Elahi Zindagi Yun Hi Basar Ho Lyrics

Elahi Zindagi Yun Hi Basar Ho Lyrics

 

 

Elahi Zindagi Yun Hi Basar Ho Lyrics In Hindi And English| इलाही ज़िन्दगी यूं ही बसर हो मुनाजात लिरिक्स

Elahi Zindagi Yun Hi Basar Ho

Elahi Zindagi Yun Hi Basar Ho,
Nabi ﷺ Ka Dard Ho Mera Jigar.

 

Meri Aahoñ Meiñ Bhi Itna Asar Ho,
Yahañ Tadpuñ Madine Meiñ Khabar Ho.

 

Mere Maula Mujhe Wo Din Dikha De,
Nabi ﷺ Ka Aastañ Ho Mera Sar Ho.

 

Chala Jaauñ Ghubaar-E-Raah Ban Kar,
Jo Qismat Meiñ Madine Ka Safar.

 

Ghulamoñ Ki Khabar Rakhte Hain Aaqa ﷺ,
Wo Aaqa Hi Nahi Jo Be Khabar Ho.

 

Meri Ulfat Mujhe Kaafir Bana De,
Siwa Tere Koi Dil Meiñ Agar Ho.

 

Mujhe Aaqa ﷺ Ataa Aisi Nazar Ho,
Maiñ Dekhooñ Jis Taraf Tu Jalwa Gar Ho.

 

Mujhe Kya Kaam Hai Dair-O-Haram Se,
Mera Sajda Udhar Hai Tu Jidhar Ho.

 

Mujhe Sara Jahañ Apna Kahega,
Meri Janib Agar Teri Nazar Ho.

 

Sarapa Bandagi Wo Zindagi Hai,
Khyal-E-Mustafa ﷺ Mein Jo Basar Ho

 

Nahiñ Iske Siwa Koi Tamanna,
Jab Aaye Maut Tu Pesh-E-Nazar Ho.

 

Yehi Bas Aarzu Hai Ya Ilahi,
Jamaal-E-Yaar Ho Meri Nazar Ho.

 

Bula Lo Aaqa ﷺ Deewane Ko Dar Par,
Ye Ho Kar Aapka Kyun Dar-Ba-Dar Ho.

Elahi Zindagi Yun Hi Basar Ho

Qawwal: Zulfiqar Ali Mubarak Ali

 

इलाही ज़िन्दगी यूं ही बसर हो

इलाही ज़िन्दगी यूं ही बसर हो,
नबी ﷺ का दर्द हो मेरा जिगर हो।

 

मेरी आहों में भी इतना असर हो,
यहां तड़पूं मदीने में ख़बर हो।

 

मेरे मौला मुझे वो दिन दिखा दे,
नबी ﷺ का आस्तां हो मेरा सर हो।

 

चला जाऊं ग़ुबार-ए-राह बन कर,
जो क़िस्मत में मदीने का सफ़र हो।

 

ग़ुलामों की ख़बर रखते हैं आक़ा ﷺ,
वो आक़ा ही नहीं जो बे ख़बर हो।

 

मेरी उल्फ़त मुझे काफ़िर बना दे,
सिवा तेरे कोई दिल में अगर हो।

 

मुझे आक़ा ﷺ अ़ता ऐसी नज़र हो,
मैं देखूं जिस तरफ़ तू जल्वागर हो।

 

मुझे क्या काम है दैर-ए-ह़रम से,
मेरा सज्दा उधर है तू जिधर हो।

 

मुझे सारा जहां अपन कहेगा,
मेरी जानिब अगर तेरी नज़र हो।

 

सरापा बंदगी वो ज़िंदगी है,
ख़याल-ए-मुस्तफ़ा ﷺ में जो बसर हो।

 

नहीं इसके सिवा कोई तमन्ना,
जब आए मौत तू पेश-ए-नज़र हो।

 

यही बस आरज़ू है या इलाही,
जमाल-ए-यार हो मेरी नज़र हो।

 

बुला लो आक़ा ﷺ दीवाने को दर पर,
ये होकर आपका ﷺ क्यूं दर-बदर हो।

इलाही ज़िन्दगी यूं ही बसर हो

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