Shahsawar E Karbala Ki Shahsawari Ko Salam Lyrics
Shah Saware Karbala Ki Shah Sawari Ko Salam Lyrics || Roman(Eng) & हिंदी(Hindi)
Roman (Eng):
Rasme Ushshaq Yahi Hai Ke Wafa Karte Hein
Yaani Har Haal Mein Haq Apna Ada Karte Hein
Hosla Hazrate Shabbir Ka Allah Allah
Sar Juda Hota Hai Aur Shukre Khuda Karte Hein
Shah Saware Karbala Ki Shah Sawari Ko Salam
Neze Pe Qur’an Padne Wale Qari Ko Salam
Raat Din Bichhde Huon Ki Raah Mein Rehna Khade
Hazrate Sugran Tumhari Intezari Ko Salam
Sar Se Chadar Chhin Gayi Lekin Nazar Utthi Nahin
Hazrate Zainab Tumhari Parda-Dari Ko Salam
Muskurate Teg Pe Roshan Kiya Rangeen Charag
Aqbaro Kasim Tumhari Jaan-Nisari Ko Salam
Kat Gaya Kumba Musibat Sar Pe Aayi Lut Gayi
Ho Gayi Bhai Bhatijon Se Judai Lut Gayi
Umar Bhar Ki Daste Gurbat Mein Kamaii Lut Gayi
Roke Jab Kehti Thi Zainab Haaye Bhai Lut Gayi
Ghar Ali Ka Kya Luta Sari Khudai Lut Gayi
Har Imtihan Mein Shabiro Shakir Rahe Husain
Kohe Alam Uthane Ko Hazir Rahe Husain
Dhoke Se Kufiyon Ne Bula Kar Sitam Kiya
Mehman Be-Watan Ko Bula Kar Sitam Kiya
Khema Lagana Naher Pe Ahmad Ki Aal Ka
Pani Bhi Band Kar Diya Zahra Ke Laal Ka
Laashon Ko Bhanjon Ki Lahu Mein Sajake Laaye
Toote Hue Bahisht Ke Taare Uthake Laaye
Aaya Kisi Ko Paas Na Roohe Rasool Ka
Ghul Kar Diya Charag Mazare Batul Ka
Dastaar Hai Husain Ke Sar Pe Rasool Ki
Thi Maut Bhi Qabool To Aesi Qabool Thi
Chahere Pe Jiske Maula Ali Ka Jalal Hai
Kabze Mein Jiske Bhai Hasan Ka Kamaal Hai
Mein Kya Kahun Mein Kaun Meri Kya Majal Hai
Sab Jaante Hein Fatima Zahra Ka Laal Hai
Chehra Rasool Ka Labo Lehja Rasool Ka
Aankhon Mein Khinch Raha Hai Saraapa Rasool Ka
Shah Saware Karbala Ki Shah Sawari Ko Salam
Neze Pe Qur’an Padne Wale Qari Ko Salam
हिंदी(Hindi) :
रस्मे उश्शाक़ यही है के वफ़ा करते हैं
यानी हर हाल में हक़ अपना अदा करते हैं
हौसला हज़रते शब्बीर का अल्लाह ! अल्लाह !
सर जुदा होता है और शुक्रे खुदा करते हैं
शाह सवारे कर्बला की शाह सवारी को सलाम
नेज़े पे कुर’आन पड़ने वाले कारी को सलाम
रात दिन बिछडे हुओं की राह में रेहना खड़े
हज़रते सुगरां तुम्हारी इन्तेज़ारी को सलाम
सर से चादर छीन गयी लेकिन नज़र उट्ठी नहीं
हज़रते ज़ैनब तुम्हारी पर्दा-दारी को सलाम
मुस्कुराते तेग पे रोशन किया रंगीं चराग
अक़बरो कासिम तुम्हारी जान-निसरि को सलाम
कट गया कुम्बा मुसीबत सर पे आयी लुट गयी
हो गयी भाई भतीजों से जुदाई लुट गयी
उम्र भर की दस्ते ग़ुरबत में कमाई लुट गयी
रोके जब कहती थी ज़ैनब हाय भाई लुट गयी
घर अली का क्या लुटा सारी खुदाई लुट गयी
हर इम्तिहान में शाबिरो शाकिर रहे हुसैन
कोहे अलम उठाने को हाज़िर रहे हुसैन
धोखे से कूफ़ियों ने बुला कर सितम किया
मेहमान बे-वतन को बुला कर सितम किया
खेमा लगाना नहेर पे अहमद की आल का
पानी भी बंद कर दिया ज़हरा के लाल का
लाशों को भांजों की लहु में सजाके लाये
टूटे हुए बहिश्त के तारे उठाके लाये
आया किसी को पास ना रूहे रसूल का
घुल कर दिया चराग मज़ारे बतूल का
दस्तार है हुसैन के सर पे रसूल की
थी मौत भी क़बूल तो ऐसी क़बूल थी
चहेरे पे जिसके मौला अली का जलाल है
कब्ज़े में जिसके भाई हसन का कमाल है
में क्या कहूं में कौन मेरी क्या मजाल है
सब जानते हैं फातिमा जहरा का लाल है
चेहरा रसूल का लबो लेहजा रसूल का
आँखों में खिंच रहा है सरापा रसूल का
शाह सवारे कर्बला की शाह सवारी को सलाम
नेज़े पे कुर’आन पड़ने वाले कारी को सलाम
🔖पोस्ट न.1⃣5⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
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*_🗡🗡शहादत के वाक़ीआत🗡🗡_*
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*_🌷कूफा को हज़रते मुस्लिम की रवानगी_* 6⃣
*हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ इस गुर्बत व मुसाफरत में तन्हा रह गए। किधर जाए, कहा क़याम करे, हैरत है कूफा के तमाम मेहमान खानो के दरवाज़े बांध हो गए थे, नादान बच्चे साथ है, कहा उन्हें लिटाए, कहा सुलाए, कूफा के वसी खित्ते में दो चार गज़ ज़मीन हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ के शब् गुज़ारने के लिये नज़र नहीं आती।*
