Global web icon
naatlyrics.net
https://naatlyrics.net/ay-naqeeb-e-aala-hazrat-mustafa-haidar-hasa…
Ay Naqeeb E Aala Hazrat Mustafa Haidar Hasan Lyrics
WEBJun 28, 2023 · Ay Naqeeb E Aala Hazrat Mustafa Haidar Hasan Lyrics. MANQABAT HUZOOR AHSAN UL ULAMA RADI ALLAHU ANHU (2) Ay Naqeeb e Aala Hazrat Mustafa …
MANQABAT HUZOOR AHSA…
MANQABAT HUZOOR AHSAN UL ULAMA RADI ALLAHU ANHU LYRICS. Ay Naqeeb …
See results only from naatlyrics.net
Videos of Ay Naqeeb e Aala Hazrat Mustafa Haidar Hasan Lyrics
bing.com/videos
Aye Naqib e Aala Hazrat Mustafa Haidar Hasan | By Abdul Mustafa Razvi Adoni
6:43
Aye Naqib e Aala Hazrat Mustafa Haidar Hasan | By Abdul Mustafa Razvi Adoni
3.4K viewsJan 29, 2021
YouTubeAdoni Raza Channel
Shahenshahe Aala Salamun Alaykum | New Lyrics |Yasin Haider
8:52
Shahenshahe Aala Salamun Alaykum | New Lyrics |Yasin Haider
72.8K viewsOct 23, 2020
YouTubeYasin Haider
Sab Se Aula o Aala Hamara Nabi ﷺ – LYRICS ▬ Kalam e Ala Hazrat
9:50
Sab Se Aula o Aala Hamara Nabi ﷺ – LYRICS ▬ Kalam e Ala Hazrat
394.4K viewsOct 24, 2020
YouTubeIslam Ki Dunya!
Ya Rabbe Mustafa Tu Mujhe Hajj Pe Bula |♥ Hafiz Tahir Qadri |♥ Naat-E-Sharif
8:54
Ya Rabbe Mustafa Tu Mujhe Hajj Pe Bula |♥ Hafiz Tahir Qadri |♥ Naat-E-Sharif
1.1M viewsJan 9, 2021
YouTubeTime For Living
Duae Mustafa hain Hazrate Umar – Hafiz Tahir Qadri 2017
10:00
Duae Mustafa hain Hazrate Umar – Hafiz Tahir Qadri 2017
16.2M viewsSep 19, 2017
YouTubeHafiz Tahir Qadri
Global web icon
naatlyrics.net
https://naatlyrics.net/manqabat-huzoor-ahsan-ul-ulama-radi-allahu-…
MANQABAT HUZOOR AHSAN UL ULAMA RADI ALLAHU ANHU …
WEBJul 13, 2023 · MANQABAT HUZOOR AHSAN UL ULAMA RADI ALLAHU ANHU LYRICS. Ay Naqeeb e Aala Hazrat Mustafa Haidar Hasan Ay Bahaar e Baagh e Zahra Mere Barakaati …
Global web icon
Barkate Raza
https://barkateraza.com/mustafa-jaane-rehmat-pe-lakhon-salaam-ly…
Mustafa Jaane Rehmat Pe Lakhon Salaam Lyrics English And …
WEBMar 2, 2024 · ”Mustafa Jaan e Rahmat pe Laakhon Salaam” is the famous urdu language salawaat and salaam written by the Mujaddid of the 19th Century and Imam of the Ahl e …
Estimated Reading Time: 3 mins
Global web icon
naatlyrics.net
https://naatlyrics.net/jo-ishq-e-nabi-ke-jalwon-ko-seenoon-main-bas…
JO ISHQ E NABI KE JALWON KO SEENOON MAIN BASAYA KARTY …
WEBAug 8, 2024 · Jo ishq e Nabi ke Jalwon ko Seenoon main basaya karty hain. Allah ki rehmat ke badal un logon pe saya kartay hain. Jab apne gulamon ki Aqaa taqdeer banaya kartay …
Global web icon
Iqra.co.in
https://www.iqra.co.in/naat/lyrics
Naat Lyrics | Ala Hazrat Naat Lyrics | India Naat Lyrics – Iqra.co.in
WEBBalaghal Ula Be Kamalehi Sallu Alaihe Waalehi View Lyrics; Ban Ke Noor E Khuda, Mustafa Agaye View Lyrics; Banda Milne Ko Kareeb Hazrat E Qadir Gaya View Lyrics; Banda Qadir …
Tags:Ahmed Raza Khan BarelviIndia
Global web icon
Barkate Raza
THE BLESSED WIVES OF RASOOLULLAH | Barkate Raza
WEBMar 24, 2024 · THE BLESSED WIVES OF RASOOLULLAH. SAYYADAH KHADIJAH (RADI ALLAHU ANHA) This noble lady belonged to the Quraish tribe and was also known as …
People also ask
Ask Copilot
Is Hadrat Hasan Raza Khan a true poet?
This, he says, is not true and are mere baseless objections. He further explains. Hadrat Hasan Raza Khan (radi Allahu anhu), the younger brother of Sayyiduna A’la Hadrat (radi Allahu anhu), would often send his Poetry to be corrected to Janaab Daagh Delhwi, who was a famous and distinguished Poet of his time.
Aala Hazrat – Raza Academy
razaacademy.com
Ask Copilot
What did Hadrat Allamah Raza Ali Khan (Radi Allahu anhu) say?
Hadrat Allamah Raza Ali Khan (radi Allahu anhu), who was witnessing this incident, said, “Son! Listen to what your Ustaad is saying.” Upon further reflection, Hadrat Allamah Raza Ali Khan (radi Allahu anhu), realised the reason for the objection of the young A’la Hadrat (radi Allahu anhu).
Aala Hazrat – Raza Academy
razaacademy.com
Ask Copilot
Who is Allamah Hadrat Ahmed Raza Khan?
Professor Dr Ghulam Mustafa Khan, Head of Department: Urdu, Sindh University, Sindh (Pakistan) said: “Allamah Hadrat Ahmed Raza Khan is among the outstanding scholars. His deep learning, intelligence, vision and acumen, surpassed that of great contemporary thinkers, professors, renowned scholars and orientalist.
Aala Hazrat – Raza Academy
*_📜पोस्ट :- 🅾1⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🌺☘मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ🌺☘*
*_🌹✨👉आला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत, वली नीमत, अज़ीमुल बरकत, अज़ीमुल मरतबात, परवाना ए शम्मे रिसालत, मुजद्दिदे दींन व मिल्लत, हामी ए सुन्नत, माही ए बिद्दत, आलिम ए शरीअत, पीर ए तरीक़त, बाइसे खैर व बरकत, हज़रत अल्लामा मौलाना अल्हाज अल हाफिज अल कारी शाह इमाम अहमद रजा खान رحمۃ اللہ علیہ अपने वक़्त के जय्यद आलिम फ़ाज़िल थे अल्लाह त’आला ने आपकी ज़ात में बैक वक़्त बहुत सी खुसूसियत जमा फरमा दिया था।_*
*🇧🇳विलादते बा सआदत💫*
*मेरे आक़ा आला हज़रत, इमामे अहले सुन्नत, हज़रते अल्लामा मौलाना अलहाज अल हाफ़िज़ अल कारी शाह इमाम अहमद रज़ा खान अलैरहमा की विलादते बा सआदत बरेली शरीफ के महल्ला जसुली में 10 शव्वालुल मुकर्रम 1272 सी.ही. बरोज़े हफ्ता ब वक़्ते ज़ोहर मुताबिक़ 14 जून 1856 ई. को हुई। सने पैदाइश के ऐतिबार से आप का नाम अल मुख्तार (1272 ही.) है।*
*📔हयाते आला हज़रत ज़िल्द 1 सफ़ह 58*
*🌷आला हज़रत सने विलादत💫*
*_🇨🇨💫👉मेरे आक़ा आला हज़रत अलैरहमा ने अपना सने विलादत पारह 28 सूरतुल मुजा-दलह की आयत 22 से निकाला है। इस आयते करीमा के इल्मे अब्जद के ऐतिबार के मुताबिक़ 1272 अदद है और हिजरी साल के हिसाब से यही आप का सने विलादत है। इस पर आला हज़रत अलैरहमा ने इरशाद फ़रमाया मेरी विलादत की तारीख इस आयते करीमा में है।_*
*🌼🍃👉ये है जिन के दिलो में अल्लाह तआला ने ईमान नक्श फरमा दिया और अपनी तरफ की रूह से इन की मदद की आप का नामें मुबारक मुहम्मद है और आप के दादा ने अहमद रज़ा कह कर पुकारा और इसी नाम से मश्हूर हुए।…✍*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 2📚*
*_📜पोस्ट :- 🅾2⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🌺☘ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ🌺☘*
*•─ ≪•◦ हैरत अंगेज़ बचपन ◦•≫ ─•*
