Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah
Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah || आया है ये तेरा दीवाना, शैअल-लिल्लाह, शैअल-लिल्लाह
Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah || आया है ये तेरा दीवाना, शैअल-लिल्लाह, शैअल-लिल्लाह
Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah Shaian Lillah
Aaya Hai Ye Tera Deewaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Kehta Hai Ye Har Dam Mastaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah Shaian Lillah
Khaali Hai Meri Jholi Bhar Do Ay Ghaus Meri Jholi Bhar DoDarbaar Hai Tera
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Tu Jaan-e-wali Hai Kaan-e-sakhi Darbaar Main Teray Kya Hai Kami Bhar De Mere Saaqi Paymaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah Shaian Lillah
Hai Hukam Tera Hukm-e-rabbi Eik Dam Main Jo Chahe Kar De Wohi Ye Daur Hai Tera Shahaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Tu Peer Mera Laa Sani Hai Aur Ghaus Mera Jeelani HaiMain Tera Mureed Deewaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Islam Ka Main Eik Saail Hun Aur Naam Ka Tere Shaaghil HunParhta Howa Tera Do-gaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah Shaian Lillah
Main Saail-o-kam Himmat Za’eir Aur Naam Tera Abdul QaadirAur Qadri Tera Kaashaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Tu Qaasim Ibnul Qaasim Hai Har Nea’mat Tujhse Qaaim Hai Aalam Hai Tera Langar Khana SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah Shaian Lillah
Sab Teray Mazaare Anwar Par Hote Hain Nichaawar Aa aa Kar Tu Sham’a Hai Aalam Parwaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Main Aur Meray Ehbaab Pisar Aur Bhaai Bahen Beewi Dukhtar Sab Ka Ho Wazeefa Rozaana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Aaya Hai Ye Tera Deewaana Shaian Lillah Shaian Lillah
Laitey Rahein Ham Sab Naam Tera Kartaley Rahen Mil Kar Kaam Tera Baghdaad Se Ho Aab-o-daana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Tum Dil Main Jo Jalwah Farma Ho Phir Kya Kahen Ye Kya Kya Ho Abaad Karo Ye Wiraana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
Khushtar Ko Bulaya Rawze Par Ummeed Se Dee Nai’mat Barh Kar Ho Lutf-o-karam Ye Saalana
SHAI’AN LILLAH SHAI’AN LILLAH
1. आया है ये तेरा दीवाना शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
आया है ये तेरा दीवाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
कहता है ये हर दम मस्ताना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
2. खाली है मेरी झोली भर दो ऐ ग़ौस मेरी झोली भर दो
दरबार है तेरा
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
3. तू जाने-वली है कान-ए-सखी
दरबार में तेरे क्या है कमी
भर दे मेरे साक़ी पैमाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
4. है हुक्म तेरा हुक्म-ए-रब्बी
एक दम में जो चाहे कर दे वही
ये दौर है तेरा शहाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
5. तू पीर मेरा ला सानी है
