Har Maraz Ka Utar Gaya Pani Naat Lyrics
Har Maraz Ka Utar Gaya Pani Lyrics || Asad Iqbal
Har Maraz Ka Utar Gaya Pani
Meine Zamzam Ka Jab Piya Pani
Dekh Kar Husne Mustafai Ko
Chand Ke Munh Mein Aa Gaya Pani
Chand Talwe Ko Chum Kar Bola
Husn Mujpe Chad Gaya Pani
Hath Utthe The Mere Aaqa Ke
Kis Tarha Baat Kat’ta Pani
Mustafa Ke Labon Ka Hilna Tha
Badalon Se Baras Pada Pani
Nanhe Asgar Ki Pyas Ke Sadqe
Sari Duniya Ko Mil Gaya Pani
Mere Shabbir Chah Lete To
Ek Thokar Se Fut’ta Pani
Mere Khwaja Ka Hukm Sunte Hi
Ek Kase Mein Aa Gaya Pani
Aaya Jab Ek Mas’ala Aesa
Hai Bhala Kaun Aur Bura Pani
Dudh Ka Dudh Aala Hazrat Ne
Aur Pani Ka Kar Diya Pani
Aala Hazrat Ka Jo Bhi Dushman Hai
Daldo Us Pe Kholta Pani
Aye Asad Sab Khuda Ki Ne’mat Hai
Rang Khushbu Ghata Hawa Pani
Hui Sarkar ki aamad zamana ho gaya roushan lyrics
KHUDA HI JAANE TUMHARA RUTBA HAI LYRICS
ہر مرض کا اُتر گیا پانی
ہر مرض کا اُتر گیا پانی
میں نے زم زم کا جب پیا پانی
دیکھ کر حسنِ مصطفائی کو
چاند کے منہ میں آ گیا پانی
چاند تلوے کو چم کر بولا
حسن مجھ پہ چڑ گیا پانی
ہاتھ اٹھتے تھے میرے آقا کے
کس طرح بات کٹتا پانی
مصطفیٰ کے لبوں کا ہلنا تھا
بادلوں سے برس پڑا پانی
ننھے اسغر کی پیاس کے صدقے
ساری دنیا کو مل گیا پانی
میرے شبیر چاہ لیتے تو
ایک ٹہوکر سے پھٹا پانی
میرے خواجہ کا حکم سنتے ہی
ایک کس میں آ گیا پانی
آیا جب ایک مسئلہ ایسا
ہے بھلا کون اور برا پانی
دودھ کا دودھ آلہ حضرت نے
اور پانی کا کر دیا پانی
آلہ حضرت کا جو بھی دشمن ہے
دلدو اُس پہ کھولتا پانی
اے اسد! سب خدا کی نعمت ہے
رنگ خوشبو غٹا ہوا پانی
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हर मर्ज़ का उतर गया पानी
हर मर्ज़ का उतर गया पानी
मैंने ज़मज़म का जब पिया पानी
देख कर हुस्न-ए-मुस्तफ़ाई को
चाँद के मुँह में आ गया पानी
चाँद तलवे को चुम कर बोला
हुस्न मुझपे चढ़ गया पानी
हाथ उठते थे मेरे आका के
कैसे बात कटता पानी
मुस्तफा के लबों का हिलना था
बादलों से बरस पड़ा पानी
नन्हे अस्गर की प्यास के सदक़े
सारी दुनिया को मिल गया पानी
मेरे शब्बीर चाह लेते तो
एक ठोकर से फटा पानी
मेरे ख्वाजा का हुक्म सुनते ही
एक कसे में आ गया पानी
आया जब एक मसला ऐसा
है भला कौन और बुरा पानी
दूध का दूध आला हज़रत ने
और पानी का कर दिया पानी
आला हज़रत का जो भी दुश्मन है
डलदो उस पर खोलता पानी
अये असद! सब ख़ुदा की नेमत है
रंग, ख़ुशबू, घाता, हवा पानी
रोज़े के मसाइल में ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह.!
रोज़े के बारे में लोगों में पाई जाने वाली 10- ग़लत बातें जिन की कोई हक़ीक़त नहीं- पूरा ज़रूर पढ़ें.!
No.9 ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि रोज़ा में इंजक्शन लगवाने से रोज़ा टूट जाता है!
