Ye Dil Bhi Hussaini Hai Manqabat Lyrics
ये दिल भी हुसैनी है, ये जाँ भी हुसैनी है / Ye Dil Bhi Husaini Hai, Ye Jaan Bhi Husaini Hai
ये दिल भी हुसैनी है, ये जाँ भी हुसैनी है
सद शुक्र कि अपना तो ईमाँ भी हुसैनी है
तू माने या न माने, अपना तो अक़ीदा है
हर क़ारी के होंटों पर क़ुरआँ भी हुसैनी है
रौनक़ है मसाजिद में शब्बीर के सदक़े से
मिम्बर भी हुसैनी है, आज़ाँ भी हुसैनी है
जिब्रील झुलाता है हसनैन के झूले को
लगता है कि आक़ा का दरबाँ भी हुसैनी है
गिरने नहीं देता है काँधों से नवासों को
क्या ख़ूब कि नबियों का सुल्ताँ भी हुसैनी है
धड़कन की नगरिया में देखा तो नज़र आया
हसरत भी हुसैनी है, अरमाँ भी हुसैनी है
तुम समझो या न समझो, ए अहल ए जहाँ ! लेकिन
है लब पे जो हाकिम के ये बयाँ भी हुसैनी है
शायर:
अहमद अली हाकिम
नात ख़्वाँ:
मीलाद रज़ा क़ादरी
अहमद अली हाकिम
हसन बिन ख़ुर्शीद
Ye Dil Bhi Husaini Hai, Ye Jaa.N Bhi Husaini Hai
Sad Shukr Ki Apna To Imaa.N Bhi Husaini Hai
Tu Maane Ya Na Maane, Apna To Aqeeda Hai
Har Qaari Ke Honto.N Par Qur.Aa.N Bhi Husaini Hai
Raunaq Hai Masaajid Me.N Shabbir Ke Sadqe Se
Mimbar Bhi Husaini Hai, Aazaa.N Bhi Husaini Hai
Jibreel Jhulaata Hai Hasnain Ke Jhoole Ko
Lagta Hai Ki Aaqa Ka Darbaa.N Bhi Husaini Hai
Girne Nahi.N Deta Hai Kaandho.N Se Nawaaso.N Ko
Kya Khoob Ki Nabiyo.N Ka Sultaa.N Bhi Husaini Hai
Dha.Dkan Ki Nagariya Me.N Dekha To Nazar Aaya
Hasrat Bhi Husaini Hai, Armaa.N Bhi Husaini Hai
Tum Samjho Ya Na Samjho, Ai Ahl E Jahaa.N ! Lekin
Hai Lab Pe Jo Haakim Ke Ye Bayaa.N Bhi Husaini Hai
Poet:
Ahmed Ali Hakim
Naat Khwaan:
Milad Raza Qadri
Ahmed Ali Hakim
Hasan Bin Khurshid
*_🔖पोस्ट न.6⃣1⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_🗡शहादत के वाक़ीआत1⃣8⃣🗡_*
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*_🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत_*
*“`🏳अहले बैत का सब्रो तहम्मुल अल्लाहु अकबर ! अली अकबर को इस हाल में देखा और अलहम्दु लिल्लाह कहा, नाज़ के पालो को कुर्बान कर दिया और शुक्रे इलाही बजा लाए, फाके पर फाके है, पानी का नामो निशान नहीं, भूके प्यासे फ़रज़न्द तड़प तड़प कर जाने दे चुके है, जलते रेत पर फ़ातिमी नौ निहाल ज़ुल्मो जफ़ा से ज़बह किये गए। अहले बैत के काफिले में सन्नाटा हो गया है। जिन का कलिमा तस्कीने दिल व राहते जान था वो नूर की तस्वीरें खाको खून में खामोश पड़ी हुई है। आले रसूल ने रिज़ा व सब्र का वो इम्तिहान दिया जिस ने दुन्या को हैरत में डाल दिया है। बड़े से ले कर बच्चे तक मुब्तलाए मुसीबत थे।*“`
*बाक़ी अगली पोस्ट में.. ﺍﻥ ﺷﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ*
*सवानहे कर्बला, 159📚*
*_🔖पोस्ट न.6⃣2⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_🗡शहादत के वाक़ीआत1⃣9⃣🗡_*
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*_🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत_*
*🥀हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ के छोटे फ़रज़न्द अली असगर जो अभी कमसिन है, शिरख्वार है,* *“`प्यास से बेताब है, शिद्दते तिशनगी से तड़प रहे है, माँ का दूध खुश्क हो गया है, इस छोटे बच्चे की खुश्क नन्ही ज़बान बाहर आती है, बे चैनी में हाथ पाउ मारते है और पेच खा खा कर रह जाते है, कभी माँ की तरफ देखते है और इनको सुखी ज़बान दिखलाते है, कभी बाप की तरफ इशारा करता है वो जानता था की हर चीज़ ये ला कर दिया करते थे।*“`
*“`🌷छोटे बच्चे की बेताबी देखि न गई। वालीदाने हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ से अर्ज़ किया : इस नन्ही सी जान की बेताबी देखि नही जाती। इस को गोद में ले जाइये और इसका हाल जालिमो को दिखाये। इस पर तो रहम आएगा। इस को तो चन्द क़तरे दे देंगे। ये न जंग करने के लाइक़ है न मैदान के लाइक़ है। इससे क्या अदावत हैं।*“`