*_🌹✨👉 उमुमन हर ज़माने के बच्चों का वही हाल होता है जो आज कल बच्चों का है, के सात आठ साल तक तो उन्हें किसी बात का होश नही होता और न ही वो किसी बात की तह तक पहोच सकते है, मगर आला हज़रत अलैरहमा का बचपन बड़ी अहमिय्यत का हामिल था। कमसिन और कम उम्र में होश मन्दी और क़ुव्वते हाफीजा का ये आलम था के साढ़े चार साल की नन्ही सी उम्र में क़ुरआन मुकम्मल पढ़ने की नेअमत से बारयाब हो गए। 6 साल के थे के रबीउल अव्वल के मुबारक महीने में मिम्बर पर जलवा अफ़रोज़ हो कर मिलादुन्नबी के मौजू पर एक बहुत बड़े इज्तिमा में निहायत पुर मग्ज़ तक़रीर फरमा कर उल्माए किराम और मसाईखे इज़ाम से तहसीन व आफरीन की दाद वसूल की।_*
*इसी उम्र में आप ने बगदाद शरीफ के बारे में सम्त मालुम कर ली फिर ता दमे हयात गौषे आज़म के मुबारक शहर की तरफ पाउ न फेलाए। नमाज़ से तो इश्क़ की हद तक लगाव था चुनांचे नमाज़े पंजगाना बा जमाअत तकबिरे उला का तहफ़्फ़ुज़ करते हुए मस्जिद में जा कर अदा फ़रमाया करते।*
*_🌹✨👉 जब किसी खातुन का सामना होता तो फौरन नज़रे नीची करते हुए सर जुका लिया करते, गोया के सुन्नते मुस्तफा का आप पर गल्बा था, जिस का इज़हार करते हुए हुज़ूरे पुरनूर की खिदमत में यु सलाम पेश करते है _*
*आला हज़रत अलैरहमा ने लड़क पन में तक़वा को इस क़दर अपना लिया था के चलते वक़्त क़दमो की आहत तक सुनाई न देती थी। 7 साल के थे के माहे रमज़ान में रोज़े रखने शुरू कर दिये।..✍*
*📗फतावा रज़विय्या, 30/16*
*_📜पोस्ट :- 🅾3⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🌺🍀मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ🌺🍀*
*•─ ≪•◦बचपन की एक हिकायत◦•≫ ─•*
*_🌹✨👉 जनाबे अय्यूब अली शाह साहिब अलैरहमा फरमाते है के बचपन में आप को घर पर एक मौलवी साहिब क़ुरआन पढ़ाने आया करते थे। एक रोज़ का ज़िक्र है के मोलवी साहिब किसी आयत में बार बार एक लफ्ज़ आप को बताते थे मगर आप की ज़बाने मुबारक से नही निकलता था वो “ज़बर” बताते थे आप “ज़ेर” पढ़ते थे ये केफिय्यत जब आप के दादाजान हज़रते रज़ा अली खान रहमतुल्लाह अलैह ने देखि तो आला हज़रत अलैरहमा को अपने पास बुलाया और कलामे पाक मंगवा कर देखा तो उस में कातिब ने गलती से ज़ेर की जगह ज़बर लिख दिया था, यानी जो आला हज़रत अलैरहमा की ज़बान से निकलता था वो सही था। आप के दादा ने पूछा के बेटे जिस तरह मोलवी साहिब पढ़ाते थे तुम उसी तरह क्यू नही पढ़ते थे ? अर्ज़ की में इरादा करता था मगर ज़बान पर काबू न पाता था।_*
*_🌹✨👉आला हज़रत अलैरहमा खुद फरमाते थे के मेरे उस्ताद जिन से में इब्तिदाई किताब पढ़ता था, जब मुझे सबक पढ़ा दिया करते, एक दो मर्तबा में देख कर किताब बंद कर देता, जब सबक सुनते तो हर्फ़ ब हर्फ़ सूना देता। रोज़ाना ये हालत देख कर सख्त ताज्जुब करते। एक दिन मुझसे फरमाने लगे अहमद मिया ! ये तो कहो तुम आदमी हो या जिन ? के मुझ को पढ़ाते देर लगती है मगर तुम को याद करते देर नही लगती !_*
*_🌹✨👉आप ने फ़रमाया के अल्लाह का शुक्र है में इंसान ही हु, हा अल्लाह का फ़ज़लो करम शामिल है!..✍_*
*📬 हयाते आला हज़रत 168 📔*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 5 📚*
*_📜पोस्ट :- 🅾4⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❤•─ ≪•◦ पहला फतवा ◦•≫ ─•❤*
*_🌹✨👉मेरे आक़ा आला हज़रत अलैरहमा ने सिर्फ 13 साल 10 माह 4 दिन की उम्र में तमाम मुरव्वजा उलूम की तक्लिम अपने वालीद मौलाना नकी अली खान अलैरहमा से कर के सनदे फरागत हासिल कर ली। इसी दिन आप ने एक सुवाल के जवाब में पहला फतवा तहरीर फ़रमाया था।_*
*_🌹✨👉फतवा सही पा कर आप के वालिद ने मसनदे इफ्ता आप के सुपुर्द कर दी और आखिर वक़्त तक फतावा तहरीर फरमाते रहे।.._*✍
*📬 हयाते आला हज़रत, 1/279 📕*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 6 📚*
*_📜पोस्ट :- 🅾5⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🍀•─ ≪• हैरत अंगेज़ क़ुव्वते हाफीजा •≫ ─•🍀*
*_🌹✨👉हज़रते अबू हामिद मुहम्मद मुहद्दिस कछौछवी अलैरहमा फरमाते है के जब दारुल इफ्ता में काम करने के सिलसिले में मेरा बरेलवी शरीफ में क़याम था तो रात दिन ऐसे वाक़ीआत सामने आते थे के आला हज़रत की हाज़िर जवाबी से लोग हैरान हो जाते। इन हाज़िर जवाबियो में हैरत में दाल देने वाले वाक़ीआत वो इल्मी हाज़िर जवाबी थी जिस की मिसाल सुनी भी नही गई। मसलन सुवाल आया, दारुल इफ्ता में काम करने वालो ने पढ़ा और ऐसा मालुम हुवा के नई किस्म का मुआमला पेश आया है और जब जवाब न मिल सकेगा फुकहाए किराम के बताए हुए उसूलो से मसअला निकाल न पड़ेगा।_*
*_🌹✨👉आला हज़रत अलैरहमा की खिदमत में हाज़िर हुए, अर्ज़ किया अजब नए नए किस्म के सुवालात आ रहे है ! अब हम लोग क्या तरीका इख़्तियार करे ? फ़रमाया ये तो बड़ा पुराना सुवाल है। इब्ने हुमाम ने “फतहुल कदरी” के फुला सफ़हे में, इब्ने आबिदीन ने “रद्दल मुहतार” की फुला जिल्द के फुला सफह पर लिखा है, “फतावा हिन्दीया” में “खैरिया” में ये इबारत इस सफा पर मौजूद है।_*
*_🌹✨👉अब जो किताबो को खोला तो सफ़्हा, सत्र और बताई गई इबारत में एक नुक़्ते का फर्क नही। इस खुदादाद फ़ज़लो कमाल ने उलमा को हमेशा हैरत में रखा।..✍_*
*📬 हयाते आला हज़रत, 1/210 📔*
*_📜पोस्ट :- 🅾5⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🍀•─ ≪• हैरत अंगेज़ क़ुव्वते हाफीजा •≫ ─•🍀*
*_🌹✨👉हज़रते अबू हामिद मुहम्मद मुहद्दिस कछौछवी अलैरहमा फरमाते है के जब दारुल इफ्ता में काम करने के सिलसिले में मेरा बरेलवी शरीफ में क़याम था तो रात दिन ऐसे वाक़ीआत सामने आते थे के आला हज़रत की हाज़िर जवाबी से लोग हैरान हो जाते। इन हाज़िर जवाबियो में हैरत में दाल देने वाले वाक़ीआत वो इल्मी हाज़िर जवाबी थी जिस की मिसाल सुनी भी नही गई। मसलन सुवाल आया, दारुल इफ्ता में काम करने वालो ने पढ़ा और ऐसा मालुम हुवा के नई किस्म का मुआमला पेश आया है और जब जवाब न मिल सकेगा फुकहाए किराम के बताए हुए उसूलो से मसअला निकाल न पड़ेगा।_*
*_🌹✨👉आला हज़रत अलैरहमा की खिदमत में हाज़िर हुए, अर्ज़ किया अजब नए नए किस्म के सुवालात आ रहे है ! अब हम लोग क्या तरीका इख़्तियार करे ? फ़रमाया ये तो बड़ा पुराना सुवाल है। इब्ने हुमाम ने “फतहुल कदरी” के फुला सफ़हे में, इब्ने आबिदीन ने “रद्दल मुहतार” की फुला जिल्द के फुला सफह पर लिखा है, “फतावा हिन्दीया” में “खैरिया” में ये इबारत इस सफा पर मौजूद है।_*
*_🌹✨👉अब जो किताबो को खोला तो सफ़्हा, सत्र और बताई गई इबारत में एक नुक़्ते का फर्क नही। इस खुदादाद फ़ज़लो कमाल ने उलमा को हमेशा हैरत में रखा।..✍_*
*📬 हयाते आला हज़रत, 1/210 📔*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 8 📚*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 8 📚*
*_📜पोस्ट :- 🅾6⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❤ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ❤*
*•─ सिर्फ एक माह में हिफ़्ज़े क़ुरआन ─•*
*_🍀✨👉हज़रत अय्यूब अली साहिब अलैरहमा का बयान है के एक रोज़ आला हज़रत अलैरहमा ने इरशाद फ़रमाया के बाज़ न वाक़िफ़ हज़रात मेरे नाम के आगे हाफ़िज़ लिख दिया करते है, हाला के में इस लक़ब का अहल नही हु।_*
*_🍀✨👉अय्यूब अली फरमाते है के आला हज़रत अलैरहमा ने इसी रोज़ से दौर शुरू कर दिया जिस का वक़्त गालिबन ईशा का वुज़ू फरमाने के बाद से जमाअत क़ाइम होने तक मख़्सूस था। रोज़ाना एक पारह याद फरमा लिया करते थे, यहाँ तक के तीसवें रोज़ तीसवाँ पारह याद फरमा लिया। और एक मौक़ा पर फ़रमाया के में ने कलामे पाक बित्तरतिब ब कोशिश याद कर लिया और ये इस लिये के उन बन्दगाने खुदा का (जो मेरे नाम के आगे हाफ़िज़ लिख दिया करते है) कहना गलत साबित न हो।..✍_*