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*“`उस वक़्त हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को इमामे हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ की याद आती है और दिल तड़पा देती है, वो सोचते है की मेने इमाम की जनाब में खत लिखा, तशरीफ़ आवरी की इल्तिजा की है और इस बद अहद क़ौम के इख्लास व अक़ीदत का एक दिलकश नक़्शा इमामे आली मक़ाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ के हुज़ूर पेश किया है और तशरीफ़ आवरी पर ज़ोर दिया है। यक़ीनन हज़रते इमाम हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ मेरी इल्तिजा रद नही फरमाएंगे और यहा के हालात से हालात से मुतमइन हो कर अहलो अयाल चल पड़े होंगे, यहाँ उन्हें क्या मसाइब और उन जन्नती फूलो को इस बे मेहरी की तपिश कैसे सुकून पोहचएगी।*“`
*ये गम अलग दिल को घायल कर रहा था ओर अपनी तहरीर पर शर्मिंदगी और हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ के लिये खतरात अलाहिदा बे चैन कर रहे थे और मौजूदापरेशानी जुदा दामनगिर थी।*
*इस हालत में हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को प्यास मालुम हुई, एक घर सामने नज़र पड़ा जहा तूआ नामी एक औरत मौजूद थी उससे आप ने पानी मांगा।*
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सवानहे कर्बला, 123📚
🔖पोस्ट न.1⃣6⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
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*_🗡🗡शहादत के वाक़ीआत🗡🗡_*
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*_🌷कूफा को हज़रते मुस्लिम की रवानगी_* 7⃣
हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने उस औरत से पानी मांगा, उस ने आप को पहचान कर पानी दिया और अपनी सआदत समझ कर आप को अपने मकान में फरोश किया। उस औरत का बेटा मुहम्मद इब्ने अशअष का गुर्गा था, उसने फौरन ही उस को खबर दी और उस ने इब्ने ज़ियाद को इस पर मुत्तला किया।
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*इब्ने ज़ियाद ने अम्र बिन हरीष (कोतवाले कूफा) और मुहम्मद बिन अशअष को भेजा, इन दोनों ने एक जमाअत साथ ले कर तूआ के घर का इहाता किया और चाहा की हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को गिरफ्तार कर ले।*
हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ अपनी तलवार ले कर निकले और ब नाचारि आप ने उन जालिमो से मुक़ाबला शुरू किया। उन्हों ने देखा की हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ इस जमाअत पर इस तरह टूट पड़े जेसे शेरे बबर अपने शिकार पर हमला आवर हो। आप के शेराना हमलो से दिल आवरो ने दिल छोड़ दिये और बहुत आदमी ज़ख़्मी हो गए, बाज़ मर गए।
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सवानहे कर्बला, 124📚
🔖पोस्ट न.1⃣7⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
🗡🗡शहादत के वाक़ीआत🗡🗡
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*_🌷कूफा को हज़रते मुस्लिम की रवानगी_* 7⃣
*मालुम हुआ की बनी हाशिम के इस एक जवान से नामर्दाने कूफा की ये जमाअत नबर्द आज़मा नही हो सकती। अब तजवीज़ की, की कोई चाल चलनी चाहिये और किसी फरेब से हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ पर क़ाबू पाने की कोशिश की जाए। ये सोच कर अम्नो सुलह का ऐलान कर दिया और हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ से अर्ज़ किया की हमारे आप के दरमियान जंग की ज़रूरत नही है न हम आप से लड़ना चाहते है, मुद्दा सिर्फ इस क़दर है की इब्ने ज़ियाद के पास तशरीफ़ ले चले और उस से गुफ्तगू कर के मुआमला तै कर ले।*
*हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने फ़रमाया की मेरा खुद कसदे जंग नही और जिस वक़्त मेरे साथ 40000 का लश्कर था उस वक़्त भी में ने जंग नही की और में यही इन्तिज़ार करता रहा की इब्ने ज़ियाद गुफ्तगू कर के कोई शक्ले मुसालहत पैदा करे तो खून रेज़ी न हो।*
