाहिद इलाज है यह सुनकर वह जिधर से आया था
चला गया लेकिन यह मालूम ना हो सका कि वह कौन था उसके बाद जब आपने इबादत शुरू की तो
दिल जमी पैदा हो चुकी थी एक मर्तबा हजरत सहल ने आपको तहरीर किया कि ख्वाब गफलत से
बचो क्योंकि सोने वाला अपना म हासिल नहीं कर सकता जैसा कि बारी ताला ने हजरत दाऊद
अलैहि सलाम को बजरिया वही आगाह फरमाया कि जो हमारी मोहब्बत का दावेदार होकर रात में
सोता है वह काजिम है आपने जवाब में तहरीर किया कि खुदा की राह में बेदार रहना हमारा
जाती फेल है लेकिन हमारे सोने का ताल्लुक खुदा के फेल से है जो हमारे फेल से बदर
जहां बेहतर है जैसा कि इरशाद फरमाया गया है यानी नींद एक बख्श है खुदा की जानिब से
अपने दोस्तों पर किसी औरत ने अपने गुमशुदा लड़के के मिल जाने ने की दुआ के लिए आपसे
अर्ज किया तो फरमाया कि सब्र से काम लो यह सुनकर वह चली गई और कुछ रोज सब्र करने के बाद फिर खिदमत में हाजिर हुई लेकिन फिर
आपने सब्र की तल कीन फरमाई वह औरत फिर वापस हो गई और जब ताकत सब्र बिल्कुल ना रही तो फिर हाजिर होकर अर्ज किया कि अब
ताबे सबर नहीं है आपने फरमाया कि अगर तेरा कौल सही है तो जा तेरा बेटा तुझे मिल गया
चुनांचे जब वह घर पहुंची तो बेटा मौजूद था एक मर्तबा चोर ने आपका कुर्ता चुरा लिया
और दूसरे दिन जब बाजार में आपने इसको फरोख्त करते देखा तो खरीदने वाला चोर से यह कह रहा था कि अगर कोई यह गवाही दे दे
कि यह माल तेरा ही है तो मैं खरीद सकता हूं आपने फरमाया कि मैं वाकिफ हूं यह
सुनकर खरीदार ने कुर्ता खरीद लिया किसी ने आपसे नंगा भूका रहने की शिकायत की तो
फरमाया कि खुदा तुझे हमेशा नंगा भूखा रखे क्योंकि यह नेमत तो वह अपनी मख सूस बंदों
ही को अता करता है और वह कभी इसके शाकी नहीं होते एक मर्तबा कोई मालदार आपकी
मजलिस में से किसी दरवेश को अपने हमराह ले गया और कुछ वकफा के बाद इसके सर पर वावान
रखे हुए हाजिर हुआ आपने दरवेश को हुक्म दिया कि यह ख्वान इसी मालदार के मुंह पर
मार दे जिसको दरवेश के अलावा कोई नहीं मिला क्योंकि दरवेश साहिबे नेमत ना होने के बावजूद भी अहले हिम्मत होते हैं और अगर
दुनियावी दौलत से वह मोहताज हो तो अजरे आखिरत उनका हिस्सा है किसी रादत मंद ने
अपना तमाम असासा राहे खुदा में खर्च कर दिया और और सिर्फ एक मकान बाकी रह गया
आपने हुक्म दिया कि मकान फरोख्त करके तमाम रकम दरिया में फेंक दो उसने तामील हुकम
करके आपके साथ रहना शुरू कर दिया और बावजूद आपके धुत काने के भी एक लम्हा के
लिए आपसे जुदा ना होता आखिरकार अपने मकसद में कामयाब होकर बुलंद मर्तबा पर पहुंचा
एक नौजवान पर आपकी मजलिस वाज में ऐसी कैफियत तारी हुई कि उसने तौबा करके घर
पहुंचकर तमाम सामान खैरात कर दिया और 1000 दीनार आपको नजर करने के लिए लिए रवाना हुआ
तो रास्ता में लोगों ने कहा कि तुम एक दीनदार को दुनिया में क्यों गिरफ्तार करना चाहते हो यह सुनकर उस नौजवान ने तमाम
दिनार दरिया दजला में फेंक दिए और जब आपकी खिदमत में हाजिर हुआ तो आपने फरमाया कि तुम मेरी सोहबत के इसलिए अहल नहीं हो कि
तुमने एक-एक करके जो 1000 मर्तबा दीनार दरिया में फेंके वह काम तो एक मर्तबा में
भी हो सकता था किसी मुरीद के कल्ब में यह वसवसे शैतानी पैदा हो गया कि अब मैं कामिल
बुजुर्ग हो गया हूं और मुझे सोहबत मुर्शिद की हाजत नहीं और इस ख्याल के तहत जब वह
गोशाम हो गया तो रात को ख्वाबों में देखा करता कि मलायका ऊंट पर सवारी करके जन्नत
में सैर कराने ले जाते हैं और जब यह बात शोहरत को पहुंच गई तो एक दिन आप भी इसके
पास पहुंच गए और फरमाया कि आज रात को जब तुम जन्नत में पहुंचो तो लाहौल पढ़ना चुनांचे उसने जब आपके हुक्म की तामील की
तो देखा कि शयानो की हड्डियां पड़ी हैं यह देख देख
करर वो तायब हो गया और आपकी सोहबत इख्तियार करके यह तय कर लिया कि मुरीद के लिए गोशाई सिम में कातिल है एक मुरीद बसरे
में गोशाई इख्तियार किए हुए थे और इसी दौरान इसको अपने किसी गुनाह का ख्याल आ गया जिसकी वजह से तीन यम तक उसका चेहरा
सया रहा और तीन यम के बाद जब वह सया दूर हो गई तो हजरत जुनेद का मकतूब पहुंचा कि
बारगाह इलाही में मद दबाना कदम रखना चाहिए क्योंकि तेरे चेहरे की स्याही धोने में तीन यम तक धोबी का काम करना पड़ा जंगल में
में शदीद गर्मी की वजह से किसी मुरीद की नक्सीर फूट गई तो उसने आपसे गर्मी की
शिकायत की आपने गजब नाक होकर फरमाया कि तुम खुदा की शिकायत करते हो मेरी नजरों से
दूर हो जाओ और अब कभी मेरे साथ ना रहना किसी मुरीद से गुस्ताखी सरज हो गई और
शर्मिंदगी की वजह से शने जा की मस्जिद में जा छुपा और जब एक मर्तबा आप इसके पास
पहुंचे तो वह खौफ जदा होकर ऐसा गिरा कि सर से खून बहने लगा और हर कतरा खून से अल्लाह
के वर्त की आवाज आने लगी आपने फरमाया कि यह चीज रया में शामिल है जबकि छोटे-छोटे
लड़के तेरे जैसे जिक्र में मसावी हैं यह सुनकर वह मुरीद उसी वक्त तड़प कर मर गया
और जब उससे किसी ने ख्वाब में उसका हाल दरयाफ्त किया तो उसने कहा कि बरसों गुजर
जाने के बाद भी मैं दीन से बहुत दूर हूं और जो कुछ मैं समझता था वह सब बातिल है एक
मुरीद से मदद होने की वजह से आपको बहुत अंश था जिसकी वजह से दूस दूसरे मुरीदन को
रश्क पैदा हो गया कि चुनांचे आपने हर मुरीद को एक मुर्ग और एक चाकू देकर यह
हुक्म दिया कि इनको ऐसी जगह जाकर जिबाह करो कि कोई देख ना सके कुछ वकफा के बाद
तमाम मुरीदन तो जिबाह शुदा मुर्ग लेकर हाजिर हो गए लेकिन वह मुरीद जिंदा मुरक
लिए हुए आया और अर्ज किया कि मुझे कोई जगह ऐसी नहीं मिली जहां खुदा मौजूद नहीं था यह
कैफियत देखकर तमाम मुरीदन अपने रश्क से तायब हो गए आपके आठ म खूस मुरीदन ने जब
जिहाद का कसदार
कोफारेस्ट
फे जिहाद हो गए लेकिन जिस काफिर ने आठों मुरीदन को शहीद किया था उसने अर्ज किया के
मुझे मुसलमान करके बगदाद पहुंच करर लोगों को हिदायत फरमा दें कि वह नवा हौदा मेरे
लिए है यह कहकर मुसलमान हो गया और अपनी कौम के आठ काफिरों को कत्ल करने के बाद
खुद भी शहीद हो गया और उस नए हदे में इस रूह को दाखिल कर दिया गया सैयद नासरी सफरे
हज के दौरान जब बगदाद पहुंचे तो आपसे शरफे नियाज हासिल करने हाजिर हुए आपने उनसे
सवाल किया कि आप सैयद हैं और आपके जद्दे आला हजरत अली नफ्स कुफा दोनों से जिहाद
किया करते थे अब आप फरमाइए कि आपने कौन सा जिहाद किया है यह सुनते ही व मुस्तर होकर
रोने लगे और अर्ज किया कि मेरा हज तो यही खत्म हो गया अब आप मुझे हिदायत फरमाएं
आपने फरमाया कि तुम्हारा कर्ब खाना खुदा है इसमें किसी दूसरे को जगाह ना दो यह
सुनकर उनका वही इंतकाल हो गया इरशाद आप फरमाया करते थे कि शाम तत का इराक फसाह का
खुरासान सदक का मरकज है लेकिन इन राहों में कज्जा कों ने अपने जाल बचा रखे हैं
फरमाया कि कुदरत का मुशाहिद करने वाला सांस तक नहीं ले सकता और अजमत का मुशाहिद
करने वाला हैरत जदा रहता है और हैबत का मुशाहिद करने वाला सांस लेने को कुफ्र
तसव्वर करता है फरमाया कि बहुत अफजल है वह बंदा जिसको एक लम्हा के लिए भी कुर्बे
इलाही हासिल हुआ है फरमाया कि बंदे भी दो किस्म के होते हैं अव्वल हक का बंदा दो
हकीकत का बंदा लेकिन हक का बंदा इसलिए अफजल है कि इसको आऊज बि रजक मिन सखत तक का
मुकाम हासिल होता है फरमाया कि कुरान और हदीस की इतबा करते रहो और जो इनका मतवा ना
हो इसकी पैरवी हरगिज ना करो फरमाया कि वसावड़ा वस इसलिए शदीद तरीन होते हैं कि
वसावलेह से दूर हो जाते हैं लेकिन नफ्स के
वसावड़ा दत के बाद भी मुशाहिद हासिल नाना हो सका लेकिन हजरत आदम ने जिल्लत के
बावजूद मुशाहिद को कायम रखा फरमाया कि इंसान सीरत से इंसान होता है ना कि सूरत
से फरमाया कि खुदा के भेद खुदा के दोस्तों के कल्ब में महफूज रहते हैं फरमाया कि
जहन्नुम में जलने से ज्यादा खुदा से गाफिल रहना सख्त है फरमाया कि फना आयत के बगैर
बका हासिल नहीं हो सकती फरमाया कि तर्क दुनिया और गोशाई से ईमान भी सालिम रहता है
और आसूद गी भी हासिल होती है फरमाया कि जिसका इल्म यकीन तक यकीन खौफ तक खौफ अमल
तक अमल वरा तक वरा इखलास तक और इखलास मुशाहिद तक नहीं पहुंचता वह हलाक हो जाता
है फरमाया कि तकलीफ पर शिकायत ना करते हुए सब्र करना बंदगी की बेहतरीन अलामत है
फरमाया कि मेहमान नवाजी नवाफिल से बेहतर है फरमाया कि बंदा जितना खुदा से करीब होता है खुदा भी उतना ही उसके करीब रहता
है फरमाया कि जिसकी हयात रूह पर मकू हो वह रूह निकलते ही मर जाता है और जिसकी हयात
का दार मदार खुदा हो वह कभी नहीं मरता बल्कि तब जिंदगी से हकीकी जिंदगी हासिल कर
लेता है फरमाया कि सनत इलाही से इबरत हासिल ना करने वाली आंख का अंधा ही होना
बेहतर है और जो जुबान खुदा के जिक्र से आरही हो उसका गंग होना बेहतर है और जो कान
हक बात सुनने से कासिर हो उसका बहरा हो जाना अच्छा है और जो जिस्म इबादत से महरूम
हो उसका मुर्दा हो जाना अफजल है फरमाया कि मुरीद को अकाम शरिया के सिवा कुछ ना सुनना
चाहिए और मुरीद के लिए दुनिया तल होगी और मारफ शीरी फरमाया कि जमीन को सूफिया कराम
से ऐसी ही आरास्को सितारों से फरमाया कि खतरे की चार
किस्में हैं अव्वल खतरा हक जिससे मार्फत हासिल होती है दोम खतरा मलायका जिससे
इबादत की रगत पैदा होती है सोम खतरा नफ्स जिससे दुनिया में मुब्तला हो जाता है चहार
खतरा इब्लीस जिससे बुजो अनाद जन्म लेते हैं फरमाया कि अहले हिम्मत अपनी
हिम्मत की वजह से सब पर फौक अत हासिल कर लेते हैं फरमाया कि 4000 खुदा रसीदा
बुजुर्गों का यह कौल है कि इबादत इलाही इस तरह करनी चाहिए कि खुदा के सिवा किसी का
ख्याल तक ना आए फरमाया कि तसव्वुफ का माकजई हस्ती ही को सूफी कहा जाता है और
सूफी वह है जो हजरत इब्राहीम से खलील होने का दर्स और हजरत इस्माइल से तस्लीम का
दर्स और हजरत दाऊद से गम का दर्स और हजरत अयूब से सबर का दर्स और हजरत मूसा से शौक
का दर्स और हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से इखलास का दर्स हासिल करें
फरमाया कि खुदा के इलावा हर शय को छोड़कर खुद को फना कर लेने का नाम तसव्वुफ है और
आपके एक इरादत मंद का यह कॉल है कि सूफी इसको कहते हैं जो अपने तमाम औसाफ को खत्म
करके खुदा को पाले फरमाया कि आरिफ से तमाम हिजा बात खत्म कर दिए जाते हैं और आरिफ
रमज खुदा वंदी से आगाह होता है फरमाया कि मफत की दो किस्में हैं अव्वल मफत तारीफ
यानी खुद अल्लाह को शनातन दोम मारफ तशरीफ यानी अल्लाह इसको पहचाने
और खुदा से मशगूल का नाम मारफ है फरमाया कि तौहीद खुदा को जानने का नाम है और
इंतहा तौहीद यह है कि जिस हद तक भी तही का इल्म हो इसको यही तसव्वर करें कि तौहीद
इससे बाला तर है फरमाया कि अगर मोहब्बत का ताल्लुक किसी शय से कायम हो तो उस शय की
फनात से मोहब्बत भी फना हो जाती है और मोहब्बत का हसूल उस वक्त तक मुमकिन नहीं
जब तक खुद को फना ना कर ले और अहले मोहब्बत के अक्सर अवाल लोगों को कुफ्र
मालूम होते हैं फरमाया कि वजद को मिटाकर गर्क होने का नाम मुशाहिद है क्योंकि वजद
हयात अता करता है और मुशाहिद फनात और मुशाहिद अबू दियत को फना करके जानिबे रबू
बियत ले जाता है और किसी शय की हकीकत जाती के इल्म का नाम भी मुशाहिद है फरमाया कि
मुराककाबत करने का और मुराककाबत
जार रहे और हया हाजिर से नदा मत का नाम है और जिक्र इलाही से एक लम्हा की गफलत भी
हजार साला इबादत से बदतर है क्योंकि एक लम्हा की गैर हाजरी की गुस्ताखी को हज हज
साला इबादत मलिया मेट नहीं कर सकती फरमाया कि औलिया अल्लाह के लिए नगरनी नफ से
दुश्वार कोई काम नहीं फरमाया कि इश्तकाल दुनियावी तरक कर देने का नाम अबू दियत है
और जहद की इंतहा इफ्लास है फरमाया कि बंदा सादिक दिन में 40 हालत तब्दील करता है
लेकिन रकार 40 बर्स भी एक ही हालत पर कायम रहता है और बंदा सादिक वही है जो ना तो
दस्त तलब दराज करे और ना झगड़े फरमाया कि तवक तिहाई सब्र का नाम है जैसा कि बारी
ताला इरशाद फरमाता है कि वह लोग सब्र करते हैं और अपने रब पर तवक करते हैं और सब्र
की तारीफ यह है कि जो मखलूक से दूर करके खालिक के करीब कर दे और तवक का मफ हूम यह
है कि तुम अल्लाह के लिए ऐसे बन जाओ जैसे रोज अव्वल में थे फरमाया यकीन नाम है इल्म
के कल्ब में इस तरह जगजी हो जाने का जिसमें तगुर और तब्दक और यकीन का एक मफू
यह है एक तर के तकब्बल करके दुनिया से बे नियाज हो जाए फरमाया कि मेरे नजदीक नेक ू
फास की सोहबत बद खू आबिद से बेहतर है फरमाया कि हया एक ऐसी नेमत है जो मासी की
निगरानी से पैदा होती है फरमाया कि रजा का नाम अपने इख्तियार को मादूपू
करने का फरमाया कि तौबा नाम है अजम रास के साथ जुल्म गुनाह और खमत तरक कर देने का
फरमाया अपनी करामात का जहूर फरेब है फरमाया कि मुरीद
का गुनाह कबीरा से बेखौफ हो जाना दाखिल फरेब है और कुफ्र से खाइफा ना होना वासिल
का मुकर है फरमाया कि रोज अजल अल्लाह ने अलस सुत बर बकुम फरमा करर अरवाह को ऐसा
मस्त बना दिया कि दुनिया में भी हालत समा के वक्त इस कैफियत के एहसास से मस्त हो
जाती हैं फरमाया कि तसव्वुफ नाम है मखलूक से खालिक की जानिब रजू होने कुरान और
सुन्नत की इतबा करने और मशगूल इबादत होने का जिस वक्त हजरत रोम ने आपसे माहियवंशी
मोहिब में मौजूद हो जैसा कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है कि
जब मैं इसको महबूब बनाऊंगा उसकी समा तो बसारू फरमाया कि जा हो चश्म
मादूपू मारफ के लिए आयात कुरानी में फिक्र करना
दोम हसूल मोहब्बत के नफ्स पर खुदा के एहसाना के मुतालिक फिक्र करना स्वयं हसूल
माहियवंशी खुदा के मवाद पर फिक्र करना चरम हसूल हया की खातिर खुदा के इनामा पर गौर
करना फरमाया कि जो बंदगी का मफू इस वक्त मालूम होता है जब बंदा खुदा को हर शय का
मालिक तसव्वुर करते हुए यह बावर कर ले कि हर शय उसी के वजूद से कायम है और सबको
वहीं लौट कर जाना है जैसा कि कुरान फरमाता है कि पाकीजा तर है व जात जिसके कब्जा
कुदरत में सबकी जान है और सबको उसकी तरफ लौट कर जाना है फिर फरमाया कि हकीकत एक
ऐसा मुकाम है जहां अहले मराकर इस शय के मुंतज रहते हैं जिसके वकू से खौफ जदा हों
जबकि उनका यह इस्तरा ऐसा ही लगव होता है जैसे कोई रात में शब खून का इंतजार करते
हुए रात भर जागता रहे फिर फरमाया कि सादिक की सिफत सदक है और सादिक वही है जो सदा एक
हाल में रहे और सिद्दीक वह है जिसके अकवाले और अफल मबन बर सदक हो फरमाया कि
इखलास की तारीफ यह है कि अपने बेहतरीन आमाल को काबिले कबूल तसव्वुर ना करते हुए नफ्स को फना कर डाले और शफकत का मफ हूम यह
है कि अपनी पसंदीदा शायद दूसरे के हवाले करके एहसान ना जताए फरमाया जो दरवेश खुदा
की रजा पर राजी रहे वह सबसे बतर है और ऐसे लोगों की सोहबत इख्तियार करनी चाहिए जो
एहसान करके भूल जाते हैं और तमाम लगज शों को नजरअंदाज करते र फरमाया कि बंदा वही है
जो खुदा के सिवा किसी की परस्तिश ना करे फिर फरमाया कि मुरीद वह है जो अपने इल्म
का निगरा रहे और मुराद वह है जिसको आनत इलाही हासिल हो क्योंकि मुरीद तो दौड़ने
वाला होता है और दौड़ने वाला कभी उतरने वाले का मुकाबला नहीं कर सकता फरमाया कि
तरक दुनिया से अकबा मिल जाती है फिर फरमाया कि तवाज़ुन और जमीन पर सोने का फरमाया कि
हिजा बात की छह किस्में हैं तीन बंदों के लिए अव्वल नफ्स दोम मखलूक स्वयं दुनिया और
तीन खास बंदों के लिए अव्वल इबादत दोम अजर
सोम करामात पर इजहार फरमाया कि हलाल से हराम के जाने मतवल दुनिया की लग जिश है और
फना से बका की तरफ रुजू करना जद की लग जिश है फरमाया कि कल्ब मोमिन दिन में 70
मर्तबा गर्दिश करता है लेकिन कल्बे काफिर 70 वर्ष में भी एक मर्तबा गर्दिश नहीं
करता आप अपनी मुनाजात इस तरह शुरू करते कि ऐ अल्लाह रोज महशर मुझे अंधा करके उठाना
इसलिए कि जिसको तेरा दीदार नसीब ना हुआ उसका नाबी ना रहना इसीलिए ला है कि वह
किसी दूसरी शय को कभी ना देख सके वफात दम मर्ग में आपने लोगों से फरमाया कि मुझको
वजू करवाओ चुनांचे दोना ने वजू उंगलियों में हलाल करना भूल गए तो आपकी याद दिहानी
पर हलाल कर दिया गया इसके बाद आप अपने सजदे में गिरकर गिरिया उ जारी शुरू कर दी
और जब लोगों ने सवाल किया कि आप इस कदर आबिद होकर रोते क्यों है फरमाया कि उस
वक्त से ज्यादा मैं कभी मोहताज नहीं था फिर तिलावत कुरान में मशगूल होकर फरमाया
कि इस वक्त कुरान से ज्यादा मेरा कोई मोनिस हमदम नहीं और इसी वक्त मैं अपनी उम्र भर की इबादत को इस तरह हवा में मल्लक
देख रहा हूं कि जिसको तेज और तुं हवा के झोंके हिला रहे हैं और मुझे यह इल्म नहीं
कि यह हवा अफरा की है या विशाल की और दूसरी तरफ फरिश्ता अजल और पुल सिरात है और
मैं आदिल काजी पर नजरें लगाए हुए इसका मुंतज हूं कि ना जाने मुझको किधर जाने का
हुक्म दिया जाए इसी तरह आपने सूर बकरा की 70 आयात तिलावत फरमाई और आलम सुकरात में
जब लोगों ने अर्ज किया कि अल्लाह अल्लाह कीजिए तो फरमाया कि मैं इसकी तरफ से गाफिल
नहीं हूं फिर उंगलियों पर वजीफा ख्वानी शुरू कर दी और जब दाहिने हाथ के अंगुर
शहादत पर पहुंचे तो उंगली ऊपर उठाकर बिस्मिल्लाह अर रहमान अ रहीम पढ़ी तो
आंखें बंद करते ही रूह कफ से अंसरी से परवाज कर गई और गुस्ल देते वक्त जब लोगों
ने आंख में पानी पहुंचाना चाहा तो गैब से आवाज आई कि हमारे महबूब की आंखों से पानी
दूर रखो क्योंकि उसकी आंखें हमारे जिक्र की लज्जत में बंद हुई और अब हमारे दीदार
के बगैर नहीं खुल सकती और जब उंगलियां सीधी कर ने का कसदार कि यह हाथ हमारे
जिक्र में बंद हुआ है और हमारे हुकम के बगैर नहीं खुलेगा फिर जनाजे की रवानगी के
वक्त एक कबूतर पलंग के एक कोने पर आकर बैठ गया और जब इसको उड़ाने की सही की गई तो
उसने कहा कि मेरे पंजे मोहब्बत की मेख पर गिरे हुए हैं और आज हजरत जुनेद का कालि
मलायका का नसीब बन गया है अगर तुम जनाजे के साथ ना होते तो मयत सफेद बाज की तरह
हवा के दोष पर परवाज कर दी किसी बुजुर्ग ने ख्वाब में आपसे पूछा कि मुनकर नकीर को
आपने क्या जवाब दिया फरमाया कि जब उन्होंने पूछा कि मन रब्बुका तो मैंने मुस्कुरा कर जवाब दिया कि मैं अजल ही में
अलस बर बकुम का जवाब बला कह दे चुका हूं इसीलिए गुलामों को जवाब देना क्या दुश्वार
है चुनांचे नकीरी जवाब सुनकर यह कहते हुए चल दिए कि अभी तक इस पर खुमार मोहब्बत का
असर मौजूद है किसी बुजुर्ग ने ख्वाब में आपसे पूछा कि खुदा ने कैसा मामला किया
फरमाया कि महज अपने कर्म से बख्श दिया और इन दो रकात नमाज के इलावा जुम रात को पढ़ा
करता था और कोई इबादत काम ना आ सकी आपके मजार मुबारक पर हजरत शिबली रहमतुल्ला अलह
से कोई मसला दरयाफ्त किया गया तो फरमाया कि खुदा रसीदा लोगों की हयात मु मात दोनों
मसावी होती हैं इसलिए मैं इस मजार पर किसी मसला का जवाब देने में नदा मत महसूस करता
हूं क्योंकि मरने के बाद भी आपसे इतनी ही हया रखता हूं जितनी हयात में थी
हिसा दोम बाब नंबर 44 हजरत उमर बिन उस्मान
मक्की रहमतुल्लाह अलह के हालात मुना किब तारुफ आप शरीयत और तरीकत पर यकस तौर पर
गामजीन अहले वरा और अहले तकवा बुजुर्गों में से होता है इसके अलावा बहुत सी तसा
निफ भी आपने छोड़ दी हैं अरसा दराज तक मक्का मजमा में तकाफ करने की वजह से आपको
पीरे हरम के खिताब से नवाजा गया आप हजरत जुनैद बगदादी के पीर मुर्शिद हैं और हजरत
अबू सैद खराज के फैज मोहब्बत से फय हासिल करते रहे वाक्यात हजरत मंसूर हल्लाज का
वाकया आप ही की बददुआ का नतीजा है क्योंकि मंसूर को आपने एक दिन कुछ तहरीर करते हुए
देखकर सवाल किया कि क्या तहरीर कर रहे हो उन्होंने कहा कि ऐसी बारत तहरीर कर रहा
हूं जो कुरान का मुकाबला कर सके यह सुनते ही आपने गजब नाक होकर वह बददुआ दी जिसकी
वजह से मंसूर को वह वाकया पेश आया आपके जाय नमाज के नीचे गंज नामा का तर्जुमा रखा
हुआ था और जब आप वजू करने के लिए उठे तो कोई चुरा कर ले गया आपने दराने वजू ही
फरमाया कि ले गया लेकिन जो भी ले गया है इसके दस् तोपा कता करके फांसी पर लटका
दिया जाए और इसको नजरे आतिश करके राख तक उड़ा दी जाएगी और इसको गंज नामा से इसलिए
कोई फायदा ना पहुंच सकेगा कि वह इसके भेद तक रसाई हासिल नहीं कर सकता इस गंज नामा
का मफू यह था कि हमने तखक आदम के बाद जब फरिश्तों को हुक्म सजदा दिया तो सिवाए
इब्लीस के सबने इसलिए सजदा किया कि वह तखक आदम के भेद से वाकिफ नहीं थे और इब्लीस ने
वाकिफ इसरार होने की वजह से सजदा से इंकार कर दिया था इसी तरह हजरत आदम भी जिस दर्जा
इब्लीस के राज से वाकिफ थे दूसरा कोई नहीं था और यही वजह इब्लीस को मर्दू दे बारगाह
कर देने की है फिर हमने कहा कि जमीन के अंदर हमने एक ऐसा खजाना पोशीदा कर दिया है
कि जो इससे वाकफिट हासिल करना चाहेगा इसका सर कलम कर दिया जाएगा लेकिन इब्लीस ने कहा
कि जो खजाना मुझको अता किया गया है गो इसके बाद मुझे किसी खजाने की जरूरत नहीं
फिर भी अगर मुझे इस पोशीदा खजाने का इल्म हो गया तो मैं इससे जरूर वाकफिट हासिल
करूंगा हुक्म हुआ तुझको मोहलत दी जाती है लेकिन हमारे बंदे तुझे काजिस करके कहेंगे
कि इब्लीस एक ऐसा जिन था जिसने हुक्मे इलाही से सरता बी की और इस तसव्वुर के तहत
तेरे किसी कौल को सच्चा नहीं कहेंगे और यही गंज नामा किताबे मोहब्बत में इस तरह
दर्ज है कि खुदा ने कल्ब को रूह से 7000 साल कब्लर करके अंस के बाग में रखा और सर
को रूह से 1000 साल कबल तखक करके मुकाम वस्ल में रखकर हर यौम 360 नजरें इन पर
डाली और कलमा मोहब्बत से अरवाह को वाकिफ किया फिर 300 लता इफ इस कल्ब पर वारिद किए
और 360 मर्तबा कश्फ जमाल के तजल्ली यात सर पर डाली और जब इन सब ने मिलकर दूसरी मखलूक
को देखा तो अपने से ज्यादा किसी को बतर नहीं पाया फिर इम्तिहान के तौर पर खुदा ताला ने सर को रूह और रूह को कल्ब में और
कल्ब को इज साम में मुकीत करके अंबिया कराम को हिदायत के लिए भेजा और जब सबने अपने-अपने मुकाम की तलाश की तो अल्लाह
ताला ने नमाज का हुक्म दिया चुनांचे जिसने नमाज की मुताबिक की कल्ब ने मोहब्बत की
रूह ने कुर्बत की और सर ने विसाल की मुताबिक की आपने बैतुल्लाह से हजरत जुनैद
और हजरत शिबली को मकतूब तहरीर किया कि आप लोग अहले इराक के मुर्शदी में से हैं
लिहाजा जो शख्स जमाले काबा का मुशाहिद करना चाहे इसको बता दो कि नफ्स को शक करने
से कबल तुम इसका मुशाहिद नहीं कर सकते और जो कुर्बे इलाही का ख्वा हो इससे कह दो कि
रूह को शक कर देने से कबल तुम हरगिज कुर्ब हासिल नहीं कर सकते लेकिन इस राह में कदम
रखने से कबल यह भी भी समझ ले कि इस रास्ते में 2000 आग के पहाड़ और 1000 हलाक खेज
बहरे बेकरा भी हैं जो दोनों से खाफ हुए बगैर रास्ता तय करना चाहे वही इसमें कदम
रखे और जब इस मकतूब को हजरत जुनैद ने तमाम मुर्शदी इराक के सामने गौर और फिक्र के
लिए पेश किया तो सबकी मुत फक्का राय यही हुई कि आग से मुराद नेस्तनाबूद होना है
यानी जब तक बंदा 2000 मर्तबा खुद को नेस्तनाबूद ना कर ले और 1000 म मर्तबा
हस्त की मंजिल में दाखिल ना हो कभी कर्ब हासिल नहीं कर सकता यह सुनकर हजरत जुनेद
ने फरमाया कि मैं तो अभी इन 2000 में से सिर्फ एक ही राह तह कर पाया हूं हजरत
हरेली ने फरमाया कि तुम इसलिए खुशनसीब हो कि मैं तो इस राह में सिर्फ तीन ही कदम
चला हूं और हजरत शिबली ने कहा कि तुम दोनों ही खुश बख्त हो क्योंकि मैं तो अभी
इस राह के नजदीक तक नहीं पहुंचा हूं किसी दोस्त की अलाल के माना में आप इससे मिलने
इस फन तशरीफ ले गए उसने आपसे फरमाइश की कि कवाल से कोई शेर सुनवा दीजिए चुनांचे कवाल
ने इस मफू का शेर पढ़ा कि मेरी बीमारी में कोई अयादत को जाया करता था यह शेर सुनते
ही वह तंदुरुस्त हो गया और आपके फैज मोहब्बत से मेराज कमाल तक पहुंचा इरशाद जब
आप से अमन शलादर इस्लाम का मफू पूछा गया तो फरमाया कि जब बंदे की नजर इल्म अजमत
वहदा नियत और जलाल रबू बियत पर पड़ती है तो इसके सीना में ऐसी फराही रनु मा होती
है कि इसको हर शय नेस्त महसूस होने लगती है फरमाया कि अजमत और वहदा नियत में दखल
अंदाजी मासि और कुफ्र है फरमाया दोस्तों का वजद खुदा का ऐसा राज पिनहा है जिसको
किसी कीमत पर जाहिर नहीं किया जा सकता फरमाया कि मोहब्बत भी दाखिल रजा है और
मोहब्बत से रजा को इसलिए जुदा नहीं किया जा सकता कि बंदे को हर शय अजीज होती है
जिससे वह राजी ना हो इसको महबूब भी नहीं समझता फरमाया कि बंदा इसी को महबूब जाने
जिससे ज्यादा कोई महबूबिया के काबिल ना हो फरमाया कि सबर नाम है खुदा के हुक्म पर
इस्तकलाल के साथ मसाइंसेगुरु
शाय में से हुए हैं जिनको अल्लाह ताला हर फन में कमाल अता करता है आप मुरीदन पर इस
कदर शफीक थे कि इनकी तालीम और तरबियत का खास ख्याल रखा इसके अलावा तसव्वुफ के मौजू
पर आपकी 400 तसा निफ भी हैं जिसकी वजह से आपको लिसान उल तसव्वुफ का खिताब मिला और
आपका वक्त अक्सर बेश तर हजरत सुल नून और हजरत बशर हाफी की खिदमत में गुजरा और सबसे
पहले फना और बका के मौजू पर आप ही ने लब कुशाई फरमाई हत्ता कि आपकी किताब अलसेर के
बाद बाज इबार तों पर उलमा ने अपनी कम फहमी की बिना पर कुफ्र के फतवे आयद किए इसी
किताब की एक इबारत हम यहां भी नकल करते हैं कि जब बंदा रुजू इला अल्लाह होकर उससे
रिश्ता जोड़ते हुए कर्ब हासिल कर लेता है तो अपने नफ्स और खुदा के इलावा हर शय को
फरामोश कर देता है और जब इससे सवाल किया जाता है कि तू कहां है और क्या चाहता है
तो वह जवाब में सिर्फ अल्लाह ही अल्लाह कहता है और अगर उसके तमाम अ को गोया ई अता
कर दी जाए तो हर उज से अल्लाह ही अल्लाह निकलता है इसलिए कि हर उज नूर से पूर और
जजब से लबरेज हो जाता है और उसको वह कुर्ब हासिल होता है कि अल्लाह का कहना गोया
खुदा की जुबान से अल्लाह कहना होता है फिर फरमाया कुर्ब बाद इख्तियार करने का हर
बंदे को मजाज बनाया गया है लेकिन मैंने बाद को इसलिए इख्तियार किया कि मुझ में
कुर्ब की सकत नहीं थी जैसे लुकमान ने हिकमत नबूवत में से हिकमत को इसलिए कबूल
किया कि नबूवत की ताकतें बर्दाश्त नहीं थी हालात आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा
ख्वाब में दो फरिश्तों ने मुझसे सिद का मफू पूछा तो मैंने कहा कि ई फाए अहद का
नाम सदक है उन्होंने कहा तुम सच कहते हो फरमाया कि एक मर्तबा ख्वाब में हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सवाल किया तू मुझे दोस्त रखता है मैंने अर्ज किया कि
अल्लाह ही की दोस्ती मेरे कल्ब में इस तरह सराय किए हुए हैं कि किसी दूसरे के लिए
जगह नहीं यह सुनकर हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि जिसने अल्लाह को दोस्त रखा मुझको दोस्त रखा फरमाया कि
एक मर्तबा ख्वाब में मैंने इब्लीस को डंडा मारने का कसदार कि यह डंडे से खाफ नहीं होता यह तो
सिर्फ कल्बे मोमिन के नूर से डरता है जब मैंने इब्लीस को अपने पास आने के लिए कहा
तो उसने जवाब दिया कि तारीक दुनिया लोग मेरे फरेब में नहीं आ सकते अलबत्ता
तुम्हारी सोहबत में चूंकि लड़के रहते हैं इसलिए शायद मेरे फरेब में फंस जाओ आपके दो
साहिबजादे में से जब एक का इंतकाल हो गया तो आपने ख्वाब में इनसे पूछा कि अल्लाह
ताला ने तुम्हारे साथ क्या सलूक किया उन्होंने कहा कि उसने मुझको इतना कर्ब अता
कर दिया आपने उनसे कहा कि मुझे कोई नसीहत करो उन्होंने जवाब दिया कि ना तो बद दिली
के साथ खुदा के इबादत कीजिए और ना एक लिबास से दूसरा लिबास अपने लिए रखिए
चुनांचे 30 साल हयात रहने के बावजूद आपने कभी एक लिबास से दूसरा लिबास नहीं रखा आप
फरमाया करते थे कि एक मर्तबा मैंने खुदा से कुछ तलब करना चाहा तो निदा आई कि अल्लाह से अल्लाह के सिवा कुछ ना तलब करना
फरमाया कि एक मर्तबा मुझे जंगल में बेहद भूख मालूम हुई तो नफ्स ने खुदा से तलब रजक
का तकाजा किया लेकिन मैंने जवाब दिया कि यह तवक के मनाफी है फिर नफ्स ने कहा कि
सब्र ही की तौफीक तलब करो उस वक्त अल्लाह ताला ने मुझे आगाह फरमाया कि अल्लाह अपने
दोस्त के नजदीक होता है इसलिए उससे कुछ तलब करने की जरूरत नहीं फिर फरमाया कि
दौरान सफर फाका कशी करते-करते मंजिल करीब आई तो मंजिल पर खजूर का बाग देखकर नफ्स को
कुछ इत्मीनान सा हो गया लेकिन मैंने नफ्स की मुखालिफत में मंजिल की बजाय जंगल ही
में पड़ाव डाल दिया और जब अहले काफिला में से एक शख्स इसरार करके मुझे अपने हमराह
लेक आ तो मैंने उससे पूछा कि तुम्हें यह इल्म कैसे हुआ कि मैं जंगल में छुपा हुआ
हूं उसने कहा कि मैंने गैब से निदा सुनी कि खुदा का एक दोस्त रेत में छुपा हुआ है
उसको अपने हमरा ले आओ फरमाया कि शबरोज सिर्फ एक मर्तबा खाना खाया है लेकिन एक
सहरा में जब तीन शबरोज खाने को कुछ नहीं मिला तो मैं नका हत से एक जगह बैठ गया उस
वक्त गैब से निदा आई कि खाने की तलब है या कुवत की मैंने कहा कुवत की यह कहते ही
मेरे अंदर ऐसी कुवत पैदा हो गई कि बिला खाए पिए 12 मंजिलें तय कर डाली फरमाया कि
एक मर्तबा दरिया पर एक नौजवान गढी ओड़ी और स्याही की दवात लिए हुए मिला चुनांचे
मैंने उसकी गड़ी से यह अंदाजा किया कि यह अहले अल्लाह में से है लेकिन दवाद से यह
तसव्वर हुआ कि शायद कोई तालिब इल्म है और जब मैंने उससे सवाल किया कि खुदा के मिलने
के लिए कौन सा रास्ता है उसने कहा कि एक रास्ता आम के लिए है और दूसरा खास के लिए
लेकिन तुम जिस रास्ते पर गामजादा है क्योंकि तुम इबाद को जरिया
विसाल और दौलत को हिजाब तसव्वुर करते हो फरमाया कि जंगल में एक मर्तबा 10 शिकारी
कुत्तों ने मुझे घेर लिया तो मैं इसी जगह
मुराककाबत वह कुछ दूर मेरे हमराह चलकर गायब हो गया
इरशाद अब्बास मुक्त दी के सामने जब आपने तकवा के मौजू पर बहस छेड़ी तो उन्होंने
कहा कि शाही जमीन पर रहकर शाही नहर का पानी इस्तेमाल करके आपको तकवा की बातें
करते शर्म नहीं आती चुनांचे आपने नदा मत से गर्दन झुका कर फरमाया कि वाकई आप सच
कहते हैं फरमाया कि खुदा से इसलिए मोहब्बत करो कि वह तुम्हारे साथ नेकी करता है और
जो खुदा को अपना महसन तसव्वुर ना करे वह कभी खुदा से मोहब्बत नहीं कर सकता फरमाया
कि औलिया कराम की बुजुर्ग की वजह से अल्लाह ताला आमाल सलेहा का खस्त गार होता है और इनको हिजाब से बचाते हुए अपने जिक्र
के अलावा किसी से सुकून अता नहीं करता और अपने महबूब को जिक्र करके दरवाजे से कसरे
वहदा नियत में पहुंचाकर अजमत और जलाल का पर तो डालता रहता है जिसके बाद वह खुदा की
हिफाजत में आ जाता है और यह तसव्वुर ही गलत है कि सही मशक्कत से या बगैर सही
मशक्कत के कुर्बे इलाही हासिल हो सकता है इसका दारोमदार तो सिर्फ खुदा के फजल पर है
फरमाया कि खुदा के मुशाहिद के बाद कोई हिजाब दरमियान में बाकी नहीं रहता फरमाया कि नूर फरासत से मुशाहिद करने वाला गोया
नूर खुदा वंदी से मुशाहिद करने वाला होता है और इसी के इल्म क मंबा सिर्फ जात इलाही
होती है जिसकी वजह से सहू और गफलत का मुरत नहीं हो सकता इसके मुंह से निकलने वाला
कलाम दरह कीक खुदा ही का कलाम होता है और खुदा के बाज ऐसे बंदे भी हैं जो इसके खौफ
से खामोशी के साथ मशगूल इबादत रहते हैं फरमाया कि अहले मारफ के लिए जरूरी है कि
वो ना तो खुदा के सिवा किसी को देखें ना किसी से मेहव गुफ्तगू हो और ना खुदा के
सिवा किसी के साथ मशगूल अत इख्तियार करें फिर फरमाया कि महब फना होना फना की अलामत
है और हजूरी बका की फरमाया कि जिक्र तीन तरह से किया जाता है एक सिर्फ जबान से
दूसरे कल्बो जबान दोनों से तीसरा जिस कल्ब में तू जाके रहे लेकिन जबान गंग हो जाए
लेकिन इस मुकाम का इल्म खुदा के सिवा किसी को नहीं फरमाया तौहीद नाम है हर शय से
जुदा होकर र जूए इला अल्लाह होने का फरमाया आरिफ वही है जो खुदा के सिवा हर शय
से बे नियाज हो जाए कि तमाम अश्या इसी की मोहताज नजर आए फरमाया कि कुर्बे हकीकी वह
है कि खुदा के इलावा किसी भी शय का कल्ब में तसव्वुर तक ना आ जाए तो इस जानिब
मतवल वही है जिस पर अमल भी हो और यकीन वो उम्दा है जिसमें फनात का दर्जा हासिल हो
जाए फरमाया कि आरफ राहे मौला में हमेशा गिर उ जारी करता रहता है लेकिन जब वासले
बल्ला हो जाता है तो सब कुछ भुला देता है फरमाया तवक खुदा पर इस तरह एतमाद करने का
नाम है जिसमें ना तो सुकून हो ना अदमी सकून फरमाया कि जिसको अपने और खुदा के मा
बैन यल होने वाली शय पर गलबा हासिल ना हो उसको तकवा और
मुराककाबत फरमाया कि मालदार का हक फुकरा को इसलिए नहीं पहुंचता अव्वल तो उनकी
दोस्ती ही नाजायज होती है दूसरे इनके अमल मुताबिक अ दौलत नहीं होता तीसरे फुकरा खुद
साहिबे कनात होते हैं बाब नंबर 46 हजरत अबुल हसन नूरी रहमतुल्ला अलह के
हालात मुना किब तारुफ आप अपने दौर के उन मुमताज बुजुर्गों में से हुए हैं जिनको
तमाम मशक ने अजमत और मरतबक के ऐतबार से अमीरुल कुलूब का खिताब अता किया आप हजरत
सरी सत्ता के पीरो मुर्शद और हजरत जुनैद बगदादी के हम असर थे उम्र का अक्सर बेश तर
हिस्सा हजरत अहमद हवारी की सोहबत में गुजरा आप अपने मसलक के तबार से तसव्वुफ को
फक्र पर तरजीह देते थे और फरमाया करते कि बिला ईसार कुर्बानी के मोहब्बत शेख जायज
नहीं और आपको नूरी का खिताब इसलिए दिया गया कि आपके मुंह से ऐसा नूर हवे द होता
कि पूरा मकान मुनव्वर हो जाता और दूसरा सबब यह भी बताया गया कि जंगल की जिस
झोपड़ी में आप मशगूल रहते थे वह आपकी करामात से शबे तारीख में भी रोशन रहती थी
आपके मुतालिक हजरत अबू अहमद मगरी का यह कॉल था कि मैंने आपसे ज्यादा हजरत जुनेद
को भी इबादत गुजार नहीं पाया हालात रियाजत
के इब्तिदा दौर में आप घर से खाना लेकर निकलते और रास्ता में खैरात करके नमाज
जोहर के बाद अपनी दुकान पर जा बैठते हत्ता कि यह सिलसिला 20 साल तक चलता रहा लेकिन
आपके घर वाले इस तसव्वुर में रहते कि दुकान पर खाना खा लिया होगा आप फरमाया
करते थे कि मेरे लिए बर्सों के मुजाहि दत खिलत सब बे सूद साबित हुए और जब मैंने
अंबिया कराम के कौल के मुताबिक यह गौर करना शुरू किया कि शायद मेरी इबादत में
रया का अंसर शमिल हो गया तो पता चला कि मेरे नफ्स ने कल्ब से साज बाज कर रखी है
लेकिन जब मैंने मुखालिफत नफ्स शुरू की तो मेरे ऊपर असरार बातन का इंक शफ होने लगा
और जब मैंने नफ्स से इसकी कैफियत पूछी तो उसने कहा कि मेरी कोई मुराद पूरी ना हो
सकी उसके बाद मैंने दरिया दजला में मछली पकड़ने के लिए बुनियाद डालकर खुदा ताला से
अर्ज किया कि जब तक इसमें मछली नहीं फंसेगी यूं ही खड़ा रहूंगा यह कहते ही
मछली फस गई तो मैंने हजरत जुनेद से अपनी फराय मुरा दिब का जिक्र किया आपने फरमाया
कि अगर मछली के बजाय तुम सांप का शिकार करते तो यकीनन करामत होती लेकिन चूंकि अभी
तुम दरमियानी मंजिल में हो इसलिए तुम्हारे वाकया को करामत से नहीं बल्कि फरेब से
ताबीर किया जा सकता है जिस वक्त गुलाम खलील ने बुजुर्ग दुश्मनी में खलीफा से
शिकायत की कि एक ऐसा ग्रह पैदा हो गया है जो रक्सो सरूर भी करता है और इशारो कनायो
में गुफ्तगू भी करता है और जुबान से ऐसे कलमा निकालता है जो काबिले गर्दन जदन हैं
इस शिकायत पर खलीफा ने तमाम मशक को कत्ल करने का हुकम दे दिया और जब सबसे पहले
जल्लाद ने हजरत अरकाम को कत्ल करना चाहा तो हजरत नूरी मुस्कुराते हुए इनकी जगह पर
जा बैठे और जब लोगों ने आपसे कहा कि अभी आपका नंबर नहीं आया तो फरमाया कि मेरी बुनियाद तरीकत जज्बा ईसार है और मैं
मुसलमानों की जान के बदले अपनी जान देना ज्यादा बेहतर तसव्वुर करता हूं हालांकि मेरे नजदीक दुनिया का एक लम्हा महशर के
हजार साल से अफजल है क्योंकि दुनिया मुकाम खिदमत है और रकबा मुकाम कुर्बत है लेकिन
खिदमत के बगैर कुर्बत का हुसूल नामुमकिन है य अनोखा कलाम सुनकर खलीफा ने काजी से
सवाल किया कि इनके बारे में हुक्म शरी क्या है काजी ने हजरत शिबली को दीवाना तसवर करते हुए सवाल किया कि 20 दीनार पर
कितनी जकात होती है फरमाया कि साढ़े दीनार यानी निस्फ दीनार मजीद इस जुर्म में अदा
करें कि इसने 20 दीनार जमा क्यों किए जिस तरह हजरत अबू बकर सिद्दीक रजि अल्लाह ताला
अन्हो के पास 40 दीनार थे और उन्होंने सब के सब जकात में दे दिए फिर काजी ने जब
हजरत नूरी से एक सवाल किया जिसका उन्होंने बर्ज स्ता जवाब देकर उल्टा काज से कहा कि
अब तुम भी सुन लो कि खुदा ने ऐसे बंदे भी तखक फरमाए हैं जिनके हयात म मात और कयाम व
कलाम सब उसी के मुशाहिद से से वाबस्ता है और अगर एक लम्हा के लिए भी वह मुशाहिद से
महरूम हो जाएं तो मौत वाक हो जाएगी और यही वह लोग हैं जो उसी के सामने रहते हैं उसी
से सोते हैं उसी से खाते हैं उसी से सुनते हैं और उसी से तलब करते हैं यह जवाब सुनकर
काज ने खलीफा से कहा कि अगर ऐसे अफराद भी मुल्दे मेरा फतवा यह है कि पूरे आलम में
कोई भी मोहिद नहीं है और जब खलीफा ने इन हजरात से कहा कि मुझसे कुछ तलब कीजिए तो
सब ने कहा कि हमारी ख्वाहिश तो सिर्फ यह है कि तुम हमें फरामोश कर दो यह सुनकर
खलीफा पर रक्त तारी हो गई और सबको ताजमोहल रुखसत कर दिया किसी को आपने दराने नमाज
दाढ़ी से शुगल करते हुए देखकर फरमाया कि अपना हाथ खुदा की दाढ़ी से दूर रखो यह
कलमा सुनकर बाज लोगों ने खलीफा से शिकायत करते हुए बताया कि यह कलमा कुफ्र है और जब
खलीफा ने आपसे सवाल किया कि तुमने यह जुमला क्यों कहा फरमाया कि जब बंदा खुद
खुदा की मलकीत है तो इसकी दाढ़ी भी खुदा की मिल्क है यह जवाब सुनकर खलीफा ने कहा
खुदा का शुक्र है मैंने आपको कत्ल नहीं किया आप फरमाया करते थे कि मेरा नफ्स 40
साल से नफ्स से अलहदा है जिसकी वजह से मेरे कल्ब में तसव्वुर गुनाह तक नहीं आया
लेकिन यह मुकाम मुझे इस वक्त हासिल हुआ जब खुदा को पहचान लिया फिर फरमाया कि एक नूर
का मुशाहिद करते-करते मैं खुद नूर बन गया और जब मैंने खुदा से दामी हालत तलब की तो
जवाब मिला के सवाए दायम रहने वाले के दामी हालत पर कोई सब्र नहीं कर सकता आपने हजरत
जुनेद से फरमाया कि 30 साल से मैं इस उधेड़ पन में मुब्तला हूं कि जब अल्लाह
ताला जाहिर होता है तो मैं गुम हो जाता हूं और जब मैं जाहिर होता हूं तो उसकी जात
गुम हो जाती है यानी उसकी हजूरी मेरी गबतला और जब मैं कोई सही करता हूं तो
हुक्म होता है कि या तू रहेगा या मैं हजरत जुनैद ने फरमाया कि आप इसी हालत पर कायम
रहे कि जाहिर और बातिन में सिर्फ वही नजर आता रहे और आप गुम रहे बाज हजरात ने जुनेद
को बताया कि हजरत नूरी तीन शबाना रोज से पत्थर पर बैठे हैं और आवाजें बुलंद अल्लाह
अल्लाह कर रहे हैं और खाना पना सब बंद कर रखा है लेकिन निमाज अपने सही वक्त में अदा
कर लेते हैं हजरत जुनैद के इरादत मंदो ने ने कहा कि यह तो फनात की दलील नहीं बल्कि
होशियारी की अलामत है क्योंकि फानी को नमाज का होश बाकी नहीं रहता हजरत जुनेद ने
फरमाया कि यह बात नहीं बल्कि इन पर आलिम वजद तारी है और साहिबे वजद खुदा की हिफाजत
में होता है फिर हजरत जुनेद ने आपके पास पहुंचकर फरमाया कि अगर अल्लाह को रजा पसंद
है तो फिर आप शोरो गुगा क्यों करते हैं यह सुनकर आपने शोर बंद करते हुए कहा कि ऐ
जुनेद तुम मेरे बेहतरीन उस्ताद हो आपने हजरत शिबली के वाज में पहुंचकर जब अस्सलाम
अलेकुम या अबू बकर कहा तो उन्होंने जवाब दिया वा अलेकुम अस्सलाम या अमीरुल कुलूब
फिर आपने फरमाया कि बे अमल से अल्लाह ताला खुश नहीं होता लिहाजा अगर तुम बा अमल आलिम
हो तब तो वाज जारी रखो वरना मबर से नीचे उतर आओ यह सुनकर जब हजरत शिबली ने आपके
कॉल पर किया तो महसूस हुआ कि अमल में यकीनन कोई कमी है चुनांचे मिंबर पर से
नीचे उत आए और गोश नशीन होकर मशगूल इबादत हो गए और जब दोबारा लोगों ने वाज गोई के
लिए मजबूर करके मिंबर पर ला बिठाया तो हजरत नूरी तला पाते ही वहां पहुंच गए और
फरमाया कि तुमने मखलूक से छुपने की कोशिश की तो तुम्हें ताजमहले आए लेकिन मैंने मखलूक से राबता
रखते हुए जब हिदायत का रास्ता दिखाना चाहा तो मेरी पत्थरों से मदारत की गई यह सुनकर
हजरत शिबली ने पूछा कि आपकी हिदायत और मेरी पोशी दगी का क्या मफू है फरमाया कि
मेरी हिदायत तो यह थी कि मैंने खुदा के लिए मखलूक से राबता कायम किया और तुम्हारी
पोशी दगी का मफू यह है कि तुम खालिक मखलूक के माबीन हिजाब व वास्ता बने रहे जबकि
तुम्हें यह हक हासिल नहीं कि तुम दोनों के दरमियान हिजाब वास्ता बन सको और मुझे किसी
वास्ता की जरूरत नहीं इसी बिना पर मैं तुम्हें का आमद बंदा तसव्वुर नहीं करता
किसी इफ हानी नौजवान के कल्ब में आपके दीदार का इश्तियाक पैदा हुआ तो शाह इस्फहन
ने इसको यह लालच दिया कि अगर तुम इनसे मिलने ना जाओ तो मैं तुम्हें 1000 दीनार
का महल सामान समेत और 1000 दिनार की कनीज माजे वरात के पेश कर सकता हूं लेकिन व इन
चीजों पर लात मारक नंगे पांव शौक दीदार में चल पड़ा इधर आपने इरादत मंदो को हुक्म
दिया कि एक मील तक जमीन को बिल्कुल साफ और शफाफ कर दो क्योंकि हमारा एक आशिक नंगे
पैर चला आ रहा है और जब वह नौजवान हाजरी खिदमत हुआ तो आपने बादशाह के लालच और इसके
कसदार जदा रह गया फिर आपने उससे फरमाया कि मुरीद की शान यह है कि अगर सारे जहान की
नेमतें भी उसके सामने पेश कर दी जाएं तो इन पर निगाह ना डाले आप एक शख्स के साथ
रोने में मसरूफ रहे और जब वह चला गया तो फरमाया कि यह इब था और अपनी इबादत का तजक
करके इस कदर जार जार रोया कि मुझको भी रोना आ गया आप फरमाया करते थे कि दौरान
तवाफ मैंने यह दुआ मांगी कि अल्लाह मुझे वह मकाम वस्फ अता कर दे जिसमें कभी तगुर
ना हो चुनांचे बैतुल्लाह में से निदा आई कि ऐ अबुल हसन तू हमारे मसावी होना चाहता
है क्योंकि यह वस्फ तो हमारा है कि हमारी सफात में कभी तगर तब्दील रमा नहीं होता
लेकिन हमने बंदों में इसलिए तगुर तब्दील रखा है कि हमारी अबू बियत और ूब का इजहार
होता रहे हजरत जाफर हजर बयान करते हैं कि मैंने बजाते खुद आपको यह मुनाजात करते
सुना कि ऐ अल्लाह तू अपने ही खलीक करदा को जहन्नुम का अजाब देगा लेकिन तेरे अंदर यह
कुदरत भी है कि सिर्फ मेरे वजूद से जहन्नुम को लबरेज करके तमाम अहले जहन्नुम
को बहिश्त में भेज दे हजरत जा कहते हैं कि इसी शब मैंने ख्वाब में किसी कहने वाले को
सुना के अबुल हसन नूरी को हमारा यह पैगाम पहुंचा दो कि हमने मखलूक की मोहब्बत के
सिला में तुम्हारी मगफिरत फरमा दी एक मर्तबा हजरत शिबली ने आपको इस तरह मेहव
मराकर कि जिस्म का रुआ तक हरकत में नहीं था और जब उन्होंने सवाल किया कि मराकर
कमाल आपने किससे हासिल किया तो फरमाया कि बिल्ली से इसलिए कि एक मर्तबा वह चूहे के
बिलक सामने मुझसे ज्यादा बेहिस हरकत बैठी थी दौरान गुसल आपके कपड़े कोई उठाकर चलता
बना तो उसके दोनों हाथ बेकार हो गए और जब वह कपड़े वापस ले आया तो आपने दुआ दी ए
अल्लाह इसने मेरे कपड़े वापस कर दिए तू भी इसके हाथों की तवाना लौटा दे चुनांचे उसी
वक्त ठीक हो गया किसी ने सवाल किया कि अल्लाह ताला आपके साथ कयास सलूक करता है
फरमाया कि जब गुसल करता हूं तो वह मेरे कपड़ों की निगरानी करता है लोगों ने पूछा
यह कैसे फरमाया के एक दिन मैं हमाम में था तो कोई मेरे कपड़े उठाकर चल दिया और जब
मैंने अल्लाह से अपने कपड़े तलब किए तो वह शख्स वापस आकर मजरत के साथ मेरे कपड़े दे
गया बगदाद में आग लगने से बहुत से अफराद जल गए उसी आग में किसी दौलतमंद के गुलाम
भी फंस गए तो उसने ऐलान किया जो मेरे गुलामों को आग से निकाले मैं इसको 1000
दिनार इनाम दूंगा इत्तफाक से आप भी वहां से गुजर रहे थे चुनांचे बिस्मिल्लाह पढ़कर
आप आग में से गुलामों को निकाल लाए और आग ने आपके ऊपर कोई असर नहीं किया और जब इस
मालदार ने 2000 दिरहम पेश करने चाहे तो फरमाया कि इन्हें तुम अपने पास ही रखो
क्योंकि मुझे इनके हिर्ष ना होने की वजह से ही खुदा ने यह मर्तबा अता फरमाया कि मैंने दुनिया को आखिरत में तब्दील कर दिया
एक मर्तबा दहक हुआ अंगारा हाथ में लेकर मसल लिया जिसकी वजह से हाथ काला हो गया
दरिया सना खादिमा ने आपके सामने दूध और रोटी लाकर रखा तो आपने हाथ धोए बगैर तो
आपने हाथ धोए बगैर खाना शुरू कर दिया जिसके वजह से खादिमा के कल्ब में यह ख्याल पैदा हुआ कि ये इंतहा बदतमीजी की बात है
अभी वह इसी ख्याल में थी कि बाहर से शाही सिपाहियों ने आकर खादिमा को यह कहते गिरफ्तार कर लिया कि तूने जेर जामा चुराया
है और तुझे कोतवाल के सामने पेश किया जाएगा और यह कहकर इसको जद कोब करना शुरू
कर दिया यह देखकर आपने फरमाया कि इसको मत मारो तुम्हारा जेर जामा अभी मिल जाएगा
चुनांचे इसी वक्त एक शख्स ने जेर जामा सिपाहियों के हवाले कर दिया और वह खादिमा को छोड़कर चले गए आपने खादिमा से फरमाया
कि मेरी बदतमीजी ही तेरे काम आ गई यह सुनकर खादिमा ने नदा मत के साथ अपने बुरे
ख्याल पर तौबा की किसी का दौरान सफर गधा मर गया तो वह इस तसव्वुर में रो रहा था कि
अब मैं असबाब किस चीज पर लात कर लेकर जाऊंगा इत्तेफाक से इधर से आपका भी गुजर
हुआ तो मुसाफिर की बेबसी देखकर गधे को ठोकर मार कर फरमाया कि यह सोने का वक्त
नहीं है यह कहते ही गधा उठ बैठा और वह मुसाफिर अपना सामान लात कर रुखसत हो गया
आपकी लालतम हजरत जुनेद मिजाज पुर्सी के लिए हाजिर हुए तो कुछ फल और फूल आपको पेश किए
उसके बाद जब आप हजरत जुनेद की बीमारी में अपने इरादत मंदो के हमराह मिजाज पुर्सी के
लिए तशरीफ ले गए तो अपने मुरीद से फरमाया कि सब लोग जुनेद का मर्ज अपने ऊपर तकसीम
कर लो यह कहते ही हजरत जुनेद सेहत याबो गए तो आपने उनसे फरमाया कि फल और फूल की बजाय
इस तरह अयादत को जाना चाहिए कुछ लोग एक जफुल उम्र शख्स को जदा कोब करते हुए
कैदखाना की तरफ ले जा रहे थे और वह इंतहा सब्रो जब्त के साथ खामोश था आपने कैदखाना
में जाकर उससे पूछा कि इस कदर जफ और नका हत के बावजूद तुमने सब्र कैसे किया उसने
जवाब दिया कि सब्र का ताल्लुक हिम्मत और शुजात से है ना कि ताकत और कुवत से फिर आपने पूछा कि सब्र का क्या मफू है उसने
कहा कि मसाइल को इस तरह खुशी के साथ बर्दाश्त करना चाहिए जिस तरह लोग मसाइल
पाकर मसरूर होते हैं फिर फरमाया कि आग के साथ समंदर पार करने के बाद मारफ हासिल हुई
है और जब हासिल हो जाती है तो अव्वल और आखिर का इल्म हासिल हो जाता है हजरत अबू
हमजा किसी जगह कुर्ब के मौजू पर तकरीर कर रहे थे तो आपने फरमाया कि जिस कर्ब में हम
लोग हैं वह दरह कीक बाद दर बाद है फरमाया कि जब बंदा खुदा को
शनातन वाज गई की सलाहियत भी हो इस वक्त वाज कहना मुनासिब है वरना खुदा को पहचाने
बगैर वाज गई किबला बंदों और शहरों में फैल जाती है फरमाया कि हकीकत वजद का इजहार
इसलिए ममनू करार दिया गया है कि वजद ऐसा शोला है जो सर के अंदर भड़कता है और शौक
के जरिया जाहिर होता है फरमाया कि इतबा ए सुन्नत के बगैर इस्लाम का रास्ता नहीं मिलता फरमाया कि सूफी की तारीफ यह है कि
ना तो वह किसी कैद में हो और ना कोई उसकी कैद में हो फरमाया कि अरवाह सूफिया गलाज
बशरी से आजाद कदूर नफ सानी से साफ और ख्वाहिश से मुब्रा है फरमाया कि तसव्वुफ
ना तो रस्म है ना इल्म क्योंकि अगर रस्म होता तो मुजाहि दत से और इल्म होता तो
तालीमाबाद मखलूक दुश्मनी और खुदा दोस्ती का नाम तसव्वुफ है एक नाबी अल्लाह अल्लाह
का विरद करते हुए रास्ते में आपको मिला तो फरमाया कि तू अल्लाह को क्या जाने अगर
अल्लाह को जान लेता तो जिंदा ना रह सकता यह फरमा करर गश खाकर जमीन पर गिर पड़े और
होश आने के बाद एक ऐसे जंगल में जा पहुंचे जहां बांस की फांस आपके जिस्म में चुभती
थी और हर कतरा खून से अल्लाह का नक्श जाहिर होता था और जब इस हालत में आपको घर
लाया गया और ला इलाह इल्लल्लाह कहने की तल कीन फरमाई गई तो फरमाया कि मैं तो उसी के
पास जा रहा हूं यह कहकर दुनिया से रुखसत हो गए हजरत जुनेद बगदादी का कॉल है कि
अपने दौर के ऐसे सिदकी में से थे कि आपके बाद किसी ने हकीकी और सच्ची बात नहीं
की बाब नंबर 47 हजरत उस्मान अल हैरी रहमतुल्लाह अल के हालातो मुना किब तारुफ
आप खुरासान के अजीम शेख और कुतब आलिम थे और अरबाब तरीकत का कौल यह है कि दुनिया
में सिर्फ तीन अहले अल्लाह हुए हैं निशापुर में हजरत उस्मान अल हेरी बगदाद में हजरत जुनैद बगदादी और शाम में हजरत
अब्दुल्लाह जला अल हेरी लेकिन हजरत अब्दुल्लाह बिन मोहम्मद राजी का कॉल यह है कि मैंने हजरत जुनैद हजरत यूसुफ बिन हुसैन
हजरत रोय और हजरत मोहम्मद फजल सबसे शरफे नयाज हासिल किया मगर खुदा शनास में जो
मर्तबा हजरत उस्मान हेरी को हासिल हुआ वह किसी को मयस्सर ना आया और सिर्फ आप ही के
दम से खुरासान में तसव्वुफ का चर्चा आम हुआ और आपको तीन बुजुर्गों से शरफे बैत
हासिल रहा अव्वल हजरत यया बिन मुज दोम हजरत शुजा किरमानी सोम हजरत अबू हिफ
हुद्दा द इनके अलावा आप दूसरे बुजुर्गों की सोहबत में रहे आपका मशक वाज गोई था और
अहले निशापुर को आपसे इस दर्जा तकादीना ना कहता ला आप फरमाया करते थे कि
कम सनी ही में मेरा कल्ब अहले जाहिर से गुरेजा रहता था और मुझसे हर शय की
माहियवंशी
सोने की दवात सर पर जर बफ का अमामा और जिस्म पर निहायत मरका और कीमती लिबास था
अचानक आपने देखा कि रास्ता में एक गधा जख्मी पड़ा हुआ है और उसके पुष्ट के जखम
में से कवे गोश्त नोच रहे हैं यह मंजर देखकर आपके अंदर एक ऐसा जजबा रहम पैदा हुआ
कि आप अपनी दस्तार इसके जखम पर बांधकर अपनी कबा इसके ऊपर डाल दी इस एहसान के
बदले में गधे ने आपके हक में दुआए खैर की जिसके असर से इस वक्त जज्ब शौक के आलम में
आप हजरत यया बिन मुआ की खिदमत में हाजिर हो गए और उनसे फय हासिल करने में मां-बाप
और घर वालों को सब खैराबाद कह दिया फिर कुछ अरसा के बाद किसी वारिद जमात से आपने
हजरत शुजा किरमानी के हालात औसाफ सुने तो किरमा पहुंचकर बहुत अरसा तक उनकी फैज
सोहबत से फैज याबो रहे और उन्हीं के हमराह निशापुर पहुंचकर हजरत हिफ हु दद से नयाज
हासिल करके यह कसदार के यूज से भी फैज याबो चाहिए लेकिन
डर के मारे हजरत शुजा से अपना कसत जाहिर नहीं किया हजरत अबू हिवस आपकी नियत ताड़
चुके थे लिहाजा रवानगी के दौरान हजरत शुजा ने फरमाया कि इनको कुछ दिनों के लिए मेरे
पास ही छोड़ दीजिए क्योंकि मुझे इनसे कुछ दिलचस्पी पैदा हो गई है चुनांचे हजरत शुजा
की इजाजत के बाद आपने हजरत अबुल हिफ की खिदमत में रहकर बेहद फय हासिल किए फिर
हजरत अबू हिस ने आपके मुतालिक यह फरमाया कि यया बिन मुआ ने इनको आग की भट्टी में
झोंक दिया था लेकिन इनको भड़काने वाले की जरूरत बाकी रह गई थी लिहाजा अब इन्हें वह
शय भी हासिल हो गई आप फरमाया करते थे कि अहदे शबाब में जब हजरत अबू हिस ने मुझे
अपने पास से अलहदा कर दिया तो मैंने आपकी सोहबत के इश्क में आपकी निशत गाह के सामने
दीवार में सुराख करके जियारत शुरू कर दी और जब आपको इसका इल्म हुआ तो अपने पास
बुलाकर अपनी साहिबजादे से निकाह पढ़ा दिया आप कभी किसी पर खफा ना होते थे चुनांचे एक
मर्तबा किसी ने आपको खाने पर मदु किया और जब आप वहां पहुंचे तो उसने धुत का कर कहा
भाग जाओ मेरे यहां खाना नहीं है और जब आप वापस होने लगे तो इसने दोबारा बुलाकर कहा
कि तुम बहुत पेटू हो यह सुनकर आप फिर वापस हुए लेकिन तीसरी मर्तबा उसने बुलाकर कहा
कि पत्थर मौजूद हैं अगर खाना चाहो तो खा सकते हो गर्ज के 30 मर्तबा इसने ऐसी ही
हरकत की और आखिर में इतना जोर से धक्का दिया कि आप गिर पड़े लेकिन इसकी सजा में
अल्लाह ताला ने उसके दोनों हाथ बेकार कर दिए इस सरजन से वह ऐसा मुतासिर हुआ कि
फौरन ही तायब होकर आप से बैत हो गया फिर एक दिन उसने आपसे सवाल किया कि मेरी 30
मर्तबा की गुस्ताखी पर आपको गुस्सा क्यों नहीं आया फरमाया कि कुत्ते भी यही करते
हैं कि जब बुलाया जाए चले आए और जब दुदक दिया भाग गए लेकिन यह कोई मर्तबा नहीं है
बल्कि अहले मर्तबा होना बहुत मुश्किल है एक मर्तबा मुरीद के हमराह बाजार तशरीफ ले
जा रहे थे कि किसी ने ऊपर से इस तरह राख फेंकी जो पूरी की पूरी आपके ऊपर पड़ी यह
देखकर मुरीदो ने बहुत पेच उताप खाए मगर आपने फरमाया कि बहुत काबले शुक्र अमर है
कि जो सर आग का सजावा था उस पर सिर्फ राख ही पड़ी हजरत अबू उमरू से रिवायत है कि
मैं आप ही के दस्त मुबारक पर तायब हुआ और अरसा दराज तक आपकी खिदमत में रहकर फय ज
बात से सराब होता रहा लेकिन बाद में जब मेरा कल्ब मासि के जानिब रागब हुआ तो
मैंने आपकी सोहबत से किनारा कशी का कसदार फरमाया कि मेरी सोहबत छोड़कर गनीम
की सोहबत मत इख्तियार कर लेना क्योंकि इनको तुम्हारे गुनाहों से खुशी हासिल होगी
लिहाजा जो गुनाह करना हो यहीं रहकर कर लो ताकि तुम्हारा उबाल अपने सर ले लूं यह
अल्फाज आपने कुछ ऐसे मोसर अंदाज में फरमाए कि मैं तौबा करके आपकी खिदमत में मसरूफ हो
गया कोई शराबी बहना पचार का बजाता हुआ चला जा रहा था लेकिन आपको देखते ही बर तब तो
बगल में चुपा ली और टोपी ड़ ली चुनांचे आप इसको अपने हमराह लेकर आए और गुस्ल करवा के
अपना खरका पहनाते हुआ दुआ फरमाई कि ऐ अल्लाह मैंने अपना इख्तियार काम तो अंजाम
दे लिया अब जो तेरे इख्तियार में है उसकी तक्मी फरमा दे इस दुआ के साथ ही उसरा में
ऐसा कमाल पैदा हो गया कि आप खुद भी मुतहर रह गए उसी वक्त हजरत अबू उस्मान मगरिब भी
आपके यहां पहुंचे तो आपने फरमाया कि आज मैं रश की आग में ऊद की तरह सुलक रहा हूं
क्योंकि जिस कमाल के हसूल में मेरी इतनी उम्र खत्म हो गई वह कमाल बला तलब एक ऐसे
शख्स को अता कर दिया गया जिसके मुंह से शराब की बदबू आ रही है इससे अंदाजा हुआ कि
फजले खुदा वंदी का इह सार अमल पर नहीं बल्कि कल्बी कैफ यात से मुतालिक है इरशाद
किसी ने आपसे अर्ज किया कि गो मैं जुबान से खुदा का जिक्र करता हूं लेकिन मेरा
कल्ब इस पर मुतमइन नहीं आपने फरमाया कि तेरी जुबान को जो लज्जत जिक्र अता की गई
है उसी का शुक्र अदा करता रह ताकि दूसरे आजा को लज्जत जिक्र हासिल हो जाए एक मुरीद
10 साल तक खिदमत करते हुए सफरे हज में भी आपके हमरा रहा लेकिन हमेशा यही कहता रहा
कि खुदा के भेदों से मुझे भी आगाह फरमा दे दीजिए आपने फरमाया कि मैं तो खुद भी आगाह
नहीं हूं यह तो जिस पर खुदा का फजल हो वही मतला हो सकता है फरमाया कि जिसको अपनी
ताजमहल पर मौत आने का अंदेशा रहता है फरमाया कि सोहबत खुदा वंदी को अदब हैबत के
साथ इख्तियार करना चाहिए और इत बाए सुन्नत के लिए हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम की मोहब्बत जरूरी है और खादिम बनकर औलिया कराम की
ताजमहालावर पेशानी के साथ मिलना चाहिए और जहला के लिए दुआए खैर करनी चाहिए फरमाया
कि अकवाले सूफिया पर अमल पैरा होने से नूर हासिल होता है लेकिन बे अमल लोगों पर इनके
अकवाले का कोई असर नहीं फरमाया कि जिनको इबत में इरादत हासिल नहीं होती वह इंतहा
तक तरक्की नहीं करते फरमाया कि इतबा सुन्नत से हिकमत और इतबा नफ्स से हलाक
हासिल होती है फरमाया कि नफ्स की बुराइयों से वही वाकिफ हो सकता है जो खुद को हीच
तसव्वुर कर ले फरमाया कि जब तक मना अता जिल्लत और इज्जत मसावी ना हो कमाल हासिल
नहीं हो सकता फिर फरमाया कि यह चार चीजें कमाल को पहुंचा देती हैं अव्वल फक्र दोम
इस्तग सोम तवाजो चरम मराकर माया कि साबिर
वही है जो मसाइल कि आम लोग खाने पर और खवास अता बात
नहीं पर शुक्र करते हैं फरमाया कि जब तक हर शय खुद से बेहतर तसव्वुर ना करे नफ्स
के मसाइल का अंदाजा नहीं कर सकता फरमाया कि अतात गुजारी का नाम सहादत और इरत काबे
मासि करते रहने के बाद उम्मीद मगफिरत सकाव है और नफ्स का इतबा कैदखाना की जिंदगी की
तरह है फरमाया कि ना तो खुदा के सिवा किसी से यफ रहो और ना किसी से तवको आत वाबस्ता
करो फरमाया कि एजाज खुदा वंदी से शर्फ हासिल करो ताकि जिल्लत से बच सको फरमाया
कि नफ्स का तकाजा खुदा से बाद होता है और खौफ वासले ब अल्लाह कर देता है फरमाया कि
इज्जत दौलत की तलब और मकबूल के हरस अदावत की असास है फरमाया कि खुदा ने अपने कम से
बंदों की खता एं माफ करना फर्ज करार दे लिया है जैसा कि कुरान में है कि कतबा रकम
अला नफ रहता यानी फर्ज कर लिया है तुम्हारे रब ने नफ्स पर रहमत को फरमाया कि
आम इखलास तो यह है कि नफ्स को मुसर्रत हासिल हो और खास इखलास यह है कि आला तरीन
इबादत को अदना तरीन तसव्वुर करता रहे और इखलास का एक मफू यह भी है कि जो बात जुबान
से अदा करो इसकी तस्दीक कल्ब से भी करते रहो और मखलूक से किनारा कश होकर खालिक पर
नजर रखने का नाम भी इखलास है एक शख्स फर खाना से चलकर आपकी खिदमत में निशापुर
पहुंचा तो आपने उसके सलाम का जवाब ना देते हुए फरमाया के नाराज करके हज करना मुनासिब
नहीं यह सुनकर वह फौरन वापस हो गया और अपनी वालिदा की हयात तक मुसलसल उनकी खिदमत
करता रहा लेकिन उनकी वफात के बाद फिर आपकी खिदमत में जब निशापुर पहुंचा तो आपने काफी
फासला से उसका इस्तकबाल किया और अपने हमराह लाकर बकरियां चराने का काम उसके
सपुत कर दिया इसके बाद उसने आपकी जरे निगरानी यूज बात से इत साब किया और मेराज
कमाल तक पहुंचा वफात इंतकाल के वक्त जब आपके साहिबजादे ने गम में अपने कपड़े फड़
डाले तो आपने नरमी से फरमाया कि खिलाफ सुन्नत काम करना अलामत नफाक है क्योंकि
हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का यह फरमान है कि हर बर्तन से वही शय टपकती है
जो इसमें मौजूद है इस तासीर अमेज नसीहत के बाद आप दुनिया से रुखसत हो गए बाब नंबर
48 हजरत अबू अब्दुल्लाह जला रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब
तारुफ आप बहुत आली हमामा बुजुर्गों में से हुए हैं हैं और आपने हजरत अबू तरा और हजरत
जुल नून जैसे मशा कराम से नयाज भी हासिल किया इसके अलावा हजरत अबुल हसन नूरी के
फैज सोहबत से फैद याबो रहे हालात एक मर्तबा आपने हजरत उमरू दमिश्क से बयान
किया कि जिस वक्त मैंने अपने वालदैन से अर्ज किया कि मुझको खुदा के हवाले कर दो तो उन्होंने मेरी इस्तता कबूल कर ली
चुनांचे मैं घर से रुखसत हो गया और जब काफी अरसा के बाद वापस आकर घर के दरवाजे
पर दस्तक देते हुए अपना नाम बताया तो वालि ने अंदर ही से जवाब दिया कि हम खुदा को
सुपुर्द की हुई शय वापस नहीं लेते और किसी तरह दरवाजा नहीं खोला किसी हसीनो जवान
यहूदी के दीदार में आप मशगूल थे कि हजरत जुनेद आ पहुंचे आपने उनसे कहा कि ऐसी हसीन
सूरत भी जहन्नुम में चलेगी उन्होंने फरमाया कि इस पर नजर डालना दाखिल शहवत है
अगर इबरत हासिल करना चाहते हो तो दुनिया में बहुत सी चीजें हैं किसी ने जब आपसे फक्र का मफू पूछा तो आप उठकर बाहर चल दिए
और कुछ वकफा के बाद आकर फरमाया कि मेरे पास थोड़ी सी चांदी थी इसको खैरात करा
दिया ताकि फक्र के मौजू पर गुफ्तगू कर सकूं लिहाजा अब सुन लो कि जिसके पास कोई
चीज भी ना हो वह फक्र का मुस्तक है फरमाया कि मदीना मुनव्वरा में रोजा अकदर के सामने
भूख की शिद्दत में जाकर मैंने अर्ज किया कि आपका मेहमान हूं यह कहकर वहीं सो गया
और हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने मुझे एक टिकिया इनायत फरमाई जिसमें से आधी
काप आया था कि खुल गई लेकिन आधी बाकी मानदा इस वक्त भी मेरे हाथ में थी फरमाया
कि जिनके नजदीक तारीफ और बुराई मुसाब हों वह जाहिद है और जो अव्वल वक्त नमाज अदा
करता है व आबिद है और हर फेल को खुदा की नजर से देखने वाला मोहिद है और जो खुदा के
सेवा की जाने मुतजेंस से हासिल करता मर्तबा फानी है लेकिन खुदा
का अता करदा मर्तबा कायम रहने वाला है वफात हंसते हुए आपका इंतकाल हुआ तो मौत के
बाद भी अत बा ने कहा कि आप जिंदा हैं लेकिन नब्ज देखने के बाद मौत का यकीन हो
गया बाब नंबर 49 हजरत अबू मोहम्मद रोय रहमतुल्ला अलह के हालात मुना किब तारुफ आप
वाकिफ इसरार मशक में से हुए हैं और हजरत जुनैद और हजरत दाऊद ताई के अदा गुजार में
से थे इसके अलावा आपकी बहुत सी तसा निफ भी हैं हालात आप फरमाया करते थे कि 20 साल से
मेरी यह कैफियत है कि जिस किस्म के खाने का तसव्वुर करता हूं फौरन मिल जाता है फिर
फरमाया कि एक मर्तबा दोपहर में मुझे शिद्दत की प्यास महसूस हुई तो मैंने एक
मकान से पानी तलब किया जब अंदर से एक लड़का पानी लेकर आया तो मैंने पी लिया लेकिन इस लड़के ने कहा कि ये किस किस्म का
सूफी है जो दिन में पानी पीता है चुनांचे उस दिन से आज तक मैंने कभी दिन में पानी
नहीं पिया इरशाद किसी ने आपसे पूछा कि किस हाल में हो फरमाया कि जिसका मजहब ख्वाहिश
और हिम्मत देनार हो उसका हाल क्या पूछते हो हाल तो इनका दरयाफ्त करो जो आरिफ और
मुत्त की और इबादत गुजार हो फरमाया कि सबसे पहले खुदा ने बंदे पर मारफ को फर्ज
किया जैसा के कुरान में है नहीं पैदा किया हमने जिन्नो इंस को मगर इबादत के लिए
फरमाया कि खुदा ने अपनी जात के अलावा हर शय को दूसरी शय में पोशीदा कर दिया है फिर
फरमाया कि जिनको हुजूरी हासिल होती है व तीन तरह के होते हैं अव्वल शाहिद वैद जिन
पर हर लम्हा हैब तारी रहती है दोम शाहिद वादा जो हमेशा आलिम बूबत में रहते हैं सोम
शाहिद हक जो हर वक्त मसरूर और मगन रहते हैं फरमाया कि अल्लाह ताला का कौल और फेल
अता करना भी दाखिल
सिर्फ कॉल बाकी रखे तो मुसीबत है और अगर कॉल और फेल दोनों को सलब कर ले तो हलाक है
फिर फरमाया कि जमात सूफिया के अलावा हर जमात को पुल सरात से गुजरना इसलिए दुश्वार
नहीं कि दूसरी जमां से जाहिरी शरीयत के मुताबिक और जमात सूफिया से बातिन के
मुताबिक बाज पुस होगी फिर किसी ने सवाल किया कि आदाब सफर क्या है फरमाया कि किसी
किस्म का खतरा भी मुसाफिर के लिए सदे राह ना हो और ना क हीं आराम की गर्ज से कयाम
करें क्योंकि जिस जगह भी कल्ब ने आराम कर लिया बस वही उसकी मंजिल है फिर फरमाया
तसव्वुफ की असास यह है कि फुकरा से ताल्लुक रखे इज के साथ साबित कदम रहे और
बख्श व अता पर मौ तरज ना हो और आमाल सलेहा पर साबित कदमी का नाम तसव्वुफ है और खुदा
की मोहब्बत में फनात का नाम तौहीद है फरमाया कि कल्बे आरिफ ऐसा आईना होता है
जिसमें हर लम्हा तजल्ली यात का इनकास होता रहता है फरमाया कि कुर्ब की दलील यह है कि
खुदा के सिवा हर शय से वहशत होती रहे फिर फरमाया कि सूफी का मखलूक से किनारा कश
होना ही अफजल है फिर फरमाया कि फक्र इसका नाम है कि नफ्स की मुखालिफत करता रहे रमज
खुदा वंदी को आशिका ना होने दे और तर्क शिकायत का नाम सब्र है और खुदा के सामने
खुद को जलील तसव्वुर करना त वाजे है फरमाया कि हकीकी शहवत वही है जो आमाल लिहा
के अलावा किसी वक्त भी जाहिर ना हो फरमाया कि रात में दम मारना हराम और खतरा तो
मुकाशिफत में दम जद नहीं मुबा है फरमाया कि तुर्क दुनिया का नाम जहद है फरमाया कि
यफ इसी को कहा जाता है जो खुदा के सिवा किसी से खौफ जदा ना हो फरमाया कि खंदा
पेशानी के साथ अकाम इलाही के इस्तकबाल करने का नाम रज है और इखलास अमल यह है कि
दोनों जहानों में इसके सिले की उम्मीद ना रखे हजरत अब्दुल्लाह खैफ ने जब आपसे नसीहत
करने की इस्तता की तो फरमाया कि खुदा की राह में जान कुर्बान कर दो और अगर यह नहीं
कर सकते तो फिर अकवाले सूफिया पर अमल ना करो उम्र के आखिरी हिस्से में आपने कजा का
ओहदा इख्तियार करके अहले दुनिया का लिबास इख्तियार कर लिया था और इसका मकसद यह था
कि लोगों के लिए सुपुर बन जाए हजरत जुनेद का कॉल है कि हम सब तो पार मशगूल हैं और
हजरत रोय मशगूल फारिग बाब नंबर 50 हजरत इब्ने अता
