Qawwali Lyrics Hindi

Qawwali Lyrics Hindi

Ham is kuche mein jab tak jaan hai lyrics

ख़ुदा वालों के घर को हम ख़ुदा का घर समझते हैं
तुम्हारे दर को या पीर मुस्तफ़ा का दर समझते हैं

हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे
मरेंगे भी तो इनकी ख़ाक़ में मिलने को आयेंगे

तेरी उल्फ़त में मर मिटना, शहादत इसको कहते हैं
तेरे कूचे में होना दफ़्ना, जन्नत इसको कहते हैं
रियाज़त नाम है, तेरी गली में आने जाने का
तस्व्वुर में तेरे रहना, इबादत इसको कहते हैं
तुझी को देखना, तेरी ही सुनना, तुझ में गुम होना
हक़ीक़त मारफ़त, अहले तरीक़त इस को कहते हैं

हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे
हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे

दिल कहीं भी ना लगा तेरे कूचे के सिवा ×4
चैन मुझको ना मिला तेरे कूचे के सिवा ×2

ऐ खुदा लगती यहीं! हमने देखी न सुनी
ऐसी पुरकैफ़ फ़िजा तेरे कूचे के सिवा
हाल ए दिल अर्ज़ करूँ
तेरी ख़िदमत में रहूं
मेरी ना आये क़ज़ा तेरे कूचे के सिवा

हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे
हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे

वो ही कुछ हुस्न के जल्वों का पूरा लुत्फ़ पाते हैं
जो अपने दिल को ख़ुद इक मुस्तकिल काबा बनाते हैं
मोह़ब्बत हो अगर सच्ची तो ऐसे दिन भी आते हैं
वो अपने नाज़-बरदारों के खुद भी नाज़ उठाते हैं
शराब ए अबदियत हर पीने वाले को नहीं पचती
ये वो मय है के जिसको ज़र्फ़ वाले ही पचाते हैं।

मन्दिर में नहीं, मस्जिद में नहीं, मकतब में नहीं
माबद में नहीं
सुनते हैं किताब ए इ़श्क़ तेरे कूचे में पढ़ाई जाती है
हम दिल में बिठाकर उस बुत की
हर वक़्त परसतिश करते हैं

अल्लाह रे तस्वीरे जाना काबे में सजाई जाती है
अफ़लाक़ से खैंची जाती है सीनों में छुपाई जाती है
तौहीद की मय सागर से नहीं आंखों से पिलाई जाती है

ये वो मय है के जिसको ज़र्फ़ वाले ही पचाते हैं
जो उस पर मर मिटे, उनसे हज़ारों फ़ैज़ पाते हैं
उन्हें मुर्दा न समझो वो तो मुर्दों को जिलाते हैं

हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे
हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंग

अगर कुछ पाना है तो फिर किसी का बनना पड़ता है
किसी अहले नज़र अहले बशर से मिलना पड़ता है
सलीक़ा मांगने का है तो मांगो अपने मुर्शिद से
अगर मुर्शिद जो अड़ जाएं ख़ुदा को देना पड़ता है।

हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे
हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे

तसद्दुक फ़ातिमा ज़हरा का हो कुछ आले अतहर का,
मुहईयुद्दीन, मोईनुद्दीन का सदक़ा ले के जायेंगे।

मैं जिनका हूँ उन्हीं को फ़िक्र है हर काम की मेरे,
मेरे यूसुफ़ शरीफ़ुद्दीं मेरी बिगड़ी बनायेंगे।

हमारी आरज़ू तुम हो सलामत तुम रहो, बस है

सलामत तुम रहो बस है
हां हां सलामत तुम रहो बस है
आ हे सलामत तुम रहो बस है

चमन ए के ता क़यामत गुले ऊ बहार वादा
सनम ए के बर जमाल अश दो जहाँ निसार वादा

सलामत तुम रहो बस है

सलामत तुम रहो बस है

कम होगीं जब चराग़ ए मोह़ब्बत की रौशनी
दिल को जला जला के उजाला करेंगे हम
जोश ए जुनूं में चीखेंगे चिल्लायेंगे मगर
लब पर किसी का नाम न लाया करेंगे हम
दिल को, जिगर को, जान को बारा करेंगे हम
तेरी सलामती का उतारा करेंगे हम।

सलामत तुम रहो बस है
सलामत तुम रहो बस है

जचता मेरी नज़र में कोई नाज़नीं नहीं
जब से वो दिल नशीं है कोई दिलनशीं नहीं
ऐसा हसीन कोई ख़ुदा की क़सम नहीं
जैसा मेरा सनम है किसी का सनम नहीं।

सलामत तुम रहो बस है
सलामत तुम रहो बस है

हमारी आरज़ू तुम हो सलामत तुम रहो बस है
हमारा क्या है हम सरकार के कुरबान जायेंगे।

हमारा क्या है हम सरकार के कुरबान जायेंगे
हमारा क्या है हम सरकार के कुरबान जायेंगे

हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे
हम इस कूचे में जब तक जान है आएंगे-जाएंगे

तू फ़ैज़ का दरिया है तू रहमत रहमत है

तू फ़ैज़ का दरिया है तू रहमत रहमत है,
जो कुछ भी मिला मुझको सब तेरी बदौलत है।

ये सच है के मैं क्या हूं, क्या मेरी हक़ीक़त है,
क़तरा ही सही लेकिन दरिया से तो निसबत है।

मैं ख़ूब समझता हूं क्या मेरी हक़ीक़त है,
क़तरा ही सही लेकिन दरिया से तो निसबत है।

ये जितनी भी दौलत है, सब तेरी बदौलत है,
ये जितनी भी शोहरत है,सब तेरी बदौलत है।

इस दिल के बहलने की अब एक ही सूरत है,
तुम हंस के ज़रा कह दो, हां तुझसे मोहब्बत है।

दे दी है सनद मुझको ख़्वाजा की ग़ुलामी की,
मुर्शिद का करम है ये मुर्शिद की इनायत है।

आज़ाद ये जान-व-दिल ईमान-व-यक़ीं मोहकम,
जो कुछ है मेरे मुरशिद सब तेरी बदौलत है।

ये सारा जहां तेरी निकहत का है शैदायी,
मैं ख़ार सही लेकिन इक फूल से निस्बत है।

मैं एक क़यामत का पाबंद रहूं कैसे,
जिस दिन न तुम्हें देखूं उस दिन ही क़यामत है।

उठ कर तेरे कूचे से जाएं तो कहां जाएं,
आक़ा तेरा आंगन तो दीवानों की जन्नत है।

चाहा है तुझे मैंने तुझसे ही मोहब्बत है,
ऐ यार मुझे तेरी हर वक़्त ज़रूरत है।

उस हुस्न ए मुकम्मल से मानूस तबीयत है,‌
सूरत भी नहीं देखी और फिर भी मोहब्बत है।

मेरा गदा मेरा मंगता मेरा ग़ुलाम आए

मेरा गदा मेरा मंगता मेरा ग़ुलाम आए
ख़ुदा करे कभी तैयबा से ये पयाम आए।

दुरूद सैयद ए कौनैन के वसीले से
मेरी ज़ुबान पे आक़ा तेरा ही नाम आए।

मैं इस यक़ीन से आया हूं उनके रौज़े से,
वो फिर कहेंगे के वापस मेरा ग़ुलाम आए।

ग़ुलाम ए ज़हरा हूं, मैं तो अली का नौकर हूं
हमेशा पंज्तनी निस्बत ही मेरे काम आए।

मैं देखता ही रहूं बस तुम्हारे रौज़े को
जनाब ए ज़हरा का सदक़ा कोई ऐसी शाम आए।

मुझे ए’जाज़ ये काफ़ी है ऐ मेरे आक़ा
तुम्हारे दर के ग़ुलामों में मेरा नाम आए।

हसन हुसैन का देता है वास्ता ” मिस्कीं ”
फ़क़ीर ए आल ए मुहम्मद ﷺ मेरा नाम आए।

Le Lo Salam Aaqa Lyrics

या सैयदी ह़बीबी ख़ैरुल अनाम आक़ा
अपने सलामियों का ले लो सलाम आक़ा

आये हैं हाथ खाली भर दो हुज़ूर ए आ़ली
मांगे हैं आज तुम से मंगतों की खस्ता हाली
रह़मत की सुबहा आक़ा,रह़मत की शाम आक़ा

या सैयदी ह़बीबी ख़ैरुल अनाम आक़ा
अपने सलामियों का ले लो सलाम आक़ा

या रसूलुल्लाह… सल्ले अ़ला या ह़बीबी

तुम से ज़्यादा प्यारी जां भी नहीं हमारी
दोनो जहाँ मिले हैं दहलीज पर तुम्हारी
आक़ाईयां हुई हैं तुम पर तमाम आक़ा

या सैयदी ह़बीबी ख़ैरुल अनाम आक़ा
अपने सलामियों का ले लो सलाम आक़ा

रसूलुल्लाह… सल्ले अ़ला या ह़बीबी

एहसास में जड़े हैं मुजरिम बने खड़े हैं
शर्मिंदा भी बहुत हैं मुश्ताक़ भी बड़े हैं
हमको मुआ़फ़ कर दो हम हैं ग़ुलाम आक़ा

या सैयदी ह़बीबी ख़ैरुल अनाम आक़ा
अपने सलामियों का ले लो सलाम आक़ा

रसूलुल्लाह… सल्ले अ़ला या ह़बीबी

आप इस तरह तो होश उड़ाया न कीजिए

आप इस तरह तो होश उड़ाया न कीजिए
आप इस तरह तो होश उड़ाया न कीजिए
यूं बन-संवर के सामने आया न कीजिए।

या आदमी को सर पे बिठाया न कीजिए
या फिर नज़र से उसको गिराया ना कीजिए।

यूं मधभरी निगाह उठाया न कीजिए
पीना हराम है तो पिलाया न कीजिए।

कहिए तो आप महव हैं किसके ख़याल में
हम से तो बात दिल की छुपाया न कीजिए।

तेग़ ए सितम से काम जो लेना था ले चुके
अहले वफ़ा का यूं तो सफ़ाया न कीजिए।

हम आपके, घर आपका, आएं हज़ार बार
लेकिन किसी की बात में आया न कीजिए।

उठ जाएंगे हम आपकी महफ़िल से आप ही
दुश्मन के रू-बरू तो बिठाया न कीजिए।

दिल दूर हों तो हाथ मिलाने से फ़ायदा?
रसमन किसी से हाथ मिलाया न कीजिए।

महरूम हों लताफ़त ए फ़ितरत से जो नसीर
उन बेहिसों को शेर सुनाया न कीजिए।

यादे नबी का गुलशन महका महका लगता है

यादे नबी का गुलशन महका महका लगता है
महफिल में मौजूद हैं आक़ा ऐसा लगता है।

नाम ए मोहम्मद ﷺ कितना मीठा मीठा लगता है
प्यारे नबी का जिक्र भी हमको प्यारा लगता है।

लब पे नग़मे सल्ले अ़ला के हाथों में कशकोल
देखो तो सरकार का मंगता कैसा लगता है!

ऑंखों में माज़ाग़ का कजला, सर ताहा का ताज,
कैसे कहूं कमली वाला हम जैसा लगता है।

ग़ौस, क़ुतब, अब्दाल, कलंदर सब उसके मोहताज
मेरा दाता हर दाता का दाता लगता है।

औ-अदना की सेज सजी है अर्श ए बरीं पर आज
हक़ का दुलारा बांध के सेहरा दूल्हा लगता है।

आओ सुनाएं अपने नबी को अपने मन की बात
उनके अलावा कौन नेयाज़ी अपना लगता है।

नुसरत फतेह अली खान कव्वाली

अपनी रह़मत के समन्दर में उतर जाने दे हिंदी में लिखी हुई

अपनी रह़मत के समन्दर में उतर जाने दे
अपनी रह़मत के समन्दर में उतर जाने दे
बे ठिकाना हूँ अज़ल से मुझे घर जाने दे

सू-ए-बत़्हा लिए जाती है हवा-ए-बत़्हा
बू-ए-दुनिया मुझे गुमराह न कर, जाने दे
बे ठिकाना हूँ अज़ल से मुझे घर जाने दे

तेरी सूरत की त़रफ़ देख रहा हूँ आक़ा
पुतलियों को इसी मर्कज़ पे ठहर जाने दे
बे ठिकाना हूँ अज़ल से मुझे घर जाने दे

ज़िन्दगी ! गुम्बद-ए-ख़ज़रा ही तो मंज़िल है मेरी
मुझको हरयालियों में ख़ाक बसर जाने दे
बे ठिकाना हूँ अज़ल से मुझे घर जाने दे

मौत पर मेरी शहीदों को भी रश्क आयेगा
अपने क़दमों से लिपटकर मुझे मर जाने दे
बे ठिकाना हूँ अज़ल से मुझे घर जाने दे

ख़्वहिश-ए-ज़ात बहुत साथ दिया है तेरा
अब जिधर मेरे मुह़म्मद हैं उधर जाने दे
बे ठिकाना हूँ अज़ल से मुझे घर जाने दे

रोक रिज़वां न मुज़फ़्फ़र को दर-ए-जन्नत पर
ये मुह़म्मद का है मन्ज़ूर-ए-नज़र, जाने दे
बे ठिकाना हूँ अज़ल से मुझे घर जाने दे

अपनी रह़मत के समन्दर में उतर जाने दे
बे ठिकाना हूँ अज़ल से मुझे घर जाने दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे Hindi Lyrics

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
हमें बख़्श दे ….

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

सारे जुर्मों कुसूर-ओ-खता बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

तू खता पोश है मैं खताकार हूँ
मुझको इकरार है मैं गुनाहगार

तुझको महबूब का वास्ता बख़्श दे
तुझको महबूब का वास्ता बख़्श दे

तू खता पोश है मैं खताकार हूँ
मुझको इकरार है मैं गुनाहगार

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

आज की रात है तेरे इकराम की
तेरे जूदो अ़ता तेरे इकराम की

आज की रात है तेरे इकराम की
तेरे जूदो अ़ता तेरे इकराम की

मानता हूँ के मैं हूँ बुरा बख़्श दे
मानता हूँ के मैं हूँ बुरा बख़्श दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

हाथ बांधे खड़ा हूँ मैं तेरे सामने
मैं सरापा दुआ हूँ तेरे सामने

हाथ बांधे खड़ा हूँ मैं तेरे सामने
मैं सरापा दुआ हूँ तेरे सामने

तू है ग़फ़्फ़ार मेरी ख़ता बख़्श दे
तू है ग़फ़्फ़ार मेरी ख़ता बख़्श दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

ये जो क़ब्रें नज़र आ रही हैं हमें
आखिरत याद करवा रहीं हैं हमें

ये जो क़ब्रें नज़र आ रही हैं हमें
आखिरत याद करवा रहीं हैं हमें

ख़ौफ़ से है वदन कांपता बख्श दे
ख़ौफ़ से है वदन कांपता बख्श दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

जो परेशान हैं बच्चों से तू नेक कर
उनकी औलाद को या ख़ुदा एक कर

जो परेशान हैं बच्चों से तू नेक कर
उनकी औलाद को या ख़ुदा एक कर

सारी मांओं की सुन ले दुआ बख़्श दे
सारी मांओं की सुन ले दुआ बख़्श दे

आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

सारे जुर्मों कुसूर-ओ-खता बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे
आज की रात मौला हमें बख़्श दे

सहारा तुम हो तो किस लिए फिर

सामने जब भी यार होता है
दिल पर कब इख़्तियार होता है

रू-ए जानां ही अहले दिल के लिए
ज़िक्र ए परवरदिगार होता है।

मरीज़ ए इश्क़ का अक्सर ये हाल होता है
किसी की याद से चेहरा बहाल होता है।

मैं इसको कुफ़्र कहूं या कमाल ए इश्क़ कहूं
नमाज़ में भी तुम्हारा ख़याल होता है।

न बुतकदे से न काबे से लौ लागी मेरी
तुम्हारे नक़्श ए क़दम से है ज़िंदगी मेरी,

बहुत उदास थी दुनिया में ज़िंदगी मेरी
करम जो तेरा हुआ बात बन गई मेरी।

सहारा तुम हो तो किस लिए फिर

सहारा तुम हो तो किस लिए फिर
मैं सर पे एहसान लूं किसी का

रहे सलामत ये ग़म तुम्हारा
यही अ़सासा है ज़िंदगी का।

तेरा इश्क़ जो न होता तो ये बंदगी न होती
जो तेरा करम न होता तो ये ज़िंदगी न होती।

रहे सलामत ये ग़म तुम्हारा
यही असासा है ज़िंदगी का

वह बदनसीब है जिसे ग़म ना गवार है
ग़म तो दलील ए रहमत ए परवरदिगार है।

रहे सलामत ये ग़म तुम्हारा
यही असासा है ज़िंदगी का

मुझे देखता है जो भी कहता तेरा दीवाना
निस्बत ना तुझसे होती मेरी जाती ना होती।

रहे सलामत ये ग़म तुम्हारा
यही असासा है ज़िंदगी का

मैं न्याज़-मंद तेरा, बंदा नवाज़ तू है
तेरे करम से मेरी दुनिया में आबरू है।

रहे सलामत ये ग़म तुम्हारा
यही असासा है ज़िंदगी का।

मैं क़ुर्बतों में भी सादमां था
मैं फ़ुर्कतों में भी मुतमइन हूं

था वह भी इनआम आप ही का
है यह भी तोहफ़ा जनाब ही का।

ग़ुरूर ए शाही हमेशा मैंने
रखा है पांवों की ठोकरों में

मक़ाम सबसे जुदा है मेरा
के मैं हूं मंगता तेरी गली का।

आहे बस! मैं हूं मंगता तेरी गली का
बस! मैं हूं मंगता तेरी गली का

मांगना मैंने दर-दर से सीखा नहीं

बस! मैं हूं मंगता तेरी गली का

दैर ओ हरम में जाऊं क्यूं
तूर की ख़ाक उड़ाऊं क्यूं

बस! मैं हूं मंगता तेरी गली का.

