RUKH SE PARDA AB APNE HATA DO NAAT LYRICS
RUKH SE PARDA AB APNE HATA DO NAAT LYRICS
Naat Name | RUKH SE PARDA AB APNE HATA DO |
Recite | OWES RAZA QADRI |
Writer | ADEEB RAYPURI |
LANGUAGE | URDU |
Category | MANQABAT |
Released Date | – |
Rukh Se Parda Ab Apne Hata Do
Jaaliyo Per Nigahe Jami Hai
Apna jalwa isi mai dikhado
Jaliyon par nigahen jami hain
Faslo Ko Khudaya Mita Do
Jaaliyo Per Nigahe Jami Hai.
Apna jalwa isi mai dikhado
Jaliyon par nigahen jami hain
Gausul Azam Ho Gausul Wara Ho,
Noor Ho Noor e Salle Ala Ho
Kya Bayan Aapka Martaba Ho
Dastagir Aur Mushkil kusha Ho
Aaj Deedar Apna Kara Do
Jaaliyo Pe Nigahe Jami Hai
Wajd May Aayega Saara Aalam
Jab Pukarenge Ya Gause Azam
Woh Nikal Aayenge Jaliyo Se
Aur Qadmon May Gir Jayenge
Fir Kahenge Ke Bigdi Bana Do
Jaaliyo Per Nigahe Jami Hai
Shidat e gham say, ghabra gaya houn
Ab to jeenay say tang aa gaya houn
Har taraf app ko dhoundta hoon
Aur eik eik say yeh phuchta hoon
Koi paigham ho to bata doon
Jaaliyo Per Nigahe Jami Hai
Ek Mujrim Siyahkar Hu Mai
Har Khata Ka Sazawaar Hu Mai
Mere Charo Taraf Hai Andhera
Roshni Ka Talabgar Hu Mai
Ek Diya Hi Samajkar Jala Do
Jaaliyo Per Nigahe Jami Hai
Sun Rahe Hai Woh Fariyad Meri
Khak Hogi Na Barbaad Meri
Mai Kahin Bhi Maru Shah e Jeelaan
Rooh Pohnchegi Bagdaad Meri
Muj Ko Parwaz Ke Par Laga Do
Jaaliyo Per Nigahe Jami Hai
Fikr Dekho Khayalat Dekho
Ye Aqeedat Ye Jazbaat Dekho
Mai Hu Kya Meri Awqaat Dekho
Saamne Kaisi Hai Zaat Dekho
Aye ADEEB Apna Sar Ab Jhooka Do
Jaliyo Per Nigahe Jami Hai.
Rukh Se Parda Ab Apne Hata Do
Jaaliyo Par Nigahe Jami Hain
Faaslo Ko Khudara Mitaa Do
Jaaliyo Par Nigahe Jami Hain
Gausul Azam Ho Gausul Wara Ho
Noor Ho Noor E Salle Ala Ho
Kya Bayaan Aapka Martaba Ho
Dastageer Aur Mushkil Kusha Ho
Aaj Deedar Apna Kara Do
Jaaliyo Par Nigahe Jami Hain
Ek Mujrim Siyah Kaar Hu Main
Har Khata Ka Sajawar Hu Main
Mere Chaaron Taraf Hai Andhera
Roshni Ka Talabghar Hu Main
Ek Diya He Samajh Ke Jala Do
Jaaliyo Par Nigahe Jami Hain
Sun Rahe Hai Wo Fariyad Meri