रहमतुल्लाह अलह के हालातो मुना किब तारुफ आप बहुत बड़े मशक में से हुए हैं और आपके
बहुत से औसाफ हजरत अबू सईद खुर्रा रहमतुल्ला अलह ने बयान किए हैं हत्ता कि
वह आपके मुकाबले में किसी दूसरे को सूफी ही तसव्वुर ना करते थे हालात एक मर्तबा
आपको गिर आव जारी करते हुए लोगों ने सबब पूछा तो फरमाया कि कम सनी में मैंने एक
शख्स का कबूतर पकड़ लिया था और इसके मुआवजा में उसके मालिक को 1000 दीनार दे
चुका हूं लेकिन फिर फिर भी यह तसव्वुर है कि ना मालूम मुझे क्या सजा दी जाएगी फिर
किसी ने सवाल किया कि आप कुरान की यमय कितनी तिलावत कर लेते हैं फरमाया कि 14
साल कबल तो एक कुरान यमय खत्म कर देता था लेकिन अब 14 साल से मैंने कुरान शुरू किया
है तो अब तक सिर्फ सूरा अनफा तक पहुंचा हूं आपके 10 लड़के थे और एक मर्तबा दौरान
सफर डाकुओं ने उन्हें पकड़कर एक-एक करके नौ लड़कों को आपके सामने ही कत्ल कर दिया
लेकिन आप आसमान की जानिब नजर उठाए हुए मुस्कुराते रहे और जब दसवें लड़के की बारी आई तो उसने कहा कि किस कदर अफसोस की बात
है कि आप बाप होकर कुछ तदार करने की बजाय मुस्कुरा रहे हैं आपने फरमाया कि हर अमर
का फइल हकीकी अल्लाह ताला है और वह अपनी मसलेहट से जो कुछ भी करता है उसमें बंदे
को दम मारने की इजाजत नहीं यह सुनकर हनों पर अजीब सी कैफियत तारी हो गई और उन्होंने
अर्ज किया कि अगर आप यह बात पहले कह देते तो तमाम साहिबजादे कत्ल होने से बच जा
एक मर्तबा आपने हजरत जुनैद से फरमाया कि मालदार का फुकरा से ज्यादा मर्तबा है क्योंकि रोज महशर जब इनका मुहास होगा तो
एक मुहास तो आमाल का होगा और दूसरा मुहास दौलत का मजीद बरा होगा लेकिन हजरत जुनैद
ने फरमाया कि फुकरा का मर्तबा मालदार से इसलिए ज्यादा है कि जब मालदार कयामत में
फुकरा से मजरत ख्वा होंगे तो इनका यह उजर अपनी मुहास से ज्यादा होगा जब आपसे किसी
ने सवाल किया कि सूफिया कराम दौरान गुफ्तगू ऐसे अल्फाज क्यों इस्तेमाल करते हैं जिससे दूसरे बे बहरा और हैरत जदा हो
फरमाया कि सूफिया यह चाहते हैं कि उनकी बात सिवाय सूफी के किसी के पल्ले ना पड़े इसलिए जुबान से हटकर गुफ्तगू करते हैं रशा
दत आप फरमाया करते थे कि बेहतर इल्म अमल वही था जो गुजर्ता लोगों ने हासिल किया और
इन पर अमल पैरा रहे फरमाया कि असरार को मैदान अमल में तलाश करो फिर मैदान हिकमत
में फिर मैदान तौहीद में और अगर कहीं ना मिले तो उम्मीदों को मुनकता कर लो फरमाया
कि सिफात पर अमल करना रुजू करने से बेहतर है फरमाया कि हर इल्म के लिए एक बयान है
हर बयान के लिए एक जबान हर जबान के लिए एक इबादत हर इबादत के लिए एक तरीका है और हर
तरीका के लिए एक ग्रह का वजूद जरूरी है और जो शख्स इन चीजों में तमीज ना कर सके उसके
लिए लब कुशाई मुनासिब नहीं फिर फरमाया कि मत बाईने सुन्नत को नूर मारफ हासिल होता
है फरमाया कि मुसलमान के मफत के लिए सही करने वाला मुनाफिक भी 60 बर्ष के आबिद से
ज्यादा सवाब हासिल करता है फरमाया कि कुरान और हदीस से बुलंद कोई मुकाम नहीं फरमाया कि खुदा की इबादत ना करना इंतहा
गफलत है फिर फरमाया कि खुदा के सिवा अगर कोई शख्स किसी दूसरे शय से सुकून हासिल
करता है तो आखिरकार वही शय उसके लिए बायस हलाक बन जाती है फरमाया कि उम्दा गुनाह
वही है जिसमें तौबा की तौफीक नसीब हो और बदतर है वह अतात जिसमें खुद बीनी रूमा हो
जाए फरमाया कि वसाय पर एतमाद करने से तक जन्म लेता है फरमाया कि दौलत का डाकू
भी तालेब दुनिया होता है फरमाया कि दुनिया कुछ लोगों के लिए तो सराय है कुछ के लिए
तिजारत गाह बाज के लिए शोहरत इज्जत हासिल करने की जगह बाज के लिए दर्स इबरत और बाज
के लिए ऐशो निशात है चुनांचे हर फर्द अपने ही तसव्वुर के तबार से दुनिया से दिलचस्पी
रखता है फरमाया कि शहवत कल्ब मुशाहिद है और शहवत नफ्स दुनियावी ऐशो दवा है फरमाया
चूंकि फितरत नफ्स बेअदबी पर कायम है इसलिए नफ्स को हर लम्हा
मुदब्बीर देते हैं फरमाया कि गजा ए मोमिन इबादत
खुदा है और गजा ए मुनाफिक खाना पना फरमाया कि सलिहीन जैसा अदब रखने वाला बिसात करामत
हासिल करता है और सिद्दकी जैसा अदब रखने वाला बिसात अंस से सरफराज होता है लेकिन
बेअदब हमेशा हर माने नसीब रहता है फरमाया कि कर्ब का अदब बाद के अदब से ज्यादा
दुशवार है इसलिए ना वाकिफ लोगों के तो अल्लाह ताला गुनाह कबीरा भी माफ कर देगा
लेकिन आरफीन से गुनाह सगीरा की भी बाज पुस होगी फरमाया कि इत बाए नफ्स करने वाला कभी
कर्बे इलाही हासिल नहीं कर सकता फरमाया कि मुझे नारे जहन्नुम में जलने का इतना खौफ नहीं जितना खुदा की अदम तवज्जो
इदीन चार तरह के होते हैं अव्वल वह जो वक्त और हालत दोनों पर नजर रखते हैं दोम
वो जिनकी निगाह आकिब पर मरकू रहती है सोम वो जो हका का मुशाहिद करते रहते हैं चरम व
जिनके पेशे नजर सिर्फ मुसाब कत होती है फरमाया कि रसूलों का अदना मर्तबा अंबिया
के आला मुरा दिब के मसावी होता है और अंबिया का अदना मर्तबा मोमिनीन के आला
मर्तबा के बराबर होता है फरमाया के बाज बंदे ऐसे भी हैं जिनका इत्त साल खुदा के
साथ इस तरह है कि उनकी आंखें उसी के नूर से रोशन है उनकी हयात उसी के दम से कायम
है और यह इत्त साल सिर्फ यकीन की सफाई और दामी नजर की वजह से हासिल होता है और
चूंकि वो उसी जात से जिंदा हैं इसलिए उन्हें अभी तक मौत नहीं आई फरमाया कि
बेहतरीन है वह गैरत जो मोहब्बत और हमनशीन के वक्त रहे फरमाया कि अक्सर अहले गैरत की
यह कैफियत होती है कि गैरत से निजात दिलाने के लिए अगर कोई इन्हें कत्ल कर दे
तो कातिल को सवाब मिलता है फरमाया कि जिंदगी का कयाम वाबस्ता है कल्ब मोहब्बत
गिरिया मुश्ताक जिक्र आरिफ लिसान मोहिद और अहले हमम के तरक नफ्स से और हजरत मुसन्नाफ
फरमाते हैं कि अगर कोई यह तराज करे कि जिंदगी का कयाम लिसान मोहिद से किस तरह
वाबस्ता है तो जवाब यह है कि बातिन मोहिद तौहीद से मामूर होता है और इसको जुबान
लाने के सिवा रत्ती भर भी किसी चीज की खबर नहीं रहती जैसा कि हजरत बायजीद का कौल है
कि मैं 30 साल से बायजीद की जुस्तजू में हूं लेकिन वह कहीं नहीं मिलता और साहिबे
ताजमहाल हो जाती है लेकिन जान बाकी रहती है और अहले हमम की जिंदगी नफ से कतन जुदा
हो जाती है और अगर वह इस आलिम यत में लब कुशाई कर बैठे तो फौरन हलाक हो जाए जैसा
कि हदीस में वारिद है कि मुझे अल्लाह के साथ एक वक्त हासिल है यानी इस वक्त ना तो
मैं होता हूं ना ब्राइल फिर फरमाया कि इल्म की चार किस्में हैं अव्वल इल्म मारफ
दोम इल्म इबादत सोम इल्म
बूदिर इल्म खिदमत फरमाया कि ममल कत का दावेदार मोहब्बत से महरूम हो जाता है
फरमाया कि अकल सिर्फ आला अबू दियत है ना कि रबू बियत पर बुलंदी हासिल करने का
फरमाया तवल का नाम है फाका कशी में किसी सबब की जानिब नजर डालने का और मुत वक्किल
वह है जो सिर्फ खुदा पर वकल करे फरमाया कि अरकाने मारफ तीन है अव्वल हैबत दोम हया
सोम अमन और हया का मफू यह है कि जो कुछ मुयस्सार आए इसको यह समझे कि यह मेरे लिए
बेहतर है फरमाया कि एक तकवा जाहिरी है जिसमें सिर्फ हदूद इलाही पर नजर होती है
और दूसरा तकवा बात नहीं है कि इखलास सु नियत पेश रहे और तकवा की इब्तिदा मारफ और
इंतहा तौहीद है फरमाया कि जिस शय को खुदा ने बेहतर फरमाया है उस पर साबित कदमी अदब
है फरमाया कि हर वक्त का मुराककाबत से अफजल है फरमाया कि कल्बो
जिगर के टुकड़े हो जाने का नाम शौक है लेकिन शौक मोहब्बत से बाला तर है क्योंकि शौक मोहब्बत से ही तखक पाता है फरमाया कि
हजरत आदम की खता पर सवाए सेमो जर के हर शैने नोहा ख्वानी की और जब अल्लाह ताला ने
उनसे बाज पुस की तो अर्ज किया कि हम तेरे नाफरमान पर नोहा ख्वानी नहीं कर सकते
इसीलिए अल्लाह ताला ने इनको हर शय की कीमत मुकर्रर कर दी यानी हर शय रुपया अशरफी से
ही खरीदी जा सकती है फरमाया के जाहिर में मखलूक से और बातिन में खालिक से वाबस्ता
कीी गोशाई से बेहतर है आपने मुरीद से सवाल किया कि बंदों के मुरा दिब किस शय से
बुलंद होते हैं किसी ने जवाब दिया साइमल दहर रहने से किसी ने कहा कि हमेशा निमाज
में मशगूल रहने से किसी ने कहा खैरात सदका जारी रखने से लेकिन आपने फरमाया कि सिर्फ
इसी को बुलंद मुरा दिब हासिल होते हैं जिनके अखलाक उम्दा हो लोगों ने खलीफा ए
वक्त से आपके जिंदी होने की शिकायत की तो वजीर ने आपको बुलाकर बुरा भला कहा और आपके
चमड़े के मोजे उतरवाकर इन्हीं से इस कदर जद कोब किया कि आपके ऊपर गशी तारी हो गई
और होश आने के बाद आपने इसके हक में यह बददुआ फरमाई कि अल्लाह ताला तेरे दस्तो पा
कता करा दे चुनांचे आपकी वफात के बाद खलीफा ने किसी जुर्म की सजा में उसके हाथ
पैर कता करा दिए उस पर बाज बुजुर्गों ने यह जवाब दिया है कि आपकी बददुआ की यह वजह
थी कि वह वजीर मुसलमानों के हक में बहुत ही जाबो जालिम था बाज बुजुर्ग कहते हैं कि
चूंकि कजा और कदर का फैसला यही था इसलिए आपने इसको जाहिर कर दिया लेकिन हजरत
मुसन्निफ फरमाते हैं कि दरह कीक व बददुआ नहीं बल्कि उसके हक में दुआ थी ताकि
दुनिया की जिल्लत से निजात पा आकर दर्जा शहादत हासिल करें और आखिरत की सजा के बजाय
दुनिया ही में सजा पूरी हो जाए बाब नंबर 51 हजरत इब्राहिम बिन दाऊद वरकी रहमतुल्ला
अल के हालात मुना किब तारुफ आपका ताल्लुक मशा शाम में से था और आप रियाजत और करामत
के मुकम्मल आईना दार होने के इलावा हजरत जुनैद के हम असर और इब्ने अता और
अब्दुल्लाह बिन जला के अहबाब में से थे हालात किसी दरवेश की कमली में आपके पैरहन
का एक टुकड़ा सिला हुआ था चुनांचे जंगल में जब उस दरवेश पर शेर हमला आवर हुआ तो
करीब पहुंचकर बजाय हमला करने के उसके कदमों में सर झुकाकर खामोशी के साथ लौट
गया इरशाद आप फरमाया करते थे कि उन चीजों को नजरअंदाज करके जहां तक अकल इंसानी की
रसाई मुमकिन हो मखलूक के वजूद को साबित करना दाखिल मारफ है फरमाया कि जहरी तबार
से गो आंखें खुली रहती हैं लेकिन बसारू होती है फरमाया कि खुदा दोस्ती की अलामत
अतात कसरत इबादत और इतबा सुन्नत है फरमाया कि मखलूक में कमजोर तरीन वह है जो तके
मखलूक पर कादिर ना हो फरमाया कि मराब का मदार सिर्फ हिम्मत पर है और अगर हिम्मत को
अमूर दुनियावी पर सर्फ किया जाए तो इसकी कोई कदर कीमत नहीं लेकिन अगर खुदा की रजा
जोई के काम में लाया जाए तो मुरा तबे आला तक रसाय का इमकान है फरमाया कि सवाल ना
करने वाला राजी बरजा रहता है क्योंकि दुआ की कसरत भी रजा के मनाफी है और वादा इलाही
पर खुश रहने का नाम तवक है फरमाया कि नशता तकदीर से ज्यादा की तलब सही ला हासिल है
क्योंकि मुकद्दर से ज्यादा कभी नहीं मिल सकता फरमाया कि मालदार तो अपने माल पर
किफायत करता है लेकिन फुकरा के लिए तवक बहुत काफी है फरमाया कि फकीर अदब से इस
वक्त वाकिफ होता है जब हकीकत से इल्म की जानिब रुजू करता है फरमाया कि जब तक खतरे
का एहसास रहे कुर्बे इलाही का हसूल मुम नहीं फरमाया कि खुदा के सिवा किसी को
साहिबे आजा तसव्वुर करने वाला खुद जलील है फरमाया कि मेरी पसंदीदा चीजों में से
सोहबत फुकरा और हुरमत औलिया
है बाब नंबर 52 हजरत यूसुफ असबा रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब तारुफ आप तारक
दुनिया होने के साथ-साथ बहुत अजीम आब मुत की भी थे और बड़े-बड़े मशक से शरफे नयाज
हासिल करते रहे अपने तरका में मिले हुए 700 हज दीनार में से एक पाई भी अपनी जात
पर खर्च नहीं की बल्कि खजूर के पत्ते बेचकर अपना खर्च चलाया करते थे इसके अलावा
सिर्फ एक गढी में 40 साल का अरसा गुजार दिया हालातो इरशाद आपने हुजैफा मराश को
मकतूब में तहरीर किया कि मुझे यह सुनकर अफसोस हुआ कि तुमने दो जर्रे सोने के
मुआवजा में अपना दीन फरोख्त कर दिया क्योंकि जब तुम एक मर्तबा किसी से कोई शय खरीद रहे थे तो मालिक की बताई हुई कीमत को
तुमने पांच गुना कम करके बताया और उसने तुम्हें दीनदार तसव्वुर करके तुम्हारे
लिहाज में वह शय बहुत कम कीमत पर दे दी लेकिन हजरत मुसन्निफ फरमाते हैं कि यह
वाकया दूसरी किताबों में इसके बरक्स भी है लेकिन मैंने मौतबेल
पाया फरमाया कि हसूल जर के लिए तालीम कुरान खुदा के साथ तमस्कर है फरमाया का
सदक दिली से एक शब की इबादत भी सवाब जिहाद से कहीं जायद है फरमाया कि अपने से सबको
बेहतर तसव्वुर करने का नाम तवाजू के कलील
तवाजजूह और मतवाद वह है जो अकाम शरिया पर अमल पैरा रहते हुए मखलूक से नरमी का
बर्ताव करे और अपने से ज्यादा अजीम उल मरतबक की तजीम करें हर नुकसान को बर्दाश्त
करते हुए खुदा की अता करदा शय पर शाक रहे और जिक्र इलाही के साथ-साथ गुस्सा को खत्म
कर दे उमरा के साथ तकब्बल से पेश आए फरमाया कि तौबा की 10 अलामत हैं दुनिया से
बाद इख्तियार करना ममनू आत से एतराज करना अहले तकब्बल तो जबत ना रखना सोहबत मतवाद
इख्तियार करना नेक लोगों से राबता रखना तौबा पर हमेशा कायम रहना बाद अज तौबा
गुनाह ना करना हुकूक पूरे करते रहना गनीमत तलब करना कुवत को जायल करना इसी तरह जहद
की भी 10 अलामत हैं मौजूदा शय को छोड़ना मुकरा खिदमत बजा लाना खैरात करते रहना
सिफाई बादनी हासिल करना आजा की इज्जत करना दूसरों का एहतराम करना मुबा अश्या में भी
जहद से काम लेना आखिरत का नफा तलब करना आइश में कमी करते रहना फरमाया कि वरा की
भी 10 कीमत हैं मुत शब हात में तदब्बूर से काम लेना शुभत से एतराज करना नेको बद में
तमीज करना फिक्रो गम से दूर भागना सूद जया से बे नियाज रहना रजाए इलाही पर कायम रहना
अमानत का तहफ्फुज करना से रू गर्दा रहना आफा से पुरख तर चीजों से
किनारा कश रहना फखर और तकब्बल को खैराबाद कह देना फरमाया कि सब्र की भी 10 अलामत
हैं नफ्स को रोकना दर्स को मजबूत रखना तालिब अमन रहना बेसब्र को तर्क कर देना
कुवत तकवा तलब करना इबादत की निगरानी करना वाज बात को हद तक पहुंचाना मामलात में
सदाकत इख्तियार करना मुजाहि दत पर कायम रहना इस्लाह मासि करते रहना फरमाया कि मु
की छह अलामत हैं खुदा की पसंदीदा शय को मरगूब रखना खुदा के साथ नेक अजम कायम रखना
किल्लत और कसरत को मन जानिबे अल्लाह तसव्वुर करना खुदा के साथ राहत और सुकून
हासिल करना मखलूक से एतराज करना खुदा से मोहब्बत करना फरमाया कि सद की भी छह अलामत
हैं कल्बो जुबान को दुरुस्त रखना कल और फेल में मुताबिक कायम रखना अपनी तारीफ की
ख्वाहिश ना करना हुकूमत इख्तियार ना करना दुनिया को आखरत पर तरजीह ना देना नफ्स की
मुखालिफत करना फरमाया कि तवक की भी 10 अलामत हैं खुदा की जमानत शुदा अश्या से
सुकून हासिल करना जो मयस्सर आ जाए उस पर शाकिर रहना मसाइल करना अरकान पर पाबंदी के
साथ अमल करना बंदों की तरह जिंदगी गुजारना गुरूर से एतराज करना इख्तियार को
मादूपू से उम्मीद वाबस्ता ना करना हयक में कदम रखना दकाससी
नहीं और यह जहन नशीन करके तवक इख्तियार करो कि मुकदरा से ज्यादा मिलना मुमकिन
नहीं फिर फरमाया कि अंस की पांच अलामत हैं हमेशा गोश ए जहन नशीन रहना मखलूक से वहशत
जदा रहना खालिक को हर लम्हा याद रखना मुजाहि दत सुकून में इख्तियार करना अतात
पर अमल पैरा रहना फरमाया कि बात कहने से कबल अंजाम पर गौर करना जरूरी है और जिस शय
में तदब्बूर और तफकॉर्न
[संगीत]
भी जिंदगी को गनीम तसव्वुर करना जिक्र इलाही में मशगूल रहना जवाल नेमत पर इजहार
तासु करना मुशाहिद की हालत में मसरूर रहना फिर फरमाया कि जमात निमाज के अलावा नमाज
की ज्यादती और रिजक हलाल के तलब फर्ज है बाब नंबर 53 हजरत अबू याकूब बिन इसहाक नहर
जुवन रहमतुल्लाह अल के हालात मुना किब तारुफ आप बहुत अजमल मरतबक बुजुर्ग गुजरे
हैं और सूफिया कराम में सबसे ज्यादा नूरानी शक्ल पाई थी हजरत उमर बिन उस्मान
की फैज सोहबत से फैज याबु ए और बरसों मुजावर हरम रहकर वहीं वफात पाई एक मर्तबा
आप आहो जारी के साथ मशगूल मुनाजात थे तो निदा आई कि तू बंदा है और बंदे को आराम
हासिल नहीं होता हालात किसी ने आपसे यह शिकवा किया कि अक्सर सूफ कराम ने मुझे रोजे रखने और सर
करने की हिदायत की लेकिन मुझे इन दोनों चीजों से कोई फायदा हासिल ना हो सका आपने
फरमाया कि दौरान इबादत इल्हा जारी के साथ दुआ करते रहो चुनांचे इस अमल से इसको फराय
कल्ब हासिल होगी फिर किसी ने शिकवा किया कि मुझे नमाज में लज्जत हासिल नहीं होती
आपने फरमाया कि हालत निमाज में कल्ब की तरफ मतवल हुआ करो चुनांचे इस अमल से इसकी
शिकायत खत्म हो गई आप फरमाया करते थे कि मैंने एक काने को दौरान तवाफ यह दुआ करते
सुना कि ऐ अल्लाह मैं तुझसे ही तेरी पनाह का तालिब हूं और जब आपने इसकी दुआ की वजह
पूछी तो अर्ज किया कि मैंने एक हसीन शख्स को देखकर कल्ब में कहा कि बहुत ही हसीन
शख्स है यह कहते ही मेरी वह आंख जिससे मैंने इसको देखा था एक हवा के झोंके के
साथ खत्म हो गई और उसके बाद निदा आई कि तुझे अपने जुर्म की सजा मिल गई और अगर
इससे ज्यादा तसव्वुर करता तो सजा में भी इजाफा कर दिया जाता इरशाद आप फरमाया करते
थे कि दुनिया की मिसाल दरिया जैसी है और आखिरत इसका किनारा है और तकवा इसमें एक
कश्ती की तरह है जिसमें मुसाफिर सफर करते रहते हैं फरमाया कि शकम सर बंदा हमेशा
भूखा रहता है और दौलतमंद इसलिए फकीर रहता है कि हमेशा मखलूक से हाजत बर आरी का
तकाजा करता रहता है फरमाया कि खुदा से आनत तलब ना करने वाला जलील रहता है और जिस
नेमत का शुक्र अदा किया जाए वह कभी जायल नहीं होती फरमाया कि बंदा जब हकीकत यकीन
तक रसाई हासिल कर लेता है तो इसके लिए नेमत भी मुसीबत बन जाती है फरमाया कि जो
बंदा बंदगी में रजा का हामिया और बका के माबीन बूद अत को कायम
नहीं रख सकता वह अपने दावे में काजिर माया कि खुशी की तीन कि में है अव्वल इबादत पर
मुसर्रत दोम यादे इलाही पर मुसर्रत
सोम कुर्ब पर मुसर्रत और जिसको यतीन और मुसर्रत हासिल होती हैं वह हमेशा मशगूल
इबादत रहकर तारिक दुनिया हो जाता है और मखलूक इसको बुरा तसव्वुर करने लगती है
फरमाया कि बेहतरीन अमल वह है जिसमें इल्म से भी राबता कायम रहे और आला तरीन है वो
आरिफ जो जलाल जमाल इलाही में सरगर द रहे फरमाया कि आरिफ को इन तीन चीजों से मुनकता
ना होना चाहिए इल्म अमल और खिलवट से क्योंकि इन चीजों से इंकताला कभी कुर्बे
इलाही हासिल नहीं कर सकता और चूंकि आरिफ खुदा के सिवा किसी का मुशाहिद नहीं करता
इसीलिए इसको किसी शय का अफसोस भी नहीं होता फरमाया कि दिल जमी इसीलिए ऐन हकीकत
है कि हर शय का मदार इसी पर है और हक के सिवा हर शय
बातिल है फिर फरमाया कि इल्म हकीकी वही है जिसकी तालीम अल्लाह ताला ने हजरत आदम अल
सलाम को दी फरमाया कि अहले तवक को बिला वास्ता रिजक हासिल रहता है और जो मखलूक के
गमो राहत से बे नयाज हो वह भी मतवल है लेकिन तवक हकीकी वह है जो आतिशे नमरूद में
हजरत इब्राहीम खलीलुल्लाह अल सलाम को हासिल रहा क्योंकि आपने हजरत जिब्राईल से
भी आनत तलब नहीं की हाला लाक उन्होंने खुद ही दरयाफ्त किया था कि आपकी क्या ख्वाहिश
है आपने जवाब दिया कि मुझे खुदा के सिवा किसी की ख्वाहिश नहीं इसी से यह अंदाजा
किया जा सकता है कि मतवल ऐसे मर्तबा का
हामिद पर चलने लगे तो आग इस पर असर अंदाज ना हो फरमाया कि इस्लाम का रास्ता जहला से
किनारा कशी उलमा की सोहबत इल्म पर अमल और खुदा की इबादत करना
है बाब नंबर 54 हजरत शमून मोहिब रहमतुल्ला अलह के
हालात मुना किब तारुफ आप बहुत अजीम उल मरतबक बुजुर्ग थे और खुद को शमन कजा कहा
करते थे आप हजरत जुनैद रहमतुल्ला अल के हम असर और हजरत सरी सत्ता की सोहबत से फैज
याप थे आपका कौल था क दर हकीकत मोहब्बत ही राहे खुदा पर
आईन है और अहवाल मकामा और निस्बत सब मोहब्बत के मुकाबला में बे हकीकत हैं और
कमाल जाती के ऐतबार से अक्सर सूफिया कराम ने आपकी मारफ को मोहब्बत पर फौक अत दी है
हालात सफर हज से वापसी पर अहले फैद के इसरार पर आपने वहां वाज फरमाया लेकिन आवाम
के ऊपर आपका वाज असर अंदाज ना हो सका जिसकी बुनियाद पर आपने कंदील से खिताब
करते हुए फरमाया कि अब मैं तुम्हें मोहब्बत का मफ हूम समझाता हूं और जब आपने
मफू बयान करना शुरू किया तो कंदील पर ऐसा वजत तारी हुआ कि बाहम टकराकर पाश पाश हो
गई इसी तरह एक और जगह मफू मोहब्बत बयान फरमा रहे थे तो एक कबूतर नीचे उतर कर आपके
सर पर फिर आगोश में फिर हाथ पर बैठकर जमीन पर उतर गया और
चूच लहू लहान हो गई और वहीं दम तोड़ गया इत्त बाए सुन्नत की खातिर आपने निकाह कर
लिया और जब लड़की तलित हुई तो आपको इससे बेहद लगाव हो गया चुनांचे ख्वाब में देखा
कि मैदान हश्र में मुहि बीन के लिए एक झंडा नस्त है और जब आप उसके नीचे पहुंचे
तो मलायका ने वहां से हटाना चाहा लेकिन आपने फरमाया कि मैं शमन हूं और जब खुदा ने
मुझे इसी नाम से शोहरत अता की है तो फिर मुझको यहां से क्यों हटाते हो मलायका ने
जवाब दिया कि लड़की की मोहब्बत से कबल तुम वाकई मोहिब थे लेकिन अब वह मर्तबा सलब कर
लिया गया है यह सुनकर आपने खुदा से दुआ की कि अगर बच्ची की मोहब्बत तुझसे बाद का
बायस है तो इसको इसी वक्त मौत दे दे अभी दुआ खत्म भी ना होने पाई थी कि घर में से
शोर उठा कि बच्ची छत पर से गिर करर हलाक हो गई यह सुनते ही आपने खुदा का शुक्र अदा
किया एक एक मर्तबा आपने इस मफू का शेर पढ़ा कि ना तो मुझे तेरे सिवा किसी से
राहत मिलती है ना किसी जानिब म तवज्जो हूं और अगर तू चाहे तो मेरा इम्तिहान ले सकता
है यह शेर पढ़ते ही आपका पेशाब बंद हो गया और इस वक्त आप मकतब जा रहे थे चुनांचे
रास्ते में जितने लड़के मिले इनसे कहा कि दुआ करो अल्लाह ताला एक काजिम को शिफा दे
दे गुलाम खलील नामी शख्स ने खुद को ख्वा म ख्वा सूफी मशहूर कर दिया था और हमेशा
खलीफा वक्त के सामने सूफिया की बुराइयां इस नियत से करता रहता था कि सब लोग इनकी
बजाय मेरे मौ तकद हो जाएं और जिस वक्त हजरत शमून को शोहरत तामा हासिल हो गई तो
किसी औरत ने आपसे निकाह की दरख्वास्त की लेकिन जब आपने इसे रद्द कर दिया तो वह
हजरत जुनेद की खिदमत में पहुंची ताकि वही कुछ सिफारिश फरमा दें लेकिन उन्होंने भी
भगा दिया तो उसने गुलाम खलील के पास जाकर इनके जरिए आपके ऊपर जना की तोहमत लगाई और
इसने खुश होकर खलीफा से आपके कत्ल की इजाजत हासिल कर ली जिस वक्त जल्लाद के
हमराह आप दरबारे खिलाफत में पहुंचे और खलीफा ने कत्ल का हुकम देना चाहा तो इसकी
जबान बंद हो गई और इसी शब उसने ख्वाब में किसी को कहते सुना कि अगर तूने शमून को
कत्ल करवा दिया तो पूरा मुल्क तबाही की लपेट में आ जाएगा चुनांचे सुबह को मजरत के
साथ इसने आपको को निहायत एहतराम से जब रुखसत किया तो गुलाम खलील बेहद रंजीदा हुआ
और इस बद नियती की वजह से कोड़ी हो गया और जिस वक्त किसी बुजुर्ग के सामने यह वाकया
बयान किया गया तो उन्होंने फरमाया कि यकीनन यह किसी सूफी की बददुआ का नतीजा है
फिर उस शख्स ने गुलाम खलील से कहा कि तेरा यह मर्ज सूफिया कराम की अजियत रसा नहीं का
नतीजा है यह सुनकर उसने सदक दिली के साथ अपने बुरे खयालात से तौबा कर ली इरशाद आप
फरमाया करते थे कि जिक्र इलाही पर मुदा विमत ही का नाम मोहब्बत है जैसा कि कुरान
में है अकला जकन कसीरा यानी बकसर खुदा का जिक्र करते रहो फरमाया कि खुदा के मोहिब
बीन ही से दुनिया को शर्फ हासिल है जैसा कि हदीस में है कि जो शख्स जिस शय को
महबूब समझता है उसी के साथ इसका हश्र होगा इससे पता चलता है कि महशर में खुदा के
मोहिब बीन ही इसके हमराह होंगे फरमाया कि मोहब्बत की तारीफ लफ्जो बयान से बाहर है
फरमाया कि खुदा मोहिब को इसलिए हद फे मसाइल कस नाकस इसकी मोहब्बत में कदम ना रख
सके फरमाया कि फकीर को फक्र से ऐसी मोहब्बत होनी चाहिए जैसी उमरा को दौलत से
होती है इसी तरह फकीर को दौलत से ऐसा तन फुर होना चाहिए जैसा कि उमरा को फक्र से
होता है फरमाया कि तसव्वुफ का मफू में हकीकी यह है कि ना तो कोई शय तुम्हारी
मलकिन में हो और ना तुम किसी की मलकिया में हो बाब नंबर 55 हजरत अबू मोहम्मद
मुर्ता रहमतुल्लाह अल के हालातो मुना किब तारुफ आप शने जिया के बाशिंदे थे और बगदाद
में वफात पाई आप जाहिद मुत्त की होने के साथ हजरत जुनेद की सोहबत से फैज याबु ए आप
फरमाया करते थे कि 13 साल अपने तसव्वुर के मुताबिक
मुतलू हुआ कि मेरा कोई भी हज निफ सानी ख्वाहिश से खाली नहीं था क्योंकि एक
मर्तबा मेरी वालिदा ने जब मुझे गढ़े में पानी भर लाने का हुक्म दिया तो मेरे लिए इनका हुक्म बारे खातर हुआ चुनांचे इस वक्त
मैंने महसूस किया कि मेरा एक हज भी ख्वाहिश नफ्स से खाली ना था आला एक
बुजुर्ग फरमाया करते थे कि बगदाद के दौरान कयाम जब मैंने हज का इरादा किया तो मेरे
पास कुछ भी नहीं था चुनांचे मैंने यह तय कर लिया कि हजरत मुर्ता इश बगदाद तशरीफ ला
रहे हैं इनसे 15 दिरहम लेकर जूता और कूजा
खरीदकर हज के लिए रवाना हो जाऊंगा यह ख्याल आते ही बाहर से आपने मुझे आवाज देकर
15 दिरहम देते हुए फरमाया कि मुझे अजियत ना पहुंचाया कर आप बगदाद के किसी मोहल्ला
से गुजर रहे थे कि प्यास महसूस हुई और जब आपने एक मकान पर जा आकर पानी तलब किया तो
एक निहायत हसीन लड़की पानी लेकर आई और जब आप इस पर आशिक हो गए फिर उस लड़की के
वालिद से जब अपनी कल्बी कैफियत का इजहार किया तो उसने
बखुदा कर निहायत नफीस लिबास पहना दिया लेकिन जिस वक्त आप होजला उरूसी में पहुंचे
तो नमाज में मशगूल हो गए और फिर अचानक शोर मचा दिया कि यह लिबास उतार कर मेरी गड़ी
दे दो आखिरकार बीवी को तलाक देकर बाहर निकल आए और जब लोगों ने वजह पूछी तो
फरमाया कि मुझे गैब से ये निदा आई कि तूने चूंकि हमारे सिवा गैर पर नजर डाली इस
जुर्म में हमने नेक लोगों का लिबास तुझ से छीन लिया और अगर फिर किसी जुर्म का इतका
किया तो तुम्हारा लिबास बातन भी जब्त कर लिया जाएगा किसी ने आपसे बयान किया कि
फलां शख्स पानी पर चलता है और हवा में परवाज करता है आपने फरमाया कि ख्वाहिश
नफ्स का मुखालिफ इससे कहीं बेहतर है आप किसी ऐसे मर्ज में गिरफ्तार हो गए जिसमें
गुस्ल करना मुजरे सेहत था लेकिन आप चूंकि रोजाना गुस्ल के आदी थे इसलिए फरमाया कि
जान जाए या रहे मैं नहाना नहीं छोड़ सकता इरशाद किसी मस्जिद में आप मुता हो गए
लेकिन दो-तीन यौम के बाद ही निकल आए और फरमाया कि ना तो मैं जमात कुरा का नजारा
कर सका और ना इनकी इबादत मेरे मुशाहिद के मयार पर पूरी उतर सकी फरमाया कि जो आमाल
को जहन्नुम से जरिया निजात तसवर करता है वह फरेब नफ्स में मुब्तला रहता है जो फजले
खुदा वंदी से उम्मीद रखता है वह जन्नती है फरमाया कि असबाब और वसाय पर एतमाद करने
वाला मुसल असबाब को नजरअंदाज कर देता है फरमाया कि तरक नफ्स दुनिया ही से खुदा की
दोस्ती मयस आ सकती है फरमाया के इकरार वहदा नियत और रबू बियत को पहचानना और ममनू
आशिया से तराज करना असास तौहीद है फरमाया कि फकीर के लिए फकीर की सोहबत लाजमी है और
जब फकीर से जुदा हो जाए तो यकीन कर लो कि इसमें कोई राज है जब आपसे वसीयत की
दरख्वास्त की गई तो फरमाया कि लोगों मुझसे अफजल शख्स की सोहबत इख्तियार कर लो और
मुझे अपने से अफजल के लिए छोड़ दो बाब नंबर 56 हजरत अबू अब्दुल्लाह मोहम्मद बिन
फजल रहमतुल्लाह अलह के हालातो मुना किब तारुफ आपका ताल्लुक हजरत अहमद हजर या के
इरादत मंद से था आप खुरासान के बहुत मशहूर और मकबूल बुजुर्गों में से हुए हैं एक
मर्तबा हजरत अबू उस्मान हेरी ने आपसे खत के जरिए दरयाफ्त किया कि
शकावली किया कि तीन चीजें शकावली इल्म बे अमल दोम अमल बे इखलास सोम
बुजुर्गों की ताजमहल इस जवाब के बाद हजरत अबू उस्मान ने तहरीर
किया कि अगर मेरे इख्तियार में होता तो जिंदगी भर आपकी सोहबत से फैज याबो रहता
मशहूर है कि जब अहले बलख ने आपको अजियत देकर वहां से निकाल दिया तो आपने बददुआ की
कि अल्लाह ताला अहले बलख से सिद के दिल का सफाया कर दे चुनांचे उसके बाद वहां से
सिदकी का खात्मा हो गया इरशाद आप फरमाया करते थे कि सीना की सफाई से हकल यकीन पैदा
होता है और इसके बाद इल्म उल यकीन हासिल होता है और इसके बाद ऐनल यकीन ही सफाई का
जरिया है फरमाया कि हकीकत में सूफी वही है जो मुसीबत से पाक और दादो दश से अलहदा रहे
फिर फरमाया कि र्क नफ्स ही हसूल राहत का जरिया है फरमाया कि इस्लाम के लिए चार
चीजें महलक हैं अव्वल इलम बे अमल दोम अमल बे इल्म सोम जिससे वाकिफ ना हो उसकी
जुस्तजू करना चरम जो शय उसूल इल्म से बाज रखे फरमाया कि इल्म में जो तीन हर्फ एन
लाम और मीम है तो एन से इल्म लाम से अमल और मीम से मुखलिस से हक होना मुराद है
फरमाया कि अहले मारफ को अकाम इलाही पर अमल पैरा होना और सुन्नत नबवी का मत बा होना
जरूरी है फरमाया कि मोहब्बत ईसार का नाम है जिसकी चार किस्में हैं अव्वल जिक्र
इलाही पर मुदा मत दोम जिक्र इलाही से रबत सोम दुनिया से किनारा कशी चहा रम खुदा के
सिवा हर शय से इतना जैसे कि कुरान ने फरमाया कि नबी फरमा दीजिए कि अगर तुम्हारे
बाप बेटे भाई बीवियां बरादरी यां और तुम्हारी कमाई हुई दौलत जिसके रोक दिए
जाने से तुम खाफ रहते हो और तुम्हारे मकाना जो तुमको खुदा के रसूल से ज्यादा
अजीज हैं तो अल्लाह के हुकम का इंतजार करो क्योंकि अल्लाह फास कीन को हिदायत नहीं देता फरमाया कि मोहिब बीने इलाही की शनातन
और हैबत और जियाओ तजीम की बुनियाद इनके इखलास पर होती है फरमाया कि जाहिद का ससार
बे नियाजी के वक्त और बहादुरों का ससार जरूरत के वक्त मालूम होता है फरमाया कि
जहद र्क दुनिया का नाम है बाब नंबर 57 हजरत शेख अबुल हसन बुश जीी रहमतुल्ला अल
के हालातो मुना किब तारुफ आप साहिबे कश्फ करामात और अहले तकवा बुजुर्गों में से थे
और बहुत से जलील उल कदर बुजुर्गों की जियारत से मुशरफ हुए लेकिन अपने वतन ब शंज
को खैराबाद कहकर मुद्दतों अराक में मुकीम रहे और जब वतन वापस आए तो लोगों ने आपको
जंदी कहना शुरू कर दिया जिसकी वजह से आप निशापुर चले गए और ता हयात वहीं कयाम फरमा
रहे हालात किसी दहका का गधा गुम हो गया तो उसने आप पर चोरी का इलजाम लगाते हुए कहा
कि खैरियत इसी में है कि मेरा गधा वापस कर दो और जब आपके मुसलसल इंकार के बावजूद भी
वह नहीं माना तो आपने दुआ की कि या अल्लाह मुझे इस मुसीबत से निजात अता कर चुनांचे इस दुआ के साथ ही उसका गधा मिल गया जिसके
बाद उसने माजर तलब करते हुए अर्ज किया कि यह तो मैं अच्छी तरह जानता था कि आपने
नहीं चुराया है लेकिन जिस अंदाज से आपकी दुआ कबूल हो गई मेरी हरगिज ना होती इसी
वजह से मैंने आपको मुर्दे इल्जाम ठहराया था सरेरा एक शख्स शरारत आप घूंसा मार कर
भागा लेकिन जब उसे मालूम हुआ कि आप हजरत अबुल हसन है तो उसने नदा मत के साथ मजरत
चाही लेकिन आपने फरमाया कि इस फेल का फाइल मैं तुम्हें तसव्वुर नहीं करता क्योंकि
जिसको फइल हकीकी समझता हूं उससे गलती का इमकान नहीं इसलिए ना मुझे तुमसे कोई
शिकायत है ना फाले हकीकी से शिकवा क्योंकि मैं इसी काबिल था एक मर्तबा गुसल के दौरान
आपने खादिम से फरमाया कि मेरा पैरहन फलां दरवेश को दे दो लेकिन खादिम ने अर्ज किया
कि जब आप गुसल से फारिग हो जाएंगे तो दे आऊंगा आपने फरमाया कि मुझे यह खतरा है कि
गुस्ल करते-करते कहीं इब्लीस मेरे अजम में तब्दीली ना कर दे इरशाद आप फरमाया करते थे
कि हराम अश्या से एतराज करना ही नकीरी के साथ शुजात है और अमल पर मदावन का नाम
तसव्वुफ है फिर फरमाया कि नेकी और नेक काम से रगत रखना और मुखालिफत नफ्स करना भी
दाखिल शुजात है फरमाया कि इखलास वही है जिसको नानकी रीन दर्ज कर सके ना इब्लीस
तबाह कर सके और ना मखलूक को इससे वाकफिट हो फरमाया कि यह एक कान रखना के मुकद्दर
से कम रिजक नहीं मिल सकता ऐन तवक है और जो खुद को साहिबे इज्जत तसव्वर करता है खुदा
इसको जिल्लत देता है फिर फरमाया कि बंदे को चाहिए कि हर फित पर नजर रखें आपकी कब्र
पर कोई दरवेश तालिब दुनिया हुआ तो रात को देखा के ख्वाब में आप फरमा रहे हैं कि अगर
दुनिया सलब करनी है तो बादशाहों के मजारों पर जा अगर अकबा का ख्वाहिश मंद है तो हमसे
रुजू कर बाब नंबर 58 हजरत शेख मोहम्मद अली हकीम तिरम जीी
रहमतुल्लाह अल के हालात मुना किब तारुफ आप जाहिद मुत्त की और साहिबे रियाजत और
करामात होने के इलावा आलिम तबीब हाजिक भी थे और आपका मस्लक कतन इल्म के मुताबिक था
ना सिर्फ यह बल्कि आपको इल्म हिकमत पर ऐसा हासिल था कि लोगों ने आपको हकीम उल
औलिया के खिताब से से नवाजा और अक्सर यया बिन मुज से बहस और मुबा हसा रहा करता था
चुनांचे आप खुद बयान करते हैं कि एक मर्तबा यया से ऐसी बहस की कि वह हैरत जदा
रह गए हत्ता के इस दौर में आपसे मुनाजरा में कोई सबक ना ले जा सकता था हालात कमसन
ही में आपने दो तलबा को गैर मुल्क में हसूल तालीम के लिए आमादा किया लेकिन
वालिदा की कब्र सुनी की वजह से इरादा फस करना पड़ा और जिन तुलबा को आपने आमादा
किया था वह ब गर्ज तालीम रवाना हो गए मगर आप इस दर्जा गमगीन हुए कि कब्रिस्तान में
जाकर महज इस ख्याल से गिराव जारी करते कि जब मेरे दोनों साथी हसूल इल्म के बाद वापस
आएंगे तो मुझे उनके सामने नदा मत हुआ करेगी लेकिन एक दिन हजरत खिजर ने आकर
फरमाया कि रोजाना इस जगह आकर मुझसे तालीम हासिल कर लिया करो फिर इंशा अल्लाह कभी
किसी से पीछे नहीं रहोगे इसके बाद आपने मुसलसल 3 साल तक तालीम हासिल करके बहुत
बुलंद मुकाम हासिल किया और जिस वक्त आपको मालूम हुआ कि मेरे उस्ताद हजरत खिज्र हैं
तो आपको मुकम्मल यकीन हो गया कि ऐसा साहिबे मरतबक उस्ताद मुझे सिर्फ वालिदा की
खिदमत की वजह से मिला है हजरत अबू बकर व्रक से रिवायत है कि हजरत खिजर हर हफ्ता
बगर ज मुलाकात आपके पास तशरीफ लाया करते थे और आप उनसे इल्मी बहस किया करते थे एक
मर्तबा मुझे अपने हमराह जंगल में ले गए वहां मैंने देखा कि दरख्त के साया में एक
सोने का तख्त बिछा हुआ है और एक नूरानी शक्ल के बुजुर्ग इस पर जलवा अफरोज हैं
लेकिन जब इन बुजुर्ग ने आपको देखा तो खुद तजीम तख्त से नीचे उतर आए और आपको इस पर
बिठा दिया फिर यके बा दिगरे 40 बुजुर्गों का इस्तमा हो गया जिसके बाद आसमान से खाना
नाजिल हुआ और सबने मिलकर खा लिया इसके बाद ना जाने आपने इन बुजुर्ग से क्या सवाल
किया और उन्होंने क्या जवाब दिया जो मेरी समझ में कत ना आ सका फिर वहां से रवानगी
के बाद पलक झपकते ही हम लोग रमज पहुंच गए और आपने फरमाया कि जाओ तुम्हें सहादत नसीब
हो गई और जब मैंने पूछा कि वह कौन सा मुकाम था और कौन लोग थे तो फरमाया कि वह
मुकाम पता है बनी इसराइल था और बुजुर्ग कुतबे मदार थे फिर मैंने सवाल किया कि
क्या आप इतनी दूर जाकर इस कदर उजल के साथ रमज कैसे पहुंच गए तो फरमाया कि यह एक राज
है आप फरमाया करते थे कि मैं अरसा दराज तक इस कोशिश में रहा कि नफ्स भी मेरे हमराह
मशगूल इबादत रहा करें लेकिन जब इसमें कामयाब ना हो सका तो आजिज आकर दरिया ए
जेहूं में छलांग लगा दी लेकिन एक मौज ने फिर मुझे साहिल पर फेंक दिया उस वक्त
मैंने दिल में कहा के कितनी पाकीजा है वह जात जिसने मेरे नफ्स को फिरदौस और जहन्नुम
किसी के लायक भी ना छोड़ा लेकिन इस मायूसी के सिला में खुदा ने नफ्स को इबादत की
जानिब रागब कर दिया हजरत अबू बराक से रिवायत है कि आपने अपनी एक किताब तस्नीफ
के चंद जुज देकर हुक्म दिया कि इनको दरिया जीहून में डाल दो लेकिन मेरी नजर उन राक
पर पड़ी तो इनमें मुकम्मल हका का एकत बास दर्ज था चुनांचे मैं मैंने इसको अपने घर
में रख लिया और आपसे जब यह बहाना किया कि मैं दरिया में डाल आया तो आपने फरमाया कि
तुम्हारा मकान दरिया में तो नहीं है जाओ इनको दरिया में डाल दो चुनांचे इसी वक्त
मैंने दरिया में फेंका तो एक संदूक जिसका ढकना खुला हुआ था नमूद हुआ और जब वह तमाम
राक इसमें दाखिल हो गए तो ढकना खुद बखुदा बंद हुआ और संदूक गायब हो गया और जब यह
वाक मैंने आपसे बयान किया तो फरमाया कि मेरी नीफ खिज्र ने तलब की थी और संदूक एक
मछली लेकर आई थी जो फिर इन तक पहुंचा देगी फिर एक मर्तबा आपने अपनी तमाम तस्नीफ
दरिया में डाल दी लेकिन खिजर फिर इनको आपके पास ले आए और फरमाया कि आप अपनी तसा
निफ ही में मशगूल रहा करें यह बात भी मशहूर है कि आपने पूरी उम्र में 1000
मर्तबा बारी ताला का दीदार ख्वाब में किया एक बुजुर्ग हमेशा को बुरा भला कहते रहते
थे चुनांचे जब आप हज से वापस हुए तो आपकी झोपड़ी में कुतिया ने बच्चे दे रखे थे तो
आप 70 मर्तबा महज इस खयाल में इसके सर पर खड़े होते रहे कि शायद दुदका बगैर चली जाए
ताकि मेरी जात से अजियत ना पहुंचे चुनांचे इसी शब बुरा भला कहने वाले बुजुर्ग ने
ख्वाब में देखा कि हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमा रहे हैं कि जो कुत्ते
को भी अजियत ना पहुंचाना चाहता हो उसको बुरा भला कहता है और अगर तुझे सहादत अब्दी
हासिल करनी है तो इसकी खिदमत कर चुनांचे वह बुजुर्ग बेदार होकर हाजिर खिदमत हुए और
तायब होकर ता हयात आपकी खिदमत में पड़े रहे जिस पर आप गजब नाक होते थे तो उसके
साथ निहायत शफकत से पेश आते और इसी वजह से आपके गुस्सा का अंदाजा हो जाता था आप अपनी
मुनाजात में कहा करते कि ऐ अल्लाह मैंने अपने किसी फेल से तुझको गम पहुंचाया जिसकी
वजह से तूने मुझे गुस्सा पर आमादा कर दिया लिहाजा ए अल्लाह मुझसे इस मुसीबत को दूर
फरमा दे और जिसको मेरी बात नागवार गुजरी हो उसको इससे दूर कर दे इस मुनाजात से
लोगों को यह मालूम हो जाता कि आप किसी बात पर नाराज हुए हैं अरसा दराज तक आप हजरत
खिजर से नियाज हासिल करने के मुतमरना शरफे नयाज हासिल ना हो सका आखिरकार एक दिन ना
जाने किस बात पर आपकी नी ने पानी से लबरेज तस्त आपके ऊपर डाल दिया लेकिन आपको कतन
गुस्सा नहीं आया इस वक्त हजरत खिजर तशरीफ लाए और फरमाया कि तेरे जब्त तहम्मूल
थे जिसकी वजह से एक औरत आप पर आशिक हो गई लेकिन आपने उसकी तरफ कोई तवज्जो नहीं दी
तो लिबास उस जेवर से रास्ता होकर उस बाग में जा पहुंची जहां आप बिल्कुल तन्हा थे
लेकिन आप इसको देखकर ऐसा भागे के पीछा करने के बावजूद ना पकड़ सकी और जब 40 साल
बुढ़ापे में आपको वह वाकया याद आया तो दिल में सोचा कि काश मैं इस वक्त उसकी ख्वाहिश
पूरी कर देता फिर बाद में तायब हो जाता फिर उसी फासिल ख्याल की वजह से आप मुसलसल
तीन यौम तक मसरूफ गिरिया रहे और तीसरी शब ख्वाब में हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम ने फरमाया कि तुम रंजीता ना हो क्योंकि इसमें तुम्हारा कसूर नहीं बल्कि
मेरे विसाल का जमाना जिस कदर बद होता जा रहा है इस कदर इसका असर पड़ रहा है किसी
बुजुर्ग ने एक शख्स को बताया कि हजरत मोहम्मद अली हकीम अपने अहले खाना के सामने
भी नाक साफ नहीं करते यह सुनकर उसे हैरत हुई और वह तहकीक वाकया की नियत से आपकी
खिदमत में जा पहुंचा लेकिन आपने इसको देखते ही नाक साफ की और फरमाया जो कुछ
तूने सुना था वह सही है और जो कुछ देख रहा है वह जाहिर है क्योंकि इसरार शाही अफशा
कर देने वाला मुकर्रर बारगाह नहीं रहता आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा मैं ऐसा शदीद
बीमार हुआ कि मेरे और वजाइना गई और मुझे यह तसव्वुर बंद गया कि अगर मैं मरीज ना
होता तो यकीनन इबादत में मजीद इजाफा हो जाता इसी वक्त गैब से निदा आई कि तू हमारे
सालेह पर मो तरस होता है जबकि तेरा काम सहू और हमारा काम रास्त है यह सुनकर मैं
बहुत नादम हुआ और सेहत याबी के बाद इबादत में इजाफा किया फिर फरमाया कि सदक दिली से
इबादत करने वाला ऐसे मुरा बे आला पर फायज होता है कि लोग इसका एहतराम करते हैं और
वह नफ्स पर काबू पाकर रमज खुदा वंदी बयान करने लगता है फरमाया कि नफ्स इब्लीस की जा
कयाम है इसीलिए नफ्स से हमेशा होशियार रहना चाहिए फिर इस सिलसिला में आपने यह
वाकया बयान फरमाया कि जिस वक्त हजरत आदम और हव्वा अलैहिम सलाम कबूलियत तौबा के बाद
एक साथ रहने लगे तो इब्लीस ने अपने बेटे खन्नास को हजरत हव्वा के सुपुर्द करते हुए
कहा कि मैं कुछ देर बाद आकर इसको वापस ले जाऊंगा इसी दौरान हजरत आदम भी तशरीफ ले आए
और खन्नास को देखते ही गर्दन मार दी और इसके जिस्मानी टुकड़े मुख्तलिफ दरख्तों पर
लटका कर हजरत हव्वा पर बेहद नाराज हुए कि तुमने यहां क्यों आने दिया क्या तुम्हें
मालूम नहीं कि यह तुम्हारा दुश्मन इब्लीस है और जब हजरत आदम वहां से चले गए तो
इब्लीस ने आकर हव्वा से खन्नास तलब किया और जब आपने पूरा वाकया इसके सामने बयान
किया तो उसने खन्नास को आवाज दी और उसके टुकड़े यजा मुस्त मा होकर असली शक्ल में आ
मजूद हुए और वह दोबारा इसरार करके इब्लीस को आपके सुपुर्द कर करके चला गया और जब
हजरत आदम ने वापस आकर फिर खन्नास को मौजूद पाया तो हजरत हव्वा पर बहुत बिगड़े और
खन्नास को कत्ल करके जला दिया और निस्फ राख हवा में उड़ाकर निस्फ पानी में बहा दी
फिर जब आप चले गए तो इब्लीस ने आकर फिर हव्वा से खन्नास को तलब किया और जब आपने
पूरा वाकया सुना दिया तो इसने खन्नास को फिर आवाज दी और वह अपने असली रूप में आ
मजूद हुआ तीसरी मर्तबा फिर इसरार करके इब्लीस ने खन्नास को आप ही के सपुत कर
दिया लेकिन अब की मर्तबा हजरत आदम ने इसको जबाह करके गोश्त बकाया और आधा खुद खाया और
आधा हव्वा को खिला दिया लेकिन यह वाकया मालूम करके इब्लीस ने इजहार मुसर्रत के
साथ कहा कि मेरी भी स्कीम यही थी कि किसी खन्नास का गोश्त सीना इंसानी में नफू कर
जाए इसलिए बारी ताला फरमाता है कि यानी वह खन्नास जो इंसानी सीनों में वस्व पैदा
करता है इरशाद आप फरमाया करते थे कि जब बंदे में नफ्स की एक रमक भी बाकी है इसको
आजादी मयस्सर नहीं आ सकती फरमाया कि खुदा ताला जिसको अपनी जानिब मदु करता है इसको
मराब भी अदा होते हैं जैसा कि कुरान में है कि जिसको अल्लाह चाहता है बरगुजार
बनाकर हिदायत अता करता है फिर फरमाया कि बरगुजार लोग वह लोग हैं जो जज्बा ए हक में
फना हो जाएं और अहले हिदायत वोह है जो तायब होकर खुदा का रास्ता तलाश करें
फरमाया के मजज उब के भी कई
मदारचूड़ ज नबूवत तय करके तमाम मजज बीन पर सब कत ले जाता है तो तिम उल औलिया हो जाता
है हजरत मुसन्निफ फरमाते हैं कि अगर कोई यह तराज करे कि वली को दर्जा नबू कैसे
हासिल हो सकता है तो जवाब यह है कि हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का इरशाद है मयाना रवी और रोया ए सादिका नबूवत के 24
हिस्सों में से एक है और जज्बा भी जुजी पैगंबर है और दोनों औसाफ मजदूर में बदर
जहा तुम मौजूद होते हैं फरमाया कि औलिया फाका कशी से नहीं डरते बल्कि खतरा से खौफ
जदा रहते हैं फरमाया कि जिन लोगों में कलाम अल्लाह समझने की सलाहियत ना हो वो
दानिशमंद नहीं होते फरमाया कि कयामत में हकल इबाद का
मुखजी से वाबस्ता ना होने का और साहिबे इज्जत वही है जिसको गुनाहों ने जलील ना
किया हो और आजाद व है जिसको हिर्स ना हो और अमीर व है जिस पर इब्लीस काबिज ना हो
सके और दानिशमंद वह है जो सिर्फ खुदा के लिए नफ्स का मुखालिफ हो फरमाया कि खुदा से
खाइफा है हालांकि जिस शय से खौफ पैदा हो उससे दूर आहा जाता है फरमाया कि हसूल दन
करने वालों के काम बगैर कोशिश के अंजाम पा जाते हैं फरमाते हैं कि जाहिद उलमा का
मुनकर कतन काफिर है फरमाया कि ना वाकिफ बंदगी रबू बियत से भी ना वाकिफ ही रहता है
फरमाया कि नफ्स शनास ही खुदा शनास का जरिया है फरमाया सो भेड़ बकरियों के गल्ले
में इतना परेशान नहीं कर सकते जितना एक शैतान पूरी जमां को तबाह कर देता है और
100 शयानो ताला है इसलिए उसी पर तवक जरूरी है
फरमाया कि ना खुदा के सिवा किसी दूसरे का शुक्र करो ना किसी के सामने आजिज बनो
फरमाया कि यह तसव्वुर कि कल्ब ला मुत नाही है गलत है बल्कि राह मुत नाही शय है
क्योंकि कल्बी तकाज का अंदाजा किया जा सकता है मगर राह की कोई इंतहा नहीं होती
फरमाया कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जात मुबारक के सिवा इमे आजम
किसी में जलवा फगन नहीं हुआ बाब नंबर 59
हजरत अबू व्रक रहमतुल्लाह अलह के हालातो मुना किब आप बहुत अजीम अहले वरा और अहले
तकवा बुजुर्ग गुजरे हैं तजी दो और तफरी और आदाब में ताए रोजगार थे इसी वजह से सूफिया
कराम ने आपको मदबीद अली हकीम के फैज सोहबत से फैज जाब
हुए बलख में कयाम पजीर रहे और मौजू तसव्वुफ पर बहुत सी तसा निफ छोड़ी आपका
कौल है कि मुकाम इरादत में तमाम बरकतों की कुंजी है और इरादत के बाद ही बरकात का
जुहूर मुमकिन है हालात आप हजरत खिजर के शौक दीदार में रोजाना जंगल में पहुंच जाते
और आमदो रफ के दौरान तिलावत कुरान करते रहते चुनांचे जब आप एक मर्तबा जंगल की
जानिब चले तो एक और साहिब भी आपके साथ हो लिए और दोनों रास्ता भर गुफ्तगू करते रहे
लेकिन वापसी के बाद उन साहिब ने फरमाया कि मैं खिजर हूं जिनसे मुलाकात के लिए तुम
बेचैन थे मगर आज तुमने मेरी मायत की वजह से तिलावत भी मुल्तवी कर दी और जब सोहबत
खजर तुम्हें खुदा से फरामोश कर सकती है तो दूसरों की मायत जिक्र इला से क्यों दूर ना
कर देगी लिहाजा सबसे बेहतर शय गोशाई है यह कहकर वह गायब हो गए जवाब के साहिबजादे
तिलावत कुरान करते हुए इस आयत पर पहुंचे यानी एक दिन बच्चे बूढ़े हो जाएंगे तो खौफ
इलाही से इस दर्जा मुतासिर हुए कि फौरन दम निकल गया और हजरत अबू बकर उनके मिजार पर
रोते हुए फरमाया करते थे कि किस कदर अफसोस नाक यह बात कि इस बच्चे ने एक एक आयत के
ही खौफ से जान दे दी लेकिन मेरे ऊपर बर्सों की तिलावत के बाद यह आयत असर अंदाज
ना हो सकी आप खौफ इलाही की वजह से देर तक मस्जिद में नहीं ठहरते थे बल्कि नवाज की
अदायगी के फौरन बाद वापस आ जाते किसी ने आपसे नसीहत की दरख्वास्त की तो फरमाया कि
दौलत की किल्लत दीन और दुनिया दोनों में मुफीद है और ज्यादती दोनों जगह मुजर है
इरशाद आप फरमाया करते थे कि सफरे हज के दौरान एक औरत ने पूछा कि तुम कौन हो हो
मैंने कहा कि एक मुसाफिर हूं उसने कहा कि तुम खुदा का शिकवा करते हो मुझे उसकी यह
नसीहत बहुत भली मालूम हुई फरमाया कि अल्लाह ताला ने मुझसे फरमाया कि क्या
चाहता है मैंने अर्ज किया कि मुकाम इज क्योंकि इन मसाइल की मुझ में कुवत
बर्दाश्त नहीं है जो अंबिया कराम बर्दाश्त करते रहे फरमाया तमाम बुराइयों की जड़
सिर्फ नफ्स है फरमाया कि मखलूक से मखलूक का मेल मिलाप बहुत ही अजीम फिना है इसलिए
गशा नशीन ही वजह सुकून हो सकती है फरमाया कि ना तो मुंह से बुरी बात निकालो ना
कानों से खराब बात सुनो ना आंखों से बुरी शय को देखो ना टांगों से बुरी जगह जाओ ना
हाथों से बुरी शय को छुओ बल्कि हम वक्त जिक्र इलाही में मशगूल रहो फरमाया कि
नबूवत के बाद सिर्फ हिकमत का दर्जा है और हिकमत की शनातन के वक्त के सिवा हमेशा सकत कायम रहे
फरमाया के खालिक मखलूक से आठ चीजों का ख्वा है इनमें कल्ब से दो अव्वल फरमान
इलाही की अजमत दोम मखलूक से शफकत जुबान से दो चीजें अव्वल इकरार तौहीद दोम मखलूक से
नर्म जुबान में बात करना तमाम आजा से दो चीजें अव्वल बंदगी दोम आनत मखलूक मखलूक से
दो चीजें अव्वल अपनी जात पर सब्र करना दोम खलकत के साथ बुर्
दबारवास से मोहब्बत कर करने वालों पर गरूर हसद और जिल्लत मुसल्लत हो जाते हैं फरमाया
कि शैतान का कौल है कि मैं मोमिन को एक लम्हा में काफिर बना सकता हूं इसलिए कि
पहले इसको हराम अश्या का हरीश बनाता हूं फिर ख्वाहिश का गलबा करता हूं और जब वह
इतका बे मासि अत का आदी बन जाता है तो कुफ्र के वसवसे पैदा कर देता हूं फरमाया
कि जो खुदा को और नफ्स इब्लीस को और मखलूक दुनिया को पहचान लेता है वो निजात पाता है
और ना पहचानने वाला हलाक हो जाता है और मखलूक से मोहब्बत करने वालों को खुदा की
मोहब्बत हासिल नहीं हो सकती फरमाया कि तखक इंसानी में चूंकि मट्टी और पानी का अंसर
लिब है जिसके जिस्म पर पानी का गलबा हो इसको नरमी से और जिस पर मट्टी का गलबा हो
इसको सख्ती के साथ अकाम खुदा वंदी की तालीम देनी चाहिए फरमाया कि पानी में हर
रंग और हर जायका मौजूद होता है इसलिए कोई इसकी लज्जत से आशना नहीं होता हालांकि
इसके पीने ही से जिंदगी का कयाम है लेकिन कोई नहीं जानता कि पानी बायस हयात है इसके
मुतालिक बारी ताला का इरशाद है और हमने पानी से हर जिंदा चीज को जिंदा बनाया
फरमाया कि अफजल तरीन है वह फकीर जिससे ना तो दुनियावी बादशाह खराज तलब कर सके और ना
अकवाबा और लग बात लुकमा हराम की तरह है और जिक्र इलाही और इस्तग लुकमा हलाल की
मानिंद फरमाया के सदक नाम है इस शय की निग दश्त का जो बंदे और खुदा के मा बैन हो और
सब्र नाम है इस शय की निग दश्त का जो बंदे और नफ्स के दरमियान हो फरमाया कि यकीन ही
वह नूर है जो अहले तकवा बनाता है फिर फरमाया जहद में तीन हर्फ हैं जे हे दाल जे
से मुराद है जीनत का तर्क करना हे से मुराद है हवा का तर्क कर देना दाल से
मुराद है दुनिया को छोड़ देना फरमाया कि यकीन की तीन किस्में है यकीन ख्र यकीन
दलाल यकीन मुशाहिद फरमाया कि हर काम को मन जानिबे अल्लाह तसव्वुर करने वाला ही साबिर
होता है फरमाया कि जिस तरह रिस्के हराम से एतराज जरूरी है इसी तरह बद अखलाकी से भी
किनारा कशी जरूरी है किसी ने आपके इंतकाल के बाद ख्वाब में रोते हुए देखकर आपसे
पूछा कि आप क्यों रो रहे हैं फरमाया कि जिस कब्रिस्तान में मेरी कब्र है वहां 10
मुर्दे और भी मद फून है लेकिन उनमें से एक भी साहिबे ईमान नहीं फिर एक और शख्स ने
ख्वाब में पूछा कि खुदा ताला ने आपके साथ कैसा सलूक किया फरमाया कि मुझे अपना कुर्ब
अता फरमा करर मेरा आवाल नामा मेरे हाथ में दे दिया जिसको पढ़ने के बाद पता चला कि
मेरा एक गुनाह इसमें ऐसा भी दर्ज है जिसने तमाम नेकियों को ढापली है और जब मैं नदा
मत से सर नग हुआ तो इरशाद हुआ कि जा हमने अपनी रहमत से इस मासि को भी माफ कर दिया
बाब नंबर 60 हजरत अब्दुल्लाह मनाजिल रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब तारुफ आप
मुमताज रोजगार शयख मुत्त की और फिरका मलाम दियों के पीरो मुर्शिद थे और खुद हजरत हमद
कसार से बैत थे और पूरी जिंदगी मुज्र रहकर गुजार दी एक मर्तबा आपने अबू अली सखी से
फरमाया मरने के लिए तैयार रहो उन्होंने कहा कि आपको तैयारी करनी चाहिए चुनांचे
सिर के नीचे हाथ रखकर दराज हो गए और फरमाया कि लो मैं मर गया यह कहते ही हकीकत
में आपका इंतकाल हो गया और वाकए से अबू अली बहुत नादम हुए क्योंकि उनके अंदर आप
जैसी कुवत इसलिए नहीं थी कि वह अयाल दार थे और आप मुज्र और आप अक्सर यह फरमाया
करते थे कि अबू अली मखलूक से हटकर सिर्फ अपने मुफद की बात करते हैं इरशाद सा आप
फरमाया करते थे कि तारीके फराइज यकीनन तारीक सुनन भी होगा और तारीक सुन्नत के
बदत में मुब्तला हो जाने का खतरा रहता है फरमाया कि बेहतरीन है वह वक्त जिसमें नफ्स
के वसवसे से मामून रह जाए और मखलूक को तुम्हारी बद गुमानी से छुटकारा हासिल रहे
फरमाया कि बंदा सिर्फ इन्हीं अश्या का तालिब रहता है जो उसकी
शकावली बंदा है फरमाया कि इश्क सिर्फ उसी से करो जो तुमसे इश्क करता हो फरमाया कि
हया का मफू यह है कि खुदा की हर लम्हा मुतकब्बीर
करो फरमाया कि जो मखलूक के नजदीक बरगुजार हो उनके लिए अपने नफ्स को जलील रखना जरूरी
है फरमाया कि अमूर गैबी दुनिया में किसी परवाज नहीं होते और जो लोग इसके मदही हो
वह काजिम हैं फरमाया कि मजबूरन फक्र इख्तियार करने से फजीलत फक्र हासिल नहीं
हो सकती और फक्र हकीकी यह है कि फिक्र अकबा के साथ जिक्र इलाही में मशगूल रहे
फरमाया कि वक्त गुजर्ता का तसव्वुर बे सूद है फरमाया कि अबू दियत इख्तियार नहीं
बल्कि इस्तरा शय है और बूदतमीज
व इस फेल का मुर्ता किब हो गया तो बूदतमीज
इबादत की एकक साम याद दिलाकर इस्तग फार पर ताम किया है जैसा कि फरमाया गया यानी सब्र
करने वाले सदक वाले कनात करने वाले नफक देने वाले सुबह के वक्त अस्तगफार करने
वाले फरमाया कि जिसने लज्जते नफ्स को खत्म कर दिया वही मजे में रहा फरमाया कि अकाम
इलाही के मुताबिक रोजी कमाने वाला इस खिलत नशीन से अफजल है जो रोजी कमाने से कतरा
आता हो फरमाया कि एक लम का तरक रया उम्र भर की इबादत से ला है फरमाया कि आरफ वही
है जो किसी शय से मताज जिब ना हो किसी ने आपको यह दुआ दी कि अल्लाह ताला आपकी मुराद
पूरी करें आपने फरमाया कि मुराद का दर्जा तो मफत के बाद है और यहां अभी तक मारफ भी
हासिल ना हो सकी आपकी वफात निशापुर में हुई और मजार मशह में है बाब नंबर 61 हजरत
अली सहल सहानी रहमतुल्ला अल के हा मुना तारुफ आपके मुतालिक मशहूर है कि आप गैब की
बातों का इल्म रखते थे और आप हजरत जुनैद रहमतुल्ला अल के हम असर और हजरत अबू तरा
के सोहबत याफ्ता थे हजरत उमरू बिन उस्मान आपके पास इस वक्त तशरीफ लाए जब वह 3 हज
दिरहम के मकरूज थे लेकिन आपने इनका तमाम कर्ज अदा कर दिया इरशाद आप फरमाया करते थे
कि रबत इबादत तौफीक की इलाम है और अलामत रियायत मुखालिफत से किनारा कशी है और
अलामत बेदारी रियायत इख्तियार करना और अलामत जहालत किसी शय का दावा करना है
फरमाया कि इब्तिदा में जिसकी इरादत दुरुस्त नहीं होती वह इंतहा तक महरूम
सलामती रहता है फरमाया कि जो खुद खुदा के नजदीक समझता है वह हकीकत में बहुत दूर
होता है फरमाया कि खुदा के साथ हजूरी यकीन से बेहतर है क्योंकि हजूरी कल्ब में इस
तरह जागु जीी रहती है जिसमें गफलत का दखल नहीं होता और यकीन की यह कैफियत होती है
कि कभी आता है कभी जाता है लेकिन अहले हजूरी बारगाह के अंदर रहते हैं और अहले
यकीन बारगाह के दरवाजे पर फरमाया कि दानिशमंद तो हुक्मे इलाही पर जिंदगी बसर
करते हैं लेकिन आरिफीन कुर्बे इलाही में जिंदगी गुजारते हैं फरमाया कि खुदा को
जानने वाला हर शय से बेखबर होता है फरमाया कि तोंगरी इल्म में फक्र में आफियत
जहद में हिसाब की किल्लत खामोशी में और खुशी मायूसी में मुजमिल है फरमाया कि हजरत
आदम के अहद से कयामत तक लोगों के कल्ब के सिलसिला में बहस करते रहेंगे लेकिन कल्ब
की हकीकत और माहियवंशी
[संगीत] शेख अबुल हसन फरमाते हैं कि एक मर्तबा राह
चलते आपने लब्बैक फरमाया तो मैंने कलमा पढ़ने की तलन की मगर आपने फरमाया कि तुम
मुझे कलमा पढ़ने की तलन करते हो हालांकि इत खुदा वंदी की कसम खाकर कहता हूं कि
मेरे और इसके मा बैन इज्जत के सिवा कोई शय हाइल नहीं है यह कहते ही आप दुनिया से
रुखसत हो गए बाब नंबर 62 हजरत शेख नसाज
रहम अल के हालातो मुना किब तारुफ और तस्करा आप विलायत हिदायत के मंबा मखजन थे
और बेश तर मशा को आपसे शरफे तिलम हासिल रहा हत्ता कि हजरत शिबली और हजरत इब्राहिम
जैसे बुजुर्गा कराम आपकी मजलिस में तायब हुए लेकिन हजरत जुनेद चूंकि हजरत शिबली का
बहुत एहतराम करते थे इसलिए आपने इनको इन्हीं के पास भेज दिया और आप बजाते खुद
हजरत सरी सत्ता से बैत थे आपको नि साच कहने की वजह यह है कि एक मर्तबा हज के अजम
से घर से रवाना हुए तो बो सदा गदड़ा रंग की वजह से कूफा में एक शख्स ने पूछा कि
क्या गुलाम हो आपने इस बात में जवाब दिया फिर आपने इससे पूछा कि क्या तुम अपने आका
से फरार हुए हो फरमाया कि हां उसने कहा कि चलो मैं तुम्हारे आका से मिलवा दूं आपने
फरमाया कि हमेशा इसका मतम नहीं हूं कि कोई ऐसा फर्द मिल जाए जो मेरी मेरे आका से
मुलाकात करा दे इसके बाद बाद उसने आपका नाम खैर रखकर कपड़ा बुनना सिखा दिया और
उसी निस्बत से आपको खैर निसा के नाम से मसू किया जाता है गर्ज अरसा दराज तक आप
इसकी खिदमत करते रहे और जिस वक्त वह आपको खैर कह करर पुकारता तो आप जवाब में लब्बैक
फरमाया करते लेकिन जब इसको आपके जहद तकवा का इल्म हुआ तो आप बहुत
ताजमहल करते हुए अर्ज किया कि हकीकत में होना तो यह चाहिए था कि आप आका होते और
मैं गुलाम फिर वहां से आप बैतुल्लाह तशरीफ ले गए और आपको वो मदारिस हासिल हुए कि
हजरत जुनैद आपको खैर के बजाय खैर ना यानी हम में से बेहतर कहकर आवाज दिया करते थे
लेकिन आपका असली नाम अबुल हसन मोहम्मद और वल्दियत इस्माइल थी लेकिन आपको खैर का
खिताब इतना मरगूब था कि अक्सर फरमाया करते थे कि यह मुझे अच्छा नहीं मालूम होता कि
एक मुसलमान का रखा हुआ नाम तब्दील कर दूं हालात जब आप दरिया पर जाते तो मछलियां कुछ ना
कुछ चीजें लाती और आपके करीब आकर रख देती थी एक दिन आप किसी बुढ़िया का कपड़ा बुन
रहे थे तो इसने पूछा कि अगर तुम ना मिलो तो मजदूरी किसको दे दूं फरमाया कि दरिया
दजला में फेंक देना फिर इत्तेफाक से ऐसा ही हुआ कि जब वह उजरत लेकर आई तो आप मौजूद
ना थे चुनांचे उसने वह दीनार दरिया में फेंक दिए और जब आप दरिया पर पहुंचे तो एक
मछली ने पानी से बाहर आकर वो दीनार आपके सामने रख दिए लेकिन अक्सर बुजुर्गा कराम
यह कहते हैं कि यह चीजें मकबूल का बायस नहीं बन सकती क्योंकि यह चीजें सब हिजा
बात हैं और आपको शायद बाजी चाहे फाल की हैसियत से अता की गई हो लेकिन हजरत
मुसन्निफ फरमाते हैं कि हो सकता है कि यह चीजें दूसरों के लिए हिजा बात हो लेकिन
आपको इससे मुस्त स्ना कर दिया गया हो जैसे हजरत सुलेमान के लिए चीजें हिजा बात में
दाखिल नहीं थी इरशाद आप फरमाया करते थे कि एक रात मुझे यह तसव्वुर बंध गया कि शायद
दरवाजे पर हजरत जुनेद खड़े हैं और हर चंद इस तसव्वुर को दूर करने की कोशिश करता रहा
लेकिन जब मैं दरवाजे पर पहुंचा तो आप वाकई वहां मौजूद थे आपका कॉल था कि दौलत को
मुसीबत और गुरबत को राहत तसवर करने वाला ही हकीकी फकीर होता है कि खौफ इलाही बंदों
के लिए एक ताजिया है जो बड़े गुस्ताख को राहे रास्त पर ले आता है फरमाया कि आमिल
का अपने अमल को बेवक्त समझना ही ले अमल है वफात आपने 100 साल की उम्र पाई और जिस
वक्त नमाज मगरिब के करीब फरिश्ता अजल कब्ज रूह के लिए पहुंचा तो आपने कहा कि मुझे
सिर्फ नमाज अदा करने की मोहलत दे दो कि जिस तरह तुम्हें रूह कब्ज करने का हुक्म
है इसी तरह मुझे अदायगी नमाज का हुक्म है बाब नंबर 63 हजरत अबू हमजा खुरासानी
रहमतुल्ला अलह के हालातो मुना किब तारुफ आप मुत वकिल और हकीकत तरीकत का सर चश्मा
होने के साथ-साथ खुरासान के बहुत बड़े शयख में से थे और आपके मुना किब और इबादत और
मुजाहि दत को अहाता तहरीर में लाना मुमकिन नहीं आपको हजरत अबू तरा रहमतुल्ला अल और
हजरत जुनेद रहमतुल्ला अलह से भी शरफे नियाज हासिल रहा हालात किसी से तलब ना
करने के अहद के साथ आप तवक अल अल्लाह के साथ सफर के लिए चल पड़े लेकिन रवानगी के
वक्त आपकी बहन ने कुछ दीनार आपकी गजरी की जेब में डाल दिए मगर आपने इन्हें भी काल
फेंका और फिर चलते-चलते अचानक एक कुएं में गिर पड़े मगर मुत वक्कल अललाह होने की वजह
से जरा बराबर भी चोट ना आई और तकाजा नफ्स के बावजूद नफ्स कशी की नियत से कुंए में
मशगूल इबादत रहे फिर किसी मुसाफिर ने इस खयाल से कुएं के ऊपर कांटे बिछा दिए कि
कोई गिर ना पड़े इस सूरते हाल को देखकर नफ्स ने बहुत शोर और गुगा किया लेकिन आप
खामोश बैठे रहे और कुछ वकफा के बाद एक शेर ने कुएं पर से कांटे हटाकर कुएं की मुंडेर
पर मजबूती से पंजे जमाकर पांव कुएं में लटका दिए लेकिन आपने फरमाया कि मैं बिल्ली
का एहसानमंद बनना पसंद नहीं करता चुनांचे इसी वक्त बजरिया इल्हाम कहा गया हमने ही
इस शेर को भेजा है इसके पैर पकड़कर ऊपर आ जाओ इसके बाद आप तामील हुकम में बाहर निकल
आए फिर नदा ए गैबी आई कि हमने बर बनाए तवक तेरे कातिल ही के जरिए तुझे निजात दिलवा
दी हजरत जुनैद ने एक मर्तबा इब्लीस को बरना हालत में लोगों के सरों पर चढ़ता देख देखकर फरमाया कि तुझको शर्म नहीं आती उसने
कहा कि यह वह लोग नहीं जिनसे शर्म की जाए बल्कि शर्म किए जाने के काबिल तो वह शख्स
है जो मस्जिद शुने जिया में बैठा हुआ है और हजरत जुनेद जब वहां पहुंचे तो आपको
बैठा हुआ पाया लेकिन उसके साथ ही फरमाया कि वह झूठा है क्योंकि अल्लाह के नजदीक
औलिया का दर्जा इतना बुलंद है कि इब्लीस की वहां तक रसाई मुमकिन नहीं इरशाद आप
पूरे साल एक ही अहराम बांधे रखते थे और फरमाया करते थे कि जब मखलूक के हमराह
जिंदगी बसर करना बारे खातिर महसूस होने लगे तो उंस हासिल हो जाता है फरमाया कि
हकीकी दरवेश वही है जिसे आजा से नफरत और खुदा से मोहब्बत पैदा हो जाए फरमाया कि
मौत को अजीज रखने वाला खुदा के सिवा किसी को महबूब नहीं रखता फरमाया कि मफू तवक यह
है कि सुबह को शाम का और शाम को सुबह का तसव्वुर बाकी ना रहे फरमाया कि जादे आखिरत
का सामान करते रहो आपका इंतकाल निशापुर में हुआ और हजरत अबू हिफ के मजार के नजदीक
मद फून है बाब नंबर 64 हजरत अहमद मसरू रहमतुल्ला
अल के हालात मुना किब तारुफ आप अपने दौर के बहुत बड़े वली और खुरासान के मशहूर मशक
में से थे आप अताब जमाना में से हुए और कतब मदार की सोहबत से फैज याबे लोगों ने
जब सवाल किया कि इस अहद में कुतब कौन है तो आपने खामोशी इख्तियार की जिससे यह
अंदाजा हुआ कि आप ही इस दौर के कुतब थे आप तोस में तलित हुए और बगदाद में सकून पजीर
रहे एक शीरी सुखन बूढ़े ने आपसे कहा कि अपना ख्याल जाहिर फरमाइए आपको ख्याल हुआ
कि शायद यह यहूदी है इसलिए आपने फरमाया कि मेरे ख्याल में तो तुम यहूदी मालूम होते
हो वह आपकी इस करामत से मुतासिर होकर मुशर्रफ व इस्लाम हो गया और कहने लगा कि
मैं इस्लाम से ज्यादा सदाकत अमेज मजहब किसी को नहीं पाता इरशाद आप फरमाया करते
थे कि खुदा के इलावा किसी दूसरे से मुसरत हासिल करने वालों को हकीकी मुसर्रत हासिल
नहीं हो सकती फरमाया कि जिसको खुदा से मोहब्बत ना हो वह असीर वहशत रहता है
फरमाया कि रागब अल अल्लाह रहने वालों के तमाम आजा को अल्लाह ताला मासि अत से पाक
रखता है फरमाया कि मुत्त की तारिक दुनिया होता है फरमाया कि मायल ब दुनिया ना होना
ही हकीकी तकवा है फरमाया कि मोमिन की इज्जत करना हकीकत में खुदा की इज्जत के मुत दफ है और इसी से तकवा तक रसाई हासिल
की जा सकती है फरमाया कि मफत के बाद की दलील बातिल पर नजर करना है फरमाया कि खुदा
के दोस्त पर कोई गलबा नहीं पा सकता फरमाया कि खुदा के अतात गुजार दुनिया को नजरअंदाज करके खुदा ही से अंस करते हैं फरमाया कि
खौफ रजा से ज्यादा होना चाहिए क्योंकि जहन्नम से गुजर कर ही जन्नत में जाना
पड़ेगा फरमाया कि आरिफ कुर्बे इलाही की वजह से खौफ जदा रहता है है फरमाया कि शजर मारफ को फक्र के पानी और शजर गफलत को
नादानी के पानी और शजर तौबा को नदा मत के पानी और शजर मोहब्बत को मुआफ के पानी से
सराब करना चाहिए फरमाया कि ख्वाहिश मंद के लिए इस्तग फार की ज्यादती बहुत जरूरी है
फरमाया कि कसरत तौबा के बगैर इरादत का हसूल मुमकिन नहीं फरमाया कि खुदा के सिवा
किसी की गुलामी इख्तियार करना जहद के मुनाफ है फरमाया कि मेरी तमाम उम्र तजी त
में गुजर गई बाब नंबर 65 हजरत अब्दुल्लाह अहमद मगी रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब
तारुफ आप जहरी और बात तबार से जामे अकमल और औलिया के उस्ताद होने की वजह से लोगों
में बेहद मोअज्जम मोहतरम थे और आपके दो मुरीद हजरत इब्राहिम खवास और हजरत
इब्राहिम शबानी आपके कमाला के मुकम्मल आईना दार थे आपके औसाफ में यह चीजें शामिल
थी कि हमेशा एहराम बांधे रखते और घास खाकर जिंदगी बसर कर करते थे हत्ता कि जिस शय को
इंसानी हाथ लग जाता उसे नहीं खाया करते थे कभी नाखून और बाल ना बढ़ने दिया और साफ
सुथरा लिबास इस्तेमाल करते थे हालात विरसा में हासिल शुदा मकान 50 दिनार में फरोख्त
करके हज के लिए रवाना हो गए रास्ता में एक बद्दू ने पूछा कि तुम्हारे पास क्या है
आपने बताया कि 50 दीनार और बद्दू के तलब करने पर आपने इसके हवाले कर दिए लेकिन
