आऊं तेरे दर पर जीलानी / Aaun Tere Dar Par Jeelani
ग़फ़लत में कटी मोरी सकरी उमरिया
करो मो पे अपनी दया ग़ौस-ए-आज़म

आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी
आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी

मुझ पर भी करम हो जीलानी, मुझ पर भी करम हो जीलानी

आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी
आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी

ज़माने में नहीं सुनता कोई फ़रियाद जीलानी
ख़ुदारा आप ही कीजे मेरी इमदाद जीलानी

आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी
आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी

करो इमदाद ऐ लख्ते-दिले-मुश्क़िल-कुशा-हैदर
गिरा हूँ ग़र्दिशों में, हूँ बड़ा नाशाद जीलानी

आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी
आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी

फ़साने ग़म के तुम से ना कहूं तो फिर कहूं किस से
मेरी सुन लो मेरी सुन लो मेरी रूदाद जीलानी

आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी
आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी

मेरी शाम-ए-ख़ज़ाँ सुब्हे-बहारा में बदल जाए
रुखे-पुरनूर दिखला कर करो तुम शाद जीलानी

आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी
आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी

समंदर में ग़मों के पाएगा ये साहिल-ए-तस्कीन
उजागर देख ले आ कर तेरा बग़दाद जीलानी

आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी
आऊं तेरे दर पर जीलानी, आऊं तेरे दर पर जीलानी

शायर:
अल्लामा निसार अली उजागर

नातख्वां:
मेहमूद अत्तारी

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