याद सब कन था कर्बला वारो / Yaad Sab Kan Tha Karbala Waaro
कर्बला वारो, कर्बला वारो
कर्बला वारो, कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
दिलजी धड़कन आ कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
हसन-हुसैन चवण इबादत आ
इश्क़ जो सुख़न आ कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
दिलजी धड़कन आ कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
याद क्यो नबी जेह खे ज़मण खां अगे़
का ज़ो आ चमन आ कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
दिलजी धड़कन आ कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
यज़ीदी सोचजो सफ़ायो थ्यो
करे व्यो दफ़न आ कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
दिलजी धड़कन आ कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
तो खे कर बख़्श वण्यो ज़िक्र-ए-हुसैन
त आहे तन मन हा कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
दिलजी धड़कन आ कर्बला वारो
याद सब कन था कर्बला वारो
कर्बला वारो, कर्बला वारो
कर्बला वारो, कर्बला वारो
नातख्वां:
एहतिशाम अफ़ज़ल क़ादरी
🔖पोस्ट न.2⃣9⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
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*_🗡🗡शहादत के वाक़ीआत🗡🗡_*
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🌹हज़रते इमामे हुसैन की कूफा को रवानगी 6⃣
*इस ज़ुल्मो सितम में अगर रुस्तम भी होता तो उसके हौसले पस्त हो जाते मगर फरज़न्दे रसूल को मसाएब का हुजूम जगह से न हटा सका, हक़ व सदाक़त का हामी मुसीबतो की भयानक घटाओ से न डरा और तुफ़ाने बला के सेलाब से उसके पाए जुम्बिश भी न हुई, 10 मुहर्रम तक यही बहष रही की हज़रते इमाम यज़ीद की बैअत कर ले।*
*अगर आप ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ यज़ीद की बैअत करते तो वो तमाम लश्कर आप के जिलव में होता, आप का कमाले इकराम व एहतिराम किया जाता, खज़ानों के मुह खोल दिये जाते और दौलते दुन्या क़दमो पर लूटा दी जाती मगर जिस का दिल हुब्बे दुन्या से खाली हो और दुन्या के*
*राज़ जिस पर खुले हुए हो वो इस बात पर कब राज़ी होता है, जिस आँख ने हक़ीक़ी हुस्न के जल्वे देखे हो वो नुमाइशी रंगो रूप पर क्या नज़र डेल ?*
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*“`🥀हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने राहते दुन्या के मुह पर ठोकर मार दी और राहे हक़ में पहुचने वाली मुसीबतो का खुश दिली से खैर मक़दम किया और मुसलमानो की तबाही व बर्बादी गवारा न फ़रमाई, अपना घर लुटाना और अपना खून बहाना मंज़ूर किया मगर इस्लाम की इज़्ज़त में फ़र्क़ आना बर्दास्त न हो न हो सका*“`
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सवानहे कर्बला, 135📚
🔖पोस्ट न.3⃣0⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
🗡🗡शहादत के वाक़ीआत1⃣🗡🗡
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🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत 1⃣
*10वी मुहर्रम का क़यामत नुमादिन आया। जुमुआ की सुब्ह हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने तमाम अपने रुकफाए अहले बैत के साथ फज़र के वक़्त अपनी उम्र की आखरी नमाज़ अदा फ़रमाई। पेशानियो ने सजदों में खूब मज़े लिये, ज़बानों ने किराअत व तसबिहात के लुत्फ़ उठाए। नमाज़ से फराग के बाद ख़ैमे में तशरीफ़ लाए, 10वी मुहर्रम का आफताब करिबे तुलुअ है, इमामे आली मक़ाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ और उनके तमाम रुफका व अहले बैत 3 दिन के भूके प्यासे है, एक कतराए आब मुयस्सर नहीं आया और एक लूक़मा हल्क़ से नही उतरा, भूक प्यास से जिस क़दर ज़ोफ़् व नातुवानी का गल्बा हो जाता है इसका वही लोग कुछ अंदाज़ा कर सकते है जिन्हें कभी दो तिन वक़्त के फाके की नौबत आई हो। फिर बे वतनी, तेज़ धुप, गर्म रेत, गर्म हवाए, उन्हों ने नाज़ परवर दगाने आगोशे रिसालत को केसा पज़मुर्दा कर दिया होगा।*
*इन बे वतन पर जोरो के पहाड़ तोड़ने के लिये 22000 फ़ौज सफर बांधे मौजूद, जंग का नक़्क़ारा बजा दिया गया और मुस्तफाﷺ के फ़रज़न्द और फातिमा ज़हरा ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻬﺎ के जिगर को मेहमान बना कर बुलाने वाली क़ौम ने जानो पर खेलने की दावत दी।*