Khaaq Hogi Na Barbaad Meri
Main Kahi Bhi Maru Shah E Jeelan
Rooh Pohchegi Baghdad Meri
Mujhko Parwaaz Ke Parr Laga Do
Jaaliyo Par Nigahe Jami Hain
Wajd Main Aayega Saara Aalam
Jab Pukarenge Ya Gaus E Azam
Wo Nikal Aayenge Jaaliyo Se
Aur Qadmo Mein Gir Jayenge Hum
Phir Kahenge Ke Bigdi Bana Do
Jaaliyo Par Nigahe Jami Hain
Fiqr Dekho Khayalaat Dekho
Ye Aqeedat Ye Jazbaat Dekho
Main Hu Kya Meri Auqaat Dekho
Saamne Kaisi Hai Jaat Dekho
Apne Sar Ko Adeeb Ab Jhuka Do
Jaaliyo Par Nigahe Jami Hain
Siddat E Ghum Se Ghabhra Gaya Hu
Ab To Jeene Se Tang Aa Gaya Hu
Har Taraf Aapko Dhundhta Hu
Har Ek Ek Se Ye Poochhta Hu
Koi Paigam Ho To Bata Do
Jaaliyo Par Nigahe Jami Hain
RUKH SE PARDA AB APNE HATA DO NAAT LYRICS
रुख से परदा अब अपना है दो
जालियों पर निगाहे जमी है
फासलों को ख़ुदारा मीटा दो
जालियों पर निगाहे जमी है
गौसुल आजम हो गौसुल वरा हो
नूर हो नूरे सल्ले अला हो
क्या बयां आपका मरतबा हो
दसतगीर और मुश्किल कुशा हो
आज दीदार अपना करा दो
जालियों पर निगाहे जमी है
एक मुजरिम सियाह कार हु में
हर खता का सजावार हू में
मेरे चारों तरफ़ है अंधेरा
रोशनी का तलबगार हु में
एक दीया ही समज के जला दो
जालियों पर निगाहे जमी है
सुन रहे हे वो फरियाद मेरी
खाक होगि न बरबाद मेरी
में कही भी मरू शाहे जीलां
रूह पोहचेगी बगदाद मेरी
मुजको परवाज के पर लागा दो
जालियों पर निगाहे जमी है
वज्द में आयेगा सारा आलम
जब पुकारेंगे या गौसे आजम
वो निकल आयेंगे जालियों से
और क़दमो में गिर जायेंगे हम
फीर कहेंगे के बिगड़ी बना दो
जालियों पर निगाहे जमी है
फ़िक्र देखो खयालात देखो
ये अकीदत ये जज़बात देखो
मैं हू क्या मेरी औकात देखो
सामने कैसी है जात देखो
अपने सर को अदिब अब झुका दो
जालियों पर निगाहे जमी है
सिदते गम से गभरा गया हू
अब जीने से तंग आ गया हू
हर तरफ आपको ढूंढता हू
हर एक एक से पूछता हू
कोइ पैगाम हो तो बता दो
जालियों पर निगाहे जमी है
Tu Hai Wo Gaus Ki Har Gaus Hai Bala Tera Lyrics
WAH KYA MARTABA AE GHOUS HAI BALA TERA NAAT LYRICS
فاصلوں کو خدارا مٹادو رخ سے پردہ اب اپنے ہٹادو
فاصلوں کو خدارا مٹادو رخ سے پردہ اب اپنے ہٹادو
اپنا جلوہ اسی میں دکھادو جالیوں پہ نگاہیں جمی ہیں
غوث الاعظم ہو، غوث الوریٰ ہو، نور ہو نورِصلّ علیٰ ہو