*📬 हयाते आला हज़रत, 1/208 📕*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 9 📚*
*_📜पोस्ट :- 🅾7⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ* ❞
*❤•─ ≪•◦ इश्के रसूल ◦•≫ ─•❤*
*_🍀✨👉मेरे आक़ा आला हज़रत अलैरहमा इश्के मुस्तफा का सर से पाउ तक नमूना थे। आप का नातिया दीवान “हदाईके बख्शीश शरीफ” इस अम्र का शाहिद है। आप की नाके कलम बल्कि गहराइये क्लब से निकला हुवा हर मिसरा मुस्तफा जाने रहमत से आप की बे पाया अक़ीदत व महब्बत की शहादत देता है।_*
*_🍀✨👉आप ने कभी दुन्यवि ताजदार की खुशामद के लिये कोई कसीदा नही लिखा, इस लिये के आप ने हुज़ूरे ताजदारे रिसालत की इताअत व गुलामी को पहोंचे हुए थे, इस का इज़हार आप ने एक शेर में इस तरह फ़रमाया_*
*इन्हें जाना इन्हें माना न रखा गैर से काम*
*लिल्लाहिल हम्द में दुन्या से मुसलमान गया*
*🍀✨👉एक मर्तबा रियासत नानपारा (जिल्ला बहराइच यूपी) के नवाब की तारीफ़ में शुअरा ने क्साइड लिखे। कुछ लोगो ने आप*
*❤•─ ≪•◦ शरहे कलामे रज़ा ◦•≫ ─•❤*
*_🍀✨👉मेरे आक़ा महबूबे रब्बे जुल जलाल का हुस्नो जमाल दरजाए कमाल तक पहुचता है, यानी हर तरह से कामिल व मुकम्मल है इस में कोई खामी होना तो दूर की बात है, खामी का तसव्वुर तक नही हो सकता, हर फूल की शाख में काटे होते है मगर गुलशने आमिना का एक येही महकता फूल ऐसा है जो काटो से पाक है, हर शमा में ऐब होता है के वो धुँआ छोड़ती है मगर आप बज़मे रिसालत की ऐसी रोशन शमा है के धुंए (यानी हर तरह) से बे ऐब है…✍_*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 11 📚*
*_📜पोस्ट :- 🅾8⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ* ❞
*•─ ≪•◦ बेदारी में दीदारे मुस्तफा◦•≫ ─•*
*_🍀✨👉मेरे आक़ा आला हज़रत अलैरहमा दूसरी बार हज के लिये हाज़िर हुए तो मदिनए मुनव्वरह में नबीये रहमत की ज़ियारत की आरज़ू लिये रौज़ए अतहर के सामने देर तक सलातो सलाम पढ़ते रहे, मगर पहली रात किस्मत में ये सआदत न थी। इस मौके पर वो मारूफ़ नातिया ग़ज़ल लिखी जिस के मतलअ में दामन रहमत से वाबस्तगी की उम्मीद दिखाई है_*
🍀✨👉 *शरहे कलामे रज़ा :* *_ऐ बहार ज़ूम जा ! के तुज पर बहारो की बहार आने वाली है। वो देख ! मदीने के ताजदार जानिबे गुलज़ार तशरीफ़ ला रहे है ! मकतअ में बारगाहे रिसालत में अपनी आजिज़ी और बे मिस्किनी का नक्शा यु खीचा है_*
🍀✨👉 *शरहे कलामे रज़ा :* *_इस मकतअ में आशिके माहे रिसालत आला हज़रत अलैरहमा कलामे इन्किसारि का इज़हार करते हुए अपने आप से फरमाते है ऐ अहमद रज़ा ! तू क्या और तेरी हक़ीक़त क्या ! तुझ जेसे तो हज़ारो सगाने मदीना गलियो में यु फिर रहे है !_*
*_🍀✨👉ये ग़ज़ल अर्ज़ करके दीदार के इन्तिज़ार में मुअद्दब बेठे हुए थे के किस्मत अंगड़ाई ले कर जाग उठी और चश्माने सर (यानी सर की खुली आँखों) से बेदारी में ज़ियारते महबूबे बारी से मुशर्रफ हुए_*
*📬 हयाते आला हज़रत, 1/92 📕*
*_🍀✨👉क़ुरबान जाइए उन आँखों पर के जो आलमी बेदारी में जनाबे रिसालत के दीदार से शरफ-याब हुई। क्यू न हो के आप के अंदर इश्के रसूल कूट कूट कर भरा हुवा था और आप_* *”फनाफिर्रसूल”* *_के आला मन्सब पर फ़ाइज़ थे। आप का नातिया कलाम इस अम्र का शाहिद है।..✍_*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 13 📚*
*_📜पोस्ट :- 🅾9⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ* ❞
*•─ ≪◦सीरत की बाज़ ज़लकिया◦≫ ─•*
*_🍀✨👉मेरे आक़ा आला हज़रत अलैरहमा फरमाते है अगर कोई मेरे दिल के दो टुकड़े कर दे तो एक पर لااِلٰهَ اِلَّااللّٰهُ और दूसरे पर مُحَمَّدٌرَّسُوْلُ اللّٰهِ लिखा हुवा पाएगा।_*
*📬 स्वनेहे इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 96 📕*
*_🍀✨👉मशाईखे ज़माना की नज़रो में आप वाक़ई फनाफिर्रसूल थे। अक्सर फिराक मुस्तफा में गमगीन रहते और सर्द आहे भरा करते। पेशावर गुस्ताखो की गुस्ताखाना इबारात को देखते तो आँखों से आसुओ की जड़ी लग जाती और प्यारे मुस्तफा की हिमायत में गुस्ताखो का सख्ती से रद करते ताके वो ज़ुज़ला कर आला हज़रत अलैरहमा को बुरा कहना और लिखना शुरू कर दें। आप अक्सर इस पर फख्र किया करते के बारी तआला ने इस डोर में मुझे नामुसे रिसालत मआब के लिये ढाल बनाया है। तरीके इस्तिमाल ये है के बद गोयों का सख्ती ओर तेज़ कलामी से रद करता हु के इस तरह वो मुझे बुरा भला कहने में मसरूफ़ हो जाए। उस वक़्त तक के लिए आक़ा ऐ दो जहा की शान में गुश्ताखि करने से बचे रहेंगे।_*
*_🍀✨👉आप गरीबो को कभी खाली हाथ नही लौटाते थे, हमेशा गरीबो की इमदाद करते रहते। बल्कि आखिरी वक़्त भी अज़ीज़ों अक़ारिब को वसिय्यत की के गरीबो का ख़ास ख्याल रखना। इन को खातिर दारी से अच्छे अच्छे और लज़ीज़ खाने अपने घर से खिलाया करना और किसी गरीब को मुत्लक न ज़िडकना।_*
*_🍀✨👉आप अक्सर तस्फीन व तालीफ़ में लगे रहते। पांचों नमाज़ों के वक़्त मस्जिद में हाज़िर होते और हमेशा नमाज़ बा जमाअत अदा फ़रमाया करते, आप की खुराक बहुत कम थी।..✍_*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 15 📚*
*_📜पोस्ट :- 1⃣🅾_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ* ❞
*•─ दौराने मिलाद बैठने का अंदाज़ ─•*
*_🍀✨👉मेंरे आक़ा आला हज़रत अलैरहमा महफिले मिलाद शरीफ में ज़िक्र विलादत शरीफ के वक़्त सलातो सलाम पढ़ने के लिये खड़े होते बाक़ी शुरू से आखिर तक अदबन दो जानू बेठे रहते। यु ही वाइज फरमाते, चार पाच घण्टे कामिल दो जानू ही मिम्बर शरीफ पर रहते।_*
*📬 हयाते आला हज़रत, 1/98 📕*
*_🍀✨👉 काश हम गुलामाने आला हज़रत को भी तिलावते क़ुरआन करते या सुनते वक़्त नीज़ इजतिमाए ज़िक्रो नात वगैरा में अदबन दो जानू बैठने की सआदत मिल जाए।_*
*•─ ≪• सोने का मुनफरीद अंदाज़ •≫ ─•*
🍀✨👉 *सोते वक़्त हाथ के अंगूठे को शहादत की ऊँगली पर रख लेते ता के उंगलियों से लफ्ज़* *अल्लाह* *बन जाए। आप पैर फेला कर कभी न सोते बल्कि दाहिनी करवट लेट कर दोनों हाथो को मिला कर सर के निचे रख लेते और पाउ मुबारक समेत लेते, इस तरह जिस्म से लफ्ज़* *मुहम्मद* *बन जाता।*
*📬 हयाते आला हाज़रत, 1/99 📗*
*_🍀✨👉ये है अल्लाह के चाहने वालो और रसूले पाक के सच्चे आशिक़ो की आदाए।..✍_*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 15 📚*
*_📜पोस्ट :- 1⃣1⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ* ❞
*•─ ≪•◦ ट्रेन रुकी रही ◦•≫ ─•*
*_✨🍀👉 हज़रत अय्यूब अली शाह साहिब रहमतुल्लाह अलैह फरमाते हे के मेरे आक़ा आला हज़रत अलैरहमा एक बार पीलीभीत से बरेली शरीफ ब ज़रिआए रेल जा रहे थे। रास्ते में नवाब गन्ज के स्टेशन पर जहां गाडी सिर्फ 2 मिनिट के लिये ठहरती है।_*
*_✨🍀👉 मगरिब का वक़्त हो चूका था, आप ने गाडी ठहरते ही तकबीर इक़ामत फरमा कर गाड़ी के अंदर ही निय्यत बांध ली, गालिबन 5 सख्शो ने इक्तिदा की की उनमे में भी था लेकिन अभी शरीके जमाअत नही होने पाया था के मेरी नज़र गेर मुस्लिम गार्ड पर पड़ी जो प्लेट फॉर्म पर खड़ा सब्ज़ ज़ण्डि हिला रहा था, में ने खिड़की से झांक कर देखा के लाइन क्लियर थी और गाडी छूट रही थी, मगर गाडी न चली और हुज़ूर आला हज़रत ने ब इत्मिनान तीनो फ़र्ज़ रकाअत अदा की और जिस वक़्त दाई जानिब सलाम फेरा था गाडी चल दी। मुक्तदियो की ज़बान से बे साख्ता सुब्हान अल्लाह निकल गया।_*