उसने आपके सदक गोई की वजह से दीनार आपको वापस कर दिए और अपने ऊंट पर बिठाकर आपको
मक्का मुजमा तक ले गया और काफी अरसा आपकी सोहबत में रहकर शेख कामिल बन गया सहरा में
किसी परेशान हाल गुलाम को देखकर आपने कहा ऐ आजाद क्या चाहता है उसने जवाब दिया कि
तुम भी अजीब बुजुर्ग होके खुदा के इलावा दूसरे पर नजर डालते हो आपने अपने
साहिबजादे को ऐसे फनन की तालीम दिलवाई कि वह अपनी कुवत बाजू से कमाने के काबिल होकर
किसी के सामने दस्त तलब दराज ना करें इरशाद आप फरमाया करते थे कि सही मानों में
बंदा वही है जो ख्वाहिश को ठुकरा कर मशगूल बंदगी रहे फरमाया कि बदतर फकीर वह है जो
उमरा की चापलूसी करता रहे और आला तरीन है वह बंदा जो मखलूक के साथ अखलाक के हुसना
से पेश आए फरमाया कि बुजुर्गा दन दुनिया के लिए मन जानिबे अल्लाह पैगाम अमन है
जिनके वजूद से नजूल रहमत और मखलूक पर आने वाली बलाओ का बाब होता रहता है फरमाया कि
गोशाई की अदना सी नेकी भी उन लोगों की उम्र भर की इबादत से बेहतर है जो मखलूक से
वाबस्ता रहते हो फरमाया कि दुनिया का दस्तूर ही यह है कि जो मायल बे दुनिया
होता है दुनिया भी उसकी जानिब मायल रहती है लेकिन जो दुनिया को खैराबाद कह देता है
दुनिया भी इससे कना रकश हो जाती है फरमाया कि सबसे जयदा दानिश्वर सिर्फ सूफी कराम है
जो आतिश मोहब्बत में फना होकर बकाए दायम हासिल कर लेते हैं आपका इंतकाल तूर सीना
पर हुआ और वहीं आपका मजार मुबारक है बाब नंबर 66 हजरत अबू अली जर्जा
रहमतुल्ला अलह के हालात मुना किब तारुफ तस्करा आपका शुमार पेशवा याने सूफिया और
मुक्त दयाने उलमा में होता है इसके अलावा आपने तादाद तसा निफ भी छोड़ी हैं और आप
हजरत मोहम्मद अली हकीम के बुलंद मुरा दिब इरादत मंद में से थे आप का मकला था कि बैम
रजा और मोहब्बत तौहीद हकीकी है क्योंकि बैम से इरत काबे मासि अत का खात्मा होता
है और रजा से आमाल लिहा जन्म लेते हैं और मोहब्बत कसरत इबादत की मुहर बन जाती है
इसके अलावा अहले खौफ गम आला से हरा सा नहीं होते अहले रिजा तलब से बास नहीं आते
और अहले मोहब्बत जिक्र इलाही में कमी नहीं होने देते और बैम एक आग है रजा नूर
मुनव्वर और मोहब्बत नूर अला नूर फरमाया कि अहले सहादत की अलामत ही यह है कि इबादत को
आसान तसव्वुर करते हुए इत्त बाए सुन्नत को किसी वक्त भी दुश्वार ना समझे और सोहबत
फुकरा में रहकर मखलूक के साथ खलाक हुसना से पेश आएं मोहताज को सदका दें और
मुसलमानों की आनत करते हुए पाबंदी औकात पर कार बंद रहे फरमाया कि लोगों के सामने
अपने इन गुनाहों का इजहार जिनसे वह वाकिफ ना हो इंतहा बदबख्त है फिर फरमाया कि
औलिया अल्लाह वही हैं जो अपने अहवाल में फना होकर मुशाहिद ए हक के जरिए कायम रहे
और आरफ बल्ला वो है जो अपने कल्ब को जिक्र इलाही के हवाले करके जिस्म को खिदमत खल्क
के लिए वक्फ कर दें फरमाया कि खुदा से हुस्ने जन कायम रखना ही गायत मारफ है और
नफ्स से बद जन रहना असास मफत है फरमाया कि मालिक हकीकी के दर पर पड़े रहने वालों के
लिए एक ना एक दिन दरवाजा जरूर खुल जाता है फरमाया कि अहले करामत बनने के बजाय अहले
इस्तकाम्या कि रजा खाना बंदगी सब्र उसकी कुंजी और तस्लीम बर आमदा है और मौत इसके
दरवाजा पर उस्ताद है फिर फरमाया कि बख के तीन हरूफ हैं बे ख लाम बे से मुराद बला खे
से मुराद खसरा और लाम से लोम यानी मलामत है बाब नंबर 67 हजरत शेख अबू बकर कता
रहमतुल्ला अलह के हालात मुराककाबत
से है आपकी पूरी जिंदगी मक्का मजमा में गुजरी जिसकी वजह से आपको शमा हरम के खिताब
से नवाजा गया आप अपने अहद के बहुत अजीम आबिद जाहिद थे और तसव्वुफ के मौजू पर
बेशुमार तसा निफ छोड़ी आप नमाज इशा के बाद से नमाज फजर तक नवाफिल में रोजाना एक
कुरान खत्म करते और तवाफे काबा के दौरान 12000 कुरान खत्म किए आपका यह आलिम था कि
30 साल तक काबा के पर नाले के नीचे बैठे रहे और शब रोज सिर्फ एक मर्तबा वजू करते
और इस 30 साला मुद्दत में ना तो जिक्र इलाही से कभी गाफिल हुए और ना एक लम्हा के
लके आराम फरमाया हालात कम सुनी ही में वालिदा की इजाजत से हज का कसत किया लेकिन
दौरान सफर आपको गुसल की हाजत पेश आ गई चुनांचे बेदारी के बाद यह आया कि मैं
वालिदा से किसी अहद पैमान के बगैर ही घर से निकल खड़ा हुआ हूं और इस ख्याल के साथ
ही जब घर वापस आए तो वालिदा को बहुत ही गमजदा शक्ल में दरवाजे पर खड़ा पाया आपने
वालिदा से सवाल किया कि क्या आपने मुझे सफर की इजाजत नहीं दी थी उन्होंने कहा कि
इजाजत तो यकीनन दे दी थी लेकिन तुम्हारे बगैर घर में किसी तरह दिल नहीं लगता और यह
अहद कर लिया था कि तुम्हारी वापसी तक दरवाजे ही पर तुम इंतजार करूंगी यह सुनकर
आपने अजम सफर तर्क कर दिया और वालिदा की हयात तक उनकी खिदमत करते रहे लेकिन वालिदा
के इंतकाल के बाद फिर सफर शुरू कर दिया और दौरान सफर कब्र में एक ऐसा मुर्दा देखा जो
हंस रहा था आपने सवाल किया कि तू मरने के बाद क्यों हंसता है उसने जवाब दिया कि
इश्क खुदा वंदी में यही कैफियत हुआ करती है अबू अल हसन मुजैन ने तवक अल अल्लाह सफर
शुरू कर दिया तो दौरान सफर उन्हें यह ख्याल पैदा हो गया कि मैं ऐसा अजीम बुजुर्ग हो गया हूं जो बेजाद सफर सफर कर
सकता है इस तसव्वुर के साथ ही किसी ने कख्त लहजा में कहा कि नफ्स के साथ दरख गोई
क्यों करता है और जब उन्होंने मुंह फेर कर देखा तो हजरत अबू बक्र तानी खड़े थे
चुनांचे उन्होंने अपनी गलती के साथ ही फौरन तौबा कर ली आप फरमाया करते थे कि जिस
वक्त मुझे अपने अहवाल में कुछ नक्स महसूस हुआ तो मैंने तवाफ के बाद बतौर एजस के दुआ
की जिसके बाद अल्लाह ने मेरा वह नक्श दूर फरमा करर ऐसा कुर्ब अता किया कि मुझे दुआ
भी याद ना रही इरशाद हुआ कि जब हम खुद तेरे दोस्त हैं तो फिर तुझे तलब की क्या
जरूरत है आप फरमाया करते थे कि मुझे हजरत अली से इसलिए कुछ बद जनी सी थी कि गो आप
हक पर थे और हजरत मुआविया बातिल पर लेकिन आपकी शान में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम ने ला फता इला अली फरमाया था इसलिए
बे तकाजा शुजात आपको खिलाफत हजरत मुआविया के सुपुर्द कर देनी चाहिए थी ताकि सहाबा
कराम में बाहम खू रेजी ना होती इस तसवर में एक शब मैंने ख्वाब में हजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के हमराह खुलफा अरबा को देखा और हजूर अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम ने सदीक अकबर की जानिब इशारा करके मुझसे सवाल किया कि यह कौन है मैंने
किया के खलीफा अव्वल हजरत सिद्दीक अकबर हैं इसी तरह तीनों खुलफा के मुतालिक मैं
जवाब देता रहा लेकिन जब हजरत अली के मुतालिक सवाल किया तो मैंने अपनी कुछ फहमी की वजह से नदा मत के साथ गर्दन झुका ली
फिर हजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हजरत अली से मेरा मुनका कराया और जब खुद तीनों
खुलफा के हमरा वापस तशरीफ ले गए तो हजरत अली ने मुझसे फरमाया कि तुझे जबले अबू कैस
की सैर करा लाऊं चुनांचे जब मैं वहां पहुंचा तो जियारत काबा से मुशरफ हुआ और
बेदारी के बाद खुद को जबले अबू कैश पर पाया और वो बद जनी भी मेरे कल्ब से रफा हो
चुकी थी जो मुझे हजरत अली की जात मुबारिक से थी आप फरमाया करते थे कि मेरे हमराह एक
ऐसा शख्स रहता है जिसका वजूद मेरे लिए बारे खातिर था लेकिन महज मुखालिफत नफ्स की
गायत से मैं उसके साथ निहायत हुस्ने सलूक से पेश आता रहा और एक दिन जब मैं अपनी
जायज कमाई के 200 दिरहम लेकर उसके पास पहुंचा तो वह मसरूफ इबादत था चुनांचे
मैंने वह दिरहम उसके मुसल्ले के नीचे रखते हुए कहा कि तुम अपने सरफा में ले आना मगर
उसने गजब नाक होकर कहा कि जोलम हात मैंने 70 दिरहम के मुआवजा में खरीदे हैं तोत
उन्हें 200 दिरहम में खरीदना चाहता है जा मुझे तेरे दिरहम की जरूरत नहीं चुनांचे न
दमत के साथ मैंने अपने दरहम वापस ले लिए और इस वक्त मुझे जितना अपनी जिल्लत और
उसकी अजमत का एहसास हुआ इससे कबल कभी नहीं हुआ था आपके किसी मुरीद ने इंतकाल के वक्त
आंखें खोलकर जियारत काबा शुरू कर दी तो उसी वक्त एक ऊंट ने आकर ऐसी लात रसीद की
कि आंखों के दोनों डेले बाहर निकल पड़े और आपको बजरिया इलहाम यह मुकाशिफत
उस मुरीद को इरादत गैबी से मुकाशिफत की हासिल था और चूंकि साहिबे काबा के मुशाहिद
की सूरत में जानिबे काबा नजर डालना दुरुस्त नहीं इसलिए उसको यह सजा दी गई
किसी बुजुर्ग ने बाब बीनी शबीह से निकलकर आपसे कहा कि मुकाम इब्राहीम में एक मुखद
हदीस बयान कर रहे हैं आप भी तशरीफ ले चलिए आपने पूछा कि वह किस सनद के साथ हदीस बयान
करते हैं उन बुजुर्ग ने कहा कि हजरत अब्दुल रहमान हजरत मोअम्मर हजरत जहरी और
हजरत अबू हुरैरा की असनाद से आपने जवाब दिया कि मेरा कल्ब तो मेरे रब की सनद से
हदीस बयान करता है और जब उन बुजुर्ग ने उसकी दलील पूछी तो फरमाया कि इसकी दलील यह
है कि आप हजरत खिज्र हैं यह सुनकर हजरत खिज्र ने फरमाया कि मैं तो आज तक इस
तसव्वुर में था कि दुनिया में ऐसा कोई वली नहीं जिससे मैं वाकिफ ना हूं लेकिन आज पता
चला कि ऐसे वली भी मौजूद हैं जिससे मैं तो ना वाकिफ हूं लेकिन वह मुझे जानते हैं
दौरान नमाज एक चोर आपके कांधे पर से चादर खींच कर भागा तो इसके दोनों हाथ उसी वक्त
खुश्क हो गए चुनांचे उसने वापस आकर चादर फिर आपके कांधे पर डाल दी और फिराग से
नमाज के बाद आपसे मुफी का तालिब हुआ लेकिन आपने मुफी की वजह पूछी तो उसने पूरा वाकया
बयान कर दिया आपने फरमाया कि अजमत इलाही की कसम ना तो मुझे चादर ले जाने की खबर
हुई और ना वापस लाने की फिर आपने उसके हक में दुआ फरमाई तो उसके हाथ ठीक हो गए आप
फरमाया करते थे कि मैंने ख्वाब में एक हसीनो खूब रू शख्स से पूछा कि तू कौन है
उसने जवाब दिया कि मेरा नाम तकवा है और मेरा मसकन गमजदा कुलूब हैं फिर मैंने
ख्वाब में एक बद शक्ल औरत से सवाल किया कि तू कौन है उसने जवाब दिया कि मैं मुसीबत
हूं और अहले निशात के कुलूब में रहती हूं चुनांचे बेदारी के बाद मैंने यह अहद कर लिया कि मसरूर जिंदगी के बजाय हमेशा गमगीन
जिंदगी बसर करूंगा आप फरमाया करते थे कि मैंने एक शब में इ मर्तबा हजूर अकरम
सल्लल्लाहु अल वसल्लम को ख्वाब में देखकर आपसे मसाइल की तहकीक की फिर एक शब ख्वाब
में मैंने हजूर से अर्ज किया कि मुझको ऐसा अमल बता दीजिए कि हिर्स हवस का खात्मा हो
जाए आपने फरमाया कि रोजाना 40 मर्तबा यह दुआ पढ़ लिया करो या ह या कयूम ला इलाहा
इला अतल अता कलबी बनरी मुरफ की अब्दन किसी
दरवेश ने आपसे रो रो कर अर्ज किया कि जब मुझ पर 20 आके गुजर चुके तो लोगों के
सामने मेरे नफ्स ने यह राज अफशा कर दिया फिर एक दिन रास्ता में मुझे एक दिरहम पड़ा
हुआ मिला जिस पर तहरीर था कि अल्लाह ताला तेरी फाका कशी से ना वाकिफ था तूने दूसरों
से शिकायत की रशा दत आप फरमाया करते थे कि जिस तरह महशर में खुदा के सिवा कोई मावन
और मददगार नहीं होगा उसी तरह दुनिया में भी इसके सिवा किसी को मावन तसव्वुर ना करो
फिर फरमाया कि मखलूक की मोहब्बत बायस अजाब सोहबत बायस मुसीबत और रबत जब्त वजह जिल्लत
है फिर फरमाया कि जहद सखावत और नसीहत से ज्यादा कोई शय सूद मंद नहीं फरमाया कि जहद
वह है जो ना मिलने पर खुश रहे जिंदगी भर जिक्र इलाही से गाफिल ना हो
मसाइल से काम ले और खुदा की रजा पर राजी रहे फरमाया कि तसव्वुफ सर तपा खलाक है और
जिसमें खलाक की ज्यादती होगी उसका तसव्वुफ भी ज्यादा होगा फरमाया कि औलिया अल्लाह
जाहिर में असीर और बातिन में आजाद होते हैं फरमाया कि सूफी वह है जो इबादत को
मुशक्कल माया कि इस्तग फार एक ऐसा छह हर्फी लफ्ज़ है जो छह चीजों के जामो अकमल
है अव्वल मासि अत के बाद नदा मत के साथ तौबा करना दोम बाद अज तौबा गुनाह का कभी
कसदार अस तौबा जिस्म को ऐसी मशक्कत देना कि जिस तरह मशक्कत से कबल उसने बहुत आराम
पाया हो फरमाया कि तवक नाम है इतबा इल्म और यकीन कामिल का फिर फरमाया कि तौबा के
वक्त दर मगफिरत खुल जाता है फरमाया कि खुदा अपने मोहताज बंदों की हाजत रुआई खुद
करता है फरमाया कि तके नफ्स और गफलत पर इजहार तासु तमाम इबादत से अफजल है फरमाया
कि जब तक बहुत ज्यादा नींद ना आए हरगिज ना सो जब तक भूख की शिद्दत ना हो मत खाओ जब
तक शदीद जरूरत ना हो बात ना करो फरमाया कि शहवत दरह कीक देव की लगाम है और जिसने
इसको जेर कर लिया गोया देव को जेर कर लिया फरमाया कि जिस्म को दुनिया से और कल्ब को
अकबा से वाबस्ता रखो फरमाया यह तीन चीजें दीन की असास हैं अव्वल हक दोम अदल सोम सदक
हक का ताल्लुक आजा से है यानी आजा के जरिया जिक्र इलाही का करते रहो अदल का
ताल्लुक कल्ब से है यानी बजरिया कल्ब नेको बद में तमीज करो और सिद का ताल्लुक अकल से
है यानी अकल के जरिया खुदा को पहचानो फिर फरमाया नसीम सहरी मन जानिबे अल्लाह एक ऐसी
हवा है जिसका कयाम अर्श के नीचे है और दम सुबह दुनिया में फिर खुदा के बंदों की
गिरिया उ जारी और तलब मगफिरत अपने हमराह ले जाकर खुदा के हजूर पेश कर देती है वफात
इंतकाल के व वक्त जब लोगों ने सवाल किया कि आपको यह मराब कैसे हासिल हुए फरमाया कि
मैंने 40 साल कल्ब की इस तरह निगरानी की है कि याद इलाही के सिवा इसमें किसी को
जगह नहीं दी हत्ता कि मेरे कल्ब ने खुदा के सिवा हर शय को फरामोश कर दिया था फिर
फरमाया कि अगर मेरा आखिरी वक्त ना होता तो मैं इस राज को अफशा ना करता यह फरमा करर
इंतकाल हो गया बाब नंबर 68 हजरत अब्दुल्लाह फैफ रहमतुल्लाह अलह के हालात
मुना किब तारुफ फारिस में आपके बाद ऐसा यकता ए रोजगार कोई शेख नहीं हुआ आप अपने
अहद के मश के शेख थे गोया आपका ताल्लुक शाही खानदान से था लेकिन 20 साल तक टाट का
इस्तेमाल करते रहे इसके अलावा बेशुमार सफर करके अजीम उल मरतबक बुजुर्गों से शरफे
नयाज हासिल किया आपका मामूल था कि एक रकत में 10000 मर्तबा सूर इखलास पढ़ा करते और
पूरे साल में चार चिल्ले खीचा करते थे हत्ता कि आपकी वफात भी चिल्ले के दौरान ही
हुई आपको खफ का खिताब इसलिए अता किया गया कि आप इफ्तार में सात मुनक्का के सिवा कुछ
ना खाते एक मर्तबा जाफ उनका हत की वजह से आपके खादिम ने बजाए सात के आठ मुनक्का पेश
कर दिए और आपने गिनती किए बगैर खा लिए लेकिन इस रात आपको इबादत में वह लज्जत
हासिल ना हुई जो इससे कबल हुआ करती थी और जब आपको वाकया का सही इल्म हुआ तो इस
खादिम को गुस्सा में बरखास्त करके दूसरा खादिम रख लिया हालात आपके पास निसाब जकात
के मुताबिक रकम नहीं रही एक मर्तबा नियत हज से अपने हमराह डोल रस्सी लेकर सफर शुरू
कर दिया और रास्ता में शिद्दत प्यास के आलिम में देखा कि एक चश्मा पर हिरन पानी
पी रहा है लेकिन जब आप चश्मा पर पहुंचे तो पानी नीचे हो गया यह देखकर आपने खुदा ताला
से अर्ज किया कि या अल्लाह क्या मेरा दर्जा हिरणों से भी कम है निदा आई क्योंकि
हिरणों के पास डोल रस्सी नहीं थी इसलिए हमने पानी को इनके नजदीक कर दिया लेकिन
तुम्हारे पास रस्सी और डोल होने की वजह से पानी दूर कर दिया गया यह सुनकर आपने इबरत
के तौर पर डोल रस्सी फेंक दिया और पानी पिए बगैर आगे चल दिए फिर निदा आई कि हमने
तो महज तुम्हारे सब्र का इम्तिहान लिया था अब वापस जाकर पानी पी लो चुनांचे जिस वक्त
आप दोबारा चश्मा पर पहुंचे तो पानी ऊपर आ गया था और आपने इत्मीनान से पानी पिया और
वजू किया और उसी वजू से मदीना मुनव्वरा में दाखिल हुए फिर जब हज से वापसी के बाद
बगदाद में हजरत जुनेद से मुलाकात हुई तो उन्होंने फरमाया कि अगर कलील सा सब्र कर
लेते तो पानी तुम्हारे कदमों में आ जाता आप फरमाया करते थे कि अहदे शबाब में एक
शख्स ने मुझे दावत दी और जब मैं उसके यहां खाने पर बैठा तो महसूस हुआ कि गोश्त सड़
गया है लेकिन वह शख्स अपने हाथों से नवा बनाकर खिला रहा था इसलिए मैंने उसके दिल
शिकनी की वजह से कुछ नहीं कहा और जब इसकी नजर मेरे चेहरे पर पड़ी तो वह ताड़ गया और
बहुत नादम हुआ उसके बाद मैंने हज का कसत करके काफिला के हमराह जिस वक्त कादसिया
पहुंचा तो अहले काफिला रास्ता भूल गए और कई यम तक खाने को भी कुछ मयस्सर ना आया
आखिरकार इस तरारी हालत में 40 दिनार का एक कुत्ता खरीदा गया और गोश्त भूनकर जब सब
खाने बैठे तो मुझे इस शख्स की नदा मत याद आ गई और इस नदा मत के साथ ही रास्ता मिल
गया फिर हज से वापसी पर मैंने इस शख्स को तलाश करके मजरत ख्वाई के बाद कहा कि इस
दिन तेरे यहां सड़ा हुआ गोश्त मेरे कल्ब पर बार बन गया लेकिन दौरान सफर कुत्ते का
गोश्त भी मुझे बुरा मालूम नहीं हुआ आप फरमाया करते थे कि जिस वक्त मुझे यह इल्म हुआ कि मिस्र में एक नौजवान और मुअम्मर
शख्स महब राकबा है तो मैंने वहां पहुंचकर उन्हें सलाम किया लेकिन जब दो मर्तबा के
बाद भी उन्होंने सलाम का जवाब नहीं दिया तो मैंने तीसरी मर्तबा उन्हें कसम देकर
कहा कि मेरे सलाम का जवाब दे दो यह सुनकर नौजवान ने सर उठाकर जवाब देते हुए कहा कि
ऐ ख फेफ दुनिया बहुत थोड़ी सी है लिहाज इस खलील अरसा में कसीर हिस्सा हासिल करो
क्योंकि मेरा ख्याल है कि तुम दुनिया से बेफिक्र हो जब ही तो हमारे इलाम के लिए
हाजिर हुए हो ये कहकर वो फिर मराकर हो गया और इसकी तासीर आमज नसीहत का मेरे ऊपर ऐसा
असर पड़ा कि शिद्दत भूख के बावजूद मेरी तमाम भूख गायब हो गई और इन्हीं दोनों के
हमराह मैंने जोहर असर की नमाज अदा की फिर जब मैंने नौजवान से मजीद कुछ नसीहत करने
के लिए कहा तो उसने जवाब दिया कि हम लोग तो खुद ही गिरफ्तार बला हैं जिसकी वजह से
हमारी जबान नसीहत के काबिल ही नहीं बल्कि हमारी तमन्ना तो यह है कि हमें खुद कोई
दूसरा नसी करे लेकिन मेरे शदीद इसरार पर उसने कहा कि ऐसे लोगों की सोहबत में बैठो
जो तुम्हें खुदा की याद दिलाते रहे और जबानी नहीं बल्कि सही मानों में अमल पर
आमिल बना दे आप फरमाया करते थे कि रोम के जंगल में मैंने एक ऐसे राहिब की नाश देखी
जिसको जला देने के बाद लोगों ने उसकी राख जब अंधों की आंखों में लगाई तो उनकी
बसारथपुर उसकी राख से सेहत याबो गया यह वाक क्या
देखकर मुझे ख्याल आया कि जब इन लोगों का दीन ही बातिल है तो फिर यह चीज इनको कैसे
हासिल हो गई चुनांचे उसी शब ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने
मुझसे फरमाया के ख फैफ जब बातिल दीन वालों में सदक रियाजत से यह असर पैदा कर दिया है
तो फिर दीन हक वालों के सिद को रियाजत का कौन अंदाजा लगा सकता है एक मर्तबा अपने
ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को यह फरमाते सुना कि अगर वाकफ
राहे तरीकत भी इस रास्ता पर गामजादा अजाब का वही मुस्तक गर्दान जाएगा
आपने इत बाए सुन्नत की गर्ज से अंगूठे के बल खड़े होकर नमाज अदा करने की सई की
लेकिन जब इसमें कामयाबी हासिल ना हो सकी तो हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ख्वाब में यह फरमाते सुना कि अंगूठे के बल
खड़े होकर अदायगी नमाज सिर्फ मेरी जात तक मख्सूसपुरी
असना एक लड़के ने आकर अपने वालिद का हाथ पकड़ा और तेजी के साथ पुल सरात पर से गुजर
कर इनको जन्नत में ले गया चुनांचे ख्वाब से बेदार होने के बाद आपने फौरी तौर पर
निकाह कर लिया और जब एक लड़का लेद हुआ तो फौत हो गया तो आपने बीवी से फरमाया कि
मेरी तमन्ना पूरी हो गई अब अगर तुम चाहो तो तलाक हासिल कर सकती हो आपने वक्त फ
वक्त दो दो तीन-तीन निकाह करके 400 निकाह किए क्योंकि औरतें बकसर आपसे निकाह करने
की मुतमरना एक बीवी जो किसी वजीर की लड़की थी मुकम्मल 40 साल तक आपके निकाह में रही और
जब वह तमाम औरतें जो आपके निकाह में रह चुकी थी एक दिन यगज हुई तो एक ने दूसरी से
पूछा कि क्या शेख खिलवट में कभी तुम्हारे साथ हमबिस्तर हुए सब ने मुत फका तौर पर
जवाब दिया कि कभी नहीं और जब वजीर की लड़की से मालूम किया गया तो उसने बताया कि जिस दिन शेख मेरे यहां तशरीफ लाते हैं तो
पहले ही से मतला कर देते हैं और मैं नफीस किस्म के खाने तैयार करके लिबास और जेवर
से आरास्को सामने पेश किया तो पहले तो आप कुछ
देर तक मुझे देखते रहे फिर मेरा हाथ अपनी बगल में लेकर पेट के ऊपर और सीना पर फेरा
उसी वक्त मैंने देखा कि आपके शकम मुबारक पर 18 गिरह पड़ी हुई हैं और आपने फरमाया
कि सब गिरह सब्र की हैं क्योंकि तेरी जैसी हसीन सूरत और इस कदर नफीस खानों से मुझे
कोई दिलचस्पी नहीं यह फरमा करर आप तशरीफ ले गए और इसके बाद मुझ में कभी यह हिम्मत
नहीं हुई कि आपसे कोई सवाल कर सकूं आपके मुरीद में दो अफराद का नाम अहमद था लिहाजा
दोनों में इमतियाज की गर्ज से एक को अहमद कहा और दूसरे को अहमद महा के नाम से
पुकारा जाता था लेकिन आप को अहमद कहा से ज्यादा रगत थी जबकि अहमद महा इबादत और
रियाजत में अहमद कहा से कहीं ज्यादा थे और यह तमाम मुरीद को नागवार खातिर भी थी कि
आप ज्यादा आबिद जाहिद से मोहब्बत क्यों नहीं करते चुनांचे आपने मुरीदो के एहसास
को महसूस करते हुए एक इस्तमा आम में अहमद कहा से फरमाया कि जाकर ऊंट को छत पर बांध
दो लेकिन उसने अर्ज किया कि छत पर ऊंट कैसे चढ़ सकता है फिर जब आपने अहमद मा को
हुकम दिया तो वह आमादा हो गया और ऊंट को दोनों हाथों से ऊपर उठाने की कोशिश की
लेकिन ऊंट में हरकत ना हो सकी यह देखकर आपने फरमाया कि जाहिर और बातिन में यही
फर्क होता है अहमद कहा कल्ब से मेरी तात करता है और अहमद महा सिर्फ जहरी इबादत पर
नाजा है एक मुसाफिर सयाह लिबास में मलब उसस आपकी खिदमत में हाजिर हुआ तो आपने
उससे स्याह लिबास इस्तेमाल करने की वजह पूछी उसने कहा कि हुक्मरान यानी नफ्स हवा
दोनों फौत हो गए हैं इसलिए मैंने मातमी लिबास पहन रखा है ये सुनकर आपने मुरीद को
हुक्म दिया कि इसको बाहर निकाल दो चुनांचे लोगों ने तामील हुक्म कर दी गर्ज के इसी
तरह 70 मर्तबा इसको बाहर निकलवाया गया लेकिन जरा बराबर भी उसके कल्प में मैल
नहीं आया आखिर में आपने फरमाया कि यह लिबास वाकई तुम्हारे ही लिए मुनासिब है
क्योंकि 70 मर्तबा की तजल के बाद भी तुम्हें कोई नागवार नहीं हुई दरवेश तवील
सफर के बाद जब आपके यहां हाजिर हुए तो मालूम हुआ कि आप शाही दरबार में हैं यह
सुनकर उन लोगों ने सोचा कि यह किस किस्म के बुजुर्ग हैं जो दरबार शाही में हाजरी
देते हैं यह सुनकर दोनों बाजार की जानिब निकल गए और अपने खरका की जेब सिलवाने के
लिए दर्जी की दुकान पर पहुंचे और इसी दौरान दर्जी की कैंची गुम हो गई और उसने
इन दोनों को चोरी के शुबह में पुलिस के हवाले कर दिया दिया और जब पुलिस दोनों को लेकर शाही दरबार में पहुंची तो हजरत
अब्दुल्लाह खफ ने बादशाह से सिफारिश करते हुए फरमाया कि यह दोनों चोर नहीं हैं लिहाजा इनको छोड़ दिया जाए चुनांचे आपकी
सिफारिश पर इनको रिहा कर दिया गया उसके बाद आपने दोनों से फरमाया कि मैं दरबारे
शाही में सिर्फ इसी गर्ज के लिए मौजूद रहता हूं यह सुनकर वो दोनों माजर ख्वाई के
बाद आपके इरादत मंदो में दाखिल हो गए और इससे यह अंदाजा लगाया जा सकता है कि खुदा
के मकबूल बंदों से बेत कादी भी वजह मुसीबत बन सकती है किसी मुसाफिर को आपके यहां
हाजिरी के बाद दस्त आने शुरू हो गए हत्ता कि इसको 50 मर्तबा रफा हाजत के लिए ले
जाया गया लेकिन जब रात के आखरी हिस्सा में आपकी आंख लग गई और इसको रफा हाजत की जरूरत
पेश आई तो उसने आपको आवाज दी और जब नींद आ जाने की वजह से आपकी तरफ से कोई जवाब ना
मिला तो उस मुसाफिर ने चीख कर कहा ओ शेख कहां चला गया तुझ पर खुदा की लानत हो य
जुमला सुनकर लोगों ने आपसे अर्ज किया कि आपने इसकी पास दारी क्यों की आपने फरमाया
अल्लाह ताला ने मुझे खराब बात सुनने के लिए कान अता नहीं किए मैंने तो इसको यह
कहते सुना कि तेरे ऊपर रहमत हो इरशाद आप फरमाया करते थे कि इब्तिदा में
अल्लाह ताला ने मलायका और अंसो जिन को तखक फरमाया फिर असमत किफायत और जबल को तखक
फरमाया हुकम दिया कि हर नौ के अफराद इनमें से एक-एक शय को अपने लिए मुंतखाब कर लें
चुनांचे मलायका ने असमत को इख्तियार किया जिन्नात ने किफायत को और इंसानों ने जबल
को मुंतखाब किया इसलिए इंसान कसरत से हीला बाजी से काम लेता है फरमाया कि अहदे
गुजर्ता में सूफिया जिन्नात पर गालिब रहते थे लेकिन अब मामला इसके बरक्स है फरमाया
कि सूफिया की शान यह है कि वह सोफे सफा का लिबास इख्तियार कर ले यानी सफाए बातिन के
बाद सोफ इस्तेमाल करें और र्क दुनिया के बाद अपने नफ्स पर जुल्म करता रहे फिर
फरमाया कि पाकीजा होना वजह राहत है फरमाया कि मुकदरा
पर शाके रहना और मुसाहिब का मुकाबला करने का नाम ही तसव्वुफ है फरमाया कि रजा की दो
किस्में हैं अव्वल हक के साथ तदबीर में रजा इख्तियार करना दोम हक से हक की तकदीर
में रजा इख्तियार करना फरमाया कि मुकाशिफत गैबी ही का नाम ईमान है फरमाया कि इबादत
ना है दामी गमो खुशी को तर्क कर देने का फरमाया वस्ल नाम है महबूब से इस इत साल का
जिसके बाद कुछ याद ना रहे फरमाया कि नफ्स दुनिया और इब्लीस से किनारा कशी का नाम
तकवा है फरमाया कि इबादत इलाही से नफ्स को शिकस्त देने का नाम रियाजत है फरमाया कि
काबू याफ्ता शय से आरा और गैर काबू याफ्ता शय को तलब ना करने का नाम कनात है फिर
फरमाया कि जहद नाम है जरो माल को नजरअंदाज कर देने का फरमाया कि उम्मीदे वस्ल में
मुसर्रत का नाम रिजा है फरमाया कि अपने तमाम उमू को सुपुर्द खुदा करके मसाइल करने
का नाम अबू दियत है फरमाया कि इजहार फक्र मायू शय है फरमाया कि जो कुछ मुयस्सार आए
खाकर खुदा का शुक्र करें और मुयस्सार ना आए तो सब्र से काम ले वफात इंतकाल के वक्त
खादिम को आपने यह वसीयत फरमाई कि मौत के बाद मेरे हाथ में रस्सी बांधकर और गले में
तौक डालकर किबला रूख बिठा देना ताकि इसी तरह से शायद मेरी मगफिरत हो जाए और मौत के
बाद जब खादिम ने वसीयत पर अमल करने का
कसदार महबूब को रुसवा करना चाहता है यह सुनकर उसने वसीयत पर अमल करने का कसदार कर
दिया बाब नंबर 69 हजरत अबू मोहम्मद जरेली रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आप
मुमताज रोजगार बुजुर्गों में से हुए और आपको जहरी और बात उलूम पर मुकम्मल दस्तरस
हासिल थी आदाब तरीकत से बखूबी वाकफिट की बिना पर आप खुद फरमाते हैं कि मैंने अदब
इलाही की वजह से कभी खिलत में भी पाव ना फैलाए आप हजरत अब्दुल्लाह तितरी की सोहबत
से फैज याबु ए हालात मक्का मजमा के कयाम के दौरान में मुकम्मल एक साल तक महज अजमत
काबा की वजह से ना तो कभी आपने दीवार से टेक लगाई ना किसी से बात की और ना कभी सोए
और जब अबू बकर कता ने सवाल किया कि आप यह मशक्कत क्यों कर बर्दाश्त कर लेते हैं
फरमाया कि मेरे सिद के बात ने मेरी कुवत जहरी को यह कुवत बर्दाश्त अता कर दी है
मशहूर है कि आपकी वफात के बाद हजरत जुनैद बगदादी को आपका जानशीन मुकर्रर कर दिया
गया था आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा कोई शख्स नमाज असर के वक्त बाल बखे और
बरहन पा आया और वजू करके नमाज असर अदा करने के बाद नमाज मगरिब तक सर झुकाए बैठा
रहा जब मैंने नमाज मगरिब शुरू की तो वो भी नमाज पढ़कर फिर सर झुका के बैठ गया
इत्तेफाक से उसी रात खलीफा के यहां सूफिया की दावत थी और जब उस शख्स से दावत में
चलने के लिए कहा गया तो उसने जवाब दिया कि मुझे खलीफा सूफिया से कोई सरोकार नहीं
लेकिन अगर तुम मुनासिब तसव्वर करो तो मेरे लिए थोड़ा सा हलवा लेते आना आप फरमाते हैं कि मैंने इसको गैर मुस्लिम तसव्वुर करते
हुए उसके जानिब कोई तवज्जो नहीं की और जब दावत में वापसी पर देखा तो पहले ही सी
हालत में सर झुकाए बैठा हुआ है फिर उस शब मैंने हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम
को ख्वाब में देखा कि आपके दाएं बाएं हजरत इब्राहीम और हजरत मूसा हैं और उनके अलावा
2100 अंबिया कराम और भी हैं लेकिन जब मैं हुजूर के सामने हाजिर हुआ तो आपने मुंह
फेर लिया और जब मैंने सबब दरयाफ्त किया तो फरमाया कि हमारे एक महबूब ने तुझसे हलवा
तलब किया लेकिन तूने इसको नजरअंदाज कर दिया इस ख्वाब के बाद जब मैं बेदार हुआ तो
देख देख कि वोह शख्स खानकाह से बाहर निकल रहा है और जब मैंने आवाज देकर कहा कि ठहर जाओ मैं अभी तुम्हारी खिदमत में हलवा पेश
करता हूं तो उसने जवाब दिया कि 2100 अंबिया की सिफारिश के बाद अब तुझे हलवे का
ख्याल आया उससे पहले यह ख्याल क्यों नहीं आया यह कहकर वह ना जाने किस तरफ निकल गया
और तलाश बसर के बावजूद आज तक वह नहीं मिल सका बगदाद की जामे मस्जिद में एक ऐसे
बुजुर्ग कयाम पजीर थे जो सदा एक ही लिबास से बतन किए रहते थे और आपने जब वजह पूछी
तो बताया कि एक मर्तबा ख्वाब में देखा कि एक जमात निहायत नफीस लिबास में मलब उसस
जन्नत में दस्तरख्वान पर बैठी हुई है लेकिन जब मैं भी वहां बैठ गया तो एक फरिश्ता ने खींच कर मुझे उठाते हुए कहा कि
तू इस जगह बैठने के काबिल नहीं क्योंकि यह सब व बंदे हैं जिन्होंने ताहियात एक ही
लिबास इस्तेमाल किया है चुनांचे उस दिन से मैंने भी एक लिबास के सिवा कभी दूसरा नहीं
पहना अकवाले सरी दौरान वाज किसी नौजवान ने आपसे अर्ज किया कि दुआ फरमाइए कि मेरा दिल
गुम गस्ता वापस मिल जाए आपने फरमाया कि हम लोग तो खुद इसी मर्ज में गिरफ्तार हैं
फरमाया कि अहद गुजर्ता में मामला दीन पर मौक था दूसरे दौर में वफा पर तीसरे दौर
में मुरव्वत और चौथे दौर में हया पर लेकिन अब तो ना दीन है ना हया है ना वफा है ना
मुरव्वत बल्कि सबका मामला हैबत पर मौक है फरमाया कि कल्ब का हकीकी फेल कुर्बत इलाही
और इसकी सनद का मुशाहिद है फरमाया कि तबाह नफ्स करने वाला कैदी है फिर फरमाया कि
राहत नफ्स के मामला में नेमतों मेहनत में तफरी ना करनी चाहिए फरमाया कि शजर यकीन का
समर इखलास है और रश्क का समर रया है फरमाया कि अफजल तरीन शुक्र यह है कि बंदा
खुद को अदायगी शुक्र से आजिज तसव्वुर करता रहे फिर फरमाया के आम बंदों की लड़ाई नफ
से और अब दलियां की जंग फिक्र से हिदीन की जंग शहवत से और तायब की जंग लगज शों से और
मुरीदो की जंग लज्जत से होती है फरमाया कि सलामती ईमान दरुद जिस्म और समरे दन तीन
चीजों पर मकू है अव्वल किफायत से काम लेना दोम नवाही से एतराज करना सोम कम खाना
इसलिए कि किफायत तो दुरुस्ती बातिन का बायस होती है और नवाही से किनारा कशी नूर
बातिन का सबब बनती है और किल्लत गजा नफ्स को मशक्कत बर्दाश्त करने के काबिल बना
देती है फरमाया कि मुशाहिद असूल समाते फरोख पर मबन है और फरोख की दोस्ती मौक है
मुताबिक के असूल पर और जब तक इस शय को मुअज्जम ना समझा जाए जिसकी ताजमहल ने की
हो और इस वक्त तक असूल और मुशाहिद का रास्ता नहीं मिल सकता फरमाया कि अनवार
इलाही से जिंदा रहने वालों को कभी मौत नहीं आती फरमाया कि आरिफ लोग शुरू ही से
खुदा को याद करते हैं और आम लोग सिर्फ तकलीफ में याद करते हैं फरमाया कि जिस
वक्त हजूर अकरम ने हक का मुशाहिद फरमाया तो हक के सामने हक के जरिया जमीनो मकान से
बका हासिल कर ली क्योंकि आपको वह हुजूरी हासिल हुई कि औ साफे खुदा वंदी में गुम
होकर जमानो मका से बे नियाज हो गए बाब नंबर 70 हजरत हुसैन मंसूर लाज रहमतुल्ला
अल के हालातो मुना किब तारुफ व तस्करा आपके मुतालिक अजीबो गरीब किस्म के अकबाल
मनकुल है लेकिन आप बहुत ही राली शान के ब बर्ग और अपनी तर्ज के गाना रोजगार थे
अक्सर सूफिया ने आपकी बुजुर्ग से इंकार करते हुए कहा क्या आप तसव्वुफ से कतन वाकिफ थे हमेशा शौक और सोज के आलम में
मुस्त गरिक रहते थे यही वजह है कि आपकी तसनी मुगलि को मुश्किल इबारा का मजमुआ थी
हत्ता कि बाज लोगों ने तो काफिर साहिर तक का खिताब दे दिया और बाज का ख्याल है कि
आप अहले हलुल में से थे और बाज कहते हैं कि आपका तक क्या इतहाद पर था लेकिन हजरत
मुसन्निफ फरमाते हैं कि ही का मामूली सा वाकिफ भी आपको हलू इत्तेहाद का लंबरदार
नहीं कह सकता बल्कि इस किस्म का तराज करने वाला खुद ना वाकिफ तौहीद है और अगर इन
चीजों का तफसील जायजा लिया जाए तो इसके लिए एक जखीम किताब की जरूरत है चुनांचे
बगदाद में एक जमात ने हलू इत्तेहाद के चक्कर में गुमराह होकर खुद को लाजी कहने
से भी गुरेज नहीं किया हालांकि उन्होंने सही मानों में आपके कलाम को समझने की
कोशिश ही नहीं की मगर हकीकत यह है कि इस जमरे में तकलीद शर्त नहीं बल्कि अल्लाह ताला जिसको चाहे इस मर्तबा पर फायज फरमा
दे मुसन्निफ फरमाते हैं कि मुझे तो इस बात पर हैरत होती है कि लोग दरख्त से अनी अन
अल्लाह की सदा तो जायज करार देते हैं और अगर यही जुमला आपकी जुबान से निकल गया तो
खिलाफ शरा बताते हैं दूसरी दलील यह है कि जिस तरह हजरत उमर की जुबान से अल्लाह ताला
ने कलाम किया इसी तरह आपकी जुबान से भी कलाम किया और यही जवाब हलू इत्तेहाद के
वाहिया तसव्वुर को भी दूर कर सकता है इसके अलावा बाज हजरात हुसैन बिन हल्लाज और
हुसैन मंसूर को दो जुदा काना शख्सियत करार देते हुए कहते हैं कि हुसैन
मुलदसबापू बिक हुसैन बिन मंसूर आलिम रब्बानी हुए हैं
और हजरत शिबली ने तो यहां तक फरमा दिया कि मुझ में और हुसैन बिन मंसूर में सिर्फ इतना सा फर्क है कि इनको लोगों ने
दानिश्वर तसव्वुर करके हलाक कर दिया और मुझको देवाना समझकर छोड़ दिया बहरहाल इन्हीं अकवाले की मुताबिक में हजरत
मुसन्निफ फरमाते हैं कि अगर हुसैन बिन मंसूर हकीकत में मत और मलून होते तो फिर
यह दोनों अजीम बुजुर्ग उनकी शान में इतने बेहतर अल्फाज कैसे इस्तेमाल कर सकते थे लिहाजा इन दोनों बुजुर्गों के अवाल हजरत
हुसैन बिन मंसूर के सूफी होने के लिए बहुत काफी हैं हजरत मंसूर हम औकात इबादत में
मशगूल रहा करते थे और मैदान तौहीद और मारफ में दूसरे अहले खैर की तरह आप भी शरीयत और
सुन्नत के मत बाइन में से थे आपकी जुबान से अनल हक का गैर शरई जुमला निकल गया
लेकिन आपको काफिर कहने में इसलिए तरदूत है कि आपका कौल हकीकत में खुदा का कॉल था और
हजरत मुसन्निफ की राय है कि जो मशक आपकी बुजुर्ग के कायल नहीं है उनके अकवाले
सूफिया की शान के मुताबिक नहीं बल्कि बर बनाए हसद उन्होंने आपको मरदे इल्जाम गरदाना है इसलिए इन मशा के अकवाले को
काबिले कबूल कहना दानिश मंदी के खिलाफ है आप 18 साल की उम्र में तेतर तशरीफ ले गए
और वहां 2 साल तक हजरत अल्लाह तेतरी की सोहबत से फैज जाब होने के बाद बसरा चले गए
फिर वहां से दोहर का पहुंचे जहां हजरत उमर बिन उस्मान मक्की की सोहबत से फैज याबो
करर हजरत याकूब अकता की साहिबजादे से निकाह कर लिया लेकिन उम्र बिन उस्मान की नाराजगी के बायस हजरत जुनैद बगदादी की
खिदमत में बगदाद पहुंच गए और वहां हजरत जुनैद ने आपको खिलत और सकत की तरबियत से
मरस किया फिर वहां कुछ हरसा कयाम के बाद हुज्जाज तशरीफ ले गए एक साल कयाम करने के
बाद जमात सूफिया के हमराह फिर बगदाद वापस आ गए और वहां हजरत जुनेद से ना मालूम किस
किस्म का सवाल किया जिसके जवाब में उन्होंने फरमाया कि तू बहुत जल्द लकड़ी का सर सुर्ख करेगा यानी सूली चढ़ा दिया जाएगा
हजरत मंसूर ने जवाब दिया कि जब मुझे सूली दी जाएगी तो आप अहले जाहिर का लिबास
इख्तियार कर लेंगे चुनांचे बयान किया गया कि जिस वक्त उलमा ने मुत फिका तौर पर
हुसैन मंसूर को काबिले गर्दन जद नहीं होने का फतवा दिया तो खलीफा ए वक्त ने कहा कि
हजरत जुनैद जब तक फत वे पर दस्तखत ना करेंगे मंसूर को फांसी नहीं दे सकता और जब
यह तला हजरत जुनेद को पहुंची तो आपने मदरसा जाकर पहले लमाए जाहिर का लिबास जबतन
किया उसके बाद यह फतवा दिया कि हम जाहिर के तबार से मंसूर कसूली पर चढ़ाने का फतवा
सादर करते हैं एक मर्तबा हजरत जुनेद ने हजरत मंसूर के किसी मसला का जवाब नहीं
दिया तो वह हजरत जुनेद से मुलाकात किए बगैर खफा होकर अपनी बीवी के हमराह तेतर
चले गए और एक साल तक वहीं मुकीम रहे और वहां के लोग आपके बेहद मतक हो गए आप अपनी
फितरत के मुताबिक अहले जाहिर को हमेशा नजरअंदाज करते रहे जिसकी वजह से लोगों में
आपके खिलाफ नफरत और हसद का जज्बा पैदा हो गया दूसरी जानिब सबसे बड़ी वजह यह हुई कि
हजरत उमरू बिन उस्मान ने अहले खुर स्तान को आपकी बुराइयां तहरीर करके और भी आपके
खिलाफ मंदाना जज्बा रोनु मा कर दिया चुनांचे आपको इस तर्ज अमल से बेहद रंज
पहुंचा और आपने सूफिया के लिबास तर्क करके अहले दुनिया का लिबास इख्तियार करके
दुनिया दारो जैसा ही रहन-सहन इख्तियार कर लिया और मुकम्मल 5 साल तक हमामा औसत के
फलसफा में गुम रहे और मुख्तलिफ मु मालिक में मुकीम रहकर आखिर में फारिस पहुंचे और
अहले फारिस को बुलंद पाया तसनी पेश की और अपने वाजो नसीहत में ऐसे-ऐसे रमज नेहा का
इंक शफ किया कि लोगों ने आपको लाज उल इसरार के खिताब से नवाज दिया फिर बसरा
पहुंचकर दोबारा सूफिया का लिबास इख्तियार करके मक्का मुज्ज काजम किया और आस्ता में बेशुमार सूफिया से मुलाकातें करते रहे
लेकिन मक्का मुजमा पहुंचने के बाद हजरत याकूब नहर जरी ने आपको जादूगर कहना शुरू
कर दिया फिर वहां से वापसी के बाद एक साल बसरा में कयाम किया और अहवाज होते हुए
हिंदुस्तान में दाखिल हुए और वहां से खुरासान मावरा नहर होते हुए चीन पहुंचकर लोगों को वाजो नसीहत का सिलसिला शुरू कर
दिया जिन मुमा में पहुंचे वहां के लोगों ने आपके औसाफ के मुताबिक खिता बात से
नवाजा घूम फिर करर आप मक्का मजमा पहुंच गए और 2 साल कयाम के बाद जब वापसी हुई तो आप
में इस दर्जा तगुर पैदा हो गया और आपका कलाम लोगों की फहम से बाहर हो गया और जिन
मुमा में आप तशरीफ ले जाते वहां के लोग आपको निकाल देते जिसकी वजह से आपने
ऐसी-ऐसी अयतें बर्दाश्त की के किसी दूसरे सूफी को ऐसी तकलीफ का सामना करना नहीं
पड़ा आपको इलाज इसलिए कहा जाता है कि एक मर्तबा आप रोई के जखीरे पर से गुजरे और
अजीब अंदाज में कुछ इशारा किया जिस की वजह से वो रूई खुद
बखुदा किया करते थे और इस फेल को अपने ऊपर फर्ज करार दे लिया था जब लोगों ने आपसे
सवाल किया कि ऐसे बुलंद मुरा दिब के बाद आप अजियत क्यों बर्दाश्त करते हैं आपने जवाब दिया कि दोस्ती का मफू यही है कि
मुसाहिब पर सब्र किया जाए और जो इसकी राह में फना हो जाते हैं राहत और गम का कोई
एहसास बाकी नहीं रहता आपने 50 साल के सन में यह फरमाया कि अब तक मेरा कोई मसलक
नहीं लेकिन तमाम मजहिर में जो मुश्किल तरीन चीजें हैं उन्हें मैंने इख्तियार कर लिया है और 50 बर्स में 1000 साल की निमाज
अदा कर चुका हूं और हर नमाज के लिए गुसल को जरूरी तसव्वुर किया है इबादत और रियाजत
के दौर में मुसलसल आप एक ही गदड़ा पर मजबूर होकर इस गदड़ा तो इसमें
तीन रत्ती के बराबर जुएं पड़ गई थी किसी शख्स ने आपके करीब एक बिच्छू को देखकर
मारने का कसत किया तो आपने फरमाया कि इसको मत मारना क्योंकि 12 बर्स से यह मेरे साथ
है हजरत रशीद खुर्द समर कंदी बयान करते हैं कि एक मर्तबा बहुत से लोग सफरे हज में
आपके हमराह थे और कई यौम से कोई गजा नसीब नहीं हुई थी चुनांचे जब आप से सबने भूख की
शिकायत करते हुए यह फरमाइश की कि इस वक्त हमारी तरबियत सिरी खाने को चाहती है तो
आपने सबकी सफ बंदी करके बिठा दिया और जब अपनी कमर के पीछे हाथ ले जाते तो एक भुनी
हुई सिरी और दो गर्म रोटियां निका निकाल करर सबके सामने रखते जाते इस तरह इन 400
अफराद ने जो आपके हमराह थे शिकम सेर होकर खाना खाया फिर आगे चलकर लोगों ने कहा कि
हमारी तबीयत खुरम को चाहती है चुनांचे आपने खड़े होकर फरमाया कि मुझे जोर-जोर से
हिलाओ और जब लोगों ने यह अमल किया तो आपके जिस्म में इस कदर खुर मेंे झड़े के लोग
सैर हो गए मुरीद की जमात ने किसी जंगल में आपसे इंजीर की ख्वाहिश का इजहार किया तो
आपने जैसे ही फिजा में हाथ बुलंद किया इंजीर से लबरेज एक तबक आपके हाथ में आ गया
और आपने पूरी जमात को खिला दिया इसी तरह जब मुरीद ने हलवे की ख्वाहिश जाहिर की तो आपने इनको हलवा पेश कर दिया और लोगों ने
जब अर्ज किया कि ऐसा हलवा तो बगदाद के बाजारों में मिलता है तो आपने फरमाया कि
मेरे लिए बगदाद का बाजार और जंगल सब मसावी हैं सुना गया है कि उसी दिन बगदाद के
बाबुल ताका के बाजार में से किसी हलवाई का हलवे से भरा हुआ तबाकू हो गया और जब आपकी
जमात बगदाद पहुंची तो हलवाई ने अपना तबाकू शना करत करते हुए उनसे पूछा कि यह
तुम्हारे पास कहां से आया और जब लोगों ने उसे पूरा वाकया बताया तो वह हलवाई आपकी करामत से मुतासिर होकर आपके हल्का इरादत
में शामिल हो गया एक मर्तबा सफरे हज में आपके हमराह 4000 अफराद मक्का मजमा पहुंचे
वहां पहुंचकर आप नंगे सर और बहना जिस्म खड़े हो गए और मुकम्मल एक साल तक उसी हालत
में खड़े रहे हत्ता कि शदीद धूप की वजह से आपकी हड्डियों तक का गदा पिघल गया और
जिस्म की खाल फट गई इसी दौरान कोई शख्स रोजाना एक टिकिया और एक कूजा पानी आपके
पास पहुंचा देता था आप टिकिया के किनारे खाकर बाकी मानदा हिस्सा कूज पर रख दिया
करते थे और आपके इतराक का यह आलिम था कि आपके तहब में एक बिच्छू ने रहने की जगह
बना ली थी मैदान अरफात में आपने कहा कि ऐ अल्लाह तू सर गर्दा लोगों को राह दिखाने
वाला है और अगर मैं वाकई काफिर हूं तो मेरे कुफ्र में इजाफा फरमा दे फिर जब सब
लोग रुखसत हो गए तो आपने दुआ की कि ऐ खुदा मैं तुझको वाहिद तसव्वुर करते हुए तेरे
सिवा किसी की इबादत नहीं करता और तेरे इनामा पर अपने इजस की वजह से शुक्र भी अदा
नहीं कर सकता लिहाजा तू मेरे बजाय अपना शुक्रिया खुद ही अदा कर ले इसलिए कि बंदों
से तेरा शुक्र किसी तरह भी अदा नहीं हो सकता आपने फरमाया कि एक मर्तबा हजरत मूसा
ने इब्लीस से दरयाफ्त किया कि तूने हजरत आदम को सजदा क्यों नहीं किया उसने जवाब
दिया कि मैं तो खुदा ताला का मुशाहिद करने वालों और इसको सजदा करने वालों में से था
इसलिए मुझे यह गवारा ना हो सका कि इसके सिवा किसी और को सजदा करूं और आपके
इश्तियाक दीदार का यह आलिम है कि अंजर इल जबल का फरमान सुनते ही कोहेतूर की जानिब
हरसाना तौर पर देखने लगे इरशाद जब लोगों ने आपसे सवाल किया कि हजरत मूसा के बारे
में आपका क्या ख्याल है तो जवाब दिया कि वह मबन बरहक हैं और जब फिरौन के मुतालिक
पूछा गया तो फरमाया वह भी सच्चा था क्योंकि खुदा ने दो तरह के लोग पैदा फ फरमाए हैं एक आम और एक खास और दोनों किस्म
के लोग अपने-अपने रास्तों पर चलते रहते हैं और दोनों को रास्ता दिखाने वाला खुदा है फरमाया कि खुदा की याद में दुनिया और
आखिरत को फरामोश कर देने वाला ही वासले बे अल्लाह होता है और खुदा के सिवा हर शय से
मुस्त गना होकर इबादत करना फक्र है फरमाया कि सूफी अपनी जात में इसलिए वाहिद होता है
ना तो किसी को जानता है और ना इससे कोई वाकिफ होता है फरमाया कि नूर ईमान के
जरिया खुदा की जुस्तजू करो फरमाया कि हिकमत एक तीर है और तीर अंदाज खुदा ताला
है और मखलूक इसका निशाना है फिर फरमाया कि मोमिन वह है जो अमारा को मायू तसवर करते
हुए कनात इख्तियार करें फरमाया कि सबसे बड़ा अखलाक जफा ए मखलूक पर सब्र करना और
अल्लाह को पहचानना है फरमाया कि अमल को कुदरत से पाक रखने का नाम खलाक है फरमाया
कि बंदों की बसीरत आरफों की मारफ उलमा का नूर और गुजर्ता निजात पाने वालों का
रास्ता अजल से अबद तक एक ही जात से वाबस्ता है फरमाया कि मैदान रजा में न की
हैसियत एक अदह जैसी है जिस तरह जंगल में जर्रे की हैसियत होती है इसी तरह पूरा आलम
इस अदह के मुंह में रहता है फरमाया कि जिस तरह बादशाह हवस मुल्क गिरी में मुब्तला
रहते हैं इसी तरह हम हर लम्हा मसाइल के तालिब रहते हैं फरमाया कि बंदगी के मनाजिल
तय करने वाला आजाद हो जाता है फरमाया कि मुरीद साया तौबा और मुराद साया असमत में
रहता है और मुरीद वह है जिसके मकू फात पर इतिहा द का गलबा हो और मुराद वह है जिसके
मकू फात इतिहा पर सब कत ले जाएं फरमाया कि अंबिया कराम जैसा जहद आज तक किसी को हासिल
ना हो सका बाज लोगों ने सवाल किया कि दस्ते दुआ ज्यादा तवील है या दस्ते इबादत
आपने फरमाया कि इन दोनों हाथों की कहीं तक रसाई नहीं क्योंकि गो दस्ते दुआ को दामन
कबूलियत तक रसाई हासिल है लेकिन मर्दानी हक इसको शिर्क तसव्वुर करते हैं और दस्ते
इबादत को गो दामन शरीयत तक र ई हासिल है लेकिन मरदान हक के नजदीक वह पसंदीदा नहीं
लिहाजा बुलंद तरीन है वह हाथ जो सहादत हासिल करे फरमाया कि बूद दियत का इत्त साल
रबू बियत से है फरमाया कि जाते खुदा वंदी जिस पर मुनक शिफ होना चाहती है तो अदना सी
शय को कबूल करके मुनक शिफ हो जाती है वरना आमाल सालेह को भी कबूल नहीं करती फरमाया
कि जब तक मसाए पर सब्र ना किया जाए अनायत हासिल नहीं होती फरमाया कि अंबिया कराम पर
आमाल का गलबा इसलिए नहीं हो सकता था कि व आमाल पर गालिब रहते थे इसी वजह से बजाए
उसके आमाल इनको गर्दिश दे सकते वह खुद आमाल को गर्दिश दिया करते थे फिर फरमाया
कि सब्र का मफू यह है कि अगर हाथ पांव काटकर फांसी पर लटका दिया जाए जब भी मुंह
से उफ ना निकले चुनांचे जब आपको सूली पर चढ़ाया गया तो उफ तक नहीं की हालात जब
हजरत शिबली आपको कत्ल करने की नियत से पहुंचे तो आपने फरमाया कि मैंने एक ऐसे
अहम काम का कसदार लिया है जिसकी वजह से मुझ पर दीवानगी तारी है और मैं खुद अपनी
मौत को दावत दे रहा हूं लिहाजा तुम मुझको कतल कर दो आपके इन कलि मात से बहुत से लोग
बर्गस्ता हो गए और खलीफा को भी आपकी जानिब से बजन कर दिया हत्ता कि अनलहक कहने की
वजह से कुफ्र का फतवा आयद कर दिया गया और जब आपसे सवाल किया गया कि बंदे का दावा
खुदाई करना दाखिल कुफ्र है तो आपने जवाब दिया कि वह हकीकत हमा औसत है और तुम्हारे
कौल के मुताबिक वो गुम नहीं हुआ है लेकिन हुसैन गुम हो गया है और बहरे मुहीत में
किसी किस्म की कमी या ज्यादती मुमकिन नहीं और जब लोगों ने हजरत जुनैद से अर्ज किया
कि क्या मंसूर के कॉल में किसी तरह की तावी हो सकती है या नहीं उन्होंने फरमाया कि अब तुम लोग इस सिलसिला में कुछ ना कहो
के अब तावी का वक्त गुजर चुका है चुनांचे उलमा की एक जमात और खलीफा वगैरा सब आपसे
नाराज हो गए और एक बर्स तक आपको कैदखाना में डाले रखा लेकिन आपके मुआ तक दीन वहां
भी पहुंच रहे थे और आप इनके मसाइल का तसल्ली बख्श जवाब देते थे फिर आपके पास
लोगों को जाने की मु मानि कर दी गई और पांच माह तक एक फर्द भी आपके पास नहीं
पहुंचा मगर इस अरसा में बाज बुजुर्गों ने आपके पास दो अफराद भेजकर यह कहलवान अल हक
कहने से तौबा कर लो ताकि कैद से रिहा कर दिया जाओ आपने खुद जवाब दिया कि मैं मजूर
हूं फिर एक मर्तबा हजरत अता खुद भी आपके पास गए लेकिन आपने उन्हें भी वही जवाब
दिया जिस दिन आपको कैद में डाला तो रात को जब लोगों ने जाकर देखा तो आप वहां नहीं थे
और दूसरी शब में ना कैद खाना मौजूद था ना आप थे और तीसरी शब में दोनों मौजूद थे और
जब लोगों ने वजह पूछी तो फरमाया कि पहली शब मैं तो हजूर की खिदमत में था और दूसरी
शब हजूर यहां तशरीफ फरमा थे इसलिए कैदखाना गुम हो गया था और अब मुझे शरीयत के
तहफ्फुज की खातिर यहां फिर भेज दिया गया है आप कैदखाना के अंदर एक रात दिन में
1000 रकत अदा किया करते थे फिर जब लोगों ने पूछा कि जब अनल हक खुद आप हैं तो फिर
नमाज किसकी पढते हैं फरमाया कि अपना मर्तबा हम खुद समझते हैं कैदखाना में आपके
अलावा और भी 300 कैदी मौजूद थे और जब आपने उनसे कहा कि क्या तुमको रिहा कर दूं तो
उन्होंने जवाब दिया कि अगर यह ताकत है तो फिर तुम क्यों यहां आए आपने इशारा किया तो
तमाम कैदियों की बेड़ियां टूट गई और जब दोबारा इशारा किया तो तमाम फल टूट गए फिर
आपने कैदियों से फरमाया कि जाओ हमने तुम्हें रिहा कर दिया और जब कैदियों ने
कहा कि आप भी हमारे साथ चलिए तो फरमाया कि मुझे अपने आका के साथ एक ऐसा राज वाबस्ता
है जो सूली पर चढ़े बगैर हल नहीं हो सकता ग मैं अपने आका का कैदी हूं लेकिन शरीयत
की पास दारी भी वाजिब है चुनांचे सुभाह को देखा गया तो तमाम कैदी फरार हो चुके थे और
आपके सिवा वहां कोई और नहीं था और जब आपसे सवाल किया गया तो आपने ने फरमाया कि हमने
सबको रिहा कर दिया और हम इसलिए ठहर गए हैं कि हमारे आका का हम पर अताब नाजिल है और
जब यह इत्तला खलीफा को पहुंची तो उसने हुक्म दिया कि इन्हें कोड़े मार मार कर
फौरन कत्ल कर दिया जाए चुनांचे तामील हुक्म की खातिर कैद खाने से बाहर लाकर जब
आपको 300 कौड़े लगाए गए तो आप इंतहा सब्र तहल के साथ एक ही हालत में खड़े रहे और
जिसने आपको कोड़े लगाए उसका बयान है कि हर कोड़े पर यह आवाज सुन ता हूं या इब्न
मंसूर अल तख यानी ऐ इब्ने मंसूर खौफ जदा ना हो और जिस वक्त आपको सूली दी जाने वाली
थी तो एक लाख अफराद का वहां इस्तमा था और आप हर सिमत देखकर हक हक और अनल हक कह रहे
थे इसी वक्त किसी अहल ने पूछा कि इश्क किसको कहते हैं फरमाया कि आज कल और परसों
में तुझको मालूम हो जाएगा चुनांचे उसी दिन आपको फांसी दे दी गई अगले दिन आपकी नाश को
जलाया गया और तीसरे दिन ख हवा में उड़ा दी गई गोया आपके कॉल के मुताबिक इश्क का सही
मफू यह है कि जब आपके खादिम ने वसीयत करने के मुतालिक अर्ज किया तो फरमाया कि अपने
नफ्स को तमाम आलाय के दुनियावी से खाली कर लो वरना यह नफ्स तुझको ऐसी चीजों में फांस
देगा जो तेरे बस की ना होंगी और जब आपके साहिबजादे ने वसीयत की ख्वाहिश की तो
फरमाया कि सारा आलिम आमाल सालि की कोशिश करता है लेकिन तुझे इल्म हकीकत हासिल करना
चाहिए क्योंकि इल्म हकीकी का एक नुक्ता भी तमाम आमाल सालहा पर भारी होता है फिर आप
जिस वक्त शदान और फरहान टहलते हुए सूली की जानिब बढ़े तो लोगों ने सवाल किया क्या आप
इस कदर मसरूर क्यों हैं फरमाया किसे ज्यादा मुसर्रत का वक्त और कौन सा हो सकता है जबक मैं अपने ठिकाने पर पहुंच रहा हूं
फिर आपने बा आवाज बुलंद मंदर जा जैल दो शेर पढ़े यानी मेरा नदीम जरा सा भी जालिम
नहीं है उसने मुझको ऐसी शराब अता की है जो मेहमान को मेजबान दिया करता है और जब जाम
के कई दौर चल चुके तो तलवार और नता तलब किया गया कि उस शख्स की सजा यही है जो अदह
के सामने माहे तमूरा शराब पीता है फिर जिस दिन आपको फांसी के फंदे के नीचे ले जाया
गया तो आपने पहले बाबुल ताका को बोसा देकर सीढ़ी पर जिस वक्त कदम रखा तो लोगों ने
पूछा कि क्या हाल है फरमाया कि फांसी तो मर्दों का मिजाज है फिर किबला रू होकर
फरमाया कि मैंने जो कुछ तलब किया तूने अता किया फिर जब सूली पर चढ़ते हुए लोगों ने
पूछा क्या आपका अपने मुखालिफ और मत माईन के मुतालिक क्या ख्याल है फरमाया मत माईन
को एक अजर तो इसलिए जरूर हासिल होगा कि वह मुझसे सिर्फ हुस्ने जन रखते हैं और
मुखालिफ को दो सवाब हासिल होंगे क्योंकि वह कुवत तौहीद और शरीयत में सख्ती से खाफ
रहते हैं और शरीयत में असल शय तौहीद है जबकि हुस्ने जन सिर्फ फरा की हैसियत रखता
है फिर आप को जब यह ख्याल आया कि अहदे शबाब में मेरी नजर एक औरत पर पड़ गई थी तो
फरमाया कि इसका बदला इतनी मुद्दत गुजरने के बाद लिया जा रहा है और जब हजरत शिबली
ने पूछा कि तसव्वुफ किसको कहते हैं फरमाया कि जो कुछ तुम देख रहे हो यह तसव्वुफ का
अदना तरीन दर्जा है क्योंकि आला तरीन दर्जा से तो कोई भी वाकिफ नहीं हो सकता
इसके बाद लोगों ने आपको संसार करना शुरू कर दिया जिसको आप निहायत खामोशी से बर्दाश्त करते रहे लेकिन जब हजरत शिबली ने
मिट्टी का एक छोटा सा ढेला मारा तो आपने आह भरी और जब लोगों ने पूछा कि संसारी की
अजियत पर तो खामोश रहे लेकिन मट्टी के छोटे से ढेले पर आपके मुंह से आह क्यों
निकल गई फरमाया कि पत्थर मारने वाले तो मेरी हकीकत से ना वाकिफ हैं लेकिन शिबली
को ढेला इसलिए ना मारना चाहिए था कि वह अच्छी तरह वाकिफ है फिर जब सीढ़ी पर आपकी
हाथ कता किए गए तो मुस्कुराते हुए फरमाया कि लोगों ने गो मेरे जहरी हाथ तो कता कर
दिए हैं लेकिन मेरे बात नहीं हाथ कौन कता कर सकता है जिन्होंने हिम्मत का ताज अर्श
के सर पर से उतारा है इसी तरह जब आपके पांव कता किए गए तो फरमाया गो मेरे जहरी
पांव कता कर दिए गए लेकिन अभी वह बात पांव बाकी हैं जिनसे मैं दोनों आलिम का सफर कर
सकता हूं फिर आपने खून आलूदा हाथों को चेहरे पर मलते हुए फरमाया कि मेरी सुर्खरू
का अच्छी तरह मुशाहिद कराओ क्योंकि खून जवा मर्दों का उबटन होता है फिर खून से
बरेज हाथों को कोह नियों तक फेरते हुए फरमाया कि मैं नमाज इश्क के लिए वजू कर
रहा हूं चुनांचे नमाज इश्क के लिए खून से वजू किया जाता है फिर जब आंखें निकालकर
जुबान कता करने का कसदार कहने की मोहलत दे दो फिर फरमाया कि
अल्लाह मेरे हाथ तेरे रास्ता में कता कर दिए गए आंखें निकाल ली गई और अब सर भी काट
दिया जाएगा लेकिन मैं तेरा शुक्र गुजार हूं कि तूहे मुझे साबित कदम रखा और तुझसे
इल्तजा करता हूं कि इन सब लोगों को भी वही दौलत अता फरमा जो मुझे अता की है फिर जिस
वक्त संसारी शुरू हुई तो आपकी जुबान पर यह कलेमा थे यताई की दोस्ती भी यकता ही कर
देती है फिर आपने एक आयत तिलावत फरमाई जिसका मफू यह था कि उन लोगों के साथ उजल
से काम लिया जाता है जो इस पर ईमान नहीं लाए और अहले ईमान उससे डरते हैं और जानते
हैं कि वह बिला शुबा हक है फिर जिस वक्त आप की जुबान काटी गई तो खलीफा का हुक्म
पहुंचा कि सर भी कलम कर दिया जाए चुनांचे सर कल्म होते वक्त आप कहकहा लगाकर इंतकाल
फरमा गए आपके हर-हर उज से अनलहक की आवाज आने लगी फिर जिस वक्त हर उज को
टुकड़े-टुकड़े कर दिया गया और सिर्फ गर्दन और पुष्ट बाकी रह गए तो इन दोनों हिस्सों
से अनलहक का विरद जारी था जिसकी वजह से आपको अगले दिन खौफ से जला दिया गया कि
कहीं मजीद और कोई फित खड़ा ना हो जाए और आखिरकार जिस्म की राख को दरिया दजला में
डाला गया लेकिन जिस वक्त यह अमल हुआ तो पानी में एक जोश सा पैदा होकर सतह आप पर
कुछ नकू से बनने लगे चुनांचे आपके खादिम को वह वसीयत याद थी जो आपने जिंदगी में
फरमाई थी जिस वक्त मेरी राख को दजला में फेंका जाएगा तो पानी में ऐसा जोशो तूफान
पैदा होगा कि पूरा बगदाद गर्क हो जाएगा लेकिन जब यह कैफियत हुई तो तुम मेरी गढी
दजला को जाकर दिखा देना चुनांचे खादिम ने जब आपकी वसीयत पर अमल किया तो पानी अपनी जगह ठहर गया और तमाम राख जमा होकर साहिल
पर आ गई जिसको लोगों ने निकाल कर दफन कर दिया गर्ज के यह मर्तबा किसी दूसरे बुजुर्ग को हासिल नहीं हुआ चुनांचे एक
बुजुर्ग ने तमाम अहले तरीकत से खिताब करके फरमाया कि जब मंसूर का वाकया सामने आता है
कि इनसे किस किस्म का बर्ताव किया गया तो मुझे बेहद हैरत होती है और मैं यह सोचता
रह जाता हूं कि जिन लोगों ने उनके साथ यह मामला किया इनका हशर में क्या हाल होगा
हजरत अब्बास तूसी कहते हैं कि रोज महशर मंसूर को इसलिए जंजीरों में जकड़ कर पेश
किया जाएगा कि कहीं मैदान हश्र जेरो जबर ना हो जाए किसी बुजुर्ग ने मशक से फरमाया
कि जिस शब में मंसूर को दार पर चढ़ाया गया तो मैं सुबह तक सूली के नीचे मशगूल इबादत
रहा और जिस वक्त दिन नमूद हुआ तो तिफ ने यह निदा दी कि हमने अपने राजों में से एक
राज से इसको मतला कर दिया था जिसको इसने जाहिर करके यह सजा पाई क्योंकि शाही राज
को अफशा करने वाले का यही अंजाम होता है हजरत शिबली से मनुकूल है कि मैं उसी रात
आपके मिजार पर पहुंचकर तमाम शब इबादत करता रहा और सुबह के वक्त अपनी मुनाजात में
अल्लाह ताला से अर्ज किया कि यह एक मोमिन बंदा था तूने एक ऐसे आरिफ और मोहिब को जो
वहदत परस्त था ऐसे अजाब में मुब्तला किया हजरत शिबली फरमाते हैं कि अभी यह दुआ पूरी
भी ना होने पाई थी कि मुझे ंग आ गई और मैंने देखा कि कयामत कायम है और अल्लाह ताला फरमा रहे हैं हमने मंसूर के साथ यह
मामला इसलिए किया कि वह हमारे राज को गैरों पर जाहिर कर देता था और जो राज इसको
दरिया दजला पर जाहिर करना चाहिए था उसने दूसरे लोगों पर बर मला जाहिर कर दिया था
जब हजरत शिबली ने दूसरी रात आपको को ख्वाब में देखकर पूछा कि खुदा ताला ने आपके साथ
कैसा मामला किया फरमाया कि अपनी नवाजिश से मुझे कसरे सदक में उतारा फिर हजरत शिबली
ने पूछा कि इन दो ग्रहों के साथ क्या बर्ताव किया गया जो आपको अच्छा और बुरा
कहते थे फरमाया कि दोनों ग्रहों पर अपनी रहमत नाजिल फरमाई एक पर तो इसलिए कि उसने
मुझसे वाकिफ होकर मुझ पर मेहरबानियां की और दूसरे गुरुह पर इसलिए कि वह मुझसे
वाकिफ ही नहीं था और सिर्फ खुदा वास्ते मुझसे दुश्मनी रखता था फिर किसी और ने
आपको ख्वाब में देखा कि आप मैदान हश्र में खड़े एक जाम हाथ में लिए हुए हैं और सर
जिस्म से गायब है और जब उसने वजह पूछी तो फरमाया कि अल्लाह ताला सर कलम शुदा लोगों
को ही जाम इनायत फरमाता है हजरत शिबली कहते हैं कि जिस वक्त मंसूर कसूली चढ़ाया
तो शैतान ने सामने आकर कहा कि ऐ शेख आपने अनल हक कहा और मैंने अनल खैर लेकिन आपके
ऊपर रहमत हुई और मेरे ऊपर लानत आखिर इसकी क्या वजह है आपने फरमाया कि तूने अना अपने
लिए इस्तेमाल किया और मैंने खुद ही को दूर करके अनल हक कहा इसी वजह से मुझ पर रहमत
और तुझ पर लानत नाजिल हुई इससे यह अंदाजा किया जा सकता है कि खुदी को अपने से अलहदा
कर देना ही बेहतर है बाब नंबर 71 हजरत अबू बकर वास्ती रहमतुल्ला अल के
हालात मुना किब तारुफ आप अपने दौर के तमाम मशक में तौहीद
और तजत के तबार से सब पर सब कत लिए हुए थे हका का मार्फ में दूसरा कोई आपके हमसफर ना
था कब्ज बस्त की रू से आप कतब आलम और वहदा नियतो विलायत के मसनद नशीन थे इसके अलावा
हजरत जुनेद बगदादी के मतक दीन की पेशवाई का फखर भी आपको हासिल था कहते हैं कि आपका
असली वतन फरवाना था लेकिन शहर वासित में कयाम पजीर हो गए और अपनी कसरे नफ्सी की
वजह से वहां के आवाम में बहुत मकबूल हुए और जिस कदर मुजाहि दत और रियाजत अपने की
है और जो मुकम्मल तवज्जो में आपको हासिल थी वह किसी को मयस्सर ना
सकी इसी वजह से तौहीद के बारे में आपके इरशाद आप ही की जात तक मख सूस रहे इसके
अलावा आपकी इबादत और आपका कलाम द कीक होने की वजह से आम फहम ना था हालात आपको 70
शहरों से शहर बदर किया गया और जिस शहर में दाखिल होते बहुत जल्द वहां से निकाल दिया
जाता था लेकिन शहरे बावर्दी अरसा मुकीम रह सके और वहां के
बाशिंदों का आपसे कुछ
तकादीना पहनाए गए जिसकी वजह से आपको वह जगह भी छोड़नी पड़ी और आखिर में आप मरू
में मुकीम हो गए और ता हयात वहीं कयाम किया और वहां के लोगों ने आपके इरशाद को
समझकर बहुत फ्यूज हासिल किए आपने अपने मतक दीन से फरमाया कि मैंने सने बलूक को पहुंच
कर ना दिन को खाना खाया और ना रात में कभी आराम किया फिर फरमाया कि एक दिन मैं किसी
काम से बागीचा में पहुंचा तो एक छोटे से परिंदे ने मेरे सर पर उड़ना शुरू किया और
मैंने इसको पकड़कर जब अपने हाथ में दबा लिया तो एक और छोटा सा परिंदा आया और मेरे
सर पर चीखने लगा इस वक्त मुझे ख्याल आया कि मेरे हाथ में जो परिंदा है या तो उस
आने वाले परिंदा का बच्चा है या उसकी मादा चुनांचे मैंने अजरा तरह इस परिंदे को छोड़
दिया लेकिन उसके बाद जो मैं बीमार हुआ तो मुसलसल एक साल तक बीमार पड़ा रहा फिर एक
रात मैंने ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की जियारत से मुशरफ होकर अर्ज किया कि अपनी बीमारी और
लागरी की वजह से एक साल से बैठकर नमाज अदा करता रहा हूं लिहाजा आप मेरे लिए दुआ फरमा
दें लेकिन हुजूर ने फरमाया कि यह हालत उस परिंदे की शिकायत की वजह से हुई है जो
उसने हुजूर में की है इसलिए मुझसे किसी किस्म की माजर बेनतीजा है फिर एक दिन
बीमारी के दौरान जब तकिया सहारे बैठा हुआ था तो एक बहुत बड़ा सांप बिल्ली के बच्चे
को मुंह में दबाए हुए नमूद हुआ और मैंने इसको डंडा मारा कि वह बच्चा इसके मुंह से निकल गया और एक बिल्ली आकर इसको अपने साथ
ले गई जिसके जाते ही मैं फौरन सेहत याबो गया और खड़े होकर नमाज अदा करने लगा फिर
उसी शब हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ख्वाब में देखकर अर्ज किया क्या आज
बिल्कुल तंदुरुस्त हो गया हूं तो आपने फरमाया कि एक बिल्ली ने हुजूर में तेरा
शुक्रिया अदा किया है एक दिन आप अपने मतक दन के हमराह अपने मकान में तशरीफ फरमा थे
कि मकान के एक सुराख में से धूप के किरण अंदर आ गई जिससे लाखों जर्रा थरथरा हुए
महसूस हो रहे थे आपने लोगों से पूछा कि तुम्हें इन जरा की थरथराहट से कोई परेशानी
तो नहीं होती लोगों ने अर्ज किया कि नहीं आपने फरमाया कि मोहित की शान ही यह है कि
इस तरह इसको दोनों आलिम भी लर्ज नजर आने लगे तो इसके कल्ब पर खौफ और हरासू फरमाया
कि खुदा को याद करने वालों को ज्यादा गफलत होती है बनिस्बत इनके जो खुदा को याद नहीं
करते क्योंकि अहले हक का जिक्र हक की कमी से रू गर्दानी करना हक को फरामोश करने
वालों से ज्यादा गफलत का बायस है क्योंकि इनको यह एहसास ही बाकी नहीं रहता कि वह हक के हजूर में हाजिर हैं लेकिन जिक्र हक
करने वालों को बे हजूरी के आलिम में यह तसव्वुर कर लेना कि वह जिक्र हक में हाजिर
नहीं ज्यादा गफलत का नतीजा है इसलिए तालिबान हकीकत की हलाक इनके बातिल तसव्वुर
में मुजमिल होती है और जब इन तसव्वुर में इजाफा हो जाता है तो दीनी काम घट जाता है
दुनियावी काम बढ़ जाता है क्योंकि तसव्वुर की हकीकत हिम्मत अकल पर मबन होती है और
अकल का हसूल हिम्मत ही से वाबस्ता है और बंदा ख्वा हाजिर हो या गैर हाजिर लेकिन
जिक्र की हकीकत यह है कि जब गैर हाजिर अपने वजूद से गैर हाजिर हो और हक के साथ
हाजिर रहे तो गोया वह जिक्र में नहीं बल्कि मुशाहिद के आलम में है और जब अपने
वजूद से हाजिर रहकर गैर हाजिर हो तो जाकिर होने के बावजूद भी इसके जिक्र की कोई
असलियत नहीं होती और इसी को गफलत से ताबीर किया जाता है एक दिन शफाखाना में आपने
किसी देवाने को इस आलिम में देखा कि वह शोर गुगा कर रहा है तो आपने फरमाया कि
अपनी वजनी बेड़ियों के बावजूद तुम शोर मचा रहे हो और खामोशी इख्तियार नहीं करते उसने
जवाब दिया कि बेड़ियां तो मेरे पांव में पड़ी हुई हैं ना कि मेरे कल्ब में एक दिन
यहूदियों के कब्रिस्तान में से गुजरते हुए आपकी जुबान से निकल गया कि यह कौम तो गैर
मुक और मजूर है लोग यह जुमला सुनकर आपको काजी के पास पकड़ कर ले गए और जब काज ने
आपको बुरा भला कहा तो फरमा फरमाया कि जब खुदा ही का यह हुक्म है कि यह गैर मुक और
मजूर हैं तो यकीनन गैर मुक हैं आपका एक अकीदत मंद जल्दी-जल्दी गुस्ल करके जुमा की
नमाज के लिए मस्जिद की तरफ रवाना हुआ तो रास्ता में इस बुरी तरह गिर गया कि तमाम
चेहरा छिल गया जिसकी वजह से वापस आकर उसने दोबारा गुसल किया आपने फरमाया कि इस अजियत
से तुझको इसलिए खुश होना चाहिए कि तुझे महज अजियत इसलिए पहुंचाई गई है कि वह
तुझसे खुश रहे और अगर वह तेरे साथ ऐसा सलूक ना करें तो तुझे समझ लेना चाहिए कि
इसकी तेरी जानिब तवज्जो नहीं है एक मर्तबा आपने निशापुर पहुंचकर हजरत अबू उस्मान के
मतक दीन से पूछा कि तुम्हारे मुर्शद ने तुम्हें क्या तालीम दी है उन्होंने अर्ज
किया कि हमेशा बगावत करने और गुनाह पर नजर रखने की तालीम दी है आपने फरमाया कि यह तो
सरासर तकब्बल तखक करने वाले के मुशाहिद और उसकी मफत की
रगत पैदा नहीं करती अबू सईद अबू अलखैर ने जब आपकी जियारत के लिए मरू जाने का कसदार
से फरमाया कि अस्तं जाार्मेटर
है फरमाया कि वह शेख अबू बक्र की कयाम गाह है जो अपने दौर के ऐसे मोहिदीन में से हैं
जिनकी वजह से मरू की खाक जिंदा है जिंदा खाक को इस्तंजा से नापाक नहीं किया जा
सकता अकवाले इरशाद हजरत अबू बकर वास्ती के अकवाले जरी मुलाहिजा फरमाइए आप फरमाते हैं