और ग़ौस मेरा जीलानी है
मैं तेरा मुरीद दीवाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
6. चाहूं जो अगर तुझको चाहूं
देखूं जो अगर तुझको देखूं
कर दे मुझे सब से बेगाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
7. इस्लाम का मैं एक साइल हूँ
और नाम का तेरे शागिल हूँ
पढ़ता हुआ तेरा दो-गाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
8. छूटे न कभी तू और अहमद
मुश्किल जो पड़े हो तेरी मदद
गर वक्त नज़ा हो आजाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
9. मैं साइल-ओ-कम हिम्मत ज़ाएर
और नाम तेरा अब्दुल कादिर
और कादरी तेरा काशाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
10. तू कासिम इब्नुल कासिम है
हर नेमत तुझसे क़ाइम है
आलम है तेरा लंगरख़ाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
11. लेते रहें हम सब नाम तेरा
करते रहें मिलकर काम तेरा
बगदाद से हो आब-ओ-दान
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
12. तुम दिल में जो जलवा फरमा हो
फिर क्या कहें ये क्या क्या हो
आबाद करो ये वीराना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
13. खुश्तर को बुलाया रौज़े पर
उम्मीद से दी नेमत बढ़कर
हो लुत्फ़-ओ-करम ये सालाना
शैअन लिल्लाह शैअन लिल्लाह
آیا ہے یہ تیرا دیوانہ شیئا للہ شیئا للہ
آیا ہے یہ تیرا دیوانہ
شیئا للہ شیئا للہ
کہتا ہے یہ ہر دم مستانہ
شیئا للہ شیئا للہ
خالی ہے میری جھولی بھر دو اے غوث میری جھولی بھر دو
دربار ہے تیرا
شیئا للہ شیئا للہ
تُو جانِ ولی ہے کانِ سخی
دربار میں تیرے کیا ہے کمی
بھر دے میرے ساقی پیمانہ
شیئا للہ شیئا للہ
ہے حکم تیرا حکمِ ربی
ایک دم میں جو چاہے کر دے وہی
یہ دور ہے تیرا شاہانہ
شیئا للہ شیئا للہ
میں بد ہی صحیح، میں چور ہی صحیح
میں مجرم و خطا کاری کچھ ہی صحیح
پر تیرا ہوں جانِ جانانہ
شیئا للہ شیئا للہ
تُو پیر میرا لا ثانی ہے
اور غوث میرا جیلانی ہے
میں تیرا مرید دیوانہ
شیئا للہ شیئا للہ
چاہوں جو اگر تجھ کو چاہوں
دیکھوں جو اگر تجھ کو دیکھوں
کر دے مجھے سب سے بیگانہ
شیئا للہ شیئا للہ
اسلام کا میں ایک سائل ہوں
اور نام کا تیرے شاغل ہوں
پڑھتا ہوا تیرا دوگانہ
شیئا للہ شیئا لل
تُو قاسم ابن القاسم ہے
ہر نعمت تجھ سے قائم ہے
عالم ہے تیرا لنگر خانہ
شیئا للہ شیئا للہ
سب تیرے مزارے انور پر
ہوتے ہیں نچھاور آ آ کر
تُو شمع ہے عالم پروانہ
شیئا للہ شیئا للہ
میں اور میرے احباب، پسر
اور بھائی، بہن، بیوی، دختر
سب کا ہو وظیفہ روزانہ
شیئا للہ شیئا للہ
لیتے رہیں ہم سب نام تیرا
کرتے رہیں مل کر کام تیرا
بغداد سے ہو آب و دانہ
شیئا للہ شیئا للہ
تم دل میں جو جلوہ فرما ہو
پھر کیا کہیں یہ کیا کیا ہو
آباد کرو یہ ویرانہ
شیئا للہ شیئا للہ
خوشتر کو بلایا روزے پر
امید سے دی نعمت بڑھ کر
ہو لطف و کرم یہ سالانہ
شیئا للہ شیئا للہ
Double Categories Posts 2
Surah Mutaffifin in Roman English
Surah Mutaffifin in Roman English
Bismillaahir Rahmaanir Raheem
Wailul lil mutaffifeen
Allazeena izak taaloo ‘alan naasi yastawfoon
Wa izaa kaaloohum aw wazanoohum yukhsiroon
Alaa yazunnu ulaaa’ika annahum mab’oosoon
Li Yawmin ‘Azeem
Yawma yaqoomun naasu li Rabbil ‘aalameen
Kallaaa inna kitaabal fujjaari lafee Sijjeen
Wa maa adraaka maa Sijjeen
Kitaabum marqoom
Wailuny yawma’izil lil mukazzibeen