*_✨🍀👉 इस करामत में काबिले गौर ये बात थी के अगर जमाअत प्लेट फॉर्म पर खड़ी होती तो ये कहा जा सकता था के गार्ड ने एक बुजुर्ग हस्ती को देख कर गाडी रोक ली होगी। ऐसा न था बल्कि नमाज़ गाड़ी के अंदर पढ़ी थी। इस थोड़े वक़्त में गार्ड को क्या खबर हो सकती थी के एक अल्लाह का महबूब बन्दा नमाज़ गाडी में अदा करता है।..✍_*
*📬 हयाते आला हज़रत, 3/189 📕*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 17 📚*
*_📜पोस्ट :- 1⃣2⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ* ❞
*•─ ≪•◦ तसानिफ ◦•≫ ─•*
*_✨🍀👉मेरे आक़ा आला हज़रत ने मुख़्तलिफ़ उनवानात पर कमो बेश 1000 किताबे लिखी है। यु तो आप ने 1286 सी.ही. से 1340 सी.ही. तक लाखो फतवे दिये होंगे, लेकिन अफ़सोस ! के सब नकल न किये जा सके, जो नकल कर लिये गए थे उनका नाम “अल अतायन्न-बइय्यह फिल फतावर्र-ज़वीययह रखा गया। फतावा रज़विय्या (मुखर्र्जा) की 30 जिल्दें है जिन के कुल सफहात : 21656, कुल सुवालात व जवाबात : 6847 और कुल रसाइल : 206 है।_*
*📬 फतावा रज़विय्या मुखर्र्जा 30/10 📕*
*_✨🍀👉 क़ुरआन व हदिष, फिक़्ह, मन्तिक और कलाम वगैरा में आप की वुसअते नजरि का अंदाज़ा आप के फतावा के मुतालाए से ही हो सकता है।_*
*•─ ≪•◦ तर्जमए कुरआन करीम ◦•≫ ─•*
*_✨🍀👉 मेरे आक़ा आला हज़रत ने क़ुरआने करीम का तरजमा किया जो उर्दू के मौजूदा तराजिम में सब पर फोकिय्यत रखता है। तर्जमें का नाम “कन्ज़ुल ईमान” है जिस पर आप के खलीफा हज़रते मौलाना मुहम्मद नईमुद्दीन मुरादाबाद अलैरहमा ने बनामें “खजाइनुल इरफ़ान” और हज़रत मुफ़्ती अहमद यार खान ने “नुरुल इरफ़ान” के नाम से हाशिया लिखा है।..✍_*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 19 📚*
*_📜पोस्ट :- 1⃣3⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ* ❞
*•─ ≪•◦ वफ़ाते हसरत आयात ◦•≫ ─•*
*_✨🍀👉 आला हज़रत अलैरहमा ने अपनी वफ़ात से 4 माह 22 दिन पहले खुद अपने विसाल की खबर दे कर पारह 29 सुरतुद्दहर की आयत 15 से साले इन्तिकाल का इस्तिखराज फरमा दिया था। इस आयत के इल्मे अब्जद के हिसाब से 1340 अदद बनते है और ये हिजरी साल के ऐतिबार से सने वफ़ात है। वो आयत ये है_* *और उन चांदी के बर्तनों और कुंजो का दौर होगा।*
*_✨🍀👉25 सफरुल मुज़फ्फर 1340 ही. मुताबिक़ 28 अक्तूबर 1921 ई. को जुमुअतुल मुबारक के दिन हिन्दुस्तान के वक़्त के मुताबिक़ 2 बज कर 38 मिनट पर, जुमुआ के वक़्त हुवा। اِنَّ لِلّٰهِ وَاِنَّٓ اِلَيْهِ رَاجِعُوْنَ आला हज़रत अलैरहमा ने दाईऐ अजल को लब्बैक कहा आप का मज़ारे पुर नूर अन्वार मदिनतुल मुर्शिद बरेली शरीफ में आज भी ज़ियारत गाहे खासो आम है।..✍_*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 20 📚*
*_📜पोस्ट :- 1⃣4⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ मुख़्तसर तार्रुफ़ आला हज़रत इमाम अहमद रजा ख़ान رحمۃ اللہ علیہ* ❞
*•─ ≪◦दरबारे रिसालत में इन्तिज़ार◦≫ ─•*
*_✨🍀👉 25 सफरुल मुज़फ्फर को बैतूल मुक़द्दस में एक शामी बुज़ुर्ग रहमतुल्लाह अलैह ने ख्वाब में अपने आप को दरबारे रिसालत ﷺ में पाया। सहाबए किराम दरबार में हाज़िर थे। लेकिन मजलिस में सुकूत तारी था और ऐसा मालुम होता था के किसी आने वाले का इन्तिज़ार है, शामी बुज़ुर्ग ने बारगाहे रिसालत ﷺ में अर्ज़ की हुज़ूर ﷺ ! मेरे माँ बाप आप पर कुर्बान हो किस का इंतज़ार है ? आप ﷺ ने इरशाद फ़रमाया हमे अहमद रज़ा का इंतज़ार है। शामी बुज़ुर्ग ने अर्ज़ की हुज़ूर ﷺ ! अहमद रज़ा कौन है ? इरशाद हुवा हिन्दुस्तान में बरेली के बाशिंदे है।_*
*_✨🍀👉 बेदारी के बाद वो शामी बुज़ुर्ग मौलाना अहमद रज़ा की तलाश में हिन्दुस्तान की तरफ चल पड़े और जब बरेली शरीफ आए तो उन्हें मालुम हुवा के इस आशिके रसूल का उसी रोज़ (यानी 25 सफरुल मुज़फ्फर 1340 ही.) को विसाल हो चूका है। जिस रोज़ उन्हों ने ख्वाब में सरकारे आली वक़ारﷺ को ये कहते सुना था “हमे अहमद रज़ा का इंतज़ार है”।..✍_*
*📬 स्वानेहे इमाम अहमद रज़ा, 391📕*
*📬 तज़किरए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 22 📚*
*_📜पोस्ट :- 1⃣5⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
*•─ 1 नमाज़ के लिए 30,000 रुपये ─•*
*_✨🍀👉 आला हज़रात इमाम अहमद रज़ा रहमतुल्लाहि अलैह के आखरी सफर ए हज वो ज़ियारत के मौक़ा पर आप के सब अज़ीज़ और घर वाले आप से पहले मुंबई पहुंच चुके थे। जब आप ने मुंबई जाने का इरादा किया तो मामला यह था के आगरा स्टेशन पर ट्रैन🚊बदलने और सामान मुन्तक़िल करने में फजर की नमाज़ का वक़्त चला जाता था और नमाज़ नहीं मिलती थी। अगरचे यह भी हो सकता था के आगरा में उस ट्रैन को छोड़ दिया जाये और नमाज़ अदा कर लेने के बाद किसी दूसरी ट्रेन में सफर किया जाये लेकिन इस सूरत में वह जहाज़ 🚢 न मिलता जिस में घर के दीगर लोग जा रहे थे।_*
*_✨🍀👉 अब एक ही रास्ता था, वह यह के बरेली शरीफ से सेकंड क्लास का 1 डब्बा 🚋 ही रिज़र्व (बुक) कर लिया जाए। इस सूरत में ट्रैन बदलने की ज़रुरत नहीं होती बल्कि सेकंड क्लास का वह डब्बा ही काट कर मुंबई जाने वाली गाड़ी में जोर दिया जाता और नमाज़ बा-जमात अदा हो जाती। बावजूद यह के आला हज़रत अकेले थे और घर के लोगों में कोई भी साथ न था क्यूँ के वह सब मुंबई रवाना हो चुके थे, सिर्फ एक खादिम हाजी किफ़ायतुल्लाह और एक शागिर्द साथ थे लेकिन 235 रुपये 13 आने जो इस ज़माने के तक़रीबन 30 हज़ार रुपये के बराबर होते हैं, इतनी बड़ी रकम में सेकंड क्लास का एक डब्बा बुक किया गया। आला हज़रत के भाई नन्हे मियाँ ने मुख़ालेफ़त भी की और आला हज़रत अपने दोनों भाइयों को बहुत ज़ियादा चाहते थे और उन की दिल-शिकनी नहीं चाहते थे मगर नमाज़ के मामले में उन की मुखालफत की परवाह न की और इतनी बड़ी रकम खर्च कर के सिर्फ नमाज़ ए फ़जर बा-जमात अदा करने के लिए सेकंड क्लास का डब्बा मुंबई तक रिज़र्व कर के सफर किया। जब आप आगरा पहुंचे और नमाज़ ए फ़जर बा-जमात अदा फर्मा ली तो स्टेशन ही से खत ✉ लिखा के_*
✨🍀👉 *”अल्हम्दु-लिल्लाह! नमाज़ बा-जमात अदा हो गई, मेरे रुपये वसूल हो गए, आगे मुफ़्त में जा रहा हूँ “*
*_✨🍀👉 सुब्हान अल्लाह ! इस के बाद आला हज़रत मुंबई पहुंच कर अपने सब अज़ीज़ों के साथ मिल गए और उसी जहाज़ में रवाना हुए।_*
*_✨🍀👉इस वाक़िअ से हमें ये सबक मिलता है के सिर्फ 1 नमाज़ के लिए सैय्यदुना आला हज़रत ने इतनी बड़ी रकम खर्च की और नमाज़ को उस के वक़्त में बा-जमात अदा किया मगर आज हम में से कितने लोग ऐसे हैं जो कुछ देर की नींद के लिए नमाज़ ए फजर को रोज़ाना क़ज़ा कर देते है।_*
*_✨🍀👉 दूसरा सबक यह मिलता है के सैय्यदुना आला हज़रत के नज़दीक *अगर चलती ट्रैन में नमाज़ जाइज़ होती तो इतनी बड़ी रकम खर्च न करते बल्कि चलती ट्रैन में नमाज़ अदा फरमा लेते मगर आप ने ऐसा नहीं किया और अपने मानने वालों को पैगाम दे दिया के मेरे बाद कोई आये और कुछ कहे, हरगिज़ मेरे फ़तवे और मेरे अमल से न हटना क्यूँ के यही क़ुरान वो सुन्नत के मुताबिक़ है।…✍_*
*कर दी ज़िंदा, सुन्नत ए मुरदा,*
*दींन ए नबी ﷺ फ़रमाया ताजा,*
*मौला मुजद्दिद ए दीनों मिल्लत,*
*मोहिये सुन्नत आला हज़रत*
*_📜पोस्ट :- 1⃣6⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
*•─ सरकार आला हज़रत रहमतुल्लाहि तआला अलैहि मदीना मुनव्वरा में ─•*