दुनिया ए बुतकदा न फ़ज़ा ए हरम पसंद
मुझको तेरी गली है ख़ुदा की क़सम पसंद।

बस! मैं हूं मंगता तेरी गली का..

मैं यहीं करूंगा सज्दा, यही मेरा मुद्दआ़ है
जो मिला नहीं हरम से, तेरे दर से मिल गया है।

बस! मैं हूं मंगता तेरी गली का..

हाथ फैलाने से मौहताज को ग़ैरत ये है
शर्म इतनी है के बंदा तेरा कहलाता हूं।

तेरा मैं हूं मंगता..

ये मान लिया लायिक़ ए दरबार नहीं मैं
ये भी न सही क़ाबिल ए दीदार नहीं मैं,

हर चंद अगर आप के दरकार नहीं मैं
बंदा भी तेरा क्या मेरी सरकार नहीं मैं।

तेरा मैं हूं मंगता..

तेरे टुकड़ों पे पला ग़ैर की ठोकर पे ना डाल
झिड़कियां खाऊं कहां छोड़ के सदक़ा तेरा।

तेरा मैं हूं मंगता..

कोई सलीक़ा है आरज़ू का न बंदगी मेरी बंदगी है
ये सब तुम्हारा करम है आक़ा के बात अब तक बनी हुई है।

तेरा मैं हूं मंगता..
के मैं हूं मंगता तेरी गली का।

मक़ाम सबसे जुदा है मेरा
के मैं हूं मंगता तेरी गली का।

है ख़ुश मुक़द्दर के जिसने सर को
झुकाया मुर्शिद के आसतां पर,

उसी ने पायी है सरफ़राज़ी
मक़ाम ऊंचा रहा उसी का।

अगर है जाना तो जाएं लेकिन
हुज़ूर इतना ख़याल रखें

के हिज्र ए जानां में एक-इक पल
गुमान होता है इक सदी का।

रवां हो गर्दन पे गरचे ख़ंजर
ख़लल न सजदे में आए फिर भी

यही इबादत का है क़रीना
यही सलीक़ा है बंदगी का।

तुम्हारी मदहा-सराई करके
मैं नाज़ करता हूं अपने फ़न पर

तुम्हारे ज़िक्र ए जमील से ही
वक़ार क़ायम है शायरी का।

सहारा तुम हो तो किस लिए फिर
मैं सर पे एहसान लूं किसी का।

तूने अपना बना कर नज़र फेर ली लिरिक्स

वो तुम्हें याद करे जिसने भुलाया हो कभी
मैने तुमको न भुलाया न कभी याद किया।

नज़र नीची कर ली हया बन गई
नज़र ऊंची करली दुआ बन गई,
नज़र तिरछी करली अदा बन गई
नज़र फेर ली तो क़ज़ा बन गई।

तूने अपना बना कर नज़र फेर ली
तूने अपना बना कर नज़र फेर ली
मेरे दिल का सुकूं ना गहां लुट गया,

मुझको लूटा तेरे इश्क़ ने जान ए जां
मैं तेरे इश्क़ में जाने जां लुट गया।

चंद तिनके फ़क़त मेरी जागीर थे
वो भी बाद ए ख़ज़ां लूट कर ले गयी,

मैंने देखा ना फ़स्ल ए बहारी का मुंह
मैं क़फ़स में रहा आशियां लुट गया।

लेके काबे का अरमान घर से चला
मयकदे में दिल ए मुज़तरिब ले गया,

मैंने जाना कहां था कहां आ गया
मैंने लुटना कहां था कहां लुटगया।

रह गया मेरे लुटने का ज़िंदा निशां
धूम मेरी ज़माने में हर सू मची,

वो जगह यादगार ए मोहब्बत बनी
मैं मोहब्बत की ख़ातिर जहां लुट गया।

ऐ नसीम ए सहर जा तेरा शुक्रिया
मौत में गुल का मुझको न पैग़ाम दे,

रास आई किसी को न फ़ुर्कत तेरी
मैंने लुटना कहां था कहां लुटगया।

मेरा लुटने का आलम न कुछ पूछिए
आ गया इक बुत ए बेवफ़ा पे युंहीं,

दिल ने सोचा ना समझा न पहचान की
दिल को लुटना कहां था कहां लुटगया।

मैने लुटने से पहले ये सोचा के मैं
राज़ की बात ही उनसे कह कर लुटूं,

राज़ की बात तो रह गयी रात में
मुझसे पहले मेरा राज़दां लुट गया।

दिल मेरा इश्कबाज़ी में अंजान था
आ गया इक बुत ए बे वफ़ा पे यूं ही,

दिल ने सोचा ना समझा न पहचान की
इसको लुटना कहां था कहां लुटगया।

मेरे पीर की गुलामी मेरे काम आ गई लिरिक्स

Mere peer ki ghulami mere kaam aa gayi Lyrics in Hindi

Qawwali of Aslam Akram Warsi

Read in English
दुनिया ख़िलाफ़ है तो मुझे क्या मलाल है
मैं जिसका हो गया हूं उसे ख़ुद ख़याल है।

उनके करम से मेरी पुर लुत्फ़ ज़िंदगी है
गुज़रा हूं मैं जिधर से इज़्ज़त मुझे मिली है

मेरे पीर की ग़ुलामी मेरे काम आ गई है
मेरे पीर की ग़ुलामी मेरे काम आ गई है।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

झुक कर सलाम करने लगा यह जहां मुझे
पहुंचा दिया है तेरे करम ने कहा मुझे!

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

आई हुई बला भी मेरे सर से टल गई
ऐसा नवाज़ा पीर ने दुनिया बदल गई।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

शैदायी हूं मैं उनका, उन्हीं का हूं दीवाना
है मेरे लबों पर मेरे मुर्शिद का फ़साना,
जिस दिन से मिली है दर ए मुर्शिद की गदाई
पहचानता है आज मुझे सारा जमाना।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

दामान ए मुर्शिदी में बड़ी बरकतें मिलीं
हासिल है इस वसीले से फ़ैज़ान ए पंजतन,
बैअ़त मुझे नसीब हुई जब से पीर की
हाथों में मेरे आ गया दामान ए पंजतन।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

जिस दिन से मेरे पीर की निस्बत मुझे मिली
वल्लाह! मेरी बिगड़ी हुई बात बन गई,
मैं एक खोटे सिक्के के जैसा था कल तलक
उनके करम से आज है अनमोल ज़िंदगी।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

तेरे करम ने ऐसा नवाज़ा तेरी क़सम
दुनिया से मांगने की ज़रूरत नहीं रही।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

महफ़िल में पहली सफ़ में जगह दी गई मुझे
ऐ मेरे पीर ये तेरी निस्बत की बात है।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

सौ जां से अपने पीर पे क़ुर्बान जाऊं मैं
गुलशन मेरी हयात का गुलज़ार कर दिया,
जब से बने वह नाख़ुदा मेरी हयात के
बहरे ग़म ए जहां से मुझे पार कर दिया।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

उनकी नवाज़िशों को भला क्या करूं रक़म
अल्ताफ़ ओ करम उनका है मुझ पर क़दम-क़दम,
मुझ जैसे निकम्मे को कोई पूछता न था
उनकी नज़र ने कर दिया दुनिया में मोहतरम।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

ये उनकी इनायात हैं, उनकी है यह अता
लोगों की निगाहों में भरम है बना हुआ,
मैं कुछ भी नहीं हूं मेरी औकात क्या भला
ऐसा मुझे नवाज़ा करूं मैं बयान क्या।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

निस्बत ने आपकी मुझे सब कुछ अ़ता किया
अदना गुलाम था मुझे सुल्तां बना दिया।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

निस्बत से तेरी मेरा ज़माने में भरम है
ऐसा मेरे मुर्शिद तेरा अंदाज़ ए करम है।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

दामान ए पीर से मिला दामान ए पंजतन
है मुझको नाज़ ये मेरी निस्बत बुलंद है,
उस मर्द ए ख़ुदा की मुझे बैअ़त नसीब है
सद-शुक्र मरहबा मेरी किस्मत बुलंद है!

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

मुझ को डुबाना चाहा जो तूफ़ान ओ भंवर ने
घबराया मुश्किलों से मुझे आया पसीना,
“या पीर अल मदद” जो कहा वक़्त ए मुसीबत
बह्र-ए-अलम से पार हुआ मेरा सफीना।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

कल थे जो लोग मुझसे बड़े बद गुमान से
वह भी हैं आज मुझ पे बड़े मेहरबान से,
यह मुर्शिद-ए-कामिल की निगाहों का फ़ैज़ है
रहता हूं इस जहां में बड़ी आन बान से।

मेरे पीर की ग़ुलामी.. मेरे काम आ गई

आईना ए ख़ुलूस की तस्वीर चाहिए
बस ऐसा पीर पाने को तक़दीर चाहिए।

मेरे पीर की गुलामी.. मेरे काम आ गई

तेरी नज़र से दिल को सुकूं है क़रार है
तेरे करम से मेरे चमन में बहार है।

मेरे पीर की गुलामी.. मेरे काम आ गई

आल-ए-रसूल-ए-पाक की उल्फ़त मिली मुझे
ईमान ओ दीन की जो यह दौलत मिली मुझे,
निस्बत से उनकी पहले थी बेकैफ़ जिंदगी
नेमत सब आज उनकी बदौलत मिली मुझे।

मेरे पीर की गुलामी मेरे काम आ गई
मेरे पीर की गुलामी मेरे काम आ गई

ये नज़र मेरे पीर की लिरिक्स इन हिंदी

तूफ़ां की हर इक मौज को साहिल बन दिया
रहगीर को भी वाक़िफ ए मंज़िल बना दिया,

क्या काम कर गई है मेरे पीर की नज़र
अर्श ए बरीं से बढ़ के मेरा दिल बना दिया।

अल्लाहू की शराब का मुझको मज़ा दिया
कैसे कहूं मैं पीर ने क्या क्या बना दिया,

किसकी समझ में आयेगी सूरत फ़क़ीर की
ये नज़र मेरे पीर की, ये नज़र मेरे पीर की।

ये नज़र मेरे पीर की
ये नज़र मेरे पीर की

वल्लाह मेरा पीर है हर सिम्त जलवागर
मुर्शिद के दर को छोड़ के जाऊंगा मैं किधर,

मैंने हज़ारों पीरों की नजरों को देखा है
सबसे अलग नज़र है मगर, मेरे पीर की।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

दीवाने हंस पड़े हैं हिजाबों को छोड़कर
पर्दा नशीं हैं आए नक़ाबों को छोड़कर,

ऐसी जलाली डाली मेरे पीर ने नज़र
आलिम भी वज्द में हैं किताबों को छोड़कर।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

दुनिया को अपने क़दमों पे निस्बत झुकाएगी
पीरी मुरीदी दिल की कफ़ासत मिटाए गी,

अपनी जबीं को पीर की आगोश में झुका
रूहानियत की नूरानी दुनिया दिखाएगी।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

ऐसा ज़माना आया है दिल मानता नहीं
अक्सर मुरीद पीर को पहचानता नहीं,

इस दौर के मुरीद को दौलत की आस है
क्या पीर की नज़र है, कोई जानता नहीं।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

मुर्शिद के दस्त ए पाक में कुदरत दिखाई दे
मुर्शिद के रुख पे रूहानी ताकत दिखाई दे,

कामिल मुराक़बा है, तसव्वुर है दोस्तों
अपनी नज़र में पीर की सूरत दिखाई दे।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

मांगा था मैंने फूल तो गुलशन अता किया
बंदा नवाज़ी पीर की दामन अता किया,

मेरे नसीब में ही नहीं जिसकी दीद थी
नज़रे करम ने दीद का दर्पन अ़ता किया।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

हाए जमाने वालों ने ठुकरा दिया मुझे
एहसान मेरे पीर का क्या क्या दिया मुझे!

यह जलवा गाह ए तूर से ऊंचा मक़ाम है
नज़रों ने पीर की कहां पहुंचा दिया मुझे!

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

यह मैयकदा है हाशमी कैफ़-व-सुरूर है
रहगीर है सुलूक का मंज़िल से दूर है,

कमबख़्त दुनिया वाले क्या पहचानेंगे भला
नजरों में मेरी, पीर की नजरों का नूर है।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

मस्ती में आके अहल ए हरम झूमने लगे
रह कर ज़मीं पे अर्श पे हम घूमने लगे,

मेरी नज़र में पीर की तस्वीर देखकर
शाहान ए वक़्त आ के क़दम चूमने लगे।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

नज़र ए करम से पीर के अनहद की हद मिली
इक मुस’तनद फ़कीर की मुझको सनद मिली,

मस्ती में आके मैंने पुकारा था पीर को
आंखें झपक न पाई थीं मुझको मदद मिली।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

मुझसे करम की आस लगाने लगे हैं लोग
चेहरे पे मेरे पीर को पाने लगे हैं लोग,

पहुंचाया मेरे पीर ने यह किस मुकाम पर
नालैन मेरे सर पर उठाने लगे हैं लोग।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

क़ुदरत का इस जहां में तमाशा अजीब है
पीरों का, सूफ़ियों का तरीक़ा अजीब है,

तारीख़ कह रही है जहां को पुकार कर
बचकर रहो! फकीरों की दुनिया अजीब है।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

मेरे ख़याल गुम हुए निस्बत के राज में
रूहानी है सुरूर दिल ए पाकबाज़ में,

मेरी नमाज़ ए इश्क़ की तकमील हो गई
आएं मुझे नज़र मेरे मुर्शिद नमाज़ में।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

बैठे-बिठाए मैंने तो जन्नत खरीद ली
सब कुछ लुटा के पीर की उल्फ़त खरीद ली,

यह कह के हाथ मुझपे रखा पीर ने मेरे,
जा तूने दस्त ए पीर से क़ुदरत ख़रीद ली।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

मुर्शिद के जां निसारों में शामिल है सरफ़राज़
दर यार का सतीर की मंजिल है सरफराज,

कहता है क़ुत्ब ए वक़्त, कलंदर भी, ग़ौस भी
नजरें मिलाना पीर से मुश्किल है सरफ़राज।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

अल्लाहू की शराब का मुझको मजा दिया
कैसे कहूं मैं पीर ने क्या-क्या बना दिया,

किसकी समझ में आएगी सूरत फ़कीर की
यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की।

यह नज़र मेरे पीर की, यह नज़र मेरे पीर की..