सही मस्अला यह है कि इंजक्शन ख़्वाह गोश्त में लगवाया जाए या रग़ में इस से रोज़ा नहीं टूटता, अलबत्ता उलमा ए कराम ने रोज़े में इंजक्शन लगवाने को मकरुह फ़रमाया है जब तक ख़ास ज़रुरत न हो न लगवायें, ख़ास ज़रुरत पर रोज़ा में भी इंजक्शन लगवा सकते हैं इस से रोज़ा नहीं टूटेगा!
📘 ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह सफह 71
📓 फ़तावा फ़ैज़ुर रसूल जिल्द 1 सफह 517
📙 फ़तावा मरकज़ी दारुल इफ़्ता सफह 359
📒 मक़ालात शारेह़ बुख़ारी जिल्द 1 सफह 408/398
📗 दुर्रे मुख़्तार मा रद्दुल मुह़तार जिल्द 3 सफह 398
📘 मजलिसे शरई के फैसले सफह 284
📓 फ़तावा गौसिया जिल्द 1 सफह 209
📒 फ़तावा अलीमिया जिल्द 1 सफह 418- रोज़ा का ब्यान
No.10 ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग रोज़ा में तेल खुश्बू लगाने और मोवे ज़ेरे नाफ़ यानि नाफ़ के नीचे वाले बाल बनाने को दुरुस्त नहीं समझते!
सही मस्अला यह है कि इन तमाम कामों से रोज़ा नहीं टूटता यानि रोज़े की ह़ालत में तेल लगाना और मोवे ज़ेरे नाफ़ (नाफ़ के नीचे के बाल ) बनाना जायज़ है इस से रोज़ा नहीं टूटता.!
📕رد المحتار علی الدرالمختار کتاب الصوم باب ما یفسد الصوم وما لا یفسدہ جلد 3 صفحہ 421 نمبر مکتبہ رشیدیہ کوئٹہ وغیرہ
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रोज़े के मसाइल में ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह.!
रोज़े के बारे में लोगों में पाई जाने वाली 10- ग़लत बातें जिन की कोई हक़ीक़त नहीं- पूरा ज़रूर पढ़ें.!
NO.1 ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि रोज़ा इफ़्तार की दुआ रोज़ा खोलने से पहले पढ़ना चाहिए और वह पहले दुआ पढ़ते हैं फिर रोज़ा खोलते हैं!
सही मस्अला यह है कि रोज़ा इफ़्तार की दुआ रोज़ा खोलने के बाद पढ़ना चाहिए, -بسم اللہ شریف – पढ़ कर रोज़ा ख़ोलें फिर कुछ खाने के बाद जो दुआ पढ़ी जाती है वह पढ़ें.!
📕 फ़तावा रज़विया शरीफ़ जिल्द 4 सफह 651
📘 फ़तावा फ़िक़्हे मिल्लत जिल्द 1 सफह 344
NO.2 ग़लत फ़ेहमी :- बहुत लोग समझते हैं कि उलटी होने से रोज़ा टूट जाता है!
सही मस्अला यह है कि ख़ुद बा ख़ुद यानि ख़ुद से कितनी ही पलटी या क़ै आ…
रमज़ान मुबारक ༺❘
हिस्सा – 04
रोज़े के मसाइल में ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह.!
रोज़े के बारे में लोगों में पाई जाने वाली 10- ग़लत बातें जिन की कोई हक़ीक़त नहीं- पूरा ज़रूर पढ़ें.!
No.3 ग़लत फ़ेहमी :- ये भी मशहूर है कि रोज़े की ह़ालत में ऐह़तलाम (सोते में मनी निकलना) नाइटफाल हो जाये तो रोज़ा टूट जाता है!
सही मस्अला ये है कि रोज़े की ह़ालत में ऐह़तलाम हो जाने से रोज़ा नहीं टूटता!
📙 रद्दुल मुह़तार अला दुर्रे मुख़्तार जिल्द 3 सफह 421
📒 رد المحتار علی الدرالمختار، کتاب الصوم، باب ما یفسد الصوم وما لا یفسدہ، جلد 3 صفحہ نمبر 421 مکتبہ رشیدیہ کوئٹہ
No.4 ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि सेहरी में आंख न ख़ुले और सेहरी खाना छूट जाए तो रोज़ा नहीं होता!