*_इसके तुफ़ैल हज भी खुदा ने करा दिए, असले मुराद हाजरी उस पाक दर की है!_*
*_काबा का नाम तक न लिया तैबा ही कहा पूछा था हमसे जिसने की नुहजात किधर की है!_*
*_✨🍀👉 सरकार आला हज़रत रहमतुल्लाहि तआला अलैहि उन शहीदान-ए-महब्बत में है जिनके नज़दीक हाज़री-ए-हरमैन का असल मक़सद आस्ताना-ए-नबुव्वत की ज़ियारत है।_*
*_✨🍀👉 आशिकान-ए-मुस्तफा ﷺ (सल्लल्लाहु त’आला अलैहि वसल्लम) का ऐ’तेक़ाद ये है के अगर ज़ियारत की नियत न हो तो हज-ए-काबा का कोई लुत्फ़ हासिल नहीं और उस हज में कोई जान नहीं जो नियत ज़ियारत से वाबस्ता न हो।_*
*_✨🍀👉चुनांचे सरकार आला हज़रत रहमतुल्लाहि तआला अलैहि ने उस सफर-ए-मुक़द्दस का भी मक़सूद आस्ताना-ए-नबवी की ज़ियारत ही करार दिया था।_*
*_✨🍀👉आप अपनी नातिया तस्नीफ़ हदाईक-ए-बख़्शीश में लिखते हैं के इसके तुफ़ैल हज भी खुदा ने करा दिए असले मुराद हाजरी उस पाक दर की है।_*
*_✨🍀👉”काबा का नाम तक न लिया तैबा ही कहा, पूछा था हमसे जिसने की नुहजात किधर की है।_*
*_✨🍀👉 हदीस शरीफ में है “हर शख्स के लिए वही चीज़ है जिसकी उसने नियत की।” ख़ास-ओ-आम ज़बानज़ाद एक माकुला भी है के “जैसी नियत वैसी बरकत।_*
*_✨🍀👉फिर सरकार आला हज़रत रहमतुल्लाहि तआला अलैहि का ये सफर-ए-मुक़द्दस चूंकि ख़ास हुज़ूर-ए-अक़दस ﷺ (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की ज़ियारत-ए-पाक के लिए था और नियत बिलकुल खालिस थी,_*
*_✨🍀👉इसलिए अल्लाह के प्यारे रसूल ﷺ (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने अपने सच्चे आशिक अहमद रज़ा के लिए दुनयावी हिजाबात हटाकर इस तरह करम फरमाया के अब्दुल मुस्तफ, अहमद रज़ा ने अपने आक़ा व मौला सैयदे आलम ﷺ (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को बेदारी की हालत में अपने सर की आँखों से देखा और ज़ियारत-ए-मुक़द्दस की इस खुसूसी दौलत-इ-कुब्रा व ने’अमत-ए-आज़मा शरफ़याब हुवे।…✍_*
*_🏁 जहां में आम पैग़ामे शाहे अहमद रज़ा कर दे!_*
*_🏁 पलट कर पीछे देखे फिर से तज्दीदे वफ़ा कर दे!_*
*_📜पोस्ट :- 1⃣7⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
*•─ सरकार आला हज़रत अलैहिर्रहमा का अदब ए सादत ए किराम व मुहब्बत ए आले रसूल ﷺ ─•*
*_✨🍀👉हयात ए आला हज़रत में मौलाना ज़फरुद्दीन बिहारी साहब तहरीर फरमाते है ये उस ज़माने की बात है के जब के आला हज़रत के दौलत क़डे की मगरिबी सिम्त में कुतुब खाना तामीर हो रहा था। घर की ख़्वातीन आला हज़रत के क़दीमी आबादी मकान में क़ायाम फर्मा थीं और आला हज़रत का मकान मरदाना कर दिया गया था हर वक़्त राज़ मजदूरो का इजतेमा रहता इसी तरह कई महीनो तक वो मकान मरदाना रहा जिन साहब को आला हज़रत की खिदमत में बर्याबी की ज़रूरत पड़ती बे खटके पहुँच जाया करते जब वो कुतुब खाना मुक़म्मल हो गया तो घर की ख़्वातीन हस्ब ए दरतूर ए साबिक़ उस मकान में चली आयी इत्तेफ़ाक़ वक़्त के एक सय्यद साहब जो कुछ दिन पहले तशरीफ़ लाये थे और जिन्होंने उस मकान को मरदाना पाया था!_*
*_✨🍀👉दोबारा तशरीफ़ लाए और इस ख्याल से के मकान मरदाना है बे तकल्लुफ्फ़ अन्दर चले गए जब निस्फ़ आंगन में पहुंचे तो मस्तुरात की नज़र पड़ी जो जानाना मकान में खंदारी के कामो में मशग़ूल थीं उन्होंने जब सय्यद साहब को देखा तो घबराकर इधर उधर पर्दे में हो गई उन की आहट से जनाब सय्यद साहब को इल्म हुआ के ये मकान जानाना हो गया है मुझ से सख्त गलती हुई है जो मैं चला आया और नदामत के मरे सर झुकाये वापस होने लगे के आला हज़रत दूसरी तरफ के सबन से फ़ौरन तशरीफ़ लाये और जनाब सय्यद साहब को लेकर उस जगह पहुंचे जहां आप तशरीफ़ रखा करते और तस्नीफ़ व तालीफ़ में मशगूल रहते थे।_*
*_✨🍀👉 और सय्यद साहब को बैठा कर बहुत देर तक बातें करते रहे जिस में सैय्यद साहब की परेशानी और नदामत दूर हुई, पहले तो सैय्यद साहब खामोश रहे फिर माज़रत की और अपनी ल इल्मी ज़ाहिर की के मुझे जानाना मकान हो जाने का कोई इल्म न था आला हज़रात ने फ़रमाया के :- ये सब तो आप की बन्दीया हैं आप आक़ा और आक़ाज़दे हैं मआज़रत (मुआफी) की क्या हाजत है मैं खूब समझता हू हज़रात इत्मिनान से तशरीफ़ रखें। गरज़ बहुत देर तक सैय्यद साहब को बैठे कर उन से बात चीत की पान मंगवाया उन को खिलवाया जब देखा के सैय्यद साहब के चेहरे पर असर ए नदामत नहीं और सय्यद साहब ने इजाज़त कही तो साथ-साथ तशरीफ़ लए और बहार के फ़ाटक तक पहुँचा कर उन को रुख्सत फ़रमाया वो दास्त बॉस हो कर रुख्सत हुये।_*
*_✨🍀👉 अज़ीब इत्तेफ़ाक़ के वो वक़्त मदरसा का था और रहीम उल्लाह खान खादिम भी बहार गए हुए थे कोई शक्श बाहर कमरे पर न था जो सय्यद साहब को मकान के जानाना होने की खबर देता। “जनाब सय्यद साहब ने खुद मुझसे बयान फ़रमाया और मज़ाक से कहा हमने तो समझा आज खूब पढ़े मगर “हमारे पठान” ने वो इज्जत व क़द्र की के दिल खुश हो गया वाक़ई मुहब्बत ए रसूल ﷺ हो तो ऐसे हो।…✍_*
*_📕 हयात ए आला हज़रत सफ़ह 291_*
*सुब्हान अल्लाह सुब्हान अल्लाह*
*_सुन्निओं क़ुर्बान जाओ अपने इमाम पर_*
*_बेशक़ इश्क़ हो तो ऐसा हो_*
*_हम सुन्नी फ्हिर क्यों न कहे_*
*_🏁 इश्क़ मुहब्बत इश्क मुहब्बत,_*
*_🏁 अाला हज़रत आला हज़रत_*
*_डाल दी क़ल्ब में अज़मते मुस्तफा_*
*_सय्यदी आला हज़रत पे लाखों सलाम_*
*_🏁 सब उनसे जलने वालो के गुल हो गए चिराग़_*
*_🏁 अहमद रज़ा की सम्मआ फरोज़ां है आज भी_*
*_📜पोस्ट :- 1⃣8⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
*•─ आला हज़रत رحمۃ اللہ علیہ की वसीयत के मेरी क़ब्र को कुशादा रखना ─•*
*_✨🍀👉 आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फ़ाज़िल ए बरेलवी रहमतुल्लाहि तआला अलैह किस शान के आशिक ए रसूल ﷺ थे के आप ने विसाल शरीफ से पहले दफ़न के बारे में ये वसीयत फ़रमाई के मेरी क़ब्र को इतना कुशादा रखना के जब मेरे मुश्फ़िक़ ओ मेहरबान नबी ﷺ मेरी क़ब्र में तशरीफ़ लए तो मैं क़ब्र में अपने प्यारे आक़ा ए करीम ﷺ की ताज़ीम ओ अदब के लिए खड़ा हो सकूं!_*
*_✨🍀👉 आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा फ़ाज़िल ए बरेलवी रहमतुल्लाहि तआला अलैह गोया दुनिया वालो को ये बताना चाहते हैं के जब दुनिया में महफ़िल ए मिलाद वगैरा में हम अपने आक़ा ﷺ की मोहब्बत ओ ताज़ीम में खड़े होकर सलातो सलाम पढ़ते हैं तो जब क़ब्र में प्यारे आक़ा मुस्तफ़ा करीम ﷺ तशरीफ़ फरमा होंगे तो मैं किस तरह क़ब्र में लेटा रहूंगा इस लिए मेरी क़बर को इस क़दर गहरी और कुशादा रखना के हम वहां भी खड़े होकर पढे़!_*
*मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम*
शम्म ए बज़्मे हिदायत पे लाखों सलाम
*हम ग़रीबो के आक़ा पे बेहद दुरुद*
*हम फ़क़ीरों की सरवत पे लाखों सलाम*
*📕 अनवार उल बयान जिल्द 1 सफ़ह 393-394*
*_✨🍀👉 ये है आला हज़रत रहमतुल्लाहि तआला अलैह की सच्ची आशिक़ी मोहब्ब्त अल्लाह व रसूल अल्लाह ﷺ के लिये! इसलिए एक शायर क्या खुब कहता है!..✍_*
*ये वसीयत है एक मुजद्दिद की*
*क़द की मिक़्दार में गहरी मेरी तुरबत होगी*
*उठ सकूँ में पाये अदब फ़ौरन*
*जिस घड़ी कब्र में आक़ा की ज़ियारत होगी*
*_📜पोस्ट :- 1⃣9⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
*•─ इश्क़-ए-रसूलﷺही इमान की जान है ─•*
*_❤अस्सलातु वस्सलामु अलैका या रसूल अल्लाह ﷺ❤_*
*_✨🍀👉 आला हज़रत की तक़रीरों, तेहरीरों और तमाम तसन्निफ़ों का ख़ुलासा ए हस्ब 3 बातें पायी जाती हैं!_*