कि राहे हक में मखलूक का कोई वजूद नहीं और ना हक की राह में हक है यानी हमा औसत के
सिवा कुछ नहीं फरमाया कि जिसने अपनी जानिब मुंह करके दीन की तरफ पुष्ट कर ली या
जिसने इसके बरक्स किया तो इसको खुद नाम मुरादी में मुब्तला कर लिया फिर फरमाया कि
शरीयत ऐन तौहीद है और शर तौहीद का गुजर बहरे नबूवत तक होता है जबकि हक तौहीद बहरे
बेकरा है और शरीयत की राहें समाओ बसरे काल और शना करत हाल से लबरेज हैं और तमाम
चीजें असबाब की जानिब इशारा करती हैं जिसमें शिर्क मुजमिल होता है लेकिन वहदा
नियत शिर्क मुनज्जा और पाक है और इसी को ऐन ईमान कहा जा सकता है और जिसमें ईमान का
बराह रास्त खुदा से ताल्लुक हो वह बहुत ही बुलंद शय है वरना शिर्क को हरगिज पसंद
नहीं किया जा सकता इसी तरह मफत इल्म और हाल यह मखलूक और बहर आफरी में गर्क हैं और
इनकी रहबरी के असबाब अंबिया कराम ही के जरिया से मिलते हैं जिसकी बदौलत खलकत
बशरतपुर
निकाबी स्ती की जानिब ले जाता है जबकि शमा बजाते खुद तो मौजूद रहती है लेकिन इसका
अदम वजूद बराबर होता है इससे यह अंदाजा किया जा सकता है कि जिस तरह नूर शमा को
नूर आफताब से कोई निस्बत नहीं हो सकती इसी तरह शर तौहीद और लिसान बात भी महविश को
कबूल नहीं करते और जिस वक्त इंसान कल्ब तक रसाई हासिल कर लेता है तो जबान गंग हो
जाती है और जिस्म कल्ब दोनों आलम महब में पहुंच जाते हैं और इस वक्त जो कुछ भी जबान
से निकलता है व मन जानिब अल्लाह हुआ करता है लेकिन यह बात जात में नहीं बल्कि सिफात
में है क्योंकि सिफत तब्दील हो सकती है लेकिन जात नहीं बदलती जिस तरह आफताब की हद
पानी को गर्म करके इसकी सिफत को तब्दील कर देती है लेकिन माहियवंशी
के हक में इरशाद फरमाता है यानी सिफत में मुर्दा है मगर सूरत में जिंदा इसका दूसरा
मफू यह भी हो सकता है कि अगर आलम हस्ती में तो जिंदा है लेकिन आलिम बाला के तबार
से मुर्दा हैं इसके बरक्स मोमिनीन के बारे में खुदा का इरशाद है यानी वह अपने रब के
पास जिंदा हैं लिहाजा बंदे को चाहिए कि वह राहे मौला में जानि सारी के साथ खुद को
मदूर करता रहे जिस तरह जमात सूफ सफिया मालूम होकर भी मौजूद रहती है और सूफिया के
इलावा मौजूद ना होकर भी मालूम है इससे यह साबित होता है कि जिसने खुद को जिंदा कर
लिया वह हमेशा जिंदा रहता है क्योंकि जिस्मानी मौत को अदम से ताबीर नहीं किया
जा सकता लेकिन जिस्मानी अदम को अदम ही कहा जाएगा क्योंकि जिस जगह वुजूद होता है वहां
रूह भी ना महरम हो जाती है फिर इज साम का तो जिक्र ही क्या है फरमाया कि तौहीद वजूद
को शनातन की किसी में भी ताकत नहीं है और ना किसी में जुरत है कि सहराय वजूद में
कदम रख सके जैसा कि मशक कराम का कौल है कि असबा तोल तौहीद फसाद फिल तौहीद यानी तौहीद
का साबित करना भी तौहीद में फसाद का बायस है और शिर्क पर गवाही देने के मुत आदि है
क्योंकि जिसने अपने वजूद के मुकाबले में अपने वजूद का राग अलापा उसने गोया अपने
कुफ्र पर दस्तखत कर दिए और जिसने इसके वजूद के मुकाबले में अपने-अपने वजूद पर
नजर डाली वह कतई काफिर हो गया और जिसने अपनी हस्ती के मुकाबले में उसकी हस्ती तलब
की तो वह ना शनातन खुद को देखते हुए इसको ना देखा या जिसने आलिम बेखुदी में उस पर
अपनी जान तसदुक कर दी तो उसने शर्फ और इज्जत का मर्तबा हासिल कर लिया और इसको
अल्लाह ताला ने अपनी बारगाह से खिलाफत अता करके भेजा ताकि विलायत इंसानियत में इसका
नायब बन सके फिर ऐसे नायब के लिए ना बारत इशारा ना जुबानो दिल ना हर्फ और कलमा ना
सरतो फहम कुछ भी बाकी नहीं रहते और अगर वह इशारा से काम ले तो शिर्क तसव्वुर किया
जाएगा और अगर कोई यह कहता है कि मैंने इसको जान लिया तो यह नादानी में शामिल है
और अगर कहे कि मैंने इसको शनातन यह कहे कि मैंने नहीं पहचाना तो
मखजन दूद है क्योंकि गुफ तो शनीदेवाची
सरतो दीद यह तमाम चीजें बशरी अत से आलूदा हैं और तौहीद की शिनाख्त बशरी अत से
मुनज्जा और पाकीजा है क्योंकि वहद ला शरी कला का लह यही मुक्तता है कि अलही बशरी के
साथ वही सलूक करे जो हजरत मूसा के अस्सा ने फिरौन के जादूगरों के साथ किया फरमाया
अल्लाह ताला का नूर अपनी पनाह में हर शय को लिए हुए यह सदा दे रहा है कि सहराय
वजूद में कदम ना रखना वरना आतिशे गैरत सबको जलाकर राख कर देगी हम खुद ही तुमको
रिजक पहुंचाते रहते हैं फरमाया कि मशा के असरार रोजा तौहीद है ना कि ऐन तौहीद और
जहां इसकी अजमत और कि बियाई है वहां मखलूक का वजूद और अदम दोनों बराबर हैं जहां
तौहीद का वजूद हो वहां फानी अपना इंकार नहीं कर सकता क्योंकि अपना इंकार कुदरत का
इंकार है और अस बात भी इसलिए नहीं कर सकते कि तौहीद में फसाद आता है इससे मालूम हुआ
कि ना मजाल अस् बात है ना मजाल मनफी फरमाया कि तमाम अर्जो समा में तस्बीह और
तहलील के जबान तो मौजूद है लेकिन कल्ब का वजूद नहीं क्योंकि कल्ब सवाए हजरत आदम और
उनकी औलाद के किसी को अता नहीं किया गया और कलब ही वह शय है जो शहवत और नेमत और
जरूरत और इख्तियार की राह तुम्हारे ऊपर मदूर कर देता है और तुम्हारा रहबर बन जाता
है इसलिए की जुबान के बजाय लिसान कल्ब की जरूरत है जो तुम्हें अपनी जानिब
मतवल वही है कि जो माबूद उसके जिस्मो जान में है उसके मुकाबले में शैतान पर लानत
करने के बजाय अपने नफ्स को दबाकर खुद अपने ही ऊपर जुल्म करें क्योंकि इब्लीस का यह
कौल है कि ऐ बंदे मेरे चेहरे को आईना बनाकर तेरे सामने और तेरे चेहरे को आईना
बनाकर मेरे सामने रखा आ गया है इसलिए मैं तुझको देखकर अपने ऊपर रोता हूं और तू
मुझको देखकर अपने ऊपर मुस्कुराता है इससे मालूम हुआ कि तरीकत शैतान ही से सीखनी
चाहिए जिसने ना तो खुदा के अलावा किसी के सामने सर झुकाया और ना आलिम की मलामत कबूल
करके इस रास्ता पर गामजीन हुआ कि सही मानों में जवां मर्द वही निकला लेकिन तुम
अपने कल्ब से दरयाफ्त करो कि अगर दोनों जहान तुम पर मलामत के तीर बरसाए तो
तुम्हारा क्या हाल होगा लिहाजा इस रास्ता में बहुत संभलकर कदम रखने की जरूरत है और
अगर तुम्हें यकीन है कि दुनिया की मलामत तुम्हारे बारे खातिर ना होगी तो फिर बिस्मिल्लाह शराबे वहदा नियत का मजा चखो
लेकिन अगर तुमने दुनिया की हकीर सी शय को भी कबूलियत की निगाह से देखा तो समझ लो कि
तुमने अहदे अल असरत की खिलाफ वर्जी करते हुए नक्स अहद किया है और तुम जरा बराबर भी
नाफरमान और रू गर्दानी के मुरत हो गए तो तुम्हारी दोस्ती और विलायत खुदा के साथ
मुकम्मल नहीं रही और ऐसी शय कभी तलब ना करो जो तुम्हें खुद तलब करती हो मसलन
जन्नत और इस चीज से फरात इख्तियार करो जो तुमसे खुद गरेजा हो जैसे जहन्नुम बल्कि
खुदा से वह शय तलब करो कि जब वह शय तुम्हें हासिल हो जाए तो हर चीज तुम्हारे
आगे कम्र बस्ता नजर आएगी फरमाया कि तुम्हारा हर उज दूसरे उज में इस तरह गुम
और महब हो जाना चाहिए कि राहे खुदा में दोई का शायबा भी बाकी ना रहे क्योंकि यह
शिर्क में दाखिल है यानी ना जुबान को यह इल्म हो सके कि आंख ने क्या देखा और ना
आंख को पता चले कि जुबान ने क्या कहा गर्ज कि तुमसे हर मुतालिक शय मुशाहिद इलाहिया
में मेहव होकर रह जाना चाहिए और सहराई हकीकत में कदम रखने वालों के लिए जरूरी है
कि तमाम हिजा बात उसके सामने से इस तरह से उठ जाएं इसका वजूद तमाम अश्या से जुदा
महसूस होने लगे फरमाया कि सही मानों में बंदा वही है जिसके कौल का रोख हजूर अकरम
की जानिब हो और उसके कलाम से किसी को अजियत ना पहुंचे और मुखालिफ ों
[संगीत] मुवाफीनामा
मारफ नफ्स की जुबान से अदा होता है उससे तकब्बल की झलक आने लगती है और इस कलाम को
जो भी सुनता है उसके सीना से जिंदगी के चश्मे खुश्क होकर रह जाते हैं और इन चश्मों से कभी हिकमत मोजन नहीं होती और जो
शख्स अपने मकान से चलने के बाद घर वापस आने का रास्ता भी जानता हो इसकी बात राहे
तरीकत में मुस्लिम नहीं क्योंकि अल्लाह वाले तो कल्ब के नूर से चलते हैं जबकि आम
लोग नाबी ना हो जाने की वजह से अस्सा के सहारे चलते हैं और जिसको यह एहसास बाकी
रहे कि वह क्या कह रहा है कहां कह रहा है उसकी बात राहे तरीकत में तस्लीम नहीं की
जा सकती फरमाया कि शिर्क अमेज एक खलत ऐसा भेजा गया है जैसे शर्बत में जहर की आमे
जिश कर दी गई हो फिर किसी को करामत किसी को फरासत किसी को हिकमत और किसी को
शनातन जो मकसूद असली को नजरअंदाज करके
खिलत का आशिक हो जाता है वह मकसूद असली से दूर हो जाता है क्योंकि यह तमाम मुका मात
शरीयत के हैं और जो लोग अद वरा तवक तस्लीम तवीज और रजा और खलास यकीन की रोशनी में
चलते हैं वह दरह कीक राहे तरीकत पर गाम जन होते हैं लेकिन जो लोग रूह की सवारी पर
सफर करते हैं उनके यहां ना जहद वरा है और तवक ना तस्लीम फिर फरमाया कि पूरी मखलूक
आलिम अबू दियत में गोता जन होने के बावजूद भी इसकी तह तक नहीं पहुंच सकी और ना कोई
बहरे अबू दियत को कर सका और जब तुम पर यह राज मु कशि हो जाएगा तो तुम्हें बंदगी
का सलीका भी आ जाएगा क्योंकि हकीकत की राहें सिर्फ अदम में मुजम है और जिस वक्त
तक आदम बंदे का रहनुमा हो रास्ता नजर नहीं आ सकता लेकिन अहले शरा का रास्ता इस बात
में पोशीदा होता है जिसकी रूह से जो शख्स भी अपनी हस्ती की नफी करता है वह जनाद का
में शामिल कर दिया जाता है लेकिन हकीकत की राहों में अस बात का कहीं वजूद नहीं और जो
राहे हकीकत में अपने असबा का इजहार करता है वह कारे मजलक में गिर जाता है फरमाया
चश्म जाहिर जाहिर के सिवा कुछ नहीं देखती और चश्म सिफत सिफत ही का नजारा कर सकती है
लेकिन जिक्र हक में सिर्फ जात ही का मुशाहिद कायम रहता है जिसके लिए जरूरी है
कि तुम्हारे कल्ब में एक ऐसा दरिया मोजन हो जिसमें मगरमच निकलकर इस वस्फ सूरत को
निकल जाए जो आले में मौजूद है इससे मालूम हुआ कि दौलत सहादत सिर्फ आदम ही में
मुजमिल है और वजूद की
शकावली कत में वजूद नहीं बल्कि अदम है और जिसको अदम ख्याल करते हैं वह अदम नहीं
क्योंकि मालूम होना ऐन वजूद और मेहव होना ऐन अस बात है जिसके दोनों किनारे हदूद से
पाक हैं फरमाया कि मुरीद इब्तिदा कदम में तो मुख्तार होता है और आखरी कदम में व खुद
मुकम्मल अख्तियार बन जाता है और इसका इल्म अपनी जहलो नादानी का खुद मुशाहिद करने
लगता है और इसकी हस्ती अपनी नेस्सी का निजारा करने लगती है और इसका इख्तियार
अपनी बे इख्तियार को देखता रहता है इन अकबाल की इससे ज्यादा वजाहत इसलिए नहीं की
जा सकती कि यह कलाम मुनी का महरम नहीं हो सकता फरमाया कि अगर तुम मुजाहिद को जानना
भी चाहो जब भी नहीं जान सकते और इसकी मिसाल ऐसी है जैसे कोई पेशाब को धो लेने
के बाद यह कहे कि यह चीज पाक हो गई है गो इससे मैल को चैल तो छूट सकता है लेकिन इसको पाक नहीं कहा जा सकता फरमाया कि वो
अश्या जो किसी भी नाम से मसू है दस्त कुदरत में जर्रे से भी कमतर हैसियत रखती
हैं फरमाया कि हम बजहर अजलो अबद से आए हैं और इसमें भी शक नहीं कि अजलो अबद रबू बियत
की निशानी है फरमाया के हक जाहिर होने के बाद अकल पर जवाल आ जाता है और हक बंदे से
जितना करीब होता जाता है अकल फरार इख्तियार करती जाती है क्योंकि अकल खुद
आजिज है और आजिज के जरिया जिस शय का भी इल्म होगा वह भी आजिज ही होगा फरमाया कि
अफजल तरीन इबादत अपने औकात से गायब रहना है फरमाया कि जहद सब्र तवक्कोल और रजा यह
चारों चीजें कालि की सफात में से हैं लेकिन लिब की सिफात रूह की सिफात नहीं हो
सकती और चूंकि इशारा का लिब बाकी नहीं रहता इसलिए चारों चीजें इससे मुनासिब नहीं
रखती फरमाया कि इखलास और सफा और सदको हया की निगरानी से अजलो अबद की निगरानी ज्यादा
अफजल है फिर फरमाया कि जिसने वहदा नियत को समझ लिया वह मकसूद तक पहुंच गया फरमाया कि
ख्वा गुनाह सगीरा हो या कबीरा दोनों इनायत रियायत की बेकनी कर देते हैं फरमाया कि
अल्लाह ताला अपने बंदों को अफलास ख्वारी में देखना ज्यादा पसंद करता है बनिस्बत इसके के गुरूर इल्म और इज्जत के रूप में
देखें फिर फरमाया कि जिसका मकसूद वहदा नियत से हटकर हो वह खसारे में रहता है
फरमाया कि राहे हक में मिट जाने वाले की जबान से जब बे इख्तियार तौर पर वाहिद
निकलने लगे वही हक को वाहिद कहने का मुस्तक होता है फरमाया कि जिस तरह सदक गो
बंदों ने अकाक और इसरार के बारे में सदक से काम लिया इसी तरह हक की हकीकत में
दरोगी से काम लिया फरमाया कि सबसे ज्यादा बदतर मखलूक वह है जो तकदीर से जंग करे
यानी अगर कोई चाहे कि तकदीर अजली के खिलाफ कोई चीज ना हो तो यह किसी तरह मुमकिन नहीं
फरमाया कि बंदों की चार किस्में हैं और अव्वल वो जिन्होंने पहचाना और तलब किया
दोम वो जिन्होंने तलब किया लेकिन नहीं पा सके सोम वो जिन्होंने पा लिया लेकिन उससे
मुफद हासिल ना कर सके चरम वो जिन्होंने पहचाना लेकिन तलब नहीं किया फिर फरमाया कि
वफा पर कायम रहने वालों को दुनियावी तगरा की कतन परवाह नहीं होती फिर फरमाया कि
मारफ की दो किस्में हैं एक मारफ खुसूसी दो मारफ से असबाब मफत खुसूसी तो वह है जो
अमाओ सिफात दलाल निशानाथ और सबूतो हिजा बात के माब मैन मुश्तरका हो और मार्फत अस
बात वो है कि इसमें जानिबे राह ना मिल सके और इसकी अलामत यह है कि बंदे की मफत तो
तहस नहस कर दे फरमाया कि तमाम हजरात को यजा मजत मा करके सिर्फ एक ही खतरे पर
मुतमइन हो जाना चाहिए और तमाम अशय दीदी को सिर्फ एक ही निगाह से मुशाहिद करना चाहिए
क्योंकि तमाम देखने वालों की नजर एक ही होती है जैसा कि बारी ताला ने फरमाया कि तुम सब का पैदा करना और मरने के बाद जिंदा
करना मेरे लिए इसी कदर आसान है जितना कि एक नफ्स का पैदा करना और जलाना आसान है
फरमाया कि रूहे आलिम हिजाब कौन से बाहर नहीं आई है क्योंकि अगर ऐसा होता तो कल्ब
भी बाहर आ जाता इस कॉल का मफू हर शख्स नहीं सम समझ सकता फरमाया कि हर मौजूद के
लिए सबसे बड़ा हिजाब इसका वजूद है फरमाया कि कल्ब पर जहूर हक के बाद खौफ और रजा
मादूपू बियत से आगाह होकर इसका मुशाहिद करते रहते
हैं और इसके सिवा किसी पर नजर नहीं डालते लेकिन आवाम के इसरार चूंकि कमजोर हैं
इसलिए वह मंबा हक से दूर होकर इसकी सिफात को भी बर्दाश्त नहीं कर सकते फरमाया कि जब
कलू पर रबू बियत की तजल्ली यात पड़ती हैं तो तमाम असबाब दुनियावी को तबाह कर देती
हैं फरमाया कि अजलो अबद आमाल औकात और दावर सब एक बर्क की तरह हैं जैसा कि हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि मुझे अल्लाह के साथ एक ऐसा वक्त हासिल है
जिसमें खुदा के सिवा किसी का गुजर नहीं फरमाया कि तमाम निस्बत में अफजल तरीन निस्बत यह है कि बंदा बंदा ही बनकर निस्बत
अबू दियत की जुस्तजू करता रहे फरमाया कि मखलूक कितनी ही अजमल म बत क्यों ना हो
बारगाह रब्बुल इज्जत में पहुंचकर नेस तो नाबूत हो जाती है फिर फरमाया कि कुदरत से
कोई जंग नहीं कर सकता फरमाया कि ख्वाहिश जन्नत में इबादत करने वाले खुद को खुदा के
काम का तसव्वुर करने लगते हैं हालांकि वह इस काम के नहीं होते बल्कि महज अपने नफ्स
का काम अंजाम देते हैं फरमाया खुदा को याद करने वाले खुदा से ज्यादा दूर रहते हैं
जैसा कि बारी ताला का इरशाद है जिसने अल्लाह को पहचाना गूंगा हो गया फरमाया कि
अल्लाह ताला की ताजमहल यह है कि बंदा दोनों जहान के वसाय असबाब से बे नियाज
होकर सिर्फ इसी की तरफ निगाह रखे फरमाया कि हर जिस्म तारीक है और कल्ब इसका चिराग
है लेकिन जिसके पास कल्ब नहीं व तारी कियों में भटकता रहता है फरमाया कि मैं
ऐसे खुदा से खुश नहीं जो मेरी इबादत से खुश और मेरी नाफरमानी से नाखुश हो बल्कि
दोस्त तो रोज अजल ही से दोस्त और दुश्मन अजल ही से दुश्मन है फरमाया कि हर शय से
वही बे नियाज हो सकता है जो खुद को और तमाम चीजों को खुदा की मलकीत तसव्वुर करता
हो फरमाया कि कुलूब की बका खुदा ही की जात से वाबस्ता है लिहाजा खुदा में फना हो
जाना चाहिए फरमाया कि लगज नफ्स को देखकर नफ्स की मलामत करना शिर्क है फरमाया कि
जिस वक्त नफ्स में कोई गर्ज बाकी रहती है मुशाहिद का मर्तबा हासिल नहीं हो सकता और
ना खुदा की मोहब्बत सही हो सकती है बल्कि इश्क सादिक तो यह है इसके मुशाहिद में इस तरह गर्क हो जाए कि
तमाम चीजों को भूलकर मोहब्बत में फना हो जाए फरमाया कि सिवाए मोहब्बत के तमाम
सिफात में रहमत मुजमिल है और मोहब्बत में रहमत का मुआवजा कत्ल है और कत्ल के बाद भी
मकतूल से खूं बहा तलब किया जाता है फरमाया कि हरकत और सुकून से बे नियाज हो जाने का
नाम
बूदतमीज के मकबूल तौबा वही है जो बंदा गुनाह से कबल कर ले फरमाया कि बैम रजा
हासिल करने वाला गुस्ताखी और बेअदबी का मर्तक नहीं हो सकता फिर फरमाया कि तौबा ए
नसू की तारीफ यह है कि तायब होने वाले के जाहिर और बातिन पर मासि अत का असर बाकी ना
रहे और जिसको तौबा नसू हासिल होती है वह हर शय से बेखौफ हो जाता है फरमाया कि जो
जाहिद अपने जहद की वजह से दुनिया के सामने तकब्बल करता है वह जहद का सिर्फ मदही होता
है इसलिए कि अगर इसके कल्ब में दुनिया की वकत बाकी ना रहे तो फिर वोह अहले दुनिया
से तकब्बल नहीं कर सकता फरमाया कि जाहिद का यह कहना है कि हम फलां चीज को मायू तसव्वुर करते हैं बहुत बुरा है फरमाया कि
बंदे की मारफ से हक उस वक्त तक सही नहीं हो सकती जब तक इसकी सिफत नयाज मंदी बाकी
रहती है फरमाया कि खुदा शनास बंदा ना तो मखलूक से कोई वास्ता रखता है
ना किसी से कलाम करता है फरमाया कि तात करके मुआवजा की उम्मीद रखना फजल की
फरामोशी से होता है फरमाया कि किस्मत मुकदरा हैं और सिफात तखक शुदा हैं और जब
किस्मत मुकद्दर है तो फिर कोशिश से क्या हासिल हो सकता है फरमाया कि आरफीन कुर्बे
इलाही में परवाज करते रहते हैं और इसी से इनकी हयात वाबस्ता है फरमाया कि तौहीद
शनास वही है जो अर्श से फर्श तक तमाम चीजों को तौहीद के आईना में देखते हुए
खुदा की वहदा नियत के राज मालूम करें फरमाया कि हदे इमकान तक रजा से काम ना लो
क्योंकि रजा से काम लेने वाले लज्जत रयत और मुताल हकीकत से बे बहरा रह जाते हैं
यानी जब रजा से लज्जत हासिल करोगे तो शहद हक से महरूम हो जाओगे फरमाया कि दुनिया
में इससे बड़ा कोई जहर नहीं कि इंसान अतात इबादत पर इजहार मुसरत करें और अपनी इबादत
अतात पर फरिश्ता हो जाए फरमाया कि करामात पर इजहार मुसर्रत तकब्बल और नादानी की
अलामत है फरमाया कि नेमत खुदा वंदी को अपनी अतात का मुआवजा तसव्वुर ना करो बल्कि
खुद को इतना हीच बना लो कि तुम्हें अतात भी हीच मालूम होने लगे इसके बाद खुदा के
नज़दीक फेल की कोई कदर कीमत होती तो हुज़ूर अकरम 40 साल तक खाली ना रहते लेकिन
इसका यह मकसद भी नहीं कि अमल से बिल्कुल कोरे हो जाओ बल्कि यह मफू है कि इस कदर
हासिल कर लो कि अमल की जरूरत ही बाकी ना रहे फरमाया कि जिस वक्त बंदा अल्लाह अकबर
कहता है तो इसका इकरार करता है कि अल्लाह ताला इससे बड़ा है और इसके फेल से खुदा तक
रसाई हासिल हो सकती है या इसके तर्क फेल से जुदा हो सकता है लेकिन मिलना और जुदा
होना हरका तो अफल पर मकू नहीं बल्कि
कजएरियन
में बे ऐब पाक होकर बाहर आता है इसी सी तरह कयामत में बंदे की दौलत सहादत का भी
यही हाल होगा कि अहल अल्लाह की मोहब्बत इस वक्त बे ऐब पाक होकर बाहर आ जाएगी फरमाया
कि बंदा मोमिन की तीन किस्में हैं अव्वल वो जिन लोगों को अल्लाह ताला ने नूर इनायत अता करके एहसान फरमाता है और वह इसके
जरिया मासि अत से मुब्रा और कुफ्र और शिर्क से पाक रहते हैं दूसरे वो लोग जिनको
खुदा ताला नूर इनायत अता करके एहसान फरमाता है और वह नूर इनायत की वजह से
गुनाह सगीरा और कबीरा से मुनज्जा रहते हैं तीसरे वो लोग जिनको अल्लाह ताला किफायत
करके एहसान फरमाता है और इसकी वजह से वह अहले गफलत और खयालात
फासियो को हकीर तसव्वुर करना और जल्द गुस्सा में आ जाना महज अतात नफ्स की वजह
से होता है और नफ्स की अतात से अबू दियत से खारिज होकर रबू बियत का दावेदार होता
है फरमाया कि खुदा शनास बंदा खुद गुम होकर रह जाता है और जो इसके बहरे शौक में गर्क
होता है वह खुद भी फना हो जाता है और जो शख्स तलब जन्नत और खौफ जहन्नुम से बे
नियाज होकर खुदा के लिए आमाल लिहा करता है इसको अपने आमाल का अजर हासिल होता है और
गजबे इलाही में आ जाने वाला फंस कर रह जाता है फरमाया कि खौफ का आला मुकाम यह है
कि बंदा हर लम्हा यह तसव्वुर करता रहे कि खुदा ताला मुझे कहर की नजर से देख रहा है और बहुत जल्द मुब्तला ए अजाब कर देगा और
अहले खौफ के ख्याल से कल्ब और रूह से खुद को इसकी इबादत में मशगूल रखे लेकिन इसमें
यह ख्याल ना आना चाहिए कि इसकी नजरे करम पड़ेगी या नहीं फरमाया कि खौफ की हकीकत
मौत के वक्त मालूम होती है फरमाया कि जाहिर में मखलूक से और बातिन में खालिक से
वाबस्ता रहना चाहिए फरमाया कि इखलास अजम की अलामत यह है कि ना तो बंदा किसी से
मुंत करे और ना कोई इससे दुश्मनी रखे फरमाया कि बंदा खादिम के जिस्म से जो
पसीना निकलता है उसका मर्तबा नदा मत से कहीं ज्यादा है फरमाया कि
इस्तकाम्या सिल है और अगर जज्बा इस्तकाम्या तो तमाम नेकियां ना तमाम है
फरमाया कि हर व शय जो तुम्हारे नफ्स का हिस्सा है वो कजा और कद्र की भेजी हुई है
फरमाया कि फरासत ही वो नूर है जिसका जरिया कल्ब तक रसाई हासिल की जा सकती है और वो
एक ऐसी मारफ है जो गैब से गैब की जानिब इसलिए ले जाती है कि उसके जरिए इन अश्या
का मुशाहिद किया जा सके जो पर्दा ऐब में है और खुदा साहिबे फरात को ऐसी कुदरत अता
कर देता है कि वह कल्ब का हाल बयान करने लगते हैं फरमाया कि अब कौम ने अपनी बेअदबी
को इखलास का नाम दे दिया है और गलबा हिर्स का नाम इन बसात रख लिया है जिसकी वजह से
यह कौम राहे मुस्तकीम से हटकर गलत राहों पर गामजीन गी और बाल और रूह खुश्क महसूस होने
लगती है और इस इस कौम का यह हाल है कि ना तो गुस्सा के बगैर बात करती है और ना
तकब्बल के बगैर खिताब करती है फरमाया कि खुदा ने हमें ऐसे दौर में पैदा किया है
जिसमें ना अदब और सलाम है और ना इखलास है फरमाया कि खुदा ताला ने दुनिया को इस तरह
बनाया है कि जिसमें कसीर तादाद कुत्तों की है और कलील तादाद उन मुकीत फरिश्तों की है
जो ख्वाहिशे रिहाई के बाद भी रिहा ना हो सके यानी खुदा ने दुनिया में ज्यादातर
बुरे लोग और कम लोग अच्छे पैदा किए हैं और सबको एक ही जमीन पर रख दिया है लेकिन
अच्छे लोग यह तमन्ना करते हैं कि हम इस सरजमीन से निकल जाएं जिसमें बुरे लोग आबाद
हैं लेकिन निकलना मुमकिन नहीं फरमाया कि ईमान को 40 साल आतिश परस्ती में गुजारना
चाहिए ताकि ईमान कामिल की शनातन लोगों ने अर्ज किया कि यह कॉल हमारी अकल से बाहर है
उसकी साफ अल्फाज में वजाहत फरमाइए तो फरमाया कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर 40 साल की उम्र तक वही का नजूल
नहीं हुआ तो क्या इसका यह मतलब था कि 40 साल तक आप में ईमान नहीं था और खाति उल
अंबिया होने की वजह से जो कमाल आपको बसत से कबल हासिल था वह तिम उल कमाला था
फरमाया कि तुम्हें साहिबे नफ्स बनाया गया है और हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अल वसल्लम के इरशाद के मुताबिक चूंकि नफ्स किब्र है
इसलिए तुम्हें नफ्स के तकब्बल से रिहाई हासिल करने की जरूरत है और जब तक रिहाई
हासिल नहीं होगी ह हकीकी ईमान की शनातन हो सकती फिर लोगों ने सवाल किया कि दुनिया
में किसी को हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से ज्यादा मर्तबा हासिल हुआ है
फरमाया कि हकीकत तो यह है कि जब कोई आपके मर्तबा ही के बराबर नहीं पहुंच सका तो
आपसे ज्यादा मर्तबा हासिल करने का सवाल ही पैदा नहीं होता और जो शख्स आपसे ज्यादा या
आपके मर्तबा के बराबरी का दावेदार हुआ उसके काफिर होने में कोई शुबह नहीं किया जा सकता इसलिए औलिया कराम का आला तरीन
मर्तबा भी अंबिया का अदना तरीन मर्तबा है फिर लोगों ने सवाल किया कि दुनिया में सबसे बेहतर खाना कौन सा है फरमाया कि सबसे
अफजल खाना जिक्र है का लुकमा है जिसको बंदा दस्तरख्वान मारफ से उठाकर अल्लाह के
साथ नेक गुमान करे वफात इंतकाल के वक्त जब लोगों ने आपसे वसीयत की ख्वाहिश की तो
फरमाया कि खुदा की इरादत को निगाह में रखो और अपने औकात अनफा के निग दश्त करो इसके
बाद आपका इत काल हो गया बाब नंबर 72 हजरत
अबू उमरू नखल रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब तारुफ आप अपने दौर के बहुत अजीम शेख
सूफी और जहद वरा के तबार से अदीम उल मसाल बुजुर्ग थे हजरत जुनेद के हम असर और हजरत
अबू उस्मान के तलाम में से थे और आपका वतन निशापुर था हालात एक मर्तबा आपने हजरत शेख
अबुल कासिम से पूछा कि आप समा क्यों सुनते हैं उन्होंने जवाब जब दिया कि गीबत से
किनारा कश रहने के लिए क्योंकि दूसरों की गीबत करने या सुनने से समा की समात ज्यादा
बेहतर है और अगर हालत समा में कोई नाजायज फेल सरज हो जाए तो वह साल भर की गीबत से
बुरा है आपने यह अहद कर लिया था कि 40 साल तक खुदा की रजा के अलावा इससे कुछ तलब
नहीं करूंगा एक मर्तबा आपकी लड़की शदीद अलीलू मर्ज में इजाफा होता चला गया
चुनांचे एक रात उनके शौहर अब्दुल रहमान मा ने उनसे कहा कि तुम्हारा इलाज तुम्हारे
वालिद के हाथ में है इसलिए तुम्हारे वालिद ने यह अहद कर रखा है कि 40 साल तक खुदा की
रजा के सिवा कुछ ना तलब करूंगा और इस अहद को 20 साल गुजर चुके हैं लिहाजा वह नकद
अहद करके तुम्हारे लिए दुआ कर दें तो तुम यकीनन सेहत याबो जाओगी ग नक अहद गुनाह है
लेकिन इससे तुम्हें सेहत हासिल हो सकती है यह सुनकर वह आधी रात को ही अपने वालिद के
घर पहुंच गई और जब आप ने पूछा कि अकदर तुम यहां 20 साल तक कभी नहीं आई आज आने की
क्या वजह है साहबजादे ने अर्ज किया कि इसका शुक्र अदा करती हूं कि अल्लाह ने मुझे आप जैसा अजीम उल मरतबक बाप और अब्दुल
रहमान सलमा जैसा शौहर अता किया है और यह भी आप अच्छी तरह समझते हैं कि दुनिया में
जिंदगी से ज्यादा कोई शय अजीज नहीं होती और मुझे भी बतक दए बशरतपुर
वजह यह भी है कि जिंदगी ही की बद दौलत मुझे आपका और शौहर का दीदार होता रहता है
मैंने सुना है कि आपने खुदा से अहद किया है कि 40 साल तक तेरी रजा के इलावा और कुछ
तलब नहीं करूंगा लिहाजा मैं आपको आप ही के अहद का वास्ता देखकर अर्ज करती हूं कि आप
नकदे अहद करके मेरे हक में दुआए सेहत फरमा दें लेकिन आपने फरमाया कि नकदे अहद किसी
तरह जायज नहीं ख्वा वो बंदे ही के साथ क्यों ना हो फिर खुदा से नकदे अहद करना तो
बहुत ही बा से मलामत है और अगर मैं नकदे अहद करके तुम्हारे लिए दुआ कर दूं और तुम
सेहत याबी हो जाओ फिर भी इसकी क्या जमानत है कि तुम्हें मौत नहीं आएगी और जब मौत की
आमद में किसी किस्म का शको शुभ नहीं तो फिर अब या कुछ अरसा बाद मौत आने में क्या
फर्क पड़ता है लिहाजा मैं इस गुनाह का मुरत होना मुनासिब नहीं समझता इस जवाब से
आपकी लड़की को यकीन हो गया कि अब मेरा वक्त आ चुका है और सेहत याबी मुमकिन नहीं
लेकिन उनका ख्याल गलत साबित हुआ और आपकी वफात के बाद भी 40 साल जिंदा रही इरशाद
आपने फरमाया कि जब तक बंदा अपने आमाल को रया से पाक नहीं कर लेता बूद त में इसका
कदम मुस्तहकम नहीं हो सकता फरमाया कि जो हाल इल्म के नतीजा में हासिल हो वह ख्वा
कितना ही अजीम हो जरर रसा होता है फरमाया कि जो बंदा वक्त पर फराइज की अदायगी नहीं
करता उस पर अल्लाह ताला लज्जत फर्ज को हराम कर देता है फरमाया कि रजाए नफ्स बंदे
के लिए आफत है फरमाया कि जिस दीदार से तहजीब हासिल ना हो उसको हरगिज महजब
तसव्वुर ना करो क्योंकि इसको किसी तरह अदब का नाम नहीं दिया जा सकता है फरमाया कि
बहुत सी बुरी बातें जिनका जहूर इंतहा में होता है लेकिन यह जहूर इब्तिदा के फसाद ही
से नश्व नुमा पाता है और जिसकी बुनियाद ही मुस्तहकम ना हो उसकी तामीर भी मुस्तहकम
नहीं हो सकती लिहाजा शुरू ही से बुरी खस तों से किनारा कशी की जरूरत है फरमाया कि
जो शख्स मखलूक के सामने जा हो मर्तबा तर्क कर देने पर कादिर होता है उसके नजदीक तर्क
दुनिया भी दुश्वार नहीं रहती फरमाया कि जाते खुदा वंदी से वाबस्ता रहने वाला कभी
बुरी खस तों का मुरत नहीं हो सकता और जो बुरी खस तों को अपना लेता है वह खुदा से
वाबस्ता नहीं रह सकता फरमाया कि जिसकी फिक्र सही होगी उसका कौल सच्चा और अमल
इख्तियार होगा फरमाया कि खुदा के इलावा किसी से भी अंस रखना वहशत का बायस है
फरमाया कि अवाम नवाही और तसव्वुफ के अकाम में सब्रो जब्त निहायत जरूरी है बाब नंबर
73 हजरत जाफर जल्दी रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब तारुफ आप हजरत जुनेद
रहमतुल्ला अल बगदादी के तमाम अहा में सबसे ज्यादा शरीयत और तरीकत पर
गामजादा थे आपने फरमाया कि मेरे पास तसव्वुफ के मौजू पर 120 तसा निफ मौजूद हैं
लेकिन जब आपसे दरयाफ्त किया गया कि इनमें हजरत हकीम तिरम जीी की भी कोई तस्नीफ
मौजूद है फरमाया कि इनको जमात सूफिया में शुमार ही नहीं करता अलबत्ता मशक के मकबूल
लोगों में से थे हालात आपके एक मुरीदे खास हमजा अलवी जो हमेशा आपकी खिदमत में करते
थे उन्होंने एक रात जब अपने घर के लिए आपसे इजाजत चाही तो आपने फरमाया कि आज ठहर
जाओ कल चले जाना लेकिन उन्होंने अराह अदब कोई जवाब नहीं दिया क्योंकि इनका इरादा यह
था कि रात को घर पहुंचकर मुर्ख पका लिया जाए ताकि सुबह को एहलो अयाल के लिए खाने
का इंतजाम हो सके लेकिन जब आपके हुक्म के बाद यह ख्याल आया कि अगर मैं ठहर गया तो
अहलो अयाल मेरे इंतजार में भूखे रह जाएंगे उस ख्याल से उन्होंने फिर दोबारा इजाजत
तलब करते हुए अर्ज किया कि मुझे घर पर एक जरूरी काम है इसलिए जाना चाहता हूं यह
सुनकर आपने फरमाया कि तुम्हें इख्तियार है चुनांचे उन्होंने घर पहुंचकर मुर्ख पकाने के बाद जब अपनी बच्ची से कहा कि सालन की
देची चूल्हे से उतार लाओ तो वह बेचारी देची समेत गिर पड़ी जिसकी वजह से तमाम
सालन भी जमीन पर गिर गया लेकिन उन्होंने कहा कि जमीन पर गिरा हुआ सालन उठा लो
गोश्त को धोकर खा लेंगे दरिया सुना एक कुत्ता आया और जमीन पर गिरा हुआ सालन खा
गया यह देखकर उन्हें बहुत सदमा हुआ और इस ख्याल के तहत के सालन से तो महरूम हो चुकी
है अब मुर्शिद की सोहबत से क्यों महरूम रहूं आपकी खिदमत में हाजिर हो गए और जब
वहां पहुंचे तो शेख ने फरमाया कि ऐ जाफर जो शख्स सिर्फ एक गोश्त के टुकड़े के लिए
शेख को सदमा पहुंचाता है अल्लाह ताला इसका गोश्त कुत्तों को खिला देता है यह सुनकर
वह बहुत मुतासिर हुए और हुक्म अद से हमेशा के लिए तायब हो गए आपका एक नगीना गुम हो
गया आपके दुआ पढ़ने के बाद वह किताब में मिल गया इरशाद एक मर्तबा आपने हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को ख्वाब में देखकर पूछा कि तसव्वुफ क्या है हुजूर ने फरमाया कि तसव्वुफ इस हालत को कहते हैं
जिसमें मुकम्मल तौर पर रबू बियत का इजहार होने लगता है और अबू दियत फना हो जाती है
फरमाया कि तकन फुकरा का एक ऐसा मुकाम है जिसके जरिए मराबे अजम हासिल होने लगते हैं
और जो दरवेश तकन से बहरा मंद नहीं होता है वह मराबे तरक्की हरगिज हासिल नहीं कर सकता
फरमाया कि अगर तुम किसी दरवेश को ज्यादा खाने वाला पाओ तो समझ लो कि वह खामी से
खाली नहीं है या तो अपनी गुजर्ता जिंदगी में वह ज्यादा खाने वाला रहा है या फिर
इसके बाद इसी हालत में मुब्तला हुआ है जिसकी वजह से रास्ता से हट गया है फरमाया कि दीनी और दुनियावी तमाम मफा दत सिर्फ एक
लम्हा के सबर से हासिल हो जाते हैं फरमाया कि तवक की तारीफ यह है कि ख्वा कोई शय
मौजूद हो या ना हो दोनों सरतो में यसा नियत रहनी चाहिए बल्कि अगर ना हो तो खुश
होना चाहिए और अगर हो तो गम रहना चाहिए फरमाया कि अपने नफ्स को कमतर समझते हुए
मुसलमानों की ताजमहाल की महलक अश्या से अहराज करना
दानिश मंदी की दलील है फरमाया कि अगर अहले हक का हसूल चाहते हो तो बुलंद हिम्मत बन जाओ इसलिए कि बुलंद हिम्मती के बगैर मुराद
बे मु हिदा हासिल नहीं हो सकते फरमाया कि नफ्स में गिरफ्तार रहने वालों को लज्जत नफ्स हासिल नहीं हो सकती और ना अपने अहवाल
की लज्जत से हम किनार हो सकते हैं इसी वजह से अहले हकीकत ने इन अलाइक को मुनकता कर
दिया है फरमाया कि जो शख्स मार्फत नफ्स के लिए सही नहीं करता उसकी खिदमत कबूल नहीं
होती फरमाया कि रूहे सलिहीन हर हाल में सदाकत के साथ मुतालबा करती रहती हैं और
जिसकी रूह मुजस्सम मफत बन जाती है वही कुलूब के का राजदा बन सकता है और जिसकी
रूहे मुजस्सम मुशाहिद बन जाती है उसको इल्म दनी हासिल होने लगता है वफात आपका
मजार हजरत सरी सत्ता रहमतुल्ला अलह और हजरत जुनेद बगदादी रहमतुल्ला अलह के करीब
नेजिया के कब्रिस्तान में है बाब नंबर
74 हजरत शेख अबु अलखैर अखतर रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आप सहरा रदा के
बादे पैमा और रियाजत के बहरे बेकरा थे और ऐसा बुलंद मर्तबा पाया था कि तमाम रुख
जानवर आपके पास बैठा करते थे आपकी करामात को अहाता तहरीर में लाना मुमकिन नहीं आप
मगरिब के बाशिंदे और हजरत जिला के सोहबत याफ्ता थे हालात जिस वक्त आप कोहे लब पर
मुकीम थे तो बादशाह वक्त ने हसबे मामूल वहां के फुकरा में एक एक दीनार तकसीम किया
लेकिन आप ने अपने दीनार एक साथी को देखकर शहर का रुख किया इत्तेफाक से उस दिन आपने
बिला वजू कुरान को हाथ लगा दिया था जिसकी वजह से बहुत फिक्र मंद और परेशान थे और जब
परेशानी के आलम में आप शहर के बाजार में पहुंचे तो वहां के लोगों ने चोरी के जुर्म में कुछ अफराद को गिरफ्तार कर रखा था और
वहां के सूफिया ने आपको भी परेशान देखकर चोरी के जुर्म में गिरफ्तार करवा दिया उस
वक्त आपने फरमाया कि सिर्फ मुझे गिरफ्तार करके बाकी तमाम को छोड़ दो क्योंकि मैं ही
इन सब का सरगना हूं और जो सजा तुम इन सबको देना चाहते हो वह सब मुझको दे दो चुनांचे
आपका हाथ काटकर बाकी मानदा अफराद को रिहा कर दिया गया और जब बाद में यह इल्म हुआ कि आप हजरत अबू अलखैर हैं तो नदा मत के साथ
सबने आपसे मुफी चाही और आपको रिहा कर दिया उसके बाद जब आप घर पहुंचे तो अहले खाना ने
कटा हुआ हाथ देखकर बहुत नोहा और जारी शुरू कर दी मगर आपने फरमाया कि जो गम की बजाय
इसलिए खुशी मनाओ कि अगर हाथ काटा ना जाता कल्ब काट दिया जाता इसलिए कि यह वह हाथ है
जिससे मैंने बिला वजू कुरान को छू लिया था एक मर्तबा आपके हाथ में इस किस्म का फोड़ा
निकल आया कि बगैर काट देने के और इलाज मुमकिन ना रहा लेकिन आपने जब हाथ कटवाने
से इंकार कर दिया तो मुरीद ने अत बा को मशवरा दिया कि जिस वक्त आप नमाज में मशगूल
हो उस वक्त हाथ काट दिया जाए चुनांचे ऐसा ही अमल किया गया और आपको हालत नमाज में
हाथ कटने का कोई एहसास तक नहीं हुआ इरशाद आपने फरमाया कि जब तक खुदा के साथ बंदे की
नियत साफ ना हो कल्ब मुसफ्फा नहीं हो सकता और जब तक वह बंदा अहले अल्लाह की खिदमत
नहीं करता जिस्म मुसफ्फा नहीं हो सकता फरमाया कि कल्ब के दो मुकाम हैं अव्वल यह
कि जिस कल्ब का मुकाम ईमान है उसकी शनातन मोमिन ऐसे अमूर अंजाम देता है जिनमें अहले
ईमान की खैर ख्वाई और बेहतरी मुजमिल हो और हम वक्त मुसलमानों की आनत पर कमर बस्त गी
महसूस होती हो और दूसरा मुकाम नफाक है जिसकी पहचान यह है कि वह नफाक को कीना
परवरी में मशगूल रहता है फरमाया कि दावा करना तकब्बल है जिसको पहाड़ भी बर्दाश्त
नहीं कर सकता फरमाया कि इस बंदे के सिवा कोई आला मुकाम हासिल नहीं कर सकता जो खुदा
के साथ मुवाफीनामा
जाला है और खुदा के फराइज को बखूबी अंजाम देता है और नेक लोगों की सोहबत में रहकर
बुरी सोहबत से किनारा कश रहता है बाब नंबर 75 हजरत अबू अब्दुल्लाह मोहम्मद बिन हुसैन
ो गंदी रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आप तौस के तमाम मशक में सबसे ज्यादा
जी मरतबक और आशिका खुदा में से थे और बहुत से मशक से मुलाकात के इलावा हजरत अबू
उस्मान तुबरी की सोहबत से फैज जाब हुए इदात आप फरमाया करते थे कि मुरीद हमेशा गम
में मुब्तला रहता है लेकिन ना सुरूर है ना रंजो अजाब फिर फरमाया कि मुखालिफ नफ्स से
ही सूफी और जाहिद बन सकता है फरमाया कि हर बंदे को उसी की वसत के मुताबिक मारफ अता
की गई है और उसी के मुताबिक मारफ की मुसीबत में भी मुब्तला किया गया है ताकि
वह मुसीबत मफत में उसकी आनत करती रहे फरमाया कि जो शख्स अहदे शबाब में इबादत से
गुरेज रहता है अल्लाह ताला इसको कब्र सनी में जलील और रुसवा करता है फरमाया कि जो
शख्स सदक दिली के साथ मर्दे हक की एक दिन खिदमत करता है वो ता हयात उस दिन की बरकत
से फायदा हासिल करता है इससे इस शख्स के मराब का अंदाजा किया जा सकता है जो तमाम
उम्र सूफिया की खिदमत गुजारी में सर्फ कर देता है फरमाया कि जो शख्स इस नियत से र्क
दुनिया तर्क करता है कि लोग इसको निगाह इज्जत से देखें तो वह बहुत बड़ा
दुनियादारी हरीश है बाब नंबर 67 हजरत कुतुबुद्दीन औलिया
अबू इसहाक इब्राहिम बिन शहरियार गार जूनी रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ
आपका शुमार कुतबे औलिया में होता है और आप शरीयत और तरीकत के पेशवा हों में से थे
आपके फजा इल खसा इल का तफसील तौर पर अहाता तहरीर मिलाना किसी तरह मुमकिन नहीं आप अह
काम इलाहिया की अदायगी और इतबा सुन्नत में अपनी नजीर आप थे इसलिए आपके मजार को तरिया
कुल अकबर कहा जाता है कि जो शख्स आपके वसीला से दुआ करता है उसकी मुराद पूरी हो
जाती है आपके दादा आतिश परस्त और वालदैन मुसलमान थे कहा जाता है कि जिस मकान में
आप तलित हुए उस रात आपके मकान में नूर का एक सतन जमीन से आसमान तक कायम हो गया था
और उसमें हर सिमत इस तरह शाख फैली हुई थी कि हर शाख से नूर बिखर रहा था हालात बचपन
ही में आपके वालदैन ने कुरान की तालीम दिलवाने का कस किया तो दादा ने मना करते
हुए कहा कि इनको कोई पेशा सीखना चाहिए ताकि वालदैन की गुरबत का अजला हो सके
लेकिन आपने इसरार किया कि मैं तो कुरान ही की तालीम हासिल करूंगा चुनांचे वालदैन ने आपका रुजम देखकर एक मुल्लम के सुपुर्द कर
दिया और आपके तालीमी शौक का य आलिम था कि तमाम तलबा से कबल मदरसा में पहुंच जाते और
सबसे पहले अपना सबक याद कर लिया करते थे इस तरह आप तमाम साथियों में सकत ले गए और
बहुत से उलूम फन में महारत हासिल हो गई आप फरमाया करते थे कि जो शख्स अन फोन शबाब
में इबादत की जानिब मायल होता है उसके बातिन को खुदा ताला अपने फजल से रोशन कर
देता है और चश्मा हिकमत उसकी जुबान से जारी होने लगते हैं और जो बचपन हो जवानी
में खुदा की नाफरमानी करता है और बुढ़ापे में तायब होता है गो इसे फरमाबरदार तो कहा
जा सकता है लेकिन कमाल हिकमत तक इसकी रसाई नहीं होती फिर फरमाया कि जब मैं बचपन में
हसूल इल्म में मशगूल था इसी वक्त से मुझे राहे तरीकत का इश्तियाक पैदा हुआ और उस
अहद में यह तीन बुजुर्ग बहुत ही साहिबे फजीलत थे हजरत अब्दुल्लाह खु फेफ हजरत
हारिस महासबीटीसी
[संगीत] बुजुर्ग ऊंट पर बहुत सी किताबें लाते हुए
तशरीफ लाए और मुझसे फरमाया कि तमाम कुतब हजरत अब्दुल्लाह फुफेफ की हैं और उन्होंने
यह तमाम कुतब ऊंट समेत तुम्हें रसाल की है चुनांचे ख्वाब से बेदारी के बाद मैं समझ
गया कि मुझे हजरत अब्दुल्लाह खोफे के दामन से वाबस्ता होना चाहिए उसके बाद हजरत शेख
अकार रहमतुल्ला अल मेरे पास तशरीफ लाए और हजरत अब्दुल्लाह खुफ की बहुत सी किताबें
मुझे अता की उस वाक से मुझे और ज्यादा यकीन हो गया और मैंने उन्हीं के तरीका पर
इबादत शुरू कर दी एक मर्तबा आपके वालदैन ने कहा कि तुमने दरवेशी तो इख्तियार कर ली
है लेकिन गुरबत की वजह से तुम्हारे अंदर मेहमान दारी की इस्ता नहीं है जो दरवेश का
तुर्र इम्तियाज है और यह कमजोरी मुमकिन है तुम्हें अपने रास्ते से हटा देने का बायस
बन जाए लेकिन आप ने वालदैन को जवाब देने के बजाय खामोशी इख्तियार कर ली इत्तफाक से
उसी साल रमजान शरीफ में मुसाफिरों की एक जमात आपके यहां आकर मुकीम हो गई और आपके
पास इस वक्त मेहमान नवाजी के लिए कोई शय भी मौजूद नहीं थी उसी वक्त एक शख्स
रोटियों से भरी हुई दो बोरियां और खाने के लवाजमा लेकर मेहमान नवाजी के लिए आपकी
खिदमत में हाजिर हुआ और जब उस वाक का इल्म आपके वालदैन को हुआ तो वह अपनी खाम खयाली
पर बहुत नादम हुए और आपसे कहा कि अल्लाह ताला तुम्हारी आनत फरमाता रहे जिस हद तक
हो सके मखलूक की खिदमत करते रहो और उस दिन के बाद से आपके काम में कभी कोई मुदा नहीं
की एक मर्तबा जब आपने तामीर मस्जिद का कसदार अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को
ख्वाब में देखा कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अपने दस्ते मुबारक से मस्जिद की
बुनियाद डाल रहे हैं चुनांचे आपने बेदारी के बाद उसी बुनियाद पर मस्जिद की तामीर शुरू कर दी और इतनी अजीम मस्जिद तामीर की
कि जिसमें तीन सफे आ सकती थी उसके बाद फिर एक शब आपने हजूर अकरम को ख्वाब में देखा
कि हुजूरे अकरम सहाबा कराम के हमराह तामीर मस्जिद की तौसी फरमा रहे हैं चुनांचे आपने
मस्जिद को इस कदर वसत दे दी जितनी ख्वाब में देखी थी जब आपने सफरे हज का कसदार तो
मुशाल कीन बसरा ने आपको दावत दी जिसमें अनवा इक साम के खाने मौजूद थे लेकिन आपने
गोश्त को हाथ नहीं लगाया जिसकी वजह से मशाल कीन को यह ख्याल हुआ कि शायद आप गोश्त नहीं खाते हैं लेकिन आपने उनकी नियत
का अंदाजा लगाकर फरमाया कि शायद तुम लोग यह सोच रहे हो कि मैं गोश्त नहीं खाता हालांकि ऐसा नहीं है मगर आज से तुम्हारे
ख्याल को कायम रखने के लिए गोश्त नहीं खाऊंगा और ता हयात आप अपने अहद पर कायम
रहे इसी तरह एक और वाकए के तहत आपने खजूर और शकर ना खाने का अहद कर लिया था और एक
मर्तबा जब अलाल के बायस अत्त बा ने शक्कर खाने की ताकीद की तो आपने इस पर अमल नहीं
किया गर्जन के मजूस नामी खुर्शीद हाकिम ने मुफद आमा के लिए जो नहर तामीर कराई थी
आपने अराह तकवा कभी उसका पानी इस्तेमाल नहीं किया आप अपने इरादत मंदो को हमेशा यह
ताकीद फरमाया करते थे कि मेहमान के बगैर कभी खाना ना खाया करो चुनांचे एक मर्तबा
किसी मुरीद ने अपने अजीज के यहां जाने की आपसे इजाजत तलब की और आपकी इजाजत से जब वह
अपने अजीज के यहां पहुंचा तो उसके हमराह किसी मेहमान के बगैर खाना खाकर वापस आया
तो किसी दरवेश से उसका झगड़ा हो गया और उस फकीर ने उस पर जो जुर्म आयद किया था वो
सही साबित हुआ जिसके नतीजा में उस दरवेश ने ने उसके कपड़े उतरवाकर बहना कर दिया उस
वक्त आपने फरमाया कि मेहमान के बगैर खाना खाने वालों का यही अंजाम होता है यह सुनकर
उसने तौबा की और मेहमान के बगैर खाना नहीं खाया अपने जहद वरा के ऐतबार से ना तो कभी
आपने हराम रिजक खाया और ना कभी कस्बे हलाल के सिवा लिबास इस्तेमाल किया इसी वजह से
आपका लिबास बहुत घटिया दर्जा का होता था और काश्तकारी के जरिया अपनी गुजर बसर करते
थे इब्तिदा दौर में आपके अफलास का यह आलिम था कि भूख रफा करने के लिए इतनी कसरत से
सब्ज घास इस्तेमाल करते थे कि जिस्म से सब्ज छलकने लगती थी और जिस्म ढापना के लिए
बो सदा चीथन से लिबास तैयार कर लिया करते थे आठ जी कद बरोज यक शबा
446 हिजरी या 73 साल की उम्र में आपका इंतकाल हुआ एक मर्तबा दौरान वाज कोई
खुरासानी आलिम भी इस्तमा में शरीक था और पूरे मजमा में आप के तासुर आमज वाज से एक
वजदा नहीं कैफियत तारी थी उस वक्त खुरासानी आलिम को यह ख्याल पैदा हुआ कि मेरा इल्म उस शेख से कहीं जयद है लेकिन जो
मकबूल इसको हासिल है वह मुझे तमाम उलूम पर दस्तरस के बावजूद भी हासिल नहीं उस वक्त
आपने अपनी सफाई बातन के जरिया उसकी नियत को भांप कर इस्तेमा को मुखातिब करके फरमाया कि कंदील की तरफ देखो क्योंकि आज
कंदील का तेल और पानी आपस में बातें कर रहे हैं पानी का कौल है कि खुदा ने मुझे
हर शय पर फौक अता की है क्योंकि अगर मेरा वजूद ना होता तो शायद लोग प्यास से मर
जाया करते और मर्तबा तुझे हासिल नहीं है उसके बावजूद तू मेरे ऊपर आ जाता है उसके
जवाब में तेल ने कहा कि मैं मुनक सरल मजाज हूं और तुझे गरूर तकब्बल है क्योंकि मेरा
खम पहले जमीन में डाला गया फिर पौदा निकलने के बाद काट और कूटकर मुझे कोलह में
पीसा गया उसके बाद मैंने खुद को जला जलाकर दुनिया को रोशनी अता की और जिस कदर अजियत
मुझको पहुंचाई गई मैंने इस सबको नजरअंदाज कर दिया जिसके बाद आपने वाज खत्म कर दिया
और वह खुरासानी आलिम आपके मफू को समझकर कदमों पर गिर पड़ा और हमेशा के लिए तायब
हो गया आप फरमाया करते थे कि मुझे एक मर्तबा यह तसव्वुर हो गया कि दूसरों से
सदका लेकर मुझे फुकरा पर खर्च ना करना चाहिए हो सकता है कि इस वजह से मुझसे कोई
ऐसी गलती सरज हो जाए जिसका कयामत में मुझको जवाब दे होना पड़े इस ख्याल के तहत
मैंने तमाम फुकरा से कह दिया कि अपने अपने घर जाकर खुदा की याद करते रहो लेकिन उसी
शब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अल वसल्लम को ख्वाब में देखा कि आप फरमा रहे हैं कि इस लेनदेन से तुझे खौफ जदा ना होना चाहिए
दराने बाज दो अफराद इस ख्याल से हाजिर हुए कि आपसे यह दुआ करवाएंगे कि हमें दुनियावी
ऐशो राहत मु सर आ जाए लेकिन आपने इन दोनों को देखते ही फरमाया कि लोगों को चाहिए कि
मुझसे सिर्फ खुदा के वास्ते मुलाकात के लिए हाजिर हुआ करें दुनिया की तलब लेकर
मेरे पास ना आए क्योंकि उस नियत से मेरे आने वालों को किसी किस्म का सवाब हासिल
नहीं हो सकता आपने फरमाया कि मैं हलफ कहता हूं कि मैं खुदा ताला के तमाम अवाम र
नवाही पर मुकम्मल तौर से अमल पैरा हूं इस वक्त काजी ताहिर भी शरी के वाज थे उन्हें
ख्याल हुआ कि शादी ना करना भी हुक्म इलाही के खिलाफ है और आपने शादी नहीं की है फिर
यह दावा आपका किस तरह सही हो सकता है चुनांचे आपने उन्हें मुखातिब करके फरमाया
कि अल्लाह ताला ने मुझे निकाह से मुफ कर दिया है फिर फरमाया कि जिस वक्त जंगल में मसरूफ इबादत होकर सजदे में सुभान रब्बिल
आला कहता हूं तो हर जर्रा मेरे साथ तस्बीह करता रहता है एक यहूदी मेहमान खुद को
मुसलमान जाहिर करके आपके यहां मुकीम हो गया और इस खौफ से कि कहीं उसका फरेब आप पर
जाहिर ना हो जाए मस्जिद के स उनके पीछे छुप गया और आप रोजाना उसके लिए खाना भिजवा
दिया करते लेकिन चंद रोज कयाम के बाद जब उसने रुखसत की इजाजत तलब की तो आपने फरमाया कि ऐ यहूदी तुझे यह जगह पसंद नहीं
आई उसने पूछा कि आपको मेरे यहूदी होने का इल्म कैसे हो गया और जानते बूझ से आपने
मेरी खातिर मदारत क्यों की आपने फरमाया कि अल्लाह ताला दुनिया में मुस्लिमों काफिर
दोनों को रिजक पहुंचाता रहता है एक मर्तबा वजीर का मुसाहिब मीर अबुल फजल शराबी आपके
पास हाजिर हुआ तो आपने फरमाया कि शराब नोशी से तौबा कर ले उसने जवाब दिया कि मैं
जरूर तायब हो जाता लेकिन जब वजीर की मजलिस में दौरे जाम चलता है तो मजबूरन मुझको भी
पीनी पड़ती है आपने फरमाया कि जब उस महफिल में तुझे शराब नोशी पर मजबूर किया जाए तो
मेरा तसव्वुर कर लिया करो चुनांचे जब वह तौबा करके घर पहुंचा तो देखा कि तमाम जामो
सबू शिकस्ता पड़े हुए हैं और शराब जमीन पर बह रही है एक करामत देखकर वह बहुत मुतासिर
हुआ और वजीर के पूछने पर पूरा वाकया बयान कर दिया उसके बाद से वजीर ने कभी उसको
शराब नोशी पर मजबूर नहीं किया एक शख्स अपने लड़के समेत आपकी खिदमत में हाजिर होकर तायब हुआ तो आपने फरमाया कि मेरे पास
पहुंचकर तौबा करने वाला अगर तौबा शिकनी करेगा तो उसको दुनिया में बहुत मसाइल का
सामना करना पड़ेगा लेकिन इन दोनों ने चंद ही यौम के बाद तौबा शिकनी का इरत काब किया
और उसकी सजा में दोनों आग में जलकर मर गए एक परिंदा कहीं से आकर आपके हाथ पर बैठ
गया तो आपने फरमाया कि यह मुझसे खौफ जदा नहीं है एक मर्तबा हिरन आपके नजदीक आ खड़ा
हो गया तो आपने उसकी पुश्ते हुए फरमाया कि मुझसे मुलाकात करने आया है उसके बाद खादिम
को हुक्म दिया कि इसको जंगल में छोड़ आओ अकवाले इशारा एक मर्तबा आपने फरमाया कि
मुझे इस पर हैरत होती है जो अपने पाकीजा और हलाल लिबास को हराम रंग से रंग लेता है
या यानी नील से रंगता है हालांकि इस वक्त आप खुद भी नीली चादर में मलब उसस थे लेकिन
फरमाया कि यह चादर हलाल नील से रंगी हुई है और यह मेरे पास कमान से आई है फरमाया
कि खर्द नोश के मामला में अपना मुहास नहीं करता इसकी मिसाल जानवरों जैसी है फरमाया
कि दुनिया को छोड़कर जिक्र इलाही करते रहो फरमाया कि नूर इलाही हसूल बसीरत का जरिया
है क्योंकि नूर और आखरत दोनों ही गैब से मुतालिक और गैब का मुशाहिद गैब ही से किया
जा सकता है फरमाया कि आरिफ के लिए कमतरी अजाब यह है कि इससे जिक्र अलाही की हलावत
सलब कर ली जाती है फिर फरमाया कि अहले दुनिया तो इंसान के जहरी तकात को देखकर
उसको मायू करार देते हैं लेकिन खुदा ताला बानी अयूब से मायू करार देता है फरमाया कि
दुनिया की तमाम अश्या को छोड़कर खुदा की जानिब रजू करते रहो क्योंकि दनो दुनिया
में उसकी अतात के बगैर चारा नहीं फरमाया कि गार जून में चंद मुसलमानों के सिवा सब
आतिश परस्त हैं लेकिन एक दिन आएगा कि मामला इसके बरक्स होगा चुनांचे इस कॉल के
बाद 24000 आतिश परस्तों ने आपके हाथ पर तौबा की फरमाया कि जमा मर्द वही है जो
लेता और देता रहे और नी मुर्दा वह है जो लेता ना हो बल्कि देता हो और ना मर्द वह
है जो ना लेता हो ना देता हो फरमाया कि मैंने ख्वाब में देखा कि मेरी मस्जिद से
लेकर आसमान तक एक ऐसी सीढ़ी लटकी हुई है और लोग उस पर चढ़कर आसमान तक पहुंच जाते
हैं और खुदा ने उस जगह को वह अजमत बख्शी है कि यहां की जियारत करने वाला दीनी और
दुनियावी मकास में कामयाब होता है फरमाया कि दुनियावी मसाइल करने वाला आखिरत में
इसका सिला पाता है फरमाया कि अगर तुम पहले लोगों जैसा बनना चाहते हो तो इस बात की
कोशिश करो कि अगर तुम उन जैसे नहीं बन सकते तो कम से कम उनके अहबाब में शामिल हो
जाओ फरमाया कि खुदा ताला ने हर बंदे को अपनी अता से नवाजा है लेकिन मुझे लज्जत
मुनाजात अता हुई है इसी तरह खुदा ने हर बंदे को किसी ना किसी शय का अंस अता किया
है लेकिन मुझको सिर्फ अपनी मोहब्बत से नवाजा है फरमाया कि हर मुसलमान को चाहिए
कि रात में उठकर वजू करके चार रकात नमाज अदा करें और अगर यह ना हो सके तो कमज कम
दो ही रकत पढ़े और अगर यह भी ना हो सके तो बेदार होकर कलमा ए शहादत पढ़े चंद अफराद
आपकी खानकाह के सामने से शेर को पकड़ कर ले जा रहे थे तो आपने शेर से पूछा कि तुझे
किस जुर्म में गिरफ्तार किया गया है लोगों से मुखातिब होकर फरमाया कि तुम लोग अपनी
चाल पर एतमाद ना करो क्योंकि इब्लीस का दाम फरेब हर जगह फैला हुआ है और कसरत के
साथ शेर इन तरीकत इ के दाम में गिरफ्तार हैं इस वक्त आपके कहने का अंदाज इस कदर
तासीर आमज था कि हाजरी पर बहुत देर तक रकत तारी रही फरमाया कि अल्लाह अगर तुम मुझको
कयामत में बख्श के काबिल समझता है तो मेरे हमराह मेरे तमाम अहबाब की भी बख्श फरमा
देना ताकि सब मिलकर खुशियां मनाएं और अगर मैं मगफिरत का सजवार ना हूं तो फिर भी
मुझे ऐसी जहन्नुम में ऐसे रास्ता भेजना कि दूसरे लोग मुझे ना देख सके और मेरे मुन
दीन खुश ना हो फरमाया कि शहवानी जज्बात पर गलबा नाना पाने वालों के लिए निकाह करना
बहुत जरूरी है ताकि फित से महफूज रह सकें और अगर मेरे नजदीक औरतों दीवार में कोई
फर्क ना होता तो मैं भी जरूर निकाह कर लेता लेकिन मेरी कैफियत तो दरिया में
डूबते हुए उस शख्स जैसी है जिसको कभी खलासी की उम्मीद हो और कभी गर्क होने का
खतरा फरमाया कि उनसे इलाही और मुनाजात से लज्जत हासिल ना करने वाला मौत के वक्त
सबसे जयद बदनसीब होता है लेकिन सबसे ज्यादा खुशनसीब वह है जो खुदा का उंस और
मुनाजात हासिल करके दुनिया से रुखसत हो जाए फरमाया कि दुनियावी बादशाह से बगावत
करने वाले का माल असबाब जब्त कर लिया जाता है और बुजुर्गों की मुखालफत करने वालों का
दीन अल्लाह ताला तबाह कर देता है फरमाया कि बंदा खौफ जदा क्यों ना हो जबकि एक तरफ
नफ्स और शैतान है और दूसरी जानिबे सुल्तान और इन दोनों के मा बैन बंदा आजिज और मजबूर
है फरमाया कि खुशामदी लोगों से किनारा कश रहो इसलिए कि उनसे
मसाइल होता है फरमाया कि अल्लाह की राह में थैली का मुंह खोल देने वाले के लिए
खुदा ताला जन्नत के दरवाजे कुशा द कर देता है और उसकी राह में बुख करने वालों पर
जन्नत के दरवाजे बंद हो जाते हैं फरमाया कि अल्लाह ताला आम बंदों पर अजाब और खास
बंदों पर अताब नाजिल करता है और जिस वक्त तक अताब बाकी रहता है मोहब्बत भी बा की
रहती है फरमाया कि चार तरह के लोगों के सामने खाली हाथ ना जाना अव्वल एहलो अयाल
दो मरीज सोम सूफिया चहारूम बादशाह जो लोग हसूल तरीकत के लिए आपकी खिदमत में हाजिर
होते तो आप उनसे फरमाते कि फक्र तसव्वुफ बहुत सख्त काम है क्योंकि इसमें सबसे पहले
भूखो प्यास और जिल्लत का सामना करना पड़ता है और लोग सूफी और दरवेश को गदा गर कहते
हैं लिहाजा अगर तुम इन तमाम चीजों के लिए तैयार हो तब तो दरवेशी का कसत करो परना
अपने इरादे से बाज रहो और हर मुमकिन तरीके से जिक्र इलाही में मशगूल रहो बस यही
इबादत तुम्हारे लिए बहुत काफी है फरमाया कि किसी के साथ बुराई करने से खाफ रहो
क्योंकि किसी से बुराई करने वाले पर अल्लाह ताला ऐसा शख्स मुसल्लत कर देता है
कि व इससे बुराई का बदला लेता रहता है जैसा कि कुरान में फरमाया गया है अगर तुम
दूसरे के साथ नेकी करते हो तो हकीकत में वही नेकी है और अगर तुम दूसरे के साथ
बुराई करते हो तो वह बुराई हकीकत में अपने ही नफ्स के साथ करते हो फरमाया कि खुदा के
खजाने में एक ऐसी शराब है जो हर सुबह अल्लाह ताला अपनी औलिया को पिलाता है और
वह हर किस्म के खाने पीने से बे नियाज हो जाते हैं फरमाया कि खुदा का महबूब कभी
दुनिया का महबूब नहीं हो सकता आप एक मर्तबा कहीं तशरीफ ले जा रहे थे कि बूढ़े और बच्चे सभी आपकी रत के शौक में जमा हो
गए और जब लोगों ने आपसे पूछा कि इन बच्चों को आपके मुरा दिब का इल्म कैसे हो गया
आपने जवाब दिया कि यह सब मुझसे इसलिए वाकिफ हैं कि जब रात को यह सब सो जाते हैं
तो मैं खड़ा होकर इनकी फलाह बेहबूब की दुआएं करता हूं आप फरमाया करते थे कि
मुजाहि दत की इंतहा है कि अपनी तमाम तर सई और मशक्कत उसके सपुत कर दें जो हर किस्म
की सही और मशक्कत से पाक है यानी अपने तमाम अमूर खुदा के सब पुर्द कर दिए जाएं
एक मर्तबा लोगों ने पूछा कि अगर बादशाह या वजीर आपको इस यकीन दिहानी के बाद कि यह
कस्बे हलाल है कुछ देना चाहे तो क्या आप कबूल कर लेंगे फरमाया कि मैं इसलिए कभी
कबूल नहीं कर सकता कि अगर उन लोगों ने अपनी मस्लत को तर्क कर दिया और तर्क मस्लत
करने वाले अपने जुर्म की पादास में दुनिया में ही जलील हो जाते हैं इसलिए मैं उनकी
किसी शय को कबूल करने का का तसव्वुर तक नहीं कर सकता आपने फरमाया हर लम्हा उलूम
शरीयत हासिल करते रहो क्योंकि अहले तरीकत तो हकीकत को किसी हाल में भी इल्म से मुजर
नहीं और जब इल्म हासिल कर लो तो रया से परहेज करो और अपने इल्म को मखलूक से
पोशीदा ना रखो और अपने इल्म पर अमल पैरा होकर रजाए हक के मुतला श रहो क्योंकि बे
अमल आलिम की मिसाल बे रूह के जिस्म जैसी होती है और इल्म का हसूल दुनिया का जरिया
भी ना बनाओ जैसा कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का फरमान है कि अमले आखिरत
पर दुनिया को तरजीह देने से ज जत खत्म हो जाती है और उसका नाम अहले जहन्नुम में
दर्ज कर लिया जाता है और यह भी याद रखो कि अमूर दुनियावी से आखिरत तलब करने वाले का
आखिरत में कोई हिस्सा बाकी नहीं रहता और हसूल इल्म के बाद रिस्क हलाल हासिल करने
से बेहतर और कोई शय नहीं क्योंकि रिस्क हलाल तलब ना करने वाले का कोई अमल और दुआ
कबूल नहीं होती और अगर तुमने उन सब बातों पर अमल कर लिया तो फिर खुदा के लिए अपनी
जिंदगी वक्फ कर दो वफात इंतकाल के वक्त आपने मुरीदन से फरमाया कि मैं बहुत जल्द
दुनिया से रुखसत होने वाला हूं इसलिए तुम्हें चार नसीहत करता हूं उन्हें सुनकर
उन पर अमल पैरा रहना अव्वल यह कि मेरे जानशीन की अतात करना दोम सुबह को रोजाना
तलावत कुराने पाक करते रहना सोम यह कि मुसाफिर की अच्छी तरह मदारत करना हारम ये
कि बाहम प्यार और मोहब्बत से रहना आपने अपने तमाम इरादत मंदो के नाम दर्जे रजिस्टर कर लिए थे और आखिरी वक्त यह वसीयत
फरमाई कि इस रजिस्टर को मेरी कब्र में रख देना चुनांचे आपकी वसीयत पर अमल करके रजिस्टर कब्र में रख दिया गया इंतकाल के
बाद ख्वाब में किसी ने देखा कि आपसे पूछा कि अल्लाह ताला ने आपके साथ क्या मामला
किया फरमाया कि अल्लाह ताला ने मामूली बख्श तो यह फरमाई कि मेरे रजिस्टर में दर्ज शुदा तमाम मुरीदन की मगफिरत फरमा
आप हमेशा दुआ किया करते थे कि अल्लाह जो मेरे पास अपनी कोई हाजत लेकर आए उसकी
मुराद पूरी फरमा दे बाब नंबर 77 हजरत अबुल हसन खरका रहमतुल्ला अल के
हालात मुना किब तारुफ आप तरीकत हकीकत का सरच फजो मारफ का मंबा मखजन थे और आपकी
अजमत बुजुर्ग मुस्लिमा थे हजरत बायजीद बस्तानी रहमतुल्ला अल का दस्तूर यह था कि
साल में एक मर्तबा मजरात शोहदा की जियारत के लिए जाया करते थे और जब रकान पहुंचते
तो फिजा में मुंह ऊपर उठाकर इस तरह सांस खींचते जैसे कोई खुशबू सूंघने के लिए
खींचता है एक मर्तबा मुरीदन ने पूछा कि आप किस चीज की खुशबू सूंघ हैं हमें तो कुछ भी
महसूस नहीं होता आपने फरमाया कि मुझे सरजमीन खुराका से एक मर्द की खुशबू आई है
जिसकी कुनियत अबू अल हसन और नाम अली है और काश्तकारी के जरिया अपने अहलो अयाल की
रिजक हलाल से परवरिश करेगा और मुझसे मर्तबा में तीन गुना होगा हालात 20 साल तक
आपका यह मामूल रहा कि रकान में बाद नमाज इशा हजरत बायजीद के मजार पर पहुंच कर यह
दुआ करते कि ऐ अल्लाह जो मर्तबा तूने बायजीद को अता किया वही मुझको भी अता फरमा
दे इस दुआ के बाद खुर कान वापस आकर नमाज फजर अदा करते और आपके अदब का ये आलिम था
कि बस्तान से इस नियत के साथ उल्टे पांव वापस होते कि कहीं हजरत बायजीद के मजार की
बेअदबी ना हो जाए फिर 12 साल अपने मामूल पर कायम रहने के बाद हजरत बायजीद की कब्र
से यह आवाज सुनी के अबुल हसन अब तेरा भी दौर आ गया आपने जवाब दिया कि मैं तो कतई
उम्मी होने की वजह से उलूम शरिया से ना वाकिफ हूं इसलिए मेरी हिम्मत अफजाई फरमाइए
निदा एक कि मुझे जो कुछ मर्तबा हासिल हुआ है वो सिर्फ तुम्हारी ही बदौलत हासिल हुआ
है आपने जवाब दिया कि आप तो मुझसे 39 साल
कब्लर सत हो चुके हैं निदा आई यह कॉल तो तुम्हारा दुरुस्त है लेकिन हकीकत यह है कि
जिस वक्त भी मैं सरजमीन खुर कान से गुजरता था सो इस सरजमीन से आसमान तक एक नूर ही
नूर नजर आता था और मैं अपनी जरूरत के तहत 20 साल तक दुआ करता रहा लेकिन कबूल नहीं
हुई और मुझको यह हुकम दिया गया कि तू इस नूर को हमारी बारगाह में शफी बनाकर पेश
करें तो तेरी दुआ कबूल कर ली जाएगी चुनांचे इस हुक्म पर अमल होने से दुआ कबूल
हो गई चुनांचे उस वाकए के बाद आप खुर कान वापस हुए तो सिर्फ 24 यौम में मुकम्मल
कुरान खत्म कर लिया लेकिन बाज रिवायत में यह है कि हजरत बायजीद के मजार से निदा आई
कि सूर फातिहा शुरू करो और जब आपने शुरू की तो खुराका तक पहुंचने तक पूरा कुरान
खत्म कर लिया एक मर्तबा आप अपने बाग की खुदाई कर रहे थे तो वहां से चांदी बरामद
हुई तो आपने इस जगह को बंद करके दूसरी जगह से खुदाई शुरू की तो वहां से सोना बरामद
हुआ फिर तीसरी जगह से मिर वारिद और चौथी जगह से जवाहरात बरामद हुए लेकिन आपने किसी
को भी हाथ नहीं लगाया और फरमाया कि अबु अल हसन इन चीजों पर फरिश्ता नहीं हो सकता यह
तो क्या अगर दनो दुनिया दोनों भी मुहैया हो जाएं जब भी वह तुझ से इहरा नहीं कर
सकता हल चलाते वक्त जब नमाज का वक्त आ जाता तो आप बैलों को छोड़कर नमाज अदा करते
और जब नमाज पढ़कर खेत पर पहुंचते तो जमीन तैयार मिलती एक दफा शैखुल मशक हजरत अबुल
उम्र अबू अब्बास ने आपसे कहा कि चलो मैं और तुम दरख्त पर चढ़कर छलांग लगाएं आपने
फरमाया कि चली मैं और आप फिरदौस जहन्नुम से बे नियाज
होकर और खुदा ताला का दस्ते कर्म पकड़कर छलांग लगाएं फिर एक मर्तबा शैखुल मशक ने
पानी में हाथ डालकर जिंदा मछली पकड़कर आपके सामने रख दी उसके जवाब में आपने तनूर
में हाथ डालकर जिंदा मछली आपके सामने पेश करते हुए फरमाया कि आग में से जिंदा मछली
पकड़कर निकालना पानी में मछली निकालने से कहीं ज्यादा मानी खेज है फिर एक दिन शैखुल मशा
ने कहा कि चलो हम दोनों तनूर में कूद जाएं फिर देखें जिंदा कौन निकलता है आपने
फरमाया कि इस तरह नहीं बल्कि हम दोनों अपनी निस्ती में गोता लगाकर देखें कि
अल्लाह ताला की हस्ती से कौन बाहर आता है यह सुनकर शैखुल मशा ने सकूट इख्तियार कर
लिया शैखुल मशक फरमाया करते थे कि अबुल हसन के खौफ की वजह से मुझे 20 साल तक नींद
नहीं आई और जिस मुकाम पर मैं पहुंचता हूं उन्हें अपने से चार कदम आगे ही पाता हूं
और 10 मर्तबा इसकी कोशिश की कि किसी तरह से उनसे कबल हजरत बायजीद के मजार पर पहुंच
जाऊं लेकिन कामयाब ना हो सका क्योंकि खुदा ने इनको वह ताकत अता की है कि 3 मील का
रास्ता लम्हा भर में तय करके बस्ता में पहुंच जाते हैं एक मर्तबा आपने अपनी चार
उंगलियां पकड़कर एक उंगली की तरफ इशारा करते हुए फरमाया कि जो इस हदीस का तालिब
है उसका किबला यही है और जब यह मकला शैखुल म शयख के सामने बयान किया गया तो उन्होंने
इबरत के तौर पर फरमाया कि दूसरा किबला जाहिर हो जाने के बाद हम कदीम किबला बंद
किए देते हैं चुनांचे उसी साल हज का रास्ता बंद कर दिया और जो लोग सफर हज पर
रवाना हो चुके थे उनमें से कुछ वापस आ गए और कुछ का इंतकाल हो गया और जब लोगों ने
पूछा कि हजरत शैखुल मशक इतने अफराद की मौत का जिम्मेदार कौन है तो आपने फरमाया कि जब
हाथी जमीन पर अपना पहलू रगड़ता है तो मच्छरों की हलाक लाजमी है एक मर्तबा कोई
जमात किसी मखदू रास्ते पर सफर करना चाहती थी लोगों ने आपसे अर्ज किया कि हमें कोई
ऐसी दुआ बता दीजिए जिसकी वजह से हम रास्ते के मसाब से महफूज रह सके आपने फरमाया कि
जब तुम्हें कोई मुसीबत पेश आए तो मुझको याद कर लेना लेकिन लोगों ने आपके इस कौल
पर तवज्जो नहीं दी और अपना सफर शुरू कर दिया लेकिन रास्ते में इनको डाकुओं ने घेर
लिया तो एक शख्स जिसके पास माल असबाब बहुत ज्यादा था जब डाकू इसकी तरफ मतवल सदक दिली
से आपका नाम लिया जिसके नतीजा में माल और असबाब समेत लोगों की नजरों से गायब हो गया
यह देखकर डाकुओं को बहुत ताज्जुब हुआ मगर जिन लोगों ने आपको याद नहीं किया था वह सब
लूट लिए गए फिर डाकुओं की वापसी के बाद वह सबकी नजरों के सामने आ गया और जब इससे
पूछा गया कि तू तू कहां गायब हो गया था तो उसने कहा कि मैंने सच्चे दिल से शेख को
याद किया था और खुदा ने अपनी कुदरत से मुझे सबकी निगाहों से पोशीदा फरमा दिया इस
वाकए के बाद जब वह जमात खुराका वापस आई तो हजरत अबू अल हसन ने अर्ज किया कि हम सदक
से खुदा को याद करते रहे उसके बावजूद भी हमारा माल लूट लिया गया लेकिन जिस शख्स ने
आपको याद किया वह बच गया इसकी क्या वजह है आपने फरमाया कि तुम सिर्फ बाबानी तौर पर
खुदा को याद करते थे और अबुल हसन खुलूस कल्ब से खुदा को याद करता है लिहाजा
तुम्हें चाहिए कि तुम अबुल हसन को याद कर लिया करो क्योंकि अबुल हसन तुम्हारे लिए