Allazeena yukazziboona bi yawmid deen
Wa maa yukazzibu biheee illaa kullu mu’tadin aseem
Izaa tutlaa’alaihi aayaatunaa qaala asaateerul awwaleen
Kallaa bal raana ‘alaa quloobihim maa kaanoo yaksiboon
Kallaaa innahum ‘ar Rabbihim yawma’izil lamah jooboon
Summa innahum lasaa lul jaheem
Summa yuqaalu haazal lazee kuntum bihee tukazziboon
Kallaaa inna kitaabal abraari lafee’Illiyyeen
Wa maaa adraaka maa ‘Illiyyoon
Kitaabum marqoom
Yashhadu hul muqarra boon
Innal abraara lafee Na’eem
‘Alal araaa’iki yanzuroon
Ta’rifu fee wujoohihim nadratan na’eem
Yusqawna mir raheeqim makhtoom
Khitaamuhoo misk; wa fee zaalika falyatanaafasil Mutanaafisoon
Wa mizaajuhoo min Tasneem
‘Ainaiy yashrabu bihal muqarraboon
Innal lazeena ajramoo kaanoo minal lazeena aamanoo yadhakoon
Wa izaa marroo bihim yataghaamazoon
Wa izan qalabooo ilaaa ahlihimun qalaboo fakiheen
Wa izaa ra awhum qaalooo inna haaa’ulaaa’i ladaaal loon
Wa maaa ursiloo ‘alaihim haafizeen
Fal yawmal lazeena aamanoo minal kuffaari yadhakoon
‘Alal araaa’iki yanzuroon
Hal suwwibal kuffaaru maa kaanoo yaf’aloon
*_🔖पोस्ट न.0⃣1⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_🥀विलादते मुबारका🥀_*
*_हज़रते इमामे हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की विलादत 5 शाबान सी 4 ही को मदीने में हुई। हुज़ूर ﷺ ने आप का नाम हुसैन और शब्बीर रखा और आप की कून्यत अबू अब्दुल्लाह और लक़ब सिबते रसूलुल्लाह और रैहानतुर्रसूल है, और आप के बरादरे मुअज़्ज़म की तरह आप को भी जन्नती जवानो का सरदार और अपना फ़रज़न्द फ़रमाया।_*
*_हुज़ूर ﷺ को आप ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ के साथ कमाले रफ्त व महब्बत थी। हदिष में इरशाद हुवा : जिस ने इन दोनों (इमामे हसन व हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻬﻢ ) से महब्बत की उस ने मुझ से महब्बत की और जिस ने इन से अदावत की उस ने मुझ से अदावत की।_*
*_हुज़ूर ﷺ ने इन दोनों नौनिहालो को फूल की तरह सूंघते और सिनए मुबारक से लिपटाते।_*
*_☘हुज़ूर ﷺ की चची हज़रते उम्मुल फ़ज़्ल बिन्ते अल हारिष हज़रते अब्बास बिन अब्दुल मुत्तलिब की ज़ौजा एक रोज़ हुज़ूर ﷺ के पास हाज़िर हुई और अर्ज़ की : या रसूलल्लाह ﷺ आज में ने एक परेशान ख्वाब देखा, हुज़ूर ﷺ ने दरयाफ़्त फ़रमाया : क्या ? अर्ज़ किया : वो बहुत ही शदीद है। उनको उस ख्वाब के बयान की जुरअत न होती थी। हुज़ूर ﷺ ने मुक़र्रर दरयाफ़्त फ़रमाया तो अर्ज़ किया की में ने देखा की जसदे अतहर का एक टुकड़ा काटा गया और मेरी गोद में रखा गया। इरशाद फ़रमाया : तुमने बहुत अच्छा ख्वाब देखा, ﺍﻧﺸﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻰ फातिमा ज़हरा ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻬﺎ को बेटा होगा और वो तुम्हारी गोद में दिया जाएगा।_*
*_ऐसा ही हुवा। हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ पैदा हुए और हज़रते उम्मुल फ़ज़्ल की गोद में दिये गए। उम्मुल फ़ज़्ल फरमाती है : में ने एक रोज़ हुज़ूर ﷺ की खिदमत में हाज़िर हो कर हज़रते इमामे हुसैन को आप की गोद में दिया, क्या देखती हु की चश्मे मुबारक से आसु जारी है। में ने अर्ज़ किया : या रसूलल्लाह ﷺ ! ये क्या हाल है ? फ़रमाया : जिब्राईल मेरे पास आए और उन्हों ने ये खबर दी की मेरी उम्मत इस फ़रज़न्द को क़त्ल करेगी। में ने कहा : क्या इस को ? फ़रमाया : हा और मेरे पास इस के मक़्तल की सुर्ख मिटटी भी लाए।_*