सही मस्अला यह है कि सेहरी रोज़ा के लिए शर्त़ नहीं यानि ज़रुरी नहीं आपने रात में रोज़े की नियत कर ली थी यानि दिल में रोज़ा रखने का इरादा था फिर सेहरी में आंख नहीं भी ख़ुली तब भी रोज़ा हो जायेगा, हाँ जानबूझकर सेहरी न करना अपने आपको अज़ीम सुन्नत से मेह़रुम करना है!
📘 رد المحتار علی الدرالمختار، کتاب الصوم باب ما یفسد الصوم وما لا یفسدہ جلد 3 صفحہ 393 -394, مکتبہ رشیدیہ کوئٹہ
No.5 ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि मुंह में मौजूद थूक या बलग़म निग़ल जाने से रोज़ा टूट जाता है या मकरुह हो जाता है इसलिए वह बार बार थूकते रहते हैं!
सही मस्अला यह है कि मुंह में मौजूद थूक और बलग़म निग़लने से रोज़ा बिलकुल नहीं टूटेगा- हां अगर कोई बेवकूफ मुंह से बाहर मसलन हथेली पर थूक कर अपनी थूक या बलग़म मुंह में दुबारा डाल कर निग़ल जाए तो फ़िर टूट जायेगा, लेकिन ऐसा आम तौर पर कोई नहीं करता!..✍🏻
📕 दुर्रे मुख़्तार मा रद्दुल मुह़तार
༻ रमज़ान मुबारक ༺❘
हिस्सा – 05
रोज़े के मसाइल में ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह.!
रोज़े के बारे में लोगों में पाई जाने वाली 10- ग़लत बातें जिन की कोई हक़ीक़त नहीं- पूरा ज़रूर पढ़ें.!
No.6- ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि चोट वगैरह लग़ने पर खून निकल आने या खून टेस्ट करवाने पर रोज़ा टूट जाता है!
सही मस्अला यह है कि रोज़ा किसी चीज़ के मेदे के रास्ते में या दिमाग़ में जाने से टूटता है जिस्म से कोई चीज़ बाहर आने पर नहीं टूटता- ख़ुलासा यह है कि खून ज़ख्मी होने पर निकले या फ़िर टेस्ट करवाने के लिए निकलवाये इस से रोज़ा नहीं टूटेगा!
📗 مصنف ابن ابی شیبہ، رقم الحدیث-9319
📕 سنن الترمذی رقم الحدیث-719
No.7 गलत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि रोज़े की ह़ालत में गुस्ल फ़र्ज़ हो जाए तो कुल्ली करना नाक में पानी डालना मना है!
सही मस्अला यह है कि रोज़ा शुरू होने से पहले गुस्ल फर्ज़ हो या रोज़ा में ऐहतलाम हो जाये रोज़ा की ह़ालत में गुस्ल के तमाम फ़राएज़ अदा किये जायेंगे, गुस्ल में तीन फर्ज़ हैं कुल्ली करना, और नाक में नरम हिस्से तक पानी पहुंचाना पूरे जिस्म बदन पर पानी बहाना फर्ज़ है, इसके बगैर न गुस्ल होगा, न नमाज़ होगी.!
📙 ماخوذ از رد المحتار علی الدرالمختار کتاب الطہارۃ1 صفحہ نمبر 311-312 مکتبہ رشیدیہ کوئٹہ
अलबत्ता रोज़ा हो तो गरारह नहींं करना चाहिए और आम दिनों में भी गरारह गुस्ल का फर्ज़ या कुल्ली का हिस्सा नहीं है बल्कि जुदागाना सुन्नत है वह भी उस वक्त जब रोज़ा न हो अलबत्ता रोज़ा की ह़ालत में नाक में पानी सांस के ज़रिए ऊपर खींचने की इजाज़त नहीं!
📒 حاشیہ الطحطاوی علی مراقی الفلاح جلد 1 صفحہ نمبر 152 المکتبہ الغوثیہ،
📓 الجوھرۃ النیرۃ شرح مختصر القدوری جلد 1 صفحہ نمبر 30 مکتبہ رحمانیہ،
📘 نماز کے احکام صفحہ نمبر 102 مکتبہ المدینہ کراچی
No.8 ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि जब तक अज़ान होती रहे सेहरी में खाना पीना जारी रखा जा सकता है, इस लिए वह अज़ान होती रहती है और वह खाते पीते रहते हैं!