मंजिल मिली, मुराद मिली, मुद्दआ़ मिला,

मंजिल मिली, मुराद मिली, मुद्दआ़ मिला,
सब कुछ मुझे मिला, जो तेरा नक़्श-ए-पा मिला,

जब दूर तक ना कोई, फकीर आशना मिला,
तेरा नियाज़-मंद, तेरे दर से जा मिला।

मुझ में हर रंग अब तुम्हारा है

मुझ में हर रंग अब तुम्हारा है,
अब तो कह दो, के तू हमारा है।

आलम-ए-शौक़ में, न जाने क्यों,
मैंने हर दम, तुम्हें पुकारा है।

तू तो सब ही के पास है मौजूद,
कौन कहता है, तू हमारा है।

तेरे सदके में ये तमाम जहां,
अपनी ठोकर पे मैंने मारा है।

राज़ को राज़ क्यों समझते हो,
राज़ दुनिया पे आशकारा है।

अब तो कह दो के तू हमारा है।

मुझ में हर रंग अब तुम्हारा है।

ऐ साक़िए मयख़ाना दीवाना बना देना लिरिक्स

जिद पर आ जाए तो रुख फिर दे तूफानों के
तुमने देखे नहीं तेवर अभी दीवानों के।

ऐ साक़िए मयख़ाना, दीवाना बना देना
ऐ साक़िए मयख़ाना दीवाना बना देना

जितनी भी मैकदे में है साक़ी पिला दे आज
हम तिश्ना काम ज़ोह्द के सहरा से आए हैं।

ऐ साक़ी ए मयख़ाना दीवाना बना देना,
फिर दूसरा इक मयकश मुझसा न बना देना।

हर सिम्त तेरी सूरत आ जाए निगाहों में
तौहीद की मस्ती में मस्ताना बना देना।

पीना हराम है न पिलाना हराम है
पीने के बाद होश में आना हराम है।

तौहीद की मस्ती में मस्ताना बना देना।
तौहीद की मस्ती में मस्ताना बना देना।

इक जाम के पीने से क्या ख़ाक मज़ा आए
तुम अपनी निगाहों को मैखाना बना देना।

मेरे साक़ी ये तमाशा तेरे मयखाने का
सारी महफ़िल को नशा एक ही पैमाने का

चश्म ए साक़ी है उधर और मेरा दिल है इधर
आज टकराव है पैमाने से पैमाने का।

तुम अपनी निगाहों को मैयख़ाना बना देना।
तुम अपनी निगाहों को मैयख़ाना बना देना।

लाहूत की मंज़िल से आगे है सफर मेरा
मतलूब को तालिब का दीवाना बना देना।

मैं दार से देता हूं आवाज अनल हक की
इस सर को भी ऐ मौला नजराना बना देना।

मैं राह ए हक़ीक़त का इक राज़ ए हक़ीक़त हूं
इक राज़ ए हकीकत हूं..
इक राज़ ए हकीकत हूं..

बशर के रूप में इक राज़ ए किबरिया हूं मैं
समझ सके न फ़रिश्ते वह फ़लसफ़ा हूं मैं

मैं वह बशर हूं फरिश्ते जिसे किए सजदा
अब इसके आगे ख़ुदा जाने और क्या हूं मैं।

इक राज़ ए हकीकत हूं..
इक राज़ ए हकीकत हूं..

हकीकत माननी पड़ती है, मनवाई नहीं जाती

इक राज़ ए हकीकत हूं..
इक राज़ ए हकीकत हूं..

मैं राह ए हक़ीक़त का इक राज़ ए हक़ीक़त हूं,
मेरा न ज़माने में अफसाना बना देना।

तुम होश की दुनिया में दीवाने को मत लाओ,
मैं क़तरा हूं क़तरे को तुर्दा * न बना देना

महताब ने जलने से मस्तों को सिखाया है
तौहीद-व-रिसालत का काशाना बना देना।

पीरा दिल ए ख़स्ता की बस इतनी तमन्ना है
ऐ शम्मा ए हक़ मुझको परवाना बना देना।

*तुर्दा – लुग़त (dictionary) में तुर्द के मानी- दूर करना या हांकना मिलते हैं। अगर आपको और भी मानी पता हैं तो बराए करम कमेंट बॉक्स में बताएं।

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या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

Ya Fatima Zahra Tumhen Bachchon ki Qasam Lyrics

छुड़वा दो हमें ग़म से यही वक़्त ए करम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

औलाद की नेमत से हैं महरूम जो मांए
बे शीर के झूले वो करती हैं दूआएं
उम्मीद ए करम आपका ही बाब ए करम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

हर रंज-ओ-बला दूर रहे है यही फ़रियाद
शब्बीर के मातम के लिए वो रहे आबाद
अब्बास ए अलमदार का जिस घर पे अलम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

रिज़वान ओ मलाइक हैं पले आपके दर से
क्यूँ बन्दा ए मोमिन भला फिर रिज़क़ को तरसे
हातिम का नहीं ये तो दर ए शाहे उमम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

सज्जाद के सदक़े उसे आज़ाद करा दे
सुग़रा के तसद्दुक़ उसे अपनों से मिला दे
मोमिन जो कोई क़ैद में बे ज़ुर्मों सितम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

देना है मुझे आपको शब्बीर का पुरसाह
बीबी मुझे जल्दी से बुला लीजे मदीना
सांसे ये बताती हैं के अब वक़्त भी कम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

खुशियों की तलब आप से ना की है ना करेंगे
हम आपकी मर्ज़ी पे रज़ामन्द रहेंगे
दरकार हमें आपसे शब्बीर का ग़म है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

है मेरी दुआ आप से ऐ मलका ए जन्नत
सर अपना उठाकर चले वो ताबाह क़यामत
जिस जिस की जबीं आपकी दहलीज़ पे ख़म हैं
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हे बच्चों की क़सम है

ऐ कुफ़वे अली जल्द उन्हें कुफ़व अत़ा कर
अरसे से हैं बैठी हुई कुछ बेटियां घर पर
इस बात का मां-बाप को हर वक़्त अलम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हे बच्चों की क़सम है

मेहदी से लहद आपकी देखी नहीं जाती
अब पर्दा ए ग़ैबत से उन्हें भेज दो बीबी
ये मेरी दुआओं में दुआ सबसे अह़म है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हे बच्चों की क़सम है

ये कहते हैं बीमार के मिम्बर से दुआ दो
तुम ज़ाकिर ए सरवर हो शिफ़ा हमको दिला दो
बीबी तेरे हाथों में तकल्लुफ का भरम है
या फ़ातिमा ज़हरा तुम्हें बच्चों की क़सम है

फ़ख़रे मुस्तफ़ा है फ़ातिमा lyrics

फ़ख़रे मुस्तफ़ा है फ़ातिमा
जौज़ा ए मुर्तज़ा है फ़ातिमा

हो जहाँ पे दीं की परवरिश
बस वो घर तेरा है फ़ातिमा

आयेंगे लिबास ख़ुल्द से
तू ने कह दिया है फ़ातिमा
तू ने कह दिया है फ़ातिमा

खाना ए खुदा का आपके
घर से रास्ता है फ़ातिमा

करती हैं तवाफ़ ग़ैरतें
काबा ए ह़या है फ़ातिमा
काबा ए ह़या है फ़ातिमा

जो ऐलिया ए दो जहाँ
उसकी अहलिया है फ़ातिमा

मुस्कुरा के बोले मुर्त़ज़ा
मेरी हमनवा है फ़ातिमा

अब भी मुश्किलों में मोजिज़ां
तेरा मोजिज़ा है फ़ातिमा
तेरा मोजिज़ा है फ़ातिमा

कुर्ता शेर पे जचे ना क्यूँ
आप ने सिया है फ़ातिमा

दो जहाँ में लानती है वो
जिससे तू खफ़ा है फ़ातिमा

यासिर ए हुनर का ये हुनर
आपकी अत़ा है फ़ातिमा

Khaak me khaak e bashar lyrics-अख़्तियार-ए-बीबी फ़ातिमा

अख़्तियार-ए-बीबी फ़ातिमा

Scroll Down For English Lyrics

ख़ाक में ख़ाक ए बशर फिर से मिला दे ज़हरा
अपनी चक्की को अगर उल्टा चला दे ज़हरा

कोई मूसा कोई सलमान बना दे ज़हरा
राज़ ए तौहीद जिसे जितना बता दे ज़हरा

चाहे तो हुर्र को वो रूमाल से नूरी कर दे
चाहे तो ख़ाक से हवा को बना दे ज़हरा

ख़ाक से हवा बनाना भी कोई मोजज़ा है
ये हुनर चाहें तू फ़िज़्ज़ा को सिखा दे ज़हरा

रोज़ कहते हैं अली रिज़्क़ की तक़सीम के वक़्त
रिज़्क़ देना है किसे कितना बता दे ज़हरा

बांट के आते हैं जब रिज़्क़ ए दो आलम मौला
आके कहते हैं! मुझे मेरी ग़िज़ा दे ज़हरा

मुर्त़ज़ा के लिए आयात ना उतरें क्यूँकर
अपनी चादर में जिसे रोज़ ग़िज़ा दे ज़हरा

अबू तालिब की बहू और अली की ज़ौजाह
ह़क़ है क़ाबे पे अगर ताला लगा दे ज़हरा

खोल सकता नहीं मेंहदी के सिवा कोई उसे
आज भी गर क़ाबे पे ताला लगा दे ज़हरा

क़र्ज़ शब्बीर का उतरा नहीं अब तक उससे
कैसे अल्लाह तेरे क़र्ज़ चुका दे ज़हरा

ये मत कहो किसी से के मुश्किलें बड़ी हैं

ये मत कहो किसी से के मुश्किलें बड़ी हैं
तुम मुश्किलों से कह दो मुश्किल कुशा अली हैं

मुमकिन नहीं है मौला छोड़ेंगे हम को तन्हा
मेरी तो धड़कनें भी ये बात जानती हैं

ये मत कहो किसी से के मुश्किलें बड़ी हैं
तुम मुश्किलों से कह दो मुश्किल कुशा अली हैं

इक पल को भी खुदारा तन्हा न खुद को समझो
मौला के मोजज़ों पर ईमान अपना रक्खो
हालात एक पल में बदलेंगे तेरे मौला
उनकी निगाहें तुझको हर वक़्य देखती हैं

ये मत कहो किसी से के मुश्किलें बड़ी हैं
तुम मुश्किलों से कह दो मुश्किल कुशा अली हैं

ग़म दूर सारे होंगे क़िस्मत चमक उठेगी
कांटे हटेंगे सारे हमवार राहों के
मक़सद को याद रक्खो आगे क़दम बढ़ाओ
मौला ने मन्ज़िलें सब आसां की हुई हैं

ये मत कहो किसी से के मुश्किलें बड़ी हैं
तुम मुश्किलों से कह दो मुश्किल कुशा अली हैं

आंखों में अपने मोती यूं ही सजाए रखना
उल्फ़त के दीप अपने दिल में जलाए रखना
इमदाद वो करेंगे हिम्मत न हारना तुम
उम्मीदें दो जहां की बस उनसे ही लगी है

ये मत कहो किसी से के मुश्किलें बड़ी हैं
तुम मुश्किलों से कह दो मुश्किल कुशा अली हैं

घिर कर भी आफ़तों में तुझको सुकूं रहेगा
तुझको तेरा मसीहा हमराह जब मिलेगा
वो सब मुसीबतों से तुझको निकाल देंगे
उन पर यक़ीन रक्खो बातें ये इश्क़ की

ये मत कहो किसी से के मुश्किलें बड़ी हैं
तुम मुश्किलों से कह दो मुश्किल कुशा अली हैं

इक बात मैं बताऊं मेरा है ये अक़ीदा
मुझको मिला है मौला से जो भी मैंने मांगा
ऐ मेरे भाई बहनों ये मशवरा है तुमको
मौला अली से मांगो मौला अली सख़ी है

ये मत कहो किसी से के मुश्किलें बड़ी हैं
तुम मुश्किलों से कह दो मुश्किल कुशा अली हैं

अच्छे हैं या खराब हैं मौला अली के हैं

अच्छे हैं या खराब हैं मौला अली के हैं
ज़र्रा हैं आफ़ताब हैं मौला अली के हैं

तारीख़ ए क़ायनात उठा कर तो देखिए
जो लोग लाजवाब हैं मौला अली के हैं

इस दर से उठ गए तो कहां चैन पाओगे
रह़मत के जितने बाब हैं मौला अली के हैं

हर फूल अपनी-अपनी जगह खूब है मगर
हम इसलिए गुलाब हैं मौला अली के हैं

ज़र्रा हैं आफ़ताब हैं मौला अली के हैं

कुछ और देखने की तमन्ना नहीं शकील
आंखों में जितने ख्वाब हैं मौला अली के हैं

अच्छे हैं या खराब हैं मौला अली के हैं

Parh Naad E Ali Lyrics Hindi – Mesum Abbas

जंगल पहाड़ करते हैं नाद-ए-अली
मुश्किल को मेरी हल करो मुश्किल कुशा अली

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

जिसने लिया है नाम ए अली उसकी मुश्किल टली

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

मायूसियां हैं कैसी दिल क्यूं उदास है
इक वसीला रब का अपने जो पास है
एक मशवरा सुन ले मेरा ग़म ना होगा कोई

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

दुनिया की चाहत अपने दिल से निकाल दे
दिल में बसा उसे जो ग़म तेरे टाल दे
तेरा नबी, अल्लाह भी बोले तुझसे यही

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

मौला मौला ….
मौला ..

हो .. मेरी कश्ती पार लगा दे सोई तक़दीर जगा दे
तेरे इश्क़ में डूबा जाऊं ऐसी बरखा बरसा दे
अपना मेरा .. तेरे सिवा कोई नहीं मुश्किल कुशा
मशरिक़ मग़रिब मक्का ओ नजफ़
बस तू ही तू है चारों तरफ़

दर-दर भटकने वाले इक बात सुन ज़रा
नाद-ए-अली से बेहतर कोई नहीं दवा

आ ..

टाली क़ज़ा, बाटी शिफ़ा, इक दिन तू भी कभी

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

एक बात कह दूं तुझसे क्या तुझे क़ुबूल है
नाद-ए-अली को पढ़ना सुन्नत-ए-रसूल है
क़ौल ए नबी है बस यही बिगड़ी बन जाएगी

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

सारे मलंग लगाएं नारा लजपाल का
सारे मलंग लगाएं नारा लाजपाल का
नौबत बाजे तो आए लुत्फ़ धमाल का
लाल सखी और बू अली बोलें सब ही यही

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4]

नाद-ए-अली से पहले नाद-ए-अली के बाद
नाद-ए-अली से पहले नाद-ए-अली के बाद
ऐसा वज़ीफ़ा कोई क्या है किसी को याद
मैदान ए जंग या दिल हो तंग आए जो भी घड़ी

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

घर में खुदा के लोगों जिसका ज़हूर है
काबे की दीवारों को उसका शऊर है
शक़ हो गई दीवार भी सुन के नामे अली

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

ह़क़ अली अली, ह़क़ अली अली

ज़हरा का शौहर अली अली
है नफ़्स-ए-पयंबर अली अली
हसनैन का बाबा अली अली
मालूद ए काबा अली अली
भटको तो सहारा अली अली
डूबो तो किनारा अली अली
नबियों ने पुकारा अली अली
ईमान हमारा अली अली

तूफान के रुख पर बहता जा
बस हैदर हैदर कहता जा

बस हैदर हैदर कहता जा
बस हैदर हैदर कहता जा

झूले लाल कहने वाले मौला के संग हैं
मिसम की तरह मज़हर अली मलंग हैं
ता ज़िन्दगी ये विर्द हम ना भूले कभी

पढ़ नाद-ए-अली …

नाद-ए-अली पढ़, नाद-ए-अली पड़ा ×4

Ali Ke Naam Ka Charcha Lyrics in Hindi

मौला .. मौला .. मौला …

अली के नाम का चर्चा बहुत है
अली के नाम का चर्चा बहुत है

मुसलमां भी मगर बहरा बहुत है
अली के नाम का चर्चा बहुत है

मगर जब होती हैं हूरों की बातें
मगर जब होती हैं हूरों की बातें
यही बहरा तो फिर सुनता बहुत है

मुसलमां भी मगर बहरा बहुत है
अली के नाम का चर्चा बहुत है

नज़र लग जाए ना असग़र को मौला
नज़र लग जाए ना असग़र को मौला
तुम्हारा लाडला हसता बहुत है

मुसलमां भी मगर बहरा बहुत है
अली के नाम का चर्चा बहुत है

अगर हो जज़्बा ए शब्बीर दिल में
ख़ुदा को एक ही सजदा बहुत है

मुसलमां भी मगर बहरा बहुत है
अली के नाम का चर्चा बहुत है

अली के नाम का चर्चा बहुत है..