*_1⃣ ⚘ दुनिया भर की हर एक लाएक़ ए मुहब्बत व मुश्ताहीक ताज़ीम चीज़ से ज़्यादा अल्लाह व रसूल ﷺ की मुहब्बत और ताज़िम_*
*_2⃣ ⚘ अल्लाह और रसूल ﷺ ही की रज़ा के लिए अल्लाह और रसूल ﷺ के दोस्तों से दोस्ती और मुहब्बत_*
*_3⃣ ⚘ अल्लाह और रसूल ﷺ ही की ख़ुशी के लिए अल्लाह और रसूल ﷺ के दुश्मनो से नफ़रत और अदावत_*
*_✨🍀👉आला हज़रत رضي الله عنه अपनी सारी उम्र सारी दुनिया को यही दर्स देते रहें और बताते रहें के मुसलमान के दिल में इन तीनों बातों में से एक बात भी कामिल नहीं तो उसका इमान कामिल नहीं!..✍_*
*_📜पोस्ट :- 2⃣🅾_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
*_✨🍀👉आला हज़रत رضي الله عنه ने अपनी सारी ज़िन्दगी इश्क ए मुस्तफ़ा ﷺ की दौलत तक़सीम करने में लगा दी दुनिया भर के बड़े-बड़े उलेमा और फुक़्हा ने आपको मुजद्दिद तस्लीम किया, कई यूनिवर्सिटी में आप पर रिसर्च हो रही है।_*
*डाल दी क़ल्ब में अज़मत ए मुस्तफ़ा ﷺ*
*सैय्यदी आला हज़रत رضي الله عنه पर लाखों सलाम*
*_✨🍀👉आपके नातिया कलाम की सारी दुनिया में धूम है आज भी और इन्शाअल्लाह सुब्हे क़यामत तक रहेगी, जो लज़्ज़त और इश्क़ ए रसूल ﷺ की गहराई आपके कलाम में पायी जाती है वह बे मिस्लों मिसाल है।_*
*_✨🍀👉आपका लिखा हुवा कलाम “मुस्तफ़ा ﷺ जाने रहमत पर लाखों सलाम” वो कलाम है जो आज दुनिया भर में अज़ान के बाद सब से ज़्यादा पढ़ा जाता है।_*
*🏁 पैग़ाम ए रज़ा 🏁*
हमने समझा न था आपका मर्तबा
*एक वाली ने मगर हम पर एहसान किया*
सुरमा ए इश्क़ आँखों में पहना दिया
*डाल दी क़ल्ब में अज़मत ए मुस्तफ़ा ﷺ*
सैय्यदी आला हज़रत رضي الله عنه पर लाखों सलाम
“`🏁 आला हज़रत है आला मक़ाम आपका
इसलिए सब के लब पर है नाम आपका
🏁 आप बाज़ारे तैबा में जब थे बिके
फिर लगाएगा क्या कोई दाम आपका
🏁 मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम
कितना मशहूर है ये सलाम आपका
🏁 सब से औला वो आला हमारा नबी
कितना मक़बूल है ये कलाम आपका“`
*_📜पोस्ट :- 2⃣1⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
*_✨🍀👉आला हज़रत رضي الله عنه की ज़िन्दगी का हर गोशा इत्तेबाअ ए सुन्नत के अनवार से मुनव्वर थी आपकी ज़ात इत्तेबाअ ए सुन्नत में हज़रत सहाबा ए किराम का नमूना थी।_*
*_✨🍀👉आपने बहुत सी मुर्दाह सुन्नतों को ज़िंदा फ़रमाया उन्हीं में नमाज़ ए जुमुआ की अज़ाने सानी है, जिसको आपने हुज़ूर और खुल्फ़ए राशिदीन की सुन्नत के मुताबिक़ ख़तीब के सामने खरिजे मस्जिद दिलवाने का रिवाज क़ाइम किया।_*
*_✨🍀👉आला हज़रत رضي الله عنه ने सदरुल अफ़ाज़िल मौलाना सय्यद नईमुद्दीन मुरादाबादी से फ़रमाया मौलाना तमन्ना तो ये थी के अहमद रज़ा के हाथ में तलवार होती और सरकार की शान में गुस्ताखी करने वालों की गर्दने होती और अपने हाथ से उन गुस्ताखों का सर क़लम करता , लेकिन तलवार से काम लेना तो अपने इख़्तियार में नहीं हां अल्लाह तआला ने क़लम आता फ़रमाया है।_*
*_✨🍀👉तो मैं क़लम से सख्ती और शिद्दत के साथ इन बे-दीनों का रद्द इस लिए करता हूं ताके हुज़ूरे अक़दस ﷺ की शान में बद-ज़बानी करने वालों को अपने ख़िलाफ़ शदीद रद्द देख कर उनको मुझ पर ग़ुस्सा आए, फिर जल भुन कर मुझे गालियां देने लगें और मेरे आक़ा ﷺ की शान में गालियां बकना भूल जाए। इसी तरह मेरी और मेरे आबा ओ अजदाद की इज़्ज़तो आबरू हुज़ूरे अक़दस ﷺ की अज़मते ज़लील के लिए क़ुर्बान हो जाए…✍_*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
*_📜पोस्ट :- 2⃣2⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
✊🏻یــــــــــــــــــــــــــــا رسول الــــلّٰــــه ﷺ⚘
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
*_✨🍀👉 इमाम अहमद रज़ा ने 1330 हिजरी में क़ुरआने करीम का तर्जुमा फ़रमाया जो कंज़ुल ईमान फी तर्जमतील क़ुरान के नाम से मसहूर है।_*
*अहले ईमान तू क्यों परेशान है*
“`रहबरी को तेरी कंज़ुल ईमान है“`
*हर कदम पर यह तेरा निगेहबान है*
“`या खुदा यह अमानत सलामत रहे“`
*_✨🍀👉उर्दु तर्जुमे क़ुरान की सफ्फ में कंज़ुल ईमान को इम्तियाज़ी हैसियत हासिल है। कंज़ुल ईमान के हुस्ने तर्जुमा पर हुज़ूर मुहद्दिसे आज़म लिखते हैं “जिस की ना कोई मिसाल अरबी ज़ुबान में है ना फ़ारसी में और ना उर्दू में उस का एक एक लफ्ज़ ऐसा है के दूसरा लफ्ज़ उस जगह पर लाया नहीं जा सकता बा ज़ाहिर तो एक तर्जुमा है मगर दर हकीकत क़ुरान की सही तफ़्सीर, बल्कि सच तो यह है के उर्दू ज़बान में क़ुरान है_*
*_✨🍀👉 मौलाना कौसर नियाज़ी – इमाम अहमद रज़ा ने इश्क अफरोज़ और अदब आमोज़ तर्जुमा किया है। यह ईमान परवर तर्जुमा इश्क़े रसूल ﷺ का खजीना और म’आरीफ़े इस्लामी का गंजीना है”।..✍_*
*📬 सवानेहे आला हज़रत 📚*
*_📜पोस्ट :- 2⃣3⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*_👉✨🍀सैय्यदी आला हज़रत رضي الله عنه जब हज और ज़ियारत ए रोज़ा ए रसूल ﷺ के लिए घर से निकले तब बेहतरीन कलाम लिखा जिसका पहला शेर कुछ ऐसे है।_*
*शुक्रे खुदा की आज घड़ी उस सफर की है*
*जिस पर निसार जान फलहो जफ़र की है*
*_✨🍀🙂मदीना शरीफ में रोज़ा_*
*_ए रसूल ए पाक ﷺ और आप के मेम्बर शरीफ के दरमियान जो टुकड़ा जिसको हुज़ूर ﷺ ने जन्नत की कियारी फ़रमाया हैं उस में जब आला हज़रत رضي الله عنه को हाज़री नसीब हुई तो फ़ौरन अल्लाह ﷻ की याद आई और फ़रमाया।_*
*जन्नत में आके नार में जाता नहीं कोई*
*शुक्र खु़दा नवेद नजातो जफ़र की हैं*
*_✨🍀👉इसी तरह आला हज़रत رضي الله عنه को पिराने पीर हुज़ूर गौश ए आज़म رضي الله عنه से बे पनाह अक़ीदत और मुहब्बत थी जो आप के कलम में जगह जगह नज़र आती हैं।_*
*तू घटाये से किसी के ना घटा है ना घटे*
“`जब बढ़ाये तुझे अल्लाह त’आला तेरा“`
*तालब का मुंह तो किस क़ाबिल है या गौस*
“`मगर तेरा करम क़ामिल है या गौस“`
*_✨🍀👉ये हैं आला हज़रत رضي الله عنه की सच्ची आशिकी, मुहब्बत अल्लाह व रसूल ﷺ और अल्लाह ﷻ के नेक मुक़र्रब बंदो के लिये।…✍_*
“`✨🍀👉इसीलिये एक शायर क्या खुब लिखते हैं।“`
*🏁 जो सुन्नियत की शान है जो काम का इमाम है*
*🏁 नबी ﷺ का जो गुलाम है रज़ा उसी का नाम है* *📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍
*_📜पोस्ट :- 2⃣4⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*_✨🍀👉हुज़ूर ﷺ की ताज़ीम और उनकी औलाद से मुहब्बत और उनसे जुडी़ हर चीज़ से बे-पनाह मुहब्बत यही आला हज़रत رضي الله عنه का मक़सद ए ज़िन्दगी था और यही सच्चे आशिके ए रसूल ﷺ की पहचान है आला हज़रत رضي الله عنه अपने इल्म अमल और इश्क़ ए रसूल ﷺ की बिना पर पहचाने जाते हैं वो ऐसे आशिके ए रसूल ﷺ थे जिसकी मिसाल दुनिया पेश नहीं कर सकती_*
*_✨🍀👉आला हज़रत رضي الله عنه फ़रमाते है हुज़ूर ﷺ की अदना सी गुस्ताखि करने वाला तुम्हारा कैसा ही अज़ीज़ क्यों न हो उससे दिल से ऐसे निकल फेको जैसे दूध से मक्खी इश्क ए रसूल ﷺ ने आप को वो ताकत अता की थी जिस्से आप किसी दुनियादार से न डरे न दबे जो हक़ था वो फ़रमाया चाहे अच्छा लगे या बुरा ओर फ़रमाते है,_*
*जिनके तलवो को धोवन है आबे हयात*
*है वो जाने मसीहा हमारा नबी ﷺ*
*_✨🍀👉और आला हज़रत رضي الله عنه की बद-मज़हबों के लिए सख्ती के इस अंदाज़ को हुज़ूर ताजुश्शरीअा मद्दज़िल्लाहुल आली आगे बढ़ाते हुए अपने कलाम में फ़रमाते हैं,_*
*नबी ﷺ से जो हो बेगाना*
उसे दिल से जुड़ा करदे
*पिदर मादर बिरादर माल ओ जा’न*
उन पर फ़िदा कर दे!