کیا بیان آپ کا مرتبہ ہو دستگیر اور مشکل کشا ہو
آج دیدار اپنا کرادو جالیوں پہ نگاہیں جمی ہیں
ہر ولی آپ کے زیرپا ہے ، ہر ادا مصطفیٰ کی ادا ہے
آپ نے دین زندہ کیا ہے ڈوبتوں کو سہارا دیا ہے
میری کشتی کنارے لگادو جالیوں پہ نگاہیں جمی ہیں
شدتِ غم سے گھبرا گیا ہوں، اب تو جینے سے تنگ آگیا ہوں
ہر طرف آپ کو ڈھونڈھتا ہوں اوراک اک سے یہ پوچھتا ہوں
کوئی پیغام ہو تو سنادو جالیوں پہ نگاہیں جمی ہیں
وجد میں آئے گا سارا عالم جب پکاریں گے یا غوث اعظم
وہ نکل آئیں گے جالیوں سے اور قدموں پہ گر جائیں گے ہم
پھر کہیں گے کہ بگڑی بنا دو جالیوں پہ نگاہیں جمی ہیں
سن رہے ہیں وہ فریاد میری خاک ہوگی نہ برباد میری
میں کہیں بھی مردوں شاہِ جیلاں روح پہنچے گی بغداد میری
مجھ کو پرواز کے پر لگادو جالیوں پہ نگاہیں جمی ہیں
فکر دیکھو خیالات دیکھو یہ عقیدت یہ جذبات دیکھو
میں ہوں کیا میری اوقات دیکھو سامنے کس کی ہے ذات دیکھو
اے ادیب اپنے سر کو جھکادو جالیوں پہ نگاہیں جمی ہیں
Zameen Falak Pe Roshni Naat Lyrics
RUKH SE PARDA AB APNE HATA DO NAAT LYRICS
રૂખ સે પરદા અબ અપને હટા દો
જાલીયોં પર નિગાહે જમી હૈં
ફાસલોં કો ખુદારા મીટા દો
જાલીયોં પર નિગાહે જમી હૈં
ગૌસુલ આઝમ હો ગૌસુલ વારા હો
નૂર હો નૂરે સલ્લે અલા હો
ક્યા બયાં આપકા મર્તબા હો
દસ્તગીર ઔર મુશકિલ કુશા હો
આજ દીદાર અપના કરા દો
જાલીયોં પર નિગાહે જમી હૈં
એક મુઝરીમ સિયાહ કાર હૂ મૈં
હર ખતા કા સજાવાર હુ મેં
મેરે ચારોં તરફ હૈ અંધેરા
રોશની કા તલબગાર હુ મેં
એક દિયા હી સમજ કે જલા દો
જાલીયોં પર નિગાહે જમી હૈં
સુન રહે હૈ વો ફરિયાદ મેરી
ખાક હોગી ના બર્બાદ મેરી
મૈં કહિ ભી મરુ શાહે જીલાં
રુહ પોહચેગી બગદાદ મેરી
મુઝકો પરવાઝ કે પર લગા દો
જાલીયોં પર નિગાહે જમી હૈં
વજદ મેં આયેગા સારા આલમ
જબ પુકારેંગે યા ગૌસે આઝમ
વો નિકલ આયેંગે જાલીયો સે
ઔર કદમોં મેં ગીર જાયેંગે હમ
ફિર કહેંગે કે બિગડી બના દો
જાલીયોં પર નિગાહે જમી હૈં
ફિક્ર દેખો ખયાલાત દેખો
યે અકીદત યે જઝબાત દેખો
મેં હુ ક્યા મેરી ઔકાત દેખો
સામને કૈસી હૈ જાત દેખો
અપને સર કો અદિબ અબ ઝુકા દો
જાલીયોં પર નિગાહે જમી હૈં
સીદ્દતે ગમ સે ગભરા ગયા હુ
અબ તો જીને સે તંગ આ ગયા હૂ
હર તરફ આપકો ધુંધતા હુ
હર એક સે યે પૂછતા હૂ
કોઈ પેગામ હો તો બતા દો
જાલીયોં પર નિગાહે જમી હૈં
फितरा कितना देना चाहिए इस साल 2024 में एक आदमी का फितरा कितना है ?