Tarana e Ahle Bait Lyrics In Hindi

हैदर, हैदर, हैदर
हैदर, हैदर, हैदर

सिन्दड़ी के शहंशाह हों या शाहे भिताई
ग़ौसुल वरा साबिर हों या महबूब ए इलाही
ख्वाजा मोइनुद्दीन हों या ख्वाहा ए क़ादरी
सब हक़ के पैरोकार हैं, सब ने हक़ की बात की
आले रसूल हैं सारे, सब अल-अता वाले

हैदर, हैदर, हैदर
हैदर, हैदर, हैदर

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

नाह़नू मौलाई, नाह़नू मौलाई

आले नबी हैं और हैं हम मुस्तफ़ा वाले
आले नबी हैं और हैं हम मुस्तफ़ा वाले
हैदर की औलाद हैं, हैं सैयदा वाले

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

कर लो सितम पे तुम सितम चाहें जफ़ा कर लो
कर लो सितम पे तुमसितम चाहे जफ़ा कर लो
हम दर गुज़र कर देंगे
हम दर गुज़र कर देंगे
हैं सब्र ओ रहता रज़ा वाले

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

हैदर, हैदर, हैदर
हैदर, हैदर, हैदर

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

दीन ए नबी पे बात जब आ जाए तो सुन लो
दीन ए नबी पे बात जब आ जाए तो सुन लो
हम सर कटा दे सकते हैं
हम सर कटा भी सकते हैं
हैं कर्बला वाले

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

सर को झुकाएं किस तरह बातिल के सामने
सर को झुकाएं किस तरह बातिल के
सामने फज़ले ख़ुदा से ह़क़ पर हैं
फज़ले ख़ुदा से ह़क़ पर हैं
हम हैं बक़ा वाले

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

कोई बुरा कहे हमें खामोश हम रहें
कोई बुरा कहे हमें खामोश हम रहें
हम बद्दुआ देते नहीं
हम बद्दुआ देते नहीं
हम हैं दुआ वाले

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

आते हैं जब भी रन में हम फिर भागते नहीं
आते हैं जब भी रन में हम फिर भागते नहीं
डरते नहीं हैं हम किसी से
डरते नहीं हैं हम किसी से
हम हैं ला-फ़ताह वाले

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

दुश्मन भी घर में आए तो करते हैं माफ़ हम
दुश्मन भी घर में आए तो करते हैं माफ़ हम
हम लोग सब जुनैद हैं
हम लोग सब जुनैद हैं
रब की रज़ा वाले

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

नाह़नू मौलाई, नाह़नू मौलाई

आले नबी हैं और हम हैं मुस्तफ़़ा वाले
आले नबी हैं और हम हैं मुस्तफ़ा वाले
हैदर की औलाद हैं
हैदर की औलाद हैं
हैं सैय्यिदा वाले

हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं
हम हैदरी, हम हैदरी, हम हैदरी हैं

हैदर, हैदर, हैदर
हैदर, हैदर, हैदर

La Fatah shahe zulfiqar ali lyrics hindi

अली अली अली अली
अली अली अली अली या अली

ला फ़तहा शाहे ज़ुल्फ़िक़ार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

अली के नाम से तारों ने रौशनी पाई
अली जो आए तो दुनिया में ज़िन्दगी आई
अली के दम से ही सारा निज़ाम चलता है
वोही तो है जो ये सब इंतिज़ाम करता है

हवा को देता है रफ़्तार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

ला फ़तहा शाहे ज़ुल्फ़िक़ार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

हमारी माओं ने हमको यही सिखाया है
मिला के दूध में नारा ए अली पिलाया है
ज़माना लाख मुख़ालिफ़ हो हम नहीं डरते
ये हमने देख लिया है अली अली करके

मदद को आता है हर बार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

ला फ़तहा शाहे ज़ुल्फ़िक़ार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

अली इमाम हैं सारा जहां ग़ुलाम ए अली
हमारी जान, जवानी तुम्हारे नामे अली
अली से जलता है जो भी अली का मुन्किर है
क़ुरआन पढ़ता है कौल ए नबी का मुन्किर है

उस पर लानत है बेशुमार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

ला फ़तहा शाहे ज़ुल्फ़िक़ार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

ख़ुदा के घर में विलादत ख़ुदा की मर्ज़ी है
अली इरादा ए कुदरत ख़ुदा की मर्ज़ी है
तेरी आमद पे फ़रिश्तों ने घर सजाया है
तुम्हारे वास्ते एक ऐसा घर बनाया है

खोल के काबे की दीवार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

ला फ़तहा शाहे ज़ुल्फ़िक़ार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

अरे ओ बुग़्ज़ के मारो तुम्हें भी मरना है
अली का ज़िक्र बा हर हाल तुमको करना है
मरोगे मर के जो अपनी लहद में जाओगे
अली से किस तरह खुद को तुम बचाओगे

सामने बैठा है उस पार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

ला फ़तहा शाहे ज़ुल्फ़िक़ार अली
मेरा मुर्शिद मेरा सरदार अली

निस्बत से तेरी क्यों न रहूं सरफ़राज़ मैं कव्वाली लिरिक्स

रूतबा ये बादशाहों से बढ़कर मिला मुझे
तेरा ग़ुलाम कहती है ख़ल्क़ ए ख़ुदा मुझे,

हर-हर क़दम पे आप रहे मेरे साथ-साथ
छोड़ा नहीं है आपने बे आसरा मुझे।

निस्बत से तेरी क्यों ना रहूं सरफराज मैं
निस्बत से तेरी क्यों ना रहूं सरफराज मैं
बंदा तेरा हूं ऐ मेरे बंदा नवाज़ मैं।

दुनिया से वास्ता है ना शाहों से कुछ ग़रज़,
करता हूं तेरे दर की गदाई पर नाज़ मैं।

ख़ुसरवी रखता हूं अपने पांव की ठोकर पर

करता हूं तेरे दर की गदाई पर नाज़ मैं।

करता रहूंगा कूचा-ए-महबूब का तवाफ़
दिल में जला के शम्मा ए सोज़-ओ-गुदाज़ मैं।

दीदार-ए-यार, अहले मोहब्ब्त की है नमाज़,
फिर क्यों ना तेरी दीद को समझूं नमाज़ मैं।

जब से करम हुआ है तेरी चश्म-ए-नाज़ का,
रहता हूं अपने आप से भी बे-नियाज़ मैं।

सर को झुका के यार के क़दमों पे ऐ “अ़ता”
करता हूं अपने औज-ए-मुक़द्दर पे नाज़ मैं।

Banda Tera Hooñ Aye Mere Banda Nawaz Maiñ lyrics

Barson Ke Intizar Ka Anjam Likh Diya Lyrics in Hindi

बरसों के इंतजार का अंजाम लिख दिया,
काग़ज़ पे शाम काट के फिर शाम लिख दिया।

बिखरी पड़ी थीं टूट के कलियां ज़मीन पर,
तरतीब देके मैंने तेरा नाम लिख दिया।

आसां नहीं थी तर्क-ए-मोहब्बत की दास्तां,
दो आंसुओं ने आख़िरी पैग़ाम लिख दिया।

हमको किसी के हुस्न ने शायर बना दिया,
होठों का नाम ले न सके, जाम लिख दिया।

अल्लाह! जिंदगी से कहां तक निभाऊं मैं,
जिस बेवफ़ा के साथ मेरा नाम लिख दिया।

तक़्सीम हो रही थीं खुदाई की नेमतें,
एक इश्क़ बच गया, सो मेरे नाम लिख दिया।

क़ैसर किसी की देन है यह शायरी मेरी
उसकी ग़ज़ल पे किसने मेरा नाम लिख दिया।

A Nusrat Fateh Ali Khan Qawwali Lyrics

बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी लिरिक्स इन हिंदी

ख़्वाजा जी महाराजा जी, तुम बड़ो ग़रीब नवाज़
अपना कर के राखियो तोहे बॉंह पकड़े की लाज।

ख़्वाजा मुझ में औगन बहुत हैं तो है तहत गरीब नवाज़
अपना करके राखियो तोहे बांह पकड़े की लाज।

चुरियां पहनाईं चुनरिया उढ़ाई
खासी दुल्हनिया बनाई,
मेरी चुरियों की लाज ख़्वाजा रखना
यह तो पहन लिया उतरत ना।

तेरो हाथ है मेरो सुहाग ख़्वाजा
मैं तो जोबना तुम पे लुटा बैठी।

इतना शदीद ग़म है कि एहसास ए ग़म नहीं
कैसे कहूं कि आपका मुझ पे करम नहीं।

मंज़िल मुझे मिले न मिले इसका ग़म नहीं
तुम साथ साथ हो मेरे ये भी तो कम नहीं।

ऐ आने वाले! अपनी जबीं को झुका के आ
ये आसतान-ए-यार है सहन-ए-हरम नहीं।

जब तक बिके न थे तो कोई पूछता न था
तुमने ख़रीद कर हमें अनमोल कर दिया।

बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया

बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया
तेरे करम के निसार तूने मुझे भी जीना सिखा दिया।

बदल गई मेरे दिल की दुनिया, अता ने वो मरतबा दिया
करम की ऐसी निगाह डाली, गदा को सुल्तां बना दिया।

करम के साए में हमको रखा, कभी हिरासां न हम हुए,
हमारे सर पे जो धूप आयी तो अपना दामन बढ़ा दिया।

ये इनकी बंदा नवाज़ियां हैं, जो मुझ पे ऐसा करम किया,
बना के अपना फ़क़ीर मुझको ग़म-ए-जहां से छुड़ा दिया।

ग़रीब दर-दर भटक रहे थे, कहीं न दिल को सुकूं मिला,
करम किया तूने अपने दर को, हमारा काबा बना दिया।

वुज़ू किया मैंने आंसुओं से, नवाज़ मेरी अदा हुई,
मिला जो नक़्श-ए-क़दम तुम्हारा तो मैंने सर को झुका दिया।

किसी को दर से ख़ाली टाला, हर इक सवाली को भीक दी,
ग़रीब आए जो आस्तां पर , करम का दरिया बहा दिया।

बनायी मुझ बेनवा की बिगड़ी नसीब मेरा जगा दिया।

Ali Ke Deewane Lyrics in hindi

मौला मुश्किल कुशा
मौला मुश्किल कुशा

हैदरियम कलन्दरम मस्तम
वन्दा-ए-मुर्तज़ा अली हसतम
पेशवा-ए-तमाम-ए-रिन्दानम
के सगे कूए शेरे यज़दानम

लुटाते खूब हैं दौलत अली के दीवाने
हैं करते अब भी हुकूमत अली के दीवाने
अली के दीवाने ×8

पछाड़ देते हैं हर जंग में लइनों को
जो फाड़ देते हैं आदा-ए-दीं के सीनों को
हैं रखते ऐसी शुजाअ़त अली के दीवाने
अली के दीवाने ×8

जो वक़्त पड़ता है घर बार भी लुटाते हैं
रिज़ा-ए-रब के लिए सर को भी कटाते हैं
मगर न झुकते हैं हज़रत अली के दीवाने
अली के दीवाने ×8

है कोई ग़ौस, कोई कर्बला का दूल्हा है
कोई है दाता, कोई हिन्द का शहंशाह है
हैं ऐसे साहिब-ए-इज़्ज़तत अली के दीवाने
अली के दीवाने ×8

मुनाफ़िक़ीन हैं डरते अली के नारे से
शयातीं सर हैं पकड़ते अली के नारे से
लगा के पाते हैं लज़्ज़त अली के दीवाने
अली के दीवाने ×8

उठाओ उंगली जो सिद्दीक़ की सदाक़त पर
नबी के यार, उमर साहिबे अदालत पर
तो इससे करते हैं नफ़रत अली के दीवाने
अली के दीवाने ×8

ख़या में भीक़ हैं पाते अली के लालों की
तलब नहीं है ज़र-ओ-माल के उजालों की
क़दम में रखते हैं सरवत अली के दीवाने
अली के दीवाने ×8

Nabi Ke Husn Ke Aage Ye Chandni Kya Hai Lyrics Hindi

Nabi Ke Husn Ke Aage Ye Chandni Kya Hai

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

Scroll Down For English Lyrics

ये मेहरो-माह सितारों की दिलकशी क्या है

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

नबी की नात पढ़ी जा रही है महफ़िल में

ज़रा बताइए लब पर ये खामोशी क्या है

लगा के तख़्त को ठोकर कहा ये शाहो ने

तेरी गदाई के आगे शहन्शही क्या है

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

अगर है आना तो आना नबी के रोज़े पर

ऐ मौत तुझको बताऊंगा ज़िन्दगी क्या है

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

नबी के शहर में जन्नत तलाश करता है

ज़रा मुझे तो बता उस जगह कमी क्या है

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

उठा नहीं है तेरा सर अभी भी सज़दे से

मेरे हुसैन तेरी शाने-बन्दगी क्या है

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

ख़मोश रह के वो दुश्मन को मात देते है

इसी से जान लो फैज़ाने-अज़हरी क्या है

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

नबी के इश्क़ ने लफ़्ज़ों को कर दिया अनमोल

नबी की नात है वरना ये शायरी क्या है

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

हैं जिसके मौला नबी, उसके हैं अली मौला

अब इसमें और समझना है क्या, अली क्या हैं

नबी के हुस्न के आगे ये चाँदनी क्या है

Kull un Ali lyrics In Hindi

अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली

अली अली अली अली अली
अली अली अली अली अली
अली अली अली अली अली

हुज्जत-ए-ह़क़ अली
बाब-ए-रह़मत अली
चेहरा-ए-ह़क़ अली
चश्मे ख़ालिक़ अली
हाफिज़-ए-दीं अली
नूर-ए-आ़लम अली
हैदर-ए-ह़क़ अली
जान-ए-अह़मद अली

अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली

दावर-ए-दीं अली
मीर-ए-जन्नत अली
ख़ैर-ए-फ़र्राह अली
ह़क़ का मैय्यार अली
है रब की तलवार अली
दीं का मेमार अली
है रब का इज़हार अली
हैदर-ए-कर्रार अली

अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली

सैफ़ुल्लाह अली
ऐनुल्लाह अली
रुहुल्लाह अली
इज़्नुल्लाह अली
वजहुल्लाह अली
है यदुल्लाह अली

अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली
अली मौला अली

अली अली अली अली अली
अली अली अली अली अली

मंगते ख़ाली हाथ न लैटे, कितनी मिली ख़ैरात न पूछो,
Mangte Khali Hath Na Lote Lyrics in Hindi

कलाम: ख़ालिद महमूद खालिद नक़्शबंदी

मंगते ख़ाली हाथ न लैटे
मंगते ख़ाली हाथ न लैटे, कितनी मिली ख़ैरात न पूछो,
उनका करम फिर उनका करम है, उनके करम की बात न पूछो।

कुन्तो कंज़न राज़-ए-मशीयत, जलवा-ए-असरा नूर-ए-हिदायत,
जगमग-जगमग दोनों आलम, कैसी है वोह ज़ात पूछो!

इश्क़-ए-नबी कौनैन की दौलत, इश्क़-ए-नबी बख़्शिश की ज़मानत,
इससे बढ़ कर दस्त-ए-तलब में है भी कोई सौग़ात न पूछो।

रश्क-ए-जिनां तैबा की गलियां, हर ज़र्रा फ़िरदौस बदामां
चारों तरफ़ अनवार का आलम, रहमत की बरसात न पूछो।

ज़ाहिर में तस्कीन-ए-दिल-ओ-जां, बातिन में मेराज-ए-दिल-ओ-जां
नाम-ए-नबी फिर नाम-ए-नबी है, नाम-ए-नबी की बात न पूछो!

