Bigdi Hui Banti Hai Har Baat Madine Me Lyrics

Bigdi Hui Banti Hai Har Baat Madine Me Lyrics

 

 

Bigdi hui banti hai har baat Madine me
gamkhwar Muhammed ki hai zaat Madine me

 

Aao bhi gunahgaaro pahucho bhi Madine me

bat ti hai shafa’at ki khairaat Madine me

 

Jiski na sahar howe Allah qayamat tak

aisi bhi to aa jaaye ek raat Madine me

 

 

Rehmat ki ghataye ho rauze pe nigaahe ho

Aye kaash who aa jaaye lamhaat Madine me

 

Kuch ashq nidamat ke kuch haar duroodo ke

Ye leke challenge hum saugaat Madine me

 

Isya ki siyahi ko dho dale jo dum bhar me

Hoti hai who Rehmat ki barsaat Madine me

 

Ye aas Niyaazi hai Dulha ki ziyarat ho

Jaayegi ghulamo ki baaraat Madine me.

 

 

Haqeeqat mein wo lutfe zindagi paya nahin karte NAAT LYRICS

IKRAR HAI SARKAR GUNAHGAAR BAHUT HU NAAT LYRICS

MAIN KYA BATAUN KI KYA MADINA HAI NAAT LYRICS

KAB PAHUCHUN DAR-E-GHAUSUL WARA MANZIL TO WOHI HAI NAAT LYRICS

Elaan-e-Khudawandi Quraan Ka Naa’ra Hai Lyrics

 

 

❖ मफ़हूम ए फरमाने मुस्तफा ﷺ ❖

हुज़ुर सरकारे दो-आलम ﷺ ने इर्शाद फरमाया के :

❝ जब शबे कद्र आती है तो हुक्मे ईलाही से (हज़रत) जिब्रईल عليه اصلواة واسلام एक सब्ज़ ज़न्डा लिये फिरीश्तों की बहुत बडी फौज के साथ ज़मीन पर नुज़ूल फरमाते है और वोह सब्ज़ ज़न्डा का’बा ए मुअज़्ज़म पर लेहरा देते है। (हज़रत) जिब्रईल عليه اصلواة واسلام के सो बाज़ु है, जिन में से दो बाज़ु सिर्फ इसी रात खोलते है। वोह बाज़ु मशरिक व मगरिब में फैल जाते है। फिर (हज़रत) जिब्रईल عليه اصلواة واسلام फिरीश्तों को हुक्म देते है के जो कोई मुसलमान आज रात कियाम, नमाज़ या ज़िक्रुल्लाह में मशगुल है उस से सलाम व मुसाहफा करो। नीज़ उनकी दुआओं पर आमीन भी कहो। चुनान्चे सुब्ह तक यही सिलसीला रेहता है। सुब्ह होने पर जिब्रईल عليه اصلواة واسلام फिरीश्तों को वापसी का हुक्म देते है। फिरीश्तें अर्ज़ करते है : अय हज़रते जिब्रईल عليه اصلواة واسلام अल्लाह عزوجل ने उम्मते मुहम्मदीया ﷺ की हाजतों के बारे में क्या मुआमला फरमाया है? हज़रते जिब्रईल عليه اصلواة واسلام फरमाते है : “अल्लाह عزوجل ने इन लोगगों पर खुसुसी नज़रे करम फरमाई है और चार किस्म के लोगों के अलावा सबको मुआफ फरमा दिया ❞

सहाबा ए किराम ने अर्ज़ की : “या रसुलल्लाह ﷺ येह चार किस्म के लोग कौन है? इर्शाद फरमाया :

❝ एक तो आदी शराबी,
दुसरे वालीदैन के ना फरमान,
तिसरे कतअ रेहमी करने वाले और
चौथे वोह लोग जो आपस में अदावत रखते है और आपस में कतअ तअल्लुक करने वाले ❞

▓ शु’अबुल ईमान, जिल्द 3, सफ्ह 336, हदीष शरीफ#3690

 

 

❖ मफ़हूम ए फरमाने मुस्तफा ﷺ ❖

हज़रत सय्यिदुना अब्दुल्लाह इब्ने अब्बास رضي الله عنه से रिवायत है के मेहबुबे रब्बुल आलमीन, सय्यिदुल अम्बियाऐ वल मुरसलीन ﷺ का फरमाने दिल नशीन है :

❝ अल्लाह عزوجل माहे र-मज़ान में रोज़ाना इफ़तार के वक्त दस लाख ऐसे गुनाहगारों को जहन्नम से आज़ाद फरमाता है जिन पर गुनाहों की वजह से जहन्नम वाजीब हो चुका था । नीज़ शबे जुमूआ और रोज़े जुमूआ (या’नी जुम्आरात को गुरूबे आफताब से लेकर जुमूआ को गुरूबे आफताब तक) की हर हर घडी में ऐसे दस दस लाख गुनाहगारों को जहन्नम से आज़ाद किया जाता है जो अज़ाब के हकदार करार दिये जा चुके होते है ❞

▓ अल फीरदौस ब-मासुरल खीताब, जिल्द 3, सफह् 320, हदीष शरीफ#4960

‣ आज शबे जुमूआ है, लेहाजा शबे जुमूआ का दुरूद शरीफ एक बार ज़रुर पळ्हलें।

﷽ الصــلوة والسلام‎ عليك‎ ‎يارسول‎ الله ﷺ

اَللّٰـــهُمَّ صَــلِّ وَسَلِّمْ وَبَارِكْ عَــلٰى سَيِّدِنَا وَمَوْلٰنَا مُحَــمَّدٍ نِ النَّبِيِّ الْاُمِّيِّ الْحَبِيْبِ الْعَالِي الْقَدْرِ الْعَظِيْمِ الْجَاهِ وَعَلٰی اٰلِهٖ وَصَحْبِهٖ وَبَارِك وَسَلِّم
बिस्मिल्ला हिर्रहमा निर्रहीम :

अस्सलातु वस्सलामु अलयका या रसुलल्लाह ﷺ

अल्लाहुम्मा सल्ली व-सल्लीम व-बारीक अला सय्यिदीना व मव्लाना मुहम्मदी नीन् नबीय्यील उम्मीय्यील हबीबील आलील क-दरील अज़ीमील जाह व अला आलिही व सह्बीही व बारीक वसल्लीम।

 

❖ मफ़हूम ए फरमाने मुस्तफा ﷺ ❖

हुज़ुर रेहमते आलम, नुरे मुजस्सम ﷺ ने इर्शाद फरमाया :

❝ जो हलाल कमाई से र-मज़ान में रोज़ा इफतार कराए, र-मज़ान की तमाम रातों में फिरिश्तें उस पर दुरुद भेजते है और शबे कद्र में जिब्रईल (عليه اصلاة و اسلام) उस से मुसाहफा करते है। ❞

▓ कन्ज़ुल उम्माल, जिल्द 8, सफह् 215, हदीष शरीफ#23653

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