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सवानहे कर्बला, 124📚
🔖पोस्ट न.1⃣8⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
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*_🗡🗡शहादत के वाक़ीआत🗡🗡_*
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*_🌷कूफा को हज़रते मुस्लिम की रवानगी_* 8⃣
*चुनांचे ये लोग हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को और उनके दोनों बेटो को इब्ने ज़ियाद के पास ले कर रवाना हुए। उस बद बख्त ने पहले ही से दरवाज़े के दोनों पहलुओ में अंदर की जानिब तेग ज़न छुपा कर खड़े कर दिये थे और उन्हें हुक्म दे दिया था की हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ दरवाज़े में दाखिल हो तो एक दम दोनों तरफ से इन पर वार किया जाए।*
*हज़रते मुस्लिम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को इस की क्या खबर थी और आप इस मक्कारी क्र कय्यादि से क्या वाकिफ थे, आप आयते करीम *ऐ रब हमारे हम में और हमारी क़ौम में हक़ फैसला कर*
(पारह 9) पढ़ते हुए दरवाज़े में दाखिल हुए। दाखिल होना था की अश्किया ने दोनों तरफ से तलवारो के वार किये और बनी हाशिम का मज़लूम मुसाफिर आदाए दिन की बे रहमी से शहीद हुवा।
*दोनों साहबज़ादे आप के साथ थे। उन्हों ने इस बे कसी की हालत में औने शफ़ीक़ वालिद का सर उन के मुबारक तन से जुदा होते देखा। छोटे छोटे बच्चों के दिल गम से फट गए और इस सदमे में वो बैद की तरह लराजने और काम्पने लगे। एक भाई दूसरे भाई को देखता था और उन की आँखों से अश्क जारी थे, लेकिन इस सितम में कोई इन नादानों पर रहम करने वाला न था, सितमगरो ने इन नौनिहालो को भी तेगे सितम से शहीद किया और हानि को क़त्ल करके सूली चढ़ाया।*
इन तमाम शहीदों के सर नेजो पर चढ़ा कर कूफा के गली कुचो में फिराए गए और बे हयाई के साथ कुफियो ने अपनी संग दिली और मेहमान कुशी का अमली तौर पर ऐलान किया।
ये वाक़या 3 ज़िल हिज्जा सी. 60 ही. का है। इसी रोज़ मक्का से हज़रते इमामे हुसैन कूफा की तरफ रवाना हुए।
सवानहे कर्बला, 125📚
🔖पोस्ट न.1⃣9⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
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*_🗡🗡शहादत के वाक़ीआत🗡🗡_*
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🌹हज़रते इमामे हुसैन की कूफा को रवानगी 1⃣
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*“`हज़रते इब्ने अब्बास, इब्ने उमर, जाबिर, अबू सईद खुदरी, अबू वाक़ीद लैषी और दूसरे सहाबए किराम आप ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को रोकने में बहुत मुसिर थे और आखिर तक वो यही कोशिश करते रहे की आप मक्का से तशरीफ़ न ले जाए, लेकिन ये कोशिश कार आमद न हुई और हज़रते इमामे आली मक़ाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने 3 ज़िल हिज्जा सी. 60 ही. को अपने अहलो अयाल व खुद्दाम कुल 82 लोगो को हमराह ले कर राहे इराक़ इख़्तियार की।*“`
*“`मक्का से अहले बैते रिसालत का ये छोटा सा क़ाफ़िला रवाना होता है और दुन्या से सफर करने वाले बैतुल्लाहुल हराम का आखरी तवाफ़ कर के मगमुम कर दिया, मक्का का बच्चा बच्चा अहले बैत के इस काफिले को हरम शरीफ से रुख्सत होता देख कर आबदीदा और मगमुम हो रहा था मगर वो ज़ाबाज़ो के मीरे लश्कर और फिदाकारो के क़ाफ़िला सालार मर्दाना हिम्मत के साथ रवाना हुए।*“`
*राह में जाते अर्क़ के मक़ाम पर बशीर इब्ने ग़ालिब असदि कुफासे आते मिले। हज़रते इमाम ने उन से अहले इराक़ का हाल पूछा, अर्ज़ किया की उन के कुलूब आप के साथ है और तलवारे बनी उमय्या के साथ और खुदा जो चाहता है करता है। हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने फ़रमाया सच है।*
*आगे अब्दुल्लाह बिन मुतीअ से मुलाक़ात हुई। वो हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ के बहुत दरपे हुए की आप इस सफर को तर्क फरमाए और इस में उन्होंने अंदेशे ज़ाहिर किये। हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने फ़रमाया हमे वही मुसीबत पहुच सकती है जो ख़ुदावन्दे आलम ने हमारे लिये मुक़र्रर फरमा दी।*
बाक़ी अगली पोस्ट में.. ﺍﻧﺸﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ
सवानहे कर्बला, 129📚