हाल अगर कुछ अपना सुनाया, उनके करम का शिकवा होगा,
मैं अपने हालात में ख़ुश हूं, मुझसे मेरे हालात न पूछो।

ताज-ए-शफ़ाअ़त सर पर पहने हश्र का दूल्हा आ पहुंचा,
आंखें खोलो, ग़ौर से देखो किसकी है बारात न पूछो।

मैं क्या और क्या मेरी हक़ीक़त, सब कुछ है सरकार की निस्बत
मैं तो बुरा हूं लेकिन मेरी लाज है किसके हाथ न पूछो।

ख़ालिद मैं सिर्फ़ इतना कहूंगा, जाग उठा अश्कों का मुक़द्दर
इश्क़-ए-नबी में रोते-रोते कैसे कटी है रात न पूछो।

Sitam Hai Lekin Gila Nahin Hai Lyrics Hindi

रहे वफ़ा में वो हंगाम आ ही जाएगा
के उनके लब पर हमारा भी नाम आएगा,
छुपा लिया है जो दिल में वो आपका ग़म है
ये ज़िंदगी में कभी काम आ ही जाएगा।

सितम है लेकिन गिला नहीं है
अलम है फ़िक्र ए अलम नहीं है

सितम है लेकिन गिला नहीं है
अलम है फ़िक्र ए अलम नहीं है
जो ग़म समझ कर दिया है तू ने
क़सम ख़ुदा की वो ग़म नहीं है।

ज़बां हिलाऊं किसी के आगे
ये हुक्म ए चश्म ए सनम नहीं है,
कलेजा ग़म से सुलग रहा है
मगर मेरी आंख नम नहीं है।

ये उसकी ज़िद है के मुझको पूजो
मेरी ये ज़िद है के सामने आ,
मेरे मज़ाक़ ए अबूदियत को
तलाश ए दैर ओ हरम नहीं है।

ये उसकी मर्ज़ी, ये उसकी बख़्शिश
वो जिस क़दर चाहे अपना ग़म दे,
मैं अपनी क़िस्मत पे मुतमयिन हूं
शिकायत ए पेश-ओ-कम नहीं है।

यहां के आदाब और कुछ हैं
ज़रा संभल कर तवाफ़ करना,
ये इश्क की अन्जुमन है, वाइज़
मक़ाम ए दैर ओ हरम नहीं है।

क़दम क़दम इम्तिहां हैं ज़ाहिद
नफ़स नफ़स आज़माइशें हैं,
कहां कहां सर झुकाएगा तू
कहां कहां वो सनम नहीं है।

सितम है लेकिन गिला नहीं है
अलम है फ़िक्र ए अलम नहीं है।

क़व्वाली: अब्दुल्ला मंज़ूर नियाज़ी क़व्वाल

Shab-e-Gham Ki Darazi Zulf-e-Janaan Kon DekheGa Lyrics in Hindi

Shah e Gham Ki Darazi Lyrics in Hindi

शब ए ग़म की दराज़ी हुस्न ए जानां कौन देखेगा !
लगा कर तुमसे दिल ख़्वाब ए परेशान कौन देखेगा !!

हमें भी जलवा गाह ए नाज़ तक ले कर चलो मूसा
तुम्हें ग़श आ गया तो हुस्न ए जाना कौन देखेगा ?

मैं ख़ुद इक़रार कर लूंगा के मैंने जान ख़ुद दी थी
सर ए महशर भला तुझको परेशान कौन देखेगा।

पड़े हैं तो पड़े रहने दो मेरे ख़ून के धब्बे
तुम्हें देखेंगे सब महशर में दामां कौन देखेगा।

जिगर अब मयकदे में आ गए हो तो मुनासिब है
अगर चुपके से पी लोगे मुसलमां कौन देखेगा !!

ऐ दिल कहीं ना जाइयो ज़िन्हार देखना

ऐ दिल कहीं ना जाइयो ज़िन्हार देखना
कलाम: शाह नियाज़ बेनियाज़ बरेलवी र.अ.

ऐ दिल कहीं ना जाइयो ज़िन्हार देखना
अपने ही बीच यार का दीदार देखना।

ख़ूबान इस जहां का तमाशा जो तू करे,
आईना दार तलअ़त-ए-दिलदार देखना।

नैरंगियों से यार की हैरां न हो जियो,
हर रंग में उसी नमूदार देखना।

ऐ दिल क़िमार-ए-इश्क़ में टुक खेलियो संभल,
बाज़ी न दीजो हार मेरे यार देखना।

गर नक़्द जां तलब करे वो शोख़ दिलरुबा,
इन्कार वां न कीजियो ज़िन्हार देखना।

हरग़िज़ दवा न कीजियो इस ग़म की ऐ नियाज़,
सब राहतों से ग़म को मज़ेदार देखना।

कितना दिल सोज़ वह मंज़र वह नज़ारा होगा

कितना दिल सोज़ वह मंज़र वह नज़ारा होगा
जब मसीहा ने मरीज़ों को पुकारा होगा।

तुमने जब ज़ुल्फ़-ए-परीशां को संवारा होगा
सदक़ा ए हुस्न घटाओं ने उतारा होगा।

संग दिल तेरे भी आंसू निकल आए होंगे
डूबने वाले ने जब तुझको पुकारा होगा।

हाथ फैलाऊं जो मैं ग़ैर की चौखट पे कभी
मेरे सरकार को यह कैसे गवारा होगा।

बस अली फ़तिमा हसनैन मोहम्मद के सिवा
ख़ुल्द में और भला किसका इजारा होगा।

ना करो जुदा खुदारा मुझे संग ए आस्तां से

ना करो जुदा खुदारा मुझे संग ए आस्तां से
ना मिलेगा फिर सहारा जो उठा दिया यहां से।

यही मेरी बंदगी है यही मेरी सजदा रेज़ी
के ज़रा लिपट के रो लूं तेरे संग ए आस्तां से।

तू हजार बार ठुकरा मेरा सर यहीं झुकेगा
मेरे दिल में है मोहब्बत तेरे संग ए आस्तां से।

मुझे ख़ाक में मिला कर मेरी ख़ाक भी उड़ा दे
तेरे नाम पे मिटा हूं मुझे क्या ग़रज़ निशां से।

ना हो पास उनके पर्दा न ये परदा दारियां हों
मेरी दुख भरी कहानी जो सुने मेरी ज़ुबां से।

इसी ख़ाक ए आस्तां में इक दिन फ़ना भी होगा
कि बना हुआ है बेदम इसी ख़ाक ए आस्तां से।

Sham E Qalandar Lyrics In Hindi

झूले लाल, झूले लाल, झूले लाल

सोंढ़ां लाल क़लन्दर !!

झूले लाल, झूले लाल, झूले लाल

सोंढ़ां लाल क़लन्दर !!

झूले लाल, झूले लाल, झूले लाल

सोंढ़ां लाल क़लन्दर !!

करते हैं अली वाले इक़रार क़लन्दर

ऐ मिस्ल-ए- नजफ़ आपका दरबारे क़लन्दर

हासिल हैं तुझे फ़ातिमा ज़हरा की दुआएं

नाजां हैं तुझ पे हैदर-ए-कर्रार क़लन्दर

झूले लाल, झूले लाल, झूले लाल

सोंढ़ां लाल क़लन्दर !!

झूले लाल, झूले लाल, झूले लाल

सोंढ़ां लाल क़लन्दर !!

उठो रिन्दों पियो जाम-ए-क़लन्दर

तुलू-ए-सहर है शाम-क़लन्दर

क़लन्दर लाल लाल, सोंढ़ां लाल लाल

क़लन्दर लाल लाल, सोंढ़ां लाल लाल

पियो मय और झूमों सारे, आए हैं पाक द्वारे

उस दर पे झूमें नाचें हर रात को चांद सितारे

सितारों का है, घर शाम-ए-क़लन्दर

तुलू-ए-सहर है शाम-क़लन्दर

क़लन्दर लाल लाल, सोंढ़ां लाल लाल

क़लन्दर लाल लाल, सोंढ़ां लाल लाल

सब ग़ौस, क़ुतुब, सुब्हानी

नहीं कोई शाहवाज़ का सानी

ये हैं पंजतन-ए-पाक के घर की

वाहिद अनमोल निशानी

के है नामे ख़ुदा नामे क़लन्दर

तुलू-ए-सहर है शाम-क़लन्दर

क़लन्दर लाल लाल, सोंढ़ां लाल लाल

क़लन्दर लाल लाल, सोंढ़ां लाल लाल

अल्लाह की मर्ज़़ी में है, शहबाज़ की मर्ज़ी शामिल

जो हरदम कहते हैं, लाल लाल

है पीर उन्हीं का कामिल

कहीं आक़ा, कहीं मौला, कहीं है रा क़लन्दर

तुलू-ए-सहर है शाम-क़लन्दर

क़लन्दर लाल लाल, सोंढ़ां लाल लाल

क़लन्दर लाल लाल, सोंढ़ां लाल लाल

फ़कीर ए दर की सुनो इल्तिजा गरीब नवाज़

अजमेर में रौशन वोह चराग़-ए-मदनी है
चेहरे से आयां जिसके जलाल-ए-हसनी है,

वो रुतबा तुम्हें बख़्शा है क़स्सास-ए-अज़ल ने
बिगड़ी तेरी चौखट पे हज़ारों की बनी है।

फ़कीर ए दर की सुनो इल्तिजा गरीब नवाज़
फ़कीर ए दर की सुनो इल्तिजा गरीब नवाज़

आप अगर चाहे मेरी मुश्किल कोई मुश्किल नहीं

फ़कीर ए दर की सुनो इल्तिजा गरीब नवाज़..

मैं वास्ता देता हूं तुम्हें गंज शकर का
ये राह निकाली है सरकार को मनाने की

फ़कीर-ए-दर की सुनो इल्तिजा गरीब नवाज़
बनाओ बिगड़े मुक़द्दर को या गरीब नवाज़।

तुम्हारे दर से फक़ीरों ने झोलियां भर लीं
तुम्हारा दर है दर-ए-मुस्तफ़ा गरीब नवाज़।

दिलाओ सदक़ा-ए-साबिर पिया ग़रीब नवाज़
शहे अरब ﷺ का तुम्हें वास्ता ग़रीब नवाज़।

वली-ए-हिंद, जमाल-ए-मुहम्मद-ए-अरबी ﷺ..

वली-ए-हिंद.. मुईनुद्दीन ख़्वाजा
वली-ए-हिंद.. मुईनुद्दीन ख़्वाजा

ख़्वाजा हमें ना बिसारियो चाहें लाख मीत मिल जाएं
हम से तुमको लाख हैं पर तुम सा हमको नाए

वली-ए-हिंद.. मुईनुद्दीन ख़्वाजा
वली-ए-हिंद.. मुईनुद्दीन ख़्वाजा

किसी को क़ुत्ब बनाया, किसी को गंज-ए-शकर

वली-ए-हिंद.. मुईनुद्दीन ख़्वाजा
वली-ए-हिंद.. मुईनुद्दीन ख़्वाजा

वली-ए-हिंद, जमाल-ए-मुहम्मद-ए-अरबी ﷺ
ग़रीब-परवर ओ हाजत-रवा ग़रीब नवाज़।

ग़रीब-परवर ओ हाजत-रवा ग़रीब नवाज़..

तुम्हारे दर पे हज़ारों ग़रीब पलते हैं

ग़रीब-परवर ओ हाजत-रवा ग़रीब नवाज़..

अजमेर की गली से आती हैं ये सदाएं
जिनका नहीं है कोई वो मेरे दर पे आएं

ग़रीब-परवर ओ हाजत-रवा ग़रीब नवाज़..

मदद का वक़्त है ख़्वाजा मदद करो मेरी
बचाओ मेरे सफ़ीने को या ग़रीब नवाज़।

तुम्हारे नाम से मुश्किल टली ग़रीबों की
मिला है तुमको बड़ा मर्तबा गरीब नवाज़।

‘फ़ना’ मदद को मेरी आएंगे क़यामत में
मेरे अमीर, मेरे पेशवा गरीब नवाज।

चश्म-ए-साक़ी ने ये क्या खेल रचा रखा है

चश्म-ए-साक़ी ने ये क्या खेल रचा रखा है
कोई ज़ाहिद कोई मयख़ार बना रखा है।

जो फंसा फिर ना कभी उसने रिहाई मांगी
तेरी ज़ुल्फ़ों ने अजब जाल बिछा रखा है।

हुस्न हो इश्क हो दोनों का असर यकसां है
चीज़ है एक मगर नाम जुदा रखा है।

रुख़ पे लहराती हैं कभी शानों से उलझ पड़ती हैं
तूने ज़ुल्फ़ों को बहुत सर पे चढ़ा रखा है।

तेरी मख़मूर निगाहों से है रौनक़ सारी
वरना साक़ी तेरे मयखाने में क्या रखा है।

यूं है क़ामत में तेरा चेहरा-ए-ज़ेबा जानां
जैसे इक रहल ने क़ुरआन उठा रखा है।

तेरे कूचे की गदाई का ये आलम तौबा
जो गदा है उसे सुल्तान बना रखा है।

आ भी जा ऐ मेरे महबूब के इक मुद्दत से
फर्श आंखों का सरे राह बिछा रखा है।

मेरी नजरों में कोई कैसे जचे ऐ साजिद !
निस्बत ए यार ने महमूद मगरूर बना रखा।

क़व्वाली : शेर अली मेहर अली क़व्वाल

Ali Ali Karde Lyrics by Yashfeen Ajmal Shaikh

शाहे मर्दां शेरे यज़दां क़ुव्वते परवरदिगार
ला फत़ह इल्ला अली, ला सैफ़ इल्ला ज़ुल्फ़िक़ार

ग़म्मां दे तूफ़ाना तों कदी वी नई डरदे
जे हर वेले अली अली करदे
जे हर वेले अली अली करदे

अली अली हां हां हां अली अली करदे

रहमतां दी छां थल्ले रहंदे सुब्हा शाम णे
जेणे लो की अज़लां तो अली दे ग़ुलाम णे

ओ, अपण़ियां झोली मुरादां नाल भर दे
जे हर वेले अली अली करदे
जे हर वेले अली अली करदे
अली अली हां हां हां अली अली कर दे

बोलो हैदर क़लन्दर अली अली
बोलो अली अली
बोलो अली अली
बोलो अली अली

जिस से राज़ी ख़ुदा वो हैं मुश्किल कुशा
बोलो अली अली
बोलो अली अली

बोलो हैदर क़लन्दर अली अली
बोलो अली अली
बोलो अली अली
बोलो अली अली

अल्लाह रसूल और नामे अली
इनको पुकारा है तो बात बनी

अली-अली अली-अली अली-अली अली-अली

अल्लाह रसूल और नामे अली
इनको पुकारा है तो बात बनी

किया ख़ैबर फ़तह वो हैं मुश्किल कुशा
बोलो अली अली
बोलो अली अली
बोलो अली अली

बोलो हैदर क़लन्दर अली अली
बोलो अली अली
बोलो अली अली
बोलो अली अली

हर कूचे हर नगर-नगर ते गली-गली
मिलके मारो सारे नारा अली अली
मिलके मारो सारे नारा अली अली

दम मस्त क़लन्दर अली अली
सोंढ़े लाल क़लन्दर अली अली
झूले लाल क़लन्दर अली अली
मेरे दिल दे अंदर अली-अली