*“`🥀हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ इस छोटे नुरे नज़र को सीने से लगा कर दुश्मनो के सामने पहुचे और फ़रमाया की अपना तमाम तो तुम्हारी बे रहमी और जोरो जफ़ा के नज़र कर चूका और अब अगर आतशे बुग्ज़ो इनाद जोश पर है तो इस के लिये में हु। ये शिरख्वार बच्चा प्यास से दम तोड़ रहा है इस की बे ताबी देखो और कुछ रहम करो जसका हल्क़ तर करने को एक घुट पानी दो।*“`
*बाक़ी अगली पोस्ट में.. ﺍﻥ ﺷﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ*
*सवानहे कर्बला, 161📚*
*_🔖पोस्ट न.6⃣3⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_🗡शहादत के वाक़ीआत1⃣9⃣🗡_*
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*_🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत_*
*“`उन संगदीलो पर इसका कुछ अशर न हुवा और उन को ज़रा रहम न आया। बजाए पानी के एक बद बख्त ने तीर मारा जो अली असगर ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का हल्क़ छेदता हुवा इमाम के बाज़ू में बैठ गया। इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने वो तीर खीचा, बच्चे ने तड़प के जान दी, बाप की गोद से एक नूर का पुतला लिपटा हुवा है, खून में नहा रहा है, अहले खैमा को गुमान है की सियाह दिलाने बे रहम इस बच्चे को ज़रूर पानी दे देगा लेकिन जब इमाम बच्चे को खेमे में लाए और उसकी वालिदा ने देखा की बे करारी नही है, गुमान हुवा की पानी दे दिया होगा। हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने फ़रमाया : ये भी साकिए कौषर में जामे रहमत व करम से सैराब होने के लिये अपने भाइयो से जा मिला, अल्लाह ने हमारी ये छोटी कुर्बानी भी क़बूल फ़रमाई।*“`
*“`रिज़ा व तस्लीम की इम्तिहान गाह में इमामे हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ और उन के मुतवस्सिलिन ने वो षाबित कदमी दिखाई की आलमें मलाइका भी हैरत में आ गये होंगे। *मुझे मालुम है जो तुम नही जानते (पारह,1) का राज़ इन पर मुन्काशिफ् हो गया होगा।*“`
*बाक़ी अगली पोस्ट में.. ﺍﻥ ﺷﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ*
*सवानहे कर्बला, 161📚*
*_🔖पोस्ट न.6⃣4⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_🗡हज़रते इमामे आली मक़ाम की शहादत 1⃣🗡_*
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*_🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत_*
*“`अब तक जां निषार एक एक करके रुख्सत हो चुके और हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ पर जाने क़ुरबान कर गए, अब तन्हा हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ है और एक फ़रज़न्द हज़रते ज़ैनुल आबेदीन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ वो भी बीमार व ज़ईफ़। बा वुजूद इस ज़ोफ़् व नाताक़ति के ख़ैमे से बाहर आए और हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को तन्हा देख कर मसाफ़े कारज़ार जाने और अपनी जान निषार करने के लिये नेज़ा दस्ते मुबारक में लिया लेकिन बिमारी, सफर की कोफ़्त, भूक प्यास, फाक़ो और पानी की तकलीफो से ज़ोफ़् इस दर्जे तरक़्क़ी कर गया था की खड़े होने से बदन मुबारक लरजता था बा वुजूद इसके हिम्मते मर्दाना का ये हाल था की मैदान का अज़्म कर दिया।*“`
*बाक़ी अगली पोस्ट में.. ﺍﻥ ﺷﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ*
*सवानहे कर्बला, 162📚*
*_🔖पोस्ट न.6⃣5⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_🗡हज़रते इमामे आली मक़ाम की शहादत 1⃣🗡_*
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*_🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत_*
