जब कभी नात हम गुनगुनाने लगे: पूर्ण नात, हिंदी अर्थ, एवं महत्व
यहाँ जब कभी नात हम गुनगुनाने लगे (Jab Kabhi Naat Hum Gungunane Lage) की पूर्ण नात हिंदी/उर्दू, रोमन लिपि और अंग्रेजी अनुवाद के साथ प्रस्तुत है, साथ ही इसकी गहराई और महत्व की विस्तृत व्याख्या।
📜 नात: पूरा पाठ (देवनागरी, रोमन & अंग्रेजी में)
देवनागरी (हिंदी/उर्दू) | रोमन उच्चारण | अंग्रेजी अनुवाद (English Translation) |
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जब कभी नात हम गुनगुनाने लगे | Jab Kabhi Naat Hum Gungunane Lage | Whenever we start humming a Naat, |
बस हमें मुस्तफ़ा याद आने लगे | Bas Hume Mustafa Yaad Aane Lage | Only Mustafa (Prophet Muhammad) comes to mind. |
जब नबी के नवासे चले कर्बला | Jab Nabi Ke Nawaase Chale Karbala | When the Prophet’s grandson went to Karbala, |
चाँद सूरज भी आँसू बहाने लगे | Chaand Suraj Bhi Aansu Bahane Lage | Even the sun and moon began to shed tears. |
पाँव रक्खे हैं सरकार ने जिस जगह | Paanw Rakhe Hain Sarkaar Ne Jis Jagah | Wherever my Master placed His feet, |
मेरी मिट्टी वहीं पर ठिकाने लगे | Meri Mitti Wahin Par Thikane Lage | May my dust find its resting place there. |
मेरे आक़ा ज़रूर उन के घर आएँगे | Mere Aaqa Zaroor Un Ke Ghar Aayenge | My Master will surely visit their homes, |
जो दुरूदों से घर को सजाने लगे | Jo Duroodon Se Ghar Ko Sajane Lage | Those who adorn their homes with Salawat. |
रात काली थी लेकिन चमकने लगी | Raat Kaali Thi Lekin Chamakne Lagi | The dark night began to shine, |
मेरे सरकार जब मुस्कुराने लगे | Mere Sarkaar Jab Muskurane Lage | When my Master began to smile. |
याद-ए-तयबा ने बेचैन मुझ को किया | Yaad-e-Tayba Ne Bechain Mujh Ko Kiya | The memory of Taybah (Medina) made me restless, |
क़ाफ़िले जब मदीने को जाने लगे | Qaafile Jab Madine Ko Jaane Lage | When caravans began to leave for Medina. |
अपनी उम्मत पे कैसे हुए मेहरबाँ | Apni Ummat Pe Kaise Hue Meharbaan | How Merciful He was upon His Ummah, |
ज़ख़्म खाए मगर मुस्कुराने लगे | Zakhm Khaye Magar Muskurane Lage | Though wounded, He kept smiling. |
जब कहीं कोई शेर-ए-रज़ा आ गया | Jab Kahin Koi Sher-e-Raza Aa Gaya | When a verse of Raza arrived anywhere, |
सारे नज्दी वहीं थरथराने लगे | Saare Najdi Wahin Thartharane Lage | All opponents began to tremble there. |
नात ख़्वाँ (Naat Khwan):
शमीम रज़ा फ़ैज़ी (Shamim Raza Faizi)
सद्दाम वाहिदी (Saddam Wahidi)
🌟 इस नात का आध्यात्मिक महत्व एवं विश्लेषण
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प्रेम एवं याद (Love & Remembrance):
नात का प्रारंभ ही प्रेमपूर्ण स्मरण से होता है—जब भी हम नात गुनगुनाते हैं, पैगंबर मुहम्मद (स.व.) की याद स्वतः आ जाती है। यह इस्लाम में “ज़िक्र” (स्मरण) के महत्व को दर्शाता है। -
कर्बला की घटना का संदर्भ:
तीसरे शेर में इमाम हुसैन (र.अ.) के कर्बला के संघर्ष का उल्लेख है, जहाँ प्रकृति भी शोक में डूब गई। यह शहादत और बलिदान की प्रतीक है। -
दुरूद का प्रभाव:
“दुरूदों से घर सजाने” का अर्थ है—पैगंबर पर दुरूद भेजकर घर को आशीर्वाद से भरना। ऐसा करने वालों पर अल्लाह की रहमत उतरती है। -
मुस्कुराहट का चमत्कार:
अंधेरी रात के चमकने का प्रतीक दर्शाता है कि पैगंबर की मुस्कान अंधकार को प्रकाश में बदल देती है।