बोलो अली अली

Ali Ali Karde Lyrics In Hindi

Momino Aamad-e-Ramzan Mubarak Tumko In Hindi

मोमिनो आमद-ए-रमज़ान मुबारक तुमको

यानी अल्लाह का एहसान मुबारक तुमको

मोमिनो आमद-ए-रमज़ान मुबारक तुमको

हर महीने से है बेशक ये महीना अफ़ज़ल

इसमें नाज़िल हुआ क़ुरआन मुबारक तुमको

मोमिनो आमद-ए-रमज़ान मुबारक तुमको

वक़्त पर सारी नमाज़ों की करो पाबन्दी

बस ये बख़्शिश का है सामान मुबारक तुमको

मोमिनो आमद-ए-रमज़ान मुबारक तुमको

सच्चे दिल से करो इस माह में खैरात-ज़कात

ये मुह़म्मद का है फ़रमान मुबारक तुमको

मोमिनो आमद-ए-रमज़ान मुबारक तुमको

रहमतों वाला है इस माह का हर इक लम्हा

है ख़ुदा तुम पे मेहरबान मुबारक तुमको

मोमिनो आमद-ए-रमज़ान मुबारक तुमको

वक़्त-ए-सहरी हुआ रोज़ादारों उठो

वक़्त-ए-सहरी हुआ रोज़ादारों उठो

सोई क़िस्मत जगाने के दिन आ गए

हर तरफ़ छा गई रहमतों की घटा

हर ख़ता बख्शवाने के दिन आ गए

मोमिनो उठ्ठो सुन के सदा-ए-अज़ां

फिर मिले ना मिले ये घड़ी ये समा

हर क़दम हर नफ़स हर नज़र नूर की

बारिशों में नहाने के दिन आ गए

ये इबादत की रातें तिलावत के दिन

ये दुआओं के लम्हे सख़ाबत के दिन

बा-अदब ऐ बशर रख ले सजदे में सर

रहमतों को मनाने के दिन आ गए

जमा होंगे क़यामत में सब जिस घड़ी

देख लेना फ़रिश्ते कहेंगे यही

रोज़ादारों चलो अपने दामन भरो

रब से इनआम पाने के दिन आ गए

अदब के साथ जो ज़िक्रे रसूल होता है

अदब के साथ जो ज़िक्रे रसूल होता है

तो हर्फ़ हर्फ़ अक़ीदत का फूल होता है

अगर नमाज़ भी रोज़े के साथ शामिल हो

तो रोज़ादार का रोज़ा क़ुबूल होता है

देखिए रोज़ादारों के चेहरे

किस तरह जगमगाने लगे हैं

चांद रमज़ान का हो गया है

लोग मस्जिद में जाने लगे हैं

हो गए थे जो दूर अपने रब से

माहे रमज़ान की बरकत से वो भी

रमज़ान के महीने की शान देखिए

किस दर्ज़ा खुश हैं हाफ़िज़-ए-कुरआन देखिए

सुनते ही अब अज़ान इबादत के वास्ते

आने लगे हैं साहिबे ईमान देखिए

हो गए थे जो दूर अपने रब से

माहे रमज़ान की बरकत से वो भी

हर घड़ी अब तो मौला के आगे

अपने सर को झुकाने लगे हैं

देखो ईमान वालों की सूरत

इन पे कैसा निखार आ गया है

प्यारे नबी को रोज़े बहुत ही पसंद हैं

वल्लाह रोज़ेदारों के दर्जे बलन्द हैं

रमज़ान के महीने की ये शान देखिए

जन्नत के दर खुले हैं जहन्नम के बन्द हैं

देखो ईमान वालों की सूरत

इन पे कैसा निखार आ गया है

जैसे रमज़ान की चांदनी में

अहले ईमां नहाने लगे हैं

हो गए तीस रोज़े जो पूरे

रोज़ेदारों को चैन आ गया है

आता है ये महीना इबादत के वास्ते

अल्लाह और नबी की इताअ़त के वास्ते

रब ने तुम्हें ये माहे मुबारक आता किया

रोज़े रखो उसी की इनायत के वास्ते

हो गए तीस रोज़े जो पूरे

रोज़ेदारों को चैन आ गया है

देख कर ईद का चांद अनवर

सबके दिल मुस्कुराने लगे हैं

देखिए रोज़ादारों के चेहरे

इफ़्तार की दावत का इस तरहां मज़ा लेना

इफ़्तार की दावत का इस तरहां मज़ा लेना

बस्ती के ग़रीबों को दावत में बुला लेना

इफ़्तार की ये नेकी काम आएगी महशर में

तुम चन्द फक़ीरों को साथ अपने बिठा लेना

कह दो ये अमीरों से इस माहे मुबारक में

लाज़िम है यतीमों को सीने से लगा लेना

रमज़ान मुबारक का माहौल है नूरानी

इस नूर से अनवर दिल, अपना सजा लेना

इफ़्तार की दावत का इस तरहां मज़ा लेना

बस्ती के ग़रीबों को दावत में बुला लेना

हो निगाहे करम, हम पर अजमेर वाले ख्वाजा

हो निगाहे करम, हम पर अजमेर वाले ख्वाजा

हम आए तेरे दर पर अजमजार वाले ख्वाजा

हो निगाहे करम हम पर अजमेर वाले ख्वाजा

हम आए तेरे दर पर अजमेर वाले ख्वाजा

हो निगाहे करम हम पर अजमेर वाले ख्वाजा

पूरी मुराद कर दो झोली हमारी भर दो

मौला अली के दिलबर अजमेर वाले ख्वाजा

करम परवर, वफ़ा परवर ! मोइनुद्दीं ख्वाजा

सख़ावत के, करामत के महे-मुबीं ख्वाजा

तुम्हारे दर पे आके भीक मांगी शाहो ने

ख़ुदा के बाद तुमसे खैर चाही शाहो ने

दिल-ए-मायूस में हम भी दुआएं लाए हैं

मदद कर दो मदद की इलतिजाएं लाए हैं

हो निगाहे करम हम पर अजमेर वाले ख्वाजा

हम आए तेरे दर पर अजमेर वाले ख्वाजा

हो हम आए तेरे दर पर अजमेर वाले ख्वाजा

अल्लाह के वली हो तुम आले मुस्तफ़ा हो

चमका दो अब मुक़द्दर अजमेर वाले ख्वाजा

हो निगाहे करम हम पर अजमेर वाले ख्वाजा

हम आए तेरे दर पर अजमेर वाले ख्वाजा

हो निगाहे करम हम पर अजमेर वाले ख्वाजा

ना जाने आलमें तकवीन में

ना जाने आलमें तकवीन में
किस-किस को रश्क आया
मोहब्बत मेरे हिस्से में जब आई
हिस्से में जब आई मेरे मौला की

हर एक हदे ताइयुन से
अली की शान आला है
बड़ाई खुद नाम ही से है
मेरे मौला की

हर एक मुश्किल में काम आई
दुहाई मेरे मौला की
समझ में शान फिर भी
कुछ ना आई मेरे मौला की

मौला की, मौला की
मौला की, मौला की
मौला की, मौला की
मौला की, मौला की
मौला, मौला अली, मौला

ख़िरद ने सौ तरहां सूरत दिखाई मेरे मौला की
ख़िरद ने सौ तरहां सूरत दिखाई मेरे मौला की

समझ में शान फिर भी कुछ ना आई मेरे मौला की
समझ में शान फिर भी कुछ ना आई मेरे मौला की

मौला की, मौला की
मौला की, मौला की

ये हक़ के साथ रहते हैं मौला मेरे मौला
ये हक़ के साथ रहते हैं मौला मेरे मौला
हक़ इनके साथ रहता है मौला मेरे मौला
हक़ इनके साथ रहता है मौला मेरे मौला

नहीं मुमकिन कभी ….
नहीं मुमकिन कभी हक़ से जुदाई मेरे मौला की
समझ में शान फिर भी कुछ ना आई मेरे मौला की
समझ में शान फिर भी कुछ ना आई मेरे मौला की

मौला मौला अली मौला
मौला मौला अली मौला

अली अली अली अली मौला
मौला मौला अली मौला

मौला की, मौला की
मौला की, मौला की
मौला की, मौला की

सज गई देखो अजमेर की हर गली

सज गई देखो अजमेर की हर गली

दर पर मस्तों की बारात कहती चली

हक़ वली वली, वली वली

हक़ वली वली, वली वली

आज दूल्हा बने देखो हिन्दल वली

चलो चलो ख्वाजा पिया की गली

जाने अली, जाने अली

ख्वाजा पिया जाने अली

हर तरफ़ आज रह़मत की बरसात है

क्या सुहाना समा नूर की रात है

बोले मस्ताने तक़दीर की बात है

आज ख्वाजा पिया से मुलाकात है

खिल गई-खिल गई, खिल गई-खिल गई

खिल गई, खिल गई टूटे दिल की कली

चलो चलो ख्वाजा पिया की गली

जाने अली, जाने अली

ख्वाजा पिया जाने अली

दर पे बजती हैं खुशियों की शहनाईयां

झूमकर मस्त लेते हैं अंगड़ाईयां

मिट गईं फज़ले ख्वाजा से तनहाईयां

रब ने फूलों से महका दीं अंगनाईयां

ख़ाक चौखट की चेहरे पे सबने मली

चलो चलो ख्वाजा पिया की गली

जाने अली, जाने अली

ख्वाजा पिया जाने अली

मुस्तफ़ा के दुलारे हैं ख्वाजा पिया

और हैदर के प्यारे हैं ख्वाजा पिया

बेकसों के सहारे हैं ख्वाजा पिया

कहते हैं सब हमारे हैं ख्वाजा पिया

उनके सदक़े में सर से मुसीबत टली

चलो चलो ख्वाजा पिया की गली

जाने अली, जाने अली

ख्वाजा पिया जाने अली

नूर रौज़े पे बरसाता है आसमां

आज अजमेर पर है ख़ुदा मेहरबां

झोली फैला के कहता है सारा जहां

इक निगाहे करम ख्वाजा-ए-ख्वाजगां

बन गए दर पे कितने सवाली वली

चलो चलो ख्वाजा पिया की गली

जाने अली, जाने अली

ख्वाजा पिया जाने अली

Ishq e Haider Zindabad Lyrics Hindi by Farhan Ali Waris

हैदर.. हैदर.. हैदर.. हैदर…

हैदर.. हैदर.. हैदर.. हैदर…

इश्क़ पागल नहीं करता है

वली करता है

इश्क़ हैदर से जो जो करता है

सही करता है

कहता है ये दावर ए मह़शर ज़िन्दाबाद

सबसे बड़ा है इश्क़ ए हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर हैदर हैदर

इश्क़े हैदर हैदर हैदर

इश्क़े हैदर-हैदर

इश्क़े हैदर-हैदर

इश्क़े हैदर, इश्क़े हैदर,इश्क़े हैदर

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद 5

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर हैदर

इश्क़े हैदर हैदर

इश्क़े हैदर हैदर

टूटना दीवार का वो उम्मे हैदर के लिए

इश्क़ क़ाबे ने किया हैदर से इतना टूट के

टूट जाना इ़श्क़े हैदर

दर बनाना इ़श्क़े हैदर

मुस्कुराना इश्क़े हैदर

क़ाबे की मुस्कान से हैं ये दीवारो दर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर-हैदर

इश्क़े हैदर-हैदर

आई है तेराह (13) रजब तुम घर सजाकर देखना

घर में दस्तरख्वान मौला का बिछा कर देखना

रिज़्क़ बढ़ा दे इश्क़े हैदर

घर चमका दे इश्क़े हैदर

रुह महका दे इश्क़े हैदर

इश्क़े हैदर में जो सजा वो मोमिन का घर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर हैदर

इश्क़े हैदर हैदर

मीसम ए दम्मार है और ये बलन्दी दार की

कर रहा है इस बलंदी पर अली की ज़ाकरी

दार पे जाना इश्क़े हैदर

खूं में नहाना इश्क़े हैदर

आज़माना इश्क़े हैदर

मीसम तेरे दम से है ये दार का मिम्बर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

हैदर.. हैदर.. हैदर.. हैदर..

दरे हैदर की फक़ीरी में जो आ जाएगा

इस फ़क़ीरी में तू शाही का मज़ा पाएगा

इश्क़े हैदर की ये गहराई है ऐसी प्यारे

जितना डूबेगा तू उतना ही उभर जाएगा

इश्क़ में डूबी हुई परवाज़ दे मौला – हैदर हैदर

खत्म ना परवाज़ हो वो राज़ दे मौला – हैदर हैदर

फिर नजफ़ से तू हमें आवाज़ दे मौला – हैदर हैदर

हाज़िरी का तू हमें ऐज़ाज़ दे मौला – हैदर हैदर

राह दिखा दे – इश्क़े हैदर

रब से मिला दे – इश्क़े हैदर

दुनिया भुला दे – इश्क़े हैदर

इश्क़ में तेरे जो मर जाए वो है

मर कर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर हैदर

इश्क़े हैदर हैदर

इश्क़े हैदर में जो डूबे ये उसे परवाज़ दे

प्यार से फिर नाम भी मौला उसे शहवाज़ दे

दिल मिला दे – इश्क़े हैदर

मस्त बना दे – इश्क़े हैदर

लौ बढ़ा दे – इश्क़े हैदर

बोलो बोलो लाल सख़ी शाहवाज़ क़लन्दर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर हैदर

इश्क़े हैदर हैदर

बाप से घुट्टी में हैदर की विला मुझको मिली

दूध मां ने जब पिलाया तब पढ़ी नाद ए अली

यूं सिखाया – इश्क़े हैदर

खूं में समाया – इश्क़े हैदर

ना भुलाया – इश्क़े हैदर

इश्क़े अली सिखलाने वाली मेरी मादर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर में मुझे हद से गुज़र जाने दो

तुम मेरे दिल को ज़रा वज़्द में तो आने दो

ख़ुल्द में जाते ही बहलोल का घर ढूंढूंगा

खूब गुज़रेगी जब मिल बैठेंगे दीवाने दो

इ़श्क़ ये बहलोल से दीवाने को दाना करे

ख़ुल्द के घर बेच के दुनिया की परवाह ना करे

दिल पुकारे इश्क़े हैदर

इख़्तियारे इश्क़े हैदर

ये नज़ारे इश्क़े हैदर

जन्नत के घर बांटने वाला तेरा नौकर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर हैदर

इश्क़े हैदर हैदर

है गदीरे ख़ुम में मजमा खास कोई बात है

हाथ हैदर का उठाये मुस्तफ़ा का हाथ है

बोल रहा है इ़श्क़-ए-हैदर

सब को दिखा है इश्क़े हैदर

इतना बड़ा है इश्क़े हैदर

करता है ऐलाने विलायत मेरा पयम्बर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद

इ़श्क़-ए-हैदर ज़िन्दाबाद

इ़श्क़-ए-हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इ़श्क़-ए-हैदर ज़िन्दाबाद

गहरा समन्दर इश्क़े हैदर

रूह का लंगर इश्क़े हैदर

दर्स-ए-पयम्बर इश्क़े हैदर

क़ब्र के अन्दर इश्क़े हैदर

आस्मां पर इश्क़े हैदर

जन्नत का दर इश्क़े हैदर

सारे मवाली मिलकर बोलो साक़ी ए कौसर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर में फ़ना फ़रहान ओ मज़हर आमदी

इश्क़े हैदर ने बदल दी है दोनों की ज़िन्दगी

मेरी जन्नत इश्क़े हैदर

नाम ओ शोहरत इश्क़े हैदर

मा बदौलत इ़श्क़े हैदर

सारे मलंगों नारा लगाओ इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर ज़िन्दाबाद

इश्क़े हैदर हैदर

इश्क़े हैदर हैदर

Ishq e Haider Zindabad Lyrics In Hindi

Ishq e Haider Zindabad Best Manqabat Lyrics In Hindi

क़रीब से जो भी उनके गुज़रा

क़रीब से जो भी उनके गुज़रा

हुज़ूर ने मुस्कुरा के देखा !!

वो देखो देखो सुनहरी जाली

इधर सवाली उधर सवाली !!

क़रीब से जो भी उनके गुज़रा

हुज़ूर ने मुस्कुरा के देखा !!

तजल्लियों का लगा है मेला

जिधर निगाहें उठा के देखा !!

जहां गए उनका ज़िक्र छेड़ा

जहां रहे उनकी याद आई !!

ना ग़म ज़माने के पास आए

नबी की नातें सुना के देखा !!

तवाफ़ रौज़े का कर रहीं हैं

यहां वहां अश्कबार आंखें !!

है गूंज सल्ले अला की हर-सू

जहां जहां पे भी जाके देखा !!

तजल्लियों का लगा है मेला

जिधर निगाहें उठा के देखा !!

ज़हूरी जागे नसीब तेरे

बस इक निगाहे करम के सदक़े !!

के बार-बार अपने दर पे तुझको

तेरे नबी ने बुला के देखा !!

तजल्लियों का लगा है मेला

जिधर निगाहें उठा के देखा !!