*बेहक़ी, 6/468*📚
*✍🏽सवानहे कर्बला,📚 104*
*_🔖पोस्ट न.0⃣2⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_💫यज़ीद का मुख़्तसर तज़किरा💫_*
*“`यज़ीद बिन। मुआविया अबू खालिद उमवी वो बद नसीब शख्स है जिस की पेशानी पर अहले बैत के बे गुनाह क़त्ल का सियाह दाग है और जिस पर हर क़रन में दुन्याए इस्लाम मलामत करती रही है और क़यामत तक इस का नाम तहक़ीर के साथ लिया जाएगा।*“`
_*इसकी शरारते और बेहुदगिया ऐसी है जिन से बद मुआशो को भी शर्म आए। अब्दुल्लाह बिन हन्ज़ला गसिल ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने फ़रमाया : खुदा की क़सम ! हम ने यज़ीद पर उस वक़्त खुरुज किया जब हमे अन्देशा हो गया की उस की बड़कारियो के सबब आसमान से पथ्थर बरसने लगे।*_
*“`महरमात के साथ निकाह और सूद वगैरा मुंहिय्यात को इस बे दिन ने अलानिया रवाज दिया। मदीना व मक्का की हुर्मति कराई। ऐसे शख्स की हुकूमत गुर्ग की चोपानी से ज़्यादा खतरनाक थी।*“`
_*सी 59 ही में हज़रते अबू हुरैरा ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने दुआ की : या रब ! में तुजसे पनाह मांगता हु सी 60 ही के आगाज़ और लड़को की हुकूमत से।*_
_*रुयानी ने अपनी मुस्नद में हज़रते अबू दरदा सहाबी ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ से एक हदिष रिवायत की है की*_
_*🥀 हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया, मेरी सुन्नत का पहला बदलने वाला बनी उमय्या का एक शख्स होगा जिस का नाम यज़ीद होगा।*_
_*अबू याला ने अपनी मुस्नद में हज़रते अबू उबैदा ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ से रिवायत की, हुज़ूर ﷺ ने फ़रमाया : मेरी उम्मत में अदलो इन्साफ क़ाइम रहेगा यहाँ तक की पहला रखना अंदाज़ व बानिये सितम बनी उमय्या का एक शख्स होगा जिस का नाम यज़ीद होगा।*_
*✍🏽सवानहे कर्बला, 112*
*_🔖पोस्ट न.0⃣3⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_💎अमीरे मुआविया की वफ़ात और यज़ीद की सल्तनत💎_*
*“`अमीरे मुआविया ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने रजब सी 60 ही में दमिश्क़ में लक़्वा में मुब्तला हो कर वफ़ात पाई। आप के पास हुज़ूर ﷺ के तबर्रुकात में से इजार शरीफ, रिदाए अक़दस, क़मिस मुबारक, मुए शरीफ और तराशहाए। नाख़ून हुमायूँ थे। आप ने वसिय्यत की थी की मुझे हुज़ूर ﷺ की इजार व रिदाए मुबारक व क़मीज़ में दफ़्न दिया जाए और मेरे इन आज़ा पर जिन से सज्दा किया जाता है हुज़ूर ﷺ के मुए मुबारक और तराशहाए नाखून रख दिये जाए।*“`
*“`अमीरे मुआविया ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की वफ़ात के बाद यज़ीद तख्ते सल्तनत पर बैठा और उस ने अपनी बैअत लेने के लिये अतराफ़ व मुमालिक सल्तनत में मकतूब रवाना किये, मदीने का आमिल जब यज़ीद की बैअत लेने के लिये हज़रते इमाम हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की खिदमत में हाज़िर हुवा तो आप ने उस के फिस्को ज़ुल्म की बिना पर उस को ना अहल क़रार दिया और बैअत से इनकार फ़रमाया, इसी तरह हज़रते ज़ुबैर ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने भी इनकार किया।*“`
_*सवानहे कर्बला, 📚113*