*🌷हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने अर्सए कारज़ार में तशरीफ़ फरमा कर एक ख़ुत्बा फ़रमाया जिस में बयान फ़रमाया की “खूने नाहक हराम और गजबे इलाही का मुजीब है, में तुम्हे आगाह करता हु की तुम इस गुनाह में मुब्तला न हो, में ने किसी को क़त्ल नही किया है,*
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सवानहे कर्बला, 137📚
🔖पोस्ट न.3⃣1⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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⚔सवानहे कर्बला⚔
🗡🗡शहादत के वाक़ीआत1⃣🗡🗡
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🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत 1⃣
*किसी का घर नही जलाया, किसी पर हमला आवर नही हुवा। अगर तुम अपने शहर में मेरा आना नही चाहते हो तो मुझे वापस जाने दो, तुम से किसी चीज़ का तलबगार नही, तुम्हारे दरपे आज़ार नही, तुम क्यू मेरी जान के दरपे हो और तुम किस तरह मेरे खून के इलज़ाम से बरी होब्स्क्ते हो ?*
*रोज़े मेहशर तुम्हारे पास मेरे खून का क्या जवाब होगा ? अपना अंजाम सोचो और अपनी अपनी आकिबत पर नज़र डालो, फिर ये भी समजो की में कौन और बारगाहे रिसालत में किस चश्मे करम का मंजूरे नज़र हु, मेरे वालिद कौन है और मेरी वालिदा किस की लखते जिगर है ? में उन्ही बतुले ज़हरा का नुरे दीदा हु जिन के पुल सिरात पर गुज़रते वक़्त अर्श से निदा की जाएगी की ऐ अहले मेहशर ! सर झुकाओ और आँखे बंद करो की हज़रते खातुने जन्नत पुल सिरात से 70000 हूरो को रिकाबे सआदत में ले कर गुज़रने वाली है।*
*में वही हु जिसकी महब्बत को सरवरे आलमﷺ ने अपनी महब्बत फ़रमाया है, मेरे फ़ज़ाइल तुम्हे खूब मालुम है, मेरे हक़ में जो अहादिश वारिद हुई है इस से तुम बे खबर नही हो।*
इसके जवाब में कुफियो ने जो कहा वो अगली पोस्ट में.. ﺍﻧﺸﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ
सवानहे कर्बला, 137📚
🔖पोस्ट न.3⃣2⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
🗡🗡शहादत के वाक़ीआत2⃣🗡🗡
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🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत
*इसका जवाब ये दिया गया की तमाम फ़ज़ाइल हमे मालुम है मगर उस वक़्त ये मसअला ज़ेरे बहष नही है, आप जंग के लिये किसी को मैदान में भेजिये और गुफ्तगू खत्म फरमाये।*
*🥀हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने फ़रमाया की में हुज्जते खत्म करना चाहता हु ताकि इस जंग को दफा करने की तदाबिर में से मेरी तरफ से कोई तदबीर रह न जाए और जब तुम मजबूर करते हो तो ब मजबूरी व नाचारी मुझको तलवार उठाना ही पड़ेगी।*
*ये गुफ्तगू हो ही रही थी की एक शख्स घोडा दौड़ा कर सामने आया (जिसका नाम मालिक बिन उर्वा था) जब उस ने देखा की लश्करे इमाम के गिर्द खन्दक में आग जल रही है और शोले बुलंद हो रहे है और इस तदबीर से अहले खैमा की हिफाज़त की जाती है तो उस गुस्ताखने हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ से कहा की ऐ हुसैन तुम ने वहा की आग से पहले यही आग लगा ली? हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ ने फ़रमाया ऐ दुश्मने खुदा ! तू काजीब है। तुझे गुमान है की में दोज़ख में जाऊँगा ?*
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सवानहे कर्बला, 139📚
🔖पोस्ट न.3⃣3⃣
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🌹हज़रते हुसैन ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ का पैगाम📜
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🌹 الصــلوة والسلام عليك يارسول الله ﷺ
⚔सवानहे कर्बला⚔
🗡🗡शहादत के वाक़ीआत2⃣🗡🗡
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🌸10मुहर्रम के दिलडोज वाक़ीआत
*🥀मुस्लिम बिन औसजा ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ को मालिक बिन उर्वा का ये कलिमा बहुत न गवार हुवा और उन्हों ने हज़रते इमाम ﺭﺿﻲ ﺍﻟﻠﻪ ﺗﻌﺎﻟﻲ ﻋﻨﻪ से उस बद ज़बान के मुह पर तीर मारने की इजाज़त चाही। सब्रो तहम्मुल और तक़वा और रास्तबाज़ी और अदालत व इन्साफ का एक आदिमूल मिषाल मन्ज़र है की ऐसी हालत में जब की जंग के लिये मजबूर कीये गए थे। उस वक़्त भी अपने जज़्बात क़ब्ज़े में है तैश नहीं आता। फरमाते है : खबरदार ! मेरी तरफ से कोई जंग की इब्तिदा न करे ताकि इस खून रेजी का बवाल आदा ही की गर्दन पर रहे और हमारा दामन इक़दाम से आलूदा न हो।*
ये फरमा कर दस्ते दुआ दर्ज़ा फरमाए और बारगाहे इलाही में अर्ज़ किया…
बाक़ी अगली पोस्ट में.. ﺍﻧﺸﺎﺀ ﺍﻟﻠﻪ
सवानहे कर्बला, 139📚