सही मस्अला यह है कि अज़ाने फजर और नमाज़े फजर का वक्त तो तब शुरू होता है जब सेहरी का वक्त ख़त्म हो जाता है, जो सेहरी का टाइम ख़त्म हो जाने के बाद भी खाता पीता रहता है उसने अपना रोज़ा बरबाद किया उसका रोज़ा हुआ ही नहीं, यानि जो अज़ान होती रहती है और वह खाता पीता रहता है उसका रोज़ा माना ही नहीं जायेगा!
📕 फैज़ाने रमज़ान सफह 110
रोज़े के मसाइल में ग़लत फ़हमियां और उनकी इस्लाह.!
रोज़े के बारे में लोगों में पाई जाने वाली 10- ग़लत बातें जिन की कोई हक़ीक़त नहीं- पूरा ज़रूर पढ़ें.!
No.6- ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि चोट वगैरह लग़ने पर खून निकल आने या खून टेस्ट करवाने पर रोज़ा टूट जाता है!
सही मस्अला यह है कि रोज़ा किसी चीज़ के मेदे के रास्ते में या दिमाग़ में जाने से टूटता है जिस्म से कोई चीज़ बाहर आने पर नहीं टूटता- ख़ुलासा यह है कि खून ज़ख्मी होने पर निकले या फ़िर टेस्ट करवाने के लिए निकलवाये इस से रोज़ा नहीं टूटेगा!
📗 مصنف ابن ابی شیبہ، رقم الحدیث-9319
📕 سنن الترمذی رقم الحدیث-719
No.7 गलत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि रोज़े की ह़ालत में गुस्ल फ़र्ज़ हो जाए तो कुल्ली करना नाक में पानी डालना मना है!
सही मस्अला यह है कि रोज़ा शुरू होने से पहले गुस्ल फर्ज़ हो या रोज़ा में ऐहतलाम हो जाये रोज़ा की ह़ालत में गुस्ल के तमाम फ़राएज़ अदा किये जायेंगे, गुस्ल में तीन फर्ज़ हैं कुल्ली करना, और नाक में नरम हिस्से तक पानी पहुंचाना पूरे जिस्म बदन पर पानी बहाना फर्ज़ है, इसके बगैर न गुस्ल होगा, न नमाज़ होगी.!
📙 ماخوذ از رد المحتار علی الدرالمختار کتاب الطہارۃ1 صفحہ نمبر 311-312 مکتبہ رشیدیہ کوئٹہ
अलबत्ता रोज़ा हो तो गरारह नहींं करना चाहिए और आम दिनों में भी गरारह गुस्ल का फर्ज़ या कुल्ली का हिस्सा नहीं है बल्कि जुदागाना सुन्नत है वह भी उस वक्त जब रोज़ा न हो अलबत्ता रोज़ा की ह़ालत में नाक में पानी सांस के ज़रिए ऊपर खींचने की इजाज़त नहीं!
📒 حاشیہ الطحطاوی علی مراقی الفلاح جلد 1 صفحہ نمبر 152 المکتبہ الغوثیہ،
📓 الجوھرۃ النیرۃ شرح مختصر القدوری جلد 1 صفحہ نمبر 30 مکتبہ رحمانیہ،
📘 نماز کے احکام صفحہ نمبر 102 مکتبہ المدینہ کراچی
No.8 ग़लत फ़ेहमी :- कुछ लोग समझते हैं कि जब तक अज़ान होती रहे सेहरी में खाना पीना जारी रखा जा सकता है, इस लिए वह अज़ान होती रहती है और वह खाते पीते रहते हैं!
सही मस्अला यह है कि अज़ाने फजर और नमाज़े फजर का वक्त तो तब शुरू होता है जब सेहरी का वक्त ख़त्म हो जाता है, जो सेहरी का टाइम ख़त्म हो जाने के बाद भी खाता पीता रहता है उसने अपना रोज़ा बरबाद किया उसका रोज़ा हुआ ही नहीं, यानि जो अज़ान होती रहती है और वह खाता पीता रहता है उसका रोज़ा माना ही नहीं जायेगा!
📕 फैज़ाने रमज़ान सफह 110