*🌹हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने फ़रमाया : लौट आओ, मैदान जाने का क़स्द न करो, में कुम्बा क़बीला, अज़ीज़ों अक़ारिब, खुद्दाम जो हमराह थे राहे हक़ में निषार कर चूका। तुम्हारी ज़ात के साथ बहुत उम्मीदे वाबस्ता है, बे कसाने अहले बैत को वतन तक कौन पहुचाएगा ? बीवियों की निगहदष्ट कौन करेगा ? क़ुरआन की मुहाफ़ज़त और हक़ की तबलीग का फ़र्ज़ किस के सर पर रखा जाएगा ? मेरी नस्ल किस्से चलेगी ? ये सब तुम्हारी ज़ात से वाबस्ता है। दुदमाने रिसालत व नबुव्वत के आखरी चराग तुम ही हो। ऐ नुरे नज़र ! लखते जिगर ! ये तमाम काम तुम्हारे ज़िम्मे किये जाते है, मेरे बाद तुम ही मेरे जानशीन होंगे, तुम्हे मैदान जाने की ज़रूरत नही है।*
*🥀 हज़रते ज़ैनुल आबेदीन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने जो अर्ज़ किया,*
*वो अगली पोस्ट में.. ﺍﻥ ﺷﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ*
*सवानहे कर्बला, 162📚*
*_🔖पोस्ट न.6⃣6⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_🗡हज़रते इमामे आली मक़ाम की शहादत 2⃣🗡_*
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*_🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत_*
*“`🥀हज़रत ज़ैनुल आबेदीन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने अर्ज़ किया की मेरे भाई तो जां निषारि की सआदत पा चुके और हुज़ूर के सामने ही साकिये कौषर के आगोश में पहुचे, में तड़प रहा हु। मगर हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने कुछ पज़िराना फ़रमाया और इमाम ज़ैनुल आबेदीन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को इन तमाम ज़िम्मेदारियों का हामिल किया और खुद जंग के लिये तैयार हुए, इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ मैदान जाने के लिये घोड़े पर सुवार हुए।*“`
*“`🌷 हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने अपने अहले बैत को तल्किने सब्र फ़रमाई। रिज़ाए इलाही पर साबिरो शाकिर रहने की हिदायत की और सब को सुपुर्दे खुदा करके मैदान की तरफ रुख किया, आप ने एक ख़ुत्बा फ़रमाया और इसमें हम्दो सलात के बाद फ़रमाया : ऐ क़ौम ! खुदा से डरो, जो सबका मालिक है, जान देना, जान लेना सब उसके कुदरत व इख़्तियार में है।*“`
*बाक़ी अगली पोस्ट में.. ﺍﻥ ﺷﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ*
*सवानहे कर्बला, 165📚*
*_🔖पोस्ट न.6⃣7⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_🗡हज़रते इमामे आली मक़ाम की शहादत 2⃣🗡_*
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*_🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत_*
*“`अगर तुम ख़ुदावन्दे आलम पर यक़ीन रखते और मेरे हज़रते अम्बिया मुहम्मद मुस्तफाﷺ पर ईमान लाए हो तो डरो की क़यामत के दिन मीज़ाने अदल क़ाइम होगी, आमाल का हिसाब किया जाएगा, मेरे वालीदेन मेहशर में अपनी आल के बे गुनाह खुनो का मुतालबा करेगे। हुज़ूर ﷺ जिन की शफ़ाअत गुनाहगारो की मग्फिरत का ज़रिया है और तमाम मुसलमान जिनकी शफ़ाअत के उम्मीद वार है वो तुम से मेरे और मेरे जानिषारो के खूने नाहक़ का बदला चाहेंगे, खबरदार हो जाओ की ऐशे दुन्या में पाएदारी व क़याम नही, अगर सल्तनत की तमअ में मेरे दरपै आज़ार हो तो मुझे मौक़ा दो की में अरब छोड़ कर दुन्या के किसी और हिस्से में चला जाऊ। अगर ये कुछ मंज़ूर न हो और अपनी हरकात से बाज़ न आओ तो हम अल्लाह के हुक्म और उसकी मर्ज़ी पर साबिर व शाकिर है।*“`
*❣ हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की ज़बान से ये कलिमात सुन कर कुफियो में से बहुत लोग रो पड़े, बाक़ी अगली पोस्ट में.. ﺍﻥ ﺷﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ*
*सवानहे कर्बला, 165📚*