Khusi Manao Aye Gham Ke Maaro Huzur Aaye Huzur Aaye Lyrics

Khusi Manao Aye Gham Ke Maaro Huzur Aaye

Kalaam e Allama Saim Chishti

Khusi Manao Aye Gham Ke Maaro Lyrics

خوشی مناؤ اے غم کے مارو حضور آئے حضور آئے
سہارا مانگو اے بے سہارو حضور آئے حضور آئے
खुशी मनाओ ऐ ग़म के मारो हुज़ूर आए हुज़ूर आए
सहारा मांगो ऐ बेसहारो हुज़ूर आए हुज़ूर आए
Khusi manao aye gham ke maaro, Huzur Aaye, Huzur Aaye
Sahara maañgo aye be sahaaro, Huzur Aaye, Huzur Aaye

 

نگاہیں اپنی جھکا کے رکھنا دلوں کے دامن بچھا کے رکھنا
بھرے گی جھولی نبی کے پیارو حضور آئے حضور آئے
निगाहें अपनी झुका के रखना दिलों के दामन बिछा के रखना
भरेगी झोली नबी के प्यारो हुजूर आए हुजूर आए
Nigaheñ apni jhuka ke rakhna, Diloñ ke daaman bichha ke rakhna
Bharegi jholi nabi ke pyaaro, Huzur Aaye, Huzur Aaye

 

نبی کی محفل میں آنے والو خوشی میں غم کو دبانے والو
ملے گا آرام بے قرارو حضور آئے حضور آئے
नबी की महफ़िल में आने वालो खुशी में ग़म को दबाने वालो
मिलेगा आराम बेक़रारो हुजूर आए हुजूर आए
Nabi ki Mahfil mein aane walo khushi meiñ gham ko dabane walo
Milega Aaraam be qararo Huzur Aaye Huzur Aaye

 

سجا ہوا ہے گھر آمنہ کا ہے چاند جھولی میں لامکاں کا
جھکو سلامی کو چاند تارو حضور آئے حضور آئے
सजा हुआ घर है आमना का है चांद झोली में ला-मकां का
झुको सलामी को चांद तारो हुज़ूर आए हुजूर आए
Saja hua ghar hai Aamna ka hai Chaañd jholi mein Laa-Makaañ ka
Jhuko Salami ko Chaañd Taro Huzur Aaye Huzur Aaye

خزاں سے کہہ دو چمن سے جائے نہ ہم غریبوں کو یوں ستائے
چلی بھی آؤ حسیں بہارو حضور آئے حضور آئے
ख़िज़ां से कह दो चमन से जाए न हम ग़रीबों को यूं सताए
चली भी आओ हसीं बहारो हुज़ूर आ ए हुज़ूर आए
Khiza se kah do Chaman se Jaaye Na Ham garibon Ko Yuñ sataei
Chali bhi aao haseeñ baharo Huzur Aaye Huzur Aaye

نگاہِ صائم کو دیکھنے دو جمالِ سرکارِ ہر دو عالم
رکو بھی آنکھوں کی آبشارو حضور آئے حضور ہے
निगाह ए साइम को देखने दो जमाल ए सरकार ए हर दो-आलम
रुको भी ऑखों की आबशारो हज़ूर आए हुजूर आए
Nigah-e ‘Saim’ Ko Dekhne do jamal-e sarkar-e Har do Aalam
Ruko Bhi Aañkhoñ Ki Aabshahro Huzur Aaye Huzur Aaye

 

नेमतों पर शुक्र अदा करने का अजर
―――――――――――――――――――――

📚हदीस : अनस बिन मलीक (रजी अल्लाहु अन्हु) रिवायत है की रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया :

“बेशक अल्लाह तआला बंदो से सिर्फ इतनी से बात से राजी हो जाता है कि ओ खाना खाये और फिर इस पर अल्लाह का शुक्र अदा करता हुवे (अल्हमदुल्लिह) कहे और पानी पिये और फिर इस पर अल्लाह का शुक्र अदा करते हुए (अल्हमदुल्लिह) कहे”..!

📕 मुस्लिम शरिफ

🌹सुब्हान अल्लाह..!

 

मुनाफिको की पहचान
―――――――――――――――――――――

📚हदीस : अब्दुल्लाह! बिन उमर (रज़ीअल्लाहू तआ़ला अन्हु) ब्यान करते है की :

🌹रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने फरमाया :

“चार आदते ऐसी है की जिनके अंदर भी ओ होंगी ओ मुनाफीक होगा..“

उन चार मे से अगर कोइ एक पाई जाएगी तो उसके अंदर निफाक की एक आदत होगी, यहां तक की उसे छोड़ दें।”

1)-जब बोले तो झुठ बोले।,
2)-वादा करे पुरा ना करे।,
3)-लड़े झगड़े तो गाली बाके।
4)-मुआहीदा (Deal) करे तो धोखा।,

📕 सहीह अल-बुखारी शरिफ

मुनाफिक ओ लोग होते हैं जिनके दिल ईमान से खाली है लेकीन ईमान वालो को धोखा देने के लिए मुंह से (जुबानी तौर पर) ईमान का दिखावा करते हैं।।
━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━━

 

 

अल्लाह तआला भी तुम से मुहब्बत करता है
―――――――――――――――――――――

🌹हज़रत अबु हुरैरा (रज़ीअल्लाहू तआ़ला अन्हु) से रिवायत है की :

“रसुलल्लाह (सल्लल्लाहू तआ़ला अलैहि वसल्लम) ने इरशाद फ़रमाया : एक आदमी अपने (मुसलमान ) भाई से मुलाकात के लीए दुसरे गांव के तरफ़ गया।

🕋अल्लाह सुभानहु वा’ताला ने रास्ते में एक फ़रिश्ता को (इन्शानी शक्ल व सुरात में ) खड़ा कर दिया, ज़ब ओ आदमी वहां पहुंचा तो उस फ़रिश्ते ने पुछा : कहां जा रहे हो ? ओ कहने लगा इस बस्ती मे मेरा एक भाई है ,मैं उस से मुलाकत के लिए जा रहा हु।

फ़रिशते ने पुछा : क्या उस आदमी का तुम्हारे उपर कोइ एहसान है? ज़िसका बदला चुकाने के लिए तुम उस के पास जा रहे हो? कहने लगा : नही, उस का मेरे उपर कोई एहसान नही है मैं तो उस से अल्लाह के लिए मुहब्बत करता हु।

फ़रिशता कहने लगा; मुझे अल्लाह की तरफ़ से ये बताने के लिए भेज़ा गया है के अल्लाह तआला भी तुम से मुहब्बत करता है ज़िस तरह तुम अल्लाह के लिए अपने भाई से मुहब्बत करते हो।

📕 सही मुस्लिम, Vol- 6, हदीस 6549

🌹सुब्हान अल्लाह

 

Leave a Reply