*_🔖पोस्ट न.0⃣4⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_💖अमीरे मुआविया की वफ़ात और यज़ीद की सल्तनत💖_*
*“`हज़रते इमाम हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ जानते थे की बैअत का इनकार यज़ीद के इश्तिआल का बाईष होगा और ना बकार जान का दुश्मन और खून का प्यासा हो जाएगा, लेकिन इमाम के दीयानत व तक़वा ने इजाज़त न दी की अपनी जान की खातिर न अहल के हाथ पर बैअत कर ले और मुसलमानो की तबाही और शरअ व अहकाम की बे हुर्मति और दिन की मज़र्रत की परवाह न करे और ये इमाम जेसे जलीलुश्शान फ़रज़न्दे रसूल ﷺ से किस तरह मुमकिन था ?*“`
*“`अगर इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ उस वक़्त यज़ीद की बैअत कर लेते तो यज़ीद आप की बहुत क़द्रों मन्ज़िलत करता और आप की आफिय्यत व राहत में कोई फ़र्क़ न आता बल्कि बहुत सी दौलते दुन्या आप के पास जमा हो जाती, लेकिन इस्लाम का निज़ाम दरहम बरहम हो जाता और दिन में ऐसा फसाद बरपा हों जाता जिस का दूर करना बाद को मुमकिन न होता। यज़ीद की हर बदकारी के जवाज़ के लिये इमाम की बैअत सनद होती और शरीअते इस्लामिया व मिल्लते हनफिया का नक़्शा मिट जाता।*“`
_*हज़रते इमामे व इब्ने ज़ुबैर ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻬﻢ से बैअत की दरख्वास्त इस लिये पहले की गई थी की तमाम अहले मदीना इन का इत्तिबाअ करेंगे, लेकिन इन हज़रात के इनकार से वो मन्सूबा ख़ाक मे मिल गया और यज़ीदियो में उसी वक़्त से आतशे इनाद भड़क उठी और ब ज़रूरत इन हज़रात को उसी शब् मदीना से मक्का मुन्तकिल होना पड़ा। ये वाक़या 4 शाबान सी 60 ही का है।*_
_*सवानहे कर्बला, 📚113*_
*_🔖पोस्ट न.0⃣5⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_💫हज़रते इमाम हुसैन की मदीने से रिहलत💫_*
*“`मदनी से हज़रते इमाम हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की रिहलत का दिन अहले मदीना और खुद हज़रते इमाम के लिये कैसे रंजो अन्दोह का दिन था। अतराफे आलम से तो मुसलमान वतन तर्क कर के अइज़्ज़ा व अहबाब को छोड़ कर मदीना तैय्यबा हाज़िर होने की तमन्नाए करे, दरबारे रिसालत की हाज़िरी का शौक़ दुश्वार गुज़ार मन्ज़िले और बहरो बर का तवील और खौफनाक सफर इख़्तियार करने के लिये बेक़रार बना दे। एक एक लम्हे की जुदाई इन्हें शाक हो, और फरज़न्दे रसूल से रिहलत करने पर मजबूर हो।*“`
*“`उस वक़्त का तसव्वुर दिल को पाश पाश कर देता है जब हज़रते इमामे हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ बईरादए रुख्सत आस्तानाए कुदसिय्या पर हाज़िर हुए होंगे और दिदए खून बार अश्के गम की बारिश की होगी। दिल दर्द मन्दे गमे महजुरि से घायल होगा, जद्दे करीम को रोज़ए ताहिरा से जुदाई का सदमा हज़रते इमाम के दिल पर रंजो गम के पहाड़ तोड़ रहा होगा, अहले मदीना की मुसीबत का भी क्या अंदाज़ा हो सकता है।*“`
*“`दीदारे हबीब के फिदाई इस फ़रज़न्द की ज़ियारत से अपने कल्बे मजरूह को तस्कीन देते थे। इन का दीदार इन के दिल का क़रार था, आह ! आज ये क़रारे दिल मदीना से रुख्सत हो रहे है। इमामे आली मक़ाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने मदीना से बहज़ार गम व अन्दोह बादिले नाशाद रिहलत फरमा कर मक्का में इक़ामत फ़रमाई।*“`
_*सवानहे कर्बला, 115📚*_
*_🔖पोस्ट न.0⃣6⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*_💫इमाम की जनाब में कुफियो की दरख्वास्त💫_*