खुदा को याद करता है और खुदा को सिर्फ जबानी याद करना बेसू द होता है किसी मुरीद
ने आपसे कोहे ल बनान पर जाकर कुतुबुल आलिम से मुलाकात करने की इजाजत तलब की तो आपने
इसको इजाजत दे दी और जब वह कोहे ल बनान पर पहुंचा तो देखा कि एक जनाजा रखा हुआ है
तमाम लोग किसी के मुंतज हैं उस शख्स ने जब उन लोगों से दरयाफ्त किया कि तुम्हें
किसका इंतजार है तो उन्होंने कहा कि पंज वक्ता नमाज पढ़ाने के लिए कुतुबुल आलिम
तशरीफ लाते हैं हमें इन्हीं का इंतजार है यह सुनकर उस शख्स को बेहद मुसरत हुई कि
बहुत जल्द कुतुबुल आलिम से मुलाकात हो जाएगी चुनांचे कुछ ही देर बाद लोगों ने सफ
कायम कर ली और नमाजए जनाजा शुरू हो गई लेकिन जब उस शख्स ने गौर से देखा तो पता
चला कि नमाज जनाजा के इमाम खद उसके मुर्शिद अबू अल हसन है यह देखकर व मारे
खौफ के बेहोश हो गया और होश आने के बाद देखा तो लोग जनाजे को दफन कर चुके थे और
आपका कहीं पता नहीं था फिर उस मुरीद ने इतम कलबी के लिए पूछा कि इमाम साहिब का
क्या नाम था लोगों ने कहा यही तो कुतुबुल आलम हजरत अबुल हसन खरका थे और अब नमाज के
वक्त फिर यहां तशरीफ लाएंगे चुनांचे वो मुरीद इंतजार में रहा और जब आप निमाज पढ़
चुके तो उसके बाद बढ़कर सलाम करके दामन थाम लिया लेकिन शिद्दत खौफ की वजह से उसकी
जुबान से एक जुमला भी नहीं निकला फिर आपने इसको हमराह ले जाते हुए फरमाया कि तूने
यहां जो कुछ देखा है उसको कभी जुबान पर ना लाना क्योंकि मैंने खुदा ताला से अहद किया
है कि मुझको मखलूक की निगाहों से पोशीदा रखते हुए मखलूक को मेरे मराब से आगाह ना
फरमा सिवाय हजरत बायजीद बस्तानी के जो मरने के बाद भी हयात हैं एक मर्तबा आपसे अराक जाकर
दरस हदीस में शिरकत की इजाजत तलब की तो आपने पूछा कि क्या यहां कोई दरस हदीस देने
वाला मौजूद नहीं है आपने जवाब दिया कि यहां तो कोई मशहूर महद नहीं है आपने
फरमाया कि एक तो मैं ही मौजूद हूं कि अल्लाह ताला ने उम्मी होने के बावजूद अपने
फजल करम से मुझे तमाम उलूम पर आगाही अता फरमा फरमाई है और हदीस तो मैंने खुद हजूर
अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पढ़ी है लेकिन आपके इस कॉल का इस शख्स को यकीन
नहीं आया चुनांचे रात को ख्वाब में उसने हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देखा कि आप फरमा रहे हैं जवां मर्द सच्ची
बात कहते हैं इस ख्वाब के बाद सुबह से उसने आपकी खिदमत में पहुंचकर हदीस का दर्स
लेना शुरू कर दिया और आप दर्स देते हुए कभी यह भी फरमा जाते कि यह हदीस हजूर
सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम की नहीं है उस शख्स ने जब पूछा कि यह आपको कैसे मालूम
हुआ तो आपने फरमाया कि जब तुम हदीस पढ़ते हो तो मैं हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम के मुशाहिद में मशगूल रहता हूं और जो सही हदीस होती है उसको पढ़ते वक्त
हुजूर की पेशानी पर मुसरत की झलक होती है लेकिन जो हदीस सही नहीं होती उस पर आपकी
पेशानी शिकन आलू द हो जाती है जिससे मुझे अंदाजा हो जाता है कि सही हदीस कौन सी है
हजरत अब्दुल्ला अंसारी फरमाया करते थे कि मुझे एक जुर्म में गिरफ्तार करके पा बजु
बलख की जानिब ले चले और मैं रास्ता भर यह सोचता रहा कि मेरे पांव से क्या गुनाह सरज
द हो गया जिसकी पादास में जंजीर से जकड़ा गया है और जब मैं बलख पहुंचा तो देखा कि
आवाम छतों पर चढ़े हुए मुझे पत्थरों से मारने के लिए तैयार खड़े हैं इस वक्त मुझे
इल्हाम हुआ कि तूने फलां दिन हजरत अबुल हसन का मुसल्ला बिछाते हुए उस उस पर पांव
रख दिया था और यह उसी की सजा है चुनांचे मैंने उसी वक्त तौबा की के जिसके नतीजा
में लोग हाथों में पत्थर लिए खड़े रहे और किसी में मुझे मारने की जुरत ना हुई और
जंजीरें खुद [संगीत] बखुदा हजरत शेख अबू सईद अपने मुरीदन के
हमराह आपके यहां मेहमान हुए तो उस वक्त घर में चंद टियो के सिवा कुछ नहीं था लेकिन
आपने अपनी बीवी को हुकम दिया कि इन टियो पर एक चादर ढापोर बकदम मेहमानों के सामने निकाल निकाल कर
रखती जाओ चुनांचे इस अमल से तमाम मेहमानों ने शिकम सेर होकर खाना खाया लेकिन एक
रिवायत में यह है कि इस वक्त दस्तरख्वान पर बहुत से मेहमान थे और खादिम चादर के
नीचे से रोटियां ला लाकर रखता जाता था और आपकी करामत से चादर में ऐसी बरकत हुई कि
मुसलसल रोटियां निकलती जा रही थी हालांकि उसमें सिर्फ चंद टियां थी लेकिन जब खादिम
ने आजमाने के लिए चादर उठाकर देखा तो उसमें एक रोटी भी ना थी आपने फरमाया कि
तूने बहुत बुरा किया अगर चादर ना उठाता तो कयामत तक रोटियां निकलती रहती खाने से
फारिग होकर जब हजरत अबू सईद ने समा की फरमाइश की तो उसके बावजूद कि आपने कभी समा
नहीं सुना था आज रुए महमान नवाज इजाजत दे दी और जब कवाल चुटकियों बजाकर शेर पढ़ रहे
थे तो हजरत अबू सईद ने कहा कि अब खड़े होने का वक्त आ गया और तीन मर्तबा अपनी
आस्तीन झटक कर इतनी जोर से जमीन पर पांव मारे के खानकाह की दीवारें तक हिल गई और
हजरत अबू सईद ने घबरा कर अर्ज किया कि बस कीजिए क्योंकि मकान गिर जाने का खतरा हो
गया है और जमीन और आसमान आपके साथ वजत कर रहे हैं इस वक्त आपने फरमाया कि समा सिर्फ
इसी के लिए जायज है जिसको आसमान से अर्श तक और जमीन से तहल सरा तक कुशा दगी नजर
आती हो और उससे तमाम हिजा बात खत्म कर दिए गए हो फिर फरमाया लोगों से मुखातिब होकर
कि अगर तुम में से कोई जमात यह सवाल करे कि तुम लोग इस तरह रक्स क्यों करते हो तो
जवाब देना कि गुजर्ता बुजुर्गों की इतबा में जिनके अबुल हसन जैसे मराब थे एक
मर्तबा हजरत अबू सईद और हजरत अबुल हसन ने अपने कब्जो बस्त के अहवाल को बाहम तब दील
करने का कसत किया तो दोनों बुजुर्ग एक दूसरे से बगल गीर हो गए जिसके बाद अचानक
दोनों की हालत तब्दील हो गई और हजरत अबू सईद घर जाकर रात भर जानों पर सर रखे हुए
रोते रहे और इधर हजरत अबू अल हसन रात भर आलिम वजद में नारे लगाते रहे सुबह को हजरत
अबू सईद ने आकर अर्ज किया कि मेरा खरका मुझे वापस कर दीजिए क्योंकि मुझ में गम
आलम बर्दाश्त करने की कुवत नहीं है आपने फरमाया कि बिस्मिल्लाह इसके बाद दोनों आपस
में बगल गीर हो गए और दोनों अपनी पहली सी हालत पर आ गए फिर आपने फरमाया ऐ अबू सईद
मैदान हश्र में तुम मुझसे पहले मत आना क्योंकि तुम्हारे अंदर शोर कयामत बर्दाश्त
करने की कुवत नहीं है और जब वहां पहुंचकर मैं इस शोर को बंद कर दूं उस वक्त तुम
पहुंच जाना हजरत मुसन्निफ फरमाते हैं कि अगर को यह तराज करे कि हजरत अबुल हसन शोरे
कयामत को किस तरह बंद कर सकते हैं तो इसका जवाब यह है कि जब अल्लाह ताला ने एक काफिर
को यह कुवत अता कर दी थी कि वह इस पहाड़ को जो 4 मील के फासले पर था हजरत मूसा के
ऊपर उठाकर फेंक देना चाहता था तो फिर यह किस तरह गैर मुमकिन है कि एक मोमिन को वह
इतनी ताकत अता फरमा दे कि वह शोर कयामत को खत्म कर दे फिर जब हजरत सईद रहमतुल्ला अल
ने रो खत होते वक्त एहतराम न आपकी चौखट को बोसा दिया जिसका मतलब यह था कि मैं आपका
हम पल्ला नहीं हूं और आस्तान बोसी को अपने लिए फखर तसव्वुर करता हूं फिर हजरत अबू
सईद ने लोगों से कहा कि आपकी चौखट के पत्थर को उठाकर एहतराम के तौर पर महराब
में नश्व कर दें लेकिन पत्थर नस्क करने के बाद जब सुबह को देखा तो वह पत्थर फिर अपनी
जगह पहुंच चुका था और मुसलसल तीन यम तक ऐसा ही होता रहा कि रात को पत्थर महराब
में नस कर दिया जाता और सुबह को फिर आपके चौखट पर नस्ल जाता लिहाजा आपने हुकम दिया
कि अब इसको यहीं रहने दो और अबू सईद के एहतराम की नियत से आपने खानकाह के इस
दरवाजे को बंद करके आमदो रफत के लिए दूसरा दरवाजा खोल दिया एक दिन आपने हजरत अबू सईद
से फरमाया कि आज मैंने तुम्हें मौजूदा दौर का वली मुकर्रर कर दिया है क्योंकि अर्स
दराज से मैं यह दुआ किया करता था कि अल्लाह ताला मुझे कोई ऐसा फर्जंद अता फरमा
दे कि जो मेरा हमराज बन सके और अब मैं खुदा का शुक्र गुजार हूं कि उसने मुझे तुम
जैसा शख्स अता कर दिया हजरत अबू सईद ने कभी आपके सामने लब कुशाई नहीं की और जब
लोगों ने उसकी वजह पूछी तो फरमाया कि शेख के बलमवा ज बात ना करना ही खिले सवाब है
क्योंकि समंदर के मुकाबले में नदियों को अहमियत नहीं होती फिर बताया कि खुराका आने
के वक्त मैं एक पत्थर की तरह था लेकिन आपकी तवज्जो ने मुझे कोहरे आदर बना दिया
हजरत अबू सईद एक बहुत बड़े इतमा से खता फरमा रहे थे जिसमें हजरत अबुल हसन के
साहिबजादे भी मौजूद थे उस वक्त अबुल सईद ने फरमाया कि खुद ही से निजात पा जाने
वाले ऐसे होते हैं जैसे बच्चा शिक में मादर से पाक साफ निकलता है और वो लोग ऐसे
हो गए जिस तरह आलम अरवाह से आलिम खाकी में गुनाहों से पाक आते हैं फिर आपने
साहिबजादे की जानिब इशारा करते हुए फरमाया कि अगर तुम इन लोगों से वाकफिट हासिल करना
चाहते हो तो इनमें इन साहिबजादे के वालिद बुजुर्ग वार भी शामिल हैं अबुल कासिम कशी
का यह मकला था कि खुर कान आने के वक्त मुझ पर हजरत अबुल हसन का खौफ इस दर्जा तारी था
की बात करने की भी सकत नहीं थी जिसकी वजह से मुझे यह ख्याल पैदा हो गया कि शायद
मुझे विलायत के मुकाम से माजू कर दिया गया है जब शेख बू अली सीना आपकी शोहरत से
मुतासिर होकर बगर ज मुलाकात खुराका में आपके घर पहुंचे और आपकी बीवी से पूछा कि
शेख कहां है तो बीवी ने जवाब दिया कि तुम एक जंदी को काजिम को शेख कहते हो मुझे
नहीं मालूम कि शेख कहां है अलबत्ता मेरे शौहर तो जंगल में लकड़ियां लाने गए हैं यह
सुनकर शेख बू अली सीना को ख्याल हुआ कि जब आपकी बीवी ही इस किस्म की गुस्ताखी करती
है तो ना मालूम आपका क्या मर्तबा होगा गो मैंने आपकी बहुत तारीफ सुनी है लेकिन ऐसा
महसूस होता है कि आप बहुत अदना दर्जे के इंसान हैं फिर जब आपकी जुस्तजू में जंगल
की जानिब रवाना हुए तो देखा कि आप शेर की कमर पर लकड़ियां लादे तशरीफ ला रहे हैं यह
वाक देखकर बू अली सीना को बहुत हैरत और कदम बोस होकर अर्ज किया क्या अल्लाह ताला
ने आपको ऐसा बुलंद मुकाम अता फरमाया है कि आपकी बीवी आपके मुतालिक बहुत बुरी बुरी
बातें कहती है आखिर इसकी वजह क्या है आपने जवाब दिया कि अगर मैं ऐसी बकरी का बोझ
बर्दाश्त ना कर सकूं तो फिर यह शेर मेरा बोझ कैसे उठा सकता है आबू अली सीना को
अपने घर ले गए और कुछ देर गुफ्तगू करने के बाद फरमाया अब मुझे इजाजत दे दो क्योंकि
मैं दीवार तामीर करने के लिए मट्टी भिगो चुका हूं यह कहकर आप दीवार पर जा बैठे उस
वक्त आपके हाथ से बसोली छूटकर जमीन पर गिर पड़ी और जब बुली सीना उठाकर देने के लिए
आगे बढ़े तो वह खुद बखुदा देखकर बू अली सीना आपके मतक दीन में
शामिल हो गए एक मर्तबा वजीर बगदाद के पेट में अचानक ऐसा शदीद दर्द उठा के तबा ने भी
जवाब दे दिया इस उस वक्त लोगों ने आपका जूता ले जाकर वजीर के पेट पर फेर दिया और
वह फौरन सेहत याबो गया एक शख्स ने आपसे अर्ज किया कि अपना खरका मुझे पहना दीजिए
ताकि मैं भी आप ही जैसा बन जाऊं आपने पूछा कि क्या कोई औरत मर्दाना लिबास पहनकर मर्द
बन सकती है तो उन्होंने अर्ज किया कि हरगिज नहीं फिर आपने फरमाया कि जब यह मुमकिन नहीं है तो फिर तुम मेरा खरका
पहनकर मुझ जैसे किस तरह बन जाओगे इस जवाब से वह बहुत नाद हुआ किसी ने आपसे दावत
अल्लाह देने की इजाजत चाही तो आपने फरमाया कि जब तुम मखलूक को दावत देने का कसरत करो
तो खुद को दावत ना देना उस शख्स ने कहा कि क्या कोई खुद को भी दावत देता है फरमाया
कि यकीनन और इसकी सूरत यह है कि जब तुम्हें कोई दूसरा शख्स दावत दे तो इसको
नापसंद करो इस तरह तुम खुद को भी दावत देने वाले बन जाओगे लेकिन दावत अल्लाह
देने वाले नहीं बन सकते एक मर्तबा सुल्तान महमूद गजनवी ने अयाज से यह वादा किया था
कि मैं तुझे अपना लिबास पहनाकर अपनी जगह बिठा दूंगा और तेरा लिबास पहनकर खुद गुलामों की जगह ले लूंगा चुनांचे जिस वक्त
सुल्तान महमूद हजरत अबुल हसन से मुलाकात की नियत से खुर कान पहुंचा तो
कासदन अबुल हसन से यह कह देना कि मैं सिर्फ आपसे मुलाकात की गर्ज से हाजिर हुआ
हूं लिहाजा आप जहमत फरमा कर मेरे खेमा तक तशरीफ ले आए और अगर वह आने से इंकार कर
दें तो यह आयत तिलावत कर देना अती उला वाती रसूल अमरी मनक यानी अल्लाह और उसके रसूल
की तात के साथ अपनी कौम के हाकिम की भी अतात करते रहो चुनांचे कासदन जब आपको
पैगाम पहुंचाया तो आपने मजरत तलब की जिस पर कासदन मजकूर बाला आयत तिलावत की आपने
जवाब दिया कि महमूद से कह देना कि मैं तो अती उल्लाह में ऐसा गर्क हूं कि अती और
सूल में भी नदा मत महसूस करता हूं ऐसी हालत में वली उल मुनकर का तो जिक्र ही
क्या है यह कॉल जिस वक्त कासदन महमूद गजनवी को सुनाया तो उसने कहा कि मैं
इन्हें मामूली किस्म का सूफी तसव्वुर करता था लेकिन मालूम हुआ कि वो तो बहुत ही
कामिल बुजुर्ग हैं लिहाजा हम खुद ही उनकी जियारत के लिए हाजिर होंगे और इस वक्त महमूद ने अयाज का लिबास पहना और 10 कनीज
को मर्दाना लिबास पहनाकर अयाज को अपना लिबास पहनाया और खुद बतौर गुलाम के उन 10
कनीज में शामिल होकर मुलाकात करने पहुंच गया गवा आप ने उसके सलाम का जवाब तो दे
दिया लेकिन
ताजमहालावर नहीं दी और जब महमूद ने जवाब दिया कि यह दाम फरेब तो ऐसा नहीं है
जिसमें आप जैसे शहबाज फंस सके फिर आपने महमूद का हाथ थाम करर फरमाया कि पहले इन
ना महरम को बाहर निकाल दो फिर मुझसे गुफ्तगू करना चुनांचे महमूद के इशारे पर तमाम कुनी जें बाहर वापस चली गई और महमूद
ने आपसे फरमाइश की कि हजरत बा जदीद बस्तानी का कोई वाकया बयान फरमाइए आपने
फरमाया कि हजरत बायजीद का कौल यह था कि जिसने मेरी जियारत कर ली उसको बदबख्त से
निजात मिल गई इस पर महमूद ने पूछा कि क्या इनका मर्तबा हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम से भी ज्यादा बुलंद था इसलिए कि हजूर को अबू जहल अबू लहब जैसे मुनकीन ने
देखा फिर भी उनकी बदबख्त दूर ना हो सकी आपने फरमाया कि ऐ महमूद अदब को मलूज रखते
हुए अपनी विलायत में
तसरफती सहाबा के किसी ने नहीं देखा जिसकी दलील यह आयत मुबारक है वत यरना इलका हुला
यब सुरून यानी ऐ नबी सल्लल्लाहु अलैहि वा आलि वसल्लम आप इनको देखते हैं जो आपकी
जानिब नजर करते हैं चुनांचे वह आपको नहीं देख सकते यह सुनकर महमूद बहुत महजूर हुआ
फिर आपसे नसीहत करने की ख्वाहिश की तो आपने फरमाया कि नवाही से इतना करते रहो बा
जमात नमाज अदा करते रहो सखावत और शफकत को अपना शार बना लो और जब महमूद ने दुआ की
दरख्वास्त की तो फरमाया कि मैं खुदा से हमेशा दुआ करता हूं कि मुसलमान मर्दों और
औरतों की मगफिरत फरमा दे फिर जब महमूद ने अर्ज किया कि मेरे लिए मख सूस दुआ फरमाइए
तो आपने कहा कि ऐ महमूद तेरी आकिब महमूद हो और जब महमूद ने अशरफियां का एक तोड़ा
आपकी खिदमत में पेश किया तो आपने जौ की खुश्क टिकिया इसके सामने रखकर जवाब दिया
कि इसको खाओ चुनांचे महमूद ने जब तोड़कर मुंह में रखा और देर तक चबाने के बावजूद
भी हलक से ना उतरा तो आपने फरमाया कि शायद नवा तुम्हारे हल्क में अटका है उसने ने
कहा हां तो फरमाया कि तुम्हारी यह ख्वाहिश है कि अशरफियां का यह तोड़ा इसी तरह मेरे
हल्क में भी अटक जाए लिहाजा इसको वापस ले लो क्योंकि मैं दुनियावी माल को तलाक दे
चुका हूं और महमूद के बेहद इसरार के बावजूद भी आपने उसमें से कुछ ना लिया फिर
महमूद ने ख्वाहिश की कि मुझको बतौर तबक के कोई चीज अता फरमा दें उस पर आपने इसको
अपना पैरहन दे दिया फिर महमूद ने रुखसत होते हुए अर्ज किया कि हजरत आपकी खानकाह
तो बहुत खूबसूरत है फरमाया कि खुदा ने तुम्हें इतनी वसी सल्तनत बख्श दी है फिर भी तुम्हारे अंदर तमा बाकी है और इस
झोपड़ी का भी ख्वाहिश मंद है फिर यह सुनकर उसको बेहद नदा मत हुई और जब वह रुखसत होने
लगा तो आप ताजमहेल के वक्त तो आपने
ताजमहाल शाही तकब्बल था और मेरा इम्तिहान लेने आए थे लेकिन अब एजज और दरवेशी की
हालत में वापस जा रहे हो और खुर्शीद फक्र तुम रीी पेशानी पर रखदा है उसके बाद महमूद
रुखसत हो गया सोमनाथ पर हमला करने के वक्त जब महमूद गजनवी को गनीम की बेपनाह कुवत की
वजह से शिकस्त का खतरा हुआ तो उसने वजू करके नमाज पढ़ी और आपका अता करदा पैरहन
हाथ में लेकर यह दुआ की कि ऐ खुदा इस पैरहन वाले के सदका में मुझे फतह अता फरमा
और जमाले गनीमत उस जंग में हासिल होगा वह सब फुकरा में तकसीम कर दूंगा चुनांचे
अल्लाह ने उसकी दुआ को शरफे कबूलियत अता फरमाया और जब वह गनीम के मुकाबला में सफ
आरा हुआ तो गनीम अपने बाहम इख्तिलाफ की बिना पर खुद ही आपस में लड़ने लगा जिसकी
वजह से महमूद को मुकम्मल फतह हासिल हो गई और रात को महमूद ने ख्वाब में हजरत अबुल
हसन को देखा कि आप फरमा रहे हैं कि ऐ महमूद तूने इस कदर मामूली शय के लिए मेरे
खरका के सदके में दुआ की अगर तू उस वक्त यह दुआ मांगता कि तमाम आलिम के कुफा
इस्लाम कबूल कर ले और दुनिया से कुफ्र का खात्मा हो जाए तो यकीनन तेरी दुआ कबूल
होती एक रात आपने लोगों से फरमाया कि इस वक्त पना जंगल में एक काफिला लूटकर कज्जा
कों ने बहुत से अफराद को मजरूह कर दिया लेकिन यह ताज्जुब की बात है कि इसी शब
किसी ने आपके साहिबजादे का सर काट कर घर की चौकट पर रख दिया था और आपको कतई इसका
इल्म ना हुआ और जब यह दोनों वाक्यात आपकी बीवी के इल्म में आए तो उसने आपकी विलायत से इंकार कर दिया और कहा कि ऐसे शख्स का
जिक्र हरगिज ना करना चाहिए जिसको दूर की इत्तला तो हो जाए लेकिन घर के दरवाजे का
इल्म ना हो सके लेकिन आपने यह जवाब दिया कि जिस वक्त काफिला लूटा गया उस वक्त तमाम
हिजा बात मेरे सामने से उठा दिए गए थे और जिस वक्त वो लड़के को कत्ल किया गया उस
वक्त हिजा बात बाकी थे जिसकी वजह से मुझे इसके कत्ल का इल्म ना हो सका और जब आपकी
बीवी ने लड़के का सर दरवाजे पर देखा तो शफकत मादी की वजह से बेचैन हो होकर रोते
पीटते हुए अपने बाल काटकर लड़के के सर पर डाल दिए और इंसानी तकाज के तौर पर हजरत
अबुल हसन को भी अपने साहिबजादे के कत्ल का रंज हुआ और आपने भी अपनी दाढ़ी के बाल
साहिबजादे के सर पर डालते हुए बीवी से फरमाया कि यह बीज हम तुम दोनों ने मिलकर
बोया था और तुमने अपने बाल काटकर और मैंने अपनी दाढ़ी के बाल इसके सर पर डाल दिए इसी
तरह हम दोनों बराबर हो गए एक मर्तबा मुरीदन त आपको सात यौम तक खाना मयस्सर ना
आ सका तो सातवें दिन एक आदमी आटे की बोरी और एक बकरी लेकर आया और आपके दरवाजे पर
आवाज दी कि मैं यह चीजें सूफिया के लिए लेकर हाजिर हुआ हूं आपने मुरीदन से फरमाया
कि मुझ में तो सूफी होने की सलाहियत नहीं है लिहाजा तुम में से जो सूफी हो वो जाकर
ले ले लेकिन किसी ने अपने सूफी होने का दावा नहीं किया और सब फाका से बैठे रहे
आपके एक और भाई भी थे लिहाजा अगर आप रात को इबादत में मशगूल होते तो दूसरे भाई
पूरी रात मां की खिदमत गुजारी करते रहते एक दिन जब दूसरे भाई का नंबर मां की खिदमत
करने का था तो उसने आपसे कहा कि अगर आप आज मेरे बजाय वालिदा की खिदमत में रह जाएं तो
मैं रात भर इबादत कर लूं चुनांचे आपने इसको इजाजत दे दी और खुद मां की खिदमत में
रहे लेकिन उसी शब इबादत की इब्तिदा करते ही आपके भाई ने यह गैबी निदा सुनी कि हमने
तुम्हारे भाई की मगफिरत करने के साथ-साथ तुम्हें भी उनके तुफैल में बख्श दिया यह
सुनकर उन्हें हैरत हुई और खुदा से अर्ज किया कि या अल्लाह मैं तो तेरी इबादत कर रहा हूं और वह मां की खिदमत गुजारी में है
फिर उसकी क्या वजह है कि मेरी मगफिरत के बजाय उसकी मगफिरत करके मुझे उसका तुफैल
बनाया गया निदा आई कि हमें तेरी इबादत की हाजत नहीं बल्कि मोहताज मां की खिदमत करने
वाले की अतात हमारे लिए बायस खुशनूर है 40 साल तक कभी आपने एक लम्हा के लिए भी आराम
नहीं किया और इशा के वजू से फजर की नमाज अदा करते रहे 40 साल के बाद एक दिन मुरीदन
से फरमाया कि तकिया दे दो मैं आराम करना चाहता हूं मुरीदन को इससे बहुत हैरत हुई
और पूछा कि आज आप आराम के ख्वा हा क्यों हुए फरमाया कि आज मैंने खुदा की बे नियाजी
और इस्तग का मुशाहिद कर लिया है हत्ता कि 30 साल तक अल्लाह ताला के खौफ के सिवा
मेरे कल्ब में कोई ख्याल नहीं आया एक दिन कोई सूफी हवा में परवाज करता हुआ आपके
सामने आकर उतरा और जमीन पर पांव मार कर कहने लगा कि मैं अपने दौर का जुनेद शिबली
हूं आपने भी खड़े होकर जमीन पर पांव मारते हुए फरमाया कि मैं भी खुदा ए वक्त हूं
हजरत मुसन्निफ फरमाते हैं कि इस कॉल का मफू भी वही है जो हम मंसूर के कॉल अनल हक
में बयान कर चुके हैं कि वह मुकाम मावित में थे और अगर माहवी में औलिया कराम से
खिलाफ शराबी कोई कौल और फेल सरज हो तो उनको बुरा भला ना कहना चाहिए जैसा कि हजूर
अकरम सल्लल्लाहु अल वसल्लम का इरशाद है यानी मैं रहमान का नफ्स यमन की जाने पाता
हूं एक मर्तबा आपने यह गैबी आवाज सुनी कि ए अबुल हसन तू नकीरी से क्यों नहीं डरता
आपने फरमाया कि जिस तरह जवा मर्द ऊंट की घंटी से खाफ नहीं होता उसी तरह मैं भी
मुर्दों से खौफ जदा नहीं होता फिर नदाई तू कयामत से और उसकी अजियत से खौफ जदा क्यों
नहीं होता आपने जवाब दिया कि जब तू मुझे जमीन से उठाकर मैदान हश्र में खड़ा करेगा
तो मैं अबुल हसनी लिबास उतार कर बहरे वहदा नियत में गोता लगाऊंगा ताकि वहदा नियत के
सिवा कुछ बाकी ना रहे और जब अबुल हसन ही नहीं होगा तो मलाइका किस पर अजाब करेंगे
एक मर्तबा रात को नमाज में आपने यह गैबी आवाज सुनी के अबुल हसन तेरी क्या यह
ख्वाहिश है कि तेरे मुतालिक जो कुछ हमें इल्म है उसको मखलूक पर जाहिर कर दें आपने
जवाब दिया कि ऐ खुदा क्या तू यह चाहता है कि जो कुछ मैं तेरे कर्म से मुशाहिद करता
हूं और जिसका मुझे तेरी रहमत से इल्म है उसको मखलूक पर खोल दे एक मर्तबा आपने
फरमाया कि अल्लाह रूह कब्ज करने के लिए फरिश्ता अजल को मेरे पास ना भेजना क्योंकि
यह रूह ना तो मुझे फरिश्ता अजल ने अता की है और ना उसको सपुत करने को तैयार हूं
बल्कि यह रूह तेरी अमानत है और तुझ ही को वापस करना चाहता हूं फिर फरमाया कि एक
मर्तबा मैंने यह आवाज सुनी कि ईमान क्या शय है मैंने जवाब दिया कि ईमान वही है जो
तूने मुझे बख्शा है फिर फरमाया कि मुझे अल्लाह ताला की जानिब से यह निदा आती है
कि तू हमारा है और हम तेरे हैं लेकिन मैं जवाब देता हूं कि तू कादरे मुतलू बंदा आप
फरमाया करते थे कि जिस वक्त मैं अर्श के करीब पहुंचा तो मलायका सफ दर सफ मेरा
इस्तकबाल करते हुए कहा कि हम करवे बयान हैं और एक जमात ने कहा कि हम
रूहानियात दिया कि हम इलाहिया हैं यह सुनकर मलायका बहुत नादम हुए और मश को मेरे
इस जवाब से मुसर्रत हासिल हुई इरशाद आप फरमाया करते थे कि हजूर अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम के
तक मालूम नहीं हो सकी यानी इन चीजों की कोई इंतिहा ही नहीं है फरमाया कि अल्लाह
ताला ने मुझे ऐसे कदम अता किए जिनसे मैं अर्श से तहल सरा तक पहुंच गया और वहां से
फिर अर्श पर लौट आया लेकिन मुझे यह पता ना चल सका कि मैं कहां और किधर गया फिर गैबी
निदा आई कि जिसके कदम और शैर ऐसे हो जाहिर है कि वह कहां तक पहुंच सकता है मैंने दिल
में कहा कि अजीब द दराज और अजीब कोताह सफर है कि मैं गया भी और सफर भी किया लेकिन
फिर अपनी जगह मौजूद हूं फरमाया कि मैंने सिर्फ 4000 बातें खुदा से सुनी थी और अगर
कहीं 10000 कॉल सुन लेता तो ना मालूम क्या हो जाता और फिर क्या चीजें जहूर में आती
फरमाया कि खुदा ने मुझे इतनी ताकत अता कर दी थी कि जिस वक्त मैंने कसदार दे बाय
रूमी में तब्दील हो जाए तो फौरन हो गया और खुदा का शुक्र है कि वह ताकत आज भी मेरे
अंदर मजूद है फरमाया कि गो मैं अनपढ़ हूं लेकिन खुदा ने अपने कम से मुझको तमाम उलूम
से बहरा व किया है और मैं उनका शुक्र गुजार हूं कि उसने अपनी हकीकत में मुझे
गुम कर दिया है यानी जाहिरी जिस्म सिर्फ खयाली है क्योंकि मेरा जाती वजूद खत्म हो
चुका है फरमाया कि खुदा ने मुझे वह दर्द अता किया है कि अगर इसका एक कतरा भी निकल
पड़े तो तूफान नूह से भी ज्यादा तूफान आ जाए फरमाया कि मरने के बाद भी मैं अपनी
मौत तक दीन की नजा के वक्त मदद करूंगा और जिस वक्त फरिश्ता अजल उनकी रूह कब्ज करना
चाहेगा तो मैं अपनी कब्र में से हाथ निकालकर उनके लबो दं दन पर लुत्फे इलाही
का छींटा दूंगा ताकि वह शिद्दत तकलीफ में खुदा से गाफिल ना हो सके फरमाया कि ऐ
अल्लाह मुझे वह शय अता कर दे जो हजरत आदम अल सलाम से लेकर आज तक किसी को अता ना की
गई हो क्योंकि मैं छोटी चीज बनना पसंद नहीं नहीं करता मुरीद से फरमाया कि मशक
तरीकत के साथ जो भलाइयाना तुम्हारे मुर्शद के साथ की गई हैं फरमाया
कि मैं इशा के बाद उस वक्त तक आराम नहीं करता जब तक दिन भर का हिसाब खुदा को नहीं
दे देता फरमाया कि अगर कयामत में अल्लाह मेरे तुफैल से पूरी मखलूक की मगफिरत फरमा
दे जब भी मैं अपनी अल हमती की बिना पर जो मुझे बारगाह खुदा वंदी में हासिल है मुंह
मोड़कर ना देखूंगा फरमाया कि ऐ लोगों तुम्हारा इस बंदे के मुतालिक क्या ख्याल
है जिसको आबादी और वराना कुछ भी अच्छा ना लगता हो लेकिन याद रखो कि अल्लाह ने ऐसे
बंदे को वह मर्तबा अता किया है कि कयामत में उसके दम से ऐसा नूर फैले का कि आबादी
और वीराने सब मुनव्वर हो जाएंगे और खुदा उसके सदका में तमाम मखलूक की मगफिरत फरमा
देगा हालांकि वह शख्स दुनिया में कभी दुआ नहीं करता और कयामत में भी किसी की
सिफारिश नहीं करेगा फर कि गोश तन्हाई में कभी अल्लाह ताला मुझे ऐसी कुवत अता कर
देता है कि अगर मैं चाहूं तो एक इशारे में आसमान को पकड़ कर खींच लूं और चाहूं तो दम
जदन में तहल सरा की सहत कराऊं फरमाया कि मेरा हर फेल एक करामत है हत्ता कि जब मैं
हाथ फैलाता हूं तो हवा मेरे हाथ में सोने का जरा महसूस होती है जबकि मैंने कभी
इजहार करामत के लिए हवा में हाथ नहीं फैलाया क्योंकि जो इजहार करामत के के लिए
जहूर करामत की ख्वाहिश करता है उस पर अल्लाह ताला करामत के दरवाजे बंद कर देता
है फरमाया कि जब तक तुम्हारे कुलूब मुर्दा हैं सुकून नहीं मिल सकता फरमाया कि करामत
का मफू यह है कि अगर दरवेश पत्थर से कोई सवाल करें तो पत्थर उसको जवाब दे फिर
फरमाया कि लोग तो अपनी मंजिले मकसूद के हसूल के लिए दिन में रोजा रखते हैं और रात
को इबादत करते हैं लेकिन खुदा ने मुझे अपने कर्म ही से मंजिले मकसूद तक पहुंचा दिया फरमाया कि जब मैं शिकम मादर में चार
माह का था उस वक्त से आज तक की तमाम बातें याद हैं और जब मर जाऊंगा तो कयामत तक का
हाल लोगों से बयान करता रहूंगा फरमाया कि मैं जिन्नो इंस मलायका और चरण परिंदे
ज्यादा वाद निशानियां बता सकता हूं क्योंकि खुदा ने तमाम चीजें मेरे सामने कर दी हैं और अगर इस किनारे से लेकर उस
किनारे तक किसी की उंगली में ंस चुप जाए तब मुझे इसका हाल मालूम रहता है और अगर
मैं इन राजों को जो मेरे और खुदा के मा बैन है मखलूक पर जाहिर कर दूं तो किसी को
यकीन नहीं आ सकता और जो नामात खुदा के मेरे ऊपर हैं सब अगर इनका इंक शफ कर दूं
तो रोई की तरह पूरी मखलूक के कुलूब जल उठे और मैं नदा मत महसूस करता हूं कि होशो
हवास में रहकर खुदा के सामने खड़े होकर कुछ और लब कुशाई करूं और हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अल वसल्लम जिस काफिला के मीर कारवा हो मैं खुद को उस काफिला से जुदा कर
लूं फरमाया कि खालिक ने मखलूक के लिए एक इब्तिदा और इंतहा मुकर्रर की है इब्तिदा
तो यह है कि मखलूक दुनिया में जो आमाल करती है उसकी इंतिहा सिला आखिरत है और
खुदा ने मेरे लिए एक ऐसा वक्त अता किया है कि दन और दुनिया दोनों ही उस वक्त के मतम
हैं फरमाया कि मैं फिरदौस और जहन्नुम से बेनज होकर सिर्फ खुदा की इबादत करता हूं
और उसी से खौफ जजदा रहता हूं और मैं खास बंदों से अल्लाह ताला की मख्सूसपुरी
इसलिए बयान नहीं करता कि वह इस रमज से वाकिफ नहीं और अपनी जात से इसलिए बयान
नहीं करता कि तकब्बल होने का खतरा है और खुदा ने मेरे जुबान को वह ताकत भी अता
नहीं की जिसके जरिया मैं उसके भेदों को जाहिर कर सकूं फरमाया कि मैं तो शिकम मादर
ही में जलकर राख हो चुका था और पैदाइश के वक्त जला और पिघला हुआ पैदा हुआ और जवानी
से कबल ही बूढ़ा हो गया फरमाया कि पूरी मखलूक के कश्ती है और मैं इसका मल्ला हूं
और मैं हमेशा इसी में रहता हूं फरमाया कि खुदा ने अपने कम से वह फिक्र अता की है
जिसका जरिया में पूरी मखलूक का मुशाहिद करता हूं फिर फरमाया कि मैं शबरोज उसी के
शुगल में जिंदगी गुजारता रहा जिसकी वजह से मेरी फिक्र बीनाई में तब्दील हो गई फिर
शमा बनी फिर इंस बात फिर हैबत फिर मैं इस
मुकाम तक पहुंच गया कि मेरी फिक्र हिकमत बन गई और जब मेरी तवज्जो शफकत मखलूक की
तरफ मब जूल हुई तो मैंने अपने से ज्यादा किसी को भी मखलूक के हक में शफीक नहीं
पाया इस वक्त मेरी जुबान से निकला के काश तमाम मखलूक के बजाय सिर्फ मुझे मौत आ जाती
और तमाम मखलूक का हिसाब कयामत में सिर्फ मुझसे लिया जाता और जो लोग सजा के मुस्तक
होते उनके बदले में सिर्फ मुझे अजाब दे दिया जाता फरमाया कि खुदा अपने महबूब
बंदों को इस मुकाम में रखता है जहां मखलूक की रसाई नहीं हो सकती फरमाया कि अगर आवाम
के सामने खुदा के कर्म का अदना सा भी इजहार कर दूं तो सब लोग मुझे पागल कहने
लगे और जो कुछ मैंने खाया या पिया देखा सुना और जो कुछ खुदा ने तखक किया मुझसे
पोशीदा नहीं रखा फरमाया कि खुदा ताला का मुझसे यह अहद है कि मैं तुझको अपने नेक
बंदों से मिलाऊंगा और बदबख्त की सूरत भी तुझे नजर नहीं पड़ेगी चुनांचे मैं दुनिया
में आज जिन लोगों से मुलाकात कर रहा हूं कयामत में भी इसी तरह मुसर्रत के साथ उनसे
मुलाकात करूंगा फरमाया कि एक मर्तबा मैंने खुदा से दुआ की कि अब मुझे दुनिया से उठा
लिया जाए तो आवाज आई कि ऐ बुल हसन मैं तुझे इसी तरह कायम रखूंगा ताकि मेरे महबूब
बंदे तेरी जियारत कर सकें और जो इससे महरूम रहे वह तेरा नाम सुनकर यबा ताल्लुक
कायम कर सके और मैंने तुझे अपनी पाकी से तखक किया है इसलिए तुझसे नापाक बंदे
मुलाकात नहीं कर सकते फरमाया कि हर इबादत का सवाब मोयन है लेकिन औलिया कराम की
इबादत का सवाब ना मुकर्रर है ना जाहिर बल्कि खुदा जितना अजर देना चाहेगा दे देगा
इससे अंदाजा किया जा सकता है कि जिस इबादत का अजर खुदा के दीन पर मकू हो उसके बराबर
कौन सी इबादत हो सकती है लिहाजा बंदों को चाहिए कि खुदा के महबूब बनकर हर वक्त उसकी इबादत में मशगूल रहे फरमाया कि मैं 50 साल
से इस तरह खुदा से हम कलाम हूं कि मेरे कल्बो जुबान को भी इसका इल्म नहीं 73 साल
तक मैंने ने इस अंदाजे से जिंदगी गुजार दी कि कभी एक सजदा भी शरीयत के खिलाफ नहीं
किया और लम्हा के लिए भी नफ्स की मुआफ नहीं की और दुनिया में इस तरह रहा कि मेरा
एक कदम अर्श से तहल सरा तक और एक कदम तहल सरा से अर्श तक रहा फरमाया कि मुझे खुदा
ने फरमाया कि अगर तू गमो अलम लेकर मेरे सामने आएगा मैं तुझे खुश कर दूंगा अगर
फक्र नयाज के साथ हाजिर होगा तो तुझे मालदार बना दूंगा और अगर खुद ही से किनारा
कश होकर पहुंचेगा तो तेरे नफ्स को तेरा फरमाबरदार कर दूंगा फरमाया कि खुदा ने एक
मर्तबा तमाम आलिम के खजाने मेरे सामने पेश कर दिए लेकिन मैंने कहा कि मैं इन पर गरवी
द नहीं हो सकता फिर खुदा ने फरमाया कि ऐ अबुल हसन दीनो दुनिया में तेरा कोई हिस्सा
नहीं बल्कि इन दोनों के बदले मैं तेरे लिए हूं फरमाया कि तर्क दुनिया के बाद ना तो
मैंने कभी किसी की तरफ देखा ना खुदा से कलाम करने के बाद किसी से कलाम कि किया
फरमाया कि खुदा ने जो मर्तबा मुझे अता फरमाया मखलूक इससे ना वाकिफ है आपने एक
शख्स से पूछा कि क्या तुम हजरत खजर से मिलना चाहते हो उसने कहा हां आपने फरमाया
तुमने 60 साला जिंदगी को राय गां कर दिया लिहाजा अब तुम्हें इस कदर कसरत से इबादत
की जरूरत है जो तुम्हारी बर्बादी का अजला कर सके क्योंकि हजरत खिज्र और तुमको खुदा
ने तखक फरमाया है और तुम खालिक को छोड़कर मखलूक से मुलाकात के ख्वाहिश मंद हो जबकि
मखलूक का यह फर्ज है कि सबको छोड़कर सिर्फ खालिक की जानिब रुजू करें मेरी हालत तो यह
है कि जब से मुझे खुदा की मायत हासिल हुई मुझे कभी मखलूक की सोहबत की तमन्ना नहीं
हुई फरमाया कि मखलूक मेरी तारीफ से इसलिए कासिर है कि जो कुछ भी मेरी तारीफ में कहेगी मैं इसके बरक्स हूं फरमाया कि जब
मैंने अपनी हस्ती पर नजर डाली तब मुझे अपनी नेस्टी का पता चला और जब नेती पर का
डाली तो निदा ए गैबी आई के अपनी हस्ती का इकरार कर मैंने अर्ज किया कि अल्लाह तेरे
सिवा तेरी हस्ती का कौन इकरार कर सकता है जैसा कि तूने कुरान में फरमाया है जब खुदा
ताला ने यह रास्ता कुशा कर दिया तो मैं साल ब साल इस राह की रोशनी में कुफ्र से
सबूत तक पहुंच गया फरमाया कि खुदा ने मुझको वो जुरत हिम्मत अता की है कि मैं एक
कदम में ऐसे मुकाम तक पहुंच सकता हूं जहां मलाइका की रसाई भी मुमकिन नहीं फिर फरमाया कि जब खुद से मेरा कल्ब मुत फिर हो गया तो
मैंने अपने आप को पानी में गिरा दिया लेकिन डूब ना सका फिर आग में झोंका मगर खाक स्तर ना हो सका फिर फना होने की नियत
से मुकम्मल चार माह 10 यम तक कुछ नहीं खाया लेकिन फिर भी मौत से हम किनार ना हो
सका और जब मैंने इजस को अपनाया तो अल्लाह ने मुझे कुशा दगी अता फरमा करर इन मराब तक
पहुंचा दिया जिनका इजहार अल्फाज में मुमकिन नहीं फरमाया कि मैंने रास्ता में ठहर कर अर्जो समा की तमाम मखलूक के आमाल
का मुशाहिद किया लेकिन उनके आमाल मेरी नजर में बेवक्त साबित हुए क्योंकि मुझे उनकी
मलकीत से मुकम्मल तौर पर बाख कर दिया गया था इस वक्त मुझे गैब से यह आवाज सुनाई दी
कि ऐ अबुल हसन जिस तरह तमाम मखलूक के आमाल तेरी निगाह में हीज हैं उसी तरह हमारे
सामने तेरी भी कोई वकत नहीं आप इस तरह मुनाजात किया करते थे कि ऐ अल्लाह मुझे
जहद इबादत और इल्म तसव्वुफ पर कतन एतमाद नहीं और ना मैं खुद को आलिम जाहिद और सूफी
तसव्वुर करता हूं ए अल्लाह तू यकता है और मैं तेरी यताई में एक नाचीज मखलूक हूं
फरमाया कि जो लोग खुदा के सामने अर्जो समा और पहाड़ों की मानिंद साक तो
जामदार नहीं कहा जा सकता बल्कि मर्दू द है बल्कि मर्द वो है जो अपनी हस्ती को फना
करके उसकी हस्ती को याद करते रहे फिर फरमाया कि नेक बंदा वही है जो खुद को नेक
कहकर जाहिर ना करे क्योंकि नेकी सिर्फ खुदा की सिफत है फरमाया कि अहले करामत
बनने के लिए जरूरी है कि एक यम खाना खाकर तीन यौम तक फाका किया जाए फिर एक मर्तबा
खाने के बाद एक साल तक फाका कश रहना चाहिए और जब एक साल तक फाका कशी की कुवत
तुम्हारे अंदर पैदा हो जाए तो गैब से एक ऐसी शय का जहूर होगा कि उसके मुंह में
सांप जैसे कोई चीज होगी और वह तुम्हारे मुंह में दे दी जाएगी जिसके बाद कभी खाने
की रमा ना होगी और मुजदा तो फाका कशी करते करते जब मेरी आंत कतई खुश्क हो गई उस वक्त
वह सांप जाहिर हुआ और मैंने खुदा से अर्ज किया कि मुझे किसी वास्ते की हाजत नहीं जो
कुछ भी अता करना है बिला वास्ता अता फरमा दे उसके बाद मेरे मेदे में एक ऐसी शेरनी
पैदा हो गई जो मुश्क से जायद खुशबूदार और शहद से ज्यादा शीरी थी फिर नदाई कि हम
तेरे लिए खाली मेदे से खाना पैदा करेंगे और तृष्णा जिगर से पानी अता करेंगे और
उसका यह हुक्म ना होता तो मैं ऐसी जगह खाना खाता और पानी पीता के मखलूक को इल्म
भी ना हो सकता फरमाया कि जब तक मैंने खुदा के सिवा दूसरों पर भरोसा किया मेरे अमल
में इखलास पैदा ना हो सका पर जब मैंने मखलूक को खैराबाद कहकर सिर्फ खुदा की
जानिब देखा तो मेरी सई के बगैर ही इखलास पैदा हो गया और इसकी बे नियाजी मुशाहिद के
बाद मुझे पता चला कि इसके नजदीक पूरी मखलूक का इल्म जरा बराबर भी वकत नहीं रखता
और इसकी रहमत के मुशाहिद से मालूम हुआ कि वह इतना बड़ा रहीम है कि पूरी मखलूक के
गुनाह भी उसकी रहमत के आगे हीज है फरमाया कि मैं बरसों खुदा के अमूर में इस तरह
हैरत सदा रहा कि मेरी अकल सुलबी गई थी उसके बावजूद भी मखलूक मुझे दानिश्वर समझती
रही फरमाया कि काश फिरदौस जहन्नुम का वजूद ना होता ताकि यह मालूम हो सकता कि तेरे
परिस्ता औरों की तादाद कितनी है और जहन्नुम से बचने के लिए कितने बंदे तेरी
इबादत करते हैं फरमाया कि मैं यह दुआ करता हूं कि अल्लाह ताला तमाम मखलूक को गमों से
निजात देकर मुझे दामी गम अता कर दे और इतनी कुवत बर्दाश्त दे दे कि मैं इस बार
अजीम को संभाल सकूं फरमाया कि मेरे सर की टोपी अर्श पर और कदम तहल सरा में है और
मेरा एक हाथ मशरिक में और दूसरा मगरिब में है यानी खुदा ने मुझको को अर्जो समा और
मशरिक और मगरिब के तमाम हालात से बाख कर दिया है और तमाम हिजा बात मुझसे दूर कर
दिए गए हैं फरमाया कि खुदा तक रसाई के लिए बेशुमार रास्ते हैं यानी खुदा ने जितनी
मखलूक पैदा की है उसी कद्र खुदा तक रसाई के रास्ते भी हैं और हर मखलूक अपनी बिसात
के मुताबिक इन राहों पर
फिर मैंने खुदा से दुआ की कि मुझे ऐसा रास्ता बता दे जिसमें तेरे और मेरे सिवा
कोई और ना हो चुनांचे उसने वह रास्ता मुझको अता कर दिया लेकिन उस रास्ते पर
चलने की किसी दूसरे में ताकत नहीं है इसका मफू यह है कि तालिब इलाही के लिए जरूरी है
कि गमो अलाम में भी खुशी के साथ अतात इलाही करते रहे क्योंकि ऐसे आलिम में अतात
करने वालों को दूसरों की बनिस्बत बहुत जल्द कुर्बे इलाही हासिल हो जाता है
फरमाया कि जवा मर्द वही है जिसको दुनिया नामर्द तसव्वुर करती हो और जो दुनिया के
नजदीक मर्द होता है वह हकीकत में नामर्द है फरमाया कि मैंने एक मर्तबा यह नदा सुनी
कि ऐबल हसन मेरे अकाम की तामील करता रह मैं ही वह जिंदा रहने वाला हूं जिसको कभी
मौत नहीं और तुझे भी हयाते जादवा अता कर दूंगा मेरी ममनू चीजों से एतराज करना
क्योंकि मेरी सल्तनत इतनी मुस्त कम है जिसको कभी जवाल नहीं और मैं तुझको ऐसा
मुल्क अता कर दूंगा जिसको कभी जवाल ना होगा फरमाया कि जब मैंने खुदा की वहदा
नियत पर लब कुशाई की तो मैंने देखा कि अर्जो समा मेरा तवाफ कर रहे हैं लेकिन
मखलूक को इसका कतन इल्म नहीं फरमाया कि मैंने यह निदा ए गैबी सुनी कि मखलूक हमसे
जन्नत की तालिब है हालांकि उसने अभी तक ईमान का शुक्र भी अदा नहीं किया मफू यह है
कि शुक्र नेमत के बगैर बंदे को तालिब जन्नत ना होना चाहिए क्योंकि उसके बगैर
जन्नत कभी नहीं मिलती फरमाया कि हर सुबह उलमा अपने इल्म की ज्यादती और जहाज अपने
जहद में ज्यादती तलब करते हैं लेकिन मैं हर सुबह खुदा से ऐसी शय तलब करता हूं
जिससे मोमिन भाइयों को मुसर्रत हासिल हो सके फरमाया कि मुझसे सिर्फ वही लोग मुलाकात करें जो यह जहन नशीन कर ले कि मैं
महशर में सबसे कबल मुसलमानों को जहन्नुम से निजात दिला लूंगा उसके बाद खुद जन्नत
में जाऊंगा का और जो शख्स इस अजम में पुख्ता हो उसको चाहिए कि ना तो मेरी
मुलाकात के लिए आए और ना मुझे सलाम करें फरमाया कि खुदा ने मुझे ऐसी शय अता की है
जिसकी वजह से मैं मुर्दा हो चुका हूं और उसके बाद वह जिंदगी दी जाएगी जिसमें मौत
का तसव्वुर तक ना होगा फरमाया कि अगर मैं उलमा ए निशापुर के सामने एक जुमला भी
जुबान से निकाल दूं तो वह वाज गई तर्क करके कभी मेंबर पर ना चढ़े फरमाया कि
मैंने खालिक को मखलूक से इस तरह सुलह कर ली है कि कभी जंग नहीं करूंगा फरमाया कि
अगर मुझको मखलूक से यह खतरा ना होता कि मैं हजरत बायजीद के मर्तबा तक पहुंच गया
हूं तो वह बात बायजीद ने अल्लाह ताला से कही है मखलूक के सामने बयान कर देता इसलिए
कि जहां तक बायजीद की फिक्र पहुंचती है वहां मेरा कदम क्या है और खुदा ने उनसे
कहीं ज्यादा मुझे बरात अता फरमाए हैं क्योंकि बा यजद का कौल तो यह है ना कि मैं मुकीम हूं और ना मुसाफिर और मेरा कौल यह
है कि मैं खुदा की वहदा नियत में मुकीम हूं और उसकी यताई में सफर करता हूं फरमाया
कि जिस दिन से खुदा ताला ने मेरी खुदी को दूर फरमा दिया है जन्नत मेरी ख्वाहिश मंद है और जहन्नुम मुझसे दूर भागती है और इस
मुकाम पर खुदा ने मुझे पहुंचा दिया है अगर उसमें फिरदौस और जहन्नुम का गुजर हो जाए
तो दोनों अपने बाशिंदों समेत उसमें फना हो जाएं फरमाया कि मखलूक तो वो बातें बयान
करती है जिसका ताल्लुक खालिक और मखलूक से है लेकिन मैं वह बात बयान करता हूं जो
खुदा की अबुल हसन के साथ होती है फरमाया चूंकि मेरे वालदैन नस्ले आदम से थे इसलिए
इनको आदमी कहा जाता है लेकिन मेरा मकाम वह है जहां ना आदम है ना आदमी फिर फरमाया कि
जिसने हर हाल में मुझको जिंदा पाया है वह सिर्फ हजरत बायजीद हैं लेकिन एक मर्तबा
आपने यह आयत तिलावत फरमाई यानी तेरे रब की गिफ्ट बहुत शदीद है फिर फरमाया कि मेरी
गिफ्ट उसकी गिफ्ट से भी शदीद तरीन है इसलिए कि वह मखलूक को पकड़ता है और मैंने
उसका दामन पकड़ रखा है फरमाया कि मेरे कल्ब पर इश्क का ऐसा गम है कि पूरी दुनिया
में कोई भी इसकी तह तक नहीं पहुंच सकता फरमाया कि अल्लाह ताला कयामत में मुझे
अपने करीब बुलाकर फरमाए का कि क्या तलब करता है मैं अर्ज करूंगा या अल्लाह मैं इन
लोगों को तलब करता हूं जो मेरे जमाने में दुनिया में मेरे हमराह थे और इन लोगों को
जो मेरी वफात के बाद मेरे मजार की जियारत को आते रहे और इन लोगों को जिन उन्होंने
मेरा नाम सुना या नहीं सुना इस वक्त बारी ताला फरमाए अग चूंकि दुनिया में तूने
हमारे अह काम के मुताबिक काम किए इसलिए आज हम तेरी भी बात मान लेते हैं और जब सब
लोगों को मेरे सामने लाया जाएगा तो हजूर अकरम इरशाद फरमाएंगे कि अगर तू चाहे तो
अपने आगे तेरे लिए जगह खाली कर दूं लेकिन मैं अर्ज करूंगा कि हजूर मैं तो दुनिया
में भी आपकी तबा करता रहा हूं और यहां भी आप ही कताब हूं फिर हुक्म इलाही से मलायका
एक नूरानी फर्श बिछा देंगे जिस पर मैं खड़ा हो जाऊंगा और हजूर अकरम उम्मत के इन
बुजुर्गों को हाजिर फरमाएंगे जिनका सानी पैदा नहीं हुआ और खुदा ताला उनके मुकाबले में मुझको खड़ा करके फरमाए ऐ हमारे महबूब
वह सब तुम्हारे मेहमान हैं लेकिन यह हमारा मेहमान है फरमाया कि जिन लोगों ने मेरा
कलाम सुन लिया या आइंदा सुनेंगे उनका मामूली दर्जा यह होगा कि कयामत में वह बिला शुबह बख्श दिए जाएंगे फरमाया कि लाह
तेरे नबी ने मुझे तेरी दावत दी और मैं उनके सिवा तमाम मखलूक को तेरी दावत दी
फरमाया कि कयामत में मखलूक का एक दूसरे से नाता खत्म हो जाएगा लेकिन मेरा जो रिश्ता
खुदा से कायम है वह नहीं खत्म होगा फरमाया कि महशर में तमाम अंबिया कराम मेंबरे नूर
पर जलवा फरोज होंगे और तमाम औलिया कराम की कुर्सियां नूरानी होंगी ताकि मखलूक अंबिया
औलिया का नजारा कर सके लेकिन अबुल हसन फर से यताई पर बैठेगा ताकि खुदा ताला का
नजारा कर सके फरमाया कि सिर्फ कमा तय कर लेने से कुर्बे इलाही हासिल नहीं हो जाता बल्कि बंदे ने जो कुछ खुदा ताला से लिया
है इसको वापस कर दे यानी फना हो जाए क्योंकि फनात के बाद ही जात खुदा वंदी से
आगाही हासिल हो सकती है फरमाया कि मैं अल्लाह ताला से कहता हूं कि मुझे वह मुकाम अता ना कर जिसमें तेरे सिवा मेरी खुद ही
का वजूद बाकी रह जाए फरमाया कि आजार पहुंचाने वाले से मखलूक दूर भागती है और ऐ
अल्लाह मैं तुझे हमेशा आजर द किए रखता हूं फिर भी तू मेरे नजदीक है जिसका मैं किसी
तरह शुक्र अदा नहीं कर सकता ऐ अल्लाह मैंने अपनी हर शय तेरे राह में कुर्बान कर
दी हत्ता कि जिस शय पर तेरी मलकीत थी इसको भी खर्च कर दिया अब तो यह ख्वाहिश है कि
मेरे वजूद को खत्म कर दे ताकि तू ही तू बाकी रह जाए फरमाया कि मैं 40 कदम चला
जिनमें से एक कदम अर्श से तहल सरा तक था और बाकी कदमों के मुतालिक कुछ नहीं कह
सकता फिर फरमाया कि अल्लाह मेरी तखक सिर्फ तेरे लिए है लिहाजा मुझे किसी दूसरे के दम
में गिरफ्तार ना करना ऐ अल्लाह बहुत से बंदे नमाज और ता को और बहुत से जिहाद और
हज को और बहुत से इल्म और सजाद गी को पसंद करते हैं लेकिन मुझे ऐसा बना दे कि मैं
तेरे सिवा किसी शय को पसंद ना कर सकूं फरमाया कि ऐ अल्लाह मुझे ऐसे बंदे से मिला
दे जो तेरा नाम लेने के लिए हक की तरह लेते हो ताकि मैं भी उसकी सोहबत से फैज
याबो सकूं फरमाया कि महशर में राहे मौला में जां फिदा करने वाले शोहदा की एक जमात
होगी लेकिन मैं ऐसा शहीद उठूंगा जिसका मर्तबा इन सब शोहदा से बुलंद होगा क्योंकि
मुझे खुदा के शौक शमशीर ने कत्ल किया है और मैं ऐसा अहले दर्द हूं जिसका दर्द
हस्ती की बका तक कायम रहेगा फरमाया कि सौम और सलात के पाबंद तो बहुत होते हैं मगर
जवा मर्दी वही है जो 60 साला जिंदगी इस तरह गुजार दे कि उसके आमाल नामा में कुछ
दर्ज ना किया जाए और इस मर्तबा के बाद भी खुदा से नादम रहते हुए एज से काम ले
फरमाया कि बनी इसराइल में दो अफराद ऐसे थे जिनमें से एक मुसलसल एक साल तक सजदे में
पड़ा रहता था और दूसरा 2 साल तक सजदे में रहता था लेकिन उम्मते मोहम्मदी की एक
लम्हा की फिक्रो मुशाहिद उन दोनों की साल दो साल की इबादत से कहीं ज्यादा है फिर
फरमाया कि जब तुम अपने कल्ब को मौज दरिया की तरह पाने लगोगे तो उसमें से एक आग नमूद
होगी और जब तुम खुद को इसमें झोंक कर राख बन जाओगे तो तुम्हारी राख से एक दरख्त
निकलेगा और उसमें फलों की बजाय समरे बका निकलेगा और इसको खाते ही तुम वहदा नियत
में फना हो जाओगे फरमाया कि खुदा ने ऐसे-ऐसे बंदे तखक किए हैं कि जिनका कल्ब
नूर तौहीद से इस तरह मुनव्वर कर दिया गया है कि अगर अर्जो समा की तमाम अश्या इस नूर
में से गुजरे तो वह सब को जला कर रख दे मफू यह है कि खुदा ने ऐसे बंदे पैदा किए
हैं जिन को यादे इलाही के सिवा किसी शय से सरोकार नहीं फरमाया कि जो राज कल्ब औलिया
में निहा होते हैं अगर वह इनमें से एक राज भी जाहिर कर दें तो आसमान और जमीन की तमाम
मखलूक परेशान हो जाए फरमाया कि खुदा के ऐसे बंदे भी हैं कि जब वह लिहाफ ओड़कर लेट
जाते हैं तो चांद तारों की रफ्तार तक इनको नजर आती रहती है और मलायका बंदों की नेकी
और बदी लेकर आसमान पर जाते हैं वह भी नजर आते हैं यानी खुदा ताला अपने करम से तमाम
हिजा बात उनकी निगाहों से उठा देता है फरमाया कि दोस्त दोस्त के पास पहुंचकर आलिम मवि में खुद भी गुम हो जाता है
फरमाया कि रूह की मिसाल ऐसे मुर्ख की तरह है जिसका एक बाजू मशरिक और दूसरा मगरिब
में है और कदम तहल सरा में फरमाया कि जिसके कल्ब में मगफिरत की तलब हो वह
दोस्ती के काबिल नहीं फरमाया कि अहल अल्लाह का राज यह है कि ना तो वह दीन
दुनिया में किसी पर जाहिर करें और ना खुदा ताला इस पर किसी को जाहिर होने दे फरमाया
कि जब हजरत मूसा ही से यह फरमा दिया गया कि तू हमें हरगिज नहीं देख सकता तो फिर
इसका मुशाहिद करने की किसम मजाल है और लं तारानी फरमा करर इन लोगों की जुबान बंद कर
दी गई जो उसके दीदार के मतम नहीं रहते हैं फरमाया कि खुदा ने अहले अल्लाह के कुलूब
पर ऐसा बार रख दिया है कि अगर इसका एक जर्रा भी मखलूक पर जाहिर हो जाए तो फना हो
जाएगा लेकिन खुदा ताला चूंकि खुद इनकी निगरानी फरमाता रहता है जिसकी वजह से वह
इस बार को उठाने के काबिल रहते हैं और अगर खुदा ताला उनकी निग दश्त से दस्त बदार हो
जाए तो उनके आजा टुकड़े-टुकड़े हो जाएं और किसी तरह भी उस बोझ को बर्दाश्त ना कर सके
कि जब खुदा के मख्सूसपुरी
कायनात खौफ से लर्ज बरं दम हो जाती है और औलिया कराम पर तीन वक्त ऐसे भी आते हैं
अव्वल इनक बाज रूह के वक्त मालिक उल मौत दोम अंदरा आमाल के वक्त करामन कातिब सोम
कब्र में नकीरी सवाल करते हैं फरमाया कि खुदा ताला की नवाजिश के बाद बंदे को ऐसी
लिसान गैबी अता कर दी जाती है कि जो कुछ भी जुबान से निकाल देता है उसकी तक्मी
होती है फरमाया कि जब तक मुझे यह इकान कामिल नहीं हो गया कि मेरा रिजक खुदा के
पास है उस वक्त तक मैं अपनी कोशिश से नहीं हटा और जिस वक्त मुझे यह यकीन नहीं हो गया
कि मखलूक हर शय से आजिज है उस वक्त तक मखलूक से किनारा कश नहीं हुआ फरमाया कि
जिंदगी इस तरह गुजारनी चाहिए कि करामन कातिब भी मुतलुलुक
रात में करामन कात मीन को छुट्टी मिल जाए और पूरी रात खुदा के सिवा तुम्हारे उमू से
कोई आगाह ना हो सके और सबसे अदना दर्जा जिंदगी बसर करने का यह है कि जब करामन
कातिब बारगाह खुदा वंदी में हाजिर हो तो अर्ज करें कि तेरे फलां बंदे ने नेकी के
सिवा कोई बुरा काम नहीं किया फरमाया कि अहले अल्लाह के गम और खुशी मन जानिबे
अल्लाह हुआ करते हैं फिर फरमाया कि खुदा के सिवा मखलूक से कोई ताल्लुक ना रखो क्योंकि सिर्फ दोस्त से ताल्लुक रखा जाता
है और खुदा से बढ़कर कोई दोस्त नहीं हो सकता फिर फरमाया कि खुदा ने कुछ बंदों को
वह ताकत अता की है कि जो एक शुब रोज में मक्का मोजमा पहुंचकर लौट भी आते हैं और
बाज एक लम्हा में यह फासला तय कर लेते हैं फरमाया कि जब अल्लाह ताला बंदे को मखलूक
से जुदा करके फिक्र मखलूक से बे नियाज हो जाता है तो इसको व कुर्ब अता करता है कि
इस बंदे को मखलूक और इसके लवाजमा से कोई ताल्लुक बाकी नहीं रहता फरमाया कि अल्लाह ताला बाज बंदों को इस मुकाम पर पहुंचा
देता है जहां से वह तमाम मुका मात के मुशाहिद करते रहते हैं और बाज बंदों को वह
मराब अता करता है कि वह उनके जरिया लहे महफूज का भी मुशाहिद कर सकते हैं फरमाया
कि मैंने तमाम मशक की खिदमत में वक्त गुजारा लेकिन किसी को अपना मुर्शिद इसलिए
नहीं बनाया कि मेरा मुर्शद सिर्फ अल्लाह ताला है किसी दानिशमंद ने आपसे सवाल किया
कि अकल ईमान और मारफ का मुकाम कौन सा है आपने फरमाया कि पहले तुम मुझे इन चीजों का
रंग बता दो फिर मैं इनका मुकाम भी बता दूंगा व शख्स आपका जवाब सुनकर रोने लगा
फिर किसी ने पूछा कि वासले ब अल्लाह कौन लोग होते हैं फरमाया कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बाद किसी को
यह मर्तबा हासिल नहीं हुआ क्योंकि यह मर्तबा महबूबे खुदा के सिवा किसी को हासिल
नहीं हुआ और किसी को हासिल नहीं हो सकता फिर फरमाया कि अहले अल्लाह वह हैं जो
दुनिया से इस इस तरह अलहदा हो जाएं कि अहले दुनिया को पता भी ना चल सके क्योंकि मखलूक से वाबस्ता कीी में मखलूक उनसे आगाह
रहेगी फरमाया कि औलिया अल्लाह अपने मराब के तबार से हम कलाम नहीं होते बल्कि मखलूक
के मराब के तबार से गुफ्तगू करते हैं क्योंकि उनके मराब की गुफ्तगू मखलूक नहीं
समझ सकती फरमाया कि जो लोग कुछ ना जानने के बावजूद यह कहते हैं कि हम कुछ जानते
हैं वो दर हकीकत कुछ भी नहीं जानते और जब यह तसव्वुर कर लेते हैं कि हम कुछ भी नहीं
जानते तो इस वक्त अल्लाह ताला हर शय से उन्हें वाकिफ कर देता है और मफत के इंतहा
मदारत इनको अता फरमाता है फरमाया कि अपने अकल गुमान से खुदा को कोई नहीं पहचान सकता
बल्कि जिस कदर भी जान लिया हो यही तसव्वुर करें कि काश में खुदा को इससे ज्यादा जान
सकता फरमाया कि नेक बंदों को मौत से कबल ही रजू अल्लाह हो जाना चाहिए फरमाया कि
सबसे बेहतरीन मरीज कल्ब वही है जो याद इलाही में बीमार हुआ हो क्योंकि जो इसकी
याद में मरीज होता है वह शिफा याबी हो जाता है फरमाया कि सदक दिली से इबादत करने
वालों को खुदा ताला अपने कर्म से इन तमाम अश्या का मुशाहिद करा देता है जो काबिले दीद होती हैं और वो बातें बता देता है जो
समात के लायक होती हैं फरमाया कि राहे मौला में एक ऐसा बाजार भी है जिसको शुजा
आने तरीकत का बाजार कहा जाता है और इसमें ऐसी-ऐसी हसीन सूरतें हैं कि सालि कीन वहां
पहुंचकर कयाम करते हैं वो हसीन सूरतें यह हैं करामत अतात रियाजत इबादत जहद फरमाया
कि दनो दुनिया और जन्नत की राहतें ऐसी चीज है कि इनमें पड़ जाने वाला खुदा से दूर हो
जाता है और कभी इसका कर्ब हासिल नहीं कर सकता लिहाजा बंदे को चाहिए कि मखलूक से
किनारा कश होकर यादे इलाही में गोश नशीन इख्तियार करें और सजदे में गिरकर बहरे
कर्म को उबू कर जाए और खुदा के सिवा हर शय को इस तरह नजरअंदाज करता जाए कि उसकी वहदा
नियत में गुम होकर अपने वजूद को फना कर दे फरमाया कि इल्म की दो किस्में हैं अव्वल
जहरी दोम बात इल्म जहरी का ताल्लुक उलमा से है और इल्म बानी उलमा ए बातिन को हासिल
होता है लेकिन इल्म बातिल से भी वजू तर वो इल्म है जिसका ताल्लुक अल्लाह ताला से
सरबस राजों से है और जिसकी मखलूक को हवा तक नहीं लग सकती फिर फरमाया कि दुनिया तलब
करने वालों पर दुनिया हुक्मरान बन जाती है और तारिक दुनिया दुनिया पर हुकूमत करता है
फरमाया कि फकीर वही है जो दुनिया से बे नियाज हो जाए क्योंकि यह दोनों चीजें फक्र
से कम दर्जा की है और कल्ब का दोनों से किसी किस्म का वास्ता नहीं फरमाया कि जब
अल्लाह ताला औकात नमाज से कबल तुमसे नमाज का तालिब नहीं होता तो फिर तुम भी कबल अज
वक्त तलब रिजक से एतराज करो फरमाया कि साहिबे हाल अपनी हालत से खुद भी बेखबर
होता है क्योंकि जिस हाल से वह आगाह हो जाए इसको किसी तरह भी हाल ताबीर नहीं किया
जा सकता बल्कि इसको इल्म कहा जाएगा फरमाया कि जिस जमात में से अल्लाह ताला किसी को
सरफराज करना चाहता है इसके तस्दीक में पूरी जमात को बख्श देता है फरमाया कि उलमा
का यह दावा गलत है कि हम जानशीन अंबिया हैं बल्कि दरह कीक अंबिया के जानशीन औलिया
कराम हैं क्योंकि इनको इल्म बातिन हासिल होता है और हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि
वसल्लम के अक्सर औसाफ इनमें पाए जाते हैं मसलन फक्र सखा अमानत और दियानत वगैरह इसके
अलावा जिस तरह हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को हम वक्त दीदार इलाही हासिल था जिस तरह खैर शर को मन जानिबे
अल्लाह तसव्वुर फरमाते थे और खैर शर पर सब्र से काम लेते थे और मखलूक से ज्यादा
रब्त जब्त से काम ना लेते थे और पाबंदी वक्त के कभी इन चीजों से खाफ नहीं हुए थे
जिनसे मखलूक खौफ जदा रहती है और ना कभी आप इन चीजों से तवको वाबस्ता फरमाते थे जिनसे
मखलूक को तवकको होती है इसी नोयता की बहुत सी चीजें औलिया कराम में भी पाई जाती हैं
इसलिए सही मानों में जानशीन अंबिया वही लोग हैं फरमाया कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम एक ऐसा बहरे बकरा थे कि अगर इसका एक कतरा भी बाहर आ जाता तो कुल
कायनात इसमें गर्क हो जाती फरमाया कि सही बेसियार के बावजूद भी तुम्हें समझना चाहिए
कि तुम खुदा के लायक नहीं हो और ना तुम्हें इस किस्म का दावा करना चाहिए वरना दलील के बगैर तुम्हारा दावा गलत साबित
होगा फरमाया कि तुम जो चाहो खुदा से तलब करो लेकिन नफ्स के बंदे और जा हो मरतबक के
गुलाम ना बनो क्योंकि महशर में मखलूक ही मखलूक की दुश्मन होगी फरमाया कि अगर तुम
खुदा के से बाद दूसरी चीजों के तालिब हो तो अल्लाह ताला के साथ लही का सबूत पेश
करो क्योंकि आली हिम्मत लोगों को अल्लाह ताला हर शय से नवाज देता है फरमाया कि
मस्त लोग वही हैं जो शराबे मोहब्बत का जाम पीकर मदहोश हो जाते हैं फरमाया कि मखलूक
की यह ख्वाहिश रहती है कि दुनिया में अकबा के लायक कोई चीज साथ ले जाएं लेकिन फनात
के सिवा अकबा के काबिल कोई शय नहीं फरमाया कि इमाम वही है जिसने तमाम राहें तय कर ली
हू फरमाया कि बंदों को कम से कम इतना जिक्र इलाही जरूर करना चाहिए कि तमाम काम
शरिया की मुकम्मल तक्मी होती रहे और इतना इल्म बहुत काफी है कि अवाम रो नवाही से
कमा हक का वाकफिट हो जाए और इतना यकीन बहुत काफी है जिससे यह इल्म हो सके कि
जितना रिजक मुकद्दर हो चुका है जरूर मिलकर रहेगा और इतना जहद बहुत काफी है कि अपने
मुकर्रर करदा रिजक पर इक्त फा करते हुए ज्यादा की तमन्ना बाकी ना रहे फरमाया कि
अगर अल्लाह ताला किसी को इसके मराब के तबार से इलन में पहुंचा दे जब भी उसकी यह
ख्वाहिश ना होनी चाहिए कि इसके अहबाब भी इलन में दाखिल हो जाएं फरमाया कि अगर तुम
अर्जो समा और खुदा की जात के जरिए खुदा को जानना चाहोगे जब भी नहीं पहचान सकते
अलबत्ता नूर यकीन के साथ अगर इसको जानना चाहोगे तो इस तक रसाई हासिल कर लोगे
फरमाया कि चश्मे के बजाय दरिया से गुजर कर भी पानी के बजाय खूने जिगर पीते रहो ताकि
तुम्हारे बाद आने वाले को य अंदाजा हो सके कि यहां से कोई सोखता जिगर भी गुजरा है
फरमाया कि नेकियों के जिक्र के वक्त एक सुफैद अब्र बरसता रहता है और जिक्र इलाही
के वक्त सब्ज रंग के इश्क का बादल बरसता है लेकिन नेकियों का जिक्र आवाम के लिए
रहमत और खवास के लिए गफलत है फिर फरमाया कि तीन हस्तियों के इलावा स ही लोग
मुसलमानों का शिकवा करते रहते हैं अव्वल अल्लाह ताला मोमिन का शिकवा नहीं करता दोम
हजूर अकरम सल्लल्लाहु अ वसल्लम शिकवा नहीं करते सोम एक मोमिन दूसरे का शिकवा नहीं
करता फरमाया कि सफर की भी पांच इक्साम है अव्वल कदमों से सफर करना दोम कल्ब से सफर
करना सोयम हिम्मत से सफर करना चरम दीदार के जरिया सफर करना पंचम फसाय नफ्स के साथ
सफर करना फरमाया कि जब मैंने मरदान हक के मराब का अंदाजा करने के लिए जानिबे अर्श
नजर डाली तो मालूम हुआ कि वहां तमाम औलिया कराम बेनिया हैं और यही बे नियाजी उनके
मराब का इंतहा दर्जा है और यह दर्जा भी इस वक्त हासिल होता है जब बंदा अच्छी तरह
खुदा ताला की पाकी का मुशाहिद कर लेता है फरमाया कि हजारों बंदे शरीयत पर
गामजीन में से सिर्फ एक बंदा ऐसा निकलता है जिसके अतरा में शरीयत भी गर्दिश करने
लगती है फरमाया कि अल्लाह ताला ने औलिया कराम के लिए 999 आलिम तखक फरमाए हैं
जिनमें से सिर्फ एक आलिम की वसत मशरिक से मगरिब तक और अर्श से तहत उल सरा तक है
बाकी 98 आलिम के अहवाल बयान करने के लिए किसी में लब कुशाई की ताकत नहीं फरमाया कि
अहले अल्लाह की मिसाल रोज रोशन की तरह है और जिस तरह दिन को आफताब की रोशनी दरकार
होती है औलिया कराम को आफताब की जरूरत नहीं रहती और जिस तरह शब तारीख को माहे
अंजुम की रोशनी दरकार होती है औलिया कराम इससे बे नियाज होते हैं क्योंकि वह खुद
में कामिल से ज्यादा मुनव्वर होते हैं फरमाया कि इसके लिए राहों की तवाल खत्म हो
जाती है फरमाया जिसको खुदा रास्ता दिखाना चाहता है फरमाया कि खुदा ताला सूफिया के
कुलूब को नूर की बेनाई अता फरमाता है और इस बेनाई में इस वक्त तक इजाफा होता जाता
है जब तक वह बिनाई मुकम्मल जात इलाही नहीं बन जाती फरमाया कि अल्लाह ताला बंदों को
अपनी जानिब मदु करके जिस पर चाहता है अपने फजल से राहे कुशा द कर देता है फरमाया कि
बजरिया मारफ कोई मलाह अपनी कश्ती को रकाबी से नहीं बचा सकता हजारों आए और गर्क होते
चले गए बस एक जाते बारी ताला का वजूद बाकी रह गया फरमाया कि रोज महशर जब हुजूर अकरम
सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मखलूक के मुआयना के लिए जन्नत में तशरीफ ले जाएंगे तो एक जमात को देखकर बारी ताला से सवाल करेंगे
कि यह लोग कौन हैं और यहां कैसे पहुंच गए क्योंकि फना फी अल्लाह होने वाली जमात को
ऐसी राहों से जन्नत में पहुंचाया जाएगा कि इनको कोई नहीं देख सकेगा फरमाया कि अल्लाह
ताला तक रसाई के लिए 1000 मंजिलें हैं जिनमें सबसे पहली मंजिल करामत है और इस
मंजिल में कम हिम्मत अफराद आगे नहीं बढ़ सकते और अगली मनाजिल से महरूम रह जाते हैं
फरमाया कि हिदाय तो जलालत दोनों जुदा गाना रहे हैं हिदायत की राह तो खुदा तक पहुंचा
देती है लेकिन जलालत की राह बंदे की जानिब से अल्लाह की तरफ जाती है लिहाजा जो शख्स
यह दावा करता है कि मैं खुदा तक पहुंच गया वह झूठा है और जो यह कह कहता है कि मुझे खुदा तक पहुंचाया गया है वह अपने कौल में
एक हद तक सादिक है फरमाया कि खुदा को पा लेने वाला खुद बाकी नहीं रहता लेकिन वह
कभी फना भी नहीं होता फरमाया कि अल्लाह ताला ने ऐसे अहले मराब बंदे भी पैदा किए
हैं जिनके कुलूब इस कदर वसी है कि मशरिक और मगरिब की वसत भी इनके मुकाबले में हीच
है फरमाया कि मुर्दा हैं वो कुलूब जिनमें खुदा के सिवा किसी और की मोहब्बत जाग जीी
हो ख्वा वो कितने ही इबादत गुजार ना हो फिर फरमाया कि तीन चीजों का तहफ्फुज बहुत
दुश्वार है अव्वल मखलूक से खुदा के राजों की हिफाजत दोम मखलूक की बुराई से जुबान की
हिफाजत स्वयं पाकीजा जत फरमाया कि खुदा और बंदे के
माबीन सबसे बड़ा हिजाब नफ्स है और जिस कदर नेक लोग गुजर गए इन सबको नफ्स से शिकायत
रही हत्ता कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम भी नफ्स से शाकी रहते थे फरमाया कि
दीन को जितना जरर हरीश आलिम और बे अमल जाहिद से पहुंचता है इतना नुकसान इब्लीस
से नहीं पहुंचता फरमाया कि सबसे अफजल अमूर जिक्र इलाही सखावत तकवा और सोहबत औलिया है
फरमाया कि अगर तुम अहले दुनिया की निगाहों से 1000 मील दूर भी भागना चाहोगे तो यह भी
बहुत बड़ी इबादत है और इसमें बहुत से मुफद मुजमिल है फरमाया कि मोमिन की जियारत का
सवाब 100 हज के मुसाब और हजार दीनार सदका देने से भी अफजल है और जिसको किसी मोमिन
की जियारत नसीब हो जाए उस पर खुदा की रहमत है फरमाया कि कबले दरह कीक पांच हैं पहला
जो मोमिन का किबला है दूसरा बैतुल मुकद्दस जो हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अल वसल्लम के
सिवा गुजर्ता तमाम अंबिया कराम का किबला है सोम बैतुल मामिया आसमानी मलायका का
किबला है चरम अर्श यह दुआ का किबला है पंचम जाते बारता यह जमा मर्दों का किबला
है जैसा कि कुरान में फरमाया गया है फमा तवल फसला यानी जिस तरफ तुम मु फेरो उसी
तरफ अल्लाह मौजूद है फिर फरमाया कि तालिब जब रास्ता में 10 मुकाम पर जहर खा चुकता
है तब कहीं 11वी जगह शक्कर नसीब होती है यानी इब्तिदा तालीबीन खुदा को बेहद तकाली
अजियत का मुकाबला करना पड़ता है फिर कहीं कुर्बे इलाही मुसर आता है और जब तक अल्लाह
ताला तुम्हें मुकम्मल तौर पर जुस्तजू की तौफीक अता ना फरमा दे इस वक्त तक जुस्तजू
से एतराज करो क्योंकि तौफीक इलाही के बगैर अगर कोई उम्र भर भी इसकी जुस्तजू करता रहे
जब भी नहीं पा सकता फिर फरमाया कि नफा बख्श इल्म वही है जिस पर अमल किया जाए और
बेहतर अमल वह है जो फर्ज कर दिया गया फरमाया कि दानिशमंद लोग नूर कल्बी के
जरिया खुदा का मुशाहिद करते हैं और दोस्त नूर यकीन से देखते हैं और जवा मर्द नूर
मुआयना से मुशाहिद करते हैं और जब लोगों ने पूछा कि आपने खुदा को कहां देखा तो
फरमाया कि जिस मुकाम पर मैं खुद को नहीं देखता वहां खुदा को देखता हूं फरमाया कि
अक्सर लोगों ने दावा तो कर दिया लेकिन नहीं सोचा कि यह दावा इस बात की दलील है
कि मारफ हासिल नहीं हुई बल्कि यह दावा खुद उनके लिए हिजाब बन गया फरमाया कि हक बातिल
का अंदेशा करने वाले अहले हक नहीं हो सकते फरमाया कि अमल करना गो बेहतर शय है लेकिन
इतनी वाकफिट होना जरूरी है कि आमिल तुम खुद हो या तुम्हारे पसे पर्दा कोई दूसरा
है क्योंकि अमल वही अच्छा है जिसके पसे पर्दा कोई दूसरा ना हो बल्कि वह अमल तुम
खुद कर रहे हो इसकी मिसाल ऐसी है जैसे कोई ताजिर अपने मालिक के माल से तिजारत करते
हुए और जब वह सरमाया वापस ले लिया जाए तो वह मुफलिस होकर रह जाए फरमाया कि खुदा को
हर जगह इस तरह हाजिर समझो कि तुम्हारा वजूद बाकी ना है क्योंकि तुम अपनी हस्ती
की बका तक इसकी हस्ती से महरूम रहोगे फरमाया कि इबादत या तो जिस्मानी होती है
या जबानी या कल्ब से इसकी अतात करना है फिर फरमाया कि मारफ से इलाही जाहिरी इबादत
लिबास से हासिल नहीं होती और जो लोग इसके मदही हैं कि मारफ इबादत और लिबास से हासिल