ऐ दिल बगीर दामन ए सुल्तान-ए-औलिया

ऐ दिल बगीर दामन ए सुल्तान-ए-औलिया
यानी हुसैन इब्न-ए-अली जान-ए-औलिया।

ज़ौक़-ए-दिगर ब-जाम-ए-शहादत अज़ो रसीद
शौक़-ए-दिगर ब-मस्ती-ए-इरफ़ान-ए-औलिया।

आईना-ए-जमाल-ए-इलाहीस्त सूरतश
जां रो शुदस्त किबला-ए-ईमान-ए-औलिया।

चूँ साहिब-ए-मक़ाम नबी-ओ-अलिस्त ऊ
हम फख़्र-ए-अम्बिया शुद-ओ-हमशान-ए-औलिया।

ताकर्द सर्फ़-ए-हक़ सर-ओ-सामान-ए-हस्तियश
गोई सबक़ रबूदा ज़े मैदान-ए-औलिया।

रू-ए-नुक़ूश मतल’ए-सुब्ह-ए-सआ़दतस्त
सीमाए ओस्त सुब्ह़-ए-शबिस्तान-ए-औलिया।

दारद ‘नियाज़’ हुस्न ख़ुद उम्मीद बा हुसैन
बा औलियास्त हश्र मुहिब्बान-ए-औलिया।

हुसैन आ रहे हैं

“हम हैं फक़ीर सदक़ा तेरा मांगने वाले
मौजूद हैं महफ़िल में तेरे चाहने वाले
इब्ने अली फ़ातिमा ज़हरा के दुलारे
शब्बीर सदा लाल ओ गौहर बांटने वाले”

वो सिब्ते पयम्बर हुसैन आ रहे हैं
ज़माने के रहबर हुसैन आ रहे हैं

उठो खैर मख़दम, ओ ईमान वालो
चलो इब्ने हैदर हुसैन आ रहे हैं

फ़ज़ाएं मुअम्मर हवाएं मोअत्तर
है फ़िरदौस मन्ज़र हुसैन आ रहे हैं

वो जिनकी रसाई है अर्शै बरीं तक
वो बाला ओ बरतर हुसैन आ रहे हैं

ना मायूस होना – ना मायूस होना
ना मायूस होना – ना मायूस होना
बदलने मुक़द्दर हुसैन आ रहे हैं

मिटाने ज़माने से तारीकियों को
वो माह ए मुनव्वर हुसैन आ रहे हैं

चलो आज क़दमों में युसुफ़ भी जायें
फ़लक से ज़मीं पर हुसैन आ रहे हैं

नूरे नबी का नूरी उजाला हुसैन है

नूरे नबी का नूरी उजाला हुसैन है
हैदर वा फ़ातिमा का दुलारा हुसैन है

(नाना के जिसमें पाक का साया हुसैन है
ज़िन्दा था और आज भी ज़िन्दा हुसैन है
सरकार हैं चराग़ और उजाला हुसैन है
दुनिया है रात और सवेरा हुसैन है)

नेजे पे चढ़ के सर ने पढ़ी आयात ए क़ुरआन
इससे भी ज़ाहिर हो गया ज़िन्दा हुसैन है

अब्बास बोले आले नबी है हुसैन ए पाक
फिर किस तरहं पुकारूं मैं भैय्या हुसैन हैं

नूरे नबी का नूरी उजाला हुसैन है
हैदर वा फ़ातिमा का दुलारा हुसैन है

नाना नबी ए पाक की उम्मत के वास्ते
कुर्बान हो गया वो नवासा हुसैन है

प्यासों की भीड़ पा के सबीलों पे ये लगा
प्यासी है कायनात तो दरिया हुसैन है

(वो थे हुसैन थी वो इबादत हुसैन की
क़िस्मत पे नाज़ करती है क़िस्मत हुसैन की
बजती रहेगी खल्क़ में नौबत हुसैन की
दुनिया को आज भी है ज़रूरत हुसैन की)

रब को किए हैं, करते हैं, करते रहेंगे हम
अफ़ज़ल सभी से आपका सजदा हुसैन है

नूरे नबी का नूरी उजाला हुसैन है
हैदर वा फ़ातिमा का दुलारा हुसैन है

रब की रज़ा के वास्ते मैदान-ए-जंग में
ज़ुल्म-ओ-सितम को सब्र से सहता हुसैन है

नूरे नबी का नूरी उजाला हुसैन है
हैदर वा फ़ातिमा का दुलारा हुसैन है

जिस्म ए रसूले पाक का टुकड़ा हुसैन है
ये भी सुनो के अर्श का कंगरा हुसैन है
पैग़म्बर ए ख़ुदा का नवासा हुसैन है

ज़हरा की चश्मे पाक का तारा हुसैन है
अहमद पिया से फ़ैज़ी ने पूछा तो यूं कहा
मेरे तो जद्दे आला वा आक़ा हुसैन है

नूरे नबी का नूरी उजाला हुसैन है
हैदर वा फ़ातिमा का दुलारा हुसैन है

शाहे मरदां शेरे यज़दां क़ुव्वत ए परवरदिगार

शाहे मरदां शेरे यज़दां क़ुव्वत ए परवरदिगार
ला-फ़ताह इल्लाह अली ला शैफ़ इल्ला ज़ुल्फ़िक़ार

अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं

अली का इश्क़ ज़िन्दगी
अली का इश्क़ बन्दगी
अली के इश्क़ से मिले
क़लन्दरी सिकन्दरी

मैं सुन्नी, मैं हूं हैदरी ना राफ़्जी जी ना खारजी
जो इश्क़ ए अली दिल में है वो इश्क़ बे-हिसाब है
(हैदर हैदर ..)

अली शाह ए हैदर इमामन कबीरा
के बाद अज़ नबी शुद बशीरम नज़ीरा
आख़िर ये नबी हैं वो नूरे नबी हैं
हैं नफ़्से नबी और खून ए नबी हैं

फ़रिश्तों को है मान के उनके गदा हैं
अली शेर ए यज़दां अली ला-फ़ताह हैं
है लहमो-का लहमी, है जिस्मो-का जिस्मीं
है दम्मो-का दम्मी, है नफ़्सो-का नफ़्सी

है ऐ़न ए ख़ुदा वो
हैं दस्ते ख़ुदा वो
निशान ए ख़ुदा वो
नबी ओ ख़ुदा वो हुए जिससे राज़ी
के जिब्रील ने ये ओहद में सदा दी

मिला है अली को भी हिजरत में बिस्तर
ख़ुदा के हुकुम से दी आक़ा ने दुख़्तर

अली के सिवा कोई मुझको बताओ
सलोनी का दावा किसी ने किया हो
सख़ावत में आला, शुजाअ़त में आला
अली शाह ए मर्दा मदद करने वाला
अली इल्म का दर नबी ने कहा है
कि मन कुंतो मौला नबी ने कहा है

के हर इक सहाबी के मौला अली हैं
हां मोमिन मुसलमां के मौला अली हैं
हां ख़ुल्फ़ा ए राशिद में नामे अली हैं
सुनो पंजतन में भी नामे अली है

करम करने वाला
रहम करने वाला
अता करने वाला
सख़ा करने वाला
वो कुनबे को दीं पे फ़िदा करने वाला
नहीं कोई ऐसी वफ़ा करने वाला

लिया गोद में जब नबी ने अली को
खुली उनकी आंखें तो देखा नबी को
ख़ुदा ही के घर में विलादत हुई है
ख़ुदा ही के घर में शहादत हुई है

अली मेरे मावा
अली मेरे मल्जा
वो नेमत है रब की
वो रहमत है रब की
अली मेरे आबिद
अली मेरे साजिद
अली मेरे आलिम
अली मेरे फ़ाज़िल
अली मेरा काबा
अली मेरा किबला
अली मेरे सरवर
अली मेरे शफ़क़त

अली मेरे हादी अली मेरे हैदर
बा-फ़ज़्ले ख़ुदा से मैं हूं बू-तुराबी

अली मेरे हादी अली मेरे हैदर
ब-फ़ज़्ले ख़ुदा से मैं हूं बू-तुराबी

अली हैं मेरे रहनुमा अली हैं मेरे पेशवा
अली ख़ुदा के शेर हैं अली हैं जान ए मुस्तफ़ा
मेरा तो मसलक अली
मेरी अक़ीदत अली
मेरे लिए ज़िक्रे अली बहुत बड़ा सवाब है

अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं

विलायतों के शहर के हैं मेरे अली हुक्मरान
हैं ज़ाबता ह़यात का, अली हैं इल्म का जहां

कहो न फिर है हक़ अली
कहो न फिर है हक़ अली
इमाम बेशक अली
मक़ाम ला मक़ा में बस
अली तो लाजवाब हैं,

अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं

है नाज़ ए खुदा – हैदर
है शेर ए खुदा – हैदर
बाब ए अता -हैदर
है जूद ओ सख़ा – हैदर
है मेरी वफ़ा – हैदर
तेरा रुतबा बड़ा – हैदर

है फ़ातिमा की जान और अली नबी के फूल हैं
दोनों जहां की कामयाबी के अली उसूल हैं
जो शहर ए इल्म मुस्तफ़ा तो दर हैं इसका मुर्तज़ा
असद भी है ख़ुदा का और नबी का बू-तुराब है

अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं

अज़ल से अपने दिल में है तमन्ना, ऐ मेरे ख़ुदा
हर एक सांस हैदरी करें हैं बस यही दुआ
जो जाम ए कौसर पिये अली के हाथ से पिये
मैं झूमता फिरूं, हुआ ये पूरा मेरा ख़्वाब है

अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं
अली तो लाजवाब हैं, अली तो लाजवाब हैं

अली का नाम ना लूं सांस ही नहीं आती
अजीब लोग हैं कहते हैं या अली ना कहो

हिजाब ए सानी ए ज़हरा

हिजाब ए सानी ए ज़हरा
अली का अक्स ए हसीं !!
ऐ मेरे बा-वफ़ा मौला अब्बास ए अली !!

या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

क़िस्मत के मेरी मालिक ओ मुख़्तार
या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

तेरा है ये दस्त ए अता दरअसल दस्ते ख़ुदा !!
बाटता है तू भी नाम ए ख़ुदा
सदक़ा अली की पाक आल का !!
तुझसे जो कभी मांगे वो खाली न गया !!

या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

ज़हरा की दुआ अब्बास
ज़ैनब की रिदा अब्बास
नूरे जली का नूरे नज़र
शेरे जली का है शेरे ए नर
हाथों में इसके भी है ज़ोरे ला-फ़ताह

या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

शब्बीर की आंखों के चैन
मेरे तरसे ज़ियारत को नैन !!
वास्ता भतीजी का है तुझे
इज़्न इक सजदे का दे मुझे !!
मरने से पहले ही मुझे कर्बला बुला !!

या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

ताक़त में जलाल ए अली
हैबत में है ग़ैज़ ए जली !!
लश्कर ए शाम यूं डर गया
तूने बस देखा और मर गया !!
यूं ही तो नहीं दीं का तुझको अलम मिला !!

या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

तस्बीह पढ़ इस नाम की
टल जायेगी बला शाम की !!
नाम ए अब्बास है आसरा
मुश्किलों में अज़ादार का !!
इसी नाम के आगे दुश्मन भी ना रुका !!

या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

देखा है असद ने ये ही
तेरे रौज़े पे खुद हर घड़ी !!
होते हैं यहां कई मोजज़े
कौन है वो जो ये ना कहे !!
औक़ात से बढ़कर किया मौला ने अ़ता !!

या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

क़िस्मत के मेरी मालिक ओ मुख़्तार
या बाबुल हवाइज अलमदार
या बाबुल हवाइज अलमदार

जिसको को देखो वह नजर आता है दीवाना तेरा लिरिक्स

जिसको को देखो वोह नज़र आता है दीवाना तेरा
वाह! क्या अंदाज़ है ऐ पीर-ए-मयखाना तेरा।

ऐ हसीं जलवा है हर-सू बे-हिजाबाना तेरा
ज़र्रा ज़र्रा कह रहा है मुझसे अफ़साना तेरा।

गुल तेरे, गुलशन है तेरा, सब बहारें हैं तेरी
आशियान-ओ-बर्क़ सब कहते हैं अफ़साना तेरा।

लुत्फ़ उसका है, बहार उसकी है, मस्ती उसकी है
पी लिया जिसने अज़ल के रोज़ पैमाना तेरा।

अब कमी क्या है मेरे साक़ी पिलाए जा मुझे
शीशा तेरा, मय तेरी, है जाम-ओ-मयख़ाना तेरा।

तू ने कुछ ऐसी पिलायी ऐ निगाह-ए-चश्म-ए-दोस्त
रोज़-ए-अव्वल से तेरा “क़ैसर” है मस्ताना तेरा।

खूं से चिराग़ ए काबा जलाया हुसैन ने

खूं से चिराग़ ए काबा जलाया हुसैन ने
बचपन का वादा खूब निभाया हुसैन ने
ऐसी नमाज़ कौन पढ़ेगा ऐ मोमिनो
सजदा किया तो सर ना उठाया हुसैन ने

अल्लाह अल्लाह वो हुसैन
सय्यिदा के नूर ए ऐन

अल्लाह अल्लाह वो हुसैन
जान ए शाह ए मशरिक़ैन

अल्लाह अल्लाह वो हुसैन
मुर्तुज़ा के दिल का चैन

सूए करबल हुआ जो रवाना

वो है मौला अली का घराना
अली का घराना …
वो है मौला अली का घराना

जिनके रुतबे हैं निराले
जिनको चाहें अर्श वाले
बन्द जिन पर हुआ आब ओ दाना

वो है मौला अली का घराना
अली का घराना …
वो है मौला अली का घराना

सय्यिदा फ़ातिमा के हैं लख़्ते जिगर
जिनके दर के हैं दरबान जिन्न ओ बशर
कर दिये जिनके नाना ने टुकड़े क़मर
जिनके बाबा से थर्राए ख़ैबर का दर

जिनकी सूरत है नूरानी
जिनकी सीरत है क़ुरआनी
जिन पे कुर्बान सारा ज़माना

वो है मौला अली का घराना
अली का घराना …
वो है मौला अली का घराना

ईद के दिन हुसैन ओ हसन ने कहा
अम्मी जां आज हम दोनों पहनेंगे क्या
रो पड़ीं फ़ातिमा हुकुम रब का हुआ
खुल्द से जोड़े जिब्रील लेकर के जा
आगे जन्नत के हैं फूल वो नवासा ए रसूल
कैसे पहनेंगे कपड़ा पुराना

वो है मौला अली का घराना
अली का घराना …
वो है मौला अली का घराना

दीन ए इस्लाम के सिपहसालार हैं
नौजवान-आने जन्नत के सरदार हैं
लब पे कुरआन सर ज़ेरे ए तलवार है
घर का घर वो लुटाने को तैयार हैं
कितना आला है मक़ाम हैं शहीदों के इमाम
मालिक ए ख़ुल्द हैं जिनके नाना

वो है मौला अली का घराना
अली का घराना …
वो है मौला अली का घराना

आफ़ताब ए रिसालत की नूरी किरन
हैं अली, फ़ातिमा और हुसैन ओ हसन
जिनको आक़ा चुसायें लुआवे-दहन
जिन की राहों में ग़िल्मा बिछाएं नयन
जिन का रुतबा है शाहाना
जिनका हर कोई दीवाना
हर ज़बां पर है जिनका तराना

वो है मौला अली का घराना
अली का घराना …
वो है मौला अली का घराना

दीन को तोहफ़ा ए मोतवर दे दिया
ख़ल्क़ को सब्र का इक हुनर दे दिया
हाथ पर हाथ ताहिर ना हरगिज दिया
दीन पर आंच आई तो सर दे दिया

अल्लाह अल्लाह रे ये शान
हंसते-हंसते दे दी जान
जिसने सीखा ना सर को झुकाना

वो है मौला अली का घराना
अली का घराना …
वो है मौला अली का घराना

नबियों में सबसे अफ़ज़ल रुतबा मेरे नबी का हिंदी लिरिक्स

ज़ुबां जब ज़ाक्र-ए-सन-ए-रसूल ﷺ करती है
सुख़न की दाद ख़ुदा से वुसूल करती है
इलाज हो न सका जिसका सारी दुनिया से
इलाज उसका मदीने की धूल करती है।

नबियों में सबसे अफ़ज़ल रुतबा मेरे नबी का
नबियों में सबसे अफ़ज़ल रुतबा मेरे नबी का
क़ुरआन है मुकम्मल चेहरा मेरे नबी का

उतरा नहीं ज़मीं पर साया मेरे नबी का
अल्लाह का है जलवा, जलवा मेरे नबी का

अल्लाह की क़सम वो तक़दीर के धनी हैं
जो लोग देख आये रौज़ा मेरे नबी का

सरकारे दो जहान का ये ख़ास मोजिज़ा है
कंकर भी पढ़ रहे हैं, कलमा मेरे नबी का

हो जाएँ लाख पैदा, इस्लाम के मुख़ालिफ़
चलता रहेगा यूँही सिक्का मेरे नबी का

नबियों में सबसे अफज़ल..
नबियों में सबसे अफज़ल..