*_✨🍀👉और यही मसलक ए अहले सुन्नत है जिसे आज के दौर में पहचान के लिए मसलक ए आला हज़रत कहा जाता है_*
*_🤲🏻 ⚘ अल्लाह रब्बुल इज़्ज़त अपने प्यारे हबीब कुल जहां के मुख़्तार जनाब ए अहमद ए मुजतबा मुहम्मद मुस्तफ़ा ﷺ के सदके हमें और हमारी आने वाली नस्लों को इसी हक़ मसलक पर ज़िन्दगी दे और इसी हक़ मसलक पर हमारा खत्म बिल खैर हो।_* *آمین بجاه شفیع المذنبین ﷺ*
*📮पोस्ट जारी रहेगी इन्शा अल्लाह…✍🏼*
*_📜पोस्ट :- 2⃣5⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*_✨🍀👉आला हज़रत علیہ رحمہ कभी हदीस शरीफ की किताब पर कोई किताब न रखते आप नमाज़ हमेशा मस्जिद में अदा करते और_* *”अमामा”* *_शरीफ के साथ अदा फ़रमाते_*
*नज्द के चले जब कर रहे थे*
दीने हक़ की गलत तर्जुमानी
*कर दिया आ’ला हज़रत ने मेरे*
दूध का दूध पानी का पानी
*_✨🍀👉जब कोई हाजी आला हज़रत علیہ رحمہ के पास आता तो पूछते क्या मदीना शरीफ हाज़िरी दी? हां कहता तो क़दम चूम लेते और न कहता तो उसकी तरफ तवज्जोह न फ़रमाते।…✍_*
*_📜पोस्ट :- 2⃣6⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*_✨🍀👉ख़ात्मे नुबूवत के हवाले से सरकार आला हज़रत फ़ाज़िल ए बरेलवी रहमतुल्लाह अलैह फतावा रज़विया की जिल्द 6 के सफ़ह 42 पे गुस्ताख़े रसूल की बुहत छोटी सी किस्म बयान की है! एक मस्जिद के इमाम ने कहा की मैं हुज़ूर से नहीं मांगता क्यों की वो पर्दा कर गए अब उनसे नहीं मांगता। (माज़’अल्लाह)।_*
*_✨🍀👉 ये सुन के मुक़्तदी ने उसको गुस्ताखे रसूल माना फिर उससे तमाम रिश्ता खत्म कर अपनी मस्जिद अलग बना के अपनी नमाज़ शुरू की फिर इमाम ने माफ़ी मांगी की मैं ग़लती पे था पर। उस मुक़्तदी ने माफ़ न किया।_*
*_✨🍀👉सरकार अला हज़रत फ़रमाते है मुक़्तदी ने माफ़ नहीं किया की ये उसका हक़ नहीं यानी वो मुक़्तदी चाहे तो भी माफ़ नहीं कर सकता ये हक़ तो सिर्फ हुज़ूर ﷺ को है यानी ऐसे की भी तौबा माफ़ी भी क़ाबिल ए फ़िक्र नहीं!..✍🏻_*
*🇸🇦 तजदार ए ख़ात्मे नुबुव्वत ज़िन्दाबाद 🇸🇦*
*_📜पोस्ट :- 2⃣7⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हजरत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*_✨🍀👉प्रोफेस्सर डॉक्टर अबुलखैर कसफी फ़रमाते है के इमाम अहमद रज़ा के बारे में एक वाक़िआ जिसने मेरे क़ल्ब में बहुत गहरा असर डाला के वो ये है के जो शख़्स बरैली शरीफ में हज अदा करके और नबी ए करीम ﷺ के दायार की ज़ियारत के बाद वापिस लौटता तो_*
*_आला हज़रत अपनी अज़मत व अला मनसब के वाबजुद उसके पास जाते थे और उसके क़दमो को अपने रूमाल से साफ़ करते थे। इस लिए के क़दमो ने दायार ए पाक के ज़र्रों को बोसा दिया था।..✍🏻_*
*हरम की ज़मी और क़दम रख के चलना*
*अरे सर का मौक़ा है ओ जाने वाले*
*_📜पोस्ट :- 2⃣8⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*•─ इश्क़-ए-रसूल ﷺ ही इमान की जान है ─•*
*_✨🍀👉 ईमाम अहमद रज़ा फ़रमाते हैं एक बार रमज़ान-उल-मुबारक में में सख़्त बीमार हो गया लेकिन कोई रोज़ा न छूटा अल्हम्दुलिल्लाह रोज़ो ही की बरकत से अल्लाह त’आला ने मुझे सेहत आता फ़रमाई और सेहत क्यों न मिलती के सईद-उल-महबूबीं सल्लल्लाहु अलैहे व सल्लम का इरशाद मुबारक तो है_*
*صُوْمُوْا تَصَحُّوا*
*_✨🍀👉_* *यानि* : *_”रोज़ा राखो सेहत-याब (तंदरुस्त) हो जाओगे।”…✍_*
*_📜पोस्ट :- 2⃣9⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*•─ बारिश में तवाफ़ ─•*
सुन्नियो उन से मदद मांगे जाओ
*पड़े बकते रहते हैं बकने वाले*
शाम ए याद ए रुख ए जानन न बुझे
*खाक़ हो जाए भड़कने वाले*
*_✨🍀👉इमाम अहमद रज़ा जब दूसरी मर्तबा हज पर गए तो वहा तबीयत खराब हो गायी। मुहर्रम के आखरी दिनों में तबीयत ठीक हुवी तो आप ने हमाम(बाथरूम) में ग़ुस्ल फ़रमाया। बाहर आया तो क्या देखते है के घटा छा गायी हरम शरीफ तक पहुँचते-पहुँचते बारिश शुरू हो गायी। म’आन आप को एक हदीस याद आ गयी क “जो बारिश मई तवाफ़ करे वो रहमत-ए-इलाही में तैरता (स्विमिंग करता) है_*
*_✨🍀👉आप रहमतुल्लाह अलैहे ने उसी वक़्त हजर-ए-अस्वद को बोसा दिया और तवाफ़ शुरू कर दिया। चुनांचे सर्दी की वजे से बुखार फिर लोट आया। ये कैफ़ियत देख कर मौलाना सईद इसमाईल साहब ने फ़रमाया “मौलाना ! आप ने एक ज़’ईफ हदीस के लिए अपनी जान को तकलीफ दी है_*
*_✨🍀👉इमाम अहमद रज़ा ने जो जवाब दिया वो भी आब-ए-ज़र से लिखने के क़ाबिल है फ़रमाया हज़रत हदीस अगरचे ज़’ईफ है लेकिन अल्लाह त’आला से उम्मीद तो कवि है_*
*_✨🍀👉 इस मज़मून को दुबारा से पढ़े और आला हज़रत के इश्क़-ए-कामिल, इल्म-ए-रासिख और अपने आक़ा अलैहिस्सलाम की अहादीस ओ इरशादात पर यक़ीन ओ अमल का अंदाजा फरमाये!…✍🏻_*
*⚘ सुब्हान अल्लाह ⚘ माशा अल्लाह ⚘*
*📬 हयात-ए-आला हज़रत 📚*
*_📜पोस्ट :- 3⃣🅾_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~~-~-~*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*_✨🍀👉मेरे आक़ा आला हज़रत सरापा इश्क़-ए-रसूल ﷺ का नमुना थे! आप का नातिया कलाम_* *हदाइके बख़्शिश शरीफ़* *इस अमर का शहीद है।आप की नोक-ए-कलाम बाल की गहराई-ए-क़ल्ब से निकला हुआ हर मिसरे आप की सरवर आलम ﷺ से बे पायन अक़ीदतो मोहब्बत की शाहदत देता है।_*
*_✨🍀👉आप ने कभी किसी दुन्यावी तजदार की ख़ुशामद के लिए क़सीदाह नहीं लिखा इस लिए के आप ने हुज़ूर ताजदारे रिसालत ﷺ की इताअत और ग़ुलामी को दिलों जान से क़बूल कर लिया था इस का इज़हार आप ने इस तरह फ़रमाया_*
*उन्हें जाना उन्हें मना ना रखा ग़ैर से काम*
*लिल्ला हिल्हम्द मैंदुन्या से मुस्लमान गया*
*_🤲🏻 ⚘ अल्लाह तआला हमें भी सच्चा आशिक़ ए रसूल बनाये और सच्चे आशिक़ ए रसूल की सोहबत अता फ़रमाये आमीन!…✍🏻_*
*_📜 पोस्ट:-3⃣1⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*
*🇨🇨⭐ शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•─────••
*_✨🍀👉🏻 एक मर्तबा रियासत नानपारा (जिला बहराइच यु. पी.) के नवाब की तारीफ़ में शोअरा ने क़सीदाह लिखें कुछ लोगो ने आप से भी गुजारिश की के हज़रत आप भी नवाब साहिब की तारीफ़ में कोई क़सीदाह लिख दे आप ने इस के जवाब में एक नात शरीफ लिखी जिस का मतला ये है_*