हो जाती है वह आजमाइश में मुब्तला है फरमाया कि नफ्स की ख्वाहिश एक पूरी करने
वाला राहे मौला में हजार हा तकाली बर्दाश्त करता है फरमाया कि मखलूक में
तकसीम रिजक के वक्त खुदा ने जवां मर्दों को गमो अंधो अता किया और उन्होंने कबूल कर
लिया फरमाया कि औलिया कराम मखलूक से मुत फिर होकर राहे मौला में मगन रहते हैं और
अपना हाल कभी मखलूक पर जाहिर नहीं होने देते और जब अहले दुनिया के मराब को पहचान
कर शोहरत देते हैं तो इनका ऐश बे नमक खाने जैसा होता है फरमाया कि अल्लाह ताला हर
फर्द को यह अता फरमा दे कि अपने आमाल को पसे पुस्त डालकर सदक दिली से जिक्र इलाही
में मशगूल हो जाए फरमाया कि मुकदरा पर शाके रहना 1000 मकबूल इबादत से अफजल है
फरमाया कि अगर अल्लाह ताला के बहरे करम का एक कतरा भी किसी पर टपक जाए तो दुनिया में
ना तो किसी शय की ख्वाहिश बाकी रहे ना किसी से बात करने को दिल चाहे और ना किसी
को बात सुनना गवारा हो फरमाया कि दुनिया में किसी से मानत करना सबसे बदतर शय है
फरमाया कि सोमो सलात गो अफजल आमाल है लेकिन गरूर तकब्बल से निकाल देना इससे भी
बेहतर अमल है फरमाया कि 40 साल तक इबादत करना जरूरी है 10 साल तक तो इसलिए कि जबान
में सदाकत रास्त बाजी पैदा हो जाए और 10 साल इसलिए कि जिस्म का बढ़ा हुआ गोश्त कम
हो जाए और 10 साल इसलिए कि खुदा से कलबी पैदा हो जाए और 10 साल इस इसलिए के तमाम
अहवाल दुरुस्त इस्लाही हो जाए और जो शख्स इस तरह 40 साल इबादत करेगा वह मराब में
सबसे बढ़ जाएगा फरमाया कि दुनिया में मखलूक से नरमी इख्तियार करो और मुकम्मल
आदाब के साथ इतबा सुन्नत करते रहो और खुदा ताला के साथ
[संगीत] पाकीजा लोगों को महबूब रखता है और यह रास्ता मस्तों और दीवानों का रास्ता है
फरमाया कि मौत से कबल तीन चीजें हासिल कर लो अव्वल यह कि हुब्ब इलाही में इस कदर गिरिया उ जारी करो कि आंखों से आंसू के
बजाय लहू जारी हो जाए नोम ये के खुदा से इस कदर यफ रहो कि पेशाब की जगह खून आने
लगे सोम इसके अह काम की बजा आवरी के साथ इबादत में इस तरह शबे बेदारी करो कि तमाम
जिस्म पिघल जाए फरमाया कि खुदा को इस अंदाज से याद करो कि फिर दोबारा याद ना
करना पड़े यानी इसको किसी वक्त भी फरामोश ना करो फरमाया कि एक मर्तबा अल्लाह कहने
से इस तरह जुबान जल जाती है कि दोबारा अल्लाह नहीं कह सकता और जब इसको दोबारा
अल्लाह कहते सुनो तो समझ लो कि वह खुदा की तारीफ है जो इस जुबान पर जारी है फरमाया
कि अगर तुम्हारे कल्ब में यादे इलाही बाकी है तो तुम्हें दुनिया की कोई शय जरर नहीं
पहुंचा सकती और अगर तुम्हारे कल्ब में खुदा की याद बाकी नहीं है तो लिबास फा खरा
भी सूद मंद नहीं हो सकता फिर फरमाया कि खुदा के हमराह मुशाहिद करने का नाम बका है
फरमाया कि जिसको मखलूक में तुम मर्द तसव्वुर करते हो वह खुदा के रूबरू नामर्द
है और जो मखलूक की नजरों में नामर्द है व खुदा के सामने मर्द है फरमाया कि खुदा ने
अपने कर्म से तो मखलूक को आगाह फरमा दिया अगर अपनी जात से आगाह कर देता तो ला इलाह
इल्लल्लाह कहने वाला कोई ना होता यानी जाते इलाही की वाकफिट के बाद बंदे बहरे तख
में इस तरह गर्क हो जाते हैं कि कलमा भी याद ना रहता फरमाया कि ऐसे लोगों की सोहबत
इख्तियार करो जो आतिशे मोहब्बत से खाक स्तर हो चुके हो और बहरे गम में गर्क हो
फरमाया कि दरवेश वही है जिसमें हरकतों सुकून बाकी ना रहे और ना मुरव्वत गम से
बहरा व हो फरमाया कि लोग सिर्फ सुबह शाम इबादत करने ही से खुदा के जुस्तजू का दा
कर बैठते हैं हकीकत में इसकी जुस्तजू करने वाले वो हैं जो हर लम्हा इसकी तलाश में
रहे फरमाया कि इस तरह सकूट इख्तियार करो कि सिवाए अल्लाह के और कुछ मुंह से ना
निकले और कल्ब में सिवाय फिक्र इलाही के और कोई फिक्र बाकी ना रहे और तमाम अमूर
दुनियावी से किनारा कश होकर अपने आजा को खुदा के जानिब मतवल ताकि तुम्हारा हर
मामला मबन बर इखलास हो और इसकी की इबादत के सिवा किसी की इबादत ना करो फरमाया कि
औलिया के कुलूब मिट जाते हैं उनके इज साम फना हो जाते हैं और उनकी रूहें जल जाती
हैं फरमाया कि खुदा की एक लम्हा की इबादत मखलूक की उम्र भर की इबादत से अफजल है
फरमाया कि आमाल की मिसाल शेर जैसी है और जब बंदा अपना कदम शेर की गर्दन पर रखता है
तो वह शेर लूम की तरह हो जाता है यानी जब अमल पर काबू पा लिया जाए तो अम
आसान हो जाता है फरमाया कि बुजुर्गों का यह कौल है कि जो मुरीद अमल के बल पर अमल
करता है उसके लिए अमल सूद मंद नहीं होता फरमाया कि जन्नत में दाखिला की राह करीब
है लेकिन वासले अललाह होने की राह दूर है फरमाया कि दिन में 3000 मर्तबा मरकर जिंदा
होना चाहिए फिर फरमाया मुमकिन है कि ऐसी हयाते जादवा हासिल हो जाए जिसके बाद मौत
ना आए फरमाया कि जब तुम राह खुदा में अपनी हस्ती को फना कर लोगे तब तुम्हें ऐसी
हस्ती मिल जाएगी जो फना होने वाली नहीं फरमाया कि मन जानिबे अल्लाह बंदे के लिए
एक ऐसा रास्ता है जिससे मारफ तो और शहादत नसीब होती है और इसी रास्ता से अल्लाह
ताला खुद को बंदे पर जाहिर कर देता है और यह ऐसा मर्तबा है जिसका इजहार अल्फाज में
मुमकिन नहीं फरमाया कि अल्लाह ताला अपने कम अपने दोस्तों के लिए महफूज़ रखता है और
अमन और राहत अपनी माशियत का बंदों के लिए वक्फ कर देता है फरमाया कि अल्लाह ताला की
दोस्ती इसलिए जरूरी है कि जब मुसाफिर इस मुकाम पर पहुंचता है जहां इसका दोस्त
मौजूद हो तो वह राह की तमाम तकाली भूल जाता है और इसके कल्ब को
तकविम कयामत में इस तरह मुसाफिर बनके पहुंचो ग जहां खुदा ताला तुम्हारा दोस्त
होगा तो तुम्हें मुसर्रत हासिल होगी फरमाया कि जो लोग मखलूक के साथ शफकत से
पेश नहीं आते उनके कुलूब में मखलूक की रोशनी की गुंजाइश बाकी नहीं रहती और जो
लोग अपनी हयात को अमूर खुदा वंदी में सर्फ नहीं करते उनकी आसानी के साथ पुल सरारत से
गुजर नहीं हो सकती एक खुरासानी से हज पर रवाना होते वक्त आपने सवाल किया कि कहां
का कसदार कि मक्का मजमा का आपने फरमाया कि वहां क्यों जा रहे हो उसने अर्ज किया कि
खुदा की तलब में जा रहा हूं फरमाया कि खुरासान में खुदा ने नहीं है और जैसा कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने
फरमाया कि इल्म हासिल करो ख्वा चीन में हो लेकिन यह नहीं कि खुदा की तलाश में एक
मुकाम से दूसरे मुकाम तक जाते फिरो फरमाया कि जिस सांस में बंदा खुदा से खुश हो जाए
वह सांस बरसों के सोम और सलात से अफजल है फरमाया कि हर मखलूक में मोमिन के लिए हिजाब है और ना जाने मोमिन इस दामो हिजाब
में कब फंस जाए फरमाया कि जो बंदा एक शब और रोज इस हाल में गुजार दे कि इसकी जात
से किसी मुसलमान को अजियत ना पहुंचे तो वह शख्स एक शब रोज हुजूर अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम की सोहबत में रहा और जो शख्स मोमिन को किसी दिन अजियत पहुंचाता है अल्लाह ताला उसकी उस यौम की इबादत कबूल
नहीं करता फरमाया कि जो बंदा दुनिया में अंबिया और औलिया और खुदा से शर्म करता है
अकबा में अल्लाह ताला उससे शर्म करता है फरमाया कि तीन किस्म के लोगों को कुर्ब
इलाही हासिल होता है अव्वल मुजदे इल्म को दोम साहिब बे सज्जाद को सोम
अहले कसब हुनर को फरमाया कि नान जौ खाने वाला टाट का लिबास पहनने के लिए ही सूफी
नहीं बन जाता क्योंकि अगर सूफी बनने का दारोमदार इस पर मौक होता तो तमाम ऊन वाले
और जौ खाने वाले जानवर सूफी बन जाया करते बल्कि सूफी वह है जिसके कल्ब में सदाकत और
अमल में इखलास हो फरमाया कि मुझे मुरीद करने की ख्वाहिश नहीं क्योंकि मैं मुर्शिद
होने का दावेदार नहीं बल्कि मैं तो हर वक्त अल्लाह काफी कहा करता हूं फरमाया कि
अगर तुमने उम्र में एक मर्तबा भी खुदा ताला को आरदा किया तो जिंदगी भर इससे माजर
चाहते रहो क्योंकि अगर वह अपनी रहमत से मुफ भी कर दे जब भी तुम्हारे कल्ब से यह
दागे हसरत मेहव ना होना चाहिए कि तुमने अल्लाह ताला को आरदा किया फरमाया कि काबिल
सोहबत वही है जो आंख से अंधी कान से बहरी और मुंह से गूंगी हो यानी ऐसे शख्स के
सोहबत इख्तियार करनी चाहिए जो अपनी आंख से खुदा के सिवा किसी को ना देखता हो जो अपने
कानों से हक के सिवा कोई बात ना सुनता हो और जुबान से हक के सिवा कुछ ना कहता हो
फरमाया कि अफसोस है इस परिंदे पर जो अपने आशियाने से दाने के जुस्तजू में निकलकर
आशियाने का रास्ता ही भूल जाए और हर सिमत में भटकता फिरे फरमाया कि हकीकत में गरीब
वही है जिसका जमाने में कोई हमनवाज ना हो लेकिन मैं खुद को गरीब इसलिए नहीं कह सकता
कि ना तो मैं इस दुनिया और अहले दुनिया का मुवाफीनामा
फिक है अल्लाह वाले दुनिया और इसकी दौलत से खुश नहीं हुआ करते फरमाया कि अल्लाह
ताला बंदों को यह तीन मराब अता फरमाता है अव्वल यह कि बंदा दीदार इलाही से मुशर्रफ
होकर अल्लाह अल्लाह कहता रहे दोम बंदा आलिम वजद में अल्लाह को पुकारता फिरे सोम
बंदा अल्लाह की जुबा बनकर अल्लाह अल्लाह कहे फिर फरमाया कि बंदा चार चीजों के साथ
खुदा से पेश आता है अव्वल जिस्मानी तौर पर दोम कलबी तबार से सोम जुबान के जरिया चरम
माल के लिहाज से लेकिन अगर बंदा सिर्फ जिस्मानी तौर पर खुदा की अतात और जुबान से
इसका जिक्र करता रहे तो उसके लिए बे सूद होगा क्योंकि कल्ब को इसके सुपुर्द करना
और माल को इसकी राह में खर्च करना बहुत जरूरी है और जब इन चार चीजों को उसकी राह
में सर्फ करें तो यह चार चीजें खुदा से तलब करें मोहब्बत हैबत खुदा के साथ जिंदगी
गुजारना इसके रास्ते में गा निगत मुआफ फरमाया कि खुदा ने हर बंदे को किसी ना
किसी शुगल से दोचा करके अपने से जुदा कर दिया लेकिन शुजात यह है कि तुम तमाम चीजों
को छोड़कर खुदा को इस तरह पकड़ दोलो कि वह तुम्हें अपने से जुदा ही ना कर सके फरमाया
कि जमीन पर चलने फिरने वाले लोग मुर्दा हैं और जमीन में बहुत मद फून लोग जिंदा
हैं फरमाया कि उलमा कराम कहते हैं कि हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की नौ अदद
अजवा ज मुताह थी बाज के लिए आप साल भर का खाने का सामान भी जमा फरमा लेते थे और
साहिबे औलाद भी थे लेकिन मैं कहता हूं कि 33 साल उम्र होने के बावजूद भी आप दोनों
जहानों से दिल ब बर्दाश्त ते यानी आपके नजदीक सब मुर्दा थे और जो कुछ आप जखीरा
अंदू जीी फरमाते थे वह भी अल्लाह ही के हुकम से फरमाया कि जिसका कल्ब शौक आतिश
इलाही से जल जाता है उसको मोहब्बत उठाकर ले जाती है और इससे अर्जो समा को लबरेज कर
देती है लिहाजा अगर तुम यह चाहते हो कि देखने सुनने और चखने वाले बन जाओ तो वहां
हाजिर रहो लेकिन वहां हजूरी के लिए तजत और जवा मर्दी की जरूरत है फरमाया कि इबाद
मासि अत को छोड़कर बहर कर्म और दरिया बे नियाजी में इस तरह गोता लगाओ के खुद नीस
करके इसकी हस्ती में उभरो फरमाया कि दरिया ए गैब में मखलूक का ईमान घास फूस की तरह
कोई अहमियत नहीं रखता क्योंकि हवा इसको साहिल पर फेंक देती है फरमाया कि उलमा
इल्म को आबिदीन इबादत को जाहिद जहद को मारफ से इलाही का जरिया तसव्वुर करके इसके
सामने पेश करते हैं लेकिन वह इसलिए बे सूद होता है कि कुर्बे इलाही का जरिया सिर्फ
पाकीजा पाकी ही को पसंद फरमाता है फरमाया कि जिसकी जिंदगी खुदा के साथ वाबस्ता नहीं
होती वह अपने नफ्स और कल्ब रूह पर कुदरत नहीं रख सकता फरमाया कि अगर फानी और बाकी
का मुशाहिद करना चाहते हो तो जिस तरह बंदा ए फानी खुदा को पहचान लेता है इस तरह
कयामत में इसके नूर से इसका मुशाहिद करेगा और नूर बका के जरिया नूर खुदा को देख लेगा फिर फरमाया कि औलिया
कराम सिर्फ खुदा के महरम ही को देखते हैं जिस तरह तुम्हारी अहलिया को कोई गैर महरम
नहीं देख सकता फरमाया कि मुरीद अपने मुर्शद की जिस कदर खिदमत करता है इस कदर
इसके मराब बढ़ते चले जाते हैं फरमाया कि लोग तो दरिया में मछली पकड़ते हैं लेकिन
अल्लाह वाले खुश्की में मछली पकड़ते हैं और लोग तो खुश्की में सोते हैं लेकिन अहले
अल्लाह दरिया में में आराम करते हैं फरमाया कि दुनिया में 1000 तमन्नाओं को
कुर्बान कर देने के बाद आखिरत में सिर्फ एक तमन्ना पूरी होती है और हजार तल्ख घूंट
जहर पी लेने के बाद शरबत का एक घूंट नसीब होता है फरमाया कि हजारों सरदार कब्रों
में जा सुए लेकिन दीन की सरदारी के काबिल एक भी ना बन सका फरमाया कि फना और बका और
मुशाहिद पाकीजा के बाद सिवाए इस के कुछ भी बाकी
नहीं रहता फरमाया कि मखलूक से वाबस्ता गी में बशियन से गुजर कर तमाम गमो अलाम फना
हो जाते हैं फरमाया के बाब सोमो सलात मखलूक से करीब होता है फरमाया कि मारफ से
हकीकत तक 1000 मनाजिल हैं और हकीकत से न हकीकत तक 1000 ऐसे-ऐसे मकामा हैं कि हर
मुकाम पर गुजरने के लिए उमरे नूह और सफाए कल्बे मोहम्मदी की जरूरत है फरमाया कि
कल्ब भी तीन तरह के होते हैं अव्वल कल्बे फानी जो फक्र का मसकन है दोम तालिब नेमत
कल्ब जो अरात की अमाज गाह है सोम कल्बे बाकी जो अल्लाह ताला की कयाम गाह है फिर
फरमाया कि इबादत गुजार तो बहुत से हैं लेकिन इबादत को दुनिया से साथ ले जाने
वाले बहुत कलील हैं और इनसे भी कलील वह हैं जो इबादत करके खुदा के हवाले कर देते
हैं लेकिन शुजात यही है कि इंतकाल के वक्त दुनियावी इबादत को अपने हमराह ले जाए
फरमाया कि बहरे इश्क में मखलूक का गुजर नहीं और एक ऐसी दरा आमद बरामद भी है
जिसमें बंदे के इल्म और कमाल का गुजर नहीं फरमाया कि ना आकिब अंदेश हैं वो लोग जो
खुदा को दलील के जरिया शिनाख्त करना चाहते हैं जबकि सिर्फ इसको इसी के कर्म से बे
दलील पहचानने की जरूरत है क्योंकि इसकी मारफ के लिए तमाम दलाल बेसू द हैं फरमाया
कि अशक खुदा को पा लेने के बाद खुद गुम हो जाते हैं फरमाया कि लौह महफूज का नोचता
सिर्फ मखलूक के लिए है और इसका ताल्लुक अहले अल्लाह से नहीं है क्योंकि अल्लाह
ताला अहले अल्लाह को वह चीजें अता फरमाता है जो लौह महफूज में नहीं फरमाया कि
दुनिया में गमो अलाम बर्दाश्त करते रहो मुमकिन है कि इसके सिला में आखिरत हासिल
हो जाए और दुनिया में गिर अजारी करते रहो ताकि आखिरत में मुस्कुरा सको और वहां
तुम्हें मुखातिब करके फरमाया जाएगा क्योंकि तुम दुनिया में रोते रहे इसलिए आज
तुम्हें दामी मुसर्रत अता की जाएगी फरमाया कि तमाम अंबिया औलिया दुनिया के अंदर इस
गम में मुब्तला रहे कि काश अल्लाह ताला को जान सकते लेकिन खुदा को जानने का जो हक है
उस तरह नहीं जान सके फरमाया कि मोहब्बत की इंतहा यह है कि अगर कायनात के तमाम समंदर
का पानी भी मोहब्बत करने वाले के हल्क में उंडेला दिया जाए जब भी इसकी तिष्णगी
रफा ना हो सके और मजद की ख्वाहिश बाकी रहे और खुदा से मुनकता होकर अपनी करामात पर
तकब्बल ना करें फरमाया कि शुजात तो यह है कि अगर अल्लाह ताला किसी को एक करामत और
इसके मोमिन भाई को 1000 करामत अता फरमा दे जब भी वह अपनी एक करामत को जज्बा सार के
तहत अपने भाई की नजर कर दे एक मर्तबा लोगों ने आपसे सवाल किया कि आपको मौत से
डर नहीं लगता फरमाया कि मुर्दे मौत से डरा नहीं करते क्योंकि अल्लाह की ह वो वद जो
बंदों के लिए फरमाई गई है मेरे गम के सामने कोई हैसियत नहीं रखती और हर वह वादा
जो मखलूक से आसाय और आराम का किया गया है मेरी उम्मीद के मुकाबले में बे हकीकत है
और अगर तुमसे यह सवाल किया जाए कि अबू अल हसन से जो फैज तुम्हें हासिल हुआ उसके
सिला में क्या चाहते हो तो तुम क्या सिला तलब करोगे इस पर हर फर्द ने अपनी ख्वाहिश
के मुताबिक जवाब दिया लेकिन आपने फरमाया कि अगर मुझसे सवाल किया जाए तो कि तुम
मोहब्बत मखलूक के सिला में क्या मुआवजा चाहते हो तो मैं जवाब दूंगा कि मैं इन सब
को चाहता हूं मशहूर है कि आपने किसी दानिश्वर से सवाल किया कि तुम खुदा को
दोस्त रखते हो या अल्लाह तुम्हें दोस्त रखता है उसने जवाब दिया कि मैं खुदा को
दोस्त रखता हूं आपने फरमाया कि अगर ऐसा है तो उसकी मायत इख्तियार क्यों नहीं करते
इसलिए कि दोस्त की सोहबत में रहना जरूरी है एक मर्तबा आपने अपने शागिर्द से पूछा
कि के सबसे अच्छी चीज कौन सी है उसने जवाब दिया कि मुझे इल्म नहीं आपने फरमाया कि
तुम जैसे बे इल्म को तो बहुत ज्यादा खौफ जदा रहना चाहिए तुम्हें मालूम होना चाहिए कि सबसे ज्यादा बेहतर शय वह है जिसमें कोई
बुराई ना हो मशहूर है कि जब लोगों ने आपसे यह अर्ज किया कि हजरत जुनैद दुनिया में बा
होश आए और होश के साथ चले गए और हजरत शिबली मदहोश आए और मदहोश लौट गए आपने
फरमाया कि अगर इन दोनों से पूछा जाए कि तुम दुनिया में किस तरह वापस हुए तो यह कुछ भी ना बता सकेंगे क्योंकि इन दोनों
में से कोई भी नहीं जानता कि वह किस तरह आया और किस तरह वापस गया और आपने जिस वक्त
यह जुमला फरमाया तो गैब से आवाज आई कि ऐ अबुल हसन तूने बिल्कुल दुरुस्त कहा
क्योंकि जो खुदा से आगाह हो जाता है इसको खुदा के सिवा कुछ नजर नहीं आता और जब
लोगों ने इस जुमले का मफू पूछा तो आपने फरमाया कि जिंदगी को नामुराद में गुजारने
का नाम बंदगी है फिर लोगों ने सवाल किया कि हमें क्या चीजें इख्तियार करनी होंगी
जिसकी बुनियाद पर हम में बेदारी पैदा हो फरमाया कि उम्र को एक सांस से ज्यादा
तसव्वुर ना करो फिर लोगों ने पूछा कि फक्र की क्या अलामत है फरमाया कि कल्ब पर ऐसा
रंग चढ़ जाए जिस पर दूसरा कोई रंग ना चढ़ सके फरमाया कि मैं खुदा के सिवा किसी को
अपने कल्ब में जगह नहीं देता अगर कोई ख्याल आ भी जाए तो फौरन निकाल फेंकता हूं
फरमाया कि मैं इस मुकाम पर हूं जहां जर्रे जर्रे की तहकीक का मुझे इल्म है कि मैंने
50 साल इस तरह गुजारे हैं कि खुदा के साथ खलाक से रहा कि मखलूक की इसमें कोई
गुंजाइश बाकी नहीं थी और नमाज इशा से लेकर सुबह से शाम तक इबादत में मशगूल रहता था
और इस अरसा में कभी पांव फैला कर नहीं बैठा जब कहीं इसके सिला में यह मुरा दिब
हासिल हुए कि जाहिरी तौर पर मैं दुनिया में सोते हुए फिरदौस जहन्नुम की सैर करता
रहता हूं और दोनों आलिम मेरे लिए एक हो चुके हैं इसलिए कि मैं हमा औकात खुदा की
मयत में रहता हूं फरमाया कि पहला रास्ता नयाज का है इसके बाद खिलवट इसके बाद दीदार
इसके बाद बेदारी है फरमाया कि मैं जोहर से असर तक 50 रकत पढ़ा करता था लेकिन बेदारी
के बाद इन सब की कजा करनी पड़ती फरमाया कि मैं 40 साल से खुर्द नोश का कोई इंतजाम
नहीं करता सिर्फ मेहमान के खाने का इंतजाम कर लेता हूं और उसी के तुफैल मैं खुद भी
खा लेता हूं फरमाया कि इमकान हद तक मेहमान नवाजी करते रहो क्योंकि अगर मेहमान को दो
जहानों की नेमतों का लुकमा बनाकर भी खिला दोगे जब भी हक के मेहमान नवाजी अदा नहीं
हो सकता फरमाया कि किसी मर्दे हक की जियारत के लिए मशरक से मगरिब तक सफर करने
की सोबंधेब [संगीत]
है लेकिन मैंने महरूम रखा है फरमाया कि मैंने 70 साल खुदा की मयत में इस तरह
गुजारे हैं कि इस दौरान एक लम्हा भी कभी
इतबा ए नफ्स नहीं की 40 साल तक आपको बैंगन खाने की ख्वाहिश रही लेकिन आपने नहीं खाए
और एक दिन वालिदा के इसरार पर खाए तो इसी रात किसी ने आपके साहिबजादे को कत्ल करके
चौकट पर डाल दिया और जब आपको इल्म हुआ तो अपनी वा से फरमाया कि मैंने मना किया था
कि मेरा मामला खुदा के साथ है अब आपने अपने इसरार का नतीजा देख लिया जब लोगों ने
आपसे सवाल किया कि आपकी और दूसरी मस्जिदों में क्या फर्क है फरमाया कि शरी हैसियत तो
तमाम मसाजिद की एक ही है लेकिन मेरी मस्जिद का किस्सा तुलानी है क्योंकि मैंने
देखा है दूसरी मसाजिद से एक नूर निकलकर सिर्फ आसमान तक जाता है लेकिन मेरी मस्जिद
का कबा इसके कम के नूर से मुनव्वर होकर आसमान से भी आगे निकल जाता है और जब इस
मस्जिद की तक्मी के बाद मैं इसमें जाकर बैठा तो मलायका ने यहां आकर एक सब्ज परचम
नस्त कर दिया जिसका एक सिरा अर्श से मुलक था और आज तक वह परचम उसी तरह कायम है और
ता हश्र कायम रहेगा फिर एक दिन मैंने यह गैबी आवाज सुनी कि ऐ अबू अल हसन जो लोग
तेरी मस्जिद में दाखिल हो जाएंगे उन पर आतिशे जहन्नुम हराम हो जाएगी और जो लोग
तेरी यात में या वफात के बाद इस मस्जिद में दो रकत नमाज अदा करेंगे उनका हश्र
इबादत लर्ज बंदों के साथ होगा आप फरमाया करते थे कि मुसलमान के लिए हर जगह मस्जिद
है और हर यौम जुमा और हर महीना माहे सैयाम है लिहाजा बंदा जहां भी हो अल्लाह ताला की
मयत इख्तियार करें फरमाया कि दुनिया में से 400 दीनार का मकरूज होकर जाना पसंद
करता हूं बनिस्बत इसके कि साइल के सवाल को रद्द कर दूं फिर फरमाया कि जब कयामत में
मुझसे सवाल होगा कि तू दुनिया से क्या लेकर आया तो मैं अर्ज करूंगा कि तूने
दुनिया में कुत्ते को मेरा साथी बना दिया था और मैं हर लम्हा इसकी निगरानी में लगा
रहता था ताकि वह मुझे और दूसरे लोगों को काट ना ले और तूने मुझे नजासत से लबरेज
फितरत अता की थी जिसकी पाकीजा उम्र सर्फ कर दी फरमाया कि लोग तो
यह कहते रहते हैं कि ऐ अल्लाह आलम नजा और कब्र में हमारी आनत फरमाना लेकिन मैं यह
कहता हूं कि अल्लाह हर लम्हा और हर घड़ी हमारी आनत फरमा और मेरी फरियाद रसी कर
फरमाया कि एक मर्तबा मैंने ख्वाब में खुदा ताला से अर्ज किया कि मैंने मोहब्बत में
60 साल गुजार दिए और आज तक तेरी उम्मीद से वाबस्ता हूं इस पर जवाब मिला कि तू सिर्फ
60 ही साल से हमारी मोहब्बत में गिरफ्तार है और हम तुझको अजल से से अपना दोस्त बनाए
हुए हैं फरमाया कि एक शब ख्वाब में मुझसे अल्लाह ताला ने फरमाया कि क्या यह चाहता
है कि मैं तेरा बन जाऊं मैंने अर्ज किया नहीं फिर सवाल किया कि तेरी यह तमन्ना है
तू मेरा हो जाए मैंने कहा नहीं फिर इरशाद हुआ कि तमाम गुजर्ता लोगों को यह तमन्ना
रही कि मैं इनका हो जाऊं फिर आखिर तुझे यह तमन्ना क्यों नहीं मैंने अर्ज किया के ऐ
अल्लाह जो इख्तियार त मुझको अता फरमा ना चाहता है उसमें भी तेरी कोई मस्लत यकीनन
होगी क्योंकि तू भी दूसरों की मर्जी के मुताबिक काम नहीं करता फरमाया कि जब मैंने
अल्लाह ताला से अर्ज किया कि मुझे मेरा असली रूप दिखा दे मैंने देखा कि मैं टाट
के लिबास में मलब उसस हूं और जब मैंने गौर से देख लेने के बाद पूछा कि क्या मेरा असली रूप यही है तो फरमाया गया कि हां
तेरी असली है अत यही है फिर जब मैंने पूछा कि मेरी इरादत सोहबत और खुश खुजू कहां
चलेगी तो फरमाया कि वो तो सब हमारा था तेरी असली हकीकत तो यही है वफात के वक्त
आपने फरमाया कि काश मेरा कल्ब चीर कर मखलूक को दिखाया जाता इनको यह मालूम हो
जाता कि खुदा के साथ बुत परस्ती दुरुस्त नहीं फिर लोगों को वसीयत फरमाई कि मुझे
जमीन से 30 गज नीचे दफन करना क्योंकि यह सरजमीन बिस्तान की सरजमीन से ज्यादा बुलंद
है और यह सिवाय अदबी की बात है कि मेरा मजार हजरत जुनेद बस्तानी के मजार से ऊंचा
हो जाए चुनांचे इस वसीयत पर अमल किया गया लेकिन आपकी वफात से दूसरे ही दिन एक बिजली
चमकी और लोगों ने देखा कि एक सफेद पत्थर आपके मजार पर रखा हुआ है और करीब ही में
शेर के कदमों के निशान हैं जिससे यह अंदाजा किया गया कि यह पत्थर शेर ही नेला करर रखा है और बाज लोग कहते हैं कि आपके
मजार के तरा में शेर को घूमते हुए भी देखा गया लेकिन जुबाने जद हल्के आम यही है क्या
आपके मजार को थामकर जो दुआ मांगी जाए वह जरूर कबूल होगी और बहुत से तजुर्बा भी
इसके शाहिद हैं बाज लोगों ने ख्वाब में देखकर आपसे सवाल किया कि खुदा ने आपके साथ
कैसा सुलूक फरमाया फरमाया कि मेरा आमाल नामा मेरे हाथ में दे दिया गया जिस पर
मैंने अर्ज किया कि तू मुझे आमाल नामे में क्यों उलझाना चाहता है जबकि मेरे माल से
कबल ही त मुझसे बखूबी वाकिफ था कि मुझसे किस किस्म के आमाल सर्जर हो सकते हैं
लिहाजा मेरा आमाल नामा करामन कातिब के हवाले करके मुझे इस झंझट से निजात दे दे
ताकि मैं हर वक्त तुझसे हम कलाम रह सकूं हजरत मोहम्मद बिन हुसैन फरमाते हैं कि एक
मर्तबा मैं शदीद बीमार हुआ तो मैं खौफ आखिरत से बहुत ही मुतासिर था इसी दौरान
में एक दिन आप अयादत के लिए तशरीफ लाए और मुझे परेशान देखकर फरमाया कि कोई बात नहीं
तुम बहुत जल्द सेहत याबो जाओगे लेकिन मैंने अर्ज किया कि मुझे बीमारी का नहीं
मौत का खौफ है आपने फरमाया कि मौत से खाफ ना होना चाहिए क्योंकि अगर मैं तुमसे 20
साल कबल ही मर जाऊं जब भी आलिम नजा में तुम्हारे पास आ जाऊंगा इसलिए तुम मौत से
मत खौफ जदा हो इसके बाद मुझे सेहत याबी हो गई और जब आपकी वफात के 20 साल बाद हजरत
मोहम्मद बिन न मर्ज उल मौत में मुब्तला हुए तो उनके साहिबजादे का बयान है कि वह
नजई कैफियत में इस तरह खड़े हो गए जैसे कोई
ताजमहले कुम अस्सलाम कहा और जब मैंने पूछा कि आपके सामने कौन है फरमाया हजरत शेख
अबुल हसन खरका ने आलिम जान कोनी से आने का वादा फरमाया था लिहाजा वह तशरीफ ले आए हैं
और दूसरे बहुत से औलिया कराम भी आपके हमराह हैं और से फरमा रहे हैं कि मौत से
ना डरो यह कहते ही उनका इंतकाल हो गया आपकी तारीख वफात तजक औलिया के बाज मंसू
नुस्खों में इन दो शेरों में मिलती है बोल हसन आनि का बूद खर कानी ना शनी दम मिसाल
ओसानी शद तारीख साहिबे रकान बुअल हसन जेब
जा अदने जनान 426 हिजरी
बाब नंबर 78 हजरत अबू बकर शिबली रहमतुल्ला अल के हालातो मुना केब तारुफ आप मफत हकीकत
के मंबा मखजन थे और आपका शुमार मोत सूफ कराम में होता है गो जाय विलादत में इलाफ
है लेकिन सही कौल यह है कि आप बगदाद में पैदा हुए और सने बलूग तक वहीं मुकीम रहे
आपकी करामात और रियाजत और नु कातो रमज बेशुमार है जिनको यजा करना बहुत दुश्वार
है आप अपने अपने दौर के तमाम बुजुर्गों को देखा और फैज भी हासिल किया आप इमाम मालिक
के पैरोकार थे और बहुत सी अदीस भी आपने तहरीर कर रखी थी इसके अलावा आपकी इबादत और
रियाजत में कभी कोई कमी वाक नहीं हुई और 70 साल की उम्र पाकर
634 हिजरी माहे जिल हज में इंतकाल हुआ
हालात आप फरमाया करते थे कि मैंने 30 साल तक हदीस और फका का दर्स लिया जिसके बाद
मेरे सीने से एक खुर्शीद तुलू हो गया और जब मुझको खुदा की तलब का इश्तियाक हुआ तो
मैंने बहुत से उस्ता की खिदमत में रुजू करके अपना मकसद जाहिर किया लेकिन कोई मुझे
रास्ता ना दिखा सका क्योंकि उनमें से एक भी बजाते खुद रास्ते से वाकिफ नहीं था बस
मुझसे तो इतना कह देते थे कि हम गैब के सिवा कुछ ना जानते हैं चुनांचे मैंने हैरत
जदा होकर उनसे अर्ज किया कि आप लोग तारीख में है और मैं रोज रोशन में और मैं खुदा
का शुक्र अदा करता हूं कि मैंने अपनी विलायत चोरों के सुपुर्द नहीं की यह सुनकर
सब लोग बरहम हो गए और मेरे साथ बहुत ही नारवा सलूक किया इब्तिदा में आप नहावन
नामी जगह के सरदार थे और जब तमाम अमीरों और सरदारों को दरबार खिलाफत में तलब किया
गया तो आप भी वहां तशरीफ ले गए और जिस वक्त खलीफा सबको खिलत अता करने वाला था उस
वक्त अमीर को छींका आ गई और उसने खिलत की आस्तीन से नाक साफ कर ली जिसकी सजा में
खलीफा ने खिलत वापस लेकर उसको बतर फ कर दिया उस वक्त आपको यह तंब हुई कि जो शख्स
मखलूक की अता करदा खिलत से गुस्ताखी करके ऐसी सजा का मुस्तजब हो सकता है तो खुदा की
अता करदा खिलत के साथ गुस्ताखी करने वाले को तो ना जाने क्या सजा होगी इस ख्याल के
बाद आपने खुलफा से आकर अर्ज किया कि तू मखलूक होकर इस चीज को नापसंद करता है तेरी
अता करदा खिलत से बेअदबी ना करें जबकि तेरी खिलत की मालिक उल मुल्क की खिलत के
सामने कोई हकीकत नहीं लिहाजा उसने मुझको अपनी मारफ की जो खिलत अता फरमाई है मैं भी
यह पसंद नहीं करता कि इसको एक मखलूक के सामने कसी कर दूं ये कहकर दरबार से बाहर
निकले और हजरत खैर नि साज के हाथ पर जाकर बैत हो गए और कुछ अरसा उनसे फैज हासिल
करने के बाद उन्हीं के हुकम से हजरत जुनैद बगदादी की खिदमत में पहुंच गए उ इनसे अर्ज किया कि लोगों ने ने मुझे यह बताया है कि
आपके पास एक गोहरे नायाब है लिहाजा आप या तो इसको मेरे हाथ कमतन फरोख्त कर दें या
फिर बगैर कीमत के दें हजरत जुनेद ने फरमाया कि अगर मैं फरोख्त करना चाहूं तो तुम खरीद नहीं सकते क्योंकि तुम्हारे अंदर
कुवत खरीद नहीं है और अगर मुफ्त दे दूं तो उसकी कदर कीमत ना समझ सकोगे क्योंकि यह
बिला मेहनत के हासिल करदा शय की कोई कदर कीमत नहीं होती लिहाजा अगर तुम वह गोहर
हासिल करना चाहते हो तो बहरे तौहीद में गर्क होकर फना हो जाओ फिर अल्लाह ताला
तुम्हारे ऊपर सब्रो इंतजार के दरवाजे कुशा द कर देगा और जब तुम दोनों को बर्दाश्त
करने के काबिल हो जाओगे तो वह गोहर तुम्हारे हाथ लग जाएगा चुनांचे एक साल तक
तालीम हुक्म करते रहे फिर हजरत जुनेद ने पूछा कि अब मुझे क्या करना चाहिए उन्होंने
फरमाया कि तुम एक साल तक गंधक बेचते फिरो चुनांचे एक साल तक तालीम हासिल करते रहे
फिर जुनेद ने फरमाया कि अब एक साल तक भीख मांगो चुनांचे आपने एक साल यह भी किया
हत्ता कि आपने बगदाद के हर दरवाजे पर भीख मांगी लेकिन कभी आपको किसी ने कुछ नहीं दिया और जब इसकी शिकायत आपने हजरत जुनेद
से की तो उन्होंने मुस्कुरा कर फरमाया कि अब तो शायद तुम्हें अंदाजा हो गया होगा कि मखलूक के नजदीक तुम्हारी कोई हैसियत नहीं
लिहाजा अब कभी मखलूक से वाबस्ता कीी का ख्याल ना करना और ना कभी किसी चीज पर
मखलूक को फौक अत देना फिर हजरत जुनैद ने हुकम दिया चूंकि तुम नेहा वंद के अमीर रह
चुके हो लिहाजा वहां जाकर हर फर्द से मुफी तलब करो चुनांचे आपने वहां पहुंचकर बच्चे
बच्चे से मुफी चाही लेकिन एक शख्स वहां मौजूद नहीं था तो उसके बजाय लाख दिरहम
खैरात किए लेकिन उसके बावजूद भी आपकी कल्ब में खलिश बाकी रह गई और जब दोबारा हजरत
जुनैद की खिदमत में हाजिर हुए तो उन्होंने फरमाया कि अभी तुम्हारे कल्ब में खब बेजा बाकी है लिहाजा एक साल तक और भीख मांगते
रहो लिहाजा भीख के जरिया जो कुछ मिलता इसको हजरत जुनेद के पास लाकर फुकरा में तकसीम कर देते लेकिन आप खुद भूख रहते फिर
साल के खतामुल ने वादा किया कि अब तुम्हें अपनी सोहबत में रखूंगा बशर्ते के तुम्हें
फुकरा की खिदमत गुजारी मंजूर हो चुनांचे आप एक साल तक फुकरा की खिदमत गुजारी में
मशगूल रहे फिर हजरत जुनेद ने पूछा कि अब तुम्हारे नजदीक नफ्स का क्या मुकाम है
आपने जवाब दिया कि मैं खुद को तमाम मखलूक से कमतर तसव्वुर करता हूं यह सुनकर हजरत
जुनेद ने फरमाया कि अब तुम्हारे ईमान की तकल हो गई है इब्तिदा दौर में जो कोई आपके
सामने खुदा नाम देता तो आप उसका मुंह शक्कर से भर देते और बच्चों को महज इस
नियत से शिरनी तकसीम फरमाया करते थे कि वह आपके सामने सिर्फ अल्लाह अल्लाह कहते रहे
फिर बाद में यह कैफियत हो गई कि खुदा का नाम लेने वालों को रुपए और अशरफियां दे दिया करते फिर इस मुकाम पर पहुंच गए कि
शमशीर बहना लेकर फिरते और फरमाया करते कि जो कोई मेरे सामने अल्लाह का नाम लेगा
उसका सर कलम कर दूंगा और जब लोगों ने पूछा कि आपने अपना पहला रवैया क्यों तब्दील कर
दिया फरमाया कि पह पहले मुझे यह ख्याल था कि लोग हकीकत मारफ के तबार से खुदा का नाम लेते हैं लेकिन अब यह मालूम हुआ कि ऐसा
नहीं है बल्कि महज आदत नाम लेते हैं जिसको मैं जायज तसव्वुर नहीं करता एक मर्तबा
अपने यह गैबी निदा सुनी कि इम जात के साथ कब तक वाबस्ता रहेगा अगर तलब सादिक है तो
मुसम मा की जुस्तजू करो य निदा सुनकर इश्क इलाही में ऐसे मुस्तक हुए कि दरिया दजला
में छलांग लगा दी लेकिन एक मौज ने फिर किनारे पर फेंक दिया फिर इसी कैफियत में
आग में कूद पड़े लेकिन आग भी आपके ऊपर असर अंदाज ना हो सकी उसके बाद अक्सर मोहल को
मुहीब मुका मात पर जाकर खुद को हलाक करने की सई करते रहे मगर अल्लाह ताला तो अपने
महबूब बंदों की खुद हिफाजत फरमाता है इसलिए किसी जगह भी कोई गजंद नहीं पहुंचती
और हर यौम जौक और शौक में मुसलसल इजाफा होता रहता है और आप अक्सर चीख चीख कर फरमाते थे कि तासु है इस शख्स पर जो ना
पानी में गर्क हो सका और ना आग में जल सका ना दरिंदों ने फड़ा और ना पहाड़ से गिर
करर हलाक हो सका फिर आपने यह निदा ए गैबी सुनी कि जो मकबूल इलाही होता है उसको खुदा
के सिवा दूसरा कोई कत्ल नहीं कर सकता इसके बाद आपके अहवाल यहां तक पहुंच गए कि लोगों
ने 10 मर्तबा जंजीरों में चकड़ा मगर फिर भी आपको सुकून मयस्सर ना आ सका फिर आपको
पागल तसव्वुर करके पागल खाने भेज दिया गया और हर शख्स आपको दीवाना कहने लगा लेकिन आप
यह फरमाया करते थे कि तुम सब मुझको दीवाना कहते हो हालांकि तुम सब खुद पागल हो और
इंशा अल्लाह कयामत में तुम्हारी दीवानगी से मेरी दीवानगी का मर्तबा जायद होगा कैद
खाने में जब आपसे चंद हजरात ब गर्ज मुलाकात हाजिर हुए तो आपने पूछा कि तुम
लोग कौन हो उन्होंने अर्ज किया कि हम सब आपके अहबाब हैं यह सुनते ही आपने इन पर
संग बारी शुरू कर दी और फरमाया कि तुम कैसे अहबाब हो जो मेरी मुसीबत पर सब्र
नहीं करते एक मर्तबा आप हाथ में आग लिए हुए फिर रहे थे लोगों ने आपसे पूछा कि आग
क्यों ले रखी है फरमाया कि मैं इससे काबा को फूंक देना चाहता हूं ताकि मखलूक काबा
वाले की तरफ [संगीत]
मुतजेंस रहती है कि वह कहां है और मैं भी
इसकी मुवाफीनामा
भी सकू इख्तियार कर लेती एक मर्तबा बच्चों ने आपके पांव पर ऐसा पत्थर मारा कि लह
लहान हो गया और जखम से जो कतरे जमीन पर गिरते उनमें से हर कतरा खून से अल्लाह का
नक्श उभरता था एक मर्तबा ईद के दिन सया ल बास में मलब उसस थे और वजत का आलिम था और
जब लोगों ने सया लिबास पहनने की वजह दरयाफ्त की तो फरमाया कि मैंने मखलूक के
मातम में सया लिबास पहना है इसलिए कि पूरी मखलूक खुदा से गाफिल हो चुकी है इब्तिदा
में आप स्याह लिबास ही इस्तेमाल फरमाते थे लेकिन तायब होने के बाद बुरका पहनना शुरू
कर दिया था और ईद के दिन सेया लिबास पहनकर अपने लिबास से मुखातिब होकर फरमाया कि स्याही ने हमको तारीक के ऐसे आलिम में
पहुंचा दिया है कि हम दरमियान में गर्क हो गए मुजाहि दत के दौरान आप इसलिए अपनी
आंखों में नमक भर लेते थे ताकि नींद का गलबा ना हो सके हत्ता कि थोड़ी-थोड़ी मिक
दार करके आपने सात मन नमक आंखों में भर लिया था और फरमाया करते थे खुदा ताला ने
तजल्ली फरमा करर मुझसे फरमाया है कि सोने वाले मुझसे गाफिल हो जाते हैं और मुझसे
गफलत करने वाला महजूब होता है एक मर्तबा चिमटी लेकर आपने अपना गोश्त नोचना शुरू कर
दिया तो हजरत जुनेद ने उसकी वजह पूछी आपने फरमाया कि जो हका मुझ पर मुनक शिफ होते
हैं उनकी मुझ में ताकत नहीं है इसलिए यह अमल कर रहा हूं ताकि एक लम्हा के लिए
सुकून मिल सके इब्तिदा दौर में आप अ वक्त गिरिया उ जारी करते रहते थे जिस पर हजरत
जुनेद ने फरमाया कि खुदा ने शिबली को एक अमानत सौंप कर चाहा कि वह इसमें खयानत
करें इसलिए इसको गिर्या उ जारी में मुब्तला कर दिया क्योंकि शिबली का वजूद मखलूक के दरमियान ऐन इलाही है एक मर्तबा
हजरत जुनैद की मजलिस में आप भी हाजिर थे तो हजरत जुनैद के बाज इरादत मंदो ने आपकी
तारीफ में जुमले कहे कि सदक शौक और अलही मती में आपका कोई ममास नहीं है यह सुनकर
हजरत जुनेद ने फरमाया तुम लोगों का यह कौल दुरुस्त नहीं बल्कि हकीकत में शिबली मरदूड
और खुदा से बहुत दूर है लिहाजा शिबली को मेरी मजलिस से बाहर निकाल दो और जब आप
निकल गए तो हजरत जुनेद ने मुरीदन से फरमाया कि तुम तारीफ करके हलाक करना चाहते थे क्योंकि तुम्हारे यह तारीफ जुमले इसके
लिए तलवार थे और अगर इसका मामूली सा असर भी इस पर हो जाता तो इसके नफ्स पर र कुशी
रूमा हो जाती और वह फौरन हलाक हो जाता लेकिन मेरी हजू इस के लिए ढाल बन गई और वह
हलाक से बच गया आप अपने मामूल के मुताबिक तहखाने में इबादत किया करते थे और लकड़ियों का गट्ठा इसलिए अपने हमराह ले
जाते कि जब इबादत से जरा भी गफलत होती तो एक लकड़ी निकालकर खुद को जद कूब किया करते
थे हत्ता कि एक-एक करके तमाम लकड़ियां खत्म हो जाती और बाद में आप अपने जिस्म को
दीवारों से टकराते थे एक मर्तबा आप तन्हाई में इबादत कर रहे थे कि बाहर से किसी ने
दरवाजे पर दस्तक देखकर कहा कि अबू बक्र हाजिर हुआ है लेकिन आपने जवाब दिया कि अगर
इस वक्त हजरत अबू बकर सिद्दीक भी तशरीफ ले आए जब भी मैं दरवाजा नहीं खोल सकता लिहाजा
बराह कर्म तुम वापस चले जाओ आप फरमाया करते थे कि मेरी पूरी जिंदगी इन्हीं ख्वाहिश में गुजर गई कि काश एक लम्हा के
लिए खुदा ताला से मुझे ऐसी खलत नसीब हो जाती कि मेरा वजूद बाकी ना रहता और 40 साल
से यह तमन्ना है कि काश एक लम्हा के लिए खुदा को जान और पहचान सकता और काश मैं
पहाड़ों में इस इस तरह
रूपोश्री फिर फरमाया कि मैं खुद को यहूदियों से भी ज्यादा इसलिए जलील तर
तसव्वुर करता हूं कि मैं नफ्स दुनिया और इब्लीस और ख्वाहिश की बलाओ में गिरफ्तार
हूं और मुझे तीन मुसीबतें यह भी लायक हैं कि मेरे कल्ब से अल्लाह ताला दूर हो गया है दो मेरे कल्ब में बातिल जाग गजी हो गया
है सोम मेरा नफ्स ऐसा काफिर बन गया है कि इसको मसाइल को दूर करने का तसव्वुर तक
नहीं आता फिर फरमाया कि दुनिया मोहब्बत का और आखिरत नेमत का मकान है लेकिन इन दोनों
से कल्ब बेहतर है क्योंकि यह मफत इलाही का मकान है फिर फरमाया कि अगर मैं बादशाह का
खिदमत गुजार ना होता तो बुजुर्गों की खिदमत ना करता एक मर्तबा नए कपड़े जिस्म पर उतार कर जला डाले और जब लोगों ने अर्ज
किया कि शरीयत में बिला वजा माल का जया हराम है तो फरमाया कि कुरान ने कहा है जिस
शय पर तुम्हारा कल्ब मायल होगा हम इसको भी तुम्हारे साथ आग में जला देंगे क्योंकि
मेरा कल्ब इस वक्त नए कपड़ों पर मायल हो गया था इसलिए मैंने इनको दुनिया ही में
जला डाला जब आपके मराब में इजाफा शुरू हुआ तो आपने वाज गोई को अपना मशक बना लिया और
इसमें लोगों के सामने हकीकत का इजहार भी करना शुरू कर दिया जिस पर हजरत जुनैद ने
फरमाया कि हमने जिन चीजों को जमीन में मद फून कर रखा था तुम इन्हें बरसरे मबर आवाम
के सामने बयान करते हो आपने जवाब दिया कि जिन हका का मैं इजहार करता हूं वो लोगों
के जनों से बाला तर हैं क्योंकि मेरी बातें हक की जानिब से होती हैं और हक ही की जानिब लौट जाती हैं और इस वक्त चिबी का
वजूद दरमियान में नहीं होता हजरत जुनैद ने फरमाया कि गो तुम्हारा यह कौल दुरुस्त फिर
भी तुम्हारे लिए इस किस्म की चीज बयान करनी मुनासिब नहीं आपने फरमाया कि दीन और
दुनिया तलब करने वालों के लिए हमारी मजलिस नशीन हराम है एक मर्तबा मजलिस में आपने कई
मर्तबा अल्लाह अल्लाह कहा लेकिन इसी मजलिस में एक दरवेश ने तराज किया कि आपने ला
इलाहा इल्लल्लाह क्यों नहीं कहा आपने एक जर्ब लगाकर फरमाया कि मुझे यह खतरा रहता
है कि मैं ला कहूं यानी नफ कर दूं इसी में मेरी रूह निकल जाए आपके स् कॉल से वो
दरवेश लरज बर अंदामम हो गया और इसी वक्त उसका दम निकल गया और जब उसके आजा आपको
कातिल कहकर दरबारे खिलाफत में ले गए तो आपके ऊपर वजदा कैफियत तारी थी और दरबार
में हाजिरी के बाद जब आपसे सफाई पेश करने के लिए कहा गया तो आपने फरमाया कि इस दरवेश की जान तो इश्के इलाही से खारिज
होकर पहले बकाए जलाल बारी में फना होने वाली थी और इसकी रूह अलाय को दुनियावी से
राबता खत्म कर चुकी थी इसलिए इसको मेरे कौल के समात की ताकत ना रही और बर्के
मुशाहिद जमाल की चमक से इसकी रूह मुर्ग बिस्मिल की तरह परवाज कर गई लिहाजा इसमें
मेरा कोई कसूर नहीं यह बयान सुनकर खलीफा ने हुक्म दिया कि आपको बाहर ले जाओ
क्योंकि अगर मैं कुछ देर इनकी गुफ्तगू सुन लूंगा तो मैं भी बेहोश हो जाऊंगा आपके हाथ
पर तौबा करने वाला जब तरीकत का तालिब गार होता तो आप हुकम देते कि सहरा में जाकर
तवक इख्तियार करो और बगैर जाद राह और सवारी के हज के सफर पर चले जाओ इस वक्त
तुम्हें तवक तजत हासिल होगा और जब इन दोनों मुजाहि दत से फराग पा लो इस वक्त
मेरे पास आना इसलिए कि अभी तुम्हारे अंदर मेरी सोहबत की सलाहियत नहीं है और आप अक्सर तायब होने वालों को अपने अहा के
हमराह बगैर जादरा और सवारी के चहरा भेज दिया करते थे
और जब लोग यह कहते थे कि आप तो मखलूक की हलाक के दर पय हैं तो आप जवाब देते थे कि
मेरी नियत हरगिज यह नहीं लेकिन जो लोग मेरे पास आते हैं इनका मकसद मेरी सोहबत नहीं होता बल्कि वह मारफ इलाही के
मुतमरना जाएंगे लिहाजा इनके वास्ते यही बेहतर है कि अपनी हालत पर कायम रहे इसलिए
कि फास मोहिद रहबा नियत पसंद जाहिद से अफजल है इसी वजह से मैं अपने पास आने
वालों को खुदा का रास्ता बता देता हूं इसमें अगर वह हलाक भी हो जाएं जब भी अपने मकसद से महरूम नहीं रहेंगे और अगर सफर की
सोहबत हासिल कर लेंगे तो इन्हें वह मुकाम हासिल हो जाएगा जो 10 साला मुजाहि दत से
भी हासिल नहीं हो सकता आपका कॉल था कि जब रास्ते में मेरी नजर मखलूक पर पड़ती है तो
मैं देखता हूं कि हर नेक बख्त की पेशानी पर लफ्ज सईद और हर बदबख्त की पेशानी पर
लफ्ज़ शक की तहरीर होता है बाज औकात आप जर्ब लगाकर आहो इफला कहा करते थे और जब
लोगों ने इसकी वजह पूछी तो फरमाया कि इंसानों की मु जालि सत उनकी मोहब्बत उनसे
रबत जब्त और उनकी खिदमत करने से मुफलिस हो एक मर्तबा बहुत बड़ा हजू एक जनाजे के साथ
था और इसके पीछे एक शख्स इल्ला मिन फराक उल वालिद कहता हुआ चल रहा था लेकिन जब आपकी नजर जनाजे पर और इस शख्स पर पढी तो
अपने मुंह पर तमाचे मारते हुए फरमाया इला मिन फराक अ इसके बाद फरमाया कि इब्लीस ने मुझे यह
मशवरा दिया था कि तुम अपने सफाए बातिन पर नाजा ना हो क्योंकि इस तह में तारी कियां
पिनहा है एक दिन आपने आलमी वजत में हजरत जुनेद के यहां पहुंचकर उनके बंधे हुए साफे
को खोल डाला और लोगों के सवाल पर फरमाया कि इसकी बंदिश मुझे भली मालूम हुई इसलिए
खोल डाला एक दिन हजरत जुनैद की बीवी अपने घर में बैठी कंघी कर रही थी कि इसी दौरान
अचानक आप भी वहां जा पहुंचे और जब उन्होंने पर्दा करने का कसदार जुनैद ने
फरमाया कि पर्दे की इसलिए जरूरत नहीं कि जमात सूफिया के मस्तों को फिरदौस और
जहन्नुम तक की तो खबर होती नहीं फिर भला वह किसी औरत पर क्या नजर डाल सकते हैं और
जब कुछ वकफा के बाद हजरत शिबली रोना शुरू हुए तो हजरत जुनेद ने अपनी जौजा को पर्दे
में चले जाने का हुकम देते हुए फरमाया कि अब यह अपनी असली हालत पर लौट रहे हैं एक
मर्तबा हजरत जुनैद ने फरमाया मिन तलब वज यानी जिसने खुद खुदा को तलब किया पाया
आपने कहा यह बात नहीं बल्कि यूं कहने के मिन वजद तलब यानी जिसने पा लिया उसने तलब
किया मनकुल है कि एक मर्तबा हजरत जुनेद ने ख्वाब में हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अल वसल्लम को देखा कि आप तशरीफ लाए और हजरत
शिबली की पेशानी पर बौसा दिया और जब हजरत शिबली से पूछा कि तुम क्या-क्या अमल करते
हो तो उन्होंने जवाब दिया कि नमाज मगरिब के बाद दो रकात नमाज पढ़कर यह आयत तिलावत
करता हूं मनन अलेही
मानम हरीन अलकम बिल मनीना र रहीम ना तवल
फल हस अल्लाह ला इला इल्लल्लाह इही तवल हुआ रब्बुल अर अजम यह सुनकर हजरत
जुनेद ने फरमाया कि यह मर्तबा तुम्हें इसीलिए हासिल हुआ है एक मर्तबा आपने वजू
करके मस्जिद का कसत किया तो रास्ता में यब निदा सुनी कि ऐसे गुस्ता खाना वजू के साथ
हमारे घर में चला जाना चाहता है यह सुनकर जब वापस होने लगे तो यह आवाज सुनी कि हमारे घर से लौट जाना चाहता है भला यहां
से लौट करर कहां जाएगा आपने जब एक जोरदार जर्ब लगाई तो यह आवाज सुनी कि हम पर ताना
जनी करता है ये सुनकर आप खामोशी के साथ बैठ गए फिर नदाई तो सब्र जब्त का भी
दावेदार है आपने अर्ज किया कि मैं तुझसे ही फरयाद चाहता हूं किसी दरवेश ने दर
मांदगला में हाजिर होकर आपसे अर्ज किया कि दीन के वास्ते से मेरी दादरसी फरमाइए
क्योंकि मैं इंतहा बदहाली का शिकार हूं अगर आप हुकम दे तो मैं इस रास्ता को छोड़
दूं आपने फरमाया कि तुम कुफ्र के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हो क्या तुमने यह आयत
नहीं सुनी तकत मिन रहमतुल्लाह यानी अल्लाह की रहमत से मायूस ना होना यह सुनकर दरवेश
ने अर्ज किया कि अब मुझे कुछ तमा नियत हासिल हो गई है आपने फरमाया कि तुम अल्लाह
को आजमाना चाहते हो क्या तुमने इसका यह कॉल नहीं सुना फलायन मकला
लसर नहीं बेखौफ होती अल्लाह की तदबीर से लेकिन खसारे वाली कौम यह सुनकर दरवेश ने
सवाल किया कि फिर अब मुझे क्या करना चाहिए फरमाया कि अल्लाह की चौखट पर सर को दे मार
हत्ता कि तेरी मौत वाक हो जाए इसके बाद तुझे कुशा दगी हासिल हो सकेगी एक मर्तबा
आपने एक जुमा से लेकर दूसरे जुमा तक हजरत अबुल हसन खिजरी को अपने पास कयाम करने की
इजाजत दे दी लेकिन यह फरमाया कि अगर तुमने मेरी सोहबत में खुदा के सिवा और किसी का
तसव्वुर किया तो मेरी सोहबत तुम्हारे लिए हराम है एक मर्तबा चंद इरादत मंदो के
हमराह आप जंगल में पहुंचे तो वहां एक खोपड़ी देखी जिस पर तहरीर था कसरल दुनिया
व लाख है आपने एक जर्ब लगाकर फरमाया कि यह खोपड़ी किसी नबी या वली की है और इसमें यह
राज मुजमिल है कि जिस वक्त तक राहे खुदा में दीन और दुनिया को ना खत्म कर दोगे
उसका कुर्ब हासिल नहीं हो सकता एक मर्तबा लालतू अत बा ने आपको परहेज का मशवरा दिया
तो आपने पूछा कि क्या मैं इस चीज का परहेज करूं जो मेरा राजिक है या इस चीज का जो
मेरे रिजक में दाखिल है इसलिए जो मेरा राजिक है वह तो खुद ही मुझे मिल जाएगा और
जो मेरा रिजक नहीं है वह खुद ही नहीं मिलेगा इसलिए जो मेरा राजिक है उसमें
परहेज करना मेरे लिए मुमकिन नहीं एक मर्तबा किसी प्याली फरोश ने यह आवाज लगाई कि सिर्फ एक प बाकी रह गई है तो आपने जर्ब
लगाकर फरमाया कि आगाह हो जाओ सिर्फ एक ही बाकी रह गया है एक मर्तबा आपने एक मैयत पर
बजाय चार के पांच तकबीर कहीं और जब लोगों ने अर्ज किया कि नमाज जनाजा में तो शरीयत
ने चार तकबीर रखी हैं तो आपने पांच तकबीर क्यों कही फरमाया कि मैंने चार तकबीर मयत
पर और एक तकबीर दुनिया और अहले दुनिया पर कही एक मर्तबा आप कयाम तक लापता रहे और
तलाश करने पर हिजड़ों के मोहल्ला में मिले और लोगों ने जब सब सवाल किया कि आप यहां
क्यों मुकीम है फरमाया कि जिस तरह इस जमात का शुमार ना मर्दों में है ना औरतों में है इसी तरह मैं भी दुनिया में इन्हीं जैसा
हूं इसलिए इन्हीं के साथ जिंदगी गुजारना चाहता हूं आपने चंद बच्चों को एक अखरोट की तकसीम पर लड़ते देखकर उनके हाथ से अखरोट
लेकर फरमाया लाओ मैं सब में तकसीम कर दूं लेकिन जब आपने इसको तोड़ा तो इसमें से कुछ
भी नहीं निकला इस वक्त गैब नि द आई कि तुमने अपनी जानिब से हिस्सा तकसीम करने का जो कसदार
तकसीम कर दो यह सुनकर आप सखते के आलम में रह गए आप फरमाया करते थे कि सबसे जयद मुतासिर
राफी और खारी हैं क्योंकि दूसरे फिरके तो अपने ही हक में खिलाफ करते हैं लेकिन यह
दोनों फिरके तासु बात में अपनी जिंदगी जाया करते हैं आपने फरमाया कि जब मैं हस्बी अल्लाह कहने का कसरत करता हूं तो
मुझे यह ख्याल होता है कि मैं झूठ बोलना चाहता हूं लिहाजा यह सोचकर खामोशी इख्तियार कर लेता हूं जब लोगों ने आपसे
अर्ज किया कि इतनी मिक में नमक आप अपनी आंखों में ना भरा करें इससे बेनाई के जायल
हो जाने का खतरा है तो आपने फरमाया कि नाबी हो जाने में मेरे लिए कोई खतरा नहीं क्योंकि मेरा कल्ब जिस शय का ख्वाहिश मंद
है व चश्मे जाहिर से पोशीदा है जब लोगों ने आपसे अर्ज किया कि हम आपको गैर
इत्मीनान हालत में देखकर यह समझते हैं कि या तो आप खुदा के साथ नहीं है या खुदा
आपके साथ नहीं आपने जवाब दिया कि अगर मैं इसके साथ होता तो मैं होता लेकिन मैं तो
इसकी जात में गुम हो गया हूं फिर फरमाया कि मैं हमेशा इस ख्याल से खुश होता हूं कि मुझे खुदा का मुशाहिद व अंस हासिल है
लेकिन अब महसूस हुआ कि अंस तो सिर्फ अपने ही हम जिंस से हो सकता है फरमाया कि मुरीद
उसी वक्त दर्जा कमाल तक रसाई हासिल कर सकता है जब उसके नजदीक सफर हिज्र और हाजिर
गायब सब बराबर हो एक मर्तबा लोगों ने अर्ज किया कि हजरत अबू तब की भूख की वजह से
तमाम सहरा इनके लिए खाना बन गया था आपने फरमाया कि वह तो रु फकी थे अगर मुकाम
तहकीक में होते तो यह कहते कि मैं अल्लाह की खिदमत में रहता हूं और वही मुझे हिलाता
पिलाता है जब हजरत जुनेद ने पूछा कि जब तुम्हें जिक्र इलाही में सदक हासिल नहीं
तो तुम किस तरह इसको याद करते हो आपने फरमाया कि मैं मुजा जिय तबार से जब इसको
बकसर याद करता हूं तो एक मर्तबा वह भी मुझे हकीकत के साथ याद कर लेता है हजरत
जुनेद जुमला सुनकर नारे लगाते हुए बेहोश हो गए आपने फरमाया कि बारगाह इलाही से कभी
तो लत अता किया जाता है और कभी ताजिया ना एक मर्तबा किसी ने आपसे पूछा कि दुनिया
जिक्र शुगल के लिए है और अकबीलडीजाड़ी
उसको पनवी कहते हैं और उसकी जानिब ईमा करने वाले को बुत परस्त कहा जाता है और
इसके मुतालिक गुफ्तगू करने वाले को गाफिल कहते हैं और खामोशी इख्तियार करने वाले को
कामिल कहा जाता है और जो लोग यह समझते हैं कि हमने इसको पा लिया वो नामुराद है इरशाद
आप फरमाया करते थे कि वहम अकल से जिस शय को
शनातन है क्योंकि जाते बारी ताला की तारीफ यह है जो वहम गुमान और अकल से बाला तर है
फरमाया कि सूफिया वही हैं जो दुनिया में इस तरह जिंदगी गुजारे जैसे दुनिया में आने
से कबल थे फिर फरमाया कि तसव्वुफ कुवत हवास का ख्याल रखने और अनफा की निगरानी का
नाम है और सूफी उसी वक्त सूफी हो सकता है जब तमाम मखलूक को अपने बच्चों जैसा समझकर
सब का बोझ बर्दाश्त कर सके और जो मखलूक से मुत के होकर खुदा से इस तरह वाबस्ता हो
जाए जैसा खुदा ताला ने हजरत मूसा को मखलूक से जुदा कर दिया था इस पर खुदा का यह कौल
सादिक है वस्त नफ यानी हमने तुमको अपने लिए मुंतखाब कर लिया और सूफी कराम हमेशा
अल्लाह ताला की आगोश करम में बच्चों की तरह परवरिश पाते रहते हैं फरमाया कि बारगाह इलाही में बे इल्म होकर जिंदगी बसर
करने का नाम तसव्वुफ है फरमाया कि अल्लाह ताला ने हजरत दाऊद से बजरिया वही फरमाया
कि मेरा जिक्र करने वालों के लिए मख्सूसपुरी
करना मोहब्बत है और अगर हुब्ब इलाही का दावेदार खुदा के सिवा किसी और शय का तालिब
हो तो वह मोहब्बत के बजाय खुदा का मजाक उड़ाता है फरमाया कि हैबत इलाही कल्ब को
घुला है और आतिश मोहब्बत जान को पिगला है और शौक नफ्स को फना करता है फरमाया कि
तौहीद को अपनी जानिब बुलाने वाला कभी मोहिद नहीं हो सकता फरमाया कि मफत के तीन
किस्में हैं अव्वल मफत इलाही जो जिक्र की मोहताज है दोम मफत नफ्स जो अदायगी फर्ज की
मोहताज है सोम मारफ से बातिन यह तकदीर इलाही पर रजामंदी के बगैर हासिल नहीं हो
सकती फरमाया कि अल्लाह ताला जब बलाओ पर अजाब करना चाहता है तो इनको कुलूब आरफीन
में जगह दे देता है फरमाया कि आरिफ की शान यह है कि कभी तो अपने जिस्म पर मच्छर नहीं
बैठने देता और कभी पलकों पर सातों अफलाक और जमीन को उठा लेता है एक मर्तबा लोगों
ने सवाल किया कि आपके कलाम में ताजाद क्यों होता है कभी आप एक बात कह कहते हैं
और कभी दूसरी बात आपने फरमाया कि हम कभी आलिम बेखुदी में होते हैं और कभी खुदी में
फरमाया कि खुदा शनास कभी खुदा के सिवा किसी से नहीं मिलता और जो ऐसा करते हैं वह
खुदा को हरगिज नहीं पा सकते फरमाया कि आरिफ वही है जो ना तो खुदा के सिवा किसी
का मुशाहिद करें और ना किसी से मोहब्बत और बात करें और ना किसी को अपने नफ्स का
मुहाफिज तसव्वुर करें फरमाया कि आरिफ का जमाना मौसम बहर की तरह होता है जिस तरह
बहार में गर्द चमक से पानी बरसने के बाद नक हवाएं चलती हैं रंग बंगे फूल खिलते हैं
और फूलों पर बुलबुले नगमा सनज होती हैं इसी तरह आरिफ भी अब्र की तरह रोता है बर्क
की तरह मुस्कुराता है बादल की गर्ज की तरह नारे मारता है हवा की मानिंद आह भरता है
और सर को जुंबिश दे देकर अपनी मुरादों के फूल खिलाता है और फूलों को देखकर बुलबुलों
की तरह खुदा की याद में नगमा संजी करता है फरमाया कि दावत तीन तरह की होती हैं अव्वल
दावत इल्म दोम दावत मारफ सोम दावत मुआयना
और दावत इल्म का मफू यह है कि अपनी जात के बाद अपने नफ्स की मारफ हासिल करें फिर
फरमाया कि इल्म यकीन का इल्म हमी पैगंबरों से हासिल हुआ क्योंकि इल्म यकीन का मफू यह
है कि जो कुलूब में बिला वास्ता नूर हिदायत से हासिल हुआ हो और हकल यकीन यह है
कि इस आलिम में इस हद तक कोई नहीं पहुंच सकता फरमाया कि हिम्मत नाम है खुदा की तलब
का क्योंकि मां सिवाय अल्लाह की तलब को हरगिज हिम्मत का नाम नहीं दिया जा सकता और
अहले हिम्मत खुदा के सिवा किसी दूसरे की तरफ मतवल लेकिन साहिबे इरादत बहुत जल्द
दूसरी जानिब मतवल शय पर इस्तग का नाम फक्र है फरमाया
कि दरवेश के 400 मकामा हैं जिनमें से अदना मकाम यह है अगर दुनिया की पूरी दौलत भी
इनको हासिल हो जाए और तमाम अहले दुनिया उनकी दौलत को इस्तेमाल करें जब भी इन्हें
दिन के खाने की फिक्र ना हो फरमाया कि इबादत इलाही शरीयत है और खुदा की तलब तरीकत फरमाया कि गफलत का नाम जहद है
क्योंकि दुनिया नाचीज है अमूर नाचीज शय है जहद इख्तियार करना गफलत है बल्कि याद
इलाही में मखलूक से बे नियाजी का नाम जहद है फरमाया कि सादिक वही है जो हराम शय को
जुबान पर ना रखे और उसका मफू ये है कि अपनी जात से भी तन फुर पैदा हो जाए एक
मर्तबा लोगों ने पूछा कि अल्लाह ताला ने जो मराब आरफीन को अता फरमाए हैं उनका इल्म
किस तरह हो सकता है आपने फरमाया कि जो शय पाया सबूत ही को ना पहुंच सके उसकी तहकीक
मुमकिन नहीं और जो शय पोशीदा हो उस पर बंदे को सुकून नहीं मिल सकता और जो शय
जहरी हो उससे ना उम्मीदी नहीं हो सकती फरमाया कि बंदे का बंदे की आंख में जहूर
अबू दियत और सिफात इलाही का जहूर मुशाहिद है फरमाया कि लोगों से मोहब्बत करना इखलास
की अलामत है और जिक्र इलाही के सिवा दूसरे जिक्र के लिए लब कुशाई और वस्व है और खुदा
के सिवा हर शय से इंकताला मत है और अपनी जरूरियत से जयद मखलूक की जरूरियत पर नजर
रखना उलू हम मती है फरमाया कि वह सांस जो खुदा के लिए हो वह तमाम आलिम के आबदीन की
इबादत से रोजों तर है फिर फरमाया कि जिस दिन भी मुझ पर खौफ का गलबा होता है उसी
दिन मेरे ऊपर हिकमत और इबरत के दर खुल जाते हैं फरमाया कि नेमतों को नजरअंदाज करके मुनम का मुशाहिद करना शुक्र है
फरमाया कि रात को एक घड़ी गफलत के साथ सोने से अकबा की हजार साला राह से पीछे रह
जाता है और अहले मफत के लिए मामूली से गफलत भी शिर्क है फरमाया कि जिसने अल्लाह
की पाकीजा लिया वह मराब में उस बंदे से बढ़ जाता है जिसको खुदा की रहमत और मारफ
ने सहारा दिया हो और जो खुदा से दूर हो जाता है खुदा भी उसके बाद इख्तियार कर
लेता है फरमाया कि वाज में आदतन आने वाले के लिए समात वाज सूद मंद नहीं होती बल्कि
वह बला का मुस्तक हो जाता है फरमाया कि तुम मा सिवाए अल्लाह से दस्त बदार होकर
हमेशा अल्लाह की अतात में सरगर में अमल रहो और अगर मैं पूरी तरह खुदा की हस्ती से
वाकिफ हो जाता तो खुदा के सिवा हरगिज किसी से खाफ ना होता फरमाया कि मुझसे ख्वाब में
दो अफराद ने कहा कि जो शख्स फलां फलां चीजों पर कार बंद हो जाता है उसका शुमार
दा निश मंदो में होने लगता है फरमाया कि मैंने अपनी सारी जिंदगी इसी तमन्ना में गुजार दी कि अल्लाह ताला के साथ सिर्फ एक
सांस ले सकूं और कल्ब को भी इसकी खबर ना हो सके लेकिन आज तक मेरी यह तमन्ना तिश
तकल है फरमाया कि अगर पूरी दुनिया का लुकमा बनाकर शीर ख्वार बच्चे के मुंह में रख दिया जाए जब भी मैं यही समझूंगा कि
इसका पेट नहीं भरा और अगर पूरी दुनिया मेरे कब्जा में आ जाए और मैं इसको यहूदी
के सुपुर्द कर दूं तो इसके कबूल कर लेने पर मैं इसका ममनून हूंगा फरमाया कि कायनात
में हरगिज ये ताकत नहीं कि मुझे अपना बनाकर मेरे कल्ब पर काबू पा सके फिर भला
कायनात इस पर किस तरह काबू हासिल कर सकती है जो खुदा से वाकिफ हो वाकत एक दिन आपको
आलिम वजत में मुस्तरबत हजरत जुनेद ने कहा कि अगर तुम अपने अमूर खुदा के सुपुर्द कर
दो तो तुम्हें सकून मिल सकता है आपने जवाब दिया कि मुझे तो इसी वक्त सकून मिल सकता
है जब अल्लाह ताला मेरे रे अमूर मेरे ऊपर छोड़ दें ये सुनकर हजरत जुनैद ने फरमाया
कि शिबली की तलवार से खून टपकता है आपने किसी को या रब कहते सुनकर फरमाया कि तू कब
तक यह जुमला कहता रहेगा जब तक कि अल्लाह ताला हर वक्त अब्दी अब्दी फरमाता रहता है
लिहाजा इसकी बात सुन ले उसने जवाब दिया कि मैं तो अब्दी अब्दी ही सुनकर या रब या रब
कहता हूं आपने फरमाया फिर तो तेरे लिए जुमला कहना जायज है आप अक्सर यह फरमाया
करते थे कि अगर अल्लाह ताला मेरी गर्दन में आसमान का तौक और पांव में जमीन की
बेड़ी डाल दे और सारी दुनिया भी दुश्मन हो जाए जब भी उससे मुंह नहीं फेर सकता वफात
वफात के वक्त जब आपकी निगाहों के सामने अंधेरा छा गया तो ना काबले बयान हद तक
बेकरार होकर लोगों से राख तलब करके अपने सर पर डालते रहे और जब लोगों ने बेकरारी
की वजह पूछी तो फरमाया कि इस वक्त मुझे इब्लीस पर रश्क आ रहा है और आतिशे रश्क
मेरे तमाम जिस्म को बसम किए दे रही है और इसकी वजह यह है कि अल्लाह ताला ने इब्लीस
को लते लानत से नवाजा जैसा कि कुरान में है इना इल योमन यानी ऐ शैतान तुझ पर कयामत तक
मेरी लानत रहेगी मुझ देशना को खुदा ने वो खिलत क्यों नहीं अता फरमाई क्योंकि लानत
की खिलत तो शैतान के लिए मखू है लेकिन इसका अता करने वाला तो अल्लाह ताला ही है
और इसकी खिलत का मुस्तक इब्लीस कभी नहीं हो सकता यह कहकर आप खामोश हो गए लेकिन फिर
आलम इस्तरा में फरमाया कि इस वक्त कर्म की एक हवा चल रही है और दूसरी कहर की जिन पर
कर्म की हवा चली उनको मंजिल मकसूद तक पहुंचा दिया और जिन पर कहर की हवा चली वह
लोग रास्ते ही में रह गए और इस किस्म के हिजा बात इनके सामने आ गए कि वह मंजिल तक
ना पहुंच सके लेकिन मुझे यह इस्तरा है कि मेरे ऊपर कौन सी हवा चलने वाली है अगर
मुझे यह इल्म हो जाए कि कर्म की हवा चलने वाली है तो मैं उम्मीद के कर्म में तमाम
ना मुरादिया को बखू श बर्दाश्त कर सकता हूं और अगर खुदा नख्वा स्ता कहर की हवा चल
गई तो मुझे ऐसी मुसीबत का सामना करना पड़ेगा जिसके सामने तमाम मसाइल हीज है
इंतकाल के वक्त हाजरी से फरमाया कि मुझे वजू करवा दो चुनांचे वजू करते हुए इस्तरा
बी कैफियत में दाढ़ी में हलाल करना भूल गए लेकिन आपने गलती पर मुत बब्बे करके आदा
करवा लिया वफात के वक्त आप अपने दो शेर पढ़ते रहे जिस घर में तू कयाम पजीर हो जाए
इसको चिराग की हाजत नहीं होती तेरा हसीन चेहरा ही हमारे लिए हुज्जत है उस दिन के
लिए जब लोग हुज्जत पेश करेंगे इंतकाल के वक्त से कबल ही एक जमात नमाज जनाजा पढ़ने
के लिए आ पहुंची तो आपने बजरिया कश्फ इस जमात के
कसदार है कि जिंदा ही की नमाज पढ़ने चले आए हैं फिर लोगों ने अर्ज किया कि ला
इलाहा इल्लल्लाह कहते तो फरमाया जब गैर ही नहीं है तो नफी किसकी करूं लोगों ने अर्ज
किया कि शरीयत का हुक्म है कि ऐसे वक्त में कलमा पढ़ना चाहिए आपने फरमाया कि सुल्तान मोहब्बत फरमा रहा है कि मैं
रिश्वत कबूल नहीं करूंगा इसके बाद किसी ने बा आवाज बुलंद ला इलाहा इल्लल्लाह कहने की
तल कीन की तो फरमाया कि मुर्दा जिंदा को नसीहत करता है फिर जब कुछ वकफा के बाद
लोगों ने पूछा कि अब आपकी हालत क्या है तो फरमाया कि मैं अपने महबूब से मिल गया यह
फरमा करर दुनिया से खत हो गए वफात के बाद किसी ने ख्वाब में देखकर आपसे सवाल किया
कि नकन से आपने कैसे छुटकारा हासिल किया फरमाया कि जब उन्होंने मुझसे सवाल किया कि
तेरा रब कौन है मैंने जवाब दिया कि मेरा रब वह है जिसने आदम को तखक करके तुम्हें
और दूसरे मलायका को सजदे का हुक्म दिया और उस वक्त मैं हजरत आदम के
पुश्तैनी तो पूरी औलाद की जानिब ही से जवाब दे दिया
और यह कहकर वापस चले गए किसी बुजुर्ग ने ख्वाब में आपसे पूछा कि खुदा ताला ने आपके
साथ क्या सलूक किया फरमाया कि इन तमाम दावों के बावजूद जो मैंने दुनिया में किए
थे उनके मुतालिक खुदा ने मुझसे कोई बाज पुस नहीं फरमाई अलबत्ता एक बात की गिफ्ट
जरूर की और यह कि एक मर्तबा मैंने यह कह दिया था कि इससे ज्यादा मुजर और कोई बात
नहीं है कि बंदा जन्नत का मुस्तक ना हो और जहन्नुम रसीद कर दिया जाए इस पर अल्लाह ताला ने फरमाया के बंदों के लिए सबसे
ज्यादा मुजर यह है कि वह महबूब होकर मेरे दीदार से महरूम हो जाएं किसी ने आपसे
ख्वाब में सवाल किया कि आपने बाजार ए आखिरत को कैसा पाया फरमाया कि बाजार कतई
बे रौनक है क्योंकि इसमें सोखता जिगर और शिकस्ता कल्ब लोगों के सिवा कोई नहीं
दिखाई देता और ऐसे लोगों की यहां ऐसी भीड़भाड़ है कि सोखता जिगर लोगों के जख्म
पर मरहम लगाकर इनकी सोजिन को दूर कर दिया जाता है और शिकस्ता कुलूब को जो कर उनकी
शिकस्त गी दूर कर दी जाती है और उनके बाद वह सिवाय दीदार इलाही के किसी दूसरी शय पर
नजर नहीं डालते बाब नंबर 69 हजरत अबू नसर सिराज
रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आप बहुत बड़े आलिम आरिफ और जहरी और बात उलूम
पर मुकम्मल दस्तरस रखते थे और तिम फुकरा के नगीना थे लेकिन आपके मुकम्मल हालातो
औसाफ को अहाता तहरीर में लाना मुमकिन नहीं आपकी एक तसनी किताबे लमा बहुत मशहूर है
आपने हजरत सरी सत्ता और सुहेल तश्तरी को भी देखा था और आपका वतन असली तौस था एक
मर्तबा माहे सैयाम में बगदाद पहुंचे तो वहां के बाशिंदों ने निहायत गर्म जोशी से इस्तकबाल करके आपको मस्जिद शुने जिया के
एक हुजरे में ठहरा दिया आपकी करामात में पूरे माह में पांच कुरान सुने एक खादिम हर
शब आपके हुजरे के सामने रोटी की एक टिकिया रख दिया करता था लेकिन आप इसको उठाकर
हुजरे के गोशे में रख दिया करते थे और माहे सैयाम के खात्मा पर ईद की नमाज अदा
करके ना मालूम सिमत की जानिब निकल गए और जब लोगों ने हुजरे में जाकर देखा तो एक
गशा में 30 टिकिया रोटी की जमा थी हालात मौसम शर्मा की एक रात में आप अपने इरादत
मंदो से मारफ से मुतालिक कुछ बयान फरमा रहे थे और आपके सामने आग रोशन थी दौरान
बयान आपको ऐसा जोश आया कि उठकर आग के ऊपर सजदा शुक्र में गिर पड़े लेकिन सर उठाने
के बाद मालूम हुआ कि आपका एक बाल भी आग से मुतासिर नहीं हुआ फिर मुरीदन से फरमाया कि
बारगाह इलाही में इजहार एजज करने वाले हमेशा सुर्खरू रहेंगे और आग कभी इनको जला
नहीं सकेगी अकवाले सरी आप फरमाया करते थे कि सीना अ शक में एक ऐसी आग शोला फगन रहती
है कि अपने शोलों की लपेट में खुदा के सिवा हर शय को जलाकर खाक स्तर कर देती है
फरमाया कि अहले अदब की तीन किस्में हैं उनमें से एक किस्म अहले अदब की वह है जो अहले दुनिया फसाह तो और बलावत वगैरह से
ताबीर करते हैं दूसरी किस्म वह है जिनको अहले बातिन से ताबीर किया जाता है क्योंकि
उनके नजदीक तहा और भेदों की हिफाजत और आजा और नफ्स का
मुदब्बीर गुरुह को खासन खुदा से ताबीर किया जाता है
उनके नजदीक तहफ्फुज औकात ाए अहद नफ्स पर अदम तवज्जो
मुकाम हजूरी और मुकाम कुर्ब में शास्त कीी इख्तियार करने का नाम अदब है आपने अपनी
हयात ही में यह फरमा दिया था कि मेरे मजार के करीब जो जनाजा लाया जाएगा उसके गुनाह
मुफ कर दिए जाएं चुनांचे आज तक अहले तौस हर जनाजे को कुछ देर के लिए आपके मजार के
करीब रखकर बाद में दफन करते हैं बाब नंबर 80 हजरत शेख अबुल अब्बास
कसाब रहमतुल्ला अल के हालात मुना तारुफ आपका शुमार अपने दौर के सिद्दीकी
में होता है आपको तकवा और तहा करत की वजह से नफ्स की खामियां मालूम करने में बड़ा