हां-हां कमी करो ना सलामो सलात में
वो खूबियां हैं सरवर-ए-आलम की ज़ात में
क़ुरआन उतरा प्यारे नबी की सिफ़ात में
हक़ ने ना देखा आप सा जब कायनात में
सारी ख़ुदाई दे दी मुहम्मद ﷺ के हाथ में।

नबियों में सबसे अफज़ल..
नबियों में सबसे अफज़ल..

वफ़ा लाए हैं, उल्फ़त लाए हैं, ईमान लाए हैं
क़यामत में जो काम आएगा वो सामान लाए हैं
मुहम्मद मुस्तफा ﷺ अल्लाह का फ़रमान लाये हैं
गुनहगारों की बख़्शिश के लिए क़ुरआन लाये हैं

नबियों में सबसे अफज़ल..
नबियों में सबसे अफज़ल..

सरे-महशर बशर तो क्या फ़रिश्ते कॉंप जाएंगे
हुजूम-ए-अंबिया तक को पसीने छूट जाएंगे
शब-ए-मेराज का सदक़ा असीरों को दिलाएंगे
मुहम्मद ﷺ हश्र के मैदां में रहमत बनके जाएंगे।

नबियों में सबसे अफज़ल..
नबियों में सबसे अफज़ल..

फैली तो इत्रदान से ख़ुशबू नहीं गयी
अक़ा की इस जहान से ख़ुशबू नहीं गयी
मेराज के सफ़र को ज़माने गुज़र गए
अब तक रसूल-ए-पाक ﷺ की ख़ुशबू नहीं गयी।

नबियों में सबसे अफज़ल..
नबियों में सबसे अफज़ल..

उनके करम पे मुनहसिर रहती है जिंदगी मेरी

उनके करम पे मुनहसिर रहती है जिंदगी मेरी,
वोही मेरे इमाम हैं उन से है बंदगी मेरी।

ग़ैर के दर पे जाएं क्यों दस्त-ए-तलब बढ़ाएं क्यों
उनको तो ख़ुद ही लाज है उन से है जिंदगी मेरी।

तुझको है नाज़ बादशाह, मैं भी किसी का हूं गदा,
शाही से भी अज़ीज़ है मुझको गदागरी मेरी।

मैं जिनके दर का हूं गदा उनका तो ख़ुद है मयकदा
उनकी नज़र के जाम से क़ायम है मयकशी मेरी।

मुर्शिद यही है इल्तिजा आए तो आए यूं क़ज़ा,
तुम हो नज़र के सामने सांस हो आख़िरी मेरी।

इलाही ज़िन्दगी यूं ही बसर हो

इलाही ज़िन्दगी यूं ही बसर हो,
नबी ﷺ का दर्द हो मेरा जिगर हो।

मेरी आहों में भी इतना असर हो,
यहां तड़पूं मदीने में ख़बर हो।

मेरे मौला मुझे वो दिन दिखा दे,
नबी ﷺ का आस्तां हो मेरा सर हो।

चला जाऊं ग़ुबार-ए-राह बन कर,
जो क़िस्मत में मदीने का सफ़र हो।

ग़ुलामों की ख़बर रखते हैं आक़ा ﷺ,
वो आक़ा ही नहीं जो बे ख़बर हो।

मेरी उल्फ़त मुझे काफ़िर बना दे,
सिवा तेरे कोई दिल में अगर हो।

मुझे आक़ा ﷺ अ़ता ऐसी नज़र हो,
मैं देखूं जिस तरफ़ तू जल्वागर हो।

मुझे क्या काम है दैर-ए-ह़रम से,
मेरा सज्दा उधर है तू जिधर हो।

मुझे सारा जहां अपन कहेगा,
मेरी जानिब अगर तेरी नज़र हो।

सरापा बंदगी वो ज़िंदगी है,
ख़याल-ए-मुस्तफ़ा ﷺ में जो बसर हो।

नहीं इसके सिवा कोई तमन्ना,
जब आए मौत तू पेश-ए-नज़र हो।

यही बस आरज़ू है या इलाही,
जमाल-ए-यार हो मेरी नज़र हो।

बुला लो आक़ा ﷺ दीवाने को दर पर,
ये होकर आपका ﷺ क्यूं दर-बदर हो।

इलाही ज़िन्दगी यूं ही बसर हो

मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं लिरिक्स

तुम्हारा सानी रिसालत मआब हो न सका
तुम्हारा कोई कहीं भी जवाब दो न सका
रसूल और भी आए जहान में लेकिन
कोई भी साहिब उम्मुल-किताब हो न सका।

या रसूल-ए-ख़ुदा ﷺ सैय्यद-ए-दो-सरा ﷺ
ऐ शाहे अंबिया है मेरे मुस्तफ़ा ﷺ

मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं।

ईसा को भी देखा
मूसा को भी देखा
यूसुफ़ को भी देखा, पर
मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं

रसूल और भी आए जहान में लेकिन
मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं।

फिरे ज़माने में चार जानिब
निगार-ए-यक्ता तुम्हीं को देखा
हसीन देखे जमीन देखे
पर एक तुमसा तुम्हीं को देखा
मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं

शहे यस़रबी तेरे हुस्न की
किसे ताब जो करे हमसरी
न गुलों में ऐसी शगुफ़्तगी
न ये रंग-ओ-बू, न ये ताज़गी

ये अनोखी छब, ये नई फबन
ये अदाएं प्यारी, ये सादगी
तेरी मिस्ल कोई हुआ न हो
तेरे सदक़े जाऊं मैं या नबी

मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं

या रसूल-ए-ख़ुदा ﷺ सैय्यद-ए-दो-सरा ﷺ
ऐ शाहे अंबिया है मेरे मुस्तफ़ा ﷺ
मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं।

तेरा दर है ज़माने में सबसे बड़ा
तेरे दर से नहीं कोई ख़ाली गया
शहंशाह-ए-करम, शहंशाह-ए-आ़ता
ऐ शाहे अंबिया है मेरे मुस्तफ़ा ﷺ
मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं।

जो भिकारी गए ताजवर हो गए
दिन ग़रीबों के अच्छे बसर हो गए
तेरे दर से मिला, जिसको जो कुछ मिला
ऐ शाहे अंबिया है मेरे मुस्तफ़ा ﷺ
मुझको तेरी क़सम तुझसा कोई नहीं।

मेराज में जिब्रील से कहने लगे शाहे उमम
तूने तो देखे हैं हसीं बतलाओ तो कैसे हैं हम
रूहुल-अमीं कहने लगा ऐ नाज़नीं हक़ की क़सम
आफ़ाक-हा गरदीदा अम, मेहरे-बुतां वर्ज़ीदा आम
बिसयार ख़ूबां दीदा अम लेकिन तो चीज़-ए-दीगरी।

मुझको तेरी कसम तुझसा कोई नहीं।

जिसको तुझसे शहा कोई निस्बत हुई
उसको दुनिया के ग़म से रिहाई मिली
तू है हर दर्द की, हर अलम की दवा
ऐ शाहे अंबिया है मेरे मुस्तफ़ा ﷺ
मुझको तेरी कसम तुझसा कोई नहीं।

या नबी इल्तिजाओं का रखना भरम
सू-ए-नादिर भी हो एक नज़्र-ए-करम
कोन दुनिया में है तुझसा ह़ाजत रवा
ऐ शाहे अंबिया है मेरे मुस्तफ़ा ﷺ
मुझको तेरी कसम तुझसा कोई नहीं।

तेरी दीद करने को ख़ुद ख़ुदा
तुझे पास अपने बुला लिया
तो बिठा के सामने यह कहा
मुझको तेरी कसम तुझसा कोई नहीं।

सूरत को तेरी देख के कुछ मुंह से न निकला
निकला तो ये निकला, बस
मुझको तेरी कसम तुझसा कोई नहीं।

हर-हर कुंडल-कुंडल उत्ते आशिक दा दिल डोले
हुस्न तेरे दी सिफ़्त की आखां काफ़िर कलमा बोले
मुझको तेरी कसम तुझसा कोई नहीं।

उनका ही तसव्वुरर है महफ़िल हो या तन्हाई

उनका ही तसव्वुरर है महफ़िल हो या तन्हाई
ना जाने मुझे उनकी क्या बात पसंद आई

जुदा वो हो गए लगता नहीं है
हैं पर्दे में मगर पर्दा नहीं है
बसी है आंख में सूरत तुम्हारी
कोई चेहरा हमें जचता नहीं है

हसीं बहुत हैं मगर वो तो सबसे आला है
हमारे पीर का दुनिया में बोलबाला है
ज़माने भर के हसीनों का ताज वाला है
क़सम ख़ुदा की हमारा सनम निराला है

कोई शाहकार नहीं शाहकार से बढ़कर
किसी का यार नहीं मेरे यार से बढ़कर
जुदाई आपकी तड़पा रही है
हमारा दिल कहीं लगता नहीं है

ज़रा सी देर को आ जाइएगा
बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं

तसव्वुर में चले आते तुम्हारा क्या बिगड़ जाता
तुम्हारा पर्दा रह जाता हमें दीदार हो जाता
बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं है

ब-ज़ाहिर तो नज़र आते नहीं हो
नहीं हो साथ तुम ऐसा नहीं है
बहुत दिन से तुम्हें देखा नहीं है

दिल के आईने में है तस्वीर ए यार

दिल के आईने में है तस्वीर ए यार
जब ज़रा गर्दन झुकायी देख ली

मिला है ख़ूब सहारा ये ज़िन्दगी के लिए
मिला है ख़ूब सहारा ये ज़िन्दगी के लिए
के तुझको ढूंढ निकाला है बंदगी के लिए।

हर एक राह में आंखें बिछा रहा हूं मैं
लगा बैठा हूं दिल से तेरे तसव्वुर को

के तुझको ढूंढ निकाला है बंदगी के लिए …

ज़िन्दगी जब भी किसी शैय की तलब करती है
मेरे होंठों पे तेरा नाम मचल जाता है।

के तुझको ढूंढ निकाला है बंदगी के लिए …

दुनिया तेरे वुजूद को करती रही तलाश
मैंने तेरे ख़याल को जज़्बा बना लिया।

के तुझको ढूंढ निकाला है बंदगी के लिए …

इक तिरी याद है और आलम ए तन्हाई है
इस क़दर मह्व ए इबादत तेरा शैदियी है।

के तुझको ढूंढ निकाला है बंदगी के लिए …

तुम्हारी सख़्त ज़रूरत है रहबरी के लिए
बहुत कठिन है रहे इश्क़ अजनबी के लिए।

हमारे ख़ाना ए दिल में बहुत अंधेरा है
चराग़ बनके तुम आ जाओ रौशनी के लिए।

रगड़नी पड़ती हैं उल्फ़त में एड़ियां बरसों
कलेजा चाहिए पत्थर का आशिक़ी के लिए।

ग़म ए इश्क़ का बोझ उठाना पड़ेगा
जुदाई को सीने लगाना पड़ेगा,
कभी यार को ख़ुद बुलाना पड़ेगा
कभी राज़ ए उल्फ़त छुपाना पड़ेगा। बस, बस

कलेजा चाहिए पत्थर का आशिक़ी के लिए …

ये दुनिया है, दुनिया में रोते हुए भी
कयी मर्तबा मुस्कुराना पड़ेगा,
मोहब्बत का क़िस्सा सुनाना पड़ेगा
उसी आग में दिल जलाना पड़ेगा। बस, बस

कलेजा चाहिए पत्थर का आशिक़ी के लिए …

कहीं घायल कहीं बिस्मिल पड़े हैं उनकी राहों में
किसी तीर ए नज़र की ये सख़ावत होती रहती है , बस

कलेजा चाहिए पत्थर का आशिक़ी के लिए …

तलाश होगी हमारी तुम्हें हमारे बाद
बहुत चराग़ जलाओगे रौशनी के लिए।

हम उनके क़दमों में आंखें बिछाएंगे आज़ाद
हमारे घर में वो आएं तो दो घड़ी के लिए।

मिला है ख़ूब सहारा ये ज़िन्दगी के लिए
मिला है ख़ूब सहारा ये ज़िन्दगी के लिए

अगर आग दिल में लगी हो तो जानो

अगर आग दिल में लगी हो तो जानो
तख़ैय्युल में हलचल मची हो तो जानो
कभी फ़ांस दिल में चुभी हो तो जानो
नशेमन पे बिजली गिरी हो तो जानो

मोहब्बत कभी तुमने की हो तो जानो
तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो जानो
शाहे सुल्तां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

रोके से क़यामत रुक जाए
पर रोक न दिल का मुश्किल है
कुछ भी ना सुनाई देता है
जिस वक़्त मोहब्बत होती है
होती है, होती है

तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो जानो
शाहे सुल्तां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

ऐ वाइज़ ए नादां क्यूं करता है तू रोज़े क़यामत का चर्चा
जब रोज़ निगाहें मिलती हैं यहां रोज़ क़यामत होती है

होती, होती है
तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो जानो
शाहे सुल्तां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

खुशामद से, तलब से ना किसी मिन्नत से मिलती है
मोहब्बत ऐसी दौलत है तेरी रह़मत से मिलती है

तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो जानो
शाहे सुल्तां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

ऐ चारागर ना पूछ हमारे जिगर की चोट
पत्थर भी टूट जाता है खा कर नज़र की चोट
ये उम्र भर का दाग़ है और उम्र भर की चोट
तीरों का ज़ख़्म हो तो करूं इसका कुछ इलाज
इसका इलाज क्या करूं ये है नज़र की चोट

तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो जानो
जाने जानां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

मोहब्बत में हमेशा ज़िन्दगी बर्बाद रहती है
ये सब कुछ है मगर फिर भी तुम्हारी याद रहती है

तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो जानो
जाने जानां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

ऐ शैख़ जी बस जाइए मुर्शिद की बस्ती आ गई
बुत परस्ती करते – करते हक़ परस्ती आ गई

तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो जानो
जाने जानां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

मोहब्बत जब सुकूने जिंन्दगी बर्बाद करती है
तो लब खामोश रहते हैं नज़र फ़रियाद करती है

तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो जानो
जाने जानां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

इश्क़ वालों के फ़क़त दो ही पते होते हैं
घर में खाने को नहीं कपड़े फटे होते हैं

तुमने की हो तो जानो
मोहब्बत की हो तो
जाने जानां से मोहब्बत तुमने की हो तो जानो

जुनूं ने मुझे किस जगह लाके छोड़ा
जहां ज़र्रे ज़र्रे में है उनका जल्वा
मेरे राज़ को कोई अब तक न समझा
अरे हंसने वालों तुम्हारी ये दुनिया
हमारी तरह लुट गई हो तो जानो

लुट गई हो तो जानो
लुट गई हो तो जानो
देखो मोहब्बत की दुनिया लुट गई हो तो जानो

जो दिल को दे गई इक दर्द उम्र भर के लिए
तड़प रहा हूं अभी तक उसी नज़र के लिए

वही आबले हैं वोही जलन
कोई शोज़ ए दिल में कमी नहीं
जो लगा के आग गए हो तुम
वो लगी हुई है बुझी नहीं

जो मैं ऐसो जानती जो प्रीत करे दुख होए
सो नगर ढिंढोरा पीटती प्रीत ना करियो कोए

लुट गई हो तो जानो
लुट गई हो तो जानो
देखो, मोहब्बत की दुनिया लुट गई हो तो जानो

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