*“`यज़ीदियो कि कोशिशो से अहले शाम से जहां यज़ीद की तख्तगाह थी यज़ीद की राए मिल सकी और वहा के बाशिन्दों ने उस की बैअत की। अहले कूफा अमीरे मुआविया ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ के ज़माने ही में हज़रते इमाम हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ किं खिदमत में दरख्वास्ते भेज रहे थे, तशरीफ़ आवरी की इलतीजाए कर रहे थे लेकिन इमाम ने साफ़ इनकार कर दिया था।*“`
*“`अमीरे मुआविया ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की वफ़ात और यज़ीद की तख्त नशीनी के बाद अहले इराक़ की जमाअतो ने मुत्तफ़िक़ हो कर इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की खिदमत में दरख्वास्त भेजी और इन में अपनी नियाज़ मन्दी व जज़्बाते अक़ीदत व इख्लास का इज़हार किया और हज़रते इमामﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ पर अपने जानो माल फ़िदा करने की तमन्ना ज़ाहिर की।*“`
*“`इस तरह के इल्तिज़ानामो और दरख्वास्तो का सिलसिला बंध गया और तमाम जमाअतो और फिरको की तरफ से 150 से करीब अर्जियां हज़रते इमामे आली मक़ाम की खिदमत में पहुची, कहा तक इगमाज़ किया जाता और कब तक आप के अख़लाक़ जवाबे खुश्क की इजाज़त देते ? ना चार आप ने अपने चचाज़ाद भाई हज़रते मुस्लिम बिन अक़ील ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की रवानगी तजवीज़ फ़रमाई।*“`
*सवानहे कर्बला, 116*
*_🔖पोस्ट न.0⃣7⃣_*
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*🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜*
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*🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ*
*_⚔सवानहे कर्बला⚔_*
*💫इमाम की जनाब में कुफियो की दरख्वास्ते;2💫*
*“`अगर्चे इमामे हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की शहादत की खबर मसहूर थी और कुफियो की बे वफाई का पहले भी तजिरबा हो चूका था मगर जब यज़ीद बादशाह बन गया और उस की हुकूमत व सल्तनत दिन के लिये खतरा थी और इस वजह से उस की बैअत न रवा थी और वो तरह तरह की तदबिरो और हिलो से चाहता था की लोग उस की बैअत करे।*“`
*“`इन हालात में कुफियो का बपासे मिल्लत यज़ीद की बैअत से दस्तकशि करना और हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ से तालिबे बैअत होना इमाम पर लाज़िम करता था इन की दरख्वास्त क़बूल फरमाए जब एक क़ौम ज़ालिम व फ़ासिक़ की बैअत पर राज़ी न हो और साहिबे इस्तिहक़ाक़ अहल से दरख्वास्ते बैअत करे इस पर अगर वो इनकी इस्तीदआ क़बूल न करे तो इस के ये माना होते है की वो इस क़ौम को इस जाबिर ही के हवाले करना चाहता है।*“`
*“`🌹इमामे हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ अगर उस वक़्त कुफियो की दरख्वास्त क़बूल न फरमाते तो बारगाहे इलाहि में कुफियो के इस मुतालबे का इमाम के पास क्या जवाब होता की हम हर चन्द दरपे हुए मगर इमाम हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ बैअत के लिये राज़ी न हुए। यही वजह हमे यज़ीद के जुल्मो तशद्दुद से मजबूर हो कर उसकी बैअत करनी पड़ी अगर इमाम हाथ बढ़ाते तो हम इन पर जाने फ़िदा करने के लिये हाज़िर थे। ये मसअला ऐसा दरपेश आया जिस का हल बजुज़ इस के और कुछ न था की हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ उन की दावत पर लबैक फरमाए।*“`
_*सवानहे कर्बला, 116📚*_