Ae Khatme Rusul Makki Madni Naat Lyrics

Ae Khatme Rusul Makki Madni Naat Lyrics
ए ख़त्म-ए-रुसूल ! मक्की-मदनी ! कौनैन में तुम सा कोई नहीं
ए नूर-ए-मुजस्सम ! तेरे सिवा महबूब ख़ुदा का कोई नहीं

अवसाफ़ तो सब ने पाए हैं, पर हुस्न-ए-सरापा कोई नहीं
आदम से जनाब-ए-ईसा तक सरकार के जैसा कोई नहीं

ये शान तुम्हारी है, आक़ा ! तुम अर्श-ए-बरीं पर पहुँचे हो
ज़ी-शान नबी हैं सब लेकिन मे’राज का दूल्हा कोई नहीं

दिल किस को दिखाएँ चीर के हम, ‘इस्याँ का मदावा कौन करे
ए रहमत-ए-आलम ! तेरे सिवा दुखियों का मसीहा कोई नहीं

ख़ैरात मुहम्मद से पा कर इस नाज़ से कहते हैं मँगते
दुखियों पे करम करने वाला सरकार से अच्छा कोई नहीं

मालिक हैं वो दोनों ‘आलम के, हर ज़र्रा मुनव्वर है उन से
तनवीर-ए-मुजस्सम, सय्यिद-ए-कुल, आक़ा के इलावा कोई नहीं

हो जाए अगर इक चश्म-ए-करम, महशर में फ़ना की लाज रहे
ए शाफ़े’-ए-महशर ! तेरे सिवा बख़्शिश का वसीला कोई नहीं

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top