दर्क हासिल था लोग आपको आलिम ममल कत के खिताब से याद करते थे और हजरत शेख अबू अल
खैर जैसे अजीम उल मरतबक बुजुर्ग आपके इरादत मंदो में शामिल थे आप फरमाया करते
थे कि अगर लोग तुमसे यह सवाल करें कि तुम खुदा शनास हो तो हरगिज यह ना कहना कि हम
पहचानते हैं बल्कि यह कहना कि अल्लाह ताला ने अपने फजल से मारफ अता कर दी है इरशाद
आपका इरशाद है कि खल्क इलाही इख्तियार करो वरना सदा गमो आला में गिरफ्तार रहोगे और
अल्लाह ताला जिसके लिए भलाई का ख्वा होता है उसके आजा को मुकम्मल इल्म बनाकर हर उज
को सलब करके अपनी जानिब खींच कर नेस्त कर देता है ताकि उसकी नेती में अपनी हस्ती का
जहूर फरमा दे और जब बंदा नेस्त हो जाता है और उस पर खुदा की हस्ती का जुहूर होता है
तो अपनी सफात के जरिए जब मखलूक का मुशाहिद कराता है तो वह बंदा मखलूक को मैदाने
कुदरत में एक गेंद की तरह पाता है और उस गेंद को अल्लाह ताला गर्दिश देता रहता है
फरमाया कि तमाम मखलूक खुदा से आजादी तलब करती रहती है लेकिन मैं उससे बंदगी का
तालिब रहता हूं क्योंकि बंदा की सलामती उसकी बंदगी मेंही है और आजादी तलब करने से
बंदा हलाक में मुब्तला हो जाता है फरमाया कि मेरे और तुम ार मा बैन यह फर्क है कि
मैं अपना मद खुदा के सामने बयान करता हूं और तुम अपना मद मुझसे बयान करते हो और मैं
उसको देखता हूं और सुनता हूं लेकिन तुम मुझे देखते और सुनते हो हालांकि इंसान
होने में हम दोनों मसावी हैं फरमाया कि मुरीद मुर्शद का आयना दार हुआ करता है और
उस आईना में इसी तरह देखा जा सकता है जैसे मुरीद नूर इरादत से मुशाहिद करता है और
सोहबत मुर्शद का अजर एक रकत नफल से भी फरोज उतर है फरमाया कि अहले दुनिया की
मोहब्बत से ज्यादा सवाब उस चीज में है कि भूख में एक लुकमा कम खाया जाए और अहले
दुनिया जिस शय को इज्जत और तौकीर नजरों से देखते हैं अकबा में उनकी हैसियत जर्रा
बराबर भी नहीं फरमाया कि हर सूफी किसी शय या मर्तबा का ख्वाहिश मंद होता है लेकिन
मैं किसी भी शय और मर्तबा का ख्वा हा नहीं हूं अलबत्ता यह जरूर चाहता हूं कि अल्लाह ताला मेरी खुदी को मुझसे दूर फरमा दे
फरमाया कि मेरी ता तो मासि अत दो चीजों से वाबस्ता है अव्वल जब मैं खाना खाता हूं तो
मेरे अंदर इरत काबे मासि का जज्बा रूमा होता है तोम खाना ना खाने की सूरत में
जज्बा इबादत पैदा हो जाता है इसका मफू यह है कि खाने से इबादत इलाही से नफरत और रगत
गुनाह पैदा होती और फाका कशी से नफ सानी ख्वाहिश खत्म हो जाती हैं और खुद बखुदा
इबादत के जानिब कल्ब मतवल हो गया कितर के गजा खुद ऐसी इबादत है
जो इबादत की रबत पैदा करती है एक मर्तबा एक इल्म जहरी पर बहस करते हुए फरमाने लगे
कि इल्म जहरी वह जौहर है कि तमाम अंबिया कराम उसी के जरिया दावत देते रहे और अगर
अल्लाह ताला इस चौहर के जरिया हिजाब तौहीद उठा दे तो इल्म जहरी खुद पर्दा अदम में
रूपोश्री मुब्रा है फरमाया कि हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम हरगिज मुर्दा
नहीं है बल्कि तुम खुद मुर्दा हो इसीलिए तुम्हारी आंखें उनको मुर्दा देखती हैं
फरमाया कि खुदा ने दुनिया में ऐसे लोग भी पैदा किए हैं जिन्होंने दुनिया के हर ऐशो
राहत को अहले दुनिया के लिए छोड़ दिया और अकबा की तमाम राहतें अहले अकबा के लिए छोड़ दी और खुद अल्लाह ताला के सिवा हर शय
से बे नियाज हो गए और इनको उस पर फख्र भी है कि खुदा ने बारगाह रबू बियत में अरबा
बूदतमीज खुशनसीब वो बंदा है जिसको खुदा ताला अपने
करम से इसकी हस्ती पर आगाह फरमा दे फरमाया कि नेकियों की सोहबत और मुका मात मुकद्दसा
की जियारत से कुर्बे इलाही हासिल होता है और तुम्हें ऐसे लोगों की सोहबत इख्तियार
करनी चाहिए जिनकी सोहबत जाहिर और बातिन को नूर मारफ से मुजरा कर दे फरमाया कि अल्लाह
ताला हजारों बंदों में से सिर्फ किसी एक ही को अपने कुर्ब से नवाजता है फरमाया कि
दुनिया तो नजस है लेकिन वह कल्ब इससे भी ज्यादा नजस है जिसने दुनिया की मोहब्बत
इख्तियार कर ली फरमाया कि कुर्बे इलाही में रहने वाले बंदे मखलूक से दूर रहते हैं और मखलूक को इनके अहवाल का पता नहीं चलता
फरमाया कि जब तक मनो तू का झगड़ा बाकी रहता है उस वक्त तक इरशाद तो इबारा भी
जाहिर रह हैं लेकिन जब यह फर्क खत्म हो जाता है तो इरशाद तो इबारा यकसर तौर पर
खत्म हो जाते हैं फरमाया कि खुदा ताला से कमा हक्का वाकिफ होने वालों में यह कुवत बाकी नहीं रहती कि वह खुद को खुदा शनास कह
सकें फरमाया कि शब रोज में एक लम्हा भी ऐसा नहीं जिसमें बंदों पर खुदा का फैजान
ना होता हो और खुदा के सिवा दूसरी शय के तलबगार दरह कीक दो खुदाओं के परिस्ता होते
हैं फरमाया कि मैं नहीं चाहता कि तुम लोग मेरा अदब करो क्योंकि बहुत बहुत ही कम शऊर
है वह मां जो अपने शीर ख्वार बच्चे से अदब की तालिब हो फरमाया कि इब्लीस किस्ता खुदा
वंदी है और किस्ता इलाही को संसार करना शुजात के मनाफी है फरमाया कि अगर अल्लाह
ताला महशर में तमाम मखलूक का हिसाब मेरे सुपुर्द कर दे तो मैं मखलूक को छोड़कर
तमाम हिसाब किताब इब्लीस ही से करूंगा लेकिन मैं जानता हूं कि यह बात मुमकिन नहीं फिर फरमाया कि मेरे मराब को अहले
दुनिया ने नहीं देखा क्योंकि हर फर्द अपने ही मर्तबा की है यत से मुझको देखता है
इसलिए जिस मर्तबा के वह लोग हैं उस मर्तबा का मुझको भी तसव्वुर करते हैं फरमाया कि
मेरा वजूद हजरत आदम के लिए बायस फक्र और हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की
आंखों की ठंडक है यानी कयामत में हजरत आदम इस बात पर फख्र करेंगे कि मैं उनकी औलाद
में हूं और हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आंखें इस चीज से ठंडक हासिल
करेंगी कि मैं उनकी उम्मत में हूं फरमाया कि हश्र में तमाम परचम से ज्यादा बुलंद
मेरा परचम होगा और जब तक हजरत आदम अल सलाम से लेकर हजरत मूसा तक मेरे परचम तले नहीं
आ जाएंगे मैं बाज नहीं आऊंगा हजरत मुसन्निफ फरमाते हैं कि यह कौल भी इसी कौल
की तरह है जैसा कि हम पहले हजरत बायजीद बस्तानी का कॉल नकल कर चुके हैं कि मेरा
परचम हजरत मूसा के परचम से बड़ा है फरमाया मेरे जहद का अदना दर्जा यह है कि मैंने हाथ में बेलचा लिए हुए बहरे गैब के साहिल
पर एक बेलचा मारा तो अर्श से तहल सरा तक हर शय को मुन कर दिया फिर दूसरा बेलचा
मारा तो कुछ भी बाकी ना रहा यानी पहले ही अकदास चीजें मेरे सामने से हट गई फरमाया
कि अल्लाह ताला महशर में एक जमात को जन्नत में और दूसरी को जहन्नुम में भेजकर दोनों
को दरिया ए गैब में गर्क कर देगा फरमाया कि जहां अल्लाह ताला का कयाम है वहां
अरवाह के सिवा किसी का गुजर मुमकिन नहीं बाज लोगों ने पूछा कि कयामत में जब तमाम
लोग फिरदौस और जहन्नुम में जा चुके होंगे तो जमा म कहां होंगे फरमाया कि जवा मर्दों
के लिए दुनिया और अकबा में जगह नहीं हालात किसी ने ख्वाब में कयामत को देखा और हर
सिमत आपकी जुस्तजू में फिरने के बावजूद कहीं आपका पता नहीं चला फिर बेदारी के बाद
जब उसने आपसे मुफस्सल ख्वाब बयान किया तो फरमाया कि बूद और नाबूत को तुम वहां कैसे
पा सकते थे क्योंकि मैं तो खुदा से यह पनाह तलब करता रहता हूं कि लोग मुझे कयामत
में पासके यानी खुदा ताला मुझको ऐसा निस्त कर दे कि कयामत में भी उसके सिवा मुझे कोई
ना देख सके एक मर्तबा आप तन्हाई में इबादत कर रहे थे तो मस्जिद में मजज ने कद कामत
सला कहा और आपने जवाब में फरमाया कि यहां से उठकर खुदा की बारगाह में आना मेरे लिए
दुश्वार है लेकिन जब शरीयत का ख्याल आया तो मस्जिद में जाकर बा जमात नमाज अदा कर
ली बाब नंबर 81 हजरत अबू इसहाक इब्राहीम
बिन अहमद खवास रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आप तरीकत हकीकत के सरच शमा और तजी दो
तौहीद के मंबा मखजन थे और आपका शुमार अजीम तरीन बुजुर्गों में होता था और इसी वजह से
आपको रईसुल मुतकब्बीर
हमतुमसे मशक के फैज याफ्ता थे हका मामलात के मौजू पर आपकी बहुत सी तसनी भी हैं आपने
अक्सर तौहीद और तजत की बिना पर सहरे अनवर दी की है इसलिए कहा जा ता है कि आप जंबल
बनाया करते थे और अपने ही वतन र में 691 हिजरी में वफात पाई
हालात आप फरमाया करते थे कि मैंने सिर्फ इस खौफ से कि कहीं मेरे तवक में फर्क ना आ
जाए कभी हजरत खजर को अपनी सोहबत में बैठने की इजाजत नहीं दी और दूसरी वजह यह थी कि
मुझे यह बात नापसंद है कि मैं खुदा के सिवा किसी और को अपने कल्ब में जगाह दो
आपका यह मामूल था कि हमेशा अपने साथ धागा कैची और री रखा करते थे और फरमाते थे कि
यह चीजें तवक के मनाफी नहीं है फरमाया कि एक मर्तबा सहरा में एक औरत नजर आई जिस पर
वजदा नहीं कैफियत तारी थी और वह परेशान हालों सर बहना फिर रही थी मैंने कहा कि
अपना सर तो ढापली तो उसने जवाब दिया कि तुम अपनी आंखें बंद कर लो मैंने जवाब दिया कि आशिक हूं और अाक का शेवा आंखें बंद
करना नहीं होता उसने कहा कि मैं मस्त हूं इसलिए सर ढापना मस्तों का भी सेवा नहीं और
जब मैंने पूछा कि तूने किस मैकदे से पी है जिसकी वजह से मस्त हो गई उसने कहा कि यहां
दूसरा कोई मैक नहीं क्योंकि मैं तो यही समझती हूं कि दोनों आलिम में खुदा के सिवा
कुछ भी नहीं है फिर मैंने उससे पूछा कि क्या तू मेरे हमराह रहना पसंद करेगी तो उसने नफरत से कहा कि मैं मर्द के हमराह
नहीं रहना चाहती बल्कि फर्द की ख्वा हूं जब किसी ने आपसे ईमान की हकीकत के मुतालिक
सवाल किया तो फरमाया कि फिल वक्त तुम्हारे सवाल का जवाब देना इसलिए जरूरी नहीं समझता
कि मेरा जवाब कॉल के जरिया होगा जबकि मैं तुम्हें फेल के जरिया जवाब देना चाहता हूं
लेकिन तुम्हें अपने जवाब के लिए मेरे हमराह मक्का मुजमा का सफर करना होगा और दौरान सफर तुम्हें खुद बखुदा मिल जाएगा
चुनांचे वह शख्स आपके हमराह सफर में चलने के लिए आमादा हो गया और जब आपने जंगल में पहुंचकर सफरे हज शुरू किया तो हर यौम गैब
से आपके पास दो टिकिया रोटी और दो आब खोर में पानी आपके पास पहुंच जाते थे जिसमें
से एक टिकिया और आप खोरा आप उस शख्स को दे देते उस शख्स का बयान है कि जब मैं आपके
हमराह सफर कर रहा था तो एक सन रसीदा बुजुर्ग घोड़े पर सवार तशरीफ लाए और हजरत
खवास को देखकर घोड़े पर से उतर पड़े और बहुत देर तक दोनों में कुछ बातें होती रही
उसके बाद वह बुजुर्ग घोड़े पर सवार होकर रुखसत हो गए उनके जाने के बाद जब मैंने
आपसे पूछा कि यह बुजुर्ग कौन थे तो फरमाया कि यह बुजुर्ग तुम्हारे सवाल का जवाब थे
मैंने अर्ज किया कि यह बात मेरे फहम से बाला तर है जरा वजाहत के साथ बयान फरमा द
आपने फरमाया कि यह हजरत खिजर थे और मेरी सोहबत इख्तियार करना चाहते थे लेकिन मैंने
इस खौफ से कि कहीं मेरा तवक मजरूह ना हो जाए इनको मना कर दिया ताकि खुदा के सिवा
मेरा एतमाद किसी और का मोहताज ना बन जाए और यही ईमान की हकीकत है आप फरमाया करते
थे कि एक मर्तबा मैंने जंगल में हजरत खजर को मुर्ख की तरह उड़ते हुए देखकर इस नियत
से अपना सर झुका लिया कि कहीं मेरे तवक में फर्क ना आ जाए इस अमल के बाद हजरत खजर
ने नीचे उतर कर मुझसे फरमाया कि अगर तुम मेरी जानिब देख लेते तुमसे मुलाकात करने
ना उतरता और जिस वक्त मेरे पास तशरीफ लाए तो मैंने तवक की हिफाजत में उन्हें सलाम
तक नहीं किया फरमाया कि एक मर्तबा दौरान सफर में शिद्दत प्यास से बेहोश हो गया और
होश में आने के बाद देखा तो एक शख्स मेरे चेहरे पर पानी के छींटे दे रहा है फिर
उसने मुझे पानी पिलाकर अपने हमराह चलने की पे शकश की और जब हम चंद आयाम ही में मदीना
मुनव्वरा पहुंच गए तो उसने यह कहकर कि अब तुम मदीना में दाखिल हो चुके हो मुझे
घोड़े से उतारते हुए कहा कि तुम रोजा अकदर की जियारत के वक्त हजूर अकरम सल्लल्लाहु
अलैहि वसल्लम से मेरा सलाम अर्ज कर देना फरमाया कि एक मर्तबा मैं जंगल में एक ऐसे
दरख्त के करीब पहुंचा जहां पानी मौजूद था लेकिन वहां एक शेर गुरता हुआ मेरी तरफ
बढ़ा तो राजी बिन रजा होकर खामोश खड़ा हो गया और कल्ब में यह तसव्वुर कर लिया कि
अगर मेरी मौत इसी शेर के हाथों मुकद्दर हो चुकी है तो मैं बचकर कहीं नहीं जा सकता और
अगर ऐसा नहीं है तो यह मुझे हरगिज हलाक नहीं कर सकता और जब वह मेरे करीब आया तो
मैंने देखा कि वह लंगड़ा है और पांव जख्मी होने की वजह से मुत वम हो गया है जिसकी
अजियत से वह मुस्तर बाना तौर पर जब मेरे करीब आकर जमीन पर लौटने लगा तो मैंने एक
लकड़ी से इसका जख्म खुलच कर खून और पीप कतन साफ कर दिया और अपनी गढी से कपड़ा
फाड़कर जखम पर पट्टी बांध दी जिसके बाद वो उठकर एक तरफ चला गया और कुछ वकफा के बाद
ही अपने दो बच्चों के हमराह मेरे पास आया और उसके बच्चे बतौर इजहार तशु मेरे चारों
तरफ घूमने लगे और इस हरकत से उनका यह मफू मालूम होता था कि हम तेरे एहसान के सिला
में अपनी जान तक तुझ पर निसार कर सकते हैं इस वक्त रोटी के चंद टिकिया इसके मुंह में
थी जिनको मेरे सामने निकाल कर रख दिया एक मर्तबा आप किसी मुरीद के हमराह जंगल में
थे कि अचानक कि अचानक शेर के गुर्रा ने की आवाज आई और मुरीद खौफ जदा होकर एक दरख्त
पर चढ़ गया लेकिन उसके बावजूद भी उसके खौफ में कोई कमी वाक नहीं हुई मगर आपने बेखौफ
होकर मुसल्ला पर नमाज की नियत बांध ली और जब शेर ने करीब आकर आपको मशगूल इबादत पाया
तो कुछ देर इधर-उधर चक्कर लगाकर वापस लौट गया और जब वह मुरीद नीचे उतरा तो आप इस
मुकाम से कुछ फासले पर जा चुके थे वहां आपके पांव में एक मच्छर ने ऐसा काटा कि आप
शिद्दत तकलीफ से मुस्तरबत मुरीद ने पूछा कि आप शेर से तो जरा भी खौफ जदा नहीं हुए लेकिन मच्छर के
काटने पर इस कदर बेचैन हैं आपने फरमाया कि उस वक्त अल्लाह ताला ने मुझको अपने आप से
बाहर कर दिया था और इस वक्त मैं अपने आप में होने की वजह से मच्छर के काटने की
तकलीफ महसूस कर रहा हूं हामिद अवद बयान करते हैं कि मैं एक मर्तबा आपका हमसफर था
तो एक मुकाम पर पहुंच गया जहां कसरत के साथ सांप थे चुनांचे मैं भी उनके हमराह
पहाड़ की एक खोह में मुकीम हो गया और जब रात को सांप अपने सुराख से बाहर निकले तो
मैंने आपको आवाज दी आपने फरमाया कि अल्लाह को याद करो चुनांचे मैंने अल्लाह को याद
करना शुरू कर दिया और जब तमाम सांप इधर-उधर घूमकर अपने सुराख में वापस चले गए
तो सुबह के वक्त मैंने देखा कि एक बहुत बड़ा सांप आपके करीब कुंडल मारे बैठा है
मैंने अर्ज किया कि क्या आपको मूजी की खबर नहीं फरमाया कि आज रात से ज्यादा अफजल
मेरे लिए और कोई रात नहीं गुजरी और हेफ है इस शख्स पर जो इस अफजल रात में खुदा के
सिवा किसी दूसरी चीज से खबरदार हो किसी ने आपके कपड़ों पर बिच्छू फिरते देखकर मारने
का कसदार करते हुए फरमाया कि यह खुदा का शुक्र है जिसने मुझे किसी चीज का जरूरतमंद
नहीं किया और सबको मेरा मोहताज बना दिया आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा मैं रास्ता भूलकर कई यम तक परेशान फिरता रहा
लेकिन रास्ता नहीं मिला फिर मुझे एक सिमत में मुर्ख की अजान देने की आवाज आवाज आई
तो मैंने ख्याल किया कि इसी तरफ चलना चाहिए शायद वहां कोई आबादी होगी लेकिन कुछ ही दूर चलने के बाद एक शख्स भागता हुआ आया
और मेरी गर्दन पर ऐसा मुक्का रसीद किया कि मैंने मुस्तरबत में अर्ज किया कि या अल्लाह क्या
मुत वकन की यही इज्जत हुआ करती है निदा आई कि जब तक तूने हमारे ऊपर तवक किया मखलूक
ने तेरी इज्जत की लेकिन अब मुर्ख पर तवक करने की वजह से तू लोगों की नजरों में गिर
गया है और अगर मुर्ख पर तवक करने वाले को इससे भी शदीद सजा दी जाए जब भी कम है यह
सुनकर मैं घूंसे की तकलीफ से निडल आगे चल दिया फिर कुछ दूर चलने के बाद यह यबी निदा
आई कि ऐ खवास क्या तुझे इस शख्स ने घूंसा मारा था और जब मैंने सर उठाकर देखा तो उसी
घूंसा मारने वाले की नाश मेरे सामने पड़ी थी फरमाया कि एक मर्तबा मैं मुल्के शाम की
जानिब सफर कर रहा था तो रास्ता में एक हसीन नौजवान को नफीस लिबास में अपनी तरफ
आते हुए देखा और मेरे करीब पहुंच कर उसने कहा कि मैं भी आपके हमराह सफर करना चाहता
हूं मैंने कहा मेरा हमसफर बनने की शक्ल में तुझे भूखा रहना पड़ेगा चुनांचे वह
मेरी शर्त मंजूर करके मेरा हमसफर बन गया और हम दोनों मुसलसल चार यम तक भूखे प्यासे
सफर करते रहे लेकिन चौथे दिन एक मुकाम पर निहायत नफीज खाना मुहैया हो गया और जब
मैंने उससे खाने के लिए कहा तो उसने जवाब दिया कि मेरा तो यह अजम है कि जब तक अल्लाह ताला मुझे बिला वास्ता खाना अता
नहीं करेगा हरगिज ना खाऊं लेकिन मैंने कहा कि यह अजम तो बहुत सख्त है जिसकी ततक मल निहायत दुश्वार है यह सुनकर उसने कहा कि
अल्लाह ताला तो हर तरह रिजक अता करने पर कादिर है वह तो सिर्फ अपने बंदों का
इम्तिहान लेता रहता है लेकिन आपके कॉल से तो अंदाजा होता है कि आपने अल्लाह पर तवक
नहीं किया क्योंकि तवक का अदना दर्जा यह है कि सख्ती और फाका के आलिम में तवक पर
कायम रहते हुए हीला तलाश ना करें फरमाया कि एक मर्तबा मैं सहरा में तवक अल अल्लाह
किए हुए रहा था कि दूर से एक आतिश परस्त नौजवान ने मेरा नाम लेकर सलाम करते हुए
कहा कि आप इजाजत दे दें तो मैं भी आपका हमसफर बन जाऊं मैंने कहा कि जहां मैं जाना
चाहता हूं वहां तुम्हारा गुजारा नहीं हो सकता लेकिन उसने कहा कि मैं हर शय से बेपरवाह होकर आपके हमराह चलूंगा ताकि कुछ
ना कुछ फैज मुझको भी हासिल हो जाए यह कहकर वह मेरे हमराह एक हफ्ता सफर करता रहा
लेकिन आठवें दिन कहने लगा कि अपने खुदा से खाने के लिए कुछ तलब फरमाइए क्योंकि मैं भूख से डाल हो चुका हूं उसके तदा पर मैंने
यह दुआ की कि ऐ अल्लाह अपने हबीब के तसदुक में मुझे इस आतिश परस्त के सामने नदा मत
से बचा ले उसी वक्त गैब से एक खवाने नेमत नाजिल हुआ जिसमें गर्म रोटियां तली हुई
मछली ताजा खजूर और ठंडा पानी मौजूद था चुनांचे हम दोनों ने खूब शिकम सेर होकर
खाया और उसके बाद फिर एक हफ्ता फका कशी के आलम में सफर करते रहे फिर आठवें दिन मैंने
उस आतिश परस्त से कहा कि आज तुम भी अपना कोई कमाल पेश करो य सुनकर अपना सर जमीन पर
टेक कर जेरे लब कुछ पढ़ा जिसके फौरन बाद पहले जैसा खवाने नेमत गैब से नाजिल हुआ और
मुझे यह देखकर इंतिहा हैरत हुई कि यह कमाल इसमें कैसे पैदा हो गया और जब उसने कहा कि
आइए हम दोनों मिलकर खा लें तो मैंने एहसास नदा मत से कहा कि मुझे इस वक्त भूख नहीं
तुम तन्हा खा लो लेकिन उसने कहा कि आप हैरत जदा ना हो बल्कि इत्मीनान से खाना खा
लें इसके बाद आपको दो खुश खबरिया सुनाऊंगा अव्वल यह कि आप मुझे कलमा पढ़ाकर मुसलमान
कर ले वो उसी वक्त सदक दिली से कलमा पढ़कर मुसलमान हो गया और दूसरी खुशखबरी यह थी कि
जिस वक्त आपने मुझसे कमाल पेश करने के लिए कहा तो मैंने यह दुआ की कि अल्लाह इस
बुजुर्ग के सदका में मुझे नदा मत से बचा ले चुनांचे यह जो कुछ भी हुआ है उसमें
मेरे कमाल को कतन दखल नहीं फिर हम दोनों खाना खाकर मक्का मुजमा की जानिब रवाना हो
गए और वहां पहुंचकर जवान काबा का मुजावर बन गया फरमाया कि एक मर्तबा मैं जंगल में
ता भूल गया तो एक शख्स ने नमूद होकर मुझे सलाम करने के बाद कहा मेरे हमराह चलोगे तो
रास्ता मिल जाएगा चुनांचे चंद कदम चलने के बाद ही वह गायब हो गया और जब मैंने गौर से
देखा तो वाकई में सही रास्ते पर पहुंच गया और उसके बाद से ना तो कभी रास्ता भूला ना
कभी भूख प्यास महसूस हुई फरमाया कि एक मर्तबा रात को मेरा ऐसे सहरा में गुजर हुआ
जहां अचानक शेर मेरे सामने आ गया और मैं इसको देखकर परेशान हो गया यकायक निदा ए
गैबी सुनाई दी के परेशान मत हो क्योंकि तेरे तहफ्फुज के लिए 7000 मलायका हर वक्त
तेरे साथ रहते हैं फिर फरमाया कि जंगल में मुझे एक शख्स नजर आया और जब मैंने पूछा कि
इस कदर तवील सफर के बावजूद ना तो तुम्हारे पास जदे रा है और ना सवारी का कोई इंतजाम
उसने कहा कि मेरी जमात का हर फर तुम्हारी ही तरह बे तोशा और सवारी सफर करता है और
जब मैंने उससे सवाल किया कि तवक किसको कहते हैं तो उसने जवाब दिया कि सिर्फ खुदा
से ही तलब करने का नाम तवक है किसी दरवेश ने आपसे तदा की कि मुझे आपके हमराह रहने
की ख्वाहिश है आपने फरमाया कि मैं इस शर्त के साथ तुम्हें अपने हमराह रख सकता हूं कि
हम में से एक हाकिम बन जाए और दूसरा महकूटा कि रास्ता के तमाम अमूर बेहतर तरीक से अंजाम पा सके दरवेश ने अर्ज किया कि आप
हाकिम बन जाएं और मैं महकूटा
जलाई गर्ज के पूरे सफर के तमाम अमूर आपने खुद ही अंजाम दिए और दरवेश से कोई काम
नहीं लिया अगर वह किसी काम का कसत भी करता तो आप मना फरमा देते और जब दरवेश बहुत
ज्यादा मुजर हुआ तो आपने फरमाया कि तुमने मुझे हाकिम बनाया है लिहाजा ब हैसियत
महकूटा तर मेरे सन पर तानकर खड़े हो गए और पूरी रात इसी तरह खड़े रहे चुनांचे रात
खत्म होने पर मैंने अर्ज किया कि आप हाकिम के हुक्म की मुखालिफत क्यों कर रहे हैं तो
फरमाया कि यह बात नहीं बल्कि हुक्म से सर ताबी इस वक्त तसव्वुर की जा सकती है जब
मैं तुमसे अपनी खिदमत के लिए कहूं जबकि [संगीत]
महकूटा मजमा तक आपका यही मामूल था लेकिन वहां पहुंचने के बाद मैंने आपकी मयत तर्क
कर दी फिर मिना में आपने मुझे देखकर फरमाया कि अल्लाह ताला तुम्हें भी मेरी ही तरह दोस्तों से हुस्ने सलूक करने का मौका
अता फरमाए फिर फरमाया कि एक मर्तबा मैं शाम के गिर्द नवाह में घूम रहा था तो एक
जगह तुर्बत से दरख्त नजर आए लेकिन मैंने तबीयत चाहने के बावजूद तुर्शी के खौफ से
एक दाना भी जुबान पर नहीं रखा फिर आगे चलकर एक लंजंस जिसके जिस्म में कीड़े पड़े हुए थे
नजर आया और मैंने राहे तर हम इससे कहा कि अगर तुम चाहो तो मैं तुम्हारी सेहत याबी
के लिए दुआ करूं लेकिन उसने मना कर दिया और जब मैंने पूछा कि तुम दुआ के लिए क्यों मना करते हो तो उसने जवाब दिया कि आफियत
तो मुझे पसंद है लिहाजा मैंने उसी की पसंद को अपने लिए पसंद किया है फिर मैंने उससे
कहा कि अगर तुम इजाजत दो तो मैं तुम्हारे जिस्म पर से मक्खियां वगैरा उड़ा दूं
जिसके जवाब में उसने कहा कि पहले अपने कल्ब में से शीरी अनार की ख्वाहिश निकाल
दो उस उसके बाद मेरी सेहत याबी की जानिब तवज्जो देना और जब मैंने उससे पूछा कि तुमने यह कैसे समझ लिया कि मेरे कल्ब में
शीरी अनार की ख्वाहिश है तो उसने जवाब दिया कि खुदा शनास पर खुदा ताला हर शय वाज
कर देता है फिर जब मैंने सवाल किया कि क्या तुम्हें अपने जिस्म के कीड़ों मकड़ों से अजियत महसूस नहीं होती तो उसने जवाब
दिया कि यह सब अल्लाह के हुकम ही से मेरे जिस्म को अजियत पहुंचाते हैं इसलिए मुझे
कोई तकलीफ महसूस नहीं होती फिर फरमाया कि एक मर्तबा मैंने जंगल में एक शख्स को
देखकर दरयाफ्त किया कि कहां से आ रहे हो तो उसने बताया साग से और जब मैंने पूछा कि
कहां का कसदार का फिर मैंने सवाल किया कि वहां क्यों जा रहे हो तो उसने जवाब दिया कि आबे
जमजम से हाथ धोने जा रहा हूं क्योंकि मैंने अपनी वालिदा को अपने हाथ से लुकमा
बनाकर खाना खिलाया है जिसकी वजह से मेरे हाथ भर गए हैं फिर मैंने पूछा वहां से
वापसी कब होगी तो उसने कहा कि शाम तक वापस जाऊंगा इसलिए कि मुझे वालिदा का बिस्तर
बिछाना है यह कहकर वह नजरों से गायब हो गया फरमाया कि एक मर्तबा लोगों ने मुझे यह इतल दी कि एक राहिब रोम के कलेसा में 70
साल से गशा नशीन है और जब मैं रोम में इस कलेसा के करीब पहुंचा तो उस राह ने दरीचा
से सर निकाल कर कहा कि ऐ इब्राहिम तुम यहां क्या लेने आए हो मैं राहिब नहीं हूं बल्कि अपने नफ्स की जिसने कुत्ते की शक्ल
इख्तियार कर ली है निगरानी करता हूं और इस को मखलूक के शर से महफूज रखना चाहता हूं
यह सुनकर मैंने दुआ की कि अल्लाह इस गुमराही के बावजूद इस राहिब को हिदायत फरमा दे फिर उस राहिब ने कहा कि मर्दों की
जुस्तजू में तुम कब तक फिरते रहोगे जाकर खुद को तलाश करो और जब तुम अपने आप को पालो तो अपने नफ्स की निगरानी करो क्योंकि
ख्वाहिश नफ सानी दिन में 360 किस्म के लिबास लहिया तब्दील करके बंदे को गुमराही
के गढ़े में दखल देती हैं फरमाया कि एक मर्तबा सहरा में मुझे शिद्दत भूख महसूस
हुई तो एक बद्दू ने नमूद होकर कहा ऐ पेटू शख्स भूख की ख्वाहिश तवक के मनाफी है
फरमाया कि हर लम्हा खुदा से यह दुआ करता हूं कि मुझे दुनिया ही में हयात जादवा अता
कर दे ताकि मैं सदा तेरी इबादत करता रहूं और जब अहले जन्नत जन्नत में पहुंचकर वहां की नेमतों में मशगूल के बाद अल्लाह को
फरामोश कर दें तो मैं उस वक्त भी मसाइल दुनियावी को फरामोश करते हुए आदाब शरीयत
के साथ महले बूदतमीज का जिक्र करता रहूं इरशाद फरमाया कि जिसको
खुदा ताला उसकी मारफ के मुताबिक पहचान लेता है वह शख्स अहदे वफा को अपने ऊपर
लाजमी करार दे देता है और सदक दिली से खुदा पर एतमाद करके उसी की जात को अपने
लिए वजह सुकून और राहत बना लेता है फरमाया कि इल्म की ज्यादती से आलिम नहीं बनता
बल्कि आलिम वह है जो अपने इल्म के मुताबिक अमल पैरा होकर इत बाए सुन्नत में सरगरम
अमल हो ख इसका इल्म कितना ही कलील क्यों ना हो फरमाया कि के मुकम्मल इल्म का इनस
सिर्फ इन दो कलम पर मौक है अव्वल यह कि जिस शय का अल्लाह ने तुम्हें मुकलम बनाया
है उसमें तकलीफ बर्दाश्त ना करो दोम जो शय खुदा ने तुम्हारे ऊपर लाजमी करार दी है
उसकी अदायगी में ना तो कोताही करो और ना इसको जाया होने दो फरमाया कि जो बंदा मारफ
से इलाही का दावेदार बनकर मां सिवाए अल्लाह से सुकून हासिल करता हो इसको शदीद इबत में गिरफ्तार कर दिया जाता है लेकिन
जब वह गिड़गिड़ा करर पनाह तलब करता है तो इसकी मुसीबत रफा कर दी जाती है और जो बंदा
मारफ इलाही का दावेदार बनकर मखलूक से रब्त जब्त तर्क नहीं करता अल्लाह ताला इसको
अपनी रहमत से दूर करके लालची करार दे देता है और इसकी कैफियत ऐसी हो जाती है कि
मखलूक भी इससे नफरत करने लगती है और दिनो दुनिया में कहीं का नहीं रहता और सिवाय
नदा मत के इसके हाथ कुछ नहीं आता फरमाया कि दुनिया में जिस बंदे के ऊपर मखलूक रोती
है वह बंदा कयामत में हंसने वाला होगा और जो शख्स लोगों में जाहिर करता हो कि उसने
ख्वाहिश और शहवादी है वह दरोगार का है और इसको किसी भी तरह तारिक
शहवार फिर फरमाया कि सही मानों में मतवल वही है जिसके तवक का असर दूसरों पर भी
पड़े और इसकी सोहबत इख्तियार करने वाला भी मुतकब्बीर
है फरमाया कि कुरानो हदीस के अह काम के मुताबिक इस्तकलाल के साथ बंदगी करने का
नाम सब्र है फरमाया कि मरा आत में मुराककाबत
बातिन में इखलास पैदा होता है फरमाया कि तमाम ख्वाहिश को फना कर देने और बशरी तकाज
को जला डालने का नाम सोहबत है फरमाया कि कल्ब का इलाज पांच चीजों में मुजमिल है
अव्वल कुरान को गौर और फिक्र के साथ तिलावत करना दोम शिकम शेर होकर खाना ना
खाना सोम तमाम रात इबादत में मशगूल रहना चरम सहर के वक्त बारगाह इलाही में दुआओ
गिरिया जारी करना पंचम सलिहीन ने कुकार की सोहबत तैयार करना फिर फरमाया कि अल्लाह
ताला को गिरिया शहर में तलाश करो और अगर गिरिया सहरी में तलाश ना कर सके तो फिर
तुम इसको कहीं ना पा सकोगे आप सीना पर हाथ मार मार कर फरमाया करते थे कि मुझे उसे
खुदा के दीदार का इश्तियाक है जो मुझे हर लम्हा देखता रहता है एक मर्तबा लोगों ने
सवाल किया कि हमें जाहिरी तौर पर तो कहीं से खाना आता हुआ नजर नहीं आता फिर आप खाना
कहां से खाते हैं आपने जवाब दिया कि मुझे खाना उस जगह से मिलता है जहां शिक में मादर में बच्चे को मिलता है और जहां से
जंगली जानवर खाते हैं वहीं से मैं भी खाता हूं जैसा कि बारी ताला ने कुरान में
फरमाया कि वयर लाब यानी अल्लाह ताला इसको ऐसी जगह से
रिस्क पहुंचाता है जहां से गुमान भी ना हो लोगों ने आपसे सवाल किया कि मुत वक्कल
लालची होता है या नहीं आपने जवाब दिया कि यकीनन लालची होता है इसलिए कि लालच नफ्स
की सिफत है जिसका कल्ब में दाखिल होना लाजमी है लेकिन मुत ल के लिए इसलिए मुजर
नहीं कि अल्लाह ताला इसको लालिश पर गलबा अता कर देता है इसका
महकूटा हयात के आखरी हिस्सा में एक मर्तबा आप र की मस्जिद में तशरीफ फरमा थे कि
यकायक पेचिश शुरू हो गए और इसमें इस कदर इजाफा हुआ कि आप दिन में 60 मर्तबा रफ
हाजत के लिए जाते और हर मर्तबा गुसल करके दो रकात नमाज अदा करते जब लोगों ने पूछा
कि क्या किसी चीज को आपकी तबीयत चाहती है तो फरमाया कि भुनी हुई कलेजी की ख्वाहिश
है यह कहकर आपने गुस्ल किया और इंतकाल फरमा गए और जिस वक्त लोगों ने आपकी मैयत को मस्जिद से एक मकान में मुंत किल किया
तो एक बुजुर्ग ने तशरीफ लाकर आपका तकिया उठाकर देखा जिसके नीचे रोटी का एक टुकड़ा
रखा हुआ था यह देखकर उन बुजुर्ग ने फरमाया कि अगर रोटी का टुकड़ा ना बरामद होता तो
मैं नमाज जनाजा ना पढ़ाता क्योंकि अगर यह सूरत ना होती तो मैं यह समझता कि आपका
इंतकाल महज तवक ही पर हुआ है और तवक से अगला मुकाम रद्दे तवक आपको हासिल नहीं हो
सका जबकि हर सूफी के लिए जरूरी है कि वह तमाम मराब हासिल करें ना कि सिर्फ एक सिफत
पर ऐसा जम जाए कि दूसरी सिफात से महरूम रह जाए किसी बुजुर्ग ने आपको ख्वाब में देखकर
पूछा कि अल्लाह ताला ने आपके साथ कैसा सलूक किया फरमाया कि गो मैंने दुनिया में बहुत ज्यादा इबादत के साथ-साथ तवक भी
इख्तियार किया लेकिन इंतकाल के वक्त चूंकि मैं बा वजू था इसलिए मुझे तवल इबादत का
अजर के साथ तहा के सिला में वह आला और अरफात अता फरमाया गया जिसके सामने जन्नत
की तमाम नेमतें हीच है और अल्लाह ताला ने मुझसे फरमाया कि ऐ इब्राहीम यह मर्तबा
तेरी तहा त और पाकीजा में अता किया गया है क्योंकि हमारी बारगाह में पाकीजा और बात
हारतक स को कोई मर्तबा हासिल नहीं होता बाब नंबर 82 हजरत ममशाद नौरी
रहमतुल्ला अलह के हालात मुना किब आप अपने जहद तकवा के ऐतबार से अदीम उल मिसाल थे और
कसीर मख के फैज सोहबत हासिल करने की वजह से आवाम आपको कदर की निगाह से देखते थे
मोखन के कौल के मुताबिक आपका इंतकाल 699 हिजरी में हुआ हालात आप हमा वक्त अपनी
खानकाह का दरवाजा बंद रखते थे और किसी को अंदर दाखिला की इजाजत नहीं थी और अगर कोई
दरवाजे पर दस्तक देता तो पहले आप यह दरयाफ्त फरमाते कि तुम मुसाफिर हो या मुकीम हो अगर कोई कहता कि मैं मुसाफिर हूं
तो दरवाजा खोल देते जब तक वह आपके पास कयाम करता तो आप निहायत खाति मदारत से पेश
आते लेकिन अगर कोई मुकामी शख्स आता तो आप यह कहकर वापस भेज देते कि चूंकि तुम्हारे
कयाम से मेरे कल्ब में तुम्हारी जानिब रग्बत पैदा हो जाएगी और तुम्हारी वापसी के
बाद मेरे लिए तुम्हारी जुदाई ना काबिले बर्दाश्त हो जाएगी किसी ने आपसे दुआ करने
के दरख्वास्त की तो फरमाया कि बारगाह खुदा वंदी में पहुंचकर वहां मेरी दुआ की हाजत
नहीं रहेगी और जब आपने उससे पूछा कि मुझे तो बारगाह खुदा वंदी का इल्म नहीं है
लिहाजा आप वहीं भेजना पसंद करते हैं तो फिर मुझे उसका पता और मुकाम बता दीजिए
आपने जवाब दिया कि बारगाह खुदा वंदी वहीं है जहां तुम्हारा वजूद बाकी ना रहे यह सुनकर वह शख्स कोश नशीन इख्तियार करके याद
इलाही में मशगूल हो गया अल्लाह ताला ने उसको अपने कर्म से सहादत की दौलत से मालामाल कर दिया फिर एक मर्तबा ऐसा सैलाब
आया कि आबादी के तमाम मकाना गर्क होने लगे लेकिन आपकी खानकाह बुलंदी पर थी इसलिए
तमाम लोग पनाह लेने उसी तरफ चल दिए इसी दौरान आपने इसी गोश नशीन इख्तियार करने
वाले शख्स को देखा कि पानी के ऊपर मुसल्ला बिछाए चला आ रहा है और जब आपने उससे
दरयाफ्त किया कि आज कल तुम किस मुकाम पर हो तो उसने जवाब दिया कि यह सब कुछ तो आप
ही के फैज का करिश्मा है क्योंकि खुदा ने मुझको आपकी दुआ से ही मा सवाय अल्लाह से
मुस्त गना कर दिया है जैसा कि आपके सामने है आपने फरमाया कि आज यह अंदाजा हो गया कि
फक्र के लिए जद्दोजहद भी जरूरी है फिर उसके बाद आपने किसी दरवेश के साथ मजाक
नहीं किया आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा किसी दरवेश ने मुझसे दरख्वास्त की कि अगर
इजाजत दें तो मैं आपके लिए हलवा तैयार कर दूं यह सुनकर मेरी जुबान से बे साख निकल
गया कि इरादत और हलवा का क्या ताल्लुक है और यही कहते-कहते एक जंगल में पहुंच कर इत
इंतकाल कर गया और जब इस वाकए का इल्म आपको हुआ तो आपने बहुत तौबा की फरमाया कि एक
मर्तबा कुछ मकरूज हो गया जिसकी वजह से परेशान था कि रात को ख्वाब में किसी कहने
वाले की यह आवाज सुनी कि ऐ कंजूस तेरा कर्ज हम अदा कर देंगे जरा से कर्ज की वजह
से इस कदर परेशान है जरूरत के वक्त तेरा काम कर्ज लेना है और हमारे जिम्मा इसकी अदायगी है उसके बाद से फिर कभी मैंने अपने
कर्ज ख्वा हों से कोई हिसाब तलब नहीं किया बल्कि जो हिसाब वह बता देते मैं अदा कर
देता अकवाले जरी आपके अकवाले जरी ला महदूद हैं जिनको यक जा मुस्त करना बहुत दुश्वार
है आपने फरमाया बुतों की भी मुख्तलिफ किस्में हैं बाज लोग नफ्स को बुत बनाकर
उसकी परस्तिश करते हैं बाज दौलत को बुत बनाकर उसके पुजारी बन जाते हैं बाज सनत
तिजारत को बुत समझकर उसकी परस्तिश में गिरफ्तार हैं बाज सोमो सलातो जकात को बुद
तसव्वुर करके उसके पुजारी बने होते हैं इस वजह से यह अंदाजा होता है कि पूरी मखलूक
किसी ना किसी शय के परस्तिश में गिरफ्तार है और किसी को भी परस्तिश से मुफर नहीं
अलबत्ता इस शख्स को किसी शय का परिस्ता नहीं कहा जा सकता जो अपने नफ्स की नेकी और
बदी पर नफ्स की मुवाफीनामा बनाए रहता है फरमाया कि मुरीद के लिए
मुर्शद की खिदमत और अपने भाइयों का अदब जरूरी है और तमाम ख्वाहिश नफ्स से किनारा
कश होकर इतबा सुन्नत लाजमी है फरमाया कि मैंने ने इस वक्त तक किसी बुजुर्ग से मुलाकात नहीं की जब तक अपने तमाम उलूम और
हालात को तर्क नहीं कर दिया और जब इन चीजों से दस्त बरदार होकर किसी बुजुर्ग के खिदमत में हाजिर हुआ तो उसके अकवाले को
गौर से सुनने के बाद उनकी बरकतों से यूज हासिल किए इसके सिला में अल्लाह ताला ने
मुझे उन मराब से सरफराज फरमाया फरमाया कि अगर कोई अदना सी कदर खुदी के साथ
बुजुर्गों से मिलता है तो उसके लिए बुजुर्गों के अकवाले और सोहबत सब बेसू द हैं फरमाया कि अहले खैर की सोहबत से कल्ब
में सही और खैर पैदा होती है और अहले शर की सोहबत कल्ब को फिना और फसाद की जानिब
मायल करती है फरमाया के अलाइक के तीन असबाब हैं अव्वल नशिया की जानिब रबत जिनको
ममनू करार दिया गया है जैसा कि अल इंसान हरसन अला मामिया यानी इंसान उसी शय की
हर्स करता है जिससे इसको मना किया जाए जाहिर होता है दोम गुजर्ता लोगों के हालात
पर गौर करना सोम फरात को जायल कर देना फरमाया कि इंसान के लिए वह वक्त बेहतरीन
होता है जिसमें वह मखलूक से किनारा कश होकर खालिक से नजदीक तर हो जाता है और
अश्या से कल्ब को खाली कर लेता है जिनकी जानिब से मखलूक का रजान है और हकीकत भी
यही है कि जो अश्या अहले दुनिया के नजदीक पसंदीदा हैं वह शिया हरगिज पसंदी दगी के
काबिल नहीं है फरमाया कि अगर कोई मुक्त दमीन और मुता के आमाल और हिकमत को मुस्त
मा करके वलीय सादात होने का दावेदार हो तो इसको किसी तरह भी आरफीन का मुकाम हासिल
नहीं हो सकता क्योंकि मार्फत का खुलासा यही है कि बंदा खुलूस कल्ब से अल्लाह अल्लाह कहने के साथ फक्र एहतियात इख्तियार
कर ले फरमाया कि मफत की तीन किस्में हैं अव्वल तमाम अमूर में गौर करना कि इनको किस
अंदाज से कायम किया गया है दोम मुक्त दरात के सिलसिला में यह गौर करना कि इनको किस
तरह मुकद्दर किया गया है सोम मखलूक के बारे में यह गौर करना कि इनकी तखक किस तरह
अमल में आई फरमाया कि जमा का मफू यह है कि जिसको तौहीद में जमा किया गया और तफर का
इसको कहते हैं जिसको शरीयत ने मुत फ्रिक कर दिया फरमाया कि खुदा का रास्ता बहुत दूर है और सब्र करना बहुत दुश्वार है यानी
हसूल के साथ हिकमत को हासिल किया है और अंबिया कराम की अरवाह कश्फ मुशाहिद के
आलिम में है और सिद्दीकी की अरवाह कुर्बत इत्तला में है फरमाया कि तस इख्तियार अदम
इख्तियार के इजहार का नाम है और ल चीजों को तर्क कर देने का नाम भी तसव्वुफ है
फरमाया कि जिस शय पर नफ्स कल्ब रागब हो इसको तर्क कर देना तवक है फरमाया कि हालत
भूख में नमाज पढ़ना और जब ताकत ना रहे तो सो जाने का फक्र है क्योंकि तीन चीजों से
अल्लाह ताला कभी दरवेश को खाली नहीं रखता या तो कुवत अता कर देता है या मौत से हम कनार कर देता है ताकि हर शय से छुटकारा
हासिल हो सके वफात इंतकाल के वक्त जब लोगों ने मिजाज पुर्सी की तो फरमाया कि
क्या तुम मुझसे कुछ पूछ पूछ रहे हो फिर लोगों ने अर्ज किया कि ला इलाहा इल्लल्लाह कहिए तो आपने दीवार की जानिब रुख फेर कर
फरमाया कि मैं तो सर तपा तेरे अंदर फना हो चुका हूं और क्या तुझको दोस्त रखने वालों
का यही मुआवजा होता है फिर फरमाया कि 30 साल से मेरे सामने जन्नत पेश की जाती रही
लेकिन मैंने इसकी तरफ नजर उठाकर भी नहीं देखा और 3 साल से मैंने अपने कल्ब को गुम
कर दिया लेकिन आज तक इसको पाने की तमन्ना नहीं हुई क्योंकि सिद्दकी की यही ख्वाहिश
हुआ करती है कि कल को जात इलाही में फना कर दे यह फरमाने के बाद आपका इंतकाल हो
गया बाब नंबर 83 हजरत अबू इसहाक इब्राहीम शैबानी रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब
तारुफ आपका मुमताज रोजगार मुश कीन में
शुमार होता है और आप बहुत बड़े आबिद जाहिद और मुत्त की थे ताहिया तो जद्दो हाल और
मुराककाबत कहते हैं कि आपक और अहले अदब के लिए खुदा
की अलाम तों में से एक अलामत थे हालात आप फरमाया करते थे कि मैंने 40 साल हजरत
अब्दुल्लाह मगर की खिदमत में बसर किए लेकिन इस अरसा में कभी कोई ऐसी शय नहीं खाई जो आम लोगों की गजा हुआ करती है और ना
कभी खाना काबा की छत के सिवा किसी दूसरी छत के नीचे आराम किया लेकिन इस अरसा में
ना तो कभी मेरे बालो नाखून बढ़े और ना कभी मेरा लिबास कसीब हुआ हत्ता कि इसी साल से
लेकर आज तक मैंने अपनी ख्वाहिश से कभी कोई शय नहीं खाई आप फरमाया करते थे कि एक
मर्तबा मुल्क शाम के सफर में मेरी तबीयत मसूर की दाल खाने को चाही और उसी वक्त
मेरे सामने मसूर की दाल से लबरेज एक पया आ गया जिसको मैंने शिकम शेर होकर खाया फिर
उसके बाद शाम को जब मैं बाजार में से गुजरा तो मैंने देखा कि एक जगह चंद मटके
रखे हुए हैं और जब मैंने उन पर गौर से नजर डाली तो लोगों ने मुझे बताया कि इनमें शराब भरी हुई है यह सुनकर मुझे ख्याल हुआ
कि जब यह बात मेरे इल्म में आ चुकी है कि ये शराब से लबरेज हैं तो इन सबको तोड़
देना मेरा फर्ज है और इस ख्याल के साथ ही मैंने तमाम मटके तोड़ डाले जिनमें से शराब
सड़क पर बहने लगी और जिस शख्स ने मुझे बताया था कि यह शराब के मटके हैं वह मुझे
हाकिम वक्त तसव्वुर करके खामोश हो गया लेकिन जब उसे मालूम हुआ कि मैं हाकिम नहीं
हूं तो वो मुझे पकड़कर इब्ने रियून के पास ले गया और उसने पूरा वाकया सुनने के बाद
हुकम दिया कि इनको 100 छड़िया मारकर कैद में डाल दिया जाए इसी तरह मैं मुद्दतों
कैद में पड़ा रहा फिर एक दिन हजरत शेख अब्दुल्लाह का इस तरफ से गुजर हुआ तो उनकी
सिफारिश पर मुझे कैद से रिहा कर दिया गया और जब रिहाई के बाद मैं उनकी खिदमत में
हाजिर हुआ तो उन्होंने सवाल किया कि तुमको किस जुर्म की सजा में कैद हुई मैंने अर्ज
किया कि एक दिन मैंने शिकम सेर होकर मसूर की दाल खाई थी जिसकी सजा में 100 छड़िया भी मारी गई और कैद बंद की सोहबत भी
बर्दाश्त करनी पड़ी यह सुनकर हजरत अब्दुल्लाह ने फरमाया कि तुम्हारे जुर्म के मुकाबले में यह सजा तो बहुत कम है जिस
वक्त आप सफरे हज पर तशरीफ ले गए तो पहले मदीना मुनव्वरा में हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के रोज अकदर पर हाजिरी देकर
अर्ज किया के अस्सलाम वालेकुम या रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिसके जवाब में रोज अकदर के अंदर से आवाज आई
वालेकुम सलाम या इब्ने शैबा इसके बाद आप हज करने चले गए और यह सिलसिला मुद्दतों तक
जारी रहा इरशाद आप फरमाया करते थे कि एक मर्तबा मैं हमम में गुस्ल कर रहा था कि
हमाम के रोशन दान में से एक हसीनो जवान शख्स ने आवाज देकर कहा कि जहरी नजासत को
धोने में कब तक वक्त जाया करते रहोगे जाओ तहर बातन की जानिब तवज्जो देकर कल्ब को मा
सवाए अल्लाह से पाक कर डालो और जब मैंने उससे पूछा कि तुम इंसान हो या जिन या फरिश्ता हो क्योंकि आज तक मैंने किसी
इंसान को ऐसी शक्ल में नहीं देखा उसने जवाब दिया मैं ना इंसान हूं ना जिन हूं ना फरिश्ता हूं बल्कि लफ्ज़ बिस्मिल्लाह का
नुक्ता हूं मैंने पूछा कि यह सारी मुमल गत तुम्हारी है उसने कहा कि जरा अपनी पनाहगाह
से बाहर निकल ताकि तुझे ममल कत नजर आ सके फिर फरमाया कि फना और बका का इल्म मकू है
वहदा नियत के इखलास
बूदतमीज है फरमाया कि अपनी हस्ती से आजादी के लिए खुलूस के साथ इबादत इलाही की जरूरत
है क्योंकि इबादत में साबित कदमी मा सिवाय अल्लाह से निजात दे देती है है फिर फरमाया
कि सिर्फ जबानी इखलास का दावेदार चूंकि अपनी इबादत में खुलूस पैदा नहीं कर सकता
इसीलिए अल्लाह ताला इसको मुसीबत में मुब्तला कर देता है और दुनिया की निगाहों में रुसवा बना देता है फरमाया कि सोहबत
औलिया से किनारा कशी करने वाला ऐसे छोटे दावों में मुब्तला हो जाता है कि उसकी वजह
से जिल्लत और रुसवाई का सामना करना पड़ता है फिर फरमाया कि बुरी बातों से किनारा कशी के लिए अकाम शरिया की पाबंदी जरूरी है
और जो शख्स खुदा से नहीं डरता वह एहसान जता आता है व निहायत कमीना है फरमाया कि
तवाजो बुजुर्ग की और कनात आजादी की जामिन है फरमाया कि खाफ रहने वाले कल्ब में
दुनिया की मोहब्बत और शहवत बाकी नहीं रहती फरमाया कि तवक बंदे और खुदा के दरमियान एक
ऐसा राज है जिसको कभी जाहिर ना करना चाहिए फरमाया कि जो शख्स मस्जिद में खुदा की याद
ताजा करता है अल्लाह ताला इसको जन्नत में अपने दीदार से मुशरा फरमाए का जब बाज
लोगों ने आपसे दुआ की दरख्वास्त की तो फरमाया कि दुआ किस तरह करूं जबकि वक्त की
मुखालिफत सए अदबी है एक शख्स ने जब आपसे ख्वाब में नसीहत करने की ख्वाहिश की तो
फरमाया कि हर लमहा खुदा को याद करते रहो और अगर यह ना हो सके तो फिर हर लमहा मौत
को याद करते रहो बाब नंबर 84 हजरत अबू बकर सैयद लानी रहमतुल्ला अल के हालातो मुनक आप
जहद वरा का सरच और वफा रजा का मंबा मखजन थे आप फारस के बाशिंदे थे और निशापुर के
मुकाम पर 340 में वफात पाई हजरत शिबली आपकी बहुत तजीम किया करते थे इरशाद आपने
फरमाया कि अल्लाह ताला ने दुनिया को कारखाना हिकमत बनाया है और हर फर्द अपनी
इस तादाद कश्फ के मुताबिक फूज से बहरा व होता है फरमाया कि इंसान के लिए खुदा की
सोहबत इख्तियार करना बहुत जरूरी है और अगर यह मुमकिन ना हो तो ऐसे लोगों की सोहबत
इख्तियार करें जोख दोस्त हो और इसको अल्लाह ताला तक पहुंचाकर दोनों आलिम की
मुरादें पूरी करवा सकें फरमाया कि आलिम अवाम रो नवाही की पाबंदी के साथ अपने इल्म
की रोशनी में जहालत की तारी कियों से दूर हो जाता है लेकिन जो उलूम खुदा से जुदा कर
दें उनकी जानिब कभी मतवल कि इनका हसूल तबाही और बर्बादी का
बायस बन जाता है फरमाया कि जिसने अपने और अल्लाह ताला के माबीन सदक इख्तियार किया व
मखलूक से छुटकारा पा गया फरमाया कि खुदा ताला ने जिस कदर मखलूक तखक फरमाई है इसी
कदर अपनी जानिब आने की राहें भी बनाई हैं और हर फर्द अपनी इस्ते दद के मुताबिक किसी एक रास्ते पर गाम जन होकर खुदा ताला तक
रसाई हासिल कर लेता है फरमाया कि खुदा की जानिब से तो हर बंदे की जानिब राह है लेकिन बंदे की जानिब से खुदा की तरफ राह
नहीं फरमाया कि खालिक के साथ ज्यादा हमनशीन इख्तियार करते हुए मखलूक से राबता
कम कर दो फरमाया कि सबसे बेहतर वह बंदा है जो दूसरों को अपने से अफजल तसव्वुर करे और
यह समझ ले के खुदा की जानिब बहुत सी जाने वाली राहों में सबसे बेहतर राह उसी की है
फरमाया कि बंदा हालत तवक में अपने नफ्स की कुता हों पर निगाह रखते हुए खुदा ताला के एहसाना को भी पेशे नजर रखें फरमाया कि हर
बंदे के लिए यह जरूरी है कि अपनी तमाम हरका तो सकना को अल्लाह ताला के लिए वक्फ कर दे और शदीद जरूरत के बगैर अपनी हरका
सकना को कभी दुनिया के लिए इस्तेमाल ना करें और हमेशा अपनी जुबान को लग बातों से
महफूज़ रखें फरमाया कि खामोशी इख्तियार ना करने वाला फजू यात का शिकार रहता है खवा
वह अपनी जगह साकिन ही क्यों ना हो फरमाया कि हम जिंस को तलब करने वाला और गैर हम
जिनस किनारा कश रहने वाले को मुरीद कहा जाता है और मुरीद की जिंदगी फनाए नफ्स और
हयाते कल्ब में मुजमिल है क्योंकि कल्ब की जिंदगी नफ्स की मौत बन जाती है और आनत
खुदा वंदी के बगैर इंसान को नफ्स अमारा से कभी रिहाई हासिल नहीं हो सकती फरमाया कि
जब तक बंदा तका दो इरादे के अल्लाह ताला से दोस्ती हासिल नहीं कर लेता और मां
सिवाय अल्लाह से बे नियाज नहीं हो जाता इस वक्त तक नफ्स के शर से महफूज नहीं रह सकता
फरमाया कि बंदे के लिए यह सबसे बड़ी नेमत है कि वह नफ्स की कैद से रिहाई हासिल करे
क्योंकि नफ्स ही अल्लाह और बंदे के दरमियान सबसे बड़ा हिजाब है और जब तक नफ्स
मुर्दा नहीं हो जाता उस वक्त खुदा की हकीकत मालूम नहीं हो सकती फरमाया कि आखिरत के दरवाजों में से मौत भी एक दरवाजा है
जिसके बगैर खुदा तक रसाई मुमकिन नहीं फरमाया कि सारी कायनात मेरे लिए एक हिजाब
दुश्मन है लेकिन इसमें मैं क्या कर सकता हूं फरमाया कि जिस नेक काम में नमूद रया
की झलक हो उस पर फक्र ना करो फरमाया कि हमेशा हिम्मत पर नजर रखो क्योंकि हिम्मत
ही हर शय की पेश रो है और हिम्मत ही तमाम कारोबार का इह सार है और तमाम चीजें सिर्फ
हिम्मत ही के जरिए हासिल की जा सकती हैं वफात आपके इंतकाल के बाद मुरीदन ने एक
तख्ती बतौर यादगार आपके नाम लिख कर मजार पर लगा दे लेकिन वह जितनी मर्तबा तख्ती
लगाते वो गुम हो जाते और जब इस वाक की तला हजरत अबू अली वफा को दी गई तो आपने फरमाया
कि चूंकि अबू बकर सैयद लानी खुद को दुनिया की निगाहों से पोशीदा रखते थे इसलिए अल्लाह ताला भी इनको पोशीदा ही रखना चाहता
है लिहाज इस सिलसिला में आप लोग भी कोई इकम ना
करें बाब नंबर 85 हजरत अबू हमजा मोहम्मद बिन इब्राहीम बगदादी रहमतुल्ला अल के
हालात मुना किब तारुफ आप तजी दो और तफरी की राहों पर
गामजीन की निगाहों में भी बहुत ही फजीलत माप थे जिसकी वजह से तमाम औलिया कराम आपके
बेहद तजीम करते थे बंद मो इज्जत के इलावा तफसीर हदीस पर भी आपको मुकम्मल हासिल
था और हजरत हारिस महासबीटीसी
अजीम उल मरतबक बुजुर्गों से भी फैज सोहबत हासिल कर करते रहे और हमेशा बगदाद की
मस्जिद साफा में वाजो नसीहत फरमाते थे और हजरत इमाम हंबल को जब किसी मसला में कोई
अशकाल पेश आता तो आप ही की जानिब रुजू फरमाते 689 हिजरी में आपने रेहलत फरमाई
हालात एक मर्तबा जब आप हजरत हारिस महासबीटीसी
है और उनके करीब एक साहिर परिंदा पिंजरे में बंद है लेकिन जब वह परिंदा बोला तो
हजरत अबुल हमजा ने एक जर्ब लगाई लब्बैक या सैयदी हजरत हारिस यह सुनकर शदीद गुस्सा के
आलिम में छुरा लेकर आपको कत्ल करने के लिए दौड़े लेकिन मुरीदन की मिन्नत समाजत ने इनको रोक दिया लेकिन हजरत हारिस ने इसी
गुस्सा के आलम में फरमाया कि अबू हमजा मुसलमान बन जा और जब मुरीदन ने अर्ज किया
कि हम तो इनको मोहद औलिया में शुमार करते हैं और आप इनकी शान में कलमा कुफ्र फरमा
रहे हैं हजरत हारिस ने कहा कि मैं खुद भी इनको बहुत नेको मुत्त की तसव्वुर करता हूं
और यह भी जानता हूं कि का बातिन तौहीद में गर्क है लेकिन उन्होंने ललि हों जैसे अफल
की मानिंद बात क्यों कही और एक परिंदे की आवाज पर अज खुद रफ्ता क्यों हो गए जबकि
इशाक इलाही के लिए जरूरी है कि वह सिर्फ खुदा के कलाम से सुकून और राहत हासिल करते
रह क्योंकि अल्लाह ताला किसी के अंदर हलू नहीं करता और जात कदीम के लिए आमे जिश
जायज भी नहीं है यह सुनकर हजरत अबू हमजा ने अर्ज किया कि गो मैं दरह कीक लूल
इत्तेहाद से दूर था लेकिन मेरा कल और फेल चूंकि एक गुमराह जमात के मुताबिक था इसलिए
मैं तौबा करता हूं आपने फरमाया कि मैंने अल्लाह ताला का जबरन मुशाहिद किया है और इस वक्त अल्लाह ताला ने मुझे यह हुक्म
दिया है कि ऐ अबू हमजा वसवसे की इतबा ना करते हुए मखलूक का भाई ना बन मगर आपका यह
कॉल जब मखलूक के कानों तक पहुंचा तो इस कॉल के लगव तसव्वुर करके आपको बेहद अजियत
पहुंचाई गई इरशाद आपने फरमाया कि फुकरा की दोस्ती इस कदर दुश्वार है कि सवाय सिद्दकी
के इनकी दोस्ती का कोई तमल नहीं कर सकता फरमाया कि जब किसी को अल्लाह ताला ने अपना
रास्ता दिखाना होता है तो इसके लिए राहे मौला पर चलना बहुत आसान हो जाता है और जो
शख्स खुदा का रास्ता दलाल वास्ते से इख्तियार करना चाहता है वह कभी तो सही
रास्ते पर आ जाता है और कभी गलत राह पर गामजीन से मंदर जा जैल तीन चीजें अता फरमा
दे वह बहुत सी बलाओ से निजात पा जाता है फरमाया अव्वल खाली पेट रहना दोम कनात
इख्तियार करना सोम हमेशा फक्र पर कायम रहना फरमाया कि तुमने इस वक्त हकूक की
अदायगी की जब तुम्हारे नफ्स ने तुमसे सलामती हासिल कर ली फरमाया कि सच्चे सूफी
की शनातन है कि वह इज्जत के बाद जिल्लत इमारत के बाद फक्र और शोहरत के बाद
गुमनामी इख्तियार करें और जो इसके बरक्स हो वह झूठा सूफी है फरमाया कि फाका कशी के
आलिम में मैं क्या करता हूं क्या यह भी मंजा जानिब अल्लाह एक तोहफा है जिसको कबूल करना जरूरी है और जब यह बात मेरे इल्म में
आती है कि दुनिया में मुझसे ज्यादा फाके किसी पे नहीं हुए तो मैं बखूबी फाका कशी
बर्दाश्त करके इसके साथ मुआफ इख्तियार करता हूं वफात आप इंतिहा संजीदगी और शीरी
कलाम से बात किया करते थे चुनांचे एक दिन यह गैबी निदा सुनी के अबू हमजा तू बहुत
सोच समझकर और मीठी बात करता है लेकिन तेरे लिए बेहतर यह है कि तू बात ही करना छोड़
दे और किसी पर अपनी शिरनी सख्ती का इजहार ना होने दे उसी वक्त से आपने चुप साद ली
और इसी हफ्ता में वफात पा गए लेकिन बाज लोग यह कहते हैं कि आप जुमा के दिन बरसरे मबर वाज फरमा रहे थे और मबर पर से गिर
जाने की वजह से ऐसी शदीद जर्ब आई के आपका इसी में इंतकाल हो गया बाब नंबर 86 हजरत
शेख अबू अली द काक रहमतुल्ला अल के हालातो मुना किब तारुफ आप तरीकत हकीकत में मुमताज
जमाना और इश्क मोहब्बत इलाही में यकता ए रोजगार और तफसीर हदीस में मुकम्मल अबू
रखते थे आपके अकवाले इस कदर द कीक होते कि आवाम उनके समझने से कास रहते आपकी रियाजत
करामत का अहाता तहरीर में लाना किसी तरह मुमकिन नहीं आपने बेशुमार बुजुर्गा दीन से
फय ज बातन हासिल किए और आपके सोजो गदा से
इस दौर के लोगों ने आपको नोहा गर कौम का खिताब दे दिया हालात
आपका इब्तिदा दौर मरू में गुजरा और उस दौर के एक बुजुर्ग बयान करते हैं कि मैंने एक
मर्तबा जमीन मरू में शैतान को रंजीदा और सर पर खाक डालते हुए देखकर पूछा कि तूने
अपनी यह हालत क्यों बना रखी है और किस मुसीबत और परेशानी ने तुझे यह हालत बनाने
पर मजबूर किया है उसने जवाब दिया कि मैं अल्लाह ताला से जिस खिलत को 7 लाख साल से
तरब करता रहा वह खिलत इसने एक आटा फरोश को पहना द हजरत शेख अली पारम का कॉल है कि
जिस वक्त कयामत में मुझसे यह सवाल होगा कि तूने दुनिया में क्या-क्या नेक काम अंजाम
दिए तो मेरे लिए इस वक्त सिर्फ एक ही जवाब होगा कि मैंने शेख अबू अली द काक से इश्क
किया और उन्हीं का अकीदत मंद रहा आप फरमाया करते थे कि खुद रो दरख्त को ना तो
पानी देता है और ना देखभाल करता है उस पर भी पत्ते निकल आते हैं लेकिन इस पर अक्सर
फल नहीं आता और अगर आता भी है तो बद मजा होता है और बे सूद भी इसी तरह मुर्शद की
खिदमत के बगैर मुरीद को भी किसी किस्म का फायदा हासिल नहीं होता और यह कॉल सिर्फ
मेरा ही नहीं बल्कि हजरत शेख अबुल कासिम नसरा आबादी से भी मैंने ऐसा ही सुना है और
उन्होंने हजरत अबू बकर शिबली रहमतुल्लाह अल से भी ऐसा ही सुना है गर्ज के अपने दौर
के हर बुजुर्ग ने अपने पेश रो बुजुर्गों से ऐसा ही सुना है फरमाया कि मैं जब हजरत
अबू अल कासम नसर आबादी की खिदमत में हाजिरी का कसदार कर लेता और ऐसा इत्तफाक कभी नहीं
हुआ कि मैं बगैर गुसल के इनकी खिदमत में पहुंच गया हूं आप मुद्दतों मरू में मुकीम
रहकर वाज गोई में मशगूल रहे उसके बाद आप मुत दद मुका मात पर तशरीफ ले गए और तकरीबन
हर जगह आवाम को हिदायत का रास्ता दिखाते रहे एक मर्तबा आपके पास पहनने को कोई
कपड़ा ना था तो आप हालत बरहंगका उम्र की खानकाह में तशरीफ ले गए
वहां एक शख्स ने आपको शना करत करके बहुत तजीम की फिर आहिस्ता आहिस्ता सबने आपको
पहचान कर घेरे में ले लिया और इसरार करने लगे कि आप यहां पर कुछ देर दर्स दें लेकिन
आपके इनकार पर लोगों ने वाज फरमाने की फरमाइश की चुनांचे पहले तो आपने इंकार
किया लेकिन बेहद इसरार के बाद आप मिंबर पर तशरीफ ले गए और दाहिनी तरफ इशारा करके
अल्लाह अकबर बाई जानिब इशारा करके वल्लाह खैर का फरमाया कि इसके बाद किबला रू होकर
वजवाने मिन अल्लाह अकबर फरमाया और उसके बाद लोगों पर बेखुदी और सर मस्ती का आलम
तारी हो गया और मजलिस में हर सिमत से ऐसा शोर और गुगा बुलंद हुआ कि बहुत से लोग जा
बहक हो गए और आप इसी कैफियत में मिंबर पर से उतर कर ना जाने किस तरफ चल दिए फिर जब
लोगों की हालत ठीक हुई तो मुर्दा अफराद की तद फीन से फारिग होकर आपको तलाश करने लगे
लेकिन आपका कहीं पता ना चला और आप वहां से सीधे मरू और कुछ दिनों वहां कयाम करने के
बाद निशापुर में मुस्तकिल सकून इख्तियार कर ली एक दरवेश ने बयान किया कि मैं एक
मर्तबा आपकी खिदमत में हाजिर हुआ तो देखा कि आप तिब दस्तार बांधे तशरीफ फरमा है और
वह दस्तार मुझे बहुत खूबसूरत मालूम हुई तो मैंने आपसे पूछा कि तवक किसको कहते हैं
आपने फरमाया कि मर्दों की दस्तार की ख्वाहिश को अपने कल्ब से निकाल देने का नाम तवक है यह फरमा करर अपनी दस्तार उतार
कर मुझको मरहम फरमा दी आपने फरमाया कि एक मर्तबा मैं मरू में बीमार पड़ गया और
दौरान अलाल जब निशापुर जाने का कसदार कि अभी तू यहां से बाहर नहीं जा
सकता क्योंकि जिन्नात की एक जमात को तेरा कलाम बहुत पसंद आया है और वो तेरे कलाम की
समात के लिए तेरे पास पहुंच रही है और जब तक इनको अपने अकवाले से सराब ना कर दे
यहां से बाहर जाना मुमकिन नहीं है मनकुल है कि किसी मजलिस में कोई ऐसी चीज होती कि
जिस पर ख्वा म ख्वा लोगों की नजर पड़ने लगती तो आप फरमाते यह अल्लाह ताला की गैरत
का तकाजा है कि जो चीज जा रही हो वह ना जा सके एक दिन बरसरे मेंबर अपने वाज में
इंसानी कोताही हों का जिक्र फरमा रहे थे कि इस सिलसिला में फरमाया कि इंसान जुल्म
करने वाला जहल में मुब्तला रहने वाला और खुद बीनी और हसद करने वाला होता है और यह
तमाम सिफात मायू हैं इसलिए इनसे एतराज जरूरी है उसी महफिल में किसी दरवेश ने
इंसान की बुराई सुनकर खड़े होकर कहा कि गो इंसान बुराइयों का मुजस्सम है लेकिन
अल्लाह ताला ने इसको महल्ले दोस्ती भी करार दिया है और यह सबसे बेहतर सिफत है यह
सुनकर आपने फरमाया कि वाकई तू सही कहता है और तेरा कौल इस आयत कुरानी के मुताबिक है
यानी अल्लाह इनको महबूब समझता है और वह अल्लाह ताला को महबूब तसव्वुर करते हैं एक
मर्तबा आपने दौरान वाज तीन मर्तबा अल्लाह अल्लाह अल्लाह फरमाया तो उसी मजलिस में एक
शख्स ने सवाल किया कि अल्लाह क्या है आपने जवाब दिया कि मुझे इल्म नहीं तो इसने कहा
कि जब आपको अल्लाह का इल्म ही नहीं तो फिर आप बार-बार इसका नाम क्यों लेते हैं आपने
पूछा कि अगर उसका नाम ना लूं तो फिर किसका नाम लूं एक दुकानदार अक्सर आपकी खानकाह
में हाजिर होकर अक्सर फुकरा के हमराह खाने में शरीक होता और खुद भी अपने साथ खाने की
कुछ चीजें लेकर आता इसी तरह बरसों अपने हां से फुकरा की खिदमत करता रहा उसके मुतालिक एक मर्तबा आपने फरमाया कि यह शख्स
साहिबे बातिन है उसी रात आपने ख्वाब में देखा कि एक अजीम शन महल की छत पर बहुत से
बुजुर्ग दीन का इस्तमा है लेकिन आप बेहद कोशिश के बावजूद ऊपर नहीं पहुंच सके दरिया
असना वही शख्स आकर कहने लगा कि इन राहों में शेर लूमंथा यह कहकर आपको ऊपर पहुंचा दिया
दूसरे दिन जब आप मेंबर पर तशरीफ फरमा थे और वह शख्स हाजिर हुआ तो आपने लोगों से फरमाया कि इसको रास्ता दे दो क्योंकि अगर
कल यह हमारी आनत ना करता तो हम शिकस्त पाई का शिकार हो जाते यह सुनकर उस शख्स ने
अर्ज किया कि मैं तो हर शब वहीं होता हूं लेकिन आज तक किसी ने तजक नहीं किया और आप
सिर्फ एक ही छप पहुंचे तो लोगों के सामने इजहार करके मुझको जलील किया किसी ने आपकी
खिदमत में हाजिर होकर अर्ज किया कि मैं तवील सफर तय करके आपसे मुलाकात करने हाजिर हुआ हूं आपने फरमाया कि यह कत मुसाफत
इसलिए मोत नहीं कि इंसान के लिए जरूरी है कि वह अपने नफ्स से सिर्फ एक कदम जुदा हो
जाए ताकि तमाम मकास पाए तक तक पहुंच जाए किसी ने आपसे शिकायत की कि वसा वसे शैतानी
मुझे बहुत सताते हैं आपने फरमाया कि इनसे बचने का सिर्फ एक रास्ता है कि तुम अपने कल्ब से अलाइक दुनियावी के शजर को उखाड़
कर फेंक दो ताकि उसके ऊपर कोई परिंदा बैठ ही ना सके यानी दुनिया को छोड़ दो ताकि
वसा वसे शैतानी का गलबा ही ना हो सके एक मर्तबा आपका एक मुरीद ताजिर बीमार हो गया
तो आप उसकी अयादत को तशरीफ ले गए और सवाल किया कि तुम्हारी बीमारी का क्या सबब है
उसने अर्ज किया कि एक रात नमाज तहज्जुद के लिए बेदार हुआ तो जैसे ही वजू करके नमाज
के लिए खड़ा हुआ तो कमर में शदीद किस्म का दर्द उठा और फोरी ही तेज बुखार हो गया यह
सुनकर आपने गजब नाक होकर फरमाया कि तुझे नमाज तहज्जुद से क्या गर्ज थी तेरे लिए तो यही बहुत है कि तू ख्वाहिश दुनियावी को
तर्क कर दे और तेरे लिए नमाजए तहज्जुद भी ज्यादा बेहतर है क्योंकि अगर तूने ऐसा
नहीं किया तो यकीनन कमर के दर्द में गिरफ्तार रहेगा और इसकी मिसाल ऐसी ही है जैसे किसी के सर में दर्द हो और वह पांव
पर दवा लगाए या किसी का हाथ नापाक हो जाए और वह आस्तीन को धोने बैठ जाए तो कतन बेसू
होगा क्योंकि इस तरह के पेल से ना तो सर का दर्द रफा हो सकता है और ना हाथ की
नजासत खत्म हो सकती है एक मर्तबा आप किसी मुरीद के यहां तशरीफ ले गए जो बहुत अरसा
से आपकी मुलाकात का मुतमरना वह आपकी तशरीफ आवरी और जियारत से मुशर्रफ होकर बहुत खुश
हुआ और आपसे दरयाफ्त किया कि आप कब तक यहां कयाम फरमा रहे हैं और कब रवा का
कसदार तू अभी से जुदाई की बातें कर रहा है एक दरवेश जो आपके नजदीक बैठा हुआ था इसको
छींक आ गई तो आपने फरमाया यर हमक रब यह सुनकर वह दरवेश चलने की गर्ज से उठा तो
लोगों ने उससे इस तरह उठ जाने की वजह पूछी उसने अर्ज किया कि सोहबत शेख से मेरा मकसद
ही यह था कि शेख की जुबान मेरे हक में रहमत का मुजदा सुना दे चुनांचे वह आरजू
पूरी हो चुकी इसलिए जाना चाहता हूं एक दिन आप दीदा जेब लिबास में मलब उसस थे तो शेख
अबुल हसन नूरी कहना और बसीरा पस्तीन पहने हुए थे आपके सामने आ गए आपने मुस्कुरा करर
सवाल किया कि ऐ अबुल हसन तुमने यह पोस्ती किस कीमत में खरीदी है उन्होंने एक जर्ब
लगाकर कहा कि मैंने पूरी दुनिया के मुआवजे में इसको खरीदा है और यह मुझे इस कदर अजीज
है कि अगर इसके बदले में तमाम जन्नतें भी अता कर दी जाए जब भी अपनी पोस्ती नहीं दूंगा यह जवाब सुनकर आपने रोते हुए फरमाया
कि आज से कभी किसी दरवेश से तमस्कर नहीं करूंगा आपने फरमाया कि एक दिन किसी दरवेश
ने मेरी खानकाह में हाजिर होकर इदा की कि खानकाह का एक गोशाई कर दें ताकि मैं उसमें
अपनी जान दे दूं चुनांचे मैंने उसके लिए एक जगह मुत कर दी और उसने वहां पहुंचकर
अल्लाह अल्लाह शुरू कर दिया और मैं इसको छुपकर देखता रहा लेकिन उसने कहा कि ऐ अबू
अल अली मुझे परेशान ना करो यह सुनकर मैं वहां से वापस आ गया और वह दरवेश कुछ देर
अल्लाह अल्लाह करके वहीं फौत हो गया और जब मैं एक शख्स को उसकी तजवीज और तकन का
सामान लेने के लिए भेजकर मकान के अंदर वापस आया तो वह मुर्दा दरवेश वहां से गायब
था इस वाकया से मैं हैरत जदा रह गया और अल्लाह ताला से अर्ज किया कि या अल्लाह
तूने मेरी मुलाकात एक ऐसी अजनबी से करवाई जो मरने के बाद गायब हो गया आखिर उसमें
तेरा क्या राज है उससे मुझको भी मुतला फरमा दे गैबी आवाज आई के जो मलक मौत को
तलाश करने पर ना मिल सका तू आखिर इसकी जुस्तजू क्यों करना चाहता है और जो मलायका
और हूरों को ना मिल सका तुझे उसकी तलाश क्यों है मैंने अर्ज किया कि अल्लाह वह
आखिर है किस जगह जवाब मिला के यानी वह मजलिस सदक में मुकदर बादशाह के पास है
आपने फरमाया कि मैंने एक वीरान मस्जिद में ऐसे जफुल उम्र शख्स को बेकरारी के साथ गिर
उ जारी करते देखा कि इसकी आंखों से अश्कों के बजाय लहू जारी था जिससे मस्जिद का फर्श
भी खून आलू हो चुका था मैंने उसके नजदीक पहुंचकर दरयाफ्त किया कि अपने हाल पर रहम
खाते हुए इस कदर गिरे ओजारी ना करो उसने मेरी जानिब देखते हुए कहा कि जवान मैं बता
नहीं सकता कि मेरी कुवत इसकी ख्वाहिश शदीद में खत्म हो चुकी है यह कहने के बाद उसने
एक वाकया बयान किया कि किसी गुलाम से उसका आका नाराज हो गया और उसे अपने पास से
निकाल दिया लेकिन लोगों की सिफारिश पर इसका कसूर माफ कर दिया उसके बावजूद भी वह
गुलाम हर वक्त गिरे अजारी करता रहता और जब लोगों ने उससे पूछा कि अब तो आका ने तेरा
कसूर मुफ कर दिया फिर क्यों रोता है लेकिन गुलाम ने जवाब नहीं दिया फिर आका ने कहा कि अब इसको मेरी रजा की ख्वाहिश है
क्योंकि यह अच्छी तरह समझ चुका है कि मेरे बगैर इसके लिए कोई चारा आकार नहीं है एक मर्तबा किसी ने खानकाह में आकर आपसे सवाल
किया कि अगर किसी कल्ब में तसव्वुर गुनाह पैदा हो गया है तो क्या उससे जिस्मानी
पाकीजा हो जाती है यह सुनकर आप ने मुरीदन से रोते हुए फरमाया कि इसको जवाब दो
चुनांचे हजरत जैनुल इलाम कहते हैं कि मैंने जवाब देना चाहा कि तसव्वुर गुनाह जहरी पाकी के लिए मुजर रसा नहीं बल्कि
अलबत्ता बात पाकीजा हो जाती है मगर अदब मुर्शिद की वजह से बगैर जवाब दिए खामोश हो
गया आपने फरमाया कि एक मर्तबा मेरी आंखों में ऐसा शदीद दर्द उठा कि मैं उसकी अजियत
से मुस्तरबेशन हो गया और उसी हालत इस्तरा में मुझे नींद आ गई और ख्वाब में में
मैंने किसी कहने वाले की यह आवाज सुनी यानी क्या अल्लाह अपने बंदों के लिए काफी
नहीं है और जब मेरी आंख खुली तो दर्द चश्म खत्म हो चुका था जिसके बाद से फिर कभी
मेरी आंख में कोई तकलीफ नहीं हुई आपने फरमाया कि एक मर्तबा मैं रास्ता भूल जाने
की वजह से मुसलसल 15 यम तक जंगलों में भटकता रहा फिर उसके बाद मुझे रास्ता मिल
गया और एक फौजी ने मुझे ऐसा शरबत पिलाया कि जिसकी जुल्मत और तारीख का असर आज तक
मुझे अपने कल्ब पर महसूस होता है हालांकि उस वाकया को 23 साल बीत चुके हैं आपके
इरादत मंदो में जो लोग कवी उल हब्स थे उनको आप मौसम सरमा में सर्द पानी से गुस्ल
करने का हुकम देते और खफ उल हब्स लोगों को इसका हुक्म ना देते और फरमाया करते थे कि
हर शख्स से इसकी ताकत और कुवत के मुताबिक ही मशक्कत लेना जरूरी है आपने फरमाया कि
जो शख्स बुनियाद बकाल बनना चाहता है उसके लिए तो बहुत से बर्तनों की जरूरत होती है