ek admi ka fitra kitna hai 2024:फितरा एक किस्म का सदक़ा हैं जो हर माल दार मुसलमान पर फ़र्ज़ हैं इसे सदक़ा ए फितर भी कहा जाता हैं।
सदक़ा ए फितरा ईद की नमाज़ से पहले-पहले अदा कर देना होता हैं अगर कोई शख्स ऐसा नहीं करता हैं तो उसकी रमजान की नेकियां रोज़ा आसमान और ज़मीन की दरमियान अटका रहता हैं जब तक वह सदक़ा ए फितर अदा नहीं कर देता।
लिहाज़ा हर माल दार मुसलमान जो फितरा देने के क़ाबिल हैं उन्हें सदक़ा ए फितर अदा ज़रूर अदा करना चाहिए वरना रमजान के पुरे रोज़े बेकार हो जायेंगे।
आइये इस बारे में तफ्सील से जानते हैं की फितरा कितना देना चाहिए और एक आदमी का फितरा कितना होता हैं और फितरा किसे देना चाहिए पूरी मालूमात।
फितरा एक सदक़ा है जो रमजान में ईद से पहले गरीबों को दिया जाता हैं ताकि उनकी ईद भी अच्छी हो सकें। फितरा हर उस मुसलमान पर फ़र्ज़ हैं जो अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के साथ साथ साढ़े 52 तोला चाँदी या उसकी क़ीमत का मालिक हैं। साथ ही उसके लिए ये भी वाजिब हैं की वो अपने घर में जिनकी जिम्मेदारी उठा रहा हैं उनका भी फितरा अदा करे अगर वो अपना फितरा अदा न कर सकते हों जैसे बीवी नाबालिग बच्चे माँ आदि।
फितरा कितना देना चाहिए
fitra kitna dena chahiye 2024: फितरा पौने दो किलो गेहू या साढ़े तीन किलो खजूर या साढ़े तीन किलो किशमिश या साढ़े तीन किलो जौ या इनकी क़ीमत के बराबर पैसा देना चाहिए।
यानि आप जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं आप चाहे तो पौने दो किलो गेहू किसी गरीब को दे सकते हैं या फिर आप चाहे तो पौने दो किलो क़ीमत के बराबर पैसा किसी गरीब को दे सकते हैं दोनों ही तरह से आपका फितरा अदा हो जायेगा।
इसी तरह से अगर आप खजूर से फितरा अदा करना चाहते हैं तो साढ़े तीन किलो खजूर किसी गरीब को दे सकते हैं या फिर साढ़े तीन किलो खजूर की क़ीमत के बराबर पैसा किसी गरीब को दें सकते हैं आपका फितरा अदा हो जायेगा।
इसी तरह से अगर कोई शख्स जौ या किशमिश से फितरा अदा करना चाहता हैं तो वो भी साढ़े तीन किलों जौ या किशमिश किसी गरीब को दे सकता हैं या फिर साढ़े तीन किलों जौ या किशमिश की क़ीमत के बराबर पैसा किसी गरीब को दे सकता हैं उसका फितरा अदा हो जायेगा।
हमेशा कोशिश यही करें की जो आपके इलाक़े में सबसे ज़्यादा महँगी चीज़ है उसी की हिसाब से फितरा निकालें कहने का मतलब अपनी हैसियत के मुताबिक ज़्यादा से ज़्यादा क़ीमत वाली चीज़ का फितरा निकलने की कोशिश करे ताकि गरीबों की ज़्यादा से ज़्यादा मदद हो सकें और वो भी ख़ुशी के साथ ईद मना सकें।
आप गेहू , खजूर , किशमिश , जौ में से किसी एक चीज़ से अपना फितरा निकाल सकते हैं। आप चाहे तो इनकी क़ीमत के बराबर पैसा दें सकते हैं या फिर इनमे से किसी एक चीज़ को किसी गरीब को दे सकते हैं आपका फितरा अदा हो जायेगा।
एक आदमी का फितरा कितना है 2024
एक आदमी का फितरा कितना होगा ये हर साल हर इलाक़े के मदरसों के द्वारा भी बताया जाता हैं इस साल 2024 में एक आदमी का फितरा गेहू के हिसाब से 60 रूपए हैं और जौ के हिसाब से 170 रूपए हैं और खजूर के हिसाब से 1150 रूपए हैं और किशमिश के हिसाब से 1350 हैं आप अपनी हैसियत के मुताबिक जिसके हिसाब से चाहे फितरा निकाल सकते हैं।
गेहू 60
जौ 170
खजूर 1150
किशमिश 1350
ek admi ka fitra kitna hai 2024
सदक़ा ए फितर किसपे वाजिब हैं ?