*वोह कमाले हुस्ने हुज़ूर है कि गुमाने नक़्स जहां नहीं*
*यही फूल ख़ार से दूर है यही शमअ है कि धुवां नहीं*
📔👉🏻 मुश्किल अलफ़ाज़ के माना : *कमाल = पूरा हुआ।* नक्स = खामी, *खार = काटा*
*_✨🍀👉🏻 मेरे आक़ा महबूबे रब्बे जुल जलाल का हुस्नो जमाल दर्जा कमाल तक पहुचता है, यानी हर तरह से कामिल व मुक़म्मल है इस में कोई खामी होना तो दूर की बात है, खामी का तसव्वुर तक नहीं हो सकता, हर फूल की शाख में काटे होते है मगर गुलशने आमिना का एक यही महकता फूल ऐसा है जो काटो से पाक है, हर शमअ में ऐब होता है के वो धुंआ छोड़ती है मगर आप बज़्मे रिसालत की ऐसी रोशन शमअ है के धुआ (यानी हर तरह) से बे ऐब है।…✍🏻_* *📬 तज़किरा ए इमाम अहमद रज़ा सफ़ह 11 📚*
*_📜 पोस्ट:-3⃣2⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*_✨🍀👉🏻 आला हज़रत के मिज़ाज़ तकरीर-तहरीर में जो सख़्ती थी वो सिर्फ़ हुज़ूर के गुस्ताखो के लिए हुज़ूर के वफ़ादारो के लिए तो आप अब्रे-करामते आला हज़रत का जाहिर-ओ-बातिन एक जैसा था जो दिल में होता वही ज़ुबान से ज़ाहिर फ़रमाते आपकी किसी से दोस्ती दुश्मनी सिर्फ़ अल्लाह-ओ-रसूल के लिए होती_*
*_✨🍀👉🏻 एक राफ्ज़ी (शिया) हैदराबाद से हुज़ूर आला हज़रत को मिलने आया आपने उसकी ज़ानिब देखना भी पसन्द न फ़रमाया चुकी वो सहाबा का गुस्ताख़ था। जब आला हज़रत के यहां “महफ़िल ए मिलाद” होती तो आप सय्यदों को दूगना “नज़राना” अता फ़रमाते। आला हज़रत हमेशा सय्यदों का ऐहतराम फ़रमाते थे आप मूरीद भी हुए तो “मारहरा शरीफ” में हुज़ूर सय्यद आले रसूल अहमदी से हुए। आला हज़रत के पीर ने फ़रमाया क़यामत में अल्लाह तआला पूछेगा अए आले रसूल तू क्या लाया है मैं कहुंगा। अल्लाह तआला मैं अहमद रज़ा (आला हज़रत) लाया हूं।..✍🏻_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*रोज़े महशर अगर मुझसे पुछे खुदा*
के बोल आल ए रसूल तू लाया है क्या
*तोह अर्ज़ कर दूंगा लाया हूं अहमद रज़ा*
🇵🇰💫 या ख़ुदा यह अमानत सलामत रहे💫🇵🇰
🇵🇰💫 मसलक ए अला हज़रत सलामत रहे 💫🇵🇰
*_📜पोस्ट:-3⃣3⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*_🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*_✨🍀👉🏻 मेरे आक़ा आला हज़रत का हर अमल अल्लाह और उसके रसूल के रिज़ा के लिए होती।आपने लोगो को गुस्ताखे रसूल से दूर रहने के लिए बारहा ऐलान करते और लोगों को ख़ूब समझाते थे की हुज़ूर ﷺ की अदना सी गुस्ताखि करने वाला तुम्हारा कैसा ही अज़ीज़ क्यों न हो। उसे दिल से ऐसे निकाल फेंको जैसे दूध से मक्खी!_*
*_✨🍀👉🏻 इश्क़-ए-नबी ﷺ ने आला हज़रत को वो ताक़त अता की थी जिससे आप किसी दुनियादार से न डरे न दबे। जो हक़ था फरमा दिया चाहे अच्छा लगे न लगे! आप अलैहिर रहमा फ़रमाते हैं :_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*क्या दबे जिस पे हिमायत का हो पंजा तेरा*
*शेर को खतरे में लाता नही कुत्ता तेरा*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
🤲🏻🇵🇰 अल्लाह तआला हमें भी सच्चा आशिक ए रसूल बनाये और सच्चे आशिक ए रसूल की सोहबत अता फरमाए *आमीन*…✍🏻
*_📜पोस्ट:-3⃣4⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*•─ इश्क़-ए-रसूल ﷺ ही इमान की जान है ─•*
*_✨🍀👉🏻 इमाम ए अहले सुन्नत मुजद्दिद ए दीन ओ मिल्लत आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खान رضي الله عنه दूसरी मर्तबा जब ज़ियारते हरमैन शरीफ़ैन के लिए मदीना तय्यबा में हाज़िर हुए, तो शौके दीदार में मुवजाहे शरीफ के सामने खड़े हो कर रोते रहे_*
*_✨🍀👉🏻 दुरूद ओ सलाम पेश करते रहे और यह उम्मीद लगाए खड़े रहे के आज हुज़ूर ज़रूर निगाहें करम फरमायेंगे और अपनी ज़ियारत से ज़रूर मुशर्ऱफ फरमायेंगे ।_*
✨🍀👉लेकिन उस शब ज़ियारत न हो सकी। आपका दिल बहुत टूटा और उसी टूटे हुए दिल के साथ एक कलाम आपने लिखा
जिस के पहले चंद अश’आर यह है
*_✨🍀👉🏻 इसी मक़्ता में अपनी क़ल्बी आरज़ू पूरा न होने की तरफ इशारह करते हुए बड़ी अज़जी व इंकिसारी के साथ दर्द भरे अंदाज़ में आप ने फ़रमाया।_*
*कोइ क्यों पुछे तेरी बात रज़ा*
*तुझसे कुत्ते हज़ार फिरते हैं*
*_✨🍀👉🏻 ये नात लिख कर मुवजाहे शरीफ के सामने दास्त बस्ता खड़े होकर अपनी क़ल्बी कैफ़ियत हुज़ूर के सामने अर्ज़ कर दी।_*
*_फिर आक़ा ने करम फ़रमाया और ऐसा करम फ़रमाया के आलमे खवाब में नहीं बलके आलमे मुशहीदह में बचश्मे सर बेदारी की हालात में उसी रात अपनी ज़ियारत से मुशर्ऱफ कर दिया_*
*🌹 सुब्हान अल्लाह सुब्हान अल्लाह 🌹*
*_✨🍀��🏻 फिर आला हज़रत ने अपने इसी चैन और क़रार को अपने एक शेर में यूं बयान फ़रमाया।_*
*एक तेरे रुख़ की रौशनी चैन है दो जहां कि*
*अनस का अनस उसी से है जान की वो ही जान है* *📤 सवानेहे आला हज़रत 📚*
*_📜पोस्ट:-3⃣5⃣_*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*
*🇨🇨⭐शान ए आला हजरत رحمۃ اللہ علیہ🇨🇨⭐*
*-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-~-*
*❝ आला हज़रत का इश्क़ ए रसूल ﷺ* ❞
••──────•◦❈◦•──────••
*•─ इश्क़-ए-रसूल ﷺ ही इमान की जान है ─•*
*मालिक ए कोनैन है जो पास कुछ रखते नहीं*
*दो जहां की नेमतें है उनके खाली हाथ में*
*_✨🍀👉🏻 एक बार हज़रत मौलाना सैय्यद शाह इस्माइल हसन मियाँ ने आप से एक दुरूदे पाक लिखवाया, जिस मैं हुज़ूर सैय्यदे आलम ﷺ की सिफ़त के तौर पर लफ्ज़ हुसैन और ज़ाहिद भी था।_*
*_✨🍀👉🏻 आला हज़रत ने दुरूदे पाक तो लिख दिया मगर यह दो लफ़ाज़ तहरीर न फरमाया और फरमाया की लफ्ज़ हुसैन में छोटा होने के माना पे जाते हैं और जाहिद उसे कहते हैं जिस के पास कुछ न हो। (हालांकि हज़ूर ﷺ तो हर चीज़ के मालिक मुख़्तार हैं लिहाजा) हुज़ूर ए अकदस ﷺ की शान में इन अलफ़ाज़ का लिखना मुझे अच्छा मालूम नहीं होता!…✍🏻_*
*📤 इमाम अहमद रज़ा और इश्क ए मुस्तफ़ा ﷺ सफ़ह 295 📚*
🇵🇰💫खुदा तौफ़ीक़ दे मुझ को तो ये काम करना है🇵🇰💫
*🇵🇰💫 ज़माने भर में पैग़ाम ए रज़ा को आम करना है🇵🇰💫*