लेकिन जो इसको पसंद नहीं करता उसके लिए कूजा और चंद बर्तन काफी है यानी अगर इल्म
को मराबो नमूद के लिए हासिल किया जाए तो ज्यादा इल्म हासिल करने की जरूरत है अगर
हसूल इल्म का मकसद सिर्फ जाद आखिरत का मुहैया करना हो तो फिर
बूदतमीज किया तो वहां जाते हुए रास्ता में एक बुढ़िया मिल गई जो यह कह रही थी कि ऐ
अल्लाह तूने मुझे कसीर औलाद होने के बावजूद फक्र फाका में मुब्तला कर दिया आखिर तेरी क्या मस्लत है आप उसके यह जुमले
सुनने के बाद खामोशी से चले गए और जब मरू में अपने मेजबान के यहां पहुंचे तो उसने
फरमाया कि एक तबाकू सा खाना भर कर ले आओ यह सुनकर वह शख्स बहुत खुश हुआ और यह
ख्याल हुआ कि शायद आप घर पर लेकर जाना चाहते हैं हालांकि आपका घर दर कुछ भी नहीं
था और जब वो मेजबान तवाककलपुर बुढ़िया के मकान की तरफ चल दिए
और तमाम खाना उसके मकान पर दे आए यह इज्जो इंकस भी अल्लाह ताला किसी-किसी को अता
करता है जब आम लोग इससे महरूम रहते हैं एक दिन आपने फरमाया कि अगर महशर में अल्लाह
ताला ने मुझे जहन्नुम रसीद किया तो कुफा मुझे अपनी मुसाहिब में देखकर बहुत मसरूर
होंगे और मेरा मजाक उड़ाएंगे और मुझसे पूछेंगे कि आज हमारे और तेरे अंदर क्या फर्क है मैं उन्हें जवाब दूंगा कि जवां
मर्दों को फिरदौस और जहन्नुम की कोई परवाह नहीं लेकिन अल्लाह ताला का यही तरीका है
फिर जब सुबह हुई उसकी रोशनी ने हमारे अंदर जुदाई कर दी और कौन सी ऐसी नेमत है जिसको
जमाना ने मुकद्दर नहीं किया हजरत मुसन्निफ का कौल है कि उसके बाद आपका यह फरमाना
ताज्जुब खेज है कि अगर मेरे इल्म में आ जाता कि रोज महशर कोई कदम मेरे कदम के
अलावा होगा तो हर वह अमल जो मैंने किया है इससे रू गर्दा है हो सकता है कि यह जुमला
आपने महवीर्थ पा रबू बियत में गर्क हूं एक
मर्तबा ईद के दिन ईदगाह के एक बहुत बड़े मजमा में आप भी शरीक थे और वहां आपको ऐसा
जोश आ गया कि इसी जोश के आलम में आपने फरमाया कि ऐ अल्लाह मुझे तेरी अजमत की कसम
अगर मुझे आज यह इल्म हो जाए कि मुझ से कबल किसी को कयामत में तेरा दीदार हासिल होगा
तो उसी वक्त मेरी रूह जिस्म से जुदा हो जाएगी हजरत मुसन्निफ फरमाते हैं कि इस कॉल से शायद आपका यह मकसद हो कि कयामत में
जमाने की कोई कैद ना होगी और जब जमाने की कैद ही नहीं होगी तो फिर आगे पीछे देखना मुमकिन नहीं लेकिन इस कॉल की तशरीफ भी खुद
एक राज है यानी अल्लाह के नजदीक सुबह और शाम नहीं है इरशाद आपने फरमाया कि अपने
जाती मुफद के लिए मखलूक से दुश्मनी मत करो क्योंकि जाती दुश्मनी से अपनी खुद ही का
दावा करना है हालांकि तुम खुद कुछ भी नहीं बल्कि दूसरे की मलकीत हो और खुद ही के
दावेदार बन जाने के बाद गोया तुम इस बात के भी दावेदार हो गए कि ना तो तुम ही छ हो
और ना तुम लोग दूस दूसरे की मलकीत और ऐसी सूरत में तुम्हें साबित करना पड़ेगा कि अल्लाह ताला तुम्हारा मालिक नहीं है तो
फिर कौन मालिक है फरमाया कि उस मुर्दे की तरह जिंदगी गुजारो जिसको मरे हुए तीन दिन
गुजर चुके हैं फरमाया कि जो महबूब के मकान पर जारू कुश ना बन सके उसका शुमार शक में
नहीं हो सकता फरमाया कि जो खुदा के सिवा किसी से अंस रखता हो वह खुदा के अंस को
कता कर देने वाला है और जिक्र इलाही को छोड़कर किसी और का जिक्र लगव बेसू है
फरमाया कि मुर्शद की मुखा मुखालिफत मुर्शद के तवाक्कुल को मुनकता कर देती है और जो
मुरीद अपने मुर्शद के कौल और फेल पर मौ तरज होता है उसके लिए मुर्शद की सोहबत बेसू है और मुर्शद की नाफरमानी करने वाले
की तौबा कभी कबूल नहीं होती फरमाया कि सुए अदबी एक ऐसा शजर है जिसका समर मरदूड होता
है फरमाया कि शाही दरबार की गुस्ताखी करने वाला बुलंद मरतबक दरबानी पर आ जाता है और वहां से
बेअदब शख्स गिरकर सार बानी पर पहुंच जाता है और अल्लाह ताला के साथ सुए अदबी से काम
लेने वाला बहुत जल्द अपने कैफर किरदार तक पहुंच जाता है फरमाया कि उस्तादों मुर्शद
के वसीले के बगैर कोई बंदा खुदा तक रसाई हासिल नहीं कर सकता और शख्स इब्तिदा में
उस्ताद और मुर्शद की इब्तिदा नहीं करता वो जब तक किसी कामिल उस्ताद और मुर्शिद को
अपना रहनुमा नहीं बना लेता उस वक्त तक तरीकत से महरूम रहता है फरमाया कि बारगाह
के दरवाजे तक तो खिदमत बुर्गी है लेकिन बारगाह में दाखिले के बाद एक रोब तारी हो
जाता है उसके बाद मुकाम कर्ब में अफसुर्दगी रहती है और उसके बाद फनात रहती
है और यही वजह है कि रियाजत मुजाहि दत से औलिया कराम के हालात सुकून और राहत में
तब्दील हो जाते हैं और इनकी जाहिरी हालत पहले जैसी हालत में तब्दील हो जाती है फिर फरमाया कि जो मुरीद इब्तिदा में हमो गम से
किनारा कश रहता है वो इंतहा में जाकर हिम्मत छोड़ बैठता है और यहां हमो गम से मुराद खुद को जहरी इबादत में मशगूल कर
देना है और हिम्मत का मफू यह है कि अपने बातिन को मुराककाबत जमा रखे फरमाया कि
मुसर्रत तलब वजदा दरयाफ्त की मुसर्रत से इसलिए ज्यादा है कि मुसर्रत वजदा में जान
का खतरा है और मुसरत तलब में विसाल की उम्मीद फरमाया कि विसाल सिर्फ रियाजत और
जदो जहद से हासिल नहीं होता बल्कि एक फित्री शय है जैसा कि बारी ताला ने फरमाया
है कि हम इन सबको दोस्त रखते हैं और वह सब हमको दोस्त रखते हैं लेकिन मुसीबत कल की
दोजख की मुसीबत से ज्यादा है क्योंकि कयामत में तो महज अहले जहन्नुम ही का सवाब फौत होगा लेकिन मेरा आज का नकद वक्त
मुशाहिद इलाही में फौत हो रहा है इसलिए मेरी मुसीबत अहले जहन्नुम की मुसीबत से
जायद है फरमाया कि हराम चीजों को छोड़ देने वाला जहन्नुम से निजात पाएगा और मुश्त बाशिया से एतराज करने वाला दाखिल
जन्नत होगा और ज्यादा की हवस से किनारा कशी करने वाला वासले अलला हो जाएगा फरमाया
कि जवां मर्द इन मराब को बजरिया जवां मर्दी हासिल नहीं कर सकता और जवान मुराद
पर फायज हो जाता है इसकी जवा मर्दी का मुक्तता यह होना चाहिए कि यहां से छुटकारा
ए तलब ना करें फरमाया कि जो शय मन जानिब अल्लाह बंदों को बे तलब हासिल होती है
उससे रूह मुनव्वर हो जाती है फरमाया कि जिस शख्स ने पूरी उम्र में अकाम इलाही के खिलाफ काम किया होगा इसको अगर अल्लाह ताला
कयामत में जन्नत का महल भी अता फरमा देगा जब भी अपनी नाफरमानी को याद करके उसके हक
में जन्नत की राहतें अजाबे जहन्नुम बनकर रह जाएंगे और जिस शख्स ने पूरी उम्र में
सदक दिली के साथ एक काम भी अंजाम दिया होगा और इसको कयामत में अल्लाह ताला जहन्नुम में भेज देगा तो जिस वक्त इसको
अपना वह फेल याद आएगा जहन्नुम की आग इसके लिए सर्द बन जाएगी और वह जहन्नुम में भी
जन्नत की लज्जत से हम किनारा होगा फरमाया कि अगर कोई जहरी चीज का मुतालबा करें तो
उससे मुहास किया जाएगा लेकिन अगर कोई गायब शय का मुतालबा करता है तो वह मुहास से बच
जाएगा फरमाया कि अगर अल्लाह ताला बंदों पर अजाब करता है तो यह भी उसकी कुदरत और ताकत
का इजहार है क्योंकि बंदे इसी के मुस्तक हैं और अगर वह बख्श देता है तो उसकी रहमत
जाहिरी होती है क्योंकि उसकी रहमत के मुकाबला में तमाम दुनिया के गुनाह जरा
बराबर भी वकत नहीं रखते फरमाया कि बदनसीब है वह शख्स जो आखिरत को दुनिया के मुकाबले
में फरोख्त करता है फरमाया कि जो शख्स इस आयत को सुन लेता है उसके नजदीक राहे खुदा में जान देना कोई दुश्वार नहीं यानी इन
लोगों को मुर्दा ख्याल ना करो जो अल्लाह के रास्ता में कत्ल हो गए फरमाया कि इया क ना अबुदु को पेशे नजर रखना ऐन शरीयत है
यानी हम तेरी ही इबादत करते हैं हैं और इया कस्तान अमरे हकीकी है यानी हम तुझसे
ही आनत तलब करते हैं फरमाया कि जब तुम बहिश्त के लिए खुदा के हाथ फरोख्त हो चुके
हो तो तुम्हारे लिए यह जेबा नहीं कि तुम उसको किसी दूसरे के हाथ फरोख्त कर दो
इसलिए कि ना तो खरीद और फरोख्त जायज है और ना दूसरों के साथ मामला करने में तुम्हें कोई फायदा होगा फरमाया के मराब भी तीन
किस्म के हैं अव्वल सवाल दोम दुआ सोम सना यानी सवाल तो दुनिया तलब करने वाले के लिए
है दुआ आखिरत के तालिब न के लिए है और सना सिर्फ खुदा के तालिब के लिए है इसी तरह
सखावत के भी तीन र्जे हैं अव्वल सखा दोम जूद सोम ईसार जो शख्स खुदा को अपने नफ्स
के लिए कबूल करे उसको साहिबे सखा कहा जाएगा और जो खुदा को कल्ब के लिए कबूल करे
उसको साहिबे जूत कहा जाएगा और जो अल्लाह को अपनी जान के लिए कबूल करे वह साहिबे
सार है फरमाया कि हक गोई से खामोश रहने वाला गूंगे शैतान की तरह होता है फरमाया
कि शाहों की सोहबत से तराज करो क्योंकि उनका मिजाज बच्चों जैसा होता है और उनका दबदबा शेर जैसा फरमाया वला तुलना माला
ताकता लना का मफू पनाह तलब करना है फिराक कतीयत से फरमाया कि अमरा के त वाज
फकराबाद अमरा के लिए खयानत है फरमाया कि जब तालिब इल्म के लिए मलायका पर बिछाते
हैं तो अंदाजा करना चाहिए कि अल्लाह ताला इल्म के सिला में इसको क्या कुछ नहीं अता फरमाए का और जिस तरह इल्म की तलब फर्ज है
उसी तरह मालूम की तलब भी फर्ज ऐन है फरमाया कि मुरीद इसको कहा जाएगा जो हवाए
नफ्स और सोने को तर्क कर दे जिस तरह हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मेराज से
वापसी के बाद आखिर उम्र तक कभी नहीं सोए क्योंकि आप मुकम्मल कल्ब बन चुके थे फिर
फरमाया कि हजरत इब्राहीम अल सलाम ने अपने साहिबजादे हजरत इस्माइल अलैहि सलाम से फरमाया कि मुझे ख्वाब में तुम्हें जिबाह
कर देने का हुक्म दिया गया है तो हजरत इस्माइल अल सलाम ने अर्ज किया कि ना आप सोते ना ख्वाब देखते फरमाया कि दीदार
इलाही दुनिया में रमजो इसरार के जरिया होता है लेकिन अकबा में बशारत के जरिया
वफात एक मर्तबा आप इत दराज के मौजू पर तकरीर फरमा रहे थे कि किसी ने इत दराज का
मफ हूम पूछा आपने फरमाया कि तुमने यह नहीं सुना कि मदीना में फलां शख्स ने फलां शख्स
का गला घूंट दिया बस इसी को इतराज कहते हैं आखिर में आपका यह आलिम हो गया था कि
शाम के वक्त अपने बाला खाने पर जो आपके मजार के नजदीक और इस वक्त बैतुल मफत के
नाम से मशहूर है आफताब की जानिब मुंह करके फरमाया करते थे कि ऐ ममल कतो में गर्दिश
करने वाले आज तेरी हालत क्या रही और मलकुल मौत के गिर्द तूने किस तरह गर्दिश की और
यह बता दे कि क्या तूने किसी जगह मुझ जैसा शैदाई और इश्तियाक दीद रखने वाला भी देखा
है गर्ज के गुरूब आफताब के वक्त तक आप इसी तरह बातें करते रहते आखिर दौर में आपका
कलाम इस कदर रूमानी और दखक होने लगा था कि लोग इसका मफू समझने से कासे रह जाते इसलिए
आपकी मजलिस वाज में 17-18 अफराद से ज्यादा शिरकत ना करते हजरत अंसारी का कौल है कि
जब आपका कलाम बहुत गहरा हो गया था तो आपकी महफिल में खाली जगह नजर आने लगी थी हालत
गलबा हालत गलबा में आप अपनी मुनाजात इस तरह शुरू करते थे कि ऐ अल्लाह मुझे चूटे
की तरह आजिज तसव्वुर कर और खुश्क घास के पत्तियों की मानिंद समझकर अपने कर्म से
मेरी मगफिरत फरमा दे फिर फरमाते कि अल्लाह मुझको दुनिया के सामने रुसवाई से बचाना क्योंकि मैंने मबर पर बैठकर दुनिया के
सामने बहुत लाफ जनी की है और अगर तुझे रुसवा करना ही मंजूर हो तो फिर मुझको
सूफिया के लिबास में जहन्नुम में रखना ताकि हमेशा तेरे फराग के गम में घुलता रहूं ए अल्लाह मैंने गुनाहों से अपने आमाल
नामा को सयाह कर लिया और अपने बालों को सफेदी में तब्दील कर लिया लिहाजा हमारी
स्याही पर नजर ना डालना बल्कि अपने सुफैद किए बालों की लाज रख लेना ए अल्लाह तुझसे
वाकफिट रखने वाला कभी तेरी तलब से नहीं रुकता खवा इसको यह इल्म भी हो जाए कि वह
तुझे कभी नहीं पा सकेगा ए अल्लाह तू अगर अपने कर्म से जन्नत अता फरमा दे जब भी
मेरे कल्ब से यह दाग नहीं मिटेगा कि मैंने तेरी बंदगी में बहुत कोताही यां की हैं हजरत शेख अबुल कासम कशी ने आपके इंतकाल के
बाद आपको ख्वाब में देखकर पूछा कि अल्लाह ताला ने आपके साथ क्या मामला किया आपने जवाब दिया मेरे तमाम गुनाह माफ करके
अल्लाह ताला ने मेरी मगफिरत फरमा दी अलबत्ता एक गुनाह मुझसे ऐसा सरज द हो गया
था कि इसका इकरार करते हुए मुझे नदा मत महसूस हुई जिसकी वजह से मैं पसीने में
शराब पूर हो गया और मेरा चेहरा सुस्त हो गया और वो गुनाह यह था कि मैंने अपनी नमरी में एक लड़के को शहवत भरी निगाहों से देख
लिया था फिर एक मर्तबा किसी बुजुर्ग ने आपको बेकरारी के साथ ख्वाब में रोते हुए देखकर पूछा कि क्या आप दोबारा दुनिया में
आना चाहते हैं तो आपने फरमाया कि हां लेकिन मैं भलाई के लिए दुनिया में वापस नहीं जाना चाहता बल्कि मखलूक को अल्लाह की
जानिब रागब करने के लिए वापसी चाहता हूं और इनको यहां के हालात बाख करने की ख्वाहिश है फिर किसी बुजुर्ग ने ख्वाब में
सवाल किया कि वहां आपका क्या हाल है फरमाया कि अव्वल तो अल्लाह ताला ने मेरे
तमाम अच्छे बुरे आमाल का मुहास किया उसके बाद सब माफ करके मेरी मगफिरत फरमा
दी बाब नंबर 87 हजरत शेख अबू अली मोहम्मद
बिन अब्दुल वहाब सखी के हालात मुरक आप मश कीन के इमाम और अहले मिसर के लिए हर
दिल अजीज थे हजरत अबू अल हिफ और हजरत हदून के फैज सोहबत से फैज याबु ए और जहरी और
बात उलूम पर हासिल होने की वजह से निशापुर में अपने दौर के बहुत बड़े
बुजुर्ग थे तमाम उलमा आपको अपना रहबर तसव्वुर करते थे और जब तसव्वुफ का गलबा
हुआ तो तमाम उलूम जहरी को छोड़कर इबादत और रियाजत में मशगूल हो गए और 368 6 हिजरी
में निशापुर में वफात पाई हालात आपके पड़ोस में एक कबूतर बाज रहता था और जब वह
कबूतर उड़ाते वक्त इनको कंकरिया मारने लगा तो आपकी पेशानी पर आकर लगा जिसकी वजह से
आप लहू लहान हो गए यह देखकर मुरीदन को बहुत गुस्सा आया और उन्होंने कसदार के
सामने कबूतर बाज को ले जाकर मुस्त वज बे सजा करार दिया जाए लेकिन आपने मुरीदन को
मना करते हुए फरमाया कि इसको दरख्त की एक टहनी देकर आओ और यह समझा दो कि आइंदा कंकर
मारने के बजाय इससे कबूतरों को उड़ाया करो आपने फरमाया कि एक मर्तबा मैंने देखा कि
एक मयत को तीन मर्द और एक औरत उठाकर ले जा रहे हैं चुनांचे जिस जानिब औरत थी उस तरफ
पहुंचकर मैंने अपने कांधे पर ले लिया और इसी तरह कब्रिस्तान तक कांधा बदलता हुआ पहुंचा वहां पहुंचकर मैंने औरत से सवाल
किया कि क्या तुम्हारे मोहल्ले में कोई और मर्द कांधा देने वाला ना था उसने जवाब दिया कि मर्द तो बहुत थे लेकिन यह जनाजा
ही जड़े का है इसलिए लोगों ने किनारा कशी इख्तियार कर ली और इन तीन अफराद के अलावा
कोई कांधा देने पर तैयार ना हुआ यह वाकया सुनकर मुझे बहुत रहम आया और मैंने कुछ रकम
और गंदम इन लोगों को दी फिर उसी रात मैंने ख्वाब में देखा कि इस मैयत का चेहरा सूरज
की तरह रोशन है और बहुत नफीस लिबास जेबे तन किए मुस्कुरा कर कह रहा है कि मैं वही
हूं और मखलूक की ह कात बीनी की वजह से अल्लाह ताला ने मेरी मगफिरत फरमा दी
इरशाद आप फरमाया करते थे कि अगर कोई मुकम्मल उलूम पर दस्तरस हासिल कर ले औलिया
कराम की सोहबत में रहे फिर भी उस वक्त तक इसको औलिया कराम का रुतबा हासिल नहीं हो
सकता जब तक कि वह किसी मुर्शद कामिल की हिदायत के मुताबिक रियाजत नफ्स ना करें क्योंकि अदब सीखने वालों को पहले खिदमत और
सोहबत के फवाद से आगाह किया जाता है और ममनू चीजों से रोककर आमाल की बुराइयों से
वाकिफ कराया जाता है और फरेब नफ्स खुद बीनी पर इसको तंब की जाती है क्योंकि जो
शख्स इन अफल पर कारबन नहीं होता वह ऐसा गाफिल है जिसकी इतबा किसी चीज में ना करनी
चाहिए और जो खुद ही रास्ते से आगाह ना हो उससे रास्ते की उम्मीद रखना बे सूद है और
जो अदब ही से ना वाकिफ हो उससे अदब तलब करना महमल और बेमानी है और जो शख्स सोहबत
में रहने के बावजूद मुर्शिद का अदब नहीं करता वह मुर्शद के यूजो बरकात से महरूम रहता है फरमाया कि जो शख्स आमाल अफल की
दुरुस्त कीी और इतबा सुन्नत का ख्वा हो उसके लिए बात लूस का हसूल बहुत जरूरी है
फरमाया के मरदान हक के लिए चार बातें बहुत जरूरी हैं अव्वल कौल में सदाकत दोम मुद्दत
में सदाकत सोम अमानत में सदाकत चरम अमल में सदाकत फरमाया कि इल्म हयात कल्ब है
क्योंकि यह जहालत की तारीख हों से दूर रखता है और इल्म आंख का नूर है इसलिए कि
तारीख हों में मुनवा रहता है फरमाया कि दुनिया में मशगूल तबाही है और दुनिया से मुंह फेर लेना हसरत है फिर फरमाया कि
दुनिया को दुनिया के मुआवजा में फरोख्त ना करो फरमाया कि एक ऐसा दौर भी आने वाला है
जब मुनाफिकन की सोहबत से मोमिनीन मसरूर होंगे बाब नंबर 88 हजरत अबू अली अहमद बिन
मोहम्मद रुतबह के हालात मुना किब तारुफ आपने मुजाहि दत मुशाहिद के लिए बहुत
ज्यादा अजियत बर्दाश्त की और बदर जहा उतम रियाजत और करामत में हासिल किया गो
आपका ज्यादा वक्त मिस्र में गुजरा लेकिन वतन असली बगदाद था और हजरत जुनेद हजरत अबू
अल हसन से फैज सोहबत हासिल किया और 368 हिजरी में मिस्र ही में आपका का विसाल हो
गया हालात आपने फरमाया कि एक दरवेश की तद फीन के वक्त मैंने यह कसदार पर मट्टी मल
दूं और जैसे ही इस मकसद से मैं नीचे झुका तो उसने आंखें खोलकर कहा कि ऐ अबू अली
जिसने मुझे इज्जत अता फरमाई तुम उसी के सामने मुझे जलील करना चाहते हो लेकिन आपने
अपने अजम पर कायम रहते हुए सवाल किया कि क्या बकरा मरने के बाद भी जिंदा हो जाते हैं उसने जवाब दिया कि बिला शुबह क्योंकि
खुदा के दोस्तों को कभी मौत नहीं आती और जब रोज महशर अल्लाह ताला मुझे इज्जत अता
फरमाए तो मैं तुम्हारी आनत करके अपने कौल की सदाकत को बेहतरीन तरीके से साबित कर दूंगा फरमाया कि सूफी कराम ना तो वादों से
दिलचस्पी रखते हैं और ना हालत मुशाहिद में घबराते हैं आपने फरमाया कि मुद्दतों मेरी
यह कैफियत रही है कि तहा करने के बाद भी मुझे अपने ताहिर होने का ए कान नहीं होता
था और इसी तसव्वुर के तहत एक मर्तबा के बाद फिर दोबारा तहा त करता चुनांचे एक
मर्तबा तुलू आफताब से कबल तहर से फारिग हो गया लेकिन अदम इत्मीनान की वजह से मुसलसल
11 मर्तबा तहा के बावजूद मुझे अपने ताहिर होने का इत्मीनान नहीं हुआ और उसी उधेड़
बन में आफताब तुलू हो गया लेकिन मुझे यही अफसोस रहा कि मैं अपने ताहिर ना होने की
वजह से इतनी देर तक इबादत से महरूम रहा फिर मैंने बारगाह इलाही में अर्ज किया कि मुझे सुकून अता कर तो निदा आई कि सुकून तो
इल्म में मुजमिल है इरशाद आपने फरमाया कि अदना लिबास इस्तेमाल करना नफ्स पर जुल्म
करना तारिक दुनिया हो जाना और इतबा सुन्नत का नाम तसव्वुफ है और सूफी वही होता है जो
10 पाको के बाद भी खुदा की नाशक का मुरत किब ना हो फरमाया के दर इलाही के इलावा
तमाम दर छोड़ देने का नाम तसव्वुफ है और सूफी वह है जिसको अल्लाह ताला 100 मर्तबा
से भी जयद मर्तबा रांदा है दरगाह कर दे लेकिन वह खुदा से अपना रिश्ता कायम रखे फिर फरमाया फरमाया कि बमो रिजा इख्तियार
की हद तक होना चाहिए क्योंकि दोनों चीजें बंदों के लिए ऐसी हैं जैसे मुर्ख के दो
बाजू होते हैं कि अगर एक बाजू भी बेकार हो जाए तो दूसरा यकीनन नाकस हो जाता है और
बेमो रजा को इख्तियार ना करना शर्क मुत दफ है फरमाया कि खुदा के सिवा किसी गैर से
खौफ जदा ना होने का नाम बैम है और किसी से तवको ना रखने का नाम रजा है फरमाया कि
स्तकामत्का नाम तौहीद है और इकान कामिल का मफू यह है
कि अल्लाह ताला को सबसे ज्यादा कवी तर तसव्वुर करता रहे फरमाया कि औलिया करामत हिम्मत को इसलिए महबूब रखते हैं कि अहले
हिम्मत इनको महबूब तसव्वुर करते हैं फरमाया कि हम इस राह में ऐसे मुकाम पर
पहुंच गए हैं जो तलवार की धार से ज्यादा तेज है और जरा सी लगज जहन्नुम वासिल कर
सकती है और अगर हमें दीदार मयस्सर ना हुआ तो हम जिंदा नहीं रह सकते फरमाया कि जिस
तरह अंबिया कराम को इजहार मोजेजा का हुक्म दिया गया है उसी तरह औलिया कराम पर करामात
की पोशी दगी भी फर्ज की गई है और इनके मराब से किसी को भी बाख नहीं किया जाता
फरमाया कि राहे तौहीद पर
गामजादो हासिल होती है जब कोई दुनिया और दौलत दुनिया से मुत फिर हो जाता है फरमाया
कि नफ्स के जरिया मजम्मत और रूह के जरिया मुकाशिफत मा से इसलिए छुटकारा चाहता हूं कि उसमें
कसीर आफा मुजमिल है और हमें तीन ही चीजें मुसीबत में मुब्तला करती हैं अव्वल तबीयत
की बीमारी दोम एक ही आदत पर कायम रहना सोम बुरी सोहबत तबीयत की बीमारी का मफू तो यह
है कि हराम और मुश्त बाशिया इस्तेमाल करें आदत का मर्ज यह है कि मेरी तरफ नजर रखते
हुए गीबत करें और सुने और सोहबत की बीमारी यह है कि बुरे लोगों की सोहबत इख्तियार
करें फरमाया कि बंदा नफ्स की चार चीजों से कभी खाली नहीं होता अव्वल लायक शुक्र नेमत
से दोम ऐसी सुन्नत जो जिक्र का बायस होती है सोम ऐसी मोहब्बत जो सब्र का बायस हो रम
ऐसी लत जो इस्तग फार का बायस हो फरमाया कि हया कल्ब के लिए नास होती है और खुदा से
हया करना तमाम अच्छाइयों से ज्यादा अच्छाई है फरमाया कि हालत समा में मुशाहिद महबूब के बायस वजद असरार मुनक शफ होने लगते हैं
फरमाया कि सिफत मसू के माब मैन ऐसा रिश्ता है जिसमें सिफत पर नजर डालने के बाद महजूब
होना पड़ता है और मसू पर नजर डालने वाला महबूब हो जाता है फरमाया कि मुरीद वो है
जो खुदा की रजा पर राजी रहे और जवा मर्द वो है जो जो दोनों आलिम में खुदा के सिवा किसी का तालिब ना हो फरमाया कि की
सोहबत नेकों के लिए आफत है वफात इंतकाल के वक्त आपने अपनी हम शरा की गोद में सर रखकर
आंखें खोलते हुए फरमाया कि आसमान के दरी खुल चुके हैं और मलायका बहिश्त को सजा रहे
हैं कि तुझे ऐसी जगह पहुंचा देंगे जो तेरे वहम गुमान से भी बाहर है और हूरे मेरे
दीदार की मुंतज है लेकिन मेरा कल्ब यह सदा लगा रहा है बेहा कीका नजरो इला गरक यानी
तुझे तेरे हक की कसम है कि गैर जानिब ना देखना और मैंने अपनी हयात का बड़ा हिस्सा
इस इंतजार में गुजारा है कि उस वक्त भी मैं इसके सिवा कुछ तलब नहीं करूंगा और
जन्नत की रिश्वत पर हरगिज राजी ना होंगा यह कहकर आपने इंतकाल
फरमाया बाब नंबर 89 हजरत शेख अबुल हसन अली
बिन इब्राहीम जाफरी के हालातो मुना किब तारुफ आप बहुत अजीम रूहानी पेशवा और सर
चश्मा हिकमत तो असमत थे गवा आप मिस्र के बाशिंदे थे लेकिन उम्र का बेश तर हिस्सा बगदाद में गुजार कर 391 हिजरी में वफात
पाई आप ने फरमाया कि हकीकत में सूफी वही है जो मखलूक से किनारा कश होकर सिर्फ खालिक का हो रहे और इसके हसूल के कर्ब के
बाद कुर्बे मखलूक से बे नियाज हो जाए हालात हजरत अहमद जो आपके इरादत मंदो में
से थे उन्होंने आपके हमरा 60 हज अदा किए और अक्सर खुरासान से रवानगी के वक्त ही
एहराम बांध लिया करते थे कि एक मर्तबा उनकी जुबान से मशकी ने मक्का के सामने ऐसा
जुमला निकल गया जो सबके लिए नागवार का बायस हुआ जिसकी वजह से इनको मक्का से निकाल दिया गया उस वक्त शेख अबुल हसन ने
फरमाया कि आदा कभी इस खुरासानी नौजवान को मेरे सामने ना आने देना लेकिन जब कुछ अरसा
के बाद आप बगदाद तशरीफ ले गए तो शेख अहमद आपसे मुलाकात के लिए हाजिर हुए मगर दरबान
ने रोकते हुए कहा कि फलां वक्त शेख ने आपको सामने आने से मना फरमा दिया था यह
सुनते ही हजरत अहमद बेहोश हो गए और होश आने के बाद मुद्दतों इसी जगह पड़े रहे फिर
कुछ अरसा के बाद शेख बाहर निकले तो इनको देखकर फरमाया कि तुम्हारी सए अदबी की यह
सजा है कि रोम के शहर तूस में जाकर एक साल तक सुअर चराते रहो और शब् बेदार रहकर
इबादत करते रहो चुनांचे यह तामील हुकम में एक साल पूरा करने के बाद जब आपकी खिदमत
में हाजिर हुए तो आपने फौरन बाहर निकलकर सीने से लगा लिया और फरमाया कि ऐ अहमद त
मेरी औलाद और आंखों का नूर हो यह सुनकर हजरत अहमद बहुत खुश हुए और हज की नियत से जब मक्का मजमा पहुंचे तो वहां के मश कीन
ने भी इस्तकबाल करते हुए यही जुमला कहा कि तुम हमारी औलाद और हमारी आंखों का नूर हो
इरशाद आपने फरमाया कि मैं सुबह के वक्त इस तरह मुनाजात करता हूं ऐ अल्लाह मैं तुझसे
राजी हूं लेकिन क्या तू भी मुझसे राजी है उसी वक्त ये नदाई कि ऐ झूठे अगर तू हमसे
राजी होता तो क्या हमारी रजा तलब ना करता फरमाया कि अहदे शबाब से ही मैं वजीफा ख्वानी का आदी था और जिस दिन वजीफा नागा
हो जाता उसी दिन मुझ पर अताब इलाही नाजिल होता फरमाया कि जब मैंने अपने कल्ब पर नजर
डाली तो सबसे बुलंद अपने को पाया और जब अहले इज्जत पर निगाह डाली तो सबसे ज्यादा
इज्जत अपनी इज्जत को पाया फरमाया कि हमारी हालत तौहीद पांच चीजों पर मकू है रफ रफा
हदीस इस बात कदम हिजरत तान और मुफर कत अहवाल और
नसियानूर कर दे और जिसका इल्म ना हो उसकी जुस्तजू ना कर और हर शय को छोड़कर सिर्फ
अल्लाह के साथ मशगूल इख्तियार करें फरमाया कि तौफीक को इनायत इलाही के बगैर
मुवाफीनामा अल्लाह को तरक किए बगैर विसाल खुदा हासिल
नहीं हो सकता फरमाया कि जो शख्स हकीकत शिया का दावेदार हो उसके दलाल शवा हैद
उसको झूठ साबित कर देते हैं फरमाया कि हालत मुशाहिद में एक लम्हा की फिक्र भी
हजार मकबूल हज्ज से अफजल है फरमाया कि मैंने अक्सर और बेश तर सूफिया कराम से जहद
की तारीफ पूछी तो सबने यही कहा कि मरगूब अश्या के तर्क कर देने का नाम जहद है एक
मर्तबा लोगों ने आपसे सवाल किया कि मलामत कौन है आपने जर्ब लगाकर फरमाया कि अगर मौजूदा दौर में पैगंबरों का जवाजी का मलाम
दियों में से भी एक पैगंबर जरूर होता फरमाया कि समा के लिए ऐसी दामी तश्न गी और
इश्तियाक की जरूरत है कि जिस कदर भी पानी पिया जाए तश्न गी में इजाफा होता रहे और
यह सिलसिला कभी मुनकता ना हो फरमाया कि जब सूफी वासले अल्लाह हो जाता है तो इसके ऊपर
ह वादीस का असर नहीं पड़ता और सूफी वही है जो अदम के बाद मौजूद ना रहे और वजूद के
बाद मादूपू से कल्ब को साफ रखने का नाम
तसव्वुफ है फरमाया कि परेशानियां और तफर का सिर्फ हस्ती के साथ ही वाबस्ता है
लेकिन जब सूफी नेस्त हो जाता है तो इसको खुदा के सिवा ना तो कुछ नजर आता है और ना
किसी से बात करता है बाब नंबर 90 हजरत शेख अबू उस्मान सईद
बिन सलाम मगर रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब तारुफ आप हका दकाससी
[संगीत]
पाई हालात आप इब्तिदा दौर में 30 साल सहरा में गोशाई नशीन रहे हत्ता कि कसरत इबादत
के बायस जिस्म का गोश तक घुल गया था और आंखों में हल्के पड़ जाने की वजह से
इंतिहा भयानक शक्ल हो गई थी इसी दौरान इल्हाम हुआ कि मखलूक से रब्त जब्त कायम
करो चुनांचे जिस वक्त आप मक्का मुजमा पहुंचे तो मुकामी मश कीन ने आपका पुरजोश
खैर मकदम किया और आपकी खस्त हाली को देखकर कहा कि तुमने 20 साल साल तक जिस अंदाज में
जिंदगी गुजारी यह तरीका आज तक किसी ने नहीं इख्तियार किया और इसी वजह से तुम सब
पर सब कत ले गए लेकिन यह बताओ कि तुमने सहरा नशीन में क्या हासिल किया और वहां से
वापस क्यों आ गए आपने फरमाया कि सकर की जुस्तजू में गया था और सकर की मुसीबत को
देखकर और ना उम्मीदो आजिज होकर वापस आ गया और जिस हकीकत की जुस्तजू में निकला था
उसको कहीं ना पा सका और इसी वक्त यह गैबी निदा सुनी कि ऐ अबू उस्मान फुआत में मस्ती
का तसव्वुर और अस रास्ता हासिल करना आसान नहीं क्योंकि सहू हकीकी तो हमारे दस्ते
कुदरत में है यह सुनकर मैं ना उम्मीदी के आलम में लौट आया आपका कॉल सुनने के बाद
मशकी ने फरमाया कि तुमने तो मुकम्मल हक अदा कर दिया और अब किसी दूसरे को शक्र सहू
का बयान करना जेबा नहीं आपने फरमाया कि मुजाहि दत की इब्तिदा में मेरी यह कैफियत
थी कि अगर मुझे आसमान से नीचे फेंक दिया जाता जब भी मुझे इसलिए खुशी होती कि मैं
ऐसी उलझन में फंस गया था कि खाना खाया जाए या नमाज फर्ज के लिए वजू किया जाए और
इन्हीं दो उलझनों की वजह से मेरे लिए लज्जत मफक हो चुकी थी जो मेरे लिए इंतहा
अजियत का बायस थी फिर हालत जिक्र में मेरे ऊपर ऐसी चीजें मुनक शिफ होने लगी कि अगर
दूसरों पर मुनक शिफ हो जाती तो वह उनको कराम तों से ताबीर करने लगते लेकिन मैं
इसको गुनाह कबीरा से भी बढ़कर तसव्वुर करता था और नींद को भगाने के लिए ऐसे
पत्थरों पर जा बैठता जिनकी तह में बहुत अमीकन होते ताकि जरा भी पलक झपके तो गार
में जा पडू इसलिए बावजूद अगर कभी मुझे इत्तेफाक से इस पत्थर पर नींद आ जाती तो
बेदारी के बाद देखता कि मैं हवा में मल्लक पत्थर पर बैठा हूं आपने फरमाया कि एक
मर्तबा ईद की शब मैं हजरत अबू अल फरस की खिदमत में पहुंचा तो देखा कि वह मवे ख्वाब
है इस वक्त मेरे कल्ब में यह ख्याल पैदा हुआ कि अगर वक्त कहीं से घी दस्तयाब हो
जाता तो अहबाब के लिए फलां चीज तैयार करता लेकिन हजरत अबू अल फोरस ने सोते ही सोते
फरमाया कि इस घी को बला पसोपेश फेंक दे और आपने यह जुमला तीन बार कहा फिर बेदारी के
बाद मैंने उनसे वाकया बयान किया तो फरमाया कि मैं ख्वाब में देख रहा था कि हम एक
बहुत बुलंद महल में हैं और वहां से दीदार इलाही की तमन्ना कर रहे हैं लेकिन तुम्हारे हाथ में घी है इसीलिए मैंने कहा
कि यह घी को फौरन फेंक दो किसी ने आपकी खिदमत में हाजिर होकर यह ख्याल किया कि
अगर इस वक्त हजरत शेख अपनी किसी ख्वाहिश का इजहार करें तो मैं फौरन उसकी तक्मी कर
दूं लेकिन आपने फरमाया कि मैं ना तो खुदा के सिवा किसी से ख्वाहिश का इजहार करता
हूं और ना मुझे किसी की आनत दरकार है हजरत अबू उम्र जुजा जीी ने बयान किया कि मैं
बरसों इस तरह आपकी खिदमत में रहा हूं कि हर लम्हा के लिए भी जुदा नहीं हुआ एक मर्तबा मैंने और दूसरे मुरीद न ने ख्वाब
में यह गैबी आवाज सुनी कि तुम लोग अबू उस्मान की चौखट से वाबस्ता रहकर हमारी
बारगाह से दूर हुए हो और यह ख्वाब जब आप से बयान करने का कसत किया तो आपने बहना
पाक घर से निकल कर फरमाया कि तुम लोगों ने खुद भी सुन लिया और अब मैं भी यही कहता
हूं कि तुम लोग चले जाओ और तुम सब लोग भी खुदा के हो जाओ और मुझे भी उसकी याद में
मशगूल रहने दो हजरत अबू बकर फरक ने बयान किया कि आपने एक मर्तबा मुझसे यह फरमाया
के पहले मेरा यह अकीदा था कि अल्लाह ताला जात है और जहद में है लेकिन बगदाद पहुंचने
के बाद मेरा अकीदा दुरुस्त हो गया अल्लाह ताला जहद से मुनज्जा है फिर मैंने मशकी ने
मक्का को मकतूब र साल किया कि मैं बगदाद पहुंचकर असरे नौ मुसलमान हो गया हूं आपने
किसी मुरीद से पूछा कि अगर तुमसे कोई यह सवाल करें कि तुम्हारा माबूद किस हालत पर
कायम है तो जवाब क्या दोगे उसने कहा मैं यह जवाब दूंगा कि जिस हालत पर अजल में था
उस पर अब भी है फिर आपने पूछा कि अगर तुमसे कोई यह सवाल करे कि तुम्हारा माबूद अजल में किस हालत पर कायम था तो तुम क्या
जवाब दोगे उसने कहा कि मेरा यह जवाब होगा कि वह जिस हालत पर अब है अजल में भी उसी
हालत पर था आपने फरमाया कि तुम्हारा जवाब दुरुस्त है हजरत अब्दुल रहमान सलमा ने
बयान किया कि एक मर्तबा आपकी खिदमत में था कि करीबी कुएं से कोई पानी खींच रहा था और
चरखा की आवाज आ रही थी इस वक्त वक्त आपने पूछा कि तुम समझते हो यह क्या हो रहा है
और जब मैंने नफी में जवाब दिया तो फरमाया कि यह अल्लाह अल्लाह कहता है इरशाद आपने
फरमाया कि जिसके अंदर परिंदों के चहचहाना और दरख्तों के हिलने के साथ हवा चलने से
कैफियत समा पैदा ना हो तो वह अपने दावे समा में काजम है फरमाया कि जाकिर हकीकी को
अल्लाह ताला वो नूर अता कर देने लगता है जिसके जरिया वह हस्ती के जर्रे जर्रे का मुशाहिद करने लगता है और ऐसी लज्जत से हम
कनार हो जाता है कि फनात को तरजीह देने लगता है इसलिए कि उसमें लज्जत की कुवत
बर्दाश्त नहीं रहती हत्ता कि आप भी जब इस लज्जत को बर्दाश्त ना कर सके तो खिलत से
निकलकर हर सिमत दौड़ते हुए फरमाते जाते कि जाकिर के लिए यह जरूरी है कि वह अपने इल्म
में कलमा ला इलाह इल्लल्लाह को शामिल कर ले और इसी कलमे की आनत से अपने कल्ब में
से हर नेको बद का ख्याल निकाल फेंके और शमशीर इबरत से इन खयालात का सर कलम कर दे
क्योंकि अल्लाह ताला इन चीजों से जुदा है आपने फरमाया कि आरफों जाकिर के 100 मदारिस
मौत से भी ज्यादा होते हैं क्योंकि मौत भी इनको जिक्र और मारफ से अलहदा नहीं कर सकती
फरमाया कि खुदा तक रसाई के लिए दो राहे हैं अव्वल नबूवत दोम इतबा ए नबूवत लेकिन
नबूवत का सिलसिला तो मुनकता हो चुका लिहाजा इतबा ए नबूवत तालिब हक के लिए लाजमी है क्योंकि इतबा नबूवत के बगैर
वासिल इलल्लाह होना मुमकिन नहीं फरमाया कि जो शख्स खिलत इख्तियार करना चाहे इसके लिए
जरूरी है कि याद इलाही के लिए हर शय की याद को अपने कल्ब से खारिज कर दे और रजाए
इलाही का तालिब होकर ख्वाहिश नफ्स को तर्क कर दे और जो इन बातों पर कारबन नहीं हो
सकता उसके लिए खलत मुसीबत बन जाती है फरमाया कि जिस वक्त तक कल्बे तालिब में
जर्रा बराबर भी नफ्स दुनिया की मोहब्बत बाकी रहती है इसको खासा ने खुदा का दर्जा
हासिल नहीं हो सकता फरमाया कि गुनाहगार दावा करने वाले से इस इसलिए बेहतर होता है
कि वह अपने गुनाह का इकरार करता है लेकिन मदही अपने दावे में खुद ही असीर रहता है
फरमाया कि जो शख्स हिसो हिर्स की वजह से मालदार का खाना खाता है इसको ना तो फलाह
मयस्सर आती है और ना वो इस सिलसिला में कोई उजर पेश कर सकता है लेकिन मजबूरी की वजह से यह उजर कबूल हो सकता है और मखलूक
की जानिब मतवल होने वाला अपने अहवाल को जाया कर देता है फरमाया कि फुकरा से
मोहब्बत मुनकता करके मालदार से मोहब्बत करने वालों को अंधा कर दिया जाता है फरमाया कि मर्द के मुजाहिद की मिसाल लिब
की पाकी के लिए ऐसी होती है जैसे किसी से यह कहा जाए कि फलां दरख्त को जड़ से उखाड़
फेंक लेकिन वह इसको उखाड़ने पर कुदरत रखते हुए भी नहीं उखाड़ सकता अगर वह इस ख्याल
से तवक करता है कि जब मुझ में कुवत आ जाएगी उस वक्त इसको उखाड़ दूंगा तो यह
तसव्वुर भी इसलिए गलत है कि वह जिस कदर भी तवक करेगा खुद कमजोर होता जाएगा और दरख्त
कवी होता जाएगा फरमाया कि फराइज और नवाह में खलल अंदाजी के बाद राहे सुलूक नहीं
हासिल हो सकती फरमाया कि खालिक और मखलूक की माहियवंशी
मुल से काम लो और खुद उसकी खिदमत करते रहो लेकिन खुद इससे कोई खिदमत ना लो फरमाया कि
बेहतरीन अमल वो है जो इल्म के मुताबिक हो फिर फरमाया कि सबसे बड़ा तकाफ ये है कि
हमेशा अवामी रो नवाही को मलूज रखा जाए फरमाया कि हर शय को इसकी जिद ही से पहचाना
जाता है इसलिए जब तक साहिबे इखलास रया की बुराई से वाकिफ ना हो इखलास की अच्छाई को
भी नहीं समझ सकता फरमाया कि मर्द वही है जो खौफ की जगह खौफ और रजा की जगह रजा
इख्तियार करें फरमाया कि अवाम के मुशाहिद के बाद इतबा अवाम का नाम
बूदतमीज अता किया जाता है जिसके जरिया वह इजा बात कुदरत का मुशाहिद करते रहते हैं
फरमाया कि बंदा रब्बानी 40 यम तक खाना नहीं खाता और बंदा समदानी इसी यौम भूखा
रहता है फरमाया कि औलिया कराम के मानने वालों को अल्लाह ताला औलिया कराम ही में शामिल कर देता है इंतकाल के करीब जब अतब
को लाया गया तो आपने फरमाया कि अत बा की हैसियत मेरे नजदीक ऐसी ही है जैसे हजरत
यूसुफ के भाइयों की हैसियत उनके लिए थी और जब नोयता से उनके भाइयों की इजार सानी के
बावजूद अल्लाह ताला ने उनको नबूवत और हिकमत पर फायज किया उसी तरह इतबा की दवा
भी मेरे लिए सूद मंद नहीं हो सकती उसके बाद आपने समा की फरमाइश की और उसी हालत
में इंतकाल हो गया बाब नंबर 911 हजरत शेख अबुल अब्बास निहा
वंदी के हालात मुना किब तारुफ हो रशा दत आप बहुत बड़े मुत्त की और साहिबे वरा
बुजुर्गों में से थे आपको मुरव्वत फत का किबला काबा तसव्वुर किया जाता था आप
फरमाया करते कि रियाजत के इब्तिदा दौर में मुकम्मल 12 साल तक मैं सर गर्दा फिरा हूं
जब कहीं मुझे एक गोश कल्ब का
तमन्ना होती है कि अल्लाह ताला उनके हमराह हो लेकिन मेरी ख्वाहिश यह है कि अल्लाह ताला की तौफीक के साथ कलील और खालिक के
साथ कसीर सोहबत इख्तियार करूं फरमाया कि फक्र की इंतहा तसव्वुफ की इब्तिदा होती है
फरमाया कि तसव्वुफ नाम है अपने मराब के अख फा और मुसलमान की इज्जत करने का किसी ने
आपसे दुआ की दरख्वास्त की तो आपने फरमाया कि अल्लाह ताला तुझे अच्छी मौत दे हालात
आप टोपियां सिया करते थे और जब तक एक टोपी भी फरोख्त ना हो जाती तो दूसरी नहीं सीते
थे इसके अलावा एक टोपी की कीमत दो दिरहम से कम ना लेते ना ज्यादा और दो दिरहम में
टोपी फरोख्त करने के बाद एक दिरहम तो इस शख्स को दे देते जो सबसे पहले आपके पास
आता और एक दिरहम की रोटी खरीद कर किसी दरवेश के हमराह गशा में बैठ के खा लिया
करते किसी साहिबे निसाब मुरीद ने आपसे पूछा कि जकात किसको दूं फरमाया कि जिसको
तुम मुस्तक जकात समझते हो यह सुनने के बाद जब वह रुखसत हुआ तो रास्ते में एक बहुत ही
शिकस्त हाल फकीर नजर पड़ा चुनांचे उसने बतौर जकात के अशरफी इसको दे दी लेकिन
दूसरे दिन देखा कि वही नाबी फकीर एक शख्स से कह रहा है कि कल एक शख्स ने मुझको
अशरफी दी थी जिसकी मैंने फलां मुग निया के साथ बैठकर शराब पी इस वाकए का जिक्र जब
मुरीद ने आपके सामने करने का कसदार माया कि जाओ मेरा यह एक दरहम भी उस
शख्स को दे दो जो तुमको सबसे पहले मिल जाए चुनांचे बाहर निकलने पर उसको एक सैयद मिल
गया जिसको इसने दरहम पेश कर दिया और खुद भी उसके पीछे चल दिया लेकिन वह सैयद बजाए
आबादी के जंगल में पहुंचा और अपने दामन में से मुर्दा तीतर निकाल कर फेंक दिया और
जब मुरीद ने यह वाकया सैयद साहिब से पूछा तो उन्होंने बताया कि आज सात यम से मेरी
बीवी बच्चे फाके से हैं और मैं सवाल करने के जिल्लत से बचने के लिए जब रिजक की तलाश
में घर से निकला तो जंगल में यह तीतर मिल गया और मैंने अहलो अयाल के खाने के लिए
इसको उठा लिया लेकिन तुम्हारे एक दिरहम दे देने से मैं इसको फेंकने यहां आ गया यह
वाक मुरीद ने शेख से बयान करने का कसदार माया कि मुझसे बयान करने की जरूरत नहीं है
क्योंकि हराम कमाई का माल शराब खाने की नजर हो जाता है और जायज कमाई एक सैयद को
मुर्दार खाने से बचा लेती है एक रूमी आतिश परस्त आपकी तारीफ सुनकर सूफिया के लिबास
और इन्हीं के तौर तारीख इख्तियार करें अस्सा हाथ में लिए हुए इम्तिहान की नियत से शेख अबुल अ अब्बास कसाब की खानकाह में
पहुंच गए लेकिन उन्होंने गजब नाक होकर फरमाया कि आश नाओं में बेगानों का क्या काम ये सुनकर वो आतिश परस्त वहां के बजाय
सीधा आपके यहां पहुंच गया और महीनों मुकीम रहकर फुकरा के हमरा वजू करके फरेब दही के
लिए नमाज पढ़ता रहा लेकिन आपने जानते बुझते इसको कभी नहीं टोका मगर जब उसने
वहां से वापसी का कसदार माया कि यह बात तो जवां मर्दी के खिलाफ है कि तू जिस तरह आया
उसी तरह वापस हो जाए यह सुनकर वह आतिश परस्त सिद के दिल से मुसलमान हो गया और
आपकी खिदमत करके ऐसे मेराज कमाल तक पहुंचा कि आपके विसाल के बाद आपका जानशीन
हुआ बाब नंबर 92 हजरत अबू उमरो इब्राहिम जोजजीज
आपका शुमार अपने दौर के अजीम तर मश कीन में होता है आप हजरत अबू उस्मान के तला
मिजा में से थे और अरसा दराज तक मक्का मजमा में मुजावर रहे वहीं 300 में वफात
पाई हालात एक मर्तबा शेख अबुल कासिम नसरा आबादी मशगूल समा थे के इत्तेफाक से आप भी
वहां से गुजरे और उनसे सवाल किया कि समा क्यों सुनते हैं उन्होंने जवाब दिया कि
समात बाहम बैठकर गीबत बद गोई करने और सुनने से अफजल है आपने फरमाया कि तुम
मुमकिन है कि हालत समा में कोई ऐसा फेल सरज हो जाए जो गैब तों बद गोई करने और
सुनने से सैकड़ों दर्जा बुरा है बाब नंबर 93 हजरत शेख अबुल हसन साय
रहमतुल्ला अल के हालात मुना केब तारुफ आप सिद को इश्क का मुजस्सम थे और आपका शुमार
मिस्र के अजीम तर मखन में होता था हजरत अबू उस्मान का कौल है कि मैंने हजरत याकूब
नहर जूरी से ज्यादा किसी को नूरानी नहीं देखा और हजरत अबुल हसन सालिक से ज्यादा
कोई बा हिम्मत नजर नहीं आया और हजरत ममशाद देनरी का कौल है कि मैं मैं ने दिनर में
आपको इस तरह नमाज में मशगूल देखा कि गिद आपके सर पे साया फगन था आला तो इरशाद जब
आप से यह सवाल किया कि गायब पर शाहिद को क्या दलील है फरमाया कि मारफ का मफू यह है
कि हर दम अल्लाह ताला का एहसानमंद रहते हुए उसकी नेमतों की शुक्र गुजारी से खुद को कासिर तसव्वुर करें और खुदा के सिवा हर
शय से कता ताल्लुक करके सबको अल्लाह ताला से कमजोर ख्याल करें एक मर्तबा लोगों ने जब आपसे पूछा कि मुरीद की की क्या तारीफ
है फरमाया कि अल्लाह ताला का इरशाद है कि यानी तंग हो गई उन पर जमीन कुशा दगी के
बावजूद और उन पर उनके नफू तंग हो गए मफू यह है कि मुरीद उसके सिवा दूसरे आलिम का
तालिब रहता है फरमाया कि अहले मोहब्बत आतिश इश्क में भी उन लोगों से ज्यादा खुश रहते हैं जो जन्नत के ऐश से खुश होते हैं
फिर फरमाया कि अपनी जात को महबूब रखना हलाक की निशानी है फरमाया कि जो हालत खौफ
की वजह से होती है वही जौक हाल से रूमा होती है और खौफ को इख्तियार करने वाला नफ्स से किनार कश हो
जाता है फरमाया कि फसाद तबा की अलामत यह है कि ख्वाहिश आरजू में गिरफ्तार
है बाब नंबर 94 हजरत अबुल कासम नसरा आबादी रहमतुल्ला
अल के हालात मुना किब तारुफ आप वाकिफ रमज
इश्क मफत अमूर शौक और मोहब्बत के बहरे बे कनार थे इसके अलावा आपको माम उलूम पर
मुकम्मल हासिल था और हदीस के मौजू पर आपकी बेशुमार तसा है तमाम लोग आपको साहिबे
सिलसिला बुजुर्ग तसव्वुर करते हैं हजरत शिबली रहमतुल्ला अल के बाद आपको खुरासान
का उस्ताद तस्लीम करते थे आप हजरत शिबली से बैत थे और बहुत से बुजुर्गों से शरफे
नयाज भी हासिल किया मुद्दतों मक्का मजमा में मुजावर की हैसियत से जिंदगी गुजारी
हालात आपके जजब वजद का आलिम था कि एक मर्तबा काबा के नजदीक आग रोशन देखकर उसी
का तवाफ शुरू कर दिया और जब उसकी वजह पूछी तो फरमाया कि मैंने अल्लाह ताला को बरसों
काबा में तलाश किया लेकिन नहीं मिला और अब यहां भी उसकी जुस्तजू में आया हूं शायद वह
यहां मिल जाए और उसकी जुस्तजू में अपने होशो हवास होख बैठा हूं यह जुमले सुनकर
लोगों ने आपको निशापुर से निकाल दिया आपने एक दिन किसी यहूदी से यह सवाल किया कि मुझे खरबूजा खरीदने के लिए निस्फ वा
रकम दे दे लेकिन उसने झड़ दिया उसके बावजूद भी उसके पास तीन-चार मर्तबा जाकर
अपना सवाल दोहराया मगर वह हमेशा तल कलाम से जवाब देता रहा और जब आखिरी बार आपने
उससे सवाल किया तो उसने कहा कि तुम अजीब किस्म के इंसान हो इतनी मर्तबा मना कर
देने के बावजूद भी अपने सवाल से बाज नहीं आते आपने फरमाया कि अगर फुकरा इतनी सी बात
पर खौफ जदा हो जाएं तो उनको आला मदार कैसे हासिल हो सकते हैं यह कॉल सुनकर वह यहूदी
खुलूस कल्ब के साथ मुशर्रफ बस्लाम हो गया एक मर्तबा अपने काबा के अंदर कुछ लोगों को
मशगूल गुफ्तगू देखकर लकड़ियां जमा करनी शुरू कर दी और जब लोगों ने उसकी वजह पूछी
तो फरमाया कि मैं आज काबा नजरेया अश किया देता हूं कि लोग खुद बखुदा अल्लाह के साथ मशगूल अत हासिल कर सके एक मर्तबा आप हरम
के अंदर थे और ंद तेज हवा के झको से हरम के पर्दे हिलने लगे आपको यह मंजर बहुत
अच्छा मालूम हुआ और अपनी जगह से उठकर पर्दा पकड़कर फरमाया
गुफ्तगू कह बनिस्बत तूने जो खुद को दुल्हन की तरह
आरास्को मखलूक शिद्दत प्यास और गर्मी की वजह से बबूल के पत्तों की तरह तबाह है ऐ
हरम अगर तुझको अल्लाह ताला ने एक मर्तबा बीती फरमाया है तू 100 मर्तबा अबद भी
फरमाया है आपने तवले अल्लाह 70 हज किए और एक मर्तबा सफरे हज के दौरान एक कुत्ते को
भूख से ढाल देखकर फरमाया कि है कोई जो एक रोटी के मुआवजा में मुझसे 40 हज का सवाब
खरीद ले यह सुनकर एक शख्स ने हामी भरते हुए आपकी खिदमत में एक रोटी पेश कर दी और
आपने 40 हज का सवाब उसकी नजर कर दिया रोटी लेकर आपने उस पाका जदा कुत्ते को खिला दी
यह वाकया सुनने के बाद एक बुजुर्ग ने आपके पास पहुंचकर गजब नाक लहजा में फरमा आया कि
क्या तूने अपने नजदीक य बहुत बड़ा कारनामा अंजाम दिया है जबकि इसकी अहमियत इसलिए भी
कुछ नहीं कि हजरत आदम ने तो दो गेहूं के निव्स आठ जन्नत को फरोख्त कर दिया यह
सुनकर आप सरगु होकर एक कोने में जा बैठे एक मर्तबा मौसम गर्मा में जबले रहमत पर
आपको तेज बुखार आ गया उस वक्त आपके एक अजमी दोस्त ने पूछा कि क्या किसी चीज को
आपकी तबीयत चाहती है फरमाया कि ठंडे पानी की ख्वाहिश है यह सुनकर वह इसलिए बहुत परेशान हो गया कि गर्मी के मौसम में सर्द
पानी कहां से लाऊं फिर भी एक आब खोरा लेकर पानी की जुस्तजू में चल पड़ा रास्ता में
अचानक अब आया और ओले पड़ने लगे और तमाम ओले सिमट सिमट कर उस जग के पास जमा हो गए
यह देखकर उसने समझ लिया कि यह सब आप ही की करामत का जुहूर है और तमाम औले आप खोरे
में जमा करके आपके सामने पेश कर दिए और जब आपने सवाल किया कि मौसम गर्मा में तुम यह
सर्द पानी कहां से ले आए उसने ने जब पूरा वाकया बयान कर दिया तो आपको ख्याल पैदा
हुआ कि यह सिर्फ मेरी करामत की वजह से हुआ है इसलिए नफ्स को मलामत करते हुए फरमाया
कि तुझे तो सर्द पानी के बजाय गर्म पानी मिलना चाहिए एक मर्तबा दौरान सफर जंगल में
आपको बेहद थकान महसूस हुई लेकिन इत्तफाक से जब चांद पर आपकी नजर पड़ी तो उस पर यह
लिखा हुआ देखा फसिल फी कल्ला यानी अल्लाह तुम्हारे लिए काफी है यह देखकर मोहब्बत से
कुवत आ गई जिसकी वजह से बहुत तकब पहुंची एक मर्तबा आपको खिलवट में यह इल्हाम हुआ
कि तू बहुत बेहूदा बातें करता है उसकी सजा में हम तेरे ऊपर मुसीबत नाजिल करेंगे आपने
अर्ज किया कि अगर तू मेरी याद गोई की मुखालिफत करेगा तो मैं भी उससे बाज नहीं आऊंगा फिर इल्हाम हुआ कि हमें तेरी यह बात
पसंद आई आपने फरमाया कि एक मर्तबा मैं हजरत मूसा के मजार की जियारत के लिए हाजिर
हुआ तो मैंने हर जर्रा से अरनी की सदा सुनी आपने फरमाया कि एक मर्तबा सफरे हज के
दौरान मैंने एक कवे को अजियत और बेचैनी के दौरान जमीन पर तड़पते हुए देखकर यह
कसदार फातिहा पढ़कर दम कर दूं लेकिन नदा आई कि इसको यूं ही तड़पने दो क्योंकि यह
अहले बैत का दुश्मन है एक मर्तबा आपकी महफिले वाज में एक ऐसा शख्स पहुंच गया जो
रक्सो सरूर का माहिर था लेकिन वह आपके वाज से हद दर्जा मुतासिर होकर इस्तरा भी
कैफियत में घर पहुंचा और अपनी वालिदा से कहा कि मेरी मौत का वक्त करीब है इसलिए मेरे इंतकाल के बाद मेरी कबा
गोर कन को दे देना और पैरहन ग साल के सपुत कर देना और सतार की मजरा को मेरी आंखों
में पवत करके यह कहना कि जिस तरह तूने जिंदगी गुजारी उसी तरह मर गया एक मर्तबा
लोगों ने आपसे यह शिकायत की कि अली कवाल रात को शराब पीता है और सुबह को आपकी
महफिल में हाजिर हो जाता है यह सुनकर आपने सकू इख्तियार कर लिया फिर इत्तेफाक से एक
दिन वही कवाल आपके रास्ते में बदमस्त पड़ा हुआ नजर आया तो एक मुरीद ने अर्ज किया कि
देखिए यह वही अली है जो शराब से बदमस्त पड़ा है आपने इस ताना जनी करने वाले मुरीद
को हुकम दिया कि इसको अपने कांधे पर उठाकर इसके घर पहुंचा दो चुनांचे उस मुरीद ने
बादल नख्वा स्ता अपने कांधे पर डालकर उसके घर पहुंचा दिया लेकिन होश आने के बाद उस
कवाल ने आपके हाथ पर ऐसी तौबा की कि बाद में दर्जा विलायत तक पहुंचा इरशाद आपने
फरमाया कि बंदा दो निस्बत के माबीन महसूर है एक निस्बत आदिम है जो शहवत आफत का मजब
होने की वजह से निस्बत बशरी ताल्लुक रखती है इसलिए यह निस्बत महशर में मुनकता हो
जाएगी लेकिन दूसरी निस्बत जो हके ताला से मुंस है और जिसके जरिया कश्फ विलायत हासिल
होती है इसका ताल्लुक अबू दियत से है और यह निस्बत कभी मुनकता नहीं होती क्योंकि
जब बारी ताला बंदे की निस्बत अपनी जानिब मंसूब कर लेता है तो फिर बंदे पर किसी
किस्म का गम और खौफ बाकी नहीं रहता और व इस आयत का मुसदा बन जाता है ला खौफ अलकल
वला अतु तजन फरमाया कि खुदा ताला का बार सिर्फ वही लोग उठा सकते हैं जो इसका बार
उठाने के काबिल हैं जैसा कि हदीस में वारिद है कि जिसने खुद को खुदा के साथ
वाबस्ता कर लिया वह फित फसाद और वसा वसे शैतानी से निजात पा गया और जिसमें खुदा को
याद रखने की सलाहियत और कुदरत होती है वह कभी परेशान नहीं होता फरमाया कि उलूम जहरी
के जरिया मुरीद को रास्ता दिखाने के बजाय अलू में बातन से तरबियत देनी चाहिए फरमाया
कि जब बंदे पर मिन जानिबे अल्लाह कोई शय वारिद होने लगे तो इसके लिए फिरदौस और
जहन्नुम को नजरअंदाज कर देना जरूरी है और जब इस हाल से वापस हो तो हर शय को अजीज
ख्याल करें जिसको अल्लाह ने इज्जत अता की हो फरमाया कि मुवाफीनामा
फरमाया कि जब अल्लाह ताला ने आदम की सिफत से आगाह करना चाहा तो फरमाया अस आदम रहु
और जब अपनी सिफात बयान करनी मकसूद हुई तो फरमाया इनल्लाह स्तफा आदम फिर फरमाया
क्योंकि असबे कहफ बिला वास्ता खुदा पर ईमान लाए इसलिए वह जवा मर्द कहलाने के
मुस्तक है फिर फरमाया कि अल्लाह ताला गयूर है और इसकी गैरत का तकाजा यह है कि जब तक
वह किसी को तौफीक दुआ ना करे उसकी जानिब त वज्जा नहीं हो सकता फरमाया कि मसन आत का
वजूद ही साने की दलील है फिर फरमाया कि तबा सुन्नत से मफत अदायगी फर्ज से कुर्बत
और नवाल से मोहब्बत हासिल होती है फिर फरमाया कि जो शख्स खुद नफ्स को
मदबेकु नहीं कहा जा सकता और जो कल्ब के आदाब से ना आशना हो वह कभी अदब से वाकिफ
नहीं हो सकता और जो अदब रूह से ना बलद हो उसको कभी कुर्ब हासिल नहीं होता एक मर्तबा
लोगों ने अर्ज किया कि बाज मर्द औरतों की सोहबत में बैठकर यह दावा करते हैं कि हम
इनको देखने के बावजूद भी मासूम है आपने फरमाया कि जब तक नफ्स मौजूद है उस वक्त तक
अवामी नवाही की पाबंदी जरूरी है और इससे किसी को भी बरी जिम्मा करार नहीं दिया जा
सकता और ऐसे मुका मात पर कभी डटाई से काम ना लेना चाहिए जब तक हुरमत से रू गर्दा ना
हो फिर फरमाया कि आमाल लिहा यह है कुरान पर अमल पैरा होना ख्वाहिश और बद आदा को
तर्क कर देना मुर्शद का इतबा करना मखलूक को मजूर ख्याल करना और अद वजाइना जोई ना
करते हुए मदावन के साथ पाबंद रहना एक मर्तबा लोगों ने पूछा कि जो औसाफ मुर्शद
में होने चाहिए क्या वह आप में मौजूद हैं फरमाया कि नहीं उनके छूट जाने का गम और ना
हासिल करने का अफसोस है फिर लोगों ने सवाल किया कि आपकी करामत क्या है फरमाया कि
अहले नसर आबाद ने तो पागल कहकर मुझे वहां से निकाल दिया इशापुर में पहुंचा तो वहां
भी यही सलूक किया गया बगदाद में हजरत शिबली की खिदमत में रहा और चंद ही साल में
दो-तीन हज अफराद वासले अललाह हुए लेकिन मेरा जिक्र नहीं आया लोगों ने सवाल किया
कि आपकी तारीफ क्या है फरमाया कि मिंबर पर से इसलिए उतारा गया कि उसकी मुझ में
अहलिया नहीं फिर पूछा गया कि तकवा की क्या तारीफ है फरमाया कि मा सिवाए अल्लाह से गुरेज करने का नाम तकवा है फिर पूछा गया
कि हम आपके अंदर खुदा की मोहब्बत का असर नहीं पाते फरमाया कि तुम सच कहते हो लेकिन
मैं आतिश मोहब्बत में जलता रहता हूं फिर फरमाया कि अहले मोहब्बत का खुदा के साथ एक
ही सा हाल रहता है अगर आगे कदम उठाएं तो गर्क हो जाए अगर पीछे कदम हटाएं तो नादम
हो जाएं फिर फरमाया कि राहते अताब से लबरेज जर्फ है फिर फरमाया कि हर शय के लिए
कुवत हुआ करती है लेकिन रूह की कुवत समा है फरमाया कि कल्ब जो कुछ हासिल करता है
उसकी बरकत जिस्म पर जाहिर होती हैं और रूह जो कुछ हासिल करती है उसकी बरकत कल्ब पर
वारिद होती हैं फरमाया कि जिस्म बंदे के लिए एक कैद खाना है और जब तक वो उससे बाहर
नहीं आ जाता सुकून हासिल नहीं हो सकता और नफ्स की जिल्लत जिस्म की कैद से निजात अता
कर देती है फिर फरमाया कि इब्तिदा में तो यादे इलाही की तमीज बाकी रहती है लेकिन इंतहा में यह तमीज भी खत्म हो जाती है फिर
फरमाया कि तसव्वुफ नूर इलाही में से एक ऐसा नूर है जो हक की दलील हुआ करता है
फरमाया कि रजा बंदगी की जानिब मायल करती है और खौफ मासि अत और नाफरमानी से दूर कर
देता है और यही खुदा के रास्ते के लिए मुराककाबत
का खून गिराया गया हजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया कि कुछ कब्रिस्तान
ऐसे भी होते हैं जिनके चारों कोनों को मलायका उठाकर उनमें दफन शुदा लोगों को
बिला हिसाबो किताब जन्नत में ड़कते और इन्हीं में से जन्नतुल बकी का कब्रिस्तान
है इसीलिए हजरत अबू उस्मान ने अपनी कब्र वहां खुदवा रखी है और एक दिन जब हजरत अबुल
कासिम का वहां से गुजर हुआ तो पूछा कि यह किसकी कबर है लोगों ने बताया कि अबू उस्मान ने अपने लिए खुद वाई है आपने
फरमाया कि मैंने ख्वाब में यह देखा है कि जन्नतुल बकी के मुर्दे हवा में परवाज कर रहे हैं और जब मैंने उसकी वजह पूछी तो
बताया कि जिस शख्स में यहां के मराब की अहलिया नहीं होती इसको अगर दफन भी कर दिया
जाए जब भी मलायका इसको यहां से दूसरी जगह मुंत किल कर देते हैं और जब आपकी मुलाकात
हजरत अबू उस्मान से हुई तो आपने फरमाया कि तुमने बकी में अपने लिए जो कब्र खुदवा है
उसमें तो मैं दफन होगा और तुम निशापुर में वफात पाओगे चुनांचे कुछ ही अरसा बाद अबू उस्मान को लोगों ने वहां से निकाल दिया और
वहां से बगदाद फिर र उसके बाद निशापुर पहुंचकर वफात पा गए और हैरा में मद फून
हुए मुसन्नाफ फरमाते हैं कि इस ख्वाब के सिलसिला में इख्तिलाफ है बाज लोग कहते हैं कि यह ख्वाब हजरत अबुल कासिम रहमतुल्ला अल
ने नहीं बल्कि किसी और ने देखा था वफात उस्ताद इसहाक जाहिद खुरासानी अक्सर मौत का
जिक्र करते रहते थे लेकिन आपने इन्हें मना करते हुए फरमाया कि मौत के बजाय मोहब्बत
का जिक्र किया करो लेकिन आपने अपने इंतकाल के वक्त एक निशापुरी बाशिंदे से जो इस
वक्त आपके सरने मौजूद था आखिरकार आप इस कब्र में मद फून हुए जो बकी में अबू
उस्मान ने अपने लिए तैयार कराई थी किसी ने इंतकाल के बाद आपको ख्वाब में देखकर हाल
पूछा तो फरमाया कि अल्लाह ने मुझ पर ऐसा अताब नहीं किया जैसा दूसरे जबरदस्त किया
करते थे अलबत्ता यह निदा जरूर आई कि अबुल कासिम विसाल के बाद जुदाई क्या है मैंने
अर्ज किया के ए अल्लाह मुझे लहद में रख दिया गया अब तू ओहद तक पहुंचा दे बाब नंबर
95 हजरत अबुल फजल हसन सुरखी के हालात मुना किब तारुफ आप बहुत साहिबे करामत फरासत
बुजुर्ग और हजरत अबू सईद खैर के मुर्शद और सरख ही में तलित हुए हालात जब हजरत अबू
सईद पर कब्ज की कैफियत तारी होती तो हजरत अबुल फजल के मजार अकदर का तवाफ किया करते
थे जिसके बाद आपके ऊपर बस्त की कैफियत नमूद हो जाती और हजरत अबू अल फजल के इरादत
मंदो में से थे जो हज का कसदार अबू सईद उसको आपके मिजार की रत का मशवरा देते हुए
फरमाते कि वहां की जियारत से तमाम मकास पूरे हो जाएंगे हजरत अबू सईद का बयान है
कि एक मर्तबा दरिया के किनारे पर मैं और दूसरे किनारे पर हजरत अबू अल फजल खड़े हुए
थे और इस वक्त आपकी मुझ पर ऐसी नजर पड़ी कि मेरे मदारिस में रोज बरोज इजाफा होता
चला गया इमाम रामी बयान किया करते थे कि एक मर्तबा मैं दरख्त पर चढ़ा हुआ शहतूत
तोड़ रहा था कि आपका उधर से हुआ लेकिन आपने मुझे देखे बगैर सर उठाकर कहा कि ऐ
अल्लाह मैं साल भर से हजामत बनवाने के लिए तुझसे एक दांग तलब कर रहा हूं लेकिन तू
नहीं देता क्या दोस्तों के हमराह यही सलूक किया जाता है इमाम रामी कहते हैं कि इसी वक्त जब मेरी नजर दरख्त पर पड़ी और उसकी
तमाम शाखे और पत्ते सोने के बन गए लेकिन यह सूरत देखकर आपने फरमाया कि कल्ब की
आसूद गी के लिए तुझसे कोई बात ना कहनी चाहिए मनकुल है कि सरख में एक बे माजी
दीवाना वार फिरा करता था और जब उससे लोगों ने नमाज पढ़ने के लिए इसरार किया तो उसने
कहा कि वजू करने के लिए पानी कहां है ये सुनकर लोग कुएं पर पकड़ कर ले गए और उसके
हाथ में रस्सी और डोल थमा करर कहा कि इसमें से पानी खींच करर वजू कर ले लेकिन वह देवाना 13 यम तक इसी तरह रस्सी पकड़े
बैठा रहा और इत्तेफाक से जब आपका उधर से गुजर हुआ तो फरमाया कि यह तो गैर मुकलम
होने की वजह से कूद शरीयत से कतन आजाद है जाओ उसे उसके घर पहुंचा दो एक दिन आपके
यहां लुकमान सरख पहुंचे तो आपको एक जजव हाथ में लिए हुए देखकर पूछा कि क्या तलाश
करते हो फरमाया कि जिसको तुम तर्क में तलाश करते हो उन्होंने पूछा कि फिर यह
खिलाफ क्यों है फरमाया कि खिलाफ तो तुम्हें नजर आ रहा है जिसकी वजह से पूछते
हो क्या तलाश करता है अब मस्ती से होशियार और होशियारी से बेदार हो जाओ ताकि
तुम्हारी निगाहों से खिलाफ दूर हो सके और तुम समझ सको हम दोनों किस शय की जुस्तजू
में है किसी ने आपसे अर्ज किया कि मैंने आपको ख्वाब में मुर्दा देखा है तो आपने
फरमाया कि कोई आयत तिलावत करो चुनांचे उसने यह आयत तिलावत की आश अल्लाह लायम
अब्दा यानी जिसने अल्लाह के साथ जिंदगी गुजार दी वह कभी नहीं मरता इरशाद एक
मर्तबा हजरत अबू सईद को आपने अपने यहां कयाम का हुकम दिया और रात के वक्त आपने
उनसे फरमाइश की कि कोई आयत तिलावत करो चुनांचे उन्होंने ये आयत तिलावत की
ला तो आपने इसके सात सुमानी बयान किए जो एक दूसरे से कतन जुदा थे हत्ता कि पूरी
रात इसी में गुजर गई और आपने फरमाया कि शबे रफ तो हदीस मा ब पाया ना रसीद चपरा
गुना हदीस माबू दराज यानी रात गुजर गई और हमारी बात खत्म ना हो सकी लेकिन इसमें रात
का इसलिए कोई कसूर नहीं कि हमारी बात ही तवील थी फरमाया कि
मुवाफीनामा फिकत हासिल हो जाती है वह कभी उसकी
मुखालिफत नहीं करता फिर फरमाया कि जब अल्लाह ताला ने सफे आदम से आगाह करना चाहा
तो फरमाया के अस आदम रब और जब अपनी सिफत फजल से आगाह करना चाहा तो फरमाया इनल्लाह
स्तफा आदम फरमाया कि चूंकि असबे कहफ बिला वास्ता ख पर ईमान लाए इसलिए वह जमा मर्द
कहलाने के मुस्तक हैं फरमाया कि अल्लाह ताला गयूर है और इसकी गैरत उसी की मुक्तता है कि जब तक वह अपने नफ्स को म अदब नहीं
बना सके इसको वाकत अदब नहीं कहा जा सकता और जो आदाब कलब से ना बलद हो वह कभी अदब
से वाकफ नहीं हो सकता और जो अदब रूह से नास ना हो उसको कभी कुर्ब हासिल नहीं हो
सकता एक मर्तबा लोगों ने अर्ज किया कि बाज मर्द औरतों की सोहबत में बैठकर भी यही
कहते हैं कि हम मासूम हैं आप आपने फरमाया कि जब तक नफ्स मौजूद है इस वक्त तक अवाम
नवाही की पाबंदी जरूरी है और इससे किसी को बरे जिमा करार नहीं दिया जा सकता और ऐसे
मुका मात पर डटाई से काम लेना चाहिए जब तक हुरमत से रू गर्दा ना हो वाकत एक मर्तबा
कहत के दौरान लोगों ने आपसे दुआ की दरख्वास्त की तो फरमाया कि पानी जरूर
बरसेगा चुनांचे इस कदर बारिश हुई कि तमाम खुश्क दरख्त सरसब्ज हो गए और जब लोगों ने
पूछा कि आपने क्या दुआ की थी फरमाया कि मैंने रात को ठंडा पानी लिया था जिसकी वजह
से खुदा ने सबका दिल ठंडा कर दिया मुसन्ना फरमाते हैं कि इस वाकए से यह अंदाजा होता
है कि आप कुतबे दौरा थे क्योंकि यह चीजें अताब ही में पाई जाती हैं एक मर्तबा लोगों
ने आपसे जाबिर बादशाह वक्त के लिए दुआए खैर की दरख्वास्त की तो फरमाया कि मुझे तो
इसका अफसोस है कि तुम लोग बादशाह को अपने दरमियान क्यों ले आए अकवाले जरी आपने
फरमाया कि ना तो अहदे माज को याद करो और ना अहदे और ना मुस्तकबिल का इंतजार करो
हाल ही को गनी मत समझो फिर फरमाया कि
बूदतमीज किया कि हमारी यह ख्वाहिश है कि हम आपको
फलां शेख के मकबरे में दफन करें आपने फरमाया कि नहीं बल्कि मुझे फलां टीले पर
दफन करो जहां आवारा गर्द किस्म के लोग दफन है क्योंकि वह खुदा की रहमतों के ज्यादा
मुस्तक हैं बाब नंबर 96 हजरत अबुल अब्बास सया भी रहमतुल्ला अल के हालात मुना किब आप
शरीयत के बहुत बड़े आलिम और तरीकत के अजीम बुजुर्ग गुजरे हैं आप हजरत अबू बकर रहमतुल्ला अल वास्ती के इरादत मंदो में से
थे और सरजमीन मरू पर आपने बहुत स हका का इंक शफ फरमाया हालात आपको अपने वालिद की
मेरास में बहुत ज्यादा माल और असबाब मिला था लेकिन सब कुछ राहे मौला में लुटा दिया और हुजूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का
मुए मुबारक जो आपके पास था उसकी बरकत से आपको बैतो तौबा की तौफीक नसीब हुई और ऐसे
मराब तक पहुंचे कि इमाम हनफी के नाम से मशहूर हुए और सूफिया कराम इस ग्रह को तायफ
सैया गान के नाम से मसूर करते हैं एक दिन आप अखरोट खरीदने एक दुकान पर पहुंचे और
इसको अखरोट की रकम दे दी दुकानदार ने अपने मुलाजिम से कहा आपको बहुत नफीस अखरोट छांट
कर दे दो आपने पूछा कि क्या तुम हर खरीदार के साथ यही तरीका इख्तियार करते हो उसने
जवाब दिया कि नहीं लेकिन आपको आलिम होने की वजह से खराब चीज देना पसंद नहीं करता
आपने फरमाया कि मैं अपने इल्म को अखरोट के मुआवजा में फरोख्त करना मायू तसव्वुर करता हूं यह फरमा की कीमत वापस लिए बगैर चले गए
लोग आपको जबरिया फिरका का फर्द कहते हैं क्योंकि आपका कौल यह था लोहे महफूज में
तहरीर शुदा शय को बंदा तर्क नहीं कर सकता और मुकदरा के खिलाफ कुछ भी नहीं कर सकता
इस अकीदेअरेस्ट
[संगीत] रिजक में तंगी और फराग करता है फिर फरमाया
कि लालच की तारीख नूर मुशाहिद के लिए हिजाब बन जाती है फरमाया कि जब तक मोमिन
अपनी जिल्लत पर इस तरह सबर नहीं करता जिस तरह अपनी इज्जत पर साब रहता है उस वक्त तक
इसके ईमान की तकल नहीं होती फरमाया कि सच्चे लोगों की जुबान पर अल्लाह ताला इल्म
और हिकमत का इजरा कर देता है फरमाया कि अंबिया को खतरा औलिया को वसाब आवाम को
इनकार और अाक के लिए अजाइम हुआ करते हैं फरमाया कि जिस पर खुदा की मेहरबानी होती
है उस पर लोग भी मेहरबान रहते हैं लेकिन जिस पर कहर नाजिल होता है लोग भी उससे दूर
भाग जाते हैं फरमाया कि मार्फ से बाहर आने का नाम मफत है और तौहीद की तारीफ यह है कि
सिवाए खुदा के कल्ब में किसी का गुजर ना हो यानी तौहीद का गलबा इस हद तक फिजू हो
जाए कि जो शय कल्ब में दाखिल हो इस पर तौहीद का रंग चढ़ जाए और मोहिद वही है जो
बहरे तौहीद में गर्क होकर कुदबी अहद की शक्ल इख्तियार कर ले जैसा कि फरमाया गया
कुतु लहु समान व बसर यानी हम इसकी समात
बसारी मुशाहिद में गाफिल को कभी लज्जत हासिल नहीं होती क्योंकि हुस्न का मुशाहिद
पना का नाम है जिस वक्त लोगों ने आपसे सवाल किया कि खुदा ताला से क्या तलब करते
हैं फरमाया कि वो जो कुछ भी दे दे क्योंकि मैं तो गधा हूं और गधा को जो कुछ भी मिल
जाए वही उसके लिए बहुत गनीमत है फिर लोगों ने सवाल किया कि मुरीद के लिए बेहतरीन
रियाजत कौन सी है फरमाया कि शरीयत के अकाम पर सब्र ममनू अश्या से एतराज और सारफ की
मोहब्बत अफजल तरीन रियाजत हैं फरमाया कि अता की दो किस्में हैं अव्वल करामत दोम इत
दराज करामत तो यह है जो तुम्हारे लिए काबिल हो और इत दराज से जो खुशी तुम्हारी
तरफ रद्द कर दी जाए फिर फरमाया कि अगर तिलावत कुरान से बद नमाज का जवाजी शेर
मुकम्मल तौर पर सादिक आता है ला तमन्ना अली उल जमान मजाल इं जरा फील हया तुल हिरा
मेरी एक जमाना से यह तमन्ना रही है कि काश मैं अपनी हयात में किसी मर्दे आजाद को देख
सकता वफात इंतकाल के वक्त आपने यह वसीयत फरमाई कि वफात के बाद मेरे मुंह में हुजूर
अकरम सल्लल्लाहु अल वसल्लम का मुए मुबारक रख दिया जाए चुनांचे पसे मर्ग आप की वसीयत
पर अमल कर दिया गया आपका मजार मरू में है और आज तक तकल हाजा के लिए मर्जाए हलाक बना
हुआ है इन्ना लिल्लाह व इन्ना इल राजिन वमा तफी इला बिल्लाह खत्म शद अस्सलाम
वालेकुम पूरी किताब देखने के लिए हमारे य चैनल सूफी समा की प्लेलिस्ट में जाए यहां
आपको मुख्तलिफ बुजुर्गों की किताबें मिलेंगी और जो किताब पूरी ना हुई उस पर काम तेजी से हो रहा है और लर बेसिस पर
अपलोड होती रहती हैं आपसे गुजारिश है कि आप हमारे
[संगीत]