बहोत से लोग समझते हैं की जिसपे जकात वाजिब हैं उसी पे फितरा भी वाजिब हैं लेकिन ऐसा नहीं हैं अगर जकात 60% मुस्लिमों पर फ़र्ज़ हैं तो फितरा 80% मुस्लिमों पर वाजिब हैं फितरा ज़्यादा लोगो पर वाजिब होता हैं जबकि जकात फितरा के मुकाबले में काफी कम लोगो पर वाजिब होता है।
जकात के लिए सोना चाँदी और नगद रूपया कारोबार के सामान सभी को जोड़ते हैं और उसमे से जो क़र्ज़ हैं उसे हटाने के बाद अगर कोई शख्स साढ़े बावन तोला चांदी या साढ़े सात तोला सोना की क़ीमत का मालिक बनता हैं और पुरे एक साल तक साढ़े सात तोला सोना या साढ़े बावन तोला चांदी का मालिक बना रहता हैं तो उसको जकात देना होता हैं।
जबकि फितरा में ऐसा नहीं हैं फितरा हर उस शख्स पर वाजिब हैं जो अपनी ज़रूरतों को पूरा करने के साथ-साथ साढ़े 52 तोला चाँदी या इसकी क़ीमत का मालिक हो।
अगर दिहाती आदमी के पास साल भर का गल्ला मौजूद हो और सहरी आदमी के पास दो महीने का गल्ला मौजूद हो तो इस कंडीशन में भी फितरा वाजिब होगा साथ ही अगर किसी के पास ज़रूरत से ज़्यादा कपड़े हो फिर चाहे वो गर्मी को हो या ठंडी के उस पर फितरा वाजिब होगा।
यानि कहने का मतलब हैं जिसके पास अपनी ज़रूरत के अलावा जो चीज़े और पैसे हैं जैसे कारोबार का सामान , जरुरत ज़्यादा कपडे , खाली या भाड़े पर दिया हुआ मकान उन सबको जोड़ने के बाद अगर कोई शख्स साढ़े 52 तोला चांदी की क़ीमत का मालिक बन जाता हैं तो उसके ऊपर वाजिब हैं की वह अपने और अपने नाबालिग बच्चों का सदक़ा ए फितर अदा करे।
फितरा कौन निकाल सकता हैं ?
फितरा हर वो शख्स निकाल सकता हैं जो साढ़े 52 तोला चांदी या इसकी क़ीमत का मालिक हैं अगर आप अपने घर में काई लोगो की जिम्मेदारी उठाते हैं जैसे माँ बाप नाबालिग बच्चे बीवी आदि तो आपको इनका फितरा भी अपनी तरफ से निकलना होगा।
फितरा कब देना चाहिए
फितरा ईद की नमाज़ पढ़ने से पहले दे देना चाहिए कोशिश यही करे की जब ईद को एक दो दिन बचे तो फितरा दे दे ताकि गरीब भी अपनी ईद की शॉपिंग कर सके और बाकि लोगो के साथ साथ वो भी ख़ुशी के साथ अपने परिवार के साथ ईद मना सकें।
सदक़ा ए फितर कैसे देना चाहिए ?
घर में मौजूद जिम्मेदार शख्स को जो परिवार का मुखिया हैं जो पूरा घर चलाता हैं उसे अपना और अपने नाबालिग बच्चे का फितरा अदा करना चाहिए और अगर चाहे तो बालिग औलाद का भी फितरा अदा करे लेकिन ये फ़र्ज़ नहीं हैं जबकि नाबालिग औलाद का फितरा अदा करना फ़र्ज़ हैं।
इसके साथ ही अगर बीवी साहिबे निसाब हैं यानि वो साढ़े 52 तोला चांदी या इसकी क़ीमत की मालिक हैं तो मर्द पर बीवी का फितरा अदा करना फ़र्ज़ नहीं हैं बीवी अपना फितरा खुद अदा कर सकती है। लेकिन अगर मर्द कर देते हैं तो कोई हर्ज़ भी नहीं हैं।
फितरा किसे देना चाहिए ?
सदक़ा ए फितर गरीब मुस्लिम को देना चाहिए जिसकी ऊपर फितरा वाजिब न हो इसके अलावा आप चाहे तो अपने नज़दीकी किसी मदरसे में भी फितरा दे सकते हैं क्योंकि मदरसे में ज़्यादा गरीब बच्चे ही पढ़ते हैं जिनका खर्चा मदरसे वाले उठाते हैं और आपकी दी गई रकम से मदरसे के काई काम हो जाते हैं जिसकी वजह से उसमे पढ़ रहे बच्चों के साथ साथ सभी मुस्लिमों का फायदा होता हैं।